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Incest Galti

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मैं मीरा हूं मेरी उम्र 38 साल है. मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है. मेरा एक बेटा और एक बेटी है. बेटा 22 साल का है और बेटी 19 साल की है. मेरे पति के छोड़कर जाने के बाद घर में हम तीन लोग ही रहते हैं. मेरे बेटे का नाम आकाश है और बेटी का नाम सोनिया है.

हम लोग बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले हैं. मगर इस समय हम लोग महाराष्ट्र के पुणे में रहते हैं. मेरे पति की जॉब के कारण हम लोग बिहार से महाराष्ट्र में आ गये थे.

यहां शहर में आने के बाद मेरे पति ने शराब पीना शुरू कर दिया था. उसके बाद वो सारे पैसे को शराब में ही उड़ाने लगे थे. इससे उनकी तबियत भी खराब रहने लगी. उनके इलाज में फिर हमारे गांव के खेत भी बिक गये.

मेरे पति सुबह-शाम शराब पीते रहते थे. शराब के लत के कारण एक भी पैसा नहीं बचा था हमारे पास. सब कुछ गंवाने के बाद भी मैं उनको नहीं बचा पाई. अपने घर की इस हालत के लिए जिम्मेदार मैं अपने पति को ही मानती हूं. अगर हमारे गांव के खेत न बिके होते तो मैं अपना गुजर-बसर गांव में खेतों के सहारे ही कर लेती.

पति की मौत के बाद किसी तरह से मैंने बेटे को ग्रेजुएशन करवाई. उसने मोटर पार्ट्स का काम सीख लिया. उसको पच्चीस हजार सैलरी मिलने लगी थी. वो मुंबई में अपने दोस्त के पास रह कर काम कर रहा था. हम लोगों को पैसे भेज दिया करता था.

मेरी बेटी अभी पढ़ाई कर रही थी. पैसा उसी के अकाउंट में आता था. दो साल के बाद जब घर आया तो आकाश अब जवान होकर एकदम से मर्द बन गया था. मैं उसको देख कर खुश हो गई थी कि मेरा बेटा इतना बड़ा हो गया है. मैं सोच रही थी कि उसकी शादी कर दूंगी कुछ महीने के बाद.

मैंने आकाश से शादी की बात की तो वो बोला कि पहले घर बनवाना है. उसके बाद मैं खुद ही शादी कर लूंगा.

इसी बीच कुछ ऐसा हो गया था जो मुझे बहुत परेशान करने लगा था. मुझे इस बात के बारे में बाद में पता चला था. आकाश ने ही मुझे बताया था.

बात ऐसे हुई कि एक दिन आकाश घर में सो रहा था. रात के 11 बजे थे. उसको पेशाब लगी तो वो उठा और फिर उसको कुछ आहट सुनाई दी. उसने पीछे गाय वाले तबेले में जाकर देखा तो सोनिया एक लड़के के साथ (सेक्स करने में) लगी हुई थी. उसने सोनिया को एक झापड़ मारा और उसको वहां से अंदर वापस लेकर आ गया.

उस समय आकाश ने सोनिया को डांटा और कहा- इतनी मेहनत करके मैं पैसा जमा करके तुमको पढ़ा रहा हूं. तुम ये सब कर रही हो?
सोनिया चुपचाप खड़ी होकर सब कुछ सुन रही थी. डांटते हुए आकाश की नजर सोनिया को देख रही थी. पता नहीं देखते देखते उसके मन में कुछ अजब विचार आने लगे.

वह सोनिया की चूचियों को घूरने लगा. फिर वो उसको समझाने के लिए अंदर लेकर आ गया. उसको बिठा कर समझाने लगा लेकिन उसकी नजर उसकी चूचियों से हट नहीं रही थी. धीरे धीरे उसका मन अपनी बहन की चुदाई के लिए करने लगा.

उसने सोनिया के कांधे पर हाथ रख कर कहा- मैं तुम्हारे लिये ही ये सब कर रहा हूं.
वो उसके कंधे को सहलाते हुए बोला- तुम जो कहोगी वो मैं करने के लिए तैयार हूं. अगर तुम्हें ये सब करना ही है तो मेरे साथ ही कर लो. घर की इज्जत को इस तरह से क्यों बाजार में बेच रही हो?

सोनिया आकाश की ओर हैरानी से देखने लगी. तभी आकाश ने सोनिया के हाथ में 20 हजार रुपये रख दिये. छोटी उम्र में इतने सारे पैसे देख कर सोनिया की आंखें खुली की खुली रह गयीं.

आकाश उसकी कमर को सहलाते हुए बोला- ये बात तुम्हारे और मेरे बीच में ही रहेगी.
सोनिया ने हां में गर्दन हिला दी.
फिर वो उसके बालों को सहलाने लगा.
वो बोला- तुम बहुत खूबसूरत हो.

उसने अपनी बहन के गालों को सहलाते हुए उसकी चूचियों को छेड़ना शुरू कर दिया. धीरे धीरे फिर उसने सोनिया के कपड़े भी खोलना शुरू कर दिये.

उसने अपनी बहन की चूचियों को नंगी कर दिया. सोनिया की चूचियां कली की तरह कोमल सी थीं. फिर आकाश ने उनको धीरे धीरे से दबाना और सहलाना शुरू कर दिया. फिर उसने एक चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

सोनिया अभी 19 साल की होने को ही थी इसलिए सेक्स में ज्यादा मैच्योर नहीं हो पाई थी. उसको शायद पैसे का लालच आ गया था या फिर उसके जिस्म में भी अपने भाई के लिए सेक्स पैदा हो गया था. बहन की चूत भाई का लंड लेने के लिए तैयार हो गयी थी.

आकाश भी अपने मकसद में कामयाब हो रहा था. उसने अपनी बहन को पूरी नंगी कर दिया. आकाश, जो कि एक भारी भरकम मर्द बन चुका था, सोनिया उसके सामने बच्ची ही लग रही थी. वो अपनी बहन को चोद देने के लिए काफी उत्तेजित था. इधर सोनिया भी अपने भाई के शरीर को देख कर अपनी चूत गर्म करने लगी थी.

फिर आकाश ने अपने कपड़े भी उतार दिये. वो दोनों भाई-बहन नंगे हो गये थे. उसके बाद आकाश ने अपनी बहन की चूत को चाटा तो सोनिया एकदम से पागल सी हो गयी. आकाश ने सोनिया की चूत में जीभ दे दी और उसको जोर से चूसने लगा.

कुछ ही देर में सोनिया खुद ही उससे चुदने के लिए कहने लगी. आकाश भी यही चाह रहा था. उसने अपनी बहन की चूत में लंड को रखा और धक्का दे दिया. उसका लंड सोनिया की चूत में घुस गया. सोनिया अपने भाई के लंड को बर्दाश्त बहुत मुश्किल से ही कर पाई लेकिन जल्दी ही उसको चूत मरवाने में मजा आने लगा.

आकाश अपनी बहन की चूत को चोदने लगा. उसने उसकी चूत में जमकर लंड पेला और फिर उसकी चूत में ही झड़ गया. उस रात आकाश ने सोनिया की चूत चार बार चोदी.

अगली सुबह मैंने (मीरा ने) देखा कि सोनिया ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो वो बोली कि उसका अंडरवियर साइड से फट गया है इसलिए उसको चलने में दिक्कत हो रही है.

उस रात ने हमारे घर का माहौल बदल दिया. अब सोनिया खुद ही अपने भाई से चुदने लगी थी. मेरी बेटी अपने भाई का लंड चूत में लेने के लिए खुद ही उसको बुला लिया करती थी. आकाश भी जहां एक महीने के लिए घर आया था, इस घटना के बाद वो ढाई महीने घर में रुका और उसने रोज अपनी बहन की चुदाई की.

मेरी आंखों के सामने ही सोनिया के शरीर में परिवर्तन साफ दिखाई देने लगा था. उसकी गांड और चूची अब पहले से ज्यादा फैलती हुई आ रही थी जो मैं नोटिस कर पा रही थी. उसका शरीर भी भरने लगा था.

आकाश उसको चुपके से सूखा मेवा और फल खिलाता था. ढाई महीने में ही उसके शरीर में बहुत बदलाव दिखाई देने लगा. वो सेब की तरह लाल होती जा रही थी. मेरा ध्यान चुदाई की ओर तो गया ही नहीं.

मैं सोच रही थी कि आकाश के आने से वो अब भाई के साथ मिल कर अच्छे से खाना खा रही है. मगर वो तो अपनी चूत को अपने भाई का लंड खिला रही थी.

आकाश के साथ वो चूत और लंड के खेल में पारंगत होती जा रही थी. मुझे उस दिन थोड़ा शक हुआ जब मेरे कहने पर भी सोनिया मेरे पास नहीं सोई. आकाश उसको किनारे वाले कमरे में सोने के लिए कहता था. वो भी उसी की बात मानती थी. मैं बाहर बरामदे में सोती थी इसलिए भाई-बहन की चुदाई के बारे में मुझे पहले पता नहीं लग पाया.

छुट्टियां बिताने के बाद आकाश दोबारा पुणे चला गया. मगर अब काफी कुछ बदल गया था. उसने सोनिया को एक मोबाइल फोन भी दे दिया था. वो दिन भर फोन पर बात करती रहती थी.

मैंने सुनने की कोशिश भी की लेकिन वो बहुत ही धीमे बात किया करती थी. मुझे पता नहीं लग पाता था कि वो किससे और क्या बात कर रही है. हो न हो, वह अपने भाई से चुदाई की बातें ही करती होगी.

उसके बाद आकाश और सोनिया दोनों ने ही मिल कर पुणे जाने का प्लान बना लिया. उन दोनों के सामने अब एक समस्या थी कि मुझको (अपनी मां मीरा को) कैसे तैयार किया जाये. वो दोनों मुझे यहीं घर पर छोड़कर जाना चाहते थे.

जब उन दोनों ने साथ जाने की बात कही तो मैं बोली- मैं यहां घर पर अकेले कैसे रहूंगी? वैसे भी इसकी पढा़ई लिखाई के दिन हैं, जो अधूरी रह जायेगी.
वो बोला- मां मैं इसको केवल खाना बनाने के लिए साथ ले जाना चाह रहा हूं. मुझे वहां जॉब करते हुए खाने की दिक्कत होती है. इसकी पढ़ाई यहीं पर चलती रहेगी और ट्यूशन वहां कर लेगी. यहां पर आकर एग्जाम दे दिया करेगी.

जब मैं नहीं मानी तो आकाश ने कहा- मां, तुम भी साथ चलो, कुछ दिन हम दोनों के साथ वहां पर रह लेना. उसके बाद फिर तुम चाहो तो वहीं रह लेना, अगर नहीं चाहो तो यहां घर पर वापस आ जाना.

मैं उन दोनों की जिद के सामने मान गयी. हम तीनों मां-बेटा-बेटी पुणे चले गये.

वहां पर जो घटना हुई वो भी शायद किसी के साथ नहीं हुई होगी. वहां पर जाने के बाद जिस घर में हम रहने वाले थे उसमें एक कमरा नीचे था और उसके ऊपर सीमेंट का छपरा था. साथ में ही लोहे की सीढ़ी लगी हुई थी. ऊपर में दूसरा वार्ड बना हुआ था. मगर वो ऐसा था कि वहां पर सीधे खड़े होकर नहीं चल सकते थे. उसकी ऊंचाई बहुत कम थी.

मैंने वो घर देख कर कहा- बेटा, यहां तो नीचे एक ही कमरा है. हम तीनों इस छोटे से कमरे में कैसे सोयेंगे?
आकाश बोला- मां, मैं ऊपर सो जाऊंगा और आप दोनों नीचे सो जाना. अगर आपको फिर भी दिक्कत लगे तो सोनिया भी ऊपर आ जायेगी. आप आराम से यहां सो जाना, टेंशन मत लो. यहां पर सब ऐसे ही सोते हैं.

फिर हम लोग ऐसे ही सोने लगे. दो-तीन दिन हुए थे कि सोनिया कहने लगी कि उसको यहां पर नींद नहीं आती है. नीचे गर्मी ज्यादा है, हम लोग ऊपर सो जाते हैं.

मैं बोली- लेकिन ऊपर तो तुम्हारा भाई सो रहा है!
वो बोली- तो फिर भैया को नीचे बुला लेते हैं और हम ऊपर में सो जाते हैं.
मैंने कहा- अगर उसको यहां पर नींद नहीं आयी तो फिर वो अगले दिन ड्यूटी पर कैसे जायेगा?

सोनिया बोली- अच्छा ठीक है, मैं भैया के पास ऊपर में ही सो जाती हूं. आप यहीं सो जाओ.
मैंने कहा- लेकिन तुम दोनों वहां पर परेशान हो जाओगे.
वो बोली- नहीं मां, मैं एक तरफ कोने में सो जाऊंगी. मुझे यहां पर नींद नहीं आ रही.

वो उठ कर ऊपर आकाश के पास चली गयी.

फिर अगले दिन भी वो ऊपर में ही चली गयी. मुझे अभी तक भी कोई शक नहीं था कि इन दोनों के बीच में क्या चल रहा है. 7-8 दिन हो गये थे सोनिया को ऊपर सोते हुए.

एक रात की बात है कि मुझे पेट में दर्द होने लगा. ऐसा लगने लगा कि मुझे उल्टी आयेगी. फिर मेरे कपड़े खराब होने का डर था. मैंने सोचा कि ऊपर से कपड़े मंगवा लेती हूं. मगर मैं बेटे को परेशान नहीं करना चाह रही थी क्योंकि वो सुबह से शाम तक ड्यूटी करके आता था.

मैं खुद ही ऊपर में चली गयी. सारे कपड़े वाले बैग ऊपर में ही रखे हुए थे क्योंकि नीचे जगह कम थी. नीचे किचन और बाथरूम था इसलिए कपड़े के बैग सारे ऊपर में ही रख दिये थे आकाश ने. जब मैं सीढ़ियों से ऊपर जा रही थी तो वहां अंदर का नजारा देख कर मैं सन्न रह गयी.

आकाश नीचे नंगा लेटा हुआ था और सोनिया उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी. वो अपने भाई के लंड के ऊंह … ऊंह… गूं-गूं करते हुए चूस रही थी. मैं देख कर वहीं फ्रीज सी हो गयी. आकाश ने सोनिया को भी पूरी नंगी किया हुआ था.

वो सोनिया की चूचियों को हाथों में लेकर जोर जोर से दबा रहा था. फिर सोनिया उठी और नीचे लेट गयी. आकाश ने उसकी चूत में मुंह लगा कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. सोनिया उत्तेजना में सिसकारियां भरने लगी.

