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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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nain11ster

Prime
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भाग:–114





आर्यमणि ने जैसे ही उन्हें शुरू होने कहा चारो शिकारी चार दिशा में खड़े हो गये और उनके मध्य में आर्यमणि खड़ा था। सबके हाथ हवा में और अगले ही पल उनके हाथों से बिजली और आग दोनो निकलने लगे। पूरा शरीर तो सुरक्षित था सिवाय सर के। पूरा हमला सर पर हुआ और नतीजा.... आर्यमणि के पूरे चेहरे पर आग लगी थी। आग की लपटें सर से एक फिट ऊपर तक उठ रही थी, जिसमे से बिजली की चिंगारी फूट रही थी।


आर्यमणि का सर धू–धू–धू करके जल रहा था। एक मिनट तक आर्यमणि अपनी जगह से हिला तक नही। आर्यमणि के चेहरे की चमरी जलकर ऐसे गली की वह नीचे चुने लगा। बाल जलकर हवा हो गया। ऊपर से आर्यमणि का सर भट्टी में जले लोहे के समान दिखने लगा। उन चार एलियन को अपनी आंखों पर यकीन न हुआ की आर्यमणि खड़ा कैसे है? किंतु प्रकृति के रहस्य को अभी उन एलियन ने जाना ही कितना था? अभी तो आगे और भी हैरतंगेज घटनाओं को वह देखने वाले थे।


जैसे उन एलियन ने आर्यमणि को पहली बार अपने समुदाय की विस्तृत जानकारी दी थी, ठीक उसी प्रकार आर्यमणि अपना शेप शिफ्ट करके उन्हे प्योर अल्फा से परिचय करवा गया। एलियन बहुत ज्यादा इस नए प्रकार के वेयरवोल्फ के बारे में सोचते, उस से पहले ही वहां जलजला आ चुका था। मौत को भी भयभीत कर दे ऐसी दहाड़। दहाड़ जिसका असर पीछे के रिहायशी इलाकों पर तो नही हुआ, किंतु आगे सैकड़ों मिलों दूर समुद्र तक भयभीत हो उठा।


तेज दहाड़ आर्यमणि के मुख से निकली और वहां का सारा माहोल थर्रा गया। भूमि में जैसे भूकंप समान कंपन हो गयी थी। सागर का पानी ज्वार भाटा बनकर इतने ऊपर उछला की अपने तेज बहाव में वह कॉटेज तक को बहा ले गया। सभी हाथ जो बिजली और आग उगल रहे थे, तेज बहाव में कहां बह गये पता ही नही चला। लेकिन एक गुस्साया भेड़िया अपने शिकार को कैसे छोड़ दे। आज तो क्ला जमीन में भी नही घुसा और जड़ों के रेशों ने चारो एलियन को बांधकर उसके सामने ला खड़ा किया।


जैसा उनकी किस्मत में एक ही वक्त पर कई आश्चर्यचकित घटनाओं को देखना लिखा था। चारो जड़ों में लिपटे ठीक आर्यमणि के सामने थे। आश्चर्य से पड़े नजारा था। जहां आर्यमणि खड़ा था, वहां कुछ दूर तक पानी का नामो निशान नही था। उस जगह के चारो ओर जैसे पानी की ऊंची और बड़ी–बड़ी दीवार बनी थी। एलियन कभी यह करिश्मा देख रहे थे, तो कभी आंखों के सामने खड़े आर्यमणि को। वह अब भी वैसा ही जल रहा था जैसे उन एलियन ने जलाया था। उल्टा आर्यमणि के सर से अग्नि की उफान पहले से और भी ज्यादा जोरों पर थी।


“!!श्री हरि!! के सरण में एक अबोध बालक थे, भक्त प्रह्लाद। और तुम सब सोच भी नही सकते, उस अमर जीवन को जो भक्त प्रह्लाद के पिता हृणकश्यप ने प्राप्त किया था। कहानी पढ़े होते तो पता चलता की कैसे भगवान !!श्रीमन नारायण!! ने नरसिम्हा अवतार लेकर उसे मारा था। तुम्हे जानकर हैरानी होगी की मेरा जन्म और भगवान नरसिम्हा में बहुत बड़ा कनेक्शन है। शायद इसलिए क्योंकि तुम जैसों की लीला मेरे ही हाथों ही समाप्त होनी है।”

“और हां उसी हृणकस्यप की एक बहन थी होलिका। होलिका ने जब वर मांगा था, तब वरदान में अग्नि ही मांग ली। अग्नि पर काबू तो उसने मांग लिया, लेकिन भूल गयी की अग्नि से वो भी नही बच पाये जो इसे काबू में रखना चाहते थे। तू देखेगा... तू देखेगा... तू देखेगा... कैसे अग्नि उन्हे भी नही छोड़ती जो सोचते है उन्होंने अग्नि पर काबू पा लिया.. तो ये देख”...

“आआआ... आआआ... आआआआ.... आआआआ... आआआआआ”..


आर्यमणि जब बोल रहा था तब महज वह इतिहास में वर्णित एक अमर शासक की कहानी नही बता रहा था, बल्कि उसके हर शब्द आने वाले भीषण मौत का एहसास करवा रहा था। उसके हर शब्द कलेजे में जैसे मौत का भय पैदा करवा रहा था। और जब आखरी में उसने अपनी दहाड़ती आवाज के साथ उन्हे मौत के नजारे दिखाने की बात कहा, उसके बाद तो वहां चारो ओर लंबी और गहरी मौत की चीख गूंजती रही। फिर तो उन एलियन के बदन की फास्ट हीलिंग जैसे अभिशाप बन गये हो। वह दर्द भरी खौफनाक चीख अगले 1 घंटे तक गूंजती रही और वो चारो एलियन बस जल्द से जल्द खुद के मृत्यु की कामना करने लगे।


1 घंटे के दर्दनाक धीमी मौत देने के बाद आर्यमणि रूही के ओर शान से देखते.... “क्या मेरी जान को इनकी निकलती चीख सुनकर कुछ सुकून मिला?”


रूही:– उम्ममह... जान जितने इन्होने अपने शब्दों के जख्म दिये थे, उनका हिसाब हो गया।


आर्यमणि:– पूरे सुकून में हो क्या?


