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Incest Bete se ummeed,,

Rajkumaar ji

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Update,63

"महिला के साथ किशन की मां मेहमानों के बीच चली जाती है!! परंतु उसके मन में एक संकोच था की उसका बेटा पेशाब घर से कहां गायब हो गया,, वह इसी सोच में डूबी हुई थी और उसकी नजरें बार-बार किशन को ढूंढ रही थी,,, परंतु किशन उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था,, वह जानना चाहती थी की किशन वहां से किस प्रकार निकला,, शादी का प्रोग्राम खत्म करने के बाद सभी अपने अपने घर की ओर चल देते हैं!! रामो, भी निराश होकर जब उसे किशन दिखाई नहीं देता तो अपने घर की ओर चल देती है।।

""दूसरी ओर रात के अंधेरे में गीता के बापू बहुत तेज तेज खास रहे थे,, जिसे सुनकर गीता की मां रजनी वहां पर आती है!! और अपने पति को मिट्टी के बने बर्तन से पानी निकाल कर पीने के लिए देती है"रामू अपने कांपते हुए हाथों को आगे बढ़ाता है और वह पानी का गिलास लेकर जैसे ही पीने की कोशिश करता है उसे,, बहुत तेज खांसी होती है जिसकी वजह से उसके मुंह से खून निकल आता है,,, जिसे देखकर उसकी पत्नी रजनी डर जाती है और वह चिल्लाते हुए,,

रजनी: हे भगवान यह क्या है ....यह क्या हो रहा है आपको..

"इससे पहले की रजनी और तेज चिल्लाती उसकी आवाज को खामोश करने का इशारा करते हुए रामू उसके दोनों हाथ अपने हाथों में थाम लेता है!! बहुत धीमी आवाज में!!!

रामू: नहीं रजनी चिल्लाओ मत यदि हमारी बेटी को इस बात का पता चलेगा तो उसे बहुत दुख पहुंचेगा.. और अब मैं अपनी अंतिम समय में उसे कोई दुख पहुंचाना नहीं चाहता.. मैं तुमसे कुछ बताना चाहता हूं जो शायद गीता को ना पता हो... शांत होकर मेरी बात सुनो...

रजनी: नहीं आपकी तबीयत ठीक नहीं है मैं अभी वध जी के पास जाती हूं और उन्हें बुलाकर लाती हू...

रामू: नहीं रजनी अब मेरा अंतिम समय आ गया है इसलिए मैं जितना समय मेरे पास है उस समय में तुम्हें कुछ कहना चाहता हूं हो सकता है की जो पाप करके मैंने अपनी बेटी का जीवन खराब किया है उसमें तुम उसके कुछ सहायता करो और शायद उसकी किस्मत बदल जाए....

रजनी: ऐसा न कहिए यदि आप को कुछ हो गया तो हम किसके सहारे जिएंगे...

"रामू की पत्नी ने रोते हुए आंखों में आंसू लेकर अपने पति से यह बात की...

रामू: रजनी यह तो विधि का विधान है कि 1 दिन सबको जाना ही होता है।। शायद मेरे इस पाप की वजह से ईश्वर ने मुझे यह सजा दी है... मैं तुमसे जो कहना चाहता हूं उसे ध्यान से सुनो रजनी..

रजनी: जी कहिए..

रामू: हमारी बेटी है के गुप्त अंग पर एक चंद्रमा का चिन्ह है जिसके बारे में तुम अच्छी तरह जानती हो.. परंतु तुम यह नहीं जानती शायद की जिस व्यक्ति के गुप्त अंग पर यह चंद्रमा का चिन्ह होगा वही इसका जीवन भर साथ निभा सकता है।।। चंद्र ग्रहण की अमावस्या की रात को जन्म होने के कारण,, की कुंडली में जो दोष लगा है वह दोष उसी पुरुष के द्वारा खत्म होगा.. मुझे पंडित जी ने यह बताया था कि वह पुरुष एक ही होगा परंतु यह नहीं जानता कि वह कहां मिलेगा शायद अगर इसकी जिंदगी में सुख हो तो वह पुरुष ही से मिले इसलिए मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं की अपनी बेटी की इज्जत की रक्षा करना अब तुम्हारा ही कर्तव्य है....""जो व्यक्ति चंद्र ग्रहण की अमावस्या की रात को जन्मा हो तुम उसकी तलाश करना शायद,, हमारी बेटी के भाग्य से वह मिल जाए...

