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Romance Ek Duje ke Vaaste..

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Adirshi

Royal कारभार 👑
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Update 16



अगले दिन अक्षिता का ऑफिस जाने का बिल्कुल मन नहीं था वो ये सोच रही थी के आज क्या देखने मिलेगा, एकांश का कल उसके प्रति बदला हुआ बर्ताव उसे डरा रहा था और वो ये सोचने मे लगी हुई थी के एकांश को अचानक क्या हो गया है, वो अचानक उससे अच्छे से बात करने लग गया था ऊपर से उसे देख स्माइल भी कर रहा था और अब अक्षिता को अचानक आए इस बदलाव का रीज़न समझ नहीं आ रहा था

कल ऑफिस से आने के बाद भी अक्षिता खुद से ही खफा थी, उसे एकांश को चोटिल देख इम्पल्सिव नहीं होना चाहिए था लेकिन वो एकांश को दर्द मे भी नहीं देख सकती थी और एकांश के हाथ से बहता खून देख वो पैनिक हो गई थी और कब रोने लगी उसे भी पता नहीं चला

इन्ही सब खयालों मे अक्षिता रात भर ठीक तरह से सो नहीं पाई थी वही वो इतना तो समझ चुकी थी के एकांश के इस बदले हुए बर्ताव के पीछे हो न हो अमर का हाथ जरूर है

खैर अक्षिता ऑफिस पहुच चुकी थी और अपने दिमाग मे चल रहे इन सब खयालों को बाजू करके उसने बस अपने काम पे फोकस करने का फैसला किया था

जैसे ही वो अपने ऑफिस फ्लोर पर पहुची तो आज वहा का महोल थोड़ा अलग था, अक्षिता के ऑफिस का फ्लोर एकदम शांत था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था और लगभग लोगों के चेहरे पर कन्फ़्युशन और शॉक के भाव थे

अक्षिता अपने डेस्क पर पहुची, अब क्या हुआ है इसनी शांति क्यू है के जानने की उसे भी उत्सुकता थी, उसने रोहन और स्वरा को देखा जिनके चेहरे भी बाकियों जैसे ही कन्फ्यूज़ थे

“गाइज क्या हुआ है?” अक्षिता ने पूछा

उनलगो के अक्षिता को देखा

“तुझे यकीन नहीं होगा अभी क्या हुआ है” रोहन ने कहा

“क्या हो गया?”

“एकांश रघुवंशी मुसकुराते हुए ऑफिस मे घुसे, और स्माइल के साथ हम सभी को ग्रीट किया, आज पहली बार बॉस को ऐसे मूड मे देखा है सबने तो बस थोड़े कन्फ्यूज़ है वरना तो वो बंदा बस काम की ही बात करता है बाकी तो कीसी से बोलते भी नहीं सुना उसे और आज वो बंद उछलते हुए चल रहा था जैसे कीसी बच्चे को मनचाही चीज मिल गई हो अब ये थोड़ा शॉकिंग तो है ना“ स्वरा ने पूरा सीन अक्षिता को बताया जिसे सुन के अक्षिता भी थोड़ा हैरान तो हुई

“तुम्हें बॉस को देखना चाहिए था अक्षु, ऐसा लग रहा था ये कोई अलग ही बंदा है” रोहन ने कहा

‘इसको अचानक हो क्या गया है?’

अक्षिता ने मन ही मन सोचा खैर एकांश मे आया हुआ ये बदलाव तो वो कल से देख रही थी इसीलिए उसने ज्यादा नहीं सोचा, उसने घड़ी को देखा तो वो 10 मिनट लेट थी, उसने कैन्टीन मे जाकर झट से एकांश की कॉफी ली और उसके केबिन की ओर चल पड़ी और वहा पहुच कर दरवाजा खटखटाया

“कम इन” अंदर से एकांश ने आराम से कहा और अक्षिता अंदर गई

“सर, आपकी कॉफी, सॉरी सर वो थोड़ा लेट हो गया” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए एकांश को देख कहा

“नो प्रॉब्लेम, मिस पांडे” एकांश ने अक्षिता को स्माइल देते हुए कहा

“आपको हुआ क्या.....” अक्षिता कुछ बोलने ही वाली थी के उसने अपने आप को रोक लिया और वो एकांश को शॉक होकर देख रही थी और चुप हो गई ये देख एकांश बोला

“क्या हुआ कुछ कह रही थी?” एकांश ने कन्फ्यूज़ बनते हुए कहा

अक्षिता एकांश को देखते हुए अपनी जगह जम गई थी, उसने देखा के एकांश ने उसके फेवरेट कलर की शर्ट पहनी हुई थी और उसमे भी वो शर्ट जो उसने ही उसे गिफ्ट करी थी, और अक्षिता को वो शर्ट अच्छे से याद थी क्युकी काफी यूनीक डिजाइन की शर्ट थी जिसे ढूँढने मे भी उसका काफी वक्त गया था

और इस बात मे कोई दोराय नहीं थी के एकांश पर वो शर्ट काफी जच रही थी उसपे जो उसने ब्लैज़र पहना था वो भी परफेक्टली मैच कर रहा था और एकांश पर से उसकी नजर नहीं हट रही थी

अक्षिता के दिल की धड़कने बढ़ रही थी उसने एक लंबी सास ली और अपनी बढ़ती हुई धड़कनों को काबू किया वही एकांश बस अक्षिता के चेहरे पर आते अलग अलग ईमोशनस् को समझने की कोशिश कर रहा था

“आप ठीक है मिस पांडे?” एकांश ने पूछा, वो समझ गया था के अक्षिता उस शर्ट को पहचान चुकी थी

“हम्म...” अक्षिता ने कहा, वो अब और वहा नहीं रुकना चाहती थी उसे वहा सास लेना भी मुश्किल लग रहा था पुरानी यादे वापिस से उसके दिमाग मे जमने लगी थी और उन्ही यादों के चलते उसकी आंखे भर आ रही थी, उसने कस के अपनी आंखे बस की अपना गला साफ किया और आंखे खोल एकांश को देखा

“सर, अगले एक घंटे मे आपकी एक मीटिंग है मुझे वप ऑर्गनाइज़ करनी है प्लीज इक्स्क्यूज़ मी” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई

अक्षिता वहा से निकल कर सीधा वाशरूम मे गई और दरवाजा बंद कर उससे टिक कर अपनी आंखे बंद कर ली

‘क्यू एकांश ये सब क्यू कर रहे हो?’

‘चाहता क्या है ये, इसे ये सब करके क्या मिल जाएगा?’

‘इसने वो शर्ट क्यू पहनी है जो मैंने इसे गिफ्ट की थी?’

‘इसे तो मुझसे नफरत करनी चाहिए’

‘या ये यह सब इसलिए कर रहा है ताकि मुझे तकलीफ पहुचा सके’

‘एकांश तुम मेरे लिए सिचूऐशन और मुश्किल बना रहे हो’


यही सब सोचते हुए अक्षिता की आँखों से आँसू की बंद गिरी, उसने अपने आप को ठीक किया मुह पर पानी मारा और अपने आप को काम के लिए रेडी किया

--

“हा बोल इतना अर्जन्ट क्यू बुलाया” अमर एकांश के सामने वाली खुरची पर बैठता हुआ बोला

“कुछ नहीं हुआ” एकांश ने कहा

“क्या!”

“हा, तू ही बोला था न वो शर्ट पहनने जो उसने गिफ्ट की थी और फिर बोला था के वो कुछ रीऐक्ट करेगी”

“हा तो”

“तो उसने कुछ रीऐक्ट नहीं किया, उसने बस मुझे देखा फिर शर्ट को देखा फिर मुझे मेरी मीटिंग के बारे मे बताया और चली गई” एकांश ने कहा

“ओह”

“ओह, बस यही बोलेगा तू इसपर” एकांश को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था

“तो और क्या बोलू, मुझे लगा ये काम करेगा, देख फीलिंग तो है बस डबल शुवर होना है और भाई वो फीलिंगस् छिपाने मे बहुत माहिर है”

“तो अब क्या करना है?’

“डोन्ट वरी एक और प्लान है अपने पे फिर सब एकदम क्लियर हो जाएगा” अमर ने कहा

“अब बोल बचन कम दे और करना क्या है वो बता” एकांश ने कहा

“देख तूने कहा था के तूने उसे एक लॉकेट गिफ्ट किया था बराबर, और वो लॉकेट उसे काफी पसंद है मतलब उसके दिल के एकदम करीब है और वो उसे यही भी जाए कुछ भी हो अपने से अलग नहीं करती बराबर, तो अब हमे यही देखना है के वो लॉकेट अब भी उसके गले मे है या नहीं, अगर लॉकेट रहा तो समझ लियो के उसने धोका नहीं दिया था दिलवाया गया था, तो अब तू उसे पहले फोन करके यह बुला” अमर ने कहा

“और फिर?”

“फिर मैं उसके रास्ते मे टांग डाल के उसे गिराने की कोशिश करूंगा”

“और मैं तेरा मुह तोड़ दूंगा”

“अबे यार तू आराम से बात तो सुन पहले, और कोई रास्ता नहीं है” अमर ने कहा

“लेकिन उसको ऐसे गिरने नहीं दे सकता”

“तो तेरे पास कोई और आइडीया है?”

“कुछ दूसरा सोचने ले भाई”

“टाइम नहीं है और डायरेक्ट जाकर लॉकेट के बारे मे पुछ नहीं सकते तो बस यही एक ऑप्शन है” अमर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा

“ठीक है लेकिन संभाल कर”

“हा हा वो देखेंगे अब सुन, वो आएगी, मैं टांग अड़ा कर उसे गिराऊँगा वो वो नीचे की ओर झुकेगी तो तू उतने मे देख लियो के उसके गले मे लॉकेट है या नहीं, और वैसे भी तू भी यही है तू उसे गिरने थोड़ी देगा” आइडीया काफी ज्यादा क्रिन्ज था लेकिन एकांश ने हामी भर दी

“ओके”

“बस इतना ध्यान मे रखियों के उसके लॉकेट को छिपाने के पहले टु देख ले के उसके वो पहना है” अमर ने कहा

“और अगर तेरा ये प्लान उलट फिर गया तब?’

“तो वापिस सैम प्रोसेस रीपीट”

“नहीं, इंसान है वो खिलौना नहीं है चूतिये ऊपर से वो लड़की है उसे हम ऐसे हर्ट नहीं कर सकते बेटर ये प्लान एक बारी मे ही काम करे”

“ठीक है भाई, उसे हर्ट नहीं होगा इसका ध्यान रखेंगे अब बुलाया उसको”

“ओके”

--

अक्षिता आज के मीटिंग की रिपोर्ट बना रही थी के तभी एकांश ने उसे कॉल करके कुछ फाइलस् लाने कहा और उसने भी ऑर्डर फॉलो करते हुए फाइलस् उठाई और एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई, कम इन का आवाज सुनते ही वो केबिन मे आई तो वहा उसके स्वागत के लिए अमर अपनी बत्तीसी दिखते खड़ा था वही एकांश थोड़ा नर्वस था,

अमर वो वहा देखते ही अक्षिता ये तो समझ गई थी के दाल मे कुछ तो काल है और अब आगे क्या होगा ये वो सोचने लगी

अक्षिता उन लोगों की ओर बढ़ी, अमर एक एक नजर एकांश को देखा और अब अक्षिता अमर को पास करने की वाली थी के अमर ने उसके रास्ते मे अपनी एक टांग आगे बढ़ा दी

लेकिन अक्षिता जिसे क्या हो रहा है इसका कुछ आइडीया नहीं था वो अमर ने पैर कर पैर देकर आगे बढ़ गई और अक्षिता की पैरों की हील से अमर के ही पैर मे दर्द उठ गया

अक्षिता की हील पैर मे घुसते ही अमर के मुह से एक हल्की चीख निकली

“क्या हुआ?” अक्षिता ने अमर की चीख सुन उसके पास जाते हुए पूछा

“तुमने तुम्हारी हील मेरे पैर मे घुसेड़ दी ये हुआ” अमर ने दर्द मे बिलबिलाते हुए कहा

“तो तुम ऐसे पैर निकाल कर क्यू बैठे थे?”

“ऐसे ही मेरी मर्जी” अमर ने कहा

“सॉरी” अक्षिता ने कहा, वो बहस के बिल्कुल मूड मे नहीं थी उसने एकांश को देखा जो अमर को ही घूर रहा था

“सर ये फाइलस् जो आपने मँगवाई थी” और उसने वो फाइलस् एकांश को पकड़ा दी

“थैंक यू” एकांश ने फाइलस् लेते हुए कहा

अक्षिता ने भी हा मे गर्दन हिलाई और जाने के लिए मुड़ी ही थी के नीचे फ्लोर पर गिरे कुछ कागजों पर से उसका पैर फिसला और वो गिरने की वाली थी के एकांश ने उसे कमर से पकड़ कर गिरने से बचा लिय, अब सीन कुछ ऐसा था के एकांश ने एक हाथ मे फाइलस् पकड़ी थी वही उसका दूसरा हाथ अक्षिता की कमर कर था और अक्षिता झुकी हुई थी उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे वही दूसरी तरफ अमर अपने पैर को सहलाते हुए नीचे की ओर झुका हुआ था, जैसे ही एकांश ने अक्षिता को गिरने से बचाया वैसे ही अमर से अक्षिता के बाली के बीच से उसकी गर्दन पर लटक रही चैन और उसमे लगे लॉकेट को देखा

और ये सब बस कुछ ही पलों मे हुआ, अक्षिता ने अपने आप को संभाला सही से खड़े होकर अपने बाल सही करके एकांश को थैंक यू कह कर जल्दी से वहा से निकल गई और उसके जाते ही एकांश ने अमर को देखा जो नीचे की ओर देख रहा था

“अमर” एकांश ने आराम से अमर को पुकारा

अमर ने एकांश को देखा, उसके चेहरे के इक्स्प्रेशन देख के एकांश थोड़ा डर रहा था, अमर ने एकांश को देखा और डिसअपॉइन्ट्मन्ट मे अपना सर हिलाने लगा

क्रमश:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अमर ने एकांश को देखा, उसके चेहरे के इक्स्प्रेशन देख के एकांश थोड़ा डर रहा था, अमर ने एकांश को देखा और डिसअपॉइन्ट्मन्ट मे अपना सर हिलाने लगा
लड़का खेल रियो है 😌
 

Shetan

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Update 15



“मैंने उसे 1.5 साल पहले एक मॉल के बाहर कीसी से बात करते देखा था, इन्फैक्ट वो बात करते हुए रो रही थी” अमर ने कहा और एकांश को देखा

“कौन था वो?” एकांश ने पूछा और अब जो अमर बताने वाला था उसे सुन शायद एकांश को एक काफी बड़ा झटका मिलने वाला था

“तुम्हारी मा.....”

“तू समझ रहा है ना तू क्या बोल रहा है तो?” एकांश को अमर की बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था जो स्वाभाविक भी था, अक्षिता के उससे दूर जाने के पीछे उसकी मा होगी ये उसने सोचा भी नहीं था

“मैं जानता हु यकीन करना मुश्किल है लेकिन मैं बहुत सोच के बोल रहा हु एकांश, करीब डेढ़ साल पहले की बात है मैं सिटी मॉल जा रहा था तब मैंने वहा आंटी को देखा था जो शायद कीसी को ढूंढ रही थी, आंटी को वहा देख मैंने गाड़ी पार्क की और उनके पास जाने लगा लेकिन तब तक मैंने देखा के वहा एक लड़की भी आ गई थी जिसे लेकर आंटी थोड़ा साइड मे एक कॉर्नर मे चली गई, वो लड़की उनसे बात कर रही थी और बात करते करते वो लड़की रोने लगी थी और फिर उसने आंटी से कुछ कहा और वहा से चली गई,” अमर ने एकांश को पूरी बात बताई और ये सब सुन के एकांश के चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था, अमर ने आगे बोलना शुरू किया

“एकांश सुन, मैं बस वो बता रहा हु जो मैंने उस दिन देखा था और पूरा सच क्या है मुझे भी नहीं पता, बात कुछ और भी जो सकती है और यही जानने के लिए मैं अक्षिता का पीछा कर रहा था, सिम्पल लड़की है यार और उसके मा बाप भी ऐसे नहीं है के वो उसे कीसी बात के लिए रोकते हो, उसे शायद पता चल गया था के मैं उसका पीछा कर रहा हु इसीलिए सतर्क हो गई वो, वो बाते छिपाने मे माहिर है भाई इसीलिए असल सच पता ही नहीं चल पाया” अमर ने एकांश के कंधे पे हाथ रखते हुए कहा

“क्या अक्षिता का मुझे धोका देने के पीछे मा का हाथ हो सकता है?” एकांश ने अमर से पूछा और पूछते हुए उसकी आवाज कांप रही थी

“शायद, या शायद नहीं भी लेकिन अब यही तो हमे पता लगाना है” अमर ने कहा

“पता क्या लगाना है मैं अभी सीधा जाकर मॉम से इस बारे मे बात करता हु” एकांश ने अपनी जगह से उठते हुए कहा

“नहीं!! फिलहाल तो ऐसा बिल्कुल नहीं करना है, अगर इस सब मे उनकी कोई गलती नहीं हुई तो उन्हे हर्ट होगा और अगर उनकी गलती रही तो वो शायद इस बात से अभी अग्री ही नहीं करेंगी” अमर ने एकांश को रोका

“तो अब क्या करे तू ही बता?” एकांश ने चिल्ला के पूछा

“देखा आंटी से पुछ के भी तुझे पूरा सच पता चलेगा इसकी कोई गारेंटि नहीं है, हम तो ये भी नहीं जानते के हमारे अनुमान कितने सही है और इतने गलत है और इस सब की वजह से कीसी अपने को हर्ट हो खास कर आंटी को तो ये बिल्कुल सही नहीं होगा” अमर ने अपनी बात आराम से कही

“हम्म, पहले अक्षिता के बारे अपने मे जो अपने अनुमान है उनको देखते है सही है या गलत, कल रात के बाद मैं इतना तो शुवर हु के कनेक्शन तो अब भी है” एकांश ने शांत होते हुए कहा, वो वापिस अपनी जगह पर बैठ गया था

"करेक्ट, और कुछ तो बड़ा रीजन है जो हमको पता लगाना है" अमर ने कहा

"हम्म, लेकिन कैसे पता करेंगे?"

"पहले तो ये देखते है उसके मन में तेरे लिए फीलिंग्स है या नही इस और से कन्फर्म होना सही रहेगा"

"और ये कैसे करेंगे?"

"अबे तू ढक्कन है क्या, इतनी बड़ी कंपनी संभालता है और इतनी समझ नही है, तूने प्यार किया है उससे भाई, तुझे तो अच्छे से पता होना चाहिए उसके बारे में उसके नेचर के बारे में कौनसी बात उसे सबसे ज्यादा एफेक्ट करती है इस बारे में"

"हा हा पता है"

"पता है तो बता फिर"

"अक्षिता न सिंपल लड़की है, वो बस दिखने मे सरल है लेकिन है काफी चुलबुली, छोटी छोटी बातों मे खुश हो जाती है और छोटी छोटी बातों मे नाराज भी, हम जब रीलेशनशीप मे थे तब उसका पोस्ट ग्रैजवैशन चल रहा था फिर भी हम लगातार मिलते है, पार्क हमारे मिलने का ठिकाना था, अगर कभी मुझे देर हो जाए या मैं कीसी काम मे हु और उसका फोन ना उठाऊ तो पैनिक कर देती थी वो, और अगर कभी मेरी तबीयत खराब हो जाए तो आँसू उसकी आँखों से निकलते थे, वो मुझे तकलीफ मे नहीं देख सकती थी और अगर गलती से कोई लड़की मेरे से बात कर ले या आसपास भी आ जाए तो उसे जलन भी होने लगती थी, मैंने उसको कई गिफ्ट दिए थे लेकिन उसके बर्थडे पर मैंने उसे एक लॉकेट दिया था जो उसे बेहद पसंद था और वो जहा भी रहे कुछ भी करे वो लॉकेट हमेशा उसके गले मे रहता था, कहती थी मुझपर ब्लू कलर सूट करता है इसीलिए उसने मुझे ब्लू शर्ट भी गिफ्ट किया था....” एकांश बोल रहा था पुरानी यादे अमर को बता रहा था और अमर सब सुन रहा था

एकांश के चेहरे पर इस वक्त कई सारे ईमोशन बह रहे थे और अमर चुप चाप उसे देख रहा था, अक्षिता के बारे मे बात करते हुए एकांश की आँखों मे एक अलग ही चमक थी जो अमर से छिपी हुई नहीं थी, एकांश ने अमर को देखा जो उसे ही देख रहा था

“तू अब भी उसे उतना ही चाहता है, हैना?” अमर ने एकांश के चेहरे पर आते भावों को देख पूछा

“क.. क्या... नहीं!! पुरानी बाते है अब वो” एकांश ने कहा लेकिन अमर उसकी बात कहा मानने वाला था

“जब कुछ है ही नहीं भोसडीके तो हम यहा पापड़ बना रहे है क्या,”

“नहीं, मैं बस ये जानना चाहता हु के उसने मुझे क्यू छोड़ा, बस।“

“ठीक है मत बता, लेकिन अब पुरानी बातों मे घूम के समझ आया आगे क्या करना है या वो भी मैं ही बताऊ?”

