सर्वप्रथम रूही और आर्य को उनके पहले संतान के लिए हार्दिक बधाई।
अपडेट न सिर्फ खुबसूरत था बल्कि नॉलेज और इमोशनल से भरपूर भी था। रूही की मां बनने वाला प्रसंग और उसका अलबेली के साथ हुई बातें बहुत ही खूबसूरत थी।
प्रसव पीड़ा अत्यंत ही पीड़ादायक और असहनीय होता है। जब महिला बच्चे पैदा करती है तो उस वक्त का दर्द एक साथ करीब बीस हड्डियों के टूटने के दर्द के समान होता है। और यह भी सत्य है कि अगर ऐसा दर्द मर्द को भोगना पड़ जाए तो उसकी मृत्यु हो सकती है। बल्कि यूं कहा जाए मर्द की मृत्यु ही हो जायेगी।
अलबेली की बातें कि अमेया जन्म के समय इसलिए नही रोई क्योंकि उसके हिस्से का रोना भी हम बहनो ने कर लिया है , दिल भर आने वाला था।
जलीय जीव - जन्तु और उनके इस अनोखी दुनिया पर आधारित यह अध्याय सच मे काबिलेतारीफ था।
जल - थल - नभ सभी जगहों पर रहने वाले जीव - जन्तु और वानस्पतिक चीजें प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने मे अपना योगदान प्रदान करती है। कोई भी चीज कुदरत ने अकारण पैदा नही किया है।
काल जीव शोधक प्रजाति का वो जीव था जो समन्दर के कूड़े कचरे को अपना भोजन बनाकर समन्दर को स्वच्छ रखने मे मदद करती थी। लेकिन जिस तरह से वातावरण दूषित हो रहा है उससे इनके अस्तित्व पर भी खतरा आ बना है।
आर्य , विजयदर्थ की बात मानकर और परोपकार की भावना से प्रेरित होकर इन प्रजाति का इलाज करने के लिए राजी हुआ और साथ ही स्वामी विश्वेश की यादों को अपने मेमोरी मे जगह देने के लिए भी हामी भरा।
लेकिन उसे विजयदर्थ की नीयत पर संदेह क्योंकर हुआ ?
यह अपडेट भी बहुत बढ़िया लिखा आपने नैन भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग।