Nimesh
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भाई बडा ही शानदार चल रह है कहानी....मान गये तुम्हारी कला को... रुकनी नाही चाहीये कहानी और चुदाई.... बहोत सारे प्यासे लंड तुमको दुवा देंगेएक दिन मेरे पती एक वेब मीटिंग में लगे हुए थे । में रसोई घर में थी और एक कबर्ड का दरवाज़ा लूस था और नीचे गिर रहा था। में पती को बुलाई तो उन्होंने बोला की वो बिज़ी हैं एक घंटे की मीटिंग में। मेरे ससुरजी ने मेरी आवाज़ सुनी और बोले कि वो फ़्री हैं और मेरी मदत करेंगे।
“में घर के छोटे मोटे चीजें ठीक करता हूँ बहु ।”
वाह मेरे ससुरजी तो ऑल-राउंडअर थे।
फिर ससुरजी मरम्मत के लिए एक स्क्रूड्रायवर और अन्य चीजें ले आए।
ससुर जी ने मुझे बस एक टोप और स्कर्ट में देखे और कुछ सोच और कहे,
"कामिनी ! यहाँ आओ और बोर्ड को पकड़ो ताकि मैं इसे ठीक कर सकूं। अगर मैं इसे खुद पकड़ता हूं, तो मैं अच्छी तरह से स्क्रू नहीं लगा सकता क्योंकि ।"
मैं उनके करीब आ गयी। चूंकि मैं ऊंचाई में चोटी थी, और रसोई के स्लैब के दूसरे छोर पर दीवार थोड़ी दूर थी, इसलिए मुझे बोर्ड की स्थिति तक पहुंचने के लिए बोर्ड को अपने हाथों में पकड़ने के लिए कमर को नीचे झुकाना पड़ा।
अब जब मैं बोर्ड के सामने खड़ी थी तो ससुर जी को मेरे पीछे आना पड़ा और उन्हें भी मेरे शरीर पर झुकना पड़ा, वह काफी लम्बे क़द के थे , लेकिन बोर्ड के सामने मेरे खड़े होने के कारण उन्हें मेरे पीछे खड़ा होना पड़ा और वह बोर्ड पर अपने हाथों तक नहीं पहुंच सके।
यह स्थिति मेरे पक्ष में थी। मैंने अपने आप को लगभग 90 डिग्री तक और झुकाई और फिर अपने पैरों को थोड़ा अलग करी , बेहतर संतुलन के लिए।
ससुर जी की पेल्विक ने मेरे नितंबों को थोड़ा छुआ। में खुश हुई और मैंने अपने नितंबों को तब तक पीछे धकेली जब तक कि वे मेरे ससुर जी के उभरते लंड वाले हिस्से को न छू लें। ससुर जी पीछे नहीं हटे बल्कि पीछे से अपना उभरता लंड और रगड़ने लगे।
अब बस मेरी स्कर्ट और अंदर लेस पैंटी ओर उनके लूँगी का थिन फ़ैब्रिक उनके लंड और मेरी चूत के बीच था जो उनके लंड को मेरी चूत के अंदर धकेल ने से रोक रहा था। में महसूस की, कि उनका सख्त लंड मेरे नितंबों को बस छू नहीं रहा है बल्कि अंदर जाने का इंतेज़ार कर रहा हो।
अब मेंने बस एक टाइट टोप और एक स्कर्ट जो घुटनो के ऊपरी हिस्से तक ही थी, वैसे ड्रेस पहनी हुयी थी।
जैसे ही में मेरे कमर को पीछे धकेली, ससुर जी ने अपने सख्त लंड को पीछे से मेरे चूतड़ों में जोर से धक्का दिया। मैं स्वर्ग में थी और मैं चुपचाप खड़ी रही। ससुर जी ऐसे अभिनय कर रहे थे जैसे कि बोर्ड को स्क्रू डाल कर ठीक करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन मेरी गाँड की दरार में उनका अब रॉक हार्ड लंड छू रहे थे। ससुर जी ने अपने लुंगी से ढके लंड के सिर को मेरे चूतड़ों की दरार में डाल दिए और एक धक्का दे दिया।
