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Incest Bete se ummeed,,

Development

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,, गीता बेटी तेरी माँ कहाँ है.. ये है रामु काका गीता के बापू जी गाँव मे दो बीघा जमीन है. . उसी से अपने घर का गुजरा करते है. गीता.... गाँव की सबसे सुंदर लड़की है. उसका रंग तो गोरा नहीं है. मगर उसके चेहरे कि बनावट भगवान ने एसी की है कि कोई .. देबी भी उसे देख ले;;;तो प्रसंशा किए बीना नही रह सकती.. गीता घर से बहार कम ही जाती हैं.. घर के काम करने मे ही अपना समय लिकाल लेती है ... रजनी, --"जी.. अभी आती हुँ रजनी घर के अंदर से बाहर आती है.. रामु,,, मै अपने मित्र रघुवीर से मिलने जा रहा हूँ . रात्री तक लौट आऊंगा अपना खयाल . रखना. रामु घर से चला जाता है. और रास्ते में . अरे ओ रामु कंहा जा रहा है. इधर आ.. जी मालिक किया बात है.. एक काला सा ब्यक्ति रामु को पुकारता है.. मालिक के बच्चे तुझे बड़े मालिक ने याद किया है. जी अच्छा मै चलता हूँ. रामु उस आदमी के साथ जाने के लिए तय्यार हो जाता है. रास्ते में रामु तेरी घरवाली के किया हाल है. काला आदमी मुस्कुरा कर रामु से पूछता है... रामु -: ठीक है मालिक.. कला आदमी,,( मन में) शाली बड़े गठीले बदन की है एक बार मेरे नीचे आगयी तो निचोड़ के रख दूँगा. एक बड़ी सी हबेली के दारबाजे पर चार आदमी पहरा दे रहे थे. कला आदमी:दरबाजा खोलो.. पहरे दार:जी मालिक पहरे दार दरबाजा खोलते है और रामु के साथ कला आदमी अंदर जाता हैं.. हवेली के अंदर उचे से चबूतरे पर एक आदमी बड़ी सी चारपाई पर बैठे हुए हुक्के मे दम लगा रहा था,,
वीर सिंह:इस हवेली के मालिक और उस गांव के सबसे बड़े जमींदार. इनके पास २००, बीघा जमीन है. और बीस नौकर खेती करने के लिए है. जिनके दम पर ये गाओ बालो पर अपना रुतबा जमाये हुए हैं. इनकी एक पत्नी है जिसका नाम सकुंतला है. सकुंतला एक पति ब्रता नारी है. और वीर सिंह से बहुत डरती है. इसलिए कि वीर सिंह एक गुस्से बाला आदमी है. और रामु की बेटी से दूसरी सादी करना चाहता है. वीर सिंह: आओ रामु बड़े दिनो के बाद दिखाई देते हो. कैसे हो रामु: आप की कृपा से ठीक हु मालिक घर की खेती मे लगा रहता हूँ. वीर सिंह:: गीता की सदी के लिए किया सोचा है. कब उसके हाथ पीले करने वाले हो ?? रामु: गुस्ताकी माफ़ करना मालिक लेकिन मेरी बेटी अभी सादी के लायक नही है.. और मेरी बेटी की सादी मै आपसे नहीं कर सकता . ( रामु डरता हुआ कहता है.. ) वीर सिंह: गुस्से से लाल आँखे दिखाते हुए हराम जादे तेरी इतनी हिम्मत के हमारे साथ ना मे जबाब दे. हम तुझे एक सप्ताह तक का समय देते है यदि तूने गीता की सादी मुझसे नही कराई तो मुझसे बुरा तेरे लिए कोई नहीं होगा. समजे रामु कुछ नहीं बोलता और चुप चाप वहाँ से चला जाता है. हवेली से बहार निकलकर रामु (मन में) .... कुछ भी करके मुझे अपनी बेटी को बचाना होगा इस दरिंदे वीर सिंह से . अभी तो बच्ची है बो और उसकी उमर भी नही है सदी करने की. रामु को समझ नहीं आता कि बो किया करे.. अपनी सोच मे डूबा हुआ रामु चला जा रहा था.. वो ये भी भूल गया था कि उसे अपने मित्र रघुवीर के घर जाना है. उधर वीर सिंह गुस्से से पागल हो गया था. और वो चिल्लाते हुए बोलता है. काली, हरिया,, किशन, धीरे कहाँ है सब मर गए किया वीर सिंह को चिल्लाता देख सकुंतला बहार आती है. किया हुआ जी.. इतने गुस्से में कियू हो आप तुम अंदर जाओ मैने तुमे नही बुलाया है.

वीर सिंह: इस हराम जादे रामु का खयाल रखना यदि ये अपनी बेटी की सादी किसी और के साथ करता है.तो इसके घर को जलकर राख कर देना. और इसके टुकड़े टुकड़े करके उसी जमीन मे गाड़ देना जिसमे खेती करता है..

वीर सिंह को गुस्से में देख सभी नौकर डर गए थे. और सभी एक साथ बोलते है

मालिक आप चिंता न करे..

काली: मालिक आप बेफ़िक रहे यदि रामु ने अपनी बेटी की सादी आप से नहीं की तो उसका अंजाम उसके लिए बहुत बुरा होगा.

हरिया: और यदि आप चाहते है तो हम अभी जाकर उसकी बेटी को उठा लाते है

वीर सिंह: नहीं इस तरह की हरकत करना हमे शोभा नहीं देता हम इस गाँव के सबसे बड़े जमींदार है और इस गाँव के मालिक.यदि हम ऐसा करेंगे तो गाँव के लोग हमारी इज्जत नहीं करेंगे. तुम बस उस पर नजर रखना.

नौकर: ठीक है मालिक.
सभी नौकर आपस में बाते करते हुए चले जाते है.
वीर सिंह घर के अंदर जाता है.

वीर सिंह गुस्से से: सकुंतला मैने तुम से कितनी बार कहा है कि मेरे बात करते हुए और किसी के सामने बहार निलकर न आया करो.

सकुंतला:: जो दारबाजे के पिछे सैर झुकाए खड़ी थी डरती हुई बोलती है जी बो...... मै आप की आबाज सुन कर...

चुप .. हराम जादी आज के बाद ऐसा किया तो मैं तेरी खाल उधेड़ दूँगा.वीर सिंह गुस्से से कहता है


सकुंतला (मन में) यदि इनका गुस्सा सांत नहीं हुआ तो ये कुछ उल्टा सीधा न कर बैठे. मुझे कुछ करना होगा.

,,,लेकिन कैसे करू जानवर के जैसे करते हैं. जान निकाल देते है है मेरी,,,

,,सकुंतला के मन में यह खयाल आते ही उसका बदन कांप जाता है और उसे पसीना आने लगता है,

सकुंतला: अजी आप गुस्सा ना करे मै आप के लिए पानी लाती हुं..

वीर सिंह:रहने दो इसकी कोई जरूरत नहीं है.
वीर सिंह सकुंतला का हाथ पकड़ लेता है. और उसे खीच कर अपनी बाहों में भर लेता है.

,,ये गुस्सा पानी से नही तेरी जवानी से ठंडा होगा,,,

,,सकुंतला का दिल जोरों से धड़कने लगता है. वीर सिंह की बात सुनकर. ,,और फिर वो सैर नीचे किए जी वो.... मै.... मै और उसके कुछ बोलने से पहले ही...

वीर सिंह:- आज तेरा वो हाल करूँगा की कभी भी बहार नही जायेगी किसी पराये मर्द के सामने..

,, वीर सिंह अपना एक हाथ सकुंतला की मोसमि जैसी स्तन पर रखता है और उसे अपने पूरे बाहुबल से दबा देता है,, सकुंतला को ऐसा लगता है कि उसके स्तन वीर सिंह जड़ से उखाड़ कर रख देगा.. और वो जोर से चिल्लाती है,,,

सकुंतला: हाय री री री .... मैय्या. नहीं छोड दोे मुझे मेरा महीना चालू हो गया है

वीर सिंह:कुछ भी हो मेरा गुस्सा तो तुझे शान्त करना ही होगा.

सकुंतला:मैं किया करू जिससे आप का गुस्सा सांत होगा

,,वीर सिंह:सकुंतला के बालों को पकड कर उसकी गर्दन को खिचता है जिससे उसका चेहरा सामने आ जाता है. वीर सिंह उसके चेहरे की ओर देखता है.होंठों पर लाल रंग की लाली लसे होठ जो डर की बजह से काँप रहे थे. माथे पर पसीना निकाल आया था और नाक में नेथनी पहने हुए उसकी साँसे तेजी से चल रही थी.,,
...
वीर सिंह:उसके चेहरे की ओर देखते हुए तुझे मेरा लिंग अपने मुह में लेकर चूसना होगा..

