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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

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भाग:–77






"तुम कौन हो अजनबी, और इस इलाके में क्या कर रहे हो।"… कुछ लोगों ने मुझे घेर लिया। उनमें से एक 40-41वर्षीय व्यक्ति ने मुझे ऊपर से नीचे घूरते हुये पूछने लगा।


"मै एक मुसाफिर हूं, और मेरा नाम आर्यमणि है। ब्लैक फॉरेस्ट में गुम हो गया हूं, और भटकते हुये यहां तक आ पहुंचा।"… मैंने भी जवाब में कहा


"मेरा नाम मैक्स है आर्यमणि, और तुम इस वक़्त जंगल के सबसे ख़तरनाक इलाके में घूम रहे हो। ऊपर से तुम्हारी हालत भी कुछ ठीक नहीं लग रही।"... वो चिंता जाहिर करते हुए उस क्षेत्र के बारे ने बताने लगा।


मै:- हम्मम ! मुझे पता नहीं था सर, मुझे जंगल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।


मैक्स:- मेरे पीछे आओ।


तकरीबन 5-6 किलोमीटर पश्चिम में चलने के बाद वो मुझे अपने साथ एक घर में ले गया और अपनी पत्नी थिया से परिचय करवाते हुए कहने लगा…. "कुछ दिन तुम यहीं पर ठहरो, जब हम शहर के ओर निकलेंगे, तब तुम्हे वहां छोड़ देंगे। फिर तुम अपने दोस्तों से संपर्क कर पाओगे।"


मैं बहुत ही दुविधा में था। एक वुल्फ हाउस से किसी तरह बचकर निकला था और सामने एक और हाउस, और 2 अंजाने लोग द्वार पर खड़े…. संकोच में मै अपनी जगह खड़ा रहा और दुविधा में फंसा सोचता रहा, यहां रुकना चाहिए या नहीं रुकना चाहिए।


शायद मैक्स मेरे अंदर के असमंजस की स्तिथि को पहचान गया। वो हंसते हुए मेरे कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखा और अपनी पहचान पत्र दिखाते हुए कहने लगा… "घबराओ मत, मै इस जंगल का रेंजर हूं, और मेरे जैसे 400 रेंजर इस जंगल में है। तुम यहां सुरक्षित हो और किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं। थिया इन्हे अंदर ले जाओ और कुछ खाने के लिये दो।"


अपनी बात कहकर मैक्स वहां से चला गया और थिया मुस्कुरा कर मेरा स्वागत करती अपने साथ अंदर ले गयी। घर के अंदर का पूरा ब्यौरा देकर उसने मुझे एक टॉवेल लाकर दिया और फ्रेश होकर आने के लिये कहने लगी, जबतक वो मेरे लिए कुछ खाने को लेकर आती। मै संकोच में सिर्फ इतना ही कह सका की मेरे पास कोई कपड़े नहीं है। मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई और मैक्स के कुछ कपड़े मुझे देती हुई कहने लगी, "फिलहाल आप इसी से काम चला लीजिये, जब आप शहर पहुंचेंगे फिर अपने हिसाब से कपड़े ले लीजियेगा।"


आह वो सुकून, मैं बयान नहीं कर सकता कितना अच्छा मेहसूस कर रहा था जब मेरे बदन पर गरम पानी गिर रहा था। कुछ अच्छा होने जैसा मेहसूस हो रहा था। मै अपने अंदर जितना अच्छा मेहसूस कर रहा था मेरे अंदर उतनी ही ज्यादा ऊर्जा का संचार हो रहा था। मेरी तो बाथरूम से बाहर आने की इक्छा ही नहीं हुई।


काफी देर तक मै गरम पानी का शावर लेकर, खुद को तरोताजा महसूस करता रहा और मैक्स के कपड़े पहनने लगा। कपड़े बिल्कुल फिटिंग थे बस लंबाई इंच भर छोटी लग रही थी। मै थिया के कहे अनुसार आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया। चंद सेकेंड बाद थिया भी उस जगह पहुंची और मुझे देखकर काफी घबराई सी लग रही थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया की हुआ क्या, अभी तो थोड़ी देर पहले वो मुस्कुराकर मेरा स्वागत कर रही थी फिर ऐसे अचानक। मै सोच ही रहा था कि थिया हड़बड़ा कर मेरे पास आयी…. "तुम एक वेयरवुल्फ हो।"..


मैं दंग रह गया, उसके सवाल से मेरे चेहरे की रंगत भी उड़ गई। मै क्या जवाब देता, बस हां में अपना सर हिला दिया। जैसे ही मैंने अपना सर हां में हिलाया उसके चेहरे पर और भी चिंता की लकीरें बढ़ने लगी। वो मेरा हाथ पकड़कर पीछे के रास्ते से बाहर निकलती हुई कहने लगी…. "यहां से उत्तर की दिशा में तकरीबन 4 किलोमीटर की दूरी पर तुम्हे छोटी सी पहाड़ी और घने जंगल दिखेंगे। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी तुम वहां पहुंचकर मेरा इंतजार करना। मै सब कुछ वहीं आकर समझाऊंगी।"..


उसकी बातों से लगा कि मै शायद मुसीबत में हूं इसलिए उसकी बात मानते हुये, मैं भी उसके दिये कंपास की मदद से उत्तर दिशा की ओर चल दिया। जैसा थिया ने कहा था ठीक वैसा ही माहौल था वहां का। मै आराम से एक चट्टान के नीचे बैठ गया और गहरी श्वांस लेते हुये खुद पर ही हसने लगा। मेरे आखों के आगे जंगल और पहाड़ का नजारा था और आखों के अंदर अपने दोस्त निशांत की याद। हम ऐसी ही जगह में साथ घुमा करते थे। चित्रा का वो नाराज़ होना, जब हम जंगलों में भटका करते थे। मेरी जंगल जाने की बात पर मां का वो पर्दा डालना। मै अपनी खुली आंखों से चारो ओर देख रहा था और अपने साथ होने वाली घटना पर हंस रहा था।


तकरीबन 4 दिन बाद एक रात मुझे टॉर्च की रौशनी दिखाई दी। कोई आ रहा था। मै सचेत हो गया और जाकर पहाड़ के बीच पतली सी जगह में छिप गया। तभी मेरे कानों में जानी पहचानी सी आवाज सुनाई देने लगी और मै चिंता मुक्त हुआ। थिया की आवाज पर मै प्रतिक्रिया देते हुये उसे अपने पास बुलाया। वो टॉर्च की रौशनी बंद करके वहीं एक चट्टान के पास बैठी और मेरे बारे में पूछने लगी। मै उसके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया, उल्टा वहां के बारे में ही पूछने लगा कि वो मुझे देखकर कैसे पहचान गयी की मै भी एक वुल्फ हूं, और मुझे यहां छिपकर रहने के लिए क्यों कही?


थिया:- यहां इंसानों और वेयरवोल्फ के बीच जंग छिड़ी हुई है। कोई इंसान वेयरवोल्फ के इलाके में नहीं जा सकता और कोई वेयरवोल्फ इंसानों के इलाके में नहीं आ सकता।


मै जिज्ञासावश पूछने लगा यदि कोई गलती से पहुंच गया..


थिया:- शायद वो उसकी आखरी गलती हो। जंगल के उस क्षेत्र को इंसानों के लिए प्रतिबंधित किया गया है जिस ओर भेड़िए रहते हैं। बड़े-बड़े बोर्ड लगा रखा है, प्रतिबंधित क्षेत्र में जाना और अपनी जान गवाना। जंगल प्रबंधन को दोष ना दिया जाये। और तुम भटकते हुए इस ओर चले आये। तुम्हारा पैक कहां है?


"मेरा कोई पैक नहीं और मै एक वुल्फ हूं ये मुझे भी पता नहीं था।"… इतना कहने के बाद मै कुछ पल ख़ामोश हो गया। वो मेरे कंधे पर किसी अपने कि तरह हाथ रखती हुई अपनी कहानी बताने के लिये कहने लगी। मै कुछ देर तक उसकी बात पर सोचता रहा, फिर शुरू से लेकर अंत तक अपने आने की पूरी कहानी उसे बयां कर दिया।


मेरी बात सुनकर वो काफी हैरान थी। फिर थिया अपने बारे में बताई, वो एक जानवरों कि डॉक्टर थी जो ब्लैक फॉरेस्ट में जानवरों की देखभाल के लिये काम करती थी। वहीं उसकी मुलाकात मैक्स से हुई। दोनो में प्यार हुआ और फिर शादी। शादी के बाद ही उसे पहली बार वेयरवुल्फ के बारे में पता चला था। इससे पहले वो केवल अपने दोस्त से सुना करती थी, लेकिन कभी अपनी आखों से शेप शिफ्ट करते नहीं देखी थी। इसलिए उसे अपने दोस्त पर कभी यकीन नहीं हुआ।


