अपडेट- 17…………
दृशय - कांचन का एक सपना या हकीकत आखरी भाग जारी रखते हुए…….॥
अब आगे……॥
कंचन ने अपने हाथों से बलदेव की जांघों को मजबूती से पकड़ लिया था और अपने नाखून बलदेव मे माशपेशिओ मे गढ़ा दिए थे, और वो भी दर्द को भूलते हुए बलदेव को बढ़ावा दे रही थी, बलदेव अब धीरे धीरे लंड को आगे पीछे कर रहा था, लंड की नसे कंचन के कोमल गुलाबी होंठों पर रगड़ खा रही थी, लंड मुँह के छेद मे जा कर दोनों गालों को फैला रहा था, और आगे धक्के दे रहा था, उसके ऐसा करने से उसके भारी टट्टे आगे पीछे झूल रहे थे, और नीचे कंचन के मुँह से उसकी लार टपकते हुए उसकी मोटे भारी स्तनों पर गिर रही थी, भारी फूले हुए स्तन भी धक्कों के साथ हिल रहे थे, क्या ही जानलेवा मादक नजर था, दोनों के शरीर चमकते हुए वासना की आग मे तपते हुए एक दूसरे के शरीर को भोगने मे लीन थे।
बलदेव का कुछ ४-५ इंच लंड बड़ी मुस्किल से कंचन के मुँह से अंदर बाहर हो रहा था, लंड इतना मोटा था की ५ इंच से जादा अंदर लेना कंचन की सास फूला देता था, फिर वो लंड के सुपाड़े से लेकर जितना हो सके लंड को अंदर ले रही थी, लंड का सुपाड़ा कंचन को अपने मुँह मे किसी मोटी गेंद की तरह फ़ील हो रहा था, एक चिकनी मोटी गोल गेंद, जिसके ऊपर मूत्र छेद को कंचन रह रह कर चाट रही थी उसके अंदर अपने जीभ घुस रही थी, “गप घप पक पक सप सप छप चप चप की आवाजे आ रही थी। और जब लंड गले से टकरा कर कंचन की सांस रोकता और धक्के मारता कंचन के मुँह से गो गो ओह ओह की आवाज निकल जाती। लंड इतना बड़ा था की ४-५ इंच कंचन के मुंह के अंदर होने के बाद भी ९-१० इंच बाहर हई था, बलदेव के अंदर जोश बहुत था लंड इतना लंबा और मोटा होने के बाद भी लोहे की तरह तना हुआ था, एक पूरा सच्चा मर्द था बलदेव।
कुछ देर कंचन के मुँह मे धक्के मारने के बाद रुक जाता है, और एक लंबा धक्का मारने के बाद जितना हो सके कंचन के मुँह मे अपना लंड घुसा देता है, लंड इतना जोर लगाने पर भी ६ इंच अंदर ही जा पाता है पर बेचारे लंड की इसमे कोई गलती नहीं थी लंड का आकार लंबाई के साथ बहुत मोटा भी था, आखिर बलदेव एक लांब चोंड़ा मर्द था उसका भारी लंड कंचन के मुँह की हालत खराब कर देता है कंचन का जबड़ा हल्का हल्का दर्द करने लगा था, और उसके आसू निकाल गए थे और सास भी घुटने लग गई थी, धक्के बस २-३ मिनट ही लगे थे इतने मे ही कंचन के हालत खराब हो गई थी, उसने बलदेव की टांगों को धकेल कर अपने मुँह मे से लंड को बाहर निकाला और खासना शुरू कर दिया।
कंचन के हालत देखने लायक थी उसका मुँह पूरा लाल था, होंठ सूजे हुए थे, जिन्हे पैसे बलदेव ने चूसा था फिर उन्ही गुलाबी होंठों ने बलदेव के भीमकारी लंड की सेवा करी थी, कंचन के आगे भीमकारी विशाल लंड था और बल से भरा हुआ सच्चा मर्द क्या सच मे कंचन संभोग कर पाएगी क्या उसकी चूत ऐसे लोड़े को संभाल पाएगा क्या कंचन के मोटे चूतड जो की उसके शरीर का माना हुआ सबसे मादक अंग था बलदेव के भयंकर भारी धक्के झेल पाएंगे, इसका जवाब तो बस आने वाला वक्त ही बाता पाएगा।
बलदेव कंचन की हालत देख कर बोलता है, बलदेव- कंचन हमे माफ करना कही तुम्हें तकलीफ तो नहीं हुई
कंचन पहले अपनी साँसे संभालती है फिर थोड़ा मुसकुराते हुए बोलती है- आप हमारी चिंता मत कीजिए हम आपके लिए सब कुछ सह लेंगे, पर इसमे हमे बहुत मजा आ रहा है, इसमे हमे कुछ भी तकलीफ नहीं हुई, आपका लंड चूसने मे अलग ही मजा है, हमारी चूत ने चुदाई से पहले आज तक इतना पानी नहीं छोड़ा, पर सिर्फ आपके लंड चूसाई मे इस निगोड़ी ने इतना पानी चोद दिया की हमारी पूरी टाँगे गीली हो गई है।
बलदेव- हमारा भी यही हाल है, हमारा लंड फूल गया एक दम लोहे की रोड की तरह हो गया है, इसका सुपाड़ा तुमने चूस चूस कर लाल कर दिया है, और इसकी नसे इतनी फ़ूली हुई हमने आज तक नहीं देखि।
कंचन- बलदेव आपका तो पूरा लंड ही हम चूसना चाहते है पर हमारे मुँह का आकार आपके लंड को पूरा निगल ले उतना नहीं है, शायद हमारी चूत को यही बात पसंद आ गई है, और वो आपके लंड को निगलने के लिए कबसे रो रही है, बस हम और नहीं रुक सकते हमारी चूत की प्यास भूज दीजिए, घुसा दीजिए अपना विशाल लंड हमारे अंदर। ले लीजिए हमारी चूत पतिदेव।
कंचन के अंदर पूरा जोश भर गया था, उसकी चूत बहुत जायदा गरम हो गई थी, एक भट्टी की तरह ताप रही थी, और कंचन को वासना की आग मे जल रही थी, यही हाल बलदेव का था।
बलदेव ने कंचन को दोनों हाथों से पकड़ कर सीधा खड़ा कर दी एक बार फिर कंचन और बलदेव एक दूसरे के सामने खड़े थे, कंचन ने पर इस बार बलदेव के लंड को दाए हाथ से पकड़ कर अपने दोनों टांगों के बीच ले लिया था, कंचन ने बलदेव के लंड से अभी तक निकाला सारा वीर्य चाट खाया था, पर अब वो वीर्य को अपने टांगों के बीच लगी हुई गरम चूत को खिलाना चाहती थी, कंचन की टांगों के बीच मे भरपूर तपिश बनी हुई थी, जिसे बलदेव ने अपने लंड के स्पर्श से महसूस कर लिया, दोनों के मुँह से ही एक दूसरे के काम अंग मिलने से सिसकारी निकाल गई “ऊमम ऊमम ओओह्ह आह्ह “।
पर कंचन बस यही नहीं रूकी, बलदेव का लंड इतना लंबा था की कंचन की दोनों जांघों के बीच होता हुआ, चूत के होंठों को छूता हुआ, दोनों चूतड़ों के बीच पीछे की और निकाल गया था, और कंचल अपने दाए हाथ को पीछे ले जाकर अपनी मूठी के बीच लंड के मोटे सुपाड़े को पकड़ लेती है, और अपनी गीली चूत को लोहे जैसे कडक हो रखे भीमकारी लंड पर रगड़ने लगती है, कंचन अब अपने बाये हाथ से बलदेव के सिर को पीछे से बालों को मूठी मे जकड़ कर अपनी और खीचती है, और अपनी गर्दन को ऊपर की मोड़ते हुए, बलदेव को जी भरकर चूमने लगती है।
बलदेव भी इसका जवाब अपने दोनों बड़े हाथों की कठोर मुट्ठियों मे कंचन के दोनों भारी चूतड़ों को पीछे से जकड़ लेता है, और अपने शरीर की और खीच कर दबाने लगता है, कंचन का शरीर जैसे बलदेव से एक बेल की तरह लिपट गया था, नीचे ने उसकी चूत को लंड रगड़ रहा था, पीछे से बलदेव के हाथ उसके मोटे चूतड़ों का मर्दन कर रहे थे, उसकी भारी चूचियाँ बलदेव की मजबूत चोड़ी छाती मे दाब गई थी, और ऊपर उसके होंठ जो की लंड चुसाई के बाद सूज चुके थे बलदेव के होंठों से तक्रार कर रहे थे।
कंचन अपनी गाण्ड को आगे पीछे लंड के ऊपर थिरका रही थी, जिससे उसकी चूत का रस लंड को गीला कर रहा था, और उसने अपने पैरों के दोनों पंजे उठा लिया थे, और बलदेव ने भी दोनों हाथों की उँगलिओ के कंचन की गाण्ड के मास मे गड़ा कर दबोच लिया था, जिसे अब वो बुरी तरह से निचोड़ और मसल रहा था, थोड़ी देर पहले दोनों जो प्यार से और आराम से एक दूसरे के शरीर के साथ खेल रहे थे अब वोही दोनों एक दूसरे को नोचने और काटने मे लगे थे, बलदेव और कंचन एक दूसरे के होंठों को चबा रहे थे और काट रहे थे, कंचन के होंठ तो पहले से बुरी हालत मे थे, उसके नीचे और ऊपर के होंठों मे कट कर खून निकाल आया था, और बलदेव के होंठ भी कंचन ने वासना के नशे मे चबा दी थे, दोनों को वासना की गर्मी मे होश नहीं था, की होंठों के काटे जाने से सूजन हो गई थी और खून भी चालक उठा है, पर वातावरण मे दर्द ही नहीं आनंद की सिसकारिया गूंज रही थी “ऊमम पक पक लप लप लप लप पुच्छ पुच्छ पुच्छ पुच्छ स्मूच स्मूच स्मूच उम्म हम्म हम्म” दोनों की ही आखे बंद थी, दोनों ही शरीर के मिलन को पूरा महसूस करने की इच्छा मे आंखें बंद की हुए थे, और उनके शरीर ह नहीं आत्मा भी आनंद मे लीन हो गई थी।
कंचन बलदेव के मूँछों और दाढ़ी की वजह से रगड़ लग रही थी, जिससे उसकी ठोड़ी लाल पद गई थी, कंचन का पूरा शरीर ही बलदेव के शरीर से रगड़ खा रहा था। बलदेव को भी कंचन ने जो वीर्य अभी तक चाटा और खाया था उसकी महक और थोड़ा उसकी जीभ पर कसैलापन पता लग रहा था।
ऐसा 5 मिनट तक चला, उसके बाद बलदेव ने चुंबन तोड़ दिया, और अपना सिर पीछे हट लिया, और अपने होंठों को कंचन की गर्दन की बाई और लगा दिया, और वह चूमने लगा, कंचन ने भी बलदेव के सिर को बाये हाथ की तरफ अपनी गर्दन पर दबा दिया, ऐसा करने से कंचन के मुँह से सिसकारिया निकालने लगी – “आह ऊह ऊहह ऊई हम्म”
बलदेव का मुँह अब कंचन की गर्दन पर चल रहा था, उसके होंठ और मूछे गर्दन पर रगड़ खा रहे थे, बलदेव ने जीभ निकालकर गर्दन पर चालान शुरू कर दिया, धीरे धीरे वो कंधे से होता हुआ, कंचन के कान तक अपनी जीभ को रगड़ते हुए ले गया, और उसने कंचन के कान को चाटना और चूसना शुरू कर दिया, और फिर बलदेव ने ऐसा ह गर्दन की दूसरी और भी करना शुरू कर दिया , कंचन की पूरी गर्दन रगड़ से लाल हो गई थी और उस पर हल्के हल्के बलदेव के दातों के निशान बन चुके थे, कंचन ऐसा करते ही जैसे मछली की तरह बिन पानी के मचलने लगी, बलदेव के हाथों से उसकी गाण्ड की मसलन और उसके होंठों का यूह गर्दन को चूमना उसके लिए असहनीय हो चूका था, और कंचन की टांगों के बीच से होता हुआ लंड जो उसकी चूत के फूले हुए होंठों पर रगड़ खा रहा था, उसके हल्के झटके उसकों मंदहोश कर रहे थे और उसके मन मे बस अब यही चल रहा था की कब बलदेव उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत की चुदाई करेगा, वो भी अपनी टांगों को टाइट करके लंड को खूब रगड़े लगा रही थी, लंड का सुपाड़ा बड़ा मोटा था जो की कंचन की चूत के होंठों और गाण्ड के छेद को बार बार आगे पीछे होकर छू रहा था, लंड पूरा कंचन की चूत के रस से भीग कर चमक रहा था, और लंड की खाल कंचन की टांगों के टाइट करने से सुपाड़े को खीच रही थी और इससे बलदेव को परमानन्द की अनुभूति हो रही थी।
कंचन अब अपने दोनों हाथों को बलदेव के मजबूत और कठोर शरीर पर चल रही थी, बलदेव के चोड़े कंधों और उसकी बड़ी कमर पर कंचन के हाथ चल रहे थे, वो बलदेव की बड़ी फ़ूली हुई माशपेशियो को अपने हाथों से फ़ील कर रही थी, कंचन को उसके मन मे पता लग चूका की बलदेव की चुदाई से उसकी चूत तृप्त हो जाएगी और शायद बलदेव की अलावा और कोई भी मर्द उसे कभी संतुष्ट नहीं कर पाएगा, वो सोच रही थी कैसे उसने अपने परिवार के मर्दों को ही अपना जिस्म भोगने के लिए सौंप दिया था, जिसमे सबसे पहले उसके पति के बाद उसका देवर रामू, फिर उसका खुद का भाई, फिर बाप और गाँव मे उसका ससुर रामलाल, सबके लंड बड़े और मोटे थे, और चुदाई के समय कंचन को मर्द के शरीर के नीचे दबने का अनुभव उसके लिए सबसे ज्यादा कामुक था, कैसे एक भरे हुए शरीर का मर्द उसके कोमल नारी अंगों को दबाकर कुचल और मसल देता है, और बाद मे मीठी हल्की चीस उसके पूरे जिसम मे चलती रहती है।
कंचन के मन मे ये सब बाते सोच कर उसकी कामुक ज्वाला को और भड़क दिया था, दोनों की ही आंखे बंद थी, बलदेव कभी दोनों मोटे मांसल चूतड़ों के मांस को दबोचता खींचता कभी दबाता, उसके हाथ की उँगलियाँ कंचन के गोरे कोमल त्वचा पर छप गई थी, कंचन बेचारी पहले ही वासना मे जल रही थी बलदेव का उसके बदन को ऐसे दबोचना और दबाना आग मे घी का काम कर रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद बलदेव रुक जाता है और अपने बाय हाथ कंचन की कमर पर जहा उसके लंबे काले बाल लटक कर फैले हुए थे रख देता है, और दाया हाथ कंचन के गाल पर रखते हुए उसके चेहरे की और दखने लगता है, कंचन का चेहरे सुर्ख लाल था, उसके होंठ हल्के हल्के कट गए थे और फूले हुए थे फिर भी उसके होंठ जैसे थर थरा रहे थे, और अभी भी कामुक अवस्था मे थे, और चूसने लायक थे, बलदेव की आखे कंचन को देख रही थी अब कंचन ने भी अपनी आखे खोल ली।
और अपने चूतड़ों के बीच विशाल लंड फसए हुए कंचन बलदेव से कहती है- हमे आज तक इतना आनंद काबी नहीं आया, हम वासना मे चूर हो गए है, और आपके शरीर के हर एक अंग को अपने शरीर पर रगड़ता हुए महसूस कर रहे है, आपका कठोर और खुरदूरा बदन हमे बहुत आनंद दे रहे है। और आपका ये लंड जो अब मेरी चूत के अंदर जाने को इतना मचल रहा है , हमे इसकी रगड़न एक अनोखी अनुभूति करा रही है, आपसे मिलन कर जैसे हमारी जनमो की प्यास मीट रही है।
बलदेव जान गया है कंचन अब वासना मे मदहोश हो गई है और वो पूरी तरह से संभोग मे बह गई है और उसके बोलवाचन भी वैसे ही हो गए है। बलदेव बोलता है- कंचन जो हाल तुम्हारा है वही हाल हमारा भी है तुम्हारे शरीर के अंदर जाने के इे मैं भी तड़प रहा हू, मेरा लंड इतनी देर से खाद्य है और इसकी नसे ज्यादा ह फूल गई है, और अब इसे भी तुम्हारी नरम चूत मे जाना है
कंचन- बलदेव आपको कैसे पता हमारी चूत नरम है, आपने तो हमारी चूत अभी तक देखी भी नहीं।
बलदेव- बेशक हमने अभी तक नहीं देखी पर हमारा लंड इस चूत को तबसे चूम रहा है और रगड़ रहा है, ये बहुत ही गरम, रसीली और नरम महसूस हो रही है।
कंचन अपनी चूत के बारे मे सुनकर शर्मा जाती है और बोलती है- और आपका ये मोटा भारी लोड़ा कितना कठोर और सख्त हो गया है, ऐसा लगता है ये तो डंडे की तरह हमारी चूत की बेरहमी से पिटाई करेगा
बलदेव- बेशक ये कठोर है पर इसका सुपाड़े बहुत ही नरम और संवेदनशील है, ये बस तुम्हारी चूत को अंदर से चूमना चाहता है, और बिना लंड कठोर हुए ये अंदर कैसे जाएगा।
कंचन-हाए कितना प्यार है ये हमे चूमना चाहता है, हम इसे पूरी इजाजत देते है अंदर जाने की, पर हमारी चूत को मारेगा तो नहीं ये ?
बलदेव- नहीं मारेगा ये, ये बस तुम्हारे अंदर जगह बनेगा और कुछ देर वही रहेगा, जैसे तुमने हमारे दिल मे जगह बना ली है और तुम हमेशा वही रहोगी।
कंचन- आप भी हमारे दिल मे बस चुके हो पतिदेव, हमे मिलन के और ना तरसाओ, हमारे शरीर को भोगकर अपना बना लो।
बलदेव ये सुन कर कंचन के तड़पते होंठों को चाट लेता है और फिर दोनों होंठों को गहरा चुम्बन दे देता है, और फिर अपना बाय हाथ जो उसकी कमर पर घूम रहा था, उसको भी चेहरे पर लाकर, दोनों हाथों से चेहरे को थम लेता है और कंचन के चेहरे को थोड़ा झुका कर उसके माथे को प्यार से चूम लेता है।
उसके बाद जैसे ही बलदेव आखे खोलता है तो कंचन के पीछे एक लंबा बिस्तर दिखता है जो की बस उनसे २-३ कदम दूर था, उससे ये देखकर जरा भी अचंभा नहीं हुआ, क्युकी ये जादुई जगह उनके मिलन के लिए बनाई गई है और मिलन की घड़ी नजदीक आ चुकी थी। एक लग भग चकोर आकार का बेड जिसकी उचाई काम ह थी, पर वो लगभग ७ फुट लंबा था और ६ फुट चोंड़ा। बिस्तर बहुत ही सुंदर सजा हुआ था, उसके लकड़ी पर बहुत ही उंदी कारिगीरी थी, वॉल्नट और महगोनी प्रकार की लकड़ी इस्तेमाल की गई थी, हेड्बोर्ड और फूटबोर्ड दोनों ही हल्के भूरे रंग के थे और काफी मजबूत लग रहे थे, पता लग रहा था बिस्तर काफी मजबूत और टिकाऊ है, हेड्बोर्ड पर सुंदर कारीगरी की गई थी, उस पर लकड़ी को तराश कर गुलाब के फूलों की तस्वीर गढ़ी गई थी, बिस्तर पर लगा हुआ गद्दा काफी मोटा था, उस पर सिल्क कलर मे गहरे लाल कलर की चादर बिछी हुई थी, और उसपर ३-४ लाल कलर के तकिये थे, चादर और तकिये का पकड़ा बाद रेशमी था और चमक रहा था, और ये साफ था इसपर होने वाली प्यार और वासना की तक्रार इस बिस्तर पर अपने गहरे निशान चोद देगी।
बलदेव – कंचन देखो कितना सुंदर बिस्तर हमारे लिए यह लाया गया है।
कंचन जो अपने पैरों और चूतड़ों के बीच मे लंड फसाये बलदेव से बेल की तरह लिपटी हुई थी, वो अपने बाई और से सिर घुमाती है और देखती है उसके पीछे एक बड़ा सुंदर बिस्तर लगा हुआ है।
कंचन चोंक कर पूछती है ये कहा से आया।
बलदेव- ये हमारे मिलन के लिए यह प्रकट हुआ है, इस जगह को मालूम है की हमारा मिलन होना है, इसीलिए इसने बिस्तर बिछा दिया है, और वैसे भी हमारा रूप चेतना का है, तो इसमे कुछ भी हो सकता है।
कंचन को याद आता है वो कहा पर है और किस रूप मे है अभी तक वो वासना की हवस मे सब कुछ भूल चुकी थी, उसे याद आता है की वो तो सो रही है और ये उसकी चेतना का रूप है।
कंचन- हा मुझे याद आया की य हमारी चेतना का रूप है, और हमे तो सब क याद रहेगा पर आप तो जब इस गाव मे आओगे तब आपको इन सब घटनाओ का पता लगेगा, और उसमें अभी दो पूर्णिमा का वक्त है तब तक हमे आपकी बहुत याद आएगी।
बलदेव- कंचन हमे इस बात का तुम्हारे लिए दुख है पर हमे तो वो भी गाव मे आने के बाद महसूस होगा, पर हमे लिंगदेव पर भरोसा है वो कुछ ना कुछ जरूर करेंगे। तुम्हारा खाल रखेंगे, तुम्हें मार्गदर्शन देंगे।
कंचन का ऐसा सोचना बिल्कुल सही था, पर फिर वो बलदेव की बात सुनकर सोचती है की सच मे लिंगदेव ने कुछ ना कुछ उसके लिए जरूर सोच होगा, और उसे तो अभी जो दृश्य चल रहे थे उसके मन मे वो भी पता करने थे, बाते बहुत बाकी थी जाने को पर तो वो फिलहाल इन सब बातों को भूलकर फिर से उसके टांगों के बीच मे फसे भीमकाय लंड को की उसकी चूत और गाण्ड के छेद पर दस्तक दे रहा था उसका ध्यान फिर से वही चल जाता है।
कंचन- बलदेव आप सही कह रहे है, फिलहाल तो हम जो मूसल हमारी चूत को छूता हुआ चूतड़ों तक जा रहा है इसके बारे मे सोच रहे है ये हमारा कैसे खाल रखता है। कंचन मुसकुराते हुए बोली।
ऐसा बोलकर कंचन अपने हाथों को बलदेव की छाती पर रखकर उसे थोड़ा धक्का देती है, लंड उसकी टांगों के बीच मे “फक” की आवाज के साथ निकाल जाता है और फिर से तन कर खड़ा हो जाता है, कंचन बाई तरफ मुड़ कर बिस्तर की और चलने लगती है उसके काले लंबे बाल उसकी कमर से होते होते हुए उसकी गाण्ड को छू रहे थे और वो बड़ी ही मादक अदा से बलखाती हुई अपने मोठे भारी फैले हुए चूतड़ों को मटकाती हुई एक एक कदम वो धीमे धीमे रखते हुए, अपनी कमर को लचकाती हुई बिस्तर की और जा रही थी, और आखरी कदम रखने से पहले वो मुड़कर पीछे बलदेव की और देखती है जो कंचन की पतली कमर और भारी भरकम ३८ इंच की गाण्ड पर भूखी नजर गड़ाए देख रहा था। कंचन को पता था की मर्दों के ऊपर उसकी गाण्ड का क्या असर होता है, और बलदेव ने उसकी पीछे से मटकती गाण्ड अभी तक नहीं देखि थी और तो और बलदेव के कठोर हाथों ने कंचन की गाण्ड का मर्दन किया था तो उससे वो अच्छी खासी लाल हो गई थी और चमक रही थी , और बलदेव ने भी अपने लंड को अब दाए हाथ से थाम लिया और ऊपर नीचे करके कंचन की बलखाती अदाओ को देखते हू लंड को रगड़ने लगा ।
कंचन ने फिर अपना दाया घुटना मोड़कर बिस्तर पर रख दिया और वो मुड़कर मुसकुराते हुए बलदेव को देखती है जो की भीमकारी १५ इंच के लंड को मसल रहा था, कंचन को पता था अब क्या होने वाला है, कंचन फिर सीधा देखते हुए अपना दूसरा घुटन भी बेड के कोने पर रख देती है और फिर २-३ सेकंड के लिए घोड़ी बन कर अपने चूतड़ों को ऊपर उचका देती है, जिससे बलदेव जो की ये मदहोश नजर देखते हुए लंड को मसल रहा था उसके मुँह से “ओह कंचन “ निकाल जाता है और उसके लंड से २ बूंदे वीर्य की निकाल जाती है। बलदेव ने पहली बार कंचन के भारी भरकम चूतड़ों को ऐसे फैले हुए देखा था, उसकी गाण्ड का छेद और चूत के मोटे फूले हुए होंठ जिसपर चूत का सफेद रस लगा हुआ था और जो की उसकी जांघों पर भी लग गया था, वही रस बलदेव अपने लंड पर रगड़ रहा था जो कुछ पल पहले ही कंचन की टांगों के बीच उसकी छूट के छेद को कहूं रहा था। कंचन की चूत के होंठ सफेद हल्के गुलाबी थे जिनपर रगड़ की वजह से हल्की लालक आ गई थी। जो आपस मे चिकपे हुए थे, कंचन की चूत का छेद अभी नहीं दिख रहा था क्युकी कंचन ने अपने दोनों टाँगे जोड़ी हुई थी, और उसकी गाण्ड का छेद जो की बहुत ही हल्का भूरा लगभग गुलाबी था उसके छेद के चारों और की खाल की लकीरे थी जो की लगे हुए रस की वजह से चमक रही थी, बलदेव वासना मे वशीभूत होकर सोचता है की इसकी गंध कैसी होगी और क्या स्वाद होगा।
