अपडेट- 18…………
...................................................................................पार्ट-2 (वासना और उपासना)
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी…….॥
“ठक ठक ठक ठक” कंचन घर मे कमरे मे सोई हुई थी, दरवाजे पर इस वक्त कोन आ गया था, कंचन जाग उठती है उसकी आंखे खुलती है सीधा पहले उसका ध्यान अपनी फड़कती हुई चूत पर जाता है उसकी चूत चुदाई की आग मे दहक रही थी, उससे सबसे पहले यही ध्यान आता है की कैसे सोने से पहले उसने चूत की गर्मी को उंगली से शांत किया था, उसके मन मे सवाल था
ये कैसा चुदाई का नशा उसे चढ़ गया था ॥
अब आगे……॥
कंचन की नींद खुल चुकी थी वो अपने ससुराल अपने कमरे मे थी, कंचन का नंगा बदन बिस्तर पर चादर मे लिपटा हुआ था। दरवाजे पर ठक ठक ठक ठक चालू थी।
“बहू कहा हो” बाहर मायादेवी खड़ी आवाज दे रही थी
कंचन घबरा जाती है “ ह ह ह हा माजी यही हू बोलिए”
कंचन हड़बड़ाहट मे उठने की कोशिश करती है, उसका सर उसे भारी भारी लगता है, वो बिस्तर पर उठ कर बैठ जाती है और अपनी पीठ बिस्तर पर लगा देती है, और अपने दर्द को काम करने के लिए सर मसलने लगती है।
मायादेवी- तो ये दरवाजा क्यू बंद कर रखा है दिन मे
कंचन को यही डर था की कोई आ ना जाए, अब वो नंगी कमरे मे क्या बहाना बनाए, कंचन सोच कर बोलती है- वो हम नहाए थे तो कपड़े बदल रहे थे इसीलिए बंद है।
मायादेवी मन मे सोचती है “हे भगवान ये लड़की कितनी शर्मीली है, शादी को दो साल हो चुके है, और घर मे सिर्फ मैं ही तो थी”
अंदर कंचन नंगी बिस्तर पर अपना सिर मसल रही थी उसकी भारी नंगी चूचियाँ हिलोड़े मार रही थी,
मायादेवी- बहु सुबह नहाई तो थी अब क्या हुआ ?
कंचन की तो सांस ही अटक गई गई थी, उसको झूठ पर झूठ बोलने पड़ रहे थे, वो फस गई थी, कंचन सिसकी हुई आवाज मे बोलती है- वो वो माजी घर के काम मे कपड़े गंदे हो गए तो हम नहा लिए (ये बोलकर कंचन ने अपने माथे पर हथेली दे मारी, सोच कैसा घटिया बहाना था )
मायादेवी ने ज्यादा कुछ सोचा नहीं और बोली- ठीक है तो अब बाहर आ जाओ तुम्हारे बाबू जी जल्दी ही आने वाले है, आते ही चाए के लिए पूछेंगे!