वो अपनी दुविधा बताती हुई कहने लगी.… "वेयरवुल्फ होते तो इंसान है, लेकिन अपनी जानवर प्रवृति के लिए सबसे ज्यादा कुख्यात है। मैक्स और उसके जैसे 40 शिकारियों के यहां आने से पहले इस जंगल पर केवल वुल्फ का राज चलता था।।इंसानों का खून उनके मुंह लग गया था। और चूंकि इंसानी मांस एक नशा होता किसी के मुंह लग जाये फिर वो जानवर भूखा मर जायेगा लेकिन इंसानों को ही खायेगा। इस जंगल में सैलानियों के साथ आये दिन घटनाएं होने लगी। कभी-कभी किसी ग्रुप से 1 या 2 तो कभी–कभी पुरा ग्रुप ही गायब होने लगा"

"कुछ विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फॉरेस्ट में सुपरनेचुरल की गतिविधियों के कारण ऐसा हो रहा था। क्योंकि उठाये गये इंसान के पास से किसी भी नरभक्षी जानवर के पंजों के निशान नहीं मिल रहे थे। फिर इस जंगल में मैक्स की टीम को भेजा गया और तब से ये जंगल शांत था। मैक्स वेयरवोल्फ के लिये जल्लाद तो मुसीबतें फसे इंसानों के लिये काफी नरम दिल इंसान है। जब तुम घर आये तब तुम्हारी हालत ऐसी थी मानो तुम्हारे किसी ग्रुप पर वेयरवोल्फ का हमला हो गया हो और तुम भूखे प्यासे अपनी जान बचाकर जंगल में कई महीनों भटकते रहे हो।"

"मैक्स ने तुम्हे देखा और वो घर ले आया। बाद में तुम जब हील होकर अपने शरीर को तुरंत ही पहले से बेहतर कर चुके थे, फिर मुझे समझते देर नहीं लगी कि तुम एक वेयरवोल्फ हो, जो शायद गलती से इस ओर चला आया। मैक्स यदि तुम्हे देख लेता तो तुम्हे जान से मार देता इसलिए तुम्हे यहां भेजना पड़ा।"


मै:- हम्मम ! आप का शुक्रिया। मुझे इस जंगल से निकलना है, क्या आप मेरी मदद कर सकती है?


थिया:- वही बताने आयी थी। मेरे एक मित्र है बॉब वो कुछ दिनों में मेरे पास मिलने आ रहे है। उन्हीं के साथ तुम्हे बाहर निकालने कि योजना है। तबतक तुम यहां आराम से रहो और चौकान्ना रहना। एक बात और कोई मिले भी तो घबराना मत और अपनी असलियत नहीं जाहिर होने देना। अब मै चलती हूं, अपना ख्याल रखना।


लंबी बातचित के बाद थिया वहां से चली गयी और मै एक छोटी सी गुफा में आकर लेट गया। जैसे-जैसे दिन बीत रहा था मेरा शरीर पहले से बेहतर होता जा रहा था। मै अपने अंदर ताकत को मेहसूस कर सकता था। एक सुबह मै कुछ खाने लायक पौधों को पानी में उबाल रहा था और ब्लैक फॉरेस्ट से बाहर निकलने के बारे में सोचकर खुश हो रहा था। तभी अचानक ऐसा लगा किसी ने मेरे खाने के बर्तन को भरी आग पर से गिरा दिया। एक तो इस इलाके में ना तो कोई फल के पेड़ थे और ना ही भूमि में नीचे खाने लायक कोई जड़ उगती थी। कई किलोमीटर से भटक कर कुछ पौष्टिक पौधों को ढूंढ़कर लता था, उसे भी गिरा दिया।


गुस्से से मै मुड़ा और 1 कपल बदहाल से थे जो बेसुध होकर भाग रहे थे और भागने के क्रम में उन्हें ये तक होश नहीं रहा की वो मेरा पक रहा खाना गिरा चुके थे। जबतक मै उनकी ओर गुस्से से मुड़ा, दोनो मेरे पीछे आकर एक दाएं तो दूसरा बाएं कांधे से आकर लटक गए… "हेल्प मी प्लीज, हेल्प मी।"..


कमाल की होती है अंग्रेजी भाषा। जोड़े और सहवास तो 2 मिनट के पहचान में बाना लेते है, लेकिन जब जान पर बनती है तो सब पहले खुद को बचाना चाहते है। खैर, मैंने इन बातो पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया बस उनसे उनकी हाल के वजह पूछना चाह रहा था तभी सामने से 4 वजह दिखाई दिया। ब्लैक फॉरेस्ट के सबसे ख़तरनाक शिकारी। देखने से ही जिसे भय पैदा हो जाये। शेर के आकर से 2 गुना बड़े। भूरी आंखें और मिलकर शिकार करने की आदत जो इन्हे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाती है। जीवन में में पहली बार किसी असली वुल्फ के सामने खड़ा था, वो भी ब्लैक फॉरेस्ट के 4 जायंट साइज के ब्लैक वुल्फ, जो वुल्फ साउंड देकर अपने और साथियों को बुला रहे थे। एक बार फिर मै किसी दैत्य जानवर के शिकार के बीच में खड़ा था।


श्वांस माध्यम थी, नजरे चारो ओर आस–पास की चीजों को देख रही थी। मै निर्भीक खड़ा बस इनसे निपटने की सोच रहा था। तभी उन 4 में से एक वुल्फ शिकार को परखने के लिए मुझ पर नजर जमाकर दाएं से बाएं घूमना शुरू किया।


ये दोनो मेरा खाना तो गिरा ही चुके थे लेकिन अंगीठी में आग अब भी जल रही थी और उसमें जल रही 2 लकड़ियां मेरे नजर में थी। मुझे पता था गस्त लगा रहा भेड़िया कभी भी हमला कर सकता था, और उसके हमला करते ही उनके साथी भी हम पर हमला बोल देते। कुछ ही पल में हमारा गरम शरीर ठंडा पड़ने वाला था। शायद मै तो बच भी जाता लेकिन इन दोनों को अपनी जान गवानी पड़ सकती थी।


बिना नजरो के संपर्क तोड़ो मैंने जलती हुई लकड़ी को अपने हाथ में उठा लिया… और उन्हें धीमे से कहने लगा, पीछे चलो और पहाड़ों के पतली दरार में घुस जाओ। शायद दोनो काफी डरे हुए थे और कुछ भी सोच पाने कि स्तिथि में नहीं थे। मेरे लिए मुसीबत बढ़ती जा रही थी और वो दोनो सुनने को तैयार ही नहीं थे।


दाएं से बाएं वो भेड़िया 3 बार गस्त लगा चुका था। वो भी समझ चुका था कि शिकार आसान है और चौथे गस्त के बाद जायंट वुल्फ और उसके साथी हम पर हमला बोल देते। तभी मैंने जोर से चिल्लाया… "पहाड़ों के बीच भागो, अभी।"..


शायद मेरी चिंख से उनकी चेतना वापस लौट आयी, और दोनो अपनी जान बचाने के लिये तेजी में भागे। मैं चिल्लाया वो भागे और इतने में गस्त लगा रहा भेड़िया छलांग लगा दिया। मै साफ देख सकता था वो लगभग मेरे सर के ऊपर था। उसके दोनो बड़े पंजे लगभग मेरे चेहरे से ज्यादा बड़े थे, जिसके एक पंजे के वार से मै नीचे गिरता और फिर मेरे गर्दन और कंधे के बीच इनका जबड़ा। एक बार में ही वो भेड़िया मेरे गर्दन के मांस को नोचकर प्राणघाती हमला कर चुका होता।


मै अपनी फुर्ती से थोड़ा आगे हुआ और जलती हुई लकड़ी उसके गर्दन में पुरा घुसा दिया। वह वुल्फ थोड़ा सा घायल होकर ठीक मेरे पीछे गिरा। नजर पीछे घुमा कर देखा तो वो दोनो फंसे कपल सुरक्षित स्थान तक पहुंच चुके थे, किन्तु मेरे लिए अब मुश्किलें बढ़ गयी थी। घायल वुल्फ पूरे गुस्से में अपनी आवाज निकाला और मेरे पीछे भागने के रास्ते को बॉल्क कर चुका था। उसके तीनो साथी सामने से एक साथ गस्त लगाना शुरू कर चुके थे।


शायद ना हार मानने वाली बीमारी के कारण आज लग रहा था जान जाने वाली हैं। फिर मन में भय की जगह उमंग ने स्थान लिया और सोच केवल इतनी सी थी कि जब जान ही जानी है तो एक द्वंद ही क्यों ना हो जाये? खुद की जान बचाने की एक कोशिश ही क्यों ना हो जाये?


