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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–89





रूही अपनी बात समाप्त कर वहां से उठ गयी। आर्यमणि, उसका हाथ थामकर….. "ठहरो रूही"...


रूही:– क्या हुआ, फिर कोई नई कहानी दिमाग में है क्या?


आर्यमणि:– इतना धैर्य क्यों खो रही हो। तुम्हारे इतने लंबे चौड़े सवालों की सूची का आधार केवल एक ही है, मैं नागपुर किस उद्देश्य से पहुंचा था? इसी सवाल के जवाब में मैं फिसला और तुम्हारे इतने सारे सवाल खड़े हो गये। ठीक है तो ध्यान से सुनो मैं नागपुर क्यों पहुंचा था.…

मुझे पता लगाना था कि सात्विक आश्रम के तत्काल गुरु निशी ने मुझे तीन बिंदु क्यों दिखाए.. अनंत कीर्ति की किताब, रीछ स्त्री का नागपुर में होना और पलक सात्विक आश्रम में क्या कर रही थी? इसके अलावा मेरी अपनी समीक्षा थी कि एक महान अल्फा हिलर फेहरीन को नागपुर लाने वाला प्रहरी कैसे एक अच्छा संस्था हो सकती है। गंदे और घटिया लोगों की संस्था है ये प्रहरी जिसका मुखौटा मुझे हटाना था। बस यही सब सवाल लेकर मैं नागपुर पहुंचा था।

रूही:– वाह बॉस वाह !!! अब अचानक से कहानी में सात्विक आश्रम भी आ गया। तो फिर उस दिन क्या सब नाटक नाटक खेल रहे थे जब अपस्यु से आपकी मुलाकात हुई थी?

आर्यमणि:– इसलिए तो नागपुर आने की सच्ची कहानी किसी को नही बता सकता था। यह अपने आप में एक बेहद उलझी कहानी थी जिसके तार अतीत से जुड़े थे। मेरे दादा वर्धराज कुलकर्णी से जुड़े। मैं बहुत से सवाल लेकर नागपुर पहुंचा था। अब किस सवाल को मुख्य बता दूं और किस सवाल को साधारण मुझे नही पता, हां लेकिन उन सबका केंद्र एक ही था प्रहरी। और जब केंद्र प्रहरी था फिर मेरे लिये सब बराबर थे, फिर चाहे प्रहरी में भूमि दीदी ही क्यों न हो।

रूही:– बॉस तुम फिर गोल–गोल घुमाने लगे। नागपुर क्यों आये क्या ये बताना इतना मुश्किल है या तुम बताना ही नही चाहते। बताओ नई–नई बात पता चल रही है। आश्रम का एक गुरु ने तुम्हे तीन बिंदु दिखाए थे...

आर्यमणि:– अब जब सच कह रहा हूं तो भी यकीन नही। तुम ही बताओ की कैसे तुम्हे एक्सप्लेन करूं...

रूही:– पहले अपने भागने को लेकर ही कहानी बता दो। क्या यूरोप में तुम्हारे परिवार ने तुम्हे नही ढूंढा या बात कुछ और थी?


आर्यमणि:– "कभी–कभी न जानना या सच को दूर रखना, शायद जान बचाने का एक मात्र तरीका बचता है। तुम जो सुनना चाहती हो वो मैं स्वीकार करता हूं। मैंने अपनो के दिमाग के साथ छेड़–छाड़ किया था। हां भूमि दीदी मुझे यूरोप में मिली थी, लेकिन उनके यादों से भी खेला, क्योंकि मैं अपने परिवार को ठीक वैसा ही दिखाना चाहता था जैसा तुम लोग के दिमाग में है। बेटा भाग गया और कोई चिंता ही नही। जबकि सच्चाई तो यह थी कि मैं लगातार अपने मां–पिताजी से बातें करता था लेकिन अपने पीछे आने से मना करता रहा।


बात शुरू ही हुई थी कि ओजल इवान और अलबेली भी वहां पहुंच चुके थे। कुछ पल की खामोशी के बाद आर्यमणि ने फिर बोलना शुरू किया...


"मैत्री और मेरे बीच का लगाव कहो या प्रेम, सब सच था। उसमे कोई दो राय नहीं थी। यदि हम दोनो के बीच कोई अटूट बंधन नहीं होता तो फिर वो मुझसे मिलने भारत आती ही नहीं। बस मैंने अपनी कहानी को फैंटेसी बनाने के लिये थोड़ा बढ़ा कर कह दिया था। जिस वक्त मैं गायब हुआ था, मैं कहां हूं या क्या कर रहा हूं, इस बात से प्रहरी को क्या फर्क पड़ता था। हां मेरे मां–पिताजी और भूमि दीदी को पता था कि मैं कहां हूं।"

"पहली बार जब मैं मैक्स के घर पहुंचा था, तभी मेरी बात सभी लोगों से हुई थी, केवल चित्रा और निशांत को छोड़कर। मां–पिताजी नही चाहते थे कि राकेश नाईक को मेरी कोई भी खबर मिले। इसके बाद जब मैं भारत पहुंचा तब मैने उनकी याद को अपने इच्छा अनुसार बदल दिया। बदलने के पीछे एक साधारण सा कारण यह था कि वो जीतना जानते है, उतना ही सच होगा। और मैं चाहता था कि प्रहरी यह न जाने की जब मैं गायब हुआ था, तब मेरे मां–पिताजी या भूमि दीदी किसी ने भी मुझसे संपर्क किया था।"

"हां लेकिन इस बार जब नागपुर छोड़ने की योजना बनी और जो सच्चाई मेरे घर के लोग या मेरे दोस्त जानते थे, उसे मैंने नही बदला। क्योंकि मुझे आश्रम और संन्यासी शिवम पर यकीन था। उनके लोग मेरे सभी प्रियजनों की रक्षा कर रहे, इसलिए यादों के साथ छेड़–छाड़ करने की जरूरत नहीं थी। ये एक पक्ष की सच्चाई जहां मैंने अपनो के यादों के साथ छेड़–छाड़ किया था। तुम लोगों के दिमाग में कोई सवाल।"..


अलबेली:– हां मेरा एक सवाल है। क्या आपने अपने दिमाग से कभी छेड़–छाड़ करने की कोशिश की है? यदि आप अपने दिमाग का फ्यूज खुद उड़ा लेंगे तो क्या वो अपने आप ठीक हो जायेगा?


ओजल:– बॉस पहले क्ला घुसाकर इस अलबेली का ही फ्यूज उड़ाओ।


इवान:– नाना बॉस अभी वो बच्ची है, कैजुअली पूछी थी।


इस से पहले की कोई और कुछ कहता रूही इतना तेज दहाड़ लगाई की वहां मौजूद तीनो टीन वुल्फ ही नहीं बल्कि उस जगह मौजूद सभी वुल्फ सहमे से अपनी जगह पर दुबक गये। अलबेली, ओजल और इवान तो इतने सहम गये की तीनो आर्यमणि में जाकर दुबक गये। आर्यमणि तीनो के सर पर हाथ फेरते... "कोई सवाल रूही"..


रूही:– अभी तो दिमाग में नही आ रहा लेकिन जब आयेगा तब पूछ लूंगी। चलो ये समझ में आ गया की तुम नही चाहते थे कि तुम्हारे मम्मी–पापा और भूमि दीदी किसी से झूठ कहे और कोई उनका झूठ पकड़ ले, इसलिए उनकी यादों से छेड़–छाड़ कर दिये। तो इसका मतलब ये मान लूं की तुम पूरे योजना के साथ, सभी प्रकार के रिस्क कैलकुलेट करने के बाद नागपुर पहुंचे और नागपुर कब तक छोड़ देना है, ये भी तुम पहले से योजना बनाकर आये थे।


आर्यमणि:– मैं नागपुर छोड़ने के इरादे से तो नहीं पहुंचा था लेकिन कुछ वक्त बिताने के बाद मैं समझ चुका था कि मुझे नागपुर छोड़ना होगा। हां मुझे कब नागपुर छोड़ना है यह मुझे पता था। इस बार मेरे घर के लोग मेरी तलाश में नही आये इसलिए मैंने ही उनके दिमाग ने यह डाला था कि मुझे कहीं बाहर भेज दे, नागपुर में रहा तो मारा जाऊंगा।


रूही:– हम्मम… अब लगे हाथ नागपुर आने का बचा हुआ सच भी बता दो...


आर्यमणि:– कहां से सुनना पसंद करोगी... नागपुर आने के पीछे की मनसा और उसकी पूरी प्लानिंग से, या फिर तुम्हारे सवालों के जवाब देते जाऊं, जिसने सब कवर हो जायेगा।


रूही:– नही मुझे शुरू से सुनना है। अब जो तुम कहोगे उसे मैं याद रखना चाहूंगी...


आर्यमणि…..

"आश्रम, एलियन और मेरी कहानी उस दिन शुरू हुई थी जिस दिन मैंने न्यूरो सर्जन का पूरा ज्ञान अपने अंदर समाहित किया था। मुझे ज्ञान हुआ की भूली यादें दिमाग के किस हिस्से में रहती है। ओशुन मेरे अरमान के साथ खेल चुकी थी और मैत्री जो केवल मेरे लिये मर गयी उसकी तस्वीर मेरे दिमाग से ओझल हो रही थी। मैत्री की बहुत पुरानी यादें थी और मैं देखना चाहता था कि हम पहली बार कैसे मिले थे?"

"मैं यादों की अतीत में खोता चला गया और वहां मेरी याद तब की थी, जब मैं अपनी मां के गर्भ में सातवे महीने का था। मेरी मां की आंखें मेरी आंखें थी। उनकी खुशी मेरी खुशी थी, उनका गम मेरा गम था और उनकी शिक्षा मेरी शिक्षा थी। मेरे दादा जी घंटों मेरी मां के पास बैठकर उन्हे मंत्र सुनाया करते थे। आज भी वो सारे मंत्र जैसे मेरे कान में गूंज रहे है। मेरे जन्म के करीब 45 दिन पूर्व वो लोग यात्रा पर निकले थे। मेरी मां, मेरे पापा, दादाजी, उनके मित्र गुरु निशी और गुरु निशी कुछ अनुयाई। वो सभी हिमालय के किसी विशेष कंदराओं में घुसे थे, जिसके अंदर एक पूरा गांव था। अलौकिक गांव था, जहां कोई रहता नही था।"

"गुरु निशी और मेरे दादा वर्धराज कुलकर्णी ने मिलकर वहां गुरु, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराधना करते हुये, भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का कोई अनुष्ठान कर रहे थे। 45 दिन बाद मेरा जन्म था और मेरी मां उस अनुष्ठान की एक साधिका थी। आज से कई हजार वर्ष पूर्व दिव्य नक्षत्र में जन्म ली एक महान साधिका ने इस गांव का कायाकल्प किया था। उसके बाद यह गांव कई दिव्य आत्मा और ज्ञानियों के जन्म का साक्ष्य बना था। न जाने कितने सदियों बाद यहां किसी का जन्म होने वाला था, वो भी सभी नौ ग्रह के अति–शुभ विलोम योग में। मेरे दादा और गुरु निशी दोनो बेहद ही खुश थे, और चूंकि नक्षत्र के हिसाब से सभी नौ ग्रहों की स्थिति विलोम थी इसलिए इन्होंने भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को ही साधना का केंद्र बनाया था।"

