Chinturocky
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yes .....Wah amezing. Ye romantic romanchak update tha. Maza aa gaya. Ye feelings baya karne se nahi hogi. Bas feel karne se hogi. Vese ansh ki chot muje bhi achhi nahi lagi.
बस एक चीज की कमी है. साथ मे माहोल के हिसाब से म्यूजिक. एक रोमांटिक song. जो राइटर महसूस करवा सकता है. दे नहीं सकता. अमेज़िंग.. सचाई सामने तो नहीं आई. पर आने के बाद कुछ अच्छा ही होगा. ऐसी मिट्ठी मिट्ठी फीलिंग्स आ रही हे. माझा आ गया.
Bahut dino bad love story padi shandarUpdate 16
अगले दिन अक्षिता का ऑफिस जाने का बिल्कुल मन नहीं था वो ये सोच रही थी के आज क्या देखने मिलेगा, एकांश का कल उसके प्रति बदला हुआ बर्ताव उसे डरा रहा था और वो ये सोचने मे लगी हुई थी के एकांश को अचानक क्या हो गया है, वो अचानक उससे अच्छे से बात करने लग गया था ऊपर से उसे देख स्माइल भी कर रहा था और अब अक्षिता को अचानक आए इस बदलाव का रीज़न समझ नहीं आ रहा था
कल ऑफिस से आने के बाद भी अक्षिता खुद से ही खफा थी, उसे एकांश को चोटिल देख इम्पल्सिव नहीं होना चाहिए था लेकिन वो एकांश को दर्द मे भी नहीं देख सकती थी और एकांश के हाथ से बहता खून देख वो पैनिक हो गई थी और कब रोने लगी उसे भी पता नहीं चला
इन्ही सब खयालों मे अक्षिता रात भर ठीक तरह से सो नहीं पाई थी वही वो इतना तो समझ चुकी थी के एकांश के इस बदले हुए बर्ताव के पीछे हो न हो अमर का हाथ जरूर है
खैर अक्षिता ऑफिस पहुच चुकी थी और अपने दिमाग मे चल रहे इन सब खयालों को बाजू करके उसने बस अपने काम पे फोकस करने का फैसला किया था
जैसे ही वो अपने ऑफिस फ्लोर पर पहुची तो आज वहा का महोल थोड़ा अलग था, अक्षिता के ऑफिस का फ्लोर एकदम शांत था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था और लगभग लोगों के चेहरे पर कन्फ़्युशन और शॉक के भाव थे
अक्षिता अपने डेस्क पर पहुची, अब क्या हुआ है इसनी शांति क्यू है के जानने की उसे भी उत्सुकता थी, उसने रोहन और स्वरा को देखा जिनके चेहरे भी बाकियों जैसे ही कन्फ्यूज़ थे
“गाइज क्या हुआ है?” अक्षिता ने पूछा
उनलगो के अक्षिता को देखा
“तुझे यकीन नहीं होगा अभी क्या हुआ है” रोहन ने कहा
“क्या हो गया?”
“एकांश रघुवंशी मुसकुराते हुए ऑफिस मे घुसे, और स्माइल के साथ हम सभी को ग्रीट किया, आज पहली बार बॉस को ऐसे मूड मे देखा है सबने तो बस थोड़े कन्फ्यूज़ है वरना तो वो बंदा बस काम की ही बात करता है बाकी तो कीसी से बोलते भी नहीं सुना उसे और आज वो बंद उछलते हुए चल रहा था जैसे कीसी बच्चे को मनचाही चीज मिल गई हो अब ये थोड़ा शॉकिंग तो है ना“ स्वरा ने पूरा सीन अक्षिता को बताया जिसे सुन के अक्षिता भी थोड़ा हैरान तो हुई
“तुम्हें बॉस को देखना चाहिए था अक्षु, ऐसा लग रहा था ये कोई अलग ही बंदा है” रोहन ने कहा
‘इसको अचानक हो क्या गया है?’