“समझ गया, देखते है उसके मन मे मेरे लिए क्या है तो”

“गुड, कल की तयारी करो फिर चल मैं निकलता हु” इतना बोल के अमर वहा से निकल गया

--

अगले दिन

अक्षिता अगले दिन हमेशा को तरह ऑफिस पहुंच चुकी थी लेकिन हमेशा वाले जॉली मूड में नहीं थी बल्कि उसके चेहरे पर एक उदासी थी, पार्टी को बात तो उसके दिमाग से एकदम ही निकल गई थी, उसके जगह कई और खयाल इसके दिमाग में घूम रहे थे

अक्षिता ने एक लंबी सास छोड़ी और हाथ में एकांश को कॉफी का कप लिए उसके केबिन का दरवाजा खटखटाया

"कम इन"

अंदर से आवाज आया जिसे सुन अक्षिता थोड़ा चौकी, आज एकानशंका आवाज कुछ अलग था, उसका आवाज हमेशा को तरह सर्द नहीं था बल्कि उसके आवाज में थोड़ी एक्साइटमेंट थी

अक्षिता ने दरवाजा खोला और अंदर आई

"सर आपकी कॉफी" अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए कहा

"थैंक यू" एकांश ने कॉफी का कप उठाते हुए मुस्कुराते हुए कहा और अब तो अक्षिता काफी हैरान थी एक तो एकांश उसे थैंक यू बोला था ऊपर से उसको देख मुस्कुराया भी था

"Take your seat miss Pandey" एकांश ने कहा और अब ये अक्षिता के लिए दूसरा झटका था के काम के बीच एकांश उसे बैठने के लिए कहे, वो जब बेहोश हुई थी तब के अलावा एकांश ने उसे कभी ऐसे बैठने नहीं कहा था बल्कि वो तो हमेशा उसका काम बढ़ाता था, खैर अक्षिता वहा बैठ गई

"तो, अब कैसी है आप?" एकांश ने पूछा एकांश ने और अक्षिता थोड़ी हैरत के साथ उसे देखने लगी

‘इसको क्या हो गया अचानक, ये आज पुराना एकांश कैसे बन गया’

"सर आप ठीक है ना?" अक्षिता के मुंह से अचानक निकला

"हा, हा मैं एकदम ठीक हु, थैंक यू फॉर आस्किंग" एकांश ने वापिस मुस्कुराते हुए जवाब दिया

और अब बस अक्षिता ने एक पल उसे देखा और फिर सीधा उसके केबिन से बाहर निकल गई और बाहर जाकर सीधा सीढ़ियों के पास रुकी और एकांश के केबिन के बंद दरवाजे को देख सोचने लगी

‘इसको अचानक क्या हो गया? ये इतनी मीठी तरह से बात क्यू कर रहा है? ये डेफ़िनटेली एकांश नहीं है, ये वो खडूस है हि नहीं’

और यही सब सोचते हुए अक्षिता वहा से निकल कर अपने फ्लोर पर अपनी डेस्क कर आकार अपने काम मे लग गई वही एकांश अपने केबिन मे बैठा अक्षिता को वहा से जाते देखता रहा

‘इसको क्या हो गया अचानक?’

‘ये ऐसे भाग क्यू गई?’

‘शीट! कही मेरे बदले हुए बिहैव्यर ने डरा तो नहीं दिया इसको?”

‘लेकिन मैं भी क्या करू जब से पता चला है के शायद अक्षिता ने मुझे धोका नहीं दिया है मैं खुद को रोक ही नहीं पाया’


एकांश के मन मे यही सब खयाल चल रहे थे का तभी उसने दरवाले पर नॉक सुना और अमर अंदर आया

“यो एकांश क्या हुआ? बात बनी?” अमर ने आते साथ ही पूछा

“वो भाग गई”

“क्या?? कैसे?? क्या किया तूने?” अमर ने एकांश के सामने की खुर्ची पर बैठते हुए पूछा

“मैंने बस उसको कॉफी के लिए शुक्रिया बोला था और थोड़ा हस के बात कर ली थी और कुछ नहीं और वो ऐसे भागी जैसे कोई भूत देखा हो” एकांश ने कहा और अमर उसकी बात सुन हसने लगा

“तूने उसको हस के देखा फिर थैंक यू बोला और तू कह रहा है तूने कुछ नहीं किया, अबे चूतिये एकांश रघुवंशी है तू, ऐरगन्ट है अकड़ू है अपने खुद का बत्राव याद कर पिछले कुछ समय का खासतौर पर कंपनी टेकओवर के बाद का और फिर तुम अक्षिता से उम्मीद करते हो के वो डरे ना, वाह बीसी” अमर ने हसते हुए कहा

“सही मे ऐसा है क्या”

“हा, अब लगता है उसकी फीलिंगस बाहर लाने कोई तिकड़म लगाना पड़ेगा”

“तो क्या करे?”

“उसको बुला यह”

जिसके बाद तुरंत ही एकांश ने अक्षिता को अपने केबिन मे आने को कहा

“गुड अब मैं बताता हु वैसा करना”

वही दूसरी तरह अक्षिता एकांश के केबिन मे नहीं जाना चाहती थी फिर भी बॉस का हुकूम था तो करना ही था उसने केबिन का दरवाजा खटखटाया और कम इन का आवाज आते ही अंदर गई उसने देखा के एकांश अपनी खुर्ची पर बैठा था और उसके पास एक बंदा खड़ा था

“सर आपने बुलाया मुझे?’ अक्षिता ने अंदर आते कहा

और फिर अक्षिता ने देखा के वो बंदा अमर था और वो एकांश के पास से दूर हट रहा था और अक्षिता ने जैसे ही एकांश को देखा उसके चेहरे पर डर की लकिरे उभर आई

“अंश” अक्षिता चिल्लाई और दौड़ के एकांश के पास पहुची

एकांश के हाथ से खून बह रहा था और अक्षिता ने उसका वो हाथ अपने हाथ मे लिया और अपने दुपट्टे से उसके हाथ से बहता खून सायद कर खून रोकने की कोशिश करने लगी, वही एकांश तो अपने लिए अक्षिता के मुह से अंश सुन कर ही खुश हो रहा था, बस वही थी जो उसे अंश कह कर बुलाती थी और ये हक कीसी के पास नहीं था

“ये खून, ये कैसे हुआ?” अकसीता ने पूछा, उसकी आँख से आँसू की एक बंद टपकी

“टेबल पर रखा पानी का ग्लास टूट गया और टूटे कांच से चोट लगी है” अमर ने अक्षिता के रोते चेहरे को देख कहा, एकांश ने सही कहा था वो उसे दर्द मे नहीं देख सकती थी

“तो तुम यह बुत की तरह क्या खड़े को देख नहीं रहे अंश को चोट लगी है जाओ जाकर फर्स्ट ऐड लेकर आओ, वो वहा कैबिनेट मे रखा है” अक्षिता ने अमर से चीखते हुए कहा वही एकांश के चेहरे पर स्माइल थी

“और तुम, तुम क्यू मुस्कुरा रहे हो, चोट लगी है और तुमको हसी आ रही है, मैंने कोई जोक सुनाया क्या? तुम इतने लापरवाह क्यू हो देखा चोट लग गई ना” अक्षिता ने लगे हाथ एकांश को भी चार बाते सुना दी

अमर ने फर्स्ट ऐड लाकर अक्षिता को थमाया और वो एकांश की पट्टी करने लगी वही एकांश बस उसे देख रहा था, अक्षिता की नजर जब उसपर पड़ी तो एकांश की आखों मे उमड़ते भाव उसे डराने लगे थे

अक्षिता ने वहा खड़े अमर को देखा जो उन दोनों को देख मुस्कुरा रहा था

“सुनो” अक्षिता ने अपनी आंखे पोंछते हुए अमर से कहा

“मैं?”

“हा तुम ही और कोई है क्या यहा, इसे अस्पताल ले जाओ और अच्छे से पट्टी करवा देना और वो दवाईया डॉक्टर दे वो देना” अक्षिता ने अमर को ऑर्डर दे डाला लेकिन अमर वैसे ही खड़ा रहा

“अब खड़े खड़े क्या देख रहे हो... जाओ” जब अमर अपनी जगह से नहीं हिला तब अक्षिता ने वापिस कहा

जिसके बाद अक्षिता एकांश को ओर मुड़ी

"और तुम हॉस्पिटल से सीधा घर जाकर आराम करोगे, तब तक मैं यहा का देखती हु" अक्षिता ने कहा और एकांश ने बगैर कुछ बोले हा में गर्दन हिला दी

अमर एकांश को लेकर हॉस्पिटल के लिए निकल गया था

"साले तेरी वजह से उसने मुझे भी डाटा" अमर बोला

"हा तो चोट भी तो तूने ही दी गई"

"वाह बेटे एक तो मदद करो और फिर बाते भी सुनो, चल अब"

"वैसे इस सब में मुझे एक बात तो पता चल ही गई है, फीलिंग तो अब भी है वो मेरी केयर तो अब भी करती है" एकांश बोला

"केयर, अंधा है क्या, जैसे वो रो रही थी मुझे ऑर्डर दे रही थी के बस केयर नही है भाई ये उससे कुछ ज्यादा है, और अब तो मैं श्योर हु के सच्चाई कुछ और ही है"



क्रमश:
Wah amezing. Ye romantic romanchak update tha. Maza aa gaya. Ye feelings baya karne se nahi hogi. Bas feel karne se hogi. Vese ansh ki chot muje bhi achhi nahi lagi.
Update 16



अगले दिन अक्षिता का ऑफिस जाने का बिल्कुल मन नहीं था वो ये सोच रही थी के आज क्या देखने मिलेगा, एकांश का कल उसके प्रति बदला हुआ बर्ताव उसे डरा रहा था और वो ये सोचने मे लगी हुई थी के एकांश को अचानक क्या हो गया है, वो अचानक उससे अच्छे से बात करने लग गया था ऊपर से उसे देख स्माइल भी कर रहा था और अब अक्षिता को अचानक आए इस बदलाव का रीज़न समझ नहीं आ रहा था

कल ऑफिस से आने के बाद भी अक्षिता खुद से ही खफा थी, उसे एकांश को चोटिल देख इम्पल्सिव नहीं होना चाहिए था लेकिन वो एकांश को दर्द मे भी नहीं देख सकती थी और एकांश के हाथ से बहता खून देख वो पैनिक हो गई थी और कब रोने लगी उसे भी पता नहीं चला

इन्ही सब खयालों मे अक्षिता रात भर ठीक तरह से सो नहीं पाई थी वही वो इतना तो समझ चुकी थी के एकांश के इस बदले हुए बर्ताव के पीछे हो न हो अमर का हाथ जरूर है

खैर अक्षिता ऑफिस पहुच चुकी थी और अपने दिमाग मे चल रहे इन सब खयालों को बाजू करके उसने बस अपने काम पे फोकस करने का फैसला किया था

जैसे ही वो अपने ऑफिस फ्लोर पर पहुची तो आज वहा का महोल थोड़ा अलग था, अक्षिता के ऑफिस का फ्लोर एकदम शांत था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था और लगभग लोगों के चेहरे पर कन्फ़्युशन और शॉक के भाव थे

अक्षिता अपने डेस्क पर पहुची, अब क्या हुआ है इसनी शांति क्यू है के जानने की उसे भी उत्सुकता थी, उसने रोहन और स्वरा को देखा जिनके चेहरे भी बाकियों जैसे ही कन्फ्यूज़ थे

“गाइज क्या हुआ है?” अक्षिता ने पूछा

उनलगो के अक्षिता को देखा

“तुझे यकीन नहीं होगा अभी क्या हुआ है” रोहन ने कहा

“क्या हो गया?”

