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Erotica Dilwale - Written by FTK aka HalfbludPrince (Completed)

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दोस्तो एक और नई कहानी पेशेखिदमत है ये कहानी मेरी नहीं है इसको फ़ौजी भई aka HalfbludPrince ने लिखा था Xossip पर जिसे मैं यहाँ Xforum पर पोस्ट कर फाहा हूँ । जिन रीडर्ज़ को पढ़ने में दिक़्क़त हो रही faujiभई की कहानी वो यहाँ पढ़ सकते है।

ज़िंदगी के खेल भी बड़े ही निराले होते है कभी हसती है कभी रूलाती है कुछ लोग कहते है कि खूबसूरत होती है ज़िंदगी कुछ कहते है कि बड़ी ही अच्छी होती है पर कुछ अभागे लोग भी होते है मेरी तरह के जो जीना चाहते है बड़ा ही खुल के पर जी नही पाते है हमेशा कोई ना कोई अड़चन रह रोक लेती है जब लगता है मंज़िल पा ली तभी वो हाथ से फिसल जाती है कुछ ऐसी ही कहानी इस हारे हुए इंसान की है जो उड़ना चाहता था उस खुले आसमान मे जो जीना चाहता था पर हर इंसान को कहाँ खुशिया मिला करती है कई बार वो उपरवाला अपनी आँखे इस तरह से फेर लेता है की फिर उसे याद ही नही आती किसी की

कुछ ऐसी ही कहानी है मेरी जिसे ज़िंदगी ने हर कदम पर चला हर कदम पर बस वो ठगती ही रही, दिल भर गया है उपर तक तो सोचा कि इस बोझ को आप सभी से शेयर कर दूँ क्या पता थोड़ा हल्का हो जाए

ये सब शुरू हुआ उस दिन जब दोपहर मे मे अपने कपड़े सुखाने छत पर गया कपड़े सूखा ही रहा था कि मेरी नज़र पड़ोस के आँगन मे पड़ गयी और जो कुछ मैने देखा ऐसा पहले कभी नही देखा था पड़ोसन बिम्ला दिन दुनिया से बेख़बर आँगन मे नहा रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर नज़ारा बहुत ही अच्छा था आज से पहले मैने कभी किसी औरत को नंगा नही देखा था तो नज़र ठहर सी गयी उसका वो काला बदन धूप मे चमक सा रहा था

क़ायदे की बात तो थी कि मुझे तुरंत ही उधर से हट जाना चाहिए था पर मैं हट नही सका मुंडेर पे छिपके मैं उसको नहाती हुई देखने लगा जबकि वो बेख़बर पूरी मस्ती से नहाए जा रही थी कुछ देर बाद वो खड़ी हुई अबकी बार उसका चेहरा मेरी तरफ था उसके खुले हुवे बाल जो कमर तक आ रहे थे अच्छे लगे उसकी चूचिया ज़्यादा मोटी नही थी तो पतली भी नही थी, मीडियम से थोड़ा ज़्यादा साइज़ की गहरी नाभि और जाँघो के बीच काले बालो मे छिपी हुई वो लाल लाल सी योनि जिसकी बस एक झलक ही देख पाया था

उसने अपने एक पैर को हल्का सा उपर किया और साबुन लगाने लगी कसम से उस से ज़्यादा मजेदार नज़ारा और क्या होता जवानी की दहलीज पर खड़े मुझ को तो कुछ होश ही ना रहा जब वो अपनी गोल सुडोल चुचियो पर साबुन लगा रही थी तो लगता था कि जैसे दो गेंदो से खेल रही हो वो करीब दस मिनिट तक मैं उसको देखता रहा पर तभी उसने मेरी तरफ देखा तो मैं तुरंत ही उधर से भाग लिया क्या उसकी नज़र मुझ पर पड़ गयी थी ये सोचते ही मेरी गंद फट गयी कही वो घर पर शिकायत तो नही कर देगी कि मैं उसको देख रहा था नहाते दिमाग़ मे सैकड़ो सवाल घूमने लगे

शाम तक अपने कमरे से बाहर नही निकला मैं बार बार देखता कि कही आ तो नही गयी शिकायत लेकर पर ऐसा कुछ नही था तब जाके थोड़ी शांति मिली पर उसके नंगे बदन ने मुझे आकर्षित कर दिया दिल मे कही ना कही आ ही गया की यार अगर बिम्ला पट जाए तो चोदने मे मज़ा आएगा अब इस अमर मे हर लड़के को चूत की हसरत तो होती ही है ना और फिर क्या गोरी क्या काली क्या फरक पड़ता है बस मिल जाए बस

शाम को मैं बिम्ला के घर गया तो उसकी सास बैठ कर सब्ज़ी काट रही थी तो मैं उनसे बाते करने लगा बिम्ला पास मे ही बकरी को घास खिला रही थी जब वो झुकी तो उसके ब्लाउज से बाहर को आते हुए चूचे मेरी नज़रो मे आ गये तो मेरी जीभ लॅप लपा गयी पर उसका ध्यान नही था और फिर थोड़ा बहुत तो दिख ही जाता है कुछ देर इधर उधर की बाते करने की बाद मैं घर आने ही वाला था कि बिम्ला बोली

बिंला- सुनो क्या तुम कल मेरे लिए मेडिकल से बदन दर्द की गोली का पत्ता ला दोगे

मैं- हाँ क्यो नही ले आउन्गा
बिंला-रूको मैं पैसे लेकर आई
मैं- अरे भाभी बाद मे दे देना
घर आते ही खाना खाया और फिर कुछ देर किताबें लेकर बैठ गया पर दिल नही लग रहा था तो बिम्ला के बारे मे सोच कर लंड को हिला डाला तब जाके चैन मिला अगली सुबह घर वालो की डाँट खाकर मेरी नींद खुली जल्दी से तैयार हुआ और स्कूल चला गया गाँव का सरकारी स्कूल जहाँ पढ़ाई बस धक्के देकर ही होती थी पर सहर दूर था तो उधर ही पढ़ना पड़ता था पर मैं खुश था


अपनी ज़िंदगी भी कोई लंबी चौड़ी नही थी, कॉलेज से आते ही पढ़ना फिर शाम को जंगल मे या नहर पर घूमने चले जाना घर का काम करना भैंसो के काम मे मदद करना चारा काटना उनको नहलाना बस खेतो पर नही जाता था मैं बहुत हुआ तो साइकल उठा कर शहर का चक्कर लगा लिया जो करीब दस किलोमेटेर दूर पड़ता था उस रात बहुत गर्मी लग रही थी बिजली भी नही आ रही थी मेरे कमरे मे खिड़की भी नही थी बहुत बार बोल चुका था घरवालो को पर कभी किसी ने ध्यान नही दिया था तो अपनी दरी उठा कर मैं छत पर आ गया

पर इधर भी गरम हवा ही चल रही थी तो हाल मुश्किल हुआ मेरा रेडियो चलाया तो वो सही से स्टेशन नही पकड़ रहा था तो उसके तार को अड्जस्ट करने लगा

तभी साथ वाली छत से बिम्ला ने पुकारा- क्या बात है नींद नही आ रही है क्या
मैं- हाँ भाभी आज गर्मी बहुत है
बिम्ला- हाँ वो तो है और बिजली भी नही आ रही है उपर सोने का सोचा तो मच्छर काट रहे है

मैं- भाभी थोड़ी हवा चल जाए तो ठीक रहे

वो मेरी मुन्डेर के पास आकर खड़ी हो गयी और बाते करने लगी
मैने पूछा- भाभी भाई नही दिख रहा
बिम्ला- उन्होने कोई नया काम लिया है तो कुछ दिन उधर ही रहेंगे

बिम्ला- और तुम बताओ क्या चल रहा है
मैं-बस भाभी कट रही है कॉलेज से घर , घर से कॉलेज यही चल रहा है अपना शाम को मैं आया था आप थे ही नही घर पर
बिम्ला- अब तुम्हारी तरह फ़ुर्सत तो होती नही है काम करने पड़ते है खेत मे गयी थी घास लाने को
मैं-भाभी बहुत काम करती हो आप कभी माजी को भी कहा करो
तो वो बोली – तुम ही कह दो मेरा तो सुन ने से रही वो

बिम्ला- मेरी गोली का पत्ता नही लाए तुम
मैं-माफ़ करना भाभी आज ध्यान नही रहा मैं कल पक्का ला दूँगा

चाँदनी रात मे बिम्ला के ब्लाउज से झाँकते उनके बोबे मेरा हाल बुरा कर रहे थे नीचे मेरी निक्कर मे लंड परेशान करने लगा था कुछ देर बाते करने के बाद वो जाकर सो गयी और मैं भी अपने बेड पर लेट गया एक नये सवेरे की उम्मीद मे

फ़िल्मे देखते थे कोई कोई फिलम देख कर ऐसा लगता था कि गर्लफ्रेंड तो होनी ही चाहिए पर कहाँ होना था अपने लिए ऐसे हालत मे क्लास मे दो तीन लड़किया होती थी जो बड़ी ही अच्छी लगा करती थी सुंदर थी पर अपन कभी कोशिश कर नही पाते थे क्लास के एक लड़के सुमित ने एक लड़की मंजू से फ्रेंडशिप कर ली थी पूरी क्लास मे पता चल गया था तो डर भी लगा करता था दिन कट रहे थे बिना किसी बात के और मैं अपने झूठे सच्चे अरमानो के साथ जिए जा रहा था

कॉलेज से आते टाइम बिम्ला के लिए गोलियाँ ले ली थी दोपहर का समय था उसके घर देने गया तो दरवाजा खुला था पर कोई दिखा नही मैं अंदर की तरफ चला गया तो मैने पाया कि बिम्ला अपने कमरे मे सोई पड़ी थी गहरी नींद मे सोते टाइम बड़ी प्यारी सी लगी मुझे वो उसकी छातिया सांस लेने से उपर नीचे को हो रही थी पतली कमर और सुतवा पेट गहरी नाभि होतो पर लाल लिपीसटिक किसी का भी मन भटका दे उसकी धोन्कनी की तरह उपर को उठती चूचिया जैसे मुझे अपने पास बुला रही हो

थोड़ा सा उसके पास गया तो उसके बदन से आती भीनी भीनी सी खुश्बू मुझे पागल बनाने लगी तभी उसने एक करवट सी ली और अपनी टाँगो को सीधा कर लिया घाघरा उसकी टाँगो पर बुरी तरह से चिपका पड़ा था और जाँघो के जोड़ वाले हिस्से पर वी शेप बना रहा था जिस से उसकी योनि वाले हिस्से का अच्छा दीदार हो रहा था पर मैं ज़्यादा देर तक नही रुक सकता था तो मैने थोड़ी सी शरारत करने का तो सोचा और उसके बोबे को हाथ से हल्का सा दबा दिया उसने कोई रिएक्ट नही किया

तो दो तीन बार ऐसी ही करने के बाद मैने उसे जगा दिया और गोली देकर घर आ गया अपने कमरे मे पड़ा पड़ा मैं सोच रहा था की कुछ भी करके कोई भी ट्रिक लगाके बिम्ला की तो लेनी ही है पर कैसे ये नही पता , शाम को मैं बाहर जा ही रहा था कि चाची बोली आ ज़रा प्लॉट तक चल मेरे साथ घास काट दियो और थोड़ी सफाई भी करनी है
मैं- चाची, मुझे क्रिकेट खेलने जाना है आके कर दूँगा
चाची- अपनी आँखे दिखाते हुए तो साहिब अब सचिन बनेंगे रात को दूध तो गॅप गॅप पी लेता है और काम ना करवाओ इस से

कभी कभी चाची की तीखी बातों से बड़ा दुख होता था पर सह लेता था तो फिर कपड़े चेंज करके प्लॉट मे चल दिया उनके साथ मेरी चाची का नाम सुनीता था उमर होगी 30-31 की दो बच्चे थे रंग गेहुंआ सा था हाइट थोड़ी कम थी पर मोटी अच्छी ख़ासी थी वो और स्वाभाव भी कुछ तीखा सा था उनका घमंडी टाइप का जाते ही फटाफट मैने घास काटी और फिर सफाई करने लगा चाची भैंसो को नहला रही थी उन्होने अपनी साड़ी को घुटनों तक कर लिया था ताकि पानी से गीली ना हो तो उनके सुडौल पैर देख कर पता नही क्यो फिर से मेरा हाल बिगड़ने लगा




अपनी गंदी नज़र से मैं उनको भी देखने लगा मोटी थी पर लगती कमाल की थी उनके कूल्हे तो बड़े ही मस्त थे पर चाची थी तो फिर ज़्यादा नज़रे नही की उनकी तरफ काम करते करते अंधेरा हो गया था घर जा रहा था तो बिम्ला के पति ने रास्ते मे ही रोक लिया मुझे और कहा यार तुझसे थोड़ा सा काम है मैने कहा हाँ भाई बताओ क्या बात है तो उसने कहा कि मुझे एक बड़ा काम मिल गया है तो मैं एक साल के लिए बाहर देश जा रहा हूँ मैने कहा भाई ये तो बहुत ही अच्छी बात है पर इतने दिनो के लिए वो बोला भाई क्या करूँ अब पैसे अच्छे दे रहे है तो मैं टाल ना सका

तो उसने कहा कि पीछे से घर का ध्यान रख लियो भाई , कुछ छोटा मोटा काम हो तो कर दिए मैने कहा आप चिंता ना करो तो वो बोला एक काम और आज रात की ट्रेन है देल्ही के लिए तो स्टेशन तक छोड़ आइयो मैने कहा भाई अब रात को इतना दूर साइकल ना चलेगी मुझसे तो उसने कहा स्कूटर से चलेंगे फिर तू आजना मैने कहा ठीक है भाई जब चलना हो आवाज़ दे दियो मैने सोचा कि ठीक ही हुआ ये जा रहा है अब मैं बिम्ला के साथ और टाइम दूँगा और लाइन मारूँगा


जब उसको छोड़ने जा रहे थे तो बिम्ला भी साथ आ गयी भाई स्कूटर चला रहा था मैं बीच मे था और वो पीछे उपर से दो बॅग भी तो अड्जस्ट करना मुश्किल हो रहा था पर थोड़ी देर की ही तो बात थी ट्रेन टाइम पर ही थी उसको रवाना करने के बाद मैने स्कूटर स्टार्ट किया और कहा भाभी बैठो तो वो बोली ज़रा धीरे ही चलना कही गिरा ना देना मुझे मैने कहा आप चिंता ना करो रास्ता बड़ा ही उबड़-खाबड़ सा था तो भाभी का बोझ बार बार मेरे उपर आ रहा था मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था फिर उसने मेरी कमर मे हाथ डाल के पकड़ लिया तो बड़ी ही मस्त फीलिंग आई मुझे

अगले दिन कॉलेज मे लगातार टेस्ट थे तो बस उनपे ही ध्यान रहा मेरा , जब छुट्टी हुई तो मुझे थोड़ा टाइम लग गया अपना समान समेटने मे तकरीबन लोग जा चुके थे बॅग को कंधे पर लटकाए अपने बालो मे हाथ फेरते हुए मैं बाहर निकला तो देखा कि मेरी ही क्लास मे पढ़ने वाली लड़की नीनु अपनी साइकल लिए गेट के पास ही खड़ी थी मैं उसे देख का रुक गया और पूछा
मैं-अरे नीनु क्या हुआ गयी नही
नीणू- देखो ना मेरी साइकल पंक्चर हो गयी है अब परेशानी हो गयी मेरे लिए
मैं अरे तो साइकल यही छोड़ जाती ना और अपने गाँव की लड़कियो के साथ चली जाती
नीणू- और कोई चुरा ले जाता तो
मैं- आजा पास मे ही एक साइकल की दुकान है उधर लगवा ले

हम बाते करते चल पड़े थोड़ी दूरी पर दुकान थी पर आज देखो वो बंद पड़ी थी
नीणू दुखी होते हुए बोली अब क्या करू घर कैसे जाउन्गी

मैं- परेशान ना हो कुछ करता हूँ चल एक काम कर मैं चलता हूँ तेरे साथ तेरे गाँव तक अब पैदल तुझसे तो साइकल घसिटी जाएगी नही
नीणू- रहने दो तुम, मैं चली जाउन्गी मैने कहा अरे क्या बात करती है तू परेशान होगी और तेरा गाँव भी थोड़ा दूर है कभी मुझे मदद पड़े तो तू कर देना उसमे क्या है नीणू ने अपनी गोल आँखो से मुझे देखा और बस मुस्कुरा पड़ी
 

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उस से पहले नीनु से मैने कभी इतना खुल के बात नही की थी बल्कि यू कहूँ कि देखा ही नही था उसकी तरफ बस कभी कुछ पढ़ाई के चक्कर मे कुछ हुआ हो तो ध्यान ही नही था वैसे भी मेरा मन क्लास मे कहाँ लगा करता था हालाँकि क़ायदा ये कहता था कि मुझे उसके साथ जाना नही चाहिए था पर अपना दिल नही माना लगा कि नज़ाने कब तक परेशान होगी ये तो कोई ना उसका गाँव मेरे गाँव से करीब 1.5 किमी दूर था हमारे गाँव मे से ही कॉलेज के लिए कच्चे रास्ते से होकर शॉर्टकट जाता था तो आस पास के गाँवो के कई स्टूडेंट्स उधर ही आते थे

जल्दी ही कच्चा रास्ता शुरू हो गया उसने अपने सर पर चुन्नी ओढ़ ली थी धूप से बचने को मैने उस से बात करना शुरू कर दिया तो पता चला कि वो गाँव से थोड़ी दूर खेतो मे घर बना कर रहते है मैने कहा जहाँ ले चलना है चल तो वो मुस्कुरा पड़ी उस से खुल के बात करने पर पता चला कि यार ये तो बड़ी ही शैफ़ और अच्छी लड़की है बातों बातों मे उसका घर भी आ गया था उसकी माँ ने देखा कि उसकी लड़की किस लड़के के साथ आई है तो कुछ सोचने लगी पर नीणू ने बताई साइकल की दास्तान तो उन्होने मुझे शुक्रिया कहा और चाइ के लिए पूछा पर मैने मना कर दिया और लौट आया थोड़ी दूर आने पर देखा कि नीनु मुझे ही देख रही थी

अपने घर आने के बाद मैं खाना खाकर सो गया तो फिर जब उठा तो हल्का हल्का सा अंधेरा हो रहा था गली से निकल ही रहा था कि बिम्ला ने रोक लिया बोली चाइ बना रही हूँ पीओगे क्या मैने सोचा चल इसी बहाने थोड़ा टाइम पास भी कर लूँगा तो हाँ कह दी मैने कहा भाभी घर पर कोई दिख नही रहा तो वो बोली माँ जी बच्चो को लेकर तुम्हारे प्लाट मे गयी है दादी के पास आती होंगी बातों बातों मे मैने जिकर कर दिया कि कल छुट्टी है तो सहर जाउन्गा
बिम्ला-अरे वाह मैं भी कल बाजार जा रही हूँ तुम कितने बजे जाओगे साथ ही चलेंगे
मैं- तो ठीक है सुबह दस के करीब चलेंगे
बिम्ला हाँ तुम रहोगे तो मेरी मदद भी हो जाएगी

बिम्ला मेरा खाली कप लेने को थोड़ा सा झुकी तो उसके उभारों की घाटी मे मेरी नज़र चली गयी उसने भी नोटीस कर लिया पर कुछ कहा नही और फिर इतना तो एक आम बात थी अपन ने साइकल को धो कर चमका लिया था सुबह सुबह ही वो बोली इस्पे कैसे जाएँगे मैने कहा भाभी तुम बैठो तो सही अपन तो उस पर ही जाते है तो वो बैठ गयी और चले सहर की ओर जो करीब 8-10 कोस था तो साइकल से बढ़िया और क्या हो सकता था टेंपो भरे जब चले तो कॉन इंतज़ार करे दरअसल मुझे सेक्सी कहानी वाली किताबो और जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक सा लगा पड़ा था


तो हर एतवार मैं सहर को हो लिया करता था सहर पहुच कर मैने भाभी को उनके समान की दुकान पर छोड़ा और कहा कि आप समान ख़रीदो मैं आता हूँ और बस अड्डे पर हो लिया जल्दी से दो चार किताबें ली छुपाने के लिए उनको कुछ और किताबो की काली थैली मे छुपा लिया ताकि बिम्ला कही देख ना ले वरना अपनी क्या इज़्ज़त रहती उसने फिर छोटा मोटा समान लिया पर काफ़ी देर लगा दी फिर बच्चों के लिए जूते और कपड़े फिर वो एक लॅडीस समान की दुकान मे घुस गयी और समान लेने लगी मैं उधर बैठ गया





तो मैने देखा कि लिपीसटिक, पाउडर के बाद उसने कुछ जोड़ी ब्रा-पैंटी भी ली तो मेरा लंड दुकान मे ही अंगड़ाई लेने लगा तो पॅंट मे परेशानी होने लगी अब आए थे साइकल पर और अब समान का थैला भी भारी हो गया था तो मैने कहा भाभी थैले को लगा पीछे और तू आगे डंडे पर बैठ जा तो बिम्ला बोली ना जी ना मुझे शरम आएगी मैने कहा अभी तो बैठ जाओ जब गाँव आएगा तो पीछे बैठ जाना तो वो मान गयी और हम गाँव के लिए चल पड़े

रास्ते मे मैने बड़ा मज़ा लिया जब जब मैं पैडल मारता तो उसके कुल्हो से मेरे घुटने टच करते तो वो आह सी भरती और मुझे मज़ा आता उसकी पीठ पर मैं बार बार अपनी छाती का बोझ दे रहा था बिम्ला बैठी तो थी पर असहज हो रही थी मुझे पता था कि साइकल का डंडा उसकी गान्ड मे चुभ रहा है अब वो डंडा उसकी मस्त गान्ड को संभालता भी तो कैसे पूरे रास्ते मैने उसका भरपूर मज़ा लिया जब गाँव आने लगा तो वो पीछे बैठ गयी

घर आते ही मैने अपनी पन्नि निकाली उसके झोली से और घर आते ही अलमारी मे छुपा दिया बस अब इंतज़ार था रात का कि कब नयी किताब पढ़ु और मुट्ठी मारू थोड़ी देर टीवी देखने के बाद इधर उधर घूमने के बाद अब मैं आया अपने कमरे मे और अलमारी से वो पन्नि निकाल कर खोला और तभी............
 

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जैसे ही मैने वो पॅकेट खोला मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी , उसमे से ब्रा –पैंटी निकले मतलब कि मेरा वाला पॅकेट बिम्ला के पास रह गया था अब तक तो उसने खोल भी लिया होगा और उन किताबों को देख भी लिया होगा यार ये तो बड़ी मुश्किल हुई अब कैसे उस से नज़रे मिला पाउन्गा मैं . क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे कही घर वालो से ना कह दे सारी रात इसी बारे मे सोचते हुवे आँखो आँखो मे कटी अपनी अब करे क्या कुछ समझ ना आया तो फिर सो गये.

अगली सुबह जब मैं कॉलेज के लिए निकल रहा था तो बिम्ला बाहर चूल्‍हे पर रोटियाँ पका रही थी उसने झलक भर मुझे देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी पर मैं जल्दी से निकल गया ,कॉलेज वाले मोड़ पर ही मुझे नीनु मिल गयी मुझे देख कर अपनी साइकल से उतर गयी और मेरे साथ चलने लगी वो उसने बातों बातों मे मेरा धन्यवाद किया मैने कहा उसकी क्या ज़रूरत भला तो वो बोली – तुम मेरे साथ घर तक गये शुक्रिया तुम्हारा और बाते करते हुए हम लोग कॉलेज की तरफ बढ़ने लगे

ये मेरे लिए पहली बार था जब कोई लड़की आगे से मुझसे बात कर रही थी वरना अपनी तरफ कोई देखता भी तो क्यो. क्लास मे अभी स्टूडेंट्स आने शुरू नही हुवे थे जो दो-चार आ गये थे वो बाहर थे, मैने कहा लगता है आज मैं जल्दी आ गया नीनु बोली- हाँ शायद

मैं भी बात को आगे बढ़ाते हुवे मैने पूछा- तुमको डर नही लगता क्या इतने सुनसान रास्ते से अकेले आते जाते हुवे ,
नीणू- डर क्यो लगेगा और फिर मैं अपनी सहेलियो के साथ आती जाती हूँ वो तो कल ही रुकना पड़ा
मैं- अच्छा अच्छा उनका तो मुझे ध्यान ही नही रहा
अब और भी स्टूडेंट्स आने लगे थे तो नीनु बाहर चली गयी अपन भी कुछ देर बाद बाहर चले गये उस दिन पता नही क्यो बार बार मेरी नज़रे नीनु की ओर ही जा रही थी चोरी छिपे बस मैं उसको ही देखे जा रहा था मेरे दोस्तो ने टोका भी मुझे कि क्या बात है आज ध्यान कहाँ है तेरा अब उनको क्या बता ता मैं कि मेरा ध्यान कहाँ पर है मुझे खुद नही पता था छुट्टी होने के बाद मैं घर को आया शाम को मैं बाहर जा रहा था तो बिम्ला से टकरा गया
वो बोली- कहाँ जा रहे हो
मैं- बस घर ही जा रहा हूँ
बिम्ला- ज़रा मेरे साथ आना
मैं थोड़ा सा घबराते हुवे- अभी मुझे काम है बाद मे आ जाउन्गा
बिम्ला ने मेरा हाथ पकड़ा और खीचते हुवे अपने साथ ले गयी और कमरे मे ले जाकर बोली – वो कल जब हम बाजार गये थे तो शायद मेरा एक पॅकेट तुम्हारे पास रह गया है तो वो वापिस कर देना
मैं- जी मैं देख लूँगा
बिम्ला- कोई परेशानी है क्या कुछ सूने सूने से लग रहे हो
मैं- नही, बस ऐसे ही
बिम्ला- चलो कोई बात नही मैं रात को छत पा आउन्गि तब मेरा पॅकेट दे देना
मैने सोचा कि मैं भी अपनी किताब माँग लेता हूँ पर फिर हिम्मत ही नही हुई और ना ही उसने कोई जिकर किया तो फिर मैं घर पर आ गया.

रात रोशन हो रही थी धीरे धीरे बिम्ला अभी छत पर नही आई थी मैने अपन बिस्तर बिछाया , पानी का जग रखा साइड मे और लेट गया उपर आसमान मे चाँद चमक रहा था, अपनी चाँदनी को बिखेरते हुवे हवा चल रही थी गरमी की सदा को लिए अपने साथ बेशक रात थी पर उमस दिन जैसी ही थी करीब दस बजे बिम्ला छत पर आई तो मैं भी उठ कर मुंडेर पर चला गया . मुझे देख कर वो मेरी साइड आई और बोली- सोए नही क्या अभी तक
मैं-गर्मी बहुत है तो नींद नही आ रही



बिंला- हाँ वो तो है
मैं- ये लो आपका पॅकेट
बिम्ला- खोल के तो नही देखा ना
मैं- खोल लिया था पर तभी रख दिया था
बिम्ला- बड़े शैतान हो गये हो तुम, मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ समझती थी पर तुम तो पक्के वाले बदमाश हो गये हो
मैं चुप ही रहा
बिम्ला- कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- कुछ नही बोला
बिम्ला- अब शरमाओ मत , वैसे भी मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत है नही तुमको बताओ कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- नही, नही है अब मेरी तरफ कॉन देखेगा
बिम्ला- भला ऐसा क्यो
मैं- बस ऐसे ही
बिम्ला- हूंम्म्मममममम
मैं- आप ये सब क्यो पूछ रही हो
बिम्ला- बस ऐसे ही करो ट्राइ किसी से दोस्ती करने की कोई ना कोई तो पट ही जाएगी
मैं- नही मैं ऐसे ही ठीक हूँ
बिम्ला- क्यो भला, अब तुम भी जवान हो गये हो कोई तो अच्छी लगती होगी तुमको भी मुझसे क्या शरमाना बताओ मुझे
मैं- मुझे तो बस आआआआआआआआआअ नही कुछ नही
बिम्ला- ओह हो तो अब शरम आ रही है जब ऐसी करतूते करते हो तब शरम नही आती है तुमको अब देखो कैसा भोला पन टपक रहा है चेहरे से
मैं कुछ नही बोला
बिम्ला- अब इतने भोले भी ना बनो और बताओ

मैं- क्या बताऊ , दिल तो करता है पर डर भी लगता है और फिर मेरी तरफ कोई देखती भी नही

बिम्ला-इसका ये मतलब तो नही कि किसी से दोस्ती ना कर सकोगे

मैं-अब कोई नही करती दोस्ती तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ
बिम्ला- कभी कह के तो देखो किसी को फिर बताना
मैं- आआप जब इतना ही कह रही हो तो फिर आप ही कर्लो ना फ्रेंडशिप आख़िर मेरे मूह से अपने मन की बात निकल ही गयी
बिम्ला- मेरी और आँखे फेरते हुवे बड़े बदमाश हो गये हो सीधा मुझ पर ही लाइन मार रहे हो अपनी उमर देखो मेरी उमर देखो शरम नही आई तुम्हे
मैं- अब देखलो जब आप ने ही मना कर दिया तो फिर और कोई होती वो भी मना कर देती
बिंला- ऐसा नही है भोन्दु
मैं- फिर कर्लो दोस्ती
 

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बिमला- अरे नहीं कर सकती तुमसे दोस्ती
मैं- पर क्यों नहीं कर सकती
बिमला- देखो समझने की कोशिश करो, मेरी और तुम्हारी उम्र में काफी फासला है और फिर पड़ोस का मामला है ऐसी बाते देर सवेर खुल ही जाया करती है तो फिर तुम्हे तो कुछ नहीं , पर मुझे बहुत फरक पड़ेगा, और फिर बच्चे भी अब बड़े हो रहे है और मैं नहीं चाहती की कल को कोई ऐसी बात हो जिसका मेरी गृहस्ती पर कुछ प्रभाव पड़े अभी तुम मेरी इस बात को नहीं समझोगे पर जब तुम थोड़े और बड़े हो जाओगे तो शायद समझ पाओगे
वैसे भी रात बहुत हो गयी है जाओ सो जाओ मुझे भी नींद आ रही है काफी थक जाती हु पूरा दिन
मैं- पर भाभी मुझे आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा आपकी हां का इंतज़ार करूँगा मैं कभी न कभी तो आप मुझसे दोस्ती करो ही गी
बिमला ने एक भरपूर नजर मेरी और डाली और अपनी गांड को मटकाते हुवे चली गयी और मैं रह गया अपने अधूरेपन के साथ उस आसमान के चाँद की तरह जो चांदनी के साथ होते हुवे भी अधुरा सा था
पता नहीं मेरे साथ ऐसा क्यों था की ज्यादा लोगो से मैं घुल मिल नहीं पाता था बस अपने आप से ही झूझता था मैं अगली सुबह मैं तैयार होकर रसोई में गया तो चाची रोटिया बनाने के लिए आता लगा रही थी निचे फर्श पर बैठ कर उनकी गोल मटोल छातिया ब्लाउस के बंधन को तोड़ कर बहार आने को मचल रही थी जैसे की सुबह सुबह ऐसा सीन देख कर मजा ही आ गया पर उनका मिजाज थोडा कसैला था तो वहा रुका नहीं और फिर कॉलेज चला गया

ख़ामोशी से बैठा मैं कुछ सोच रहा था की नीनू मेरे पास आई और बोली- मुझे तुमसे एक काम है
मैं- हा बोलो क्या बात है
नीनू- वो बात दरअसल ये है की, तुम्हे तो पता ही है की मैं मैथ में कितनी कमजोर हु क्लास के बाद तुम इधर ही रुक कर पढ़ते हो तो अगर तुम मुझे भी थोडा पढ़ा दो तो मेरी परेशानी भी दूर हो जाएगी
मैं-नीनू देखो, तुम तो मुझसे बेहतर ही हो पढाई में, और फिर थोड़े दिनों में सब क्लास वाले मास्टर जी से कोचिंग लेने ही वाले है तो तुम भी उधर ही पढ़ लेना वो अच्छे से समझा सकेंगे तुमको
नीनू- वो तो मैं करुँगी ही पर अगर तुम भी मेरी हेल्प कर देते तो ........ ......
मैं- ठीक है पर तुम ऐसे छुट्टी के बाद रुकोगी तो कोई कुछ कहेगा मेरा मतलब तुम समझ रही हो न
नीनू- तुम उसकी चिंता मत करो बस किसी तरह से मेरा मैथ सही करवादो
मैं- ठीक है हम कल से तयारी शुरू करेंगे
नीनू- पर आज से क्यों नहीं
मैं- आज मुझे कुछ जरुरी काम निपटाने है पर कल से पक्का
नीनू मुस्कुराई और अपनी सहेलियों के पास चली गयी मैं अपने पीरियड के लिए बढ़ गया
जब मैं घर आया तो घर पर कोई नहीं था लाइट आ रही थी तो मैंने मोके का फ़ायदा उठाने की सोची और डीवीडी पर बी अफ लगा कर देखने लगा वैसे मुझे ऐसा मोका कभी कभी ही मिलता था मेरे कमरे में ब्लैक एंड वाइट टीवी था और हमारी बैठक में कलर वाला था तो मैंने सोचा की आज रंगीन पर ही देखता हु तो मैंने सब सेटिंग की और अपनी आँखे सेकने लगा धीरे धीरे मुझ पर गर्मी छाने लगी अब घर पर कोई नहीं तो मैं ही राजा था



ऊपर से टीवी पर चलता गरमा गरम सीन मेरा लंड अपनी औकात पर आ गया और मैंने भी बिना देर किये अपने कच्चे को निचे सरकाया और अपने लंड को हिलाने लगा मस्ती में डूबने लगा पर ये मस्ती जल्दी ही हवा हो गयी वो हुवा कुछ यु की मैं हमारा मेन दरवाजा बंद करना भूल गया था था और पता नहीं किस काम से बिमला आ गयी और उसने भी कोई आवाज नहीं की सीधा ही अन्दर आ गयी अब सिचुएशन ऐसी हुई की टीवी पर फिलम चल रही और मैं अपने हाथ मी लंड लिए खड़ा था
 

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वो सब दो मिनट की ही बात होगी बिमला की आँखे फटी की फटी रह गयी और मेरी गांड तो वैसे ही फतनी थी जल्दबाजी में मैं कुछ कर ही नहीं पाया उसको भी लगा की शायद वो गलत टाइम पर आ गयी है तो वो तो फ़ौरन ही रफू चक्कर हो गयी और रह गया मैं इस अजीबो गरीब हालत में तो जल्दी से कपड़ो को सही किया और फिर डीवीडी को हटाया दो तीन गिलास पानी पी चूका था पर सांसे अभी भी बहुत तेज चल रही थी बिमला के सामने तो अपना पोपट हो गया था कहा सोच रहा था की उस से हां करवा कर रहूँगा पर अपनी तो अब कोई इज़त ही न रही उसके सामने न जाने क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में

बाद में बता चला की पड़ोस में किसी के यहाँ ब्याह देने आये है तो सब घरवाले उधर ही गए थे मैंने सोचा ये सही है कई दिन हुए बारात नहीं गए इसी बहाने थोडा मजा आएगा रात हुई और अपन तो फिर पहुच गए अपनी दरी उठा कर चाट पर बिमला ने अपना फोल्डिंग आज बिलकुल मुंडेर की बाजु में ही लगाया था तो मैंने भी अपनी दरी बिलकुल पास में ही बिछा दी मुझे हर गुजरते दिन के साथ बिमला को पटाने की इच्छा बढती ही जा रही थी पर वो थी की बस हाथ आ ही नहीं रही थी वैसे इतनी सुन्दर भी नहीं थी वो पर उसके बदन में एक अलग ही मादकता थी जो मुझे बहुत तद्पाया करती थी

दिल करता था की बस उसको अपनी बहो में दबोच लू और उसकी मस्त गांड को बुरी तरह से मसल दू उसकी चूत मारने को बड़ा ही उतावला हुए जा रहा था मैं पर कैसे कैसे

पर वो कहते हैं न की उसके घर में देर है पर अंधेर नहीं तो अपने को भी एक मोका ऐसा ही मिल गया बिमला के ससुर करीब महीने भर बाद ही रिटायर होने वाले थे तो उनको वो एक महिना उसी सहर में ड्यूटी करनी थी जहा पर से वो भरती हुवे थे उनकी उम्र भी काफी थी बस कर रहे थे नोकरी किसी तरह से तो तय हुवा की बिमला की सास भी उनके साथ जाएगी अब बिमला का पति भी बहार कमाने गया हुवा था तो अब बिमला और बच्चो को कैसे अकेले छोड़ा जाये तो उन्होंने पिताजी से बात की और पिताजी ने बोल दिया मेरे बारे में की ये रात को आपके घर सो जाया करेगा और घर के काम भी करेगा तो आप लोग यहाँ की चिंता न करो और फिर बस महीने भर की ही तो बात है

पर उन्हें ये कहा पता था की इस एक महीने में मैं पूरी कोशिश करूँगा बिमला को पटाने की अगले दिन मैं और बिमला उसके सास ससुर को छोड़ने के लिए चंडीगढ़ चले गए बच्चो के कुछ टेस्ट वगैरा थे तो वो हमारे घर पर ही रह गए ताऊ जी को ऑफिस की तरफ से ही कमरा मिल गया था तो उसकी थोड़ी साफ़ सफाई की और सेटिंग कर दी रहने की , अब मैं पहली बार चंडीगढ़ आया था थो घूमना फिरना तो बनता ही था मैंने बिमला से कहा पर वो शायद अपनी सास से थोडा बच रही थी पर ताऊ जी ने खुद ही कह दिया की फिर कब आना होगा तुम देवर भाभी सिटी देख आओ

शाम को हम लोग निकल पड़े घुमने को बिमला हलके आसमानी रंग की साडी में कहर ढा रही थी थोडा बहुत घुमने फिरने के बाद हम लोग एक पार्क में जाके बैठ गए अँधेरा भी होने लगा था पार्क में कई जोड़े और भी मस्ती कर रहे थे अब बड़े सहर की बड़ी बाते गाँव की बिमला भाभी को हैरानी हो रही थी की कैसे खुलम खुला लोग एक दुसरे को चूमा छाती कैसे रहे है पर यहाँ तो ओपन ही था भाभी के गाल शर्म से लाल होने लगे थे पर उन्होंने एक बार भी यहाँ से चलने के लिए नहीं कहा

तो मोका देख कर मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और उनसे बाते करते हुवे बोला- भाभी आपने मेरी बात का अभी तक जवाब नहीं दिया है
बिमला- कोण सी बात का
मैं- वो ही दोस्ती वाली बात का
बिमला- अब कैसे समझाऊ मैं तुम्हे, नहीं हो सकता
मैं- पर क्यों भाभी मैं आपको विश्वास दिलाता हु की मेरी वजह से आपको कोई भी तकलीफ नहीं होगी आप मुझे सच में बहुत अच्छी लगती हो, जी करता हैं की बस आपको ही देखता रहूँ आपसे ही बाते करू और ...................
और क्या पूछा उन्होंने
और आपसे प्यार करना चाहता हूँ,
पर मुझमे ऐसा क्या देख लिया तुमने , अपनी उम्र की कोई लड़की देखो न तुम, मेरे पीछे क्यों पड़े हो मैं न तो गोरी चिट्टी हूँ , ऊपर से दो बच्चो की माँ तुम्हारा मेरा कोई मेल नहीं
मैं- भाभी, मैं कुछ नहीं जनता बस कह देता हु आपको मेरी दोस्ती कबूल करनी ही होगी
पार्क में एक जोड़ा एक ही कप से कुछ पी रहे थे बारी बारी से भाभी उन्हें ही देख रही थी मैं उनके हाथ को अपने हाथ से मसलने लगा अँधेरा हो रहा था तो उन्होंने कहा चलो बहुत देर हो गयी अब घर चलते है और हम वहा से निकल लिए.

मैंने ऑटो लेने को कहा पर उन्होंने कहा सिटी बस से ही चलते है, पर शाम का समय होने के कारण भीड़ बहुत ही ज्यादा थी जैसे तैसे करके चढ़ गए, अब सहर में कौन किसको सीट देता है तो हम खड़े हो गए, मैंने जान के बिमला को अपने आगे खड़ा कर लिया भीड़ से बचाने को या यूँ कह लो की तक़दीर में थोड़ी मस्ती करनी लिखी थी एक दो स्टॉप पर भीड़ और बढ़ गयी तो बिमला और मैं एक दुसरे से बिलकुल सत कर खड़े हुए थे

उसकी गांड का पूरा बोझ मेरे ऊपर आ रहा था अब लंड तो ठहरा गुस्ताख तो लगा शरारत करने और बिमला की गांड में फुल सेट हो गया बिमला बेचारी हिल भी नहीं सकती थी भीड़ जो इतनी थी तो बस चुप चाप खड़ी रही बस के हिचकोलो से उसके चुतड जब जब हिलते कसम से अपनी तो फुल मजे थे पर हमारा सफ़र जल्दी ही ख़तम हो गया था घर आने के बाद खाना-वना खाया और आई बारी सोने की पर समस्या ये हुई की वहा पर बस दो हो फोल्डिंग थी जिनपर ताऊ और ताई को सोना था तो मैंने और भाभी ने अपना बिस्तर हॉल गैलरी में निचे बिछा लिया




और सोने की तैयारी करने लगे, पर तभी लाइट चली गयी अँधेरा हो गया मैंने कहा मोमबती जला देता हूँ तो बिमला ने मना करते हुए कहा की क्या जरुरत हैं सोना ही तो हैं रहने दो और वो सो गयी पर मुझे कहा नींद आने वाली थी वो भी जब, जब वो मेरे पास ही सो रही हो ऊपर से मेरा खड़ा लंड जो न जाने आज क्या गुल खिलाने वाला था मैंने बहुत कण्ट्रोल किया पर ये साली जिस्म की आग जब लगती हैं तो फिर सब बेकार
मैं सरक कर बिमला के और पास हो गया और अपना हाथ उसकी छाती पर रख दिया अहिस्ता से ..........
 

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मुझे डर भी बहुत लग रहा था पर क्या करता लंड के हाथो मजबूर था साँस लेने से उसकी चूचिया लगातार ऊपर निचे हो रही थी धीरे धीरे मैं उन्हें दबाने लगा सच कहूँ बहुत ही मजा आ रहा था वो नींद में बेसुध होकर सोयी हुई थी जिस बात का फायदा मैं उठा रहा था मैं थोडा सा और उसकी तरफ सरक गया उसके बदन की खुशबु मुझे मदहोश कर रही थी, कुछ देर बोबो को दबाने के बाद मैंने अपना हाथ साडी के ऊपर से ही उसकी चूत वाली जगह पर रख दिया और उसको सहलाने लगा तभी उसका बदन थोडा सा हिला तो मैंने अपना हाथ हटा लिया

उसने करवट बदली और मेरी तरफ पीठ करली कुछ देर का इंतज़ार करने के बाद मैंने फिर से अपनी कार्यवाही शुरू की और अपने लंड को बाहर निकल कर उसके चुत्तदो पर रगड़ने लगा मुझे बहुत मजा आ रहा था मन तो कर रहा था की बस चोद ही दूँ पर अपनी भी मजबूरियां थी तो ऐसे ही छेड़खानी करते हुए थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया जो उनकी साडी पर ही गिर गया सुबह मेरी आँख जब खुली जब बिमला ने मुझे चाय पिने की लिए जगाया चाय का कप लेते हुवे मैंने उसके हाथ को थोडा सा दबा दिया तो उसने शरारती मुस्कान से देखा मुझे और चली गयी,

मुझे भी लगने लगा था की बिमला भी मेरी तरफ थोडा थोडा सा झुक रही हैं जबकि मेरी बेकरारी बढती ही जा रही थी,आज शाम को हमे वापिस गाँव के लिए निकलना था तो पूरा दिन बस घर में ऐसे ही निकल गया छोटे मोटे कामो में तो हम लोग बस स्टैंड आये रात की बस थी हमारी सुबह तक ही पहुचना होता , तो पकड़ ली अपनी अपनी सीट दिन में तो धुप खिली पड़ी थी पर रात को पता नहीं तापमान कैसे गिर गया शायद कही पर बारिश हुयी होगी तो अचानक से ठण्ड सी बढ़ गयी

और ऊपर से चलती बस में हवा भी कुछ ज्यादा लग रही थी बिमला को थोड़ी प्रोब्लम थी इसलिए खिड़की बंद भी नहीं कर सकते थे पर उसने एक चादर निकाल ली और हम दोनों को धक् लिया बस अपनी रफ़्तार से चल रही थी ज्यादातर सवारिया लम्बे रूट की थी और फिर रात का सफ़र धीरे धीरे सब लोग सोने लगे बिमला की भी शयद झपकी लग गयी थी ,हरयाणा रोडवेज की बसों का तो आपको पता ही हैं, बार बार मेरी कोहनी बिमला के बोबो से रगड़ खा रही थी जिस से मैं फिर से शरारती होने लगा था
किस्मत भी कुछ होती हैं तब पता चला था मुझे उसने अपना सर मेरे काँधे पर रख दिया जिस से मैं आसानी से अपना हाथ उसकी चूची तक पंहुचा सकता था और बिना देर किये मैंने उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ कितनी गरम और नरम थी वो मैंने अपनी पेंट की चेन खोली और लंड को बहार किया और बिमला का हाथ उस पर रख दिया उस पल मैंने जरा भी नहीं सोचा की अगर बिमला जाग गयी तो क्या होगा उसकी हाथो की गर्मी लंड पर पड़ते ही वो और भी कामुक होने लगा

बड़ी सावधानी से मैं उसके बोबो के साथ खेल रहा था की मुझे लगा की उसकी मुट्ठी लंड पर कस गयी हो जैसे उसने उसको दबाया हो क्या बिमला जाग रही थी और मेरी हरकतों का मजा ले रही थी वैसे भी कभी न कभी तो उसको बताना ही था की उसकी चूत चाहिए मुझे तो आज ही क्यों न , सोचा मैंने और उसके ब्लाउस के दो हुको को खोल कर अपना पूरा हाथ अन्दर सरका दिया और ब्रा की ऊपर से चूचियो को रगड़ने लगा इधर मेरा दवाब उसकी चूचियो पर बढ़ ता जा रहा था दूसरी और उसकी पकड़ मेरे लंड पर और फिर मेरे मजे का ठिकाना न रहा जब उसने मेरे लंड को हिलाना शुरू कर दिया ये उसकी तरफ से सिग्नल था
मैंने इधर उधर नजर दोडाई और देखा सब लोग सो रहे थे तो अब मैंने सीधा अपने होठ उसके लाल लिपिस्टिक लगे होतो पर रख दिए और उसको किस करने लगा दो मिनट में ही उसका मुह भी खुल गया और वो भी मेरा साथ देने लगी जुल्म की बात ये थी की हम बस में थे अगर घर पर होते तो चुदना पक्का था उसका पर खुशी ये थी की बस जल्दी ही वो मेरी बाँहों में होने वाली थी थोड़ी देर किस करने के बाद उसने अपना चेहरा अलग किया और धीमे से बोली चलो अब सो जाओ
 

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पर मैं कहा मानने वाला था मैंने फिर से उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया और दबा दिया वो धीरे धीरे फिर स उसको हिलाने लगी अब मैंने भी अपने हाथ को उसकी जांघो पर रखा और सहलाने लगा उसकी टाँगे अब खुलने लगी थी और बिना देर किये साड़ी को घुटनों तक उठा कर मैं उसकी कच्ची के ऊपर से ही चूत को मसलने लगा बिमला का खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया तो वो थोडा गुस्से से बोली पागल हो गए हो क्या बस में बेइज्जती करवानी हैं क्या चलो अब चुप चाप सो जाओ तो उसके बाद अपनी आँख सीधा अपने सहर ही खुली

सुबह के ५ बजे हम लोग अपने घर पहचे भाभी ने गेट खोला मैं तो सीधा पड़ते ही सो गया बस में वैसे भी परेशां होना था और क्या

फिर मेरी नींद सीधा दोपहर को ही खुली, अंगडाई लेते हुवे मैं बाहर आया तो देखा बिमला आँगन में अपने बाल सुखा रही थी उसने एक ढीली सी मैक्सी पहनी हुई थी, शायद थोड़ी देर पहले ही नाहा कर ई थी, उसने मेरी और देखा और कहा की उठ गए मैंने कहा हां बस अभी उठा बाल सुखाने को थोडा सा वो झुकी और उसके बोबे बहार को लटक आये अन्दर ब्रा नहीं डाली थी उसने अपना लंड तो पल भर में ही तन गया और मैंने उसी पल कुछ करने का सोचा
मैं बिमला के पास गया और उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसको किस करने लगा बिमला बोली- क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे
मैं- नहीं भाभी अब नहीं अब आपको अपना बनाके ही रहूँगा अभी मुझे मत रोको
मैंने उसको अपनी बाहों में कस लिया और चूमने लगा ताजा पानी की सोंधी सोंधी सी खुशबू बिमला के बदन से आ रही थी मैं पागलो की तरह उसकी माथे, गालो और होटो को चूम रहा था धीरे धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी थी अब मैंने उसको अपनी गोदी में उठाया और अन्दर कमरे में ले आया और उस पर टूट पड़ा उसकी मैक्सी पल भर में ही उसके बदन से जुदा हो गयी थी ब्रा तो वैसे भी नहीं थी बड़ी सेक्सी लग रही थी बिमला उस टाइम पर इस से पहले की मैं कुछ कर पता बहार से किसी ने गेट खडकाया तो हम अलग हो गए उसने जल्दी से मैक्सी डाली और बाहर चली गयी

उसके बच्चे स्कूल से लोट आये थे, मैंने माथे पर हाथ पीटा और अपने घर पर आ गया , अब कल से मुझे भी पढाई फिर से शुरू करनी थी तो बस्ता सेट किया वैसे भी रात को बिमला के घर पर ही सोना था तो फिर रात अपनी ही थी, इसी उधेड़बुन में बाकि का टाइम कटा जैसे तैसे करके खाना वाना खाके बस जाने ही वाला था बिमला के घर पर की चाची मेरे कमरे में आई और बोली – एक काम कर आज तू खेत पर चला जा सोने को आवारा गाय बहुत घुमती हैं उधर कई दिनों से अपनी फसल का नुक्सान हो रहा हैं जरा देख ले उधर जाके ये सुनते ही मेरा दिमाग बहुत तेजी से ख़राब हो गया

घर में चाची का राज चलता था तो फिर क्या था अपनी साइकिल उठाई और चल दिया मन में हजार गालिया बकती हुए, इस घर में गुलामो सी ज़िन्दगी थी अपनी कोई कुछ समझता ही नहीं था खेत वैसे ज्यादा दूर नहीं था बस्ती से करीब कोस भर ही दूर था , मैंने वहा जाकर कुवे पर बना कमरा खोला और साइकिल अन्दर खड़ी की, चारपाई को बहार निकला और उस पर बैठ कर सोचने लगा सारे प्लान का तो बिस्तर गोल हो गया था अपने रेडियो को लगाया और सोच विचार करने लगा


करीब घंटे भर बाद मुझे कुछ आहट सुनाई दी तो मैं भी खड़ा हुआ और देखने लगा कही कोई पशु तो नहीं आ निकला पर खेत के परले तरफ मुझे कोई लालटेन लिए दिखा तो मैंने अपना लट्ठ संभाला और उस तरफ चल निकला तो पता चला की ये तो हमारे मोहल्ले की ही पिस्ता हैं, मेरा इस से कभी ज्यादा वास्ता नहीं पड़ा था क्योंकि उसकी छवि थोड़ी ठीक नहीं थी गाँव में उसके कांड की कई किस्से मशहूर थे और उनका घर भी बस्ती के परली तरफ था तो बस कभी राह में आते जाते देख लिया इस से ज्यादा कभी कुछ था नहीं

वैसे तो पिस्ता अपने खेत में खड़ी थी फिर भी मैंने उस से पूछ ही लिया की वो रात को इधर क्या कर रही हैं , उसने मुझे ऐसे देखा की जैसे मैं कोई विचित्र गृह का प्राणी होंवु , अपनी बड़ी बड़ी गोल आँखों को घुमाते हुए उसने कहा की अपने खेत में रखवाली कर रही हूँ और क्या ,

मैं- अरे वो तो ठीक हैं पर घर से और कोई नहीं आ सकता था क्या तुम रात में अकेली
पिस्ता- और कोण करेगा, भाई तो नोकरी पर रहता हैं साल में दो बार ही आता हैं , माँ सारा दिन घर का काम करके परेशां हो जाती हैं तो मैं ही कर लेती हूँ वैसे मैं आती नहीं पर वो क्या हैं न की सब्जियों में पानी देना था तो इसलिए आना ही पड़ा
मैं-पर आज तो लाइट आ ही नहीं रही
पिस्ता- आज का सारा तो था पर पता नहीं क्यों कट कर दी वैसे तुम सवाल बहुत पूछते हो पिछले जनम में वकील थे क्या
मैं- अरे नहीं, वो तो तुम्हे ऐसे देखा तो बस पूछ लिया अच्छा तो मैं चलता हूँ
पिस्ता- रुको मैं भी चलती हूँ तुम्हारे साथ,
मैं- पर क्यों रहो अपने खेत में
पिस्ता- अब लाइट तो हैं नहीं तो थोड़ी देर तुमसे ही बाते करके टाइमपास कर लुंगी,
मैंने सोचा ठीक ही हैं मेरा भी टाइम कट जायेगा तो वो मेरे साथ कुए पर आ गयी और मेरी खाट पर बैठ गयी मैं जमीं पर बैठ गया तो उसने कहा अरे तुम भी ऊपर ही बैठ जाओ
मैं- नहीं मैं ठीक ही हु उधर
 

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मुझे कोई फरक नहीं पड़ता तुम्हारा जो भी मतलब था , और न ही उन लोगो की बातो से जो वो मेरे बारे में करते हैं आखिर कुछ चीजों को आप कितनी भी कोशिशि कर लो पर सही कर नहीं सकते और फिर किसी को क्या हैं मैं अपनी ज़िन्दगी को कैसे भी जिउ ये मेरी मर्जी हैं , उसने कहा
मैं- वो भी हैं पर सची में मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहता था

वो थोडा सा मुस्कुराई , और बोली अच्छे लड़के हो तुम तहजीब हैं तुम्हारे अन्दर मेरी छोड़ो तुम बताओ कुछ क्या पता फिर कभी तुमसे कभी बाते करने का मोका मिले न मिले

मैं – ऐसा क्यों सोचती ही फिर कभी हम मिलेंगे तो बात तो करेंगे ही वैसे मेरे पास कुछ हैं नहीं तुम्हे बताने को बस कट रही हैं जैसे तैसे कर के

पिस्ता- मैंने तो सुना था की बड़े घरो के लड़के अक्सर ऐसे वैसे होते हैं पर तुम तो अलग हो

मैं- तुम्हे लगता हैं तो ऐसा ही होगा

प्यास लगी हैं थोडा पानी मिलेगा कहा उसने
हां, अभी लाता हूँ, गिलास भर कर दिया उसको पानी पीते समय थोडा सा पानी उसके सूट पर गिर गया तो मैंने कहा कोई रेल पकडनी हैं क्या आराम से पियो वो मुस्कुराई मेरी और देख के फिर खाली गिलास मुझे पकड़ा दिया

मैंने उसे भरा और फिर पीने लगा तो उसने कहा अरे मेरा झूठा क्यों पि रहे हो
मैं- ये झूठा सच्चा नहीं पता मुझे मुझे भी पानी पीना था तो पि लिया बस इतनी सी तो बात हैं
पिस्ता बस मुस्कुरा कर रह गयी
मैंने बातो का सिलसिला आगे बढ़ाते हूँए कहा- तुम रोज आती हो खेत में
पिस्ता- नहीं रे, बताया न तुम्हे, सब्जियों में पानी देना था इसलिए आई वैसे अगर तुम कहो तो रोज आ जाऊ इस बहाने तुम से बाते भी हो जाया करेंगी ,

मैंने मन में सोचा चलो यार ये मिल गयी तो टाइम पास हो जायेगा मेरा वो कर भी रही थी मजेदार बाते मैंने आगे बढ़ते हूँए कहा , वो क्या तुम सच में घर से भाग गयी थी
पिस्ता- ऐ वो मुझे न हीरोइन बन ने का शौक हो गया था तो उसी के लिए चली गयी थी काम न बना था तो वापिस आ गयी गाँव के लोगो ने बात फैला दी की भाग गयी फलाना फलाना

ये सुनते ही मुझे तेज हँसी आ गयी , मैं बोला- तुम तो गजब हो भला ऐसा कोई करता हैं क्या
अब मैं तो ऐसी ही हूँ जो करना हैं करना हैं दुनिया कौन हैं मुझे रोकने वाली मैं तो ऐसे ही बेतकल्लुफी ही जीती हूँ और जियूंगी पर तुम बहुत खोद खोद के पूछ रहे हो क्या इरादा हैं तुम्हारा

मेरा क्या इरादा होना हैं , बस ऐसे ही पूछ रहा था

मुझे लगा की तुम में मेरे लिए इंटरेस्ट जाग गया हैं कहा उसने

मैं हैरान रह गया , कितनी बिंदास लड़की थी यार ये, पर उसकी मुह पर बोलने वाली बात अच्छी लगी मुझे ,
हाँ मैं हूँ ही इतनी मस्ती की किसी का भी इंटरेस्ट जाग ही जाता हैं

मैं- नहीं , नहीं मेरा वो इरादा नहीं था

वो थोडा सा मेरे पास को सरकी, और कहा- तो फिर क्या इरादा था

मैं- वो मुझे नहीं पता पर अच्छा लग रहा हैं तुमसे बाते करना अब ये मत पूछना की क्यों , मेरे पास जवाब नहीं हैं

पिस्ता- अक्सर लोगो के पास जवाब नहीं होते हैं कुछ सवाल होते ही ऐसे हैं पर तुम पूछो जो पूछना है आज मेरा भी मूड अच्छा हैं

मैं- अब लाइट तो पता नहीं कब आएगी घर चली जाओ, यहाँ कब तक बैठी रहोगी कहो तो मैं चलूँ घर तक

पिस्ता- ओह हो की बात हैं, सीधा घर तक आने को कह रहे हो

मैं- तुम हर बात का ऐसे ही जवाब देती हो क्या

पिस्ता- क्या तुम्हे मैं यहाँ पर अच्छी नहीं लगती हू

मैं- मेरे अच्छे लगने न लगने से क्या होता हैं मैं सोच रहा था की शायद तुम्हे घर जाना चाहिए इस लिए बोला

पिस्ता- लाइट थोड़ी बहुत देर में आने वाली होंगी , पानी देना जरुरी हैं

मैं- तुम चाहो तो लेट जाओ थोड़ी देर मैं खेतो का एक चक्कर लगा कर आता हूँ और चल दिया पूरा चक्कर लगाने में करीब आधे घंटे से भी ज्यादा लग गया था मैं जब आया तो पिस्ता खाट पर बेसुध होकर सोयी पड़ी थी उसकी चुनरिया चेहरे से सरक गयी थी चाँद की दूधिया रौशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी साँस लेने से उसके जिस्म में हलकी हलकी सी हरकत हो रही थी

मेरी नजर उसके चेहरे पर ठहर सी गयी थी लगा की इस से सुन्दर नजारा फिर नहीं दिखेगा मैं वही पास में एक पत्थर पर बैठ गया और एकटक उसके चेहरे को निहारने लगा बेसुध सी वो अपन सपनो की दुनिया में कही खोई हूँई थी दीन दुनिया से बेखबर लगा की जैसे उस चन्द्रमा के सारे नूर को पिस्ता ने अपने आप में समेट लिया हो उसके रूप का खुमार चढ़ने लगा मुझे पर और फिर मैं उसके चेहरे के ऊपर थोडा सा झुका और उसके गुलाबी गाल पर एक पप्पी ले ली

अलसाई ओस की बूंदों जैसे मुलायम गाल उसके उसकी सांसो की वो सोंधी सोंधी की महक जैसे मुझे अपने में घोल ही लिया था पर ये सब बस कुछ देर के लिए ही था उस गरम रात में वो ताज़ी हवा के झोंके की तरह आया था , पर ख़ुशी ज्यादा देर कहा टिकती थी वैसे भी अपने पास निगोड़ी तकदीर का खेल देखो उस बिजली को भी तभी आना था कुएँ का लट्टू बिना किसी बात के जल उठा रौशनी फ़ैल गयी दूर दूर तक पिस्ता की आँखे अचानक से खुल गयी और वो उठ बैठी अपने आँचल को सही किया उसने और बोली- बाप रे लाइट आ गयी मोटर चलानी हैं पानी देके मिलती हूँ और भाग चली अपने खेत की तरह हम रह गए उस रात की ख़ामोशी के साथ
 

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फिर ना जाने कब नींद आगई आँख खुली तो धुप सर पर पड़ रही थी बिस्तर को कुएँ पर बने कमरे में पटका और तेजीसे भगा घर ओर कॉलेज के लिए लेट हो गया था बिना नहाये ही पंहूँचा जैसे तैसे करके क्लास लग गयी थी पर मास्टर जी की दो डांट सुन ने के बाद बैठ गया थोड़ी देर बाद नीनू से आँखे चार हूँई पर बस आँखे ही मिल कर रह गयी आधी छुट्टी में पूछा उसने की कॉलेज क्यों नहीं आ रहे थे मैंने कहा – बहार गया हूआ था और एक दिन जान कर घर पर ही रुक गया था

नीनू- पर तुम्हारे चक्कर में मेरे मैथ का तो नुक्सान हो गया ना

मैं- वो क्यों भला
नीनू- तुमने कहा जो था की छुट्टी के बाद तुम पढ़ा दिया करोगे भूल गए क्या तुम
मैं- अरे हाँ , आज से करवा दूंगा तुम्हे और बताओ क्या चल रहा हैं
नीनू- अपना क्या चलना हैं वो ही इधर से घर घर से इधर तुम मजे में हो चंडीगढ़ घूम आये सुना बहुत हैं उधर के बारे में , तुम भी बताओ कुछ
मैं- हाँ, सहर तो जबरदस्त हैं, और वहा की रात की बात तो बहुत निराली हैं
नीनू- ऐसा क्या हैं
मैं- अरे बस वो न पूछो तुम वहा का रहन सहन गाँवो से तो बहुत ही अलग हैं किसी पर कोई पाबन्दी नहीं सब मस्त हैं अपने आप में, लड़के लडकिय ओपन में साथ घूमते हैं वहा की तो हर बात ही निराली हैं
नीनू- बड़े शहरों की बड़ी बाते , वैसे तुमने बस यही नोटिस किया की लड़के लडकिया साथ घूमते-फिरते हैं इसके आलावा कुछ

मैं- और भी बहुत कुछ था पर फिर कभी बताऊंगा अभी चलता हूँ और स्टूडेंट्स सोचेंगे इतनी देर से क्या बात चीत कर रहे है वो हंस पड़ी

कॉलेज के बाद करीब घंटा भर नीनू के मैथ ने ले लिया पर पता नहीं क्यों उसके साथ समय बिताना थोडा अच्छा सा लगा घर पंहूँचा , खाना खाया और सीधा बिमला के घर का रास्ता नाप लिया , वो अकेली ही थी सीधा उसको अपनी बाहों में घर लिया और उसके भरे भरे गालो को चूमने लगा तो वो बोली क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे पर मैं कहा मानने वाला था उसको कस लिया अपनी मजबूत बाँहों में और उसके अधरों का रस पीने लगा

बिमला- क्यों तंग कर रहे हो
मैं- और जो मुझ पर गुजर रही है उसका क्या भाभी
मैं क्या जानू बोली वो
अच्छा जी कहकर उसकी चूची को कस कर दबा दिया मैंने तो वो दर्द से बिलबिला उठी और अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर मसल दिया पर उसकी इस हरकत ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया मैंने तुरंत उसका ब्लाउस खोला और ब्रा को थोडा सा ऊपर करके उसकी चूची पर अपने होठ लगा दिए नमकीन सा स्वाद मेरे मुह में भर गया तक़रीबन आधी चूची को मुह में ले लिया औ चूसने लगा थोड़ी देर बाद बिमला खुद मेरे सर को अपनी चूची पर दबाने लगी बहुत मजा आ रहा था मेरी पेंट की ज़िप खोल कर उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगी मेरे तन बदन में जैसे बिजलिया सी रेंगने लगी


