• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
23,615
80,410
189
Last edited:

nain11ster

Prime
23,615
80,410
189
भाग:–117


आर्यमणि सभी इंसानी शिकारी के दिमाग से कुछ वक्त पूर्व की याद मिटा चुका था। साथ ही दिमाग ने निशांत से मिलने की घटना को थोड़ा बदल चुका था। 8 इंसानी शिकारी के साथ जुल को एक तहखाने में कैद दिया गया था, जहां सब के सब जड़ों के मजबूत जेल में पूरा कैद थे। उनके पोषण के लिये जड़ों के रेशे ही काम रहे थे। तहखाने में उन्हे जड़ों में अच्छे से लपेटने के अलावा सिक्योरिटी अलर्ट, और निशांत का भ्रम जाल भी फैला था, जो उन सभी कैदियों को जड़ों से छूटने के बाद भी उस जगह पर रहने के लिये विवश कर देते।

7 दिन के अभ्यास के बाद ओजल और इवान भी वापस लौट आये थे। दोनो पहले से ज्यादा नियंत्रित और उतने ही धैर्यवान नजर आये। थोड़े से मेल मिलाप के बाद पहला संयुक्त अभ्यास शुरू हुआ। बटन ऑन–ऑफ करने जितना तो प्रशिक्षित नही हुये थे। अर्थात ऐसा प्रशिक्षण जिसमे करेंट के फ्लो चला और झट से सुरक्षा घेरे में, उसके अगले ही पल हमला करने के लिये सुरक्षा घेरा खुला और तुरंत हमला करके वापस से मंत्र के संरक्षण में।

इतनी जल्दी मंत्रो के प्रयोग में अभी समय था लेकिन जितना भी प्रशिक्षण लिये थे, वह संतोषजनक था। नींद में भी पूरे मंत्रों का शुद्ध उच्चारण कर लेते थे। वहीं ओजल और इवान के नए प्रशिक्षण के बाद वह राज भी खुल चुका था, जिसका खुलासा जुल नही कर पाया था। प्रथम श्रेणी के नायजो वालों के पास कैसी शक्तियां होती है। इसका जवाब ओजल और इवान लेकर आ रहे थे।

प्रथम श्रेणी वालों आंखें ही उनका प्रमुख हथियार थे, जिनसे भीषण किरणे निकलती थी,लेजर की भांति खतरनाक किरणें। और आंखों से केवल लेजर किरण ही नही निकल रहे थे, बल्कि उस से भी और ज्यादा खतरनाक कुछ था।

जैसे ओजल के आंख से निकलने वाली किरणे जिस स्थान पर पड़ती, उस स्थान को भेदने के साथ–साथ, एक मीटर के रेडियस को एक पल में इतना गरम कर सकती थी कि लोहे के एक फिट का मोटा चादर पिघलने के कगार पर आ जाये। वहीं इवान की आंखों से जो किरण निकलती थी, वह पड़ने वाले स्थान को जहां भी भेदती थी, वहां विशेष प्रकार का जहरीला एसिड साथ में छोड़ती थी, जो एक सेकंड में ही एक मीटर के रेडियस को गलाकर उसके अस्तित्व को खत्म करने की क्षमता रखती थी।

ऐसा बिलकुल नहीं था कि ओजल, इवान या कोई भी प्रथम श्रेणी का एलियन आंख से लेजर नुमा कण चलाये, तो किसी भी इंसान की सीधा मृत्यु हो जाये। उनके आंखों की किरणे, उनके मस्तिष्क की गुलाम थी। यदि किसी इंसान को घायल करने की सोच है, तो आंखों से निकलने वाली किरणे और उसका दूसरा प्रभाव जैसे की हिट या एसिड उत्पन्न करना या कुछ और, ये सब केवल उस इंसान को घायल ही करेंगे। यदि डराने की सोच रहे तो केवल भय ही पैदा करेंगे। और यदि मारने का सोचे रहे,तब आंखों की किरणे पूरा प्रभावी होती है। फिर तो मौत कब निगल गयी पता भी नही चलता।

एलियन से जुड़ी लगभग सारी जानकारी आ चुकी थी। कई विचित्र तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये थे। हां लेकिन इनका घिनौना करतूत इन्हे हैवान की श्रेणी में लाकर खड़ा कर चुका था। कुछ दिनों तक मियामी से जब किसी भी खोजी शिकारी ने संपर्क नही किया, तब एक बार जयदेव भी यह सोचने पर मजबूर हो गया की क्या सच में आर्यमणि मियामी में है? जयदेव ने तुरंत नित्या से संपर्क किया और उसे सारी बात बताकर तुरंत मियामी निकलने बोल दिया।

इधर नित्या मियामी पहुंच रही थी और ठीक उसी दिन पूरी अल्फा टीम टेलीपोर्ट होकर अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स (buenos aires) पहुंच चुके थे। यहां का मिशन तीनो टीन वुल्फ लीड कर रहे थे, इसलिए बाकी सब इन्ही तीनो को सुन रहे थे। तीनो का एक ही फरमान आया, जितने भी इंसानी खोजी शिकारी है, उन्हे बाकी के लोग कैद करेंगे। एलियन को ठीक वैसे ही मौत मिलेगी जैसा मियामी में हुआ था और इस काम को तीनो टीन वुल्फ ही अंजाम देंगे।

अब तो ज्यादा छानबीन की जरूरत ही न थी। इंसानी खोजी शिकारियों को दिन में कैद किया गया और ठीक रात में मौत की लंबी और गहरी चीख अर्जेंटीना के उस शहर में गूंज रही थी। यहां भी एलियन और इंसानों की उतनी ही संख्या थी, बस फर्क इतना था कि यहां किसी भी एलियन को जिंदा नही छोड़ा गया। अल्फा पैक ऑपरेटिंग सिस्टम में घुसने का पूरा फायदा ले रही थी।

चोरी का समान ढूंढने निकले हर खोजी यूनिट शाम में अपने सिक्योर चैनल से बात करते ही थे, और उन सब की खबर अब अल्फा पैक को थी। मियामी की तरह ही ब्यूनस आयर्स (buenos aires) में भी वैसे ही लाशें बिछी थी। टीवी के माध्यम से यह सूचना जयदेव तक भी पहुंची और वह भन्नाने के सिवा और कुछ नही कर सकता था।

जयदेव ने नित्या को मियामी से फिर ब्यूनस आयर्स (buenos aires) भेजा। जिस शाम नित्या ब्यूनस आयर्स (buenos aires) पहुंची, उसी शाम फिर से मौत की खबर आ रही थी। इस बार मौत की खबर अर्जेंटीना के विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) शहर से आ रही थी। एक संन्यासी की मौत (वही संन्यासी जो आर्यमणि के पिता की जान बचाने की वजह से मारा गया था) के बदले आर्यमणि लाशों के ढेर लगा रहा था।

नित्या एयरपोर्ट पर लैंड की और वहीं से फ्लैट लेकर सीधा विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) पहुंची। नित्या उधर विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) में एक दिन तक छानबीन करती रही और ठीक अगली शाम को यूएसए के एक और शहर से झुलसी हुई लाश की खबर आने लगी। जयदेव को लगने लगा की वह परछाई का पीछा कर रहा है।

मात्र 1 महीने के अंदर ही 10 जगह पर खोज रहे 219 एलियन की भुनी लाश की खबरें हर शहर से आ चुकी थी। 80 इंसानी शिकारी आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो चुके थे। और पूरी घटना में मियामी से मात्र एक एलियन के बचने की खबर थी, लेकिन वह कौन था इसकी पहचान नहीं हो पायी थी। आज तक जो छिपकर शिकार करते आ रहे थे, आज जब कोई छिपकर उनका बड़ी बेरहमी से शिकार कर रहा था, तब इनका पूरा समुदाय ही बिलबिला गया।

समान की खोज पर निकली पूरी एलियन टीम ही गायब थी और जयदेव पर इतना दबाव था कि वह फिर कोई दूसरी टीम नही भेज पाया। सभी मुखिया ने मिलकर यह फैसला लिया की आर्यमणि के लिये अब से जिस टीम का गठन होगा, उसमे फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी के साथ प्रथम श्रेणी के नायजो भी होने चाहिए। वही श्रेणी जिसमे जयदेव, उज्जवल इत्यादि आते थे। जितने भी एलियन टीम मरी थी, उनमें एक भी प्रथम श्रेणी का नायजो नही था और इसे ही हर कोई कमजोरी मान रहा था। हालांकि उनका सोचना भी एक हद तक सही था। यदि प्रथम श्रेणी के नायजो उनके साथ होते, तब एक नजर ही काफी थी अपने दुश्मनों को स्वाहा करने के लिये।

बिलबिलाया नायजो समुदाय अब अपनी नजर जर्मनी पर गड़ाए था, जहां पलक से मिलने आर्यमणि पहुंचता। कोई भी एलियन सुनिश्चित तो नही था, लेकिन मियामी की जानकारी के आधार पर सभी घटनाओं के पीछे आर्यमणि का ही हाथ मान रहे थे। जर्मनी तो जैसे नायजो का दूसरा घर बन गया था। पिछले डेढ़ महीने में हुये हमलों को देखते हुये जर्मनी में प्रथम श्रेणी के नायजो की तादात भी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी थी। कुल 1200 नायजो शिकारी वहां जमा हो चुके थे, जिनमे से 400 प्रथम श्रेणी के नायजो थे। वैसे जयदेव भी कच्चा खिलाड़ी नही था। जैसे ही उसने पाया की अमेरिका और अर्जेंटीना में एक भी इंसान प्रहरी की लाश नही मिली थी, 400 इंसान प्रहरी को भी जर्मनी भेज दिया।

और बेचारी पलक.... जर्मनी आकर पलक हर पल पजल ही हो रही थी। बार–बार उसे एक ही ख्याल आता की आखिर जर्मनी में किस स्थान पर मीटिंग करेगा? सोचना भी वाजिफ ही था, क्योंकि जर्मनी किसी कस्बे का नाम तो था नही, था तो पूरा देश। कुछ महीने पूर्व जब फोन पर आर्यमणि से बात हुई थी तब 8 मार्च को होने वाली मुलाकात किस स्थान पर होगी, उस स्थान को न तो आर्यमणि ने बताया और न ही गुस्से से भड़की पलक पूछ पायी।

बेचारी जनवरी में जर्मनी पहुंची और जर्मनी के अलग–अलग शहर में रुक कर यही सोचती की आर्यमणि मुझे यहां बुला सकता है, या मुझे यहां बुला सकता है। 2 महीने का वक्त मिला है यह सोचकर पलक काफी उत्साहित थी, किंतु खुद की बेवकूफी किसी को बता भी नही सकती थी। और जो सोचकर स्वीडन से भागकर आयी थी कि जर्मनी की धरती उसके अनुकूल काम करे, उसका पहला कदम भी नही उठा पायी थी।

एक महीने तक जर्मनी के 3–4 शहर की खाक छानने के बाद पलक ने खुद को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सेटल कर लिया और दूर दराज से जर्मनी पहुंच रहे एलियन को पलक अलग–अलग शहर भेजकर वहां आर्यमणि का पता लगाने कह रही थी। पलक को यकीन था कि आर्यमणि जर्मनी में ही कहीं है और उसकी टीम को ट्रैप करने के लिये ग्राउंड तैयार कर रहा है।

और इस बात यकीन भी क्यों न हो। एक पलक ही तो थी जो आर्यमणि के दूरदर्शिता और महीनो पहले के बनाए योजना को आंखों के सामने सफल होते देखी थी। वो अलग बात थी कि जबतक आर्यमणि उसके साथ था, तब तक पलक को आर्यमणि की योजना का भनक भी नही लगा और जब तक पलक को समझ में आया तब तक तो पूरा नागपुर समझ चुका था। तब भी पलक बेचारी थी और आज भी बेचारी निकली।

उसे यकीन था आर्यमणि जर्मनी में है लेकिन कहां ये पता नही। और पलक का इतना विश्वास एक बड़ी वजह थी जो जयदेव को मियामी के शिकारियों की सूचना पर यकीन नही हुआ। पलक के हिसाब से आर्यमणि जर्मनी में था और वो लोग आर्यमणि को मियामी में बता रहे थे। लेकिन जिस हिसाब से अमेरिका और जर्मनी में लाशें बिछाई गयी, पूरे एलियन महकमे के दिमाग की बत्ती गुल हो चुकी थी। इतने बड़े कांड के बाद किसी न किसी पर तो दोष मढ़ना ही था। ऊपर से कुछ शिकारियों ने पूरे तथ्य के साथ आर्यमणि के मियामी में होने की बात कही थी। तो हो गया फैसला आर्यमणि जर्मनी में नही है।

तैयारी के नाम पर तो हो गये थे लूल बस एलियन की अलग–अलग टुकड़ी जर्मनी के अलग–अलग शहर की खाक छान रहे थे। भारत में अफवाहों का बाजार भी गरम था। इंसानी प्रहरी के बीच तो आर्यमणि को एक हीरो की तरह बताया गया था, जो सरदार खान जैसे सिर दर्द को मार कर शहर को वोल्फ के हमले से तब बचाया था, जब शहर के सारे प्रहरी बाहर शादी में गये थे। इसलिए इनसे जवाब देते नही बन रहा था कि आर्यमणि को पकड़ने के लिये इतनी बड़ी फौज को क्यों जर्मनी भेज रहे? अनंत कीर्ति की किताब ही वापस लाना था तो बैठकर बातचीत करके वापस मांग लेते। जब देने से इंकार करे फिर न एक्शन की सोचे। और जब एक्शन लेना ही है तो एक के खिलाफ 1000 से ज्यादा प्रहरी, आखिर करने क्या वाले है इतने लोगों का?”

प्रहरी के मुखिया के पास पहले कोई जवाब नही था। हां उन्हे तब थोड़ी राहत हुई जब कुछ दिन बाद मियामी की घटना हुई। सभी मुखिया एक सुर में गाने लगे की मियामी का कांड आर्यमणि का किया था। जब सबूत मांगा गया तो मियामी में जो समीक्षा शिकारियों ने दिया था, वही बताने लगे। लेकिन सबूत के नाम पर ढेला नही था और प्रहरी सदस्य, खासकर जिन लोगों ने भूमि से प्रशिक्षण लिया था, वो तो अपने मुखिया का दिमाग तक छिल डाले।

खैर प्रहरी के मुखिया से जब जवाब देते नही बना तो चिल्लकर शांत करवा दिये। तय समय से 4 दिन पूर्व अर्थात 4 मार्च को 400 इंसान प्रहरी बर्लिन लैंड कर चुके थे। इस पूरे 400 के समूह को एक इकलौता महा नमक प्रहरी लीड कर रहा था, जो भूमि का काफी करीबी माना जाता था। एयरपोर्ट पर महा की मुलाकात पलक से हुई जो अपने 4 चमचों के साथ पहुंची थी।

महा, पलक के गले लगते.... “बाहिनी नाशिक पहुंचकर बड़ा नाम कमाया”..

पलक:– नाम तो तुम्हारा भी कम नही महा। 400 लोगों को लीड कर रहे।

महा:– पर यहां 1600 प्रहरी (1200 एलियन और 400 इंसान) को तो तुम ही लीड कर रही। तो बताओ हमे क्या करना है?

पलक:– होटल चलते है, वहां और भी लोग है। सबके बीच समझाती हूं...

महा:– और मेरे साथ जो पहुंचे है, उनका क्या?

पलक:– एकलाफ उन्हे सही जगह पहुंचा देगा..

महा:– ऐसा होने से रहा... मैने बर्लिन में इनके रहने का इंतजाम पहले कर रखा है। रुको एक मिनट...

इतना कहकर महा भिड़ की ओर देखते... “हारनी सामने आओ”

वह लड़की हारनी सामने आते... “बोलो महा”

महा:– हारनी, यहां से तुम अपनी टीम के साथ सबको लीड करोगी। एक घंटे बाद की फ्लाइट से हमारे बचे 200 लोग भी पहुंच जायेंगे.. उनसे कॉर्डिनेट कर लेना और सबको लेकर होटल पहुंचो.... मैं रणनीति सुनने के बाद सबको काम बताऊंगा...

हारनी:– ठीक है महा...

महा, हारनी से विदा लेकर पलक के पास पहुंचते.... “हां अब चलो”

पलक, उसे आंख दिखाती.... “महा उन्हे मैं बर्लिन से कहीं और भेजने वाली थी। प्लेन रनवे पर खड़ी है।”..

महा:– लीडर तुम ही हो लेकिन बिना रणनीति सुने मैं किसी को भी कही नही जाने दे सकता... पहले ही 80 प्रहरी गायब हो चुके है और 220 मारे जा चुके है।

पलक:– ठीक है तुम जीते.... अब चलो..

महा और अपने चमचों को लेकर पलक होटल पहुंची, जहां नित्या समेत 12 प्रथम श्रेणी के एलियन थे और महा इकलौता इंसान।

पलक:– 8 मार्च को आर्यमणि मुझसे मिलेगा। चोरी का समान ढूंढने गये खोजी शिकारी का जिस प्रकार से शिकार हुआ है, उस से 2 बातें साफ है। एक तो आर्यमणि पिछले एक साल में खुद को ऐसा तैयार किया है कि वह किसी भीषण खतरे से कम नही। दूसरा वह अकेला भी नही...

सब तो चुप चाप सुन लिये बस महा था जिसका सवाल आया... “किस आधार पर कह रही हो की सारे कत्ल को आर्यमणि और उसकी टीम ने अंजाम दिया। एक–डेढ़ महीने पहले तक तो प्रहरी के कीमती सामान का चोर कोई और था। कहीं ऐसा तो नहीं की जब लोग मरने लगे तो इल्जाम आर्यमणि पर डाल रही।”

पलक:– महा खबर पक्की है...

महा:– खबर पक्की है लेकिन कोई सबूत नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं की आर्यमणि और उसकी टीम को बोलने का मौका भी न मिले और उसे सीधा मार डालो। इसलिए इतने लोगों को इक्कट्ठा की हो।

नित्या:– तुम्हे ज्यादा सवाल जवाब करना है तो बाहर जाओ। सीधा–सीधा सुनो, सीधा–सीधा हुक्म मानो...

महा:– तुम्हारी बातें भड़काऊ है लेकिन मुझे इस वक्त भटकना नहीं। तुम्हे मै बाद में जवाब दूंगा, पलक तुम मेरे सवाल का जवाब दो।

पलक:– परिस्थिति देखकर फैसला करेंगे। हम उसे बात करने का मौका क्यों नही देंगे। लेकिन यदि वो बात करने के लिये तैयार न हुआ तो... ये मीटिंग भी उसी संदर्व में है।

महा:– हम्मम!!! ठीक है कहो..

पलक:– 8 मार्च को वह मुझसे और एकलाफ़ से कहां मिलेगा, यह अभी तय नहीं हुआ है।

महा:– फिर कहोगी सवाल क्यों कर रहे। अब ये एकलाफ कौन है, जिस से आर्यमणि मिलना चाहता है? उसे मैं नही जानता फिर वो कैसे जानने लगा? वह मुझसे क्यों नही मिलने की बात किया?

 

nain11ster

Prime
23,615
80,410
189
भाग:–118


महा:– फिर कहोगी सवाल क्यों कर रहे। अब ये एकलाफ कौन है, जिस से आर्यमणि मिलना चाहता है? उसे मैं नही जानता फिर वो कैसे जानने लगा? वह मुझसे क्यों नही मिलने की बात किया?

पलक:– वो जब आर्य मिलेगा तब पूछ लेना। अब प्लीज कुछ देर शांत रहो। एक बार मैं पूरा खत्म कर लूं, फिर सारे सवाल एक साथ कर लेना...

महा:– हम्मम... ठीक है..

पलक:– “8 मार्च को आर्यमणि कब और कहां मिलेगा वो पता नही चल पाया है। पहले से पहुंचे प्रहरी लगभग 30 शहरों की जांच कर चुके, लेकिन किसी भी जगह ऐसे कोई प्रमाण न मिले, जहां लगा हो की किसी ने जाल बिछाकर रखा है। और मुझे यकीन है कि आर्यमणि ने 2 महीने का वक्त इसलिए मांगा था, ताकि वह पूरी तैयारी कर सके”...

“शिकार फसाने और शिकार करने में कोई भी प्रहरी उसका मुकाबला नहीं कर सकता। मैं आर्यमणि को भली भांति जानती हूं, वह कितने दिन पहले से कितना कैलकुलेटिव प्लान कर सकता है। यदि उसने 2 महीने का समय लिया है तो विश्वास मानो वह 1000 प्रहरी तो क्या, 5000 प्रहरी को मारने के हिसाब से प्लान करेगा। इसलिए मैं चाहती हूं कि बचे 3 दिन में यानी 7 मार्च तक हम ये पता लगा ले की आर्यमणि हमसे किस जगह मिलने की योजना बना रहा।

सभी एलियन एक साथ, एक सुर में... “हां हमे तुरंत ये काम करना होगा।”

महा:– 2 महीने में नही कर पाये और 3 दिन में कर लोगे। चुतिये है सब के सब। और जो कोई भी अपना मुंह खोल रहा है, अभी बंद कर ले। अभी मेरी बात पूरी नही हुई। साला सभी उल्लू ही पहुंचे थे क्या जर्मनी जो अब तक पता न कर पाये की आर्यमणि कहां मीटिंग रख सकता है?...

पलक:– इतना सुनाने की जरूरत है क्या? या मैं तुम्हारी हम उम्र होकर तुमसे आगे निकल गयी, इस बात को लेकर मुझे नीचा दिखा रहे...

महा:– लड़ाई में निपुणता हासिल कर लेने से कोई दिमाग वाला नही होता। और फालतू बात करके टॉपिक से भटकाने वाला कभी सच्चा नेता नही होता। 2 महीने काफी है एक देश में किसी के भी होने का पता लगाने के लिये। और जैसा तुम कह रही हो की तुम्हारे पास आर्यमणि की पक्की खबर थी कि वो जर्मनी के बाहर हमारे लोगों का शिकर कर रहा, इसका साफ मतलब होता है कि वह किसी और के हाथों जर्मनी में किसी जगह पर अपना जाल बिछा रहा होगा। क्या तुमने यहां के स्थानीय शिकारी और जंगल के रेंजर्स से पता किया है...

पलक:– उन्हे क्या पता होगा...

महा:– “अंधेर नगरी और चौपट राजा। 2 देश के बीच लड़ाई नही हो रही जो जंग के मैदान में लड़ोगे। और न ही ये कोई फिल्म है, जहां सड़कों पर खुले आम लाश गिरेगी वो भी बेगाने देश में। तो लड़ाई का स्थान ऐसा होगा जो काफी बड़ा हो और वहां कितनी भी लाश क्यों न गिर जाये, मिलों दूर तक कोई खबर लेने वाला भी नहीं हो। यदि किसी को भनक भी लगी तो वह 2–4 या 10 आदमी से 1000 की भिड़ से नही उलझेगा और इतनी भीड़ को कंट्रोल करने के लिये जितनी फोर्स चाहिए, उसे परमिशन लेने से आने तक में कम से कम 3–4 घंटे का वक्त लगना चाहिए... ऐसे जगह को ध्यान में रखकर ढूंढते तो 10 दिन में कुछ जगह मिल जाती। तुम लोग अभी तक जगह नही ढूंढ पाये तो आगे किस समझदारी की उम्मीद करूं।”

“खैर, ऐसी जगह रेगिस्तान, जंगल, या फिर मिलिट्री ट्रेनिंग की वह जगह हो सकती है, जो अब उपयोग में नही आती। इन सब जगहों पर लोगों को भेज कर वहां के स्थानीय लोगों से, जंगल के रेंजर से, यहां के स्थानीय शिकारी से पता लगाते तो अब तक पता भी चल चुका होता। उसके बाद जिसे टारगेट कर रहे उसकी क्षमता को समझते की यह आदमी किस हद तक सोच सकता है। ऐसा तो नहीं की 5–6 वीरान जगहों पर एक साथ काम चल रहा है और उसने अपनी योजना कहीं और बना रखी है।”

“क्योंकि यहां शिकार उसका करने जा रहे जो भागा था तो तुम्हे अपने पीछे इतने जगह दौड़ा चुका है कि आज तक उसकी परछाई का पता न लगा पाये। वैसा आदमी जब जाल बिछाए तो क्या इतना नही सोचेगा की हम किन–किन जगहों पर पता लगा सकते हैं, या हमारे काम करने का क्या तरीका है। चूहे बिल्ली का खेल ऐसे ही चलता है। हर संभावना पर काम करना पड़ता है। मैं अपनी टीम को लेकर वापस जा रहा हूं। बेहतर होगा की तुम भी अपनी टीम को वापस ले जाओ। क्योंकि 2 महीने तक यदि मैं ट्रैप बिछाऊं और उस ट्रैप का पता दुश्मन को अंत तक न चले फिर तादात कितनी भी हो दम तोड़ देगी।

पलक:– महा ऐसे बीच में छोड़कर न जाओ...

महा:– ठीक है नही जाता। हमारा काम बताओ, हम वही करेंगे। लेकिन एक बात मैं अभी कह देता हूं, यदि ये बात सत्य है कि पिछले डेढ़ महीने में आर्यमणि ने ही हमारे लोगों मारा और गायब किया है, फिर विश्वास मानो इस मुलाकात में बात करने की ही सोचना... शायद कुछ लोगों की जान बच जाये तो आगे जाकर बदला भी ले सकते हो, वरना तुम्हारी मौत के साथ ही तुम्हारा बदला भी दम तोड़ देगा।

पलक:– हम्मम... तो अब क्या योजना है।

महा:– जर्मनी का मैप निकालो और लैपटॉप खोलो...

अगले एक घंटे में 25 इलाकों की लिस्ट तैयार हो चुकी थी। लोग तो थे ही इनके पास और कई टुकड़ी तो उन्ही इलाकों के आसपास थी। अगले 12 घंटे में उन सभी 25 इलाकों को 4 भाग में बांटकर 100 जगहों पर छानबीन करने शिकारी पहुंच चुके थे। हर 100 जगहों पर पहुंचे शिकारीयों में एक न एक महा की टीम का था, जो बाकियों को लीड कर रहा था।

अलग–अलग कोनो से खबरे निकल कर बाहर आयी। अब इतने जगह जब गये हो तो भला ब्लैक फॉरेस्ट के इलाके में कैसे नही पहुंचते। एक ओर से निकली टीम मिले ब्लैक फॉरेस्ट के रेंजर मैक्स से, जो की वहां का स्थानीय वेयरवोल्फ हंटर भी था। वो अलग बात थी कि आर्यमणि जब ब्लैक फॉरेस्ट से निकला तब ब्लैक फॉरेस्ट को वेयरवॉल्फ फ्री जोन बनाकर निकला था। मैक्स से मिलना किसी जैकपॉट के लगने से कम नही था। आर्यमणि की जो विस्तृत जानकारियां मिली और मैक्स में मुंह से धराधर तारीफ, सुनकर महा की टीम का वह शिकारी गदगद हो गया।

वह खुद में ही समीक्षा करने लगा, जब आर्यमणि नागपुर से गया तब सभी वुल्फ को नही मारा, बल्कि सरदार खान और उसके गुर्गों को मारकर निकला। यहां भी सरदार खान के जैसा ही एक वेयरवोल्फ था, उसके पैक को मारकर गया। ये कर तो प्रहरी वाला काम ही रहा है, फिर प्रहरी के अंदर इतना बदनाम क्यों?

वह इंसानी शिकारी अपनी सोच में था, जबतक एलियंस पूरी खबर पलक को दे चुके थे। पलक खुद में ऐसा मेहसूस कर रही थी जैसे वह अभी से जंग जीत चुकी है। वहीं ब्लैक फॉरेस्ट के दूसरी ओर से पता करने गये लोग वुल्फ हाउस की दहलीज तक पहुंच चुके थे। (वही बड़ा सा बंगलो जहां आर्यमणि पहली बार वेयरवोल्फ बना था। जहां पहली बार उसे ओशून मिली थी। जहां पहली बार आर्यमणि की भिडंत एक कुरूर फर्स्ट अल्फा ईडेन से हुआ था)

वुल्फ हाउस यूं तो टूरिस्ट प्लेस की तरह इस्तमाल किया जाता था, लेकिन मालिकाना हक आर्यमणि के पास था और उसके दरवाजे लगभग 2 महीने से बंद थे। बिलकुल वीरान जगह पर और किसी से उस जगह के बारे में पता कर सके, ऐसा एक भी इंसान दूर–दूर तक नही था। कुछ देर बाद पलक के पास ये खबर भी पहुंच चुकी थी।

ऐसा नहीं था की केवल ब्लैक फॉरेस्ट से ही खबरे आ रही थी। मांट ब्लैंक (Mont Blanc), ओर माउंटेन (ore mountain) और हार्ड (Harz) जैसे जगहों से भी मिलता जुलता खबर मिला। इन तीन जगहों के घने जंगल के बीच आधिकारिक तौर पर पिछले २ महीने से कुछ लोग काम कर रहे थे, इसलिए पूरा इलाका ही टूरिस्टों के लिये बंद कर दिया गया था। इसके लिये अच्छी खासी रकम सरकार तक पहुंचाने के अलावा कई सरकारी लोगों को ऊपर से पैसे मिले थे।

5 मार्च की शाम तक पूरी रिपोर्ट आ चुकी थी। मैक्स से मिली जानकारी और अपनी समीक्षा को इंसानी शिकारी महा तक पहुंचा चुका था। महा को यहां कुछ गलत होने की बू तो आ चुकी थी इसलिए उसने भी आगे चुपचाप तमाशा देखने की ठान चुका था। ग्राउंड रिपोर्ट आने के बाद उत्साहित पलक एक बार फिर मीटिंग ले रही थी और कल की तरह आज भी उतने ही लोग साथ में थे...

पलक:– महा कल के व्यवहार के लिये मैं माफी चाहती हूं। तो बताओ आगे क्या करना है।

महा:– मैं एक खोजी शिकारी हूं। पैड़ों के निशान से वुल्फ के पीछे जाता हूं। मैने तुम्हारे शिकार के ठिकाने को ढूंढ दिया। आगे का रणनीति तुम तय करो या जो भी इन मामलों का स्पेशलिस्ट हो। मैं जिसमे स्पेशलिस्ट था, वह करके दे दिया।

पलक:– अजुरी मुझे लगता है तुम इसमें कुछ मदद कर सको।

(नित्या का परिवारिवर्तित नाम। नित्या नाम से आम प्रहरी के सामने उसे नही पुकार सकते थे, क्योंकि वह कई मामलों में प्रहरी की दोषी थी। खैर ये बात तो पलक तक नही जानती थी की वह नित्य है। वो भी उसे अजुरी के नाम से ही जानती थी)

नित्या:– हां बिलकुल... 6 मार्च अहम दिन है। जो लोग 4 टारगेट की जगह पर है, उन्हे जितने लोग हायर करने है करे, जितने इक्विपमेंट में पैसे लगाने है लगाए। सरकारी अधिकारी को खरीद ले और 2 किलोमीटर पीछे से सुरंग खोदना शुरू कर दे। सुरंग बिलकुल गुप्त तरीके से खोदी जायेगी जो हर उस जगह के मध्य में खुलेगा जहां–जहां वह आर्यमणि हमारे लिये ट्रैप बिछा रहा।

7 या 8 मार्च को जब भी वह मिलने की जगह सुनिश्चित करे, पलक मात्र अपने दोस्तों के साथ उस से मिलने जायेगी। वहां 500 लोग आस–पास फैले होंगे और बाकी के सभी लोग सुरंग के अंदर घात लगाये। पलक के साथ गये लोग अपने साथ हिडेन कैमरा लेकर जाएंगे। मैक्रो मिनी कैमरा के बहुत सारे बग उसके घर में इस तरह से छोड़ेंगे की किसी की नजर में न आये। उसे हम बाहर रिमोट से एसेस करके पूरी जगह की छानबीन कर लेंगे और एक बार जब सुनिश्चित हो गये, फिर कहानी आर्यमणि के हाथ में होगी। आत्मसमर्पण करता है तो ठीक वरना टीम तो वैसे भी तैयार है। तो बताओ कैसा लगा प्लान...

बिनार (एक प्रथम श्रेणी का एलियन)... बस एक कमी है। सुरंग का रास्ता का निकासी 4 जगह होना चाहिए, ताकि चारो ओर से घेर सके। इसके अलावा एक निकासी को मध्य जगह से थोड़ा दूर रखना, ताकि यदि रास्ते में कोई जाल बिछा हो और वो कैमरा में नजर आ जाये, तो हमारी टीम चुपके से उस जाल को हटाकर बाहर खड़ी टीम के लिये रास्ता साफ कर देगी।

नित्या:– ये हुई न बात। अब सब कुछ परफेक्ट लग रहा है।

पलक:– महा तुम क्यों चुप हो? तुम्हे कुछ नही कहना क्या?

महा जो पूरे योजना बनने के दौरान चेहरे पर कोइ भवना नही लाया था, वह मन के भीतर खुद से ही बात कर रहा था.... “क्या चुतिये लोग है। ये पलक नागपुर में कितने सही नतीजों पड़ पहुंचती थी। नागपुर छोड़ते ही इसे किस कीड़े ने काट लिया? मदरचोद ये इनका प्लान है। ओ भोसडीवाले चाचा लोग, आर्यमणि तक तो आज ही खबर पहुंच चुकी होगी की हम लोग उसके ट्रैप वाले एरिया में पहुंच चुके है। साले वो पहले से सब प्लान करके बैठा है और तू केजी के बच्चों से भी घटिया प्लान बनाकर वाह वाही लूट रहा। मेरी टीम सतह पर ही रहेगी... पता चला सुरंग इसने खोदा और सुरंग के अंदर आर्यमणि पूरा जाल बिछाए है। आज कल तो वो सीधा चिता ही जला रहा। चिल्लाने की आवाज तक बाहर नहीं आयेगी।

पलक 3 बार पुकारी, महा अपनी खोई चेतना से बाहर आते.... “माफ करना बीवी की याद आ गयी थी। 6 महीने से मायके में थी और जब लौटी तो मैं यहां आ गया। उस से मिला तक नही”...

