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Romance Ek Duje ke Vaaste..

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Adirshi

Royal कारभार 👑
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Super-Moderator
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Update 9



धीरे धीरे दिन बीत रहे थे एकांश और अक्षिता साथ काम कर रहे थे लेकिन फिर भी दोनों के बीच तनाव बना हुआ था, फीलिंगस थी लेकिन कोई उसे बताना नहीं चाहता था, अक्षिता जिन बातों से भाग रही थी वही अब उसके पीछे थी

पिछले कुछ दिनों मे अक्षिता ने एकांश के सॉफ्ट साइड को इक्स्पीरीअन्स किया था, उसे पुराने एकांश की झलक दिख रही थी और यही बात उसे डरा रही थी, एकांश के उसकी केयर करने से वो डर रही थी, इन भावनाओ से वो दूर रहना चाहती थी लेकिन ये हो नहीं पा रहा था

वही ऐसा भी नहीं था के एकांश सब कुछ भुला चुका था, अक्षिता के उसे छोड़ के जाने के गम से आज भी उसे तकलीफ होती थी लेकिन वो उस दिन अक्षिता की तबीयत खराब होने के पीछे खुद को मान रहा था और भले ही एकांश और अक्षिता अपनी भावनाओ से कितना ही भाग ले एकांश कितना ही मना कर ले लेकिन दोनों के दिलों मे आज भी वो प्यार दिल के कीसी कोने मे बरकरार था...

--

आज एकांश का जन्मदिन था लेकिन वो इस दिन के लिए जरा भी उत्साहित नहीं था उसके लिए ये रोजमर्रा का दिन था, उसके मा बाप दोस्तों ने उसे विश किया आशीर्वाद दिया और वो अपने ऑफिस आ गया

एकांश अपने केबिन मे पहुचा तो उसका केबिन बुके से ग्रीटिंग से भरा हुआ था उन सब को नजरंदाज करते हुए वो अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गया और बैठे बैठे उसके दिमाग मे एक खयाल आया, क्या उसे उसका जन्मदिन याद होगा? और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ

“कम इन”

“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने अंदर आते हुए टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा

एकांश ने अक्षिता को देखा जो इतने सारे गुलदस्ते देख थोड़ा सप्राइज़ थी

“क्या तुम मेरे टेबल से ये सब साफ कर सकती हो?” एकांश ने अक्षिता से कहा

“शुवर सर” और अक्षिता ने वो सब हटाना शुरू किया

अक्षिता ने सभी गुलदस्तों को केबिन मे एक कोने मे जमा दिया था और काम खत्म करने के बाद उसने देखा तो वो एक छोटी बुके की दुकान जैसा लग रहा था जिसे देख अक्षिता थोड़ा हसी

“व्हाट्स सो फनी?” एकांश ने पूछा जिससे अक्षिता का ध्यान उसपर गया क्युकी गुलदस्ते जमाने के चक्कर मे वो भूल चुकी थी के एकांश भी वही था

“नहीं सर कुछ नहीं वो बस आपका केबिन कीसी बुके शॉप जैसा दिख रहा है न तो” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा जिसपर एकांश कुछ नहीं बोला

“सर मेरे लिए और कोई काम है?” अक्षिता ने पूछा

‘ये आज मुझे विश भी नहीं करेगी? इसे याद भी है?’ एकांश के मन मे खयाल आया

“नहीं जा सकती हो” एकांश ने कहा

“ओके”

अक्षिता वापिस जाने के लिए मुड़ी ही थी के जाते जाते रुकी और वापिस पलटी

“सर”

“हा” एकांश ने उसे देखा

“हैप्पी बर्थडे” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और बगैर एकांश का रीस्पान्स देखे वहा से चली गई

एकांश से कुछ बोलते ही नहीं बना और अक्षिता झट से वहा से निकल गई थी, वो आंखे बंद किए अपनी कुर्सी पर आराम से बैठा और पुरानी यादे उसके दिमाग मे उमड़ने लगी थी वही अक्षिता ने केबिन से बाहर आकार अपनी आँखों ने टपकी उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और अपने काम मे लग गई

--

“अक्षु? अक्षु कहा हो यार?”

एकांश के बर्थडे की शाम को अक्षिता ने उसे पार्क मे बुलाया था जहा वो अक्सर मिला करते थे एकांश वहा पहुच चुका था और अक्षिता को ढूंढ रहा था आवाज लगा रहा था लेकिन वो रीस्पान्स नहीं दे रही थी

एकांश जब अक्षिता को ढूंढते हुए इधर उधर घूम रहा था तब उसके पैर से एक बक्सा टकराया उसने जमीन से उस बॉक्स को उठाया और खोल कर देखा तो उसमे एक नोट लिखा हुआ था


You are the best thing that has ever happened to my life.. Thank you for coming into my life and making it meaningful and special – Akshita

वो नोट पढ़ कर एकांश के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और वो उसे ढूंढते हुए आगे बढ़ने लगा तभी उसे एक और बॉक्स मिला जिसमे भी एक नोट था

मेरी जिंदगी मे बस दो ही खास लोग है मेरे मा और पापा, और मैं तुम्हें तीसरा सबसे खास बंदा नहीं मानती, पता है क्यू? क्युकी तुम ही जिंदगी हो मेरी – अक्षिता

एकांश के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान मौजूद थी और आँखों मे हल्का सा पानी थी, वो थोड़ा और आगे बढ़ा और वहा रखा एक और बॉक्स उठाया

मैं पहले भी अपनी जिंदगी मे खुश थी लेकिन तुमने मेरे जीवन मे आकार मुझे जिना सिखाया है

एकांश अब अक्षिता से मिलने के लिए बेसब्र था लेकिन वो उसे वहा कही नहीं दिख रही थी वो थोड़ा और आगे बढ़ा तो एक और बॉक्स मिला जिसमे एक और नोट था

I was alone, you came into my life, we met and my life began…

अब एकांश अक्षिता ने मिलने का इंतजार नहीं कर पा रहा था तभी एक और बॉक्स और एक और नोट

You made me happy, you completed me, you made me feel loved, you taught me to love, all I wanted to say is…

I Love You..!

जानती हु तुम मुझसे मिलने के लिए बेसब्र हो और मैं भी अब और इंतजार नहीं कर सकती और ये अब आखरी बॉक्स है हम बहुत पास है..


एकांश के चेहरे पर एक मुस्कान आ गए थी, आइ लव यू पढ़ने के बाद से उसका दिल जोरों से धडक रहा था वो अक्षिता को देखने थोड़ा और आगे बढ़ा, शाम ढलने लगी थी और अंधेरा होने लगा था तभी उसने एक क्लिक का आवाज सुना और उसके सामने का एक बड़ा सा पेड़ लाइटिंग मे चमकने लगा, वो नजारा इतना शानदार लग रहा था के एकांश की नजरे नहीं हट रही थी, वही उसी पेड़ के पास जब एकांश की नजरे पहुची तो वहा लाल गुलाब के फूलों का बड़ा सा बुके रखा था साथ मे केक और कुछ गिफ्ट भी थे और लाइटस् से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ था और अब एकांश की नजरे बेसब्री से अक्षिता को खोज रही थी

अक्षिता पेड़ के पीछे से निकल कर एकांश के सामने आई हमेशा की तरह खूबसूरत, एकांश को देखते हुए, एकांश दौड़ कर उसके पास पहुचा और उसने उसे गले लगा लिया, अक्षिता भी एकांश की बाहों मे खुश थी

“हैप्पी बर्थडे अंश” अक्षिता ने वैसे ही गले लगे कहा

“थैंक यू” एकांश ने कहा

वो दोनों कुछ पलों तक यू ही एकदूसरे के आलिंगन के बंधे रहे एकदूसरे के प्यार को महोल की शांति हो महसूस करते हुए और जब अलग हुए तो दोनों के चेहरे से स्माइल नहीं हट रही थी

“अंश, मैं जानती हु तुम्हें तुम्हारा बर्थडे ऐसे पार्क मे मनाने की आदत नहीं है लेकिन...” अक्षिता ने नीचे देखते हुए बोलना चाहा लेकिन एकांश ने उसे रोक दिया

“अक्षु, ये मेरा अब तक का बेस्ट बर्थडे है, मैंने कभी ऐसे मेरा जन्मदिन नहीं मनाया लेकिन आइ लव्ड इट, सब कुछ एकदम परफेक्ट” एकांश ने अक्षिता की आँखों मे देखते हुए कहा

जिसके बाद उन्होंने केक काटा और एकदूसरे को खिलाया, दोनों ही तो थे वहा अक्षिता के लाए गिफ्ट्स लेने के बाद एकांश और अक्षिता वहा जमीन पर बैठे थे

“काश ये समा हु ही चलता रहे, ये पल कभी खत्म न हो” एकांश ने रात के आसमान को देखते हुए कहा

“मैं भी चाहती ही ये वक्त यही थम जाए” अक्षिता ने एकांश के कंधे ओर अपना सर टिकाते हुए कहा

अक्षिता ने नजरे उठा कर एकांश को देखा जो उसे उसे ही देख रहा था, दोनों की नजरे आपस मे मिली, एकांश ने अक्षिता के माथे को चूम लिया, फिर आंखे, फिर नाक, फिर गाल और उसके होंठों को देखते हुए रुका, अक्षिता ने भी अपने आंखे बंद कर ली थी और इस मोमेंट का मजा ले रही थी