मैं तेजी दिखाते हुये आगे आया और ठीक सामने खड़ा वुल्फ मेरी ओर प्रहार करने दौड़ चुका था। मैंने तेज लात अपने अस्थाई अंगीठी पर मारी और जलता हुआ लकड़ी उस वुल्फ के बदन के ऊपर गिरा। वो तिलमिलाहट में भटक कर तेजी से आगे निकल गया और जाकर पीछे वाले वुल्फ से उसकी भयंकर टक्कर हो गई, जो मुझ पर पीछे से हमला कर चुका था। मैं बस एक सेकंड के लिये ही रिलैक्स हुआ, इतने में वो दोनो कपल चिल्लाने लगे।


पीछे और आगे से तो संभल गया लेकिन बाएं ओर से दौड़कर छलांग लगा चुके वोल्फ से मेरी टक्कर हो गयी। जब मै अंगीठी को लात मार रहा था तब बाएं से हुये वुल्फ के हमले में मै जमीन पर गिर चुका था। अंगीठी पर लात मारने के क्रम में मै थोड़ा झुका था, इसलिए वोल्फ द्वारा मेरे चेहरे पर चलाया गया पंजा तो नहीं लगा, लेकिन उसका भारी शरीर पुरा मुझसे टकरा गया। बहुत तेजी के साथ हम दोनों ही अनियंत्रित होकर नीचे गिर गये। मै संभालता उससे पहले ही आखरी भेड़िया मेरी गर्दन में अपना दांत घूसाकर मेरे प्राण निकालने के लिये झपट परा। खौफनाक नजारा था वो। उसके आगे का पतला सा मुंह किसी भी साइज के इंसान के गर्दन में अपने दोनो दांत घुसा सकते थे।


वो मेरे गर्दन के बीच अपनी दांत घुसाकर मेरे प्राण निकालने की कोशिश करता, उससे पहले ही मैंने अपना डंडा उसके मुंह में घुसा दिया। उसकी बाइट इतनी तेज थी कि डंडे का जो भी हिस्सा उसके दांत के बीच आया, वो पाउडर बन गया। तभी वहां मैक्स जैसे भगवान बनकर पहुंचा हो। 8-10 हवाई फायरिंग हुई। मै अपनी पीठ को ऊपर उठाकर देखा तो मैक्स और उसकी टीम वहां पर खड़ी थी। वो मुझे देखकर हंस रहे थे और लगातार हवा में तब तक फायर करते रहे, जबतक वो वुल्फ का झुंड भाग ना गया।


उनके आते ही मै सुकून से वहीं जमीन पर बिछ गया और आंख मूंदकर अपनी श्वांस सामान्य करने लगा। मैक्स मुझे हाथ देकर उठाया और हंसते हुये कहने लगा… "अब मुझे समझ में आ रहा है कि कैसे तुम्हारा ग्रुप शायद जानवरो का शिकार हो गया और तुम बच गये।"..


मै:- यहां कब से थे?

मैक्स:- जब पहला वुल्फ साउंड हुआ।


उसने जवाब दिया और हम सब हसने लगे… "तुम्हे देखकर लगता नहीं कि तुम जंगल के माहौल से अनजान हो। बस एक कमी है।".. मैक्स मेरे कपड़ों पर पड़ी धूल झड़ते हुए कहने लगा..


मै:- क्या..????


वो पौधों के ओर इशारा करते हुये कहने लगा… "जंगल में रहने वाले शिकार करते है और मांस खाते है। ये पौधे खाने वाले तो आजकल शहर में भी नहीं मिलेंगे।"..


उसकी बात सुनकर मैंने बस मुस्कुराकर अपनी प्रतिक्रिया दी और कपल को लेकर हम उसके घर की ओर चल पड़े। रास्ते में वो मुझे मेरे जंगल के किस्से सुनने लगा और मैंने गंगटोक के कुछ रेस्क्यू किस्से सुना दिये। वो मेरी बात सुनकर काफी प्रभावित हुआ और मेरे घर से भाग के यहां आने पर थोड़ी सी नाराजगी भी जताई।


मैंने उसे अपने यहां आने की वजह बस पापा से नाराजगी बताई थी। मैक्स हम तीनो को लेकर एक बार फिर अपने घर पर था। थिया मुझे देखकर मानो बूत्त बन गयी हो। घबराहट उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। फीकी सी मुस्कान और प्यारी सी आवाज… "उस दिन तुम भाग कहां गये थे।"..
 

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भाग:–78





मैंने उसे अपने यहां आने की वजह बस पापा से नाराजगी बताई थी। मैक्स हम तीनो को लेकर एक बार फिर अपने घर पर था। थिया मुझे देखकर मानो बूत्त बन गयी हो। घबराहट उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। फीकी सी मुस्कान और प्यारी सी आवाज… "उस दिन तुम कहां भाग गये थे।"..


मैक्स:- जंगल घूमने भागा था। ये नहीं होता तो ये लड़का और लड़की भी जिंदा नहीं होते।


मुख्य द्वार पर छोटे से विराम के बाद हम सब अंदर प्रवेश किये। थिया की बेचैनी उसके चेहरे से साफ झलक चल रही थी, किन्तु मुझसे अकेले में बात करने का मौका नहीं मिल रहा था। रात का वक़्त था और मै अपने कमरे में आराम कर रहा था। तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई और दरवाजा खोला तो सामने वही लड़की थी, जिसकी जान मैने बचाई थी।


मेरी उससे कुछ बात हो पाती उससे पहले ही वो सीधा मेरे होंठों को चूमने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जो भी हो रहा था वो अच्छा लग रहा था। थोड़े आश्चर्य के बाद मैंने भी उसके होटों को चूमना शुरू कर दिया। किसी लड़की के साथ इंटीमेसी के ख्याल से किया गया यह मेरा पहला किस्स था, जो मेरी धड़कन को कई गुना बढ़ा रहा था।


मेरी हथेली उसके नितम्ब को अपने मुट्ठी में इस कदर जकड़ ली की वो तिलमिला कर होंठ को अलग करती दर्द और मज़े का मिलजुला सिसकारी अपने मुंह से निकालने लगी। तभी वहां पर किसी के आने की आहट हुई और हम दोनों को एक दूसरे में चिपके देख मुझे आखें दिखाने लगी। थिया थी, जो अपनी नजरो से मुझे रुकने का इशारा कर रही थी और वो लड़की एक नजर थिया को देख, वापस मेरे होंठ को चूमने लगी। मैंने उस लड़की को खुद से दूर किया और उसे अपने बॉयफ्रेंड के पास लौट जाने के लिये कह दिया। थोड़ा चिढ़कर वो चली गयी और थिया मेरा हाथ पकड़ कर कमरे में ले जाती हुई… "सॉरी तुम्हे रोकना नहीं चाहिए था। लेकिन तुमने अपना शेप शिफ्ट किया था और तुम्हारे पंजे वुल्फ के थे।"..


उसकी बात सुनकर मै थोड़ा सकते में आ गया और हैरानी से उसे देखने लगा… थिया सवालिया नजरो से मुझे देखती, पूछने लगी… "यहां वापस क्यों आये, समझाई थी ना यहां खतरा है।"..


मै:- मै खुद नहीं आया। मेरे हालात मुझे यहां खींच लाये है।


थिया:– अपने हालात पर कुछ रहम खाओ और 2 दिन बाद मेरा दोस्त बॉब आ रहा है, उसके साथ तुम निकल जाना। लेकिन तबतक कोई भी ऐसा काम मत करना जो तुम्हारी धड़कने इतना बढ़ा दे की तुम अपना शेप शिफ्ट कर लो, खासकर सेक्स। और हां 5 दिन बाद पूर्णिमा है, यदि तुम बॉब के साथ नहीं निकले तो फिर तुम कभी ब्लैक फॉरेस्ट से नहीं निकल पाओगे।


थिया मुझे समझाकर वहां से चली गयी और मै खुद की हालत पर तय नहीं कर पा रहा था कि रोऊं या हंसू। मुझे निशांत की याद आ गयी, जब वो किसी खूबसूरत लड़की की जान बचाता तो सामने से कह देता, जान बचाई इनाम में मुझे मज़े करने दो। 2 बार सफलता हासिल किया भी और मज़े भी किये। लेकिन तब मै समझ नहीं पाता था कि महज कुछ देर के काम–वासना के लिये वो इतना व्याकुल क्यों रहता है। आज समझ में आया तो लगा जान बचाने का साला सही मेहनताना मांगा करता था।


खैर 2 दिन बाद बॉब तो आ गया लेकिन मेरी मुश्किल आसान नहीं हुई। क्योंकि बॉब खुद 2-3 महीनों के लिये ब्लैक फॉरेस्ट आया था। बॉब इवानविस्की यही नाम बताया था उसने और मेरी हालत पर वो हंस रहा था। बॉब मेरे जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट। यूं समझ लो कि मेरी जिंदगी की असली कहानी यहीं से शुरू हो रही थी। शाम को मै, थिया और बॉब, तीनों उसी झील किनारे बैठे थे और बॉब हंस रहा था। थिया थोड़ी चिढ़ती हुई बॉब को उसी झील में धकेलती हुई… "मदरफॅकर".. बोली और उठकर वो वहां से चली गयी। मै हाथ देकर उसे बाहर निकाला और सवालिया नजरो से देखने लगा..


बॉब हंसते हुये… "हाई स्कूल में हम गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड थे। 3 महीने की हमारी शादी चली, फिर स्टडी के लिए हम अलग हुये और उसी के साथ हमारा डाइवोर्स भी हो गया।"..


मै उसकी बात पर बिना किसी प्रतिक्रिया के बस चारो ओर जंगल को देखने लगा.. "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है।".. बॉब ने पूछा..