पलक:– तो तुमने प्लान नही सुना....

महा:– नाना कान वहां भी था। सब सुना मैने। बैंक रॉबरी वाला पुराना प्लान है, लेकिन कारगर साबित होगा। मैं अपनी टीम के साथ आईटी संभालूंगा, इसलिए मेरे सभी लोग सतह पर ही रहेंगे.....

पलक:– तो तय रहा मैं, एकलाफ, सुरैया, ट्रिस्कस और पारस.. हम पांच लोग आर्यमणि से सीधा मिलने जाएंगे। महा अपने 400 लोगों के साथ सतह से आईटी संभालेगा। वहीं से वह अजुरी (नित्या का परिवर्तित नाम) के कॉन्टैक्ट में रहेगा। अजुरी बाकी के 1200 की टीम को लीड करेगी। जिसे 50 के ग्रुप में बांटकर, उसके ग्रुप लीडर के साथ कॉर्डिनेट करेगी। सब कुछ ठीक रहा तो हम या तो अनंत कीर्ति की किताब के साथ चोरी का सारा सामान बिना किसी लड़ाई के साथ ले आयेंगे, वरना किसी को मारकर तो वैसे भी ले आयेंगे।

महा:– वैसे पलक तुमने तो 25 हथियारबंद लोग जो 25 अलग–अलग तरह के हथियार लिये थे, उन्हे हराया है। वो भी बिना खून का एक कतरा गिराए। फिर जब आर्यमणि तुम्हारे सामने होगा और वो तुम्हारी बात नही मानेगा तो मुझे उम्मीद है कि तुम अकेली ही उसे धूल चटा दोगी। बाकी की पूरी टीम को मेरी सुभकमना। मुझे इजाजत दीजिए।

महा अपनी बात कहकर वहां से निकल गया। कुछ पल खामोश रहकर सभी महा को बाहर जाते देख रहे थे। जैसे ही वह दरवाजे से बाहर निकला नित्या हंसती हुई कहने लगी.... “आखरी वाली बात उस बदजात कीड़े ने सही बोला, हमारी पलक अकेली ही काफी है। अच्छा हुआ जो उसने खुद ही सतह को चुना वरना हमारे बीच सुरंग में उसे कहां आने देती। आंखों से निकले लेजर को देखकर कहीं वो पागल न हो जाता और अपना राज छिपाने के लिये कहीं हमे उसे मारना न पड़ता। खैर सतह पर उसके 400 लोगों के साथ अपने 100 लोग भी होंगे, जिसे मलाली लीड करेगी। उसे मैं सारा काम समझा दूंगी। मेरे बाद भारती कमांड में होगी, जो सबको हुकुम देगी और पहला हमला भी वही करेगी, क्यों भारती?

भारती (देवगिरी पाठक की बेटी और धीरेन स्वामी की पत्नी).... “मैने पिछले एक महीने से अपना लजीज भोजन नहीं किया है। मैं कहती हूं, पलक के साथ मैं अपने 4 लोगों को लेकर चलती हूं, 5 मिनट में ही मामला साफ।

पलक:– नही... पहले मुझे कुछ देर तक उस से बात करनी है, उसके बाद ही कोई कुछ करेगा। और इसलिए मेरे साथ जाने वाले लोग फिक्स है। मीटिंग यहीं समाप्त करते है।

नित्या:– तुम लोग सोने जाओ मैं जरा 2 दिन घूम आऊं। भारती सबको काम समझा देना। अब सीधा युद्ध के मैदान में मुलाकात होगी।

लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।

 

arish8299

Member
222
956
93
भाग:–116


प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।

अलबेली ने जो सुना, वह तुरंत आ कर आर्यमणि को बताई। आर्यमणि ओजल और इवान को देखते.... “क्या तुम लोग अगले 5 मिनट में उन्हे हैक कर पाओगे।”

दोनो एक साथ.... “नही...”

आर्यमणि:– फिर तो कोई उपाय नहीं बचा। उन शिकारियों को गायब करना पड़ेगा...

ओजल:– हां लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगले 5 मिनट में वो संपर्क कैसे करेंगे? उनका मोबाइल, लैपटॉप, पासपोर्ट, रुपया, पैसा, क्रेडिट कार्ड सब तो चुरा लाये है। उन्हे यहां ब्लैंक कर दिया है।

आर्यमणि:– पर हमे तो हैक करना था न...

इवान:– इतना आसान नहीं है हैक करना। ये लोग अपने सिक्योर चैनल से सूचना प्रणाली चलाते है। बाहर से यदि हैक करेंगे तो उन्हे तुरंत पता चल जायेगा। हमे इनके सर्वर तक पहुंचना होगा।

आर्यमणि:– और इस चक्कर में बेवकूफी कर आये। 4 शिकारी जो उस घर में थे, केवल उन्हे ही तुमलोगों ने ब्लैंक किया है ना, उनके बाकी के 4 साथी तो अब भी बाहर घूम रहे।

ओजल:– उतना ही तो वक्त चाहिए। वो 4 लोग जबतक पहुंचेंगे और उन्हें पूरे मामले की जानकारी होगी, तब तक अपना काम हो जायेगा। अपने सुरक्षित चैनल से अपने आकाओं को संपर्क करेंगे, उस से पहले हम इनके सर्वर तक पहुंचकर इनका पूरा सिस्टम हैक कर चुके होंगे...

आर्यमणि:– लेकिन कब...

ओजल और इवान अपने लैपटॉप पर इंटर बटन प्रेस करते.... “अब.. हम दोनो रशिया के इस लोकेशन पर जायेंगे, जहां इनका सर्वर स्टेशन है। इसी जगह के सिस्टम में इनका सिक्योर कम्युनिकेशन चैनल का पूरा सॉफ्टवेयर ऑपरेट होता है। पूरा काम करके डिटेल देते हैं।”

संन्यासी शिवम् के साथ वो दोनो उस लोकेशन तक जाने के लिये तैयार थे। संन्यासी शिवम् दोनो को लेकर अंतर्ध्यान होते, उस से पहले ही आर्यमणि अनंत कीर्ति की किताब संन्यासी शिवम के हाथ में देते.... “इनके सर्वर स्टेशन की पूरी जानकारी इस पुस्तक में होगी। काम समाप्त कर जल्दी लौटिएगा”..

संन्यासी शिवम् ने सहमति जता दिया। चलने से पहले संन्यासी शिवम् आश्रम के अपने सिक्योर सिस्टम यानी अनंत कीर्ति के पुस्तक को ऑपरेट किये और उस जगह की पूरी जानकारी लेने के बाद, दोनो को लेकर अंतर्ध्यान हो गये। तीनो ही मुख्य सर्वर चेंबर में थे जहां कंप्यूटर का भव्य स्वरूप के बड़े–बड़े पुर्जे लगे थे। इवान और अलबेली ने सही पुर्जे को ढूंढकर वहां के लाल, काली, पीली कई तरह के वायर को छील दिया। उसमे अपना बग को लगाने के बाद छोटे से कमांड डिवाइस से बग में जैसे ही कमांड दिया, वहां केवल अंधेरा ही अंधेरा था और उनके (ओजल और इवान) डिवाइस पर लिखा आ रहा था... “सिस्टम रिस्टार्ट इन थ्री मिनट”... चलिए शिवम् सर अपना काम हो गया।

लगभग आधे घंटे में अपना पूरा काम समाप्त कर ये लोग लौट आये और उनके लौटने के एक घंटे बाद सभी शिकारी जयदेव से संपर्क कर रहे थे। जैसे ही उन लोगों ने जयदेव को पूरी बात बताई, जयदेव को उनकी बात पर यकीन नही हुआ। उसने मामले को पूरी छानबीन करने तथा पता लगाने के आदेश दे दिये। साथ ही साथ 21 लाश का ही ब्योरा मिला था, एक गायब शिकारी का भी पता लगाने का आदेश मिला था।”

इधर जयदेव अपने लोगों से बात कर रहा था और उधर उनकी पूरी बात अल्फा पैक सुन रही थी। आर्यमणि खुशी से ओजल और इवान को गले लगाते... “क्या बात है तुम दोनो ने कमल कर दिखाया”....

अलबेली:– बॉस सबासी देने के बहाने अपनी साली से खूब चिपक रहे...

ओजल:– हां तो मेरे इकलौते जीजा और मैं उनकी इकलौती साली... मुझसे न चिपकेंगे तो क्या तुझसे चिपकेंगे, जलकुकरी... वैसे तू चिंता मत कर, इवान से शादी के बाद जब तू भी जीजू के साले की पत्नी बनेगी... क्या कहते है उसे कोई बताएगा..

निशांत:– सलहज...

ओजल:– हां जब तू वही बनेगी सलहज, तब बॉस तुझे भी खुद से चिपकाए रखेंगे...

आर्यमणि, ओजल को आंख दिखाते... “क्या पागलों जैसी बातें कर रही हो। वो मुझे दादा पुकारती है।”

रूही:– अच्छा जब अलबेली बोली तब तो मुंह से कुछ नही निकला, लेकिन जैसे ही ओजल ने अपनी बात कही, तुमने मेरी बहन को आंखें दिखा दिये। देख रही हूं कैसे तुम मेरे सगे संबंधी को अभी से ट्रीट कर रहे...

आर्यमणि:– तुम मजाक कर रही हो न...

रूही, आर्यमणि को धक्का देकर अपने कमरे के ओर निकलती.... “मेरे भाई–बहन को नीचा दिखाने में तुम्हे मजा आता है ना आर्य, भार में जाओ।”

निशांत, आर्यमणि के कंधे पर हाथ डालते.... “तेरे तो पांचों उंगलियां घी में और सर कढ़ाई में है। मजे कर”...

आर्यमणि:– हां मजे तो कर रहा। चलो 2 पेग लगाकर आते है। शिवम् सर तब तक आप क्या उस एलियन जुल के साथ मिलकर ओजल और इवान के नायजो शक्तियों पर काम कर सकते है?

संन्यासी शिवम्:– हां ये मैं कर लूंगा...

आर्यमणि:– आपका आभार... अलबेली तुम तो अकेली रह जाओगी... हमारे साथ आओ..

अलबेली:– नही दादा तुम दोनो जाओ... मैं रूही के पास जाती हूं...

दोनो दोस्त पहुंचे मयखाने। दारू के पेग हाथ में उठाकर शाम का लुफ्त उठाने लगे। यूं तो दोनो कुछ रोज से साथ थे, लेकिन फुरसत से मिले नही थे। आज मिल रहे थे। नई–पुरानी फुरसत की बातें शुरू हो गयी थी। बातों के दौड़ान चित्रा और माधव की याद भी आ गयी। कुछ दिन पहले परिवार से तो बात हो गयी थी, बस दोस्त रह गये थे। आज दोस्तों से बात का लंबा दौड़ चला।

रात के 10 बजे से 2 बजे तक जाम और बातचीत। एक बार फिर माधव सबके निशाने पर था। चित्रा तो पहले ही माधव के बाबूजी की चहेती बनी थी, इसलिए माधव को प्यार से एंकी पुकारे जाने पर उसके बाबूजी ने कोई प्रतिक्रिया ना देते हुये उल्टा वो भी माधव को एंकी कह कर ही पुकारने लगे। बस फिर क्या था, माधव ने पहली बार अपने बाबूजी से सवाल किया.... “बहु ने यह नाम दिया इसलिए हंसकर स्वीकार किये, यही मैने किया होता तब”.... माधव ने मुंह से सवाल पूछा बाबूजी ने थप्पड़ लगाकर जवाब दिया... "तू करता तो यही होता"...

फिर बात दहेज के पैसे जोड़ने पर आ गयी। इस बात पर चित्रा ने तो निशांत और आर्यमणि की खड़े–खड़े क्लास ले ली। वहीं माधव “खी–खी” करते बड़ा सा दांत फाड़े था। बातें चलती रही और ऐसा मेहसूस होने लगा सभी प्रियजन आस–पास ही है। बातें समाप्त कर रात के 3 बजे तक दोनो दोस्त अपने गंतव्य पहुंच चुके थे।

सुबह यूं तो आर्यमणि को उठने की इच्छा नही हो रही थी, लेकिन गुस्साई पत्नी के आगे एक न चली और मजबूरी में उठना ही पड़ा। संन्यासी शिवम् रात को ही जुल से सारी प्रक्रिया को समझे। 2–4 बार शक्ति प्रदर्शन का डेमो भी लिया और जुल को वहीं छोड़, संन्यासी शिवम् दोनो (ओजल और इवान) को लेकर अंतर्ध्यान हो गये। सभी सीधा कैलाश पर्वत मार्ग के मठ में पहुंच गये जहां अगले कुछ दिन तक ओजल और इवान यहीं प्रशिक्षण करते।

इधर रूही ने एलियन की शक्तियों का विवरण कर, उसी हिसाब की नई ट्रेनिंग शुरू करने की बात कही, जिसमे बिजली और आग से कैसे पाया जा सकता था, उसके उपाय पर काम करना था। आग से तो बचने के उपाय थे। बदन के जिस हिस्से में आग लगी हो उसके सतह पर टॉक्सिक को दौड़ाना। बस बिजली से बचने का कोई कारगर उपाय नहीं सूझ रहा था।

सब अलग–अलग मंथन करने के बाद निशांत ने कठिन, किंतु कारगर उपाय का सुझाव दे दिया, जो हर प्रकार के बाहरी हमले का समाधान था। पहले तो निशांत ने आर्यमणि से सुरक्षा मंत्र के प्रयोग न करने के विषय में पूछा। सुरक्षा मंत्र वह मंत्र था, जिसे सिद्ध करने के बाद हवा के मजबूत सुरक्षा घेरे के अंदर शरीर रहता है। जैसा की सतपुरा के जंगलों में संन्यासी शिवम् ने करके दिखाया था।

आर्यमणि का इसपर साफ कहना था कि उसका पैक सुरक्षा मंत्र को सिद्ध नहीं कर सकते, इसलिए वह भी किसी प्रकार के मंत्र का प्रयोग नहीं करता। आर्यमणि का जवाब सुनने के बाद निशांत ने ही सुझाव दिया की शुकेश के घर से चोरी किये हुये अलौकिक पत्थर को पास में रखकर यदि सुरक्षा मंत्र पढ़ा जाये तो वह मंत्र काम करेगा। जैसे की खुद निशांत के साथ हुआ था। बिना इस मंत्र को सिद्ध किये निशांत ने भ्रमित अंगूठी के साथ मंत्र जाप किया, और मंत्र काम कर गयी थी।

सुझाव अच्छा था इसलिए बिना देर किये 2 काले हीरानुमा पत्थर को निकालकर रूही और अलबेली के हाथ में थमाने के बाद, मंत्र का प्रयोग करने कहा गया। दोनो को शुद्ध रूप से पूरा मंत्र उच्चारण करने में काफी समय लगा, किंतु जैसे ही पहली बार उनके मुख से शुद्ध रूप से पूरा मंत्र निकला, दोनो ही सुरक्षा घेरे में थी। फिर क्या था, पूरा दिन रूही और अलबेली सुरक्षा मंत्र को शुद्ध रूप से पढ़ने का अभ्यास करते रहे। यही सूचना संन्यासी शिवम् के पास भी पहुंचा दी गयी। एक पत्थर इवान के पास भी पहुंच चुका था। वहीं ओजल के पास पहले से अलौकिक नागमणि और दंश थी, इसलिए उसे अलग से पत्थर की जरूरत नहीं पड़ी।

एक हफ्ते तक सबका नया अभ्यास चलता रहा। दूसरी तरफ आर्यमणि ने अगले दिन ही उन सभी 8 इंसानी खोजी शिकारी को कैद कर लिया, ताकि अल्फा पैक सुनिश्चित होकर अभ्यास करता रहे। एक बचा था एलियन जुल, उस से थोड़ी सी जानकारी और निकालनी बाकी थी। इसलिए था तो वो आर्यमणि के साथ ही, लेकिन किसी कैदी से कम नही। अल्फा पैक क्या कर रहे है, उसकी भनक तक नहीं वह ले सकता था। अनंत कीर्ति किताब भी अलर्ट मोड पर थी। वह एलियन जुल, अल्फा पैक के ओर देखता भी था, तो आर्यमणि को खबर लग जाती।