फिर आकाश ने सोनिया को अपने ऊपर कर लिया और उसकी चूत को अपने मुंह पर रखवाकर चाटने लगा. सोनिया अब अपने हाथों से अपनी चूची को मसल मसल कर सिसकारियां ले रही थी. वह अपने भाई के साथ सेक्स के खेल में पूरी मंझी हुई खिलाड़ी हो गयी थी.

उसके बाद आकाश ने सोनिया की चूत में लंड लगा दिया और उसकी चूत को चोदने लगा. वह अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाते हुए नीचे उसकी चूत में धक्के लगा रहा था. सोनिया भी उसके लंड को पूरा अपनी चूत में लेकर मस्त होकर चुद रही थी.

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. अपनी ही आंखों के सामने जो नजारा था वो मेरी समझ से बाहर था. मैं अपने बेटा-बेटी की आपस में चुदाई देख कर हैरान थी और वहीं खड़ी रही. सोनिया मस्ती में उछल उछल कर अपने भाई के लंड को चूत में ले रही थी. फिर आकाश ने उसकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया.

फिर मैं कुछ संभली और चुपचाप नीचे आ गयी. मुझे पता लग गया था कि आकाश सोनिया को यहां पर लेकर क्यों आया है. उस रात को मुझे नींद नहीं आई. बार बार आकाश और सोनिया की चुदाई की तस्वीर मुझे अपनी आंखों के सामने ही दिखाई दे रही थी.

मेरे पेट का दर्द भी गायब सा हो गया था. परेशानी में मेरी आंखों से नींद ही गायब हो गयी. अपने पति के बारे में सोचने लगी कि यदि वो आज होते तो मेरे घर में ऐसा पाप कभी नहीं होता.

मैं सोच रही थी कि आकाश और सोनिया को रोकने की कोशिश करूं तो कैसे करूं. अगर मैं शिकायत भी करूंगी तो मेरे ही बेटे की जिन्दगी बर्बाद हो जायेगी. अगर नहीं करूंगी इन दोनों की चुदाई का खेल ऐसे ही चलता रहेगा. मैं बीच में फंस गयी थी.

सुबह जब वो लोग उठ कर नीचे आये तो जैसे सब कुछ नॉर्मल था. लेकिन मेरे मन में यही सवाल उठ रहे थे कि मैं इस बात की शुरूआत करूं तो कैसे करूं. कुछ समझ में नहीं आ रहा था मुझे
 
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मैंने आपको बताया था कि मेरा बेटा आकाश और मेरी बेटी के बीच सेक्स संबंध शुरू हो गया था. पहले तो मुझे हल्का सा शक था लेकिन एक दिन मैंने उनको अपनी आंखों से चुदाई करते हुए देख लिया था.

सोनिया भी अपने भाई का लंड मजे से चूस रही थी और फिर मेरा बेटा भी अपनी बहन की चूत को मजे से चाटने लगा. उसके बाद उसने सोनिया को नीचे लिटा लिया और उसकी चूत चोद दी.

ये सब देख कर मैं बहुत परेशान हो गयी. मुझे रात भर नींद नहीं आई. अगली सुबह जब वो दोनों ऊपर वाले कमरे से नीचे आये तो बिल्कुल नॉर्मल लग रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे उनके बीच कुछ है ही नहीं लेकिन मैं अंदर ही अंदर बहुत घुटन महसूस कर रही थी. समझ में नहीं आ रहा था कि बात को कैसे शुरू करूं.

अब आगे की घटना बताती हूं.

उस दिन आकाश काम पर चला गया था. उसके जाने के बाद मैंने अपनी बेटी सोनिया से पूछा- तुम काफी थकी हुई लग रही हो, तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है क्या?
वो बोली- नहीं मां, मैं बिल्कुल ठीक हूं.
मैं हिम्मत नहीं जुटा पाई कि उससे आकाश के बारे में बात कर सकूं.

फिर दिन किसी तरह निकल गया. रात का खाना होने के बाद मैंने सोनिया से कहा कि वो नीचे सो जाये और मैं ऊपर सो जाती हूं.

इतने में ही आकाश भी आ गया.
आकाश ने ये बात सुन ली. फिर दोनों ही एक सुर में कहने लगे- मम्मी, आप लोहे की सीढ़ियों पर नहीं चढ़ पाओगी, आपके गिर जाने का खतरा रहेगा.

मैंने कहा- नहीं बेटा, मैं चढ़ लूंगी. ऐसी कोई बात नहीं है.
मेरे जोर देने पर वो दोनों मान गये लेकिन सोनिया मेरे साथ ऊपर सोने के लिए तैयार नहीं हुई.
आकाश बोला- मैं आपके साथ सो जाऊंगा. अभी कुछ देर नीचे आराम कर लेता हूं. बाद में आ जाऊंगा. तब तक आप ऊपर जाकर आराम करो.

मेरी ये कोशिश थोड़ी काम करती नजर आई. मैं ऊपर जाकर लेट गयी. मुझे तो नींद नहीं आ रही थी. मैं सोच में लेटी हुई थी कि बात मेरे कंट्रोल से बाहर तो नहीं हो रही है? ये दोनों तो एक दूसरे से अलग नहीं हो रहे हैं.

कुछ देर के बाद मुझे आहट सुनाई दी. आकाश ऊपर आया तो मैंने आंखें बंद कर लीं. उसने सोचा कि मां सो गयी है लेकिन मैं जाग रही थी. फिर वो देख कर चला गया.

कुछ देर के बाद मैं नीचे गई चुपचाप बिना आवाज किये. मैंने देखा कि मेरा बेटा फिर से मेरी बेटी की चुदाई कर रहा था.

चुदाई करने के बाद वो दोनों नंगे ही लेट गये. फिर आकाश उठ कर ऊपर आने लगा.
मैं जल्दी से ऊपर आयी. मैंने आकर आंखें बंद कर लीं और लेट गयी. आकाश आकर देखने लगा. उसने सोचा कि मां सो गयी है. मगर मैं नाटक कर रही थी नींद का. उसके बाद वो पानी पीकर फिर से चला गया.

नीचे जाने के बाद मैं भी उसके पीछे ही जाकर देखने लगी. आकाश सोनिया से बोला- सो गयी क्या जान?
वो बोली- नहीं, आपके बिना नींद नहीं आती है भैया. आपका इंतजार कर रही थी. मगर मैं सोच रही थी कि अगर मां को इस बारे में पता लग गया तो क्या होगा?

आकाश बोला- मां की चुदाई भी कर दूंगा. वो किसी से कुछ नहीं कहेगी. यहां वैसे भी हम लोगों को कोई नहीं जानता है, हमें डरने की जरूरत नहीं है.
मैं हैरान थी कि मेरा बेटा अपनी ही मां की चूत चोदने की बात कर रहा था. उसकी बातें सुन कर मेरी हिम्मत और भी ज्यादा टूट गयी थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इन दोनों को कैसे कंट्रोल करूं.

उसके बाद सोनिया ने आकाश के लोअर को निकाल दिया. फिर उसके अंडरवियर को निकाल कर उसके लंड को चूसने लगी. कुछ ही पल में आकाश का लंड फिर से खड़ा हो गया. उसने सोनिया के सिर को पकड़ लिया और अपना लंड उसको चुसवाने लगा.

वो सिसकारते हुए बोला- आह्ह जान … अब हम दोनों एक दूसरे के लिए ही जीयेंगे.
सोनिया भी लंड को मुंह से निकाल कर बोली- हाह … हां भैया, आप मुझे छोड़कर कभी मत जाना. अब मैं आपके बिना एक पल भी नहीं रह सकती हूं.

आकाश ने सोनिया को अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसते हुए बोला- बहना, तुम मेरी जिन्दगी हो. दुनिया में कुछ भी हो जाये लेकिन मैं तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाला. इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े.

सोनिया ने आकाश को आई लव यू कहा और उसके होंठों और जोर से चूसने लगी. दोनों एक दूसरे को बहुत जोर से चूसने लगे. ऐसा प्यार देख कर एक बार तो मेरा मन भी चुदने के लिए करने लगा था. पांच मिनट तक चूसने के बाद आकाश ने सोनिया को नीचे लिटा लिया.

उसको नीचे लिटा कर उसकी चूत में उसने उंगली करना शुरू कर दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा. कुछ टाइम तक चूत में उंगली का मजा लेने के बाद सोनिया ने आकाश को नीचे कर लिया. उसने अपने चूतड़ों को मेरे बेटे के लंड पर रख कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

आकाश बोला- आह्ह मेरी जान … तुम तो पूरी खिलाड़ी हो गयी हो.
वो बोली- सब आपने ही तो सिखाया है.

फिर उसने अपने चूतड़ों को आकाश के मुंह पर रख दिया. आकाश ने सोनिया को चूतड़ों को चाटना शुरू कर दिया. सोनिया उछल उछल कर अपने चूतड़ों को आकाश के मुंह पर रगड़ रही थी.

तभी आकाश ने उसकी चूत में जीभ दे दी और उसको पूरा अंदर तक चाटने लगा, जैसे कि उसकी चूत को मुंह से चोद रहा हो. दस मिनट तक उसने चूत चाट चाट कर सोनिया को मदहोश कर दिया. सोनिया की चूत ने पानी छोड़ दिया और वो ढीली पड़ गयी.

फिर आकाश उठा और सोनिया के दोनों पैर ऊपर उठा कर उसने मेरी बेटी की चूत में लंड दे दिया. लंड को अंदर घुसा कर वो झटके देने लगा. सोनिया मस्ती में होकर चुदने लगी. आकाश ने जोर जोर से झटके देना शुरू कर दिया. सोनिया अब उसके लंड से चुद कर इतना मजा ले रही थी कि उसकी आंखें बंद हो रही थीं.

नीचे से गांड उछाल कर वो उसका सहयोग कर रही थी और अपनी चूचियों को मसल रही थी. इसी तरह 20 मिनट तक अपनी बहन की चुदाई करने के बाद आकाश ने अपने लंड का पानी अपनी बहन की चूत में ही छोड़ दिया. फिर वो दोनों सो गये.

मैं ये देख कर ऊपर आ गयी और लेट गयी. रात काफी हो गयी थी और मुझे भी नींद आ गयी थी. सुबह जब उठी तो आकाश मेरे बगल में ही सो रहा था. उसका लंड उसकी लोअर में काफी मोटा सा दिख रहा था. मेरी बेटी को अपने भाई का लंड शायद कुछ ज्यादा ही पसंद आ गया था.

सुबह उठने के बाद सब कुछ नॉर्मल था. इन दोनों का रोज का यही हो गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इन दोनों को कैसे रोकूं. धीरे धीरे इसी तरह दो महीने बीत गये. सोनिया और आकाश अब जैसे पति पत्नी की तरह रहने लगे थे.

मैं सब देखती रहती थी लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी. उन दोनों की हरकतें मैं अपनी आंखों से देख कर भी इग्नोर कर देती थी. वो दोनों सोच रहे थे कि मुझे कुछ नहीं पता लग रहा है लेकिन मैं सब कुछ जान बूझ कर इग्नोर कर देती थी.

एक दिन रात को ऐसा हुआ कि ऊपर वाले कमरे में जीरो वॉट का बल्ब जलाकर मैं लेटी हुई थी. अचानक मुझे बिजली के बोर्ड के पास सांप जैसा कुछ दिखाई दिया. ज्यादा क्लियर तो नहीं दिखाई दे रहा था लेकिन वो सरक रहा था. मैं डर गयी और जल्दी से उतर कर नीचे आ गयी.

मैंने नीचे आकर बल्ब जला दी. ये सब इतनी जल्दी में हुआ कि आकाश और सोनिया को संभलने का मौका नहीं मिला. वो दोनों चुदाई का मजा ले रहे थे.
रोशनी होते ही सोनिया उठ कर खड़ी हो गयी और मुझे देख कर खुद को ढकने का प्रयास करने लगी. मेरी बेटी पूरी नंगी ही थी.

उस दिन मैंने रोशनी में उसकी बड़ी बड़ी चूचियां देखीं जो एक औरत के माफिक हो गयी थीं. अपने भाई से चुदवाकर उसकी गांड और चूची दोनों ही आकार में बड़ी होती जा रही थीं.

मेरा बेटा आकाश 6 फीट लम्बा और 28-30 साल का गबरू जवान मर्द लग रहा था. मैंने उसके शरीर को भी देखा. उसका मोटा और लम्बा लण्ड खड़ा हुआ था. वो भी मुझे देख कर अपने लंड को ढकने लगा.

सोनिया हड़बड़ाहट में एक कोने में जाकर अपने कपड़े पहनने लगी और आकाश ने जल्दी से अपना लोअर पहन लिया. वो दोनों काफी घबराये हुए लग रहे थे.
मैं आकाश से बोली- तुम्हें शर्म नहीं आई अपनी बहन के साथ (सेक्स) करते हुए?

सांप की बात अब मेरे दिमाग से निकल ही गयी थी. मुझे काफी गुस्सा आ रहा था और मैंने गुस्से में सोनिया को तीन-चार झापड़ लगा दिये. उसका गाल लाल हो गया. मैं आकाश के सामने ही उसको डांट रही थी और थप्पड़ लगा रही थी. आकाश चुपचाप सब देख रहा था.

वो दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे.
मैंने दोनों से कहा- इतने दिन से मैं सब नोटिस कर रही थी लेकिन अपने घर की इज्जत के लिए मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी. मुझे तुम दोनों के भविष्य की चिंता थी.

आकाश और सोनिया को जैसे सांप सा सूंघ गया था. वो दोनों चुपचाप गर्दन नीचे करके मेरी बातों को सुन रहे थे लेकिन कुछ बोल नहीं रहे थे.
मैं अपना गुस्सा निकाल कर ऊपर चली गयी.

कुछ दिन तक मैंने उन दोनों से ठीक तरह से बात नहीं की. फिर मैंने एक दिन मोबाइल में एक सेक्स साइट खोल कर इंटरनेट पर देखा.

मैंने फैमिली सेक्स के बारे में सर्च किया. मुझे इससे संबंधित बहुत सारे वीडियो मिले. मैंने मोबाइल में फैमिली पोर्न वीडियो देखे. मैंने सेक्स कहानियों में भी पढ़ा. रिश्तों में चुदाई की कहानी पढ़ी. मां-बेटे की चुदाई, भाई-बहन की चुदाई, मां और मौसी की चुदाई के बारे में पढ़ा.

