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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
Bhumi Di ko bhi college ke bare me sab jankari hai or vo arya se uski raay puchh rhi thi, arya ne btaya to pr hmesha ki tarah aadha hi or palak ke sath pyar ki baat chhed di, bhumi Di akhir 20 din bolkr 10 din ke liye hi kyo ja rhi hai, kya Chal rha hai unke dimag me... Arya ne pub ke bahar us car se niche girte bacche ko apni tej speed se bcha liya Vahi palak jo pub ke bahar arya ka intjar kr rhi thi use arya Apne sath ride pr le gya or usse Apne pyar ka ijhar kr diya Vahi palak ko bhi pta Chal gya ki arya kyo humiliation sahan kr rha hai, arya ne bta diya apne parivar ke purane udaharan dekr ki bhumi Di or palak ke bhai ke Bich koi foot dalna chahta hai or arya usi mastermind ko dhundh rha hai... Superb jabarjast sandar update amazing
 

Lib am

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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
वाह इस अपडेट को पढ़ते हुए गाने की ये पंक्तियां याद आ गई

प्रेम कहानी में
एक लड़का होता है
एक लड़की होती है
कभी दोनों हँसते हैं

कभी दोनों रोते हैं

मतलब अंदाजा भूमि को भी था कि आर्य अभी खेल रहा है और शिकार को ये गलतफहमी पैदा करने दे रहा है कि वो शिकारी है। मगर जब ये राजा मैदान में आएगा तो हर शिकारी उसका शिकार होगा और जब राजा आखेट पर निकलता है तो वो ये नहीं देखता की शिकार कौन है और कितने है और वो मारता ही जाता है।

चलो पलक भी ऐसा ही सोचती है आर्य के बारे में जैसा उसको चाहने वाले बाकी लोग कि वो अभी कॉलेज में बस खेल रहा है। दोनो ने प्यार का इजहार भी कर लिया आगे के लिए प्लान भी । उत्तम अति उत्तम।
 

Kala Nag

Mr. X
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भाग:–13




शनिवार से लेकर रविवार तक आर्यमणि अपनी मासी के यहां ही रुका। पूरे नागपुर की सैर इन्हीं 2 दिनों में हो गया। सोमवार की सुबह कॉलेज का पहला दिन। बड़े ही खुशी के साथ आर्यमणि कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसकी खुशी देखकर भूमि कहने लगी… "क्यों अपनी गर्लफ्रेंड चित्रा से मिलने की तुझे इतनी ज्यादा खुशी है।"


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी और निशांत से भी..


भूमि:- आह हीरो लग रहा है बिल्कुल। ऊपर सन ग्लासेस लगा। हां अब ठीक है। ये बता तू मुझे थैंक्स क्यों कहा चित्रा के मामले में।


आर्यमणि:- अभी मै अपने दोस्तो से मिलने की खुशी में जा रहा हूं। आप मुझे उस बात के लिए छेड़ रही है, जो बात आपको भी पूरे अच्छे से पता है। कौन बहस मे पड़े।


भूमि:- इस बात के लिए कोई वीरता का पुरस्कार दे दूं क्या? चल आज मै तुझे कॉलेज छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- दीदी, आप परेशान ना हो मै चला जाऊंगा।


आर्यमणि कॉलेज पहुंचा और आराम से अपने क्लास ढूंढने लगा। इधर चित्रा, पलक, माधव, निशांत और निशांत की गर्लफ्रेंड हरप्रीत सभी कैंटीन में बैठकर कॉफी की चुस्की ले रहे थे, इसी बीच एक सेकंड ईयर का स्टूडेंट भागता हुआ कैंटीन में आया… "सुपर सीनियर (4th ईयर स्टूडेंट) आए है और एक स्टूडेंट को पकड़ रखा है। लगता है उसकी आज बैंड बजाने वाले है।"..


वो लड़का हल्ला करता हुआ सबको बता गया और कैंटीन से 5 कॉफी और सिगरेट लेकर चलता बना।… "इन सुपर सीनियर की रैगिंग क्या अलग होती है।"… पलक, निशांत और चित्रा से पूछने लगी।


निशांत:- पता नहीं। वैसे हमे तो सेकंड ईयर वालो का दर्द झेला नहीं गया था, ये तो फाइनल ईयर वाले है।


माधव:- चलकर देख लेते है फिर, ये सुपर सीनियर कैसे रैगिंग लेते है।


चित्रा:- चलो चलकर देखते है, इसी बहाने कुछ टाइमपास भी हो जाएगा।


पलक:- कैसे हो तुमलोग। कोई किसी को परेशान करेगा और तुम लोग उसे देखोगे।


निशांत:- शायद उन सुपर सीनियर्स के जाने के बाद उसे किसी कंधे कि जरूरत पड़े। ये भी तो हो सकता है ना पलक। मानवीय भावना से तुम भी क्यों नहीं चलती।


पलक:- हम्मम ! ये भी सही है। चलो चलते है।


चित्रा:- वैसे पलक ने उसे अपना कांधा दे दिया तब तो बेचारे के सारे गम दूर हो जाएंगे।


सभी बात करते हुए पहुंचे गए फर्स्ट ईयर के एरिया में, और जैसे ही नजर गई उस लडके पर… हाइट 6 फिट के करीब। आकर्षक गठीला बदन बिल्कुल किसी प्रोफेशनल एथलीट की तरह। रंग गोरा, चेहरा नजरें टिका देनेने वाली। और जब फॉर्मल के ऊपर आखों पर सन ग्लासेस लगाए था, किलर से कम नहीं लग रहा था। पलक उसे नजर भर देखने लगी।


चित्रा:- मारो, इसे खूब मारो.. इतना मारो कि होश ठिकाने आ जाए


निशांत:- बस अच्छे से इसकी ठुकाई हो जाए तो दिल खुश हो जाए।


पलक हैरानी से उन दोनों का चेहरा देखने लगी। ये सभी सुपर सीनियर्स के ठीक पीछे खड़े थे और नज़रों के सामने आर्यमणि।…. "इसने अपनी बॉडी पर काम किया है ना। पहले से कुछ पतला नजर आ रहा है ना निशांत।"..


निशांत:- ऐसा लग रहा है बदन के एक्स्ट्रा चर्बी को छीलकर आया हो जैसे।


इधर सुपर सीनियर्स छोटे से लॉन में लगे पत्थर की बनी बेंच पर बैठे थे और आर्यमणि ठीक उसके सामने। छोटा सा इंट्रो तो हो गया था। उसे खड़े रहने बोलकर सभी कॉफी पीने लगे थे। इसी बीच आर्यमणि ने अपने दोस्तो को देखा और अपना चस्मा निकालकर सीने में खोंस लिया।… "इसकी आखें नीली कबसे हो गई, कॉन्टैक्ट लेंस तो नहीं लिया।"..


निशांत:- इसपर पक्का यूएस की गलत हवा लगी है चित्रा। ये तो यहां की लड़कियों को दीवाना बनाने आया है। कमिने ने मेरे बारे में भी नहीं सोचा। अब मेरा क्या होगा।


हरप्रीत निशांत को एक लात मारती… "तुम्हारी छिछोड़ी हरकतें कभी बंद नहीं होगी ना।"


पलक इतनी डिटेल सुनने के बाद थोड़ी हैरान होती… "क्या यही आर्य है।"..


दोनो भाई बहन एक साथ… "हां यही आर्य है।"..


तभी सीनियर जो कॉफी पी रहे थे, अपनी आधी बची कॉफी आर्य के मुंह पर फेंकते… "अबे हम यहां बैठे है और तू मुस्कुराए जा रहा है।"


आर्यमणि:- सॉरी सर...


तभी एक सीनियर खड़ा हुआ और खींचकर एक तमाचा मरा। तमाचा इतना जोड़ का था कि आर्यमणि का उजला गाल लाल पर गया।… "कुत्ते के पिल्ले, झुककर, अदब से सर बोला कर। अच्छा तू सिगरेट पीता है।"


आर्यमणि:- टेक्निकल सवाल है सर जिसके जवाब पर थप्पड़ ही पड़ने है। वक़्त क्यों बर्बाद करना मारो।


उसे देखकर सभी हंसते हुए… "समझदार लड़का है।" सभी खड़े हो गए और एक के बाद एक उसके गाल पर निशान बनाते चले गए। उनकी इस हरकत को ना तो चित्रा बर्दास्त कर पाई और ना ही निशांत। उनके चेहरा देखकर ही आर्यमणि समझ गया कि अब ये दोनो यहां ना आ जाए इसलिए उसने इशारे से मानकर दिया।


निशांत:- साले कमीनो, वो मारने पर आ गया तो तुम पांचों अपनी जान बचा कर भागने लगोगे।


पलक:- तो फिर ये इतना बर्दास्त क्यों कर रहा है?


चित्रा:- क्योंकि वो सीनियर है और हमे रोज कॉलेज आना। अब हर दिन कॉलेज आकर लड़ाई तो नही कर सकते न... बस इसलिए मार खा रहा है...


इधर इन सीनियर्स का जब मारना हो गया।… "चल अब अपनी शर्ट निकाल।"..


आर्यमणि:- बस रैगिंग खत्म हो गई। अब जाओ यहां से सब। मेरा मूड नहीं रैगिंग देने का।


एक सीनियर… "साले तू हमे सिखाएगा।"..


आर्यमणि:- मै जानता हूं तुझे किसी ने सीखा कर भेजा है। तेरा काम हो गया अब मुझे जाने दे। वरना मामला फसा तो जिसने तुझे भेजा है वो शायद बच जाए पर तुम पांचों का मै वो हाल करूंगा कि पछताओगे, काश बात मान ली होती।


सीनियर्स को समझ में आ गया कि पोल खुल गई है इसलिए वहां से कटने में ही अपनी भलाई समझे। आर्यमणि भी अपनी बात कहकर, अपने दोस्तों के ओर तेजी से कदम बढ़ा दिया। वो दोनो भी आर्यमणि के ओर दौड़ लगा दिया। निशांत आकर सीधा गले से लगा, वहीं चित्रा पास में आकर खड़ी हो गई।


आर्यमणि अपना एक हाथ खोलकर उसे भी अपने बीच लिया और तीनों ही गले लगकर अपने गम भुलाने लगे। हल्की आखें नम और दिल में ढेरों उमंगे। कुछ देर गले लगने के बाद तीनों वापस कैंटीन आ गए। अपने बीच 2 नए लोग को देखकर आर्यमणि पूछने लगा…. "ये हमारे नए साथी कौन है, मिलवाया नहीं तुमने।"..


चित्रा:- आर्य, ये है मेरी प्यारी कजिन पलक, और पलक..


पलक:- हां जानती हूं, ये है आर्य। हेल्लो आर्य..


आर्यमणि, भी अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "हेल्लो पलक, तुम बहुत खूबसूरत है।"..


चित्रा:- खूबसूरत है, ये मेरे कान सही काम कर रहे है ना।


निशांत, आर्यमणि के सर पर हाथ रखते हुए…. "मेरे भाई दिमाग के अंदर सारे पुर्जे सही से काम तो कर रहे है ना।"


आर्यमणि:- और ये साथी कौन हैं?


आर्यमणि, माधव के ओर देखते हुए कहने लगा।…. "ये माधव है।"


माधव अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "जी हम माधव है।"..


आर्यमणि:- तुमसे मिलकर अच्छा लगा माधव।


चित्रा:- गए तो ना कोई संदेश, ना कोई खबर। अपने घर तक कॉन्टैक्ट नहीं किए।


निशांत:- हमे बहुत बुरा लगा।


आर्यमणि:- आराम से सब शाम को बताऊंगा ना। फिलहाल मुझे अपने शर्ट से एलर्जी हो रही है। निशांत पुरानी आदत बरकरार है या बदलाव है।


निशांत:- सब वैसा ही है। पैंट के ऊपर टी-शर्ट अच्छा नहीं लगेगा। जाओ पूरा चेंज कर आओ।


आर्यमणि वहीं कैंटीन के किचेन में जाकर चेंज कर आया। जबतक लौटा तबतक क्लास का टाइम भी हो चुका था। चित्रा और निशांत उससे जानकारी लेने लगे पता चला ये लोग 1 साल अब सीनियर हो चुके हैं।


लगभग 2 बजे तक सभी क्लास समाप्त हो गए। पलक को बाय बोलकर चित्रा और निशांत दोनो आर्यमणि के साथ चलने लगे… तीनों कॉलेज में ही पीछे के गार्डन में बैठ गए।


निशांत:- बहुत सारे सवाल है यार, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तुम्हे हम सब के संपर्क करने की एक जारा इक्छा नहीं हुई।


चित्रा:- और हां, हूं वाला जवाब कतई नहीं देना।


आर्यमणि:- "कॉन्टैक्ट तो मै भी करना चाहता था लेकिन यूएस में मेरा किडनैप हो गया। फसा भी कहां तो फॉरेस्ट में। वो फॉरेस्ट नहीं, बल्कि मेरे ज़िन्दगी का ब्लैक हिस्सा बन गया। हर पल खुद के सर्वाइवल के लिए मुझे जूझना पड़ता था। मेरे पास कोई तैयारी नहीं थी और बिना तैयारी के मुझे रोज जानवरो के झुंड से सामना करना पड़ता था।"

"हां वो अलग बात है कि वहां के सर्वाइवल इंस्टिंक्ट ने मेरे शरीर को काफी स्ट्रॉन्ग बाना दिया, ये एक अच्छी चीज मै लेकर आ रहा हूं। लेकिन जब वहां था तो बस एक ही बात दिमाग में थी, क्या मै तुम सब से कभी मिल पाऊंगा? उस रात चित्रा का दिल दुखाया, तुम दोनो जा रहे थे और ठीक से मिला भी नहीं, ऐसा लगा जैसे मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी हो।"

"जान बचाने के क्रम में एक ही बात अक्सर सताया करती थी जो कभी मैं कह नहीं सका अपने पापा से, कि मै उनसे कितना प्यार करता हूं। मां के गोद की अकसर याद आया करती थी। तुम लोग के चेहरे हमेशा आखों के आगे घूमते रहता और खुद से ही सवाल करता, क्या मै तुम दोनों से मिलकर कभी ये कह पाऊंगा की तुमसे जब दूर हआ तो ऐसा लगा जिंदगी ही अधूरी है।"


निशांत:- हमारा भी यही हाल था आर्य। जितनी दूरियां नहीं अखरती, उस से कहीं ज्यादा बात ना करना अखरता है। मुद्दा ये नहीं था कि तुमसे बात नहीं हुई, बस दिल में डर बाना रहता था, क्या हुआ जो बात नहीं करता। या तो अपनी नई दुनिया में मस्त हो गया या किसी बड़ी मुसीबत में है।


चित्रा:- और तुम वाकई में मुसीबत में थे। हमे माफ कर दो, तुम्हारे बहुत ही बुरे वक़्त में हम तुम्हारे साथ नहीं थे। अंकल आंटी से मिले या नहीं।


आर्यमणि:- 10 दिन पहले आया। सबसे पहले सीधा गंगटोक ही गया था। इस बार उनसे भी कुछ नहीं छिपाया। पापा से बोल दिया मैंने, भले ही मै उनसे बहुत बहस करता हूं लेकिन वो हमेशा मेरे रोल मॉडल ही रहेंगे। मै उनसे बहुत प्यार करता हूं। यही बात मैंने अपनी मम्मी से भी कहा। यही बात मै तुम दोनो से भी कहता हूं।


निशांत:- ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नहीं है, अभी जरूरत है एक पार्टी की। आज रात डिस्को?


आर्यमणि:- नहीं आज कोई प्रोग्राम नहीं। चित्रा के साथ हम दोनों ने क्या किया था याद है ना, इसलिए आज तो चित्रा बोलेगी।


चित्रा:- नहीं कोई गिला-शिकवा नहीं। हम तो यहां सुरक्षित थे, पता नहीं तुमने उस फॉरेस्ट में कैसे दिन झेले होंगे, जाओ तुम दोनो।


निशांत:- हां तो आज ये फाइनल रहा, डिस्को।


आर्यमणि:- 1 हफ्ते बाद की प्लांनिंग रखो ना। अभी यहां थोड़ा सैटल हो जाऊं। गंगटोक से लौटा हूं तो सीधा कॉलेज आ गया, जबकि मासी और मौसा का फोन पर फोन आए जा रहा है।


चित्रा:- हां ये भी सही है। चलो चला जाए, तुम आराम से यहां सैटल हो लो, उसके बाद तो फन और मस्ती चलती रहेगी।


तीनों वहां से एक दूसरे को अलविदा कहकर घर लौट गए। 3 बजे के करीब आर्य घर पर पहुंचा। वो अपने कमरे में जा ही रहा था कि तभी रिचा के कमरे से उसके चिल्लाने की आवाज़ आयी। आर्यमणि उसके कमरे में दौर कर पहुंचा, और सामने का नजारा देखकर उतनी ही तेजी से दरवाजा बंद करके निकल गया।… तभी अंदर से आवाज़ आयी… "ओय शर्माए से लड़के आ जाओ, ऐसे मै 100 लोगो के बीच प्रैक्टिस करती हूं।"..


दरसअल रिचा स्पोर्ट्स ब्रा और माइक्रो मिनी शॉर्ट्स में थी। जिसे देखकर आर्यमणि दरवाजा बंद कर चुका था। वापस से अंदर आते… "वो बस चिल्लाने कि आवाज़ सुनकर मै आ गया था, जा रहा हूं।"


रिचा:- अब आ गए हो तो बैठो और देखकर बताओ मै कैसा कर रही हूं।


आर्यमणि अपना सर हां में हिलाया और रिचा को देखने लगा। रिचा अपने हाथ की "साय वैपन" को बड़ी तेजी में घुमाई और हवा में हमला करना शुरू कर दी। हमले कि प्रैक्टिस करती हुई कहने लगी… "हम हमलवार श्रेणी में आते है। मर्टियल अर्ट के दौरान हमे ये तरह-तरह के हथियार चलना सिखाया जाता है।"..


रिचा अपने गति का प्रदर्शन करती 360⁰ पर घूम-घूम कर दोनो हाथ को इस एंगल से घुमा रही थी जिसमे एक हाथ सीने से लेकर गर्दन तक हमला करता तो दूसरा हाथ कमर से लेकर पेट तक। हाथ का ऐसा संतुलन बना था कि जब बायां हाथ ऊपर होता तो दायां नीचे, और इसी प्रकार जब दायां ऊपर होता तो बाएं नीचे। 360⁰ रोल के वक़्त भी ऐसा ही होता, एक हाथ कमर के ऊंचाई पर रहता तो दूसरा हाथ गर्दन की ऊंचाई पर।


रिचा लगातार अपनी प्रेक्टिस दिखाती हुई, उसे हथियारों के बारे में जानकारी देती रही। वो जो चला रही थी एक इजिप्टियन हथियार साय थी। जो बेहद ही हल्का, उतना ही मजबूत और चलाने में आसान। उसके बाद कटाना और अन्य हथियारों के बारे में बताने लगी।


आर्य:- अच्छा नाच लेती हो। इस हथियार के साथ, तुम्हारा नाचना देखकर ही दुश्मन हथियार डाल देते होंगे।


रिचा:- हूं, अच्छा कॉम्प्लीमेंट था। चलो कहीं घूमकर आते है।


आर्य:- ठीक है मैम.. वैसे कहां चल रहे है..


रिचा:- महाराष्ट्र और एमपी के बॉर्डर की पहाड़ियों पर। जाओ कुछ हल्का और स्पोर्ट्स वाले कपड़े पहन आओ, जबतक मै भी फ्रेश होकर चेंज कर लेती हूं।


आर्य:- क्यों ये 100 लोगों के सामने नहीं करती क्या?


रिचा:- 100 लोगो के सामने तो कभी नहीं की लेकिन आज जहां चल रहे है, वहां यदि तुम डरे नहीं तो तुम्हारे सामने ये कारनामे कर सकती हूं। पर शर्त ये है कि केवल आखों से नजारा लोगे।


आर्य:- हा हा हा हा.. तुम शर्त हार जाओगी।


रिचा:- कोई नहीं देख ही लोगे तो कौन सा मै घट जाऊंगी.. लेकिन शर्त हार गए तो।


आर्य:- शर्त हार गया तो मै, तुम्हे अपना न्यूड शो दिखा दूंगा।


रिचा:- मै किड्स शो नहीं देखती। यदि तुम वहां डर गए तो मेरे शागिर्द बनोगे, बोलो मंजूर।


आर्य:- शागिर्द बनने की प्रोमिस कर सकता हूं लेकिन प्रहरी नहीं बनूंगा, ये पहले बता देता हूं। मै अभी तैयार होकर आया।


आर्य झटाक से गया और फटाक से तैयार होकर चला आया। थोड़ी देर बाद रिचा भी तैयार होकर आ गई। बिल्कुल किसी शिकारी की तरह उसका ड्रेसअप था। नीचे काले रंग की चुस्त पैंट, ऊपर काले रंग की चुस्त स्लीवलेस छोटी टी-शर्ट जिसमें कमर और पेट के बीच का 3 इंच का हिस्सा दिख रहा था और उसके ऊपर एक छोटी सी लैदर जैकेट। इन सबके अलावा पूरे कपड़ों में तरह–तरह के हथियार लगे हुए थे। जबकि रिचा, आर्यमणि को शॉर्ट्स और स्लीवलेस टीशर्ट में देखकर हंस रही थी।

भाग:–14



दोनो गराज के ओर चल दिए। रिचा गराज खोलकर फोर्ड के किसी भी मिनी पिकअप ट्रक को निकालने के लिए बोली, तबतक वो गराज के बाएं हिस्से का शटर खोलकर रसियन मेड शॉर्ट गन और खास पाउडर में डूबी हुई उसकी गोलियां रख ली। साथ में एक जर्मन मेड पिस्तौल भी रखी, और इसकी भी गोलियां खास पाउडर में डूबी थी।


