Urwife
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Amazing updatedUpdate 22
A week leter
Shine park at 6 pm
विशु " यार इस बार कोई ऐसी वैसी प्लान मत बताना और में ऐसा दुबारा करने नही वाला । मुझे बोहोत अफसोस हुआ खमाखा मेने तेरे बातों में आ के आंटी को चोट पोहोचा दी।"
जिशु ।" कोई न । सब ठीक हे ।"
विशु ।" इस बार क्या प्लान है तेरे ।"
जिशू खुश हो के बोला ।" अरे अभी कोई प्लान नेही उस प्लान से बड़ा मजा ले रहा हूं । पता आंटी आज कल रोज शाम मुझसे कॉल करती है । गप्पे लड़ती है । "
विशु ।," हा हा बड़ी खुश हो रहा हे । इसका मतलब ये नही की शीतल आंटी तेरे प्यार में पड़ गई है । तेरी मम्मी जैसी नही .............(विशु को एहसास हुआ की उसने गलती से क्या बोल दिया )
जिशू गुस्से से उसे देखता है । लेकिन कुछ नेही बोलता ।
विशु ।" सॉरी यार मेरा वो मतलब नहीं था ।"
जिशू ।" हम्म । अच्छा चल तपन के घर चलते है । शेतन को भी वाहा बुला तपन को एहसास कराने का टाइम आ गया है ।"
Tapan's house
टिंग तंग
घर का दरवाजा तपन ने खुला । और खुशी से तीनों दोस्त से मिला ।" अच्छा हुआ तुम तीनो आ गए । में अकेला अकेला बोर हो रहा था ।"
शेतन ।" अरे वाह अच्छी स्वागत हो रही है हमारी । भांग बांग तो नहीं पी रखी तूने ।"
तपन ।" अब घर पे मेरी ले मत । चलो आओ अंदर "
तपन तीनों को घर के अंदर ले आते हे ।
सबसे पहले तपन के पापा तीनों को देख के मजाक में बोला ।" अरे चार बकरे एक साथ कैसे । यहां हलाल होने आए हो क्या मेरे हाथो ।"
जिशू मजाक को मजाक बनाते हुए थोरी ऊंची आवाज में ।" आंटी देखो अंकल हम धमका रहे है ।"
जतिन होंठो पे उंगली रख के ।" अरे मरवाओगे क्या । रात को खाना नहीं मिलेगा मुझे "
चारो हंसते है । तभी शीतल वोहा आती है वो अब अच्छे से चल फिर सकती थी । वो भी तीनों को देख के खुश हो जाती है । लेकिन सबसे पहले जिशु से गले मिलती है ।
ये देख के शेतन बनवाती जलन दिखाते हुए बोला ।" क्या आंटी माना की हम उस दिन वाहा नही थे तो क्या हमे आप नजरंदाज करेगी क्या ।"
शीतल बारी बारी से दोनो के गले मिली और बोली ।" बात वो नही है तुम दोनो तो उस दिन के बाद दिखे ही नही (जब शीतल की एक्सीडेंट वाली खबर मिला दोनो को तो दोनों तुरंत आए थे खबर लेने । दूसरे दिन उनके मां बाप भी आए थे ) लेकिन ये रोज मेरी खबर लेने आता है चाहे दो मिनट के लिए सही पर मेरी खबर तो लेता है ।"
बिशु ।" अच्छा सॉरी आंटी । अब क्या करे आपने हमे कम संस्कार दिए है ।"
शीतल जूठा गुस्सा दिखा के बोली ।" अच्छा उल्टा चोर कटवाल को दाते । अच्छा ठीक हे अब जाओ बैठो में तुम लोगों के लिए पकड़े तल के लाती हूं ।"
शीतल किचन में गई ।
शेतन ।" अंकल उस कार वाले का कुछ पता चला ।"
जतिन ।" अरे नही बेटा आज गया था पुलिस थाना लेकिन कोई सबूत हाथ नही आया कह रहा था । अब किसे पकड़े वाहा कोई सीसी टीवी भी नही था और गाड़ी का नंबर भी नही मिला । लेकिन सान बिन हो रहा है पता चल जायेगा "
जिशू और विशु एक पल के लिए खिफजादा हो गए थे लेकिन अपने आप को संभाल लिया ।
फिर तपन ने अपने दोस्तो को अपने कमरे में ले के गया । और चारो मिल के मल्टीप्लेयर गेम खेलने लगे ।
कुछ आधे घंटे में शीतल चाय पकड़े ले के आई ।" ये लो गरमा गरम नाश्ता ।"
शीतल जब झुक के ट्रे टेबल पे रख रही थी तो उसकी ब्लाउज से चूची आधे से ज्यादा दिखाई दी । और ये शानदार नजारा जिशु ने अपने दिमाग में उतर लिया और एन्जॉय किया ।
शीतल जिशू के बगल में बैठ गई और जिशु के मोबाइल स्क्रीन पे देख के बोली ।" क्या गेम खेल रहे हो ।"
जिशु ।" Wwe आंटी ।"
सब मिल के चाय पकड़ा खाने लगे । जिशू कुछ इशारा देता है विशु को । और फिर शीतल की हाथ पकड़ के उसकी उंगली चूमते हुए तारीफ करने लगता है ।" आंटी आपकी हाथो में जादू है क्या स्वदिस पकड़ा बनाया है । जी करता है आपकी उंगलिया चाट जाऊं ।"