और फिर कंचन अपनी कमर नीचे करते हू एडहीरे धीरे आगे अपने भारी स्तनों को बिस्तर के गद्दे पर लगाती हुई आगे की और लेटने लगती है। और वो बलदेव को थोड़ा और तड़पाती हुई अपनी नजर पीछे बलदेव की और मोड़ते हुए मुस्कुरा देती है और अपने निचले होंठ को दातों से हल्का सा चबा देती है और फिर जल्द ही बेड के बीचों बीच होकर अपनी टांगों को मोड़ कर अपने तलवों को पीछे गाण्ड की और मोड़ कर पैर सटा कर बैठ जाती है, और एक दाए हाथ को बेड पर रख कर बाये हाथ की उंगली से इशारा कर बलदेव को अपनी मादकता का जलवा दिखाकर बुलाती है। बलदेव लंड को मुठियाते हुए कंचन की मादक अदाओ को देख रहा था और कंचन के बुलाने पर वो एक आज्ञाकारी की तरह कंचन की और कदम बढ़ाने लगता है। कंचन दोनों पैर सटाये मोड़ कर अपना दाया चूतड़ बेड पर टिकाए करवट लेकर बैठी थी, उसने अब अपने बालों का जुड़ा बना दिया था, कंचन की दोनों चूचियां तानी हुई जैसे बलदेव को सम्मोहित कर बुला रही थी। कंचन इतनी मादक लग रही थी, की इस अंदाज मे देखकर कोई भी उसको चोदे बिना नहीं छोड़ेगा, और यह तो बलदेव जैसा पहाड़ जैसा मर्द उसको चोदने वाला था, वो तो शायद कंचन को बिल्कुल चुदाई से रोंध देगा।
बलदेव- वाह कंचन तुम्हारी ये मादक अदाए तो एक दम जान लेवा है, तुम्हारा जलवा देखकर तो मेरा लंड तुम्हारी चूत मे जाने के लिए मचल रहा है, ऊपर ये मांसल भारी गाण्ड बिल्कुल जानलेवा है
कंचन अपनी तयारी सुनकर मुस्कुरा देती है और बोलती है- तो आईए हम तो आपका ही इंतज़ार कर रहे है यह आइए और अपनी पत्नी के शरीर को भोग लीजिए ये चूत और गाण्ड आपका ही इंतज़ार कर रही है।
बलदेव आगे बढ़ता है और चलने लगता है, बलदेव का पहाड़ जैसा ६.५ फुट का शरीर कंचन की और कदम बढ़ रहा था, उसका भारी लंड इधर उधर हिल रहा था, और उसके नीचे लटकते टट्टे झूल रहे थे, उसके शरीर की बड़ी फ़ूली हुई मांसपेशीया देखकर कंचन की आखों मे हवस भर गई थी और उसकी आखे अब चुदाई के लिए नशे मे लाल हो गई थी।
बलदेव आगे बढ़ता हुआ अपना बाया घुटना बेड के छोर पर रखता है और बाये हाथ की हथेली को बेड क गद्दे पर टिकाते हुए अपने दाएँ हाथ से कंचन का सिर पीछे से पकड़ लेता है और आगे बड़कर कंचन जो की उसके दाए तरफ मादक अवस्था मे नंगी बैठी थी उसके होंठों को चूम लेता है दोनों की आखे फिर से बंद हो जाती है, कंचन अपने बाये हाथ को आगे बढ़ाते हुए बलदेव के लंड को पकड़ लेती है जो की अब बलदेव के झुकने से बिस्तर की और झूल रहा था, लंड को फिर से नारी के अंगों से प्यारर की जरूरत थी जिसे कंचन का हाथ पूरा कर रहा था और कंचन के हाथ की हथेली लंड के नीचे थी वो अब लंड को बीच मे से पकड़ कर प्यार से पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया, नीचे कंचन लंड को सहला रही थी और ऊपर वो अपने सूजे हुए मादक गुलाबी होंठों का रसपान उसकी चुदाई करने वाले मर्द को करा रही थी।
कंचन ने लंड के पकड़ कर अपनी तरफ खीचना शुरू किया जिसका इशारा बलदेव समझ गया और कंचन के सिर को छोड़ते हुए अपना हाथ उसकी बाई चुची पर रख दिया और उसको धीरे धीरे अपने हाथ से दबाते हुए कंचन के ऊपर लेटना शुरू कर दिया, अब बलदेव अपना दाया पैर भी बेड पर रखते हुए ऊपर चढ़ जाता है और कंचन जो की बलदेव के दाए तरफ थी वो भी बलदेव को अपना बदन सोपते हुए बलदेव के नीचे लेट जाती है और कंचन के हाथ से बलदेव का लंड छूट चुका था और उसके दोनों हाथ अब बलदेव के गले मे थे, अब कंचन का सिर बिस्तर पर टिक चूका था, उसकी दोनों टाँगे चोड़ी होकर खुली हुई थी जिसके बीच बलदेव का लंड था और बलदेव कंचन के ऊपर लेता हुआ था अपने बाये हाथ से सहारा लेते हुए अपने शरीर के वजन को संभाले हुए थे और उसका दाया हाथ कंचन के स्तन का मर्दन कर रहा था, और बलदेव का लंड कंचन के पेट के ऊपर ठोकरे मार रहा था, बलदेव ठहरा ६.५ फुट का ११० किलो का मर्द और कंचन जो की ५.५ फुट की थी और बस ६० किलो थी, बलदेव को ध्यान था की वो एक दम से कंचन के ऊपर अपने भारी बदन का बोझ ना डाल दे। कंचन के दोनों हाथ अब बलदेव की मसकुलर कमर के ऊपर थे कंचन बलदेव के बदन की कठोरता को जांच रही थी महसूस कर रही थी, कंचन को मसकुलर बदन के मर्दों से खास लगाव था , उसका देवर रामू भी बाडीबिल्डिंग करता था और कंचन को उससे चुदवाने मे भरपूर मजा आता था रामू कंचन के बदन को एक दम मसल कर चोदता था, कंचन की बस करा देता था, और बलदेव तो रामू से भी जायदा लंबा चोंड़ा मसकुलर मर्द था, और कंचन अपनी जवानी बलदेव मसले जाने का इंतज़ार कर रही थी, बलदेव और कंचन दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे, दोनों के मुँह से “उम्म आह स्मूच सक सक पच पच लप लप पुच पुच उच्च” की आवाज आ रही थी। कंचन ने भी बलदेव के होंठों को दातों से खींच कर काट लिया था, दोनों वहशी बनकर हवस की प्यास भुजा रहे थे । कंचन का शरीर बलदेव के लंबे चोड़े शरीर के नीचे छिप गया था, एक सुंदर गोरी २३ साल की लड़की के ऊपर गहरा भूरे रंग का मर्द चढ़ा हुआ था, बिस्तर के ऊपर से बलदेव के चोड़े कंधे और फैली हुई चोड़ी कमर और नीचे बड़े ताकतवर धक्के लगाने के लिए तैयार मसकुलर चूतड़ और नीचे पूरी पावर से भारी हुई जांघे और जांघों के बीच लटकते अमरूद जैसे मोटे टट्टे, कंचन के गोरे शरीर पर बलदेव का शरीर ऐसे लग रहा था जैसे सूरज पर चाँद का ग्रहण लग गया है।