मै:- नहीं..


बॉब:- होगी भी कैसे इतना ख़ामोश जो रहते हो। चलो उठो एक वॉक करते है।


हम दोनों साथ-साथ चलने लगे। कुछ दूर चलने के बाद… "देखो दोस्त, तुमने जो थिया को बताया उसने मुझे बताया। इतना जान गया हूं कि तुम ईडन के यहां ये पता लगाने पहुंचे की तुम्हारी लवर मैत्री किन हालातों में उन्हें छोड़कर गयी? क्योंकि कहीं ना कहीं तुम्हारे मन में था कि तुम्हारी लवर मैत्री को मारने के पीछे केवल शिकारी नहीं। लेकिन तुम पुरा खुलकर हमे नहीं बता रहे। जबतक तुम पूरी बात बताओगे नहीं, हम तुम्हारी मदद नहीं कर पायेंगे।"


मै:- कैसी मदद..


बॉब:- यहां किसी को नहीं पता कि जंगल के उस हिस्से में मैने ऐसा क्या किया था, जो सुपरनैचुरल अपने क्षेत्र से हमारे क्षेत्र में नहीं आ पाते। ब्लैक फॉरेस्ट के उस क्षेत्र से इस क्षेत्र में आने का अर्थ था कि तुम एक सुपरनैचुरल नहीं हो, तभी मैक्स ने तुम्हारी मदद की। इस वक़्त मेरे दिमाग में भी बहुत से सवाल है जिसका जवाब तुम्हारी पूरी बात सुनने के बाद ही शायद मिले। इसलिए जबतक तुम अपना इतिहास और वुल्फ हाउस में हुई हर छोटी-बड़ी घटना मुझसे साझा नही करते, तबतक मै किसी नतीजे पर पहुंच सकता हूं।


हालांकि तब मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया था की बॉब ऐसा क्यों पूछ रहा है। उसे आश्चर्य क्यों हो रहा था कि मैं एक नया–ताजा वेयरवोल्फ होकर भी वेयरवोल्फ के क्षेत्र से जंगल के इस हिस्से में कैसे आ गया? क्योंकि बॉब वेयरवोल्फ के पूरे इलाके को ही माउंटेन ऐश की रेखा से बांध रखा था। मैने उसकी पूरी बात सुनने के बाद इतना ही कहा…. "मुझे इस बारे में बात नहीं करनी।"


बॉब:- जैसा उम्मीद किया था वैसे ही जवाब।


उसके बाद ना तो बॉब ने मुझसे कुछ बात की और ना मैंने कुछ कहा, बस चलते जा रहे थे। चलते-चलते हम दोनों के कान में किसी मृग के कर्राहने की आवाज पहुंची। बॉब एक बार मेरी ओर देखा और तेजी से आवाज़ के पीछे जाने लगा। मुझे समझ में नहीं आया कि उसने ऐसा क्यों किया। इन सब बातो को दरकिनार करके मै भी तेजी से उस हिरण के आवाज के पीछे चल दिया।


हमदोनों उस जगह पर साथ ही पहुंचे, जहां सियार का एक झुंड, हिरण को घायल कर चुका था और अब-तब में उसके प्राण निकलने ही वाले थे। पेड़ की सूखी टहनी गिरी हुई थी, जिसे मैंने उठाया और तेजी से दौड़ते हुए एक सियार के सर पर दे मारा। मै वहीं नहीं रुका, क्योंकि जनता था ये चालाक शिकारी है, इसलिए जल्दी से उठकर 2-3 और सियार पर हमला कर दिया।


उन्हें लग गया कि उनके शिकार के बीच कोई मजबूत दावेदार आ गया है, इसलिए चुपचाप वो अपना शिकार छोड़कर दूर चले गये और दूर से खड़े होकर हमारे जाने की प्रतीक्षा करने लगे। मै हिरण के पास पहुंचा, उसके बहते खून को देखा और अपने साथ लिये बैग को खोलकर उसमे से कॉटन निकाल लिया।


इन सब बातों में मै भुल ही गया था कि मेरे साथ बॉब भी हैं। शियार के काटने का जहर ना फैला उसका इंजेक्शन लगाकर जब मै उठा तो बॉब मुझे हैरानी से देखते हुये पूछने लगा… "ताजा खून और हिरण के इतने लजीज मांस को छोड़कर उसका इलाज कर दिये। यहां तो 2-2 आश्चर्य की बात हो गई।"..


मै:- क्या?


बॉब:- तुम्हे जानवरो का सही इलाज कैसे करने आता है? दूसरा नया वेयरवुल्फ में इतना कंट्रोल कहां से आ गया?


मै:- मै वेयरवुल्फ नहीं बल्कि शापित हूं, जो ना तो इंसान रहा और ना ही वुल्फ।


बॉब:- लगता है थिया ने किसी अच्छे पर भरोसा किया है लेकिन है पक्का सरदर्द। भाई तू कुछ तो खुलकर बोल दे। अच्छा मुझे जरा शेप शिफ्ट करके दिखाओ।


मै:- मुझे नहीं पता कि इंसान से वुल्फ कैसे बनना है। बस केवल 2 बार वो भी अपने आप शेप शिफ्ट हुआ था। पहली बार जब ईडन कोई खून वाली रश्म कर रही थी, जिसमें खून को नाद में जमा किया जा रहा था, और दूसरी बार कुछ दिन पहले जब मै किसी लड़की को चूम रहा था।


बॉब:- हम्मम ! तो चलो पहले शेप शिफ्ट करना सिखाएं तुम्हे। लेकिन उससे पहले ये बताओ तुमने जानवरो का इलाज करना कहां से सीखा?


मै:- जब से पैदा हुआ पूर्वी हिमालय के क्षेत्र में रहा हूं। इतना तो मै डॉक्टर को देखते-देखते सीख चुका था।


हम दोनों बात करते हुए, बॉब के गेस्ट हाउस में चले आये, जहां उसने मुझे एक कुर्सी पर बिठा दिया… "अब जो मै करने जा रहा हूं उससे तुम्हे तकलीफ होगी, लेकिन विश्वास करो यही सही रास्ता है।" उसने मेरे हाथ पाऊं बांध दिए और मुझे बिजली के खतरनाक झटके देने लगा।


मैं पहली कि तरह चिंख़ रहा था लेकिन मेरी आवाज बंधे मुंह में घूट रही थी। अच्छा खासा बिजली के झटके देने के बाद उसने मुझे खोल दिया और हैरानी से देखने लगा। फिर उसने अपने बैग से नशे का एक पाउडर निकला जो लोगो के अग्रेशन को बढ़ा देता है। "लीपो" था उस ड्रग का नाम जो ऑप्वाइड था। इस ड्रग के बारे में मै जानता था। हिमालय के तश्कर इस ड्रग का इस्तमाल हाथियों पर करते थे, जिससे वो पागल होकर अपने झुंड से इधर-उधर भटक जाया करते थे और फिर वो लोग इनका शिकार कर लेते थे।


मैंने जैसे ही उस ड्रग को देखा आश्चर्य से बॉब को घूरते हुए पूछने लगा… "क्या तुम हाथी के दांत की तस्करी करते हो?"


बॉब:- हाहाहाहा .. नहीं इलाज करता हूं उनका। हां तुमने सही पहचाना ये वही ड्रग है जो हाथियों को पागल करने के लिए इस्तमाल होता है। लेकिन क्या तुम्हे पता है इस ड्रग का इस्तमाल आज कल के लड़के-लड़कियां करते है, अपनी ताकत बढ़ाने और कत्ल आम मचाने के लिये।


मै:- नहीं मुझे ये पता नहीं था। फिर तो इस्तमाल करने वालों की जिंदगी नरक बन जाती होगी?


बॉब:- हां छोटी सी जीत के लिये जिंदगी हार जाते है।


अपनी बात कहकर बॉब ने लिपो ड्रग को मेरे ऊपर उड़ा दिया। श्वांस के जरिये वो मेरे अंदर घुस गया और जब मेरी आंख खुली तब बॉब मेरे करीब बैठा हुआ था। मैंने उठते ही बॉब का गला दबोच लिया। मै इतना गुस्से में था कि उसे लगभग मार ही दिया था।


गला छूटते ही बॉब तेज-तेज खांसने लगा। किसी तरह खुद को सामान्य करते हुये कहने लगा मेरे साथ आओ। लेकिन मै उसके साथ कहीं भी जाने के मूड से नहीं था। फिर भी वो ज़िद करने लगा तब मै उसके साथ चल दिया… "देखो वो ड्रग लेने के बाद ये सब तुमने किया है।"….


मैं आश्चर्य से चारो ओर देखने लगा… झील के किनारे ही तकरीबन 8 फिट गहरा और 12 फिट लंबा चौड़ा गड्ढा खोदा हुआ था।… "ये सब मैंने नहीं किया था?"..