उसके बाद मुझे थोड़ा यकीन हुआ कि ये सब भी होता है. मगर सोनिया और आकाश के लिए मेरा मन मानने के लिए तैयार नहीं था. अब उन दोनों को साथ में रहते हुए एक साल हो गया था.

अब वो दोनों मौका पाकर चुदाई कर लेते थे. मैं कुछ नहीं कर पा रही थी. एक रात को मैंने उन दोनों को आपस में बातें करते हुए सुन लिया. वो दोनों शादी की बात कर रहे थे.

आकाश बोला- तुमसे जल्दी ही मैं शादी कर लूंगा.
सोनिया बोली- हां भैया, मैं आपका बच्चा पैदा करना चाहती हूं.
ये सुनकर मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गयी.

चुदाई तक तो ठीक था लेकिन वो दोनों तो आपस में शादी और बच्चा पैदा करने की बात कर रहे थे. मैं तब से ही परेशान हूं. उस वक्त मुझे कुछ साधन नहीं मिल रहा था.

आज मैंने बहुत हिम्मत करने के बाद अपने बच्चों के बारे में ये कहानी लिखी है. आकाश और सोनिया जल्दी ही शादी करने की बात कर रहे हैं. मैं कुछ नहीं कर पा रही हूं.
 
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मेरे बेटे और मेरी बेटी के बीच में जिस्मानी रिश्ते बन गये थे. मौका पाकर भाई बहन चुदाई कर लेते थे. मुझे बहुत चिंता हो रही थी. एक दिन तो मैंने उन दोनों को शादी की बात करते हुए भी सुन लिया था. उस दिन के बाद से मेरी चिंता और बढ़ गयी थी.

उस दिन जब मैंने उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ा था तो उनको बहुत बुरा भला कहा. वो दोनों चुदाई में बिजी थे और ऊपर मैं अपने कमरे में सांप के आ जाने से बहुत डर गयी थी.

मुझे उन दोनों की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आ रहा था. उन्हें अपने मजे के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. मैंने उस दिन सोनिया को झापड़ मारा. आकाश को भी बहुत डांटा.

आकाश ने ऊपर जाकर सांप को मार दिया लेकिन उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. मैंने उससे खिड़की में जाली लगवाने को कहा लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप अपने बिस्तर पर लेट कर सो गया.

उसके बाद मैं भी नीचे आ गयी. मैंने सोनिया को अपने पास बिठाया और बोली- तुम्हें शर्म नहीं आती है क्या ये सब करने में? वो तुम्हारा सगा भाई है.

सोनिया तुरंत बोल पड़ी- हम दोनों बहुत दिनों से एक दूसरे से प्यार करते हैं मां. आकाश मेरे लिए मेरा सब कुछ है. मुझे तो कोई शर्म नहीं आती है अपने भाई से प्यार करने में. मैंने किसी की हत्या थोड़ी ही की है? मैंने तो प्यार ही किया है, और ये कहां लिखा हुआ कि अपने भाई से प्यार करना गलत है?

मैं बोली- लेकिन हम लोग समाज को क्या मुंह दिखाएंगे, तुम समाज का सामना कैसे करोगी, आकाश को भी ताने सुनने पड़ेंगे.
सोनिया बोली- मां, जब मेरा भाई कमा नहीं रहा था, जब हमारे घर में खाने को कुछ नहीं था, सब्जी नहीं बनती थी, दाल रोटी भी महीने भर में तीन-चार बार ही ढंग से बनती थी, उस वक्त आपका ये समाज कहां था?

सोनिया की बात का मैं कोई उत्तर नहीं दे पायी. मेरे लाख समझाने के बाद भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता हुआ दिखाई दे रहा था मुझे. मेरी शिक्षा के बीच में उसकी नासमझी और कम उम्र की नादानी आ गयी थी. वह मेरी बात को समझने की कोशिश भी नहीं करना चाह रही थी कि इस रास्ते पर कितनी मुश्किलें हो सकती हैं.

इस घटना को हुए एक हफ्ता बीत गया था. आकाश मुझसे बात नहीं करता था. फिर एक दिन वह शराब पीकर आ गया.
मैंने कहा- तुम पीकर आये हो?
वो कुछ नहीं बोला और जाकर सो गया.

अगली सुबह मैंने उससे बात करने की कोशिश की लेकिन वो बच कर निकल गया. जब रात हुई तो वो उस दिन फिर से शराब पीकर लौटा. अब मुझसे बर्दाश्त न हुआ.

वो ऊपर जाने लगा और मैं भी उसके पीछे पीछे ऊपर चली गयी.
मैंने कहा- तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या आकाश? एक तो तुम दोनों भाई बहन ने मिल कर इतनी बड़ी गलती कर दी है और फिर ऊपर से तुम मुझसे ही बात नहीं कर रहे हो, और अब शराब भी पीने लगे हो, ये सब चल क्या रहा है?

आकाश ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. उसके पास से शराब की बदबू आ रही थी.
मैंने उसको प्यार से समझाते हुए कहा- देख बेटा, मैं तेरे भले के लिए कह रही हूं. मैं तेरी अच्छे से शादी भी करवा दूंगी. लेकिन ये जो तू कर रहा है ये ठीक नहीं है, मैं ये भी जानती हूं कि ये सब जो हुआ है वो अन्जाने में ही हुआ है, इसमें तुम दोनों की गलती नहीं है.

वो बोला- मुझे शादी वादी करनी ही नहीं है. तुम यहां से जाओ मां, मैं तुमसे कोई बात नहीं करना चाहता हूं. तुम घर वापस चली जाओ. मैंने तुम्हारा टिकट निकलवाने के लिए भी बोल दिया है. आज के बाद मैं तुमसे कुछ नहीं कहूंगा. अगर सोनिया भी तुम्हारे साथ जाना चाह रही है तो उसको भी ले जाओ अपने साथ. अगर नहीं जाना चाह रही हो तो कोई बात नहीं.

मैंने कहा- लेकिन बेटा, मैं ये तुम्हारे अच्छे भविष्य के लिए कह रही हूं. टाइम के साथ सब ठीक हो जायेगा. हम सोनिया की शादी कर देंगे. वो अपने घर चली जायेगी. सब ठीक हो जायेगा.

वो बोला- तुम्हें जो करना है वो करो. मुझे इन सब बातों से कोई मतलब नहीं है.

इतने में ही सोनिया भी छत पर आ गयी. सोनिया को देख कर आकाश की आँखों में आंसू आ गये. सोनिया भी आकाश की ये हालत देख कर खुद को रोक नहीं पाया. वो उसके गले से जाकर लिपट गयी और उसके बालों में हाथ फिराते हुए उसको चुप करवाने लगी.

सोनिया बोली- आप रो क्यूं रहे हो भैया, मैं हूं न आपके साथ. दुनिया और समाज चाहे कुछ भी कहे, मैं हमेशा आपके साथ में रहूंगी. अगर हम अपने रिश्ते के बारे में किसी को कुछ बतायेंगे ही नहीं तो किसी को क्या पता चलेगा कि हम दोनों के बीच में क्या रिश्ता है?

इतना बोल कर वो आकाश का हाथ पकड़ कर उसको अपने साथ नीचे लेकर जाने लगी.

मैं वहीं पर बैठी बैठी सोचती रह गयी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करूं. बहुत ही अजीब कश्मकश थी ये. मुझे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था.

फिर मैं भी नीचे जाने लगी. नीचे वो दोनों बैठ कर धीरे धीरे कुछ बात कर रहे थे. मैं उन दोनों की बातों को सुनने की कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वो दोनों आपस में क्या बातें कर रहे हैं.

आकाश भी अब नॉर्मल सा हो गया था. उन दोनों के दिमाग में जरूर कुछ न कुछ प्लान चल रहा था. मैं उन दोनों के चहेरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी. वह दोनों बहुत खुश दिखाई दे रहे थे. सोनिया ने आकाश से पता नहीं क्या कहा कि वो थोड़ी ही देर में इतना चेंज हो गया था.

उस रात मैंने खाना नहीं खाया और ऐसे ही सो गयी. सोनिया भी छत पर ही सो रही थी. आकाश नीचे सो रहा था. सुबह उठा तो वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था. फिर खाना खाकर वो ऑफिस चला गया. सोनिया के चेहरे पर भी मुस्कान फैली हुई थी. मैं समझ नहीं पा रही थी इन दोनों के बीच में क्या बात हुई है जो दोनों के दोनों इतने खुश नजर आ रहे हैं.

फिर सोनिया ने मुझे खाना लाकर दिया. खाना खाने के बाद मैं आराम करने के लिये छत पर चली गयी लेकिन लेटने के बाद मुझे नींद भी नहीं आ रही थी. फिर ऐसे ही दिन गुजर गया.

शाम हो गयी थी. 7 बजने वाले थे. तभी आकाश घर आ गया. वो बाकी दिनों में तो 8 बजे के बाद ही घर पहुंच पाता था लेकिन आज वो 7 बजे ही घर आ गया था. आते ही उसने सोनिया को गले से लगा लिया और उसको कुछ सामान थमा दिया.

सामान देकर वो सीधा छत की ओर चला गया. सोनिया भी बहुत खुश लग रही थी. वो फिर खाना बनाने में लग गयी. आकाश छत पर ही बैठा था.

लगभग 9 बजे सोनिया ने मुझे खाना लाकर दिया. फिर वो वापस चली गयी.

आकाश ऊपर था. मैंने सोचा उसको खाने के लिए पूछे लेती हूं. मैं थाली लेकर ऊपर गयी. वो ऊपर में बैठ कर शराब पी रहा था.
मैंने कहा- क्या बात है बेटा?
वो बोला- बहुत टेंशन हो रही है, मुझे अभी अकेला रहना है, आप जाओ.

मैं बोली- ला मैं तुझे खिला देती हूं.
वो बोला- नहीं, मैं बाद में खा लूंगा. अभी आप जाओ.
मैं नहीं मानी और मैंने उसको खिला दिया. फिर आधा खाना लेकर मैं नीचे आ गयी और मैंने बचा हुआ खाना खुद ही खा लिया.

सोनिया से मैंने पूछा- तूने खा लिया क्या?
वो बोली- मैं बाद में खाकर सो जाऊंगी. आप आराम करो.
मैंने कहा- तो फिर आकाश को भी खिला देना. उसने थोड़ा बहुत ही खाया है.
सोनिया बोली- वो पहले से बाहर से ही खाकर आया है.

9.30 बजे के करीब आकाश भी नीचे आ गया. उस वक्त सोनिया किचन में बर्तन साफ कर रही थी. फिर वो भी आ गयी और उसने टीवी चालू कर दिया.

आकाश ने टीवी में एक छोटी सी चिप लगा दी. उसके बाद वो भी हमारे पास आकर बैठ गया. मुझे फिर धीरे धीरे नशा सा होने लगा. जब मुझे उसका अहसास हुआ तो मैंने सोनिया से कहा- मुझे कुछ हो रहा है सोनिया.
वो बोली- कुछ नहीं है मां, आपको आराम की जरूरत है.

फिर मैंने देखा कि टीवी पर पोर्न मूवी शुरू हो गयी. उसमें एक महिला को दो पुरूष मिल कर चोद रहे थे. वो महिला चिल्ला चिल्ला कर आवाज निकाल रही थी. मुझे आधा होश था और आधा नहीं. मैं जानती थी कि आकाश और सोनिया अब चुदाई करेंगे. वैसे भी आकाश ने शराब पी रखी थी. इसलिए मैं धीरे से उठ कर ऊपर जाने लगी.

जैसे ही मैं उठी तो आकाश ने मुझे पकड़ कर अपने पास लिटा लिया. मुझे समझ नहीं आया कि मेरे साथ क्या हो रहा है.
आकाश ने मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरे ब्लाउज के अंदर मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.

तभी सोनिया हंसते हुए बोली- भैया, आज मां को सारे सामाजिक बंधनों से मुक्त कर दो. इनको बता दो कि रिश्ता केवल लंड और चूत के बीच में ही होता है. चूत और लंड के इस रिश्ते का क्या मजा होता है मां को समझा दो आज.

आकाश ने मेरी साड़ी को उठा दिया और मेरी चूत को नंगी करके मेरी चूत पर अपना मुंह रख दिया. मेरी चूत पर उस वक्त बहुत बड़े बड़े बाल थे. मैंने कई महीनों से चूत के बालों की सफाई नहीं की थी.

मेरे बेटे ने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. मेरे ऊपर मदहोशी छाने लगी. पति के जाने के बाद पहली बार किसी ने मेरी चूची को छेड़ा था. इतने दिनों के बाद किसी ने मेरी चूत में उंगली की थी. मैं पूरी गर्म हो गयी थी.

आकाश मेरी चूत में उंगली कर रहा था और मैं अब जोर जोर से आवाज करने लगी. उधर टीवी पर सेक्स मूवी चल रही थी. उसमें एक बेटा अपनी मां की चूत को चाट रहा था और बेटी उन दोनों का चुदाई में सहयोग कर रही थी.

वैसे सच कहूं तो अपने बेटे और बेटी की चुदाई को देख कर मेरा मन भी चुदाई के लिए करने लगा था. ये इच्छा मैंने अपने अंदर ही दबा कर रखी हुई थी. रोज रोज बेटा-बेटी की चुदाई देख कर मेरा मन भी अपने बेटे का लंड चखने के लिए करने लगा था.

मैंने अपने शरीर को पूरा ढीला छोड़ दिया था. आकाश मेरी चूचियों को मसल रहा था. मैंने अपनी चूत को भी ढीली छोड़ दिया था. अब आकाश ने अपने कपड़े उतार लिये और उसने मेरी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा. मैं तड़प उठी.

फिर आकाश ने मुझे पकड़ कर अपना लंड अंदर कर दिया और मुझे चोदने लगा. उसका लंड बहुत ही कड़क था. मेरी चूत में लंड अंदर गया तो मुझे दर्द होने लगा. मगर मेरा बेटा पूरे नशे में था. उसको चूत का भूत चढ़ा हुआ था.

उसने एक जोर का धक्का मारा और पूरा लंड घुसेड दिया. मेरे मुंह से चीख निकल गयी.
सोनिया खुशी से उछल पड़ी. वो बोली- आकाश भैया, मां की सील टूट गयी है.

पांच वर्षों से मैंने भी सेक्स नहीं किया था. मेरी चूत पूरी टाइट हो चुकी थी. इसलिए उसके लंड के घुसते ही ऐसा लगा जैसे सच में मेरी चूत की सील टूट गयी थी.

मेरे दर्द की परवाह किये बिना ही आकाश झटके मार मार कर मुझे चोद रहा था. मैं अब पूरी नंगी हो गयी थी. सोनिया मेरी चूचियों को पी रही थी. मेरे अंदर की हवस अब मेरे बेटे के लंड को सलाम कर रही थी.