कंचन हड़बड़ा कर बोलती है- अभी आती हू माजी बस १० मिनट मे।
मायादेवी- ठीक है बेटी।
अंदर कंचन का माथा जो दर्द से भारी हो गया था, अब थोड़ा उसे नॉर्मल लगने लगता है, उसका दर्द ठीक हुआ तो उसने बिस्तर पर उसके रस की सनी हुई चादर देखी और उसकी जांघों के बीच उसे चिपचिप महसूस हुई तो उसने बदन पर ठंडे पानी डालकर नहाने की सोची, कंचन के पास समय काम था उसने जल्दी जल्दी उठकर बाथरूम की और जाना चाहा जैसे ही वो उठने को हुई उसको अपनी चूत मे मीठी मीठी दर्द भरी चीस महसूस होने लगी और उसकी कमर हल्की हल्की दुख रही थी, और उसके कदम जैसे ही जमीन पर लगे और वो खड़ी हुई तो कंचन का पूरा शरीर उसे हल्का हल्का दुखता महसूस हुआ उसे लगा की घर के काम की थकान की वजह से ऐसा लग रहा है।
वो जल्दी जल्दी बिस्तर की चादर लपेट कर बाथरूम की और भागी उसके भारी मांसल चूतड़ हिलोड़े मारते हुए ऊपर नीचे थिरक रहे थे, और दोनों वजनी चूचियाँ आपस मे टकरा रही थी, कंचन ने जाते ही चादर को धुलने वाशिंग मशीन मे डाल दिया, और पानी कआ शावर चलाकर नहाने लगी, कंचन की आंखे बंद थी, उसस्ने अपनी चूत की भगनासा की फड़कान साफ महसूस हो रही थी और चूत की वासना की आग मे जैसे चुदाई के लिए मोटे रसीले लंड के लिए चीख रही हो, कंचन ये सोच ही रही थी की उसके बदन मे ये कैसी चुदाई की आग लगी हुई है, की उसे अपने सपने मे सभी घटनाए और बातें याद आने लगी, कंचन बलदेव के साथ चुदाई के सीन को याद करके कांप जाती क कैसे इतना लंबा मोटा लंड उसके अंदर बाहर हो रहा था और उसने कैसे ऐसी दमदार चुदाई झेल ली थी, कंचन का हाथ अनजाने मे चूत के ऊपर चला जाता है और चूत जबसे फड़क ही रह थी उसको २-३ baar ऊपर से ही रगड़ देती है जो की नहाते वक्त औरतो की आदत होती है, और कंचन की दाबी हुई “आह” निकाल जाती है, कंचन के पास टाइम नहीं था वो जल्दी मे थी मायादेवी उसे बुलाने कभी भी दोबारा आ सकती है, तो फिलहाल उसने सपने के बारे मे जायद नई सोचा क्यू की ऐसा आदमी सच मे होना और लिंगदेव और योनिदेवी और पिछले जनम जैसी बाते उसे बेतुकी लगी, और सपने को सिर्फ सपना मानते हुए नहाने लगी,
पर फिर से जल्दी जल्दी पानी के नीचे बदन को मसलने लगी, उसने अपने स्तनों को, उनके नीचे और प को अच्छे से मसाला, उसको अपने बदन मे अलग ही कसावट लगी और बदन काफी भर भरा लगने लगा। कंचन ने देखा धीरे धीरे सारा बदन दर्द दूर हो गया और सिर का दर्द भी ठीक हो गया, उसने शवेर बंद किया, अब वो जल्दी जल्दी बदन पोंछने लगी, चेहरे को पोंछते हुए स्तनों के ऊपर लगा हुआ पानी साफ करते हुए उसने चूत को तौलिए से हल्का रगड़ कर साफ किया, जिससे उसकी सिसक निकाल गई, और गांड के छेद और चूतड़ों को पोंछकर कर तौलिया लपेट कर, बाथरूम की लाइट बंद कर बाहर आ गई, और जल्दी ही तौलिया लपेटे बाहर आकर शीशे के सामने तैयार होने लगी।