रूही:– नही जान अभी तो ये 18 नामुराद और जिंदा है, जिनके शब्द और हंसी मेरे सीने में किसी तीर की तरह चुभ रहे....


आर्यमणि:– हां तो उन्हे तुम अपने हाथों से जिंदा चिता पर लिटा दो।


रूही:– बस इसी के लिये रुकी थी आर्य। सबको मारना है या कुछ पूछने के लिये एक को जिंदा रखना है। वैसे वो दोनो एलियन जिनका मुंह पहले खोले थे, उनमें से एक जिसने तब कुछ नही बोला, वह कुछ ज्यादा फरफरा रहा, जरा उसे भी सुन ले.... बोल बे क्या बोलना है...


रूही ने जैसे ही मुंह पर से बंधन हटाई, वह एलियन गिड़गिड़ाते.... “मुझे ऐसे नही मरना। हमे मारने का आसान तरीका बता देता हूं..


रूही:– ठीक है बताओ...


वह एलियन:– तुम अपने फेंग (जबड़े के कोने पर निकले बड़े–बड़े दांत) से जैसे ही मुझे नोचोगी, मेरा बॉडी मोडिफिकेशन होगा और मैं भी एक वेयरवोल्फ बन जाऊंगा। इसके बाद तुम जैसे चाहो वैसे मार देना।


रूही:– तुम सेकंड लाइन चुतिया हो या थर्ड लाइन।


वह एलियन:– सेकंड लाइन...


रूही:– तुम्हे इनका मुखिया होना चाहिए था। तुम्हे समझ में आ गया हम यहां इनफॉर्मेशन बटोर रहे...


वह एलियन:– मतलब...


रूही:– मतलब ये तेरा चुतिया मुखिया शौर्य जो न समझ पाया, वो तू समझ गया। और हमारे इंट्रेस्ट को देखते हुये तूने भी ऐसा प्रस्ताव दिया, जिसमे हम फंस जाये।


वह एलियन:– क्या कहना चाह रही हो?


रूही:– यही की तेरे अंदर मात्र हीलिंग कैपिसिटी ही नही है, बल्कि शरीर के अंदर कई सारे एसिड दौड़ते हैं। जहां तक मैं समझ पा रही और सरदार खान की बस्ती में जिस हिसाब से तुम एलियन चूतियो का आना जाना था, तुम लोगों ने वेयरवोल्फ ब्लड से अपने शरीर पर कुछ घटिया तरीके का एक्सपेरिमेंट किया है। मैं फेंग तेरे शरीर में घुसाऊंगी और हो सकता है तेरा शरीर मुझे ही पूरा चूस डाले और सूखा छुहारा अवशेष बनकर मैं जमीन पर गिरी मिलूं।


आर्यमणि:– कितनी बातें कर रही हो। काम खत्म करो..


रूही, उस एलियन को कैद से छोड़ती.... “मेरे साथ आओ”... दोनो आर्यमणि के पास पहुंचे। रूही उसे वहीं बैठने बोलकर आर्य के चेहरे को देखने लगी.... “घोस्ट राइडर के जॉनी केज दिख रहे हो। दर्द नही हो रहा क्या? पूरा चेहरा कबसे झुलसा रखा है।”


आर्यमणि:– तो जल्दी काम खत्म करो ना।


“अभी करती हूं बॉस”... रूही अपने हाथ पर चढ़ा दस्ताना नीचे उतार दी। हथेली के ऊपर टॉक्सिक दौड़ने लगा। हथेली जैसे ही आग के संपर्क में आया, पूरा हथेली में आग पकड़ लिया। आर्यमणि की तरह रूही की हथेली से भी आग की लपटें उठ रही थी। दोनो ने अपने दूसरे हथेली से कमांड दिया और जमीन से जड़ बाहर निकलने लगी। जड़ों के ऊपर आधे फिट के मोटे और नुकीले कांटे निकले हुये थे। देखते ही देखते बचे हुए हर एलियन के शरीर में कम से कम २०० कांटे घुस चुके थे। उन सबका शरीर हवा में कांटों के ऊपर बिछा था। दर्द की लंबी और गहरी चीख एलियन के मुख से निकलने लगी।


कांटे की मृत्यु सैल्या पर लिटाने के बाद दोनो ने उसी हथेली से एक और कमांड दिया। कांटेदार जड़ के ऊपर गहरे नीले रंग के जहर को फैलते साफ देखा जा सकता था, जो तेजी से आगे बढ़ते हुये उन कांटों के ऊपर फैल गया जो एलियन के शरीर के अंदर घुसे थे। गला जितना फाड़कर चीख सकते थे, वह तो पहले से ही चीख रहे थे। जहर शरीर के अंदर घुसने के बाद उनके चीख में कोई इजाफा तो नही हो सकता था। किंतु जब उनके शरीर में जहर फैला तब बढ़ते बेइंतहा दर्द की पुकार साफ सुनी जा सकती थी। दर्द से चिंखते और बिलबिलाते एलियन गिड़गिड़ा रहे थे लेकिन आज कुदरत बेरहम थी।


और सबसे आखरी में जहर फैले उन जड़ों पर दोनो ने अपना आग वाला हथेली रख दिया। धू करके आग जली और तुरंत ही पूरी आग जड़ों की रेशों से होते हुये शरीर के अंदर घुसे कांटों तक पहुंच गयी। आग उन सभी एलियन के शरीर के अंदर पहुंच चुकी थी। उन एलियन के शरीर में जिस प्रकार की भी क्षमता थी, लेकिन लकड़ी को गलाने की क्षमता उनके अंदर नही थी। उनके शरीर के अंदर जो भी टॉक्सिक बहते हो, लेकिन लकड़ी और माटी में पाये जाने वाले टॉक्सिक का जवाब उनके पास नही था। और सबसे आखरी में पहुंचा अग्नि जिसे किसी भी विधि से शांत नही किया जा सकता था।


एलियन के शरीर के अंदर हीलिंग और जलिंग मतलब हील होना और जलने का खेल शुरू हो चुका था। तकरीबन डेढ़–दो घंटे बाद आग जंग जीत चुकी थी। धीमी वो मौत इतनी भयवह थी कि मरने से पहले सभी एलियन की मूत लगातार निकल रही थी। और वही हाल उस बचे एलियन का भी था जो अकेला बचा था।


जैसे ही दोनो का काम खत्म हुआ, आर्यमणि ने उस बचे एलियन को अपने पंजे में दबोचा और तेज दौड़ लगा दिया। उसके पीछे रूही भी दौड़ी। पानी का जमाव अब भी 10 फिट से ऊपर का था और आर्यमणि पानी को बीच से चीरकर दो भागों में विभाजित कर, तेजी से भागा। तीनो उस जगह से जब काफी दूर आ गये तब रूही, आर्यमणि के हाथ से उस एलियन को दूर झटक दी और आर्यमणि का चेहरा दोनो हाथ से थामकर उसे देखने लगी।


आर्यमणि:– ऐसे व्याकुलता से क्या देख रही हो..


रूही:– मेरी श्वास अटकी थी। पूरा चेहरा पर आग लगवा लिये...


आर्यमणि, रूही के आंसू पोंछते..... “पगली तुमने भी तो अपनी हथेली में आग लगा ली थी। पर हथेली जली क्या?


रूही:– वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं, कौन सा मंत्र फूंक दिये जो हथेली जली नही?


आर्यमणि:– धिक्कार है तुम्हारे 3 साले के इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर जो बेसिक साइंस नही समझ सकी...


एक झन्नाटेदार घुसा और आर्यमणि की नाक टूट गयी.... “ताने मारोगे तो मैं ऐसे ही तुम्हारा नाक तोड़ दूंगी। अब बताओ”...


आर्यमणि:– टॉक्सिक जो है वो किसी तेल की तरह काम कर रहा था। पहले तेल जलता है उसके बाद उसके नीचे का तल...


रूही, आर्यमणि को गुस्से से घूरती.... “चलो कागज के ऊपर तेल डालकर यह एक्सपेरिमेंट करके दिखाओ”..


आर्यमणि:– अच्छा मैने जो ताना मारा उसका बदला ले रही हो। तुम्हारा दिमाग तो यही कह रहा होगा, किसी तरह नीचा दिखा दो। तो मेरी बुलबुल कागज को मोम की मोटी परत के नीचे होने की कल्पना करो और सोचकर बताओ की आग लगाने के साथ ही कागज राख हो जायेगा...


रूही:– हां ठीक है समझ गयी। ज्यादा ज्ञान बाद में देना, पहले इकलौते जिंदे एलियन से कुछ पूछ लें...


आर्यमणि:– नेकी और पूछ पूछ... क्यों भाई एपेक्स सुपरनैचुरल..... मेरी जान को कहां नंगा घुमाओगे...


एलियन:– मैं पूरे मामले में चुप ही था... केवल आखरी में बोला था... वो भी अपनी जान बचाने के लिये...


रूही:– हां ये सही कह रहा है आर्य... लेकिन पूछो इस से, हमने इसे जिंदा छोड़ दिया तो ये हमारे लिये क्या कर सकता है?


एलियन:– मेरा नाम जुल है। सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी का कमांडर इन चीफ... आप दोनो के बहुत काम आ सकता हूं।


आर्यमणि:– कैसे?


जुल:– पूरी जानकारी... आपके खिलाफ होने वाले हर एक्शन से लेकर हमारे समुदाय की पूरी जानकारी...


आर्यमणि:– जानकारी... हम्म्म... तो चलो पहले यही बता दो की तुम एलियन पृथ्वी से इतना मोह क्यों है?


जुल:– पूरा इतिहास नही पता लेकिन हमारे यहां होने की वजह है इंसान। हम आपस में संभोग करके नए संतान की उत्पत्ति नही कर सकते, इसलिए हम पृथ्वी पर बसे नर और मादा की जरूरत पड़ती है।


आर्यमणि:– इंट्रेस्टिंग.... तो क्या एक एलियन और इंसान के मिलन से जन्म लिया बच्चा एलियन ही होता है?


जुल:– नही... कुछ इंसान होते है तो कुछ एलियन...


आर्यमणि:– हम्मम !!! दोनो की पहचान कैसे होती है। क्या यह पहचान पैदा होते वक्त हो जाती है, या थोड़ा बड़ा होने के बाद।


जुल:– नही पैदा होने के वक्त ही पहचान हो जाती है। इंसानी शिशु में जन्म के वक्त लगभग ३०० हड्डियां होती है, जबकि हमारे शिशु 10३ हड्डियों के साथ जन्म लेते है। बाद में हमारी हड्डियां बढ़कर 206 हो जाती है जबकि इंसानों में घटकर 206 हड्डियां होती है।


आर्यमणि:– ये जो तुम हमारे–हमारे कर रहे हो, ये हमारे ग्रुप है कौन और इसकी उत्पत्ति कहां हुई थी।


जुल:– हमे नायजो कहते है। हमारे होम प्लैनेट विषपर है। वहां से हम हुर्रियंट, शिल्फर, गुरियन और पृथ्वी पर फैले। पृथ्वी वाशी ब्रह्मांड में हो रहे हलचल को जानते तक नहीं, जबकि सकड़ों प्लेनेट एक दूसरे के यहां ऐसे सफर करते है जैसे पृथ्वी पर एक देश से दूसरे देश जाते हो। वैसे हमारे यहां के स्टेशन में यह पूरी सूचना रहती है कि चुपके से कौन एलियन विमान पृथ्वी पर उतरा और वो कहां है। विश्वास मानो नयजो की जितनी जानकारी आपके पास आ चुकी है, उतनी किसी प्लेनेट वालों के पास नही।


रूही:– हम्मम... वाकई काफी रोचक जानकारी है जुल। एक बात बताओ विषपर प्लेनेट से यहां आकर तुम लोग बसे ही क्यों?


जुल:– नए संतान उत्पत्ति के लिये। ज्यादा तो नही पता लेकिन आज भी शुद्ध रूप से नायजो नर और मादा के मिलन से बच्चे पैदा नहीं होते। होते भी है तो वह इतने कमजोर होते है कि जन्म के 2 मिनिट तक भी जिंदा नही रह पाते। जबसे हाइब्रिड आबादी फैली है, तब कहीं जाकर इस समस्या का समाधान हुआ है।


आर्यमणि:– तुम्हे नही लगता की तुम्हारे इस जवाब में एक बहुत बड़ा लेकिन है?


जुल:– हां मैं समझता हूं आप क्या पूछना चाहते हो। हमारे समस्या का जब समाधान हो चुका था, उसके बाद भी नायजो ने पृथ्वी क्यों नही छोड़ा? इसका जवाब थोड़ा विचित्र और बहुत ही ज्यादा घिनौना होने वाला है। विषपर से जिन 4 प्लेनेट पर हमारी आबादी हाइब्रिड के लिये पहुंचे, उनमें से मात्र पृथ्वी ही ऐसा था जिसपर इंसानों के मिलन से नए नायजो की उत्पत्ति हुई। वह नए तो थे ही, साथ में क्षमताओं में पहले से कहीं ज्यादा विकसित भी थे। यहां के हाइब्रिड को फिर बाकी सारे प्लेनेट पर बसाया गया। उनसे संतान उत्पत्ति तो हुई लेकिन जितने क्षमतावान बच्चे इंसानों के मिलन से होते थे, उतने हाइब्रिड नायजो और शुद्ध नायजो के मिलन से नही होते, इसलिए ये लोग पृथ्वी नही छोड़ रहे।


आर्यमणि:– विचित्र वजह का पता चल गया। अब घिनौना वजह भी बता दो...


जुल:– ये लोग इंसानी मांस के भक्षक है। खासकर शिशुओं के। इनके मिलन से जो इंसानी बच्चे पैदा होते है, उनमें से ज्यादातर को ये लोग पकाकर खा जाते है। चाहत ऐसी की विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट तक से लोग इसे खाने पृथ्वी चले आते है। शुरवात में जब नयजो समुदाय पृथ्वी पर बसे और यह घिनौना काम शुरू किया था, तब यहां के आश्रम वालों को यह बात पता चल गयी थी। उन्होंने सबका पृथ्वी पर रहना मुश्किल कर दिया था। फिर बाद में तिक्रम लगाकर हमारे समुदाय के लोगों ने उस आश्रम को ही खत्म कर दिया। आप जिनके पास रहते थे, उनका गला पकड़ोगे तो पूरा इतिहास भी पता चल जायेगा।


आर्यमणि:– कितना घिनौना चेहरा है इन नायजो वालों का। तुम्हे कभी लगा नही की तुम्हे डूब मरना चाहिए...


जुल:– इसमें मैं भी पक्ष रख सकता हूं, लेकिन जाने दो, पक्ष रखने से घटियापन में कोई कमी तो नहीं आयेगी। उम्मीद है पूरी जानकारी मिल गयी होगी।


आर्यमणि:– अभी कहां... अभी तो पहले तुम मुझे अपनी उम्र बताओ। उसके बाद ये बताओ की उज्जवल–अक्षरा, शुकेश–मीनाक्षी ये लोग आपस में शादी किये है और इनके कुछ बच्चे एलियन और कुछ इंसान कैसे?


जुल:– “हां ये दोनो नायजो ही है। वो भी शुद्ध नायजो, जिनकी उम्र 500 साल से भी ज्यादा होगी। मैं पक्का नही जानता लेकिन जो होता है वो बता देता हूं। अभी की जो अक्षरा है, उसी सूरत की एक स्त्री रही होगी। जब उस स्त्री के गर्भ से सभी बच्चों ने जन्म ले लिया होगा, तब उज्जवल की माशूका ने उस इंसानी अक्षरा का शक्ल लिया और उसको मार दिया होगा। 8 साल बाद ये उज्जवल–अक्षरा या शुकेश–मीनाक्षी मारे जायेंगे। फिर ये सभी किसी और नाम और चेहरे से जाने जायेंगे। हां लेकिन होंगे ये सभी किसी न किसी प्रहरी के घर में ही।”

“वैसे दूसरा ये भी हो सकता है कि उज्जवल और अक्षरा नाम से ये दोनो शुरू से कपल थे। हां बस किसी बच्चे का बाप उज्जवल न होगा तो किसी बच्चे की मां अक्षरा।”


आर्यमणि:– बहुत झोल है, इसे इत्मीनान से समझूंगा। खैर, तुमने अपनी उम्र नही बताई रे..


जुल:– मेरी उम्र 27 वर्ष है।


आर्यमणि:– यकीन करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी मान लेते है। चलो नायज़ो की जानकारी तो मिली। अब तुम ये बताओ की मैं कैसे मान लूं की तुम मेरे खिलाफ होने वाले गतिविधि की सूचना मुझ तक पहुंचाओगे? मुझे चीट नही करोगे?


जुल:– न तो मैं बताकर आपको यकीन दिला सकता और न ही आप सुनकर यकीन करने वाले हो। मैं तो बस बता रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। आप भी बता दो मुझे मार रहे या हमारे बीच सौदा तय हो गया।


आर्यमणि:– हम्मम... ठीक हैं जुल, तो सौदा तय हुआ... मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं, बाकी आगे अब देखते है, तुम अपनी जुबान पर कितने खड़े उतरते हो। रूही कॉन्टैक्ट डिटेल लो और आज शाम के बैकअप प्लान में इसे अपने साथ रखना। इनके कम्युनिकेशन सिस्टम में घुसने में ये मदद करेगा। साथ ही ये 27 साल का लड़का, वो 500 साल पुराने एलियन का राज पूरा परिवार सुनेगे। क्यों पलक के अंदर क्ला डालने पर मेरे क्ला उसके शरीर में गलना नही शुरू किये इसे भी जानेंगे। और सबसे अहम की जो एलियन दूसरों का रूप लेते है उनकी पहचान कैसे होगी, इन सब पर चर्चा करेंगे।


रूही:– कॉन्टैक्ट डिटेल क्या लेना शाम हो ही गयी है, इसे भी साथ लिये चलते है। अब चलो यहां से, बच्चों के मैसेज पर मैसेज आ रहे हैं।


आर्यमणि:– क्या कह रहे है...


“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया? यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”


“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...

 

Hellohoney

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Behad sandar update diya he bhai gajab bhot sari jankari nikal li he lekin bhot kuch baki he lekin majha vikrut stree or usse bhi jyada majha to palak or aarya ke aamne samne aane pe aayega ummid he sanday ko padhne ko mile
 

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NAYAJO...hmmm
Bhai ye parajati to kuch jayada hi ghinona hai..
Alian ki upari upri detail to hat lag gayi hai ab dekhana hai ki ye kaise use karte hai..kyuki abhi bhi inke leader k bare me kuch bhi clear nahi hai..
Pencho ek LAKADI se Arya ne inki gad mar li.....
Shandar update bhai
 

Devilrudra

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भाग:–114





आर्यमणि ने जैसे ही उन्हें शुरू होने कहा चारो शिकारी चार दिशा में खड़े हो गये और उनके मध्य में आर्यमणि खड़ा था। सबके हाथ हवा में और अगले ही पल उनके हाथों से बिजली और आग दोनो निकलने लगे। पूरा शरीर तो सुरक्षित था सिवाय सर के। पूरा हमला सर पर हुआ और नतीजा.... आर्यमणि के पूरे चेहरे पर आग लगी थी। आग की लपटें सर से एक फिट ऊपर तक उठ रही थी, जिसमे से बिजली की चिंगारी फूट रही थी।


आर्यमणि का सर धू–धू–धू करके जल रहा था। एक मिनट तक आर्यमणि अपनी जगह से हिला तक नही। आर्यमणि के चेहरे की चमरी जलकर ऐसे गली की वह नीचे चुने लगा। बाल जलकर हवा हो गया। ऊपर से आर्यमणि का सर भट्टी में जले लोहे के समान दिखने लगा। उन चार एलियन को अपनी आंखों पर यकीन न हुआ की आर्यमणि खड़ा कैसे है? किंतु प्रकृति के रहस्य को अभी उन एलियन ने जाना ही कितना था? अभी तो आगे और भी हैरतंगेज घटनाओं को वह देखने वाले थे।


जैसे उन एलियन ने आर्यमणि को पहली बार अपने समुदाय की विस्तृत जानकारी दी थी, ठीक उसी प्रकार आर्यमणि अपना शेप शिफ्ट करके उन्हे प्योर अल्फा से परिचय करवा गया। एलियन बहुत ज्यादा इस नए प्रकार के वेयरवोल्फ के बारे में सोचते, उस से पहले ही वहां जलजला आ चुका था। मौत को भी भयभीत कर दे ऐसी दहाड़। दहाड़ जिसका असर पीछे के रिहायशी इलाकों पर तो नही हुआ, किंतु आगे सैकड़ों मिलों दूर समुद्र तक भयभीत हो उठा।


तेज दहाड़ आर्यमणि के मुख से निकली और वहां का सारा माहोल थर्रा गया। भूमि में जैसे भूकंप समान कंपन हो गयी थी। सागर का पानी ज्वार भाटा बनकर इतने ऊपर उछला की अपने तेज बहाव में वह कॉटेज तक को बहा ले गया। सभी हाथ जो बिजली और आग उगल रहे थे, तेज बहाव में कहां बह गये पता ही नही चला। लेकिन एक गुस्साया भेड़िया अपने शिकार को कैसे छोड़ दे। आज तो क्ला जमीन में भी नही घुसा और जड़ों के रेशों ने चारो एलियन को बांधकर उसके सामने ला खड़ा किया।


जैसा उनकी किस्मत में एक ही वक्त पर कई आश्चर्यचकित घटनाओं को देखना लिखा था। चारो जड़ों में लिपटे ठीक आर्यमणि के सामने थे। आश्चर्य से पड़े नजारा था। जहां आर्यमणि खड़ा था, वहां कुछ दूर तक पानी का नामो निशान नही था। उस जगह के चारो ओर जैसे पानी की ऊंची और बड़ी–बड़ी दीवार बनी थी। एलियन कभी यह करिश्मा देख रहे थे, तो कभी आंखों के सामने खड़े आर्यमणि को। वह अब भी वैसा ही जल रहा था जैसे उन एलियन ने जलाया था। उल्टा आर्यमणि के सर से अग्नि की उफान पहले से और भी ज्यादा जोरों पर थी।


“!!श्री हरि!! के सरण में एक अबोध बालक थे, भक्त प्रह्लाद। और तुम सब सोच भी नही सकते, उस अमर जीवन को जो भक्त प्रह्लाद के पिता हृणकश्यप ने प्राप्त किया था। कहानी पढ़े होते तो पता चलता की कैसे भगवान !!श्रीमन नारायण!! ने नरसिम्हा अवतार लेकर उसे मारा था। तुम्हे जानकर हैरानी होगी की मेरा जन्म और भगवान नरसिम्हा में बहुत बड़ा कनेक्शन है। शायद इसलिए क्योंकि तुम जैसों की लीला मेरे ही हाथों ही समाप्त होनी है।”

“और हां उसी हृणकस्यप की एक बहन थी होलिका। होलिका ने जब वर मांगा था, तब वरदान में अग्नि ही मांग ली। अग्नि पर काबू तो उसने मांग लिया, लेकिन भूल गयी की अग्नि से वो भी नही बच पाये जो इसे काबू में रखना चाहते थे। तू देखेगा... तू देखेगा... तू देखेगा... कैसे अग्नि उन्हे भी नही छोड़ती जो सोचते है उन्होंने अग्नि पर काबू पा लिया.. तो ये देख”...

“आआआ... आआआ... आआआआ.... आआआआ... आआआआआ”..


आर्यमणि जब बोल रहा था तब महज वह इतिहास में वर्णित एक अमर शासक की कहानी नही बता रहा था, बल्कि उसके हर शब्द आने वाले भीषण मौत का एहसास करवा रहा था। उसके हर शब्द कलेजे में जैसे मौत का भय पैदा करवा रहा था। और जब आखरी में उसने अपनी दहाड़ती आवाज के साथ उन्हे मौत के नजारे दिखाने की बात कहा, उसके बाद तो वहां चारो ओर लंबी और गहरी मौत की चीख गूंजती रही। फिर तो उन एलियन के बदन की फास्ट हीलिंग जैसे अभिशाप बन गये हो। वह दर्द भरी खौफनाक चीख अगले 1 घंटे तक गूंजती रही और वो चारो एलियन बस जल्द से जल्द खुद के मृत्यु की कामना करने लगे।


1 घंटे के दर्दनाक धीमी मौत देने के बाद आर्यमणि रूही के ओर शान से देखते.... “क्या मेरी जान को इनकी निकलती चीख सुनकर कुछ सुकून मिला?”


रूही:– उम्ममह... जान जितने इन्होने अपने शब्दों के जख्म दिये थे, उनका हिसाब हो गया।


आर्यमणि:– पूरे सुकून में हो क्या?


रूही:– नही जान अभी तो ये 18 नामुराद और जिंदा है, जिनके शब्द और हंसी मेरे सीने में किसी तीर की तरह चुभ रहे....


आर्यमणि:– हां तो उन्हे तुम अपने हाथों से जिंदा चिता पर लिटा दो।


रूही:– बस इसी के लिये रुकी थी आर्य। सबको मारना है या कुछ पूछने के लिये एक को जिंदा रखना है। वैसे वो दोनो एलियन जिनका मुंह पहले खोले थे, उनमें से एक जिसने तब कुछ नही बोला, वह कुछ ज्यादा फरफरा रहा, जरा उसे भी सुन ले.... बोल बे क्या बोलना है...


रूही ने जैसे ही मुंह पर से बंधन हटाई, वह एलियन गिड़गिड़ाते.... “मुझे ऐसे नही मरना। हमे मारने का आसान तरीका बता देता हूं..


रूही:– ठीक है बताओ...


वह एलियन:– तुम अपने फेंग (जबड़े के कोने पर निकले बड़े–बड़े दांत) से जैसे ही मुझे नोचोगी, मेरा बॉडी मोडिफिकेशन होगा और मैं भी एक वेयरवोल्फ बन जाऊंगा। इसके बाद तुम जैसे चाहो वैसे मार देना।


रूही:– तुम सेकंड लाइन चुतिया हो या थर्ड लाइन।


वह एलियन:– सेकंड लाइन...


रूही:– तुम्हे इनका मुखिया होना चाहिए था। तुम्हे समझ में आ गया हम यहां इनफॉर्मेशन बटोर रहे...


वह एलियन:– मतलब...


रूही:– मतलब ये तेरा चुतिया मुखिया शौर्य जो न समझ पाया, वो तू समझ गया। और हमारे इंट्रेस्ट को देखते हुये तूने भी ऐसा प्रस्ताव दिया, जिसमे हम फंस जाये।


वह एलियन:– क्या कहना चाह रही हो?


रूही:– यही की तेरे अंदर मात्र हीलिंग कैपिसिटी ही नही है, बल्कि शरीर के अंदर कई सारे एसिड दौड़ते हैं। जहां तक मैं समझ पा रही और सरदार खान की बस्ती में जिस हिसाब से तुम एलियन चूतियो का आना जाना था, तुम लोगों ने वेयरवोल्फ ब्लड से अपने शरीर पर कुछ घटिया तरीके का एक्सपेरिमेंट किया है। मैं फेंग तेरे शरीर में घुसाऊंगी और हो सकता है तेरा शरीर मुझे ही पूरा चूस डाले और सूखा छुहारा अवशेष बनकर मैं जमीन पर गिरी मिलूं।


आर्यमणि:– कितनी बातें कर रही हो। काम खत्म करो..


रूही, उस एलियन को कैद से छोड़ती.... “मेरे साथ आओ”... दोनो आर्यमणि के पास पहुंचे। रूही उसे वहीं बैठने बोलकर आर्य के चेहरे को देखने लगी.... “घोस्ट राइडर के जॉनी केज दिख रहे हो। दर्द नही हो रहा क्या? पूरा चेहरा कबसे झुलसा रखा है।”


आर्यमणि:– तो जल्दी काम खत्म करो ना।


“अभी करती हूं बॉस”... रूही अपने हाथ पर चढ़ा दस्ताना नीचे उतार दी। हथेली के ऊपर टॉक्सिक दौड़ने लगा। हथेली जैसे ही आग के संपर्क में आया, पूरा हथेली में आग पकड़ लिया। आर्यमणि की तरह रूही की हथेली से भी आग की लपटें उठ रही थी। दोनो ने अपने दूसरे हथेली से कमांड दिया और जमीन से जड़ बाहर निकलने लगी। जड़ों के ऊपर आधे फिट के मोटे और नुकीले कांटे निकले हुये थे। देखते ही देखते बचे हुए हर एलियन के शरीर में कम से कम २०० कांटे घुस चुके थे। उन सबका शरीर हवा में कांटों के ऊपर बिछा था। दर्द की लंबी और गहरी चीख एलियन के मुख से निकलने लगी।


कांटे की मृत्यु सैल्या पर लिटाने के बाद दोनो ने उसी हथेली से एक और कमांड दिया। कांटेदार जड़ के ऊपर गहरे नीले रंग के जहर को फैलते साफ देखा जा सकता था, जो तेजी से आगे बढ़ते हुये उन कांटों के ऊपर फैल गया जो एलियन के शरीर के अंदर घुसे थे। गला जितना फाड़कर चीख सकते थे, वह तो पहले से ही चीख रहे थे। जहर शरीर के अंदर घुसने के बाद उनके चीख में कोई इजाफा तो नही हो सकता था। किंतु जब उनके शरीर में जहर फैला तब बढ़ते बेइंतहा दर्द की पुकार साफ सुनी जा सकती थी। दर्द से चिंखते और बिलबिलाते एलियन गिड़गिड़ा रहे थे लेकिन आज कुदरत बेरहम थी।


और सबसे आखरी में जहर फैले उन जड़ों पर दोनो ने अपना आग वाला हथेली रख दिया। धू करके आग जली और तुरंत ही पूरी आग जड़ों की रेशों से होते हुये शरीर के अंदर घुसे कांटों तक पहुंच गयी। आग उन सभी एलियन के शरीर के अंदर पहुंच चुकी थी। उन एलियन के शरीर में जिस प्रकार की भी क्षमता थी, लेकिन लकड़ी को गलाने की क्षमता उनके अंदर नही थी। उनके शरीर के अंदर जो भी टॉक्सिक बहते हो, लेकिन लकड़ी और माटी में पाये जाने वाले टॉक्सिक का जवाब उनके पास नही था। और सबसे आखरी में पहुंचा अग्नि जिसे किसी भी विधि से शांत नही किया जा सकता था।


एलियन के शरीर के अंदर हीलिंग और जलिंग मतलब हील होना और जलने का खेल शुरू हो चुका था। तकरीबन डेढ़–दो घंटे बाद आग जंग जीत चुकी थी। धीमी वो मौत इतनी भयवह थी कि मरने से पहले सभी एलियन की मूत लगातार निकल रही थी। और वही हाल उस बचे एलियन का भी था जो अकेला बचा था।


जैसे ही दोनो का काम खत्म हुआ, आर्यमणि ने उस बचे एलियन को अपने पंजे में दबोचा और तेज दौड़ लगा दिया। उसके पीछे रूही भी दौड़ी। पानी का जमाव अब भी 10 फिट से ऊपर का था और आर्यमणि पानी को बीच से चीरकर दो भागों में विभाजित कर, तेजी से भागा। तीनो उस जगह से जब काफी दूर आ गये तब रूही, आर्यमणि के हाथ से उस एलियन को दूर झटक दी और आर्यमणि का चेहरा दोनो हाथ से थामकर उसे देखने लगी।


आर्यमणि:– ऐसे व्याकुलता से क्या देख रही हो..


रूही:– मेरी श्वास अटकी थी। पूरा चेहरा पर आग लगवा लिये...


आर्यमणि, रूही के आंसू पोंछते..... “पगली तुमने भी तो अपनी हथेली में आग लगा ली थी। पर हथेली जली क्या?


रूही:– वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं, कौन सा मंत्र फूंक दिये जो हथेली जली नही?


आर्यमणि:– धिक्कार है तुम्हारे 3 साले के इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर जो बेसिक साइंस नही समझ सकी...


एक झन्नाटेदार घुसा और आर्यमणि की नाक टूट गयी.... “ताने मारोगे तो मैं ऐसे ही तुम्हारा नाक तोड़ दूंगी। अब बताओ”...


आर्यमणि:– टॉक्सिक जो है वो किसी तेल की तरह काम कर रहा था। पहले तेल जलता है उसके बाद उसके नीचे का तल...


रूही, आर्यमणि को गुस्से से घूरती.... “चलो कागज के ऊपर तेल डालकर यह एक्सपेरिमेंट करके दिखाओ”..


आर्यमणि:– अच्छा मैने जो ताना मारा उसका बदला ले रही हो। तुम्हारा दिमाग तो यही कह रहा होगा, किसी तरह नीचा दिखा दो। तो मेरी बुलबुल कागज को मोम की मोटी परत के नीचे होने की कल्पना करो और सोचकर बताओ की आग लगाने के साथ ही कागज राख हो जायेगा...


रूही:– हां ठीक है समझ गयी। ज्यादा ज्ञान बाद में देना, पहले इकलौते जिंदे एलियन से कुछ पूछ लें...


आर्यमणि:– नेकी और पूछ पूछ... क्यों भाई एपेक्स सुपरनैचुरल..... मेरी जान को कहां नंगा घुमाओगे...


एलियन:– मैं पूरे मामले में चुप ही था... केवल आखरी में बोला था... वो भी अपनी जान बचाने के लिये...


रूही:– हां ये सही कह रहा है आर्य... लेकिन पूछो इस से, हमने इसे जिंदा छोड़ दिया तो ये हमारे लिये क्या कर सकता है?


एलियन:– मेरा नाम जुल है। सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी का कमांडर इन चीफ... आप दोनो के बहुत काम आ सकता हूं।


आर्यमणि:– कैसे?


जुल:– पूरी जानकारी... आपके खिलाफ होने वाले हर एक्शन से लेकर हमारे समुदाय की पूरी जानकारी...


आर्यमणि:– जानकारी... हम्म्म... तो चलो पहले यही बता दो की तुम एलियन पृथ्वी से इतना मोह क्यों है?


जुल:– पूरा इतिहास नही पता लेकिन हमारे यहां होने की वजह है इंसान। हम आपस में संभोग करके नए संतान की उत्पत्ति नही कर सकते, इसलिए हम पृथ्वी पर बसे नर और मादा की जरूरत पड़ती है।


आर्यमणि:– इंट्रेस्टिंग.... तो क्या एक एलियन और इंसान के मिलन से जन्म लिया बच्चा एलियन ही होता है?


जुल:– नही... कुछ इंसान होते है तो कुछ एलियन...


आर्यमणि:– हम्मम !!! दोनो की पहचान कैसे होती है। क्या यह पहचान पैदा होते वक्त हो जाती है, या थोड़ा बड़ा होने के बाद।


जुल:– नही पैदा होने के वक्त ही पहचान हो जाती है। इंसानी शिशु में जन्म के वक्त लगभग ३०० हड्डियां होती है, जबकि हमारे शिशु 10३ हड्डियों के साथ जन्म लेते है। बाद में हमारी हड्डियां बढ़कर 206 हो जाती है जबकि इंसानों में घटकर 206 हड्डियां होती है।


आर्यमणि:– ये जो तुम हमारे–हमारे कर रहे हो, ये हमारे ग्रुप है कौन और इसकी उत्पत्ति कहां हुई थी।


जुल:– हमे नायजो कहते है। हमारे होम प्लैनेट विषपर है। वहां से हम हुर्रियंट, शिल्फर, गुरियन और पृथ्वी पर फैले। पृथ्वी वाशी ब्रह्मांड में हो रहे हलचल को जानते तक नहीं, जबकि सकड़ों प्लेनेट एक दूसरे के यहां ऐसे सफर करते है जैसे पृथ्वी पर एक देश से दूसरे देश जाते हो। वैसे हमारे यहां के स्टेशन में यह पूरी सूचना रहती है कि चुपके से कौन एलियन विमान पृथ्वी पर उतरा और वो कहां है। विश्वास मानो नयजो की जितनी जानकारी आपके पास आ चुकी है, उतनी किसी प्लेनेट वालों के पास नही।


रूही:– हम्मम... वाकई काफी रोचक जानकारी है जुल। एक बात बताओ विषपर प्लेनेट से यहां आकर तुम लोग बसे ही क्यों?


जुल:– नए संतान उत्पत्ति के लिये। ज्यादा तो नही पता लेकिन आज भी शुद्ध रूप से नायजो नर और मादा के मिलन से बच्चे पैदा नहीं होते। होते भी है तो वह इतने कमजोर होते है कि जन्म के 2 मिनिट तक भी जिंदा नही रह पाते। जबसे हाइब्रिड आबादी फैली है, तब कहीं जाकर इस समस्या का समाधान हुआ है।


आर्यमणि:– तुम्हे नही लगता की तुम्हारे इस जवाब में एक बहुत बड़ा लेकिन है?


जुल:– हां मैं समझता हूं आप क्या पूछना चाहते हो। हमारे समस्या का जब समाधान हो चुका था, उसके बाद भी नायजो ने पृथ्वी क्यों नही छोड़ा? इसका जवाब थोड़ा विचित्र और बहुत ही ज्यादा घिनौना होने वाला है। विषपर से जिन 4 प्लेनेट पर हमारी आबादी हाइब्रिड के लिये पहुंचे, उनमें से मात्र पृथ्वी ही ऐसा था जिसपर इंसानों के मिलन से नए नायजो की उत्पत्ति हुई। वह नए तो थे ही, साथ में क्षमताओं में पहले से कहीं ज्यादा विकसित भी थे। यहां के हाइब्रिड को फिर बाकी सारे प्लेनेट पर बसाया गया। उनसे संतान उत्पत्ति तो हुई लेकिन जितने क्षमतावान बच्चे इंसानों के मिलन से होते थे, उतने हाइब्रिड नायजो और शुद्ध नायजो के मिलन से नही होते, इसलिए ये लोग पृथ्वी नही छोड़ रहे।


आर्यमणि:– विचित्र वजह का पता चल गया। अब घिनौना वजह भी बता दो...


जुल:– ये लोग इंसानी मांस के भक्षक है। खासकर शिशुओं के। इनके मिलन से जो इंसानी बच्चे पैदा होते है, उनमें से ज्यादातर को ये लोग पकाकर खा जाते है। चाहत ऐसी की विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट तक से लोग इसे खाने पृथ्वी चले आते है। शुरवात में जब नयजो समुदाय पृथ्वी पर बसे और यह घिनौना काम शुरू किया था, तब यहां के आश्रम वालों को यह बात पता चल गयी थी। उन्होंने सबका पृथ्वी पर रहना मुश्किल कर दिया था। फिर बाद में तिक्रम लगाकर हमारे समुदाय के लोगों ने उस आश्रम को ही खत्म कर दिया। आप जिनके पास रहते थे, उनका गला पकड़ोगे तो पूरा इतिहास भी पता चल जायेगा।


आर्यमणि:– कितना घिनौना चेहरा है इन नायजो वालों का। तुम्हे कभी लगा नही की तुम्हे डूब मरना चाहिए...


जुल:– इसमें मैं भी पक्ष रख सकता हूं, लेकिन जाने दो, पक्ष रखने से घटियापन में कोई कमी तो नहीं आयेगी। उम्मीद है पूरी जानकारी मिल गयी होगी।


आर्यमणि:– अभी कहां... अभी तो पहले तुम मुझे अपनी उम्र बताओ। उसके बाद ये बताओ की उज्जवल–अक्षरा, शुकेश–मीनाक्षी ये लोग आपस में शादी किये है और इनके कुछ बच्चे एलियन और कुछ इंसान कैसे?


जुल:– “हां ये दोनो नायजो ही है। वो भी शुद्ध नायजो, जिनकी उम्र 500 साल से भी ज्यादा होगी। मैं पक्का नही जानता लेकिन जो होता है वो बता देता हूं। अभी की जो अक्षरा है, उसी सूरत की एक स्त्री रही होगी। जब उस स्त्री के गर्भ से सभी बच्चों ने जन्म ले लिया होगा, तब उज्जवल की माशूका ने उस इंसानी अक्षरा का शक्ल लिया और उसको मार दिया होगा। 8 साल बाद ये उज्जवल–अक्षरा या शुकेश–मीनाक्षी मारे जायेंगे। फिर ये सभी किसी और नाम और चेहरे से जाने जायेंगे। हां लेकिन होंगे ये सभी किसी न किसी प्रहरी के घर में ही।”

“वैसे दूसरा ये भी हो सकता है कि उज्जवल और अक्षरा नाम से ये दोनो शुरू से कपल थे। हां बस किसी बच्चे का बाप उज्जवल न होगा तो किसी बच्चे की मां अक्षरा।”


आर्यमणि:– बहुत झोल है, इसे इत्मीनान से समझूंगा। खैर, तुमने अपनी उम्र नही बताई रे..


जुल:– मेरी उम्र 27 वर्ष है।


आर्यमणि:– यकीन करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी मान लेते है। चलो नायज़ो की जानकारी तो मिली। अब तुम ये बताओ की मैं कैसे मान लूं की तुम मेरे खिलाफ होने वाले गतिविधि की सूचना मुझ तक पहुंचाओगे? मुझे चीट नही करोगे?


जुल:– न तो मैं बताकर आपको यकीन दिला सकता और न ही आप सुनकर यकीन करने वाले हो। मैं तो बस बता रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। आप भी बता दो मुझे मार रहे या हमारे बीच सौदा तय हो गया।


आर्यमणि:– हम्मम... ठीक हैं जुल, तो सौदा तय हुआ... मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं, बाकी आगे अब देखते है, तुम अपनी जुबान पर कितने खड़े उतरते हो। रूही कॉन्टैक्ट डिटेल लो और आज शाम के बैकअप प्लान में इसे अपने साथ रखना। इनके कम्युनिकेशन सिस्टम में घुसने में ये मदद करेगा। साथ ही ये 27 साल का लड़का, वो 500 साल पुराने एलियन का राज पूरा परिवार सुनेगे। क्यों पलक के अंदर क्ला डालने पर मेरे क्ला उसके शरीर में गलना नही शुरू किये इसे भी जानेंगे। और सबसे अहम की जो एलियन दूसरों का रूप लेते है उनकी पहचान कैसे होगी, इन सब पर चर्चा करेंगे।


रूही:– कॉन्टैक्ट डिटेल क्या लेना शाम हो ही गयी है, इसे भी साथ लिये चलते है। अब चलो यहां से, बच्चों के मैसेज पर मैसेज आ रहे हैं।


आर्यमणि:– क्या कह रहे है...


“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया? यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”


“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...
Waah bhai jabardast maza aa gya 👍👍👍
 
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