कंचन के दोनों हाथ बलदेव की चोड़ी कमर पर और पीछे गर्दन और कंधों पर घूम रहे थे, अब और धीरे धीरे बलदेव कंचन के होंठों को चोद उसकी गर्दन को चूमता हुआ नीचे जा रहा था, उसने कंचन की ऊपर छाती को और गर्दन को अच्छे से चूम और जीभ से चाट कंचन की गर्दन पहले ही काफी रगड़ी जा चुकीथी, अब कंचन की मादक भारी तनी हुई चुचीयो की थी उसकी दोनों चूचिया तनी हुई ३८ इंच की खरबूजे जितनी बलदेव को रसपान के लिए आमंत्रित कर रही थी, कंचन की चूचिया जो की कंचन के थूक की लार से चमक रही थी बलदेव बराबर उसको चाट रहा था और अपनी अपनी लंबी जीभ से कंचन की छाती को मदहोशी भरा आनंद दे रहा था, कंचन ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और बलदेव के लंबे बालों से भरे हुए सिर पर अपना बाया हाथ रख लिया था और उसके बालों मे चल कर जैसे बलदेव बढ़ावा दे रहा था, अब अपने दाए हाथ से बलदेव के मुस्कुलर बाये हाथ की मोटी बाजू को पकड़ लिया था, और अपनी आंखे बंद किए लंबी लंबी सिसकारिया “ऊमम हम्म मम आह्ह आह हाय हा हम्म “ लेनी शुरू कर दी थी।
बलदेव ने कंचन की बाई चुची के ऊपरी भाग को चूमना चाटना शुरू कर दिया और धीरे धीरे मादक स्तन को चूमते हुए उसके हल्के गुलाबी तने हुए निप्पल की और जा रहा था , निपल का घेरा जिसे इंग्लिश मे areola बोलते है, वो कंचन का थोड़ा बड़ा था जिसपर हल्के हल्के दाने थे, जो की बस स्तनों की सुंदरता और मादकता को बढ़ रहे थे, अब बलदेव areola के घेरे पर गोल गोल अपनी लंबी जीभ चल रहा था, जैसे शिकार करने से पहले शिकारी अपने शिकार के चारों तरफ चक्कर लगाता है, और फिर एक दम से स्तन के निपल को अपने होंठों मे भर लेता है और चूसने लगता है, ऐसा थोड़ी देर करने के बाद बलदेव पूरी चुची को अपने बड़े मुँह मे भरने लगता है, और जोर जोर से चूसने लगता है, और बलदेव का दाया हाथ कंचन की दूसरी यानि दाई चुची को मसलने और दबाने लगता है, बलदेव निपल को मुँह मे लेते हुए जितनी हो सके चुची को मुँह मे भरकर चूस रहा था उसके मुह से “सक सक पच लप लप लप पुच पुच पुच सक कच कच चक चक पुच पुच” की आवाजे आ रही थी, और कंचन के मुंह से आनंद भारी मादक सिसकारीया “ ऊमम हम्म आह आह ओह्ह मा हम्म मम मम “ निकाल रही थी।
अब बलदेव ने पूरी चुची को अपनी थूक से गीला कर दिया था, उसकी बड़ी लंबी जीभ कंचन की चुची को भरपूर आनंद दे रही थी, कंचन की चूचियाँ जैसे दूध से भरकर फूल गई थी, बलदेव ने ठोड़ी देर कंचन की बाई चुची का रसपान किया उसके बाद उसने दाई चुची को भी चूसना और चाटना शुरू कर दिया, बलदेव दोनों चूचियों को अब हाथों मे भरकर दबदबा कर जोरदार तरीके से चूसे रहा था, स्तनों के दोनों निपल बलदेव की थूक से गीले होकर चमक रहे थे और चूसे और दबाए जाने से स्तन लाल हो चले थे।
कंचन मदहोश हुई बोलती है- हआ बलदेव इनको ऐसे ही चूसो हमारी चूचियों का सारा रस पीलो इनको निचोड़ दो आज, जोर से चूसो और जोर से छूओ उम्म आह हम्म ओओह्ह
बलदेव कंचन की बात सुन दोनों चूचियों को हाथों से पकड़ कर साथ मिल देता है दोनों स्तनों के निपल बलदेव के मुंह के सामने ने थे और बलदेव को चूसने का न्योता दे रहे थे, बलदेव ने दोनों स्तनों के निपलों को बारी बारी “पुच पुच सक सक पच पच “ की उची आवाज के साथ चूसना शुरू कर दिया, दोनों स्तनों के ऊपर अब बलदेव के थूक लगी हुई थी, ऐसा लग रहा था मानो बलदेव उनको कहा जाएगा, बलदेव जितना हो सके दोनों स्तनों को मुंह भरकर चूस रहा था, और चूस चूस कर अपनी तरफ खीच रहा था, जैसे कोई बछड़ा गाय का थन पीते वक्त रन को अपनी गर्दन से ऊपर नीचे खीचता है, वैसे ही बलदेव कंचन के थनों को चूस चूस कर खीच रहा था, जिसका आनंद भरपूर कंचन को मिल रहा था।
अब धीरे धीरे बलदेव ने अपने दातों को निपल पे चलना शुरू कर दिया और उन्हे हल्का हल्का काटना शुरू कर दिया, कंचन के निप्पल पहले ही बहुत सेन्सिटिव थे, बलदेव का ऐसा करने से वो और उत्तेजित हो गई और ऊंची सिसकारीया “ओह आह ओह मा बलदेव ऊहह हाय काट लो इन्हे हम्म आह्ह हम्म माआह्ह” निकालने लगी, उसकी चूत ऐसे आनंद को सहन नहीं कर पा रही थी और रो रो कर अपना कामरस छोड़ रही थी, बलदेव ने अब दोनों स्तनों को दबाकर एक साथ जोड़ दिया और दोनों निप्पलों को एक साथ मुँह मे लेकर चूसने लगे और हल्का दातों से काटने लगा, कंचन की सिसकारीया अपने पूरे मुकाम पर थी, बलदेव ने अब दोनों स्तनों को अपने पंजे मे दबोच रखा था, और अब वो दोनों स्तनों पर दांत चलना शुरू कर दिया था, और धीरे धीरे उसने मोटे स्तनों को अपने दातों से काट कर लाल निशान बना दीए थे, और कंचन भी अपने दोनों हाथों से बलदेव के सिर को अपने अपने स्तनों पर दबा रही थी, दोनों स्तनों पर बलदेव के दातों के निशान बन गए थे, कंचन इतनी हवस मे मदहोश हो चुकी थी उसे बन बलदेव के इस चूचियों के मर्दन मे बस मजा ही आ रहा था, बलदेव की कमर ऊंची हो राखी थी उसके घुटने बिस्तर पर लगे हुए थे और उसका लंबा भीमकारी लंड कंचन के पेडू के ऊपर था था, कंचन अपना स्तनपान कराते हुए उत्तेजित हो गई थी, और लंड का सुपाड़ा जो की उसके पेडू पर था उसका भारीपन उसको और भड़का रहा था, और कंचन अपने चूतड़ हल्के हल्के ऊपर उठाने लगी थी। बलदेव कंचन के बदन के इशारे को समझ गया और अब उसने आगे बढ़ने की सोची।