कंचन जल्दी मे थी तो उसने शीशे के सामने आकर अपना तौलिया खोल दिया, तौलिया खुलते ही उसने देखा वो चौंक गई और कंचन के मुंह से चीख निकाल गई “आह” उसने अपने दोनों हाथों को अपने मुंह प रख कर चीख को दबा डी उसकी आँख बड़ी होकर अपने बदन को शीशे मे देख रही थी, कंचन हैरानी से शीशे के पास चली जाती है, और घबराई हुई अपने चेहरे और शरीर को जगह जगह से छूकर देखने लगती है, उसका बदन और ज्यादा गठीला और मजबूत हो गया है, उसकी आंखे हल्की नशीली और लाल थी, उसके चेहरे पर अजीब सी चमक थी जो उसने आजतक नहीं देखि थी, और नीचे उसके हाथ अपनी गोरी भरी हुई ३८ इंच c-कप की चूचियों पर चले गए, उठाकर और दबाकर चेक किया, जिनके बीच मे मंगलसूत्र लटक रहा था, उसकी चूचियाँ उसे कुछ जायद ही तनी और गठी हुई लगी, नीचे अपने पेट पर हाथ लगते हुए उसने अपनी चूत को ऊपर से हल्का चेक किया जो उसे कुछ गरम लग रही थी, वो मुड़ कर घूम जाती है, कंचन के मुंह से चोंक कर “हे भगवान” निकाल जाता है, उसकी गांड बहुत ज्यादा बाहर को निकलकर कर उठी हुई, उसके दोनों चूतड़ टाइट होकर उठे हुए थे, उसके दोनों चूतड़ पहले ही बहुत चोड़े और गोल थे, अब तो दोनों चूतड़ दो बड़े बड़े तरबूज जैसे हो गए हो, कंचन के हाथ उसके मादक चूतड़ों पर चल रहे थे जिन्हे वो शीशे के आगे चकित हो कर घूम घूमकर देख रही थी, उसने कई बार दोनों पैरों की एड़ी उठा उठाकर अपनी गांड को शीशे मे निहारा, कंचन ऐसा बदलाव देखकर डरने लगती है, और फिर उसके डरते हुए हाथ अपनी चूत की तरफ जाते है, वो इस बार ध्यान से महसूस करती है और फिर अपने हाथों को जांघों पर रखकर शीशे के आगे अपने पैरों को उठाते हुए चूत को थोड़ा खोलकर शीशे मे देखती है तो उसके मुँह से “हे राम” निकाल जाता है उसकी चूत के होंठ बिल्कुल आपस मे एक दम जुड़े हुए थे और चूत का छेद एक दम बंद लग रहा था, जो की शादी के बाद थोड़ा खुल गया था और उसके अंदर की लालक थोड़ी बढ़ गई थी, चूत का शैप और साइज़ कंचन की शादी से पहले जैसा, मतलब एक अनछुई चूत जैसा एक दम हो गया था, और उससे लगतार कामरस निकाल रहा था जिसकी सुगंध बहुत तेज थी, उसको अपने शरीर मे ऐसा बदलाव देखकर बेचनी होनी शुरू हो गई, उसकी दिल की धड़कने घबराहट से तेज हो गई थी। उसको समज नहीं आ रहा था क्या करे, इतने मे ही बाहर से मायादेवी की आवाज आती है।
मायादेवी-बेटी क्या हुआ क्यू चिल्ला रही हो।
कंचन की तो जैसे सांस अटक जाती है, उसने सोच की वो क्या बोले, फिर उसके मुंह से- मम्मी जी वो एक चूहा यह घूम रहा है, उससे देखकर कर डर गए थे। ये बोलकर, कंचन जल्दी से भागकर अपनी अलमिराह से ऑरेंज रंग की ब्रा-पैंटी निकालती है, और साथ मे एक गुलाबी-सतरंगी रंग का सूट निकाल लेती है। कंचन को पता नहीं लगा पर उसके बदन मे गजब की फुर्ती आ गई थी,
मायादेवी-बाहर (मन मे हे राम कैसी डरपोक बहू आई है) बेटी अंदर सब ठीक तो है,
कंचन- हा थोड़ा हकलाते हुए माँ जी सब ठीक है
मायादेवी बेटी तुम थोड़ा घबराई हुई लग रही हो इसीलिए हमने बोला