फिर उसने मुझे कल रात की फुटेज दिखाई जिसमे मै अपना शेप शिफ्ट किये हुये था। बिल्कुल काले रोंयेदार बाल थे मेरे ऊपर और मै अपने नाखून से मिट्टी खोद रहा था। मेरे आस पास से कई जानवर गुजरे और मै बस उनकी ओर गर्दन घुमा देता। वो जानवर झुक कर अपनी नजरें इधर-उधर करते और फिर जब मै गड्ढे खोदने लग जाता, तो वो सब जहां से आये थे, वहां वापस लौट जाते।


मै:- बॉब ये कौन सा खेल, खेल रहे हो मेरे साथ।


बॉब:- अभी कुछ भी समझाने का वक़्त नहीं है आर्यमणि। बस इतना ही समझो कि तुम 2 जीवन के बिल्कुल बीच में हो, और यदि तुमने जल्द ही अपना शेप शिफ्ट करना नहीं सीखा तो अपने साथ-साथ बहुत से लोगों के लिये खरनाक साबित होगे।


मै:- जी ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा, तुम्हारे धोके से दिये उस ड्रग के कारण मेरी ऐसी हालत हुई थी।


बॉब:- आर्यमणि बहुत टफ चीज हो यार। तुम मेरी किसी बात का यकीन क्यों नहीं करते।


मै:- मुझे जो बातें समझ में आती है मै केवल उन पर यकीन करता हूं। मुझे तुम्हारी बातें समझ में नहीं आती। ऐसा लगा रहा है जैसे तुम कोई हॉलीवुड मूवी की स्टोरी सुना रहे, जिसमे हर किसी की जान खतरे में है। दुनिया खतरे में है। सिर्फ मै ही हूं रखवाला और यदि मैंने तुम्हारा कहा नहीं माना तो पूरी दुनिया खतरे में आ जायेगी। मानता हूं कि कुछ ऐसा नहीं होना चाहिए था जो मेरे साथ हो गया है। मै खुद भी पजल बाना हूं कि ये मेरे साथ हुआ क्यों और इस से छुटकारा पाने के उपाय क्या है?

"और जानते हो सबसे बड़ी बात क्या है। इन सब के कारण मै भूलते जा रहा हूं कि मैं यहां क्यों आया था? क्या जरूरत आन पड़ी जो मै यहां आया? मेरे यहां होने की वजह क्या है? एक तो मुझे बस सीधा-सीधा उस मैत्री के बाप से केवल इतना पूछना था कि मत्री आपकी ही बेटी थी ना या कहीं से उठा लाये थे, जो इतने खतरे को जानते हुए भी इंडिया भेज दिया? और भेज दिया तो मुझे तो कम से कम बता देते, मेरी बेटी तुम्हारे प्यार में पड़कर वहां चली गयी है, उसका ख्याल रखना। उसे खींचकर 2 थप्पड़ मारने आया था मै यहां। फिर यहां से निकलकर मै नागपुर जाता और वहां अपनी भूमि दीदी का गला पकड़कर पूछता कि क्यों.. जब वो जानती थी कि मै मत्री को चाहता हूं तो क्यों अपने लोग भेजी? क्यों उसे मारा?

"शायद उसका गला दबाकर मै उसे मार नहीं पता, क्योंकि जितना मै मैत्री को चाहता हूं उतनी ही अपनी दीदी से भी लगाव है। लेकिन दिल की भड़ास निकालने के बाद मै फिर कभी उनकी शक्ल नहीं देखता। लेकिन मुझे देखो। देखो ना मुझे। मैं यहां क्या कर रहा हूं। बस पागलों कि तरह एक–एक दिन गुजरते देख रहा हूं और तुम्हारे चुत्यापे सुन रहा हूं। नहीं निकल रहा है अंदर से वुल्फ तो लो कलेजा चिर कर निकाल लो, लेकिन मेरा पीछा छोड़ो। बेवकूफों की तरह नचाये जा रहे हो। अनाप शनाप लॉजिक दिये जा रहे हो।"


इतने दिनों की भड़ास बॉब पर ही निकालने लगा। वो मेरी बात सुनकर ये भी ना हुआ की चला जाये। उल्टा हंसकर मेरे गुस्से को भड़काने लगा। मै अपनी दर्द भरी दास्तान कह रहा था और वो बत्तीसी निकाल रहा था। मेरी पूरी बात सुनने के बाद वो अपना बत्तीसी फाड़े कहने लगा…. "सुनकर बुरा लगा मैत्री मर गयी। कम से कम 3-4 बार नंगे होकर वो तुम्हे अपने ऊपर कूदने देती तब कहीं जाकर मरना था ना। मज़े तो ले लेते।"…


"आह्हः … चुप हो जाओ तुम".. पूरे गुस्से में मैंने दीवार में फिट किया हुआ पुराने जमाने का एक वजनी वॉर्डरोब दोनो हाथ से खींचकर निकाल लिया और उसे पूरा उठा लिया। लेकिन ना तो बॉब वहां से भगा और ना ही हसना बंद किया।


"तुम्हे खुद पता नहीं की तुम क्या हो, फिर उस लड़की के बारे में कैसे पता लगा सकते जिसके पैक ने तुम्हे महज एक खिलौना बनाकर नोचा हैं। अपनी बहन के इमोशंस का कैसे सामना करोगे, जब वो तुम्हे एक लड़की के लिये धिक्करेगी और तुम यूं गुस्से में उसकी जान ले लोगे। मुझे मारने से तुम्हारी समस्या का हल हो जाये तो मार दो, मै यहां खड़ा हूं।"


मुझे क्यों सुनाई देने लगी बॉब की कोई भी बात, मैंने वो वॉर्डरोब उठाकर सीधा उसके ऊपर फेंक दिया। शक्त जान है साला वो भी रूही, वॉर्डरोब के बीच के स्पेस में था, लकड़ी का कोई किनारा नहीं लगा उसपर।


मेरा मन नहीं हुआ फिर मै वहां रुकूं। वैसे भी 1 दिन बाद पूर्णिमा थी, जिस कारण थिया भी काफी घबराई थी। सो मैंने अंत में फैसला किया कि चल दूं उधर ही जिस काम के लिये आया था, मैत्री के बाप जितन लोपचे से मिलने। मैं जंगल के उसी भाग में वापस जाने लगा जिस भाग से मै आया था। लंबा सफर था इसलिए मै तेज-तेज चल रहा था। फिर पता नहीं क्यों मुझे लगा मै इससे भी ज्यादा तेज हो सकता हूं, उससे भी ज्यादा, और भी ज्यादा.….


मेरे ज्यादा तेज दौड़ने की कोई सीमा नहीं थी। मै जंगल के उस हिस्से में महज चंद मिनट में पहुंच गया जहां से आने में मैंने कई दिन लगा दिये थे। मैं ब्लैक फॉरेस्ट के 2 क्षेत्र के सीमा पर खड़ा था... पीछे इंसानों का इलाका और सामने दरिंदो का।
 

ASR

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Supreme
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Drug cartel ke bare aur kya jaan'na hai... Bus khtm close, tata, bye-bye... Arya ne Kissa hi khatm kar diya boss ka..ab kya pabolo Escobar jaise kisi se bidhte dekhna chahte hain...baki ki baten jald hi prakash me aa jayegi ..
सही है ये एक अलग ही रंग में रंगी हुई कहानी है.. दृग कार्टेल तो एक पड़ाव था.. बॉब व aosin की एंट्री का.. 😍
 

Kala Nag

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भाग:–77






"तुम कौन हो अजनबी, और इस इलाके में क्या कर रहे हो।"… कुछ लोगों ने मुझे घेर लिया। उनमें से एक 40-41वर्षीय व्यक्ति ने मुझे ऊपर से नीचे घूरते हुये पूछने लगा।


"मै एक मुसाफिर हूं, और मेरा नाम आर्यमणि है। ब्लैक फॉरेस्ट में गुम हो गया हूं, और भटकते हुये यहां तक आ पहुंचा।"… मैंने भी जवाब में कहा


"मेरा नाम मैक्स है आर्यमणि, और तुम इस वक़्त जंगल के सबसे ख़तरनाक इलाके में घूम रहे हो। ऊपर से तुम्हारी हालत भी कुछ ठीक नहीं लग रही।"... वो चिंता जाहिर करते हुए उस क्षेत्र के बारे ने बताने लगा।


मै:- हम्मम ! मुझे पता नहीं था सर, मुझे जंगल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।


मैक्स:- मेरे पीछे आओ।


तकरीबन 5-6 किलोमीटर पश्चिम में चलने के बाद वो मुझे अपने साथ एक घर में ले गया और अपनी पत्नी थिया से परिचय करवाते हुए कहने लगा…. "कुछ दिन तुम यहीं पर ठहरो, जब हम शहर के ओर निकलेंगे, तब तुम्हे वहां छोड़ देंगे। फिर तुम अपने दोस्तों से संपर्क कर पाओगे।"


मैं बहुत ही दुविधा में था। एक वुल्फ हाउस से किसी तरह बचकर निकला था और सामने एक और हाउस, और 2 अंजाने लोग द्वार पर खड़े…. संकोच में मै अपनी जगह खड़ा रहा और दुविधा में फंसा सोचता रहा, यहां रुकना चाहिए या नहीं रुकना चाहिए।


शायद मैक्स मेरे अंदर के असमंजस की स्तिथि को पहचान गया। वो हंसते हुए मेरे कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखा और अपनी पहचान पत्र दिखाते हुए कहने लगा… "घबराओ मत, मै इस जंगल का रेंजर हूं, और मेरे जैसे 400 रेंजर इस जंगल में है। तुम यहां सुरक्षित हो और किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं। थिया इन्हे अंदर ले जाओ और कुछ खाने के लिये दो।"


अपनी बात कहकर मैक्स वहां से चला गया और थिया मुस्कुरा कर मेरा स्वागत करती अपने साथ अंदर ले गयी। घर के अंदर का पूरा ब्यौरा देकर उसने मुझे एक टॉवेल लाकर दिया और फ्रेश होकर आने के लिये कहने लगी, जबतक वो मेरे लिए कुछ खाने को लेकर आती। मै संकोच में सिर्फ इतना ही कह सका की मेरे पास कोई कपड़े नहीं है। मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई और मैक्स के कुछ कपड़े मुझे देती हुई कहने लगी, "फिलहाल आप इसी से काम चला लीजिये, जब आप शहर पहुंचेंगे फिर अपने हिसाब से कपड़े ले लीजियेगा।"



आह वो सुकून, मैं बयान नहीं कर सकता कितना अच्छा मेहसूस कर रहा था जब मेरे बदन पर गरम पानी गिर रहा था। कुछ अच्छा होने जैसा मेहसूस हो रहा था। मै अपने अंदर जितना अच्छा मेहसूस कर रहा था मेरे अंदर उतनी ही ज्यादा ऊर्जा का संचार हो रहा था। मेरी तो बाथरूम से बाहर आने की इक्छा ही नहीं हुई।


काफी देर तक मै गरम पानी का शावर लेकर, खुद को तरोताजा महसूस करता रहा और मैक्स के कपड़े पहनने लगा। कपड़े बिल्कुल फिटिंग थे बस लंबाई इंच भर छोटी लग रही थी। मै थिया के कहे अनुसार आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया। चंद सेकेंड बाद थिया भी उस जगह पहुंची और मुझे देखकर काफी घबराई सी लग रही थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया की हुआ क्या, अभी तो थोड़ी देर पहले वो मुस्कुराकर मेरा स्वागत कर रही थी फिर ऐसे अचानक। मै सोच ही रहा था कि थिया हड़बड़ा कर मेरे पास आयी…. "तुम एक वेयरवुल्फ हो।"..


मैं दंग रह गया, उसके सवाल से मेरे चेहरे की रंगत भी उड़ गई। मै क्या जवाब देता, बस हां में अपना सर हिला दिया। जैसे ही मैंने अपना सर हां में हिलाया उसके चेहरे पर और भी चिंता की लकीरें बढ़ने लगी। वो मेरा हाथ पकड़कर पीछे के रास्ते से बाहर निकलती हुई कहने लगी…. "यहां से उत्तर की दिशा में तकरीबन 4 किलोमीटर की दूरी पर तुम्हे छोटी सी पहाड़ी और घने जंगल दिखेंगे। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी तुम वहां पहुंचकर मेरा इंतजार करना। मै सब कुछ वहीं आकर समझाऊंगी।"..


उसकी बातों से लगा कि मै शायद मुसीबत में हूं इसलिए उसकी बात मानते हुये, मैं भी उसके दिये कंपास की मदद से उत्तर दिशा की ओर चल दिया। जैसा थिया ने कहा था ठीक वैसा ही माहौल था वहां का। मै आराम से एक चट्टान के नीचे बैठ गया और गहरी श्वांस लेते हुये खुद पर ही हसने लगा। मेरे आखों के आगे जंगल और पहाड़ का नजारा था और आखों के अंदर अपने दोस्त निशांत की याद। हम ऐसी ही जगह में साथ घुमा करते थे। चित्रा का वो नाराज़ होना, जब हम जंगलों में भटका करते थे। मेरी जंगल जाने की बात पर मां का वो पर्दा डालना। मै अपनी खुली आंखों से चारो ओर देख रहा था और अपने साथ होने वाली घटना पर हंस रहा था।


तकरीबन 4 दिन बाद एक रात मुझे टॉर्च की रौशनी दिखाई दी। कोई आ रहा था। मै सचेत हो गया और जाकर पहाड़ के बीच पतली सी जगह में छिप गया। तभी मेरे कानों में जानी पहचानी सी आवाज सुनाई देने लगी और मै चिंता मुक्त हुआ। थिया की आवाज पर मै प्रतिक्रिया देते हुये उसे अपने पास बुलाया। वो टॉर्च की रौशनी बंद करके वहीं एक चट्टान के पास बैठी और मेरे बारे में पूछने लगी। मै उसके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया, उल्टा वहां के बारे में ही पूछने लगा कि वो मुझे देखकर कैसे पहचान गयी की मै भी एक वुल्फ हूं, और मुझे यहां छिपकर रहने के लिए क्यों कही?


थिया:- यहां इंसानों और वेयरवोल्फ के बीच जंग छिड़ी हुई है। कोई इंसान वेयरवोल्फ के इलाके में नहीं जा सकता और कोई वेयरवोल्फ इंसानों के इलाके में नहीं आ सकता।


मै जिज्ञासावश पूछने लगा यदि कोई गलती से पहुंच गया..


थिया:- शायद वो उसकी आखरी गलती हो। जंगल के उस क्षेत्र को इंसानों के लिए प्रतिबंधित किया गया है जिस ओर भेड़िए रहते हैं। बड़े-बड़े बोर्ड लगा रखा है, प्रतिबंधित क्षेत्र में जाना और अपनी जान गवाना। जंगल प्रबंधन को दोष ना दिया जाये। और तुम भटकते हुए इस ओर चले आये। तुम्हारा पैक कहां है?


"मेरा कोई पैक नहीं और मै एक वुल्फ हूं ये मुझे भी पता नहीं था।"… इतना कहने के बाद मै कुछ पल ख़ामोश हो गया। वो मेरे कंधे पर किसी अपने कि तरह हाथ रखती हुई अपनी कहानी बताने के लिये कहने लगी। मै कुछ देर तक उसकी बात पर सोचता रहा, फिर शुरू से लेकर अंत तक अपने आने की पूरी कहानी उसे बयां कर दिया।


मेरी बात सुनकर वो काफी हैरान थी। फिर थिया अपने बारे में बताई, वो एक जानवरों कि डॉक्टर थी जो ब्लैक फॉरेस्ट में जानवरों की देखभाल के लिये काम करती थी। वहीं उसकी मुलाकात मैक्स से हुई। दोनो में प्यार हुआ और फिर शादी। शादी के बाद ही उसे पहली बार वेयरवुल्फ के बारे में पता चला था। इससे पहले वो केवल अपने दोस्त से सुना करती थी, लेकिन कभी अपनी आखों से शेप शिफ्ट करते नहीं देखी थी। इसलिए उसे अपने दोस्त पर कभी यकीन नहीं हुआ।


वो अपनी दुविधा बताती हुई कहने लगी.… "वेयरवुल्फ होते तो इंसान है, लेकिन अपनी जानवर प्रवृति के लिए सबसे ज्यादा कुख्यात है। मैक्स और उसके जैसे 40 शिकारियों के यहां आने से पहले इस जंगल पर केवल वुल्फ का राज चलता था।।इंसानों का खून उनके मुंह लग गया था। और चूंकि इंसानी मांस एक नशा होता किसी के मुंह लग जाये फिर वो जानवर भूखा मर जायेगा लेकिन इंसानों को ही खायेगा। इस जंगल में सैलानियों के साथ आये दिन घटनाएं होने लगी। कभी-कभी किसी ग्रुप से 1 या 2 तो कभी–कभी पुरा ग्रुप ही गायब होने लगा"

"कुछ विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फॉरेस्ट में सुपरनेचुरल की गतिविधियों के कारण ऐसा हो रहा था। क्योंकि उठाये गये इंसान के पास से किसी भी नरभक्षी जानवर के पंजों के निशान नहीं मिल रहे थे। फिर इस जंगल में मैक्स की टीम को भेजा गया और तब से ये जंगल शांत था। मैक्स वेयरवोल्फ के लिये जल्लाद तो मुसीबतें फसे इंसानों के लिये काफी नरम दिल इंसान है। जब तुम घर आये तब तुम्हारी हालत ऐसी थी मानो तुम्हारे किसी ग्रुप पर वेयरवोल्फ का हमला हो गया हो और तुम भूखे प्यासे अपनी जान बचाकर जंगल में कई महीनों भटकते रहे हो।"

"मैक्स ने तुम्हे देखा और वो घर ले आया। बाद में तुम जब हील होकर अपने शरीर को तुरंत ही पहले से बेहतर कर चुके थे, फिर मुझे समझते देर नहीं लगी कि तुम एक वेयरवोल्फ हो, जो शायद गलती से इस ओर चला आया। मैक्स यदि तुम्हे देख लेता तो तुम्हे जान से मार देता इसलिए तुम्हे यहां भेजना पड़ा।"


मै:- हम्मम ! आप का शुक्रिया। मुझे इस जंगल से निकलना है, क्या आप मेरी मदद कर सकती है?