सकुंतला:मैं ये नहीं कर सकती मुझसे नहीं होगा..

,,सकुंतला को सोचकर भी उल्टी होने का मन होता है कियो की ना तो उसने कभी ऐसा सुना था और ना ही ऐसा किया था,,,

वीर सिंह:- शाली अगर ऐसा नहीं कर सकती तो आज तेरी पीछे से लूँगा मै चल उल्टी हो जा जरा.
;, वीर सिंह उसे उल्टा कर देता है और उसकी साड़ी पेटीकोट सहित उपर उठा देता है;;

;;सकुंतला का दिल जोरों से धड़क रहा था वह जानती थी कि वीर सिंह बहुत गुस्से वाला है. लेकिन मुह में लेने की वजह पीछे से करबाना बेहतर समझती है.


,, वीर सिंह जल्दी से अपनी लूंगी खोलता है और एक हाथ से अपना छ:इंच का लिंग पकता है और उसे सकुंतला की गुदा के छेद पर जैसे ही लगता है,, सकुंतला उछल पड़ती है,,

सकुंतला:ऊ ई ई ई.. माँ. आ...... और अपना एक हाथ पीछे ले जाती है.

,, जैसे ही उसके हाथ से वीर सिंह का लिंग छूता है. वह दर से आगे बढ़ जाती है,, सकुंतला ये सोच कर काँप जाती है कि यह उसकी गुदा मे कैसे जायेगा,,

सकुंतला: अजी.... मुझे माफ़ कर दीजिये मुझसे नहीं होगा यह बर्दास्त

वीर सिंह: गुस्से से शाली ज्यादा नखरे करेगी तो तेरी अभी चटनी बना दूँगा सीधी तराह से देदे.. नहीं तो मार खाएगी..

सकुंतला: वीर सिंह को गुस्से मे देख मगर ये इतना बड़ा और मोटा है मेरे पीछे कैसे जायेगा जी...,,
वीर सिंह: सब कुछ होगा तू उल्टी होजा.

,, सकुंतला मन मे,,, हे भगवान बचा लेना मुझे,,

और वह चारपाई के सहारे उल्टी हो कर झूक जाती है.

सकुंतला: अजी.. आराम से करना जी..

वीर सिंह:जादा नौटंकी ना कर....
,, और वीर सिंह अपना लिंग फ़िर से उसकी गुदा पे लगता है. और एक जोर से धक्का मरता है.मगर लिंग गुदा से रेंगता हुआ कमर की ओर चला जाता है.

,,सकुंतला इस तरह के धक्के से काँप जाती है.

वीर सिंह ( मन में कुछ सोचता है और फिर एक सरसो के तेल की हांडी से थोड़ा तेल लेकर अपने लिंग पर लगता है. और थोड़ा सा तेल सकुंतला की गुदा पर लगता है.

,, सकुंतला का दिल आने वाले पलों को सोचकर जोर शोर से धड़क रहा था उसने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि ये सब भी होता है.. मगर वह दर और पत्नी धर्म के लिए मजबूर थी,,

,, वीर सिंह इस बार गुदा पर जैसे लिंग का अगला हिस्सा लगता है सकुंतला अपना बदन कस लेती है और अपनी आँखों को बंद कर लेती है.
,, गुदा पर लिंग लगाने के बाद वीर सिंह एक जोर से धक्का लगा ता है और इस बार लिंग के आगे का हिस्सा गुदा के छेद को फैला ता हुआ अंदर घूस जाता है.

सकुंतला: नहीं जी..... जी. जी निकाल लो इसे मै मर जाउंगी .....

,, वीर सिंह सकुंतला को जकड़ लेता है,,

सकुंतला: मै मुह में लेकर चूस दूँगी जी निकाल लो ना जी उसे.

,, तभी बहार से किसी की आबाज आती है. मालिक... मालिक कहाँ है आप एक जरूरी सूचना लाया हूँ,,

,,यह आबाज सुनकर वीर सिंह का दिमाग़ खराब हो जाता है और वह पीछे हटता है और उसका लिंग गुदा से वाहर लिकल जाता है. सकुंतला एक राहत की सांस लेती है और खाट पे गीर जाती है.

वीर सिंह गुस्से मे वाहर आता है. सामने काली खड़ा दीखता है. काली उसका सबसे वफादार नौकर था उसे वह अपने छोटे भाई की तरह मानता था. काली को देख वीर सिंह

वीर सिंह: क्या हुआ काली क्या खबर है.
 
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