हां लेकिन कब तक उस एलियन को भी साथ रखते। जिंदगी के अनुभव ने विश्वास न करना ही सिखाया था। और खासकर उस इंसान पर जिसने खुद की जान बचाने के लिये अपने समुदाय का पूरा राज उगल दिया हो। वैसा इंसान कब मौका देखकर डश ले कह नही सकते। 4 दिन तक साथ रखने के बाद आर्यमणि ने अपना बचा सवाल भी पूछ लिया।

पहला तो पलक को लेकर ही था कि क्यों जब आर्यमणि ने क्ला घुसाया तब पलक के अंदर उस तरह की फीलिंग नही आयी जैसे वह तेजी से हील हो रही हो। जुल ने खुलासा किया की... “18 की व्यस्क उम्र के बाद, हर एलियन को साइंस लैब ले जाया जाता है। वहां वेयरवॉल्फ के खून के साथ कई सारे टॉक्सिक नशों में चढ़ाया जाता है। उसके उपरांत कई तरह के प्रयोग उनके शरीर पर किये जाते है, तब जाकर उन्हें अमर जीवन प्राप्त होता है।”

“लैब में एक बार शरीर को पूर्ण रूप से परिवर्तित करने के बाद किसी भी एलियन के शरीर की कोशिका मनचाहा आकर बदलकर, किसी का भी रूप आसानी से ले सकती थी। हर 5 साल में एक बार मात्र वेयरवोल्फ के खून को नशों में चढ़ाने से सारी कोशिकाएं पुनः जवान हो जाती थी। बिलकुल नई और सुचारू रूप से काम करने वाली कोशिकाएं। जिस वजह से एलियन सदा जवां रहते थे।”

यही रूप बदल का प्रयोग तब काम आता था, जब किसी परिवार के मुखिया को मृत घोषित करना होता था। महानायकों के बूढ़े चेहरे कोई भी एलियन अपना लेते और उन्हें बलि चढ़ा दिया जाता। वहीं उनके महानायक अपना बूढ़ा रूप छोड़कर किसी अन्य प्रहरी परिवार में उनके इंसानी बच्चों का रूप ले लेते और जिनका भी वो रूप बदलते, उन्हें भी मारकर रास्ते से हटा देते है।”

“किसी एलियन ने अपनी कोशिकाओं के आकार को बदलकर जिसका भी रूप लिया हो, उसे पहचानने का साधारण सा रास्ता है, मैक्रोस्कोपिक लेंस। मैक्रोस्कोपिक लेंस से यदि किसी भी एलियन को देखा जाये तो हर क्षण कोशिकाएं बदलते हुये नजर आ जाती है। यह नंगी आंखों से कैप्चर नही हो सकता, लेकिन मैक्रोस्कोप के लेंस से देखने पर असली चेहरा से परिवर्तित चेहरा, और परिवर्तित चेहरा से असली चेहरा बनने की प्रक्रिया को देखा भी जा सकता है, और कैप्चर भी किया जा सकता है।”

पलक के केस में उसने इतना ही बताया की अब तक वह साइंस लैब नही गयी। 2 बार उसपर दवाब भी बना लेकिन उसने जाने से इंकार कर दिया था। अभी वर्तमान समय में उसके शरीर पर एक्सपेरिमेंट हुआ या नहीं यह जुल को पता नही था।

फिर आर्यमणि ने जुल से आखरी सवाल पूछा... “सैकड़ों वर्षों से यहां हो, तुम एलियन की कुल कितनी आबादी पृथ्वी पर बसती है और कहां–कहां?”

जुल, आर्यमणि का सवाल सुन मुस्कुराया और जवाब में कहने लगा... “ठंडी जगह पर ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर सकते, इसलिए ज्यादातर आबादी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप के गरम इलाको में बसती है। कुछ वीरान गरम आइलैंड पर हमारी पूरी आबादी बसती है। पृथ्वी की आखरी जनगणना के हिसाब से कुल 6 करोड़ की आबादी है हमारी। अकेला भारत में 1 करोड़ की आबादी है और हर साल 2 करोड़ शिशु हम अन्य ग्रह पर भेजते है, जिस वजह से पृथ्वी पर हमारी आबादी नियंत्रित है।”

आर्यमणि जवाब सुनकर कुछ सोचते हुये.... “पिछले सवाल को आखरी के ठीक पहले का सवाल मानो और ये आखरी सवाल, तो बताओ पृथ्वी की आबादी को कब अनियंत्रित करने का फैसला लिया गया है?”

जुल:– आने वाले 20 वर्षों में अन्य ग्रह पर इतने हाइब्रिड हो जायेंगे की आगे की आबादी आप रूपी बढ़ती रहेगी। उन सब ग्रहों पर एक बार पारिवारिक वर्गीकरण हो जाये, उसके 10 साल बाद के समय तक में पूरे पृथ्वी पर नायजो की हाइब्रिड आबादी बसेगी।

आर्यमणि एलियन जुल से सारी जानकारी निकाल चुका था। बदले में जुल उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था कि उसके जानकारी के बदले उसे अब छोड़ दिया जायेगा। किंतु ऐसा हुआ नही। पहले तो आर्यमणि, रूही और अलबेली ने मिलकर उसके शरीर के हर टॉक्सिक, शरीर में बहने वाले वुल्फ ब्लड, सब पूरा का पूरा खींच लिया। तीनो को ही ऐसा मेहसूस हो रहा था जैसे 10 हजार पेड़ के बराबर उसके अंदर टॉक्सिक भरा हुआ था। जुल के शरीर से सारा एक्सपेरिमेंट बाहर निकालने के बाद, जब खंजर को घुसाया गया, तब वह खंजर अंदर गला नही और जुल दर्द से बिलबिला गया। रूही उसका चेहरा देखकर हंसती हुई कहने लगी.... “तुम्हारे शरीर को समझने के बाद हमें पता था कि तुम जैसों को आसान मौत कैसे दे सकते है, लेकिन उसमे मजा नही आता। कैद के दिनो को एंजॉय करना।”

जुल:– मैने तुमसे सारी जानकारी साझा किया। 2 नायजो वेयरवोल्फ के विकृति का कारण भी बताया वरना एक वक्त ऐसा आता की या तो तुम उसे मार देते या वो तुम्हे। फिर भी तुमने मुझे जड़ों में जकड़ा हुआ है।

आर्यमणि:– तुम्हारा एहसान है मुझपर, इसलिए तो मारा नही। सिर्फ कुछ दिन के लिये कैद कर रहा हूं। जल्द ही किसी अच्छी जगह पर छोड़ भी दूंगा।

जुल:– कब और कहां छोड़ने का प्लान बनाए हो। और ये क्ला तुम इनके गले के पीछे क्यों घुसा रहे?

आर्यमणि सभी इंसानी शिकारी के दिमाग से कुछ वक्त पूर्व की याद मिटा चुका था। साथ ही दिमाग ने निशांत से मिलने की घटना को थोड़ा बदल चुका था। 8 इंसानी शिकारी के साथ जुल को एक तहखाने में कैद दिया गया था, जहां सब के सब जड़ों के मजबूत जेल में पूरा कैद थे। उनके पोषण के लिये जड़ों के रेशे ही काम रहे थे। तहखाने में उन्हे जड़ों में अच्छे से लपेटने के अलावा सिक्योरिटी अलर्ट, और निशांत का भ्रम जाल भी फैला था, जो उन सभी कैदियों को जड़ों से छूटने के बाद भी उस जगह पर रहने के लिये विवश कर देते।
Alian to bahut khatarnak plan banaye baithe hai
 

Devilrudra

Member
496
1,377
123
भाग:–116


प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।

अलबेली ने जो सुना, वह तुरंत आ कर आर्यमणि को बताई। आर्यमणि ओजल और इवान को देखते.... “क्या तुम लोग अगले 5 मिनट में उन्हे हैक कर पाओगे।”

दोनो एक साथ.... “नही...”

आर्यमणि:– फिर तो कोई उपाय नहीं बचा। उन शिकारियों को गायब करना पड़ेगा...

ओजल:– हां लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगले 5 मिनट में वो संपर्क कैसे करेंगे? उनका मोबाइल, लैपटॉप, पासपोर्ट, रुपया, पैसा, क्रेडिट कार्ड सब तो चुरा लाये है। उन्हे यहां ब्लैंक कर दिया है।

आर्यमणि:– पर हमे तो हैक करना था न...

इवान:– इतना आसान नहीं है हैक करना। ये लोग अपने सिक्योर चैनल से सूचना प्रणाली चलाते है। बाहर से यदि हैक करेंगे तो उन्हे तुरंत पता चल जायेगा। हमे इनके सर्वर तक पहुंचना होगा।

आर्यमणि:– और इस चक्कर में बेवकूफी कर आये। 4 शिकारी जो उस घर में थे, केवल उन्हे ही तुमलोगों ने ब्लैंक किया है ना, उनके बाकी के 4 साथी तो अब भी बाहर घूम रहे।

ओजल:– उतना ही तो वक्त चाहिए। वो 4 लोग जबतक पहुंचेंगे और उन्हें पूरे मामले की जानकारी होगी, तब तक अपना काम हो जायेगा। अपने सुरक्षित चैनल से अपने आकाओं को संपर्क करेंगे, उस से पहले हम इनके सर्वर तक पहुंचकर इनका पूरा सिस्टम हैक कर चुके होंगे...

आर्यमणि:– लेकिन कब...

ओजल और इवान अपने लैपटॉप पर इंटर बटन प्रेस करते.... “अब.. हम दोनो रशिया के इस लोकेशन पर जायेंगे, जहां इनका सर्वर स्टेशन है। इसी जगह के सिस्टम में इनका सिक्योर कम्युनिकेशन चैनल का पूरा सॉफ्टवेयर ऑपरेट होता है। पूरा काम करके डिटेल देते हैं।”

संन्यासी शिवम् के साथ वो दोनो उस लोकेशन तक जाने के लिये तैयार थे। संन्यासी शिवम् दोनो को लेकर अंतर्ध्यान होते, उस से पहले ही आर्यमणि अनंत कीर्ति की किताब संन्यासी शिवम के हाथ में देते.... “इनके सर्वर स्टेशन की पूरी जानकारी इस पुस्तक में होगी। काम समाप्त कर जल्दी लौटिएगा”..

संन्यासी शिवम् ने सहमति जता दिया। चलने से पहले संन्यासी शिवम् आश्रम के अपने सिक्योर सिस्टम यानी अनंत कीर्ति के पुस्तक को ऑपरेट किये और उस जगह की पूरी जानकारी लेने के बाद, दोनो को लेकर अंतर्ध्यान हो गये। तीनो ही मुख्य सर्वर चेंबर में थे जहां कंप्यूटर का भव्य स्वरूप के बड़े–बड़े पुर्जे लगे थे। इवान और अलबेली ने सही पुर्जे को ढूंढकर वहां के लाल, काली, पीली कई तरह के वायर को छील दिया। उसमे अपना बग को लगाने के बाद छोटे से कमांड डिवाइस से बग में जैसे ही कमांड दिया, वहां केवल अंधेरा ही अंधेरा था और उनके (ओजल और इवान) डिवाइस पर लिखा आ रहा था... “सिस्टम रिस्टार्ट इन थ्री मिनट”... चलिए शिवम् सर अपना काम हो गया।

लगभग आधे घंटे में अपना पूरा काम समाप्त कर ये लोग लौट आये और उनके लौटने के एक घंटे बाद सभी शिकारी जयदेव से संपर्क कर रहे थे। जैसे ही उन लोगों ने जयदेव को पूरी बात बताई, जयदेव को उनकी बात पर यकीन नही हुआ। उसने मामले को पूरी छानबीन करने तथा पता लगाने के आदेश दे दिये। साथ ही साथ 21 लाश का ही ब्योरा मिला था, एक गायब शिकारी का भी पता लगाने का आदेश मिला था।”

इधर जयदेव अपने लोगों से बात कर रहा था और उधर उनकी पूरी बात अल्फा पैक सुन रही थी। आर्यमणि खुशी से ओजल और इवान को गले लगाते... “क्या बात है तुम दोनो ने कमल कर दिखाया”....

अलबेली:– बॉस सबासी देने के बहाने अपनी साली से खूब चिपक रहे...

ओजल:– हां तो मेरे इकलौते जीजा और मैं उनकी इकलौती साली... मुझसे न चिपकेंगे तो क्या तुझसे चिपकेंगे, जलकुकरी... वैसे तू चिंता मत कर, इवान से शादी के बाद जब तू भी जीजू के साले की पत्नी बनेगी... क्या कहते है उसे कोई बताएगा..

निशांत:– सलहज...

ओजल:– हां जब तू वही बनेगी सलहज, तब बॉस तुझे भी खुद से चिपकाए रखेंगे...

आर्यमणि, ओजल को आंख दिखाते... “क्या पागलों जैसी बातें कर रही हो। वो मुझे दादा पुकारती है।”

रूही:– अच्छा जब अलबेली बोली तब तो मुंह से कुछ नही निकला, लेकिन जैसे ही ओजल ने अपनी बात कही, तुमने मेरी बहन को आंखें दिखा दिये। देख रही हूं कैसे तुम मेरे सगे संबंधी को अभी से ट्रीट कर रहे...

आर्यमणि:– तुम मजाक कर रही हो न...

रूही, आर्यमणि को धक्का देकर अपने कमरे के ओर निकलती.... “मेरे भाई–बहन को नीचा दिखाने में तुम्हे मजा आता है ना आर्य, भार में जाओ।”

निशांत, आर्यमणि के कंधे पर हाथ डालते.... “तेरे तो पांचों उंगलियां घी में और सर कढ़ाई में है। मजे कर”...

आर्यमणि:– हां मजे तो कर रहा। चलो 2 पेग लगाकर आते है। शिवम् सर तब तक आप क्या उस एलियन जुल के साथ मिलकर ओजल और इवान के नायजो शक्तियों पर काम कर सकते है?

संन्यासी शिवम्:– हां ये मैं कर लूंगा...

आर्यमणि:– आपका आभार... अलबेली तुम तो अकेली रह जाओगी... हमारे साथ आओ..

अलबेली:– नही दादा तुम दोनो जाओ... मैं रूही के पास जाती हूं...

दोनो दोस्त पहुंचे मयखाने। दारू के पेग हाथ में उठाकर शाम का लुफ्त उठाने लगे। यूं तो दोनो कुछ रोज से साथ थे, लेकिन फुरसत से मिले नही थे। आज मिल रहे थे। नई–पुरानी फुरसत की बातें शुरू हो गयी थी। बातों के दौड़ान चित्रा और माधव की याद भी आ गयी। कुछ दिन पहले परिवार से तो बात हो गयी थी, बस दोस्त रह गये थे। आज दोस्तों से बात का लंबा दौड़ चला।

रात के 10 बजे से 2 बजे तक जाम और बातचीत। एक बार फिर माधव सबके निशाने पर था। चित्रा तो पहले ही माधव के बाबूजी की चहेती बनी थी, इसलिए माधव को प्यार से एंकी पुकारे जाने पर उसके बाबूजी ने कोई प्रतिक्रिया ना देते हुये उल्टा वो भी माधव को एंकी कह कर ही पुकारने लगे। बस फिर क्या था, माधव ने पहली बार अपने बाबूजी से सवाल किया.... “बहु ने यह नाम दिया इसलिए हंसकर स्वीकार किये, यही मैने किया होता तब”.... माधव ने मुंह से सवाल पूछा बाबूजी ने थप्पड़ लगाकर जवाब दिया... "तू करता तो यही होता"...

