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Batman

Its not who i am underneath
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अपडेट- 19…………

सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए …….॥



श्याम ढल चुकी थी रामलाल घर किसी भी वक्त पहुचता ही होगा, ये सोचकर कंचन की चूत मे चुल मची हुई थी, वो रसोई मे थी और चाय बनाने की तैयारी कर रही थी, कंचन ने चूड़ीदार पाजामा पहना रखा था। कुर्ता थोड़ा लंबा था पर रेशमी कपड़े की वजह से और गांड बहुत जायद बाहर निकली हुई की मोटे फैले हुए चूतड़ों की दरार मे फस जा रहा था, जिसे कंचन रह रहकर बाहर निकाल रही थी, और कुर्ते के दोनों साइड का कटाव कमर तक था। चूड़ीदार पाजामा कंचन के नितंबों तक टाइट था। चलते वक्त जब कुर्ते का पल्ला आगे पीछे होता या हवा के झोंके से उठ जाता तो टाइट चूड़ीदार में कसी कंचन की टाँगे, मदहोश कर देने वाली मांसल और विशाल चूतड़ बहुत ही सेक्सी लगते। ऊपर से कंचन के कुर्ते के अंदर दोनों मोटे स्तन कसे हुए थे, जो कुर्ते को फाड़कर बाहर आने को बेचैन थे, कुर्ते का गला जरा गहरा ही था और जिनके बीच मे मंगलसूत्र चूचियोंं की घाटी के बीच फसा हुआ था, वो रसोई मे काम करते करते अपनी सास को आवाज देती है,

कंचन- माँजी चाय आपकी अलग बनाऊ या बाबू जी के साथ ही लेंगे
मायादेवी बरामदे मे बैठी हुई थी, वो बस शाम के समय के पाठ की तैयारी कर रही थी, वो कंचन को बोलती है- हा बहू आज कुछ पैरों मे दर्द है तो मेरी चाय मे अदरक तेज कर देना, उनको आने मे थोड़ा टाइम है

कंचन जानती थी उसकी सास के जोड़ों मे तकलीफ रहती है, तो उसका खान पान अलग देखना पड़ता है, कंचन- ठीक है माँजी, आप कहे तो आपके पैरों की मालिश कर दे,
नहीं बहू अभी नहीं अभी हम मंदिर मे जाएंगे, चन्दा बस पहुचती ही होगी।

कंचन- ठीक है माँजी मैं उनके लिए भी एक कप चाय बना देती हू।
हा बहू, चन्दा के लिए भी बना दो उसे भी हमारी बहू की स्पेशल चाय पीने का मोका मिले
कंचन- हस्ते हुए, अच्छा ठीक है माँजी

(चन्दा बिल्कुल पड़ोस मे रहती थी, वो मायादेवी के साथ मंदिर आती जाती थी, और कीर्तन पूजा पाठ मे भी उसके साथ ही रहती थी, चन्दा के घर मे उसका पति भीमसिंह, जो की एक फौजी रिटायर्ड कर्नल था, उसकी बड़ी बेटी शहर मे रामू (कंचन का देवर, जिसका असली नाम राजकुमार था, घर मे सब उसे रामू कहते थे) के कॉलेज ही पढ़ती थी, और एक छोटा बेटा था जो की बस अभी १६ -१७ साल का ही था, गाँव के बाहर एक बड़े स्कूल मे जाता था, भीमसिंह के पास भी बड़ी जमीन थी और शहर मे कारोबार था, चन्दा अपनी जवानी मे बड़ी चुदक्कड़ थी, एक बड़े घराने की लड़की होने के बाद भी उसने लंड खाने का बहुत शौक था, उसने रामलाल से भी बहुत चुदवाया था, जिसका भीमसिंग को थोड़ा अंदाजा था, पर छोटे बेटे के जनम के बाद उसने बाहर चुदाई करवानी बहुत कम कर दी और मायदेवी के प्रभाव ने उसको मायदेवी की तरह ही पूजा पाठ पर थोड़ा बहुत ध्यान लगा लेती थी ताकि गाँव मे और पड़ोस मे उसकी इज्जत बनी रहे , पर फिर भी कभी कबार उसके अंदर की रंडी उसे चुदाई की दुनिया मे खीच लेती थी, और वो इधर उधर चुदाई मचाने और चोदा-चोदी की बाते करने से नहीं चूकती थी, और ये बाते मायादेवी को बिल्कुल पसंद नहीं थी, पर वो भी सालों पुरानी दोस्ती और रिसते की वजह से छुप रहती थी, इधर भीमसिंग फौजी होने की वजह से उसकी शराब पीने की आदत थी और वो कभी कभी चन्दा को शराब पीकर जबरदस्ती चोद भी देता था, भीमसिंग फौजी होने की वजह से बड़ी ताकत रखता था और उसका शरीर और लंड दोनों बड़े मजबूत थे, जिससे चन्दा तृप्त हो जाती है, पर उसकी चूत जो की जवानी से लंडखोर थी इधर उधर मुंह मारने से बाज नहीं आती थी, भीमसिंग को भी चुदाई का बाद शौक था, जब उसे अपनी पत्नी के रंडीपन का पता लगा वो भी इधर उधर मुंह मारने लगा था। इसी बीच दोनों की जिंदगी ऐसे ही चल रही थी पर जबसे मायादेवी की बहू कंचन ससुराल मे गाँव मे रहने आई थी, चन्दा और भीमसिंग दोनों के अंदर हलचल मैच गई थी, चन्दा बड़े चाव से मीठी मीठी बाते कर कंचन से राज निकलवाने की कोशिश करती, कही ना कही चन्दा ये सोचती थी की कही कंचन भी उसकी तरह जवानी मे खूब लंड खा रही हो, और फिर इसी का इस्तेमाल करके वो भी कुछ मजा ले, और भीमसिंग भी बड़ी चालाकी से अपनी बड़बोली पत्नी चन्दा को उकसाकर कंचन की सारी बाते सुनता और मजा लेता और किसी ना किसी बहाने से वो माल को और खुद भी रामलाल के घर जाता राहत था , इसीलिए रोज ही चन्दा और भीमसिंग सुबह श्याम रामलाल के घर मे मक्खी की तरह मंडराते रहते थे)

