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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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nain11ster

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भाग:–5



रक्त स्नान हो रहा हो जैसे। रक्त में सराबोर करने के बाद ऒशुन ने आर्य का हाथ ऊपर, ईडन के मुंह के ओर बढ़ा दी। जैसे ही ईडन ने खून चूसना शुरू किया, आर्यमणि को लगा उसकी नसें फट जायेगी और खून नशों के बाहर बहने लगेगा। काफी दर्द भरि चींख उसके मुंह से निकली और उसकी आखें बंद हो गई।


आर्य के ख्यालों की गहराई मैत्री एक प्यारी सी तस्वीर बनने लगी जिसे देखकर आर्यमणि मुस्कुराने लगा…. "तुम मुझे बहुत प्यारे लगते थे आर्य, अपना ख्याल रखना।".. ख्यालों में आर्य का प्यार, उसे बड़े प्यार से देखती हुई अपना ख्याल रखने कह रही थी।


इधर आखें मूंदे आर्यमणि ख्यालों में ही था तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके कंधे फटकर फ़ैल रहे है। वही हाल पूरे शरीर का था और जब आखें खुली, फ्लोर पर गिरे खून की परछाई में खुद को देखा तो दंग रह गया। चौड़े पंजे बड़े–बड़े नाखून वाले। कान फैलकर लंबी हो गई, शरीर चौड़ा और पौराणिक कथाओं का वो रूप बदल इंसानी–भेड़िया के रूप में आर्यमणि खुद को देख रहा था। अंदर से पूरा आक्रमक और दिमाग में केवल और केवल खून की चाहत। आर्यमणि अपनी हथेली उठाकर सामने जो आया उसे फाड़ने की कोशिश करने लगा। पागलों की तरह चीखने और चिंघाड़ने लगा। बिल्कुल बेकाबू सा एक भेड़िया जो अपने सामने आने वाले पर हमला कर रहा था।


उसकी आक्रमता देखकर वुल्फ हाउस के सभी वुल्फ झूमने लगे, चिल्लाने लगे। सभी वेयरवोल्फ आर्यमणि के बदन से आ रही आकर्षक खून की खुशबू से, उसके बदन पर पागलों की तरह टूट पड़े। आर्यमणि एक पर हमला करता और 20 लोग उसके बदन के खून को जीभ से चाटकर साफ करते हुए, अपने दांत चुभो कर आर्यमणि का खून चूसने लग जाते। दर्द और अक्रमता का मिला जुला तेज आवाज आर्यमणि के मुंह से निकल रहा था। आर्यमणि के होश जैसे गुम थे। जो भी हो रहा था, उसपर आर्यमणि का कोई नियंत्रण नहीं था और न ही खुद के नोचे जाने को वह रोक सकता था। उसके आगे क्या हुआ आर्यमणि को नही पता। उसकी जब आखें खुली तब आसपास बिल्कुल अंधेरा था। उसके नंगे बदन पर पुरा मिट्टी चिपका हुए था। शरीर का अंग-अंग ऐसे टूट रहा था मानो उसमे जान ही बाकी नहीं हो।


कुछ देर तक तेज-तेज श्वांस अंदर बाहर करते, चारो ओर का माहौल देखने लगा। बड़े-बड़े दैत्याकार वृक्ष, चारो ओर सांझ जैसा माहोल। कहां जाना है कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके करीब से हवा गुजरी हो, और कुछ दूर जब आगे नजर गई तो ओशुन खड़ी थी।…. "काफी हॉट लग रहे हो आर्य।"


आर्यमणि ने जब ओशुन की नज़रों का पीछा किया, तब अपने हाथ से अपना लिंग छिपाते खुद को सिकोड़ लिया… खुद की हालत पर थोड़ी शर्मिंदगी महसूस करते आर्य, ओशुन से कहने लगा.…. "क्या तुम मेरे लिए कुछ कपड़े ला सकती हो।"


ओशुन उसे देखकर हंसती हुई उसके करीब गई और कंधे से अपने ड्रेस को सरकाकर जमीन पर गिर जाने दी। ओशुन नीचे से अपनी पोशाक उठाकर आर्यमणि के ओर बढाती हुई… "लो ये पहन लो, मै ऐसे मैनेज कर लूंगी।"..


ओशुन केवल ब्रा और पैंटी में थी। उसके बदन का आकर्षण इतना कामुक था कि आर्यमणि की धैर्य और क्षमता दोनो जवाब दे रही थी, लेकिन किसी तरह खुद पर काबू रखते हुए… "नहीं, ये तुम ही पहन लो, और यहां से चलते है।"..


ओशुन, अपने बचे हुए कपड़े भी उतारकर… "मुझे कोई आपत्ती नहीं यदि यहां से मै नंगी भी जाऊं। यहां हमारे दूसरे प्रजाति के जितने भी शिकारी जानवर है, वो ऐसे ही नंगे रहते है। हां हम उनसे कुछ अलग है, तो हमे भी समझना होगा कि ये बीच की झिझक ना रहे। लेकिन तुम्हे जिस बात के लिए शर्मशार होना चाहिए, वो थी कल रात उन लोगों ने जो तुम्हारे साथ किया, ना की ये कपड़े।


आर्यमणि:- मुझे तो कुछ याद भी नहीं।


ओशुन:- हां मुझे पता है तुम्हे याद नहीं, और ना ही तुम्हे कभी याद आएगा, क्योंकि तुम इन लोगों के लिए खिलौने मात्र हो, जिससे ये हर रात अपना दिल बहलाएंगे। हर सुबह जब तुम जागोगे तो खुद को इसी तरह यूं ही बेबस पाओगे।


आर्यमणि:- हम्मम ! समझ गया। चलो वुल्फ हाउस वापस चलते है। अपने कपड़े पहन लो, तुम्हे नंगे देखकर अजीब सा लग रहा है।


ओशुन:- अजीब क्यों लगेगा, हर कोई तो हॉर्नी ही फील करता है। हां तुम जब होश में होते हो तो खुद को बहुत काबू में रखते हो, ये बात मानने वाली है।


"अब ऐसे दिन आ गए की इसके साथ संभोग करोगी, मै क्या मर गया था ओशुन। हम लोगों को तुम दूर ही फटका कर रखती हो, इस नपुंसक में तुम्हे क्या दिख गया या फिर अपना निजी गुलाम रखने का इरादा तो नहीं?"… वेयरवुल्फ के झुंड से किसी ने ओशुन पर तंज कसा...


"मत सुनो उनकी आओ मेरे पीछे"….. ओशुन अपने कपड़े पहनती हुई कही और दौड़ लगा दी।


आर्यमणि में इतनी हिम्मत नहीं की वो ढंग से चल सके, ओशुन तो क्षण भर में नज़रों से ओझल होने वाले गति में थी। आर्यमणि थका सा ओशुन की दिशा में चल रहा था। जैसे ही वो कुछ दूर आगे बढ़ा पीछे से उसे एक लात परी और वो आगे जमीन पर मुंह के बल गिर गया।


आर्यमणि खड़ा होकर अपने चारो ओर देखा, कहीं कोई नहीं था। वो फिर से आगे बढ़ने लगा। तभी उसे आभाष हुआ कि कोई सामने से आ रहा है। वो किनारे होने की कोशिश करने लगा, लेकिन तभी सामने से उसके अंडकोष पर तेज लात परी और दर्द से बिलबिलाता हुआ वो बेहोश हो गया।


आखें जब खुली तब कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा था। चारो ओर घनघोर अंधेरा। कानो में भेड़ियों के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। इधर से आर्यमणि भी चिल्लाने लगा। जैसे ही सबने आर्यमणि की आवाज़ सुनी, भेड़ियों का बड़ा सा झुंड उसके समीप आकर खड़ा हो गया। फिर तो सभी भेड़िए जैसे पागल हो गए हो। हर कोई अपना फेंग (बड़े नुकीले दांत) आर्यमणि के शरीर में घुसाकर खून चूसने लगा। कुछ मनमौजी वेयरवॉल्फ आर्यमणि के पिछवाड़े कांटेदार तार में लिपटी डंडे घुसा रहे थे, तो कोई बॉटल ही घुसेड़ देता। हालत बेसुध सी थी। 20 नोचने वाले एक साथ लगे होते, तो 20 अपनी बारी आने का इंतजार करते। बिलकुल किसी खौफनाक सपने की तरह।


आर्यमणि के लिए क्या भोर और क्या सांझ। आंखे जब भी खुलती चारो ओर अंधेरा। नंगा बदन पूरा मिट्टी में लिप्त और पूरे शरीर में बस आंख की पुतलियां ही आर्यमणि हिला सकता था, बाकी इतनी जान नही बची होती की वो उंगली भी हिला सके। आंख खुलने के बाद जैसे–जैसे वक्त बीतता शरीर में कुछ–कुछ ऊर्जा का संचार होने लगता। और जैसे ही आर्यमणि उठकर खड़ा होता, फिर से वही सब दोहराने लगता।


जैसे एक चक्र सा बन गया हो। आंख खुली और लगभग 2 घंटे में पूरी ऊर्जा समेटने के बाद फिर से वेयरवोल्फ की कुरूरता शुरू। किसी एक दिन जब आर्य की आखें खुली उसके साथ एक ही अच्छी बात हुई, उसके बदन पर पानी की फुहार पड़ी, रोम-रोम खिल उठा। लेकिन ये खुशी कुछ देर की ही मेहमान थी। क्योंकि पूरे चंद्रमा अर्थात पूर्णिमा की रात थी जिसमे वेयरवोल्फ की ताकत और आक्रमता अपने चरम पर होती है। शाम ढल चुकी थी और उगते हुए चंद्रमा के साथ आर्यमणि का वुल्फ भी खुद व खुद बाहर आने लगा था।


जैसे ही उसके अंदर का वुल्फ बाहर आया वो पूरी तरह से आक्रमक हो चुका था। घनघोर अंधेरे मे भी सामने का नजारा सब कुछ साफ़-साफ़ नजर आ रहा था। चारो ओर ईडन और उसके वुल्फ तेज-तेज हंस रहे थे। आर्यमणि ने उन सब पर हमला करना शुरू कर दिया और फिर से वही नतीजा हुआ। हर कोई उसके बदन से लगा हुए था और और अपने तेज दांत चुभोकर अंदर के खून को चूसना शुरू कर चुका था।


एक बार फिर से वही सब दोहराया गया। आर्यमणि की जब आखें खुली, फिर से चारो ओर का वैसा ही नजारा था। जंगल के बीच बिल्कुल काला घनघोर माहौल। ऐसा लगा रहा था जैसे ब्लैक फॉरेस्ट में उसकी किस्मत ही ब्लैक लिखी जा चुकी है।


एक दिन जब आर्यमणि की आंखे खुली, ओशुन उसके करीब थी, लेकिन आज आर्यमणि के पास ना तो कहने के लिए कोई शब्द थे और ना ही कुछ सुनने का मन था। शायद ओशुन उसकी भावना को पढ़ चुकी थी… "तुम वही आर्यमणि हो ना जो विषम से विषम परिस्थिति में भी निकलने का क्षमता रखता है।"..


आर्यमणि:- प्लीज तुम यहां से चली जाओ। मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो।


ओशुन:- तुम यदि सोचते हो कि शूहोत्र तुम्हारे पास आएगा और तुम्हे ब्लैक फॉरेस्ट से निकालकर वापस इंडिया भेज देगा तो तुम बहुत बड़े बेवकूफ हो। हां उसका लगाव मैत्री से काफी अधिक था, लेकिन इस चक्कर में वो 3 नियम तोड़ चुका है और जितनी सजा तुम्हे यहां मिल रही है, तुम्हे यहां फंसाकर वो अपनी गलती सुधार चुका है, वरना तुम्हारी जगह अभी सुहोत्र होता। अभी वो वुल्फ हाउस में बड़े मज़े की जिंदगी जी रहा है।


आर्यमणि हैरानी से ओशुन के ओर देखते हुए मानो पूछने की कोशिश कर रहा हो ऐसा क्या हो गया जो शुहोत्र ने मुझे फंसा दिया? ओशुन उसके आखों कि भाषा को समझती हुई कहने लगी…

"एक वुल्फ पैक में एक अल्फा होता है और एक हॉफ अल्फा होते है। उसके नीचे बीटा होता है। अल्फा के मिलन या बाइट से एक कमजोर बीटा पैदा होता है। वैसे मैं बता दूं कि बाइट के अलग नियम है। जिस इंसान को अल्फा वेयरवोल्फ का बाइट दिया गया हो, अगर उस इंसानी शरीर के इम्यून सिस्टम ने बाइट के बाद चेंज को एक्सेप्ट किया तभी वह वेयरवॉल्फ बन सकता है, वरना मर जायेगा।"

"जबकि एक बीटा वुल्फ कभी भी अपने बाइट से दूसरा बीटा नहीं बना सकता है। तुम्हे या तो शूहोत्र के बाइट से मर जाना चाहिए था या फिर जिंदा बच गए तो बीटा यानी शूहोत्र का काम था तुम्हे मार देना। अब सुनो सुहोत्र ने अपने पैक के कौन–कौन नियम भंग किया था। शूहोत्र की पहली गलती, सबके मना करने के बावजूद वो अकेला गया, वुल्फ पैक का सबसे बड़ा नियम टूटा। दूसरी गलती उसने अपनी बाइट तुम्हे दी, फिर चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। तीसरी गलती जब तुम उसके बाइट से जिंदा बच गए तो तुम्हे मारा क्यों नहीं?"

"अब तुम्हे जारा यहां की कहानी भी बता दू। ईडन, वुल्फ फैमिली की सबसे शक्तिशाली वुल्फ है। उसे फर्स्ट अल्फा कहा जाता है। इसके अंदर 3-4 वुल्फ पैक रहते हैं जैसे कि तुम यहां देख रहे हो। आर्य, शूहोत्र को हमदर्दी तो है तुमसे, लेकिन जब खुद की जान बचानी होती है तो लोग स्वार्थी हो जाते है।"

"पैक से निकाले गए वुल्फ को ओमेगा कहते है। एक ओमेगा की जिंदगी कितने दिनों की होती है, ये बात शूहोत्र को मैत्री के मौत के साथ ही समझ में आ चुकी थी। यहां के लोगों के लिए एक रात के मनोरंजन के लिए तुम्हे यहां लाया गया था। हर कोई यही समझ रहा था कि एक बीटा ने तुम्हे काटा है और तुम केवल जिंदा बच गए हो। तुम्हारे अंदर का ताजा खून चूसकर तुम्हे उस सभा में नोचकर मार डालने का प्लान था, लेकिन तुम्हारी किस्मत उससे भी ज्यादा खराब निकली।"

"तुम दुनिया के सबसे दुर्बल वुल्फ बने, जिसमे केवल घाव भरने की क्षमता है, इस से ज्यादा कुछ नहीं। तुम्हे खुद भी पता नहीं तुम रात को क्या खाते हो, सुबह को क्या खाते हो। जरा देखो अपनी ओर। कुछ दिनों में तुम्हरे बदन का बचा मांस भी खत्म हो जाएगा। फिक्र मत करो तुम फिर भी नहीं मारोगे। जब आखें खुलेगी तुम खुद को यहां पाओगे। बिल्कुल तन्हा, अकेला और लाचार। ना तो तुम यहां किसी से लड़ सकते हो और ना ही मर सकते हो। कल मैंने तुम्हे बाइट किया था अंदर झांकने और जानते हो क्या पाई…"


आर्यमणि:- क्या ?


ओशुन:- "जंगल में जब तुम उस औरत दिव्या की जान बचाकर वहां शूहोत्र को देखे, तो 6 महीने से जिसकी कोई खबर नहीं मिली, यानी की तुम्हारा प्यार मैत्री, उसके बारे में तुम्हे कोई तो खबर मिले, बस इसी इरादे से तुम उसी वक़्त शूहोत्र से मिलना चाह रहे थे। लेकिन फिर तुम्हारी नज़र वहां के मिट्टी पर गई और तुम्हारा दिल जोड़ों से धड़का। तुम्हे ऐसा मेहसूस हुआ जैसे तुम्हारी सारी खुशियां इसी मिट्टी के अंदर दफन है।"

"इसी एहसास ने तुम्हे पागल कर दिया। लेकिन उस वक़्त पुलिस आने वाली थी और तुम वहां खुदाई नहीं कर सकते थे, बस इसी के चलते तुम्हे रात में आना पड़ा। तुमने जब मैत्री का आधा कटा धर देखा तब तुम अंदर से रोए लेकिन ऊपर आशु नहीं थे। उस लॉकेट मे कोई जादू नहीं था, बस मैत्री की रोती हुई आत्मा थी, जो तुम्हे अपना असली रूप दिखा रही थी और वहां से भागने कह रही थी। जब मै तुम्हारे रिश्ते की गहराई को समझ सकती हूं तो फिर शूहोत्र क्यों नहीं।"

"शूहोत्र के उस बाइट का नतीजा यह हुआ कि वो अपने पैक में सामिल हो गया और तुम यहां कीड़े की ज़िंदगी जी रहे हो। सुहोत्र बाइट देने के साथ ही सब कुछ प्लान कर चुका था, जबकि उस वक्त तुम उसकी जान बचा रहे थे और वो तुम्हे पूरी तरह से फसाने का प्लान बना रहा था। आर्य हर अच्छाई, अच्छा नतीजा नहीं लाती।"


आर्यमणि:- ओशुन क्या तुम मुझे यहां से निकलने में मदद करोगी?


ओशुन:- मै नियम से बंधी हूं आर्य। तुम्हे मैंने जितनी भी बातें बताई वो मै बता सकती हूं, इसलिए बताई। ना तो तुम्हे यहां अपने सवालों के जवाब मिलेगा और ना ही जिंदगी। जाते-जाते एक ही बात कहूंगी… शुहोत्र की जान बचाने के लिए, जिन शिकारीयों को उस रात तुमने चकमा दिया था, उसे यहां के 2 अल्फा पैक साथ मिलकर भी चकमा नहीं दे सकते थे। अब मै चलती हूं। अपना ख्याल रखना।


जब शरीर ही पूरा खत्म हो गया हो। निर्बलता और तृष्कार ने जहां दिमाग को सदमे में भेज दिया हो। ऐसे इंसान को कही गई बात कितनी समझ आएगी और वो कही गई बातों का कितना अर्थपूर्ण आकलन कर पाएगा। ओशुन, भंवर में फंसे आर्यमणि का चक्र तोड़कर उसे यह एहसास करवाने की कोशिश तो कर गई, "की वह क्या है और उसकी क्या क्षमता है?"


लेकिन क्या आर्यमणि के अंदर वह हौसला बचा था, जो कभी वो गंगटोक के जंगल में प्रदर्शित करता था? क्या वही आत्मविश्वास और किसी भी विषम परिस्थिति से निकलने का जोश अब भी बचा था?
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
Staff member
Sectional Moderator
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Wahhh nain11ster bhai kya mast update hai maja aagya. such me apne arya ki itni buri halt ho gayi hai ye read karke bahut jyada bura laga bhai. Aur ye suhotra ne to apne hero ko jaan bachaneka fal use hi ulta fasa kar diya. lakin koi nahi itna to pata chal gaya hai apna hero yaha se bahar niklega bhale hi uske liye kuch bhi karna pade ha lakin usase phle use abhi sayad aur bhi bahut kuchh jhelna hoga. Ab dekhte hai apne hero sbse kaise badla leta hai. Apne 1st liver kr maout ka aur sath me uske sath ye sb karne ka. Chorega to wo kisi ko nahi dekhte hai ab kya hota hai. Bahut besabri se aapke next update ka wait hai bhai.
भाग:–5



रक्त स्नान हो रहा हो जैसे। रक्त में सराबोर करने के बाद ऒशुन ने आर्य का हाथ ऊपर, ईडन के मुंह के ओर बढ़ा दी। जैसे ही ईडन ने खून चूसना शुरू किया, आर्यमणि को लगा उसकी नसें फट जायेगी और खून नशों के बाहर बहने लगेगा। काफी दर्द भरि चींख उसके मुंह से निकली और उसकी आखें बंद हो गई।


आर्य के ख्यालों की गहराई मैत्री एक प्यारी सी तस्वीर बनने लगी जिसे देखकर आर्यमणि मुस्कुराने लगा…. "तुम मुझे बहुत प्यारे लगते थे आर्य, अपना ख्याल रखना।".. ख्यालों में आर्य का प्यार, उसे बड़े प्यार से देखती हुई अपना ख्याल रखने कह रही थी।


इधर आखें मूंदे आर्यमणि ख्यालों में ही था तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके कंधे फटकर फ़ैल रहे है। वही हाल पूरे शरीर का था और जब आखें खुली, फ्लोर पर गिरे खून की परछाई में खुद को देखा तो दंग रह गया। चौड़े पंजे बड़े–बड़े नाखून वाले। कान फैलकर लंबी हो गई, शरीर चौड़ा और पौराणिक कथाओं का वो रूप बदल इंसानी–भेड़िया के रूप में आर्यमणि खुद को देख रहा था। अंदर से पूरा आक्रमक और दिमाग में केवल और केवल खून की चाहत। आर्यमणि अपनी हथेली उठाकर सामने जो आया उसे फाड़ने की कोशिश करने लगा। पागलों की तरह चीखने और चिंघाड़ने लगा। बिल्कुल बेकाबू सा एक भेड़िया जो अपने सामने आने वाले पर हमला कर रहा था।


उसकी आक्रमता देखकर वुल्फ हाउस के सभी वुल्फ झूमने लगे, चिल्लाने लगे। सभी वेयरवोल्फ आर्यमणि के बदन से आ रही आकर्षक खून की खुशबू से, उसके बदन पर पागलों की तरह टूट पड़े। आर्यमणि एक पर हमला करता और 20 लोग उसके बदन के खून को जीभ से चाटकर साफ करते हुए, अपने दांत चुभो कर आर्यमणि का खून चूसने लग जाते। दर्द और अक्रमता का मिला जुला तेज आवाज आर्यमणि के मुंह से निकल रहा था। आर्यमणि के होश जैसे गुम थे। जो भी हो रहा था, उसपर आर्यमणि का कोई नियंत्रण नहीं था और न ही खुद के नोचे जाने को वह रोक सकता था। उसके आगे क्या हुआ आर्यमणि को नही पता। उसकी जब आखें खुली तब आसपास बिल्कुल अंधेरा था। उसके नंगे बदन पर पुरा मिट्टी चिपका हुए था। शरीर का अंग-अंग ऐसे टूट रहा था मानो उसमे जान ही बाकी नहीं हो।


कुछ देर तक तेज-तेज श्वांस अंदर बाहर करते, चारो ओर का माहौल देखने लगा। बड़े-बड़े दैत्याकार वृक्ष, चारो ओर सांझ जैसा माहोल। कहां जाना है कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके करीब से हवा गुजरी हो, और कुछ दूर जब आगे नजर गई तो ओशुन खड़ी थी।…. "काफी हॉट लग रहे हो आर्य।"


आर्यमणि ने जब ओशुन की नज़रों का पीछा किया, तब अपने हाथ से अपना लिंग छिपाते खुद को सिकोड़ लिया… खुद की हालत पर थोड़ी शर्मिंदगी महसूस करते आर्य, ओशुन से कहने लगा.…. "क्या तुम मेरे लिए कुछ कपड़े ला सकती हो।"


ओशुन उसे देखकर हंसती हुई उसके करीब गई और कंधे से अपने ड्रेस को सरकाकर जमीन पर गिर जाने दी। ओशुन नीचे से अपनी पोशाक उठाकर आर्यमणि के ओर बढाती हुई… "लो ये पहन लो, मै ऐसे मैनेज कर लूंगी।"..


ओशुन केवल ब्रा और पैंटी में थी। उसके बदन का आकर्षण इतना कामुक था कि आर्यमणि की धैर्य और क्षमता दोनो जवाब दे रही थी, लेकिन किसी तरह खुद पर काबू रखते हुए… "नहीं, ये तुम ही पहन लो, और यहां से चलते है।"..


ओशुन, अपने बचे हुए कपड़े भी उतारकर… "मुझे कोई आपत्ती नहीं यदि यहां से मै नंगी भी जाऊं। यहां हमारे दूसरे प्रजाति के जितने भी शिकारी जानवर है, वो ऐसे ही नंगे रहते है। हां हम उनसे कुछ अलग है, तो हमे भी समझना होगा कि ये बीच की झिझक ना रहे। लेकिन तुम्हे जिस बात के लिए शर्मशार होना चाहिए, वो थी कल रात उन लोगों ने जो तुम्हारे साथ किया, ना की ये कपड़े।


आर्यमणि:- मुझे तो कुछ याद भी नहीं।


ओशुन:- हां मुझे पता है तुम्हे याद नहीं, और ना ही तुम्हे कभी याद आएगा, क्योंकि तुम इन लोगों के लिए खिलौने मात्र हो, जिससे ये हर रात अपना दिल बहलाएंगे। हर सुबह जब तुम जागोगे तो खुद को इसी तरह यूं ही बेबस पाओगे।


आर्यमणि:- हम्मम ! समझ गया। चलो वुल्फ हाउस वापस चलते है। अपने कपड़े पहन लो, तुम्हे नंगे देखकर अजीब सा लग रहा है।


ओशुन:- अजीब क्यों लगेगा, हर कोई तो हॉर्नी ही फील करता है। हां तुम जब होश में होते हो तो खुद को बहुत काबू में रखते हो, ये बात मानने वाली है।


"अब ऐसे दिन आ गए की इसके साथ संभोग करोगी, मै क्या मर गया था ओशुन। हम लोगों को तुम दूर ही फटका कर रखती हो, इस नपुंसक में तुम्हे क्या दिख गया या फिर अपना निजी गुलाम रखने का इरादा तो नहीं?"… वेयरवुल्फ के झुंड से किसी ने ओशुन पर तंज कसा...


"मत सुनो उनकी आओ मेरे पीछे"….. ओशुन अपने कपड़े पहनती हुई कही और दौड़ लगा दी।


आर्यमणि में इतनी हिम्मत नहीं की वो ढंग से चल सके, ओशुन तो क्षण भर में नज़रों से ओझल होने वाले गति में थी। आर्यमणि थका सा ओशुन की दिशा में चल रहा था। जैसे ही वो कुछ दूर आगे बढ़ा पीछे से उसे एक लात परी और वो आगे जमीन पर मुंह के बल गिर गया।


आर्यमणि खड़ा होकर अपने चारो ओर देखा, कहीं कोई नहीं था। वो फिर से आगे बढ़ने लगा। तभी उसे आभाष हुआ कि कोई सामने से आ रहा है। वो किनारे होने की कोशिश करने लगा, लेकिन तभी सामने से उसके अंडकोष पर तेज लात परी और दर्द से बिलबिलाता हुआ वो बेहोश हो गया।


आखें जब खुली तब कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा था। चारो ओर घनघोर अंधेरा। कानो में भेड़ियों के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। इधर से आर्यमणि भी चिल्लाने लगा। जैसे ही सबने आर्यमणि की आवाज़ सुनी, भेड़ियों का बड़ा सा झुंड उसके समीप आकर खड़ा हो गया। फिर तो सभी भेड़िए जैसे पागल हो गए हो। हर कोई अपना फेंग (बड़े नुकीले दांत) आर्यमणि के शरीर में घुसाकर खून चूसने लगा। कुछ मनमौजी वेयरवॉल्फ आर्यमणि के पिछवाड़े कांटेदार तार में लिपटी डंडे घुसा रहे थे, तो कोई बॉटल ही घुसेड़ देता। हालत बेसुध सी थी। 20 नोचने वाले एक साथ लगे होते, तो 20 अपनी बारी आने का इंतजार करते। बिलकुल किसी खौफनाक सपने की तरह।


आर्यमणि के लिए क्या भोर और क्या सांझ। आंखे जब भी खुलती चारो ओर अंधेरा। नंगा बदन पूरा मिट्टी में लिप्त और पूरे शरीर में बस आंख की पुतलियां ही आर्यमणि हिला सकता था, बाकी इतनी जान नही बची होती की वो उंगली भी हिला सके। आंख खुलने के बाद जैसे–जैसे वक्त बीतता शरीर में कुछ–कुछ ऊर्जा का संचार होने लगता। और जैसे ही आर्यमणि उठकर खड़ा होता, फिर से वही सब दोहराने लगता।


जैसे एक चक्र सा बन गया हो। आंख खुली और लगभग 2 घंटे में पूरी ऊर्जा समेटने के बाद फिर से वेयरवोल्फ की कुरूरता शुरू। किसी एक दिन जब आर्य की आखें खुली उसके साथ एक ही अच्छी बात हुई, उसके बदन पर पानी की फुहार पड़ी, रोम-रोम खिल उठा। लेकिन ये खुशी कुछ देर की ही मेहमान थी। क्योंकि पूरे चंद्रमा अर्थात पूर्णिमा की रात थी जिसमे वेयरवोल्फ की ताकत और आक्रमता अपने चरम पर होती है। शाम ढल चुकी थी और उगते हुए चंद्रमा के साथ आर्यमणि का वुल्फ भी खुद व खुद बाहर आने लगा था।


जैसे ही उसके अंदर का वुल्फ बाहर आया वो पूरी तरह से आक्रमक हो चुका था। घनघोर अंधेरे मे भी सामने का नजारा सब कुछ साफ़-साफ़ नजर आ रहा था। चारो ओर ईडन और उसके वुल्फ तेज-तेज हंस रहे थे। आर्यमणि ने उन सब पर हमला करना शुरू कर दिया और फिर से वही नतीजा हुआ। हर कोई उसके बदन से लगा हुए था और और अपने तेज दांत चुभोकर अंदर के खून को चूसना शुरू कर चुका था।


एक बार फिर से वही सब दोहराया गया। आर्यमणि की जब आखें खुली, फिर से चारो ओर का वैसा ही नजारा था। जंगल के बीच बिल्कुल काला घनघोर माहौल। ऐसा लगा रहा था जैसे ब्लैक फॉरेस्ट में उसकी किस्मत ही ब्लैक लिखी जा चुकी है।


एक दिन जब आर्यमणि की आंखे खुली, ओशुन उसके करीब थी, लेकिन आज आर्यमणि के पास ना तो कहने के लिए कोई शब्द थे और ना ही कुछ सुनने का मन था। शायद ओशुन उसकी भावना को पढ़ चुकी थी… "तुम वही आर्यमणि हो ना जो विषम से विषम परिस्थिति में भी निकलने का क्षमता रखता है।"..


आर्यमणि:- प्लीज तुम यहां से चली जाओ। मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो।


ओशुन:- तुम यदि सोचते हो कि शूहोत्र तुम्हारे पास आएगा और तुम्हे ब्लैक फॉरेस्ट से निकालकर वापस इंडिया भेज देगा तो तुम बहुत बड़े बेवकूफ हो। हां उसका लगाव मैत्री से काफी अधिक था, लेकिन इस चक्कर में वो 3 नियम तोड़ चुका है और जितनी सजा तुम्हे यहां मिल रही है, तुम्हे यहां फंसाकर वो अपनी गलती सुधार चुका है, वरना तुम्हारी जगह अभी सुहोत्र होता। अभी वो वुल्फ हाउस में बड़े मज़े की जिंदगी जी रहा है।


आर्यमणि हैरानी से ओशुन के ओर देखते हुए मानो पूछने की कोशिश कर रहा हो ऐसा क्या हो गया जो शुहोत्र ने मुझे फंसा दिया? ओशुन उसके आखों कि भाषा को समझती हुई कहने लगी…

"एक वुल्फ पैक में एक अल्फा होता है और एक हॉफ अल्फा होते है। उसके नीचे बीटा होता है। अल्फा के मिलन या बाइट से एक कमजोर बीटा पैदा होता है। वैसे मैं बता दूं कि बाइट के अलग नियम है। जिस इंसान को अल्फा वेयरवोल्फ का बाइट दिया गया हो, अगर उस इंसानी शरीर के इम्यून सिस्टम ने बाइट के बाद चेंज को एक्सेप्ट किया तभी वह वेयरवॉल्फ बन सकता है, वरना मर जायेगा।"

"जबकि एक बीटा वुल्फ कभी भी अपने बाइट से दूसरा बीटा नहीं बना सकता है। तुम्हे या तो शूहोत्र के बाइट से मर जाना चाहिए था या फिर जिंदा बच गए तो बीटा यानी शूहोत्र का काम था तुम्हे मार देना। अब सुनो सुहोत्र ने अपने पैक के कौन–कौन नियम भंग किया था। शूहोत्र की पहली गलती, सबके मना करने के बावजूद वो अकेला गया, वुल्फ पैक का सबसे बड़ा नियम टूटा। दूसरी गलती उसने अपनी बाइट तुम्हे दी, फिर चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। तीसरी गलती जब तुम उसके बाइट से जिंदा बच गए तो तुम्हे मारा क्यों नहीं?"

"अब तुम्हे जारा यहां की कहानी भी बता दू। ईडन, वुल्फ फैमिली की सबसे शक्तिशाली वुल्फ है। उसे फर्स्ट अल्फा कहा जाता है। इसके अंदर 3-4 वुल्फ पैक रहते हैं जैसे कि तुम यहां देख रहे हो। आर्य, शूहोत्र को हमदर्दी तो है तुमसे, लेकिन जब खुद की जान बचानी होती है तो लोग स्वार्थी हो जाते है।"

"पैक से निकाले गए वुल्फ को ओमेगा कहते है। एक ओमेगा की जिंदगी कितने दिनों की होती है, ये बात शूहोत्र को मैत्री के मौत के साथ ही समझ में आ चुकी थी। यहां के लोगों के लिए एक रात के मनोरंजन के लिए तुम्हे यहां लाया गया था। हर कोई यही समझ रहा था कि एक बीटा ने तुम्हे काटा है और तुम केवल जिंदा बच गए हो। तुम्हारे अंदर का ताजा खून चूसकर तुम्हे उस सभा में नोचकर मार डालने का प्लान था, लेकिन तुम्हारी किस्मत उससे भी ज्यादा खराब निकली।"

"तुम दुनिया के सबसे दुर्बल वुल्फ बने, जिसमे केवल घाव भरने की क्षमता है, इस से ज्यादा कुछ नहीं। तुम्हे खुद भी पता नहीं तुम रात को क्या खाते हो, सुबह को क्या खाते हो। जरा देखो अपनी ओर। कुछ दिनों में तुम्हरे बदन का बचा मांस भी खत्म हो जाएगा। फिक्र मत करो तुम फिर भी नहीं मारोगे। जब आखें खुलेगी तुम खुद को यहां पाओगे। बिल्कुल तन्हा, अकेला और लाचार। ना तो तुम यहां किसी से लड़ सकते हो और ना ही मर सकते हो। कल मैंने तुम्हे बाइट किया था अंदर झांकने और जानते हो क्या पाई…"


आर्यमणि:- क्या ?


ओशुन:- "जंगल में जब तुम उस औरत दिव्या की जान बचाकर वहां शूहोत्र को देखे, तो 6 महीने से जिसकी कोई खबर नहीं मिली, यानी की तुम्हारा प्यार मैत्री, उसके बारे में तुम्हे कोई तो खबर मिले, बस इसी इरादे से तुम उसी वक़्त शूहोत्र से मिलना चाह रहे थे। लेकिन फिर तुम्हारी नज़र वहां के मिट्टी पर गई और तुम्हारा दिल जोड़ों से धड़का। तुम्हे ऐसा मेहसूस हुआ जैसे तुम्हारी सारी खुशियां इसी मिट्टी के अंदर दफन है।"

"इसी एहसास ने तुम्हे पागल कर दिया। लेकिन उस वक़्त पुलिस आने वाली थी और तुम वहां खुदाई नहीं कर सकते थे, बस इसी के चलते तुम्हे रात में आना पड़ा। तुमने जब मैत्री का आधा कटा धर देखा तब तुम अंदर से रोए लेकिन ऊपर आशु नहीं थे। उस लॉकेट मे कोई जादू नहीं था, बस मैत्री की रोती हुई आत्मा थी, जो तुम्हे अपना असली रूप दिखा रही थी और वहां से भागने कह रही थी। जब मै तुम्हारे रिश्ते की गहराई को समझ सकती हूं तो फिर शूहोत्र क्यों नहीं।"

"शूहोत्र के उस बाइट का नतीजा यह हुआ कि वो अपने पैक में सामिल हो गया और तुम यहां कीड़े की ज़िंदगी जी रहे हो। सुहोत्र बाइट देने के साथ ही सब कुछ प्लान कर चुका था, जबकि उस वक्त तुम उसकी जान बचा रहे थे और वो तुम्हे पूरी तरह से फसाने का प्लान बना रहा था। आर्य हर अच्छाई, अच्छा नतीजा नहीं लाती।"


आर्यमणि:- ओशुन क्या तुम मुझे यहां से निकलने में मदद करोगी?


ओशुन:- मै नियम से बंधी हूं आर्य। तुम्हे मैंने जितनी भी बातें बताई वो मै बता सकती हूं, इसलिए बताई। ना तो तुम्हे यहां अपने सवालों के जवाब मिलेगा और ना ही जिंदगी। जाते-जाते एक ही बात कहूंगी… शुहोत्र की जान बचाने के लिए, जिन शिकारीयों को उस रात तुमने चकमा दिया था, उसे यहां के 2 अल्फा पैक साथ मिलकर भी चकमा नहीं दे सकते थे। अब मै चलती हूं। अपना ख्याल रखना।


जब शरीर ही पूरा खत्म हो गया हो। निर्बलता और तृष्कार ने जहां दिमाग को सदमे में भेज दिया हो। ऐसे इंसान को कही गई बात कितनी समझ आएगी और वो कही गई बातों का कितना अर्थपूर्ण आकलन कर पाएगा। ओशुन, भंवर में फंसे आर्यमणि का चक्र तोड़कर उसे यह एहसास करवाने की कोशिश तो कर गई, "की वह क्या है और उसकी क्या क्षमता है?"


लेकिन क्या आर्यमणि के अंदर वह हौसला बचा था, जो कभी वो गंगटोक के जंगल में प्रदर्शित करता था? क्या वही आत्मविश्वास और किसी भी विषम परिस्थिति से निकलने का जोश अब भी बचा था?
 

harshit1890

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Anky@123

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Bhediyo ka jhund jo harkate kutto wali ker rha hai, inke bich aarya ka fasa rehna aese lag rha hai ki rajiya gundo me fasi ho aur gunde subha sham uski mar rahy ho, kher wese suna to ye tha ki ek Alfa aur beta me bahut emotional attachment hota hai per yaha kahani ulti hai. Kher dekhte hai ki ye beta kis tarah true beta ban ker apni journey ko pura kerta hai,
 

The king

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भाग:–5



रक्त स्नान हो रहा हो जैसे। रक्त में सराबोर करने के बाद ऒशुन ने आर्य का हाथ ऊपर, ईडन के मुंह के ओर बढ़ा दी। जैसे ही ईडन ने खून चूसना शुरू किया, आर्यमणि को लगा उसकी नसें फट जायेगी और खून नशों के बाहर बहने लगेगा। काफी दर्द भरि चींख उसके मुंह से निकली और उसकी आखें बंद हो गई।


आर्य के ख्यालों की गहराई मैत्री एक प्यारी सी तस्वीर बनने लगी जिसे देखकर आर्यमणि मुस्कुराने लगा…. "तुम मुझे बहुत प्यारे लगते थे आर्य, अपना ख्याल रखना।".. ख्यालों में आर्य का प्यार, उसे बड़े प्यार से देखती हुई अपना ख्याल रखने कह रही थी।


इधर आखें मूंदे आर्यमणि ख्यालों में ही था तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके कंधे फटकर फ़ैल रहे है। वही हाल पूरे शरीर का था और जब आखें खुली, फ्लोर पर गिरे खून की परछाई में खुद को देखा तो दंग रह गया। चौड़े पंजे बड़े–बड़े नाखून वाले। कान फैलकर लंबी हो गई, शरीर चौड़ा और पौराणिक कथाओं का वो रूप बदल इंसानी–भेड़िया के रूप में आर्यमणि खुद को देख रहा था। अंदर से पूरा आक्रमक और दिमाग में केवल और केवल खून की चाहत। आर्यमणि अपनी हथेली उठाकर सामने जो आया उसे फाड़ने की कोशिश करने लगा। पागलों की तरह चीखने और चिंघाड़ने लगा। बिल्कुल बेकाबू सा एक भेड़िया जो अपने सामने आने वाले पर हमला कर रहा था।


उसकी आक्रमता देखकर वुल्फ हाउस के सभी वुल्फ झूमने लगे, चिल्लाने लगे। सभी वेयरवोल्फ आर्यमणि के बदन से आ रही आकर्षक खून की खुशबू से, उसके बदन पर पागलों की तरह टूट पड़े। आर्यमणि एक पर हमला करता और 20 लोग उसके बदन के खून को जीभ से चाटकर साफ करते हुए, अपने दांत चुभो कर आर्यमणि का खून चूसने लग जाते। दर्द और अक्रमता का मिला जुला तेज आवाज आर्यमणि के मुंह से निकल रहा था। आर्यमणि के होश जैसे गुम थे। जो भी हो रहा था, उसपर आर्यमणि का कोई नियंत्रण नहीं था और न ही खुद के नोचे जाने को वह रोक सकता था। उसके आगे क्या हुआ आर्यमणि को नही पता। उसकी जब आखें खुली तब आसपास बिल्कुल अंधेरा था। उसके नंगे बदन पर पुरा मिट्टी चिपका हुए था। शरीर का अंग-अंग ऐसे टूट रहा था मानो उसमे जान ही बाकी नहीं हो।


कुछ देर तक तेज-तेज श्वांस अंदर बाहर करते, चारो ओर का माहौल देखने लगा। बड़े-बड़े दैत्याकार वृक्ष, चारो ओर सांझ जैसा माहोल। कहां जाना है कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके करीब से हवा गुजरी हो, और कुछ दूर जब आगे नजर गई तो ओशुन खड़ी थी।…. "काफी हॉट लग रहे हो आर्य।"


आर्यमणि ने जब ओशुन की नज़रों का पीछा किया, तब अपने हाथ से अपना लिंग छिपाते खुद को सिकोड़ लिया… खुद की हालत पर थोड़ी शर्मिंदगी महसूस करते आर्य, ओशुन से कहने लगा.…. "क्या तुम मेरे लिए कुछ कपड़े ला सकती हो।"


ओशुन उसे देखकर हंसती हुई उसके करीब गई और कंधे से अपने ड्रेस को सरकाकर जमीन पर गिर जाने दी। ओशुन नीचे से अपनी पोशाक उठाकर आर्यमणि के ओर बढाती हुई… "लो ये पहन लो, मै ऐसे मैनेज कर लूंगी।"..


ओशुन केवल ब्रा और पैंटी में थी। उसके बदन का आकर्षण इतना कामुक था कि आर्यमणि की धैर्य और क्षमता दोनो जवाब दे रही थी, लेकिन किसी तरह खुद पर काबू रखते हुए… "नहीं, ये तुम ही पहन लो, और यहां से चलते है।"..


ओशुन, अपने बचे हुए कपड़े भी उतारकर… "मुझे कोई आपत्ती नहीं यदि यहां से मै नंगी भी जाऊं। यहां हमारे दूसरे प्रजाति के जितने भी शिकारी जानवर है, वो ऐसे ही नंगे रहते है। हां हम उनसे कुछ अलग है, तो हमे भी समझना होगा कि ये बीच की झिझक ना रहे। लेकिन तुम्हे जिस बात के लिए शर्मशार होना चाहिए, वो थी कल रात उन लोगों ने जो तुम्हारे साथ किया, ना की ये कपड़े।


आर्यमणि:- मुझे तो कुछ याद भी नहीं।


ओशुन:- हां मुझे पता है तुम्हे याद नहीं, और ना ही तुम्हे कभी याद आएगा, क्योंकि तुम इन लोगों के लिए खिलौने मात्र हो, जिससे ये हर रात अपना दिल बहलाएंगे। हर सुबह जब तुम जागोगे तो खुद को इसी तरह यूं ही बेबस पाओगे।


आर्यमणि:- हम्मम ! समझ गया। चलो वुल्फ हाउस वापस चलते है। अपने कपड़े पहन लो, तुम्हे नंगे देखकर अजीब सा लग रहा है।


ओशुन:- अजीब क्यों लगेगा, हर कोई तो हॉर्नी ही फील करता है। हां तुम जब होश में होते हो तो खुद को बहुत काबू में रखते हो, ये बात मानने वाली है।


"अब ऐसे दिन आ गए की इसके साथ संभोग करोगी, मै क्या मर गया था ओशुन। हम लोगों को तुम दूर ही फटका कर रखती हो, इस नपुंसक में तुम्हे क्या दिख गया या फिर अपना निजी गुलाम रखने का इरादा तो नहीं?"… वेयरवुल्फ के झुंड से किसी ने ओशुन पर तंज कसा...


"मत सुनो उनकी आओ मेरे पीछे"….. ओशुन अपने कपड़े पहनती हुई कही और दौड़ लगा दी।


आर्यमणि में इतनी हिम्मत नहीं की वो ढंग से चल सके, ओशुन तो क्षण भर में नज़रों से ओझल होने वाले गति में थी। आर्यमणि थका सा ओशुन की दिशा में चल रहा था। जैसे ही वो कुछ दूर आगे बढ़ा पीछे से उसे एक लात परी और वो आगे जमीन पर मुंह के बल गिर गया।


आर्यमणि खड़ा होकर अपने चारो ओर देखा, कहीं कोई नहीं था। वो फिर से आगे बढ़ने लगा। तभी उसे आभाष हुआ कि कोई सामने से आ रहा है। वो किनारे होने की कोशिश करने लगा, लेकिन तभी सामने से उसके अंडकोष पर तेज लात परी और दर्द से बिलबिलाता हुआ वो बेहोश हो गया।


आखें जब खुली तब कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा था। चारो ओर घनघोर अंधेरा। कानो में भेड़ियों के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। इधर से आर्यमणि भी चिल्लाने लगा। जैसे ही सबने आर्यमणि की आवाज़ सुनी, भेड़ियों का बड़ा सा झुंड उसके समीप आकर खड़ा हो गया। फिर तो सभी भेड़िए जैसे पागल हो गए हो। हर कोई अपना फेंग (बड़े नुकीले दांत) आर्यमणि के शरीर में घुसाकर खून चूसने लगा। कुछ मनमौजी वेयरवॉल्फ आर्यमणि के पिछवाड़े कांटेदार तार में लिपटी डंडे घुसा रहे थे, तो कोई बॉटल ही घुसेड़ देता। हालत बेसुध सी थी। 20 नोचने वाले एक साथ लगे होते, तो 20 अपनी बारी आने का इंतजार करते। बिलकुल किसी खौफनाक सपने की तरह।


आर्यमणि के लिए क्या भोर और क्या सांझ। आंखे जब भी खुलती चारो ओर अंधेरा। नंगा बदन पूरा मिट्टी में लिप्त और पूरे शरीर में बस आंख की पुतलियां ही आर्यमणि हिला सकता था, बाकी इतनी जान नही बची होती की वो उंगली भी हिला सके। आंख खुलने के बाद जैसे–जैसे वक्त बीतता शरीर में कुछ–कुछ ऊर्जा का संचार होने लगता। और जैसे ही आर्यमणि उठकर खड़ा होता, फिर से वही सब दोहराने लगता।


जैसे एक चक्र सा बन गया हो। आंख खुली और लगभग 2 घंटे में पूरी ऊर्जा समेटने के बाद फिर से वेयरवोल्फ की कुरूरता शुरू। किसी एक दिन जब आर्य की आखें खुली उसके साथ एक ही अच्छी बात हुई, उसके बदन पर पानी की फुहार पड़ी, रोम-रोम खिल उठा। लेकिन ये खुशी कुछ देर की ही मेहमान थी। क्योंकि पूरे चंद्रमा अर्थात पूर्णिमा की रात थी जिसमे वेयरवोल्फ की ताकत और आक्रमता अपने चरम पर होती है। शाम ढल चुकी थी और उगते हुए चंद्रमा के साथ आर्यमणि का वुल्फ भी खुद व खुद बाहर आने लगा था।


जैसे ही उसके अंदर का वुल्फ बाहर आया वो पूरी तरह से आक्रमक हो चुका था। घनघोर अंधेरे मे भी सामने का नजारा सब कुछ साफ़-साफ़ नजर आ रहा था। चारो ओर ईडन और उसके वुल्फ तेज-तेज हंस रहे थे। आर्यमणि ने उन सब पर हमला करना शुरू कर दिया और फिर से वही नतीजा हुआ। हर कोई उसके बदन से लगा हुए था और और अपने तेज दांत चुभोकर अंदर के खून को चूसना शुरू कर चुका था।


एक बार फिर से वही सब दोहराया गया। आर्यमणि की जब आखें खुली, फिर से चारो ओर का वैसा ही नजारा था। जंगल के बीच बिल्कुल काला घनघोर माहौल। ऐसा लगा रहा था जैसे ब्लैक फॉरेस्ट में उसकी किस्मत ही ब्लैक लिखी जा चुकी है।


एक दिन जब आर्यमणि की आंखे खुली, ओशुन उसके करीब थी, लेकिन आज आर्यमणि के पास ना तो कहने के लिए कोई शब्द थे और ना ही कुछ सुनने का मन था। शायद ओशुन उसकी भावना को पढ़ चुकी थी… "तुम वही आर्यमणि हो ना जो विषम से विषम परिस्थिति में भी निकलने का क्षमता रखता है।"..


आर्यमणि:- प्लीज तुम यहां से चली जाओ। मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो।


ओशुन:- तुम यदि सोचते हो कि शूहोत्र तुम्हारे पास आएगा और तुम्हे ब्लैक फॉरेस्ट से निकालकर वापस इंडिया भेज देगा तो तुम बहुत बड़े बेवकूफ हो। हां उसका लगाव मैत्री से काफी अधिक था, लेकिन इस चक्कर में वो 3 नियम तोड़ चुका है और जितनी सजा तुम्हे यहां मिल रही है, तुम्हे यहां फंसाकर वो अपनी गलती सुधार चुका है, वरना तुम्हारी जगह अभी सुहोत्र होता। अभी वो वुल्फ हाउस में बड़े मज़े की जिंदगी जी रहा है।


आर्यमणि हैरानी से ओशुन के ओर देखते हुए मानो पूछने की कोशिश कर रहा हो ऐसा क्या हो गया जो शुहोत्र ने मुझे फंसा दिया? ओशुन उसके आखों कि भाषा को समझती हुई कहने लगी…

"एक वुल्फ पैक में एक अल्फा होता है और एक हॉफ अल्फा होते है। उसके नीचे बीटा होता है। अल्फा के मिलन या बाइट से एक कमजोर बीटा पैदा होता है। वैसे मैं बता दूं कि बाइट के अलग नियम है। जिस इंसान को अल्फा वेयरवोल्फ का बाइट दिया गया हो, अगर उस इंसानी शरीर के इम्यून सिस्टम ने बाइट के बाद चेंज को एक्सेप्ट किया तभी वह वेयरवॉल्फ बन सकता है, वरना मर जायेगा।"

"जबकि एक बीटा वुल्फ कभी भी अपने बाइट से दूसरा बीटा नहीं बना सकता है। तुम्हे या तो शूहोत्र के बाइट से मर जाना चाहिए था या फिर जिंदा बच गए तो बीटा यानी शूहोत्र का काम था तुम्हे मार देना। अब सुनो सुहोत्र ने अपने पैक के कौन–कौन नियम भंग किया था। शूहोत्र की पहली गलती, सबके मना करने के बावजूद वो अकेला गया, वुल्फ पैक का सबसे बड़ा नियम टूटा। दूसरी गलती उसने अपनी बाइट तुम्हे दी, फिर चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। तीसरी गलती जब तुम उसके बाइट से जिंदा बच गए तो तुम्हे मारा क्यों नहीं?"

"अब तुम्हे जारा यहां की कहानी भी बता दू। ईडन, वुल्फ फैमिली की सबसे शक्तिशाली वुल्फ है। उसे फर्स्ट अल्फा कहा जाता है। इसके अंदर 3-4 वुल्फ पैक रहते हैं जैसे कि तुम यहां देख रहे हो। आर्य, शूहोत्र को हमदर्दी तो है तुमसे, लेकिन जब खुद की जान बचानी होती है तो लोग स्वार्थी हो जाते है।"

"पैक से निकाले गए वुल्फ को ओमेगा कहते है। एक ओमेगा की जिंदगी कितने दिनों की होती है, ये बात शूहोत्र को मैत्री के मौत के साथ ही समझ में आ चुकी थी। यहां के लोगों के लिए एक रात के मनोरंजन के लिए तुम्हे यहां लाया गया था। हर कोई यही समझ रहा था कि एक बीटा ने तुम्हे काटा है और तुम केवल जिंदा बच गए हो। तुम्हारे अंदर का ताजा खून चूसकर तुम्हे उस सभा में नोचकर मार डालने का प्लान था, लेकिन तुम्हारी किस्मत उससे भी ज्यादा खराब निकली।"

"तुम दुनिया के सबसे दुर्बल वुल्फ बने, जिसमे केवल घाव भरने की क्षमता है, इस से ज्यादा कुछ नहीं। तुम्हे खुद भी पता नहीं तुम रात को क्या खाते हो, सुबह को क्या खाते हो। जरा देखो अपनी ओर। कुछ दिनों में तुम्हरे बदन का बचा मांस भी खत्म हो जाएगा। फिक्र मत करो तुम फिर भी नहीं मारोगे। जब आखें खुलेगी तुम खुद को यहां पाओगे। बिल्कुल तन्हा, अकेला और लाचार। ना तो तुम यहां किसी से लड़ सकते हो और ना ही मर सकते हो। कल मैंने तुम्हे बाइट किया था अंदर झांकने और जानते हो क्या पाई…"


आर्यमणि:- क्या ?


ओशुन:- "जंगल में जब तुम उस औरत दिव्या की जान बचाकर वहां शूहोत्र को देखे, तो 6 महीने से जिसकी कोई खबर नहीं मिली, यानी की तुम्हारा प्यार मैत्री, उसके बारे में तुम्हे कोई तो खबर मिले, बस इसी इरादे से तुम उसी वक़्त शूहोत्र से मिलना चाह रहे थे। लेकिन फिर तुम्हारी नज़र वहां के मिट्टी पर गई और तुम्हारा दिल जोड़ों से धड़का। तुम्हे ऐसा मेहसूस हुआ जैसे तुम्हारी सारी खुशियां इसी मिट्टी के अंदर दफन है।"

"इसी एहसास ने तुम्हे पागल कर दिया। लेकिन उस वक़्त पुलिस आने वाली थी और तुम वहां खुदाई नहीं कर सकते थे, बस इसी के चलते तुम्हे रात में आना पड़ा। तुमने जब मैत्री का आधा कटा धर देखा तब तुम अंदर से रोए लेकिन ऊपर आशु नहीं थे। उस लॉकेट मे कोई जादू नहीं था, बस मैत्री की रोती हुई आत्मा थी, जो तुम्हे अपना असली रूप दिखा रही थी और वहां से भागने कह रही थी। जब मै तुम्हारे रिश्ते की गहराई को समझ सकती हूं तो फिर शूहोत्र क्यों नहीं।"

"शूहोत्र के उस बाइट का नतीजा यह हुआ कि वो अपने पैक में सामिल हो गया और तुम यहां कीड़े की ज़िंदगी जी रहे हो। सुहोत्र बाइट देने के साथ ही सब कुछ प्लान कर चुका था, जबकि उस वक्त तुम उसकी जान बचा रहे थे और वो तुम्हे पूरी तरह से फसाने का प्लान बना रहा था। आर्य हर अच्छाई, अच्छा नतीजा नहीं लाती।"


आर्यमणि:- ओशुन क्या तुम मुझे यहां से निकलने में मदद करोगी?


ओशुन:- मै नियम से बंधी हूं आर्य। तुम्हे मैंने जितनी भी बातें बताई वो मै बता सकती हूं, इसलिए बताई। ना तो तुम्हे यहां अपने सवालों के जवाब मिलेगा और ना ही जिंदगी। जाते-जाते एक ही बात कहूंगी… शुहोत्र की जान बचाने के लिए, जिन शिकारीयों को उस रात तुमने चकमा दिया था, उसे यहां के 2 अल्फा पैक साथ मिलकर भी चकमा नहीं दे सकते थे। अब मै चलती हूं। अपना ख्याल रखना।


जब शरीर ही पूरा खत्म हो गया हो। निर्बलता और तृष्कार ने जहां दिमाग को सदमे में भेज दिया हो। ऐसे इंसान को कही गई बात कितनी समझ आएगी और वो कही गई बातों का कितना अर्थपूर्ण आकलन कर पाएगा। ओशुन, भंवर में फंसे आर्यमणि का चक्र तोड़कर उसे यह एहसास करवाने की कोशिश तो कर गई, "की वह क्या है और उसकी क्या क्षमता है?"


लेकिन क्या आर्यमणि के अंदर वह हौसला बचा था, जो कभी वो गंगटोक के जंगल में प्रदर्शित करता था? क्या वही आत्मविश्वास और किसी भी विषम परिस्थिति से निकलने का जोश अब भी बचा था?
Nice update bhai par sach bolu to is update ko padhne kuch jyada maza nahi aaya aarya kab nikalega is black forest se bahar par jab bhi nikale to jyada takatwar banke sab ki buri tarah bend baja ke nikalna chahiye or jaldi nikalna chahiye yaha se aarya waiting for next update
 
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चंद इंग्लिश मूवी ही देखा है मैंने और उनमें भी वेयरवोल्फ टाईप का एक भी नहीं देखा है । इसलिए मेरे लिए यह सब्जेक्ट कुछ कठीनाई भरा रह सकता है ।

इन अपडेट्स से यही समझा कि आर्य मणि के साथ धोखा हुआ है और वो एक आम इंसान से एक कमजोर वेयरवोल्फ में तब्दील हो गया है ।
वेयरवोल्फ की अपनी ही दुनिया है । इनका मुखिया और उसके अंडर छोटे छोटे वेयरवोल्फ जो वेश बदलने में माहिर होते हैं । अर्द्ध शरीर मानव का और अर्द्ध शरीर भेड़िया का ।

ईडन इन सभी का सरदार है जो एक फीमेल वेयरवोल्फ है । वेयरवोल्फ बनने की भी एक अलग कहानी है । यह भी मेरे लिए थोड़ा पेचीदा तो जरूर है लेकिन धीरे धीरे समझ ही जाउंगा ।

मुझे ऐसा लगता है जैसे आर्य मणि जानता ही नहीं था कि मैत्री और उसके परिवार के लोग जर्मनी जाते ही भेड़ियों के जमात में शामिल हो गए थे । ये लोग अपनी इच्छानुसार बने थे या इन लोगों के साथ भी धोखा हुआ था , हमें पता नहीं है ।

फिलहाल जैसा सिचुएशन है उससे तो आर्य मणि के लिए स्थिति काफी गंभीर है । न जाने कैसे अपने माता पिता को बहला फुसलाकर शूहोत्र लोपचे के साथ जर्मनी पहुंच गया !
इन भेड़ियों की जमात में सिर्फ एक ही भेड़िया अच्छी है और वो है सफेद लोमड़ी अर्थार्त ओशुन ।

इन खून पिशाच भेड़ियों से बचने या मुकाबला करने के लिए आर्य मणि को उन शिकारियों के शरण में जाना होगा जो गंगटोक के घने जंगलों में पाए गए थे । जैसा कि ओशुन ने आर्य मणि को इशारों में कहा ।

शिकारी इस कहानी के प्रमुख और ताकतवर पात्र लग रहे हैं । देखते हैं जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर से कैसे वो शिकारियों से मेल मुलाकात कर पाता है ।

दोनों अपडेट्स बेहद ही शानदार थे नैन भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 
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