आठवाँ भाग
एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं होते।
बिल्कुल सही बात है ये मोहनीश बहल जी ने 1989 में कही थी, जो अनिकेत के माँ बाप ने सफल कर दिया। घर आते ही आंखों आंखों में इशारे हुए कौशल्या और नारायणराव में और फिर एक धांसू शायरी। मज़ा आ गया। दोनों को कोमल पसन्द आ गई है और उसे बहू बनाने के सपने देख रहे हैं।
कैंटीन में अविनाश और कोमल अनिकेत का चूतिया काटते हैं। उसके साथ मस्खरी करते हैं जिसे अनिकेत समझ जाता है और नहले पर दहला मार देता है।