“एकांश रघुवंशी मुसकुराते हुए ऑफिस मे घुसे, और स्माइल के साथ हम सभी को ग्रीट किया, आज पहली बार बॉस को ऐसे मूड मे देखा है सबने तो बस थोड़े कन्फ्यूज़ है वरना तो वो बंदा बस काम की ही बात करता है बाकी तो कीसी से बोलते भी नहीं सुना उसे और आज वो बंद उछलते हुए चल रहा था जैसे कीसी बच्चे को मनचाही चीज मिल गई हो अब ये थोड़ा शॉकिंग तो है ना“ स्वरा ने पूरा सीन अक्षिता को बताया जिसे सुन के अक्षिता भी थोड़ा हैरान तो हुई

“तुम्हें बॉस को देखना चाहिए था अक्षु, ऐसा लग रहा था ये कोई अलग ही बंदा है” रोहन ने कहा

‘इसको अचानक हो क्या गया है?’

अक्षिता ने मन ही मन सोचा खैर एकांश मे आया हुआ ये बदलाव तो वो कल से देख रही थी इसीलिए उसने ज्यादा नहीं सोचा, उसने घड़ी को देखा तो वो 10 मिनट लेट थी, उसने कैन्टीन मे जाकर झट से एकांश की कॉफी ली और उसके केबिन की ओर चल पड़ी और वहा पहुच कर दरवाजा खटखटाया

“कम इन” अंदर से एकांश ने आराम से कहा और अक्षिता अंदर गई

“सर, आपकी कॉफी, सॉरी सर वो थोड़ा लेट हो गया” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए एकांश को देख कहा

“नो प्रॉब्लेम, मिस पांडे” एकांश ने अक्षिता को स्माइल देते हुए कहा

“आपको हुआ क्या.....” अक्षिता कुछ बोलने ही वाली थी के उसने अपने आप को रोक लिया और वो एकांश को शॉक होकर देख रही थी और चुप हो गई ये देख एकांश बोला

“क्या हुआ कुछ कह रही थी?” एकांश ने कन्फ्यूज़ बनते हुए कहा

अक्षिता एकांश को देखते हुए अपनी जगह जम गई थी, उसने देखा के एकांश ने उसके फेवरेट कलर की शर्ट पहनी हुई थी और उसमे भी वो शर्ट जो उसने ही उसे गिफ्ट करी थी, और अक्षिता को वो शर्ट अच्छे से याद थी क्युकी काफी यूनीक डिजाइन की शर्ट थी जिसे ढूँढने मे भी उसका काफी वक्त गया था

और इस बात मे कोई दोराय नहीं थी के एकांश पर वो शर्ट काफी जच रही थी उसपे जो उसने ब्लैज़र पहना था वो भी परफेक्टली मैच कर रहा था और एकांश पर से उसकी नजर नहीं हट रही थी

अक्षिता के दिल की धड़कने बढ़ रही थी उसने एक लंबी सास ली और अपनी बढ़ती हुई धड़कनों को काबू किया वही एकांश बस अक्षिता के चेहरे पर आते अलग अलग ईमोशनस् को समझने की कोशिश कर रहा था

“आप ठीक है मिस पांडे?” एकांश ने पूछा, वो समझ गया था के अक्षिता उस शर्ट को पहचान चुकी थी

“हम्म...” अक्षिता ने कहा, वो अब और वहा नहीं रुकना चाहती थी उसे वहा सास लेना भी मुश्किल लग रहा था पुरानी यादे वापिस से उसके दिमाग मे जमने लगी थी और उन्ही यादों के चलते उसकी आंखे भर आ रही थी, उसने कस के अपनी आंखे बस की अपना गला साफ किया और आंखे खोल एकांश को देखा

“सर, अगले एक घंटे मे आपकी एक मीटिंग है मुझे वप ऑर्गनाइज़ करनी है प्लीज इक्स्क्यूज़ मी” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई

अक्षिता वहा से निकल कर सीधा वाशरूम मे गई और दरवाजा बंद कर उससे टिक कर अपनी आंखे बंद कर ली

‘क्यू एकांश ये सब क्यू कर रहे हो?’

‘चाहता क्या है ये, इसे ये सब करके क्या मिल जाएगा?’

‘इसने वो शर्ट क्यू पहनी है जो मैंने इसे गिफ्ट की थी?’

‘इसे तो मुझसे नफरत करनी चाहिए’

‘या ये यह सब इसलिए कर रहा है ताकि मुझे तकलीफ पहुचा सके’

‘एकांश तुम मेरे लिए सिचूऐशन और मुश्किल बना रहे हो’


यही सब सोचते हुए अक्षिता की आँखों से आँसू की बंद गिरी, उसने अपने आप को ठीक किया मुह पर पानी मारा और अपने आप को काम के लिए रेडी किया

--

“हा बोल इतना अर्जन्ट क्यू बुलाया” अमर एकांश के सामने वाली खुरची पर बैठता हुआ बोला

“कुछ नहीं हुआ” एकांश ने कहा

“क्या!”

“हा, तू ही बोला था न वो शर्ट पहनने जो उसने गिफ्ट की थी और फिर बोला था के वो कुछ रीऐक्ट करेगी”

“हा तो”

“तो उसने कुछ रीऐक्ट नहीं किया, उसने बस मुझे देखा फिर शर्ट को देखा फिर मुझे मेरी मीटिंग के बारे मे बताया और चली गई” एकांश ने कहा

“ओह”

“ओह, बस यही बोलेगा तू इसपर” एकांश को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था

“तो और क्या बोलू, मुझे लगा ये काम करेगा, देख फीलिंग तो है बस डबल शुवर होना है और भाई वो फीलिंगस् छिपाने मे बहुत माहिर है”

“तो अब क्या करना है?’

“डोन्ट वरी एक और प्लान है अपने पे फिर सब एकदम क्लियर हो जाएगा” अमर ने कहा

“अब बोल बचन कम दे और करना क्या है वो बता” एकांश ने कहा

“देख तूने कहा था के तूने उसे एक लॉकेट गिफ्ट किया था बराबर, और वो लॉकेट उसे काफी पसंद है मतलब उसके दिल के एकदम करीब है और वो उसे यही भी जाए कुछ भी हो अपने से अलग नहीं करती बराबर, तो अब हमे यही देखना है के वो लॉकेट अब भी उसके गले मे है या नहीं, अगर लॉकेट रहा तो समझ लियो के उसने धोका नहीं दिया था दिलवाया गया था, तो अब तू उसे पहले फोन करके यह बुला” अमर ने कहा

“और फिर?”

“फिर मैं उसके रास्ते मे टांग डाल के उसे गिराने की कोशिश करूंगा”

“और मैं तेरा मुह तोड़ दूंगा”

“अबे यार तू आराम से बात तो सुन पहले, और कोई रास्ता नहीं है” अमर ने कहा

“लेकिन उसको ऐसे गिरने नहीं दे सकता”

“तो तेरे पास कोई और आइडीया है?”

“कुछ दूसरा सोचने ले भाई”

“टाइम नहीं है और डायरेक्ट जाकर लॉकेट के बारे मे पुछ नहीं सकते तो बस यही एक ऑप्शन है” अमर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा

“ठीक है लेकिन संभाल कर”

“हा हा वो देखेंगे अब सुन, वो आएगी, मैं टांग अड़ा कर उसे गिराऊँगा वो वो नीचे की ओर झुकेगी तो तू उतने मे देख लियो के उसके गले मे लॉकेट है या नहीं, और वैसे भी तू भी यही है तू उसे गिरने थोड़ी देगा” आइडीया काफी ज्यादा क्रिन्ज था लेकिन एकांश ने हामी भर दी

“ओके”

“बस इतना ध्यान मे रखियों के उसके लॉकेट को छिपाने के पहले टु देख ले के उसके वो पहना है” अमर ने कहा

“और अगर तेरा ये प्लान उलट फिर गया तब?’

“तो वापिस सैम प्रोसेस रीपीट”

“नहीं, इंसान है वो खिलौना नहीं है चूतिये ऊपर से वो लड़की है उसे हम ऐसे हर्ट नहीं कर सकते बेटर ये प्लान एक बारी मे ही काम करे”

“ठीक है भाई, उसे हर्ट नहीं होगा इसका ध्यान रखेंगे अब बुलाया उसको”

“ओके”

--

अक्षिता आज के मीटिंग की रिपोर्ट बना रही थी के तभी एकांश ने उसे कॉल करके कुछ फाइलस् लाने कहा और उसने भी ऑर्डर फॉलो करते हुए फाइलस् उठाई और एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई, कम इन का आवाज सुनते ही वो केबिन मे आई तो वहा उसके स्वागत के लिए अमर अपनी बत्तीसी दिखते खड़ा था वही एकांश थोड़ा नर्वस था,

अमर वो वहा देखते ही अक्षिता ये तो समझ गई थी के दाल मे कुछ तो काल है और अब आगे क्या होगा ये वो सोचने लगी

अक्षिता उन लोगों की ओर बढ़ी, अमर एक एक नजर एकांश को देखा और अब अक्षिता अमर को पास करने की वाली थी के अमर ने उसके रास्ते मे अपनी एक टांग आगे बढ़ा दी

लेकिन अक्षिता जिसे क्या हो रहा है इसका कुछ आइडीया नहीं था वो अमर ने पैर कर पैर देकर आगे बढ़ गई और अक्षिता की पैरों की हील से अमर के ही पैर मे दर्द उठ गया

अक्षिता की हील पैर मे घुसते ही अमर के मुह से एक हल्की चीख निकली

“क्या हुआ?” अक्षिता ने अमर की चीख सुन उसके पास जाते हुए पूछा

“तुमने तुम्हारी हील मेरे पैर मे घुसेड़ दी ये हुआ” अमर ने दर्द मे बिलबिलाते हुए कहा

“तो तुम ऐसे पैर निकाल कर क्यू बैठे थे?”

