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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–87





दोबारा वो लोग हूटिंग करने लगे। मुझे कंधे पर बिठा लिया। मुझसे वहीं रुकने का आग्रह करने लगे और साथ में शिकार की कुछ ट्रेनिंग भी देने। खैर रुकने और ट्रेनिंग के लिये तो मैं राजी हुआ ही साथ में वुल्फ हाउस और ब्लैक फॉरेस्ट को पूरा मुक्त कराने का क्रेडिट भी शिकारियों को दे दिया। बदले में मैने उनसे वुल्फ हाउस का मालिकाना हक मांग लिया। मैं उस प्रॉपर्टी को नहीं छोड़ना चाहता था, जहां मेरे इवोल्यूशन की कहानी लिखी गयी थी। मैने तो अपना मांग लिया लेकिन बॉब मेरे पीछे अपनी काफी जमा पूंजी उड़ा चुका था, इसलिए उसने 1 लाख यूरो मांग लिया।


बॉब की ख्वाइश तो दुगनी पूरी हुई। शिकारियों ने उसे 2 लाख यूरो दे दिये। मेरे मांग में थोड़ी अर्चन आयी लेकिन मैक्स ने मेरी ख्वाइश पूरी कर दिया। हां लेकिन मुझे वुल्फ हाउस के लिये अलग से 1 लाख यूरो देने पड़े थे। वुल्फ हाउस की पूरी प्रॉपर्टी मेरी हुई। मैं वुल्फ हाउस छोड़ने से पहले अपनी यादें वहां छोड़ना चाहता था, इसलिए मैक्स के प्रस्ताव को मैने स्वीकार कर लिया।


वहां मैं और बॉब कुछ महीनो तक ठहरे। मुझे कुछ यादों को मूर्त रूप देना थे इसलिए जरूरी हो गया था कुछ लोगों की यादें चुराना। फालतू काम था, लेकिन मुझे करना पड़ा। जर्मनी के सबसे बढ़िया शिल्पकार का हमने पता लगाया। पता चला अपना देशी शिल्पकार ही था। राजस्थान का एक शिल्पकार परिवार पलायन करके जर्मनी में बसा था, जिसके पास ऐसा हुनर था कि किसी दुल्हन का घूंघट भी वह पत्थर को तराशकर बनाते थे जो अर्द्ध पारदर्शी होता और घूंघट के पीछे दुल्हन का चेहरा देखा जा सकता था। उसके अलावा मैं एक मेकअप आर्टिस्ट से भी मिला।


दोनो के हुनर मेरे पास थे और दोनो को उसके बदले मैने एक लाख यूरो दिया था। मुझे हुनर सीखाने की कीमत। मेरे और बॉब के बीच की बातें जारी रही साथ में वुल्फ हाउस की बहुत सी यादों को मैं मूर्त रूप दे रहा था। कुछ महीनो में मैने वहां 400 प्रतिमा बना दिया, जिसमे वुल्फ और इंसान दोनो की प्रतिमा थी। पूरी प्रॉपर्टी में प्रतिमा ही नजर आती। पहले दिन की खूनी रस्म से लेकर आखरी दिन की लड़ाई को मैने मूर्त रूप दे दिया था। इसी बीच अमेजन के जंगल की एक अल्फा हीलर फेहरीन के कारनामे की दास्तान बॉब ने शुरू कर दिया। बॉब चाहता था कुछ प्रतिमा जड़ों से ढका रहे। बॉब इकलौता ऐसा था जिसे फेहरीन के एक अप्रतिम कीर्तिमान का ज्ञान था। क्ला को जमीन में घुसाकर जमीन से जड़ों को निकाल देना।


थोड़े दिन की मेहनत और मैं भी फेहरीन की तरह कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब रहा था। कई पत्थरों पर मैने जड़ों को ऐसे फैलाया जैसे सच के कोई इंसान या जानवर खड़े थे। प्रतिमाओं को स्थापित करने के बाद उनके मेकअप का काम मैने शुरू किया। पूरे वुल्फ हाउस को मैने अपनी कल्पना दी थी। प्रतिमाओं के जरिये मैंने शेप शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को ही 5–6 प्रतिमाओं में दिखा दिया था। ईडन का बड़ा सा डायनिंग टेबल हॉल के मध्य में बनाया और 80 कुर्सियों पर इंसान और वेयरवॉल्फ को साथ बैठे दिखाया था। कुल मिलाकर मैं अपने इवोल्यूशन की कहानी वहां पूरा दर्शा गया। और अंदर के जंगल में देखने वाले मेहसूस करते की एक वेयरवोल्फ कितना दरिंदे हो सकते थे।


वुल्फ हाउस के दायरे में जितना जंगल पड़ता था, उसमे मैने अपने ऊपर के अत्याचार की कहानी लिखी थी। कई दरिंदे एक असहाय को नोचते हुये। वहां मैने छोटी सी प्रेम कहानी को भी कल्पना की मूर्त रूप दिया था। जिसके आगे मैने एक मतलबी लड़की की कहानी भी दर्शा दिया जिसने मेरे भावनाओं के साथ खेला था। और इन सब चक्र के अंत में मेरा आखरी इवोल्यूशन, एक श्वेत रंग का वेयरवॉल्फ, जो वहां के इंसान और वेयरवॉल्फ के बीच शांति स्थापित करने का कार्य किया था। 6 महीने से ऊपर लगे लेकिन जब मैने पहली बार वुल्फ हाउस का दरवाजा खोलकर लोगों को अंदर आने दिया और वुल्फ हाउस का पूरा प्रांगण घुमाया, तब वह जगह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया।


मैक्स और उसकी टीम को जब खबर लगी वो लोग भी पूरे जत्थे के साथ घूमने पहुंचे और वहां के प्रतिमाओं को देखकर कहने लगे... "जो सुपरनैचुरल दुनिया को नही जानते है, उनके लिये भी तुमने जीवंत उदाहरण छोड़ दिया है। वेयरवोल्फ के बदलाव से लेकर उनकी पूरी क्रूरता की कहानी। हां लेकिन एक प्रतिमा को तुमने मसीहा दिखाया है। क्या सुपरनैचुरल की दुनिया में भी अच्छे वुल्फ होते है।"… बस मैक्स का ये एक सवाल पूछना था और बॉब के पास तो वैसे भी कहानियों की कमी नही थी। और हर अच्छे वुल्फ के कहानी की शुरवात वो फेहरीन से ही करता था।


उस दिन जब मैक्स कई सैलानियों के साथ वुल्फ हाउस पहुंचा तब उसने मुझे एक बार और फसा दिया। जैसा ही उसने सबको बताया की ये कलाकृतियां मेरी है। कुछ लड़कियां मर मिटी। वो सामने से चूमने और बहुत कुछ करने को बेकरार थी। मैं उनकी भावना समझ तो रहा था लेकिन किसी स्त्री के साथ संभोग.. शायद इसके लिये मुझे बहुत इंतजार करना था। मेरी हालत पतली और कमीना बॉब मजे ले रहा था। किसी तरह जान बचाकर निकला।


वो जगह जंगल प्रबंधन ने मुझसे लीज पर ले लिया और सैलानियों के मनोरंजन के लिये उसे हमेशा के लिये खोल दिया गया था। मैं भी एक शर्त के साथ राजी हो गया की मुझे इस जगह का कोई लाभ नहीं चाहिए, बस ये संपत्ति हमेशा मेरी रहेगी। उन लोगों ने मेरी शर्त पर सहमति जता दी। जर्मन का काम खत्म करके एक बार फिर मैं और बॉब, बोरीयल, रशिया के जंगलों के ओर रुख कर चुके थे।


बॉब और फेहरीन। जैसे वो फेहरीन का भक्त था। बॉब से बातें करते वक़्त फिर वो पहला जिज्ञासा भी सामने आया जो मुझे नागपुर आने पर मजबूर किया था। बॉब अमेजन के जंगलों की ओर निकला था, क्योंकि गुयाना की एक वेयरवुल्फ अल्फा, नाम फेहरिन, हां तुम्हारी आई रूही उन्हीं की बात कर रहा हूं। बॉब उसी अल्फा हीलर से मिलने गया था। उसमे हील करने की अद्भुत क्षमता थी, शायद मेरे जितनी या मुझ से भी कहीं ज्यादा। लेकिन बॉब जबतक मिल पता, वहां शिकारियों का हमला हो गया। उसके पैक को खत्म कर दिया गया और उसे भारत के सबसे ख़तरनाक शिकारी पकड़कर नागपुर, ले आये थे।


बॉब की जानकारी को मैंने तब अपडेट नहीं किया। मैंने उसे नहीं बताया कि मै जानता हूं महान अल्फा हीलर फेहरीन को कौन शिकारी लेकर गये? मैं नागपुर लौटा क्योंकि मेरे मन में एक ऐसे अल्फा हीलर से मिलने की जिज्ञासा थी, जिसने अपना एक मुकाम हासिल किया था। जब भी बॉब तुम्हारी मां की बात करता ना वो बस यही कहता इंसानियत को ज़िंदा रखने का ज़ज़्बा किसी और मे हो नहीं सकता। एक नहीं फिर फेहरीन के हजार किस्से थे बॉब के पास, और हर बार फेहरीन से जुड़े नये किस्से ही होते। हां लेकिन तब ना तो बॉब को पता था और ना ही मुझे की शिकारी और सरदार खान ने मिलकर उसका क्या हाल किया। यदि उसके बचे 3 बच्चों (रूही, ओजल, इवान) के लिए मै कुछ कर रहा हूं तो ये मेरे लिए गर्व कि बात है।


वहीं मेरी दूसरी जिज्ञासा थी अनंत कीर्ति की किताब। बॉब के किताब संग्रह को मै देख रहा था। उसमें एक पुस्तक थी "रोचक तथ्य"। संस्कृत भाषा की इस पुस्तक में काफी रोचक घटनाएं लिखी हुई थी। जिसमे उल्लेखित कई घटनाएं उन सर्व शक्तिमान सुपरनैचुरल के बारे में थे, जो खुद को भगवान कि श्रेणी में मानते थे और कैसे उन तथा कथित भगवान का शिकार किया गया।


ज्यादातर उसमे बीस्ट अल्फा, इक्छाधरी नाग और विष कन्या का जिक्र था, जो किसी राजा के लिए कातिल का काम करते थे। उसी पुस्तक में वर्णित किया गया था तत्काल भारत में जब छुब्द मानसिकता के मजबूत इंसान, जैसे कि सेनापति, छोटे राज्य के मुखिया, लुटेरों का कबीला, सुपरनैचुरल के साथ मिलकर अपना वर्चस्व कायम करने में लगे थे। तब उन्हें रोका कैसे जाये, इस बात पर गहन चिंतन होने लगी।


रोचक तथ्य के लेखक बताते है कि पहली बार मुगलिया सल्तनत और अन्य राज्य जिन्होंने पुरानी सारी जानकारी की पुस्तक अपने पागलपन में मिटा दी थी, उनके पास इन सुपरनैचुरल को रोकने का कोई उपाय नहीं था और अपने कृत्य के लिए सभी अफ़सोस कर रहे थे। ना केवल भारत में बल्कि विकृति सुपरनैचुरल पूरे पृथ्वी पर कहर बरसा रहे थे। उन विकृति सुपरनैचुरल की पहचान करने और उन पर काबू करने के लिए देश विदेश की बड़ी–बड़ी ताकते एक साथ एक बार फिर नालंदा के ज्ञान भण्डार के ओर रुख कर चुकी थी। तकरीबन भारत के 30 राजा, और विदेश के 200 राजा इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आये थे।


आचार्य श्रीयुत, अचार्य महानंदा के शिष्य थे और महानंदा शिष्य थे अचार्य श्री हरि महाराज के, जिन्होंने एक विकृति रीछ को विदर्व के क्षेत्र में बंधा था, जिसका उल्लेख उसी रोचक तथ्य के पुस्तक में था। पीढ़ी दर पीढ़ी पूर्ण सिक्षा को आगे बढ़ाने के क्रम में श्री हरि महाराज की सिद्धियां इस वक़्त अचार्य श्रीयुत के पास थी। आचार्य श्रेयुत सभी देशों के मुखिया से मिले और यह कहकर मदद करने से मना कर दिया कि….. "सत्ता और ताकत के नशे में चुड़ राजा खुद ही ऐसे दुर्लभ प्रजाति (सुपरनैचुरल) की मदद लेते है, अपने दुश्मनों के कत्ल के लिये। विषकन्या जैसी कातिलों को तैयार करते हैं। खुद का लगाया वृक्ष जब भूतिया निकल गया तो आज आप सब यहां सभा करने आये है। चले जाएं यहां से।"..