रजनी: परंतु मैं उस व्यक्ति की तलाश कैसे करूंगी यह तो बहुत ही मुश्किल काम है हर किसी व्यक्ति का गुप्तांग देखना बहुत कठिन और नामुमकिन कार्य है।।।

रामू: तुम्हें केवल यह पता करना है की चंद्र गहण की अमावस्या की रात को किस पुरुष का जन्म हुआ,, किस्मत में होगा तो शायद वह मिल जाएगा,,

"इतना कहने के बाद रामू की सांसे रुक जाती है और वह अंतिम सांस लेते हुए अपने प्राण त्याग देता है!! अपने पति को कुछ इस प्रकार देखकर रजनी चिल्लाते हुए अपने हाथों की चूड़ियां तोड़ देती है!!! और ब्लैक ब्लैक कर रोने लगती है!!! अपनी मां की आवाज सुनकर गीता दौड़ती हुई वहां आती है!! और अपने बाबू के पास बैठकर आंखों में आंसू लिए गुमसुम उसके चेहरे की ओर देखती रहती है!! उसे दर्द और गम बर्दाश्त करने की ईश्वर ने वह शक्ति प्रदान की थी जो उसे हर घड़ी बर्दाश्त करना था,, अब तक न जाने कितने दुख झेल चुकी गीता गीता केवल अपने बापू को देखे जा रही थी आंखों में आंसू थे परंतु जबान पर कोई शब्द नहीं था!!!!

"अब गीता के सर से उसके बाप का साया भी उठ चुका था,,, गीता की मां गीता को देख कर रोते हुए अपने मन में सोच रही थी कि अब उसकी बेटी का क्या होगा आने वाला समय और कैसे कटेगा किस प्रकार उसके बच्चे की परवरिश होगी कौन उसको सहारा देगा कौन होगा वह व्यक्ति जिसके गुप्तांग पर चंद्रमा का चिन्ह और चंद्र ग्रहण की अमावस्या की काली रात को जिसका जन्म हुआ होगा।।।। एक संघ के अंदर सभी गम में बदल चुका था रजनी की रोने की आवाज सुनकर गांव के पड़ोसी वहां पर इकट्ठा हो गए थे,,, सभी गांव वाले गीता और रजनी को तसल्ली दे रहे थे उनके लाख कोशिश के बाद भी दोनों के आंसू रोक नहीं रहे थे,, सभी ने रामू की लाश को एक कफन में बंद कर दिया था और उसके पास सर पर दिया जलाकर मौन धारण किए बैठे थे,,

images-3
"काली रात का अंधेरा और अंधेरे में चमकता हुआ चांद जो उस काली रात को रोशनी दे रहा था परंतु सभी सूर्य उदय का इंतजार कर रही थी कि कब सूर्य उदय हो और रामू के शरीर का अंतिम संस्कार किया जाए,,

"दूसरी ओर जैसे ही किशन की मां दरवाजे पर पहुंचती है किस अंग से घर के अंदर पशुओं को चारा डालता हुआ नजर आता है उसे देख कर,, रामो"के चेहरे पर एक मुस्कान फैल जाती है,, परंतु किशन का चेहरा अभी भी उदास था,,

FB-IMG-1634124133293
"किशन पशुओं का चारा डालने के बाद बिना अपनी मां के और देखें घर के अंदर चला जाता है,, रामो देवी, किशन को पुकारती रहती है परंतु वह है अपनी मां की बातों का कोई ध्यान नहीं देता वह उसे नजरअंदाज कर रहा था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि किशन अपनी मां से नाराज है,,,, नाराजगी की वजह वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपने बेटे और पति को मनाने के लिए एक पतिव्रता नारी की तरह उसके पीछे जाती है,।।।

"कुछ समय के लिए दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हैं जैसे की जानना चाहते हो की इस समय क्या किया जाए और किसकी गलती है कौन किसे बनाएगा,,, दोनों मां-बेटे एक दूसरे को देखते हुए समझने की कोशिश कर रहे थे कि किस प्रकार वार्तालाप करके दोनों का मनमुटाव दूर हो,,
 