जब कुछ पलों तक एकांश ने कुछ नहीं किया तब अक्षिता ने अपनी आंखे खोल उसे देखा जो नजरों से ही आगे बढ़ने की इजाजत मन रहा था और अक्षिता ने नजरों से ही आंखे बंद कर उसे पर्मिशन दे दी थी और एकांश ने अपने होंठ उसके होंठों से टीका दिए.. पहले वो धीरे धीरे उसे किस करने लगा और जल्द ही वो एक पैशनिट किस मे बदल गया जिसमे अक्षिता भी उसका बराबर साथ दे रही थी

जब किस टूटा तब दोनों ही शर्म से एकदूसरे से नजरे चुरा रहे थे एकांश ने अक्षिता को वापिस अपनी बाहों मे भर लिया था और वो दोनों काफी समय तक वैसे ही लेटे रहे,

ये उन दोनों का ही पहला किस था और वो भी एक स्पेशल मोमेंट पर हुआ था

“आइ लव यू” एकांश ने अक्षिता के कान मे कहा

“आइ लव यू टू” अक्षिता ने कहा

--


एकांश ने झटके के साथ अपनी आंखे खोली और अपनी सीट पर सीधा बैठा, उसे अपने गालों मे कुछ गीला पान महसूस हुआ और जब छुआ तब एहसास हुआ के वो रो रहा था, उसने झटसे अपने आँसू पोंछे, जब भी एकांश उस दिन के बारे मे सोचता था उसकी आंखे भर आती थी

एकांश अपना वो जन्मदिन कभी नहीं भूल सकता था जो उसने अपने प्यार के साथ बिताया था, आज भी उसके लिए उन बातों पर यकीन करना मुश्किल था जो उस दिन अक्षिता ने उससे कही थी, उसने झूठ बोला था धोका दिया था उसे

एकांश ने वापिस अपनी आंखे बंद कर ली थी और यादों के उसी समुंदर मे वापिस खो गया था

वही दूसरी तरफ स्वरा और रोहन ये सोच के परेशान थे के अक्षिता को क्या हुआ है क्युकी वो भी काफी ज्यादा उदास लग रही थी ऐसे जैसे मानो उसके शरीर मे प्राण हि ना हो, उन्होंने उससे बात करने की भी कोशिश की लेकिन अक्षिता बात टाल गई थी

अक्षिता अपने मे ही खोए हुए कैन्टीन की ओर बढ़ रही थी तभी वो कीसी से टकरा गई, उसने देखा तो एक हैन्डसम सा बंदा उससे टकराया था

“सॉरी... वो मैंने देखा नहीं” अक्षिता ने कहा

“इट्स ओके.. आगे से देख के चलिएगा” उस बंदे ने कहा

अक्षिता ने उसकी बात कर हा मे गर्दन घुमा दी लेकिन फिर उसकी नजरे उस बंदे पर ठहरी जो उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था

“इक्स्क्यूज़ मी” इतना बोलते हुए अक्षिता वहा से चली गई और वो उसे जाती हुई देखने लगा

वो बंदा लिफ्ट के पास पहुचा और ऊपर एकांश के केबिन के पास आया और कम इन सुनते ही अंदर घुसा

“एकांश मेरे भाई हैप्पी बर्थडे लौंडे” उस बंदे ने लगभग चिल्लाते हुए कहा

“अमर..” एकांश उस बंदे को यानि अपने दोस्त को देख चौका

“हा मैं :D

“तू यहा क्या कर रहा है?” एकांश ने पूछा और बदले मे अमर अपने दिल पर हाथ रखता हुआ बोला

“आउच! इधर तकलीफ हुई है इधर पता है, एक तो मैं तुझे विश करने यहा आया और तू पुछ रहा है क्यू आया”

“ओये नौटंकी आते ही मत शुरू हो यार”

“आयला इतने बुके, सारे लड़कियों ने भेजे होंगे हैना” अमर ने एकांश को छेड़ते हुए कहा और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और अंदर बुलाने पे अक्षिता अंदर आई

“सर, फाइनैन्शल ऐनलिस्ट ने ये फाइल आपको देने कही है” अक्षिता ने फाइल देते हुए कहा

एकांश ने उससे फाइल ली वही अमर पूरे समय अक्षिता को देख रहा था वही अक्षिता झट से वहा से निकल गई

“उसे घुरना बंद कर” एकांश ने कहा

“घूर नहीं रहा था बस देख रहा था मुझे लगता है मैं जानता हु इसे” अमर ने कहा

“कैसे?”

“पता नहीं यार याद नहीं आ रहा पर कही तो देखा है इसको” अमर ने कहा वही एकांश वापिस अपनी सीट पर बैठ गया था

“इसका नाम क्या है?” अमर ने पूछा

“अक्षिता, अक्षिता पांडे।‘

जिसपर अमर ने गर्दन हिलाई लेकिन तभी उसे कुछ क्लिक हुआ के वो कौन है

“अक्षिता? मतलब ये वो है जिससे तू प्यार करता था और जिसने तुझे धोका दिया?”

जिसपर एकांश ने हा मे गर्दन हिला दी

जिसके बाद दोनों के कुछ देर बाते की और अमर वहा से निकल गया लेकिन उसके दिमाग मे अब भी अक्षिता ही घूम रही थी.....



क्रमश:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,899
44,581
259

Riky007

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Update 9



धीरे धीरे दिन बीत रहे थे एकांश और अक्षिता साथ काम कर रहे थे लेकिन फिर भी दोनों के बीच तनाव बना हुआ था, फीलिंगस थी लेकिन कोई उसे बताना नहीं चाहता था, अक्षिता जिन बातों से भाग रही थी वही अब उसके पीछे थी

पिछले कुछ दिनों मे अक्षिता ने एकांश के सॉफ्ट साइड को इक्स्पीरीअन्स किया था, उसे पुराने एकांश की झलक दिख रही थी और यही बात उसे डरा रही थी, एकांश के उसकी केयर करने से वो डर रही थी, इन भावनाओ से वो दूर रहना चाहती थी लेकिन ये हो नहीं पा रहा था

वही ऐसा भी नहीं था के एकांश सब कुछ भुला चुका था, अक्षिता के उसे छोड़ के जाने के गम से आज भी उसे तकलीफ होती थी लेकिन वो उस दिन अक्षिता की तबीयत खराब होने के पीछे खुद को मान रहा था और भले ही एकांश और अक्षिता अपनी भावनाओ से कितना ही भाग ले एकांश कितना ही मना कर ले लेकिन दोनों के दिलों मे आज भी वो प्यार दिल के कीसी कोने मे बरकरार था...

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आज एकांश का जन्मदिन था लेकिन वो इस दिन के लिए जरा भी उत्साहित नहीं था उसके लिए ये रोजमर्रा का दिन था, उसके मा बाप दोस्तों ने उसे विश किया आशीर्वाद दिया और वो अपने ऑफिस आ गया

एकांश अपने केबिन मे पहुचा तो उसका केबिन बुके से ग्रीटिंग से भरा हुआ था उन सब को नजरंदाज करते हुए वो अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गया और बैठे बैठे उसके दिमाग मे एक खयाल आया, क्या उसे उसका जन्मदिन याद होगा? और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ

“कम इन”

“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने अंदर आते हुए टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा

एकांश ने अक्षिता को देखा जो इतने सारे गुलदस्ते देख थोड़ा सप्राइज़ थी

“क्या तुम मेरे टेबल से ये सब साफ कर सकती हो?” एकांश ने अक्षिता से कहा

“शुवर सर” और अक्षिता ने वो सब हटाना शुरू किया

अक्षिता ने सभी गुलदस्तों को केबिन मे एक कोने मे जमा दिया था और काम खत्म करने के बाद उसने देखा तो वो एक छोटी बुके की दुकान जैसा लग रहा था जिसे देख अक्षिता थोड़ा हसी

“व्हाट्स सो फनी?” एकांश ने पूछा जिससे अक्षिता का ध्यान उसपर गया क्युकी गुलदस्ते जमाने के चक्कर मे वो भूल चुकी थी के एकांश भी वही था

“नहीं सर कुछ नहीं वो बस आपका केबिन कीसी बुके शॉप जैसा दिख रहा है न तो” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा जिसपर एकांश कुछ नहीं बोला

“सर मेरे लिए और कोई काम है?” अक्षिता ने पूछा

‘ये आज मुझे विश भी नहीं करेगी? इसे याद भी है?’ एकांश के मन मे खयाल आया

“नहीं जा सकती हो” एकांश ने कहा

“ओके”

अक्षिता वापिस जाने के लिए मुड़ी ही थी के जाते जाते रुकी और वापिस पलटी

“सर”

“हा” एकांश ने उसे देखा

“हैप्पी बर्थडे” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और बगैर एकांश का रीस्पान्स देखे वहा से चली गई

एकांश से कुछ बोलते ही नहीं बना और अक्षिता झट से वहा से निकल गई थी, वो आंखे बंद किए अपनी कुर्सी पर आराम से बैठा और पुरानी यादे उसके दिमाग मे उमड़ने लगी थी वही अक्षिता ने केबिन से बाहर आकार अपनी आँखों ने टपकी उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और अपने काम मे लग गई

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“अक्षु? अक्षु कहा हो यार?”