आर्य पिकअप बाहर निकालकर वहीं दरवाजे के पास खड़ा था। रिचा उसे देखकर हंसती हुई कहने लगी… " तुम्हारे यहां आने पर हमने प्रतिबंध नहीं लगाया है।"


आर्य:- ये बुलेट किस पाउडर में डूबी है।


रिचा:- बुलेट किसी पाउडर में नहीं डूबी, बल्कि बुलेट के अंदर यही पाउडर डाला गया है। इसे वुल्फबेन कहते है। एक बार किसी भी वुल्फ को गोली मार दिए, फिर जैसे ही ये पाउडर ब्लड फ्लो से होते हुए उसके हृदय में पहुंचेगा, वो मारा जाएगा।


आर्य:- प्रहरी और उसके जॉब। मै आज तक इतने जंगलों में रहा, लेकिन मुझे तो कोई वेयरवुल्फ नहीं मिला।


रिचा:- आज मिल जाए तो घहबराना मत।


रिचा ने हथियार से भरा बैग पिकअप में रखा और दोनो चल दिए एमपी और नागपुर के बॉर्डर पर पड़ने वाले जंगलों में। एक मीटिंग प्वाइंट पर गाड़ी रुकी और एक एक करके 6 कीमती विदेशी मिनी ट्रक वहां आकर लग गई।


रिचा जैसे ही एक लड़के से मिली, झटककर उसकी बाहों में जाकर उसके होंठ को चूमती हुई कहने लगी… "फिर कभी ये पल हो ना हो।".. दोनो ये लाइन कहते हुए अलग हो गए और रिचा उस लड़के का परिचय करवाती हुई… "आर्य इनसे मिलो ये है मानस, मेरे होने वाले पति। मानस ये है आर्य, भाभी का भाई।"


मानस:- आर्य, ये कैसे गेटअप में आए हो।


रिचा:- मानस ये वही कुलकर्णी के परिवार से है।


रिचा ने बड़े ही धीमे कहा था लेकिन आर्यमणि के कान तो कई मिल दूर की आवाज़ को सुन सकते थे, फिर ये तो पड़ोस में ही खड़े थे। रिचा की बात सुनकर मानस ने मुंह बनाकर आर्यमणि को नीचे से ऊपर देखा और वो लोग अपने काम में लग गए।


सभी के एक हाथ में एक रॉड था, जिसका ऊपर का सिरा गोल और नीचे पतली नुकली धातु लगी थी, जिसके सहारे ये लोग उस रॉड को जमीन में गाड़ रहे थे। इस रोड से एक सुपर साउंड वेभ निकलती, जो किसी भी सुपरनैचुरल को सर पकड़कर वहीं बैठने पर मजबूर कर दे।


जंगल को प्वाइंट किया गया और ये सभी 6 लोग आर्य को गाड़ी के पास रहने का बोलकर अपने काम में लगे रह गए। आर्यमणि वहीं खड़ा था कि तभी उत्तर कि दिशा से उसे तीन लोगों की बू आनी शुरू हुई, जानी पहचानी और जिसमें से एक के डरने की बू थी।


आर्यमणि इधर–उधर देखा, और गायब होने वाली रफ्तार से दौड़ लगा दिया। जंगल में लगभग अंधेरा हो चुका था। आर्य अपनी सुपरनैचुरल आखों से चारो ओर देखने लगा। बिल्कुल फोकस। तभी कुछ दूरी पर उसे 2 सैतान नजर आने लगे। 2 शेप शिफ्टर वेयरवुल्फ जो अपने ही जैसे किसी शेप शिफ्टर को जकड़ रखा था और दोनो कंधे के ऊपर से, गर्दन में दांत घुसाकर उसका गला फाड़ने ही वाले थे।


आर्यमणि रफ्तार से वहां पहुंचा और धाराम से जाकर एक से टकराया। आर्यमणि जिस वेयरवुल्फ से टकराया वह जाकर कहीं दूर गिरा। दूसरा वेयरवुल्फ अपने शिकार को छोड़कर आर्यमणि पर अपना पंजा चलाया। एक ओर से, बड़े से क्ला वाला पंजा आर्यमणि के चेहरे के ओर बढ़ रहा था, ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने अपना मुक्का ठीक उसके बड़े से पंजे के बीच चला दिया। हथेली के बीच आर्यमणि का पड़ा मुक्का बड़ा ही रोचक परिणाम लेकर आया और उस वेयरवॉल्फ का कलाई पूरा टूट गया।


आर्यमणि उसके टूटे कलाई को पकड़ कर उल्टा मोड़ दिया। कड़ाक की आवाज में साथ, हाथ की हड्डियां आंटा बन गई। आर्य ने अपने पाऊं उठाकर उसके जांघ पर पूरे जोर से मारा। उसके जांघ की हड्डी टूट गई और पाऊं मांस के सहारे लटक गया। आर्यमणि ने वुल्फ को ऐसा तड़पाया था कि वह वेयरवोल्फ दर्द से बिलबिलाता अपनी मुक्ति की दुआ ही कर रहा था।

आर्यमणि उसे और ज्यादा न तड़पाते हुए, उसके हाथ को खींचकर उसे अपने करीब लाया और उसके गर्दन को जोर से गोल (360⁰) घूमाकर नचा दिया। आर्यमणि जैसे ही हाथ छोड़ा, उसका पार्थिव शरीर भूमि पर गिर रहा था। वहीं पहला वेयरवुल्फ जो आर्यमणि से टकराकर गिरा था, उसकी पसलियां टूटी थी और कर्राहती आवाज़ में "वूंउउउ" के वुल्फ साउंड के सहारे, अपने साथियों को बुला रहा था। आर्यमणि कर्राहते हुए वुल्फ के पास पहुंचा, उसके गर्दन को भी झटके में 360⁰ घुमाते हुए उसका भी राम नाम सत्य कर दिया।