Abhi32

Well-Known Member
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Update,63

"महिला के साथ किशन की मां मेहमानों के बीच चली जाती है!! परंतु उसके मन में एक संकोच था की उसका बेटा पेशाब घर से कहां गायब हो गया,, वह इसी सोच में डूबी हुई थी और उसकी नजरें बार-बार किशन को ढूंढ रही थी,,, परंतु किशन उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था,, वह जानना चाहती थी की किशन वहां से किस प्रकार निकला,, शादी का प्रोग्राम खत्म करने के बाद सभी अपने अपने घर की ओर चल देते हैं!! रामो, भी निराश होकर जब उसे किशन दिखाई नहीं देता तो अपने घर की ओर चल देती है।।

""दूसरी ओर रात के अंधेरे में गीता के बापू बहुत तेज तेज खास रहे थे,, जिसे सुनकर गीता की मां रजनी वहां पर आती है!! और अपने पति को मिट्टी के बने बर्तन से पानी निकाल कर पीने के लिए देती है"रामू अपने कांपते हुए हाथों को आगे बढ़ाता है और वह पानी का गिलास लेकर जैसे ही पीने की कोशिश करता है उसे,, बहुत तेज खांसी होती है जिसकी वजह से उसके मुंह से खून निकल आता है,,, जिसे देखकर उसकी पत्नी रजनी डर जाती है और वह चिल्लाते हुए,,

रजनी: हे भगवान यह क्या है ....यह क्या हो रहा है आपको..

"इससे पहले की रजनी और तेज चिल्लाती उसकी आवाज को खामोश करने का इशारा करते हुए रामू उसके दोनों हाथ अपने हाथों में थाम लेता है!! बहुत धीमी आवाज में!!!

रामू: नहीं रजनी चिल्लाओ मत यदि हमारी बेटी को इस बात का पता चलेगा तो उसे बहुत दुख पहुंचेगा.. और अब मैं अपनी अंतिम समय में उसे कोई दुख पहुंचाना नहीं चाहता.. मैं तुमसे कुछ बताना चाहता हूं जो शायद गीता को ना पता हो... शांत होकर मेरी बात सुनो...

रजनी: नहीं आपकी तबीयत ठीक नहीं है मैं अभी वध जी के पास जाती हूं और उन्हें बुलाकर लाती हू...

रामू: नहीं रजनी अब मेरा अंतिम समय आ गया है इसलिए मैं जितना समय मेरे पास है उस समय में तुम्हें कुछ कहना चाहता हूं हो सकता है की जो पाप करके मैंने अपनी बेटी का जीवन खराब किया है उसमें तुम उसके कुछ सहायता करो और शायद उसकी किस्मत बदल जाए....

रजनी: ऐसा न कहिए यदि आप को कुछ हो गया तो हम किसके सहारे जिएंगे...

"रामू की पत्नी ने रोते हुए आंखों में आंसू लेकर अपने पति से यह बात की...

रामू: रजनी यह तो विधि का विधान है कि 1 दिन सबको जाना ही होता है।। शायद मेरे इस पाप की वजह से ईश्वर ने मुझे यह सजा दी है... मैं तुमसे जो कहना चाहता हूं उसे ध्यान से सुनो रजनी..

रजनी: जी कहिए..

रामू: हमारी बेटी है के गुप्त अंग पर एक चंद्रमा का चिन्ह है जिसके बारे में तुम अच्छी तरह जानती हो.. परंतु तुम यह नहीं जानती शायद की जिस व्यक्ति के गुप्त अंग पर यह चंद्रमा का चिन्ह होगा वही इसका जीवन भर साथ निभा सकता है।।। चंद्र ग्रहण की अमावस्या की रात को जन्म होने के कारण,, की कुंडली में जो दोष लगा है वह दोष उसी पुरुष के द्वारा खत्म होगा.. मुझे पंडित जी ने यह बताया था कि वह पुरुष एक ही होगा परंतु यह नहीं जानता कि वह कहां मिलेगा शायद अगर इसकी जिंदगी में सुख हो तो वह पुरुष ही से मिले इसलिए मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं की अपनी बेटी की इज्जत की रक्षा करना अब तुम्हारा ही कर्तव्य है....""जो व्यक्ति चंद्र ग्रहण की अमावस्या की रात को जन्मा हो तुम उसकी तलाश करना शायद,, हमारी बेटी के भाग्य से वह मिल जाए...