“ऐसे ही मेरी मर्जी” अमर ने कहा

“सॉरी” अक्षिता ने कहा, वो बहस के बिल्कुल मूड मे नहीं थी उसने एकांश को देखा जो अमर को ही घूर रहा था

“सर ये फाइलस् जो आपने मँगवाई थी” और उसने वो फाइलस् एकांश को पकड़ा दी

“थैंक यू” एकांश ने फाइलस् लेते हुए कहा

अक्षिता ने भी हा मे गर्दन हिलाई और जाने के लिए मुड़ी ही थी के नीचे फ्लोर पर गिरे कुछ कागजों पर से उसका पैर फिसला और वो गिरने की वाली थी के एकांश ने उसे कमर से पकड़ कर गिरने से बचा लिय, अब सीन कुछ ऐसा था के एकांश ने एक हाथ मे फाइलस् पकड़ी थी वही उसका दूसरा हाथ अक्षिता की कमर कर था और अक्षिता झुकी हुई थी उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे वही दूसरी तरफ अमर अपने पैर को सहलाते हुए नीचे की ओर झुका हुआ था, जैसे ही एकांश ने अक्षिता को गिरने से बचाया वैसे ही अमर से अक्षिता के बाली के बीच से उसकी गर्दन पर लटक रही चैन और उसमे लगे लॉकेट को देखा

और ये सब बस कुछ ही पलों मे हुआ, अक्षिता ने अपने आप को संभाला सही से खड़े होकर अपने बाल सही करके एकांश को थैंक यू कह कर जल्दी से वहा से निकल गई और उसके जाते ही एकांश ने अमर को देखा जो नीचे की ओर देख रहा था

“अमर” एकांश ने आराम से अमर को पुकारा

अमर ने एकांश को देखा, उसके चेहरे के इक्स्प्रेशन देख के एकांश थोड़ा डर रहा था, अमर ने एकांश को देखा और डिसअपॉइन्ट्मन्ट मे अपना सर हिलाने लगा

क्रमश:
बस एक चीज की कमी है. साथ मे माहोल के हिसाब से म्यूजिक. एक रोमांटिक song. जो राइटर महसूस करवा सकता है. दे नहीं सकता. अमेज़िंग.. सचाई सामने तो नहीं आई. पर आने के बाद कुछ अच्छा ही होगा. ऐसी मिट्ठी मिट्ठी फीलिंग्स आ रही हे. माझा आ गया.
 

Sweetkaran

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Update 16



अगले दिन अक्षिता का ऑफिस जाने का बिल्कुल मन नहीं था वो ये सोच रही थी के आज क्या देखने मिलेगा, एकांश का कल उसके प्रति बदला हुआ बर्ताव उसे डरा रहा था और वो ये सोचने मे लगी हुई थी के एकांश को अचानक क्या हो गया है, वो अचानक उससे अच्छे से बात करने लग गया था ऊपर से उसे देख स्माइल भी कर रहा था और अब अक्षिता को अचानक आए इस बदलाव का रीज़न समझ नहीं आ रहा था

कल ऑफिस से आने के बाद भी अक्षिता खुद से ही खफा थी, उसे एकांश को चोटिल देख इम्पल्सिव नहीं होना चाहिए था लेकिन वो एकांश को दर्द मे भी नहीं देख सकती थी और एकांश के हाथ से बहता खून देख वो पैनिक हो गई थी और कब रोने लगी उसे भी पता नहीं चला

इन्ही सब खयालों मे अक्षिता रात भर ठीक तरह से सो नहीं पाई थी वही वो इतना तो समझ चुकी थी के एकांश के इस बदले हुए बर्ताव के पीछे हो न हो अमर का हाथ जरूर है

खैर अक्षिता ऑफिस पहुच चुकी थी और अपने दिमाग मे चल रहे इन सब खयालों को बाजू करके उसने बस अपने काम पे फोकस करने का फैसला किया था

जैसे ही वो अपने ऑफिस फ्लोर पर पहुची तो आज वहा का महोल थोड़ा अलग था, अक्षिता के ऑफिस का फ्लोर एकदम शांत था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था और लगभग लोगों के चेहरे पर कन्फ़्युशन और शॉक के भाव थे

अक्षिता अपने डेस्क पर पहुची, अब क्या हुआ है इसनी शांति क्यू है के जानने की उसे भी उत्सुकता थी, उसने रोहन और स्वरा को देखा जिनके चेहरे भी बाकियों जैसे ही कन्फ्यूज़ थे

“गाइज क्या हुआ है?” अक्षिता ने पूछा

उनलगो के अक्षिता को देखा

“तुझे यकीन नहीं होगा अभी क्या हुआ है” रोहन ने कहा

“क्या हो गया?”

“एकांश रघुवंशी मुसकुराते हुए ऑफिस मे घुसे, और स्माइल के साथ हम सभी को ग्रीट किया, आज पहली बार बॉस को ऐसे मूड मे देखा है सबने तो बस थोड़े कन्फ्यूज़ है वरना तो वो बंदा बस काम की ही बात करता है बाकी तो कीसी से बोलते भी नहीं सुना उसे और आज वो बंद उछलते हुए चल रहा था जैसे कीसी बच्चे को मनचाही चीज मिल गई हो अब ये थोड़ा शॉकिंग तो है ना“ स्वरा ने पूरा सीन अक्षिता को बताया जिसे सुन के अक्षिता भी थोड़ा हैरान तो हुई

“तुम्हें बॉस को देखना चाहिए था अक्षु, ऐसा लग रहा था ये कोई अलग ही बंदा है” रोहन ने कहा

‘इसको अचानक हो क्या गया है?’

अक्षिता ने मन ही मन सोचा खैर एकांश मे आया हुआ ये बदलाव तो वो कल से देख रही थी इसीलिए उसने ज्यादा नहीं सोचा, उसने घड़ी को देखा तो वो 10 मिनट लेट थी, उसने कैन्टीन मे जाकर झट से एकांश की कॉफी ली और उसके केबिन की ओर चल पड़ी और वहा पहुच कर दरवाजा खटखटाया

“कम इन” अंदर से एकांश ने आराम से कहा और अक्षिता अंदर गई

“सर, आपकी कॉफी, सॉरी सर वो थोड़ा लेट हो गया” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए एकांश को देख कहा

“नो प्रॉब्लेम, मिस पांडे” एकांश ने अक्षिता को स्माइल देते हुए कहा

“आपको हुआ क्या.....” अक्षिता कुछ बोलने ही वाली थी के उसने अपने आप को रोक लिया और वो एकांश को शॉक होकर देख रही थी और चुप हो गई ये देख एकांश बोला

“क्या हुआ कुछ कह रही थी?” एकांश ने कन्फ्यूज़ बनते हुए कहा

अक्षिता एकांश को देखते हुए अपनी जगह जम गई थी, उसने देखा के एकांश ने उसके फेवरेट कलर की शर्ट पहनी हुई थी और उसमे भी वो शर्ट जो उसने ही उसे गिफ्ट करी थी, और अक्षिता को वो शर्ट अच्छे से याद थी क्युकी काफी यूनीक डिजाइन की शर्ट थी जिसे ढूँढने मे भी उसका काफी वक्त गया था

और इस बात मे कोई दोराय नहीं थी के एकांश पर वो शर्ट काफी जच रही थी उसपे जो उसने ब्लैज़र पहना था वो भी परफेक्टली मैच कर रहा था और एकांश पर से उसकी नजर नहीं हट रही थी

अक्षिता के दिल की धड़कने बढ़ रही थी उसने एक लंबी सास ली और अपनी बढ़ती हुई धड़कनों को काबू किया वही एकांश बस अक्षिता के चेहरे पर आते अलग अलग ईमोशनस् को समझने की कोशिश कर रहा था

“आप ठीक है मिस पांडे?” एकांश ने पूछा, वो समझ गया था के अक्षिता उस शर्ट को पहचान चुकी थी

“हम्म...” अक्षिता ने कहा, वो अब और वहा नहीं रुकना चाहती थी उसे वहा सास लेना भी मुश्किल लग रहा था पुरानी यादे वापिस से उसके दिमाग मे जमने लगी थी और उन्ही यादों के चलते उसकी आंखे भर आ रही थी, उसने कस के अपनी आंखे बस की अपना गला साफ किया और आंखे खोल एकांश को देखा

“सर, अगले एक घंटे मे आपकी एक मीटिंग है मुझे वप ऑर्गनाइज़ करनी है प्लीज इक्स्क्यूज़ मी” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई

अक्षिता वहा से निकल कर सीधा वाशरूम मे गई और दरवाजा बंद कर उससे टिक कर अपनी आंखे बंद कर ली

‘क्यू एकांश ये सब क्यू कर रहे हो?’

‘चाहता क्या है ये, इसे ये सब करके क्या मिल जाएगा?’

‘इसने वो शर्ट क्यू पहनी है जो मैंने इसे गिफ्ट की थी?’

‘इसे तो मुझसे नफरत करनी चाहिए’

‘या ये यह सब इसलिए कर रहा है ताकि मुझे तकलीफ पहुचा सके’

‘एकांश तुम मेरे लिए सिचूऐशन और मुश्किल बना रहे हो’


यही सब सोचते हुए अक्षिता की आँखों से आँसू की बंद गिरी, उसने अपने आप को ठीक किया मुह पर पानी मारा और अपने आप को काम के लिए रेडी किया

--

“हा बोल इतना अर्जन्ट क्यू बुलाया” अमर एकांश के सामने वाली खुरची पर बैठता हुआ बोला

“कुछ नहीं हुआ” एकांश ने कहा

“क्या!”

“हा, तू ही बोला था न वो शर्ट पहनने जो उसने गिफ्ट की थी और फिर बोला था के वो कुछ रीऐक्ट करेगी”

“हा तो”

“तो उसने कुछ रीऐक्ट नहीं किया, उसने बस मुझे देखा फिर शर्ट को देखा फिर मुझे मेरी मीटिंग के बारे मे बताया और चली गई” एकांश ने कहा

“ओह”

“ओह, बस यही बोलेगा तू इसपर” एकांश को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था

“तो और क्या बोलू, मुझे लगा ये काम करेगा, देख फीलिंग तो है बस डबल शुवर होना है और भाई वो फीलिंगस् छिपाने मे बहुत माहिर है”

“तो अब क्या करना है?’

“डोन्ट वरी एक और प्लान है अपने पे फिर सब एकदम क्लियर हो जाएगा” अमर ने कहा

“अब बोल बचन कम दे और करना क्या है वो बता” एकांश ने कहा

“देख तूने कहा था के तूने उसे एक लॉकेट गिफ्ट किया था बराबर, और वो लॉकेट उसे काफी पसंद है मतलब उसके दिल के एकदम करीब है और वो उसे यही भी जाए कुछ भी हो अपने से अलग नहीं करती बराबर, तो अब हमे यही देखना है के वो लॉकेट अब भी उसके गले मे है या नहीं, अगर लॉकेट रहा तो समझ लियो के उसने धोका नहीं दिया था दिलवाया गया था, तो अब तू उसे पहले फोन करके यह बुला” अमर ने कहा

“और फिर?”

“फिर मैं उसके रास्ते मे टांग डाल के उसे गिराने की कोशिश करूंगा”

“और मैं तेरा मुह तोड़ दूंगा”

“अबे यार तू आराम से बात तो सुन पहले, और कोई रास्ता नहीं है” अमर ने कहा

“लेकिन उसको ऐसे गिरने नहीं दे सकता”

“तो तेरे पास कोई और आइडीया है?”

“कुछ दूसरा सोचने ले भाई”

“टाइम नहीं है और डायरेक्ट जाकर लॉकेट के बारे मे पुछ नहीं सकते तो बस यही एक ऑप्शन है” अमर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा

“ठीक है लेकिन संभाल कर”

“हा हा वो देखेंगे अब सुन, वो आएगी, मैं टांग अड़ा कर उसे गिराऊँगा वो वो नीचे की ओर झुकेगी तो तू उतने मे देख लियो के उसके गले मे लॉकेट है या नहीं, और वैसे भी तू भी यही है तू उसे गिरने थोड़ी देगा” आइडीया काफी ज्यादा क्रिन्ज था लेकिन एकांश ने हामी भर दी

“ओके”

“बस इतना ध्यान मे रखियों के उसके लॉकेट को छिपाने के पहले टु देख ले के उसके वो पहना है” अमर ने कहा

“और अगर तेरा ये प्लान उलट फिर गया तब?’