वह लाचार सी वुल्फ जिसपर जानलेवा हमला हुआ था, अब सिकंजे से आज़ाद थी। वह आश्चर्य से आर्यमणि को देख रही थी, मानो जानने को कोशिश कर रही हो कि कैसे आर्यमणि ने 2 अल्फा वेयरवुल्फ को इतनी आसानी से मार दिया। आर्यमणि उसके चेहरे के भाव को भली भांति समझते.… "इतना मत सोचो की मैंने इन्हें कैसे मारा... तुम तो बस अपने जिंदा रहने की खुशी मनाओ"…


"ओह हां जिंदा रहने की खुशी माननी है।"… इतना कह कर वह वुल्फ झपटकर आर्यमणि के ऊपर आयी और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। आर्य उसे खुद से थोड़ा दूर करते… "तुम लड़की हो ना"… उसने "हां" .. में अपना सर हिलाकर जवाब दिया।.. "किस्स करो लेकिन पीछे गले पर नाखून मत चूभो देना वरना आत्महत्या करना होगा।"


"डरो मत मै एक बीटा हूं।".. कहती हुई उस लड़की ने आर्य को चूमना शुरू किया और अपने हाथ आर्यमणि के नितम्बो पर ले जाती, उसे अपने मुट्ठी में जकड़ ली।.. आर्य उससे अलग होते हुए…. "तुम तो पूरे मूड में आ गई। अभी-अभी तो जान बची है, फिर क्यों मरने कि इक्छा है।"..


लड़की:- मरने की नहीं तुम्हे थैंक्स कहने कि इक्छा है।


आर्यमणि:- शिकारी यहां पहुंच गए है, तुम निकलो यहां से। वरना, मै तुम्हे बचा नहीं पाऊंगा। ज़िन्दगी रही और फिर कभी मिले तो फुरसत से तुम मुझे थैंक्स कहना। और हां वहां अंधेरा नहीं होगा।


लड़की दोबारा आर्य के होंठ को चुमती…… "दोबारा मिलने के लिए अपना नंबर तो दो। कॉन्टैक्ट कैसे करूंगी।"


आर्य:- नंबर दूंगा लेकिन एक शर्त पर। पहले तुम संदेश दोगी, और मै फ्री हुआ तो तुम्हे कॉल करूंगा।


लड़की:- कितने संदेश भेजने के बाद कॉल करोगे..


आर्य:- रोज 1 संदेश भेज देना, जिंदगी ढलने से पहले कभी ना कभी संपर्क कर ही लूंगा।


लड़की हंसती हुई आर्य का नंबर ले ली और एक बार फिर उसके होंठ को चूसती… "पहली बार किसी के होंठ चूमने में इतना मज़ा आ रहा है। मुझे ज्यादा तड़पाना मत।"… कहती हुई वो वहां से चली गई। आर्य को भी लग गया वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी पहुंचते ही होंगे, इसलिए वो भी वहां से भगा और जाकर गाड़ी के पास खड़ा हो गया।


9 बजे के करीब सभी शिकारी गाड़ी के पास जमा हुए। उसके जाल में एक लड़की थी जो काफी एग्रेसिव थी। चारो ओर हाथ पाऊं मार रही थी। उसके चारो ओर सुपर साउंड वेभ वाला रॉड गारकर उसके तरंग छोड़ दिए। जैसे ही वो तरंग शुरू हुई, आर्य के सर में भी हल्का–हल्का दर्द होने लगा।


उसके धड़कन की रफ्तार बढ़ने लगी और ये रफ्तार इसी तरह से बढ़ती रहती तब यहां कुछ ऐसा होता जिसकी उम्मीद किसी ने भी नहीं की होती। आर्य पहाड़ की ऊंचाई पर था, उसने खुद को पहाड़ की ऊंचाई से लुढ़का लिया और वेभ के रेंज से बाहर निकल आया।


रिचा:- मानस, ये आर्य तो इस कुतिया का अग्रेशन देखकर ही पहाड़ से लुढ़क गया। मेरी भाभी को बड़ा विश्वास था अपने भाई पर। सुनेगी तो बेचारी का दिल टूट जाएगा।


मानस:- भूमि सुनेगी तो तुम्हे दौड़ा-दौड़ा कर मारेगी।


रिचा:- उसका दौड़ और राज करने का समय चला गया मानस, भूमि 10 साल के लिए एक्टिव नहीं रहेगी। अब उसे बच्चा चाहिए। इसलिए विश्वा का होने वाला जमाई ही अध्यक्ष होगा और ये पूरी सभा हमारे इशारे पर नाचेगी।


तेनु, रिचा का एक साथी… "और उस राजदीप, नम्रता और पलक का क्या, जिसे भूमि अपने पीछे छोड़े जाएगी और तेजस को क्यों भुल जाते हो।"..