रजनी: परंतु मैं उस व्यक्ति की तलाश कैसे करूंगी यह तो बहुत ही मुश्किल काम है हर किसी व्यक्ति का गुप्तांग देखना बहुत कठिन और नामुमकिन कार्य है।।।

रामू: तुम्हें केवल यह पता करना है की चंद्र गहण की अमावस्या की रात को किस पुरुष का जन्म हुआ,, किस्मत में होगा तो शायद वह मिल जाएगा,,

"इतना कहने के बाद रामू की सांसे रुक जाती है और वह अंतिम सांस लेते हुए अपने प्राण त्याग देता है!! अपने पति को कुछ इस प्रकार देखकर रजनी चिल्लाते हुए अपने हाथों की चूड़ियां तोड़ देती है!!! और ब्लैक ब्लैक कर रोने लगती है!!! अपनी मां की आवाज सुनकर गीता दौड़ती हुई वहां आती है!! और अपने बाबू के पास बैठकर आंखों में आंसू लिए गुमसुम उसके चेहरे की ओर देखती रहती है!! उसे दर्द और गम बर्दाश्त करने की ईश्वर ने वह शक्ति प्रदान की थी जो उसे हर घड़ी बर्दाश्त करना था,, अब तक न जाने कितने दुख झेल चुकी गीता गीता केवल अपने बापू को देखे जा रही थी आंखों में आंसू थे परंतु जबान पर कोई शब्द नहीं था!!!!

"अब गीता के सर से उसके बाप का साया भी उठ चुका था,,, गीता की मां गीता को देख कर रोते हुए अपने मन में सोच रही थी कि अब उसकी बेटी का क्या होगा आने वाला समय और कैसे कटेगा किस प्रकार उसके बच्चे की परवरिश होगी कौन उसको सहारा देगा कौन होगा वह व्यक्ति जिसके गुप्तांग पर चंद्रमा का चिन्ह और चंद्र ग्रहण की अमावस्या की काली रात को जिसका जन्म हुआ होगा।।।। एक संघ के अंदर सभी गम में बदल चुका था रजनी की रोने की आवाज सुनकर गांव के पड़ोसी वहां पर इकट्ठा हो गए थे,,, सभी गांव वाले गीता और रजनी को तसल्ली दे रहे थे उनके लाख कोशिश के बाद भी दोनों के आंसू रोक नहीं रहे थे,, सभी ने रामू की लाश को एक कफन में बंद कर दिया था और उसके पास सर पर दिया जलाकर मौन धारण किए बैठे थे,,

images-3
"काली रात का अंधेरा और अंधेरे में चमकता हुआ चांद जो उस काली रात को रोशनी दे रहा था परंतु सभी सूर्य उदय का इंतजार कर रही थी कि कब सूर्य उदय हो और रामू के शरीर का अंतिम संस्कार किया जाए,,

"दूसरी ओर जैसे ही किशन की मां दरवाजे पर पहुंचती है किस अंग से घर के अंदर पशुओं को चारा डालता हुआ नजर आता है उसे देख कर,, रामो"के चेहरे पर एक मुस्कान फैल जाती है,, परंतु किशन का चेहरा अभी भी उदास था,,

FB-IMG-1634124133293
"किशन पशुओं का चारा डालने के बाद बिना अपनी मां के और देखें घर के अंदर चला जाता है,, रामो देवी, किशन को पुकारती रहती है परंतु वह है अपनी मां की बातों का कोई ध्यान नहीं देता वह उसे नजरअंदाज कर रहा था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि किशन अपनी मां से नाराज है,,,, नाराजगी की वजह वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपने बेटे और पति को मनाने के लिए एक पतिव्रता नारी की तरह उसके पीछे जाती है,।।।

"कुछ समय के लिए दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हैं जैसे की जानना चाहते हो की इस समय क्या किया जाए और किसकी गलती है कौन किसे बनाएगा,,, दोनों मां-बेटे एक दूसरे को देखते हुए समझने की कोशिश कर रहे थे कि किस प्रकार वार्तालाप करके दोनों का मनमुटाव दूर हो,,
Nice update bro
 
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Raj_sharma

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Doston Story ko like karein agar aap ko pasand aye to Or mujhe coment mein batao ki story aap ko kaisi lagi.. Thanks
,, update 3 is given..
Bhai sahab abhi padhi start kiya hai Aapki story. Bohot hi umda story hai. Gaon ka background to waise bhi mujhe bohot acha lagta hai
 

Raj_sharma

Well-Known Member
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Doston mein aap sab ko batana chahta hu ki Maine name change kiya hai devlopmet se krishkumar


Update:4 और उधर काली और हरिया हवेली में पहुँचते हैं. वीर सिंह हवेली में इधर उधर टहल रहा था किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ.

काली: मालिक मालिक ये शाला रामु किशन पुर मे रघुवीर के घर जाता हैं उसे मिलने.

,, काली की बात सुनकर वीर जैसे होस मे आता है और काली से.

वीर सिंह:रघुवीर के घर वही जिसका बेटा पहलवान है. क्या बात की उससे रामु ने??

हरिया: मालिक यह तो हम नहीं जानते क्योकि हम अंदर नहीं गये थे नहीं तो रामु को पता चल जाता की हम उसका पीछा कर रहे थे..

काली: हो न हो मालिक उसने अपनी बेटी के रिश्ते की बात की होगी रघुवीर के बेटे के साथ क्योकि जब वह वाहर निकल रहा था तो बहुत खुश था हराम जादा


,, यह बात सुनकर वीर सिंह गुस्से से पागल हो जाता हैं और वह गुस्से में,,

वीर सिंह: कल की रात रामु की अंतिम रात होगी उसे और उसके साथ उसके घर को भी जलाकर राख कर देना लेकिन यह काम बहुत ही होस्यारी से करना है तुम्हे.

काली: आप चिंता न करे मालिक यह सब मुझपे छोड़ दीजिये.

वीर सिंह : लेकिन यह याद रखना की गीता मेरी जान है उसे कुछ नहीं होना चाहिए

,, वीर सिंह का आदेश पाकर काली और हरिया वहाँ से चले जाते है और रामु के घर कल की रात कैसे हमला करना है यह योजना बनाते है,,,

,, उधर गीता अब सो चुकी थी और रजनी की आँखों में नींद का कोई नाम नहीं था जैसे ही रजनी गीता की ओर देखती की उसकी बेटी अब गहरी नींद में सो रही हैं वह बहुत धीरे से चारपाई से उठती हैं और अपने सिंगार दान के पास जाती हैं

रजनी (मन में) .. थोड़ा सा सिंगार कर लेती हूँ ताकि गीता के बापू का मन पिघल जाये और वे मुझे निराश न करे,,

,,,यह सब सोचते हुए गीता सिंगार दानी से एक लाल रंग की होंठों की लाली निकल कर अपने होंठों को रंग लेती है मांग पर सिंदूर और अपनी नाक से नाक की लोंग निकालकर नाक की नाथनी पहनती है और एक छोटे से दरपंन् मे अपने आप को देखती है अपने आप को देखते ही उसे बड़ी शर्म महसूस होती हैं और वह शर्मा कर आयना नीचे रख देती है

,, इस सयम रजनी उस स्त्री के के समान थी जो अपनी कमा अग्नि को सांत करने के लिए कुछ भी कर सकती थी परंतु यह उस समय की नारी थी जब कोई भी नारी किसी दूसरे पुरुष के साथ बात करना तो दूर उसके सामने भी नहीं आती थी और आज रजनी ने पहली बार आधी रात को उठकर यह सब किया था अपने पति से सम्भोग करने के लिए,,,

,,, रजनी यह सब करने के बाद चुप चाप घर के अंदर से वाहर आती है और हाथ मे एक जलता हुआ चिराग लेकर पशु शाला की ओर बढ़ जाती है चिराग की रोशनी में उसका चेहरा उसी प्रकार दमक रहा था जिस प्रकार किसी अंधेरी गुफा में नाग की मणि चम चमा ती है धीरे धीरे धीरे से चलते हुए रजनी पशु शाला मे पहुँचती हैं. जहाँ पर रामु एक छोटी सी चारपाई पर सो रहा था और उसके थोड़ी दूरी पर दो बैल और एक भैंस बंधी हुई थी. रामु के निकट पहुँचते ही रजनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगती है और वह उसकी चारपाई के पास चिराग लेकर बैठ जाती है.,,,,