मेरे दोनों नितम्बों को अलग करते हुए, ससुर जी का सख्त लंड अंदर तक चला गया जब तक कि लंड मेरी गांड के छेद को छू नहीं लिया। यह फ़ीलिंग मुझे एक सुखद अनुभूति दे रही थी। जैसे ही मैंने उनके लंड के सिर की नोक को अपने गुदा द्वार पर महसूस करी, मेरे होठों से एक कराह निकल गई और मेरी आँखें आनंद से बंद हो गईं।
ससुर जी ने मेरी कराह सुनी। वह खुश थे क्योंकि इसका मतलब था कि मैं अपने गुदा छिद्र पर उनके लंड का आनंद ले रही हूँ ।
मैं उनके सख्त लंड पर अपने नितम्ब पीसने लगी। ससुर जी ने केवल लुंगी पहनी थी बिना अंडरवियर के और मैंने पतली लेस पैंटी और केवल एक शॉर्ट स्कर्ट पहन रखी थी, इसलिए मैं अपने प्यारे ससुर जी के लंड की आकृति को अपने गाँड और गाँड के छेद से स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी।
लगभग 2-3 मिनट तक ससुर जी मेरे गाँड की दरार में अपना स्टील का सख्त लंड पीसते रहे और मैं भी पैरों को अलग करके खड़ी रही और उनकी हरकतों में उनका पूरा सहयोग दी और हम दोनों एक की मरम्मत के नाम पर अपने छोटे से सेक्स गेम का आनंद ले रहे थे।
अचानक ससुर जी थोड़ा पीछे हटे, और मैंने महसूस किया कि उनके हाथों ने मेरी स्कर्ट के हेम को पकड़ लिया था और इसे तब तक ऊपर ले गए जब तक कि यह मेरी कमर तक नहीं पहुंच गया, मैं उत्तेजना से कांपने लगी क्योंकि मैं अपने नितंबों और यहां तक कि मेरी योनी को नग्न महसूस कर रही थी।
मैंने ऐसा दिखावा किया जैसे मैं ससुर जी से अपनी स्कर्ट हटाने से बेखबर थी। फिर ससुर जी आगे बढ़े और अब उनके लंड का अहसास और भी साफ़ हो गया था, क्योंकि मेरे नंगे नितम्बों और उनके सख्त लंड के बीच में लुंगी का एक पतला कपड़ा ही था और मेरी पतली लेस पैंटी।.
मेरी योनी अब गीली हो रही थी। मुझे डर था कि कहीं मेरी योनी का रस को फर्श पर टपकाना शुरू न कर दूं। ससुर जी पीछे हटे और अब उन्होंने अपनी लुंगी के किनारे खोलकर अपने लंड को आज़ाद और नंगा कर दिया. दीवार के सामने होने के कारण मैं उसे देख नहीं पा रही थी।
लेकिन जब ससुर जी फिर आगे बढ़े, तो उनका नंगा सख्त लंड सीधे मेरी बस लेस पैंटी से ढकी मांसल नंगी चूतड़ों के बीच जा घुसा।
फिर पीछे हट कर उन्होंने मेरी पैंटी साइड में की और फिर से मेरी गाँड की छेद पर उनका सक्त लंड रगड़ने लगे।
जैसे ही उनका खुला लंड मेरे नंगी चूतड़ों में घुस गया, मेरे होठों से एक कराह निकल गई। ससुर जी ने मेरी कराह सुनी लेकिन चुप रहे। अब हमारे नग्न गुप्तांग रगड़ रहे थे। ससुर जी भी एक कराह नहीं रोक पाए और जब उन्होंने मुझे पाया, तो मेरे गाँड पर अपने लंड की अनुभूति का आनंद ले रहे थे, और थोड़ा भी नहीं मुरझा रहे थे। उनका बेटा और मेरे पती नीचे रसोई घर में कभी भी आ सकते थे, लेकिन ऐसे लग रहा था की अब उस बात की परवाह ना मुझे थी ना ससुरजी को। वह मेरी गांड की दरार में अपना लंड ज़ोर्से रगड़ने लगे।