“तो वापिस सैम प्रोसेस रीपीट”

“नहीं, इंसान है वो खिलौना नहीं है चूतिये ऊपर से वो लड़की है उसे हम ऐसे हर्ट नहीं कर सकते बेटर ये प्लान एक बारी मे ही काम करे”

“ठीक है भाई, उसे हर्ट नहीं होगा इसका ध्यान रखेंगे अब बुलाया उसको”

“ओके”

--

अक्षिता आज के मीटिंग की रिपोर्ट बना रही थी के तभी एकांश ने उसे कॉल करके कुछ फाइलस् लाने कहा और उसने भी ऑर्डर फॉलो करते हुए फाइलस् उठाई और एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई, कम इन का आवाज सुनते ही वो केबिन मे आई तो वहा उसके स्वागत के लिए अमर अपनी बत्तीसी दिखते खड़ा था वही एकांश थोड़ा नर्वस था,

अमर वो वहा देखते ही अक्षिता ये तो समझ गई थी के दाल मे कुछ तो काल है और अब आगे क्या होगा ये वो सोचने लगी

अक्षिता उन लोगों की ओर बढ़ी, अमर एक एक नजर एकांश को देखा और अब अक्षिता अमर को पास करने की वाली थी के अमर ने उसके रास्ते मे अपनी एक टांग आगे बढ़ा दी

लेकिन अक्षिता जिसे क्या हो रहा है इसका कुछ आइडीया नहीं था वो अमर ने पैर कर पैर देकर आगे बढ़ गई और अक्षिता की पैरों की हील से अमर के ही पैर मे दर्द उठ गया

अक्षिता की हील पैर मे घुसते ही अमर के मुह से एक हल्की चीख निकली

“क्या हुआ?” अक्षिता ने अमर की चीख सुन उसके पास जाते हुए पूछा

“तुमने तुम्हारी हील मेरे पैर मे घुसेड़ दी ये हुआ” अमर ने दर्द मे बिलबिलाते हुए कहा

“तो तुम ऐसे पैर निकाल कर क्यू बैठे थे?”

“ऐसे ही मेरी मर्जी” अमर ने कहा

“सॉरी” अक्षिता ने कहा, वो बहस के बिल्कुल मूड मे नहीं थी उसने एकांश को देखा जो अमर को ही घूर रहा था

“सर ये फाइलस् जो आपने मँगवाई थी” और उसने वो फाइलस् एकांश को पकड़ा दी

“थैंक यू” एकांश ने फाइलस् लेते हुए कहा

अक्षिता ने भी हा मे गर्दन हिलाई और जाने के लिए मुड़ी ही थी के नीचे फ्लोर पर गिरे कुछ कागजों पर से उसका पैर फिसला और वो गिरने की वाली थी के एकांश ने उसे कमर से पकड़ कर गिरने से बचा लिय, अब सीन कुछ ऐसा था के एकांश ने एक हाथ मे फाइलस् पकड़ी थी वही उसका दूसरा हाथ अक्षिता की कमर कर था और अक्षिता झुकी हुई थी उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे वही दूसरी तरफ अमर अपने पैर को सहलाते हुए नीचे की ओर झुका हुआ था, जैसे ही एकांश ने अक्षिता को गिरने से बचाया वैसे ही अमर से अक्षिता के बाली के बीच से उसकी गर्दन पर लटक रही चैन और उसमे लगे लॉकेट को देखा

और ये सब बस कुछ ही पलों मे हुआ, अक्षिता ने अपने आप को संभाला सही से खड़े होकर अपने बाल सही करके एकांश को थैंक यू कह कर जल्दी से वहा से निकल गई और उसके जाते ही एकांश ने अमर को देखा जो नीचे की ओर देख रहा था

“अमर” एकांश ने आराम से अमर को पुकारा

अमर ने एकांश को देखा, उसके चेहरे के इक्स्प्रेशन देख के एकांश थोड़ा डर रहा था, अमर ने एकांश को देखा और डिसअपॉइन्ट्मन्ट मे अपना सर हिलाने लगा

क्रमश:
Awesome update bro
 

Chinturocky

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मां कसम सीधा उसकी मेडिकल हिस्ट्री क्यों नहीं पता कर लेते,
बेवकूफ उसके दोस्तों को तो सब पता हैं, उनसे क्यों नहीं पता कर लेते किसी भी बहाने से।
 

Yasasvi3

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Update 16



अगले दिन अक्षिता का ऑफिस जाने का बिल्कुल मन नहीं था वो ये सोच रही थी के आज क्या देखने मिलेगा, एकांश का कल उसके प्रति बदला हुआ बर्ताव उसे डरा रहा था और वो ये सोचने मे लगी हुई थी के एकांश को अचानक क्या हो गया है, वो अचानक उससे अच्छे से बात करने लग गया था ऊपर से उसे देख स्माइल भी कर रहा था और अब अक्षिता को अचानक आए इस बदलाव का रीज़न समझ नहीं आ रहा था

कल ऑफिस से आने के बाद भी अक्षिता खुद से ही खफा थी, उसे एकांश को चोटिल देख इम्पल्सिव नहीं होना चाहिए था लेकिन वो एकांश को दर्द मे भी नहीं देख सकती थी और एकांश के हाथ से बहता खून देख वो पैनिक हो गई थी और कब रोने लगी उसे भी पता नहीं चला

इन्ही सब खयालों मे अक्षिता रात भर ठीक तरह से सो नहीं पाई थी वही वो इतना तो समझ चुकी थी के एकांश के इस बदले हुए बर्ताव के पीछे हो न हो अमर का हाथ जरूर है

खैर अक्षिता ऑफिस पहुच चुकी थी और अपने दिमाग मे चल रहे इन सब खयालों को बाजू करके उसने बस अपने काम पे फोकस करने का फैसला किया था

जैसे ही वो अपने ऑफिस फ्लोर पर पहुची तो आज वहा का महोल थोड़ा अलग था, अक्षिता के ऑफिस का फ्लोर एकदम शांत था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था और लगभग लोगों के चेहरे पर कन्फ़्युशन और शॉक के भाव थे

अक्षिता अपने डेस्क पर पहुची, अब क्या हुआ है इसनी शांति क्यू है के जानने की उसे भी उत्सुकता थी, उसने रोहन और स्वरा को देखा जिनके चेहरे भी बाकियों जैसे ही कन्फ्यूज़ थे

“गाइज क्या हुआ है?” अक्षिता ने पूछा

उनलगो के अक्षिता को देखा

“तुझे यकीन नहीं होगा अभी क्या हुआ है” रोहन ने कहा

“क्या हो गया?”

“एकांश रघुवंशी मुसकुराते हुए ऑफिस मे घुसे, और स्माइल के साथ हम सभी को ग्रीट किया, आज पहली बार बॉस को ऐसे मूड मे देखा है सबने तो बस थोड़े कन्फ्यूज़ है वरना तो वो बंदा बस काम की ही बात करता है बाकी तो कीसी से बोलते भी नहीं सुना उसे और आज वो बंद उछलते हुए चल रहा था जैसे कीसी बच्चे को मनचाही चीज मिल गई हो अब ये थोड़ा शॉकिंग तो है ना“ स्वरा ने पूरा सीन अक्षिता को बताया जिसे सुन के अक्षिता भी थोड़ा हैरान तो हुई

“तुम्हें बॉस को देखना चाहिए था अक्षु, ऐसा लग रहा था ये कोई अलग ही बंदा है” रोहन ने कहा

‘इसको अचानक हो क्या गया है?’

अक्षिता ने मन ही मन सोचा खैर एकांश मे आया हुआ ये बदलाव तो वो कल से देख रही थी इसीलिए उसने ज्यादा नहीं सोचा, उसने घड़ी को देखा तो वो 10 मिनट लेट थी, उसने कैन्टीन मे जाकर झट से एकांश की कॉफी ली और उसके केबिन की ओर चल पड़ी और वहा पहुच कर दरवाजा खटखटाया

“कम इन” अंदर से एकांश ने आराम से कहा और अक्षिता अंदर गई

“सर, आपकी कॉफी, सॉरी सर वो थोड़ा लेट हो गया” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए एकांश को देख कहा

“नो प्रॉब्लेम, मिस पांडे” एकांश ने अक्षिता को स्माइल देते हुए कहा

“आपको हुआ क्या.....” अक्षिता कुछ बोलने ही वाली थी के उसने अपने आप को रोक लिया और वो एकांश को शॉक होकर देख रही थी और चुप हो गई ये देख एकांश बोला

“क्या हुआ कुछ कह रही थी?” एकांश ने कन्फ्यूज़ बनते हुए कहा

अक्षिता एकांश को देखते हुए अपनी जगह जम गई थी, उसने देखा के एकांश ने उसके फेवरेट कलर की शर्ट पहनी हुई थी और उसमे भी वो शर्ट जो उसने ही उसे गिफ्ट करी थी, और अक्षिता को वो शर्ट अच्छे से याद थी क्युकी काफी यूनीक डिजाइन की शर्ट थी जिसे ढूँढने मे भी उसका काफी वक्त गया था

और इस बात मे कोई दोराय नहीं थी के एकांश पर वो शर्ट काफी जच रही थी उसपे जो उसने ब्लैज़र पहना था वो भी परफेक्टली मैच कर रहा था और एकांश पर से उसकी नजर नहीं हट रही थी

अक्षिता के दिल की धड़कने बढ़ रही थी उसने एक लंबी सास ली और अपनी बढ़ती हुई धड़कनों को काबू किया वही एकांश बस अक्षिता के चेहरे पर आते अलग अलग ईमोशनस् को समझने की कोशिश कर रहा था

“आप ठीक है मिस पांडे?” एकांश ने पूछा, वो समझ गया था के अक्षिता उस शर्ट को पहचान चुकी थी

“हम्म...” अक्षिता ने कहा, वो अब और वहा नहीं रुकना चाहती थी उसे वहा सास लेना भी मुश्किल लग रहा था पुरानी यादे वापिस से उसके दिमाग मे जमने लगी थी और उन्ही यादों के चलते उसकी आंखे भर आ रही थी, उसने कस के अपनी आंखे बस की अपना गला साफ किया और आंखे खोल एकांश को देखा

“सर, अगले एक घंटे मे आपकी एक मीटिंग है मुझे वप ऑर्गनाइज़ करनी है प्लीज इक्स्क्यूज़ मी” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई

अक्षिता वहा से निकल कर सीधा वाशरूम मे गई और दरवाजा बंद कर उससे टिक कर अपनी आंखे बंद कर ली

‘क्यू एकांश ये सब क्यू कर रहे हो?’