,, रजनी रामु का कंधा पकड़कर धीरे से हिलाती है शर्मो हया के मारे रजनी का बुरा हाल था क्योकि पहली बार वह खुद रामु के पास आई थी क्योकि उसके शरीर में जल रही कमा अग्नि ने उसे बिवश् किया था.,,,

रजनी,: शरमाते हुए गीता के बापू एजी गीता के बापू सुनिये ना

,, रामु कसमसाते हुए अपनी आँखे खोलता है और,,

रामु:रजनी को देखे बिना ही,, क्या हुआ रजनी क्या बात है इतनी रात में यहाँ पर क्या कर रही हो तुम और जैसे रजनी पर उसकी नजर जाती है वह अच्छा तो यह बात है

,, वह रजनी के हाथ से चिराग लेकर एक ताख मे रख देता है और रजनी की ओर देखता है जिसके स्तन लम्बी सांस लेने की वजह से उपर नीचे हो रहे थे जिसने एक सुति बिलौच और केवल पेटीकोट पहना हुआ था और उससे कहता है,,

रामु:आओ उपर आओ रजनी.

,, और उसका हाथ पकड़कर चारपाई पर बैठा लेता है रजनी जैसे राहत की सांस लेती हैं कि अब उसे सन्ति मिल जाएगी और धीरे से चारपाई पर लेट जाती है. रामु उसके उपर झुकता हुआ उसके चेहरे के पास अपना चेहरे को लाता हैं और उसकी आँखों मे देखते हुए

रामु; क्या बात है रजनी आज इतनी बेचैन क्यों हो रही हो तुम की इतनी रात को खुद मेरे पास आ गई

,,, और उसके उभरे हुए स्तन को धीरे से दबाता है,,, रजनी के चेहरे पर दर्द के भाव आ जाते है और वह सिसकारी भरते हुए कहती है.,,,


रजनी:: सी.. सी. सी.... ऐ जी. जी.... आज मैने एक कुत्ते और कुत्तिया को यह सब करते देखा था तब से से बहुत बेचैनी हो रही हैं.

रामु: मुस्कराते हुए अच्छा तो अब तुम ये सब देखती हो और अपनी धोती खोल देता है

,, रजनी एक हाथ नीचे लेकर रामु का लिंग पकड़ लेती है और अपने निचले होंठ को दांतों से काटते हुए कहती हैं,,

रजनी: गीता के बापू वो कुत्ता उस कुत्तिया की योनी को सूंघ और चाट रहा था क्या एसा भी होता है जी...

,, रामु अब अपने कच्छा के नाड़े को खोलता है और अपना लिंग वाहर निकाल लेता है. रजनी का हाथ जैसे ही रामु के नंगे लिंग को छुता है उसके शरीर मे बिजली सी दौड़ जाती हैं और वह उसके लिंग को अपनी मुठी मे जोर से जकड़ लेती है. जिससे रामु की सिसकी निकल जाती है और वह रजनी से कहता है.,,

रामु: हाँ रजनी एसा करते है केवल जानवर ही नहीं इंसान भी एसा करते हैं मैने अपने मित्र की एक किताब में पढ़ा था जो कामशुत्र की किताब थी और एसा करने से स्त्री को बहुत चर्रंम सुख की प्राप्ति होती है

रजनी: छी.. वहाँ से तो पेशाब भी निकलता है जी गन्दा नहीं लगता क्या.

रामु: जब इंसान वासना की आग मे जलता है तो उसे कुछ भी गन्दा नहीं लगता रजनी सब कुछ अच्छा लगता है तुम करना चाहते हो क्या एसा.

,, और रामु रजनी के पेटीकोट को नीचे से पकड़कर उपर को सरकता है जिसे देख रजनी अपनी दोनों टांगों को आपस मे भीच लेती है और अपने मुह पर हाथ रखकर कहती है.,,

रजनी::छी.. नहीं जी मुझे नहीं करना एसा मुझे तो सोचकर भी घिन आती है.

रामु: रजनी एक बार करके तो देखो तुम्हे बहुत आनंद मिलेगा जिसका तुमने कभी अहसास भी नहीं किया होगा मेरा मित्र कहता है उसकी पत्नी यह करके बहुत खुश हो जाती हैं.