कंचन को चन्दा आंटी नहीं कहती थी रिसता काफी पुराना और गहरा होने की वजह से वो चन्दा को चाची बुलाती थी, कंचन को चन्दा की बाते बड़ी मीठी लगती थी, वो आपस मे एक दूसरे से हल्की फुलकी छेड़ छाड़ बनाए रखती थी।

कंचन चाय बनाने के लिए पतीला धोकर गैस पर रख देती है, और उसमे पानी डालकर जैसे ही चायपत्ति डालने लगती है तो उसकी चूत की फड़कन एक दम से तेज हो जाती है और उसके पैर कांप जाते है और “ओह” की आवाज के साथ उससे पत्ती ठोड़ी ज्यादा दल जाती है, कंचन बोलती है “हे भगवान आज मुजे ये क्या हो रहा है” ये बोलकर कंचन किचन की स्लैब पकड़ लेती है और लंबी लंबी साँसे लेने लगती है, फिर २ मिनट संभालने के बाद कंचन अदरक कूट कर चाय मे डाल देती है और दूध मिला देती है, और फिर उबाल आने का इंतज़ार करती है, इतने मे फिर से कंचन की चूत और दाने की फड़कन मे एक और लहर आती है जिसके साथ उसे चूत और गांड मे कंपन महसूस होती है, और बहत उत्तेजना के साथ उसकी चूत का छेद खुल बंद होता हुआ उसे महसूस होता है। कंचन की सिसकारी निकाल जाती है “ऊई माँ ईशह” कंचन अपने लिपीस्टीकक लगे हुए होंठों को दातों तले दबा लेती है। पर चीख बाहर तक जा चुकी थी,

मायादेवी- बहू क्या हुआ ठीक तो हो
ये सुनकर कंचन डर से घबरा गई की कही माँजी उनकी मादक सिसकारिया सुनकर गलत ना सोचे, उसने एक दम से बात संभालते हुए कहा-हा माँजी ठीक है, बस उबाल आने वाला था तो चाय गिरते गिरते बची (ये बोलकर उसने चाय को बहुत धीमी आंच पर कर दिया)

मायादेवी- ओह हो बहू तो इसमे इतना चिल्लाने की क्या बात थी

कंचन- वो माँजी अगर चाय गिर जाती तो फिर से बनानी पड़ती और आप लेट हो जाते

मायादेवी- ठीक है बहु चाय बन गई क्या

कंचन- हा बस माँजी बन गई, मीठा कैसा लेंगी आप

मायादेवी- बहू कम ही लाना, पर अभी चन्दा को आने दो वो बस आने ही वाली उससे भी पूछ लेना तब चाय ले आना