सभी राजा, महराजा, शहंशाह और बादशाह ने जब उनके कतल्ले आम की दास्तां बताई तब अचार्य श्रीयुत का हृदय पिघल गया और उन्होंने आये हुये राजाओं से उनके 10 बुद्धिमान सैनिक मांग लिये। श्रीयुत ने मदद के बदले कुछ शर्तें भी रखी उनके पास। आचार्य श्रीयुत नहीं चाहते कि भविष्य में फिर कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो इसके लिए उनकी शर्त थी….


"वो अपने 12 शिष्यों को दुर्लभ प्रजाति और इंसनो के बीच का द्वारपाल यानी प्रहरी बनाएंगे, जो दोनो दुनिया के बीच में संतुलन स्थापित कर सके।"

"जहां कहीं भी विकृति मानसिकता वाले मनुष्य, विकृति दुर्लभ प्रजाति के साथ मिलकर लोक हानि करेंगे, तो उसे सजा देने मेरे शिष्य या उसके अनुयाई जाएंगे। पहले अनुयाई वो सैनिक होंगे जो आपसे हमने मांगे है। प्रहरी पहुंचेंगे और फिर चाहे दोषी कोई राजा ही क्यों ना हो आप सब को मिलकर उसे सजा देनी होगी।"

"हमारे शिष्य और उसके अनुयाई किसी के भी राज्य में कभी भी छानबीन करने जा सकते है, जिन्हे आपकी राजनीतिक और आर्थिक राज्य नीति में कोई दिलचस्पी नहीं होगी। वह उस राज्य में दुर्लभ प्रजाति की स्तिथि और विकृति मानसिकता के लोगों का उनके प्रति रुझान देखने जाएंगे। जिसके लिये आप सभी को करार करना होगा की उनकी सुरक्षा, और काम में बाधा ना आने की जिम्मेदारी उस राज्य के शासक की होगी।"

"यदि आप सभी ये प्रस्ताव मंजूर है तो ही मै पहले आपके लोगो को प्रशिक्षित करूंगा, फिर अपने 12 सदस्य शिष्यों को तैयार करूंगा।"


आचार्य श्रीयुत की बात पर सभी शासक काफी तर्क करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि उनकी शर्त जायज है, और भविष्य नीति के तहत एक सुदृढ़ कदम भी। हर राजा ने करार पर हस्ताक्षर करके अपनी मुहर लगा दी। उसके बाद तकरीबन 1 साल तक आचार्य श्रीयूत ने अपने गुरु की पुस्तक "अनंत कीर्ति" के 5 अध्याय का प्रशिक्षण उन सभी को 1 वर्ष तक करवाया और प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत उन्होंने सबको वापस भेज दिया।


उसके बाद आचार्य श्रीयूत ने अपने 12 प्रमुख शिष्यों को अनंत कीर्ति के 10 अध्याय तक का प्रशिक्षण दिया। उन्हें लगभग 3 साल तक प्रशिक्षित किया गया और जब उनकी प्रशिक्षण पूर्ण हुई, तत्पश्चात अचार्य श्रीयूत ने उन 12 सदस्य में से वैधायन भारद्वाज को सबका मुखिया बाना दिया, और उन्हें राजाओं द्वारा मिली धन, स्वर्ण मुद्रा और आवंटित जमीन के करार सौंप कर उन्हें दो दुनिया का द्वारपाल बनाकर लोकहित कल्याण के लिए संसार के विभिन्न हिस्सों में जाने और अपने अनुयायि बनाने की अनुमति दे दी।


3 वर्ष बाद ही आचार्य श्रीयूत की अकाल मृत हो गयी। उनकी मृत के पश्चात उनके मुख्य शिष्य वैधायन को उनके अनंत पुस्तक का वारिस बनाया गया। हालांकि अनंत कीर्ति की पुस्तक एक अलौकिक पुस्तक थी, जिसमें 25 अध्याय लिखे गये थे। इस पुस्तक को संरक्षित करने का तो वारिस मिल गया, किन्तु उस पुस्तक को पढ़ने की विधि आचार्य श्रीयूत किसी को बताकर नहीं जा सके।


मना जाता था कि अनंत कीर्ति की पुस्तक में काफी हैरतअंगेज जानकारियां थी, जो पिछले कई हजार वर्षों से आचार्य अपने शिष्यों में आगे बढ़ाते हुये जा रहे थे, जिसका सिलसिला आचार्य श्रीयुत की मौत से टूट गया। पुस्तक को खोलने की एक विधि जो प्रचलित है…

"यदि कोई भी व्यक्ति 25 प्रशिक्षित लोगो से एक साथ 25 तरह के हथियार के विरूद्ध लड़े, और बिना अपने रक्त का एक कतरा बहाये यदि वह ये लड़ाई जीत जाता है, तो वो व्यक्ति उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को खोल सकता है।"… इसी के साथ रोचक तथ्य का यह अध्याय समाप्त हो गया और मेरे मन की जिज्ञासा शुरू।


मजे की बात यह थी कि रोचक तथ्य में वर्णित इतिहास सच–झूठ का एक अनोखा संगम था, जिसे तत्काल प्रहरी समुदाय के फैलाये झूठ के आधार पर तांत्रिक अध्यात द्वारा लिखा गया था। यही वो किताब जरिया बनी फिर महाजनिका की आजादी का। बहरहाल मुझे उस वक्त भी उस पुस्तक पर पूरा यकीन नही था क्योंकि 25 तरह के हथियार से लड़ने की व्याख्या ही पूरी तरह से गलत थी। हां लेकिन रीछ समुदाय का इतिहास मेरे जहन में था और प्रहरी को तो मैं शुरू से जनता था। इसलिए मेरी दूसरी जिज्ञासा उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को देखने की हुई। जिसे खोल तो नही सकता था लेकिन कम से कम देख तो लेता।


मै बॉब से हंसकर विदा ले रहा था और साथ ही ये कहता चला कि अब भविष्य में उससे दोबारा फिर कभी नहीं मिलूंगा। बॉब से विदा भी ले चुका था एक सामान्य जीवन की पूर्ण इक्छा भी थी, क्योंकि मुझे पहचानने वाला कोई नहीं था। एक गलती करके बुरा फंसा था, वो था सुहोत्र लोपचे की जान बचाना। यदि मर जाने दिया होता तो मेरी सामान्य सी जिंदगी होती। इसी को आधार मानकर मै ये भी तय कर चुका था कि भार में गया मदद करना। मैं भी उस भीड़ का हिस्सा हूं जो पूर्ण जीवन काल में बिना एक भी दुश्मनी किये, बिना किसी लड़ाई झगड़े के जीवन बिता देते है। लेकिन ये इंसानों के जानने की जिज्ञासा... मेरे मन की जिज्ञासा में 2 सवाल घर कर गये थे..


एक सुपर हीलर अल्फा फेहरीन को अमेजन के जंगल से नागपुर क्यों लाया गया? वो अनंत कीर्ति की पुस्तक दिखती कैसी होगी? उसपर हाथ रखने का एहसास क्या होगा और क्या जब मै उसपर अपने हाथ रखूंगा तो अपने बारे में कुछ कहानी बयान करेगी?


मेरे लिए बस 2 छोटे से सवाल थे जिसका जवाब मै जनता था कि कहां है, किंतु मुझे तनिक भी एहसास नहीं था कि इन दोनों सवाल के जवाब ढूंढ़ने के क्रम में इतनी समस्या आ जायेगी... सवाल के जवाब तो कोसो दूर थे उल्टा मै खुद ही कई उलझनों में फंस गया। ये थी एक पूरे दौड़ कि कहानी जब मै गायब हुआ था।



आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।
 

krish1152

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भाग:–86




कुछ भी कहो बॉब एक जीनियस से कम नही। उसी ने सबसे पहले लुथिरिया वोलुपिनी के साइड इफेक्ट को एक उपचार के रूप में प्रयोग किया था और वो सफल भी रहा। लूथरिया वुलुपिनी न सिर्फ वेयरवोल्फ के लिये एक जहर है बल्कि दावा का काम भी करता है। यदि एंटीडॉट है तो लुथीरिया वुलुपिनि से किसी भी वुल्फ को कंट्रोल किया जा सकता है, खासकर न्यू वेयरवोल्फ को। एंटीडोट है तो लुथीरिया वुलुपिनी का इस्तमाल फेंग और क्ला से घायल इंसान को ठीक करने तथा वेयरवोल्फ में न तब्दील होने के लिये भी कर सकते है। बॉब ने वुल्फ के जितने भी मारने के तरीके थे, उन सब से बचने के उपाय मुझे बताया था।


खैर बॉब टेस्ट के लिये तैयार था और मैं क्ला घुसाकर उसकी यादें लेना शुरू किया। उसके ताज़ा यादों में ही मुझे ओशुन दिख गयी। ओशुन का चेहरा सामने आते ही मैं ख्यालों की गहराई में चला गया। एक–एक करके उसके साथ बिताये हर पल की तस्वीर दिखने लगी। फिर मुझे बॉब का ध्यान आया और मैंने उसकी याद वापस देखन शुरू किया। उसके बाद मैं न तो रुका और न ही भटका। 10 मिनट में उसकी पूरी याद खंगालने के बाद अपना क्ला बाहर निकाला।


बॉब ने आंख खोलते ही सबसे पहले समय देखा और मुझसे, अपने बचपन के बारे में कुछ पूछा। उसे मैंने बता दिया। फिर बॉब ने थिया के बारे में कुछ पूछा। वो भी मैने बता दिया। फिर बॉब ने एनिमल बिहेवियर से संबंधित एक जटिल प्रश्न किया, जिसका जवाब मैं नही दे सका। इतनी पूछताछ के बाद बॉब ने मुझसे कहा... "जैसे टीवी पर कोई मूवी देखने के बाद कुछ अच्छे चीजें दिमाग में छप जाति है और बहुत से चलचित्र पर हम जैसे ध्यान नहीं देते ठीक वैसा ही याद देखने का अनुभव होता है। मेरे जिंदगी की कुछ खास घटना तुम्हे याद है लेकिन पूरी याद देखने के बाद तुम्हे मेरे जिंदगी की सारी घटना याद नहीं। अब तुम ओशुन के बारे में मुझसे कुछ कुछ पूछो?"


मैं, भद्दा सा चेहरा बनाते... "उसकी बात नही करनी।"


बॉब:– अच्छा इसलिए ओशुन की सारी विजुअल इमेज मेरे दिमाग में डाल दिये। तुम्हारे दिमाग में ओशुन से जुड़ी जितनी भी याद है उसे मेरे दिमाग में ऐसे छाप दिये की वो मेरी जिंदगी का हिस्सा लग रहा है।


मैं:– क्या मतलब मैने ओशुन के विजुअल इमेज तुम्हारे दिमाग में डाले...


