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हर पल तेरी याद क्यों सताती है मुझको।
दर्दे दिल बन कर क्यों रुलाती है मुझको।।
एक मुद्दत हो गई तुझसे बिछड़े हुए मगर,
तुम कहीं पास हो मेरे जताती है मुझको।।
मुझे पता है तू भी उदास है मेरी ही तरह,
तेरी ख़बर बादे सबा सुना जाती है मुझको।।
वही सूरत वही मिजाज़ ओ अदा आज भी है,
मेरी नींद हर शब तेरा अक्श दिखाती है मुझको।।
जाने क्या लिखा है खुदा ने नसीबों में मेरे,
के ज़िंदगी हर पल आज़माती है मुझको।।
किससे कहूॅ हाले दिल के ऐसा लगता है,
हर लम्हां तेरी चाहत बुलाती है मुझको।।
__________शुभम कुमार
ये ग़ज़ल राज-रानी (बदलते रिश्ते) कहानी पर लिखी थी मैने,,,,
दर्दे दिल बन कर क्यों रुलाती है मुझको।।
एक मुद्दत हो गई तुझसे बिछड़े हुए मगर,
तुम कहीं पास हो मेरे जताती है मुझको।।
मुझे पता है तू भी उदास है मेरी ही तरह,
तेरी ख़बर बादे सबा सुना जाती है मुझको।।
वही सूरत वही मिजाज़ ओ अदा आज भी है,
मेरी नींद हर शब तेरा अक्श दिखाती है मुझको।।
जाने क्या लिखा है खुदा ने नसीबों में मेरे,
के ज़िंदगी हर पल आज़माती है मुझको।।
किससे कहूॅ हाले दिल के ऐसा लगता है,
हर लम्हां तेरी चाहत बुलाती है मुझको।।
__________शुभम कुमार
ये ग़ज़ल राज-रानी (बदलते रिश्ते) कहानी पर लिखी थी मैने,,,,