अक्षिता ने मन ही मन सोचा खैर एकांश मे आया हुआ ये बदलाव तो वो कल से देख रही थी इसीलिए उसने ज्यादा नहीं सोचा, उसने घड़ी को देखा तो वो 10 मिनट लेट थी, उसने कैन्टीन मे जाकर झट से एकांश की कॉफी ली और उसके केबिन की ओर चल पड़ी और वहा पहुच कर दरवाजा खटखटाया
“कम इन” अंदर से एकांश ने आराम से कहा और अक्षिता अंदर गई
“सर, आपकी कॉफी, सॉरी सर वो थोड़ा लेट हो गया” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए एकांश को देख कहा
“नो प्रॉब्लेम, मिस पांडे” एकांश ने अक्षिता को स्माइल देते हुए कहा
“आपको हुआ क्या.....” अक्षिता कुछ बोलने ही वाली थी के उसने अपने आप को रोक लिया और वो एकांश को शॉक होकर देख रही थी और चुप हो गई ये देख एकांश बोला
“क्या हुआ कुछ कह रही थी?” एकांश ने कन्फ्यूज़ बनते हुए कहा
अक्षिता एकांश को देखते हुए अपनी जगह जम गई थी, उसने देखा के एकांश ने उसके फेवरेट कलर की शर्ट पहनी हुई थी और उसमे भी वो शर्ट जो उसने ही उसे गिफ्ट करी थी, और अक्षिता को वो शर्ट अच्छे से याद थी क्युकी काफी यूनीक डिजाइन की शर्ट थी जिसे ढूँढने मे भी उसका काफी वक्त गया था
और इस बात मे कोई दोराय नहीं थी के एकांश पर वो शर्ट काफी जच रही थी उसपे जो उसने ब्लैज़र पहना था वो भी परफेक्टली मैच कर रहा था और एकांश पर से उसकी नजर नहीं हट रही थी
अक्षिता के दिल की धड़कने बढ़ रही थी उसने एक लंबी सास ली और अपनी बढ़ती हुई धड़कनों को काबू किया वही एकांश बस अक्षिता के चेहरे पर आते अलग अलग ईमोशनस् को समझने की कोशिश कर रहा था
“आप ठीक है मिस पांडे?” एकांश ने पूछा, वो समझ गया था के अक्षिता उस शर्ट को पहचान चुकी थी
“हम्म...” अक्षिता ने कहा, वो अब और वहा नहीं रुकना चाहती थी उसे वहा सास लेना भी मुश्किल लग रहा था पुरानी यादे वापिस से उसके दिमाग मे जमने लगी थी और उन्ही यादों के चलते उसकी आंखे भर आ रही थी, उसने कस के अपनी आंखे बस की अपना गला साफ किया और आंखे खोल एकांश को देखा
“सर, अगले एक घंटे मे आपकी एक मीटिंग है मुझे वप ऑर्गनाइज़ करनी है प्लीज इक्स्क्यूज़ मी” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई
अक्षिता वहा से निकल कर सीधा वाशरूम मे गई और दरवाजा बंद कर उससे टिक कर अपनी आंखे बंद कर ली
‘क्यू एकांश ये सब क्यू कर रहे हो?’
‘चाहता क्या है ये, इसे ये सब करके क्या मिल जाएगा?’
‘इसने वो शर्ट क्यू पहनी है जो मैंने इसे गिफ्ट की थी?’
‘इसे तो मुझसे नफरत करनी चाहिए’
‘या ये यह सब इसलिए कर रहा है ताकि मुझे तकलीफ पहुचा सके’
‘एकांश तुम मेरे लिए सिचूऐशन और मुश्किल बना रहे हो’
यही सब सोचते हुए अक्षिता की आँखों से आँसू की बंद गिरी, उसने अपने आप को ठीक किया मुह पर पानी मारा और अपने आप को काम के लिए रेडी किया
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“हा बोल इतना अर्जन्ट क्यू बुलाया” अमर एकांश के सामने वाली खुरची पर बैठता हुआ बोला
“कुछ नहीं हुआ” एकांश ने कहा
“क्या!”
“हा, तू ही बोला था न वो शर्ट पहनने जो उसने गिफ्ट की थी और फिर बोला था के वो कुछ रीऐक्ट करेगी”
“हा तो”
“तो उसने कुछ रीऐक्ट नहीं किया, उसने बस मुझे देखा फिर शर्ट को देखा फिर मुझे मेरी मीटिंग के बारे मे बताया और चली गई” एकांश ने कहा
“ओह”
“ओह, बस यही बोलेगा तू इसपर” एकांश को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था
“तो और क्या बोलू, मुझे लगा ये काम करेगा, देख फीलिंग तो है बस डबल शुवर होना है और भाई वो फीलिंगस् छिपाने मे बहुत माहिर है”
“तो अब क्या करना है?’
“डोन्ट वरी एक और प्लान है अपने पे फिर सब एकदम क्लियर हो जाएगा” अमर ने कहा
“अब बोल बचन कम दे और करना क्या है वो बता” एकांश ने कहा
“देख तूने कहा था के तूने उसे एक लॉकेट गिफ्ट किया था बराबर, और वो लॉकेट उसे काफी पसंद है मतलब उसके दिल के एकदम करीब है और वो उसे यही भी जाए कुछ भी हो अपने से अलग नहीं करती बराबर, तो अब हमे यही देखना है के वो लॉकेट अब भी उसके गले मे है या नहीं, अगर लॉकेट रहा तो समझ लियो के उसने धोका नहीं दिया था दिलवाया गया था, तो अब तू उसे पहले फोन करके यह बुला” अमर ने कहा
“और फिर?”
“फिर मैं उसके रास्ते मे टांग डाल के उसे गिराने की कोशिश करूंगा”
“और मैं तेरा मुह तोड़ दूंगा”
“अबे यार तू आराम से बात तो सुन पहले, और कोई रास्ता नहीं है” अमर ने कहा
“लेकिन उसको ऐसे गिरने नहीं दे सकता”
“तो तेरे पास कोई और आइडीया है?”
“कुछ दूसरा सोचने ले भाई”
“टाइम नहीं है और डायरेक्ट जाकर लॉकेट के बारे मे पुछ नहीं सकते तो बस यही एक ऑप्शन है” अमर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा
“ठीक है लेकिन संभाल कर”
“हा हा वो देखेंगे अब सुन, वो आएगी, मैं टांग अड़ा कर उसे गिराऊँगा वो वो नीचे की ओर झुकेगी तो तू उतने मे देख लियो के उसके गले मे लॉकेट है या नहीं, और वैसे भी तू भी यही है तू उसे गिरने थोड़ी देगा” आइडीया काफी ज्यादा क्रिन्ज था लेकिन एकांश ने हामी भर दी
“ओके”
“बस इतना ध्यान मे रखियों के उसके लॉकेट को छिपाने के पहले टु देख ले के उसके वो पहना है” अमर ने कहा
“और अगर तेरा ये प्लान उलट फिर गया तब?’
“तो वापिस सैम प्रोसेस रीपीट”
“नहीं, इंसान है वो खिलौना नहीं है चूतिये ऊपर से वो लड़की है उसे हम ऐसे हर्ट नहीं कर सकते बेटर ये प्लान एक बारी मे ही काम करे”
“ठीक है भाई, उसे हर्ट नहीं होगा इसका ध्यान रखेंगे अब बुलाया उसको”
“ओके”
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अक्षिता आज के मीटिंग की रिपोर्ट बना रही थी के तभी एकांश ने उसे कॉल करके कुछ फाइलस् लाने कहा और उसने भी ऑर्डर फॉलो करते हुए फाइलस् उठाई और एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई, कम इन का आवाज सुनते ही वो केबिन मे आई तो वहा उसके स्वागत के लिए अमर अपनी बत्तीसी दिखते खड़ा था वही एकांश थोड़ा नर्वस था,
अमर वो वहा देखते ही अक्षिता ये तो समझ गई थी के दाल मे कुछ तो काल है और अब आगे क्या होगा ये वो सोचने लगी
अक्षिता उन लोगों की ओर बढ़ी, अमर एक एक नजर एकांश को देखा और अब अक्षिता अमर को पास करने की वाली थी के अमर ने उसके रास्ते मे अपनी एक टांग आगे बढ़ा दी
लेकिन अक्षिता जिसे क्या हो रहा है इसका कुछ आइडीया नहीं था वो अमर ने पैर कर पैर देकर आगे बढ़ गई और अक्षिता की पैरों की हील से अमर के ही पैर मे दर्द उठ गया
अक्षिता की हील पैर मे घुसते ही अमर के मुह से एक हल्की चीख निकली
“क्या हुआ?” अक्षिता ने अमर की चीख सुन उसके पास जाते हुए पूछा
“तुमने तुम्हारी हील मेरे पैर मे घुसेड़ दी ये हुआ” अमर ने दर्द मे बिलबिलाते हुए कहा
“तो तुम ऐसे पैर निकाल कर क्यू बैठे थे?”
“ऐसे ही मेरी मर्जी” अमर ने कहा
“सॉरी” अक्षिता ने कहा, वो बहस के बिल्कुल मूड मे नहीं थी उसने एकांश को देखा जो अमर को ही घूर रहा था
“सर ये फाइलस् जो आपने मँगवाई थी” और उसने वो फाइलस् एकांश को पकड़ा दी
“थैंक यू” एकांश ने फाइलस् लेते हुए कहा
अक्षिता ने भी हा मे गर्दन हिलाई और जाने के लिए मुड़ी ही थी के नीचे फ्लोर पर गिरे कुछ कागजों पर से उसका पैर फिसला और वो गिरने की वाली थी के एकांश ने उसे कमर से पकड़ कर गिरने से बचा लिय, अब सीन कुछ ऐसा था के एकांश ने एक हाथ मे फाइलस् पकड़ी थी वही उसका दूसरा हाथ अक्षिता की कमर कर था और अक्षिता झुकी हुई थी उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे वही दूसरी तरफ अमर अपने पैर को सहलाते हुए नीचे की ओर झुका हुआ था, जैसे ही एकांश ने अक्षिता को गिरने से बचाया वैसे ही अमर से अक्षिता के बाली के बीच से उसकी गर्दन पर लटक रही चैन और उसमे लगे लॉकेट को देखा
और ये सब बस कुछ ही पलों मे हुआ, अक्षिता ने अपने आप को संभाला सही से खड़े होकर अपने बाल सही करके एकांश को थैंक यू कह कर जल्दी से वहा से निकल गई और उसके जाते ही एकांश ने अमर को देखा जो नीचे की ओर देख रहा था
“अमर” एकांश ने आराम से अमर को पुकारा
अमर ने एकांश को देखा, उसके चेहरे के इक्स्प्रेशन देख के एकांश थोड़ा डर रहा था, अमर ने एकांश को देखा और डिसअपॉइन्ट्मन्ट मे अपना सर हिलाने लगा
क्रमश: