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Shukriya mahi madam is khubsurat sameeksha ke liye,,,,,सत्रहवाँ भाग
बहुत ही बढ़िया महोदय।
विक्रम सिंह की डायरी ने वागले की व्यक्तिगत ज़िंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है या यूं कहें कि उसकी जिंदगी उलट पलट कर रख दी। वागले साहब अब बुढ़ापे के दिनों में वो काम करने लगे जो उन्हें जवानी के दिनों में करने चाहिए थी। एक तरह से देखा जाए तो उन्होंने सावित्री को मजबूर किया है ऐसा काम करने के लिए। लेकिन अब वागले को कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने अपनी पत्नी को मजबूर किया है या नहीं।
सावित्री अगर थोड़ी भी पीछे हटने को होती तो तुरंत नाराजगी शुरू हो जाती। बेवफा तक बोल दिया वागले ने सावित्री को, लेकिन वागले को ये भी समझ नाहीं आ रहा है कि मर्द के लिए ये काम जितना आसान है एक औरत के लिए यही काम कितना मुश्किल है वो भी तब जब औरत ने अपनी आधी से ज्यादा ज़िंदगी सामान्य सेक्स में गुजार दी हो, लेकिन वागले साहब को अपनी बीवी के ऊपर कोई रहम नहीं है वो बस विक्रम सिंह की तरह मजे करना चाहते हैं। कहीं ऐसा नहों जाए कि वागले साहब भी चूत मार संस्था से न जुड़ जाएं ज्यादा मज़े के चक्कर में।।