कंचन- ठीक है माँजी

कंचन यह किचन मे खड़े हुए स्लैब को पकड़े हुए थी उसकी उत्तेजना से धड़कने बढ़ रही थी, अब उसे रह रह फिर से वो सपना याद आ रहा था, कैसे बलदेव ने उसकी चूत को रौंद कर उसके चिथड़े उड़ा दिया, कैसे उसकी चूचियों को मसल मसल कर लाल कर दिया, और लिंगदेव की आवाज और उसकी कही बाते उसके कानों मे गुजने लग जाती है, “कंचन कंचन कंचन कंचन कंचन कंचन हे देवी कंचन हे योनिदेवी योनिदेवी” बार बार उसे सुनाई देने लगता है वो किचन के कोने मे जाकर अपने कानों पर हाथ रखकर आवाज को रोकने की कोशिश करती है और अपनी आंखे बंद कर लेती है, पर फिर भी आवाज बंद नहीं होती बल्कि एक और चूत की फड़कन की लहर, जो की सबसे बड़ी थी, आ जाती है और उसका हाथ अपने मुंह को दबा लेता है, ताकि इस बार उसकी चीख ना निकले, और फिर एक हाथ वो अपनी जांघों के बीच ले जाती है, कंचन बड़बड़ाने लगती है, “हे राम मर गई ये कहा फस गई, ये क्या हो रहा मुझे, ये कैसी आवाजे है, कोन मुझे बुला रहा है” बस कंचन का इतना ही बोलना था की उस आवाज ने कहा “देवी तुम्हारा सपना कोई सपना नहीं था बल्कि एक हकीकत थी अपने आप को पहचानो और याद करो” कंचन बुरी तरीके से डर जाती है उसे लगता है वो पागल हो रही है।

“देवी ये तुम्हारे मन का कोई वहम नहीं है, तुम डरो नहीं हम तुम्हारे शुभचींतक है, सिर्फ तुम हमारी आवाज क सुन सकती हो, हम तुम्हें ये याद दिलाने आए है की जो तुमने अभी सपना देखा वो सपना नहीं सच था, तुम्हें याद दिलाते है की तुम एक योनिदेवी का अवतार हो” लिंगदेव ने बोला।

कंचन कपकपाते हुए -त त तो तो तो इस इस इसका मतलब हम पागल नहीं हो रहे, ये सब सच मे हो रहा है

लिंगदेव - हा बहू ये एक दम सच है, ये शरीर मे बदलाव तुम्हारी शक्तियों का प्रतीक है।

कंचन- पर इन शक्तियों का क्या मतलब है, हमे तो कुछ समझ नहीं आ रहा

लिंगदेव - इन शक्तियों के साथ तुम्हारे शरीर का बल बढ़ जाएगा तुम चाहो तो अच्छे से अच्छे बलवानी को भी आसानी से पछाड़ सकती हो, और तुम्हारे बदन की फुर्ती और रफ्तार बिजली के जैसे हो गई है

कंचन हैरानी से ये सब सुन रही थी, उसका ध्यान सास-ससुर और चाय से हटकर लिंगदेव के बोलवाचन पर लग गया था, कंचन- मुझे अब सपने मे ये सब याद आ रहा है, पर मेरी योनि मे जो संकुचन और फड़कन हो रही है उसका क्या मतलब है

लिंगदेव- देवी इसका मतलब है तुम्हें वीर्यदान की बहुत जरूरत है, तुम्हारा शरीर तुम्हें वीर्यादान का संकेत दे रहा है वीर्यग्रहन के बाद इसका संकुचन और फड़कन कम हो जाएगा
घबरा जाती है,

कंचन- वीर्यादान ये आप क्या कह रहे है, हमारे पति तो यह नहीं है फिर हम किसका वीर्य ग्रहण करे

लिंगदेव - तुम याद करो देवी हमने तुम्हें बताया था की तुम्हें हमारी चेतना के स्वरूप के साथ संभोग करना होगा और इसमे बस तुम पत्नी धर्म ही निभाओगी

कंचन को अब सपना पूरा पूरा याद आ चुका था, उसको लिंगदेव की और बलदेव की सारी बाते याद चुकी थी, कंचन फिर पूछती है- तो फिर आपके स्वरूप का पता कैसे लगेगा।

लिंगदेव - देवी तुम्हारी योनि मे जो कुछ हो रहा है इसी के जरिए तुम्हें हमारे स्वरूप का पता लगेगा, और जब इसका संकुचन बंद हो जाएगा और साथ ही तुम्हारी सारी इंद्रिया तेज हो जाएंगी, इसका मतलब तुम्हारे आसपास कोई बुरी शक्ति है और तुम्हें उससे सावधान रहना होगा

लिंगदेव - जैसे ही बुरी शक्ति का नाम कंचन के कानों पर पड़ता है, कंचन की आंखे बड़ी हो जाती है कंचन पूछती है- तो क्या हम इन सब के बीच अकेले है, हमारी रक्षा के लिए कोई नहीं है, बलदेव भी अभी यहाँ नहीं है, हम क्या करेंगे

लिंगदेव - देवी तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है, तुम्हारे शरीर मे बहुत शक्ति और प्रबलबता है, तुम्हें हम बता दे की तुम्हारे ससुर, रामलाल , भी हमारा एक स्वरूप है वो तुम्हारी रक्षा करेंगे बल्कि हमारे जीतने भी स्वरूप मिलेंगे वो तुम्हारी रक्षा करेंगे, तुम्हारे ससुर के अंदर हमारी यानि लिंगदेव की शक्ति बहुत ज्यादा है, और अश्वपशुपूर गाँव मे हमारे कई अवतार है, पर सिर्फ इस गाँव मे ही नहीं संसार मे जगह जगह पर लोग मुझे पूजते है और मेरे स्वरूप संसार मे जगह जगह है, जिनमे से एक तुम्हारे खुद के पिता जी है, यानि विजय शर्मा, उन्मे भी हमारी दी हुई शक्ति है, वो भी हमारी शक्ति का बाद स्वरूप है, और ये कोई सनयोंग नहीं की तुम्हारे ससुर के साथ संभोग तुम्हें वो सपना दिखा, तुम्हारे अपने शरीर मे अपने पिता और ससुर के साथ संभोग के बाद इतनी शक्ति और ऊर्जा हो गई थी की तुम्हारा अपने असली अवतार मे आने का समय हो गया था.

कंचन को इतनी शर्म और लाज आ गई थी अपने बाप और ससुर से चुदाई के बार मे सुनकर की वो जैसे जमीन मे गड़ी जा रही थी, पर फिर भी वो लिंगदेव की बातों को सुनकर कुछ वैसे ही भोली बनकर खड़ी रही, पर फिर उसके मन मे एक सवाल आया जो उसने पूछ लिया- लिंगदेव आपका धन्यवाद मेरा मार्गदर्शन के लिए, परंतु हमारा एक जरूरी सवाल है, अगर मैं आपके हर एक स्वरूप के साथ संभोग कर उसका वीर्यग्रहन करूंगी तो उससे तो हम गर्भवती हो सकते है, पर हम नहीं चाहते की हम अभी बच्चा पैदा करे।

लिंगदेव- तुम्हारा ये पूछना बिल्कुल उचित है, हम तुम्हें बता दे तुम्हारे शरीर के अंदर शक्ति है तुम जब चाहो तब गर्भवती हो सकती हो, ये तुम्हारी इच्छा अनुसार होगा, पर तुम्हारी योनि का कौमार्य हमेशा बना रहेगा, हर सूरज की पहली किरण के साथ तुम्हारी योनि अपना कौमार्य दोबारा ग्रहण कर लेगी

कंचन ये सुनकर चकित हो जाती है, उसे अपने शक्तियों के बारे मे जानकर बहुत हैरानी हो रही थी, कंचन फिर पूछती है- वीर्यग्रहन का महत्व हमे समज मे या गया, पर क्या हमारा योनिदेवी होना इस समाज के लिए और संसार के लिए सही होगा।

लिंगदेव- देवी तुम अपनी नियति को बदल नहीं सकती तुम जितना भी चाहो, और अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो तुम्हारा रोम रोम तड़पता रहेगा, तुम्हारा मन विचलित रहेगा, वीर्यग्रहण करना वैसे ही जरूरी है जैसे जमीन फसल उगाने के लिए पानी की जरूरत होती है, और बिना पानी फसल नहीं उगसक्ति, तुम्हें हम जरूरी बात ये बताना चाहेंगे, की तुम्हें 45 दिनों तक लगतार वीर्यग्रहन करना होगा, ताकि तुम अपनी पूरी शक्तियों को पाकर बुराई का खातमा कर सको।

कंचन को यही बात जो सपने मे भी कही थी याद या जाती है, पर वो फिर बोटी है- पर समाज मे लोग का क्या, सब मुझे क्या सिर्फ एक अवतार के रूप मे ही देखेंगे, इतने लोगों को जब हमारे रूप का पता लगेगा तो क्या हमे वो अपना लेंगे