विशू चुपके से तपन को इशारा करता की देख तेरी मम्मी और जिशू को । तपन कुछ ना समझ के कंधे उचका देता हे की क्या हे ।
विशु हस्ता है (गाढ़ा साला)
विशु की हसी से तपन फिर समझ जाता है । और अंदर ही अंदर वो जलने लगता है । कोई दिनों से देख रहा है की जीशू किसी ना किसी बहाने से उसकी मम्मी के साथ ज्यादा ही फ्रैंक हो जाता है मजाक मस्ती करता है ज्यादा ही । वैसे तो ये नॉर्मल था लेकिन तपन कुछ ज्यादा ही जलने लगा कारण था उसकी और जिशू की मम्मी के साथ जो शारीरिक रिश्ता था उसका प्रभाव था जलन का कारण । जो वो खुद नही समझ पाया था ।
शीतल ।" ओह मेरा बच्चा । तुम ही मेरे इन सब में से एक अच्छे बेटे हो । तेरे अंकल और तेरे दोस्त मेरी कभी तारीफ नही करते । जरा सी नमक कम ज्यादा हो गई की नही दोनो बाप बेटे मुझोर बरसते है ।"
जिशू बोला ।" अरे आंटी बंदर क्या जाने अदरख का स्वाद । सोने का असली भाव जौहरी जनता है । और में वो जौहरी हूं आप टेंशन मत लो में हूं ना आपका बेटा "
तपन मन में जलन ले के फिर भी बनवाती गुस्सा दिखा के बोला ." कुछ दिन रुक जा देखना मम्मी कैसे तेरे दिमाग की दही करता हे ."
सब हास पड़ता है । ऐसे ही मस्ती मजाक मे गेम खेलने लगते है । शीतल जिशू के ऊपर प्यार बरसती रहती है ।
कुछ देर बाद विशु बाथरूम चला गया हाथ धोने और उसके पीछे पीछे तपन भी चला गया ।
तपन ।" तू वाहा क्या इसारा कर रहा था वे ।"
विशु ।" क्यू वे तुझे समझ नही आया अब तक । देखा नहीं कैसे तेरी मम्मी और तेरा दोस्त चिपक के एक सोफे पे बैठा है और गुतूर गु कर रही है ।"
तपन छींक से हाथ धो के ।" तू गलत मतलब निकल रहा है । ऐसा नहीं है ।"
विशु सैतानी मुस्कान से ।" देखना कर्मा तुझे रंग ना दिखा दे ।"
तपन । " तू आज काल मुझसे ठीक से बात क्यू नही करता बे । मुझसे प्रोब्लम क्या है तेरे को । कही तूने कुछ बता तो नहीं दिया जिशु को ।"
विशू ।" मुझे तुझसे कोई प्राब्लम नही है भाई । हम दोस्त हे भाई जैसे । मगर तू जो अब तक हमारे पीठ पीछे कर रहा है ना उससे प्रोब्लम है । और रही बात जिशू को बताने की अगर बता दिया होता तो जिशू तेरी जान ले ले । जानता हैं ना कितना गुस्से वाला हे वो । "
तपन ।" देख हजार बार बता चुका हूं । तानिया आंटी और मेरा कुछ अलग रिश्ता है कुछ फीलिंग्स है हमारी बीच । तू गलत नजर से देखना छोड़ दे तब तुझे पता चलेगा ।"
विशू ।" अच्छा मान लिया तेरी बात एक पल के लिए । तो तू भी सोच के देख अगर ये बात जिशू और जिशु के पापा को पता चला तो अगर दुनिया वाले को पता चला तो । ऐसे रिश्ते ज्यादा दिन न ही टिकते है और न ही छुपते हे । अपनी जिंदगी तो बर्बाद कर ही लेगा तानिया आंटी की भी और साथ हमरा जिशू सबके खंडन का नाक काट देगा तब तू ।"
तपन ।" देख आंटी समझदार हे जो भी कर रही है सोच समझ के ही कर रही है । "
विशु ।" हट बे तू ही उसे बहला फुसला के अपने साथ बंधे रखता है ।"
विशु तपन के जवाब सुने बिना बाथरूम से निकल जाता है ।
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ऐसे ही जिशु शीतल आंटी को पटाने में लगा हुआ था । दोनो की बीच फ्रैंक वाली हम उम्र जैसे दोस्त भी बन गए थे । शीतल घर पर बस अकेली अपनी टीवी को ही दोस्त बना का जिंदगी काट रही थी लेकिन जीशू को एक दोस्त के रूप मे पा कर बोहोत खुश थी जो उसका दिल बहलाता था उसको हसाता था प्यार जताता था । और इस काम में विशु हर तरह से मदद कर रहा था । और तपन को जलता था । जिशू भी फोन आए ना आए लेकिन फोन आने का बहाना कर के तपन की तरह अलग हो जाता था मंडली से कुछ समय के लिए और आग में घी डालने का विशु इशारों से करता था तपन भी जल भुन के रह जाता था लेकिन वो चाह कर भी कुछ नही कर पाता था । लेकिन जिशू एक चतुर खिलाड़ी की तरह प्लान को अंजाम दे रहा था उसके इरादे को विशु पढ़ नही पा रहा था वो अनजान था जिशू के असली मकसद से एक मोहरा बन गया था वो ।