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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Nar sanp hi ande khata hai Mada sanp nhi khata Ispr bhi jara najar daliyega aap
No. Female Snake khati hai.
4 months ki pregnancy aur fir approx 250 eggs. Aise me wo bahut kamjor aur durbal ho jati hai. Esliye apni bhukh mitane aur energy gain karne ke liye khud ke paida kiye hue ande kha jati hai.

वैसे सांप को चक्षुश्रवा भी कहा जाता है। सांप के कान नही होता। वो अपने आंख से सुनता है।
 
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andyking302

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भाग:–114





आर्यमणि ने जैसे ही उन्हें शुरू होने कहा चारो शिकारी चार दिशा में खड़े हो गये और उनके मध्य में आर्यमणि खड़ा था। सबके हाथ हवा में और अगले ही पल उनके हाथों से बिजली और आग दोनो निकलने लगे। पूरा शरीर तो सुरक्षित था सिवाय सर के। पूरा हमला सर पर हुआ और नतीजा.... आर्यमणि के पूरे चेहरे पर आग लगी थी। आग की लपटें सर से एक फिट ऊपर तक उठ रही थी, जिसमे से बिजली की चिंगारी फूट रही थी।


आर्यमणि का सर धू–धू–धू करके जल रहा था। एक मिनट तक आर्यमणि अपनी जगह से हिला तक नही। आर्यमणि के चेहरे की चमरी जलकर ऐसे गली की वह नीचे चुने लगा। बाल जलकर हवा हो गया। ऊपर से आर्यमणि का सर भट्टी में जले लोहे के समान दिखने लगा। उन चार एलियन को अपनी आंखों पर यकीन न हुआ की आर्यमणि खड़ा कैसे है? किंतु प्रकृति के रहस्य को अभी उन एलियन ने जाना ही कितना था? अभी तो आगे और भी हैरतंगेज घटनाओं को वह देखने वाले थे।


जैसे उन एलियन ने आर्यमणि को पहली बार अपने समुदाय की विस्तृत जानकारी दी थी, ठीक उसी प्रकार आर्यमणि अपना शेप शिफ्ट करके उन्हे प्योर अल्फा से परिचय करवा गया। एलियन बहुत ज्यादा इस नए प्रकार के वेयरवोल्फ के बारे में सोचते, उस से पहले ही वहां जलजला आ चुका था। मौत को भी भयभीत कर दे ऐसी दहाड़। दहाड़ जिसका असर पीछे के रिहायशी इलाकों पर तो नही हुआ, किंतु आगे सैकड़ों मिलों दूर समुद्र तक भयभीत हो उठा।


तेज दहाड़ आर्यमणि के मुख से निकली और वहां का सारा माहोल थर्रा गया। भूमि में जैसे भूकंप समान कंपन हो गयी थी। सागर का पानी ज्वार भाटा बनकर इतने ऊपर उछला की अपने तेज बहाव में वह कॉटेज तक को बहा ले गया। सभी हाथ जो बिजली और आग उगल रहे थे, तेज बहाव में कहां बह गये पता ही नही चला। लेकिन एक गुस्साया भेड़िया अपने शिकार को कैसे छोड़ दे। आज तो क्ला जमीन में भी नही घुसा और जड़ों के रेशों ने चारो एलियन को बांधकर उसके सामने ला खड़ा किया।


जैसा उनकी किस्मत में एक ही वक्त पर कई आश्चर्यचकित घटनाओं को देखना लिखा था। चारो जड़ों में लिपटे ठीक आर्यमणि के सामने थे। आश्चर्य से पड़े नजारा था। जहां आर्यमणि खड़ा था, वहां कुछ दूर तक पानी का नामो निशान नही था। उस जगह के चारो ओर जैसे पानी की ऊंची और बड़ी–बड़ी दीवार बनी थी। एलियन कभी यह करिश्मा देख रहे थे, तो कभी आंखों के सामने खड़े आर्यमणि को। वह अब भी वैसा ही जल रहा था जैसे उन एलियन ने जलाया था। उल्टा आर्यमणि के सर से अग्नि की उफान पहले से और भी ज्यादा जोरों पर थी।


“!!श्री हरि!! के सरण में एक अबोध बालक थे, भक्त प्रह्लाद। और तुम सब सोच भी नही सकते, उस अमर जीवन को जो भक्त प्रह्लाद के पिता हृणकश्यप ने प्राप्त किया था। कहानी पढ़े होते तो पता चलता की कैसे भगवान !!श्रीमन नारायण!! ने नरसिम्हा अवतार लेकर उसे मारा था। तुम्हे जानकर हैरानी होगी की मेरा जन्म और भगवान नरसिम्हा में बहुत बड़ा कनेक्शन है। शायद इसलिए क्योंकि तुम जैसों की लीला मेरे ही हाथों ही समाप्त होनी है।”

“और हां उसी हृणकस्यप की एक बहन थी होलिका। होलिका ने जब वर मांगा था, तब वरदान में अग्नि ही मांग ली। अग्नि पर काबू तो उसने मांग लिया, लेकिन भूल गयी की अग्नि से वो भी नही बच पाये जो इसे काबू में रखना चाहते थे। तू देखेगा... तू देखेगा... तू देखेगा... कैसे अग्नि उन्हे भी नही छोड़ती जो सोचते है उन्होंने अग्नि पर काबू पा लिया.. तो ये देख”...

“आआआ... आआआ... आआआआ.... आआआआ... आआआआआ”..


आर्यमणि जब बोल रहा था तब महज वह इतिहास में वर्णित एक अमर शासक की कहानी नही बता रहा था, बल्कि उसके हर शब्द आने वाले भीषण मौत का एहसास करवा रहा था। उसके हर शब्द कलेजे में जैसे मौत का भय पैदा करवा रहा था। और जब आखरी में उसने अपनी दहाड़ती आवाज के साथ उन्हे मौत के नजारे दिखाने की बात कहा, उसके बाद तो वहां चारो ओर लंबी और गहरी मौत की चीख गूंजती रही। फिर तो उन एलियन के बदन की फास्ट हीलिंग जैसे अभिशाप बन गये हो। वह दर्द भरी खौफनाक चीख अगले 1 घंटे तक गूंजती रही और वो चारो एलियन बस जल्द से जल्द खुद के मृत्यु की कामना करने लगे।


1 घंटे के दर्दनाक धीमी मौत देने के बाद आर्यमणि रूही के ओर शान से देखते.... “क्या मेरी जान को इनकी निकलती चीख सुनकर कुछ सुकून मिला?”


रूही:– उम्ममह... जान जितने इन्होने अपने शब्दों के जख्म दिये थे, उनका हिसाब हो गया।


आर्यमणि:– पूरे सुकून में हो क्या?


रूही:– नही जान अभी तो ये 18 नामुराद और जिंदा है, जिनके शब्द और हंसी मेरे सीने में किसी तीर की तरह चुभ रहे....


आर्यमणि:– हां तो उन्हे तुम अपने हाथों से जिंदा चिता पर लिटा दो।


रूही:– बस इसी के लिये रुकी थी आर्य। सबको मारना है या कुछ पूछने के लिये एक को जिंदा रखना है। वैसे वो दोनो एलियन जिनका मुंह पहले खोले थे, उनमें से एक जिसने तब कुछ नही बोला, वह कुछ ज्यादा फरफरा रहा, जरा उसे भी सुन ले.... बोल बे क्या बोलना है...


रूही ने जैसे ही मुंह पर से बंधन हटाई, वह एलियन गिड़गिड़ाते.... “मुझे ऐसे नही मरना। हमे मारने का आसान तरीका बता देता हूं..


रूही:– ठीक है बताओ...


वह एलियन:– तुम अपने फेंग (जबड़े के कोने पर निकले बड़े–बड़े दांत) से जैसे ही मुझे नोचोगी, मेरा बॉडी मोडिफिकेशन होगा और मैं भी एक वेयरवोल्फ बन जाऊंगा। इसके बाद तुम जैसे चाहो वैसे मार देना।


रूही:– तुम सेकंड लाइन चुतिया हो या थर्ड लाइन।


वह एलियन:– सेकंड लाइन...


रूही:– तुम्हे इनका मुखिया होना चाहिए था। तुम्हे समझ में आ गया हम यहां इनफॉर्मेशन बटोर रहे...


वह एलियन:– मतलब...


रूही:– मतलब ये तेरा चुतिया मुखिया शौर्य जो न समझ पाया, वो तू समझ गया। और हमारे इंट्रेस्ट को देखते हुये तूने भी ऐसा प्रस्ताव दिया, जिसमे हम फंस जाये।


वह एलियन:– क्या कहना चाह रही हो?


रूही:– यही की तेरे अंदर मात्र हीलिंग कैपिसिटी ही नही है, बल्कि शरीर के अंदर कई सारे एसिड दौड़ते हैं। जहां तक मैं समझ पा रही और सरदार खान की बस्ती में जिस हिसाब से तुम एलियन चूतियो का आना जाना था, तुम लोगों ने वेयरवोल्फ ब्लड से अपने शरीर पर कुछ घटिया तरीके का एक्सपेरिमेंट किया है। मैं फेंग तेरे शरीर में घुसाऊंगी और हो सकता है तेरा शरीर मुझे ही पूरा चूस डाले और सूखा छुहारा अवशेष बनकर मैं जमीन पर गिरी मिलूं।


आर्यमणि:– कितनी बातें कर रही हो। काम खत्म करो..


रूही, उस एलियन को कैद से छोड़ती.... “मेरे साथ आओ”... दोनो आर्यमणि के पास पहुंचे। रूही उसे वहीं बैठने बोलकर आर्य के चेहरे को देखने लगी.... “घोस्ट राइडर के जॉनी केज दिख रहे हो। दर्द नही हो रहा क्या? पूरा चेहरा कबसे झुलसा रखा है।”


आर्यमणि:– तो जल्दी काम खत्म करो ना।


“अभी करती हूं बॉस”... रूही अपने हाथ पर चढ़ा दस्ताना नीचे उतार दी। हथेली के ऊपर टॉक्सिक दौड़ने लगा। हथेली जैसे ही आग के संपर्क में आया, पूरा हथेली में आग पकड़ लिया। आर्यमणि की तरह रूही की हथेली से भी आग की लपटें उठ रही थी। दोनो ने अपने दूसरे हथेली से कमांड दिया और जमीन से जड़ बाहर निकलने लगी। जड़ों के ऊपर आधे फिट के मोटे और नुकीले कांटे निकले हुये थे। देखते ही देखते बचे हुए हर एलियन के शरीर में कम से कम २०० कांटे घुस चुके थे। उन सबका शरीर हवा में कांटों के ऊपर बिछा था। दर्द की लंबी और गहरी चीख एलियन के मुख से निकलने लगी।


कांटे की मृत्यु सैल्या पर लिटाने के बाद दोनो ने उसी हथेली से एक और कमांड दिया। कांटेदार जड़ के ऊपर गहरे नीले रंग के जहर को फैलते साफ देखा जा सकता था, जो तेजी से आगे बढ़ते हुये उन कांटों के ऊपर फैल गया जो एलियन के शरीर के अंदर घुसे थे। गला जितना फाड़कर चीख सकते थे, वह तो पहले से ही चीख रहे थे। जहर शरीर के अंदर घुसने के बाद उनके चीख में कोई इजाफा तो नही हो सकता था। किंतु जब उनके शरीर में जहर फैला तब बढ़ते बेइंतहा दर्द की पुकार साफ सुनी जा सकती थी। दर्द से चिंखते और बिलबिलाते एलियन गिड़गिड़ा रहे थे लेकिन आज कुदरत बेरहम थी।


और सबसे आखरी में जहर फैले उन जड़ों पर दोनो ने अपना आग वाला हथेली रख दिया। धू करके आग जली और तुरंत ही पूरी आग जड़ों की रेशों से होते हुये शरीर के अंदर घुसे कांटों तक पहुंच गयी। आग उन सभी एलियन के शरीर के अंदर पहुंच चुकी थी। उन एलियन के शरीर में जिस प्रकार की भी क्षमता थी, लेकिन लकड़ी को गलाने की क्षमता उनके अंदर नही थी। उनके शरीर के अंदर जो भी टॉक्सिक बहते हो, लेकिन लकड़ी और माटी में पाये जाने वाले टॉक्सिक का जवाब उनके पास नही था। और सबसे आखरी में पहुंचा अग्नि जिसे किसी भी विधि से शांत नही किया जा सकता था।


एलियन के शरीर के अंदर हीलिंग और जलिंग मतलब हील होना और जलने का खेल शुरू हो चुका था। तकरीबन डेढ़–दो घंटे बाद आग जंग जीत चुकी थी। धीमी वो मौत इतनी भयवह थी कि मरने से पहले सभी एलियन की मूत लगातार निकल रही थी। और वही हाल उस बचे एलियन का भी था जो अकेला बचा था।


जैसे ही दोनो का काम खत्म हुआ, आर्यमणि ने उस बचे एलियन को अपने पंजे में दबोचा और तेज दौड़ लगा दिया। उसके पीछे रूही भी दौड़ी। पानी का जमाव अब भी 10 फिट से ऊपर का था और आर्यमणि पानी को बीच से चीरकर दो भागों में विभाजित कर, तेजी से भागा। तीनो उस जगह से जब काफी दूर आ गये तब रूही, आर्यमणि के हाथ से उस एलियन को दूर झटक दी और आर्यमणि का चेहरा दोनो हाथ से थामकर उसे देखने लगी।


आर्यमणि:– ऐसे व्याकुलता से क्या देख रही हो..


रूही:– मेरी श्वास अटकी थी। पूरा चेहरा पर आग लगवा लिये...


आर्यमणि, रूही के आंसू पोंछते..... “पगली तुमने भी तो अपनी हथेली में आग लगा ली थी। पर हथेली जली क्या?


रूही:– वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं, कौन सा मंत्र फूंक दिये जो हथेली जली नही?


आर्यमणि:– धिक्कार है तुम्हारे 3 साले के इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर जो बेसिक साइंस नही समझ सकी...


एक झन्नाटेदार घुसा और आर्यमणि की नाक टूट गयी.... “ताने मारोगे तो मैं ऐसे ही तुम्हारा नाक तोड़ दूंगी। अब बताओ”...


आर्यमणि:– टॉक्सिक जो है वो किसी तेल की तरह काम कर रहा था। पहले तेल जलता है उसके बाद उसके नीचे का तल...


रूही, आर्यमणि को गुस्से से घूरती.... “चलो कागज के ऊपर तेल डालकर यह एक्सपेरिमेंट करके दिखाओ”..


आर्यमणि:– अच्छा मैने जो ताना मारा उसका बदला ले रही हो। तुम्हारा दिमाग तो यही कह रहा होगा, किसी तरह नीचा दिखा दो। तो मेरी बुलबुल कागज को मोम की मोटी परत के नीचे होने की कल्पना करो और सोचकर बताओ की आग लगाने के साथ ही कागज राख हो जायेगा...


रूही:– हां ठीक है समझ गयी। ज्यादा ज्ञान बाद में देना, पहले इकलौते जिंदे एलियन से कुछ पूछ लें...


आर्यमणि:– नेकी और पूछ पूछ... क्यों भाई एपेक्स सुपरनैचुरल..... मेरी जान को कहां नंगा घुमाओगे...


एलियन:– मैं पूरे मामले में चुप ही था... केवल आखरी में बोला था... वो भी अपनी जान बचाने के लिये...


रूही:– हां ये सही कह रहा है आर्य... लेकिन पूछो इस से, हमने इसे जिंदा छोड़ दिया तो ये हमारे लिये क्या कर सकता है?


एलियन:– मेरा नाम जुल है। सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी का कमांडर इन चीफ... आप दोनो के बहुत काम आ सकता हूं।


आर्यमणि:– कैसे?


जुल:– पूरी जानकारी... आपके खिलाफ होने वाले हर एक्शन से लेकर हमारे समुदाय की पूरी जानकारी...


आर्यमणि:– जानकारी... हम्म्म... तो चलो पहले यही बता दो की तुम एलियन पृथ्वी से इतना मोह क्यों है?


जुल:– पूरा इतिहास नही पता लेकिन हमारे यहां होने की वजह है इंसान। हम आपस में संभोग करके नए संतान की उत्पत्ति नही कर सकते, इसलिए हम पृथ्वी पर बसे नर और मादा की जरूरत पड़ती है।


आर्यमणि:– इंट्रेस्टिंग.... तो क्या एक एलियन और इंसान के मिलन से जन्म लिया बच्चा एलियन ही होता है?


जुल:– नही... कुछ इंसान होते है तो कुछ एलियन...


आर्यमणि:– हम्मम !!! दोनो की पहचान कैसे होती है। क्या यह पहचान पैदा होते वक्त हो जाती है, या थोड़ा बड़ा होने के बाद।


जुल:– नही पैदा होने के वक्त ही पहचान हो जाती है। इंसानी शिशु में जन्म के वक्त लगभग ३०० हड्डियां होती है, जबकि हमारे शिशु 10३ हड्डियों के साथ जन्म लेते है। बाद में हमारी हड्डियां बढ़कर 206 हो जाती है जबकि इंसानों में घटकर 206 हड्डियां होती है।


आर्यमणि:– ये जो तुम हमारे–हमारे कर रहे हो, ये हमारे ग्रुप है कौन और इसकी उत्पत्ति कहां हुई थी।


जुल:– हमे नायजो कहते है। हमारे होम प्लैनेट विषपर है। वहां से हम हुर्रियंट, शिल्फर, गुरियन और पृथ्वी पर फैले। पृथ्वी वाशी ब्रह्मांड में हो रहे हलचल को जानते तक नहीं, जबकि सकड़ों प्लेनेट एक दूसरे के यहां ऐसे सफर करते है जैसे पृथ्वी पर एक देश से दूसरे देश जाते हो। वैसे हमारे यहां के स्टेशन में यह पूरी सूचना रहती है कि चुपके से कौन एलियन विमान पृथ्वी पर उतरा और वो कहां है। विश्वास मानो नयजो की जितनी जानकारी आपके पास आ चुकी है, उतनी किसी प्लेनेट वालों के पास नही।


रूही:– हम्मम... वाकई काफी रोचक जानकारी है जुल। एक बात बताओ विषपर प्लेनेट से यहां आकर तुम लोग बसे ही क्यों?


जुल:– नए संतान उत्पत्ति के लिये। ज्यादा तो नही पता लेकिन आज भी शुद्ध रूप से नायजो नर और मादा के मिलन से बच्चे पैदा नहीं होते। होते भी है तो वह इतने कमजोर होते है कि जन्म के 2 मिनिट तक भी जिंदा नही रह पाते। जबसे हाइब्रिड आबादी फैली है, तब कहीं जाकर इस समस्या का समाधान हुआ है।


आर्यमणि:– तुम्हे नही लगता की तुम्हारे इस जवाब में एक बहुत बड़ा लेकिन है?


जुल:– हां मैं समझता हूं आप क्या पूछना चाहते हो। हमारे समस्या का जब समाधान हो चुका था, उसके बाद भी नायजो ने पृथ्वी क्यों नही छोड़ा? इसका जवाब थोड़ा विचित्र और बहुत ही ज्यादा घिनौना होने वाला है। विषपर से जिन 4 प्लेनेट पर हमारी आबादी हाइब्रिड के लिये पहुंचे, उनमें से मात्र पृथ्वी ही ऐसा था जिसपर इंसानों के मिलन से नए नायजो की उत्पत्ति हुई। वह नए तो थे ही, साथ में क्षमताओं में पहले से कहीं ज्यादा विकसित भी थे। यहां के हाइब्रिड को फिर बाकी सारे प्लेनेट पर बसाया गया। उनसे संतान उत्पत्ति तो हुई लेकिन जितने क्षमतावान बच्चे इंसानों के मिलन से होते थे, उतने हाइब्रिड नायजो और शुद्ध नायजो के मिलन से नही होते, इसलिए ये लोग पृथ्वी नही छोड़ रहे।


आर्यमणि:– विचित्र वजह का पता चल गया। अब घिनौना वजह भी बता दो...


जुल:– ये लोग इंसानी मांस के भक्षक है। खासकर शिशुओं के। इनके मिलन से जो इंसानी बच्चे पैदा होते है, उनमें से ज्यादातर को ये लोग पकाकर खा जाते है। चाहत ऐसी की विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट तक से लोग इसे खाने पृथ्वी चले आते है। शुरवात में जब नयजो समुदाय पृथ्वी पर बसे और यह घिनौना काम शुरू किया था, तब यहां के आश्रम वालों को यह बात पता चल गयी थी। उन्होंने सबका पृथ्वी पर रहना मुश्किल कर दिया था। फिर बाद में तिक्रम लगाकर हमारे समुदाय के लोगों ने उस आश्रम को ही खत्म कर दिया। आप जिनके पास रहते थे, उनका गला पकड़ोगे तो पूरा इतिहास भी पता चल जायेगा।


आर्यमणि:– कितना घिनौना चेहरा है इन नायजो वालों का। तुम्हे कभी लगा नही की तुम्हे डूब मरना चाहिए...


जुल:– इसमें मैं भी पक्ष रख सकता हूं, लेकिन जाने दो, पक्ष रखने से घटियापन में कोई कमी तो नहीं आयेगी। उम्मीद है पूरी जानकारी मिल गयी होगी।


आर्यमणि:– अभी कहां... अभी तो पहले तुम मुझे अपनी उम्र बताओ। उसके बाद ये बताओ की उज्जवल–अक्षरा, शुकेश–मीनाक्षी ये लोग आपस में शादी किये है और इनके कुछ बच्चे एलियन और कुछ इंसान कैसे?


जुल:– “हां ये दोनो नायजो ही है। वो भी शुद्ध नायजो, जिनकी उम्र 500 साल से भी ज्यादा होगी। मैं पक्का नही जानता लेकिन जो होता है वो बता देता हूं। अभी की जो अक्षरा है, उसी सूरत की एक स्त्री रही होगी। जब उस स्त्री के गर्भ से सभी बच्चों ने जन्म ले लिया होगा, तब उज्जवल की माशूका ने उस इंसानी अक्षरा का शक्ल लिया और उसको मार दिया होगा। 8 साल बाद ये उज्जवल–अक्षरा या शुकेश–मीनाक्षी मारे जायेंगे। फिर ये सभी किसी और नाम और चेहरे से जाने जायेंगे। हां लेकिन होंगे ये सभी किसी न किसी प्रहरी के घर में ही।”

“वैसे दूसरा ये भी हो सकता है कि उज्जवल और अक्षरा नाम से ये दोनो शुरू से कपल थे। हां बस किसी बच्चे का बाप उज्जवल न होगा तो किसी बच्चे की मां अक्षरा।”


आर्यमणि:– बहुत झोल है, इसे इत्मीनान से समझूंगा। खैर, तुमने अपनी उम्र नही बताई रे..


जुल:– मेरी उम्र 27 वर्ष है।


आर्यमणि:– यकीन करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी मान लेते है। चलो नायज़ो की जानकारी तो मिली। अब तुम ये बताओ की मैं कैसे मान लूं की तुम मेरे खिलाफ होने वाले गतिविधि की सूचना मुझ तक पहुंचाओगे? मुझे चीट नही करोगे?


जुल:– न तो मैं बताकर आपको यकीन दिला सकता और न ही आप सुनकर यकीन करने वाले हो। मैं तो बस बता रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। आप भी बता दो मुझे मार रहे या हमारे बीच सौदा तय हो गया।


आर्यमणि:– हम्मम... ठीक हैं जुल, तो सौदा तय हुआ... मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं, बाकी आगे अब देखते है, तुम अपनी जुबान पर कितने खड़े उतरते हो। रूही कॉन्टैक्ट डिटेल लो और आज शाम के बैकअप प्लान में इसे अपने साथ रखना। इनके कम्युनिकेशन सिस्टम में घुसने में ये मदद करेगा। साथ ही ये 27 साल का लड़का, वो 500 साल पुराने एलियन का राज पूरा परिवार सुनेगे। क्यों पलक के अंदर क्ला डालने पर मेरे क्ला उसके शरीर में गलना नही शुरू किये इसे भी जानेंगे। और सबसे अहम की जो एलियन दूसरों का रूप लेते है उनकी पहचान कैसे होगी, इन सब पर चर्चा करेंगे।


रूही:– कॉन्टैक्ट डिटेल क्या लेना शाम हो ही गयी है, इसे भी साथ लिये चलते है। अब चलो यहां से, बच्चों के मैसेज पर मैसेज आ रहे हैं।


आर्यमणि:– क्या कह रहे है...


“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया? यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”


“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

andyking302

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भाग:–115


“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया। यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”

“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...

तीनो घूम फिर कर फिर से कॉटेज से कुछ दूर पहुंचे। अमेरिकन आपदा प्रबंधन के साथ–साथ कई सारे डिपार्टमेंट की गाड़ी वहां लगी हुई थी। वो लोग समुद्र में उठे तूफान की जांच तथा जान–माल की हानी को देख रहे थे। कॉटेज से काफी दूर आर्यमणि ने कार को पार्क किया था, लेकिन समुद्री तूफान ने तो कार को भी नही बक्शा। आस–पास बाढ़ की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी थी। कई मकानों में पानी घुसा था, लेकिन किसी भी इंसान को किसी तरह का नुकसान नही हुआ था।

थोड़ी सी मेहनत के बाद कार शुरू हुई और जैसे ही उस क्षेत्र को पार किये, रूही, आर्यमणि के सर पर ऐसा मारी की उसका सर स्टेयरिंग से जोरदार टकराया।

आर्यमणि, रूही पर गुर्राते.... “तुम्हे नही लगता की तुम्हारा हाथ आजकल काफी ज्यादा चलने लगा है।”

रूही:– अपनी बॉसगिड़ी कहीं और झाड़ना। एक पल के लिये भी ये ख्याल आया की तुम्हारी हरकत से किसी की जान जा सकती थी?

आर्यमणि:– हां पानी का जमावड़ा देखकर मुझे भी अफसोस हुआ। मुझे इस तूफान और समुद्री ज्वार भाटा पर काम करना होगा। ताकि पूर्ण नियंत्रण में नपा–तुला और सुनिश्चित परिणाम मिले।

रूही:– अच्छी बात है। हम कुछ दिन मियामी में ही ट्रेनिंग करेंगे और आगे की योजना में कुछ बदलाव लाने होंगे।

आर्यमणि:– जी बॉस समझ गया। वैसे बात क्या है, आज तुम भी कुछ ज्यादा ही बॉसगिड़ी दिखा रही।

रूही:– ऐसी कोई बात नही है आर्य। तुम्हारी होने वाली पत्नी हूं न, इसलिए तुम्हारा आधा बोझ खुद पर ले रही।

आर्यमणि:– मतलब..

रूही:– जब तुम्हारे सर पर आग लगी तब दिमाग में एक ही ख्याल आया, यदि हर योजना में रिस्क को मैं भी कैलकुलेट करूं तो शायद हम कई तरह के रिस्क पर बात कर सकते है। बस उसके बाद से ही मैने अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया। अब सवाल–जवाब बंद, क्योंकि ये बच्चे मैसेज कर–कर के परेशान कर रहे। लो एक और मैसेज...

आर्यमणि:– क्या लिखा है?

रूही:– अगले १० मिनट में नही पहुंचे तो हम लोग उस जगह पहुंच जायेंगे जहां कांड हुआ है।

आर्यमणि:– हम तो अब 5 मिनट की दूरी पर है। चलो जल्दी से पहुंचा जाये।

5 मिनट में ही दोनो पहुंचे। घर के अंदर का माहोल थोड़ा गरम था। सभी लोग एक ही जगह मौजूद थे। दोनो के पहुंचते ही जो ही बरसे। अलबेली, इवान और ओजल तीनो एक सुर में कहते ही रह गये.... “जब एक्शन के वक्त साथ ले ही नही जाना, तो इतनी ट्रेनिंग करवाने का क्या फायदा।”... गुस्सा थे, रूठे थे, और दोनो (आर्यमणि और रूही) के किसी भी बात का कोई असर ही नही हो रहा था।

जबतक आर्यमणि और रूही ने यह कहा नही की अर्जेंटीना में केवल वही तीनो मिशन को लीड करेंगे, तब तक तीनो का गुस्सा शांत ही नही हुआ। और जब तीनो का गुस्सा शांत हुआ तब उनकी नजर घर आये एक नए मेहमान पर गयी, जिसे आर्यमणि और रूही लेकर पहुंचे थे।

अलबेली:– वैसे साथ में ये कौन है?

रूही:– ये जुल है। एक प्रहरी एलियन.....

जैसे ही रूही ने “एक प्रहरी एलियन” कहा, ठीक उसी वक्त कान फाड़ दहाड़ गूंज गयी। निशांत और संन्यासी शिवम् ने तो अपने कान बंद कर लिये।..... “दीदी इसके सामने से हटो। इसे फाड़कर मैं एलियन को मारने की प्रैक्टिस शुरू करूंगी”... ओजल चिंखती हुई कहने लगी।

ओजल के समर्थन में इवान और अलबेली भी खड़े हो गये। माहोल अब पहले से भी ज्यादा गरम था। आर्यमणि ने इशारा किया और रूही जुल के सामने से हट गयी।.... “हम्मम... तो ठीक है, तुम तीनो मिलकर इसे मार सकते हो तो मार दो।”

आगे फिर कौन बात करता है। तीनो के क्ला बाहर आ चुके थे। तीनो ही अपना शेप शिफ्ट कर चुके थे। जुल को अपने क्ला से फाड़ने के लिये तीनो एक बार में ही कूद गये। कूद तो गये लेकिन जब तीनो हवा में थे, तभी जुल ने बिजली का झटका दे दिया। बिजली का झटका खाकर अलबेली बेसुध नीचे गिरी जा रही थी। किंतु आज ओजल और इवान पर इस बिजली का कोई असर ही नही हुआ।

अलबेली के जमीन पर गिरने से पहले ही आर्यमणि उसे अपने हाथों में ले चुका था। चेहरे पर आये उसके बाल को हटा, प्यार से अलबेली के सर पर हाथ फेरकर हील करते हुये.... “तुम ठीक हो अलबेली”.... अलबेली सुकून से अपना सर आर्यमणि के सीने से लगाती.... “अच्छा लग रहा है दादा। सॉरी दादा आप यहां थे तब भी मैं गुस्से में आ गयी।” उधर इवान और ओजल जैसे ही जुल के सामने खड़े हुये, रूही उन्हे रोकती.... “बस बहुत हुआ। तुम दोनो शांत हो जाओ”...

रूही उन्हे शांत होने क्या कही, दोनो ही रूही को आंख गुर्राते तेज दहाड़े और अपने पंजे को जुल के सीने तक लेकर गये ही थे कि रूही ने वुल्फ कंट्रोल की वह दहाड़ निकाली, जिसे सुन ओजल और इवान सुन्न पड़ गये। दोनो अपना सर पकड़कर बैठते.... “हमे क्यों कंट्रोल कर रही हो। ये मेरे आई के कातिल है। हमे तहखाने पर जीने के लिये इन्होंने ही मजबूर किया था।”

रूही:– दोनो एक दम शांत हो जाओ। वो मेरी भी आई थी।

ओजल:– हां तो तुम इनके साथियों को मारकर अपना दिल हल्का कर आयी हो। मुझे इसे मारना है।

रूही:– ठीक है जाओ...

जैसे ही रूही ने अपना कंट्रोल हटाया वैसे ही ओजल और इवान जुल पर झपट पड़े। आश्चर्य तो तब हो गया जब दोनो अपना पंजा तो जुल पर चलाते, लेकिन वह जुल को न लगकर खाली वार हवा में हो रहा था। दोनो को समझते देर न लगी की यह करस्तानी किसकी है। दोनो तेज गुर्राते हुये निशांत को देखने लगे... “अपना भ्रम जाल हटाओ निशांत”

निशांत:– शिवम् भैया दोनो को शांत तो करो...

जैसे ही ओजल के कान तक यह बात पहुंची ओजल अपनी कलाई की नब्ज को दंश के मणि से काटकर माहोल को फ्रिज करने वाला जादुई मंत्र जोड़ से पढ़ने लगी। अगले ही पल वहां का पूरा माहोल ही फ्रिज हो चुका था। बस जागते हुये वहां 3 लोग ही थे.... ओजल, संन्यासी शिवम् और निशांत...

ओजल:– तुम दोनो जमे क्यों नही...

निशांत:–तुम मंत्रों को बिना सिद्ध किये हुये बलि के माध्यम से खेल रही हो और हमने सारे मंत्र सिद्ध किये है। तुम्हे क्या लगता है तुम्हारा जादू हम पर असर करेगा?

“तुम्हारा तरीका गलत है।” कहते हुये संन्यासी शिवम् ने वहां जल का छिड़काव किया और पूरा माहोल फिर से जीवंत हो गया। बहस का लंबा दौड़ चला। ओजल और इवान का मन जब शांत हुआ, तब अपने किये पर पछताने लगे। लेकिन अभी हुई घटनाओं में ओजल और इवान के हाव–भाव देखते संन्यासी शिवम्...

“गुरुदेव, दोनो का प्रशिक्षण तो आपने किया, लेकिन दोनो में बहुत ज्यादा विलक्षण दिख रहा है। दोनो ही शक्तियों के अधीन होकर शक्ति को खुद पर हावी हो जाने दे रहे है, जबकि आपको इन्हे शक्ति को अपने अधीन कर उस पर काबू रखना सीखाना चाहिए था।”

आर्यमणि:– माफ करना मुझे। आज इनके वजह से मैं वाकई ही शर्मिंदा हूं... आप ओजल और इवान दोनो को अपने साथ लेते जाएं...

इवान:– नही बॉस ऐसा मत कहो... आज ही हमने बस आपा खोया था। वो भी पहली बार जब एलियन को अपने सामने देखा तो काबू न रख पाया..... दिमाग मे बस मां का कातिल ही घूम रहा था।

आर्यमणि:– कुछ इंसान वेयरवोल्फ का शिकर करते है, इसका मतलब जो भी इंसान दिखे उसे मार दो....

कुछ वक्त तक आर्यमणि दोनो को देखता रहा और दोनो अपनी नजरे नीची कर आंख चुराते रहे। कुछ पल की खामोशी के बाद..... “सीधा किसी को भी मारने के नतीजे पर पहुंचना। पैक में से कोई रोके तो उन्हे घूरना और बाली प्रथा से जादू करना.... ऐसा तो मैंने नही सिखाया था।”

जुल:– क्या मुझे कुछ कहने की अनुमति है।

आर्यमणि:– हां बोलो...

जुल:– आप सब में से कभी किसी ने खुद में मेहसूस किया है, या किसी ऐसी घटना को सुना है कि... यदि शक्तियां पास में हो और उसे नियंत्रित करना नही सिख पाये, तो वह शक्तियां दिमाग पर ऐसे हावी हो जाती है कि फिर उस मनुष्य के विलक्षण की गणना भी नही कर सकते। वह अपने आप में एक बॉम्ब की तरह होते है, जो कहां और किस पर फट जाये किसी को भी पता नहीं होता।

संन्यासी शिवम्:– हां मैं इस से भली भांति परिचित हूं। ऐसे मनुष्य जो शक्तियों के साथ जन्म ले, किंतु उन्हे कभी भी न तो अपनी शक्तियों का ज्ञान हो और न ही प्रशिक्षण मिला हो, वह अपनी मृत्यु अपने साथ लिये घूमते है। ये बात हमारे गुरुदेव आर्यमणि भी भली भांति जानते है। वह स्वयं भी इस दौड़ से गुजर चुके थे, जब वो वुल्फ में तब्दील नही हो पा रहे थे। गुरुदेव आपको कुछ कहना है?

आर्यमणि:– हम्मम!!! मैं ये बात क्यों नही समझ पाया। मुझे एहसास था कि शुकेश के अनुवांशिक गुण ओजल और इवान में है। मुझे लगा जब खुद से ये लोग अपनी शक्ति दिखाएंगे, तब उनके प्रशिक्षण के बारे में सोचूंगा लेकिन यहां तो कुछ और ही परिणाम सामने आ गया। दोषी मैं ही हूं।

ओजल:– बॉस आप ऐसे दुखी न हो। दोषी कोई भी नही। हमे अब उपाय पर काम करना है। लेकिन अभी पहले हमे अपने योजना पर ध्यान देना चाहिए। एलियन का कम्युनिकेशन सिस्टम में हमे घुसना है।

रूही:– ओजल सही कह रही है आर्य... हम आज का काम पूरा खत्म करने के बाद ओजल और इवान के बारे में आराम से सोचेंगे।

आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के ओर देखने लगा। संन्यासी शिवम मुस्कुराते... “यहां मुझसे भी गलती हुई है। बिना कारण जाने मैं गलत नतीजे पर पहुंचा था। अंदर के अनियंत्रित शक्ति के साथ भी दोनो इतने संयम में थे, यह सिर्फ आपके ही प्रशिक्षण का नतीजा है गुरुदेव। ओजल सही कह रही है, हमे पहले अपने योजना अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।”

सहमति होते ही सभी लोगों ने जाल बिछा दिया। करना यह था कि सभी इंसानी शिकारी को उनके किराये के घर से बाहर बुलाना था। जब वो लोग बाहर आते तब निशांत उस से टकरा जाता। वो लोग बाहर जब तक निशांत के विषय कुछ भी राय बनाकर वापस घर में अपने आला अधिकारियों से संपर्क करने जाते, इस बीच ओजल और इवान, संन्यासी शिवम् के साथ टेलीपोर्ट होकर सीधा उनके घर में होते और उनके कम्युनिकेशन सिस्टम को हैक कर लेते।

उन इंसानी शिकारी के घर के बाहर जाल तो बिछ चुका था, लेकिन कोई भी सदस्य बाहर नही निकला था। अलबेली जब ध्यान लगाकर उनके घर के अंदर हो रही बातों को सुनी तब पता चला की 4 शिकारी जयदेव से बात कर रहे थे और बचे 4 शिकारी कॉटेज के पास छानबीन के लिये गये थे।

अलबेली ने जैसे ही पूरा ब्योरा दिया, आर्यमणि... “ठीक है ये ऐसे तो बाहर नही आयेंगे। मैं उन्हे बाहर बुलाने की कोशिश करता हूं, और तुम अलबेली कान लगाकर रखो। देखो क्या बातचीत हो रही।

आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर “वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ” करके भेड़ियों वाला दहाड़ लगाया। पीछे से अल्फा पैक ने भी एक साथ सुर मिला दिये। अंदर उन चार शिकारियों की जयदेव से बात चल रही थी। इसी बीच वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर जयदेव के भी कान खड़े हो गये.... “ये तो पूरा एक वुल्फ पैक लगता है। जाकर देखो कौन है और कॉटेज की घटना में कहीं इनका हाथ तो नही।”

जयदेव के आदेश मिलते ही सभी शिकारी अपने घर से बाहर निकले। इधर अलबेली सबको अलर्ट भेज चुकी थी। सब काफी दूर जाकर फैल गये। शिकारियों के बाहर निकलते ही योजना अनुसार संन्यासी शिवम् के साथ ओजल और इवान अंतर्ध्यान होकर सीधा उस जगह पहुंचे जहां से उस घर का करंट सप्लाई था। पूरे घर के करेंट सप्लाई को जैसे ही बंद किया गया, अंदर पूरा अंधेरा।

इवान:– नाइट विजन सीसी टीवी कैमरा लगा है। हमे सीधा इनके काम करने वाली जगह तक लेकर चलिए शिवम् सर।

शिवम्:– वहां भी तो सीसी टीवी कैमरा कवर कर रहा होगा। मुंह ढक लो। हम लोग चोर बनकर घुसेंगे। घर की सारी चीजें गायब कर देंगे। इसी दौरान तुम उनके सिस्टम को हैक भी कर लेना।

ओजल:– अच्छा आइडिया है...

तीनो किसी चोर की तरह ही सामने से घुसे। तीनो पूरे घर में तूफान मचाए थे। घर में जितनी भी उठाने वाली चीजें थी वो सब एक साथ गायब कर चुके थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी हड़बड़ी में निकले थे, और उनका मोबाइल भी घर में ही रह गया था, वह भी गायब।

तीनो अपना काम खत्म करके वहां से सीधा गायब। ओजल और इवान ने मिलकर तुरंत लैपटॉप से काम की चीजों का डेटा बैकअप लिया और सारा सामान किसी चोर को बेचकर निकल गये। वहीं जब वह शिकारी आवाज की दिशा में आगे बढ़ते, घर से कुछ दूर आगे निकले, तभी उनसे निशांत टकरा गया।

निशांत को देखकर वो सभी थोड़े हैरान हुये और निशांत अपने पहचान के एक शिकारी को टोकते.... “अरे जितेंद्र, क्या बात है, इतने बड़े देश में हम टकरा गये? कहीं मेरा पीछा तो नही कर रहे?”

जितेंद्र:– ठीक यही सवाल तो मेरे मन में भी चल रहा है। कहीं तुम तो मेरा पीछा नहीं कर रहे?

निशांत:– तुम क्या हॉट बिकनी गर्ल हो जो मैं तुम्हारा पीछा करूंगा।

जितेंद्र:– तो तुम यहां क्या कर रहे?

निशांत:– मियामी के जन्नत का मजा ले रहे है। और तुम???

जितेंद्र:– कोई चुतिया, प्रहरी का कीमती सामान चोरी कर यहां बेचने की कोशिश कर रहा था, उसी को ढूंढने आये है। तुम यहां हो, चोर यहां है, तो क्या तुम्हारा दोस्त आर्यमणि भी यहां है?

निशांत:– क्या बकवास कर रहे हो बे... ज्यादा होशियार हो गये हो तो बताओ, सारी होशियारी तुम्हारी गांड़ में घुसेड़ दूंगा। मदरचोद कुछ भी कह रहा...

जितेंद्र गुस्से से आगे बढ़ा ही था कि उसके साथी रोकते हुये.... “तुम जाओ निशांत। आज एक लड़की इसका चुटिया काट गयी इसलिए पागल बना है।”

“तो दिमाग ठिकाने लाओ इसके। ज्यादा बोलेगा तो गांड़ में सरिया डालकर मुंह से निकाल दूंगा।”... निशांत चलते–चलते अपनी बात कहा और चलता बना... उसके जाते ही वह जितेंद्र.... “तूने रोक क्यों लिया?”

एक शिकारी:– चोरी का माल मियामी में बिकने के लिये आना, कॉटेज की घटना, वुल्फ पैक की दहाड़, और उसके बाद इसका (निशांत) मिलना। यह मात्र एक संयोग नही हो सकता। इसका दोस्त आर्यमणि जो वुल्फ का पैक बनाकर भागा था, वो यहीं है। और उसने न सिर्फ अनंत कीर्ति की किताब को चुराया था, बल्कि स्वामी के द्वारा चोरी किया हुआ सारा माल यही आर्यमणि लेकर उड़ा था। मदरचोद अकेला लड़का पूरे प्रहरी को पानी पिला दिया।

जितेंद्र:– बात में दम तो है। वर्धराज का पोता ही अलौकिक पत्थर से निकलने वाले संकेत को बंद कर सकता है, यह हमने पहले क्यों नहीं सोचा।

(सुकेश के घर से चोरी के समान में मिला पत्थर जो अपने पीछे निशानी छोड़ता था, जिस संकेत के जरिए प्रहरी वाले अपने पत्थर का पता लगा सकते थे। उसे अपस्यु और आचार्य जी ने निष्क्रिय किया था।)

दूसरा शिकारी:– इसका मतलब ये हुआ कि पिछले 7–8 दिन से ये लोग हम पर नजर रखे थे, और आज मौका मिलते ही हमारे 22 लोगों को जिंदा जला दिया। साले ने कौन सा मंत्र पढ़ा होगा जो समुद्र में तूफान उठा दिया?

(इन प्रहरी शिकारियों को एलियन के विषय में जरा भी ज्ञान नही था। उन्हे मारे गये सभी शिकारी अपनी तरह इंसान ही लगते थे)

तीसरा शिकारी:– जो 22 लोगों को मार सकता है वह हम 4 को क्यों नही मारा? हमे उनके विषय में नही पता था, लेकिन वो अपनी योजना अनुसार ही हमें यहां तक लेकर आये होंगे। जब उन्हे हमे मारना नही था, फिर योजनाबद्ध तरीके से हमे यहां तक लेकर क्यों आया?

जितेंद्र:– कहीं ये हमारे घर में तो नही घुसे?

एक शिकारी:– घर में क्या करने घुसेंगे...

जितेंद्र:– हां वहां तेरी बीवी भी तो नही जो ये डर रहता की उसे पेल देंगे। मदरचोद जब उन्हे हमे मारना नही था तो एक ही कारण बनता है ना, उन्हे हमसे कुछ चाहिए।

दूसरा शिकारी:– उन्होंने यहां न तो हमे मारा और न ही घेरकर कोई पूछताछ किया। मतलब साफ है, हमारे घर में घुसपैठ हुई है। सब घर चलो।

प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

arish8299

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भाग:–115


“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया। यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”

“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...

तीनो घूम फिर कर फिर से कॉटेज से कुछ दूर पहुंचे। अमेरिकन आपदा प्रबंधन के साथ–साथ कई सारे डिपार्टमेंट की गाड़ी वहां लगी हुई थी। वो लोग समुद्र में उठे तूफान की जांच तथा जान–माल की हानी को देख रहे थे। कॉटेज से काफी दूर आर्यमणि ने कार को पार्क किया था, लेकिन समुद्री तूफान ने तो कार को भी नही बक्शा। आस–पास बाढ़ की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी थी। कई मकानों में पानी घुसा था, लेकिन किसी भी इंसान को किसी तरह का नुकसान नही हुआ था।

थोड़ी सी मेहनत के बाद कार शुरू हुई और जैसे ही उस क्षेत्र को पार किये, रूही, आर्यमणि के सर पर ऐसा मारी की उसका सर स्टेयरिंग से जोरदार टकराया।

आर्यमणि, रूही पर गुर्राते.... “तुम्हे नही लगता की तुम्हारा हाथ आजकल काफी ज्यादा चलने लगा है।”

रूही:– अपनी बॉसगिड़ी कहीं और झाड़ना। एक पल के लिये भी ये ख्याल आया की तुम्हारी हरकत से किसी की जान जा सकती थी?

आर्यमणि:– हां पानी का जमावड़ा देखकर मुझे भी अफसोस हुआ। मुझे इस तूफान और समुद्री ज्वार भाटा पर काम करना होगा। ताकि पूर्ण नियंत्रण में नपा–तुला और सुनिश्चित परिणाम मिले।

रूही:– अच्छी बात है। हम कुछ दिन मियामी में ही ट्रेनिंग करेंगे और आगे की योजना में कुछ बदलाव लाने होंगे।

आर्यमणि:– जी बॉस समझ गया। वैसे बात क्या है, आज तुम भी कुछ ज्यादा ही बॉसगिड़ी दिखा रही।

रूही:– ऐसी कोई बात नही है आर्य। तुम्हारी होने वाली पत्नी हूं न, इसलिए तुम्हारा आधा बोझ खुद पर ले रही।

आर्यमणि:– मतलब..

रूही:– जब तुम्हारे सर पर आग लगी तब दिमाग में एक ही ख्याल आया, यदि हर योजना में रिस्क को मैं भी कैलकुलेट करूं तो शायद हम कई तरह के रिस्क पर बात कर सकते है। बस उसके बाद से ही मैने अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया। अब सवाल–जवाब बंद, क्योंकि ये बच्चे मैसेज कर–कर के परेशान कर रहे। लो एक और मैसेज...

आर्यमणि:– क्या लिखा है?

रूही:– अगले १० मिनट में नही पहुंचे तो हम लोग उस जगह पहुंच जायेंगे जहां कांड हुआ है।

आर्यमणि:– हम तो अब 5 मिनट की दूरी पर है। चलो जल्दी से पहुंचा जाये।

5 मिनट में ही दोनो पहुंचे। घर के अंदर का माहोल थोड़ा गरम था। सभी लोग एक ही जगह मौजूद थे। दोनो के पहुंचते ही जो ही बरसे। अलबेली, इवान और ओजल तीनो एक सुर में कहते ही रह गये.... “जब एक्शन के वक्त साथ ले ही नही जाना, तो इतनी ट्रेनिंग करवाने का क्या फायदा।”... गुस्सा थे, रूठे थे, और दोनो (आर्यमणि और रूही) के किसी भी बात का कोई असर ही नही हो रहा था।

जबतक आर्यमणि और रूही ने यह कहा नही की अर्जेंटीना में केवल वही तीनो मिशन को लीड करेंगे, तब तक तीनो का गुस्सा शांत ही नही हुआ। और जब तीनो का गुस्सा शांत हुआ तब उनकी नजर घर आये एक नए मेहमान पर गयी, जिसे आर्यमणि और रूही लेकर पहुंचे थे।

अलबेली:– वैसे साथ में ये कौन है?

रूही:– ये जुल है। एक प्रहरी एलियन.....

जैसे ही रूही ने “एक प्रहरी एलियन” कहा, ठीक उसी वक्त कान फाड़ दहाड़ गूंज गयी। निशांत और संन्यासी शिवम् ने तो अपने कान बंद कर लिये।..... “दीदी इसके सामने से हटो। इसे फाड़कर मैं एलियन को मारने की प्रैक्टिस शुरू करूंगी”... ओजल चिंखती हुई कहने लगी।

ओजल के समर्थन में इवान और अलबेली भी खड़े हो गये। माहोल अब पहले से भी ज्यादा गरम था। आर्यमणि ने इशारा किया और रूही जुल के सामने से हट गयी।.... “हम्मम... तो ठीक है, तुम तीनो मिलकर इसे मार सकते हो तो मार दो।”

आगे फिर कौन बात करता है। तीनो के क्ला बाहर आ चुके थे। तीनो ही अपना शेप शिफ्ट कर चुके थे। जुल को अपने क्ला से फाड़ने के लिये तीनो एक बार में ही कूद गये। कूद तो गये लेकिन जब तीनो हवा में थे, तभी जुल ने बिजली का झटका दे दिया। बिजली का झटका खाकर अलबेली बेसुध नीचे गिरी जा रही थी। किंतु आज ओजल और इवान पर इस बिजली का कोई असर ही नही हुआ।

अलबेली के जमीन पर गिरने से पहले ही आर्यमणि उसे अपने हाथों में ले चुका था। चेहरे पर आये उसके बाल को हटा, प्यार से अलबेली के सर पर हाथ फेरकर हील करते हुये.... “तुम ठीक हो अलबेली”.... अलबेली सुकून से अपना सर आर्यमणि के सीने से लगाती.... “अच्छा लग रहा है दादा। सॉरी दादा आप यहां थे तब भी मैं गुस्से में आ गयी।” उधर इवान और ओजल जैसे ही जुल के सामने खड़े हुये, रूही उन्हे रोकती.... “बस बहुत हुआ। तुम दोनो शांत हो जाओ”...

रूही उन्हे शांत होने क्या कही, दोनो ही रूही को आंख गुर्राते तेज दहाड़े और अपने पंजे को जुल के सीने तक लेकर गये ही थे कि रूही ने वुल्फ कंट्रोल की वह दहाड़ निकाली, जिसे सुन ओजल और इवान सुन्न पड़ गये। दोनो अपना सर पकड़कर बैठते.... “हमे क्यों कंट्रोल कर रही हो। ये मेरे आई के कातिल है। हमे तहखाने पर जीने के लिये इन्होंने ही मजबूर किया था।”

रूही:– दोनो एक दम शांत हो जाओ। वो मेरी भी आई थी।

ओजल:– हां तो तुम इनके साथियों को मारकर अपना दिल हल्का कर आयी हो। मुझे इसे मारना है।

रूही:– ठीक है जाओ...

जैसे ही रूही ने अपना कंट्रोल हटाया वैसे ही ओजल और इवान जुल पर झपट पड़े। आश्चर्य तो तब हो गया जब दोनो अपना पंजा तो जुल पर चलाते, लेकिन वह जुल को न लगकर खाली वार हवा में हो रहा था। दोनो को समझते देर न लगी की यह करस्तानी किसकी है। दोनो तेज गुर्राते हुये निशांत को देखने लगे... “अपना भ्रम जाल हटाओ निशांत”

निशांत:– शिवम् भैया दोनो को शांत तो करो...

जैसे ही ओजल के कान तक यह बात पहुंची ओजल अपनी कलाई की नब्ज को दंश के मणि से काटकर माहोल को फ्रिज करने वाला जादुई मंत्र जोड़ से पढ़ने लगी। अगले ही पल वहां का पूरा माहोल ही फ्रिज हो चुका था। बस जागते हुये वहां 3 लोग ही थे.... ओजल, संन्यासी शिवम् और निशांत...

ओजल:– तुम दोनो जमे क्यों नही...

निशांत:–तुम मंत्रों को बिना सिद्ध किये हुये बलि के माध्यम से खेल रही हो और हमने सारे मंत्र सिद्ध किये है। तुम्हे क्या लगता है तुम्हारा जादू हम पर असर करेगा?

“तुम्हारा तरीका गलत है।” कहते हुये संन्यासी शिवम् ने वहां जल का छिड़काव किया और पूरा माहोल फिर से जीवंत हो गया। बहस का लंबा दौड़ चला। ओजल और इवान का मन जब शांत हुआ, तब अपने किये पर पछताने लगे। लेकिन अभी हुई घटनाओं में ओजल और इवान के हाव–भाव देखते संन्यासी शिवम्...

“गुरुदेव, दोनो का प्रशिक्षण तो आपने किया, लेकिन दोनो में बहुत ज्यादा विलक्षण दिख रहा है। दोनो ही शक्तियों के अधीन होकर शक्ति को खुद पर हावी हो जाने दे रहे है, जबकि आपको इन्हे शक्ति को अपने अधीन कर उस पर काबू रखना सीखाना चाहिए था।”

आर्यमणि:– माफ करना मुझे। आज इनके वजह से मैं वाकई ही शर्मिंदा हूं... आप ओजल और इवान दोनो को अपने साथ लेते जाएं...

इवान:– नही बॉस ऐसा मत कहो... आज ही हमने बस आपा खोया था। वो भी पहली बार जब एलियन को अपने सामने देखा तो काबू न रख पाया..... दिमाग मे बस मां का कातिल ही घूम रहा था।

आर्यमणि:– कुछ इंसान वेयरवोल्फ का शिकर करते है, इसका मतलब जो भी इंसान दिखे उसे मार दो....

कुछ वक्त तक आर्यमणि दोनो को देखता रहा और दोनो अपनी नजरे नीची कर आंख चुराते रहे। कुछ पल की खामोशी के बाद..... “सीधा किसी को भी मारने के नतीजे पर पहुंचना। पैक में से कोई रोके तो उन्हे घूरना और बाली प्रथा से जादू करना.... ऐसा तो मैंने नही सिखाया था।”

जुल:– क्या मुझे कुछ कहने की अनुमति है।

आर्यमणि:– हां बोलो...

जुल:– आप सब में से कभी किसी ने खुद में मेहसूस किया है, या किसी ऐसी घटना को सुना है कि... यदि शक्तियां पास में हो और उसे नियंत्रित करना नही सिख पाये, तो वह शक्तियां दिमाग पर ऐसे हावी हो जाती है कि फिर उस मनुष्य के विलक्षण की गणना भी नही कर सकते। वह अपने आप में एक बॉम्ब की तरह होते है, जो कहां और किस पर फट जाये किसी को भी पता नहीं होता।

संन्यासी शिवम्:– हां मैं इस से भली भांति परिचित हूं। ऐसे मनुष्य जो शक्तियों के साथ जन्म ले, किंतु उन्हे कभी भी न तो अपनी शक्तियों का ज्ञान हो और न ही प्रशिक्षण मिला हो, वह अपनी मृत्यु अपने साथ लिये घूमते है। ये बात हमारे गुरुदेव आर्यमणि भी भली भांति जानते है। वह स्वयं भी इस दौड़ से गुजर चुके थे, जब वो वुल्फ में तब्दील नही हो पा रहे थे। गुरुदेव आपको कुछ कहना है?

आर्यमणि:– हम्मम!!! मैं ये बात क्यों नही समझ पाया। मुझे एहसास था कि शुकेश के अनुवांशिक गुण ओजल और इवान में है। मुझे लगा जब खुद से ये लोग अपनी शक्ति दिखाएंगे, तब उनके प्रशिक्षण के बारे में सोचूंगा लेकिन यहां तो कुछ और ही परिणाम सामने आ गया। दोषी मैं ही हूं।

ओजल:– बॉस आप ऐसे दुखी न हो। दोषी कोई भी नही। हमे अब उपाय पर काम करना है। लेकिन अभी पहले हमे अपने योजना पर ध्यान देना चाहिए। एलियन का कम्युनिकेशन सिस्टम में हमे घुसना है।

रूही:– ओजल सही कह रही है आर्य... हम आज का काम पूरा खत्म करने के बाद ओजल और इवान के बारे में आराम से सोचेंगे।

आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के ओर देखने लगा। संन्यासी शिवम मुस्कुराते... “यहां मुझसे भी गलती हुई है। बिना कारण जाने मैं गलत नतीजे पर पहुंचा था। अंदर के अनियंत्रित शक्ति के साथ भी दोनो इतने संयम में थे, यह सिर्फ आपके ही प्रशिक्षण का नतीजा है गुरुदेव। ओजल सही कह रही है, हमे पहले अपने योजना अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।”

सहमति होते ही सभी लोगों ने जाल बिछा दिया। करना यह था कि सभी इंसानी शिकारी को उनके किराये के घर से बाहर बुलाना था। जब वो लोग बाहर आते तब निशांत उस से टकरा जाता। वो लोग बाहर जब तक निशांत के विषय कुछ भी राय बनाकर वापस घर में अपने आला अधिकारियों से संपर्क करने जाते, इस बीच ओजल और इवान, संन्यासी शिवम् के साथ टेलीपोर्ट होकर सीधा उनके घर में होते और उनके कम्युनिकेशन सिस्टम को हैक कर लेते।

उन इंसानी शिकारी के घर के बाहर जाल तो बिछ चुका था, लेकिन कोई भी सदस्य बाहर नही निकला था। अलबेली जब ध्यान लगाकर उनके घर के अंदर हो रही बातों को सुनी तब पता चला की 4 शिकारी जयदेव से बात कर रहे थे और बचे 4 शिकारी कॉटेज के पास छानबीन के लिये गये थे।

अलबेली ने जैसे ही पूरा ब्योरा दिया, आर्यमणि... “ठीक है ये ऐसे तो बाहर नही आयेंगे। मैं उन्हे बाहर बुलाने की कोशिश करता हूं, और तुम अलबेली कान लगाकर रखो। देखो क्या बातचीत हो रही।

आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर “वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ” करके भेड़ियों वाला दहाड़ लगाया। पीछे से अल्फा पैक ने भी एक साथ सुर मिला दिये। अंदर उन चार शिकारियों की जयदेव से बात चल रही थी। इसी बीच वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर जयदेव के भी कान खड़े हो गये.... “ये तो पूरा एक वुल्फ पैक लगता है। जाकर देखो कौन है और कॉटेज की घटना में कहीं इनका हाथ तो नही।”

जयदेव के आदेश मिलते ही सभी शिकारी अपने घर से बाहर निकले। इधर अलबेली सबको अलर्ट भेज चुकी थी। सब काफी दूर जाकर फैल गये। शिकारियों के बाहर निकलते ही योजना अनुसार संन्यासी शिवम् के साथ ओजल और इवान अंतर्ध्यान होकर सीधा उस जगह पहुंचे जहां से उस घर का करंट सप्लाई था। पूरे घर के करेंट सप्लाई को जैसे ही बंद किया गया, अंदर पूरा अंधेरा।

इवान:– नाइट विजन सीसी टीवी कैमरा लगा है। हमे सीधा इनके काम करने वाली जगह तक लेकर चलिए शिवम् सर।

शिवम्:– वहां भी तो सीसी टीवी कैमरा कवर कर रहा होगा। मुंह ढक लो। हम लोग चोर बनकर घुसेंगे। घर की सारी चीजें गायब कर देंगे। इसी दौरान तुम उनके सिस्टम को हैक भी कर लेना।

ओजल:– अच्छा आइडिया है...

तीनो किसी चोर की तरह ही सामने से घुसे। तीनो पूरे घर में तूफान मचाए थे। घर में जितनी भी उठाने वाली चीजें थी वो सब एक साथ गायब कर चुके थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी हड़बड़ी में निकले थे, और उनका मोबाइल भी घर में ही रह गया था, वह भी गायब।

तीनो अपना काम खत्म करके वहां से सीधा गायब। ओजल और इवान ने मिलकर तुरंत लैपटॉप से काम की चीजों का डेटा बैकअप लिया और सारा सामान किसी चोर को बेचकर निकल गये। वहीं जब वह शिकारी आवाज की दिशा में आगे बढ़ते, घर से कुछ दूर आगे निकले, तभी उनसे निशांत टकरा गया।

निशांत को देखकर वो सभी थोड़े हैरान हुये और निशांत अपने पहचान के एक शिकारी को टोकते.... “अरे जितेंद्र, क्या बात है, इतने बड़े देश में हम टकरा गये? कहीं मेरा पीछा तो नही कर रहे?”

जितेंद्र:– ठीक यही सवाल तो मेरे मन में भी चल रहा है। कहीं तुम तो मेरा पीछा नहीं कर रहे?

निशांत:– तुम क्या हॉट बिकनी गर्ल हो जो मैं तुम्हारा पीछा करूंगा।

जितेंद्र:– तो तुम यहां क्या कर रहे?

निशांत:– मियामी के जन्नत का मजा ले रहे है। और तुम???

जितेंद्र:– कोई चुतिया, प्रहरी का कीमती सामान चोरी कर यहां बेचने की कोशिश कर रहा था, उसी को ढूंढने आये है। तुम यहां हो, चोर यहां है, तो क्या तुम्हारा दोस्त आर्यमणि भी यहां है?

निशांत:– क्या बकवास कर रहे हो बे... ज्यादा होशियार हो गये हो तो बताओ, सारी होशियारी तुम्हारी गांड़ में घुसेड़ दूंगा। मदरचोद कुछ भी कह रहा...

जितेंद्र गुस्से से आगे बढ़ा ही था कि उसके साथी रोकते हुये.... “तुम जाओ निशांत। आज एक लड़की इसका चुटिया काट गयी इसलिए पागल बना है।”

“तो दिमाग ठिकाने लाओ इसके। ज्यादा बोलेगा तो गांड़ में सरिया डालकर मुंह से निकाल दूंगा।”... निशांत चलते–चलते अपनी बात कहा और चलता बना... उसके जाते ही वह जितेंद्र.... “तूने रोक क्यों लिया?”

एक शिकारी:– चोरी का माल मियामी में बिकने के लिये आना, कॉटेज की घटना, वुल्फ पैक की दहाड़, और उसके बाद इसका (निशांत) मिलना। यह मात्र एक संयोग नही हो सकता। इसका दोस्त आर्यमणि जो वुल्फ का पैक बनाकर भागा था, वो यहीं है। और उसने न सिर्फ अनंत कीर्ति की किताब को चुराया था, बल्कि स्वामी के द्वारा चोरी किया हुआ सारा माल यही आर्यमणि लेकर उड़ा था। मदरचोद अकेला लड़का पूरे प्रहरी को पानी पिला दिया।

जितेंद्र:– बात में दम तो है। वर्धराज का पोता ही अलौकिक पत्थर से निकलने वाले संकेत को बंद कर सकता है, यह हमने पहले क्यों नहीं सोचा।

(सुकेश के घर से चोरी के समान में मिला पत्थर जो अपने पीछे निशानी छोड़ता था, जिस संकेत के जरिए प्रहरी वाले अपने पत्थर का पता लगा सकते थे। उसे अपस्यु और आचार्य जी ने निष्क्रिय किया था।)

दूसरा शिकारी:– इसका मतलब ये हुआ कि पिछले 7–8 दिन से ये लोग हम पर नजर रखे थे, और आज मौका मिलते ही हमारे 22 लोगों को जिंदा जला दिया। साले ने कौन सा मंत्र पढ़ा होगा जो समुद्र में तूफान उठा दिया?

(इन प्रहरी शिकारियों को एलियन के विषय में जरा भी ज्ञान नही था। उन्हे मारे गये सभी शिकारी अपनी तरह इंसान ही लगते थे)

तीसरा शिकारी:– जो 22 लोगों को मार सकता है वह हम 4 को क्यों नही मारा? हमे उनके विषय में नही पता था, लेकिन वो अपनी योजना अनुसार ही हमें यहां तक लेकर आये होंगे। जब उन्हे हमे मारना नही था, फिर योजनाबद्ध तरीके से हमे यहां तक लेकर क्यों आया?

जितेंद्र:– कहीं ये हमारे घर में तो नही घुसे?

एक शिकारी:– घर में क्या करने घुसेंगे...

जितेंद्र:– हां वहां तेरी बीवी भी तो नही जो ये डर रहता की उसे पेल देंगे। मदरचोद जब उन्हे हमे मारना नही था तो एक ही कारण बनता है ना, उन्हे हमसे कुछ चाहिए।

दूसरा शिकारी:– उन्होंने यहां न तो हमे मारा और न ही घेरकर कोई पूछताछ किया। मतलब साफ है, हमारे घर में घुसपैठ हुई है। सब घर चलो।

प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।
Super update hamesa ki tarah lajwab
 
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king cobra

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Dusra update na deta hai :cry2:
 
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