एकांश के बर्थडे की शाम को अक्षिता ने उसे पार्क मे बुलाया था जहा वो अक्सर मिला करते थे एकांश वहा पहुच चुका था और अक्षिता को ढूंढ रहा था आवाज लगा रहा था लेकिन वो रीस्पान्स नहीं दे रही थी

एकांश जब अक्षिता को ढूंढते हुए इधर उधर घूम रहा था तब उसके पैर से एक बक्सा टकराया उसने जमीन से उस बॉक्स को उठाया और खोल कर देखा तो उसमे एक नोट लिखा हुआ था


You are the best thing that has ever happened to my life.. Thank you for coming into my life and making it meaningful and special – Akshita

वो नोट पढ़ कर एकांश के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और वो उसे ढूंढते हुए आगे बढ़ने लगा तभी उसे एक और बॉक्स मिला जिसमे भी एक नोट था

मेरी जिंदगी मे बस दो ही खास लोग है मेरे मा और पापा, और मैं तुम्हें तीसरा सबसे खास बंदा नहीं मानती, पता है क्यू? क्युकी तुम ही जिंदगी हो मेरी – अक्षिता

एकांश के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान मौजूद थी और आँखों मे हल्का सा पानी थी, वो थोड़ा और आगे बढ़ा और वहा रखा एक और बॉक्स उठाया

मैं पहले भी अपनी जिंदगी मे खुश थी लेकिन तुमने मेरे जीवन मे आकार मुझे जिना सिखाया है

एकांश अब अक्षिता से मिलने के लिए बेसब्र था लेकिन वो उसे वहा कही नहीं दिख रही थी वो थोड़ा और आगे बढ़ा तो एक और बॉक्स मिला जिसमे एक और नोट था

I was alone, you came into my life, we met and my life began…

अब एकांश अक्षिता ने मिलने का इंतजार नहीं कर पा रहा था तभी एक और बॉक्स और एक और नोट

You made me happy, you completed me, you made me feel loved, you taught me to love, all I wanted to say is…

I Love You..!

जानती हु तुम मुझसे मिलने के लिए बेसब्र हो और मैं भी अब और इंतजार नहीं कर सकती और ये अब आखरी बॉक्स है हम बहुत पास है..


एकांश के चेहरे पर एक मुस्कान आ गए थी, आइ लव यू पढ़ने के बाद से उसका दिल जोरों से धडक रहा था वो अक्षिता को देखने थोड़ा और आगे बढ़ा, शाम ढलने लगी थी और अंधेरा होने लगा था तभी उसने एक क्लिक का आवाज सुना और उसके सामने का एक बड़ा सा पेड़ लाइटिंग मे चमकने लगा, वो नजारा इतना शानदार लग रहा था के एकांश की नजरे नहीं हट रही थी, वही उसी पेड़ के पास जब एकांश की नजरे पहुची तो वहा लाल गुलाब के फूलों का बड़ा सा बुके रखा था साथ मे केक और कुछ गिफ्ट भी थे और लाइटस् से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ था और अब एकांश की नजरे बेसब्री से अक्षिता को खोज रही थी

अक्षिता पेड़ के पीछे से निकल कर एकांश के सामने आई हमेशा की तरह खूबसूरत, एकांश को देखते हुए, एकांश दौड़ कर उसके पास पहुचा और उसने उसे गले लगा लिया, अक्षिता भी एकांश की बाहों मे खुश थी

“हैप्पी बर्थडे अंश” अक्षिता ने वैसे ही गले लगे कहा

“थैंक यू” एकांश ने कहा

वो दोनों कुछ पलों तक यू ही एकदूसरे के आलिंगन के बंधे रहे एकदूसरे के प्यार को महोल की शांति हो महसूस करते हुए और जब अलग हुए तो दोनों के चेहरे से स्माइल नहीं हट रही थी

“अंश, मैं जानती हु तुम्हें तुम्हारा बर्थडे ऐसे पार्क मे मनाने की आदत नहीं है लेकिन...” अक्षिता ने नीचे देखते हुए बोलना चाहा लेकिन एकांश ने उसे रोक दिया

“अक्षु, ये मेरा अब तक का बेस्ट बर्थडे है, मैंने कभी ऐसे मेरा जन्मदिन नहीं मनाया लेकिन आइ लव्ड इट, सब कुछ एकदम परफेक्ट” एकांश ने अक्षिता की आँखों मे देखते हुए कहा

जिसके बाद उन्होंने केक काटा और एकदूसरे को खिलाया, दोनों ही तो थे वहा अक्षिता के लाए गिफ्ट्स लेने के बाद एकांश और अक्षिता वहा जमीन पर बैठे थे

“काश ये समा हु ही चलता रहे, ये पल कभी खत्म न हो” एकांश ने रात के आसमान को देखते हुए कहा

“मैं भी चाहती ही ये वक्त यही थम जाए” अक्षिता ने एकांश के कंधे ओर अपना सर टिकाते हुए कहा

अक्षिता ने नजरे उठा कर एकांश को देखा जो उसे उसे ही देख रहा था, दोनों की नजरे आपस मे मिली, एकांश ने अक्षिता के माथे को चूम लिया, फिर आंखे, फिर नाक, फिर गाल और उसके होंठों को देखते हुए रुका, अक्षिता ने भी अपने आंखे बंद कर ली थी और इस मोमेंट का मजा ले रही थी

जब कुछ पलों तक एकांश ने कुछ नहीं किया तब अक्षिता ने अपनी आंखे खोल उसे देखा जो नजरों से ही आगे बढ़ने की इजाजत मन रहा था और अक्षिता ने नजरों से ही आंखे बंद कर उसे पर्मिशन दे दी थी और एकांश ने अपने होंठ उसके होंठों से टीका दिए.. पहले वो धीरे धीरे उसे किस करने लगा और जल्द ही वो एक पैशनिट किस मे बदल गया जिसमे अक्षिता भी उसका बराबर साथ दे रही थी

जब किस टूटा तब दोनों ही शर्म से एकदूसरे से नजरे चुरा रहे थे एकांश ने अक्षिता को वापिस अपनी बाहों मे भर लिया था और वो दोनों काफी समय तक वैसे ही लेटे रहे,

ये उन दोनों का ही पहला किस था और वो भी एक स्पेशल मोमेंट पर हुआ था

“आइ लव यू” एकांश ने अक्षिता के कान मे कहा

“आइ लव यू टू” अक्षिता ने कहा

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एकांश ने झटके के साथ अपनी आंखे खोली और अपनी सीट पर सीधा बैठा, उसे अपने गालों मे कुछ गीला पान महसूस हुआ और जब छुआ तब एहसास हुआ के वो रो रहा था, उसने झटसे अपने आँसू पोंछे, जब भी एकांश उस दिन के बारे मे सोचता था उसकी आंखे भर आती थी

एकांश अपना वो जन्मदिन कभी नहीं भूल सकता था जो उसने अपने प्यार के साथ बिताया था, आज भी उसके लिए उन बातों पर यकीन करना मुश्किल था जो उस दिन अक्षिता ने उससे कही थी, उसने झूठ बोला था धोका दिया था उसे

एकांश ने वापिस अपनी आंखे बंद कर ली थी और यादों के उसी समुंदर मे वापिस खो गया था

वही दूसरी तरफ स्वरा और रोहन ये सोच के परेशान थे के अक्षिता को क्या हुआ है क्युकी वो भी काफी ज्यादा उदास लग रही थी ऐसे जैसे मानो उसके शरीर मे प्राण हि ना हो, उन्होंने उससे बात करने की भी कोशिश की लेकिन अक्षिता बात टाल गई थी

अक्षिता अपने मे ही खोए हुए कैन्टीन की ओर बढ़ रही थी तभी वो कीसी से टकरा गई, उसने देखा तो एक हैन्डसम सा बंदा उससे टकराया था

“सॉरी... वो मैंने देखा नहीं” अक्षिता ने कहा

“इट्स ओके.. आगे से देख के चलिएगा” उस बंदे ने कहा

अक्षिता ने उसकी बात कर हा मे गर्दन घुमा दी लेकिन फिर उसकी नजरे उस बंदे पर ठहरी जो उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था

“इक्स्क्यूज़ मी” इतना बोलते हुए अक्षिता वहा से चली गई और वो उसे जाती हुई देखने लगा

वो बंदा लिफ्ट के पास पहुचा और ऊपर एकांश के केबिन के पास आया और कम इन सुनते ही अंदर घुसा

“एकांश मेरे भाई हैप्पी बर्थडे लौंडे” उस बंदे ने लगभग चिल्लाते हुए कहा

“अमर..” एकांश उस बंदे को यानि अपने दोस्त को देख चौका

“हा मैं :D

“तू यहा क्या कर रहा है?” एकांश ने पूछा और बदले मे अमर अपने दिल पर हाथ रखता हुआ बोला

“आउच! इधर तकलीफ हुई है इधर पता है, एक तो मैं तुझे विश करने यहा आया और तू पुछ रहा है क्यू आया”

“ओये नौटंकी आते ही मत शुरू हो यार”

“आयला इतने बुके, सारे लड़कियों ने भेजे होंगे हैना” अमर ने एकांश को छेड़ते हुए कहा और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और अंदर बुलाने पे अक्षिता अंदर आई

“सर, फाइनैन्शल ऐनलिस्ट ने ये फाइल आपको देने कही है” अक्षिता ने फाइल देते हुए कहा

एकांश ने उससे फाइल ली वही अमर पूरे समय अक्षिता को देख रहा था वही अक्षिता झट से वहा से निकल गई

“उसे घुरना बंद कर” एकांश ने कहा

“घूर नहीं रहा था बस देख रहा था मुझे लगता है मैं जानता हु इसे” अमर ने कहा

“कैसे?”

“पता नहीं यार याद नहीं आ रहा पर कही तो देखा है इसको” अमर ने कहा वही एकांश वापिस अपनी सीट पर बैठ गया था

“इसका नाम क्या है?” अमर ने पूछा

“अक्षिता, अक्षिता पांडे।‘

जिसपर अमर ने गर्दन हिलाई लेकिन तभी उसे कुछ क्लिक हुआ के वो कौन है

“अक्षिता? मतलब ये वो है जिससे तू प्यार करता था और जिसने तुझे धोका दिया?”

जिसपर एकांश ने हा मे गर्दन हिला दी

जिसके बाद दोनों के कुछ देर बाते की और अमर वहा से निकल गया लेकिन उसके दिमाग मे अब भी अक्षिता ही घूम रही थी.....



क्रमश:
तो ये हुई साइड हीरो की एंट्री, जो हीरो हीरोइन के प्यार को वापस से जगाएगा 😌
 

Sweetkaran

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धीरे धीरे दिन बीत रहे थे एकांश और अक्षिता साथ काम कर रहे थे लेकिन फिर भी दोनों के बीच तनाव बना हुआ था, फीलिंगस थी लेकिन कोई उसे बताना नहीं चाहता था, अक्षिता जिन बातों से भाग रही थी वही अब उसके पीछे थी

पिछले कुछ दिनों मे अक्षिता ने एकांश के सॉफ्ट साइड को इक्स्पीरीअन्स किया था, उसे पुराने एकांश की झलक दिख रही थी और यही बात उसे डरा रही थी, एकांश के उसकी केयर करने से वो डर रही थी, इन भावनाओ से वो दूर रहना चाहती थी लेकिन ये हो नहीं पा रहा था

वही ऐसा भी नहीं था के एकांश सब कुछ भुला चुका था, अक्षिता के उसे छोड़ के जाने के गम से आज भी उसे तकलीफ होती थी लेकिन वो उस दिन अक्षिता की तबीयत खराब होने के पीछे खुद को मान रहा था और भले ही एकांश और अक्षिता अपनी भावनाओ से कितना ही भाग ले एकांश कितना ही मना कर ले लेकिन दोनों के दिलों मे आज भी वो प्यार दिल के कीसी कोने मे बरकरार था...

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आज एकांश का जन्मदिन था लेकिन वो इस दिन के लिए जरा भी उत्साहित नहीं था उसके लिए ये रोजमर्रा का दिन था, उसके मा बाप दोस्तों ने उसे विश किया आशीर्वाद दिया और वो अपने ऑफिस आ गया

एकांश अपने केबिन मे पहुचा तो उसका केबिन बुके से ग्रीटिंग से भरा हुआ था उन सब को नजरंदाज करते हुए वो अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गया और बैठे बैठे उसके दिमाग मे एक खयाल आया, क्या उसे उसका जन्मदिन याद होगा? और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ

“कम इन”

“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने अंदर आते हुए टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा

एकांश ने अक्षिता को देखा जो इतने सारे गुलदस्ते देख थोड़ा सप्राइज़ थी

“क्या तुम मेरे टेबल से ये सब साफ कर सकती हो?” एकांश ने अक्षिता से कहा

“शुवर सर” और अक्षिता ने वो सब हटाना शुरू किया

अक्षिता ने सभी गुलदस्तों को केबिन मे एक कोने मे जमा दिया था और काम खत्म करने के बाद उसने देखा तो वो एक छोटी बुके की दुकान जैसा लग रहा था जिसे देख अक्षिता थोड़ा हसी

“व्हाट्स सो फनी?” एकांश ने पूछा जिससे अक्षिता का ध्यान उसपर गया क्युकी गुलदस्ते जमाने के चक्कर मे वो भूल चुकी थी के एकांश भी वही था

“नहीं सर कुछ नहीं वो बस आपका केबिन कीसी बुके शॉप जैसा दिख रहा है न तो” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा जिसपर एकांश कुछ नहीं बोला

“सर मेरे लिए और कोई काम है?” अक्षिता ने पूछा

‘ये आज मुझे विश भी नहीं करेगी? इसे याद भी है?’ एकांश के मन मे खयाल आया

“नहीं जा सकती हो” एकांश ने कहा

“ओके”

अक्षिता वापिस जाने के लिए मुड़ी ही थी के जाते जाते रुकी और वापिस पलटी

“सर”

“हा” एकांश ने उसे देखा

“हैप्पी बर्थडे” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और बगैर एकांश का रीस्पान्स देखे वहा से चली गई

एकांश से कुछ बोलते ही नहीं बना और अक्षिता झट से वहा से निकल गई थी, वो आंखे बंद किए अपनी कुर्सी पर आराम से बैठा और पुरानी यादे उसके दिमाग मे उमड़ने लगी थी वही अक्षिता ने केबिन से बाहर आकार अपनी आँखों ने टपकी उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और अपने काम मे लग गई

--

“अक्षु? अक्षु कहा हो यार?”

एकांश के बर्थडे की शाम को अक्षिता ने उसे पार्क मे बुलाया था जहा वो अक्सर मिला करते थे एकांश वहा पहुच चुका था और अक्षिता को ढूंढ रहा था आवाज लगा रहा था लेकिन वो रीस्पान्स नहीं दे रही थी

एकांश जब अक्षिता को ढूंढते हुए इधर उधर घूम रहा था तब उसके पैर से एक बक्सा टकराया उसने जमीन से उस बॉक्स को उठाया और खोल कर देखा तो उसमे एक नोट लिखा हुआ था


You are the best thing that has ever happened to my life.. Thank you for coming into my life and making it meaningful and special – Akshita

वो नोट पढ़ कर एकांश के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और वो उसे ढूंढते हुए आगे बढ़ने लगा तभी उसे एक और बॉक्स मिला जिसमे भी एक नोट था

मेरी जिंदगी मे बस दो ही खास लोग है मेरे मा और पापा, और मैं तुम्हें तीसरा सबसे खास बंदा नहीं मानती, पता है क्यू? क्युकी तुम ही जिंदगी हो मेरी – अक्षिता

एकांश के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान मौजूद थी और आँखों मे हल्का सा पानी थी, वो थोड़ा और आगे बढ़ा और वहा रखा एक और बॉक्स उठाया

मैं पहले भी अपनी जिंदगी मे खुश थी लेकिन तुमने मेरे जीवन मे आकार मुझे जिना सिखाया है

एकांश अब अक्षिता से मिलने के लिए बेसब्र था लेकिन वो उसे वहा कही नहीं दिख रही थी वो थोड़ा और आगे बढ़ा तो एक और बॉक्स मिला जिसमे एक और नोट था

I was alone, you came into my life, we met and my life began…

अब एकांश अक्षिता ने मिलने का इंतजार नहीं कर पा रहा था तभी एक और बॉक्स और एक और नोट

You made me happy, you completed me, you made me feel loved, you taught me to love, all I wanted to say is…

I Love You..!

जानती हु तुम मुझसे मिलने के लिए बेसब्र हो और मैं भी अब और इंतजार नहीं कर सकती और ये अब आखरी बॉक्स है हम बहुत पास है..