आज मेरा खुद का बेटा मेरी चूत में लंड लेने की आदत को दोबारा से डाल रहा था. बहुत दिनों से मैंने लंड को याद करना ही छोड़ दिया था. बेटे के लंड की रफ्तार बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा हो गयी थी. मैं तो झड़ चुकी थी.

आकाश अभी भी मेरी चूत में जोर जोर से लंड को चला रहा था और अंदर बाहर करते हुए जोर जोर से ठोक रहा था. मैं पूरी मदहोश हो गयी थी. फिर 2 मिनट के बाद उसका भी पानी निकल गया. उसने अपनी चुदाई की ट्रेन रोक दी.

अपनी बेटी सोनिया की बात सुनकर मैं हैरान थी. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी बेटी इतनी हरामी हो गयी है. किस तरह से वो मेरी चूत की सील तोड़ने की बात कह रही थी. अगर सोनिया ने आकाश को नहीं उकसाया होता तो आकाश कभी अपनी मां की चूत चोदने की बात शायद नहीं सोच पाता.

फिर आकाश अपना लंड मेरे मुंह में डालने लगा. मगर मैंने अपना मुंह नहीं खोला. इतने में ही सोनिया ने आकाश के लंड को मुंह में ले लिया. उसके लंड को मुंह में लेकर वो चूसने लगी.

आकाश का लंड सिकुड़ चुका था. मगर सोनिया फिर भी उसके लंड को जोर जोर से चूसने लगी.
आकाश बोला- आराम से कर… मुझे दर्द हो रहा है.

सोनिया मस्ती में उसके लंड को चूसने में लगी हुई थी. वो आकाश की बात भी नहीं सुन रही थी. वो आकाश का लंड फिर से खड़ा करने की कोशिश में लगी हुई थी.

अब मैं भी उन दोनों का प्लान समझ गयी थी. मुझे समझ आ गया था कि ये दोनों आपस में प्लान बना कर ये सब कर रहे हैं और आज मेरी चूत का कबाड़ा करके ही छोड़ेंगे. हुआ भी बिल्कुल वैसा ही.

सोनिया ने अपने भाई का लंड चूस चूस कर खड़ा कर दिया. अब सोनिया ने मेरी चूत में जीभ दे दी और चूसने लगी. पहली बार मैंने देखा कि एक बेटी अपनी मां की चूत को चाट रही थी.

कई मिनट तक वो मेरी चूत को चाटती रही और फिर मैं भी गर्म होती चली गयी.
वो बोली- मां, आपकी चूत की सील टूट गयी है. आप बहुत खुशनसीब हो कि आपकी चूत की सील आपके बेटे के लंड से टूटी है.
मैंने कहा- तुम भी तो इतनी ही खुशनसीब हो जो मेरे ही बेटे से अपनी चूत मरवाती हो.

उसके बाद एक बार फिर से आकाश ने मेरी चूत में लंड दे दिया और मुझे चोदने लगा. पंद्रह मिनट तक उसने मेरी चूत को रगड़ा और मैं झड़ गयी. उसके बाद वो भी मेरी चूत में झड़ कर शांत हो गया. हम तीनों ऐसे ही पड़े हुए सो गये.

अगले दिन सुबह आकाश नहा धोकर अपने ऑफिस चला गया. मैं भी काफी थकी हुई थी. मैं उठी और फिर नहा ली. उसके बाद मैंने थोड़ा नाश्ता किया और दोबारा से सो गयी. मैं काफी थक गयी थी.

सोनिया बोली- पतिदेव आते ही होंगे. अभी से क्यों सो रही हो मां?
मैंने कहा- मुझे अब कुछ नहीं करना है, अगर तुम्हें करना है तो तुम करो.
वो बोली- मगर पतिदेव तो अपनी मां की सील तोड़ कर उसकी चूत के रस में खो जाना चाहते हैं.

इतने में ही आकाश आ गया. वो हम दोनों को देख कर मुस्कराने लगा. उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी. सोनिया भी उसको देख कर खुश हो
 
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मैं मीरा हूं और अपनी जिन्दगी की असलियत को आपके साथ बांट रही हूं. मैंने आपको बताया था कि मेरा बेटा और मेरी बेटी आपस में प्यार करने लगे थे. मैंने उनको रोकने की कोशिश की तो उन दोनों ने मुझे भी अपने साथ मिलाने का प्लान कर लिया.

उस रात जब आकाश शराब पीकर हमारे साथ सोने लगा तो उसने पोर्न मूवी दिखा कर मुझे भी गर्म कर दिया और अपनी बहन के साथ मिल कर मेरी चूत में अपना लंड दे दिया. मेरी बेटी मेरी ही चूत को चाटने लगी. आकाश ने उस रात 4 बार मेरी चूत चोदी.

अब मैं आगे की कहानी बताती हूं.

उस रात अपनी मां की चुदाई करने के बाद वो अगले दिन जल्दी घर आ गया.
घर आकर वो कहने लगा- अगर आप मेरा साथ दो तो मैं आपका दामन खुशियों से भर दूंगा. हम तीनों को मिल कर जिन्दगी की एक दूसरी पारी शुरू कर देनी चाहिए. जो होना था वो तो अब हो ही चुका है. अब पुरानी बातों को भूल कर हमें आगे बढ़ना चाहिए.

मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारा और बोली- अब होने या न होने को बचा ही क्या है! तुम मेरे बेटे तो थे ही और अब पति भी बन गये हो. अब तुम सुखी रखो या दुखी रखो, अब तो सब कुछ तुम्हारे साथ ही है.

आकाश ने मुझे बांहों में भर लिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैं भी थोड़ा मजा लेने लगी.
आकाश बोला- कुछ ही दिनों में आपको इसकी आदत हो जायेगी मां.
मैं अब विरोध नहीं कर पा रही थी. उसके हाथों में अजीब सा नशा था. मैं भी मजा ले रही थी.

फिर उसने मेरी चूचियों को नंगी कर दिया.
मेरी चूचियों को दबाते हुए वो बोला- आपकी चूची के साइज की ब्रा भी बहुत मुश्किल से मिलती है. आपकी चूचियों को दबाने में मुझे परम शांति मिलती है.

दुनिया में इतनी खुशी दूसरी चीज में नहीं मिलती है जितनी कि आपकी चूचियों से खेलने में मिलती है. बचपन में मैं इनको दूध के लिए पीता था और अब मजे के लिए पीता हूं. अब आप मां-बेटे के रिश्ते को भूल जाओ मां, अब हम ऐसे ही मजे लेकर रहेंगे.

मेरा बेटा मुझे ऊपर से नीचे तक बहुत ही ध्यान लगा कर देख रहा था. मैं शर्म के कारण अपने सिर को नीचे की ओर झुकाए हुए थी. उसने मेरी जांघ पर हाथ फेर कर देखा.

मेरी जांघ पर हाथ फेरते हुए वो कहने लगा- मम्मी आपकी चूत, जांघ और पैर सब के सब बहुत ही चिकने हैं, तुम मेरी हो जाओ. मैं, सोनिया और तुम हम तीनों मिल कर अपनी फैमिली बनाएंगे.

वो बोला- हम तीनों को जिन्दगी ने एक नया इतिहास बनाने का मौका दिया है. हमें इस मौके का फायदा उठाना चाहिए. खून के सारे रिश्तों को भूल कर हम तीनों को एक नये रिश्ते की शुरूआत करनी चाहिए.

मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी. आकाश मेरे बदन को चूमने लगा. मैं उसको दूर हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे अच्छा भी लग रहा था. पति के जाने के बाद किसी मर्द के छूने का मजा बहुत दिनों के बाद मैं महसूस कर रही थी.

सोनिया खाना बनाने के लिए चली गयी. आकाश मेरी चूत में मुंह लगा कर उसको चाटने लगा.
वो बोला- आह्ह मम्मी, ये वही चूत है ना जिससे मैं बाहर आया था.
मैंने सिसकारते हुए कहा- हां मेरे बच्चे, ये वही चूत है जिससे तू इस दुनिया में आया था.

वो बोला- आह्ह … इस चूत से मैं बाहर आया था और इसी चूत से मैं अपने बच्चे को भी बाहर निकाल लूंगा.
ऐसा बोल कर आकाश ने मेरी चूत को जोर जोर से चाटना शुरू कर दिया. मेरी चूत अन्दर तक गर्म हो गयी.

सोनिया किचन में खड़ी होकर मेरी ओर देख रही थी. मुझे भी अजीब सा लग रहा था. सोनिया मेरी ओर कामुक नजर से देख रही थी. इतने दिन से वह अपने भाई का लंड ले रही थी. मुझे पता चला कि वो आकाश को इतना पसंद क्यों करती है.

आकाश का अंदाज बहुत ही गर्म कर देने वाला था. वो मेरी दोनों टांगों को फैला कर मेरी चूत में अपनी जीभ को अंदर बाहर कर रहा था और मेरी चूत में बहुत मजा आ रहा था. अब मैं भी चुदने के लिए तैयार होती जा रही थी.

सोनिया भी अपनी चूचियों को दबाने लगी थी. फिर आकाश ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. देखते ही देखते उसने अपनी शर्ट खोल दी और उसको निकाल कर एक ओर डाल दिया.

उसका लम्बा और मोटा सा लंड उसकी पैंट को ऊपर उठाये हुए था. मैंने आकाश को इस तरह की नजर से नहीं देखा था. मेरा बेटा सच में बिल्कुल जवान हो गया था. उसको देख कर किसी भी चूत में पसीना आ जाये.

फिर उसने अपनी पैंट उतार दी. अब वो सिर्फ एक स्पोर्ट्स वाले शार्ट्स में था और उसका अंडरवियर पूरा उठा हुआ था. उसने अपने लंड को अपने हाथ से रगड़ कर मसला और मुझे दिखाया.

उसके बाद उसने धीरे से अपने शार्ट्स को उतार दिया. अब वो पूरा का पूरा नंगा हो गया था. उसका लंड 7 इंच लम्बा और काफी मोटा था. मेरे पति का लंड भी इतना दमदार नहीं था.

सोनिया अपने भाई के लंड से चुद कर इसी वजह से इतनी खुश रहती थी. आकाश का लंड किसी भी चूत को खुश करने के लिए काफी अच्छा था. फिर आकाश मेरे ऊपर आया और अपने लंड को मेरे मुंह के पास कर दिया.

उसका लंड बहुत ही रसीला सा था लेकिन मैं उसको आंख दिखाने लगी. फिर वो पीछे हो गया. उसने मेरी चूचियों को दबा दिया और फिर मेरी जांघों को चूमने लगा. उसने मेरी चूत में उंगली दे दी और उसको तेजी से चलाने लगा.

मैं काफी उत्तेजित हो गयी. उसकी उंगली तेजी से मेरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी. मेरी चूत में पहले से ही गीलापन आ गया था. जब आकाश मेरी चूत को चाट रहा था उसी वक्त मेरी चूत गीला होना शुरू हो गयी थी.

अब मेरी चूत की गर्मी और अधिक हो गयी थी और मेरा मन चुदने के लिए करने लगा था. आकाश भी मेरे चेहरे के भावों को देख कर समझने की कोशिश कर रहा था कि मुझे कितना अच्छा लग रहा है उसके साथ ये करने में.

मैंने कहा- क्या कर रहा है हरामी, मुझे क्यों तड़पा रहा है ऐसे?
वो बोला- मम्मी, क्या तुम मेरा लंड लेना चाहती हो?
मैं कुछ नहीं बोली.

उसने फिर पूछा- मम्मी क्या तुम मेरा लंड अपनी चूत में लोगी?
मैंने कुछ नहीं कहा.

उसने उंगली निकाली और मेरी चूत की फांकों को फैला कर अपनी जीभ को नुकीली बना कर मेरी चूत के दाने को छेड़ने लगा. मेरे पूरे बदन में चीटियां दौड़ने लगीं. मैं गांड को ऊपर उठाते हुए अपनी चूत को उसके होंठों पर रगड़ने की कोशिश करने लगी.

वो तेजी से अपनी जीभ को मेरी चूत के दाने पर चला रहा था. कभी अपने दांतों से मेरी चूत की फांकों को खींच लेता था और कभी पूरी जीभ को ही चूत में घुसा देता था.
मैं चुदने के लिए तड़प उठी थी.

वो बोला- अब बताओ मम्मी, क्या तुम मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हो?
मैं उसके गाल पर तमाचा मारते हुए बोली- हां कुत्ते, चोद दे मुझे. अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा.

ये सुनते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान फैल गयी. मेरे बेटे ने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मेरी ओर देख कर एक दो बार टोपे को आगे पीछे किया और हिला हिला कर मुझे दिखाने लगा.

उसके बाद उसने नीचे बैठ कर मेरी टांगों को फैला दिया और अपने लंड को मेरी चूत पर लगा दिया. लंड को चूत पर लगा कर वो रगड़ने लगा.
मैंने सिसकारते हुए कहा- आह्ह … आकाश बेटा, अब अपने लंड को मेरी चूत में डाल दे. मुझसे नहीं रुका जा रहा. प्लीज मेरे बच्चे.

मेरे बेटे ने मेरी चूत में एक धक्का लगाया और उसका लंड चूत में घुस गया. लंड को अंदर पेल कर वो तेज तेज झटके मारने लगा. उसके झटके इतने तेज थे कि ऐसा लगा कि मानो आकाश का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा है.

उसके धक्कों की रगड़ से मेरी चूत की दीवारें छिलने लगी थी. बीती रात को भी उसने मेरी चूत की जोरदार चुदाई की थी. इसलिए अब उसके मोटे और लम्बे लंड को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. मगर इस दर्द में मजा भी आ रहा था.

आकाश ने मेरी चूत में लंड को पूरा घुसा दिया था और मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को कस कर चूसने लगा. मैं भी उसका साथ देने लगी. उसकी छाती मेरे बूब्स को दबाये हुए थी. मैंने उसकी पीठ को जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया था और उसकी गांड के ऊपर अपने पैरों को लपेट कर मैं उसके होंठों को चूसने लगी थी.

एक दो मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पीते रहे. उसके बाद वो फिर से उठा और उसने मेरी टांगों को पकड़ कर ऊपर उठाते हुए फिर से मेरी चूत में अपने लंड को ठोकना शुरू कर दिया.

अब मैं भी अपनी गांड को ऊपर उठाते हुए उसकी ओर धकेलने लगी. मैं नीचे से धक्के लगा रही थी और वो ऊपर से लंड को ठोक रहा था. इस तरह से पंद्रह मिनट तक उसने मेरी चूत को रगड़ कर रख दिया.