,, यह सब बाते सुनने के बाद रजनी के मन में भी एसा करने की जिगियासा उत्पन्न होती है मगर वह ठहरी एक साधारण नारी सर्मो हया के कारण यह सब कह नहीं पाती.

रजनी:नहीं जी मुझे बहुत शर्म आएगी

रामु: कुछ नहीं होगा तुम अपने पर खोलो

,, रामु का भी मन था यह सब करने का क्योकि उसने केवल सुना था किया कभी नहीं था वो इसलिए कि कहीं उसकी पत्नी उसके बारे मे कुछ गलत ना समझ ले और रामु रजनी के दोनों पैरो को पकड़कर खोलने लगता है,,

,, रजनी अपनी नाक से लम्बी सांसे लेती है जिसकी वजह से उसके नाक के दोनों सुर फुल पिचक रहे थे और नाक में पहनी हुई नाथनी बार बार हिल और दमक रही थी

रजनी:ऐ जी रहने दीजिये वहाँ मुझे अच्छा नहीं लगेगा जी और आप को कुछ हों ना जाये गन्दी जगह है वो

रामु: कुछ नहीं होगा तुम पर ढीले छोड़ो रजनी

, ,, और इस बार रजनी के पैर खुल जाते है. मगर वह शर्म की वजह से अपनी गर्दन दुसरी ओर घुमा लेती है और रामु को चिराग की रोशनी में जो की रामु के पीछे रखा हुआ था रजनी की योनि दिखाई देती है कामो उतेजं ना की वजह से रजनी की योनि फुलकर दोगुनी हो चुकी थी जिसे देखकर रामु का जोश और बड़ जाता हैं और वह अपनी सर को धीरे धीरे रजनी की टांगों के बीच में लता है.

, रजनी दिल जोरों से धड़क रहा था यह सोचकर कि उसे कैसा लगेगा जब उसका पति उसकी योनी मे अपना मुह लगायेगा इस अहसास से उसकी सांसे और भी तेजी से चल रही थी. और जैसे ही रामु उसकी योनि को सुंगता हुआ अपनी जीभ योनि में लगाता है. रजनी का शरीर कांप जाता है और वह.. तेजी से उछल पड़ती है और उसके मुह से,,,

रजनी: ई ई ई ए जी जी.......रहने दीजिये आप मुझसे नहीं होगा जी.. ये सब.. आप मेरे उपर आ जाओ जी....

,,, मगर रामु ने जैसे मन बना लिया था कि वह आज रजनी की योनि का काम रस पीके ही रहेगा और फिर से रजनी की दोनों जांघों को जड़ से पकड़ता है और फिर से अपनी जीभ रजनी की योनि मे लगाता है रामु इस प्रकार रजनी की टांगों को जकड़े हुए था की रजनी हिल नहीं पाती और अपने वेबस समझ कर अपना शरीर ढीला छोड़ देती है और जैसे ही योनि को चाटना सुरु करता है उसे अपने मुह में तिखा और नमका सा पानी जाता महसूस होता है. जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती हैं.,,

रजनी: गीता के बापू मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जी.. चाट लीजिए इसे मुझे नहीं पता था की इसे चाटने से इतना सुकून मिलता है जी...

,,, कुछ देर योनि को चाटने के बाद रामु जैसे ही योनि के अंदर अपनी जीभ डालता है,, तो रजनी अपने शरीर पर एक कमान की तरह कर लेती है और रामु के सैर को अपनी योनि पैर दबाते हुए,,,

रजनी: आई.. हाए.. ए जी.. गीता के बापू कहीं मै मर न जाऊ जी... छोड़ दीजिये अब मेरे उपर अजाइये ना जी.....

,,, रामु को रजनी की योनि में जीभ डालकर अहसास होता है कि उसकी योनि कितनी दहक रही हैं . वह मन में सोचता है कि कहीं उसकी योनि की गर्मी से उसका मुह पिघल न जाए और वह अपना मुह योनि से हटाकर रजनी की ओर देखता है. रजनी जिसका चेहरा उत्तेजना की वजह से लाल हो चुका था. अपना मुह दोनों हाथ से छुपा लेती है. रामु धीरे से रजनी के चेहरे से उसके हाथ हटाता है और उसकी आँखों में देखते हुए कहता है.