एकांश के चेहरे पर एक मुस्कान आ गए थी, आइ लव यू पढ़ने के बाद से उसका दिल जोरों से धडक रहा था वो अक्षिता को देखने थोड़ा और आगे बढ़ा, शाम ढलने लगी थी और अंधेरा होने लगा था तभी उसने एक क्लिक का आवाज सुना और उसके सामने का एक बड़ा सा पेड़ लाइटिंग मे चमकने लगा, वो नजारा इतना शानदार लग रहा था के एकांश की नजरे नहीं हट रही थी, वही उसी पेड़ के पास जब एकांश की नजरे पहुची तो वहा लाल गुलाब के फूलों का बड़ा सा बुके रखा था साथ मे केक और कुछ गिफ्ट भी थे और लाइटस् से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ था और अब एकांश की नजरे बेसब्री से अक्षिता को खोज रही थी

अक्षिता पेड़ के पीछे से निकल कर एकांश के सामने आई हमेशा की तरह खूबसूरत, एकांश को देखते हुए, एकांश दौड़ कर उसके पास पहुचा और उसने उसे गले लगा लिया, अक्षिता भी एकांश की बाहों मे खुश थी

“हैप्पी बर्थडे अंश” अक्षिता ने वैसे ही गले लगे कहा

“थैंक यू” एकांश ने कहा

वो दोनों कुछ पलों तक यू ही एकदूसरे के आलिंगन के बंधे रहे एकदूसरे के प्यार को महोल की शांति हो महसूस करते हुए और जब अलग हुए तो दोनों के चेहरे से स्माइल नहीं हट रही थी

“अंश, मैं जानती हु तुम्हें तुम्हारा बर्थडे ऐसे पार्क मे मनाने की आदत नहीं है लेकिन...” अक्षिता ने नीचे देखते हुए बोलना चाहा लेकिन एकांश ने उसे रोक दिया

“अक्षु, ये मेरा अब तक का बेस्ट बर्थडे है, मैंने कभी ऐसे मेरा जन्मदिन नहीं मनाया लेकिन आइ लव्ड इट, सब कुछ एकदम परफेक्ट” एकांश ने अक्षिता की आँखों मे देखते हुए कहा

जिसके बाद उन्होंने केक काटा और एकदूसरे को खिलाया, दोनों ही तो थे वहा अक्षिता के लाए गिफ्ट्स लेने के बाद एकांश और अक्षिता वहा जमीन पर बैठे थे

“काश ये समा हु ही चलता रहे, ये पल कभी खत्म न हो” एकांश ने रात के आसमान को देखते हुए कहा

“मैं भी चाहती ही ये वक्त यही थम जाए” अक्षिता ने एकांश के कंधे ओर अपना सर टिकाते हुए कहा

अक्षिता ने नजरे उठा कर एकांश को देखा जो उसे उसे ही देख रहा था, दोनों की नजरे आपस मे मिली, एकांश ने अक्षिता के माथे को चूम लिया, फिर आंखे, फिर नाक, फिर गाल और उसके होंठों को देखते हुए रुका, अक्षिता ने भी अपने आंखे बंद कर ली थी और इस मोमेंट का मजा ले रही थी

जब कुछ पलों तक एकांश ने कुछ नहीं किया तब अक्षिता ने अपनी आंखे खोल उसे देखा जो नजरों से ही आगे बढ़ने की इजाजत मन रहा था और अक्षिता ने नजरों से ही आंखे बंद कर उसे पर्मिशन दे दी थी और एकांश ने अपने होंठ उसके होंठों से टीका दिए.. पहले वो धीरे धीरे उसे किस करने लगा और जल्द ही वो एक पैशनिट किस मे बदल गया जिसमे अक्षिता भी उसका बराबर साथ दे रही थी

जब किस टूटा तब दोनों ही शर्म से एकदूसरे से नजरे चुरा रहे थे एकांश ने अक्षिता को वापिस अपनी बाहों मे भर लिया था और वो दोनों काफी समय तक वैसे ही लेटे रहे,

ये उन दोनों का ही पहला किस था और वो भी एक स्पेशल मोमेंट पर हुआ था

“आइ लव यू” एकांश ने अक्षिता के कान मे कहा

“आइ लव यू टू” अक्षिता ने कहा

--


एकांश ने झटके के साथ अपनी आंखे खोली और अपनी सीट पर सीधा बैठा, उसे अपने गालों मे कुछ गीला पान महसूस हुआ और जब छुआ तब एहसास हुआ के वो रो रहा था, उसने झटसे अपने आँसू पोंछे, जब भी एकांश उस दिन के बारे मे सोचता था उसकी आंखे भर आती थी

एकांश अपना वो जन्मदिन कभी नहीं भूल सकता था जो उसने अपने प्यार के साथ बिताया था, आज भी उसके लिए उन बातों पर यकीन करना मुश्किल था जो उस दिन अक्षिता ने उससे कही थी, उसने झूठ बोला था धोका दिया था उसे

एकांश ने वापिस अपनी आंखे बंद कर ली थी और यादों के उसी समुंदर मे वापिस खो गया था

वही दूसरी तरफ स्वरा और रोहन ये सोच के परेशान थे के अक्षिता को क्या हुआ है क्युकी वो भी काफी ज्यादा उदास लग रही थी ऐसे जैसे मानो उसके शरीर मे प्राण हि ना हो, उन्होंने उससे बात करने की भी कोशिश की लेकिन अक्षिता बात टाल गई थी

अक्षिता अपने मे ही खोए हुए कैन्टीन की ओर बढ़ रही थी तभी वो कीसी से टकरा गई, उसने देखा तो एक हैन्डसम सा बंदा उससे टकराया था

“सॉरी... वो मैंने देखा नहीं” अक्षिता ने कहा

“इट्स ओके.. आगे से देख के चलिएगा” उस बंदे ने कहा

अक्षिता ने उसकी बात कर हा मे गर्दन घुमा दी लेकिन फिर उसकी नजरे उस बंदे पर ठहरी जो उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था

“इक्स्क्यूज़ मी” इतना बोलते हुए अक्षिता वहा से चली गई और वो उसे जाती हुई देखने लगा

वो बंदा लिफ्ट के पास पहुचा और ऊपर एकांश के केबिन के पास आया और कम इन सुनते ही अंदर घुसा

“एकांश मेरे भाई हैप्पी बर्थडे लौंडे” उस बंदे ने लगभग चिल्लाते हुए कहा

“अमर..” एकांश उस बंदे को यानि अपने दोस्त को देख चौका

“हा मैं :D

“तू यहा क्या कर रहा है?” एकांश ने पूछा और बदले मे अमर अपने दिल पर हाथ रखता हुआ बोला

“आउच! इधर तकलीफ हुई है इधर पता है, एक तो मैं तुझे विश करने यहा आया और तू पुछ रहा है क्यू आया”

“ओये नौटंकी आते ही मत शुरू हो यार”

“आयला इतने बुके, सारे लड़कियों ने भेजे होंगे हैना” अमर ने एकांश को छेड़ते हुए कहा और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और अंदर बुलाने पे अक्षिता अंदर आई

“सर, फाइनैन्शल ऐनलिस्ट ने ये फाइल आपको देने कही है” अक्षिता ने फाइल देते हुए कहा

एकांश ने उससे फाइल ली वही अमर पूरे समय अक्षिता को देख रहा था वही अक्षिता झट से वहा से निकल गई

“उसे घुरना बंद कर” एकांश ने कहा

“घूर नहीं रहा था बस देख रहा था मुझे लगता है मैं जानता हु इसे” अमर ने कहा

“कैसे?”

“पता नहीं यार याद नहीं आ रहा पर कही तो देखा है इसको” अमर ने कहा वही एकांश वापिस अपनी सीट पर बैठ गया था

“इसका नाम क्या है?” अमर ने पूछा

“अक्षिता, अक्षिता पांडे।‘

जिसपर अमर ने गर्दन हिलाई लेकिन तभी उसे कुछ क्लिक हुआ के वो कौन है

“अक्षिता? मतलब ये वो है जिससे तू प्यार करता था और जिसने तुझे धोका दिया?”

जिसपर एकांश ने हा मे गर्दन हिला दी

जिसके बाद दोनों के कुछ देर बाते की और अमर वहा से निकल गया लेकिन उसके दिमाग मे अब भी अक्षिता ही घूम रही थी.....



क्रमश:
Awesome fab update bro
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,590
66,800
304
Update 9



धीरे धीरे दिन बीत रहे थे एकांश और अक्षिता साथ काम कर रहे थे लेकिन फिर भी दोनों के बीच तनाव बना हुआ था, फीलिंगस थी लेकिन कोई उसे बताना नहीं चाहता था, अक्षिता जिन बातों से भाग रही थी वही अब उसके पीछे थी

पिछले कुछ दिनों मे अक्षिता ने एकांश के सॉफ्ट साइड को इक्स्पीरीअन्स किया था, उसे पुराने एकांश की झलक दिख रही थी और यही बात उसे डरा रही थी, एकांश के उसकी केयर करने से वो डर रही थी, इन भावनाओ से वो दूर रहना चाहती थी लेकिन ये हो नहीं पा रहा था

वही ऐसा भी नहीं था के एकांश सब कुछ भुला चुका था, अक्षिता के उसे छोड़ के जाने के गम से आज भी उसे तकलीफ होती थी लेकिन वो उस दिन अक्षिता की तबीयत खराब होने के पीछे खुद को मान रहा था और भले ही एकांश और अक्षिता अपनी भावनाओ से कितना ही भाग ले एकांश कितना ही मना कर ले लेकिन दोनों के दिलों मे आज भी वो प्यार दिल के कीसी कोने मे बरकरार था...