"लागातार 45 दिन तक हवन होते रहे। एक पल के लिये भी मंत्र जाप बंद नही हुआ। भगवान नरसिंह की पूजा चलती रही। ठीक 45 दिन बाद मेरा जन्म हुआ। जन्म के बाद की यादें काफी ओझल थी। जन्म के बाद जब मैं अपनी आंख से दुनिया देखा, तब कुछ दिनों तक कुछ भी नही दिखा था। जैसे–जैसे दिन बीते तब मेरे दृष्टि साफ होती गयी। 7 वर्ष की आयु तक मुझे उसी गांव में रखा गया था। मेरी मां, दादाजी, कुछ ऋषि, संत और महात्मा वहां रहते थे। सबकी अपनी कुटिया थी और मुझे उन सब के बीच हर अनुष्ठान, सिद्धि और आयोजन में रखा जाता था।"

"7 वर्ष की आयु के बाद सब उस गांव से यह कहते बाहर निकल रहे थे कि पूर्ण योजन हो चुका है। बालक की शिक्षा–दीक्षा पूर्ण हो चुकी है, अब केवल इसे सही मार्गदर्शन की जरूरत होगी। दादा जी और मां सबसे हाथ जोड़कर विदा लिये और हम गंगटोक चले आये। मेरी सबसे पहली मुलाकात भूमि दीदी से हुई थी। वह मेरी मां से झगड़ा कर रही थी। उन्हे इस बात का मलाल था कि वो मां के डिलीवरी के वक्त गंगटोक अकेली पहुंची, लेकिन यहां तो कोई था ही नही। उन्हे मुझे देखना था लेकिन उसी समकालीन 2 और मेरे करीबी ने जन्म लिया था, भूमि दीदी उन्हे देखने चली गयी, निशांत और चित्रा।"

"तब राकेश नाईक की ताजा पोस्टिंग नॉर्थ सिक्किम में हुई थी। मां, भूमि दीदी को अकेले में ले गयी और मेरे जन्म को लेकर कुछ समझाया हो, उसके बाद से वो यही रट्टा मरती रही की जन्म के बाद मैने सबसे पहले उन्ही की उंगली पकड़ी थी। उस वक्त मेरे मासी के घर से केवल भूमि दीदी ही आना–जाना करती थी। वहीं मैत्री से मेरी पहली मुलाकात 4 दिन बाद मेरे स्कूल के पहले दिन हुई थी। मैं बीच से ज्वाइन किया था और एकमात्र मैत्री की जगह ऐसी थी, जो खाली थी। बाकी सभी बेंच पर 3–4 बच्चे बैठे थे। सुहोत्र ने उस क्लास के सभी बच्चों को डरा रखा था, इसलिए मैत्री के साथ कोई बैठता नही था। आह कितनी प्यारी थी वो। उस दिन जो मैं उसके साथ बैठा फिर कभी हमने एक दूसरे का साथ ही नहीं छोड़ा।"

"ये वाकया मैं भूल चुका था। उसके बाद मेरी यादों में बस मैत्री ही थी। कुछ यादें अपने परिवार की और एक परिवर्तन जो देखने मिला, वो था राकेश नाईक का अचानक हमारे पड़ोस में आ जाना। चूंकि मेरी मां और निलाजना आंटी काफी ज्यादा परिचित और एक दूसरे के दोस्त भी थे, इसलिए मेरा उनके घर और उनका मेरे घर आना जाना लगा रहता था। तब मैं, चित्रा और निशांत बस दोस्त थे और मैत्री मेरी पूरी दुनिया। आगे बढ़ने से पहले मैं उस घटना को प्रकाशित कर दूं जिस वजह से मेरे परिवार को गंगटोक आना पड़ा था।"


"गंगटोक मे लोपचे परिवार का अपना इतिहास रहा था जिसके विख्यात होने का कारण पारीयान लोपचे था। जिसे लोपचे का भटकता मुसाफिर भी कहते थे। इस परिवार का संन्यासियों और सिद्ध पुरुषों के करीबी होने के कारण मेरे दादाजी और लोपचे परिवार के बीच गहरी मित्रता थी। मैत्री के दादा जी मिकु लोपचे और उसकी अर्धांगनी जावरी लोपचे, मेरे दादा जी काफी करीबी लोग थे। उस दौड़ में वर्धराज कुलकर्णी और मीकु लोपचे पूर्वी हिमालय के क्षेत्र में उसी गांव को पुर्नस्थापित करने में जुटे हुये थे, जहां मेरा जन्म हुआ था। उसी सिलसिले में गंगटोक के २ शक्तिशाली महान अल्फा वुल्फ मेरे दादा वर्धराज से मिलने नागपुर पहुंचे थे। प्रहरी ने उन्हें भटका हुआ वुल्फ घोषित कर दिया जो अपने क्षेत्र से हजारों किलोमीटर दूर विकृत मानसिकता से पहुंचा था। लोपचे दंपत्ति लगभग मर ही गये होते लेकिन बीच में दादाजी आ गया। बीच में भी किसके आये तो नित्या के।"

"मेरे दादा जी और नित्या के बीच द्वंद छिड़ा था। उस द्वंद में क्या हुआ और कैसे मेरे दादा जी ने नित्या को परस्त किया, उसकी मुझे जानकारी नही। लेकिन नित्या एक अलग प्रकार की सुपरनैचुरल थी, जिसे मेरे दादा जी पकड़कर प्रहरी मुख्यालय जांच के लिये लाये थे। उसके एक, दो दिन बाद नित्या भाग गयी और उसे वेयरवॉल्फ घोषित कर दिया गया। नित्या को भगाने का इल्ज़ाम भी मेरे दादा जी पर ही आया, जिसे मेरे दादा जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इसके उपरांत पूरे कुलकर्णी परिवार को महाराष्ट्र से बेज्जती करके बाहर निकाल दिया गया। किंतु वर्धराज कुलकर्णी को इसका कोई गम नही था। क्योंकि पूर्वी हिमालय में गांव बसाने का काम अब वो बिना किसी पाबंदी के कर सकते थे, इसलिए मेरे दादा जी आकर पूर्वी हिमालय के क्षेत्र गंगटोक मे अपना निवास बनाया जहां के जंगलों में लोपचे का पैक बसता था।"

"मेरा और मैत्री का साथ अभूतपूर्व था, किंतु लोपचे और हमारे परिवार के बीच उतनी ही गहरी दुश्मनी सी हो गयी थी। मेरे जन्म के दौरान मेरे दादा जी अलौकिक गांव में थे। इसका बात फायदा उठाकर प्रहरी ने मीकू और जावेरी लोपचे का शिकर कर लिया और कारण वर्धराज कुलकर्णी बताया गया। दुश्मनी का बीज बोया जा चुका था, और इसी दुश्मनी की वजह से मैं हमेशा लोपचे की आंखों में चढ़ा रहता था। लगभग डेढ़ साल बाद की बात होगी। मेरा साढ़े 8 वर्ष का हो चुका था, उसी दौरान मेरे और सुहोत्र लोपचे का लफरा हो गया। उस छोटी उम्र में मैने एक बीटा को मारकर उसकी टांगे तोड़ डाली। इस कारनामे के बाद मैं उन एलियन प्रहरी की नजरों में आ चुका था। तेजस और भूमि दीदी दोनो वहीं थे जब मैने सुहोत्र की टांग तोड़ी थी।"


"तेजस ने जब यह नजारा अपनी आंखों से देखा तब उसे शक सा हो गया की वर्धरज कुलकर्णी जरूर हिमालय में बैठकर कुछ कर रहा है। सिद्ध पुरुष तो मेरे दादा जी थे ही। यह बात नित्या के पकड़ में आते ही सिद्ध हो चुकी थी। ऊपर से राकेश का सर्विलेंस जो पिछले 7 साल से मेरे दादा जी को कहीं गायब बता रहा था। राकेश शायद चाह कर भी पता न लगा पाया होगा की दादाजी कहां थे, वरना वो एलियन प्रहरी उस गांव पर हमला कर चुके होते। मेरे दादा जी को जिंदा छोड़ने के पीछे का कारण भी बिलकुल सीधा था, वर्धराज का परिवार आंखों के सामने है, जायेगा कहां? उसके साथ और कितने सिद्ध पुरुष है या वह सिर्फ अकेला है, इस बात का पता लगाने में सब जुटे थे। मेरे दादा जी का 7 साल तक गायब रहना एलियन प्रहरी के शक को यकीन में बदल चुका था कि मेरे दादा जी के साथ और भी कई सिद्ध पुरुष है।"

"वहीं दूसरी ओर गुरु निशी पूर्वी हिमालय से कोषों दूर, दक्षिणी हिमालय के पास बसे नैनीताल में अपना गुरुकुल चला रहे थे। उन्होंने भी भरमाने के लिये अपने 4 बैच के शिष्यों को किसी भी प्रकार की सिद्धि का ज्ञान नही दिया था। गुरु निशी को भी पता था कि कोई तो है जो आश्रम को पनपने नही देता और उसकी नजर हर आश्रम पर बनी रहती है। इसलिए पहले 4 बैच को केवल आध्यात्म और वाचक बनने का ही ज्ञान दिये थे। पांचवे बैच से गुरु निशी ने कुछ शिष्यों का प्रशिक्षण शुरू किया था। लेकिन सब के सब इतने कच्चे थे कि गुरु निशी अपने हिसाब से उन्हे ढाल न सके। लेकिन कोशिश जारी रही और उनका पहला शिष्य संन्यासी शिवम गुरु निशी की कोशिशों का ही नतीजा था। संन्यासी शिवम अपनी मेहनत से कई सैकड़ों वर्ष बाद पोर्टल खोलने में कामयाब रहे। और गुरु निशी का आखरी शिष्य अपस्यु था, जो उनके सभी शिष्यों में श्रेष्ठ और छोटी सी उम्र में अपनी मेहनत से सबको प्रभावित करने वाला।"


"गुरु निशी कोषों दूर दक्षिणी हिमालय के क्षेत्र में थे। मेरे दादा जी पूर्वी हिमालय के क्षेत्र में। दोनो में किसी तरह लिंक ढूंढना लगभग नामुमकिन था। परंतु वह तांत्रिक आध्यात था, जिसने गुरु निशी और वर्धराज कुलकर्णी के बीच का राज खोल दिया था, जिसकी सूत्रधार वह पुस्तक रोचक तथ्य बनी थी। आध्यत को तनिक भी उम्मीद नहीं थी कि आश्रम का कोई गुरु सिद्धि प्राप्त भी हो सकता है। प्रहरी के तरह आध्यत को भी यही लगता था कि गुरु निशी आध्यात्म और वेद–पुराण के पाठ करने वाले कोई गुरु है।"