फिर बॉब ने मुझे हर वो बात बताई जिसे मैं क्ला घुसने के बाद सोचा था। मैं अचंभित और बॉब तो मुझसे भी कई गुणा ज्यादा अचंभित। यादों के साथ ऐसी छेड़–छाड़ न तो कहीं वर्णित था और न ही किसी मौखिक दंत कथाओं में उल्लेख मिलता था। हम दोनो ही इस विषय में और ज्यादा जानने के लिये उत्साहित थे। इस शक्ति के बारे में पता चलते ही फिर बॉब रुका ही नहीं।


आगे यादों से छेड़–छाड़ पर प्रयोग शुरू करने से पहले बॉब बेतुकी सी जिद पर बैठ गया। दुनिया के बेस्ट न्यूरो सर्जन की यादों को ध्यान से देखना। मुझे तो कभी–कभी ऐसा भी लगता था कि बॉब के दिमाग में कहीं चोट लगी थी और कभी–कभी दिमागी संतुलन उसका हिल जाता है। न्यूरो सर्जन की याद देखना? खैर उसकी बात न कैसे मानता। मैं भी राजी हो ही गया।


हमलोग वहां से सीधा पहुंचे स्पेन। स्पेन दुनिया में सबसे बेहतरीन न्यूरोसर्जन देने के लिये काफी प्रसिद्ध देश है। हम लोग दुनिया के सबसे चर्चित और टॉप क्लास नंबर 1 न्यूरोसर्जन का पता लगाया। काफी व्यस्त मानस था और पहले कभी भी किसी मरीज को नहीं देखता। पहले उसके चेले इलाज के लिये आते और जब केस नही संभालता तब शीर्ष वाला डॉक्टर। ऊपर से उनकी फी। आम लोग खुद को बेचकर भी उनकी फी पूरी न दे पाये।


जैसा की बॉब के विषय में मैं पहले भी बता चुका हूं, था तो वो बहुत बड़ा कमिना। उसने पेड़ और पौधों से लिये टॉक्सिक को ब्रेन की नसों में दौड़ाने के लिये कहने लगा। कह तो ऐसे रहा था जैसे सामने हलवा परोस कर खाने कह रहा हो। मुझसे हुआ ही नहीं। एक हफ्ते लग गये टॉक्सिक फ्लो को इच्छा अनुसार बहाव देने में। अभी तो इच्छा अनुसार बहाव दिया था। इसके बाद तो जैसे बॉब का मैं कोई साइंस प्रोजेक्ट हूं। पहले उसने सिखाया टॉक्सिक को ब्लड के साथ बहने दो। मैने ध्यान लगाया और टॉक्सिक को ब्लड का हिस्सा समझा। कमाल हो गया, रगों में टॉक्सिक बहने लगा। हां वो अलग बात थी की मेरा हर वेन शरीर से कुछ सेंटीमीटर उभरा हुआ नजर आता।


इसके बाद बॉब ने जैसे न्यूरोसर्जन को पागल करने की ठान रखी हो। उसने फिर टॉक्सिक को किसी न्यूरो ट्रैमिशन की तरह पूरे शरीर में फैलाने के लिये कहने लगा। अब न्यूरो ट्रासमिशन होता क्या है उसे समझने में पूरा एक दिन गुजर गया। उसके बाद ये काम भी मैने बॉब की मदद से किया। जब मैं न्यूरो ट्रांसमिशन से टॉक्सिक को अपने शरीर में फैला रहा था तब मानो मेरे पूरे शरीर पर नर्व के जाल खुली आंखों से दिख रहा था। मेरा शरीर कोई देख ले तो ऐसा लगता जैसे किसी ने मेरे ऊपर की चमरी को छीलकर हटा दिया और अंदर के पूरे नर्व को दिखा रहा, जो टॉक्सिक के बहाव के कारण दिखने में बिलकुल काला था।


बॉब को पता था कि फ्री में उस डॉक्टर तक कैसे पहुंचना है। हम गये स्पेन के सरकारी हॉस्पिटल। वहां मैने दिमाग से संबंधित दिक्कत बताया। उन लोगों ने ब्लड सैंपल लेकर मुझे एमआरआई (MRI) के लिये भेज दिया। एमआरआई हुआ और डॉक्टर पागल। एमआरआई कर रहे डॉक्टर ने तुरंत एक मेडिकल टीम बुलवा लिया। वो लोग भी मेरा दिमाग देखकर चक्कर खा गये। दिमाग की नशों में खून की जगह जैसे ट्यूमर बह रहा हो। और ये बहाव केवल दिमाग की नशों में ही था बल्कि न्यूरो ट्रांसमिशन देखकर तो जैसे पसीने ही आ गये।


सरकारी हॉस्पिटल का ये केस सीधा पहुंच गया दुनिया के नंबर 1 न्यूरो सर्जन की टीम के पास। उनकी पूरी टीम और शीर्ष पर बैठा डॉक्टर चैलेंज लेने पहुंच गया। उनकी दिमाग की नशों को और भी ज्यादा हिलाने के लिये बॉब ने खास प्रबंध कर रखा था। हर मिनट पर मेरी बीमारी पूरी तरह से ठीक और फिर पूरी तरह से वापस आ जाती। मैं उनके बीच चर्चा का विषय बन गया और मुझ पर एक्सपेरिमेंट करने के लिये उन्होंने मुझे 50 हजार यूरो में साइन कर लिया। हां वो अलग बात है कि पहले मुझे भयभीत किया गया। मरने का डर दिखाया गया। और बाद में उनके मदद के बदले मेरे परिवार के लिये उन्होंने 50 हजार यूरो मुझे दिये।


मुझे क्या करना था मैं भी उनके रिसर्च का हिस्सा बन गया। जिस दिन मैं उनके हॉस्पिटल पहुंचा। उसी दिन से सब काम पर लग गये। टेस्ट के नाम पर मेरे शरीर से न जाने क्या–क्या निकाल लिये, लेकिन कहीं कोई बीमारी निकल ही नहीं रही थी। एक ही टेस्ट को स्पेन के 10 लैब से इन लोगों ने करवाया। सबका नतीजा एक जैसा। जबकि एमआरआई की रिपोर्ट उन्हे चकराने पर मजबूर कर देते। अंत में शीर्ष पर खड़ा टॉप न्यूरोसर्जन अपनी टीम के साथ मेरी सर्जरी का प्लान बनाया।


यहां तक तो सब कुछ मेरे और बॉब के सोच अनुसार ही हुआ। लेकिन आगे जो होने वाला था, उसके बारे में मैं कुछ नही जानता था। पर बॉब से भी चूक हो गयी। हमने सोचा था ऑपरेशन थिएटर में जाने के बाद सभी डॉक्टर को बेहोश करके मैं न्यूरोसर्जन के दिमाग में क्ला घुसा दूंगा। लेकिन वो प्लान ही क्या जो आखरी समय में फेल न हो जाये। सालो ने ऐसा ऑपरेशन थिएटर चुना जिसे देखकर मैने माथा पीट लिया। उस ऑपरेशन थिएटर के ऊपर का छत.…


ये सबसे ज्यादा कमाल का था क्योंकि उसके ऊपर कोई छत ही नही था। आंख उठाकर ऊपर देखो तो सीधा सेकंड फ्लोर का छत नजर आता था और फर्स्ट फ्लोर के छत की जगह बालकोनी टाइप थोड़ा सा छज्जा चारो ओर से निकाले थे। छज्जे के किनारे से 4 फिट की स्टील रॉड की प्यारी सी फेंसिंग थी, जिसे पकड़कर नीचे ऑपरेशन का पूरा नजारा एचडी में खुली आंखों से ले सकते थे। और जिन्हे 12–13 फिट नीचे देख कर कुछ समझ में न आये, उनके लिये 60 इंच का स्क्रीन लगाया गया था। जहां दिमाग का छोटा सा पुर्जा भी 10 इंच से कम का न दिखता। लाइव क्रिकेट मैच जैसे पूरी वयवस्था थी।



ऊपर से तकरीबन 50–60 आमंत्रित डॉक्टर देख रहे थे और नीचे पूरी टीम मेरा ऑपरेशन करने के लिये मरी जा रही थी। मैं करूं तो क्या करूं। बॉब भी साथ में नही था, उसे तो प्रतीक्षालय में इंतजार करने कहा गया था। मैं बड़ी दुविधा में। ऊपर से इन डॉक्टर्स ने एक छोटा बटन दबाया नही की पूरा स्टाफ ओटी में पहुंच जाता। मुझे कुछ सूझ नही रहा था और ये लोग इंजेक्शन लगाकर मुझे बेहोश करने वाले थे।


जब समझदारी काम न आये तब बेवकूफ बनने में ही ज्यादा समझदारी है। ऊपर से मुझे तो वैसे भी दिमागी बीमारी लगी थी। सो मैंने आव देखा न ताव सीधा बेड से कूद गया। मेरे बदन पर न जाने कितने वायर लगे थे और नब्ज में नीडल। सबको नोच खरोच कर गिराते मैं ऑपरेशन थिएटर से बाहर भागा। मेरे पीछे कुछ जूनियर डॉक्टर और नर्स की टीम भागी। मैं तो ओटी के बाहर चला आया और कुछ ही देर में पूरा हॉस्पिटल प्रबंधन मेरे पीछे दौड़ रहा था।


5 मिनट तक इधर–उधर भागने के बाद मैं थोड़ा तेजी दिखाते हुये वापस ऑपरेशन थिएटर में भागा। ऑपरेशन थिएटर में कम से कम 15 लोग रहे होंगे। हां। लेकिन शुक्र था कि कोई ऊपर खड़ा नही था। मुझे कुछ नही सूझा इसलिए मैंने एक बेडशीट में आग लगाकर उसके ऊपर गीला बेडशीट डाल दिया। चारो ओर तेज धुवां उठा और उस धुवां की आड़ में नंबर 1 न्यूरो सर्जन को लूथरिया वुलुपिनी का इंजेक्शन देकर उसके गर्दन में क्ला घुसा दिया।


जब मैंने उस डॉक्टर की यादों में झांका फिर मुझे पता चला की बॉब इस डॉक्टर की यादें देखने के लिये क्यों इतना जोर दे रहा था। किसी की यादें खुद के दिमाग में लेना। दूसरों के दिमाग में यादें डालने तथा भ्रम और सच्चाई बीच की लकीर के बीच कैसे उलझन पैदा करनी है। कौन सी यादें कहां मिलेगी। भूली यादें कहां होती है। यादों को एक दिमाग में कितने तरह से डाला जा सकता है। यादों को किस प्रकार से मिटाया जा सकता है। या फिर अपनी काल्पनिक याद को किसी के दिमाग के अंदर कैसे वास्तविक बना सकते है, मुझे सब पता चल चुका था। मुझे पता चल चुका था कि कहां ध्यान लगाने से क्या सब हो सकता है। मैं दिमाग और नर्वस सिस्टम से जुड़े इतने बातों को समझ चुका था की मैं किसी के दिमाग से यादों का कोई खास हिस्सा बिना किसी परेशानी के उठा सकता था।


फिर तो धुएं की आड़ में मैने बचे 14 लोगों की यादें भी देख ली। सबकी यादें काम की नही थी, इसलिए उन्हे स्टोर नही किया सिवाय 3 और लोगों के। जिसमे से एक प्लास्टिक सर्जन था तो दूसरा कॉस्मेटिक सर्जन। ये दोनो उस न्यूरो सर्जन के दोस्त थे और कई मामलों में न्यूरो सर्जन को सलाह भी दिया करते थे। आखरी में था एनेस्थीसिया। मैने न्यूरो सर्जन के साथ उन तीनो को भी लपेट लिया। सभी डॉक्टर के कुछ देर पहले की यादें मिटा दी और मैं जाकर आराम से लेट गया।


उन डॉक्टर में से जिसकी आंख पहले खुली हो। उसने जाकर दरवाजा खोला। कई लोग अंदर पहुंचे। ऑपरेशन थिएटर को खाली करवाया गया और फिर मुझे लेकर एक प्राइवेट रूम में सुला दिया गया। उस दिन ऑपरेशन होने से रहा और अगली बार ऑपरेशन हो, ऐसा मौका मैने दिया ही नहीं। मेरे जितने भी टेस्ट हुये सबके परिणाम पोस्टिव आये। चूंकि मैं एक एक्सपेरिमेंट सब्जेक्ट था और मेडिकल काउंसिल के लोग मेरी रिपोर्ट्स देख रहे थे, इसलिए मुझे डिस्चार्ज करने के अलावा उनके पास और कोई ऑप्शन ही नही था।


हम फिर यूरोप भ्रमण के लिये निकले। हां लेकिन हमारे पास पैसों की काफी तंगी हो चुकी थी, इसलिए वुल्फ हाउस को लूटने के इरादे से हम दोनो सबसे पहले जर्मनी ही पहुंचे। बॉब, मैक्स और बाकी रेंजर को वुल्फ हाउस की दास्तान सुनाने निकल गया और मैं वुल्फ हाउस चला आया। दरवाजे पर ईडन के मांस का लोथड़ा तो नही था लेकिन खून के दाग वैसे ही लगे हुये थे। अंदर घुसते ही बड़ा सा हॉल अब भी लड़ाई की दास्तान सुना रहा था। लाशें एक भी नही थी, लेकिन खून के धब्बे और गंदी सी बदबू चारो ओर थी।


