भाग:–111
वह जितनी संजीदा थी, उतनी ही जिंदादिल। जितनी शांत थी, उतनी ही उद्दंड। वह जितनी समझदार थी उतनी ही भावुक। वह अजब थी, वह गजब थी। अल्फा पैक की ओजल शायद अपने आप में सम्पूर्ण थी। आज मध्य रात्रि की बेला वह लेटी थी। काम उत्तेजना में लिप्त सारे वस्त्रों को त्याग कर बस लंबी–लंबी सिसकारियां ले रही थी। निर्वस्त्र हुये कई लड़के सांप की भांति ओजल से लिपटे थे। जीवन के पहला संभोग का अनुभव इतना रोमांचक था कि वह बस सिसकारियां लेती खुद को निढल छोड़ चुकी थी। उसके गुप्तांगों और बदन पर रेंग रहे हाथ, लिंग इत्यादि–इत्यादि उसे अत्यधिक मजा दे रहे थे।
खोये अति–कामुक क्षण में पहली बार जब किसी के लिंग का एहसास अपने योनि पर हुआ, तब ओजल की कामुक तांद्रा थोड़ी भंग हुई। योनि से कामुक स्त्राव तो हो रहा था, किंतु किसी लड़के के द्वारा उसके योनि पर लिंग को घिसे जाने की क्रिया ने ओजल को थोड़ा होश में लाया। ठीक उसी वक्त ओजल के कानो में अलबेली के उस वुल्फ कॉलिंग साउंड की आवाज आयी, जब इवान ने बेरहम होकर उसके गुदा मार्ग में अपना लिंग घुसा दिया था।
ओजल के चमचमाते नव यौवन, आकर्षक बदन पर बाएं हाथ की बांह में एक खूबसूरत बाजूबंद लगा था। अंग्रेजी में जिसे आर्मबैंड भी कहते है। हल्का नीला रंग का खूबसूरत नगीना किसी वुडन आर्ट वाली मेटल से जुड़ी थी, जो ओजल के कमसिन बदन को एक आकर्षक लुक दे रही थी।
दरअसल वह बाजूबंद जादूगर की दंश थी जिसका नाम कल्पवृक्ष दंश था। उसे मंत्रों से समेटकर ओजल ने अपना बाजूबंद बनाया था।
योनि पर घिसते लिंग का एहसास और ठीक उसी वक्त कानो में पड़े अलबेली की वुल्फ साउंड ने ओजल को कामुक चेतना से लौटने में मदद किया। हां, लेकिन कामुक उत्तेजना इतनी हावी थी कि इतनी सी चेतना वापस लौटना काफी नही था, स्थूल पड़े शरीर में हलचल तक लाने के लिये। न चाहते हुये भी ओजल किसी तरह कल्पवृक्ष दंश के नगीने को हाथ लगाई और वह अगले ही पल अलग दुनिया में थी। कल्पवृक्ष दंश की दुनिया में....
ओजल:– दोस्त क्या मैं सच में इतनी कामुक हो चुकी थी...
कल्पवृक्ष दंश:– इस बात का पता तुम्हे लगाना होगा। लेकिन अभी परिस्थिति थोड़ी गंभीर है। तुम सामान्य लड़कों के साथ निर्वस्त्र हो और मैं बहुत ज्यादा देर तक तुम्हे भेड़िया बनने से रोक नही सकता।
ओजल:– दोस्त एक मंत्र बताओ जिससे कुछ वक्त के लिये ये पूरा माहोल ही फ्रिज हो जाये।
कल्पवृक्ष दंश:– हर जादू की एक कीमत होती है। इसे संतुलन कहते है। एक निश्चित माहोल को पूरा शांत करना बड़ा जादू है, यदि सही कीमत नही दे पायी तो अन्य जादूगर की तरह तुम्हारी आत्मा भी विकृत हो जायेगी।
ओजल:– अपना रक्त अर्पण करूं तो क्या ये कीमत सही होगी...
कल्पवृक्ष दंश:– हां लेकिन थोड़ा नही बल्कि रक्त की पूरी धार चाहिए...
ओजल:– धन्यवाद दोस्त... अब तुम मंत्र बताओ....
ओजल मंत्र सीखते ही आंखें खोल दी। किसी तरह अपनी कलाई नगीने तक लाकर, ओजल ने अपनी कलाई की नब्ज काट ली। तुरंत ही खून की पिचकारी ओजल के नब्ज से बहने लगी और अगले ही पल वहां के चारो ओर का माहोल फ्रीज हो चुका था। ओजल तुरंत ही अपने क्ला को बाएं किनारे से गर्दन में घुसाई और दिमाग में चल रहे उत्तेजना के जहर को समेटने लगी। कुछ ही पल में ओजल पूर्णतः अपने होश में थी।
तुरंत ही ओजल ने उस जगह का पूरा मुआयना किया। कुछ लड़के वीडियो बना रहे थे, उनके वीडियो को डिलीट की और अपने कपड़े समेटकर वहां से बाहर निकली। ओजल अब तक उसी घर में थी जहां हाई–स्कूल की पार्टी शुरू हुई थी। घर पूरा खाली था सिवाय उन कुछ लड़कों के, जो ओजल के साथ सामूहिक संभोग करने वाले थे। ओजल उस घर से कुछ दूर हुई और सर पर हाथ रखकर तेज वुल्फ साउंड निकाली।
अल्फा पैक के मुखिया आर्यमणि और रूही बीते कुछ दिनों से एक दूसरे में खोए थे। आज दिन की जोरदार प्यार भरी मिलन के बाद दोनो शाम तक सोते रहे। और जब जागे तब दोनो तैयार होने भागे। हाई–स्कूल प्रबंधन ने जीत की खुशी में एक पार्टी का आयोजन किया था, जिसमे इन दोनो को खास आमंत्रण दिया गया था। शाम के 8 बजे दोनो स्कूल ऑडिटोरियम में थे, जहां आर्यमणि और रूही की मुलाकात तीनो टीन वुल्फ के दोस्तों तथा लूकस के पूरे ग्रुप से हो गयी। हां लेकिन उस चकाचक महफिल में कहीं भी ओजल, इवान और अलबेली नजर नहीं आ रहे थे। दोनो ने पता लगाने की कोशिश भी किये, किंतु किसी को भी तीनो के बारे में ठीक से पता नही था।
तभी मंच पर स्कूल के कोच खड़े हो गये और फुटबॉल में मिली इस जीत का सेहरा तीनो टीन वुल्फ के अभिभावक यानी की आर्यमणि और रूही के सर बांधते कहने लगे.... “इन दोनो ने अपने तीन बच्चे ओजल, इवान और अलबेली को प्रशिक्षित किया और उन तीनो ने हमारी टीम को। हमारी टीम किसी अंतरराष्ट्रीय टीम की तरह खेल रही थी। जिसे खेलते देख मुझे भी विश्वास न हुआ की यह बर्कले की वही टीम है, जिनमे जितने का जज्बा तो दूर, हम जीत भी सकते है, ऐसी सोच तक न थी। लेकिन अलग तरह के कमाल के प्रशिक्षण ने न सिर्फ हमें जीत दिलवाई, बल्कि हमारे प्रतिद्वंदी कहीं दूर–दूर तक टिके भी नही। मैं ओजल के अभिभाव को मंच पर बुलाना चाहूंगा। अपने हाथों से सैंपेन खोलकर आज के जीत की जश्न की शुरवात करे।”
दोनो चारो ओर अपनी नजर दौड़ाते मंच पर पहुंचे। मुस्कुराकर जितने वालों को बधाई दिये और संपैन की बॉटल को खोल दिया। बॉटल खुलते ही सबके हाथ में एक–एक जाम और जाम को लहराकर सभी एक साथ टोस्ट करते उसे गले से नीचे उतार दिया। रूही भी जाम की एक चुस्की लेते आर्यमणि को आंख मारती... “बिलकुल कातिल लग रहे हो जान। आज तो तुम्हे देखकर बेकाबू हो रही हूं।”
आर्यमणि:– बेकाबू तो तुम मुझे कर रही हो। अब भी तुम्हारा नंगा चमचमाता बदन ही मुझे नजर आ रहा। आह!! कितनी नमकीन दिख रही...
रूही:– यहां कुछ ज्यादा भीड़ तो नही...
आर्यमणि, रूही के होटों को पूरे जोश से चबाते.... “शायद अभी हमे किसी और माहोल की जरूरत है।”
दोनो ऑडिटोरियम के बाहर निकले और एकांत कोपचे में पहुंचे। रूही, आर्यमणि को दीवार से चिपकाकर नीचे बैठ गयी और उसके पैंट के बटन को खोलकर लिंग बाहर निकाल ली। लिंग बाहर निकलने के बाद रूही आगे कुछ करती उस से पहले ही आर्यमणि के क्ला गर्दन के किनारे से घुस चुके थे। थोड़ी देर में रूही के अंदर से टॉक्सिक को निकालने के बाद आर्यमणि ने क्ला अपने गर्दन में घुसाया। थोड़ा वक्त लगा लेकिन दोनो सामान्य हुये....
“आर्य अभी हुआ क्या था?”
“हमे किसी प्रकार का जहर दिया गया था।”
“किस प्रकार का जहर?”
“मुझे भी पूरा पता नही लेकिन उसके शुरवती नतीजों के कारण ही हम दोनो काफी एक्सिटमेंट फील कर रहे थे। हो सकता था कि यह जहर हमारी एक्साइटमेंट इतना बढ़ा देता की हम शेप शिफ्ट कर जाते”...
“हमसे बदला लेने के लिये ये काम लूकस ने ही किया होगा।”
“क्या नेरमिन (बर्कले की स्थानीय वुल्फ पैक की फर्स्ट अल्फा और रूही की मासी) भी इसमें सामिल है, या बिना उसकी जानकारी के लूकस ने ये सब किया होगा?”
“ये तो लूकस की यादों से ही पता चलेगा। ले आओ उसे”...
रूही बिना वक्त गवाए वापस ऑडिटोरियम पहुंची और लूकस को इशारे से अपने पास बुलाई... लूकस उसके करीब पहुंचते.... “क्या हो गया? मुझे क्यों याद कर रही”...
रूही:– मेरा पार्टनर किसी और लड़की के साथ चला गया। उस कमीने को तो मैं बाद में देखती हूं, अभी फिलहाल मुझे तुम्हारी जरूरत है। या शायद तुम भी कम पड़ जाओ। अपने कुछ साथियों को भी साथ ले लो। ग्रुप सेक्स का मजा करेंगे...
लूकस:– हा हा हा हा हा... तुम जैसे अल्फा को हम बीटा का गैंग हाथ लगाये। तुम अकेले ही हम सबको कच्चा चबाकर डकार तक न लो।
रूही:– देखो मेरे बदन में आग लगी है। यदि मेरी बात नही भी माने तो भी परिणाम वही होगा। बात मान लो... तुम्हे मै अपने संरक्षण में रखूंगी और अल्फा भी बना दूंगी।
लूकस:– हम्म्!! प्रस्ताव अच्छा है लेकिन तुम्हारा काम निकलने के बात हमे धोका तो नही दोगी?
रूही:– चुतिये धोखा भी दिया तो भी मुझ जैसे अल्फा के साथ बिस्तर गरम करने का मौका दे रही, ये क्या कम बड़ी उपलब्धि है। जल्दी फैसला करो। हां है तो साथ चलो वरना मैं कहीं से भी अपनी आग बुझाने के बाद सीधा खून की प्यास बुझाने ही निकलूंगी...
लूकस:– नाना, तुम कहीं और से आग मत बुझाओ और न ही हमसे अपनी खून की प्यास। हम साथ चलते हैं।
छोटे से वार्तालाप के बाद लूकस अपने 8 साथियों के साथ रूही के पीछे तेजी से चला। सभी स्कूल के किसी सुनसान कोने में पहुंचे। सभी एक साथ रूही के ओर बढ़े ही थे कि सब के सब जड़ों की रेशों में जकड़े गये।
रूही:– क्यों बेटा चौंक गये?
लूकस:– द....द...दे... देखो रूही... हमे जाने दो...
पीछे से आर्यमणि की आवाज आयी..... “तुम्हे जाने तो देंगे लेकिन उस से पहले ये बताओ की कौन सा जहर सैंपैन में मिलाया था, जिसकी खुशबू से ही हम अलग दुनिया में पहुंच गये। और जब उसका एक घूंट पिया फिर तो काबू ही न रहा”...
आर्यमणि ने अपना सवाल पूरा किया ही था कि एक्सडीसीउसके अगले पल ही लूकस और उसके साथियों के सर के चिथरे उड़ गये। ऐसा लगा जैसे उनके सर में किसी ने बॉम्ब लगा दिया हो। छोटे–छोटे मांस के टुकड़े और खून के धब्बे उन दोनो के पूरे शरीर पर लगे थे...
आर्यमणि:– निकलो यहां से पहले...
रूही:– ये हो क्या रहा है? किसने चिथरे उड़ाए, मुझे तो किसी के आस पास होने की गंध भी नही आयी?
आर्यमणि:– कोई हमारे साथ खेल रहा..
रूही:– मुझे तीनो (अलबेली, इवान और ओजल) की चिंता हो रही है। जान वुल्फ कॉलिंग साउंड दो...
रूही की बात पर आर्यमणि वुल्फ कॉलिंग साउंड देता, उस से पहले ही अलबेली की वुल्फ कॉलिंग साउंड दोनो को सुनाई देने लगी। यह उस वक्त का वुल्फ कॉलिंग साउंड थी जब इवान बेरहम हुआ था। दोनो से ही दौड़ रहे थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर दोनो आवाज की दिशा में दौड़ने लगे। कुछ ही देर में दोनो जंगल के अंदर थे और दोनो को अलबेली और इवान की गंध मिल चुकी थी।
रूही:– ए जी, अपने साथ–साथ इवान और अलबेली की भी शादी करवा दो...
आर्यमणि:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा। चलो पहले दोनो के पास चलते हैं। फिर उन्हे साथ लेकर ओजल को ढूंढेंगे...
रूही:– हां चलो जल्दी...
दोनो जंगल के दक्षिण दिशा में बड़ी तेजी से बढ़ रहे थे, तभी उन दोनो के कान में ओजल की आवाज सुनाई पड़ी। काफी दर्द और गुस्से से भरी आवाज थी। आर्यमणि और रूही ने अपने बढ़ते कदम को रोका और पीछे ओजल के आवाज की दिशा में दौड़े। कुछ की पल में दोनो ओजल के पास थे। ओजल बेजान की तरह पेड़ से टिक कर बैठी थी। उसके हाथ जमीन को छू रहे थे, जिनसे खून की धारा बह रही थी।
रूही पूरी व्याकुलता से ओजल को अपने बाजुओं में समा ली। उसके सर पर हाथ फेरती एहसास करवाने लगी की सब ठीक है, और वह सुरक्षित है। वहीं आर्यमणि ओजल की कलाई को थामकर उसके रक्त प्रवाह को रोकने लगा। कुछ देर बाद जब ओजल कुछ सामान्य हुई, फिर वह सुबकती हुई आप बीती बताने लगी। वह कैसे इतने लड़कों के सामने निर्वस्त्र हो सकती थी, यह ख्याल उसे बार–बार पीड़ा दे रहा था।
रूही ने उसे पूरी घटना बताई। पूरी बात 4 बार समझा चुकी थी कि उसके साथ यह घटना क्यों हुई... लेकिन ओजल के मन से वह ख्याल जा ही नहीं रहा था। किसी भयानक सपने की तरह आंखों के सामने आ जाता।
“ओजल मैं मानता हूं कि तुम्हारे लिये एक भयावाह मंजर था। लेकिन बेटा अभी हताश होने का वक्त नहीं है, क्योंकि हमें नही पता की इवान और अलबेली कहां है और किस हालात में है?”..... आर्यमणि ने जब मौके की गंभीरता को समझाया तब कहीं जाकर ओजल अपनी आंसू पोछती उनके पीछे चल दी।
तीनो ही जंगल की दक्षिणी दिशा में काफी तेज दौड़ रहे थे। तीनो को गंध तो मिल रही थी लेकिन वुल्फ साउंड का कोई भी जवाब नही आ रहा था। आर्यमणि को शंका हुआ की कुछ गड़बड़ है। हाथ के इशारे से रुकने कहा... “शायद कोई हमारा इंतजार कर रहा। गंध ताजा है पर दोनो में से कोई जवाब नही दे रहा। एक काम करो तुम दोनो वुल्फ साउंड देते आगे बढ़ो। मेरा अंदाज यदि सही है तो जाल बिछ चुका होगा”
ओजल:– कैसा जाल...
रूही:– पैक को फसाने का जाल। जब हम उनके करीब होंगे तब हमें अलबेली और इवान की चीख सुनाई देगी। खुद पर काबू रखना क्योंकि वह चीख तुम्हे एहसास करवाएगा की दोनो के लिये जल्द कुछ न किये तो दोनो मरे जायेंगे...
ओजल:– क्या ??????
आर्यमणि:– इतना चौकों नही। और जैसा रूही ने कहा, पूरे धैर्य से काम लेना....
पूरी बात समझाने के बाद तीनो अलग हो गये। आर्यमणि पीछे रह गया और दोनो चिल्लाती हुई दौड़ने लगी। तकरीबन आधा किलोमीटर आगे जाने के बाद कानो में मृत्यु समान भय पैदा करने वाली आवाज आनी शुरू हो गयी। रूही ने अपने कदमों को धीमा किया, जबकि सारी बातें समझाने के बाद भी ओजल अपना आपा खो चुकी थी। और जितनी तेजी से वह आवाज के ओर बढ़ी थी, उतनी ही तेज उसकी चीख भी निकल गयी। उसके पाऊं लोहे के एक ट्रेपर में फसे थे, जिसमे हाथी के पाऊं तक फंस जाये तो वह विकलांग हो जाता है।
इसके पूर्व जब इवान और अलबेली अपने सहवास की प्रक्रिया पूरी कर दोनो हाथ फैलाकर जमीन पर ही लेट गये। शरीर के अंदर मधुर नशा सा छा रहा था और बदन मानो बेजान से पड़ गये थे। ऐसा आनंद आज से पहले कभी जीवन में उन्होंने मेहसूस नही किया था। तभी न जाने कहां से उग्र भीड़ वहां पहुंची और अपने लात से पागलों की तरह अलबेली और इवान के चेहरे पर मारने लगे।
दोनो के अंदर नशा इतना था कि अपने हाथ पाऊं तक नही हिला पा रहे थे। बस खुद के ऊपर लात चलते हुये मेहसूस कर रहे थे। दोनो की आंखें तब फैल गयी जब कुछ लोगों ने उन्हें ऊपर उठाया। दोनो ही समझने की कोशिश में जुट गये की उनका सामना किनसे हुआ है।
जो लोग उनके बदन को पकड़े हुये थे उनके हाथ इतने ठंडे थे मानो बर्फ ने उन्हे पकड़ रखा हो। चेहरे भी ठीक वैसे शरद बर्फ की तरह नजर आ रहे थे, जिनपर कोई भावना नहीं। चेहरे तो सामान्य इंसान जैसा था, लेकिन जब वह अपना मुंह फाड़े तब अंदर के दांत की बनावट ठीक किसी मांसहारी जानवर के समान थे। जैसे किसी शेर का जबड़ा हो जिसमें 4 नुकीले दांत बाहर निकले।
मुझे शक हो रहा था
शायद ल्यूक था इन सब के पीछे
पर पूरी अपडेट पढ़ लेने के बाद यह पता चला उसे भी फंसाया गया था
ओजोल के बाजू बंध बन जादूगर की दंश की वज़ह से काम निद्रा से जागृत हुई और हो रहे रिकार्डिंग को डिलीट किया
पर एक अंतरघात से आहत हुई
उसकी संभोग को ऐसे तो नहीं चाहा था
इसलिये स्वयं को विष मुक्त करने लगी
और इधर आर्यमणि और रूही को एहसास हो गया कि उसके सैंपेन में जहर था और निसंदेह किसी षड्यंत्र के शिकार हुए हैं
अल्फा पैक खतरे में है
बचाना है
उसके अल्फा पैक के दो सदस्य अलबेली और इवान सुध बुद्ध खोए जहर के प्रभाव में बेहोश पड़े हुए हैं