कंचन-नहीं नहीं माँ जी ऐसा कुछ नहीं है
मायादेवी- बेटा कुछ ऐसा है तो हम अंदर आ जाते है
कंचन के ऐसा सुनते ही मानो पैरों तले जमीन खिसक गई उसने सोच अगर मम्मी जी ने हमे नंगा देख लिया तो क्या जवाब देंगे।
कंचन-नहीं नहीं बस हम आ रहे है, आप परेशान ना हो, वो तो बस एक छोटा स चूहा था, इसीलिए हम घबरा गए थे, बस १ मिनट मे बाहर आ जाएंगे
कंचन जल्दी जल्दी सांस से बात करते हुए अपनी ब्रा-पैंटी उठाती है, सबसे पहले अपनी पैंटी पैरों मे डालकर पहन लेती है, फिर जैसे तैसे अपनी भारी चूचियों को ब्रा मे फिट करती है, उसे ब्रा हल्की सी टाइट लगती पर उसका ध्यान फिलहाल जल्दी से तैयार होने मे था, तो उसने सलवार को जल्दी से उठाया और पहन लिया, और ऊपर से कमीज भी डाल ली, और जल्दी से दुपट्टा उठाकर सिर पर डाल कर शीशे मे अपने बाल ठीक करने लगे
मायादेवी -बहू अगर तुम ऐसा बोल रही तो ठीक है, हमे तुम्हारी फिक्र होने लगी थी, शहर मे कहा चूहे मिलते होंगे, यहा तो की छोटे मोटे जानवर घूमते रहते है
कंचन फटाफट अपने हाथ चल रही है और कंघी करते हुए बोली- हा माँजी गाव मे तो ये सब आम बात है, पर हम आपके घर की बहू है हम ऐसे आसानी से डरते नहीं है, वो बस ने एक दम से चोका दिया था।
मायादेवी- हमारी बहू बहुत प्यारी, सुंदर और सुशील है, कितना खयाल रखती हो हमारा, चलो अब जल्दी से बाहर आ जाओ और अपने हाथों की बड़िया चाय पिलो दो।
कंचन-आप ड्रॉइंग रूम मे बैठिए, बस हम अभी आए मम्मी जी
(कंचन सलवार सूट मे सजी हुई )
कंचन ने अपने लंबे काले सुंदर बाल संवार लिए थे और जुड़ा बना लिया था, बस अपने होंठों पर हल्की सी लिप्स्टिक लगा रही थी। कंचन तैयार हो गई थी, सूट उसने थोड़ा खुला ही डाला था, जिससे उसके भरे और कसे हुए बदन का पता ना लगे, चूतड़ भी कमीज के नीचे ढक गए थे, पर इतने बड़े उठे हुए चूतड़ों को कपड़ों के नीचे छुपाने के कोशिश करना बस एक नादानी थी, कंचन को इसकी इतनी फिकर नहीं थी क्यू की सब कड़ों के नीचे ही था, बस उसे अपने बदले रूप और लगातार हो रही चूत मे चुदाई के लिए फड़कन की चिंता थी।
कंचन मन मे “हे राम ये कैसी चूत मे कसक बन गई है, और ये बदन मे इतना बदलाव, हम तो एक ससुर जी के लंड के तरस रहे है, ऊपर से ये सब, शायद ससुर जी को पता ना लगे, क्यू की बस एक बार ही तो उन्होंने हमे नंगा देखा है, और पूछेंगे तो हम कोई बहाना बना देंगे, पर मुझे कैसे भी करके आज ही उनका रस पीना है, हाए राम हमारी चूत ने हमे कितना प्यासा बना दिया है, क्या ससुर जी का भी यही हाल होगा, हम उन्हे कुछ भी करके आज मना ही लेंगे, हमसे ये गर्मी बरदाश नहीं हो रही, ये कैसी तड़प है”। कंचन अब तैयार हो कर, सिर पर चुन्नी डालकर शीशे के सामने खड़ी २ पल सोच रही थी।
फिर उसे चाय का याद आया तो उसने जल्दी से कमरे की कुंडी खोलकर दरवाजा खोल और वो रसोई की तरफ चलकर सांस-ससुर के लिए चाय बनाने लगी।
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।