काफ़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा और फिर अचानक से भाभी अपने घुटनों के बल बैठी और मेरे लंड को सीधे अपने मुह के अन्दर ले लिया मेरे को कसम से इतना मजा आया की बस पूछो ही मत मेरा आधा लंड उनके मुह में था उनके होटो ने जैसे लंड पर ताला सा लगा दिया था और उनकी गरम जीभ जो लंड के सुपाडे पर जो गोल गोल घूम रही थी मेरा तो हाल बुरा हो गया पूरा बदन मस्ती से भर गया और कांपने लगा था मेरे घुटने ऐसे हिल रहे थे की उनकी कटोरिया बस अब बाहर को गिरने ही वाली थी अपने आप मेरे हाथ भाभी के सर पर कसते चले गए
ohhhhhhhhhhhhh भाभी ये क्या गजब कर दिया आपने ओह भाभी ओह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह रुक जाओ न पर उन्होंने थोड़े से लंड को और मुह के अन्दर कर लिया और साथ ही साथ मेरी गोटियो को भी अपने हाथ से मसलने लगी थी मुझे अब दुगना मजा आने लगा था मेरी कमर अपने आप हिलने लगी थी जैसे उनका मुह ही चूत हो बिमला भी पुरे जोश से मेरे लंड को चूस रही थी मेरे साथ पहली बार ऐसा हो रहा था आँखे अपने आप बंद होती चली गयी मस्ती के मारे और फिर कुछ याद नहीं रहा , कुछ याद था तो की बस पूरा जिस्म किसी सूखे पत्ते की तरह कामपा और भाभी के मुह में लंड से निकलती धार गिरने लगी जिसे बिना किसी परेशानी के उन्होंने अपने गले में उतार लिया

मुट्ठी तो बहुत मारी थी पर आज जो मजा आया था उसके आगे तो सब फेल था , मैंने सोचा चूत मारूंगा तो कितना मजा आएगा , अपनी उखड ती सांसो को संभाला ही था की बिमला ने कहा अब तुम्हे भी ऐसे करना है और खड़ी हो कर अपनी साडी को कमर तक ऊपर को उठा लिया अन्दर से वो नंगी थी काली चूत मेरी आँखों के सामने लपलपा रही थी खीच रही थी मुझे अपनी और को , मैं अपना मुह उसकी तरफ ले गया एक बेहद ही अजीब सी खुशबू मेरी नाक में उतरती चली गयी भाभी ने कहा चलो चूसो इसको और अपनी जांघो को उन्होंने खोल दिया मैं टांगो के बीच आ गया और अपने होंठो को उस गरम चूत पर रख दिए

मेरी सांसो की गर्मी से भाभी का पूरा शरिर दहक उठा बिमला की चूत थर थारा गयी बिमला ने मेरे सर को अपनी चूत पर कस कर दबा दिया और दीवार से लग गयी मैंने अपनी जीभ को बाहर निकाला और ऊपर से नीचे तक पूरी चूत पर एकबार जो फेरा तो बिमला के जिस्म में गरम तंदूर भड़क गया मेरे सर के बालो में अपनी उंगलिया फिराने लगी वो उसके चुतड हौले हौले से हिलने लगे वो अपने दांतों से अपने होटो को काट रही थी मैंने हाथ से चूत की फांको को अलग अलग किया तो अन्दर से लाल लाल हिस्सा दिखने लगा उसकी चूत थोडा थोडा सा कांप रही थी जो मुझे मदहोश कर रही थी मैं लगातार चूत पर अपनी जीभ को ऊपर नीचे कर रहा था बिमला की चूत से चिपचिपा सा रस सा बहने लगा था जिसका स्वाद कुछ नमकीन कुछ खट्टा सा था


लम्बी लम्बी सांसे लेते हूँए बिमला मेरे सर को बार बार अपनी चूत पर रगड़ रही थी कमरे में उस वक़्त अगर कुछ था तो बस हमारी गरम सांसे जो आज और भी गरम होकर शोलो में बदल जाने वाली थी बिमला ने अपनी टांगो को थोडा और खोल लिया और मुझे बोली की जीभ को अन्दर डाल कर चूसो उसने अपने हाथो से चूत की पंखुडियो को खोला और मैंने एक बार फिर से अपने होटो को रस से भरी उस गरम चूत पर रख दिए उसका नमकीन रस की एक एक बूँद मेरे मुह में टपक रही थी कुछ देर में मुझे भी चूत का रस पीना आचा लगने लगा तो मैं भी जोश से भरके चूत के रस को निचोड़ने लगा बिमला की आँखे बंद हो गयी थी और उसकी कमर अब हिलने लगी थी चूत के पानी से मेरा पूरा मुह गीला हो गया था

थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही चूत की चुसाई करता रहा और फिर बिमला ने मेरे से पर अपना पूरा दवाब दे दिया और काफी सारा चिपचिपा पानी मेरे मुह में भर गया दो- चार मिनट तक बिमला ने मेरे सर को अपनी योनी पर दबाये रखा और फिर वो अलग हो गयी हम दोनों एक दुसरे को देखने लगे और फिर मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होटो को अपने मुह में भर लिया और चूमने लगा उसने अपने आप को मेरी बहो में सुपुर्द कर दिया और मेरा साथ देने लगी हमारे होठ एक दुसरे से मदहोशी भरी बाते कर रहे थे मैंने अपनी जीभ को उसके मुह में सरका दिया जिसे वो चूस रही थी मेरा लंड कब फिर से खड़ा हो गया था पता ही नहीं चला बस अब उसको चोदना था मुझे पर हाय रे किस्मत चूमा चाटी चल ही रही थी की

बिमला के बचे बाहर से आ गया और दरवाजा खोलने को आवाज देने लगे वो झट से मुझसे अलग हूँई और अपनी सलवार को सँभालते हूँए बाहर चाय गयी अब तो चुदाई हो नहीं सकती थी तो फिर मैं भी वहा से कट लिया और घुमने को चल दिया ,चूत बस मिलने ही वाली थी और बीच में अडंगा लग गया तो फिर दिमाग थोडा सा ख़राब हो गया था तो सोचा की थोड़ी नमकीन खा लू दुकान पर गया तो देखा की पिस्ता भी आई हूँई है सामान लेने को हमारी नजरे मिली वो मेरी और देख कर मुस्कुराई मैं भी मुस्कुरा दिया , दुकानदार अन्दर को सामान लाने गया हूँआ था पता नहीं मुझे क्या सूझा मैंने उस से पूछ लिया की क्या वो आज भी खेत में आएगी
पिस्ता-मेरे मन में तो नहीं है पर तुम कहो तो आज आ जाऊ, वैसे क्या जरुरत आन पड़ी तुम्हे मेरी हँसते हूँए पुचा उसने
मैं- वो क्या हैं न , की मुझे भी आज जाना होगा खेत पर तो अगर तुम भी आ रही हो तो बाते हो जाएँगी कल अच्छा लगा तुमसे बाते करके
पिस्ता-अच्छा, जी ऐसा तो कुछ कहा भी नहीं मैंने, फिर क्या अच्छा लग गया तुम्हे
मैं- पता नहीं पर कुछ तो अच्छा लगा मुझे तुम में, देख लो अगर टाइम हो तो आ जाना
पिस्ता- देखूंगी
उसने अपना सामान लिया और चली गयी मेरी नजरे उसे देखती रही , क्यों मिलना चाहता था मैं उस से, मेरा तो कोई लेना देना नहीं था उस से, जबकि उसके करैक्टर के बारे में भी पता था मुझे फिर क्यों मुझे उस से बाते करने का जी कर रहा था ये बात सोची मैंने पर कोई जवाब नहीं मिला मुझे घूम फिर कर जब मैं घर आया तो थोड़ी देर घरवालो से बात चीत करी और फिर मैंने चाचा से कहा की आप परेशां ना होना मैं खेत पर चला जाऊंगा मुझ से ऐसी जिम्मेदारी भरी बात सुन कर वो खुश हो गए और एक बीस का नोट निकल कर मुझे दिया मैं भी खुश वैसे तो रात को मुझे पूरा मोका मिलना था बिमला को छोड़ने का पर मेरा दिल मुझे पिस्ता की और ले जा रहा था तो मैंने दिल की सुनी और खाना खा कर अपना सामान उठाया और पहूँच गया खेत में

एक चक्कर उसके खेत पर भी काट दिया पर मोहतरमा का कोई अता पता नहीं था थोड़ी देर इंतज़ार किया फिर चारपाई पर लेट गया थोड़ी देर सोया सा था की किसी ने जगाया तो आँखों से जो चेहरा देखा वो पिस्ता का था , कब आई तुम पुछा मैंने, बस अभी अभी वो मेरे पास बैठते हूँए बोली , नींद भरी आँखों से जो सूरत देखि उसकी बड़ी ही मन मोहनी लगी वो मुझे अपना मुह धोया मैंने ताकि आलस दूर हो जाये
बड़ी देर लगायी आने में कहा मैंने
पिस्ता- टीवी देख रही थी तो बाद में ध्यान आया तुम्हारा सो बस आई ही हूँ , तुम्हे बड़ी जल्दी नींद आ गयी
मैं- हां आंख लग गयी थी
पिस्ता- कहो, क्यों बुलाया मुझे क्या बात करनी थी
मैं- सच कहू तो पता नहीं क्या कहना था तुमसे दुकान पर तुम्हे देखते ही दिल से मिलने की बात आई तो पुच लिया तुमसे , दिल कह रहा हैं बस तुम सामने बैठी रहो मैं तुम्हे देखता रहूँ

पिस्ता- ओह हो, मैं क्या ऐश्वर्या हूँ जो मुझे देखोगे मैं तो सोची पता नहीं क्या काम होगा फालतू में टाइम ख़राब किया जाती हूँ मैं और जाने को कड़ी हो गयी
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी और खीच लिया वो मेरी और खीचती आई,
छोड़ो मेरा हाथ- कहा उसने एक लड़की का हाथ पकड़ने का मतलब पता हैं तुम्हे
मैं- मतलब तो पता नहीं पर कुछ देर रुक जाओ न
पिस्ता अपनी नशीली आँखे मेरी आँखों से मिलते हूँवे – क्या करोगे मुझे रोक कर आग हूँ मैं दूर रहो कब जल गए पता भी नहीं चलेगा
 
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