वुल्फ हाउस में मैने अपना काम शुरू कर दिया। पैसों का पता लगाते मैं ईडन के तहखाने पहुंच गया, जहां पर पैसों और बाउंड का भंडार छिपा था। कुल संपत्ति लगभग 50 मिलियन यूरो थी। मैने ईडन का पूरा लॉकर ही साफ कर दिया। पूरे पैसे, बैंक लॉकर की चाबियां, कुछ बॉन्ड्स और शेयर अपने बैग में समेटकर डाल लिया। मैं जब तक वापस हॉल में पहुंचा, बॉब कुछ लोगों को लेकर वुल्फ हाउस पहुंच चुका था। ब्लैक फॉरेस्ट का रेंजर मैक्स और उसकी बीवी थिया को देखकर मैं खुश हो गया। हां लेकिन थिया मुझे देखकर जरा भी खुश न थी। उसने भरी सभा में जोर से चिंखते हुये मुझे वेयरवोल्फ पुकार रही थी।


मामला ठन गया। थिया की बातों पर किसी को यकीन नही हुआ, लेकिन सभी शिकारियों की संतुष्टि के लिये मेरा टेस्ट लिया गया। पहला करेंट और दूसरा वोल्फबेन। मैं दोनो ही टेस्ट 100% मार्क के साथ पास कर गया। थिया को लेकिन जरा भी यकीन नहीं था और वो मुझे पूरी तरह से फसाने का ठान चुकी थी। उसे सेक्स टेस्ट चाहिए था। सबके सामने उसने कह दिया, यदि मैं वुल्फ नही तो किसी स्त्री के साथ सबके सामने संबंध बनाये।


मैं फंसा। थिया के चेहरे पर कुटिल मुस्कान और मैं चिंता में। सभी शिकारी हंसते हुये थिया को ही कपड़े उतारने कह दिये। मैक्स भी उनमें से एक था जो इस अजीब सी शर्त की मेजबानी थिया को करने ही कह दिया। कामिनी औरत मुझे पूरी तरह से फसा चुकी थी। वह उसी वक्त अपने ऊपर के कपड़े को फर्श पर गिराकर अंतः वस्त्र में खड़ी हो गयी और मेरे पास कोई रास्ता ही नही छोड़ी। बॉब ने मुख्य दरवाजा बंद किया और मैंने आतंक मचाने शुरू किया। बॉब के पास जानवरों को लिटाने वाले कई तरह के साधन थे। उन्ही साधनों को संसाधन में बदलकर सबको बेहोश किया और उनके जहन से मेरे वेयरवोल्फ होने की पूरी कहानी ही गायब करनी पड़ी।


उन्हे जब होश आया तब सभी अलग–अलग कमरों में लेटे थे। शाम के खाने की दावत पर सबको जगाया गया और पूरे रेंजर एक साथ जमा होकर बस ईडन के बारे में जानने के लिये उत्सुक थे। जब उन्हें पता चला की मैने अकेले ईडन का सफाया कर दिया और उसके साथ बाकी के अल्फा का भी, उनका चेहरा देखने लायक था। कुछ देर आश्चर्य से मौन रहे फिर जाम से जाम लहराते हूटिंग करने लगे। मैक्स ने मुझसे पूछा की आखिर मैं कैसे कामयाब रहा। तब मैने बॉब के बारे जिक्र करते कहा की बॉब ने माउंटेन ऐश और वुल्फ मारने का हथियार दिया। मैने उन सभी को ट्रैप करके मार डाला। और बचे हुये जो बीटा भागे उनका फिर पिछा नही किया।
Nice update
 

The king

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भाग:–85





बॉब एक लेटर बढ़ाते हुए कहने लगा। मैंने वो लेटर अपने हाथ में लिया। चेहरे पर निराशा से भरी एक मुस्कान और लेटर में छोटा सा संदेश।…..


"तुम जिस सच कि तलाश में तड़प रहे थे वो सच मैंने तुम्हे बताया, और मुझे ईडन से मुक्त होना था सो तुमने करवा दिया। हमारी दुनिया अलग है आर्य, तुम अपना ख्याल रखना। माफ करना, तुम्हारा इस्तमाल नहीं करना चाहती थी लेकिन तुम में कुछ तो बात मुझे दिखी, जो मेरे कई वर्षों की कैद से रिहाई का जरिया था। तुम्हारी भावना को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था फिर भी मुझे मजबूरी में करना पड़ा। उम्मीद करती हूं तुम खुद को संभाल लोगे और हो सके तो मुझे माफ कर देना।


मै वो लेटर पढ़कर मुस्कुरा रहा था।… "बॉब जब ईडन मर रही थी, तब दर्द भरी तेज चींख ओशुन के मुंह से सुना था। मुझे वो तब भी हैरान कर गयी की ओशुन ईडन को मरते हुए क्यों नहीं देखना चाहती थी, जबकि लेटर में तो वो कई सालों से छुटकारा पाने की बात कर रही है।"..


बॉब:- ताकत की चाहत सुपरनैचुरल वर्ल्ड की सबसे बड़ी कमजोरी रही है आर्य। इस दुनिया में केवल ताकत हासिल करना ही लक्ष्य होता है। बिना क्ला और फेंग के ईडन को मार डाले, अफ़सोस तो होगा ना उसे। ईडन की पूरी ताकत बर्बाद हो गयी।


जैसे ही मैंने बॉब की वो बात सुनी फिर मै हड़बड़ी में पूछने लगा… "बॉब वहां कितनी लाशें थी।"..


बॉब शायद मेरे सवाल को भांप गया.… "हां ओशुन अब एक अल्फा है। उसके साथ उसके 4 और साथी अजरा, रोज, लिलियन लोरीश और जाइनेप यलविक ये सब भी एक अल्फा है। वुल्फ हाउस में 5 अल्फा की ताकत चुराने के इरादे से उसके बीटा ने मार डाला, जिसके सूत्रधार तुम बने।


मै:- कैसे?


बॉब:- एनिमल कंट्रोंल इंस्टिंक्ट। तुम्हारी आवाज़ अल्फा तक को काबू कर सकती है। फर्स्ट अल्फा तक को शांत कर सकती है। ओशुन और उसके दोस्तों ने उस मौके का फायदा उठा ले गये।


मैं:– मेरी आवाज जब अल्फा को कंट्रोल कर सकते थे तब एक बीटा कंट्रोल में क्यों नहीं रहा।


बॉब:– क्योंकि तुमने ओशुन को कंट्रोल नही किया था। वो तुम्हारे साथ थी, और उसके साथ जो भी होंगे वो तुम्हारे तरफ हुये। सीधी बात है, तुम्हारी दहाड़ से तुम्हारे साथ वाले एग्रेसिव होंगे और विपक्षी शांत।


मैं:– लेकिन ओशुन और बाकी के वोल्फ तो ईडन के साथ ब्लड ओथ में थे न।


बॉब:– ब्लड ओथ में होने से क्या होता है। वफादारी बदल चुकी थी इसलिए अलग असर देखने मिला।


मै:- ओशुन अपना नया पैक बनाकर गयी।


बॉब:- ओशुन अल्फा ग्रुप के साथ निकली थी। ये पैक तो नहीं था, लेकिन आपसी समझौता जरूर था। पहले ओशुन अपनी मां के पैक से मिलती और बाकियों को वो पैक उसकी मंजिल तक पहुंचता।


मै, गहरी श्वास लेते खुद को थोड़ा आराम देते… "तुम मुझे कहां ले आये फिर, और मेरे साथ क्या-क्या हुआ वो तो बता दो?"


बॉब:- एक शर्त पर..


मै:- बॉब अब ये मत कहना कि हमे मिशन पर निकलना है, मिशन इंपॉसिबल। प्लीज तुम मेरी बात को समझो। मै एक आम सा लड़का हूं, किसी वजह से सुपरनैचुरल बन गया। लेकिन आज भी मुझे मेरी मां की गोद याद आती है। मेरी भूमि दीदी को गलत समझा अंदर से सॉरी टाइप फील कर रहा हूं। मेरा बाप मुझे लेकर ही परेशान होगा, उन्हें कहना है पापा मै आपसे बहुत प्यार करता हूं। इतनी सी उम्र में 2 बार लव फेल्योर हो चुका है। खुद के लिए एक प्यारी सी लड़की ढूंढनी है। मुझे चित्रा को तंग करना है। निशांत के साथ रात में घूमकर कुछ मुसीबत में फंसे लोगों को निकालना है। और इस बार कोई खूबसूरत लड़की दिखी तो मै भी कहूंगा जान बचाई उसके बदले हमे प्लीज एक बार सेक्स करने दो, हमारा मेहनताना। बस इतनी सी ख्वाइश है।


बॉब:- "मेरी खुशकिस्मती जो तुमने इतनी बात कर ली। अच्छा मै शुरू से बताता हूं, जो भी अब तक मैंने तुम्हारे बारे में जाना है। तुम एक प्योर अल्फा हो। प्योर अल्फा मतलब बाय बर्थ तुम एक वेयरवुल्फ रहे हो, बस तुम्हारी वो शक्तियां ट्रिगर नहीं हो पायी थी अबतक।"

"तुम्हारा इंसानी पक्ष हर रूप में तुम्हारे साथ रहता है इसलिए जब तुम शेप शिफ्ट करते हो तो आसानी से किसी भी भाषा (जानवर या इंसानी भाषा) को बोल लेते हो। याद करो उस रात की वीडियो जिस रात तुम खुदाई कर रहे थे। एक अनियंत्रित वूल्फ शिकार करता है लेकिन तुम बस खुदाई कर रहे थे और हर जानवरों पर नियंत्रण कर रहे थे.. जबकि.."


मै:- अब ये पॉज की जरूरत है क्या बॉब?


बॉब:- जबकि तुम काली खाल ओढ़े थे। मतलब तुम एक बीस्ट वुल्फ की तरह ही थे, जिसे खुद पर नियंत्रण नहीं था। तुम नहीं जानते थे तुमने शेप शिफ्ट किया है। लेकिन फिर भी तुमने किसी पर हमला नही किया। ये होता है प्योर अल्फा। तुम्हारी जगह यदि ईडन अनियंत्रित होती तो पुरा एक शहर साफ कर देती, और उफ्फ तक नहीं करती।


मै:- फिर बोलते–बोलते रुक गये। अच्छा लग रहा था अपने बारे में अच्छी बातें सुनकर।


बॉब:- टू बी कंटिन्यू..


मै:- इसका क्या मतलब है बॉब और तुम मुझे कहां लेकर आये हो?


बॉब:- टू बी कंटिन्यू का मतलब कल बताऊंगा और इस वक़्त हम दुनिया के सबसे घने और बड़े जंगलों में से एक, रशिया के हिस्से में पड़ने वाले "बोरियल" जंगल में है।


मै:- बॉब देखो सस्पेंस क्रिएट मत करो, जो जानते हो बता दो। वरना भाड़ में गया तुमसे कुछ जानना, मै यहां से भागकर भी भारत वापस जा सकता हूं।


बॉब:- तुम्हारी मर्जी है लेकिन किसी लड़की की जान बचाने के बाद यदि उसके साथ सेक्स करोगे तब पता चलेगा वो चूम किसी इंसान को रही है और सेक्स किसी सैतना में साथ कर रही। और कहीं तुमने उसकी हालत ओशुन जैसी कर दी तब तो वो पक्का स्वर्गवासी भी हो जायेगी।


मै:- बहुत बड़े कमिने हो बॉब....


बॉब किसी सस्पेंस से कम नहीं था। उसने अपने शब्द जाल में ऐसे उलझाया की मैंने भी तय कर लिया चलो इसके साथ भी वक़्त बिताकर देख लिया जाय। वक़्त बीताकर देखा.. शायद मेरे नये बदलाव का बॉब एक ऐसा सहारा था जिसने मुझे मेरी पहचान बताई थी। बॉब मानो सुपरनैचुरल वर्ल्ड का विकिपीडिया था। वो ग्रीक, रोमन, मिस्र, नॉर्थ अमेरिकन और इंडियन सब कॉन्टिनेंट के सारे सुपरनैचुरल के बारे में पढ़ चुका था। उनके अनुसार सभी सभ्यता में सुपरनैचुरल की जितनी ज्यादा जानकारी इंडियन सब कॉन्टिनेंट के माइथोलॉजी हिस्ट्री में मिलती है, वो सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा सटीक है। भारत के इतिहासकारों ने जिस हिसाब से ना सिर्फ जमीन बल्कि महासागर के सुपरनैचुरल को एक्सप्लेन किया था वो अद्भुत है। फिर चाहे वो मत्स्य कन्या हो, या फिर मैन मेड विश कन्या एसासियन, या फिर मीठे पानी के सुपरनैचुरल क्रोकोडायल हो या फिर पृथ्वी पर सबसे विकसित प्रजाति रीछ हो। या फिर बिग फुट के नाम से मशहूर हिमालय की प्रजाति हो या फिर इक्छाधारी नाग हो। या फिर शेषनाग...


बॉब काफी प्रभावित करने वाला व्यक्ति था। मै बस गौर से उसे सुना करता था। उसके पास कई ऐसे दुर्लभ पुस्तकें थी, जो वो मुझे दिखाया करता था। ऐसा नहीं था कि उसने केवल किताबी ज्ञान हासिल की थी, बल्कि बहुत से दुर्लभ सुपरनैचुरल की जानकारी थी। वेयरवुल्फ और उसकी सारी वरायटी तो वो रट्टा मार जनता था।


उसके अनुसार जमीन पर रहने वाले सभी सुपरनेचुरल ताकत बढ़ाने की होड़ में इंसानों के हाथो शिकार होते चले गये। भले ही सुपरनेचुरल खुद को कितना भी सुपीरियर माने, लेकिन इतिहास गवाह था, हर विकृति मानसिकता के लोगो को अंत तक पहुंचना ही पड़ा था, भले ही वो खुद को कितना ही ताकतवर क्यों ना बना ले।


कई दिनों तक हम कई सारे सुपरनैचुरल पर बात करते रहे। ऐसा लग रहा था वो अपना ज्ञान मुझे बांट रहा हो। बॉब के बताने के ढंग और इस विषय से मुझे काफी रुचि हो गई थी। लेकिन बॉब था बहुत बरे वाला कमीना। प्योर अल्फा के विषय में वो कोई चर्चा नहीं करता था। करता भी कैसे वो खुद पहली बार किसी प्योर अल्फा से मिल रहा था।


सुपरनैचुरल के क्लासिफिकेशन का दौर जब खत्म हुआ तब उसने कई अच्छे तो कई बुरे सुपरनैचुरल के बारे में जिक्र किया, जिसकी इतिहास और वर्तमान में चर्चा थी। इसी चर्चा के दौरान मुझे फेहरीन के बारे में पता चला था रूही। तुम्हारी मां के बारे में बॉब पूरा 1 दिन बताते रह गया था। उसके बाद ढेर सारे विकृत वेयरवुल्फ कि चर्चा हुई। मौजूदा हालत में बीस्ट वुल्फ को उसने सबसे मजबूत और खतरनाक बताया। उन्हें रोकने और मारने के उपायों पर भी बात होने लगी।


फिर चर्चा शुरू हुई इतिहास के सर्व शक्तिमान इंसानों की और उनके विकृत प्रभावों को रोकने के लिये उठाये गये कदम। बॉब का एक बात कहना बहुत हद तक सही था, जो प्रकृति से कुछ खास बटोर लिये वो सब सुपरनैचुरल है। फिर हम केवल वेयरवुल्फ कि बात ही क्यूं करे। वेयरवुल्फ भी कई सुपरनैचुरल में से एक है जिसमे कई तरह कि ताकत के साथ शेप शिफ्ट करने कि एबिलिटी होती है। बॉब को वेटनारियन ना कहकर सुपरनैचुरल के डॉक्टर कह दूं तो ज्यादा गलत नहीं होगा। साथ में बहुत ही ज्यादा सेलफिश वाला इंसान भी। ऐसा मै क्यों कह रहा हूं वो भी बताता हूं…


कितने महीने मै उसके साथ रहा मुझे भी याद नहीं। बोरियल, रूस, के जंगल में दिन रोमांच के साथ गुजर रहे थे। बॉब का मानो मै एक रिसर्च सब्जेक्ट बन चुका था क्योंकि एक प्योर अल्फा के बारे में उसे भी पता नहीं था, इसलिए मेरे साथ बिताये अनुभव को वो लिखकर रखता था। मेरी पास किस तरह कि पॉवर है, कितना आक्रमक हो सकता हूं। पूर्णिमा को कैसी हालत रहती है, इसके अलावा प्योर अल्फा में क्या खास बातें होती है सब।


एक तो बॉब अपने आकलन के आधार पर वो मेरी हील पॉवर को परख चुका था। मुझमें अल्फा और फर्स्ट अल्फा के मुकाबले कई गुना ज्यादा हील पॉवर थी। वहीं बहुत बारीकी से छानबीन के बाद उसने मुझे बताया कि हवा, पानी, और आकाश में कहीं भी हुई घटना को मै मेहसूस कर सकता हूं, उसकी झलकियों को मै देख सकता हूं। मुझे उसका ये हवा, पानी और आकाश कि बात पर जोर देकर कहना कुछ समझ में नहीं आया।


तब बॉब अपने अनुभव को साझा करते हुये कहने लगे, बहुत कम ऐसे सुपरनैचुरल होते हैं जिसकी शक्तियां हर मीडियम मे एक जैसी होती है। यह ज्यादातर किसी भी प्योर सुपरनैचुरल में पाया जाता है जो अपनी कुछ शक्तियों को प्रतिकूल मीडियम (विरुद्ध या विपरीत पक्ष वाला मीडियम) में बनाये रख सकते है। हां लेकिन ये सभी प्योर सुपरनैचुरल में देखने मिले ऐसा संभव नहीं।


इसी मे एक बात और बॉब ने जोड़ा था। हर सुपरनैचुरल अलग-अलग मीडियम मे अलग-अलग तरह से रिस्पॉन्ड करता है। इसका ये मतलब नहीं कि मीडियम चेंज होने से केवल शक्तियां जाएंगे ही। हो सकता है दूसरा मीडियम ज्यादा अनुकूल हो। इसी के साथ एक और बात निकलकर आयी। सुपरनैचुरल की शक्तियां अलग-अलग एटमॉस्फियर और क्लाइमेट मे भी बदल सकती है। कहीं के एटमॉस्फियर मे शक्तियां बढ़ेंगी तो कहीं शून्य भी हो सकती है।


बातें थोड़ी अजीब थी लेकिन बॉब के साथ रहकर एक बात तो समझ चुका था, ये पूरी दुनिया ही अजीब चीजों से भरी पड़ी है। तब मुझे ओशुन का वो गांव याद आ गया जहां मैंने हर दरवाजा को छूकर देखा था, और वो मुझे विचलित कर गया था। ऐसा क्यों हुआ था उस वक़्त मै नहीं समझ पाया था, लेकिन आज जब बॉब मुझे प्योर अल्फा को थोड़ा और एक्सप्लोर कर रहा था, तब जाकर समझ में आया।


बस इन्हीं सब बातो में दिन गुजरते गये। बॉब मुझसे तरह-तरह की चीजे करने कहता, जिसमे ज्यादातर नतीजे नहीं निकलते। हां लेकिन कई सारे असफल प्रयोग के बाद, इक्के–दुक्के नई बात भी पता चलती। उसी ने अपने अनुभव के आधार पर आकलन किया था, जितनी ताकत मै शेप शिफ्ट करने के बाद मेहसूस करता हूं, लगभग उतनी ही ताकत मेरी इंसानी शरीर में भी है। बस मै जब भी उन शक्तियों को मेहसूस करता हूं तो अपना शेप शिफ्ट कर लेता हूं।


वो साला अनुभवी व्यक्ति बॉब एक बार और सही था। हमने बहुत से प्रयोग किये इसपर और सफलता भी पाया। बॉब ने हालांकि दिया तो मात्र थेओरी ही था लेकिन जब बॉब की बात सही हुई, सबसे ज्यादा आश्चर्य उसी को हुआ था। मुझे तो कभी–कभी बॉब को देखकर ऐसा लगता था कि साला कोई फेकू है जो 20 तुक्का मारता है, उसमे से 2-4 सही हो जाता है। खैर, तब उसी ने मुझसे कहा था कि जब तक प्योर अल्फा खुद ना चाह ले, कोई जान नहीं पायेगा कि एक वेयरवुल्फ आस पास है। हर किसी को ये तो समझ में आ सकता है कि कुछ है ऐसा जो मेरे ताकत को बढ़ाता है, लेकिन वो चाहकर भी पता नहीं लगा सकता।


मुझ पर वुल्फ को रोकने की सारी तकनीक बेअसर होगी क्योंकि प्योर अल्फा को ना तो अवरुद्ध भस्म यानी माउंटेन एश रोक पायेगी, और ना ही वुल्फबेन से मारा जा सकता है। जहां वेयरवुल्फ करंट लगने से अपने हृदय की गति बढ़ा लेते है, प्योर अल्फा ठीक उसके विपरीत अपनी धड़कन की गति लगातार नीचे ले जाते है। किसी के दिमाग को पढ़ना और उसकी यादों को देखना मेरे अंदर किसी अल्फा की तरह ही थी, बस मै जितनी सरलता से कर सकता था, कोई और शायद ही कर सके।


मैं किसी की पूरी याद देखने के लिये कितना समय लेता हूं, इसका भी टेस्ट बॉब ने किया था। और मजे की बात ये थी कि बोरीयाल के जंगल में जानवर दिखना खुशकिस्मती की बात होती है, इंसान तो भूल ही जाओ। बॉब ने टेस्ट के लिये कह तो दिया, लेकिन बकरा वही था। वेयरवोल्फ के बारे में तो मैं भी जनता था कि उसके क्ला या फेंग से घायल इंसान यदि इम्यून हो गया तब वह भी एक वेयरवॉल्फ बन जायेगा। उस वक्त मेरी विडंबना यही थी कि मैं याद देखूं कैसे?
Nice update bhai waiting for next update
 

krish1152

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भाग:–87





दोबारा वो लोग हूटिंग करने लगे। मुझे कंधे पर बिठा लिया। मुझसे वहीं रुकने का आग्रह करने लगे और साथ में शिकार की कुछ ट्रेनिंग भी देने। खैर रुकने और ट्रेनिंग के लिये तो मैं राजी हुआ ही साथ में वुल्फ हाउस और ब्लैक फॉरेस्ट को पूरा मुक्त कराने का क्रेडिट भी शिकारियों को दे दिया। बदले में मैने उनसे वुल्फ हाउस का मालिकाना हक मांग लिया। मैं उस प्रॉपर्टी को नहीं छोड़ना चाहता था, जहां मेरे इवोल्यूशन की कहानी लिखी गयी थी। मैने तो अपना मांग लिया लेकिन बॉब मेरे पीछे अपनी काफी जमा पूंजी उड़ा चुका था, इसलिए उसने 1 लाख यूरो मांग लिया।


बॉब की ख्वाइश तो दुगनी पूरी हुई। शिकारियों ने उसे 2 लाख यूरो दे दिये। मेरे मांग में थोड़ी अर्चन आयी लेकिन मैक्स ने मेरी ख्वाइश पूरी कर दिया। हां लेकिन मुझे वुल्फ हाउस के लिये अलग से 1 लाख यूरो देने पड़े थे। वुल्फ हाउस की पूरी प्रॉपर्टी मेरी हुई। मैं वुल्फ हाउस छोड़ने से पहले अपनी यादें वहां छोड़ना चाहता था, इसलिए मैक्स के प्रस्ताव को मैने स्वीकार कर लिया।


वहां मैं और बॉब कुछ महीनो तक ठहरे। मुझे कुछ यादों को मूर्त रूप देना थे इसलिए जरूरी हो गया था कुछ लोगों की यादें चुराना। फालतू काम था, लेकिन मुझे करना पड़ा। जर्मनी के सबसे बढ़िया शिल्पकार का हमने पता लगाया। पता चला अपना देशी शिल्पकार ही था। राजस्थान का एक शिल्पकार परिवार पलायन करके जर्मनी में बसा था, जिसके पास ऐसा हुनर था कि किसी दुल्हन का घूंघट भी वह पत्थर को तराशकर बनाते थे जो अर्द्ध पारदर्शी होता और घूंघट के पीछे दुल्हन का चेहरा देखा जा सकता था। उसके अलावा मैं एक मेकअप आर्टिस्ट से भी मिला।


दोनो के हुनर मेरे पास थे और दोनो को उसके बदले मैने एक लाख यूरो दिया था। मुझे हुनर सीखाने की कीमत। मेरे और बॉब के बीच की बातें जारी रही साथ में वुल्फ हाउस की बहुत सी यादों को मैं मूर्त रूप दे रहा था। कुछ महीनो में मैने वहां 400 प्रतिमा बना दिया, जिसमे वुल्फ और इंसान दोनो की प्रतिमा थी। पूरी प्रॉपर्टी में प्रतिमा ही नजर आती। पहले दिन की खूनी रस्म से लेकर आखरी दिन की लड़ाई को मैने मूर्त रूप दे दिया था। इसी बीच अमेजन के जंगल की एक अल्फा हीलर फेहरीन के कारनामे की दास्तान बॉब ने शुरू कर दिया। बॉब चाहता था कुछ प्रतिमा जड़ों से ढका रहे। बॉब इकलौता ऐसा था जिसे फेहरीन के एक अप्रतिम कीर्तिमान का ज्ञान था। क्ला को जमीन में घुसाकर जमीन से जड़ों को निकाल देना।


थोड़े दिन की मेहनत और मैं भी फेहरीन की तरह कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब रहा था। कई पत्थरों पर मैने जड़ों को ऐसे फैलाया जैसे सच के कोई इंसान या जानवर खड़े थे। प्रतिमाओं को स्थापित करने के बाद उनके मेकअप का काम मैने शुरू किया। पूरे वुल्फ हाउस को मैने अपनी कल्पना दी थी। प्रतिमाओं के जरिये मैंने शेप शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को ही 5–6 प्रतिमाओं में दिखा दिया था। ईडन का बड़ा सा डायनिंग टेबल हॉल के मध्य में बनाया और 80 कुर्सियों पर इंसान और वेयरवॉल्फ को साथ बैठे दिखाया था। कुल मिलाकर मैं अपने इवोल्यूशन की कहानी वहां पूरा दर्शा गया। और अंदर के जंगल में देखने वाले मेहसूस करते की एक वेयरवोल्फ कितना दरिंदे हो सकते थे।


वुल्फ हाउस के दायरे में जितना जंगल पड़ता था, उसमे मैने अपने ऊपर के अत्याचार की कहानी लिखी थी। कई दरिंदे एक असहाय को नोचते हुये। वहां मैने छोटी सी प्रेम कहानी को भी कल्पना की मूर्त रूप दिया था। जिसके आगे मैने एक मतलबी लड़की की कहानी भी दर्शा दिया जिसने मेरे भावनाओं के साथ खेला था। और इन सब चक्र के अंत में मेरा आखरी इवोल्यूशन, एक श्वेत रंग का वेयरवॉल्फ, जो वहां के इंसान और वेयरवॉल्फ के बीच शांति स्थापित करने का कार्य किया था। 6 महीने से ऊपर लगे लेकिन जब मैने पहली बार वुल्फ हाउस का दरवाजा खोलकर लोगों को अंदर आने दिया और वुल्फ हाउस का पूरा प्रांगण घुमाया, तब वह जगह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया।


मैक्स और उसकी टीम को जब खबर लगी वो लोग भी पूरे जत्थे के साथ घूमने पहुंचे और वहां के प्रतिमाओं को देखकर कहने लगे... "जो सुपरनैचुरल दुनिया को नही जानते है, उनके लिये भी तुमने जीवंत उदाहरण छोड़ दिया है। वेयरवोल्फ के बदलाव से लेकर उनकी पूरी क्रूरता की कहानी। हां लेकिन एक प्रतिमा को तुमने मसीहा दिखाया है। क्या सुपरनैचुरल की दुनिया में भी अच्छे वुल्फ होते है।"… बस मैक्स का ये एक सवाल पूछना था और बॉब के पास तो वैसे भी कहानियों की कमी नही थी। और हर अच्छे वुल्फ के कहानी की शुरवात वो फेहरीन से ही करता था।


उस दिन जब मैक्स कई सैलानियों के साथ वुल्फ हाउस पहुंचा तब उसने मुझे एक बार और फसा दिया। जैसा ही उसने सबको बताया की ये कलाकृतियां मेरी है। कुछ लड़कियां मर मिटी। वो सामने से चूमने और बहुत कुछ करने को बेकरार थी। मैं उनकी भावना समझ तो रहा था लेकिन किसी स्त्री के साथ संभोग.. शायद इसके लिये मुझे बहुत इंतजार करना था। मेरी हालत पतली और कमीना बॉब मजे ले रहा था। किसी तरह जान बचाकर निकला।


वो जगह जंगल प्रबंधन ने मुझसे लीज पर ले लिया और सैलानियों के मनोरंजन के लिये उसे हमेशा के लिये खोल दिया गया था। मैं भी एक शर्त के साथ राजी हो गया की मुझे इस जगह का कोई लाभ नहीं चाहिए, बस ये संपत्ति हमेशा मेरी रहेगी। उन लोगों ने मेरी शर्त पर सहमति जता दी। जर्मन का काम खत्म करके एक बार फिर मैं और बॉब, बोरीयल, रशिया के जंगलों के ओर रुख कर चुके थे।


बॉब और फेहरीन। जैसे वो फेहरीन का भक्त था। बॉब से बातें करते वक़्त फिर वो पहला जिज्ञासा भी सामने आया जो मुझे नागपुर आने पर मजबूर किया था। बॉब अमेजन के जंगलों की ओर निकला था, क्योंकि गुयाना की एक वेयरवुल्फ अल्फा, नाम फेहरिन, हां तुम्हारी आई रूही उन्हीं की बात कर रहा हूं। बॉब उसी अल्फा हीलर से मिलने गया था। उसमे हील करने की अद्भुत क्षमता थी, शायद मेरे जितनी या मुझ से भी कहीं ज्यादा। लेकिन बॉब जबतक मिल पता, वहां शिकारियों का हमला हो गया। उसके पैक को खत्म कर दिया गया और उसे भारत के सबसे ख़तरनाक शिकारी पकड़कर नागपुर, ले आये थे।


बॉब की जानकारी को मैंने तब अपडेट नहीं किया। मैंने उसे नहीं बताया कि मै जानता हूं महान अल्फा हीलर फेहरीन को कौन शिकारी लेकर गये? मैं नागपुर लौटा क्योंकि मेरे मन में एक ऐसे अल्फा हीलर से मिलने की जिज्ञासा थी, जिसने अपना एक मुकाम हासिल किया था। जब भी बॉब तुम्हारी मां की बात करता ना वो बस यही कहता इंसानियत को ज़िंदा रखने का ज़ज़्बा किसी और मे हो नहीं सकता। एक नहीं फिर फेहरीन के हजार किस्से थे बॉब के पास, और हर बार फेहरीन से जुड़े नये किस्से ही होते। हां लेकिन तब ना तो बॉब को पता था और ना ही मुझे की शिकारी और सरदार खान ने मिलकर उसका क्या हाल किया। यदि उसके बचे 3 बच्चों (रूही, ओजल, इवान) के लिए मै कुछ कर रहा हूं तो ये मेरे लिए गर्व कि बात है।


वहीं मेरी दूसरी जिज्ञासा थी अनंत कीर्ति की किताब। बॉब के किताब संग्रह को मै देख रहा था। उसमें एक पुस्तक थी "रोचक तथ्य"। संस्कृत भाषा की इस पुस्तक में काफी रोचक घटनाएं लिखी हुई थी। जिसमे उल्लेखित कई घटनाएं उन सर्व शक्तिमान सुपरनैचुरल के बारे में थे, जो खुद को भगवान कि श्रेणी में मानते थे और कैसे उन तथा कथित भगवान का शिकार किया गया।


ज्यादातर उसमे बीस्ट अल्फा, इक्छाधरी नाग और विष कन्या का जिक्र था, जो किसी राजा के लिए कातिल का काम करते थे। उसी पुस्तक में वर्णित किया गया था तत्काल भारत में जब छुब्द मानसिकता के मजबूत इंसान, जैसे कि सेनापति, छोटे राज्य के मुखिया, लुटेरों का कबीला, सुपरनैचुरल के साथ मिलकर अपना वर्चस्व कायम करने में लगे थे। तब उन्हें रोका कैसे जाये, इस बात पर गहन चिंतन होने लगी।


रोचक तथ्य के लेखक बताते है कि पहली बार मुगलिया सल्तनत और अन्य राज्य जिन्होंने पुरानी सारी जानकारी की पुस्तक अपने पागलपन में मिटा दी थी, उनके पास इन सुपरनैचुरल को रोकने का कोई उपाय नहीं था और अपने कृत्य के लिए सभी अफ़सोस कर रहे थे। ना केवल भारत में बल्कि विकृति सुपरनैचुरल पूरे पृथ्वी पर कहर बरसा रहे थे। उन विकृति सुपरनैचुरल की पहचान करने और उन पर काबू करने के लिए देश विदेश की बड़ी–बड़ी ताकते एक साथ एक बार फिर नालंदा के ज्ञान भण्डार के ओर रुख कर चुकी थी। तकरीबन भारत के 30 राजा, और विदेश के 200 राजा इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आये थे।


आचार्य श्रीयुत, अचार्य महानंदा के शिष्य थे और महानंदा शिष्य थे अचार्य श्री हरि महाराज के, जिन्होंने एक विकृति रीछ को विदर्व के क्षेत्र में बंधा था, जिसका उल्लेख उसी रोचक तथ्य के पुस्तक में था। पीढ़ी दर पीढ़ी पूर्ण सिक्षा को आगे बढ़ाने के क्रम में श्री हरि महाराज की सिद्धियां इस वक़्त अचार्य श्रीयुत के पास थी। आचार्य श्रेयुत सभी देशों के मुखिया से मिले और यह कहकर मदद करने से मना कर दिया कि….. "सत्ता और ताकत के नशे में चुड़ राजा खुद ही ऐसे दुर्लभ प्रजाति (सुपरनैचुरल) की मदद लेते है, अपने दुश्मनों के कत्ल के लिये। विषकन्या जैसी कातिलों को तैयार करते हैं। खुद का लगाया वृक्ष जब भूतिया निकल गया तो आज आप सब यहां सभा करने आये है। चले जाएं यहां से।"..


सभी राजा, महराजा, शहंशाह और बादशाह ने जब उनके कतल्ले आम की दास्तां बताई तब अचार्य श्रीयुत का हृदय पिघल गया और उन्होंने आये हुये राजाओं से उनके 10 बुद्धिमान सैनिक मांग लिये। श्रीयुत ने मदद के बदले कुछ शर्तें भी रखी उनके पास। आचार्य श्रीयुत नहीं चाहते कि भविष्य में फिर कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो इसके लिए उनकी शर्त थी….


"वो अपने 12 शिष्यों को दुर्लभ प्रजाति और इंसनो के बीच का द्वारपाल यानी प्रहरी बनाएंगे, जो दोनो दुनिया के बीच में संतुलन स्थापित कर सके।"

"जहां कहीं भी विकृति मानसिकता वाले मनुष्य, विकृति दुर्लभ प्रजाति के साथ मिलकर लोक हानि करेंगे, तो उसे सजा देने मेरे शिष्य या उसके अनुयाई जाएंगे। पहले अनुयाई वो सैनिक होंगे जो आपसे हमने मांगे है। प्रहरी पहुंचेंगे और फिर चाहे दोषी कोई राजा ही क्यों ना हो आप सब को मिलकर उसे सजा देनी होगी।"

"हमारे शिष्य और उसके अनुयाई किसी के भी राज्य में कभी भी छानबीन करने जा सकते है, जिन्हे आपकी राजनीतिक और आर्थिक राज्य नीति में कोई दिलचस्पी नहीं होगी। वह उस राज्य में दुर्लभ प्रजाति की स्तिथि और विकृति मानसिकता के लोगों का उनके प्रति रुझान देखने जाएंगे। जिसके लिये आप सभी को करार करना होगा की उनकी सुरक्षा, और काम में बाधा ना आने की जिम्मेदारी उस राज्य के शासक की होगी।"

"यदि आप सभी ये प्रस्ताव मंजूर है तो ही मै पहले आपके लोगो को प्रशिक्षित करूंगा, फिर अपने 12 सदस्य शिष्यों को तैयार करूंगा।"


आचार्य श्रीयुत की बात पर सभी शासक काफी तर्क करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि उनकी शर्त जायज है, और भविष्य नीति के तहत एक सुदृढ़ कदम भी। हर राजा ने करार पर हस्ताक्षर करके अपनी मुहर लगा दी। उसके बाद तकरीबन 1 साल तक आचार्य श्रीयूत ने अपने गुरु की पुस्तक "अनंत कीर्ति" के 5 अध्याय का प्रशिक्षण उन सभी को 1 वर्ष तक करवाया और प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत उन्होंने सबको वापस भेज दिया।


उसके बाद आचार्य श्रीयूत ने अपने 12 प्रमुख शिष्यों को अनंत कीर्ति के 10 अध्याय तक का प्रशिक्षण दिया। उन्हें लगभग 3 साल तक प्रशिक्षित किया गया और जब उनकी प्रशिक्षण पूर्ण हुई, तत्पश्चात अचार्य श्रीयूत ने उन 12 सदस्य में से वैधायन भारद्वाज को सबका मुखिया बाना दिया, और उन्हें राजाओं द्वारा मिली धन, स्वर्ण मुद्रा और आवंटित जमीन के करार सौंप कर उन्हें दो दुनिया का द्वारपाल बनाकर लोकहित कल्याण के लिए संसार के विभिन्न हिस्सों में जाने और अपने अनुयायि बनाने की अनुमति दे दी।


3 वर्ष बाद ही आचार्य श्रीयूत की अकाल मृत हो गयी। उनकी मृत के पश्चात उनके मुख्य शिष्य वैधायन को उनके अनंत पुस्तक का वारिस बनाया गया। हालांकि अनंत कीर्ति की पुस्तक एक अलौकिक पुस्तक थी, जिसमें 25 अध्याय लिखे गये थे। इस पुस्तक को संरक्षित करने का तो वारिस मिल गया, किन्तु उस पुस्तक को पढ़ने की विधि आचार्य श्रीयूत किसी को बताकर नहीं जा सके।


मना जाता था कि अनंत कीर्ति की पुस्तक में काफी हैरतअंगेज जानकारियां थी, जो पिछले कई हजार वर्षों से आचार्य अपने शिष्यों में आगे बढ़ाते हुये जा रहे थे, जिसका सिलसिला आचार्य श्रीयुत की मौत से टूट गया। पुस्तक को खोलने की एक विधि जो प्रचलित है…

"यदि कोई भी व्यक्ति 25 प्रशिक्षित लोगो से एक साथ 25 तरह के हथियार के विरूद्ध लड़े, और बिना अपने रक्त का एक कतरा बहाये यदि वह ये लड़ाई जीत जाता है, तो वो व्यक्ति उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को खोल सकता है।"… इसी के साथ रोचक तथ्य का यह अध्याय समाप्त हो गया और मेरे मन की जिज्ञासा शुरू।


मजे की बात यह थी कि रोचक तथ्य में वर्णित इतिहास सच–झूठ का एक अनोखा संगम था, जिसे तत्काल प्रहरी समुदाय के फैलाये झूठ के आधार पर तांत्रिक अध्यात द्वारा लिखा गया था। यही वो किताब जरिया बनी फिर महाजनिका की आजादी का। बहरहाल मुझे उस वक्त भी उस पुस्तक पर पूरा यकीन नही था क्योंकि 25 तरह के हथियार से लड़ने की व्याख्या ही पूरी तरह से गलत थी। हां लेकिन रीछ समुदाय का इतिहास मेरे जहन में था और प्रहरी को तो मैं शुरू से जनता था। इसलिए मेरी दूसरी जिज्ञासा उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को देखने की हुई। जिसे खोल तो नही सकता था लेकिन कम से कम देख तो लेता।


मै बॉब से हंसकर विदा ले रहा था और साथ ही ये कहता चला कि अब भविष्य में उससे दोबारा फिर कभी नहीं मिलूंगा। बॉब से विदा भी ले चुका था एक सामान्य जीवन की पूर्ण इक्छा भी थी, क्योंकि मुझे पहचानने वाला कोई नहीं था। एक गलती करके बुरा फंसा था, वो था सुहोत्र लोपचे की जान बचाना। यदि मर जाने दिया होता तो मेरी सामान्य सी जिंदगी होती। इसी को आधार मानकर मै ये भी तय कर चुका था कि भार में गया मदद करना। मैं भी उस भीड़ का हिस्सा हूं जो पूर्ण जीवन काल में बिना एक भी दुश्मनी किये, बिना किसी लड़ाई झगड़े के जीवन बिता देते है। लेकिन ये इंसानों के जानने की जिज्ञासा... मेरे मन की जिज्ञासा में 2 सवाल घर कर गये थे..


एक सुपर हीलर अल्फा फेहरीन को अमेजन के जंगल से नागपुर क्यों लाया गया? वो अनंत कीर्ति की पुस्तक दिखती कैसी होगी? उसपर हाथ रखने का एहसास क्या होगा और क्या जब मै उसपर अपने हाथ रखूंगा तो अपने बारे में कुछ कहानी बयान करेगी?


मेरे लिए बस 2 छोटे से सवाल थे जिसका जवाब मै जनता था कि कहां है, किंतु मुझे तनिक भी एहसास नहीं था कि इन दोनों सवाल के जवाब ढूंढ़ने के क्रम में इतनी समस्या आ जायेगी... सवाल के जवाब तो कोसो दूर थे उल्टा मै खुद ही कई उलझनों में फंस गया। ये थी एक पूरे दौड़ कि कहानी जब मै गायब हुआ था।



आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।
Nice update
 

@09vk

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भाग:–85





बॉब एक लेटर बढ़ाते हुए कहने लगा। मैंने वो लेटर अपने हाथ में लिया। चेहरे पर निराशा से भरी एक मुस्कान और लेटर में छोटा सा संदेश।…..


"तुम जिस सच कि तलाश में तड़प रहे थे वो सच मैंने तुम्हे बताया, और मुझे ईडन से मुक्त होना था सो तुमने करवा दिया। हमारी दुनिया अलग है आर्य, तुम अपना ख्याल रखना। माफ करना, तुम्हारा इस्तमाल नहीं करना चाहती थी लेकिन तुम में कुछ तो बात मुझे दिखी, जो मेरे कई वर्षों की कैद से रिहाई का जरिया था। तुम्हारी भावना को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था फिर भी मुझे मजबूरी में करना पड़ा। उम्मीद करती हूं तुम खुद को संभाल लोगे और हो सके तो मुझे माफ कर देना।


मै वो लेटर पढ़कर मुस्कुरा रहा था।… "बॉब जब ईडन मर रही थी, तब दर्द भरी तेज चींख ओशुन के मुंह से सुना था। मुझे वो तब भी हैरान कर गयी की ओशुन ईडन को मरते हुए क्यों नहीं देखना चाहती थी, जबकि लेटर में तो वो कई सालों से छुटकारा पाने की बात कर रही है।"..


बॉब:- ताकत की चाहत सुपरनैचुरल वर्ल्ड की सबसे बड़ी कमजोरी रही है आर्य। इस दुनिया में केवल ताकत हासिल करना ही लक्ष्य होता है। बिना क्ला और फेंग के ईडन को मार डाले, अफ़सोस तो होगा ना उसे। ईडन की पूरी ताकत बर्बाद हो गयी।


जैसे ही मैंने बॉब की वो बात सुनी फिर मै हड़बड़ी में पूछने लगा… "बॉब वहां कितनी लाशें थी।"..


बॉब शायद मेरे सवाल को भांप गया.… "हां ओशुन अब एक अल्फा है। उसके साथ उसके 4 और साथी अजरा, रोज, लिलियन लोरीश और जाइनेप यलविक ये सब भी एक अल्फा है। वुल्फ हाउस में 5 अल्फा की ताकत चुराने के इरादे से उसके बीटा ने मार डाला, जिसके सूत्रधार तुम बने।


मै:- कैसे?


बॉब:- एनिमल कंट्रोंल इंस्टिंक्ट। तुम्हारी आवाज़ अल्फा तक को काबू कर सकती है। फर्स्ट अल्फा तक को शांत कर सकती है। ओशुन और उसके दोस्तों ने उस मौके का फायदा उठा ले गये।


मैं:– मेरी आवाज जब अल्फा को कंट्रोल कर सकते थे तब एक बीटा कंट्रोल में क्यों नहीं रहा।


बॉब:– क्योंकि तुमने ओशुन को कंट्रोल नही किया था। वो तुम्हारे साथ थी, और उसके साथ जो भी होंगे वो तुम्हारे तरफ हुये। सीधी बात है, तुम्हारी दहाड़ से तुम्हारे साथ वाले एग्रेसिव होंगे और विपक्षी शांत।


मैं:– लेकिन ओशुन और बाकी के वोल्फ तो ईडन के साथ ब्लड ओथ में थे न।


बॉब:– ब्लड ओथ में होने से क्या होता है। वफादारी बदल चुकी थी इसलिए अलग असर देखने मिला।


मै:- ओशुन अपना नया पैक बनाकर गयी।


बॉब:- ओशुन अल्फा ग्रुप के साथ निकली थी। ये पैक तो नहीं था, लेकिन आपसी समझौता जरूर था। पहले ओशुन अपनी मां के पैक से मिलती और बाकियों को वो पैक उसकी मंजिल तक पहुंचता।


मै, गहरी श्वास लेते खुद को थोड़ा आराम देते… "तुम मुझे कहां ले आये फिर, और मेरे साथ क्या-क्या हुआ वो तो बता दो?"


बॉब:- एक शर्त पर..


मै:- बॉब अब ये मत कहना कि हमे मिशन पर निकलना है, मिशन इंपॉसिबल। प्लीज तुम मेरी बात को समझो। मै एक आम सा लड़का हूं, किसी वजह से सुपरनैचुरल बन गया। लेकिन आज भी मुझे मेरी मां की गोद याद आती है। मेरी भूमि दीदी को गलत समझा अंदर से सॉरी टाइप फील कर रहा हूं। मेरा बाप मुझे लेकर ही परेशान होगा, उन्हें कहना है पापा मै आपसे बहुत प्यार करता हूं। इतनी सी उम्र में 2 बार लव फेल्योर हो चुका है। खुद के लिए एक प्यारी सी लड़की ढूंढनी है। मुझे चित्रा को तंग करना है। निशांत के साथ रात में घूमकर कुछ मुसीबत में फंसे लोगों को निकालना है। और इस बार कोई खूबसूरत लड़की दिखी तो मै भी कहूंगा जान बचाई उसके बदले हमे प्लीज एक बार सेक्स करने दो, हमारा मेहनताना। बस इतनी सी ख्वाइश है।


बॉब:- "मेरी खुशकिस्मती जो तुमने इतनी बात कर ली। अच्छा मै शुरू से बताता हूं, जो भी अब तक मैंने तुम्हारे बारे में जाना है। तुम एक प्योर अल्फा हो। प्योर अल्फा मतलब बाय बर्थ तुम एक वेयरवुल्फ रहे हो, बस तुम्हारी वो शक्तियां ट्रिगर नहीं हो पायी थी अबतक।"

"तुम्हारा इंसानी पक्ष हर रूप में तुम्हारे साथ रहता है इसलिए जब तुम शेप शिफ्ट करते हो तो आसानी से किसी भी भाषा (जानवर या इंसानी भाषा) को बोल लेते हो। याद करो उस रात की वीडियो जिस रात तुम खुदाई कर रहे थे। एक अनियंत्रित वूल्फ शिकार करता है लेकिन तुम बस खुदाई कर रहे थे और हर जानवरों पर नियंत्रण कर रहे थे.. जबकि.."


मै:- अब ये पॉज की जरूरत है क्या बॉब?


बॉब:- जबकि तुम काली खाल ओढ़े थे। मतलब तुम एक बीस्ट वुल्फ की तरह ही थे, जिसे खुद पर नियंत्रण नहीं था। तुम नहीं जानते थे तुमने शेप शिफ्ट किया है। लेकिन फिर भी तुमने किसी पर हमला नही किया। ये होता है प्योर अल्फा। तुम्हारी जगह यदि ईडन अनियंत्रित होती तो पुरा एक शहर साफ कर देती, और उफ्फ तक नहीं करती।


मै:- फिर बोलते–बोलते रुक गये। अच्छा लग रहा था अपने बारे में अच्छी बातें सुनकर।


बॉब:- टू बी कंटिन्यू..


मै:- इसका क्या मतलब है बॉब और तुम मुझे कहां लेकर आये हो?


बॉब:- टू बी कंटिन्यू का मतलब कल बताऊंगा और इस वक़्त हम दुनिया के सबसे घने और बड़े जंगलों में से एक, रशिया के हिस्से में पड़ने वाले "बोरियल" जंगल में है।


मै:- बॉब देखो सस्पेंस क्रिएट मत करो, जो जानते हो बता दो। वरना भाड़ में गया तुमसे कुछ जानना, मै यहां से भागकर भी भारत वापस जा सकता हूं।


बॉब:- तुम्हारी मर्जी है लेकिन किसी लड़की की जान बचाने के बाद यदि उसके साथ सेक्स करोगे तब पता चलेगा वो चूम किसी इंसान को रही है और सेक्स किसी सैतना में साथ कर रही। और कहीं तुमने उसकी हालत ओशुन जैसी कर दी तब तो वो पक्का स्वर्गवासी भी हो जायेगी।


मै:- बहुत बड़े कमिने हो बॉब....


बॉब किसी सस्पेंस से कम नहीं था। उसने अपने शब्द जाल में ऐसे उलझाया की मैंने भी तय कर लिया चलो इसके साथ भी वक़्त बिताकर देख लिया जाय। वक़्त बीताकर देखा.. शायद मेरे नये बदलाव का बॉब एक ऐसा सहारा था जिसने मुझे मेरी पहचान बताई थी। बॉब मानो सुपरनैचुरल वर्ल्ड का विकिपीडिया था। वो ग्रीक, रोमन, मिस्र, नॉर्थ अमेरिकन और इंडियन सब कॉन्टिनेंट के सारे सुपरनैचुरल के बारे में पढ़ चुका था। उनके अनुसार सभी सभ्यता में सुपरनैचुरल की जितनी ज्यादा जानकारी इंडियन सब कॉन्टिनेंट के माइथोलॉजी हिस्ट्री में मिलती है, वो सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा सटीक है। भारत के इतिहासकारों ने जिस हिसाब से ना सिर्फ जमीन बल्कि महासागर के सुपरनैचुरल को एक्सप्लेन किया था वो अद्भुत है। फिर चाहे वो मत्स्य कन्या हो, या फिर मैन मेड विश कन्या एसासियन, या फिर मीठे पानी के सुपरनैचुरल क्रोकोडायल हो या फिर पृथ्वी पर सबसे विकसित प्रजाति रीछ हो। या फिर बिग फुट के नाम से मशहूर हिमालय की प्रजाति हो या फिर इक्छाधारी नाग हो। या फिर शेषनाग...


बॉब काफी प्रभावित करने वाला व्यक्ति था। मै बस गौर से उसे सुना करता था। उसके पास कई ऐसे दुर्लभ पुस्तकें थी, जो वो मुझे दिखाया करता था। ऐसा नहीं था कि उसने केवल किताबी ज्ञान हासिल की थी, बल्कि बहुत से दुर्लभ सुपरनैचुरल की जानकारी थी। वेयरवुल्फ और उसकी सारी वरायटी तो वो रट्टा मार जनता था।


उसके अनुसार जमीन पर रहने वाले सभी सुपरनेचुरल ताकत बढ़ाने की होड़ में इंसानों के हाथो शिकार होते चले गये। भले ही सुपरनेचुरल खुद को कितना भी सुपीरियर माने, लेकिन इतिहास गवाह था, हर विकृति मानसिकता के लोगो को अंत तक पहुंचना ही पड़ा था, भले ही वो खुद को कितना ही ताकतवर क्यों ना बना ले।


कई दिनों तक हम कई सारे सुपरनैचुरल पर बात करते रहे। ऐसा लग रहा था वो अपना ज्ञान मुझे बांट रहा हो। बॉब के बताने के ढंग और इस विषय से मुझे काफी रुचि हो गई थी। लेकिन बॉब था बहुत बरे वाला कमीना। प्योर अल्फा के विषय में वो कोई चर्चा नहीं करता था। करता भी कैसे वो खुद पहली बार किसी प्योर अल्फा से मिल रहा था।


सुपरनैचुरल के क्लासिफिकेशन का दौर जब खत्म हुआ तब उसने कई अच्छे तो कई बुरे सुपरनैचुरल के बारे में जिक्र किया, जिसकी इतिहास और वर्तमान में चर्चा थी। इसी चर्चा के दौरान मुझे फेहरीन के बारे में पता चला था रूही। तुम्हारी मां के बारे में बॉब पूरा 1 दिन बताते रह गया था। उसके बाद ढेर सारे विकृत वेयरवुल्फ कि चर्चा हुई। मौजूदा हालत में बीस्ट वुल्फ को उसने सबसे मजबूत और खतरनाक बताया। उन्हें रोकने और मारने के उपायों पर भी बात होने लगी।


फिर चर्चा शुरू हुई इतिहास के सर्व शक्तिमान इंसानों की और उनके विकृत प्रभावों को रोकने के लिये उठाये गये कदम। बॉब का एक बात कहना बहुत हद तक सही था, जो प्रकृति से कुछ खास बटोर लिये वो सब सुपरनैचुरल है। फिर हम केवल वेयरवुल्फ कि बात ही क्यूं करे। वेयरवुल्फ भी कई सुपरनैचुरल में से एक है जिसमे कई तरह कि ताकत के साथ शेप शिफ्ट करने कि एबिलिटी होती है। बॉब को वेटनारियन ना कहकर सुपरनैचुरल के डॉक्टर कह दूं तो ज्यादा गलत नहीं होगा। साथ में बहुत ही ज्यादा सेलफिश वाला इंसान भी। ऐसा मै क्यों कह रहा हूं वो भी बताता हूं…


कितने महीने मै उसके साथ रहा मुझे भी याद नहीं। बोरियल, रूस, के जंगल में दिन रोमांच के साथ गुजर रहे थे। बॉब का मानो मै एक रिसर्च सब्जेक्ट बन चुका था क्योंकि एक प्योर अल्फा के बारे में उसे भी पता नहीं था, इसलिए मेरे साथ बिताये अनुभव को वो लिखकर रखता था। मेरी पास किस तरह कि पॉवर है, कितना आक्रमक हो सकता हूं। पूर्णिमा को कैसी हालत रहती है, इसके अलावा प्योर अल्फा में क्या खास बातें होती है सब।


एक तो बॉब अपने आकलन के आधार पर वो मेरी हील पॉवर को परख चुका था। मुझमें अल्फा और फर्स्ट अल्फा के मुकाबले कई गुना ज्यादा हील पॉवर थी। वहीं बहुत बारीकी से छानबीन के बाद उसने मुझे बताया कि हवा, पानी, और आकाश में कहीं भी हुई घटना को मै मेहसूस कर सकता हूं, उसकी झलकियों को मै देख सकता हूं। मुझे उसका ये हवा, पानी और आकाश कि बात पर जोर देकर कहना कुछ समझ में नहीं आया।


तब बॉब अपने अनुभव को साझा करते हुये कहने लगे, बहुत कम ऐसे सुपरनैचुरल होते हैं जिसकी शक्तियां हर मीडियम मे एक जैसी होती है। यह ज्यादातर किसी भी प्योर सुपरनैचुरल में पाया जाता है जो अपनी कुछ शक्तियों को प्रतिकूल मीडियम (विरुद्ध या विपरीत पक्ष वाला मीडियम) में बनाये रख सकते है। हां लेकिन ये सभी प्योर सुपरनैचुरल में देखने मिले ऐसा संभव नहीं।


इसी मे एक बात और बॉब ने जोड़ा था। हर सुपरनैचुरल अलग-अलग मीडियम मे अलग-अलग तरह से रिस्पॉन्ड करता है। इसका ये मतलब नहीं कि मीडियम चेंज होने से केवल शक्तियां जाएंगे ही। हो सकता है दूसरा मीडियम ज्यादा अनुकूल हो। इसी के साथ एक और बात निकलकर आयी। सुपरनैचुरल की शक्तियां अलग-अलग एटमॉस्फियर और क्लाइमेट मे भी बदल सकती है। कहीं के एटमॉस्फियर मे शक्तियां बढ़ेंगी तो कहीं शून्य भी हो सकती है।


बातें थोड़ी अजीब थी लेकिन बॉब के साथ रहकर एक बात तो समझ चुका था, ये पूरी दुनिया ही अजीब चीजों से भरी पड़ी है। तब मुझे ओशुन का वो गांव याद आ गया जहां मैंने हर दरवाजा को छूकर देखा था, और वो मुझे विचलित कर गया था। ऐसा क्यों हुआ था उस वक़्त मै नहीं समझ पाया था, लेकिन आज जब बॉब मुझे प्योर अल्फा को थोड़ा और एक्सप्लोर कर रहा था, तब जाकर समझ में आया।


बस इन्हीं सब बातो में दिन गुजरते गये। बॉब मुझसे तरह-तरह की चीजे करने कहता, जिसमे ज्यादातर नतीजे नहीं निकलते। हां लेकिन कई सारे असफल प्रयोग के बाद, इक्के–दुक्के नई बात भी पता चलती। उसी ने अपने अनुभव के आधार पर आकलन किया था, जितनी ताकत मै शेप शिफ्ट करने के बाद मेहसूस करता हूं, लगभग उतनी ही ताकत मेरी इंसानी शरीर में भी है। बस मै जब भी उन शक्तियों को मेहसूस करता हूं तो अपना शेप शिफ्ट कर लेता हूं।


वो साला अनुभवी व्यक्ति बॉब एक बार और सही था। हमने बहुत से प्रयोग किये इसपर और सफलता भी पाया। बॉब ने हालांकि दिया तो मात्र थेओरी ही था लेकिन जब बॉब की बात सही हुई, सबसे ज्यादा आश्चर्य उसी को हुआ था। मुझे तो कभी–कभी बॉब को देखकर ऐसा लगता था कि साला कोई फेकू है जो 20 तुक्का मारता है, उसमे से 2-4 सही हो जाता है। खैर, तब उसी ने मुझसे कहा था कि जब तक प्योर अल्फा खुद ना चाह ले, कोई जान नहीं पायेगा कि एक वेयरवुल्फ आस पास है। हर किसी को ये तो समझ में आ सकता है कि कुछ है ऐसा जो मेरे ताकत को बढ़ाता है, लेकिन वो चाहकर भी पता नहीं लगा सकता।


मुझ पर वुल्फ को रोकने की सारी तकनीक बेअसर होगी क्योंकि प्योर अल्फा को ना तो अवरुद्ध भस्म यानी माउंटेन एश रोक पायेगी, और ना ही वुल्फबेन से मारा जा सकता है। जहां वेयरवुल्फ करंट लगने से अपने हृदय की गति बढ़ा लेते है, प्योर अल्फा ठीक उसके विपरीत अपनी धड़कन की गति लगातार नीचे ले जाते है। किसी के दिमाग को पढ़ना और उसकी यादों को देखना मेरे अंदर किसी अल्फा की तरह ही थी, बस मै जितनी सरलता से कर सकता था, कोई और शायद ही कर सके।


मैं किसी की पूरी याद देखने के लिये कितना समय लेता हूं, इसका भी टेस्ट बॉब ने किया था। और मजे की बात ये थी कि बोरीयाल के जंगल में जानवर दिखना खुशकिस्मती की बात होती है, इंसान तो भूल ही जाओ। बॉब ने टेस्ट के लिये कह तो दिया, लेकिन बकरा वही था। वेयरवोल्फ के बारे में तो मैं भी जनता था कि उसके क्ला या फेंग से घायल इंसान यदि इम्यून हो गया तब वह भी एक वेयरवॉल्फ बन जायेगा। उस वक्त मेरी विडंबना यही थी कि मैं याद देखूं कैसे?
Nice update
 

THE FIGHTER

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Bhavna mehsus na hona ye koi normal baat to nahi hai
Phir se 2-3 saal gayab kand to bahot karega 100%
Bahot kuch chupa rakha hai prahariyon ne jo khul kar rahega
Sardar Khan ki taqat agar arya ko mil jaye to bahot hi badhiya baat hogi
Prahari Arya ke piche arya prahari ke piche ye to too much fun hai re bawa
 
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