--

आज एकांश का जन्मदिन था लेकिन वो इस दिन के लिए जरा भी उत्साहित नहीं था उसके लिए ये रोजमर्रा का दिन था, उसके मा बाप दोस्तों ने उसे विश किया आशीर्वाद दिया और वो अपने ऑफिस आ गया

एकांश अपने केबिन मे पहुचा तो उसका केबिन बुके से ग्रीटिंग से भरा हुआ था उन सब को नजरंदाज करते हुए वो अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गया और बैठे बैठे उसके दिमाग मे एक खयाल आया, क्या उसे उसका जन्मदिन याद होगा? और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ

“कम इन”

“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने अंदर आते हुए टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा

एकांश ने अक्षिता को देखा जो इतने सारे गुलदस्ते देख थोड़ा सप्राइज़ थी

“क्या तुम मेरे टेबल से ये सब साफ कर सकती हो?” एकांश ने अक्षिता से कहा

“शुवर सर” और अक्षिता ने वो सब हटाना शुरू किया

अक्षिता ने सभी गुलदस्तों को केबिन मे एक कोने मे जमा दिया था और काम खत्म करने के बाद उसने देखा तो वो एक छोटी बुके की दुकान जैसा लग रहा था जिसे देख अक्षिता थोड़ा हसी

“व्हाट्स सो फनी?” एकांश ने पूछा जिससे अक्षिता का ध्यान उसपर गया क्युकी गुलदस्ते जमाने के चक्कर मे वो भूल चुकी थी के एकांश भी वही था

“नहीं सर कुछ नहीं वो बस आपका केबिन कीसी बुके शॉप जैसा दिख रहा है न तो” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा जिसपर एकांश कुछ नहीं बोला

“सर मेरे लिए और कोई काम है?” अक्षिता ने पूछा

‘ये आज मुझे विश भी नहीं करेगी? इसे याद भी है?’ एकांश के मन मे खयाल आया

“नहीं जा सकती हो” एकांश ने कहा

“ओके”

अक्षिता वापिस जाने के लिए मुड़ी ही थी के जाते जाते रुकी और वापिस पलटी

“सर”

“हा” एकांश ने उसे देखा

“हैप्पी बर्थडे” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और बगैर एकांश का रीस्पान्स देखे वहा से चली गई

एकांश से कुछ बोलते ही नहीं बना और अक्षिता झट से वहा से निकल गई थी, वो आंखे बंद किए अपनी कुर्सी पर आराम से बैठा और पुरानी यादे उसके दिमाग मे उमड़ने लगी थी वही अक्षिता ने केबिन से बाहर आकार अपनी आँखों ने टपकी उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और अपने काम मे लग गई

--

“अक्षु? अक्षु कहा हो यार?”

एकांश के बर्थडे की शाम को अक्षिता ने उसे पार्क मे बुलाया था जहा वो अक्सर मिला करते थे एकांश वहा पहुच चुका था और अक्षिता को ढूंढ रहा था आवाज लगा रहा था लेकिन वो रीस्पान्स नहीं दे रही थी

एकांश जब अक्षिता को ढूंढते हुए इधर उधर घूम रहा था तब उसके पैर से एक बक्सा टकराया उसने जमीन से उस बॉक्स को उठाया और खोल कर देखा तो उसमे एक नोट लिखा हुआ था


You are the best thing that has ever happened to my life.. Thank you for coming into my life and making it meaningful and special – Akshita

वो नोट पढ़ कर एकांश के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और वो उसे ढूंढते हुए आगे बढ़ने लगा तभी उसे एक और बॉक्स मिला जिसमे भी एक नोट था

मेरी जिंदगी मे बस दो ही खास लोग है मेरे मा और पापा, और मैं तुम्हें तीसरा सबसे खास बंदा नहीं मानती, पता है क्यू? क्युकी तुम ही जिंदगी हो मेरी – अक्षिता

एकांश के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान मौजूद थी और आँखों मे हल्का सा पानी थी, वो थोड़ा और आगे बढ़ा और वहा रखा एक और बॉक्स उठाया

मैं पहले भी अपनी जिंदगी मे खुश थी लेकिन तुमने मेरे जीवन मे आकार मुझे जिना सिखाया है

एकांश अब अक्षिता से मिलने के लिए बेसब्र था लेकिन वो उसे वहा कही नहीं दिख रही थी वो थोड़ा और आगे बढ़ा तो एक और बॉक्स मिला जिसमे एक और नोट था

I was alone, you came into my life, we met and my life began…

अब एकांश अक्षिता ने मिलने का इंतजार नहीं कर पा रहा था तभी एक और बॉक्स और एक और नोट

You made me happy, you completed me, you made me feel loved, you taught me to love, all I wanted to say is…

I Love You..!

जानती हु तुम मुझसे मिलने के लिए बेसब्र हो और मैं भी अब और इंतजार नहीं कर सकती और ये अब आखरी बॉक्स है हम बहुत पास है..


एकांश के चेहरे पर एक मुस्कान आ गए थी, आइ लव यू पढ़ने के बाद से उसका दिल जोरों से धडक रहा था वो अक्षिता को देखने थोड़ा और आगे बढ़ा, शाम ढलने लगी थी और अंधेरा होने लगा था तभी उसने एक क्लिक का आवाज सुना और उसके सामने का एक बड़ा सा पेड़ लाइटिंग मे चमकने लगा, वो नजारा इतना शानदार लग रहा था के एकांश की नजरे नहीं हट रही थी, वही उसी पेड़ के पास जब एकांश की नजरे पहुची तो वहा लाल गुलाब के फूलों का बड़ा सा बुके रखा था साथ मे केक और कुछ गिफ्ट भी थे और लाइटस् से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ था और अब एकांश की नजरे बेसब्री से अक्षिता को खोज रही थी

अक्षिता पेड़ के पीछे से निकल कर एकांश के सामने आई हमेशा की तरह खूबसूरत, एकांश को देखते हुए, एकांश दौड़ कर उसके पास पहुचा और उसने उसे गले लगा लिया, अक्षिता भी एकांश की बाहों मे खुश थी

“हैप्पी बर्थडे अंश” अक्षिता ने वैसे ही गले लगे कहा

“थैंक यू” एकांश ने कहा

वो दोनों कुछ पलों तक यू ही एकदूसरे के आलिंगन के बंधे रहे एकदूसरे के प्यार को महोल की शांति हो महसूस करते हुए और जब अलग हुए तो दोनों के चेहरे से स्माइल नहीं हट रही थी

“अंश, मैं जानती हु तुम्हें तुम्हारा बर्थडे ऐसे पार्क मे मनाने की आदत नहीं है लेकिन...” अक्षिता ने नीचे देखते हुए बोलना चाहा लेकिन एकांश ने उसे रोक दिया

“अक्षु, ये मेरा अब तक का बेस्ट बर्थडे है, मैंने कभी ऐसे मेरा जन्मदिन नहीं मनाया लेकिन आइ लव्ड इट, सब कुछ एकदम परफेक्ट” एकांश ने अक्षिता की आँखों मे देखते हुए कहा

जिसके बाद उन्होंने केक काटा और एकदूसरे को खिलाया, दोनों ही तो थे वहा अक्षिता के लाए गिफ्ट्स लेने के बाद एकांश और अक्षिता वहा जमीन पर बैठे थे

“काश ये समा हु ही चलता रहे, ये पल कभी खत्म न हो” एकांश ने रात के आसमान को देखते हुए कहा

“मैं भी चाहती ही ये वक्त यही थम जाए” अक्षिता ने एकांश के कंधे ओर अपना सर टिकाते हुए कहा

अक्षिता ने नजरे उठा कर एकांश को देखा जो उसे उसे ही देख रहा था, दोनों की नजरे आपस मे मिली, एकांश ने अक्षिता के माथे को चूम लिया, फिर आंखे, फिर नाक, फिर गाल और उसके होंठों को देखते हुए रुका, अक्षिता ने भी अपने आंखे बंद कर ली थी और इस मोमेंट का मजा ले रही थी

जब कुछ पलों तक एकांश ने कुछ नहीं किया तब अक्षिता ने अपनी आंखे खोल उसे देखा जो नजरों से ही आगे बढ़ने की इजाजत मन रहा था और अक्षिता ने नजरों से ही आंखे बंद कर उसे पर्मिशन दे दी थी और एकांश ने अपने होंठ उसके होंठों से टीका दिए.. पहले वो धीरे धीरे उसे किस करने लगा और जल्द ही वो एक पैशनिट किस मे बदल गया जिसमे अक्षिता भी उसका बराबर साथ दे रही थी

जब किस टूटा तब दोनों ही शर्म से एकदूसरे से नजरे चुरा रहे थे एकांश ने अक्षिता को वापिस अपनी बाहों मे भर लिया था और वो दोनों काफी समय तक वैसे ही लेटे रहे,

ये उन दोनों का ही पहला किस था और वो भी एक स्पेशल मोमेंट पर हुआ था

“आइ लव यू” एकांश ने अक्षिता के कान मे कहा

“आइ लव यू टू” अक्षिता ने कहा

--


एकांश ने झटके के साथ अपनी आंखे खोली और अपनी सीट पर सीधा बैठा, उसे अपने गालों मे कुछ गीला पान महसूस हुआ और जब छुआ तब एहसास हुआ के वो रो रहा था, उसने झटसे अपने आँसू पोंछे, जब भी एकांश उस दिन के बारे मे सोचता था उसकी आंखे भर आती थी

एकांश अपना वो जन्मदिन कभी नहीं भूल सकता था जो उसने अपने प्यार के साथ बिताया था, आज भी उसके लिए उन बातों पर यकीन करना मुश्किल था जो उस दिन अक्षिता ने उससे कही थी, उसने झूठ बोला था धोका दिया था उसे