बलदेव ने कंचन की दोनों चूचियों को मीसकर और चूसकर अच्छे से लाल कर दिया था, जो गोरे स्तन अभी तक सफेद संगमरमर के जैसे थे वो अब बलदेव की मसलन के बाद लालपथर बन चमक उठे थे, उनपर जगह जगह दातों के नीचान थे, जायादा निशान दोनों स्तनों के नीचले भाग पर थे जहा पर स्तन का सबसे भारी और बड़ा भाग था, अब बलदेव ने दोनों चूचियों को चोद दिया और अपने हाथों को कंचन के बगल मे टिकाते हुए वो कंचन के बदन के नीचे और बढ़ने लगा, कंचन बस लंबी लंबी साँसे ले रही थी वो अपनी उत्तेजित काम आवाजे निकाल रही थी, “ हम्म आह मम हम्म आह्ह ओ बलदेव” ये सब कंचन के मुंह से निकाल रहा था। बलदेव अब धीरे धीरे कंचन के पेट को चूमता हुआ नीचे बढ़ रहा था , उसने कंचन की गहरी नाभि को देखा जहा पहले उसके लंड का सुपाड़ा घुसा हुआ था और धक्के लगा रहा था वही पर हल्का वीर्य और कामरस लगा हुआ था, बलदेव कंचन की कामुकता से बहुत प्रभावित हो गया था, कंचन उसके विशाल लंड को देखकर और उसके बदन को देखकर दरी नहीं थी बल्कि संभोग के लिए पूरी तरह से तैयार भी थी, बलदेव ने यही सोचकर कंचन को भी पूरा आनंद देने की सोच ली थी, बलदेव ने अपनी जीभ कंचन की पेट पर हालते हुए उससे चूमना और चाटना जारी रखा और और अपनी जीभ नाभि के चारों और चलाते हुए कंचन की कमर और उठ रहे मोटे चूतड़ों को महसूस करने लगा।
बिस्तर बहुत लब चोंड़ा था, कंचन बिस्तर के लमबाई मे एक छोर के पास थी और बलदेव भी अब लंबा कंचन के ऊपर लेटा हुआ, उसके पेट को चूम रहा था, अब उसने नायबी मे अपनी लंबी जीभ चालानी शुरू कर दी थी, और जीभ को नायबी के अंदर घूमा रहा था और जीभ से नाभि को अंदर दबा रहा था, कंचन की सुंदर कामुक नाभि को अब बलदेव की जीभ भेदने की कोशिश कर रही थी, नाभि बिल्कुल गर्भ से जुड़ी हुई होती है, जो की औरत की कामुकता को बढ़ाती है और बहुत सेन्सिटिव भी होती है, बलदेव ने अपनी ३ इंच लंबी जीब को कंचन की नाभि के अंदर धकेलना शुरू कर दिया, कंचन बेचारी वासना मे तड़प रही थी, वो इतनी गरम हो गई नाभि मे बलदेव का यू जीभ चलाना उससे सहन नहीं हो रहा था, उसने बलदेव के सिर पर बालों मे पकड़ तेज मुट्ठी कस ली थी, और अपने दाए हाथ की मुट्ठी से बिस्तर की चादर को भींच लिया था, कंचन का पूरा मुंह खुल गया था और अपने मूह से वो “ओह ओओह्ह आह मा” जैसी आवाजे निकाल रही थी, नाभि के अंदर बलदेव अपनी जीब से दबाव बना रहा था और अपनी जीब को लंड के जैसे अंदर बाहर कर रहा था, जैसे वो जीभ से नाभि को खोलकर अंदर ले जाना चाहता हो।
कंचन की उत्तेजना अपने चरम पर पहुच गई थी, उसका पूरा शरीर ताप उठा थ, जिसे उसके ऊपर लेता हुआ बलदेव महसूस कर रहा था, बलदेव ने नाभि को ऊपर से मुंह भरकर चूसना शुरू कर दिया था उसने नाभि को चूपते हुए अपनी जीब चालानी शुरू कर दी थी उसके मुंह से “पुच पुच सकक पच पच लप लप” की आवाजे निकाल रही थी, वो कंचन को पूरा आनंद देना चाहता था जैसे कंचन ने उसको लंड चुसाई करते हुए दिया था। और वैसे भी कंचन को जितना हो सके गरम करना जरूरी था, वरना शायद वो बलदेव का भीमकाये लंड ना ले पाए।
कंचन ने बलदेव के सिर के बालों को मजबूती से पकड़ रखा था, अब वो चाहती थी की बलदेव उसकी चूत पर भी ध्यान दे, वो कबसे अपने चूतड़ उठाकर अपनी चूत को उसकी छाती से रगड़ रही थी, कंचन की भगनासा मे रक्त भर गया था, और वो फड़क रही थी, कंचन ने बलदेव के सिर को हल्का स नीचे धकेलना शुरू किया तो बलदेव खुद ही समझ गया की कंचन क्या चाहती है वो वो खुशी खुशी कंचन के जन्नत के छेद की और चल गया, बलदेव नीचे जाता हुआ कंचन के पेडू को चूम रहा था, उसके नथुनों मे चूत से निकले कामरस की गंध जा रही थी। इधर कंचन ने बिस्तर पर रखे हुए एक तकिये को खीच कर अपने सिर के नीचे ले लिया। कंचन का सिर हैडबोर्ड के पास तकिये के ऊपर जमा हुआ था और वो लंबी लाबी गहरी साँसे लेते हुए लाल मदहोश नशीली बड़ी आँखों से बलदेव के द्वारा की जा रही काम कला का नजारा देख रही थी, उसकी चूचियां दोनों ही बलदेव के थूक और उसके दातों से दिए हुए निशानों से भर चुकी थी थी, पर अब भी दोनों स्तन नारी आत्मविश्वास के साथ तने हुए थे। अब देखना ये था की क्या कंचन की चूत बलदेव की काम कला की कारीगरी को झेल पाएगी। बलदेव भी ऊपर की ऊपर कंचन की और देख रहा था उससे नजरे मिल रहा था, उसने अब अपने सिर को कंचन की दोनों टांगों के बीच ले लिया था और वो अब पहली बार कंचन की चूत को देखने वाला था, ये वही चूत थी जिसके अंदर वो अपना लंड डालने वाला था, चुदाई से पहले वो कंचन के इस छेद को देखना चाहता था क्यों की शायद चुदाई के बाद उसकी शक्ल पहले जैसी नया रहे, बलदेव का मुंह चूत की भगनासा के बिल्कुल ऊपर था, और उसकी आंखे कंचन की आँखों मे देख रही थी उसके चेहरे पर एक वासना भारी मुस्कान थी, उसके दोनों हाथ अब कंचन की टांगों से होते हुए उसकी ऊपर की जांघों के ऊपर थे और उसका बाकी शरीर बिस्तर पर पूरा लंबा लेटा हुआ था, वो अपनी कोहनियों के बल अपने शरीर के कमर से ऊपर के हिस्से को सहारा दिए हुए था, उसका लंड और टट्टे बिस्तर की चादर पर टीके हुए थे उसकी त्वचा रेशमी कोमल चादर को महसूस कर रही थी।
नारी का शरीर कितना अनोखा होता है, कितना जादुई होता है, उसके पास कुदरत की दी हुई अनोखी सुंदरता होती है जो बड़ी ही मोहक होती है, कहने को तो उसके नारी के पास भी मर्द की मांस और हड्डियों से बना हुआ शरीर है, पर उसकी बनावट और कोमलता और उसकी जनम देने की क्षमता उसको पूजने लायक बनती है, वो एक नए जीवन को अपने अंदर जनम देती है, और उसके लिए वो अपना साथी उसके बच्चे का होने वाला पिता खुद चुनती है, जिसे वो दूसरे मर्दों की तुलना मे सबसे बलशाली, समझदार और काबिल मानती है, ये चुनने का हक मर्द के पास नहीं होता, इसी तरह से कितने हई मर्द सिर्फ एक हई लड़की के पीछे उसको पाने के लिए लगे होते है, पर सिर्फ एक ही मुकद्दर का सिकंदर को नारी अपने शरीर को सौंपती है।
कंचन भी ऐसे ही सबसे बलवान और बलशाली पुरुष को अपना शरीर सौंप रही थी, अब पहली बार बलदेव को अपनी टाँगे खोले हुए चूत के दर्शन करा रही थी, दोनों के हई बदन सफेद रोहनी के नीचे बिस्तर पर लेते हुए खुले वातावरण मे कामवासना मे डूबे हुए थे।
बलदेव अब तक कंचन की आँखों मे देख रहा था, वो अब टांगों के बीच कंचन के मुख्य द्वार के आगे था, उसने अब अपनी नाजेरे कंचन की चूत की और कर ली थी तो उसे कंचन की बिना बालों चूत के दर्शन हुए, चूत के दोनों बाहरी होंठ बहुत लंबे, ऐसा लग रहा था जैसे एक ब्रेड पांव चूत की जगह लगा दिया हो, और अब वो चोंड़ा होकर फैल गए थे, बाहरी होंठों के बाद अन्दर के होंठों का रंग हल्का गुलाबी था, जो की कंचन के शरीर के गोरे रंग के हिसाब से मेल खाता था, और दोनों होंठों के बीच चूत के छेद की खाल थी जो की अभी पूरी बंद ही थी, पर कंचन के वासना मे बेहद गरम होने की वजह से वो बेहद फुदक रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे एक दिल धधक रहा हो, उसके फुदके के साथ चूत का छेद अंदर के तरफ खुद को खीच और छोड़ रहा था, छेद जब फुदतकता तो बाहर की तरफ से पानी चोद देता था, चूत का पानी कंचन के दोनों होंठों को भिगो चुका था, और उन पर थोड़ा सफेद का चिपचिपा रस लिपटा हुआ था, और गाण्ड के छेद भी पूरा जिले हो गया था और चूत के सफेद रस से भीग चूका था, कंचन के भारी मोटे चूतड़ों का कटाव उसकी मांसल जांघों के ऊपरी भाग से शुरू होता था, चूतड़ों की गोलाई इतनी ज्यादा थी कि बिस्तर के ऊपर लेटे हुए कंचन की गांड का छेद गद्दे से कम से कम ५ इंच ऊपर था निश्चय हई कंचन की भारी मांसल गाण्ड उसके नारी आत्मविश्वास को बराबर ही दर्शाती थी, उसकी चूत के फूले हुए होंठों के बीचों बीच ऊपर की और लगी हुई भगनासा (clitoris) का दाना एक दम दिल की धड़कन के जैसे फड़क रहा था, बलदेव जैसे कंचन के दोनों छेदों को देखकर मंत्रमुगद हो गया था। उसका भारी लंड अब गद्दे को भेदने मे लगा था, और पूरा तने हुए झटके मार रहा था। और कंचन बस अपने पैरों के बीच उसकी खुली हुई चूत के सामने बलदेव के चेहरे को देख रही थी, कैसे बलदेव के चेहरे के भाव उसकी मादक चूत और भारी गाण्ड की सुंदर कामुकता को देखकर बदल रहे थे।
बलदेव- कंचन तुम्हारे अंगों की सुंदरता तो बड़ी ही कामुक है, इसकी बनावट बहुत ही अद्भुत और मोहक है इसकी जितनी तारीफ करो कम है, कितनी फूली हुई है और कितनी रसीली है, ऐसा लगता है मानो कामुकता का पहला और आखरी छोर तुम्हारी चूत मे समाया हुआ है। और ये रस नहीं मानो यह तो काम की गंगा बह रही है, तुम्हारी चूत हई सारी कामुकता का स्त्रोत है।
कंचन को अपने नारी होने पर गर्व था, उसको पता था मर्दों के ऊपर उसकी चूत को देखने के बाद कैसा असर होता है, पर कंचन ने पहली बार अपने शरीर के बारे मे ऐसी कामुक बात सुनी थी, वो बलदेव की ऐसे वचन सुनकर बलदेव की तरफ मोहित हो जाती है, और शरमाकर बोलती है।
कंचन- हमे खुशी हुई की आपको यह अच्छी लगी, पर आप ये सब ना बोलिए हम शर्म से मर जाएंगे
बलदेव- अरे देवी हम तो बस सच ह कह रहे है, तुम्हारा पूरा शरीर कितना अद्भुत है, ये तुम्हारी चुचियां कोमल तो है पर फिर भी कितनी कठोर है, तुम्हारी तवचा कितनी नरम और लचीली है, क्या तराशा हुआ शरीर है, शायर ने सही कहा है “उसने जाना की तारीफ मुनकीं नहीं”
कंचन- आपको इतनी पसंद आई तो आप किसका इंतज़ार कर रहे है, हम तो तबसे हई तड़प रहे है, आपको पूरी इजाजत है आप हमारी चूत ले लीजिए।
बलदेव- ठीक है बहुरानी, आपकी आज्ञा सर आखों पर।
कंचन बहुत ही गरम हो चुकी थी, वो बस बलदेव की काम काया को देख रही थी, तकिये पर सिर लगाए लाल आखों मे भारी हवस से अपनी चूत को बलदेव के रहमो कर्म पर कंचन बस इंतज़ार की घड़िया गईं रही थी।
बलदेव ने अपना दाया हाथ कंचन की जांघ की अंदर की तरफ लाते हुए हथेली को चूत के पास ले गया और अपने हाथ को चूत के ऊपर रखते हुए, अपने अंगूठे को भगनासा से लेकर नीचे पूरे होंठों पर हल्के हल्के रगड़ने लगा, कंचन की तो फिर से आंखे बंद हो गई हो गई और वो अपने कटे हुए होंठों को दातों से दबाकर “उफ्फ़ आह आह आह हम्म मम मम मम ओ बलदेव मेरे पतिदेव” जैसी मदहोश आवाजे निकालने लगी, बलदेव अब कंचन की चूत के रस के झरने मे नहाने वाला था, उसने धीरे धीरे अंगूठे को ऊपर नीचे करते हुए कंचन की चूत की गरमी महसूस होने लगी कंचन की चूत मे खून का बहाव बबहुत तेज हो रखा था और इसीलिए चूत आग की भट्टी बन चुकी थी, कमाल का मिलन था, कंचन की चूत आग की भट्ठी भी बनी हुई थी और जमकर अपना काम रस भी निकाल रही थी, कंचन की चूत के ऊपर ठोड़ी देर अंगूठा फेरने के बाद बलदेव चारों उँगलिओ को मिलकर चूत के बाहरी और अंदर के होंठों को सहलाने लगा और हल्के हल्के दबाने लगा, उससे चूत का बराबर फड़कना महसूस हो रहा था, अपनी उँगलिओ को गोल गोल चूत के ऊपर फिराने के बाद बलदेव को जब यह यकीन हो गया की कंचन अगले हमले के लिए तैयार है तब बलदेव ने अपने हाथ की पहली उंगली को कंचन की चूत के छेद पर रख दिया और उसे धीरे धीरे गोल गोल घुमाने लगा, कंचन बस अपनी गर्दन को ऊपर उठाते हुए और चादर को अपनी मुट्ठी मे भीचते हुए मादक सिसकारीया निकाल रही थी, बलदेव की उंगली भी अछि खासी मोटी और लंबी थी, उसकी उनलिया आधा इंच मोटी थी और ४-५ इंच लंबी, कंचन की चूत की कसावत बलदेव को पता लग गई थी, उसकी उंगली बार बार छेद पर दबाव बना रही थी, छेद बेशक बहुत गीला था, पर कसावट अभी भी बरकरार थी.