लिंगदेव- देवी तुम्हें लोगों से ऊपर उठना होगा, तुम एक साधारण मानव की तरह नहीं सोच सकती, समाज के रीति रिवाज सिर्फ एक पिंजरे की तरह तुम्हें रोकेंगे, तुम लोगों के बीच राहकर उन्हे रास्ता नहीं दिखा सकती, लोगों से आगे बढ़कर ही तुम उन्हे रास्ता दिख सकती हो, अच्छे लोग अपने आप जुडते चले जाएंगे, और बुरे लोगों को तुम अपनी शक्तियों से दूर रखोगी, तुम्हारी एक और शक्ति है, सम्मोहन की जो तुम्हें मई है, जीस व्यक्ति के मन मे तुम्हारे लिए वासना होगी वो अपने आप सम्मोहित हो जाएगा, और तुम्हे उसके मन की बाते सुनाई देने लगेंगी, और जिस किसी को भी तुम अपनी योनि का रस खिला दोगी वो भी सम्मोहित हो जाएगा। और सम्मोहन के बाद उससे कुछ याद रहे ना रहे वो तुम्हारी मर्जी होगी।

कंचन सब सुन रही थी और समज रही थी, उसे अपनी शक्तियों और कार्यों के बारे मे पता लग रहा था,- ठीक है लिंगदेव जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया हमारा मार्गदर्शन के लिए, पर हमे आगे कार्य क्या करना होगा ?

लिंगदेव- देवी हम तुम्हें समय आने पर बात देंगे, हमारा अभी आना जरूरी था, क्यूकी तुम घबरा गई थी, और हम तुम्हारे पति है और शुभचिंतक है, इसीलिए हम समय समय पर जब भी तुम्हें जरूरत हॉफई आगे भी तुमसे मिलते रहेंगे, तुम्हारा मार्गदर्शन करते रहेंगे, और नियति तुम्हें अपने आप सही रास्ते पर ले आएगी, फिलहाल तुम अपने मन की और शरीर की सुनो, हमारी कही बातों को याद रखो और हमेशा तुम्हारे आस पास ही रहेंगे।

इसके बाद कंचन को लिंगदेव की आवाज आनी बंद हो जाती है, और बाहर से घर के मैं गेट पर खुलने की आवाज आती है। कंचन का ध्यान टूट जाता है

माया- ऐ बहू, लगता है चन्दा या गई, चाय बन गई क्या

कंचन अब फटाक से जवाब देती है- हआ माँजी हमने धीमे आंच पर लगा दी थी, उबल चुकी है,

वो किचन मे फिर से चाय पर ध्यान देती है अब कंचन गैस की तरफ खड़ी होकर पटीला हिलाने लगती है, और चाय को और कडक बनाने लगती है, कंचन की हाथ की चाय बहुत बड़िया था, बहुत ही प्यार से कंचन सबको चाय बनाकर पिलाती थी।

बाहर से ही, चन्दा- माया, ऐ माया कैसी है तू

माया- ठीक हू चन्दा तुम कैसी हो

माया देवी बहुत खुले हुए कपड़ों मे रहती थी, हलाकी उसका बदन भी भर हुआ कामुक था, पर वो अपने बदन को छुपाकर रखती थी, और किसी की गंदी नजर लगने नहीं देती थी, सबको पता था मायादेवी बहुत धार्मिक औरत है, इसीलिए लोग भी उसको इज्जत के नजीरिए देखते थे।

चन्दा खूब सजी हुई आई थी, बहुत ही मादक लग रही थी, चन्दा एक 38 साल की सुंदर भरे हुए शरीर की औरत थी औरत थी चेहरा गोल था और भूरे बाल थे, भरी हुई 38 इंच की d-कप की चूचियाँ थी, जो अभी भी दो बच्चों और उम्र क हिसाब से काफी बिल्कुल भी लटकी हुई नहीं थी, बल्कि फुली और तनी हुई थी, नीचे उसकी 30 इंच की कमर से लगी हुई उसकी 42 इंच की चोड़ी भरी हुई गांड चलते वक्त गजब हिलोड़े मारती थी, और मोटे चूतड़ जब हिलाकर चलती थी, तो लोगों के दिलों पर छुरिया चल जाती ही, चन्दा बस ऐसे मर्दों के साथ ही फसती थी जो पैसे वाले और पावर वाले हो, जिनका लंड बड़ा हो और जो उससे अपनी मर्दानगी के नीचे दबा कर रखे, चन्दा बहुत चालू चीज थी, भोली बनकर मावा खाती थी।
(आवाज अंदर किचन तक नहीं जा रही थी, कंचन अब आराम से चाय बना रही थी, और कभी कभी सपने के बारे मे सोच रही थी)