मैं अब भी बोर्ड को पकड़े हुए थी और ससुर जी भी ठीक करने का काम कर रहे थे। लेकिन आनंद की अधिकता के कारण मेरी आंखें बंद हो रही थीं। मैंने अपने प्यारे ससुर जी को ज्यादा से ज्यादा एक्सेस देने के लिए अपनी टांगें अलग कर लीं। और वह इतना होशियार थे कि उन्हें पता था कि मुझे मेरी गांड पर उनका लंड पसंद है।
ससुर जी बोर्ड को स्क्रू डाल कर ठीक करने के लिए अभिनय करते रहे और फिर थोड़ा झुककर अपना लंड मेरी गांड से मेरी योनी के होठों पर उतार दिया।
जैसे मैं टांगों को अलग करके खड़ी थी, वैसे ही मेरे योनी के होंठ भी खुले हुए थे। ससुर जी के जलते लंड का सिर जैसे ही मेरे निचले होंठों पर लगा, मैं अपने आप को रोक नहीं पायी और थोड़ी और ज़ोर से कराह उठी,
"ओह ससुर जी! ओह ओह..."
मैं और क्या कह सकती थी? अब ससुरजी भी बेशर्मी से अपने लंड के सिर को मेरी योनी की छेद में रगड़ रहे थे क्योंकि उनका कठोर लंड मेरे योनी के होठों को अलग कर चुका था और उनका लंड मेरी योनी के छेद के गुलाबी मांस पर रगड़ रहा था। मैं इतनी गीली हुयी थी की उनका लंड मेरी योनि के रस से भीग रहा था।
मैं कराह रही थी। ससुर जी अब अपना लंड मुझमें धकेलने की कोशिश कर रहे थे। ससुर जी ने अपने लंड के सिर को अंदर धकेलने की कोशिश की ।
ससुर जी ने स्क्रू को बोर्ड में डालने की कोशिश की और दोहरे अर्थ में बोले,
"कामिनी बहु पेंच (nail) अंदर नहीं जा रहा है। मुझे लगता है कि मुझे थोड़ा तेल या कुछ लबरिकांत इस्तेमाल करना होगा ताकि वह अंदर जा सके। आपको क्या लगता है? मैं इसे जोर से डालने की कोशिश करता हूं या मुझे कुछ तेल/लबरिकांत का उपयोग करना चाहिए? मुझे लगता है कि कुछ लबरिकांत के साथ यह आसान हो जाएगा।"
अब मेरी स्तिथि गरम थी । वहाँ घर पर पती थे और यहाँ ससुरजी को मेरी चुदाई करनी थी और मुझे गरम कर रहे थे ।
ससुरजी जो ठीक लगे करिए। अब बोर्ड चोरिए मेरी चूत ही चोदिए । में तड़प रही हूँ , आपका लंड आज चूत में लेने के लिए। कल रात को आपके बेटे ने मेरी चुदाई नहीं की और मुझे आपका सक्त लंड अब मेरी चूत में चाहिए।
में अब उनके तरफ़ मूडी और मैंने ससुरजी को प्यार से गले लगाया और उनके लंड को और अंदर ले जाने के लिए एक हल्का सा ऊपर ह्यू ताकि मेरी चूत अब ससुरजी के लंड पर थी। ससुरजी मेरी स्थिति को समझ गए तो उन्होंने मेरे होठों को चूमा और अपने लंड पर हल्के से ऊपरी और धक्का दिया और अंदर ले जाने की कोशिश करने लगे।
लेकिन में खड़ी थी और इस स्थिति में उनका लंड पूरी तरह से अंदर नहीं जा रहा था। ससुरजी ने प्यार से मेरी योनी पर हाथ रखा और मुझसे कहा कि मैं अपनी टांगों को ज्यादा से ज्यादा चौड़ी कर लूं ताकि योनी का मुंह चौड़ा हो जाए। मैंने अपने पैर और अलग कर लिए।