एकांश ने वापिस अपनी आंखे बंद कर ली थी और यादों के उसी समुंदर मे वापिस खो गया था

वही दूसरी तरफ स्वरा और रोहन ये सोच के परेशान थे के अक्षिता को क्या हुआ है क्युकी वो भी काफी ज्यादा उदास लग रही थी ऐसे जैसे मानो उसके शरीर मे प्राण हि ना हो, उन्होंने उससे बात करने की भी कोशिश की लेकिन अक्षिता बात टाल गई थी

अक्षिता अपने मे ही खोए हुए कैन्टीन की ओर बढ़ रही थी तभी वो कीसी से टकरा गई, उसने देखा तो एक हैन्डसम सा बंदा उससे टकराया था

“सॉरी... वो मैंने देखा नहीं” अक्षिता ने कहा

“इट्स ओके.. आगे से देख के चलिएगा” उस बंदे ने कहा

अक्षिता ने उसकी बात कर हा मे गर्दन घुमा दी लेकिन फिर उसकी नजरे उस बंदे पर ठहरी जो उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था

“इक्स्क्यूज़ मी” इतना बोलते हुए अक्षिता वहा से चली गई और वो उसे जाती हुई देखने लगा

वो बंदा लिफ्ट के पास पहुचा और ऊपर एकांश के केबिन के पास आया और कम इन सुनते ही अंदर घुसा

“एकांश मेरे भाई हैप्पी बर्थडे लौंडे” उस बंदे ने लगभग चिल्लाते हुए कहा

“अमर..” एकांश उस बंदे को यानि अपने दोस्त को देख चौका

“हा मैं :D

“तू यहा क्या कर रहा है?” एकांश ने पूछा और बदले मे अमर अपने दिल पर हाथ रखता हुआ बोला

“आउच! इधर तकलीफ हुई है इधर पता है, एक तो मैं तुझे विश करने यहा आया और तू पुछ रहा है क्यू आया”

“ओये नौटंकी आते ही मत शुरू हो यार”

“आयला इतने बुके, सारे लड़कियों ने भेजे होंगे हैना” अमर ने एकांश को छेड़ते हुए कहा और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और अंदर बुलाने पे अक्षिता अंदर आई

“सर, फाइनैन्शल ऐनलिस्ट ने ये फाइल आपको देने कही है” अक्षिता ने फाइल देते हुए कहा

एकांश ने उससे फाइल ली वही अमर पूरे समय अक्षिता को देख रहा था वही अक्षिता झट से वहा से निकल गई

“उसे घुरना बंद कर” एकांश ने कहा

“घूर नहीं रहा था बस देख रहा था मुझे लगता है मैं जानता हु इसे” अमर ने कहा

“कैसे?”

“पता नहीं यार याद नहीं आ रहा पर कही तो देखा है इसको” अमर ने कहा वही एकांश वापिस अपनी सीट पर बैठ गया था

“इसका नाम क्या है?” अमर ने पूछा

“अक्षिता, अक्षिता पांडे।‘

जिसपर अमर ने गर्दन हिलाई लेकिन तभी उसे कुछ क्लिक हुआ के वो कौन है

“अक्षिता? मतलब ये वो है जिससे तू प्यार करता था और जिसने तुझे धोका दिया?”

जिसपर एकांश ने हा मे गर्दन हिला दी

जिसके बाद दोनों के कुछ देर बाते की और अमर वहा से निकल गया लेकिन उसके दिमाग मे अब भी अक्षिता ही घूम रही थी.....



क्रमश:
Awesome update adirshi bhau👌🏻aakhir kya wajah thi?? Jo usne Ekansh ko dhokha diya? Mujhe ab bhi lagta hai ki mamla kuch or hai👍
Ekansh ne to akshita ko toot ke chaha per akshita uze daga de gai, idhar Ekansh ko dost bhi akshita ko dekhte hi pehchaan gaya,
Superb update and mind blowing writing ✍️.
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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Update 9



धीरे धीरे दिन बीत रहे थे एकांश और अक्षिता साथ काम कर रहे थे लेकिन फिर भी दोनों के बीच तनाव बना हुआ था, फीलिंगस थी लेकिन कोई उसे बताना नहीं चाहता था, अक्षिता जिन बातों से भाग रही थी वही अब उसके पीछे थी

पिछले कुछ दिनों मे अक्षिता ने एकांश के सॉफ्ट साइड को इक्स्पीरीअन्स किया था, उसे पुराने एकांश की झलक दिख रही थी और यही बात उसे डरा रही थी, एकांश के उसकी केयर करने से वो डर रही थी, इन भावनाओ से वो दूर रहना चाहती थी लेकिन ये हो नहीं पा रहा था

वही ऐसा भी नहीं था के एकांश सब कुछ भुला चुका था, अक्षिता के उसे छोड़ के जाने के गम से आज भी उसे तकलीफ होती थी लेकिन वो उस दिन अक्षिता की तबीयत खराब होने के पीछे खुद को मान रहा था और भले ही एकांश और अक्षिता अपनी भावनाओ से कितना ही भाग ले एकांश कितना ही मना कर ले लेकिन दोनों के दिलों मे आज भी वो प्यार दिल के कीसी कोने मे बरकरार था...

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आज एकांश का जन्मदिन था लेकिन वो इस दिन के लिए जरा भी उत्साहित नहीं था उसके लिए ये रोजमर्रा का दिन था, उसके मा बाप दोस्तों ने उसे विश किया आशीर्वाद दिया और वो अपने ऑफिस आ गया

एकांश अपने केबिन मे पहुचा तो उसका केबिन बुके से ग्रीटिंग से भरा हुआ था उन सब को नजरंदाज करते हुए वो अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गया और बैठे बैठे उसके दिमाग मे एक खयाल आया, क्या उसे उसका जन्मदिन याद होगा? और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ

“कम इन”

“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने अंदर आते हुए टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा

एकांश ने अक्षिता को देखा जो इतने सारे गुलदस्ते देख थोड़ा सप्राइज़ थी

“क्या तुम मेरे टेबल से ये सब साफ कर सकती हो?” एकांश ने अक्षिता से कहा

“शुवर सर” और अक्षिता ने वो सब हटाना शुरू किया

अक्षिता ने सभी गुलदस्तों को केबिन मे एक कोने मे जमा दिया था और काम खत्म करने के बाद उसने देखा तो वो एक छोटी बुके की दुकान जैसा लग रहा था जिसे देख अक्षिता थोड़ा हसी

“व्हाट्स सो फनी?” एकांश ने पूछा जिससे अक्षिता का ध्यान उसपर गया क्युकी गुलदस्ते जमाने के चक्कर मे वो भूल चुकी थी के एकांश भी वही था

“नहीं सर कुछ नहीं वो बस आपका केबिन कीसी बुके शॉप जैसा दिख रहा है न तो” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा जिसपर एकांश कुछ नहीं बोला

“सर मेरे लिए और कोई काम है?” अक्षिता ने पूछा

‘ये आज मुझे विश भी नहीं करेगी? इसे याद भी है?’ एकांश के मन मे खयाल आया

“नहीं जा सकती हो” एकांश ने कहा

“ओके”

अक्षिता वापिस जाने के लिए मुड़ी ही थी के जाते जाते रुकी और वापिस पलटी

“सर”

“हा” एकांश ने उसे देखा

“हैप्पी बर्थडे” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और बगैर एकांश का रीस्पान्स देखे वहा से चली गई

एकांश से कुछ बोलते ही नहीं बना और अक्षिता झट से वहा से निकल गई थी, वो आंखे बंद किए अपनी कुर्सी पर आराम से बैठा और पुरानी यादे उसके दिमाग मे उमड़ने लगी थी वही अक्षिता ने केबिन से बाहर आकार अपनी आँखों ने टपकी उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और अपने काम मे लग गई

--

“अक्षु? अक्षु कहा हो यार?”

एकांश के बर्थडे की शाम को अक्षिता ने उसे पार्क मे बुलाया था जहा वो अक्सर मिला करते थे एकांश वहा पहुच चुका था और अक्षिता को ढूंढ रहा था आवाज लगा रहा था लेकिन वो रीस्पान्स नहीं दे रही थी

एकांश जब अक्षिता को ढूंढते हुए इधर उधर घूम रहा था तब उसके पैर से एक बक्सा टकराया उसने जमीन से उस बॉक्स को उठाया और खोल कर देखा तो उसमे एक नोट लिखा हुआ था


You are the best thing that has ever happened to my life.. Thank you for coming into my life and making it meaningful and special – Akshita

वो नोट पढ़ कर एकांश के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और वो उसे ढूंढते हुए आगे बढ़ने लगा तभी उसे एक और बॉक्स मिला जिसमे भी एक नोट था

मेरी जिंदगी मे बस दो ही खास लोग है मेरे मा और पापा, और मैं तुम्हें तीसरा सबसे खास बंदा नहीं मानती, पता है क्यू? क्युकी तुम ही जिंदगी हो मेरी – अक्षिता

एकांश के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान मौजूद थी और आँखों मे हल्का सा पानी थी, वो थोड़ा और आगे बढ़ा और वहा रखा एक और बॉक्स उठाया

मैं पहले भी अपनी जिंदगी मे खुश थी लेकिन तुमने मेरे जीवन मे आकार मुझे जिना सिखाया है

एकांश अब अक्षिता से मिलने के लिए बेसब्र था लेकिन वो उसे वहा कही नहीं दिख रही थी वो थोड़ा और आगे बढ़ा तो एक और बॉक्स मिला जिसमे एक और नोट था

I was alone, you came into my life, we met and my life began…

अब एकांश अक्षिता ने मिलने का इंतजार नहीं कर पा रहा था तभी एक और बॉक्स और एक और नोट

You made me happy, you completed me, you made me feel loved, you taught me to love, all I wanted to say is…

I Love You..!