‘चाहता क्या है ये, इसे ये सब करके क्या मिल जाएगा?’

‘इसने वो शर्ट क्यू पहनी है जो मैंने इसे गिफ्ट की थी?’

‘इसे तो मुझसे नफरत करनी चाहिए’

‘या ये यह सब इसलिए कर रहा है ताकि मुझे तकलीफ पहुचा सके’

‘एकांश तुम मेरे लिए सिचूऐशन और मुश्किल बना रहे हो’


यही सब सोचते हुए अक्षिता की आँखों से आँसू की बंद गिरी, उसने अपने आप को ठीक किया मुह पर पानी मारा और अपने आप को काम के लिए रेडी किया

--

“हा बोल इतना अर्जन्ट क्यू बुलाया” अमर एकांश के सामने वाली खुरची पर बैठता हुआ बोला

“कुछ नहीं हुआ” एकांश ने कहा

“क्या!”

“हा, तू ही बोला था न वो शर्ट पहनने जो उसने गिफ्ट की थी और फिर बोला था के वो कुछ रीऐक्ट करेगी”

“हा तो”

“तो उसने कुछ रीऐक्ट नहीं किया, उसने बस मुझे देखा फिर शर्ट को देखा फिर मुझे मेरी मीटिंग के बारे मे बताया और चली गई” एकांश ने कहा

“ओह”

“ओह, बस यही बोलेगा तू इसपर” एकांश को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था

“तो और क्या बोलू, मुझे लगा ये काम करेगा, देख फीलिंग तो है बस डबल शुवर होना है और भाई वो फीलिंगस् छिपाने मे बहुत माहिर है”

“तो अब क्या करना है?’

“डोन्ट वरी एक और प्लान है अपने पे फिर सब एकदम क्लियर हो जाएगा” अमर ने कहा

“अब बोल बचन कम दे और करना क्या है वो बता” एकांश ने कहा

“देख तूने कहा था के तूने उसे एक लॉकेट गिफ्ट किया था बराबर, और वो लॉकेट उसे काफी पसंद है मतलब उसके दिल के एकदम करीब है और वो उसे यही भी जाए कुछ भी हो अपने से अलग नहीं करती बराबर, तो अब हमे यही देखना है के वो लॉकेट अब भी उसके गले मे है या नहीं, अगर लॉकेट रहा तो समझ लियो के उसने धोका नहीं दिया था दिलवाया गया था, तो अब तू उसे पहले फोन करके यह बुला” अमर ने कहा

“और फिर?”

“फिर मैं उसके रास्ते मे टांग डाल के उसे गिराने की कोशिश करूंगा”

“और मैं तेरा मुह तोड़ दूंगा”

“अबे यार तू आराम से बात तो सुन पहले, और कोई रास्ता नहीं है” अमर ने कहा

“लेकिन उसको ऐसे गिरने नहीं दे सकता”

“तो तेरे पास कोई और आइडीया है?”

“कुछ दूसरा सोचने ले भाई”

“टाइम नहीं है और डायरेक्ट जाकर लॉकेट के बारे मे पुछ नहीं सकते तो बस यही एक ऑप्शन है” अमर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा

“ठीक है लेकिन संभाल कर”

“हा हा वो देखेंगे अब सुन, वो आएगी, मैं टांग अड़ा कर उसे गिराऊँगा वो वो नीचे की ओर झुकेगी तो तू उतने मे देख लियो के उसके गले मे लॉकेट है या नहीं, और वैसे भी तू भी यही है तू उसे गिरने थोड़ी देगा” आइडीया काफी ज्यादा क्रिन्ज था लेकिन एकांश ने हामी भर दी

“ओके”

“बस इतना ध्यान मे रखियों के उसके लॉकेट को छिपाने के पहले टु देख ले के उसके वो पहना है” अमर ने कहा

“और अगर तेरा ये प्लान उलट फिर गया तब?’

“तो वापिस सैम प्रोसेस रीपीट”

“नहीं, इंसान है वो खिलौना नहीं है चूतिये ऊपर से वो लड़की है उसे हम ऐसे हर्ट नहीं कर सकते बेटर ये प्लान एक बारी मे ही काम करे”

“ठीक है भाई, उसे हर्ट नहीं होगा इसका ध्यान रखेंगे अब बुलाया उसको”

“ओके”

--

अक्षिता आज के मीटिंग की रिपोर्ट बना रही थी के तभी एकांश ने उसे कॉल करके कुछ फाइलस् लाने कहा और उसने भी ऑर्डर फॉलो करते हुए फाइलस् उठाई और एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई, कम इन का आवाज सुनते ही वो केबिन मे आई तो वहा उसके स्वागत के लिए अमर अपनी बत्तीसी दिखते खड़ा था वही एकांश थोड़ा नर्वस था,

अमर वो वहा देखते ही अक्षिता ये तो समझ गई थी के दाल मे कुछ तो काल है और अब आगे क्या होगा ये वो सोचने लगी

अक्षिता उन लोगों की ओर बढ़ी, अमर एक एक नजर एकांश को देखा और अब अक्षिता अमर को पास करने की वाली थी के अमर ने उसके रास्ते मे अपनी एक टांग आगे बढ़ा दी

लेकिन अक्षिता जिसे क्या हो रहा है इसका कुछ आइडीया नहीं था वो अमर ने पैर कर पैर देकर आगे बढ़ गई और अक्षिता की पैरों की हील से अमर के ही पैर मे दर्द उठ गया

अक्षिता की हील पैर मे घुसते ही अमर के मुह से एक हल्की चीख निकली

“क्या हुआ?” अक्षिता ने अमर की चीख सुन उसके पास जाते हुए पूछा

“तुमने तुम्हारी हील मेरे पैर मे घुसेड़ दी ये हुआ” अमर ने दर्द मे बिलबिलाते हुए कहा

“तो तुम ऐसे पैर निकाल कर क्यू बैठे थे?”

“ऐसे ही मेरी मर्जी” अमर ने कहा

“सॉरी” अक्षिता ने कहा, वो बहस के बिल्कुल मूड मे नहीं थी उसने एकांश को देखा जो अमर को ही घूर रहा था

“सर ये फाइलस् जो आपने मँगवाई थी” और उसने वो फाइलस् एकांश को पकड़ा दी

“थैंक यू” एकांश ने फाइलस् लेते हुए कहा

अक्षिता ने भी हा मे गर्दन हिलाई और जाने के लिए मुड़ी ही थी के नीचे फ्लोर पर गिरे कुछ कागजों पर से उसका पैर फिसला और वो गिरने की वाली थी के एकांश ने उसे कमर से पकड़ कर गिरने से बचा लिय, अब सीन कुछ ऐसा था के एकांश ने एक हाथ मे फाइलस् पकड़ी थी वही उसका दूसरा हाथ अक्षिता की कमर कर था और अक्षिता झुकी हुई थी उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे वही दूसरी तरफ अमर अपने पैर को सहलाते हुए नीचे की ओर झुका हुआ था, जैसे ही एकांश ने अक्षिता को गिरने से बचाया वैसे ही अमर से अक्षिता के बाली के बीच से उसकी गर्दन पर लटक रही चैन और उसमे लगे लॉकेट को देखा

और ये सब बस कुछ ही पलों मे हुआ, अक्षिता ने अपने आप को संभाला सही से खड़े होकर अपने बाल सही करके एकांश को थैंक यू कह कर जल्दी से वहा से निकल गई और उसके जाते ही एकांश ने अमर को देखा जो नीचे की ओर देख रहा था

“अमर” एकांश ने आराम से अमर को पुकारा

अमर ने एकांश को देखा, उसके चेहरे के इक्स्प्रेशन देख के एकांश थोड़ा डर रहा था, अमर ने एकांश को देखा और डिसअपॉइन्ट्मन्ट मे अपना सर हिलाने लगा

क्रमश:
Chaal pe chaal chali ja rahi h🧐🧐🧐lagta h kuch bada hone wala h😒but as i know u bhot update lagange usme... Koi na .. As always waiting for your next update
 

park

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Update 16



अगले दिन अक्षिता का ऑफिस जाने का बिल्कुल मन नहीं था वो ये सोच रही थी के आज क्या देखने मिलेगा, एकांश का कल उसके प्रति बदला हुआ बर्ताव उसे डरा रहा था और वो ये सोचने मे लगी हुई थी के एकांश को अचानक क्या हो गया है, वो अचानक उससे अच्छे से बात करने लग गया था ऊपर से उसे देख स्माइल भी कर रहा था और अब अक्षिता को अचानक आए इस बदलाव का रीज़न समझ नहीं आ रहा था

कल ऑफिस से आने के बाद भी अक्षिता खुद से ही खफा थी, उसे एकांश को चोटिल देख इम्पल्सिव नहीं होना चाहिए था लेकिन वो एकांश को दर्द मे भी नहीं देख सकती थी और एकांश के हाथ से बहता खून देख वो पैनिक हो गई थी और कब रोने लगी उसे भी पता नहीं चला

इन्ही सब खयालों मे अक्षिता रात भर ठीक तरह से सो नहीं पाई थी वही वो इतना तो समझ चुकी थी के एकांश के इस बदले हुए बर्ताव के पीछे हो न हो अमर का हाथ जरूर है

खैर अक्षिता ऑफिस पहुच चुकी थी और अपने दिमाग मे चल रहे इन सब खयालों को बाजू करके उसने बस अपने काम पे फोकस करने का फैसला किया था

जैसे ही वो अपने ऑफिस फ्लोर पर पहुची तो आज वहा का महोल थोड़ा अलग था, अक्षिता के ऑफिस का फ्लोर एकदम शांत था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था और लगभग लोगों के चेहरे पर कन्फ़्युशन और शॉक के भाव थे

अक्षिता अपने डेस्क पर पहुची, अब क्या हुआ है इसनी शांति क्यू है के जानने की उसे भी उत्सुकता थी, उसने रोहन और स्वरा को देखा जिनके चेहरे भी बाकियों जैसे ही कन्फ्यूज़ थे

“गाइज क्या हुआ है?” अक्षिता ने पूछा

उनलगो के अक्षिता को देखा

“तुझे यकीन नहीं होगा अभी क्या हुआ है” रोहन ने कहा

“क्या हो गया?”

“एकांश रघुवंशी मुसकुराते हुए ऑफिस मे घुसे, और स्माइल के साथ हम सभी को ग्रीट किया, आज पहली बार बॉस को ऐसे मूड मे देखा है सबने तो बस थोड़े कन्फ्यूज़ है वरना तो वो बंदा बस काम की ही बात करता है बाकी तो कीसी से बोलते भी नहीं सुना उसे और आज वो बंद उछलते हुए चल रहा था जैसे कीसी बच्चे को मनचाही चीज मिल गई हो अब ये थोड़ा शॉकिंग तो है ना“ स्वरा ने पूरा सीन अक्षिता को बताया जिसे सुन के अक्षिता भी थोड़ा हैरान तो हुई

“तुम्हें बॉस को देखना चाहिए था अक्षु, ऐसा लग रहा था ये कोई अलग ही बंदा है” रोहन ने कहा

‘इसको अचानक हो क्या गया है?’