ससुरजी ने मेरी योनी पर अपनी लार डाली और अपने शरीर को तब तक ऊपर उठाते रहे जब तक कि उनका आधा लंड मेरी चूत के अंदर जाने लगा और फिर एक बड़े जोर से अपने पूरे लंड को एक झटके में अंदर धकेल दिया। मैंने थोड़ी सी फुसफुसाहट की और जोर से कराहने लगा।
ससुरजी जानते थे कि अब मेरी पूरी ताक़त से चुदाई कर सकते है इसलिए उन्होंने मुझे उग्र और तेज गति से चोदना शुरू कर दिया। चूंकि अब मेरी योनी भी अपना अमृत बह रही थी और ससुरजी ने फिर से मेरी योनी पर और लार डाल दी ताकि वह मुझे बिना किसी समस्या के चोद सके और जल्द ही वह पूरी लंबाई के साथ चुदाई करने लगे।
मैं अपने ससुरजी के साथ फिरसे ज़बरदस्त चुदाई का आनंद ले रही थी और उन्हें तेजी से और चुदाई करने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी। मैंने अपनी चुत उठाई और उसे अपनी चुत में प्रवेश करने के लिए एक बेहतर ऐंगल दिया।
हम दोनों गर्मी में दो जानवरों की तरह चुदाई कर रहे थे। मैं उन्हें जल्दी से चोदने के लिए कह रहा था और ससुरजी मुझ पर और जोर से दबाव डाल रहे थे।
मैं भी नीचे की ओर जोर दे रही थी और ससुरजी का हर ऊपर का जोर मेरी चुट से उतनी ही शक्तिशाली नीचे की ओर जोर से मिल रही थी। उनका लंड अब मेरी खिंची हुई योनी में आसानी से और तेज़ी से सरक रहा था। मैं तीव्र आनंद महसूस कर रही थी और अब बेशर्मी से कराह रही थी। ससुरजी भी स्वर्ग में थे और मुझे शक्तिशाली स्ट्रोक के साथ तेजी से चोद रहे थे।
हम जोर-जोर से हांफ रहे थे और हमारा शरीर पसीने से भीग गया था। मैं अपनी चुत में कुछ हलचल महसूस कर रही थी। मुझे पता था कि में ऑर्गेज्म के करीब आ रही थी।
मैंने अपनी चूत के ऊपर नीचे करने की गति बढ़ा दी और ससुरजी मेरी स्थिति को समझ गए और उनका खुद का संभोग भी अब दूर नहीं था। जैसे हम काफी समय से चुदाई का खेल खेल रहे थे, वैसे ही उनका ऑर्गेज्म भी अब करीब आ रहा था।
में ससुरजी के गले में हाथ डाले और कही,
"ओह ससुरजी! कृपया मुझे कसके पकड़ें और चोदिए उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ससुरजी ।"
ससुरजी चुप रहे बस चोदते रहे। मेरी योनी इतनी गीली थी कि उसे अपना लंड मुझमें सरकाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। मेरी चुत भीग रही थी और उससे ससुरजी का लुंड चमक रहा था। हालाँकि मेरी चुत अब पूरी तरह से लुब्रिकेटेड और फैली हुई थी, लेकिन फिर भी ससुरजी का लंड इतना बड़ा था कि अंदर से कस कर फिट हो गया था। यह एक तंग म्यान में तलवार की तरह लगा।
अचानक ससुरजी गरज कर कराह उठे,
"ओह कामिनी बहु! मेरे लंड से पानी निकालने ke क़रीब हूँ। हे भगवान यह कितनी मस्त फ़ीलिंग हैं।”
यह कहते हुए उन्होंने बहुत शक्तिशाली स्ट्रोक दिए और उनका लंड मेरी योनी में इतना बड़ा हो गया कि उनके लंड ने उसे और चौड़ा कर दिया था। तभी मेरी चूत में उनका लंड धड़कने लगा।
मैं उनके लंड की हर नस को महसूस कर सकती थी। ससुरजी का लंड हिंसक रूप से धड़क रहा था और एक बड़ी घुरघुराहट के साथ यह मेरी योनी में अपने वीर्य का एक बड़ा भार शूट कर रहा था।
ससुरजी ने अपना लंड मुझमें तब तक रखा जब तक कि उसके लंड ने मेरी योनी में एक और गर्म वीर्य का एक और शॉट डाल दिया।
जैसे ही में महसूस की, कि ससुरजी का गर्म वीर्य की मेरी चूत में शूटिंग कर रहे हैं, और अगली कड़ी के साथ मेरी योनी भी अपना रस बहने लगी।
हम दोनों ससुर-बहु साथ-साथ आ रहे थे। ससुरजी लुंड मुझमें अपना वीर्य की शूटिंग करते रहे। असहनीय खुशी से मेरी आंखें बंद हो गईं। हम दोनों एक दूसरे को कसकर गले लगा रहे थे और जोर-जोर से सांस ले रहे थे।
कुछ देर बाद ससुरजी के लंड ने अपना वीर्य मुझमें छोड़ना बंद कर दिया और मैं बहुत कमजोर महसूस कर रही थी और उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में कसकर जकड़ लिया। उनका लंड मेरी योनी में फड़कता रहा और धीरे-धीरे सिकुड़ता गया।
हम 5 मिनट तक एक-दूसरे को गले लगाते रहे और फिर पापा ने सिर उठाकर प्यार से मेरे होठों पर किस किया। मैं प्यार से उसकी आँखों में देख रही थी। उन्होंने अपना लंगड़ा लंड मेरी योनी से बाहर निकाला। जैसे ही उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला, सारा सह और मेरी अपनी योनी का रस बाहर निकलने लगा और फ़र्श पर टपकने लगा।
“उफ़्फ़्फ ससुरजी यह देखिए आपने क्या किया” और मेंने फ़र्श पर देखने के लिए आँखों से इशारा की।
बहु, ये सब बस मेंने नहीं, हमने किया हैं”
“उफ़्फ़्फ़्फ ससुरजी आप भी ना बस” और में अपने चेहरे को उनके सिने पर सता दिया शरम से ।
बहु चलो अब मेरे बेटे की मीटिंग खतम होने को आयी होगी, मुझे ये कपबोर्ड का दरवाज़ा लगाने दो । नहीं तो वो शक करेगा की इतना टाइम हम क्या कर रहे थे यहाँ रसोई घर में।
माइन फ़र्श साफ़ करी और फिर शर्मायी और ससुरजी को एक ज़ोरदार चुंबन दी और उनके लंड को दबोच कर जाने लगी। जाते जाते उन्होंने मेरी गाँड पर थप्पड मारकर बोले
“उफ़्फ़्फ बहु, कल सुबह जाम कर तेरी यह चंचल गाँड मारूँगा!”
में शर्मायी और अपने चूतदों को ज़ोर से हिलाते हिलाते अपने पति के पास चली गयी।
मै तो कहता हू हर एक मर्द से उसको चुदवावो....हर रीशते का अलग अलग chapterKya aap sab ko Sasurji ke saath aur character's chahiye is kahaani mein .. no incest bas aur mard jo
Kamini ki chudai karenge aur us par dher saare paise lutaenge..??
मेरा कहने मतलब था मल्लिकाजी कहानी जबरदस्त है...Update
Shukriya . Such sexy lovely detailed comments …भाई बडा ही शानदार चल रह है कहानी....मान गये तुम्हारी कला को... रुकनी नाही चाहीये कहानी और चुदाई.... बहोत सारे प्यासे लंड तुमको दुवा देंगे
मै तो कहता हू हर एक मर्द से उसको चुदवावो....हर रीशते का अलग अलग chapter
आप के details के आगे मेरे कंमेंट्स कुछ भी नहीShukriya . Such sexy lovely detailed comments …