रामु: कैसा लगा तुम्हे मजा आया कि नहीं.

, , , रजनी अपनी दोनों टांगों को रामु की कमर में लपेट देती है और उसके लिंग को अपने हाथ से पकड़ते हुए कहती है,,

रजनी;: बहुत अच्छा लगा जी.. और आपको

रामु:मुझे भी अच्छा लगा
,, रजनी रामु की आँखों में देखते हुए उसका लिंग पकड़कर अपनी योनि की ओर खिचती है. जिसे देख रामु समझ जाता है की रजनी अब क्या चाहती है. और वह रजनी की दहकती हुई योनि पे अपना लिंग लगता है. और एक जोर से धक्का लगाता है जिससे उसका आधे से ज्यादा लिंग रजनी की पानी छोड़ती हुई योनि मे घुस जाता है..


रजनी: हाई री मैय्या.. मर गई मै.. धीरे से जी....

,, रामु रजनी के चेहरे की ओर देखता है. और फिर एक तेज धक्का लगा देता है इस बार रजनी जोर से चिल्लाती है,,

रजनी:: धीरे जी...... मर गई माँ री..... जान निकाल दोगे क्या जी....

, रजनी दर्द की वजह से अपने दांतों को भीच लेती है और अपने शरीर से रामु को जकड़ लेती है ताकि रामु और धक्का न लगा सके रामु रजनी की ओर देखता है रजनी अपनी आँखों को बंद किये हुए थी,,, रामु रजनी के कान के पास आकर धीरे से उसके कान में कहता है ,,रामु: ढीला छोड़ो रजनी अब दर्द नहीं होगा

रजनी::धीरे धीरे करना जी... तेजी से दर्द होता है.

,, रजनी अपने शरीर को ढीला छोड़ देती है और रामु धीरे धीरे धक्के लगाने लगता है. कुछ देर धक्के लगाने के बाद रामु रजनी से कहता है,,

रामु: क्या बात है रजनी आज तुम्हारी योनि से बड़ी आग निकल रही है

, , यह बात सुनकर रजनी शर्मा जाती हैं और वह धत्त.. आप भी ना कुछ देर के बाद रजनी को भी मजा आने लगता है और वह चरम सुख की सीमा पर आते हुए कहती है,,,

रजनी::हाँ जी.. आज बहुत परेसान कर रही थी ये मुझे बहुत खुजली हो रही थी इसमें ऐ जी जी.... अब कीजिए तेज़ तेज मिटा दीजिये जी इसकी खुजली जी...

,, रामु भी अब स्खलित होने बला था और वह रजनी की बात सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगता है,,, रजनी:ऐ जी जी ऐ जी.... मै गई जी.. हाय रे मर गई माँ मेरी..

,,, रजनी की योनि अपना गर्म पानी छोड़ देती है और रजनी बेजान सी अपने हाथ पर ढीले छोड़ देती है,,,

रामु: तेज तेज धक्के लगाते हुए हाँफने लगता है और उसकी सांसे फुल जाती है. रजनी..... ओ रजनी.. मै गया.... रजनी

, रामु रजनी के उपर गिर जाता है और दोनों को कब नींद आती है पता ही चलता और सुबह चिडियो के चेहकने से रजनी की आँख खुलती है,,


,, रजनी जल्दी से उठती है कि कहीं गीता उसके पहले न उठ जाए और फिर रामु को उठती है. रामु को उठाने के बाद रजनी घर के अंदर चली जाती है.,,

, और इस प्रकार रात बीत जाती है और एक नई सुबह होती है आज रामु को अपनी बेटी की कुंडली लेकर पंडित जी के पास जाना है. और वह पशुओ को चारा डालने के बाद नहाने चला जाता है और उसके बाद तय्यार होकर रजनी को आबाज लगता है.

रामु:रजनी ओ रजनी कहाँ हो मैं पंडित जी के पास जा रहा हूँ

रजनी:: जी आई रुको मै आती हूँ ये लो ये छाछ पी लो और ये गुड़ खा लो.

,, रजनी के पीछे गीता भी बाहर आती है.
Bohot khoob . atyant kamuk update bhai
 
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