फिर वो पूरी स्पीड में तेज तेज मेरी चूत को पटकने लगा. मैं दर्द से कराहने लगी. वो थमने का नहीं सोच रहा था. मैं किसी तरह उसके लंड को अपनी चूत में बर्दाश्त कर रही थी लेकिन बर्दाश्त कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था.

दो-तीन मिनट में ही उसने मेरी जान निकाल दी और फिर मेरी चूत में ही झड़ने लगा. उसने लंड को पूरा जड़ तक घुसा दिया और मेरे ऊपर लेट कर वीर्य को चूत में छोड़ने लगा.

उसने अपना सारा माल मेरी चूत को पिला दिया. मेरी चूत ने उसके माल को अंदर खींच लिया. बेटे के लंड का माल पीकर मेरी चूत खुश हो गयी. उसके बाद उसने लंड को निकाल लिया और मैंने भी अपनी चूत को ढीला छोड़ दिया.

वो एक तरफ लेट गया. मैं भी थोड़ी शांत हुई. फिर वो उठा और चला गया. मैं वैसे ही सोयी रही. मैंने अपनी साड़ी को ठीक किया और कपड़े पहन लिये.

सोनिया चाय बना कर ले आई. वो बोली- कैसा लग रहा है मम्मी?
मैंने कुछ नहीं कहा.
मेरी बेटी के सामने ही मेरी चूत बुरी तरह से चुदी थी. मैं चुप रह गयी, कुछ न बोल सकी.
फिर मैं आराम करने लगी.

2 घंटे के बाद सोनिया अनार का जूस ले आई.
मेरे पास आकर बोली- मां, ये अनार का जूस भैया ने आपके लिए भेजा है.
जूस का गिलास मुझे थमा कर सोनिया वापस चली गयी.

आकाश भी वापस काम पर चला गया था. फिर मैं नहाने के लिए चली गयी. फ्रेश होने के बाद मैं बैठ कर दो दिनों के दौरान हुई घटना के बारे में सोचने लगी.

मैं सोच रही थी कि ये सब क्या से क्या हो गया है. मैंने ऐसा तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मेरा बेटा मेरी ही चूत का दीवाना हो जायेगा और मेरी चूत को इस तरह से चोदेगा.

अब मैं जान गयी थी कि वो हम दोनों में से किसी को छोड़ने वाला नहीं था. कुछ देर के बाद फिर सोनिया मेरे लिए खाना लेकर आई.
वो बोली- मां, ये खाना खा लो. आप काफी थक गयी होंगी.
सोनिया की ओर देखा तो मुझे अच्छा लगा. मगर मैं ये नहीं सोच पा रही थी कि ये मेरी बेटी का हक अदा कर रही है या मेरी बहू का!

मैंने सोनिया से कहा- मुझे भूख नहीं है. तुम ही खा लो.
वो मेरे पास बैठ गयी और मुझे अपने गले से लगा कर बोली- आप अभी भी नाराज हो क्या?
मैंने कहा- नहीं. मुझे भूख नहीं है.
वो बोली- ये क्या बात हुई, थोड़ा सा खा लो.

सोनिया मुझे जबरदस्ती खिलाने लगी लेकिन मेरा मन नहीं था. मैंने थोड़ा सा खाया और फिर मना कर दिया.
फिर वो बोली- इसमें ज्यादा सोचने वाली बात नहीं है. ऐसा तो बहुत से लोग करते हैं. कोई अपनी मां के साथ करता है, कोई बहन के साथ करता है, कोई मौसी के साथ करता है और कोई चाची के साथ करता है.

उसने फिर अपने मोबाइल में मुझे हिन्दी सेक्स कहानी साइट खोल कर दिखाई. उसमें उसने मां बेटे की चुदाई सर्च किया और उसमें बहुत सारी कहानियां निकल कर आईं.

सोनिया ने अपना मोबाइल मुझे थमा दिया और बोली- इसमें आप पढ़ कर देख लो मम्मी. अब पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा है. अब बहुत कुछ बदल गया है. ये सब कहानियां नहीं हैं, ऐसा अब रियल जिन्दगी में भी होने लगा है.

जो सोनिया मुझे दिखाना चाह रही थी वह सब मैं पहले ही देख चुकी थी इसलिए मैंने उसके मोबाइल में कुछ नहीं किया और मैं फिर ऊपर चली गयी.

तभी सोनिया ने आवाज दी- मां, भैया ने आपके लिए फोन किया है, आपसे बात करना चाहते हैं. वो कह रहे हैं कि ये मोबाइल मां को दे दो, अब ये उनके पास ही रहेगा.

मैंने उसकी कॉल को रिसीव नहीं किया. मगर सोनिया ने फोन को हैंड फ्री कर दिया और मेरे मुंह के सामने कर दिया.
उधर से आकाश बोला- मां, मैं तुम्हारे लिये ब्रा और पैंटी खरीद रहा हूं. यह बताओ कितने नम्बर की होती है. मुझे आपका साइज नहीं मालूम है.

आकाश के सवाल का मैंने कोई जवाब नहीं दिया.
फिर सोनिया बोली- बता दो मां, अब कैसा शर्माना?
मगर मैंने कुछ नहीं कहा.
तब सोनिया बोल पड़ी- भैया, 36 का ले आना. मुझे पता है मां की ब्रा-पैंटी का साइज.

शाम को आकाश घर पर आया. उसने सीधा आकर सोनिया को किस किया और मेरे पास आकर मेरी चूचियों को दबाने लगा. वो ब्रा और पैंटी के 4 सेट लेकर आया था और 2 नाइटी भी लाया था.

खाना खाने के बाद उसने अपने हाथ से मुझे भी जबरदस्ती खिला दिया. उसके बाद उसने मुंह हाथ धो लिया और मुझे अपनी गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया. मैं उसका विरोध करने के लिए खड़ी होती इससे पहले ही आकाश ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये.

उसने मुझ नंगी कर लिया. फिर उसने ब्रा और पैंटी निकाली और मुझे पहना दिया. मुझे भी वो अच्छी लगी लेकिन बच्चों के सामने मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी.
फिर आकाश ने सोनिया को दिखाते हुए कहा- देख सोनिया, कितनी सुन्दर लग रही है मां के ऊपर.

सोनिया बोली- अरे भैया, आखिर मां किसकी है!
उन दोनों की इस बात पर मैं मुस्करा दी. उसने मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबा दिया और फिर सोनिया से मोबाइल देने को कहा.
फिर आकाश ने सोनिया के हाथ से मोबाइल ले लिया.

वो बोला- मां, आज से ये फोन तुम्हारे पास ही रहेगा.
मैं समझ नहीं पाई कि आकाश मुझे फोन क्यों दे रहा था.
 

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मैं मीरा हूं और अपनी जिन्दगी की असलियत को आपके साथ बांट रही हूं. मैंने आपको बताया था कि मेरा बेटा और मेरी बेटी आपस में प्यार करने लगे थे. मैंने उनको रोकने की कोशिश की तो उन दोनों ने मुझे भी अपने साथ मिलाने का प्लान कर लिया.
उस रात जब आकाश शराब पीकर हमारे साथ सोने लगा तो उसने पोर्न मूवी दिखा कर मुझे भी गर्म कर दिया और अपनी बहन के साथ मिल कर मेरी चूत में अपना लंड दे दिया. मेरी बेटी मेरी ही चूत को चाटने लगी. आकाश ने उस रात 4 बार मेरी चूत चोदी.

अब मैं आगे की कहानी बताती हूं.

उस रात अपनी मां की चुदाई करने के बाद वो अगले दिन जल्दी घर आ गया.
घर आकर वो कहने लगा- अगर आप मेरा साथ दो तो मैं आपका दामन खुशियों से भर दूंगा. हम तीनों को मिल कर जिन्दगी की एक दूसरी पारी शुरू कर देनी चाहिए. जो होना था वो तो अब हो ही चुका है. अब पुरानी बातों को भूल कर हमें आगे बढ़ना चाहिए.

मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारा और बोली- अब होने या न होने को बचा ही क्या है! तुम मेरे बेटे तो थे ही और अब पति भी बन गये हो. अब तुम सुखी रखो या दुखी रखो, अब तो सब कुछ तुम्हारे साथ ही है.

आकाश ने मुझे बांहों में भर लिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैं भी थोड़ा मजा लेने लगी.
आकाश बोला- कुछ ही दिनों में आपको इसकी आदत हो जायेगी मां.
मैं अब विरोध नहीं कर पा रही थी. उसके हाथों में अजीब सा नशा था. मैं भी मजा ले रही थी.

फिर उसने मेरी चूचियों को नंगी कर दिया.
मेरी चूचियों को दबाते हुए वो बोला- आपकी चूची के साइज की ब्रा भी बहुत मुश्किल से मिलती है. आपकी चूचियों को दबाने में मुझे परम शांति मिलती है.

दुनिया में इतनी खुशी दूसरी चीज में नहीं मिलती है जितनी कि आपकी चूचियों से खेलने में मिलती है. बचपन में मैं इनको दूध के लिए पीता था और अब मजे के लिए पीता हूं. अब आप मां-बेटे के रिश्ते को भूल जाओ मां, अब हम ऐसे ही मजे लेकर रहेंगे.

मेरा बेटा मुझे ऊपर से नीचे तक बहुत ही ध्यान लगा कर देख रहा था. मैं शर्म के कारण अपने सिर को नीचे की ओर झुकाए हुए थी. उसने मेरी जांघ पर हाथ फेर कर देखा.

मेरी जांघ पर हाथ फेरते हुए वो कहने लगा- मम्मी आपकी चूत, जांघ और पैर सब के सब बहुत ही चिकने हैं, तुम मेरी हो जाओ. मैं, सोनिया और तुम हम तीनों मिल कर अपनी फैमिली बनाएंगे.

वो बोला- हम तीनों को जिन्दगी ने एक नया इतिहास बनाने का मौका दिया है. हमें इस मौके का फायदा उठाना चाहिए. खून के सारे रिश्तों को भूल कर हम तीनों को एक नये रिश्ते की शुरूआत करनी चाहिए.

मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी. आकाश मेरे बदन को चूमने लगा. मैं उसको दूर हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे अच्छा भी लग रहा था. पति के जाने के बाद किसी मर्द के छूने का मजा बहुत दिनों के बाद मैं महसूस कर रही थी.

सोनिया खाना बनाने के लिए चली गयी. आकाश मेरी चूत में मुंह लगा कर उसको चाटने लगा.
वो बोला- आह्ह मम्मी, ये वही चूत है ना जिससे मैं बाहर आया था.
मैंने सिसकारते हुए कहा- हां मेरे बच्चे, ये वही चूत है जिससे तू इस दुनिया में आया था.

वो बोला- आह्ह … इस चूत से मैं बाहर आया था और इसी चूत से मैं अपने बच्चे को भी बाहर निकाल लूंगा.
ऐसा बोल कर आकाश ने मेरी चूत को जोर जोर से चाटना शुरू कर दिया. मेरी चूत अन्दर तक गर्म हो गयी.

सोनिया किचन में खड़ी होकर मेरी ओर देख रही थी. मुझे भी अजीब सा लग रहा था. सोनिया मेरी ओर कामुक नजर से देख रही थी. इतने दिन से वह अपने भाई का लंड ले रही थी. मुझे पता चला कि वो आकाश को इतना पसंद क्यों करती है.

आकाश का अंदाज बहुत ही गर्म कर देने वाला था. वो मेरी दोनों टांगों को फैला कर मेरी चूत में अपनी जीभ को अंदर बाहर कर रहा था और मेरी चूत में बहुत मजा आ रहा था. अब मैं भी चुदने के लिए तैयार होती जा रही थी.

सोनिया भी अपनी चूचियों को दबाने लगी थी. फिर आकाश ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. देखते ही देखते उसने अपनी शर्ट खोल दी और उसको निकाल कर एक ओर डाल दिया.

उसका लम्बा और मोटा सा लंड उसकी पैंट को ऊपर उठाये हुए था. मैंने आकाश को इस तरह की नजर से नहीं देखा था. मेरा बेटा सच में बिल्कुल जवान हो गया था. उसको देख कर किसी भी चूत में पसीना आ जाये.

फिर उसने अपनी पैंट उतार दी. अब वो सिर्फ एक स्पोर्ट्स वाले शार्ट्स में था और उसका अंडरवियर पूरा उठा हुआ था. उसने अपने लंड को अपने हाथ से रगड़ कर मसला और मुझे दिखाया.

उसके बाद उसने धीरे से अपने शार्ट्स को उतार दिया. अब वो पूरा का पूरा नंगा हो गया था. उसका लंड 7 इंच लम्बा और काफी मोटा था. मेरे पति का लंड भी इतना दमदार नहीं था.

सोनिया अपने भाई के लंड से चुद कर इसी वजह से इतनी खुश रहती थी. आकाश का लंड किसी भी चूत को खुश करने के लिए काफी अच्छा था. फिर आकाश मेरे ऊपर आया और अपने लंड को मेरे मुंह के पास कर दिया.

उसका लंड बहुत ही रसीला सा था लेकिन मैं उसको आंख दिखाने लगी. फिर वो पीछे हो गया. उसने मेरी चूचियों को दबा दिया और फिर मेरी जांघों को चूमने लगा. उसने मेरी चूत में उंगली दे दी और उसको तेजी से चलाने लगा.

मैं काफी उत्तेजित हो गयी. उसकी उंगली तेजी से मेरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी. मेरी चूत में पहले से ही गीलापन आ गया था. जब आकाश मेरी चूत को चाट रहा था उसी वक्त मेरी चूत गीला होना शुरू हो गयी थी.

अब मेरी चूत की गर्मी और अधिक हो गयी थी और मेरा मन चुदने के लिए करने लगा था. आकाश भी मेरे चेहरे के भावों को देख कर समझने की कोशिश कर रहा था कि मुझे कितना अच्छा लग रहा है उसके साथ ये करने में.

मैंने कहा- क्या कर रहा है हरामी, मुझे क्यों तड़पा रहा है ऐसे?
वो बोला- मम्मी, क्या तुम मेरा लंड लेना चाहती हो?
मैं कुछ नहीं बोली.

उसने फिर पूछा- मम्मी क्या तुम मेरा लंड अपनी चूत में लोगी?
मैंने कुछ नहीं कहा.

उसने उंगली निकाली और मेरी चूत की फांकों को फैला कर अपनी जीभ को नुकीली बना कर मेरी चूत के दाने को छेड़ने लगा. मेरे पूरे बदन में चीटियां दौड़ने लगीं. मैं गांड को ऊपर उठाते हुए अपनी चूत को उसके होंठों पर रगड़ने की कोशिश करने लगी.