"गुरु निशी के हाथ वह रोचक तथ्य की पुस्तक लगी थी और तब उन्हें अनंत कीर्ति पुस्तक की वर्तमान स्थान तथा एक विकृत रीछ स्त्री के विषय में भी ज्ञात हुआ था। उन्होंने मात्र 2 दिन में ही विदर्भ क्षेत्र का पूर्ण भ्रमण करने के बाद रीछ स्त्री के शरीर को ढूंढ निकाला था। हालांकि नागपुर में वह केवल एक खोज के लिये नही पहुंचे थे, बल्कि अनंत कीर्ति की किताब को ढूंढने भी आये थे। यह किताब भी सात्विक आश्रम की ही थी जो आचार्य श्रीयूत के बाद कहां गयी किसी को भी नही पता था।"
 

andyking302

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भाग:–85





बॉब एक लेटर बढ़ाते हुए कहने लगा। मैंने वो लेटर अपने हाथ में लिया। चेहरे पर निराशा से भरी एक मुस्कान और लेटर में छोटा सा संदेश।…..


"तुम जिस सच कि तलाश में तड़प रहे थे वो सच मैंने तुम्हे बताया, और मुझे ईडन से मुक्त होना था सो तुमने करवा दिया। हमारी दुनिया अलग है आर्य, तुम अपना ख्याल रखना। माफ करना, तुम्हारा इस्तमाल नहीं करना चाहती थी लेकिन तुम में कुछ तो बात मुझे दिखी, जो मेरे कई वर्षों की कैद से रिहाई का जरिया था। तुम्हारी भावना को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था फिर भी मुझे मजबूरी में करना पड़ा। उम्मीद करती हूं तुम खुद को संभाल लोगे और हो सके तो मुझे माफ कर देना।


मै वो लेटर पढ़कर मुस्कुरा रहा था।… "बॉब जब ईडन मर रही थी, तब दर्द भरी तेज चींख ओशुन के मुंह से सुना था। मुझे वो तब भी हैरान कर गयी की ओशुन ईडन को मरते हुए क्यों नहीं देखना चाहती थी, जबकि लेटर में तो वो कई सालों से छुटकारा पाने की बात कर रही है।"..


बॉब:- ताकत की चाहत सुपरनैचुरल वर्ल्ड की सबसे बड़ी कमजोरी रही है आर्य। इस दुनिया में केवल ताकत हासिल करना ही लक्ष्य होता है। बिना क्ला और फेंग के ईडन को मार डाले, अफ़सोस तो होगा ना उसे। ईडन की पूरी ताकत बर्बाद हो गयी।


जैसे ही मैंने बॉब की वो बात सुनी फिर मै हड़बड़ी में पूछने लगा… "बॉब वहां कितनी लाशें थी।"..


बॉब शायद मेरे सवाल को भांप गया.… "हां ओशुन अब एक अल्फा है। उसके साथ उसके 4 और साथी अजरा, रोज, लिलियन लोरीश और जाइनेप यलविक ये सब भी एक अल्फा है। वुल्फ हाउस में 5 अल्फा की ताकत चुराने के इरादे से उसके बीटा ने मार डाला, जिसके सूत्रधार तुम बने।


मै:- कैसे?


बॉब:- एनिमल कंट्रोंल इंस्टिंक्ट। तुम्हारी आवाज़ अल्फा तक को काबू कर सकती है। फर्स्ट अल्फा तक को शांत कर सकती है। ओशुन और उसके दोस्तों ने उस मौके का फायदा उठा ले गये।


मैं:– मेरी आवाज जब अल्फा को कंट्रोल कर सकते थे तब एक बीटा कंट्रोल में क्यों नहीं रहा।


बॉब:– क्योंकि तुमने ओशुन को कंट्रोल नही किया था। वो तुम्हारे साथ थी, और उसके साथ जो भी होंगे वो तुम्हारे तरफ हुये। सीधी बात है, तुम्हारी दहाड़ से तुम्हारे साथ वाले एग्रेसिव होंगे और विपक्षी शांत।


मैं:– लेकिन ओशुन और बाकी के वोल्फ तो ईडन के साथ ब्लड ओथ में थे न।


बॉब:– ब्लड ओथ में होने से क्या होता है। वफादारी बदल चुकी थी इसलिए अलग असर देखने मिला।


मै:- ओशुन अपना नया पैक बनाकर गयी।


बॉब:- ओशुन अल्फा ग्रुप के साथ निकली थी। ये पैक तो नहीं था, लेकिन आपसी समझौता जरूर था। पहले ओशुन अपनी मां के पैक से मिलती और बाकियों को वो पैक उसकी मंजिल तक पहुंचता।


मै, गहरी श्वास लेते खुद को थोड़ा आराम देते… "तुम मुझे कहां ले आये फिर, और मेरे साथ क्या-क्या हुआ वो तो बता दो?"


बॉब:- एक शर्त पर..


मै:- बॉब अब ये मत कहना कि हमे मिशन पर निकलना है, मिशन इंपॉसिबल। प्लीज तुम मेरी बात को समझो। मै एक आम सा लड़का हूं, किसी वजह से सुपरनैचुरल बन गया। लेकिन आज भी मुझे मेरी मां की गोद याद आती है। मेरी भूमि दीदी को गलत समझा अंदर से सॉरी टाइप फील कर रहा हूं। मेरा बाप मुझे लेकर ही परेशान होगा, उन्हें कहना है पापा मै आपसे बहुत प्यार करता हूं। इतनी सी उम्र में 2 बार लव फेल्योर हो चुका है। खुद के लिए एक प्यारी सी लड़की ढूंढनी है। मुझे चित्रा को तंग करना है। निशांत के साथ रात में घूमकर कुछ मुसीबत में फंसे लोगों को निकालना है। और इस बार कोई खूबसूरत लड़की दिखी तो मै भी कहूंगा जान बचाई उसके बदले हमे प्लीज एक बार सेक्स करने दो, हमारा मेहनताना। बस इतनी सी ख्वाइश है।


बॉब:- "मेरी खुशकिस्मती जो तुमने इतनी बात कर ली। अच्छा मै शुरू से बताता हूं, जो भी अब तक मैंने तुम्हारे बारे में जाना है। तुम एक प्योर अल्फा हो। प्योर अल्फा मतलब बाय बर्थ तुम एक वेयरवुल्फ रहे हो, बस तुम्हारी वो शक्तियां ट्रिगर नहीं हो पायी थी अबतक।"

"तुम्हारा इंसानी पक्ष हर रूप में तुम्हारे साथ रहता है इसलिए जब तुम शेप शिफ्ट करते हो तो आसानी से किसी भी भाषा (जानवर या इंसानी भाषा) को बोल लेते हो। याद करो उस रात की वीडियो जिस रात तुम खुदाई कर रहे थे। एक अनियंत्रित वूल्फ शिकार करता है लेकिन तुम बस खुदाई कर रहे थे और हर जानवरों पर नियंत्रण कर रहे थे.. जबकि.."


मै:- अब ये पॉज की जरूरत है क्या बॉब?


बॉब:- जबकि तुम काली खाल ओढ़े थे। मतलब तुम एक बीस्ट वुल्फ की तरह ही थे, जिसे खुद पर नियंत्रण नहीं था। तुम नहीं जानते थे तुमने शेप शिफ्ट किया है। लेकिन फिर भी तुमने किसी पर हमला नही किया। ये होता है प्योर अल्फा। तुम्हारी जगह यदि ईडन अनियंत्रित होती तो पुरा एक शहर साफ कर देती, और उफ्फ तक नहीं करती।


मै:- फिर बोलते–बोलते रुक गये। अच्छा लग रहा था अपने बारे में अच्छी बातें सुनकर।


बॉब:- टू बी कंटिन्यू..


मै:- इसका क्या मतलब है बॉब और तुम मुझे कहां लेकर आये हो?


बॉब:- टू बी कंटिन्यू का मतलब कल बताऊंगा और इस वक़्त हम दुनिया के सबसे घने और बड़े जंगलों में से एक, रशिया के हिस्से में पड़ने वाले "बोरियल" जंगल में है।


मै:- बॉब देखो सस्पेंस क्रिएट मत करो, जो जानते हो बता दो। वरना भाड़ में गया तुमसे कुछ जानना, मै यहां से भागकर भी भारत वापस जा सकता हूं।


बॉब:- तुम्हारी मर्जी है लेकिन किसी लड़की की जान बचाने के बाद यदि उसके साथ सेक्स करोगे तब पता चलेगा वो चूम किसी इंसान को रही है और सेक्स किसी सैतना में साथ कर रही। और कहीं तुमने उसकी हालत ओशुन जैसी कर दी तब तो वो पक्का स्वर्गवासी भी हो जायेगी।


मै:- बहुत बड़े कमिने हो बॉब....


बॉब किसी सस्पेंस से कम नहीं था। उसने अपने शब्द जाल में ऐसे उलझाया की मैंने भी तय कर लिया चलो इसके साथ भी वक़्त बिताकर देख लिया जाय। वक़्त बीताकर देखा.. शायद मेरे नये बदलाव का बॉब एक ऐसा सहारा था जिसने मुझे मेरी पहचान बताई थी। बॉब मानो सुपरनैचुरल वर्ल्ड का विकिपीडिया था। वो ग्रीक, रोमन, मिस्र, नॉर्थ अमेरिकन और इंडियन सब कॉन्टिनेंट के सारे सुपरनैचुरल के बारे में पढ़ चुका था। उनके अनुसार सभी सभ्यता में सुपरनैचुरल की जितनी ज्यादा जानकारी इंडियन सब कॉन्टिनेंट के माइथोलॉजी हिस्ट्री में मिलती है, वो सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा सटीक है। भारत के इतिहासकारों ने जिस हिसाब से ना सिर्फ जमीन बल्कि महासागर के सुपरनैचुरल को एक्सप्लेन किया था वो अद्भुत है। फिर चाहे वो मत्स्य कन्या हो, या फिर मैन मेड विश कन्या एसासियन, या फिर मीठे पानी के सुपरनैचुरल क्रोकोडायल हो या फिर पृथ्वी पर सबसे विकसित प्रजाति रीछ हो। या फिर बिग फुट के नाम से मशहूर हिमालय की प्रजाति हो या फिर इक्छाधारी नाग हो। या फिर शेषनाग...


बॉब काफी प्रभावित करने वाला व्यक्ति था। मै बस गौर से उसे सुना करता था। उसके पास कई ऐसे दुर्लभ पुस्तकें थी, जो वो मुझे दिखाया करता था। ऐसा नहीं था कि उसने केवल किताबी ज्ञान हासिल की थी, बल्कि बहुत से दुर्लभ सुपरनैचुरल की जानकारी थी। वेयरवुल्फ और उसकी सारी वरायटी तो वो रट्टा मार जनता था।


उसके अनुसार जमीन पर रहने वाले सभी सुपरनेचुरल ताकत बढ़ाने की होड़ में इंसानों के हाथो शिकार होते चले गये। भले ही सुपरनेचुरल खुद को कितना भी सुपीरियर माने, लेकिन इतिहास गवाह था, हर विकृति मानसिकता के लोगो को अंत तक पहुंचना ही पड़ा था, भले ही वो खुद को कितना ही ताकतवर क्यों ना बना ले।


कई दिनों तक हम कई सारे सुपरनैचुरल पर बात करते रहे। ऐसा लग रहा था वो अपना ज्ञान मुझे बांट रहा हो। बॉब के बताने के ढंग और इस विषय से मुझे काफी रुचि हो गई थी। लेकिन बॉब था बहुत बरे वाला कमीना। प्योर अल्फा के विषय में वो कोई चर्चा नहीं करता था। करता भी कैसे वो खुद पहली बार किसी प्योर अल्फा से मिल रहा था।


सुपरनैचुरल के क्लासिफिकेशन का दौर जब खत्म हुआ तब उसने कई अच्छे तो कई बुरे सुपरनैचुरल के बारे में जिक्र किया, जिसकी इतिहास और वर्तमान में चर्चा थी। इसी चर्चा के दौरान मुझे फेहरीन के बारे में पता चला था रूही। तुम्हारी मां के बारे में बॉब पूरा 1 दिन बताते रह गया था। उसके बाद ढेर सारे विकृत वेयरवुल्फ कि चर्चा हुई। मौजूदा हालत में बीस्ट वुल्फ को उसने सबसे मजबूत और खतरनाक बताया। उन्हें रोकने और मारने के उपायों पर भी बात होने लगी।


फिर चर्चा शुरू हुई इतिहास के सर्व शक्तिमान इंसानों की और उनके विकृत प्रभावों को रोकने के लिये उठाये गये कदम। बॉब का एक बात कहना बहुत हद तक सही था, जो प्रकृति से कुछ खास बटोर लिये वो सब सुपरनैचुरल है। फिर हम केवल वेयरवुल्फ कि बात ही क्यूं करे। वेयरवुल्फ भी कई सुपरनैचुरल में से एक है जिसमे कई तरह कि ताकत के साथ शेप शिफ्ट करने कि एबिलिटी होती है। बॉब को वेटनारियन ना कहकर सुपरनैचुरल के डॉक्टर कह दूं तो ज्यादा गलत नहीं होगा। साथ में बहुत ही ज्यादा सेलफिश वाला इंसान भी। ऐसा मै क्यों कह रहा हूं वो भी बताता हूं…


कितने महीने मै उसके साथ रहा मुझे भी याद नहीं। बोरियल, रूस, के जंगल में दिन रोमांच के साथ गुजर रहे थे। बॉब का मानो मै एक रिसर्च सब्जेक्ट बन चुका था क्योंकि एक प्योर अल्फा के बारे में उसे भी पता नहीं था, इसलिए मेरे साथ बिताये अनुभव को वो लिखकर रखता था। मेरी पास किस तरह कि पॉवर है, कितना आक्रमक हो सकता हूं। पूर्णिमा को कैसी हालत रहती है, इसके अलावा प्योर अल्फा में क्या खास बातें होती है सब।


एक तो बॉब अपने आकलन के आधार पर वो मेरी हील पॉवर को परख चुका था। मुझमें अल्फा और फर्स्ट अल्फा के मुकाबले कई गुना ज्यादा हील पॉवर थी। वहीं बहुत बारीकी से छानबीन के बाद उसने मुझे बताया कि हवा, पानी, और आकाश में कहीं भी हुई घटना को मै मेहसूस कर सकता हूं, उसकी झलकियों को मै देख सकता हूं। मुझे उसका ये हवा, पानी और आकाश कि बात पर जोर देकर कहना कुछ समझ में नहीं आया।


तब बॉब अपने अनुभव को साझा करते हुये कहने लगे, बहुत कम ऐसे सुपरनैचुरल होते हैं जिसकी शक्तियां हर मीडियम मे एक जैसी होती है। यह ज्यादातर किसी भी प्योर सुपरनैचुरल में पाया जाता है जो अपनी कुछ शक्तियों को प्रतिकूल मीडियम (विरुद्ध या विपरीत पक्ष वाला मीडियम) में बनाये रख सकते है। हां लेकिन ये सभी प्योर सुपरनैचुरल में देखने मिले ऐसा संभव नहीं।


इसी मे एक बात और बॉब ने जोड़ा था। हर सुपरनैचुरल अलग-अलग मीडियम मे अलग-अलग तरह से रिस्पॉन्ड करता है। इसका ये मतलब नहीं कि मीडियम चेंज होने से केवल शक्तियां जाएंगे ही। हो सकता है दूसरा मीडियम ज्यादा अनुकूल हो। इसी के साथ एक और बात निकलकर आयी। सुपरनैचुरल की शक्तियां अलग-अलग एटमॉस्फियर और क्लाइमेट मे भी बदल सकती है। कहीं के एटमॉस्फियर मे शक्तियां बढ़ेंगी तो कहीं शून्य भी हो सकती है।


बातें थोड़ी अजीब थी लेकिन बॉब के साथ रहकर एक बात तो समझ चुका था, ये पूरी दुनिया ही अजीब चीजों से भरी पड़ी है। तब मुझे ओशुन का वो गांव याद आ गया जहां मैंने हर दरवाजा को छूकर देखा था, और वो मुझे विचलित कर गया था। ऐसा क्यों हुआ था उस वक़्त मै नहीं समझ पाया था, लेकिन आज जब बॉब मुझे प्योर अल्फा को थोड़ा और एक्सप्लोर कर रहा था, तब जाकर समझ में आया।


बस इन्हीं सब बातो में दिन गुजरते गये। बॉब मुझसे तरह-तरह की चीजे करने कहता, जिसमे ज्यादातर नतीजे नहीं निकलते। हां लेकिन कई सारे असफल प्रयोग के बाद, इक्के–दुक्के नई बात भी पता चलती। उसी ने अपने अनुभव के आधार पर आकलन किया था, जितनी ताकत मै शेप शिफ्ट करने के बाद मेहसूस करता हूं, लगभग उतनी ही ताकत मेरी इंसानी शरीर में भी है। बस मै जब भी उन शक्तियों को मेहसूस करता हूं तो अपना शेप शिफ्ट कर लेता हूं।


वो साला अनुभवी व्यक्ति बॉब एक बार और सही था। हमने बहुत से प्रयोग किये इसपर और सफलता भी पाया। बॉब ने हालांकि दिया तो मात्र थेओरी ही था लेकिन जब बॉब की बात सही हुई, सबसे ज्यादा आश्चर्य उसी को हुआ था। मुझे तो कभी–कभी बॉब को देखकर ऐसा लगता था कि साला कोई फेकू है जो 20 तुक्का मारता है, उसमे से 2-4 सही हो जाता है। खैर, तब उसी ने मुझसे कहा था कि जब तक प्योर अल्फा खुद ना चाह ले, कोई जान नहीं पायेगा कि एक वेयरवुल्फ आस पास है। हर किसी को ये तो समझ में आ सकता है कि कुछ है ऐसा जो मेरे ताकत को बढ़ाता है, लेकिन वो चाहकर भी पता नहीं लगा सकता।


मुझ पर वुल्फ को रोकने की सारी तकनीक बेअसर होगी क्योंकि प्योर अल्फा को ना तो अवरुद्ध भस्म यानी माउंटेन एश रोक पायेगी, और ना ही वुल्फबेन से मारा जा सकता है। जहां वेयरवुल्फ करंट लगने से अपने हृदय की गति बढ़ा लेते है, प्योर अल्फा ठीक उसके विपरीत अपनी धड़कन की गति लगातार नीचे ले जाते है। किसी के दिमाग को पढ़ना और उसकी यादों को देखना मेरे अंदर किसी अल्फा की तरह ही थी, बस मै जितनी सरलता से कर सकता था, कोई और शायद ही कर सके।


मैं किसी की पूरी याद देखने के लिये कितना समय लेता हूं, इसका भी टेस्ट बॉब ने किया था। और मजे की बात ये थी कि बोरीयाल के जंगल में जानवर दिखना खुशकिस्मती की बात होती है, इंसान तो भूल ही जाओ। बॉब ने टेस्ट के लिये कह तो दिया, लेकिन बकरा वही था। वेयरवोल्फ के बारे में तो मैं भी जनता था कि उसके क्ला या फेंग से घायल इंसान यदि इम्यून हो गया तब वह भी एक वेयरवॉल्फ बन जायेगा। उस वक्त मेरी विडंबना यही थी कि मैं याद देखूं कैसे?
Excellent fabulous update bhai

Kya mast details se Bata hey apne bohot hi badiya भाऊ
 
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nain11ster

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Wah maja aa gaya update padhke ...

Kya pol khol ke rakh di he Ruhi ne Aary ko uski sunayi kahani me hi uske loop holes dhundh liye chhori ne wah dimag to badhiya lagay he isbaar...

Par ye Aarymani Ruhi aur apne pure pact se kya baat chhupa raha he...aur wo yaha kya dhundhane aa yaa he yaha par...
Kuch nahi bus baat bahut itni si thi ki Arya nagpur kyon gaya... Bus usi ko extended sawal me dikhaya gaya hai 😄😄😄😄
 

nain11ster

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ओ तेरिकी यह तो रूही ने बॉम्ब ही फोड़ दिया। सारे पाठको के दिमाग की चूले हिला दी इस आइटम ने तो। क्या सटीक दिमाग लगाया कि आर्यमणि शायद चारो खाने चित्त ही हो गया होगा। बात जितनी सीधी दिख रही थी उतनी अब लग ना रही छोरे ये तू मन्ने के दिखा दियो भाई। आज तक बताई सुनाई सारी कहानी तो पिछवाड़े में घुस गई अब लगाए लॉजिक का टीका सभी पाठक मिल कर। वैसे नाइस अपडेट नैनु भाई।
Hahahaha.... Thik hai sawalon ke bauchhar ke baad ab jawab ka barish bhi karwa dete hain battu bhai
 

nain11ster

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आर्य की आत्मकथा पूरी हुईऔर उसने बता भी दिया कि कैसे बॉब ने प्रशिक्षण दिया उसको प्योर अल्फा बनाने में, फेहरीन के बारे में, वुल्फ हाउस को संघराल्य बनाने में।

मगर सांड की आंख फोड़ी रूही ने अपने सवालों से, याने ना सिर्फ आर्य के जर्मनी और रशिया के समय पर सवाल उठा दिया बल्कि आर्य और बॉब के बीच की बातो, आर्य के नागपुर जाने और वहां के सारे घटना क्रम, USA की घटनाओं, मैक्सिको आने और यहां बॉब की मौजूदगी सब पर सवाल खड़ा कर दिया।

क्या रूही का शक जायज है, क्या सच में आर्य की कहानी झूठी है और अगर है तो क्यों उसने अपने पैक को सच नही बताया? ऐसा क्या चल रहा था जो आर्य को इतने झूठ बोलने पड़े? दिमाग घुमंतु अपडेट, अब जल्दी से अगले अपडेट में सारे सवालों के जवाब मिल जाए तो बहुत ही मजा आ जाए। बहुत ही रोमांचक अपडेट्स।
Dekhiye aaj to aa raha hai nagpur pahunchne ke pichhe ki poori kahani.... Kahan kya dhamal hota hai dekhiye...
 
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