रिचा:- एक बार सभा हमारे हाथ में आने दो। मुझे जयदेव का उतराधिकारी घोषित तो होने दो। फिर देखना हम एक-एक करके कैसे सबको गायब करते है। कहने को तो ये सभा सबका है। यहां कोई भी बड़े औहदे पर हो सकता है लेकिन शुरू से राज तो भारद्वाज का ही चलता आ रहा है।


तेनु:- हां सही कही। विश्वा काका अध्यक्ष है तब भी एक भारद्वाज ही बोलती है। इस से पहले जयदेव कॉर्डिनेटर था और पर्ण जोशी अध्यक्ष, तब तेजस बोला करता था। उस से पहले तो खैर उज्जवल भारद्वाज अध्यक्ष था और वो भी किसी को नहीं बोलने देता था।


पंकज:- कोई किसी भी पद पर रहे पुरा प्रहरी समूह में केवल भारद्वाज ही बोलते है। लेकिन अब वक़्त बदलना चाहिए, हालात बदलने चाहिए और भारद्वाज के ऊपर से विश्वास बदलना चाहिए।


रिचा:- केवल मानस को अध्यक्ष हो जाने दो फिर ऐसा मती भ्रमित करूंगी की भारद्वाज खुद किनारे हो जाएंगे, बस नम्रता और उस राजदीप की शादी किसी तरह मुक्ता और माणिक से तय करवानी है।


आर्य जो इनके रेंज के बाहर गिरा था, इनकी बातें सुनकर हंसने लगा और अपनी जगह आराम से लेटा रहा। थोड़ी देर बाद ये लोग आए और आर्य को ढूंढने लगे। आर्य के बेहोश देखकर उन्होंने पानी का छींटा मारा और आर्य चौंक कर जाग गया।…. "क्यों सर कहीं से गीला और पिला तो नहीं कर दिए।"..


आर्यमणि अपनी हालात देखकर अपने ऊपर लगे धूल मिट्टी को झारने लगा, किन्तु पानी पड़ जाने के कारण वो और चिपचिपी हो चुकी थी। आर्यमणि, रिचा की बात का जवाब ना देकर चुपचाप अपनी गाड़ी के ओर जाने लगा। तभी उनमें से एक ने कहा… "ये वही वर्धराज कुरकर्णी का पोता है ना जिसका दादा ने डर के मारे एक वेयरवुल्फ को भगा दिया और बाद में कहानी बाना दिया कि उसे प्यार हो गया था"..


रिचा उसपर चिल्लाती हुई… "प्रहरी के नियम यहां कोई ना भूले तो ही अच्छा होगा। हम किसी का तिरस्कार नहीं करते। चलो आर्य।"


आर्य:- हम्मम !


दोनो मिनी ट्रक में सवार होकर वहां से निकल गए। रात में 11.30 बज रहे थे, जब रिचा उसे लेकर घर पहुंची। आर्यमणि की हालत देखकर भूमि उसके पास पहुंची…. "ये सब क्या है, सुनी तू डर के मारे पहाड़ से गिर गया।"..


आर्यमणि:- नहीं दीदी मेरा पाऊं फिसल गया था। पता नहीं वो किस तरह का साउंड था, बड़ा ही अजीब। मैने सोचा जाकर गाड़ी में बैठ जाऊं और इन्हीं चक्कर में मै गिर गया।


इतने में रिचा भी गाड़ी पार्क करके आ चुकी थी… "क्यों रिचा गलत अफवाह हां"..


रिचा:- कांच की गुड़िया है ये तो भाभी, मुझे शॉर्ट और सपोर्ट ब्रा में देखकर इसके पसीने छुटने लगे। दरवाजा से अंदर घुसा और बाहर भगा। मर्द बनाने ले गई थी इसे। और अब शर्त के मुताबिक ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- कैसी शर्त..


रिचा:- मै हारती तो इसे सैर पर लेकर जाना था इसकी नैन प्रिया नजारे दिखाने, और ये हारता तो मेरा शागिर्द बनता। ये शर्त हार चुका है और डील के मुताबिक़ ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- शर्त अगर हार गया है तो आर्य तुम्हे ये करना होगा।


आर्य:- दीदी मै नहीं डारा था, मेरे पाऊं फिसल गए थे।


रिचा:- मेरे पास 5 गवाह है।


आर्य:- 5 लोग एक ही झूट को बोले तो तो क्या वो सच हो जाएगा। मै अभी प्रूफ कर दूंगा कि रिचा गलत बोल रही है।


रिचा:- करो प्रूफ।


आर्य:- तुम जब उस विकृत लड़की को लेकर आ रही थी तब तुमने मेरे चेहरे की भावना पढ़ी थी?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- क्या मै उस लड़की के डर से चिल्लाया था या कुछ पूछा था?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- वो रॉड जो तुमने जमीन में गाड़ा उसे पहली बार सुनो तो हम पर क्या असर होगा।


रिचा:- इंसानी दिमाग पर भी उसका गहरा असर होता है यदि कोई पहली बार सुन रहा हो तो धड़कन बढ़ना, बेचैनी और घबराहट।


भूमि:- रिचा तो 30 दिन लगातार सुनी, तब कहीं जाकर सामान्य रहने लगी।


आर्य:- और उससे पहले।


भूमि:- उल्टियां। पहले पुरा दिन होता था। फिर धीरे-धीरे कम होता गया।


आर्य:- शर्त मै जीता हूं, आप दोनो ही अब फैसला करो… मै चला, सुबह मुझे कॉलेज जाना है।


आर्यमणि अगली सुबह जब कॉलेज पहुंचा तब फिर से कोई अन्य सीनियर आर्यमणि के पास पहुंच गया और बीच ग्राउंड में रुकवाकर उसके शर्ट पर अपने मुंह का गुटखा थूक दिया। आर्यमणि वहां से चुपचाप निकल गया और वाशरूम जाकर बैग से दूसरा कपड़ा निकालने के लिए बैग का चैन खोला ही था, कि किसी ने बाहर से उसके ऊपर एक पत्थर दे मारा। कौन मारा, कहां से मारा किसी को पता नहीं, नाक टूट गई और वो अपने रुमाल से खून को साफ करने लगा।