जानती हु तुम मुझसे मिलने के लिए बेसब्र हो और मैं भी अब और इंतजार नहीं कर सकती और ये अब आखरी बॉक्स है हम बहुत पास है..


एकांश के चेहरे पर एक मुस्कान आ गए थी, आइ लव यू पढ़ने के बाद से उसका दिल जोरों से धडक रहा था वो अक्षिता को देखने थोड़ा और आगे बढ़ा, शाम ढलने लगी थी और अंधेरा होने लगा था तभी उसने एक क्लिक का आवाज सुना और उसके सामने का एक बड़ा सा पेड़ लाइटिंग मे चमकने लगा, वो नजारा इतना शानदार लग रहा था के एकांश की नजरे नहीं हट रही थी, वही उसी पेड़ के पास जब एकांश की नजरे पहुची तो वहा लाल गुलाब के फूलों का बड़ा सा बुके रखा था साथ मे केक और कुछ गिफ्ट भी थे और लाइटस् से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ था और अब एकांश की नजरे बेसब्री से अक्षिता को खोज रही थी

अक्षिता पेड़ के पीछे से निकल कर एकांश के सामने आई हमेशा की तरह खूबसूरत, एकांश को देखते हुए, एकांश दौड़ कर उसके पास पहुचा और उसने उसे गले लगा लिया, अक्षिता भी एकांश की बाहों मे खुश थी

“हैप्पी बर्थडे अंश” अक्षिता ने वैसे ही गले लगे कहा

“थैंक यू” एकांश ने कहा

वो दोनों कुछ पलों तक यू ही एकदूसरे के आलिंगन के बंधे रहे एकदूसरे के प्यार को महोल की शांति हो महसूस करते हुए और जब अलग हुए तो दोनों के चेहरे से स्माइल नहीं हट रही थी

“अंश, मैं जानती हु तुम्हें तुम्हारा बर्थडे ऐसे पार्क मे मनाने की आदत नहीं है लेकिन...” अक्षिता ने नीचे देखते हुए बोलना चाहा लेकिन एकांश ने उसे रोक दिया

“अक्षु, ये मेरा अब तक का बेस्ट बर्थडे है, मैंने कभी ऐसे मेरा जन्मदिन नहीं मनाया लेकिन आइ लव्ड इट, सब कुछ एकदम परफेक्ट” एकांश ने अक्षिता की आँखों मे देखते हुए कहा

जिसके बाद उन्होंने केक काटा और एकदूसरे को खिलाया, दोनों ही तो थे वहा अक्षिता के लाए गिफ्ट्स लेने के बाद एकांश और अक्षिता वहा जमीन पर बैठे थे

“काश ये समा हु ही चलता रहे, ये पल कभी खत्म न हो” एकांश ने रात के आसमान को देखते हुए कहा

“मैं भी चाहती ही ये वक्त यही थम जाए” अक्षिता ने एकांश के कंधे ओर अपना सर टिकाते हुए कहा

अक्षिता ने नजरे उठा कर एकांश को देखा जो उसे उसे ही देख रहा था, दोनों की नजरे आपस मे मिली, एकांश ने अक्षिता के माथे को चूम लिया, फिर आंखे, फिर नाक, फिर गाल और उसके होंठों को देखते हुए रुका, अक्षिता ने भी अपने आंखे बंद कर ली थी और इस मोमेंट का मजा ले रही थी

जब कुछ पलों तक एकांश ने कुछ नहीं किया तब अक्षिता ने अपनी आंखे खोल उसे देखा जो नजरों से ही आगे बढ़ने की इजाजत मन रहा था और अक्षिता ने नजरों से ही आंखे बंद कर उसे पर्मिशन दे दी थी और एकांश ने अपने होंठ उसके होंठों से टीका दिए.. पहले वो धीरे धीरे उसे किस करने लगा और जल्द ही वो एक पैशनिट किस मे बदल गया जिसमे अक्षिता भी उसका बराबर साथ दे रही थी

जब किस टूटा तब दोनों ही शर्म से एकदूसरे से नजरे चुरा रहे थे एकांश ने अक्षिता को वापिस अपनी बाहों मे भर लिया था और वो दोनों काफी समय तक वैसे ही लेटे रहे,

ये उन दोनों का ही पहला किस था और वो भी एक स्पेशल मोमेंट पर हुआ था

“आइ लव यू” एकांश ने अक्षिता के कान मे कहा

“आइ लव यू टू” अक्षिता ने कहा

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एकांश ने झटके के साथ अपनी आंखे खोली और अपनी सीट पर सीधा बैठा, उसे अपने गालों मे कुछ गीला पान महसूस हुआ और जब छुआ तब एहसास हुआ के वो रो रहा था, उसने झटसे अपने आँसू पोंछे, जब भी एकांश उस दिन के बारे मे सोचता था उसकी आंखे भर आती थी

एकांश अपना वो जन्मदिन कभी नहीं भूल सकता था जो उसने अपने प्यार के साथ बिताया था, आज भी उसके लिए उन बातों पर यकीन करना मुश्किल था जो उस दिन अक्षिता ने उससे कही थी, उसने झूठ बोला था धोका दिया था उसे

एकांश ने वापिस अपनी आंखे बंद कर ली थी और यादों के उसी समुंदर मे वापिस खो गया था

वही दूसरी तरफ स्वरा और रोहन ये सोच के परेशान थे के अक्षिता को क्या हुआ है क्युकी वो भी काफी ज्यादा उदास लग रही थी ऐसे जैसे मानो उसके शरीर मे प्राण हि ना हो, उन्होंने उससे बात करने की भी कोशिश की लेकिन अक्षिता बात टाल गई थी

अक्षिता अपने मे ही खोए हुए कैन्टीन की ओर बढ़ रही थी तभी वो कीसी से टकरा गई, उसने देखा तो एक हैन्डसम सा बंदा उससे टकराया था

“सॉरी... वो मैंने देखा नहीं” अक्षिता ने कहा

“इट्स ओके.. आगे से देख के चलिएगा” उस बंदे ने कहा

अक्षिता ने उसकी बात कर हा मे गर्दन घुमा दी लेकिन फिर उसकी नजरे उस बंदे पर ठहरी जो उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था

“इक्स्क्यूज़ मी” इतना बोलते हुए अक्षिता वहा से चली गई और वो उसे जाती हुई देखने लगा

वो बंदा लिफ्ट के पास पहुचा और ऊपर एकांश के केबिन के पास आया और कम इन सुनते ही अंदर घुसा

“एकांश मेरे भाई हैप्पी बर्थडे लौंडे” उस बंदे ने लगभग चिल्लाते हुए कहा

“अमर..” एकांश उस बंदे को यानि अपने दोस्त को देख चौका

“हा मैं :D

“तू यहा क्या कर रहा है?” एकांश ने पूछा और बदले मे अमर अपने दिल पर हाथ रखता हुआ बोला

“आउच! इधर तकलीफ हुई है इधर पता है, एक तो मैं तुझे विश करने यहा आया और तू पुछ रहा है क्यू आया”

“ओये नौटंकी आते ही मत शुरू हो यार”

“आयला इतने बुके, सारे लड़कियों ने भेजे होंगे हैना” अमर ने एकांश को छेड़ते हुए कहा और तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और अंदर बुलाने पे अक्षिता अंदर आई

“सर, फाइनैन्शल ऐनलिस्ट ने ये फाइल आपको देने कही है” अक्षिता ने फाइल देते हुए कहा

एकांश ने उससे फाइल ली वही अमर पूरे समय अक्षिता को देख रहा था वही अक्षिता झट से वहा से निकल गई

“उसे घुरना बंद कर” एकांश ने कहा

“घूर नहीं रहा था बस देख रहा था मुझे लगता है मैं जानता हु इसे” अमर ने कहा

“कैसे?”

“पता नहीं यार याद नहीं आ रहा पर कही तो देखा है इसको” अमर ने कहा वही एकांश वापिस अपनी सीट पर बैठ गया था

“इसका नाम क्या है?” अमर ने पूछा

“अक्षिता, अक्षिता पांडे।‘

जिसपर अमर ने गर्दन हिलाई लेकिन तभी उसे कुछ क्लिक हुआ के वो कौन है

“अक्षिता? मतलब ये वो है जिससे तू प्यार करता था और जिसने तुझे धोका दिया?”

जिसपर एकांश ने हा मे गर्दन हिला दी

जिसके बाद दोनों के कुछ देर बाते की और अमर वहा से निकल गया लेकिन उसके दिमाग मे अब भी अक्षिता ही घूम रही थी.....



क्रमश:
Aa gaya apki khani ka main part 🤭🤭...hmm aa raha h thoda thoda samjh...chaliye dekhte h aage kya kya hota h besabri se intazaar rahaga agle update ka
 
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