वो तेजी से अपनी जीभ को मेरी चूत के दाने पर चला रहा था. कभी अपने दांतों से मेरी चूत की फांकों को खींच लेता था और कभी पूरी जीभ को ही चूत में घुसा देता था.
मैं चुदने के लिए तड़प उठी थी.

वो बोला- अब बताओ मम्मी, क्या तुम मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हो?
मैं उसके गाल पर तमाचा मारते हुए बोली- हां कुत्ते, चोद दे मुझे. अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा.

ये सुनते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान फैल गयी. मेरे बेटे ने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मेरी ओर देख कर एक दो बार टोपे को आगे पीछे किया और हिला हिला कर मुझे दिखाने लगा.

उसके बाद उसने नीचे बैठ कर मेरी टांगों को फैला दिया और अपने लंड को मेरी चूत पर लगा दिया. लंड को चूत पर लगा कर वो रगड़ने लगा.
मैंने सिसकारते हुए कहा- आह्ह … आकाश बेटा, अब अपने लंड को मेरी चूत में डाल दे. मुझसे नहीं रुका जा रहा. प्लीज मेरे बच्चे.

मेरे बेटे ने मेरी चूत में एक धक्का लगाया और उसका लंड चूत में घुस गया. लंड को अंदर पेल कर वो तेज तेज झटके मारने लगा. उसके झटके इतने तेज थे कि ऐसा लगा कि मानो आकाश का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा है.

उसके धक्कों की रगड़ से मेरी चूत की दीवारें छिलने लगी थी. बीती रात को भी उसने मेरी चूत की जोरदार चुदाई की थी. इसलिए अब उसके मोटे और लम्बे लंड को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. मगर इस दर्द में मजा भी आ रहा था.

आकाश ने मेरी चूत में लंड को पूरा घुसा दिया था और मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को कस कर चूसने लगा. मैं भी उसका साथ देने लगी. उसकी छाती मेरे बूब्स को दबाये हुए थी. मैंने उसकी पीठ को जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया था और उसकी गांड के ऊपर अपने पैरों को लपेट कर मैं उसके होंठों को चूसने लगी थी.

एक दो मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पीते रहे. उसके बाद वो फिर से उठा और उसने मेरी टांगों को पकड़ कर ऊपर उठाते हुए फिर से मेरी चूत में अपने लंड को ठोकना शुरू कर दिया.

अब मैं भी अपनी गांड को ऊपर उठाते हुए उसकी ओर धकेलने लगी. मैं नीचे से धक्के लगा रही थी और वो ऊपर से लंड को ठोक रहा था. इस तरह से पंद्रह मिनट तक उसने मेरी चूत को रगड़ कर रख दिया.

फिर वो पूरी स्पीड में तेज तेज मेरी चूत को पटकने लगा. मैं दर्द से कराहने लगी. वो थमने का नहीं सोच रहा था. मैं किसी तरह उसके लंड को अपनी चूत में बर्दाश्त कर रही थी लेकिन बर्दाश्त कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था.

दो-तीन मिनट में ही उसने मेरी जान निकाल दी और फिर मेरी चूत में ही झड़ने लगा. उसने लंड को पूरा जड़ तक घुसा दिया और मेरे ऊपर लेट कर वीर्य को चूत में छोड़ने लगा.

उसने अपना सारा माल मेरी चूत को पिला दिया. मेरी चूत ने उसके माल को अंदर खींच लिया. बेटे के लंड का माल पीकर मेरी चूत खुश हो गयी. उसके बाद उसने लंड को निकाल लिया और मैंने भी अपनी चूत को ढीला छोड़ दिया.

वो एक तरफ लेट गया. मैं भी थोड़ी शांत हुई. फिर वो उठा और चला गया. मैं वैसे ही सोयी रही. मैंने अपनी साड़ी को ठीक किया और कपड़े पहन लिये.

सोनिया चाय बना कर ले आई. वो बोली- कैसा लग रहा है मम्मी?
मैंने कुछ नहीं कहा.
मेरी बेटी के सामने ही मेरी चूत बुरी तरह से चुदी थी. मैं चुप रह गयी, कुछ न बोल सकी.
फिर मैं आराम करने लगी.

2 घंटे के बाद सोनिया अनार का जूस ले आई.
मेरे पास आकर बोली- मां, ये अनार का जूस भैया ने आपके लिए भेजा है.
जूस का गिलास मुझे थमा कर सोनिया वापस चली गयी.

आकाश भी वापस काम पर चला गया था. फिर मैं नहाने के लिए चली गयी. फ्रेश होने के बाद मैं बैठ कर दो दिनों के दौरान हुई घटना के बारे में सोचने लगी.

मैं सोच रही थी कि ये सब क्या से क्या हो गया है. मैंने ऐसा तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मेरा बेटा मेरी ही चूत का दीवाना हो जायेगा और मेरी चूत को इस तरह से चोदेगा.

अब मैं जान गयी थी कि वो हम दोनों में से किसी को छोड़ने वाला नहीं था. कुछ देर के बाद फिर सोनिया मेरे लिए खाना लेकर आई.
वो बोली- मां, ये खाना खा लो. आप काफी थक गयी होंगी.
सोनिया की ओर देखा तो मुझे अच्छा लगा. मगर मैं ये नहीं सोच पा रही थी कि ये मेरी बेटी का हक अदा कर रही है या मेरी बहू का!

मैंने सोनिया से कहा- मुझे भूख नहीं है. तुम ही खा लो.
वो मेरे पास बैठ गयी और मुझे अपने गले से लगा कर बोली- आप अभी भी नाराज हो क्या?
मैंने कहा- नहीं. मुझे भूख नहीं है.
वो बोली- ये क्या बात हुई, थोड़ा सा खा लो.

सोनिया मुझे जबरदस्ती खिलाने लगी लेकिन मेरा मन नहीं था. मैंने थोड़ा सा खाया और फिर मना कर दिया.
फिर वो बोली- इसमें ज्यादा सोचने वाली बात नहीं है. ऐसा तो बहुत से लोग करते हैं. कोई अपनी मां के साथ करता है, कोई बहन के साथ करता है, कोई मौसी के साथ करता है और कोई चाची के साथ करता है.

उसने फिर अपने मोबाइल में मुझे हिन्दी सेक्स कहानी साइट खोल कर दिखाई. उसमें उसने मां बेटे की चुदाई सर्च किया और उसमें बहुत सारी कहानियां निकल कर आईं.

सोनिया ने अपना मोबाइल मुझे थमा दिया और बोली- इसमें आप पढ़ कर देख लो मम्मी. अब पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा है. अब बहुत कुछ बदल गया है. ये सब कहानियां नहीं हैं, ऐसा अब रियल जिन्दगी में भी होने लगा है.

जो सोनिया मुझे दिखाना चाह रही थी वह सब मैं पहले ही देख चुकी थी इसलिए मैंने उसके मोबाइल में कुछ नहीं किया और मैं फिर ऊपर चली गयी.

तभी सोनिया ने आवाज दी- मां, भैया ने आपके लिए फोन किया है, आपसे बात करना चाहते हैं. वो कह रहे हैं कि ये मोबाइल मां को दे दो, अब ये उनके पास ही रहेगा.

मैंने उसकी कॉल को रिसीव नहीं किया. मगर सोनिया ने फोन को हैंड फ्री कर दिया और मेरे मुंह के सामने कर दिया.
उधर से आकाश बोला- मां, मैं तुम्हारे लिये ब्रा और पैंटी खरीद रहा हूं. यह बताओ कितने नम्बर की होती है. मुझे आपका साइज नहीं मालूम है.

आकाश के सवाल का मैंने कोई जवाब नहीं दिया.
फिर सोनिया बोली- बता दो मां, अब कैसा शर्माना?
मगर मैंने कुछ नहीं कहा.
तब सोनिया बोल पड़ी- भैया, 36 का ले आना. मुझे पता है मां की ब्रा-पैंटी का साइज.

शाम को आकाश घर पर आया. उसने सीधा आकर सोनिया को किस किया और मेरे पास आकर मेरी चूचियों को दबाने लगा. वो ब्रा और पैंटी के 4 सेट लेकर आया था और 2 नाइटी भी लाया था.

खाना खाने के बाद उसने अपने हाथ से मुझे भी जबरदस्ती खिला दिया. उसके बाद उसने मुंह हाथ धो लिया और मुझे अपनी गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया. मैं उसका विरोध करने के लिए खड़ी होती इससे पहले ही आकाश ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये.

उसने मुझ नंगी कर लिया. फिर उसने ब्रा और पैंटी निकाली और मुझे पहना दिया. मुझे भी वो अच्छी लगी लेकिन बच्चों के सामने मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी.
फिर आकाश ने सोनिया को दिखाते हुए कहा- देख सोनिया, कितनी सुन्दर लग रही है मां के ऊपर.

सोनिया बोली- अरे भैया, आखिर मां किसकी है!
उन दोनों की इस बात पर मैं मुस्करा दी. उसने मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबा दिया और फिर सोनिया से मोबाइल देने को कहा.
फिमैं मीरा हूं और अपनी जिन्दगी की असलियत को आपके साथ बांट रही हूं. मैंने आपको बताया था कि मेरा बेटा और मेरी बेटी आपस में प्यार करने लगे थे. मैंने उनको रोकने की कोशिश की तो उन दोनों ने मुझे भी अपने साथ मिलाने का प्लान कर लिया.
 
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मैंने आपको बताया था कि मेरा बेटा अब मुझे पसंद आ गया था. मैंने करवाचौथ के दिन उसको अपना पति स्वीकार कर लिया.

जब उसको पता लगा कि मैं उसकी पत्नी बन कर रहना चाहती हूं तो वह बहुत खुश हो गया. उस रात उसने मेरी चूत में अपने वीर्य के कई फव्वारे छोड़े और मेरी चूत को भर दिया. मुझे भी बहुत सुकून मिला. मेरी सुहागरात मेरे बेटे का साथ हो गयी और मैंने उसको पति बना लिया.

उस दिन मेरी बेटी सोनिया का भी व्रत था.
आकाश मेरी चूत को चोद कर मेरे ऊपर लेटा हुआ था कि सोनिया ने कहा कि मुझे भी लंड चाहिए.
आकाश बोला- पहले इसको गर्म करो मां, उसके बाद मैं इसको चोद दूंगा.

सोनिया बोली- पहले लंड को तैयार करो, अगर लंड तैयार है तो मैं भी तैयार हूं.
मैंने आकाश के लंड को चूसना शुरू किया. दस मिनट तक मैंने खूब जोर से उसके लंड को चूसा और उसका लंड तैयार हो गया.

अब उसने सोनिया को नीचे लिटाया और उसकी चूत में लंड को लगा कर उसके ऊपर लेट गया. मैंने सोनिया की चूचियों को थाम लिया और उनको पीने लगी.

आकाश ने सोनिया की चूत में लंड घुसा कर धक्के लगाना शुरू कर दिया. सोनिया की मदहोशी भरी सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह भैया, मुझे आपसे प्यार है, आप ही मेरे पति हो.

सोनिया मेरे बेटे के मोटे लंड से चुदते हुए मदहोश हो चुकी थी और मैं उसकी चूचियों के निप्पलों पर जीभ से चाट रही थी. पांच मिनट की चुदाई में ही सोनिया की चूत ने पानी छोड़ दिया.

उसके बाद पांच मिनट और बाद तक आकाश ने उसकी चुदाई की और फिर वो भी झड़ गया. अब हम तीनों ही थक कर लेट गये थे. आकाश ने मेरी चूचियों के बीच में मेरे सीने पर सिर रख लिया. सोनिया ने आकाश की जांघों के बीच में मुंह रख लिया और उसके लंड को सहलाने लगी.

मैं आकाश के सिर के बालों में हाथ फेर कर उसको प्यार करने लगी. मेरा बेटा अब मेरा पति बन चुका था. उस रात के बाद में खून के सारे रिश्ते खत्म हो गये थे. अब हमारे बीच में रिश्तों के नाम बदल गये थे.

आकाश मेरे पति के रूप में रहने लगा था. एक 22 का लड़का, एक 41 साल की मां और एक 19 साल की लड़की, इन तीनों का ही बहुत अच्छा कॉम्बिनेशन बन रहा था.

अब आकाश हर रोज मुझे चोदने लगा. हम लोग साथ में शॉपिंग करने के लिए जाते. कभी मूवी देखने के लिए जाते. मौका पाकर बाहर भी आकाश मेरी चूचिचों को दबा देता था. इस तरह से जिन्दगी बहुत खुशहाल बीत रही थी. मैं अपने बेटे की रखैल, पत्नी और मां सब कुछ बन चुकी थी.

मगर आकाश ने अब एक जिद पकड़ ली थी. वो कहने लगा कि उसको मेरी कोख से एक बच्चा चाहिए. मेरी कोख से बच्चे का मतलब था कि आकाश का एक और भाई. मगर अब वो मेरा पति बन गया था और इसी हक से मुझसे एक बच्चा चाहता था.

मैंने उसको बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वो मान नहीं रहा था. उसको मुझसे ही अपना बच्चा चाहिए था.
मैंने कहा- ये नहीं हो सकता. अपनी बहन को क्या जवाब दोगे?

वो बोला- बहन को सब पता है. वो कुछ नहीं बोलेगी. वैसे मुझे इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि सोनिया क्या सोचेगी. मुझे उसके साथ सेक्स करने में उतना मजा नहीं आता है जितना तुम्हारे साथ आता है. इसलिए मैं कह रहा हूं कि बस मुझे तुम एक बच्चा दे दो उसके बाद मैं तुम्हें फ्री छोड़ दूंगा. तुम जहां जाना चाहो, जहां रहना चाहो, वहां रह सकती हो.

अब मैं दुविधा में फंस गयी थी कि उसको पति तो बना लिया, अब उसके लिये बच्चा कैसे पैदा करूं. इस उम्र में अगर मैं बच्चा पैदा करने लगी तो लोग क्या कहेंगे. अगर किसी ने पूछ लिया कि किसका बच्चा तो फिर मैं क्या जवाब दूंगी. ये सारे सवाल मुझे परेशान कर रहे थे.

मेरी बेटी भी अब मुझसे झगड़ा करने लगी थी. उसको आकाश का मेरे साथ रहना चुभने लगा था.
वो बोली- क्यों मां, पहले तो तुमको बहुत बुरा लगता था जब मैं और आकाश भैया आपस में प्यार करते और एक दूसरे के साथ सेक्स करते थे. अब तुम भी बेटे का लंड लेने की आदी हो गयी हो!

इस बात को लेकर सोनिया के साथ मेरा अब आये दिन झगड़ा होने लगा था. उसको अब मुझसे जलन होने लगी थी. वो बात बात पर मुझसे झगड़ा करते हुए कहती रहती थी कि मां तुम अब मेरी सौतन हो गयी हो.

मैंने कहा- ऐसा नहीं है सोनिया. मैं तो उसको बहुत समझाती हूं. वो मेरी बात नहीं सुनता और बार बार मेरे पास ही आ जाता है आकर्षित होकर.

मगर सोनिया मेरी बात समझने को राजी नहीं थी. उस दिन हम लोगों का झगड़ा इतना बढ़ गया कि आखिर में मुझे अपने बेटे को ही कॉल करना पड़ा.

आकाश घर पर आया और उसने सोनिया को बहुत डांटा और मारा भी उसको. मैं उसको मारने से रोकने की कोशिश करती रही लेकिन वो नहीं रुक रहा था. मैंने उसको अलग करने की बहुत कोशिश की मगर वो उसको डांटता पीटता रहा.

जब उसका गुस्सा थोड़ा शांत हुआ तो उसको अपनी गलती का अहसास हुआ. उसने अपनी बहन सोनिया को गोद में उठाया और उसको बाथरूम में लेकर गया. वहां ले जाकर उसने उसके कपड़े उतार दिये. उसको नंगी कर लिया.

नंगी करने के बाद उसने शावर चला दिया और वो उसकी चूचियों को मसलने लगा था कि इतने में मैं भी बाथरूम में ही अंदर चली गयी. मैं अंदर गयी तो देखा कि सोनिया की चूचियों पर पानी गिर रहा था.

मेरी बेटी की चूचियों से जो पानी गिर रहा था वो उसके पेट से होकर उसकी चूत के अंदर से बहता हुआ आकाश के मुंह में गिर रहा था. आकाश अपनी बहन की चूत से गिरते हुए पानी को मुंह लगा कर पी रहा था. साथ में ही वो दोनों हाथों से सोनिया की चूचियों को भी दबा रहा था.

मैंने बेटी से कहा- बेटी, जो कुछ भी हुआ अब उसको बदला नहीं जा सकता है. अब तुम मेरी बेटी नहीं रही, मेरी सौतन बन गयी हो.
बेटी बोली- और मेरा पति तुम्हारी चूत का आशिक हो चुका है. आपके बेटे को आपकी चूत ज्यादा पसंद है. मुझे भी लंड चाहिए होता है, मेरे पास भी एक चूत है, उसकी प्यास को कौन बुझायेगा?

उसकी बात सुन कर मैंने कहा- अगर ऐसी बात है तो फिर ये हम दोनों की चूत को शांत करेगा.
तभी आकाश बोला- मैं तुम दोनों से ही प्यार करता हूं.

सोनिया बोली- हां करते होगे लेकिन दिन-रात तो तुम मां के साथ ही होते हो. हर रात को मां के साथ ही सोते हो. अब तुमको मेरी जरूरत नहीं है. मैं तो तुम्हारे लिये बस एक मोहरा थी ताकि तुम मां को पा सको. अब मां तुम्हें मिल गयी है अब मेरी तुम्हें जरूरत नहीं रही.

वो बोला- नहीं, तुम गलत सोच रही हो, तुम तो मेरी जान हो. मां को पाकर तो मुझे और भी ज्यादा खुशियां मिल गयी हैं. तुम ही तो कहती थी कि अगर मां भी हमारे साथ मिल जाये तो हम तीनों मिल कर अपनी जिन्दगी में एक नये रीति रिवाज को मिल कर एक साथ निभायेंगे. आज वह काम पूरा हो गया है. मां सब बात मान रही है और पत्नी वाला सब सुख दे रही है. मुझे ये सब अपनी बहन की वजह से ही तो मिला है. अगर तुम नहीं होती तो शायद मुझे ये सब कभी न मिल पाता. मैं तुम दोनों को ही प्यार करता हूं.

इतने में ही सोनिया की चूत को पीछे खींच कर मैं बोली- मैं अब तुम्हारा पूरा साथ दे रही हूं. अब तुम्हें जलन क्यों हो रही है?
वो बोली- अब ये मुझे प्यार नहीं करते हैं.
मैंने कहा- क्यों नहीं करते हैं? अगर तुमसे नहीं करते तो और किससे करते हैं?

सोनिया पलट कर बोली- अगर मुझसे प्यार करते तो रात भर तुम्हारे साथ नहीं सोते.
आकाश ने सोनिया को समझाते हुए कहा- मैं तुमसे भी बहुत प्यार करता हूं. मां तो केवल 10-15 साल तक ही साथ दे सकती है, जब तक उसकी चूत और चूची ढीली नहीं हो जाती, मगर तुम्हारे साथ तो मैं जीवन भर रहूंगा.

सोनिया बोली- आपने बोला था कि जब मां राजी हो जायेगी तो हम लोग शादी कर लेंगे, इसीलिये तो आप मां को चोदने का प्लान किये थे. मगर आज जब मां राजी हो गयी है तो आपको बस मां ही मां दिखाई दे रही है. मेरी ओर तो आपका ध्यान ही नहीं है, आप हमेशा ही मां को खुश करने में लग रहते हैं. इनको भी पहले तो शुरू शुरू में ये सब करना बहुत पाप लगता था. मगर अब सारे पाप खत्म हो गये हैं. इनको भी अब अपने बेटे के साथ चुदने में मजा आता है. अब ये भी हमेशा ही बेटे से ही चिपकी रहती है जैसे इनका ही पति हो गया हो, और तो कोई है ही नहीं घर में! अब इनको बेटे के लंड से चुदने में कोई पाप नहीं दिखता है.

सोनिया की बात सुनकर मैं बोली- बेटी तुमने मेरी आंखें खोल दी हैं.
कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया.

आकाश ने अपनी बहन की चूत में लंड डाल दिया और उसकी चूत चोदने लगा. आकाश पीछे उसकी चूत में लंड डाल रहा था.

मैंने सोनिया को आगे की ओर अपनी चूत पर झुका लिया और उसके मुंह पर अपनी चूत को लगा कर कहा- ये ले बेटी, मजे ले जिन्दगी के. भगवान ने सबको एक दूसरे के लिए ही बनाया है. मजा ले तू.
मगर सोनिया मेरी चूत को नहीं चाट रही थी. मैंने अपनी चूचियों को दबाना शुरु किया. आकाश पीछे से बहन की चुदाई कर रहा था.

कुछ देर में उसका वीर्य निकल गया और वो खाली होकर बाथरूम से निकल गया. फिर सोनिया भी चली गयी. मैं अपनी गर्म चूत के साथ प्यासी ही रह गयी.

मैंने बेटी को समझाया लेकिन वो मुझसे गुस्सा ही रही. रात को जब आकाश ऊपर मेरे पास सोने के लिए आने लगा तो उसने सोनिया को भी बोला कि तुम भी चलो ऊपर लेकिन सोनिया ने उसके साथ आने से मना कर दिया.

फिर आकाश भी सोनिया के साथ ही लेट गया. जब तक सोनिया को नींद नहीं आई तो वह उसके पास ही लेटा रहा. जब वो सो गयी तो आकाश धीरे से बिना आवाज किये उठ कर ऊपर मेरे पास आकर लेट गया.

मैंने आकाश से पूछा- तुम करना क्या चाहते हो? तुम तो कह रहे थे कि बेटी की शादी कर दूंगा किसी अच्छे लड़के से, उसके बाद शादी करके तुम्हारे साथ रहूंगा? मैं तो यही कहूंगी कि तुम सोनिया की शादी करवा दो कोई अच्छा सा लड़का ढूंढ कर, फिर उसके बाद हम साथ में रह लेंगे. फिर मैं तुम्हारे लिये भी एक अच्छी लड़की देख कर तुम्हारी भी शादी करवा दूंगी.

मेरी इस बात पर आकाश बहुत गुस्सा हो गया और बोला- इसीलिये मैं तुम पर विश्वास नहीं करता हूं मां, तुम हमेशा मुझे दूर भगाने की कोशिश करती रहती हो जैसे तुम मेरे साथ मजबूरी में रह रही हो.

मैंने कहा- मैं तो तुम्हारे लिये ही सोच रही हूं बेटा.
वो बोला- तुम्हें मेरे लिये सोचने की जरूरत नहीं है. तुम मेरी बात मान लो, उसके बाद सोनिया को मैं खुद ही मना लूंगा. मगर उसके पहले तुम मेरा बच्चा अपने पेट में ठहरा लो और मेरी बच्चे की मां बनो. अगर तुम्हारे पेट में मेरा बच्चा ठहर गया तो उसके तीन महीने के अंदर ही मैं सोनिया की शादी करवा दूंगा.

आकाश ने कहा- मेरा एक दोस्त है जिसका नाम शिवकुमार है. उसको मेरी बहन बहुत पसंद करती है.
मैं बोली- तुम्हें कैसे पता कि वो शिवकुमार को पसंद करती है?

बेटा बोला- जब से मैं तुम्हारे साथ ज्यादा वक्त बिताने लगा हूं तब से ही वह शिवकुमार के साथ चैटिंग करती रहती है. एक दिन मैंने उसकी चैटिंग को देख लिया था. मैं जानता हूं कि शिवकुमार के मां-बाप नहीं हैं इसलिए वह बहन से शादी कर लेगा. उसके बाद मैं ये शहर छोड़ कर गुजरात में पोस्टिंग करवा लूंगा. उसके बाद हम दोनों अपने जीवन को आराम से जीयेंगे.

मैं बोली- तो ठीक है, जो तुम चाहते हो वही करो. मगर एक बात याद रखना कि अगर तुम अपनी मर्जी से करोगे तो फिर मैं भी तुम्हारा बच्चा पैदा नहीं करूंगी.

वो बोला- ठीक है, जिस दिन सोनिया की शादी तय हो जायेगी, उस दिन तो मेरा बच्चा कर लोगी ना?
मैं बोली- हां, पहले उसकी शादी पक्की करो, उसके बाद मैं तुम्हारा बच्चा भी कर लूंगी.
 

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उस समय जब मैं शुरू शुरू में इस रास्ते पर चली थी या यूं कहें कि समय और किस्मत को यही मंजूर था, या फिर ईश्वर ने मेरे बेटे को यह पाप करने के लिए मजबूर किया था, उस वक्त इन सभी बातों को लेकर मैं बहुत ही ज्यादा परेशान रहती थी.

इसके विपरीत मेरा बेटा आकाश ये कहता है कि उसने अपने पिछले किसी जन्म में कुछ ऐसा पुण्य का काम किया होगा कि उसको मेरे साथ में ऐसा जीवन जीने का मौका मिला. उसका कहना है कि उसको अब किसी और चीज की जरूरत नहीं है.

मेरे बेटे की यही जिद थी कि मैं उसके साथ में ही रहूं. आज उसकी जिद ने मुझे बदलने पर मजबूर कर दिया. मगर अब मुझे भी ये लगने लगा है कि कहीं न कहीं मैं भी उससे प्यार करने लगी हूं. आज मैं आकाश को लेकर बेईमान हो चुकी हूं.

उसको अपने पति के रूप में स्वीकार भी कर चुकी हूं. अब मैं अपने आगे के जीवन को टेंशन फ्री होकर जीना चाहती हूं. आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी कहानी का अंत आपको बताने जा रही हूं कि कैसे मेरे जीवन में अब सब कुछ बदल चुका है और मैं पूर्णतया अब दिल और दिमाग दोनों से ही अपने बेटे आकाश की हो चुकी हूं.

यह महीने भर पहले की बात है. आकाश मुझसे जिद कर रहा था कि मैं कहीं बाहर घूमने के लिए चलूं उसके साथ. मगर मुझे डर लग रहा था कि मैं बेटे के साथ बाहर घूमने कैसे जा सकती हूं, उसके साथ बांहों में बांहें डाले हुए जीन्स, स्कर्ट और टॉप में कैसे घूम सकती हूं? वो मुझे जीन्स स्कर्ट पहना कर ले जाना चाहता था.

मगर यहां पर सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि वो अपनी बहन को भी साथ में लेकर जाना चाहता था. जबकि सोनिया का मेरे साथ पहले से ही इतना झगड़ा चल रहा था.

मुझे ले जाने की बात पर आकाश कहने लगा कि सोनिया को मैं मना लूंगा.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन मैं एक शर्त पर ही चलूंगी कि मैं ज्यादा बाहर नहीं निकलूंगी.
वो भी इस बात को मान कर राजी हुआ.

हम लोग गोवा घूमने के लिए जा रहे थे. जिन्दगी में पहली बार हम लोग कहीं बाहर घूमने के लिए जा रहे थे. इससे पहले हम लोग कभी कहीं पर घूमने के लिए नहीं गये थे. सोनिया और आकाश की परवरिश और पढा़ई में सारे पैसे लग जाते थे. 20 साल से मैंने घर के बाहर कहीं कदम भी नहीं रखा था.

गोवा की तो कोई उम्मीद ही नहीं थी. गोवा तो मेरे लिए स्वर्ग के जैसा था. ऊपर से बेटे के प्यार ने मेरी जिन्दगी को खुशियों से भर दिया था. गोवा बहुत ही सुंदर लगा मुझे जैसे मैं किसी और ही दुनिया में आ गयी हूं.

हम तीनों समन्दर के किनारे बैठे हुए थे. वहां पर आये हुए कपल्स सब विदेश लोग थे और उन सबने ही काफी छोटे छोटे कपड़े पहने हुए थे. मेरे बेटे ने भी जिद करना शुरू कर दिया कि मैं भी छोटे कपड़े पहनूं.

पब्लिक में इस तरह के कपड़ों में निकलना मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था लेकिन मैं अंदर से खुश थी कि मुझे जीने का सही तरीका मिल रहा है, इस तरह की जीवन शैली से मैं आज तक अन्जान थी. पहले शादी फिर बच्चे, फिर पति की मौत, फिर बच्चों की परवरिश, इन सब में ही सारी जिन्दगी निकल गयी थी.

मैं अपने ही विचारों में मग्न थी कि उधर मेरी बेटी को जलन हो रही थी. मैं सब भूल गयी थी किसको क्या हो रहा है, मैं बस अब जीना चाहती थी. जीवन का यह तरीका मैंने नहीं चुना था. यह तरीका मेरी बेटी ने मुझे दिया था. मैं बहुत बदल गयी थी.

बाहर घूमने के बाद हम लोग एक होटल में गये. वह होटल किसी महल के जैसा लग रहा था. मैंने कभी होटल में खाना नहीं खाया था. उस वक्त वो होटल का खाना इतना अच्छा लग रहा था कि मैं अपने शब्दों में बता नहीं सकती.

मेरे बेटे ने आज मुझे पूर्णता में बदल दिया था. मुझे समाज के रीति रिवाज और रिश्ते सब दिखावे के लगते हैं. मैं मानने लगी हूं कि इन्सान को सिर्फ जीना चाहिए और जीवन के आनंद को प्राप्त करना चाहिए.

मुझे अब अपने बेटे की वो बात याद आ रही थी जब वो कहता था कि मां तुम किस दुनिया में जी रही हो. वो कहता था कि ईश्वर ने किसी को यह बता कर नहीं भेजा है कि उसको किसके साथ सेक्स करना चाहिए और किसके साथ नहीं, यह सब केवल इन्सान के द्वारा बनाया गया नियम है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.

इन्सान अपनी सुविधा के अनुसार नियम व कानून बनाता है. जानवर कभी ये नहीं देखते कि उनकी मां कौन है या कौन उनका भाई है, या ये मेरी बहन है और ये मेरा बाप है. उनका जिससे मन होता है वो उससे सेक्स कर लेते हैं और उनको ऐसा करने से कोई रोकता भी नहीं है. उसकी कही हर बात मुझे याद आ रही थी.

हम लोग होटल में खाना खाने के बाद रूम में चले गये. रूम भी काफी सुन्दर था. मेरे लिये यह सब नया था. फुल इन्जॉय करने के बाद रात में आकाश मेरी बेटी सोनिया के पास सो रहा था. फिर उसने मुझे भी अपने पास ही बुला लिया.

वो पूछने लगा- मम्मी तुमको अच्छा लग रहा है?
मैंने हां में सिर हिलाया.
फिर वो मेरी चूची को सहलाते हुए बोला- मैं तुमको हर खुशी देना चाहता हूं.

मैंने आकाश की बात का कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि सोनिया आकाश को घूर रही थी और मैं इस वक्त बात को आगे नहीं बढ़ाना चाह रही थी. इसलिए मैंने कुछ नहीं बोला.

मेरे बेटे ने फिर रात भर मेरे साथ मजे किये. सुबह हम लोग दूसरी जगह पर घूमने के लिए चले गये. 2 दिन गोवा घूमने के बाद फिर मेरे बेटे का प्लान दक्षिण भारत घूमने का हो गया. मुझे तो उसने कुछ बताया भी नहीं था इस बात के बारे में. फिर हम लोग वापिस आ गये. अब दक्षिण भारत घूमने का प्लान हो रहा था.

बेटे से मैंने कहा- पहले कुछ बातें हैं उनके बारे में कुछ विचार कर लें उसके बाद तुम जहां कहोगे वहां हम घूमने के लिए चल पड़ेंगे.
घर पर आने के बाद बेटी और मेरे बीच में बहुत लड़ाई हुई. मैं उसको समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन बेटे के मन में कुछ और चल रहा था. उस दिन घर पर खाना भी नहीं बना.

आकाश ने सोनिया के ऊपर हाथ भी उठा दिया और रात को फिर मेरे पास लेट कर बात करने लगा.

वो बोला- मैं सोनिया की शादी करवा दूंगा, मगर पहले तुम राजी हो क्या मेरे साथ रहने के लिए? ये समाज का डर छोड़ने के लिए? मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने में सबसे ज्यादा आनंद प्राप्त करता हूं. अगर तुम राजी हो तो फैसला करो. ये रोज के झगड़े से मैं परेशान हो गया हूं. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है.

मैंने कहा- कोई बात नहीं, जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दो. सोनिया तुम्हें पाने के लिए ये सब कर रही है. तुम मुझसे ज्यादा उसके पास टाइम बिताओ, वह मान जायेगी. उसके बाद सब सही चलने लगेगा.

मगर मेरे बेटे आकाश के दिमाग में से सोनिया उतर गयी थी. सोनिया उसको फ्री नहीं छोड़ती थी. वह चाहती थी कि आकाश सिर्फ उसके साथ ही सेक्स करे. सोनिया को आकाश से प्यार नहीं था. वह केवल सेक्स की भूखी थी और बेटा जवान लड़की की चूत चोदने की बजाय मेरी चूत चोद कर ज्यादा खुश होता था.

सोनिया के जिस्म की भूख पूरी नहीं हो पा रही थी इसलिए सोनिया उस पर गुस्सा हो जाती थी.
आकाश बोला- मैंने एक प्लान के बारे में सोचा है. अगर तुम राजी हो तो मैं उसको मना लूंगा.

मैं बोली- तुम सब काम ठीक तरीके से करो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है. हां मगर कोई बाहरी इस बारे में जान गया तो फिर बहुत दिक्कत हो जायेगी. जिस तरह से तुम लोग लड़ाई कर रहे हो, मैं इस तरह से सोनिया को दुखी नहीं देखना चाहती हूं. वह भी मेरी औलाद है और हम लोग कितने दिन तक मुम्बई में रहेंगे. कभी ना कभी तो हमें रिलेशन में भी जाना होगा.

वो गुस्सा होकर बोला- तुम ये रिलेशन वाली बात आज आखरी बार कर रही हो. आज के बाद मुझे ये रिलेशन वाली बात नहीं सुननी है.
मैं बोली- ठीक है, मगर तुम करना क्या चाहते हो, पहले मुझे तो बताओ, उसके बाद ही तो मैं तुम्हें कुछ बता सकती हूं.

आकाश बोला- मैं सोनिया से झगड़ा करूंगा. उससे प्यार नहीं करूंगा. वह फिर मुझसे दूर जाने की कोशिश करेगी. फिर जब वो दूर जायेगी तो तुम उसे समझाओगी कि उसकी शादी किसी दूसरे लड़के के साथ कर दी जायेगी. जितना मैं सोनिया के साथ झगड़ा करूंगा उतना ही तुम उसको प्यार करना. इस तरह धीरे धीरे सोनिया मान जायेगी. इसमें थोड़ा समय जरूर लगेगा लेकिन सब ठीक हो जायेगा.

बेटा बोला- मैं शिवकुमार को शादी के लिए मना लूंगा. उसके मां-बाप नहीं हैं. उसके पास घर और जमीन जायदाद भी बहुत है. सोनिया उसके साथ खुश रहेगी. उसकी शादी होने के बाद सब कुछ ठीक हो जायेगा. उसके बाद मैं गुजरात में ट्रान्सफर करवा लूंगा.

मुझे आकाश की बात सही लगी. वो चुदाई तो रोज ही करता है मगर सोनिया के रहते मुझे समाज का डर भी लगा रहता है. अगर सोनिया नहीं रहेगी तो फिर किसी का डर नहीं रहेगा. मुझे अपने रिश्ते को समाज में छुपाने की भी जरूरत नहीं रहेगी.

उसके अगले दिन से ही मैं सोनिया के करीब जाने की कोशिश करने लगी. आकाश उसके साथ झगड़ा करने लगा था. उसने सोनिया पर ध्यान देना छोड़ दिया था. फिर सोनिया को मैं समझाती थी कि आकाश किसी की नहीं सुनेगा. उसने तुम्हें पाने के लिए प्यार किया. फिर उसके बाद जब उसको मैं मिली तो वो तुम्हें भूल गया. अब कल को वो किसी और के पास जायेगा और फिर मुझे भी भूल जायेगा.

मैंने सोनिया को समझाते हुए कहा- बेटी, तुम्हारा पूरा जीवन अभी बाकी है. संभल जाओ तुम. तुम भाई-बहन ने जो भी किया मैं उसको भूल चुकी हूं. मेरे पास तो कोई ऑप्शन नहीं था, मैं तो मजबूर हूं. मगर तुम्हारे पास तो अभी भी रास्ता खुला हुआ है. तुम्हारी शादी हो जायेगी तो तुम सारा जीवन फ्री होकर रहोगी. मेरी बात को समझने की कोशिश करो. मैं तुम्हारी दुश्मन नहीं हूं. तुम्हारी मां हूं. तुम्हारे अच्छे के लिए ही कह रही हूं.

मैं सोनिया से बोली- यह सब बात लेकिन तुम आकाश को मत बताना. तुम देखो और समझो. उसके बाद जो तुम्हें अच्छा लगे वो करो. मैं तुम दोनों के भविष्य के साथ में पहले भी थी और आज भी हूं. मैंने तुम्हारे भविष्य के लिये समाज में सब कुछ छोड़ दिया.

इस तरह से मैं सोनिया को रोज समझाती थी. ऐसे ही 25 दिन निकल गये थे. सोनिया ने अब कह दिया था- मां आप आकाश से कह दो कि मैं अब उसके साथ नहीं रहूंगी. लेकिन क्या वो मुझे शादी करने देगा?

मैंने कहा- उसको तैयार करना तो मुश्किल है लेकिन मैं तुम्हारे लिये ये भी कर लूंगी. बस तुम उससे मतलब कम रखा करो.
सोनिया बोली- मां, मेरी शादी जल्दी से करा दो. मैं अब देर नहीं करना चाहती हूं.
मैंने कहा- तुम चिंता मत करो बेटी.

उधर मैंने आकाश को बता दिया था कि सोनिया अब शादी के लिए तैयार हो गयी है. उसकी शादी की तैयारी शुरू कर दो.
आकाश फिर शिवकुमार को लेकर आया. सोनिया ने शिवकुमार को पसंद कर लिया. वैसे सोनिया के पास दूसरा कोई ऑप्शन भी नहीं था इसलिए वो मना नहीं कर सकती थी.

शिव कुमार से मैंने कहा- देखो, मेरे पास बहुत ज्यादा पैसे नहीं हैं बेटा, रिसेप्शन तुम लोग देख लो अपने लोगों के लिए.
आकाश बोला- एक या डेढ़ लाख की व्यवस्था तो मैं भी कर दूंगा.

वो लड़का बोला- मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं है. लेकिन एक बात आपसे पूछनी है कि क्या सोनिया आपकी सगी बेटी है?
आकाश बोला- सोनिया इनकी बड़ी बहन की बेटी है. उनके मरने के बाद इसकी देख रेख हमने ही की है. इसलिए सोनिया इनको मां बुलाती है.

शिवकुमार बोला- ठीक है, मैंने तो इसलिए पूछ लिया था कि आकाश ने बताया था आपके बारे में कि किस तरह आप दोनों ने शादी की थी और आकाश ने किस तरह से आपकी मदद की है. आकाश बहुत ही अच्छा आदमी है.

मैंने शिवकुमार से कह दिया कि हम लोग आर्य समाज मंदिर में शादी करते हैं और तुम डेट निकलवा लो.
उसके बाद वो चला गया.

उसके जाने के बाद मैंने आकाश से पूछा- तुमने शिवकुमार से क्या कहा है हम दोनों के बारे में?
आकाश बोला- मैंने उसको पहले ही बता दिया है कि हम दोनों ने लव मैरिज की है. अगर कल को वो हमारे घर आयेगा और हम मां बेटे को साथ में देखेगा तो क्या सोचेगा, और फिर जो बच्चा पैदा हम करेंगे उसके बारे में पूछेगा कि ये बच्चा किसका है तो फिर हम उसको क्या बतायेंगे? इसलिए मैंने उसको पहले ही हमारी शादी के बारे में बता दिया है और उससे कह दिया है कि तुम मेरे से 4 साल बड़ी हो. ये सब मैंने इसलिए बताया है ताकि कल को कोई दिक्कत न हो.

अब हम लोगों ने शादी की डेट निकलवा ली थी और सब शादी की तैयारी में लगे हुए थे. ज्यादा लोग नहीं थे. दो मित्र और मैं और सोनिया. इधर से मैंने अपने सारे आभूषण सोनिया को दे दिये.

हमने सोनिया के ऊपर बहुत पैसा खर्च किया. काफी कैश भी दिया. मगर एक बात मुझे बहुत बुरी लगी. आकाश ने सोनिया की शादी के एक दिन पहले सोनिया के साथ सेक्स करने की बात कही.
सोनिया मना करने लगी लेकिन आकाश रोने लगा और सोनिया से बोला- मैं तुमको मजबूर होकर विदा कर रहा हूं.
तो सोनिया बोली- लेकिन मुझे पीरियड हुए तीन दिन ही हुए हैं.
आकाश बोला- तो फिर अच्छा है, तुम्हारे पेट में मेरा बच्चा होगा. किसी को पता भी नहीं चलेगा शादी के बाद कि ये बच्चा किसका है, क्योंकि मां के साथ मैं सेक्स तो करूंगा लेकिन बच्चा पैदा नहीं करूंगा.

आकाश ने सोनिया को अपने इमोशन में फंसा लिया और रात भर उसके साथ सेक्स का मजा लिया.
सुबह मैंने उससे पूछा तो वो बोला- ये लास्ट बार था मां.
मैंने कहा- मैं रात को सब सुन रही थी. तुम बोले थे कि शादी के बाद जो बच्चा होगा वो तुम्हारा ही होगा.

वो बोला- तो तुम ही कहती थी कि मेरी बेटी की शादी करो इसलिए मैंने उसके साथ एक निशानी तो पैदा कर ही दी है.
मैं आकाश की इस बात का उत्तर न दे पायी.

हमने सोनिया की शादी कर दी. शिव कुमार और सोनिया अपनी जिन्दगी जीने लगे. एक महीना बीत गया है आज. आकाश मुझे भी आर्य समाज मन्दिर लेकर गया. वहां पर पूरी रीति रिवाज के साथ हमने शादी की. शादी के समय मैं बहुत दुखी थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं कुछ गलत काम करने जा रही हूं. मगर मैं कुछ नहीं कर पाई.

शादी के बाद हम दोनों ने शिमला का टूर बनाया. आकाश मुझे वहां ले गया और मेरे साथ खुल कर जीने लगा. अब मैं उसके नाम का सिंदूर लगाने लगी. आकाश अब मुझे बहुत खुश रखता है.

कभी कभी मैं अपने अतीत में चली जाती हूं. मुझे बहुत ही अलग सा फील होता है वो बीता हुआ कल. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि कैसा होगा आकाश के साथ आगे का जीवन. आकाश ने अब मुझे बिल्कुल फ्री छोड़ दिया है. वो कोई बंदिश नहीं रखता है और मैं बहुत खुश हूं.
 
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Reactions: Ragnarok and aalu

aalu

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Adbhut anaitik sambandh, maa aur beti ki irshya..pyar se jyada waasna...
 
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