वो कपड़े बदल कर चुपचाप आया, और अपने क्लास में चला गया। क्लास में सभी लड़के-लड़कियां उसके ऊपर हंस रहे थे। गुटके के पिचकारी वाली वीडियो पूरे कॉलेज में वायरल हो गई थी। आर्यमणि मुसकुराते हुए अपनी क्लास अटेंड किया, तभी उसके मोबाइल पर मैसेज आया।


नंबर किसी घोस्ट के नाम से रजिस्टर था और अंदर संदेश… "सुबह-सवेरे अपनी इंसानी आखों से तुम्हे देखी। जी किया तुम्हे निचोड़ डालूं और महीने दिन पुरा मज़ा करने के बाद तब कहूं, अभी के लिए दिल भर गया, कभी-कभी मेरी प्यास मिटा देना। लेकिन शायद अभी तुम मिलना ना चाहो।"..


आर्य टाइप करते… "और तुम्हे ऐसा क्यों लगा।"..


घोस्ट:- जिस तरह तुम्हारे ऊपर किसी ने पिचकारी उड़ाई है, तुम्हारे हाव-भाव से लगता है तुम खेलने के मूड से हो। उन्हें पुरा हावी होने का मौका दोगे। जैसे कोई बड़ा शिकारी करता है। खेल के रचयता का जबतक पता नहीं लगता तबतक तो तुम एक्शन नहीं लेने वाले।


आर्य:- तुम्हे कैसे पता की मै ऐसा करने वाला हूं।


घोस्ट:- क्योंकि कल पहाड़ी से तुम्हारा जान बुझ कर गिरना और वो लोग जो तुम्हारे बराबर कहीं टिकते ही नहीं है उनकी सुनना। इससे ये साफ जाहिर है कि तुम खेल का पूरा मज़ा लेते हो। वरना अपने दादा के नाम का मज़ाक उड़ते हुए कौन सहता है।


आर्य:- फिर तो तुम्हे भी पता चल गया होगा कि ये पुरा कांड कौन रच रहा है।


घोस्ट:- तुम मेरे साथ खेल ना ही खेलो। तुम रिचा को कभी रचयिता मान ही नहीं सकते, यदि ऐसा होता तो अब तक यहां भूचाल आ गया होता।


आर्य:- मेरे पैक का हिस्सा बनना पसंद करोगी।


घोस्ट:- लेकिन तुम मेरे जैसे नहीं हो।


आर्य:- लेकिन ग्रुप तो चाहिए ना।


घोस्ट:- तुम्हारी जान बचाई हुई है अंत तक तुम्हारे साथ रहूंगी। जब मिलूंगी तब रक्त प्रतिज्ञा लूंगी। आई एम इन..


आर्य:- बचकर रहना अब मेरी नजर कॉलेज में तुम्हे ढूंढेगी। और हां आगे क्या होने वाला है उसका अलर्ट नहीं भेजना मुझे। जारा सस्पेंस का मज़ा लेने दो।


घोस्ट:- जल्दी से ये खेल खत्म करो फिर हम अपना खेल शुरू करेंगे। बाय..


आर्य लगभग पूरी क्लास संदेश-संदेश ही खेलता रहा। क्लास ओवर होने के बाद वो सीधा कैंटीन पहुंचा, जहां उसके सभी दोस्त सुबह की बात को लेकर आक्रोशित थे। आर्यमणि से पूछते रहे की कौन था, और आर्य कहता रहा जिसने किया वो गलती से कर गया वीडियो बनाने वाले ने वायरल किया है। और इधर आर्यमणि को नीचा दिखाने के लिए कैंटीन में जो भी आता पुच वाला डमी एक्शन करके जा रहा था।




वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी और कहानी के प्रमुख पात्र के लिंक मैने स्टीकी पोस्ट पर डाल दिए हैं.. आप सब से अनुरोध है.. वहां एक झलक जरूर देख लें

भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
भाई इतना अवश्य कहूँगा nain11ster आप जबरदस्त फॉर्म में हो
गजब कहानी
राजा रानी
साजिश संयोग संबंधो का तानाबाना बिल्कुल मकड़ जाल की तरह बिछाये हो
पाठक ना फंसे ऐसा हो ही नहीं सकता

अब एक और बात
भारतीय दंत कथाओं में मत्स्य कन्या वाली बातेँ अलीफ लैला कहानियों के बदोलत है
हाँ हमारी लोक कथाओं में इच्छा धारी नाग नागिन वाली कहानियाँ हैं यह सर्व विदित है
आपकी बात गौर करने पर मैं एक तथ्य से अवगत हुआ
बात सन चौरानवे और छियानवे के समय में मेरे पिता ओड़िशा के कंधमाल जिले में पोस्टिंग थे
तब मैं टॉम शोएर के कारनामों वाले किताबों से इतना प्रभावित था कि अपने कुछ आदिवासी मित्रों के साथ पहाड़ व जंगलों के बीच किसी के गांव में एक दो रातें गुजार देते थे l उन दिनों में मैंने उन लोगों से पालटा बाघ के बारे में सुना था l काफी हद तक जुनून फिल्म के राहुल रॉय की तरह l

आपकी कहानी लेखन व उपस्थापन अद्भुत है
और क्या कहूँ
फॉर्म में आप इसलिए हो कह रहा हूँ क्यूंकि कभी कभी इतनी जल्दी और तेजी के साथ अपडेट्स देते हो कि हमें संभलने को मौका ही नहीं मिल रहा
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
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