कंचन की चूत को उसके लंड के तैयार करना बहुत जरूरी था, तो बलदेव ने अपली उंगली का दबाव बनाते हुए उससे गोल गोल घुमाना शुरू कीा, और देखते हई देखते कंचन की चूत के अंदर ठोड़ी सी उंगली उतर गई, और कंचन की एक लंबी “आह आह ऊहह ऊहह “ निकाल गई उसके छुटर हल्के हल्के ऊपर उठाने लगे थे, बलदेव समज गया था, उसने अपना काम चालू रखा, उसने धीरे धीरे उंगली को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, चूत ने उंगली को कस लिया था, जैसे शिकार को पंजे मे जकड़ लिया गया हो। उसकी चूत की कसावत देखने लायक थी, बलदेव की उँगलिया कामरस मे भीगनी शुरू हो गई और उसने अब बाये हाथ को अभी कंचन की बाई चूची तक पहुँचा दिया था, बलदेव का बाय हाथ अब कंचन की चूची को दबा रहा था और उसकी उंगली चूत की सेवा मे लगी थी, कंचन को बलदेव से मिलने वाला आनंद उसको चरम तक पहुंचा रहा था, बलदेव ने उंगली जो तभी तक आधी बाहर थी धीरे धीरे उसने अपनी पूरी उंगली अंदर डाल कर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। कंचन की सिसकारीया और तेज हो गई और वो बेड की चादर को कसकर अपनी मुट्ठी मे दबोचने लगी, ऐसा बलदेव ने कुछ देर किया उसके बाद उसने अपनी उंगली निकाल ली, और कंचन कुछ सेकंड के लिए लंबी गहरी साँसे लेने लगी, उसकी दोनों चूचियाँ लंबी साँसों और सिसकारियों के साथ ऊपर नीचे हो रही थी, कंचन की आंखे बंद थी, बलदेव ने और फिर कंचन की चूत की बाहरी होंठों के पास अपने चेहरे को ले गया, क्या मादक चूत की गंध थी, कंचन अपनी फैली हुई टांगों के बीच फूली हुई चूत के होंठों के ऊपर बलदेव की गरम साँसे महसूस कर रही थी, वो बस आंखे बंद किए होंठों को दबाए अगले पल का इंतज़ार कर रही थी, बलदेव ने कंचन की चूत के बाये और के और अपने होंठ रख दिए और इससे कंचन की लगभग चीख निकाल गई, बलदेव के बड़े होंठों का कोमल स्पर्श कंचन को अपनी चूत के ब=पास बहू भाय रहा था, बलदेव ने अब उसकी चूत के बाहरी होंठों को बारी बारी चूमना शुरू कर दिया, और हर एक चुम्बन मे जो भी चूत का गीला रस बलदेव के होंठों और चेहरे पर लगता, बलदेव पूरे प्यार से उसको चाट खाता, धीरे धीरे कंचन की चूत की फूले हुए होंठों पर कंचन को बलदेव के होंठों का पूरा एहसास हो गया था, बल्देव ने हल्के हल्के जीब भी चूत के होंठों पर चलनी शुरू कर दी, उसने बिल्कुल भी जल्दबाजी नहीं दिखाई उसे पता था चूत का स्पर्श जीब के साथ कितना कोमल होता है और कंचन पहले से ह बहुत गरम है उससे धीरे धीरे जीब के आनंद देना होगा, बलदेव ने चूत के बाहर होंठों को जीब को फ़ाइल करर पूरा चाट लिया और बलदेव ने जब ऐसा किया ट उसे लगा जैसे वो किसी गोश्त पर अपनी जीब फेर रहा है कंचन की चूत के बाहरी होंठ इतने फूले हुए और सोफ़ थे, बलदेव को ऐसा लगा की उसकी जबान कंचन की फूली हुई चुची पर चल रही है, चूत के होंठ पाव रोटी की तरह मोटे और फूले हुए थे, बलदेव को लगा की जैसी वो चूत को चाटकर हई तृप्त हो जाएगा ।
बलदेव ने चूत के बाहरी होंठों के बाद अपने दाए हाथ के अंगूठे को भगनासा के ठोड़ी सी ऊपर रख दिया और उससे गोल गोल घुमाने लगा, कंचन के मुंह से “आह उम्म ओह हाय मम मम मम खा लो मेरी चूत को बलदेव आह सस सस सस शशश शशश शशश शशश इसस इसस इसस “ जैसी लंबी लंबी सिसकारीया निकाल रही थी। जिस तरह से कंचन की सिसकारीया निकाल रही थी और उसकी टाँगे अब अपने मोटे चूतड़ों को ऊपर उठा और हिल रही थी ऐसा निश्चय हई था की कंचन ठोड़ी देर मे ऐसा हई चलता रहा तो झड जाएगी, अब बलदेव ने अपनी मोटी और लंबी जीब को कंचन की चूत के अंदर के होंठों पर चलना शू कर दिया था, उसने “सप सप सप” कर हुए सबसे पहले चूत के छेद से लगा हुआ सारा रस चाट लिया उसने कंचन की गांड के छेद से लेकर भगनासा तक चूत को चाट लिया, चूत का सवाद बहुत तीखा था और हल्का मीठा और तेज था, और उसमे से बहुत तेज मादक गंध आ रही थी, गंड के छेद की गंध भी बड़ी तेज थी, उसमे से चूत के रस पसीने और गाण्ड का स्वाद मिल गया था, बलदेव कंचन की चूत और गांड को चाटकर मदहोश होता जा रहा था, वो जैसे चूत को नहीं बल्कि एक शराब की बोतल को मुँह लगाकर पी रहा है, बलदेव ने चूत के होंठों को ऐसे हई पूरा ऊपर से नीचे तक अच्छे से चाटने और चूमने के बाद अपने मुँह को पूरा खोल लिया ली और जितना हो सके चूत के होंठों को मूह मे भर लिया और और जमकर चूसना और चाटना शुरू कर दिया, और अपना दाया हाथ भी कंचन की चुचईओ की और बढ़ दिया, बलदेव के दोनों हाथ अब कंचन की भारी चूचियोंं की सेवा मे थे, और वो मूँह लगा कंचन के कामरस को उसके मुख्य स्त्रोत से पी रहा थ।॥