फिर बात दहेज के पैसे जोड़ने पर आ गयी। इस बात पर चित्रा ने तो निशांत और आर्यमणि की खड़े–खड़े क्लास ले ली। वहीं माधव “खी–खी” करते बड़ा सा दांत फाड़े था। बातें चलती रही और ऐसा मेहसूस होने लगा सभी प्रियजन आस–पास ही है। बातें समाप्त कर रात के 3 बजे तक दोनो दोस्त अपने गंतव्य पहुंच चुके थे।

सुबह यूं तो आर्यमणि को उठने की इच्छा नही हो रही थी, लेकिन गुस्साई पत्नी के आगे एक न चली और मजबूरी में उठना ही पड़ा। संन्यासी शिवम् रात को ही जुल से सारी प्रक्रिया को समझे। 2–4 बार शक्ति प्रदर्शन का डेमो भी लिया और जुल को वहीं छोड़, संन्यासी शिवम् दोनो (ओजल और इवान) को लेकर अंतर्ध्यान हो गये। सभी सीधा कैलाश पर्वत मार्ग के मठ में पहुंच गये जहां अगले कुछ दिन तक ओजल और इवान यहीं प्रशिक्षण करते।

इधर रूही ने एलियन की शक्तियों का विवरण कर, उसी हिसाब की नई ट्रेनिंग शुरू करने की बात कही, जिसमे बिजली और आग से कैसे पाया जा सकता था, उसके उपाय पर काम करना था। आग से तो बचने के उपाय थे। बदन के जिस हिस्से में आग लगी हो उसके सतह पर टॉक्सिक को दौड़ाना। बस बिजली से बचने का कोई कारगर उपाय नहीं सूझ रहा था।

सब अलग–अलग मंथन करने के बाद निशांत ने कठिन, किंतु कारगर उपाय का सुझाव दे दिया, जो हर प्रकार के बाहरी हमले का समाधान था। पहले तो निशांत ने आर्यमणि से सुरक्षा मंत्र के प्रयोग न करने के विषय में पूछा। सुरक्षा मंत्र वह मंत्र था, जिसे सिद्ध करने के बाद हवा के मजबूत सुरक्षा घेरे के अंदर शरीर रहता है। जैसा की सतपुरा के जंगलों में संन्यासी शिवम् ने करके दिखाया था।

आर्यमणि का इसपर साफ कहना था कि उसका पैक सुरक्षा मंत्र को सिद्ध नहीं कर सकते, इसलिए वह भी किसी प्रकार के मंत्र का प्रयोग नहीं करता। आर्यमणि का जवाब सुनने के बाद निशांत ने ही सुझाव दिया की शुकेश के घर से चोरी किये हुये अलौकिक पत्थर को पास में रखकर यदि सुरक्षा मंत्र पढ़ा जाये तो वह मंत्र काम करेगा। जैसे की खुद निशांत के साथ हुआ था। बिना इस मंत्र को सिद्ध किये निशांत ने भ्रमित अंगूठी के साथ मंत्र जाप किया, और मंत्र काम कर गयी थी।

सुझाव अच्छा था इसलिए बिना देर किये 2 काले हीरानुमा पत्थर को निकालकर रूही और अलबेली के हाथ में थमाने के बाद, मंत्र का प्रयोग करने कहा गया। दोनो को शुद्ध रूप से पूरा मंत्र उच्चारण करने में काफी समय लगा, किंतु जैसे ही पहली बार उनके मुख से शुद्ध रूप से पूरा मंत्र निकला, दोनो ही सुरक्षा घेरे में थी। फिर क्या था, पूरा दिन रूही और अलबेली सुरक्षा मंत्र को शुद्ध रूप से पढ़ने का अभ्यास करते रहे। यही सूचना संन्यासी शिवम् के पास भी पहुंचा दी गयी। एक पत्थर इवान के पास भी पहुंच चुका था। वहीं ओजल के पास पहले से अलौकिक नागमणि और दंश थी, इसलिए उसे अलग से पत्थर की जरूरत नहीं पड़ी।

एक हफ्ते तक सबका नया अभ्यास चलता रहा। दूसरी तरफ आर्यमणि ने अगले दिन ही उन सभी 8 इंसानी खोजी शिकारी को कैद कर लिया, ताकि अल्फा पैक सुनिश्चित होकर अभ्यास करता रहे। एक बचा था एलियन जुल, उस से थोड़ी सी जानकारी और निकालनी बाकी थी। इसलिए था तो वो आर्यमणि के साथ ही, लेकिन किसी कैदी से कम नही। अल्फा पैक क्या कर रहे है, उसकी भनक तक नहीं वह ले सकता था। अनंत कीर्ति किताब भी अलर्ट मोड पर थी। वह एलियन जुल, अल्फा पैक के ओर देखता भी था, तो आर्यमणि को खबर लग जाती।

हां लेकिन कब तक उस एलियन को भी साथ रखते। जिंदगी के अनुभव ने विश्वास न करना ही सिखाया था। और खासकर उस इंसान पर जिसने खुद की जान बचाने के लिये अपने समुदाय का पूरा राज उगल दिया हो। वैसा इंसान कब मौका देखकर डश ले कह नही सकते। 4 दिन तक साथ रखने के बाद आर्यमणि ने अपना बचा सवाल भी पूछ लिया।

पहला तो पलक को लेकर ही था कि क्यों जब आर्यमणि ने क्ला घुसाया तब पलक के अंदर उस तरह की फीलिंग नही आयी जैसे वह तेजी से हील हो रही हो। जुल ने खुलासा किया की... “18 की व्यस्क उम्र के बाद, हर एलियन को साइंस लैब ले जाया जाता है। वहां वेयरवॉल्फ के खून के साथ कई सारे टॉक्सिक नशों में चढ़ाया जाता है। उसके उपरांत कई तरह के प्रयोग उनके शरीर पर किये जाते है, तब जाकर उन्हें अमर जीवन प्राप्त होता है।”

“लैब में एक बार शरीर को पूर्ण रूप से परिवर्तित करने के बाद किसी भी एलियन के शरीर की कोशिका मनचाहा आकर बदलकर, किसी का भी रूप आसानी से ले सकती थी। हर 5 साल में एक बार मात्र वेयरवोल्फ के खून को नशों में चढ़ाने से सारी कोशिकाएं पुनः जवान हो जाती थी। बिलकुल नई और सुचारू रूप से काम करने वाली कोशिकाएं। जिस वजह से एलियन सदा जवां रहते थे।”

यही रूप बदल का प्रयोग तब काम आता था, जब किसी परिवार के मुखिया को मृत घोषित करना होता था। महानायकों के बूढ़े चेहरे कोई भी एलियन अपना लेते और उन्हें बलि चढ़ा दिया जाता। वहीं उनके महानायक अपना बूढ़ा रूप छोड़कर किसी अन्य प्रहरी परिवार में उनके इंसानी बच्चों का रूप ले लेते और जिनका भी वो रूप बदलते, उन्हें भी मारकर रास्ते से हटा देते है।”

“किसी एलियन ने अपनी कोशिकाओं के आकार को बदलकर जिसका भी रूप लिया हो, उसे पहचानने का साधारण सा रास्ता है, मैक्रोस्कोपिक लेंस। मैक्रोस्कोपिक लेंस से यदि किसी भी एलियन को देखा जाये तो हर क्षण कोशिकाएं बदलते हुये नजर आ जाती है। यह नंगी आंखों से कैप्चर नही हो सकता, लेकिन मैक्रोस्कोप के लेंस से देखने पर असली चेहरा से परिवर्तित चेहरा, और परिवर्तित चेहरा से असली चेहरा बनने की प्रक्रिया को देखा भी जा सकता है, और कैप्चर भी किया जा सकता है।”

पलक के केस में उसने इतना ही बताया की अब तक वह साइंस लैब नही गयी। 2 बार उसपर दवाब भी बना लेकिन उसने जाने से इंकार कर दिया था। अभी वर्तमान समय में उसके शरीर पर एक्सपेरिमेंट हुआ या नहीं यह जुल को पता नही था।

फिर आर्यमणि ने जुल से आखरी सवाल पूछा... “सैकड़ों वर्षों से यहां हो, तुम एलियन की कुल कितनी आबादी पृथ्वी पर बसती है और कहां–कहां?”

जुल, आर्यमणि का सवाल सुन मुस्कुराया और जवाब में कहने लगा... “ठंडी जगह पर ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर सकते, इसलिए ज्यादातर आबादी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप के गरम इलाको में बसती है। कुछ वीरान गरम आइलैंड पर हमारी पूरी आबादी बसती है। पृथ्वी की आखरी जनगणना के हिसाब से कुल 6 करोड़ की आबादी है हमारी। अकेला भारत में 1 करोड़ की आबादी है और हर साल 2 करोड़ शिशु हम अन्य ग्रह पर भेजते है, जिस वजह से पृथ्वी पर हमारी आबादी नियंत्रित है।”

आर्यमणि जवाब सुनकर कुछ सोचते हुये.... “पिछले सवाल को आखरी के ठीक पहले का सवाल मानो और ये आखरी सवाल, तो बताओ पृथ्वी की आबादी को कब अनियंत्रित करने का फैसला लिया गया है?”

जुल:– आने वाले 20 वर्षों में अन्य ग्रह पर इतने हाइब्रिड हो जायेंगे की आगे की आबादी आप रूपी बढ़ती रहेगी। उन सब ग्रहों पर एक बार पारिवारिक वर्गीकरण हो जाये, उसके 10 साल बाद के समय तक में पूरे पृथ्वी पर नायजो की हाइब्रिड आबादी बसेगी।

आर्यमणि एलियन जुल से सारी जानकारी निकाल चुका था। बदले में जुल उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था कि उसके जानकारी के बदले उसे अब छोड़ दिया जायेगा। किंतु ऐसा हुआ नही। पहले तो आर्यमणि, रूही और अलबेली ने मिलकर उसके शरीर के हर टॉक्सिक, शरीर में बहने वाले वुल्फ ब्लड, सब पूरा का पूरा खींच लिया। तीनो को ही ऐसा मेहसूस हो रहा था जैसे 10 हजार पेड़ के बराबर उसके अंदर टॉक्सिक भरा हुआ था। जुल के शरीर से सारा एक्सपेरिमेंट बाहर निकालने के बाद, जब खंजर को घुसाया गया, तब वह खंजर अंदर गला नही और जुल दर्द से बिलबिला गया। रूही उसका चेहरा देखकर हंसती हुई कहने लगी.... “तुम्हारे शरीर को समझने के बाद हमें पता था कि तुम जैसों को आसान मौत कैसे दे सकते है, लेकिन उसमे मजा नही आता। कैद के दिनो को एंजॉय करना।”

जुल:– मैने तुमसे सारी जानकारी साझा किया। 2 नायजो वेयरवोल्फ के विकृति का कारण भी बताया वरना एक वक्त ऐसा आता की या तो तुम उसे मार देते या वो तुम्हे। फिर भी तुमने मुझे जड़ों में जकड़ा हुआ है।

आर्यमणि:– तुम्हारा एहसान है मुझपर, इसलिए तो मारा नही। सिर्फ कुछ दिन के लिये कैद कर रहा हूं। जल्द ही किसी अच्छी जगह पर छोड़ भी दूंगा।

जुल:– कब और कहां छोड़ने का प्लान बनाए हो। और ये क्ला तुम इनके गले के पीछे क्यों घुसा रहे?

आर्यमणि सभी इंसानी शिकारी के दिमाग से कुछ वक्त पूर्व की याद मिटा चुका था। साथ ही दिमाग ने निशांत से मिलने की घटना को थोड़ा बदल चुका था। 8 इंसानी शिकारी के साथ जुल को एक तहखाने में कैद दिया गया था, जहां सब के सब जड़ों के मजबूत जेल में पूरा कैद थे। उनके पोषण के लिये जड़ों के रेशे ही काम रहे थे। तहखाने में उन्हे जड़ों में अच्छे से लपेटने के अलावा सिक्योरिटी अलर्ट, और निशांत का भ्रम जाल भी फैला था, जो उन सभी कैदियों को जड़ों से छूटने के बाद भी उस जगह पर रहने के लिये विवश कर देते।
Bahot badhiya 👍👍👍
 

arish8299

Member
222
956
93
भाग:–118


महा:– फिर कहोगी सवाल क्यों कर रहे। अब ये एकलाफ कौन है, जिस से आर्यमणि मिलना चाहता है? उसे मैं नही जानता फिर वो कैसे जानने लगा? वह मुझसे क्यों नही मिलने की बात किया?

पलक:– वो जब आर्य मिलेगा तब पूछ लेना। अब प्लीज कुछ देर शांत रहो। एक बार मैं पूरा खत्म कर लूं, फिर सारे सवाल एक साथ कर लेना...

महा:– हम्मम... ठीक है..

पलक:– “8 मार्च को आर्यमणि कब और कहां मिलेगा वो पता नही चल पाया है। पहले से पहुंचे प्रहरी लगभग 30 शहरों की जांच कर चुके, लेकिन किसी भी जगह ऐसे कोई प्रमाण न मिले, जहां लगा हो की किसी ने जाल बिछाकर रखा है। और मुझे यकीन है कि आर्यमणि ने 2 महीने का वक्त इसलिए मांगा था, ताकि वह पूरी तैयारी कर सके”...

“शिकार फसाने और शिकार करने में कोई भी प्रहरी उसका मुकाबला नहीं कर सकता। मैं आर्यमणि को भली भांति जानती हूं, वह कितने दिन पहले से कितना कैलकुलेटिव प्लान कर सकता है। यदि उसने 2 महीने का समय लिया है तो विश्वास मानो वह 1000 प्रहरी तो क्या, 5000 प्रहरी को मारने के हिसाब से प्लान करेगा। इसलिए मैं चाहती हूं कि बचे 3 दिन में यानी 7 मार्च तक हम ये पता लगा ले की आर्यमणि हमसे किस जगह मिलने की योजना बना रहा।

सभी एलियन एक साथ, एक सुर में... “हां हमे तुरंत ये काम करना होगा।”

महा:– 2 महीने में नही कर पाये और 3 दिन में कर लोगे। चुतिये है सब के सब। और जो कोई भी अपना मुंह खोल रहा है, अभी बंद कर ले। अभी मेरी बात पूरी नही हुई। साला सभी उल्लू ही पहुंचे थे क्या जर्मनी जो अब तक पता न कर पाये की आर्यमणि कहां मीटिंग रख सकता है?...

पलक:– इतना सुनाने की जरूरत है क्या? या मैं तुम्हारी हम उम्र होकर तुमसे आगे निकल गयी, इस बात को लेकर मुझे नीचा दिखा रहे...

महा:– लड़ाई में निपुणता हासिल कर लेने से कोई दिमाग वाला नही होता। और फालतू बात करके टॉपिक से भटकाने वाला कभी सच्चा नेता नही होता। 2 महीने काफी है एक देश में किसी के भी होने का पता लगाने के लिये। और जैसा तुम कह रही हो की तुम्हारे पास आर्यमणि की पक्की खबर थी कि वो जर्मनी के बाहर हमारे लोगों का शिकर कर रहा, इसका साफ मतलब होता है कि वह किसी और के हाथों जर्मनी में किसी जगह पर अपना जाल बिछा रहा होगा। क्या तुमने यहां के स्थानीय शिकारी और जंगल के रेंजर्स से पता किया है...

पलक:– उन्हे क्या पता होगा...

महा:– “अंधेर नगरी और चौपट राजा। 2 देश के बीच लड़ाई नही हो रही जो जंग के मैदान में लड़ोगे। और न ही ये कोई फिल्म है, जहां सड़कों पर खुले आम लाश गिरेगी वो भी बेगाने देश में। तो लड़ाई का स्थान ऐसा होगा जो काफी बड़ा हो और वहां कितनी भी लाश क्यों न गिर जाये, मिलों दूर तक कोई खबर लेने वाला भी नहीं हो। यदि किसी को भनक भी लगी तो वह 2–4 या 10 आदमी से 1000 की भिड़ से नही उलझेगा और इतनी भीड़ को कंट्रोल करने के लिये जितनी फोर्स चाहिए, उसे परमिशन लेने से आने तक में कम से कम 3–4 घंटे का वक्त लगना चाहिए... ऐसे जगह को ध्यान में रखकर ढूंढते तो 10 दिन में कुछ जगह मिल जाती। तुम लोग अभी तक जगह नही ढूंढ पाये तो आगे किस समझदारी की उम्मीद करूं।”

“खैर, ऐसी जगह रेगिस्तान, जंगल, या फिर मिलिट्री ट्रेनिंग की वह जगह हो सकती है, जो अब उपयोग में नही आती। इन सब जगहों पर लोगों को भेज कर वहां के स्थानीय लोगों से, जंगल के रेंजर से, यहां के स्थानीय शिकारी से पता लगाते तो अब तक पता भी चल चुका होता। उसके बाद जिसे टारगेट कर रहे उसकी क्षमता को समझते की यह आदमी किस हद तक सोच सकता है। ऐसा तो नहीं की 5–6 वीरान जगहों पर एक साथ काम चल रहा है और उसने अपनी योजना कहीं और बना रखी है।”

“क्योंकि यहां शिकार उसका करने जा रहे जो भागा था तो तुम्हे अपने पीछे इतने जगह दौड़ा चुका है कि आज तक उसकी परछाई का पता न लगा पाये। वैसा आदमी जब जाल बिछाए तो क्या इतना नही सोचेगा की हम किन–किन जगहों पर पता लगा सकते हैं, या हमारे काम करने का क्या तरीका है। चूहे बिल्ली का खेल ऐसे ही चलता है। हर संभावना पर काम करना पड़ता है। मैं अपनी टीम को लेकर वापस जा रहा हूं। बेहतर होगा की तुम भी अपनी टीम को वापस ले जाओ। क्योंकि 2 महीने तक यदि मैं ट्रैप बिछाऊं और उस ट्रैप का पता दुश्मन को अंत तक न चले फिर तादात कितनी भी हो दम तोड़ देगी।

पलक:– महा ऐसे बीच में छोड़कर न जाओ...

महा:– ठीक है नही जाता। हमारा काम बताओ, हम वही करेंगे। लेकिन एक बात मैं अभी कह देता हूं, यदि ये बात सत्य है कि पिछले डेढ़ महीने में आर्यमणि ने ही हमारे लोगों मारा और गायब किया है, फिर विश्वास मानो इस मुलाकात में बात करने की ही सोचना... शायद कुछ लोगों की जान बच जाये तो आगे जाकर बदला भी ले सकते हो, वरना तुम्हारी मौत के साथ ही तुम्हारा बदला भी दम तोड़ देगा।

पलक:– हम्मम... तो अब क्या योजना है।

महा:– जर्मनी का मैप निकालो और लैपटॉप खोलो...

अगले एक घंटे में 25 इलाकों की लिस्ट तैयार हो चुकी थी। लोग तो थे ही इनके पास और कई टुकड़ी तो उन्ही इलाकों के आसपास थी। अगले 12 घंटे में उन सभी 25 इलाकों को 4 भाग में बांटकर 100 जगहों पर छानबीन करने शिकारी पहुंच चुके थे। हर 100 जगहों पर पहुंचे शिकारीयों में एक न एक महा की टीम का था, जो बाकियों को लीड कर रहा था।

अलग–अलग कोनो से खबरे निकल कर बाहर आयी। अब इतने जगह जब गये हो तो भला ब्लैक फॉरेस्ट के इलाके में कैसे नही पहुंचते। एक ओर से निकली टीम मिले ब्लैक फॉरेस्ट के रेंजर मैक्स से, जो की वहां का स्थानीय वेयरवोल्फ हंटर भी था। वो अलग बात थी कि आर्यमणि जब ब्लैक फॉरेस्ट से निकला तब ब्लैक फॉरेस्ट को वेयरवॉल्फ फ्री जोन बनाकर निकला था। मैक्स से मिलना किसी जैकपॉट के लगने से कम नही था। आर्यमणि की जो विस्तृत जानकारियां मिली और मैक्स में मुंह से धराधर तारीफ, सुनकर महा की टीम का वह शिकारी गदगद हो गया।

वह खुद में ही समीक्षा करने लगा, जब आर्यमणि नागपुर से गया तब सभी वुल्फ को नही मारा, बल्कि सरदार खान और उसके गुर्गों को मारकर निकला। यहां भी सरदार खान के जैसा ही एक वेयरवोल्फ था, उसके पैक को मारकर गया। ये कर तो प्रहरी वाला काम ही रहा है, फिर प्रहरी के अंदर इतना बदनाम क्यों?

वह इंसानी शिकारी अपनी सोच में था, जबतक एलियंस पूरी खबर पलक को दे चुके थे। पलक खुद में ऐसा मेहसूस कर रही थी जैसे वह अभी से जंग जीत चुकी है। वहीं ब्लैक फॉरेस्ट के दूसरी ओर से पता करने गये लोग वुल्फ हाउस की दहलीज तक पहुंच चुके थे। (वही बड़ा सा बंगलो जहां आर्यमणि पहली बार वेयरवोल्फ बना था। जहां पहली बार उसे ओशून मिली थी। जहां पहली बार आर्यमणि की भिडंत एक कुरूर फर्स्ट अल्फा ईडेन से हुआ था)

वुल्फ हाउस यूं तो टूरिस्ट प्लेस की तरह इस्तमाल किया जाता था, लेकिन मालिकाना हक आर्यमणि के पास था और उसके दरवाजे लगभग 2 महीने से बंद थे। बिलकुल वीरान जगह पर और किसी से उस जगह के बारे में पता कर सके, ऐसा एक भी इंसान दूर–दूर तक नही था। कुछ देर बाद पलक के पास ये खबर भी पहुंच चुकी थी।

ऐसा नहीं था की केवल ब्लैक फॉरेस्ट से ही खबरे आ रही थी। मांट ब्लैंक (Mont Blanc), ओर माउंटेन (ore mountain) और हार्ड (Harz) जैसे जगहों से भी मिलता जुलता खबर मिला। इन तीन जगहों के घने जंगल के बीच आधिकारिक तौर पर पिछले २ महीने से कुछ लोग काम कर रहे थे, इसलिए पूरा इलाका ही टूरिस्टों के लिये बंद कर दिया गया था। इसके लिये अच्छी खासी रकम सरकार तक पहुंचाने के अलावा कई सरकारी लोगों को ऊपर से पैसे मिले थे।

5 मार्च की शाम तक पूरी रिपोर्ट आ चुकी थी। मैक्स से मिली जानकारी और अपनी समीक्षा को इंसानी शिकारी महा तक पहुंचा चुका था। महा को यहां कुछ गलत होने की बू तो आ चुकी थी इसलिए उसने भी आगे चुपचाप तमाशा देखने की ठान चुका था। ग्राउंड रिपोर्ट आने के बाद उत्साहित पलक एक बार फिर मीटिंग ले रही थी और कल की तरह आज भी उतने ही लोग साथ में थे...

पलक:– महा कल के व्यवहार के लिये मैं माफी चाहती हूं। तो बताओ आगे क्या करना है।

महा:– मैं एक खोजी शिकारी हूं। पैड़ों के निशान से वुल्फ के पीछे जाता हूं। मैने तुम्हारे शिकार के ठिकाने को ढूंढ दिया। आगे का रणनीति तुम तय करो या जो भी इन मामलों का स्पेशलिस्ट हो। मैं जिसमे स्पेशलिस्ट था, वह करके दे दिया।

पलक:– अजुरी मुझे लगता है तुम इसमें कुछ मदद कर सको।

(नित्या का परिवारिवर्तित नाम। नित्या नाम से आम प्रहरी के सामने उसे नही पुकार सकते थे, क्योंकि वह कई मामलों में प्रहरी की दोषी थी। खैर ये बात तो पलक तक नही जानती थी की वह नित्य है। वो भी उसे अजुरी के नाम से ही जानती थी)

नित्या:– हां बिलकुल... 6 मार्च अहम दिन है। जो लोग 4 टारगेट की जगह पर है, उन्हे जितने लोग हायर करने है करे, जितने इक्विपमेंट में पैसे लगाने है लगाए। सरकारी अधिकारी को खरीद ले और 2 किलोमीटर पीछे से सुरंग खोदना शुरू कर दे। सुरंग बिलकुल गुप्त तरीके से खोदी जायेगी जो हर उस जगह के मध्य में खुलेगा जहां–जहां वह आर्यमणि हमारे लिये ट्रैप बिछा रहा।

7 या 8 मार्च को जब भी वह मिलने की जगह सुनिश्चित करे, पलक मात्र अपने दोस्तों के साथ उस से मिलने जायेगी। वहां 500 लोग आस–पास फैले होंगे और बाकी के सभी लोग सुरंग के अंदर घात लगाये। पलक के साथ गये लोग अपने साथ हिडेन कैमरा लेकर जाएंगे। मैक्रो मिनी कैमरा के बहुत सारे बग उसके घर में इस तरह से छोड़ेंगे की किसी की नजर में न आये। उसे हम बाहर रिमोट से एसेस करके पूरी जगह की छानबीन कर लेंगे और एक बार जब सुनिश्चित हो गये, फिर कहानी आर्यमणि के हाथ में होगी। आत्मसमर्पण करता है तो ठीक वरना टीम तो वैसे भी तैयार है। तो बताओ कैसा लगा प्लान...

बिनार (एक प्रथम श्रेणी का एलियन)... बस एक कमी है। सुरंग का रास्ता का निकासी 4 जगह होना चाहिए, ताकि चारो ओर से घेर सके। इसके अलावा एक निकासी को मध्य जगह से थोड़ा दूर रखना, ताकि यदि रास्ते में कोई जाल बिछा हो और वो कैमरा में नजर आ जाये, तो हमारी टीम चुपके से उस जाल को हटाकर बाहर खड़ी टीम के लिये रास्ता साफ कर देगी।

नित्या:– ये हुई न बात। अब सब कुछ परफेक्ट लग रहा है।

पलक:– महा तुम क्यों चुप हो? तुम्हे कुछ नही कहना क्या?

महा जो पूरे योजना बनने के दौरान चेहरे पर कोइ भवना नही लाया था, वह मन के भीतर खुद से ही बात कर रहा था.... “क्या चुतिये लोग है। ये पलक नागपुर में कितने सही नतीजों पड़ पहुंचती थी। नागपुर छोड़ते ही इसे किस कीड़े ने काट लिया? मदरचोद ये इनका प्लान है। ओ भोसडीवाले चाचा लोग, आर्यमणि तक तो आज ही खबर पहुंच चुकी होगी की हम लोग उसके ट्रैप वाले एरिया में पहुंच चुके है। साले वो पहले से सब प्लान करके बैठा है और तू केजी के बच्चों से भी घटिया प्लान बनाकर वाह वाही लूट रहा। मेरी टीम सतह पर ही रहेगी... पता चला सुरंग इसने खोदा और सुरंग के अंदर आर्यमणि पूरा जाल बिछाए है। आज कल तो वो सीधा चिता ही जला रहा। चिल्लाने की आवाज तक बाहर नहीं आयेगी।

पलक 3 बार पुकारी, महा अपनी खोई चेतना से बाहर आते.... “माफ करना बीवी की याद आ गयी थी। 6 महीने से मायके में थी और जब लौटी तो मैं यहां आ गया। उस से मिला तक नही”...

पलक:– तो तुमने प्लान नही सुना....

महा:– नाना कान वहां भी था। सब सुना मैने। बैंक रॉबरी वाला पुराना प्लान है, लेकिन कारगर साबित होगा। मैं अपनी टीम के साथ आईटी संभालूंगा, इसलिए मेरे सभी लोग सतह पर ही रहेंगे.....

पलक:– तो तय रहा मैं, एकलाफ, सुरैया, ट्रिस्कस और पारस.. हम पांच लोग आर्यमणि से सीधा मिलने जाएंगे। महा अपने 400 लोगों के साथ सतह से आईटी संभालेगा। वहीं से वह अजुरी (नित्या का परिवर्तित नाम) के कॉन्टैक्ट में रहेगा। अजुरी बाकी के 1200 की टीम को लीड करेगी। जिसे 50 के ग्रुप में बांटकर, उसके ग्रुप लीडर के साथ कॉर्डिनेट करेगी। सब कुछ ठीक रहा तो हम या तो अनंत कीर्ति की किताब के साथ चोरी का सारा सामान बिना किसी लड़ाई के साथ ले आयेंगे, वरना किसी को मारकर तो वैसे भी ले आयेंगे।

महा:– वैसे पलक तुमने तो 25 हथियारबंद लोग जो 25 अलग–अलग तरह के हथियार लिये थे, उन्हे हराया है। वो भी बिना खून का एक कतरा गिराए। फिर जब आर्यमणि तुम्हारे सामने होगा और वो तुम्हारी बात नही मानेगा तो मुझे उम्मीद है कि तुम अकेली ही उसे धूल चटा दोगी। बाकी की पूरी टीम को मेरी सुभकमना। मुझे इजाजत दीजिए।

महा अपनी बात कहकर वहां से निकल गया। कुछ पल खामोश रहकर सभी महा को बाहर जाते देख रहे थे। जैसे ही वह दरवाजे से बाहर निकला नित्या हंसती हुई कहने लगी.... “आखरी वाली बात उस बदजात कीड़े ने सही बोला, हमारी पलक अकेली ही काफी है। अच्छा हुआ जो उसने खुद ही सतह को चुना वरना हमारे बीच सुरंग में उसे कहां आने देती। आंखों से निकले लेजर को देखकर कहीं वो पागल न हो जाता और अपना राज छिपाने के लिये कहीं हमे उसे मारना न पड़ता। खैर सतह पर उसके 400 लोगों के साथ अपने 100 लोग भी होंगे, जिसे मलाली लीड करेगी। उसे मैं सारा काम समझा दूंगी। मेरे बाद भारती कमांड में होगी, जो सबको हुकुम देगी और पहला हमला भी वही करेगी, क्यों भारती?

भारती (देवगिरी पाठक की बेटी और धीरेन स्वामी की पत्नी).... “मैने पिछले एक महीने से अपना लजीज भोजन नहीं किया है। मैं कहती हूं, पलक के साथ मैं अपने 4 लोगों को लेकर चलती हूं, 5 मिनट में ही मामला साफ।

पलक:– नही... पहले मुझे कुछ देर तक उस से बात करनी है, उसके बाद ही कोई कुछ करेगा। और इसलिए मेरे साथ जाने वाले लोग फिक्स है। मीटिंग यहीं समाप्त करते है।

नित्या:– तुम लोग सोने जाओ मैं जरा 2 दिन घूम आऊं। भारती सबको काम समझा देना। अब सीधा युद्ध के मैदान में मुलाकात होगी।

लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।
Apne to updates ki jhadi laga di wah maja agaya
 

Devilrudra

Member
496
1,377
123
भाग:–117


आर्यमणि सभी इंसानी शिकारी के दिमाग से कुछ वक्त पूर्व की याद मिटा चुका था। साथ ही दिमाग ने निशांत से मिलने की घटना को थोड़ा बदल चुका था। 8 इंसानी शिकारी के साथ जुल को एक तहखाने में कैद दिया गया था, जहां सब के सब जड़ों के मजबूत जेल में पूरा कैद थे। उनके पोषण के लिये जड़ों के रेशे ही काम रहे थे। तहखाने में उन्हे जड़ों में अच्छे से लपेटने के अलावा सिक्योरिटी अलर्ट, और निशांत का भ्रम जाल भी फैला था, जो उन सभी कैदियों को जड़ों से छूटने के बाद भी उस जगह पर रहने के लिये विवश कर देते।

7 दिन के अभ्यास के बाद ओजल और इवान भी वापस लौट आये थे। दोनो पहले से ज्यादा नियंत्रित और उतने ही धैर्यवान नजर आये। थोड़े से मेल मिलाप के बाद पहला संयुक्त अभ्यास शुरू हुआ। बटन ऑन–ऑफ करने जितना तो प्रशिक्षित नही हुये थे। अर्थात ऐसा प्रशिक्षण जिसमे करेंट के फ्लो चला और झट से सुरक्षा घेरे में, उसके अगले ही पल हमला करने के लिये सुरक्षा घेरा खुला और तुरंत हमला करके वापस से मंत्र के संरक्षण में।

इतनी जल्दी मंत्रो के प्रयोग में अभी समय था लेकिन जितना भी प्रशिक्षण लिये थे, वह संतोषजनक था। नींद में भी पूरे मंत्रों का शुद्ध उच्चारण कर लेते थे। वहीं ओजल और इवान के नए प्रशिक्षण के बाद वह राज भी खुल चुका था, जिसका खुलासा जुल नही कर पाया था। प्रथम श्रेणी के नायजो वालों के पास कैसी शक्तियां होती है। इसका जवाब ओजल और इवान लेकर आ रहे थे।

प्रथम श्रेणी वालों आंखें ही उनका प्रमुख हथियार थे, जिनसे भीषण किरणे निकलती थी,लेजर की भांति खतरनाक किरणें। और आंखों से केवल लेजर किरण ही नही निकल रहे थे, बल्कि उस से भी और ज्यादा खतरनाक कुछ था।

जैसे ओजल के आंख से निकलने वाली किरणे जिस स्थान पर पड़ती, उस स्थान को भेदने के साथ–साथ, एक मीटर के रेडियस को एक पल में इतना गरम कर सकती थी कि लोहे के एक फिट का मोटा चादर पिघलने के कगार पर आ जाये। वहीं इवान की आंखों से जो किरण निकलती थी, वह पड़ने वाले स्थान को जहां भी भेदती थी, वहां विशेष प्रकार का जहरीला एसिड साथ में छोड़ती थी, जो एक सेकंड में ही एक मीटर के रेडियस को गलाकर उसके अस्तित्व को खत्म करने की क्षमता रखती थी।

ऐसा बिलकुल नहीं था कि ओजल, इवान या कोई भी प्रथम श्रेणी का एलियन आंख से लेजर नुमा कण चलाये, तो किसी भी इंसान की सीधा मृत्यु हो जाये। उनके आंखों की किरणे, उनके मस्तिष्क की गुलाम थी। यदि किसी इंसान को घायल करने की सोच है, तो आंखों से निकलने वाली किरणे और उसका दूसरा प्रभाव जैसे की हिट या एसिड उत्पन्न करना या कुछ और, ये सब केवल उस इंसान को घायल ही करेंगे। यदि डराने की सोच रहे तो केवल भय ही पैदा करेंगे। और यदि मारने का सोचे रहे,तब आंखों की किरणे पूरा प्रभावी होती है। फिर तो मौत कब निगल गयी पता भी नही चलता।

एलियन से जुड़ी लगभग सारी जानकारी आ चुकी थी। कई विचित्र तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये थे। हां लेकिन इनका घिनौना करतूत इन्हे हैवान की श्रेणी में लाकर खड़ा कर चुका था। कुछ दिनों तक मियामी से जब किसी भी खोजी शिकारी ने संपर्क नही किया, तब एक बार जयदेव भी यह सोचने पर मजबूर हो गया की क्या सच में आर्यमणि मियामी में है? जयदेव ने तुरंत नित्या से संपर्क किया और उसे सारी बात बताकर तुरंत मियामी निकलने बोल दिया।

इधर नित्या मियामी पहुंच रही थी और ठीक उसी दिन पूरी अल्फा टीम टेलीपोर्ट होकर अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स (buenos aires) पहुंच चुके थे। यहां का मिशन तीनो टीन वुल्फ लीड कर रहे थे, इसलिए बाकी सब इन्ही तीनो को सुन रहे थे। तीनो का एक ही फरमान आया, जितने भी इंसानी खोजी शिकारी है, उन्हे बाकी के लोग कैद करेंगे। एलियन को ठीक वैसे ही मौत मिलेगी जैसा मियामी में हुआ था और इस काम को तीनो टीन वुल्फ ही अंजाम देंगे।

अब तो ज्यादा छानबीन की जरूरत ही न थी। इंसानी खोजी शिकारियों को दिन में कैद किया गया और ठीक रात में मौत की लंबी और गहरी चीख अर्जेंटीना के उस शहर में गूंज रही थी। यहां भी एलियन और इंसानों की उतनी ही संख्या थी, बस फर्क इतना था कि यहां किसी भी एलियन को जिंदा नही छोड़ा गया। अल्फा पैक ऑपरेटिंग सिस्टम में घुसने का पूरा फायदा ले रही थी।

चोरी का समान ढूंढने निकले हर खोजी यूनिट शाम में अपने सिक्योर चैनल से बात करते ही थे, और उन सब की खबर अब अल्फा पैक को थी। मियामी की तरह ही ब्यूनस आयर्स (buenos aires) में भी वैसे ही लाशें बिछी थी। टीवी के माध्यम से यह सूचना जयदेव तक भी पहुंची और वह भन्नाने के सिवा और कुछ नही कर सकता था।

जयदेव ने नित्या को मियामी से फिर ब्यूनस आयर्स (buenos aires) भेजा। जिस शाम नित्या ब्यूनस आयर्स (buenos aires) पहुंची, उसी शाम फिर से मौत की खबर आ रही थी। इस बार मौत की खबर अर्जेंटीना के विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) शहर से आ रही थी। एक संन्यासी की मौत (वही संन्यासी जो आर्यमणि के पिता की जान बचाने की वजह से मारा गया था) के बदले आर्यमणि लाशों के ढेर लगा रहा था।

नित्या एयरपोर्ट पर लैंड की और वहीं से फ्लैट लेकर सीधा विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) पहुंची। नित्या उधर विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) में एक दिन तक छानबीन करती रही और ठीक अगली शाम को यूएसए के एक और शहर से झुलसी हुई लाश की खबर आने लगी। जयदेव को लगने लगा की वह परछाई का पीछा कर रहा है।

मात्र 1 महीने के अंदर ही 10 जगह पर खोज रहे 219 एलियन की भुनी लाश की खबरें हर शहर से आ चुकी थी। 80 इंसानी शिकारी आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो चुके थे। और पूरी घटना में मियामी से मात्र एक एलियन के बचने की खबर थी, लेकिन वह कौन था इसकी पहचान नहीं हो पायी थी। आज तक जो छिपकर शिकार करते आ रहे थे, आज जब कोई छिपकर उनका बड़ी बेरहमी से शिकार कर रहा था, तब इनका पूरा समुदाय ही बिलबिला गया।

समान की खोज पर निकली पूरी एलियन टीम ही गायब थी और जयदेव पर इतना दबाव था कि वह फिर कोई दूसरी टीम नही भेज पाया। सभी मुखिया ने मिलकर यह फैसला लिया की आर्यमणि के लिये अब से जिस टीम का गठन होगा, उसमे फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी के साथ प्रथम श्रेणी के नायजो भी होने चाहिए। वही श्रेणी जिसमे जयदेव, उज्जवल इत्यादि आते थे। जितने भी एलियन टीम मरी थी, उनमें एक भी प्रथम श्रेणी का नायजो नही था और इसे ही हर कोई कमजोरी मान रहा था। हालांकि उनका सोचना भी एक हद तक सही था। यदि प्रथम श्रेणी के नायजो उनके साथ होते, तब एक नजर ही काफी थी अपने दुश्मनों को स्वाहा करने के लिये।

बिलबिलाया नायजो समुदाय अब अपनी नजर जर्मनी पर गड़ाए था, जहां पलक से मिलने आर्यमणि पहुंचता। कोई भी एलियन सुनिश्चित तो नही था, लेकिन मियामी की जानकारी के आधार पर सभी घटनाओं के पीछे आर्यमणि का ही हाथ मान रहे थे। जर्मनी तो जैसे नायजो का दूसरा घर बन गया था। पिछले डेढ़ महीने में हुये हमलों को देखते हुये जर्मनी में प्रथम श्रेणी के नायजो की तादात भी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी थी। कुल 1200 नायजो शिकारी वहां जमा हो चुके थे, जिनमे से 400 प्रथम श्रेणी के नायजो थे। वैसे जयदेव भी कच्चा खिलाड़ी नही था। जैसे ही उसने पाया की अमेरिका और अर्जेंटीना में एक भी इंसान प्रहरी की लाश नही मिली थी, 400 इंसान प्रहरी को भी जर्मनी भेज दिया।

और बेचारी पलक.... जर्मनी आकर पलक हर पल पजल ही हो रही थी। बार–बार उसे एक ही ख्याल आता की आखिर जर्मनी में किस स्थान पर मीटिंग करेगा? सोचना भी वाजिफ ही था, क्योंकि जर्मनी किसी कस्बे का नाम तो था नही, था तो पूरा देश। कुछ महीने पूर्व जब फोन पर आर्यमणि से बात हुई थी तब 8 मार्च को होने वाली मुलाकात किस स्थान पर होगी, उस स्थान को न तो आर्यमणि ने बताया और न ही गुस्से से भड़की पलक पूछ पायी।

बेचारी जनवरी में जर्मनी पहुंची और जर्मनी के अलग–अलग शहर में रुक कर यही सोचती की आर्यमणि मुझे यहां बुला सकता है, या मुझे यहां बुला सकता है। 2 महीने का वक्त मिला है यह सोचकर पलक काफी उत्साहित थी, किंतु खुद की बेवकूफी किसी को बता भी नही सकती थी। और जो सोचकर स्वीडन से भागकर आयी थी कि जर्मनी की धरती उसके अनुकूल काम करे, उसका पहला कदम भी नही उठा पायी थी।

एक महीने तक जर्मनी के 3–4 शहर की खाक छानने के बाद पलक ने खुद को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सेटल कर लिया और दूर दराज से जर्मनी पहुंच रहे एलियन को पलक अलग–अलग शहर भेजकर वहां आर्यमणि का पता लगाने कह रही थी। पलक को यकीन था कि आर्यमणि जर्मनी में ही कहीं है और उसकी टीम को ट्रैप करने के लिये ग्राउंड तैयार कर रहा है।

और इस बात यकीन भी क्यों न हो। एक पलक ही तो थी जो आर्यमणि के दूरदर्शिता और महीनो पहले के बनाए योजना को आंखों के सामने सफल होते देखी थी। वो अलग बात थी कि जबतक आर्यमणि उसके साथ था, तब तक पलक को आर्यमणि की योजना का भनक भी नही लगा और जब तक पलक को समझ में आया तब तक तो पूरा नागपुर समझ चुका था। तब भी पलक बेचारी थी और आज भी बेचारी निकली।

उसे यकीन था आर्यमणि जर्मनी में है लेकिन कहां ये पता नही। और पलक का इतना विश्वास एक बड़ी वजह थी जो जयदेव को मियामी के शिकारियों की सूचना पर यकीन नही हुआ। पलक के हिसाब से आर्यमणि जर्मनी में था और वो लोग आर्यमणि को मियामी में बता रहे थे। लेकिन जिस हिसाब से अमेरिका और जर्मनी में लाशें बिछाई गयी, पूरे एलियन महकमे के दिमाग की बत्ती गुल हो चुकी थी। इतने बड़े कांड के बाद किसी न किसी पर तो दोष मढ़ना ही था। ऊपर से कुछ शिकारियों ने पूरे तथ्य के साथ आर्यमणि के मियामी में होने की बात कही थी। तो हो गया फैसला आर्यमणि जर्मनी में नही है।

तैयारी के नाम पर तो हो गये थे लूल बस एलियन की अलग–अलग टुकड़ी जर्मनी के अलग–अलग शहर की खाक छान रहे थे। भारत में अफवाहों का बाजार भी गरम था। इंसानी प्रहरी के बीच तो आर्यमणि को एक हीरो की तरह बताया गया था, जो सरदार खान जैसे सिर दर्द को मार कर शहर को वोल्फ के हमले से तब बचाया था, जब शहर के सारे प्रहरी बाहर शादी में गये थे। इसलिए इनसे जवाब देते नही बन रहा था कि आर्यमणि को पकड़ने के लिये इतनी बड़ी फौज को क्यों जर्मनी भेज रहे? अनंत कीर्ति की किताब ही वापस लाना था तो बैठकर बातचीत करके वापस मांग लेते। जब देने से इंकार करे फिर न एक्शन की सोचे। और जब एक्शन लेना ही है तो एक के खिलाफ 1000 से ज्यादा प्रहरी, आखिर करने क्या वाले है इतने लोगों का?”

प्रहरी के मुखिया के पास पहले कोई जवाब नही था। हां उन्हे तब थोड़ी राहत हुई जब कुछ दिन बाद मियामी की घटना हुई। सभी मुखिया एक सुर में गाने लगे की मियामी का कांड आर्यमणि का किया था। जब सबूत मांगा गया तो मियामी में जो समीक्षा शिकारियों ने दिया था, वही बताने लगे। लेकिन सबूत के नाम पर ढेला नही था और प्रहरी सदस्य, खासकर जिन लोगों ने भूमि से प्रशिक्षण लिया था, वो तो अपने मुखिया का दिमाग तक छिल डाले।

खैर प्रहरी के मुखिया से जब जवाब देते नही बना तो चिल्लकर शांत करवा दिये। तय समय से 4 दिन पूर्व अर्थात 4 मार्च को 400 इंसान प्रहरी बर्लिन लैंड कर चुके थे। इस पूरे 400 के समूह को एक इकलौता महा नमक प्रहरी लीड कर रहा था, जो भूमि का काफी करीबी माना जाता था। एयरपोर्ट पर महा की मुलाकात पलक से हुई जो अपने 4 चमचों के साथ पहुंची थी।

महा, पलक के गले लगते.... “बाहिनी नाशिक पहुंचकर बड़ा नाम कमाया”..

पलक:– नाम तो तुम्हारा भी कम नही महा। 400 लोगों को लीड कर रहे।

महा:– पर यहां 1600 प्रहरी (1200 एलियन और 400 इंसान) को तो तुम ही लीड कर रही। तो बताओ हमे क्या करना है?

पलक:– होटल चलते है, वहां और भी लोग है। सबके बीच समझाती हूं...

महा:– और मेरे साथ जो पहुंचे है, उनका क्या?

पलक:– एकलाफ उन्हे सही जगह पहुंचा देगा..

महा:– ऐसा होने से रहा... मैने बर्लिन में इनके रहने का इंतजाम पहले कर रखा है। रुको एक मिनट...

इतना कहकर महा भिड़ की ओर देखते... “हारनी सामने आओ”

वह लड़की हारनी सामने आते... “बोलो महा”

महा:– हारनी, यहां से तुम अपनी टीम के साथ सबको लीड करोगी। एक घंटे बाद की फ्लाइट से हमारे बचे 200 लोग भी पहुंच जायेंगे.. उनसे कॉर्डिनेट कर लेना और सबको लेकर होटल पहुंचो.... मैं रणनीति सुनने के बाद सबको काम बताऊंगा...

हारनी:– ठीक है महा...

महा, हारनी से विदा लेकर पलक के पास पहुंचते.... “हां अब चलो”

पलक, उसे आंख दिखाती.... “महा उन्हे मैं बर्लिन से कहीं और भेजने वाली थी। प्लेन रनवे पर खड़ी है।”..

महा:– लीडर तुम ही हो लेकिन बिना रणनीति सुने मैं किसी को भी कही नही जाने दे सकता... पहले ही 80 प्रहरी गायब हो चुके है और 220 मारे जा चुके है।

पलक:– ठीक है तुम जीते.... अब चलो..

महा और अपने चमचों को लेकर पलक होटल पहुंची, जहां नित्या समेत 12 प्रथम श्रेणी के एलियन थे और महा इकलौता इंसान।

पलक:– 8 मार्च को आर्यमणि मुझसे मिलेगा। चोरी का समान ढूंढने गये खोजी शिकारी का जिस प्रकार से शिकार हुआ है, उस से 2 बातें साफ है। एक तो आर्यमणि पिछले एक साल में खुद को ऐसा तैयार किया है कि वह किसी भीषण खतरे से कम नही। दूसरा वह अकेला भी नही...

सब तो चुप चाप सुन लिये बस महा था जिसका सवाल आया... “किस आधार पर कह रही हो की सारे कत्ल को आर्यमणि और उसकी टीम ने अंजाम दिया। एक–डेढ़ महीने पहले तक तो प्रहरी के कीमती सामान का चोर कोई और था। कहीं ऐसा तो नहीं की जब लोग मरने लगे तो इल्जाम आर्यमणि पर डाल रही।”

पलक:– महा खबर पक्की है...

महा:– खबर पक्की है लेकिन कोई सबूत नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं की आर्यमणि और उसकी टीम को बोलने का मौका भी न मिले और उसे सीधा मार डालो। इसलिए इतने लोगों को इक्कट्ठा की हो।

नित्या:– तुम्हे ज्यादा सवाल जवाब करना है तो बाहर जाओ। सीधा–सीधा सुनो, सीधा–सीधा हुक्म मानो...

महा:– तुम्हारी बातें भड़काऊ है लेकिन मुझे इस वक्त भटकना नहीं। तुम्हे मै बाद में जवाब दूंगा, पलक तुम मेरे सवाल का जवाब दो।

पलक:– परिस्थिति देखकर फैसला करेंगे। हम उसे बात करने का मौका क्यों नही देंगे। लेकिन यदि वो बात करने के लिये तैयार न हुआ तो... ये मीटिंग भी उसी संदर्व में है।

महा:– हम्मम!!! ठीक है कहो..

पलक:– 8 मार्च को वह मुझसे और एकलाफ़ से कहां मिलेगा, यह अभी तय नहीं हुआ है।

महा:– फिर कहोगी सवाल क्यों कर रहे। अब ये एकलाफ कौन है, जिस से आर्यमणि मिलना चाहता है? उसे मैं नही जानता फिर वो कैसे जानने लगा? वह मुझसे क्यों नही मिलने की बात किया?
Jabardast👍👍👍
 

Devilrudra

Member
496
1,377
123
भाग:–118


महा:– फिर कहोगी सवाल क्यों कर रहे। अब ये एकलाफ कौन है, जिस से आर्यमणि मिलना चाहता है? उसे मैं नही जानता फिर वो कैसे जानने लगा? वह मुझसे क्यों नही मिलने की बात किया?

पलक:– वो जब आर्य मिलेगा तब पूछ लेना। अब प्लीज कुछ देर शांत रहो। एक बार मैं पूरा खत्म कर लूं, फिर सारे सवाल एक साथ कर लेना...

महा:– हम्मम... ठीक है..

पलक:– “8 मार्च को आर्यमणि कब और कहां मिलेगा वो पता नही चल पाया है। पहले से पहुंचे प्रहरी लगभग 30 शहरों की जांच कर चुके, लेकिन किसी भी जगह ऐसे कोई प्रमाण न मिले, जहां लगा हो की किसी ने जाल बिछाकर रखा है। और मुझे यकीन है कि आर्यमणि ने 2 महीने का वक्त इसलिए मांगा था, ताकि वह पूरी तैयारी कर सके”...

“शिकार फसाने और शिकार करने में कोई भी प्रहरी उसका मुकाबला नहीं कर सकता। मैं आर्यमणि को भली भांति जानती हूं, वह कितने दिन पहले से कितना कैलकुलेटिव प्लान कर सकता है। यदि उसने 2 महीने का समय लिया है तो विश्वास मानो वह 1000 प्रहरी तो क्या, 5000 प्रहरी को मारने के हिसाब से प्लान करेगा। इसलिए मैं चाहती हूं कि बचे 3 दिन में यानी 7 मार्च तक हम ये पता लगा ले की आर्यमणि हमसे किस जगह मिलने की योजना बना रहा।

सभी एलियन एक साथ, एक सुर में... “हां हमे तुरंत ये काम करना होगा।”

महा:– 2 महीने में नही कर पाये और 3 दिन में कर लोगे। चुतिये है सब के सब। और जो कोई भी अपना मुंह खोल रहा है, अभी बंद कर ले। अभी मेरी बात पूरी नही हुई। साला सभी उल्लू ही पहुंचे थे क्या जर्मनी जो अब तक पता न कर पाये की आर्यमणि कहां मीटिंग रख सकता है?...

पलक:– इतना सुनाने की जरूरत है क्या? या मैं तुम्हारी हम उम्र होकर तुमसे आगे निकल गयी, इस बात को लेकर मुझे नीचा दिखा रहे...

महा:– लड़ाई में निपुणता हासिल कर लेने से कोई दिमाग वाला नही होता। और फालतू बात करके टॉपिक से भटकाने वाला कभी सच्चा नेता नही होता। 2 महीने काफी है एक देश में किसी के भी होने का पता लगाने के लिये। और जैसा तुम कह रही हो की तुम्हारे पास आर्यमणि की पक्की खबर थी कि वो जर्मनी के बाहर हमारे लोगों का शिकर कर रहा, इसका साफ मतलब होता है कि वह किसी और के हाथों जर्मनी में किसी जगह पर अपना जाल बिछा रहा होगा। क्या तुमने यहां के स्थानीय शिकारी और जंगल के रेंजर्स से पता किया है...

पलक:– उन्हे क्या पता होगा...

महा:– “अंधेर नगरी और चौपट राजा। 2 देश के बीच लड़ाई नही हो रही जो जंग के मैदान में लड़ोगे। और न ही ये कोई फिल्म है, जहां सड़कों पर खुले आम लाश गिरेगी वो भी बेगाने देश में। तो लड़ाई का स्थान ऐसा होगा जो काफी बड़ा हो और वहां कितनी भी लाश क्यों न गिर जाये, मिलों दूर तक कोई खबर लेने वाला भी नहीं हो। यदि किसी को भनक भी लगी तो वह 2–4 या 10 आदमी से 1000 की भिड़ से नही उलझेगा और इतनी भीड़ को कंट्रोल करने के लिये जितनी फोर्स चाहिए, उसे परमिशन लेने से आने तक में कम से कम 3–4 घंटे का वक्त लगना चाहिए... ऐसे जगह को ध्यान में रखकर ढूंढते तो 10 दिन में कुछ जगह मिल जाती। तुम लोग अभी तक जगह नही ढूंढ पाये तो आगे किस समझदारी की उम्मीद करूं।”

“खैर, ऐसी जगह रेगिस्तान, जंगल, या फिर मिलिट्री ट्रेनिंग की वह जगह हो सकती है, जो अब उपयोग में नही आती। इन सब जगहों पर लोगों को भेज कर वहां के स्थानीय लोगों से, जंगल के रेंजर से, यहां के स्थानीय शिकारी से पता लगाते तो अब तक पता भी चल चुका होता। उसके बाद जिसे टारगेट कर रहे उसकी क्षमता को समझते की यह आदमी किस हद तक सोच सकता है। ऐसा तो नहीं की 5–6 वीरान जगहों पर एक साथ काम चल रहा है और उसने अपनी योजना कहीं और बना रखी है।”

“क्योंकि यहां शिकार उसका करने जा रहे जो भागा था तो तुम्हे अपने पीछे इतने जगह दौड़ा चुका है कि आज तक उसकी परछाई का पता न लगा पाये। वैसा आदमी जब जाल बिछाए तो क्या इतना नही सोचेगा की हम किन–किन जगहों पर पता लगा सकते हैं, या हमारे काम करने का क्या तरीका है। चूहे बिल्ली का खेल ऐसे ही चलता है। हर संभावना पर काम करना पड़ता है। मैं अपनी टीम को लेकर वापस जा रहा हूं। बेहतर होगा की तुम भी अपनी टीम को वापस ले जाओ। क्योंकि 2 महीने तक यदि मैं ट्रैप बिछाऊं और उस ट्रैप का पता दुश्मन को अंत तक न चले फिर तादात कितनी भी हो दम तोड़ देगी।

पलक:– महा ऐसे बीच में छोड़कर न जाओ...

महा:– ठीक है नही जाता। हमारा काम बताओ, हम वही करेंगे। लेकिन एक बात मैं अभी कह देता हूं, यदि ये बात सत्य है कि पिछले डेढ़ महीने में आर्यमणि ने ही हमारे लोगों मारा और गायब किया है, फिर विश्वास मानो इस मुलाकात में बात करने की ही सोचना... शायद कुछ लोगों की जान बच जाये तो आगे जाकर बदला भी ले सकते हो, वरना तुम्हारी मौत के साथ ही तुम्हारा बदला भी दम तोड़ देगा।

पलक:– हम्मम... तो अब क्या योजना है।

महा:– जर्मनी का मैप निकालो और लैपटॉप खोलो...

अगले एक घंटे में 25 इलाकों की लिस्ट तैयार हो चुकी थी। लोग तो थे ही इनके पास और कई टुकड़ी तो उन्ही इलाकों के आसपास थी। अगले 12 घंटे में उन सभी 25 इलाकों को 4 भाग में बांटकर 100 जगहों पर छानबीन करने शिकारी पहुंच चुके थे। हर 100 जगहों पर पहुंचे शिकारीयों में एक न एक महा की टीम का था, जो बाकियों को लीड कर रहा था।

अलग–अलग कोनो से खबरे निकल कर बाहर आयी। अब इतने जगह जब गये हो तो भला ब्लैक फॉरेस्ट के इलाके में कैसे नही पहुंचते। एक ओर से निकली टीम मिले ब्लैक फॉरेस्ट के रेंजर मैक्स से, जो की वहां का स्थानीय वेयरवोल्फ हंटर भी था। वो अलग बात थी कि आर्यमणि जब ब्लैक फॉरेस्ट से निकला तब ब्लैक फॉरेस्ट को वेयरवॉल्फ फ्री जोन बनाकर निकला था। मैक्स से मिलना किसी जैकपॉट के लगने से कम नही था। आर्यमणि की जो विस्तृत जानकारियां मिली और मैक्स में मुंह से धराधर तारीफ, सुनकर महा की टीम का वह शिकारी गदगद हो गया।

वह खुद में ही समीक्षा करने लगा, जब आर्यमणि नागपुर से गया तब सभी वुल्फ को नही मारा, बल्कि सरदार खान और उसके गुर्गों को मारकर निकला। यहां भी सरदार खान के जैसा ही एक वेयरवोल्फ था, उसके पैक को मारकर गया। ये कर तो प्रहरी वाला काम ही रहा है, फिर प्रहरी के अंदर इतना बदनाम क्यों?

वह इंसानी शिकारी अपनी सोच में था, जबतक एलियंस पूरी खबर पलक को दे चुके थे। पलक खुद में ऐसा मेहसूस कर रही थी जैसे वह अभी से जंग जीत चुकी है। वहीं ब्लैक फॉरेस्ट के दूसरी ओर से पता करने गये लोग वुल्फ हाउस की दहलीज तक पहुंच चुके थे। (वही बड़ा सा बंगलो जहां आर्यमणि पहली बार वेयरवोल्फ बना था। जहां पहली बार उसे ओशून मिली थी। जहां पहली बार आर्यमणि की भिडंत एक कुरूर फर्स्ट अल्फा ईडेन से हुआ था)

वुल्फ हाउस यूं तो टूरिस्ट प्लेस की तरह इस्तमाल किया जाता था, लेकिन मालिकाना हक आर्यमणि के पास था और उसके दरवाजे लगभग 2 महीने से बंद थे। बिलकुल वीरान जगह पर और किसी से उस जगह के बारे में पता कर सके, ऐसा एक भी इंसान दूर–दूर तक नही था। कुछ देर बाद पलक के पास ये खबर भी पहुंच चुकी थी।

ऐसा नहीं था की केवल ब्लैक फॉरेस्ट से ही खबरे आ रही थी। मांट ब्लैंक (Mont Blanc), ओर माउंटेन (ore mountain) और हार्ड (Harz) जैसे जगहों से भी मिलता जुलता खबर मिला। इन तीन जगहों के घने जंगल के बीच आधिकारिक तौर पर पिछले २ महीने से कुछ लोग काम कर रहे थे, इसलिए पूरा इलाका ही टूरिस्टों के लिये बंद कर दिया गया था। इसके लिये अच्छी खासी रकम सरकार तक पहुंचाने के अलावा कई सरकारी लोगों को ऊपर से पैसे मिले थे।

5 मार्च की शाम तक पूरी रिपोर्ट आ चुकी थी। मैक्स से मिली जानकारी और अपनी समीक्षा को इंसानी शिकारी महा तक पहुंचा चुका था। महा को यहां कुछ गलत होने की बू तो आ चुकी थी इसलिए उसने भी आगे चुपचाप तमाशा देखने की ठान चुका था। ग्राउंड रिपोर्ट आने के बाद उत्साहित पलक एक बार फिर मीटिंग ले रही थी और कल की तरह आज भी उतने ही लोग साथ में थे...

पलक:– महा कल के व्यवहार के लिये मैं माफी चाहती हूं। तो बताओ आगे क्या करना है।

महा:– मैं एक खोजी शिकारी हूं। पैड़ों के निशान से वुल्फ के पीछे जाता हूं। मैने तुम्हारे शिकार के ठिकाने को ढूंढ दिया। आगे का रणनीति तुम तय करो या जो भी इन मामलों का स्पेशलिस्ट हो। मैं जिसमे स्पेशलिस्ट था, वह करके दे दिया।

पलक:– अजुरी मुझे लगता है तुम इसमें कुछ मदद कर सको।

(नित्या का परिवारिवर्तित नाम। नित्या नाम से आम प्रहरी के सामने उसे नही पुकार सकते थे, क्योंकि वह कई मामलों में प्रहरी की दोषी थी। खैर ये बात तो पलक तक नही जानती थी की वह नित्य है। वो भी उसे अजुरी के नाम से ही जानती थी)

नित्या:– हां बिलकुल... 6 मार्च अहम दिन है। जो लोग 4 टारगेट की जगह पर है, उन्हे जितने लोग हायर करने है करे, जितने इक्विपमेंट में पैसे लगाने है लगाए। सरकारी अधिकारी को खरीद ले और 2 किलोमीटर पीछे से सुरंग खोदना शुरू कर दे। सुरंग बिलकुल गुप्त तरीके से खोदी जायेगी जो हर उस जगह के मध्य में खुलेगा जहां–जहां वह आर्यमणि हमारे लिये ट्रैप बिछा रहा।

7 या 8 मार्च को जब भी वह मिलने की जगह सुनिश्चित करे, पलक मात्र अपने दोस्तों के साथ उस से मिलने जायेगी। वहां 500 लोग आस–पास फैले होंगे और बाकी के सभी लोग सुरंग के अंदर घात लगाये। पलक के साथ गये लोग अपने साथ हिडेन कैमरा लेकर जाएंगे। मैक्रो मिनी कैमरा के बहुत सारे बग उसके घर में इस तरह से छोड़ेंगे की किसी की नजर में न आये। उसे हम बाहर रिमोट से एसेस करके पूरी जगह की छानबीन कर लेंगे और एक बार जब सुनिश्चित हो गये, फिर कहानी आर्यमणि के हाथ में होगी। आत्मसमर्पण करता है तो ठीक वरना टीम तो वैसे भी तैयार है। तो बताओ कैसा लगा प्लान...

बिनार (एक प्रथम श्रेणी का एलियन)... बस एक कमी है। सुरंग का रास्ता का निकासी 4 जगह होना चाहिए, ताकि चारो ओर से घेर सके। इसके अलावा एक निकासी को मध्य जगह से थोड़ा दूर रखना, ताकि यदि रास्ते में कोई जाल बिछा हो और वो कैमरा में नजर आ जाये, तो हमारी टीम चुपके से उस जाल को हटाकर बाहर खड़ी टीम के लिये रास्ता साफ कर देगी।

नित्या:– ये हुई न बात। अब सब कुछ परफेक्ट लग रहा है।

पलक:– महा तुम क्यों चुप हो? तुम्हे कुछ नही कहना क्या?

महा जो पूरे योजना बनने के दौरान चेहरे पर कोइ भवना नही लाया था, वह मन के भीतर खुद से ही बात कर रहा था.... “क्या चुतिये लोग है। ये पलक नागपुर में कितने सही नतीजों पड़ पहुंचती थी। नागपुर छोड़ते ही इसे किस कीड़े ने काट लिया? मदरचोद ये इनका प्लान है। ओ भोसडीवाले चाचा लोग, आर्यमणि तक तो आज ही खबर पहुंच चुकी होगी की हम लोग उसके ट्रैप वाले एरिया में पहुंच चुके है। साले वो पहले से सब प्लान करके बैठा है और तू केजी के बच्चों से भी घटिया प्लान बनाकर वाह वाही लूट रहा। मेरी टीम सतह पर ही रहेगी... पता चला सुरंग इसने खोदा और सुरंग के अंदर आर्यमणि पूरा जाल बिछाए है। आज कल तो वो सीधा चिता ही जला रहा। चिल्लाने की आवाज तक बाहर नहीं आयेगी।

पलक 3 बार पुकारी, महा अपनी खोई चेतना से बाहर आते.... “माफ करना बीवी की याद आ गयी थी। 6 महीने से मायके में थी और जब लौटी तो मैं यहां आ गया। उस से मिला तक नही”...

पलक:– तो तुमने प्लान नही सुना....

महा:– नाना कान वहां भी था। सब सुना मैने। बैंक रॉबरी वाला पुराना प्लान है, लेकिन कारगर साबित होगा। मैं अपनी टीम के साथ आईटी संभालूंगा, इसलिए मेरे सभी लोग सतह पर ही रहेंगे.....

पलक:– तो तय रहा मैं, एकलाफ, सुरैया, ट्रिस्कस और पारस.. हम पांच लोग आर्यमणि से सीधा मिलने जाएंगे। महा अपने 400 लोगों के साथ सतह से आईटी संभालेगा। वहीं से वह अजुरी (नित्या का परिवर्तित नाम) के कॉन्टैक्ट में रहेगा। अजुरी बाकी के 1200 की टीम को लीड करेगी। जिसे 50 के ग्रुप में बांटकर, उसके ग्रुप लीडर के साथ कॉर्डिनेट करेगी। सब कुछ ठीक रहा तो हम या तो अनंत कीर्ति की किताब के साथ चोरी का सारा सामान बिना किसी लड़ाई के साथ ले आयेंगे, वरना किसी को मारकर तो वैसे भी ले आयेंगे।

महा:– वैसे पलक तुमने तो 25 हथियारबंद लोग जो 25 अलग–अलग तरह के हथियार लिये थे, उन्हे हराया है। वो भी बिना खून का एक कतरा गिराए। फिर जब आर्यमणि तुम्हारे सामने होगा और वो तुम्हारी बात नही मानेगा तो मुझे उम्मीद है कि तुम अकेली ही उसे धूल चटा दोगी। बाकी की पूरी टीम को मेरी सुभकमना। मुझे इजाजत दीजिए।

महा अपनी बात कहकर वहां से निकल गया। कुछ पल खामोश रहकर सभी महा को बाहर जाते देख रहे थे। जैसे ही वह दरवाजे से बाहर निकला नित्या हंसती हुई कहने लगी.... “आखरी वाली बात उस बदजात कीड़े ने सही बोला, हमारी पलक अकेली ही काफी है। अच्छा हुआ जो उसने खुद ही सतह को चुना वरना हमारे बीच सुरंग में उसे कहां आने देती। आंखों से निकले लेजर को देखकर कहीं वो पागल न हो जाता और अपना राज छिपाने के लिये कहीं हमे उसे मारना न पड़ता। खैर सतह पर उसके 400 लोगों के साथ अपने 100 लोग भी होंगे, जिसे मलाली लीड करेगी। उसे मैं सारा काम समझा दूंगी। मेरे बाद भारती कमांड में होगी, जो सबको हुकुम देगी और पहला हमला भी वही करेगी, क्यों भारती?

भारती (देवगिरी पाठक की बेटी और धीरेन स्वामी की पत्नी).... “मैने पिछले एक महीने से अपना लजीज भोजन नहीं किया है। मैं कहती हूं, पलक के साथ मैं अपने 4 लोगों को लेकर चलती हूं, 5 मिनट में ही मामला साफ।

पलक:– नही... पहले मुझे कुछ देर तक उस से बात करनी है, उसके बाद ही कोई कुछ करेगा। और इसलिए मेरे साथ जाने वाले लोग फिक्स है। मीटिंग यहीं समाप्त करते है।

नित्या:– तुम लोग सोने जाओ मैं जरा 2 दिन घूम आऊं। भारती सबको काम समझा देना। अब सीधा युद्ध के मैदान में मुलाकात होगी।

लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।
Amazing ab aayega asli action 👍👍👍
 

king cobra

Well-Known Member
5,259
9,857
189
Bus 11 tak hi intzar maine to jhapki tak nahi kiya :(
1 Baje raat tak intzaar kiya uske baad ye sonchkar so gaya ki subah uthkar dekhunga agar update na dikha to aur kuch to kar sakta nahi lekin aapko kuch na kuch suna dunga lekin aapne mauka hi nahi diya bhai.Ab baat kar lete update ki to sari taiyari kar liya dono party ne apni apni ab to bas ghamasaan ladai honi baki hai sare update awesome hain bhai ji bas palak ka ijhare mohabbat dekhna hai hamko :love:
 
Top