अक्षिता ने मन ही मन सोचा खैर एकांश मे आया हुआ ये बदलाव तो वो कल से देख रही थी इसीलिए उसने ज्यादा नहीं सोचा, उसने घड़ी को देखा तो वो 10 मिनट लेट थी, उसने कैन्टीन मे जाकर झट से एकांश की कॉफी ली और उसके केबिन की ओर चल पड़ी और वहा पहुच कर दरवाजा खटखटाया

“कम इन” अंदर से एकांश ने आराम से कहा और अक्षिता अंदर गई

“सर, आपकी कॉफी, सॉरी सर वो थोड़ा लेट हो गया” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए एकांश को देख कहा

“नो प्रॉब्लेम, मिस पांडे” एकांश ने अक्षिता को स्माइल देते हुए कहा

“आपको हुआ क्या.....” अक्षिता कुछ बोलने ही वाली थी के उसने अपने आप को रोक लिया और वो एकांश को शॉक होकर देख रही थी और चुप हो गई ये देख एकांश बोला

“क्या हुआ कुछ कह रही थी?” एकांश ने कन्फ्यूज़ बनते हुए कहा

अक्षिता एकांश को देखते हुए अपनी जगह जम गई थी, उसने देखा के एकांश ने उसके फेवरेट कलर की शर्ट पहनी हुई थी और उसमे भी वो शर्ट जो उसने ही उसे गिफ्ट करी थी, और अक्षिता को वो शर्ट अच्छे से याद थी क्युकी काफी यूनीक डिजाइन की शर्ट थी जिसे ढूँढने मे भी उसका काफी वक्त गया था

और इस बात मे कोई दोराय नहीं थी के एकांश पर वो शर्ट काफी जच रही थी उसपे जो उसने ब्लैज़र पहना था वो भी परफेक्टली मैच कर रहा था और एकांश पर से उसकी नजर नहीं हट रही थी

अक्षिता के दिल की धड़कने बढ़ रही थी उसने एक लंबी सास ली और अपनी बढ़ती हुई धड़कनों को काबू किया वही एकांश बस अक्षिता के चेहरे पर आते अलग अलग ईमोशनस् को समझने की कोशिश कर रहा था

“आप ठीक है मिस पांडे?” एकांश ने पूछा, वो समझ गया था के अक्षिता उस शर्ट को पहचान चुकी थी

“हम्म...” अक्षिता ने कहा, वो अब और वहा नहीं रुकना चाहती थी उसे वहा सास लेना भी मुश्किल लग रहा था पुरानी यादे वापिस से उसके दिमाग मे जमने लगी थी और उन्ही यादों के चलते उसकी आंखे भर आ रही थी, उसने कस के अपनी आंखे बस की अपना गला साफ किया और आंखे खोल एकांश को देखा

“सर, अगले एक घंटे मे आपकी एक मीटिंग है मुझे वप ऑर्गनाइज़ करनी है प्लीज इक्स्क्यूज़ मी” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई

अक्षिता वहा से निकल कर सीधा वाशरूम मे गई और दरवाजा बंद कर उससे टिक कर अपनी आंखे बंद कर ली

‘क्यू एकांश ये सब क्यू कर रहे हो?’

‘चाहता क्या है ये, इसे ये सब करके क्या मिल जाएगा?’

‘इसने वो शर्ट क्यू पहनी है जो मैंने इसे गिफ्ट की थी?’

‘इसे तो मुझसे नफरत करनी चाहिए’

‘या ये यह सब इसलिए कर रहा है ताकि मुझे तकलीफ पहुचा सके’

‘एकांश तुम मेरे लिए सिचूऐशन और मुश्किल बना रहे हो’


यही सब सोचते हुए अक्षिता की आँखों से आँसू की बंद गिरी, उसने अपने आप को ठीक किया मुह पर पानी मारा और अपने आप को काम के लिए रेडी किया

--

“हा बोल इतना अर्जन्ट क्यू बुलाया” अमर एकांश के सामने वाली खुरची पर बैठता हुआ बोला

“कुछ नहीं हुआ” एकांश ने कहा

“क्या!”

“हा, तू ही बोला था न वो शर्ट पहनने जो उसने गिफ्ट की थी और फिर बोला था के वो कुछ रीऐक्ट करेगी”

“हा तो”

“तो उसने कुछ रीऐक्ट नहीं किया, उसने बस मुझे देखा फिर शर्ट को देखा फिर मुझे मेरी मीटिंग के बारे मे बताया और चली गई” एकांश ने कहा

“ओह”

“ओह, बस यही बोलेगा तू इसपर” एकांश को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था

“तो और क्या बोलू, मुझे लगा ये काम करेगा, देख फीलिंग तो है बस डबल शुवर होना है और भाई वो फीलिंगस् छिपाने मे बहुत माहिर है”

“तो अब क्या करना है?’

“डोन्ट वरी एक और प्लान है अपने पे फिर सब एकदम क्लियर हो जाएगा” अमर ने कहा

“अब बोल बचन कम दे और करना क्या है वो बता” एकांश ने कहा

“देख तूने कहा था के तूने उसे एक लॉकेट गिफ्ट किया था बराबर, और वो लॉकेट उसे काफी पसंद है मतलब उसके दिल के एकदम करीब है और वो उसे यही भी जाए कुछ भी हो अपने से अलग नहीं करती बराबर, तो अब हमे यही देखना है के वो लॉकेट अब भी उसके गले मे है या नहीं, अगर लॉकेट रहा तो समझ लियो के उसने धोका नहीं दिया था दिलवाया गया था, तो अब तू उसे पहले फोन करके यह बुला” अमर ने कहा

“और फिर?”

“फिर मैं उसके रास्ते मे टांग डाल के उसे गिराने की कोशिश करूंगा”

“और मैं तेरा मुह तोड़ दूंगा”

“अबे यार तू आराम से बात तो सुन पहले, और कोई रास्ता नहीं है” अमर ने कहा

“लेकिन उसको ऐसे गिरने नहीं दे सकता”

“तो तेरे पास कोई और आइडीया है?”

“कुछ दूसरा सोचने ले भाई”

“टाइम नहीं है और डायरेक्ट जाकर लॉकेट के बारे मे पुछ नहीं सकते तो बस यही एक ऑप्शन है” अमर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा

“ठीक है लेकिन संभाल कर”

“हा हा वो देखेंगे अब सुन, वो आएगी, मैं टांग अड़ा कर उसे गिराऊँगा वो वो नीचे की ओर झुकेगी तो तू उतने मे देख लियो के उसके गले मे लॉकेट है या नहीं, और वैसे भी तू भी यही है तू उसे गिरने थोड़ी देगा” आइडीया काफी ज्यादा क्रिन्ज था लेकिन एकांश ने हामी भर दी

“ओके”

“बस इतना ध्यान मे रखियों के उसके लॉकेट को छिपाने के पहले टु देख ले के उसके वो पहना है” अमर ने कहा

“और अगर तेरा ये प्लान उलट फिर गया तब?’

“तो वापिस सैम प्रोसेस रीपीट”

“नहीं, इंसान है वो खिलौना नहीं है चूतिये ऊपर से वो लड़की है उसे हम ऐसे हर्ट नहीं कर सकते बेटर ये प्लान एक बारी मे ही काम करे”

“ठीक है भाई, उसे हर्ट नहीं होगा इसका ध्यान रखेंगे अब बुलाया उसको”

“ओके”

--

अक्षिता आज के मीटिंग की रिपोर्ट बना रही थी के तभी एकांश ने उसे कॉल करके कुछ फाइलस् लाने कहा और उसने भी ऑर्डर फॉलो करते हुए फाइलस् उठाई और एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई, कम इन का आवाज सुनते ही वो केबिन मे आई तो वहा उसके स्वागत के लिए अमर अपनी बत्तीसी दिखते खड़ा था वही एकांश थोड़ा नर्वस था,

अमर वो वहा देखते ही अक्षिता ये तो समझ गई थी के दाल मे कुछ तो काल है और अब आगे क्या होगा ये वो सोचने लगी

अक्षिता उन लोगों की ओर बढ़ी, अमर एक एक नजर एकांश को देखा और अब अक्षिता अमर को पास करने की वाली थी के अमर ने उसके रास्ते मे अपनी एक टांग आगे बढ़ा दी

लेकिन अक्षिता जिसे क्या हो रहा है इसका कुछ आइडीया नहीं था वो अमर ने पैर कर पैर देकर आगे बढ़ गई और अक्षिता की पैरों की हील से अमर के ही पैर मे दर्द उठ गया

अक्षिता की हील पैर मे घुसते ही अमर के मुह से एक हल्की चीख निकली

“क्या हुआ?” अक्षिता ने अमर की चीख सुन उसके पास जाते हुए पूछा

“तुमने तुम्हारी हील मेरे पैर मे घुसेड़ दी ये हुआ” अमर ने दर्द मे बिलबिलाते हुए कहा

“तो तुम ऐसे पैर निकाल कर क्यू बैठे थे?”

“ऐसे ही मेरी मर्जी” अमर ने कहा

“सॉरी” अक्षिता ने कहा, वो बहस के बिल्कुल मूड मे नहीं थी उसने एकांश को देखा जो अमर को ही घूर रहा था

“सर ये फाइलस् जो आपने मँगवाई थी” और उसने वो फाइलस् एकांश को पकड़ा दी

“थैंक यू” एकांश ने फाइलस् लेते हुए कहा

अक्षिता ने भी हा मे गर्दन हिलाई और जाने के लिए मुड़ी ही थी के नीचे फ्लोर पर गिरे कुछ कागजों पर से उसका पैर फिसला और वो गिरने की वाली थी के एकांश ने उसे कमर से पकड़ कर गिरने से बचा लिय, अब सीन कुछ ऐसा था के एकांश ने एक हाथ मे फाइलस् पकड़ी थी वही उसका दूसरा हाथ अक्षिता की कमर कर था और अक्षिता झुकी हुई थी उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे वही दूसरी तरफ अमर अपने पैर को सहलाते हुए नीचे की ओर झुका हुआ था, जैसे ही एकांश ने अक्षिता को गिरने से बचाया वैसे ही अमर से अक्षिता के बाली के बीच से उसकी गर्दन पर लटक रही चैन और उसमे लगे लॉकेट को देखा

और ये सब बस कुछ ही पलों मे हुआ, अक्षिता ने अपने आप को संभाला सही से खड़े होकर अपने बाल सही करके एकांश को थैंक यू कह कर जल्दी से वहा से निकल गई और उसके जाते ही एकांश ने अमर को देखा जो नीचे की ओर देख रहा था

“अमर” एकांश ने आराम से अमर को पुकारा

अमर ने एकांश को देखा, उसके चेहरे के इक्स्प्रेशन देख के एकांश थोड़ा डर रहा था, अमर ने एकांश को देखा और डिसअपॉइन्ट्मन्ट मे अपना सर हिलाने लगा

क्रमश:
Nice and superb update.....
 
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