चन्दा- मैं भी अच्छी हू, यहाँ बरामदे मे क्यू बैठी हो

माया-अरे हम तो बस तेरा ही इंतज़ार कर रहे थे।

चन्दा- ज्यादा इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा

माया- नहीं रे, कहा बस साथ मे मंदिर की तैयारी चल रही थी

चन्दा- मैं भी तैयारी कर आई हू, हमारी सुंदर प्यारी बहुत कहा है, दिख नहीं रही, उस चाँद को कहा छुपा के रखा है (छेड़ते हुए बोली)

माया-अरे चन्दा तुझसे क्यू छुपाएंगे वो तो तेरी भी बहू है, और आज तक तुझसे कुछ छुपा है क्या

चन्दा- हा हा हा ठीक है दीदी मेरा भी मन नहीं लगता उसके बिना कितनी प्यारी है वो, फिर बताओ तो कहा है कंचन

माया-अरे वो तो तेरे लिए चाय बना रही है, हमने बात दिया तुम आ रही हो, तुम्हारे लिए अपने हाथ की बड़िया चाय बना रही है, अभी बुला लेटे है

चन्दा- नहीं नहीं बुलाने की क्या जरूरत है, हम ही चले जाएंगे,

चन्दा अंदर जाती है और किचन तक पहुच जाती है,

चन्दा जैसे ही किचन के पास पहुचती है और अंदर झाकती है तो देखती है बहू गैस की तरफ मुंह करके खड़ी है और चाय बना रही है, उसे कंचन की गांड दिख जाती है, और ऐसी गांड देखकर उसकी आंखे बड़ी हो जाती है उसका कलेजा तेजी सी धड़कने लगता है।

चन्दा मन मे ही सोचती है (हे राम क्या मोटे मोटे चूतड़ है जब भी इसको देखती हू, ऐसा लगता है इसके चूतड़ और बड़े हो गये है)
कंचन जैसे जैसे पतीले को हिल रही थी उसकी उठी हुई कातिलाना तरीके से हिल रही थी, चन्दा ये देखकर मन मे सोचती है (इतनी उठी हुई गांड अच्छे अच्छे मर्दों का पानी पैंट मे ही निकलवा दे, सच ही है की पूरा गाँव इसकी जवानी के पीछे क्यू मरा जा रह है)

कंचन फिर चाय के लिए शक्कर निकालने के लिए नीचे की कबर्ड को खोलने के लिए ठोड़ी झुक जाती है जिससे उसकी गांड बाहर की और निकाल जाती है, और जिससे उसके चूतड़ों के बीच कमीज का कपड़ा फस जाता है, जिसे देखकर चन्दा की चूत ठोड़ी कुलबुला जाती है, और फिर सोचती है (हे भगवान क्या गांड है इसकी मैं दो बच्चों की माँ हू फिर भी ऐसी गांड मेरी नहीं है, पता नई कितने लंबे मोटे लंड खाए होंगे इसने, पर इसको को सच मे किसी लंबे मोटे लोड़े की जरूरत है, राकेश पता नहीं इसको संभालपता होगा या नहीं, और पता नहीं रामलाल से कैसे बची हुई ये गांड शायद अब तक तो वो इसे मसल चुका होगा, जब साला इतनी लड़कियों और मेरे भी मजे ले चुका, ऐसा रंडीबाज़ इंसान कैसे इतनी गरम बहू को छोड़ दे, मोका मिलते ही इसको मैं भी मोटे लंड खिलाऊँगी)

कंचन ने चाए कप मे डाल ली थी और कप्स को ट्रे मे रख कर शक्कर डालने ही लगी थी की चन्दा धीरे धीरे दबे पाव किचन मे जाती है और कंचन के पीछे जाकर, उसकी गांड से कपड़े को खीच कर निकाल देती है, और चूतड़ों को हल्के से दबा देती है, कंचन एक दम से घबरा जाती है, और पीछे मुड़ जाती है।

कंचन- ऊई माँ, कोन है

चन्दा- बहू हम है, डर गई क्या (कंचन और चन्दा के बीच ऐसी नोक झोंक चलती रहती थी, चन्दा की कोशिश रहती थी की वो कंचन को खोल दे, और उसके साथ अच्छे से लंड चूत की बाते करे)

कंचन- हा चाची आपने तो दर ही दिया, ऐसे भी भला कोई करता है

हमारी प्यारी बहू डर गई, (कंचन के सर पर हाथ फेरते हुए बोली) बस हम ही तो है,

बाहर से माया चिल्लाते हुए- अरे बहू क्या हुआ, पूरे दिन से बहुत चिल्ला रही हो

कंचन शरमाते हुए- अरे कुछ नहीं माँजी ये चन्दा चाची ने डरा दिया एक दम से

चन्दा माया को चिल्लाते हुए - अरे दिन मे क्या हुआ हमारी बहू को

माया- कुछ नहीं दिन मे भी ये चूहे से डर गई थी

चन्दा मन मे सोचती है (अरे ये कहा डरी होगी इसके उठे हुए मोटे चूतड़ों को देखकर लगता है इसने तो मोटे मोटे चूहे खाए होंगे), फिर बोलती है- अरे कोई नहीं दीदी शहर से है वहाँ इसने मोटे चूहे नहीं देखे होंगे तो डर गई होगी (कंचन की साइड लेटे हुए चन्दा बोली)

माया- अरे चन्दा तुम ही बताओ इसको छोटे मोटे जानवर तो ऐसे ही घूमते है यहा, डरने की कोई बात नहीं

चन्दा -हा दीदी हम इसको सब समझ देंगे (चन्दा कंचन को आँख मारते हुए बोली )

कंचन मुस्कुरा देती है- हमने आपके लिए चाय बना दी है, आप इसमे शक्कर कितनी लेंगे।

चन्दा- बहू तुम्हें तो पता है हमे मीठा बहुत पसंद है, तुम 3 चम्मच डाल देना, वैसे दूध किसका है गाये का या भैस का या (चन्दा कंचन की बड़ी तनी हुई चूचियोंं को देखते हुए बोली और हल्के से हास पड़ी)

कंचन शरमाकर मुसकुकर दी उसे पता था चन्दा चाची ऐसा मजाक करती है, उसकी दोस्त नीलम भी ऐसे ही उसके मजे लेती थी- चाची हरीलाल दूध तो गाय और भैस दोनों का देकर जाता है, पर हम भैस का दूध ही चाय मे डालते है

चन्दा सोचती है साला हरीलाल सिर नाम का हरी है बहुत कमीना है हट्टा कट्टा मर्द है और उसका लंड तो बहुत मोटा है, साला गाँव की औरतो का खूब दूध पीता है, और अपनी मलाई उनको खिलाता है वो खुद छुप छुपकर हरीलाल को अपनी चूत देती थी।

चन्दा- हा बहू बहुत सीधा आदमी है वो तुम्हें अच्छा दूध देता होगा, बिल्कुल मिलावट नहीं करता (चन्दा बात को कुरेदते हुए बोली)

कंचन- हा चाची बहुत अच्छा बोलता है, बताता रहता है अपनी भैसों और गायों के बारे मे, और दूध के बारे मे पूछता राहत की टैस्ट कैसा है, बोलता है मलाई अच्छी निकलती है नहीं, कहता है की अगर और गाढ़ी और स्पेशल मलाई खानी हो, या रबड़ी खानी हो बता दे

चन्दा समझ गई की हरीलाल बहू पर गंदी नजर रखता है, पर वो खुद चाहती थी की कंचन किसी से चुद जाए, तो वो ये सोचकर बोलती है- हा बहू उसका तबेला बहुत बड़ा है तुम्हारा मन करे तो घूम कर आना, उसकी मलाई और रबड़ी बहुत बड़िया है, अगर तुमहे खानी हो तो उससे मेरा नाम ले देना, वो तुम्हें खिला देगा (चन्दा मन मे सोचती है की हरीलाल कंचन को घोड़ी बनाकर चोदता हुआ कैसा लगेगा, आख़िर उसने भी की बार घोड़ी बनकर हरीलाल से चुदवाया था, और कंचन की ऐसे चोड़ी गांड मे हरीलाल का मोटा लंड फसा हुआ जबरदस्त लगेगा, साली को ठंडा कर देगा, चूत को पूरा खोल देगा)

कंचन- हा चाची हमे मालाई रबड़ी बहुत पसंद है हम उसको कल ही बोल देंगे

चन्दा -हा बहू खूब दूध मलाई खाओ, जिससे तुम्हारा बदन भर जाए, और तगड़ी हो जाओ (चन्दा कंचन की भारी छातिओ को देखकर बोली जो कमीज के डीप गले के कारण बाहर झांक रही थी, और उनके बीच मे फंस हुआ मंगल सूत्र उनकी शोभा बढ़ा रहा था)

कंचन चन्दा का इशारा समझ जाती है और हंस देती है- ठीक है चाची आप अब चाय पीलों वरना ठंडी हो जाएगी
चन्दा- ठीक है बेटी, तुम बाहर ले आओ, माया के साथ बैठ कर पी लेते है

मायादेवी और चन्दा दोनों चाय पीकर मंदिर को और निकल पड़ते है, और पीछे कंचन अकेली रह जाती है और अपने ससुर रामलाल का इंतज़ार कर रही थी, जो की रास्ते मे ही था कभी भी आ सकता था।

माया- चन्दा बहू तो बड़ी डरपोक और भोली है, बात बात पर डर जाती है

चन्दा- अरे दीदी वो गाँव मे घूमी नहीं कुछ देखि नहीं तो डरेगी ही, उसको खेतों मे भेजो, अपनी जमीन दिखाओ।

माया- अच्छा तुम कह तो ठीक रही हो, हम इसके बाबू जी को बोल देंगे, वो कुछ करेंगे, नहीं तो कमला को बात देंगे

चन्दा- अरे दीदी हम क्या पराए है, हमारा भी तो अपनी प्यारी बहु के लिए फर्ज बनता है

माया- नहीं चन्दा हमारा वो मतलब नहीं था, हम नहीं चाहते थे की तुम परेशान हो तुम भी तो घर के कामों मे लगी रहती हो (मायादेवी को चन्दा की हरकतों कआ अनदाज़ा तो था पर चन्दा के रंडीपने का पूरा नहीं पता था, वो थोड़ा हिचकिचा रही थी, की उसकी बहू बहुत भोली है कही चन्दा उसको बहका ना दे)

चन्दा- पर दीदी, हम अपनी प्यारी बहू के लिए टाइम निकाल लेंगे, कितना खयाल रखती है वो हम सबका, हमे भी तो उसका खयाल रखने का मोका मिलेगा

माया- हा चन्दा बहू ध्यान तो खूब रखती है हमारा, बहुत सुशील है

चन्दा मन मे सोचती है उसका बदन देखकर लगता नहीं, साली ऐसा लगता है कितने मर्दों का पानी पी रखी होगी।

चन्दा- दीदी बिल्कुल सच कहा, इतनी सुंदर और सुशील बहू किस्मत वालों को मिलती है,


माया- हा चन्दा हमारे तो भाग ही खुल गए, पर डर लगता है कभी कभी क्यू की बहू इतनी सुंदर है और गाँव के मर्द ऐसे ही कही किसी की नजर ना लगे, ये भी एक कारण है इसको घर रखने का

चन्दा- अरे वो कोई बच्ची नहीं है, और मर्द तो मर्द ही होते है उनको कोई कैसे रोक सकता है चाहे घर हो या बाहर वो तो देखेगा ही, पर आप चिंता मत करिए हम उसकी पूरी खिदमत करेंगे (चन्दा मायादेवी का भरोसा लेते हुए बोली)

माया- ठीक है चन्दा तुमपर हमे पूरा भरोसा है, अब मंदिर चलते है पंडित जी इंतज़ार कर रहे होंगे।

चन्दा (हा मुजे पता है बहुत बेसब्री रहती है उस पंडित को)- हा दीदी जल्दी चलते है।


बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
 
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Batman

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नया अपडेट पोस्ट हो चुका है, चन्दा क पात्र कैसा लगा, लिख कर जरूर बताए, कहानी कैसी लग रही है, अपने भाव और सुझाव बताए।
 

Batman

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KANCHAN AUR BALDEV....
 

Batman

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पाठकों से मेरी गुज़ारिश है कि उन्हें अगर कहानी पसंद आ रही है अप्डेट्स अच्छे लग रहे है, तो like और comments ज़रूर करे, दिल खोल कर बताए की कहानी कैसी लग रही है।
 

Sumit1990

सपनों का देवता
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Waiting for big next update....??? Aur aap se request thi story me jab chudai hoti to wo chudai ki poori detail bhi diya karo aur pics gif ke sath please it's request....

curvyfashionable-20201113-7
 
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ठीक है, अगले अप्डेटस में देखते है भाई आप मेरे कॉमेंट्स देखें पिक एंड gif डालने में मज़े कोई दिक़्क़त नहीं मिलती तो ज़रूर डालता, और चुदाई का सीन जब होगा तो डिटेल्ज़ तो वैसे भी नहीं छोड़ता, बिलकुल डिटेल्ज़ मिलेंगी
 
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Aaryapatel

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Superb hot update bhai.......bhai kanchan jisse bhi chude par wo dusro ko na batae ke usne gaaw ki sabse hot gudraya maal ko ragad ragad ke chuda he
 
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