थिया:- वही बताने आयी थी। मेरे एक मित्र है बॉब वो कुछ दिनों में मेरे पास मिलने आ रहे है। उन्हीं के साथ तुम्हे बाहर निकालने कि योजना है। तबतक तुम यहां आराम से रहो और चौकान्ना रहना। एक बात और कोई मिले भी तो घबराना मत और अपनी असलियत नहीं जाहिर होने देना। अब मै चलती हूं, अपना ख्याल रखना।


लंबी बातचित के बाद थिया वहां से चली गयी और मै एक छोटी सी गुफा में आकर लेट गया। जैसे-जैसे दिन बीत रहा था मेरा शरीर पहले से बेहतर होता जा रहा था। मै अपने अंदर ताकत को मेहसूस कर सकता था। एक सुबह मै कुछ खाने लायक पौधों को पानी में उबाल रहा था और ब्लैक फॉरेस्ट से बाहर निकलने के बारे में सोचकर खुश हो रहा था। तभी अचानक ऐसा लगा किसी ने मेरे खाने के बर्तन को भरी आग पर से गिरा दिया। एक तो इस इलाके में ना तो कोई फल के पेड़ थे और ना ही भूमि में नीचे खाने लायक कोई जड़ उगती थी। कई किलोमीटर से भटक कर कुछ पौष्टिक पौधों को ढूंढ़कर लता था, उसे भी गिरा दिया।


गुस्से से मै मुड़ा और 1 कपल बदहाल से थे जो बेसुध होकर भाग रहे थे और भागने के क्रम में उन्हें ये तक होश नहीं रहा की वो मेरा पक रहा खाना गिरा चुके थे। जबतक मै उनकी ओर गुस्से से मुड़ा, दोनो मेरे पीछे आकर एक दाएं तो दूसरा बाएं कांधे से आकर लटक गए… "हेल्प मी प्लीज, हेल्प मी।"..


कमाल की होती है अंग्रेजी भाषा। जोड़े और सहवास तो 2 मिनट के पहचान में बाना लेते है, लेकिन जब जान पर बनती है तो सब पहले खुद को बचाना चाहते है। खैर, मैंने इन बातो पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया बस उनसे उनकी हाल के वजह पूछना चाह रहा था तभी सामने से 4 वजह दिखाई दिया। ब्लैक फॉरेस्ट के सबसे ख़तरनाक शिकारी। देखने से ही जिसे भय पैदा हो जाये। शेर के आकर से 2 गुना बड़े। भूरी आंखें और मिलकर शिकार करने की आदत जो इन्हे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाती है। जीवन में में पहली बार किसी असली वुल्फ के सामने खड़ा था, वो भी ब्लैक फॉरेस्ट के 4 जायंट साइज के ब्लैक वुल्फ, जो वुल्फ साउंड देकर अपने और साथियों को बुला रहे थे। एक बार फिर मै किसी दैत्य जानवर के शिकार के बीच में खड़ा था।


श्वांस माध्यम थी, नजरे चारो ओर आस–पास की चीजों को देख रही थी। मै निर्भीक खड़ा बस इनसे निपटने की सोच रहा था। तभी उन 4 में से एक वुल्फ शिकार को परखने के लिए मुझ पर नजर जमाकर दाएं से बाएं घूमना शुरू किया।


ये दोनो मेरा खाना तो गिरा ही चुके थे लेकिन अंगीठी में आग अब भी जल रही थी और उसमें जल रही 2 लकड़ियां मेरे नजर में थी। मुझे पता था गस्त लगा रहा भेड़िया कभी भी हमला कर सकता था, और उसके हमला करते ही उनके साथी भी हम पर हमला बोल देते। कुछ ही पल में हमारा गरम शरीर ठंडा पड़ने वाला था। शायद मै तो बच भी जाता लेकिन इन दोनों को अपनी जान गवानी पड़ सकती थी।


बिना नजरो के संपर्क तोड़ो मैंने जलती हुई लकड़ी को अपने हाथ में उठा लिया… और उन्हें धीमे से कहने लगा, पीछे चलो और पहाड़ों के पतली दरार में घुस जाओ। शायद दोनो काफी डरे हुए थे और कुछ भी सोच पाने कि स्तिथि में नहीं थे। मेरे लिए मुसीबत बढ़ती जा रही थी और वो दोनो सुनने को तैयार ही नहीं थे।


दाएं से बाएं वो भेड़िया 3 बार गस्त लगा चुका था। वो भी समझ चुका था कि शिकार आसान है और चौथे गस्त के बाद जायंट वुल्फ और उसके साथी हम पर हमला बोल देते। तभी मैंने जोर से चिल्लाया… "पहाड़ों के बीच भागो, अभी।"..


शायद मेरी चिंख से उनकी चेतना वापस लौट आयी, और दोनो अपनी जान बचाने के लिये तेजी में भागे। मैं चिल्लाया वो भागे और इतने में गस्त लगा रहा भेड़िया छलांग लगा दिया। मै साफ देख सकता था वो लगभग मेरे सर के ऊपर था। उसके दोनो बड़े पंजे लगभग मेरे चेहरे से ज्यादा बड़े थे, जिसके एक पंजे के वार से मै नीचे गिरता और फिर मेरे गर्दन और कंधे के बीच इनका जबड़ा। एक बार में ही वो भेड़िया मेरे गर्दन के मांस को नोचकर प्राणघाती हमला कर चुका होता।


मै अपनी फुर्ती से थोड़ा आगे हुआ और जलती हुई लकड़ी उसके गर्दन में पुरा घुसा दिया। वह वुल्फ थोड़ा सा घायल होकर ठीक मेरे पीछे गिरा। नजर पीछे घुमा कर देखा तो वो दोनो फंसे कपल सुरक्षित स्थान तक पहुंच चुके थे, किन्तु मेरे लिए अब मुश्किलें बढ़ गयी थी। घायल वुल्फ पूरे गुस्से में अपनी आवाज निकाला और मेरे पीछे भागने के रास्ते को बॉल्क कर चुका था। उसके तीनो साथी सामने से एक साथ गस्त लगाना शुरू कर चुके थे।


शायद ना हार मानने वाली बीमारी के कारण आज लग रहा था जान जाने वाली हैं। फिर मन में भय की जगह उमंग ने स्थान लिया और सोच केवल इतनी सी थी कि जब जान ही जानी है तो एक द्वंद ही क्यों ना हो जाये? खुद की जान बचाने की एक कोशिश ही क्यों ना हो जाये?


मैं तेजी दिखाते हुये आगे आया और ठीक सामने खड़ा वुल्फ मेरी ओर प्रहार करने दौड़ चुका था। मैंने तेज लात अपने अस्थाई अंगीठी पर मारी और जलता हुआ लकड़ी उस वुल्फ के बदन के ऊपर गिरा। वो तिलमिलाहट में भटक कर तेजी से आगे निकल गया और जाकर पीछे वाले वुल्फ से उसकी भयंकर टक्कर हो गई, जो मुझ पर पीछे से हमला कर चुका था। मैं बस एक सेकंड के लिये ही रिलैक्स हुआ, इतने में वो दोनो कपल चिल्लाने लगे।


पीछे और आगे से तो संभल गया लेकिन बाएं ओर से दौड़कर छलांग लगा चुके वोल्फ से मेरी टक्कर हो गयी। जब मै अंगीठी को लात मार रहा था तब बाएं से हुये वुल्फ के हमले में मै जमीन पर गिर चुका था। अंगीठी पर लात मारने के क्रम में मै थोड़ा झुका था, इसलिए वोल्फ द्वारा मेरे चेहरे पर चलाया गया पंजा तो नहीं लगा, लेकिन उसका भारी शरीर पुरा मुझसे टकरा गया। बहुत तेजी के साथ हम दोनों ही अनियंत्रित होकर नीचे गिर गये। मै संभालता उससे पहले ही आखरी भेड़िया मेरी गर्दन में अपना दांत घूसाकर मेरे प्राण निकालने के लिये झपट परा। खौफनाक नजारा था वो। उसके आगे का पतला सा मुंह किसी भी साइज के इंसान के गर्दन में अपने दोनो दांत घुसा सकते थे।


वो मेरे गर्दन के बीच अपनी दांत घुसाकर मेरे प्राण निकालने की कोशिश करता, उससे पहले ही मैंने अपना डंडा उसके मुंह में घुसा दिया। उसकी बाइट इतनी तेज थी कि डंडे का जो भी हिस्सा उसके दांत के बीच आया, वो पाउडर बन गया। तभी वहां मैक्स जैसे भगवान बनकर पहुंचा हो। 8-10 हवाई फायरिंग हुई। मै अपनी पीठ को ऊपर उठाकर देखा तो मैक्स और उसकी टीम वहां पर खड़ी थी। वो मुझे देखकर हंस रहे थे और लगातार हवा में तब तक फायर करते रहे, जबतक वो वुल्फ का झुंड भाग ना गया।


उनके आते ही मै सुकून से वहीं जमीन पर बिछ गया और आंख मूंदकर अपनी श्वांस सामान्य करने लगा। मैक्स मुझे हाथ देकर उठाया और हंसते हुये कहने लगा… "अब मुझे समझ में आ रहा है कि कैसे तुम्हारा ग्रुप शायद जानवरो का शिकार हो गया और तुम बच गये।"..


मै:- यहां कब से थे?

मैक्स:- जब पहला वुल्फ साउंड हुआ।


उसने जवाब दिया और हम सब हसने लगे… "तुम्हे देखकर लगता नहीं कि तुम जंगल के माहौल से अनजान हो। बस एक कमी है।".. मैक्स मेरे कपड़ों पर पड़ी धूल झड़ते हुए कहने लगा..


मै:- क्या..????


वो पौधों के ओर इशारा करते हुये कहने लगा… "जंगल में रहने वाले शिकार करते है और मांस खाते है। ये पौधे खाने वाले तो आजकल शहर में भी नहीं मिलेंगे।"..


उसकी बात सुनकर मैंने बस मुस्कुराकर अपनी प्रतिक्रिया दी और कपल को लेकर हम उसके घर की ओर चल पड़े। रास्ते में वो मुझे मेरे जंगल के किस्से सुनने लगा और मैंने गंगटोक के कुछ रेस्क्यू किस्से सुना दिये। वो मेरी बात सुनकर काफी प्रभावित हुआ और मेरे घर से भाग के यहां आने पर थोड़ी सी नाराजगी भी जताई।


मैंने उसे अपने यहां आने की वजह बस पापा से नाराजगी बताई थी। मैक्स हम तीनो को लेकर एक बार फिर अपने घर पर था। थिया मुझे देखकर मानो बूत्त बन गयी हो। घबराहट उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। फीकी सी मुस्कान और प्यारी सी आवाज… "उस दिन तुम भाग कहां गये थे।"..

भाग:–78





मैंने उसे अपने यहां आने की वजह बस पापा से नाराजगी बताई थी। मैक्स हम तीनो को लेकर एक बार फिर अपने घर पर था। थिया मुझे देखकर मानो बूत्त बन गयी हो। घबराहट उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। फीकी सी मुस्कान और प्यारी सी आवाज… "उस दिन तुम कहां भाग गये थे।"..


मैक्स:- जंगल घूमने भागा था। ये नहीं होता तो ये लड़का और लड़की भी जिंदा नहीं होते।


मुख्य द्वार पर छोटे से विराम के बाद हम सब अंदर प्रवेश किये। थिया की बेचैनी उसके चेहरे से साफ झलक चल रही थी, किन्तु मुझसे अकेले में बात करने का मौका नहीं मिल रहा था। रात का वक़्त था और मै अपने कमरे में आराम कर रहा था। तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई और दरवाजा खोला तो सामने वही लड़की थी, जिसकी जान मैने बचाई थी।


मेरी उससे कुछ बात हो पाती उससे पहले ही वो सीधा मेरे होंठों को चूमने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जो भी हो रहा था वो अच्छा लग रहा था। थोड़े आश्चर्य के बाद मैंने भी उसके होटों को चूमना शुरू कर दिया। किसी लड़की के साथ इंटीमेसी के ख्याल से किया गया यह मेरा पहला किस्स था, जो मेरी धड़कन को कई गुना बढ़ा रहा था।


मेरी हथेली उसके नितम्ब को अपने मुट्ठी में इस कदर जकड़ ली की वो तिलमिला कर होंठ को अलग करती दर्द और मज़े का मिलजुला सिसकारी अपने मुंह से निकालने लगी। तभी वहां पर किसी के आने की आहट हुई और हम दोनों को एक दूसरे में चिपके देख मुझे आखें दिखाने लगी। थिया थी, जो अपनी नजरो से मुझे रुकने का इशारा कर रही थी और वो लड़की एक नजर थिया को देख, वापस मेरे होंठ को चूमने लगी। मैंने उस लड़की को खुद से दूर किया और उसे अपने बॉयफ्रेंड के पास लौट जाने के लिये कह दिया। थोड़ा चिढ़कर वो चली गयी और थिया मेरा हाथ पकड़ कर कमरे में ले जाती हुई… "सॉरी तुम्हे रोकना नहीं चाहिए था। लेकिन तुमने अपना शेप शिफ्ट किया था और तुम्हारे पंजे वुल्फ के थे।"..


उसकी बात सुनकर मै थोड़ा सकते में आ गया और हैरानी से उसे देखने लगा… थिया सवालिया नजरो से मुझे देखती, पूछने लगी… "यहां वापस क्यों आये, समझाई थी ना यहां खतरा है।"..


मै:- मै खुद नहीं आया। मेरे हालात मुझे यहां खींच लाये है।


थिया:– अपने हालात पर कुछ रहम खाओ और 2 दिन बाद मेरा दोस्त बॉब आ रहा है, उसके साथ तुम निकल जाना। लेकिन तबतक कोई भी ऐसा काम मत करना जो तुम्हारी धड़कने इतना बढ़ा दे की तुम अपना शेप शिफ्ट कर लो, खासकर सेक्स। और हां 5 दिन बाद पूर्णिमा है, यदि तुम बॉब के साथ नहीं निकले तो फिर तुम कभी ब्लैक फॉरेस्ट से नहीं निकल पाओगे।


थिया मुझे समझाकर वहां से चली गयी और मै खुद की हालत पर तय नहीं कर पा रहा था कि रोऊं या हंसू। मुझे निशांत की याद आ गयी, जब वो किसी खूबसूरत लड़की की जान बचाता तो सामने से कह देता, जान बचाई इनाम में मुझे मज़े करने दो। 2 बार सफलता हासिल किया भी और मज़े भी किये। लेकिन तब मै समझ नहीं पाता था कि महज कुछ देर के काम–वासना के लिये वो इतना व्याकुल क्यों रहता है। आज समझ में आया तो लगा जान बचाने का साला सही मेहनताना मांगा करता था।


खैर 2 दिन बाद बॉब तो आ गया लेकिन मेरी मुश्किल आसान नहीं हुई। क्योंकि बॉब खुद 2-3 महीनों के लिये ब्लैक फॉरेस्ट आया था। बॉब इवानविस्की यही नाम बताया था उसने और मेरी हालत पर वो हंस रहा था। बॉब मेरे जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट। यूं समझ लो कि मेरी जिंदगी की असली कहानी यहीं से शुरू हो रही थी। शाम को मै, थिया और बॉब, तीनों उसी झील किनारे बैठे थे और बॉब हंस रहा था। थिया थोड़ी चिढ़ती हुई बॉब को उसी झील में धकेलती हुई… "मदरफॅकर".. बोली और उठकर वो वहां से चली गयी। मै हाथ देकर उसे बाहर निकाला और सवालिया नजरो से देखने लगा..


बॉब हंसते हुये… "हाई स्कूल में हम गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड थे। 3 महीने की हमारी शादी चली, फिर स्टडी के लिए हम अलग हुये और उसी के साथ हमारा डाइवोर्स भी हो गया।"..


मै उसकी बात पर बिना किसी प्रतिक्रिया के बस चारो ओर जंगल को देखने लगा.. "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है।".. बॉब ने पूछा..


मै:- नहीं..


बॉब:- होगी भी कैसे इतना ख़ामोश जो रहते हो। चलो उठो एक वॉक करते है।


हम दोनों साथ-साथ चलने लगे। कुछ दूर चलने के बाद… "देखो दोस्त, तुमने जो थिया को बताया उसने मुझे बताया। इतना जान गया हूं कि तुम ईडन के यहां ये पता लगाने पहुंचे की तुम्हारी लवर मैत्री किन हालातों में उन्हें छोड़कर गयी? क्योंकि कहीं ना कहीं तुम्हारे मन में था कि तुम्हारी लवर मैत्री को मारने के पीछे केवल शिकारी नहीं। लेकिन तुम पुरा खुलकर हमे नहीं बता रहे। जबतक तुम पूरी बात बताओगे नहीं, हम तुम्हारी मदद नहीं कर पायेंगे।"


मै:- कैसी मदद..


बॉब:- यहां किसी को नहीं पता कि जंगल के उस हिस्से में मैने ऐसा क्या किया था, जो सुपरनैचुरल अपने क्षेत्र से हमारे क्षेत्र में नहीं आ पाते। ब्लैक फॉरेस्ट के उस क्षेत्र से इस क्षेत्र में आने का अर्थ था कि तुम एक सुपरनैचुरल नहीं हो, तभी मैक्स ने तुम्हारी मदद की। इस वक़्त मेरे दिमाग में भी बहुत से सवाल है जिसका जवाब तुम्हारी पूरी बात सुनने के बाद ही शायद मिले। इसलिए जबतक तुम अपना इतिहास और वुल्फ हाउस में हुई हर छोटी-बड़ी घटना मुझसे साझा नही करते, तबतक मै किसी नतीजे पर पहुंच सकता हूं।


हालांकि तब मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया था की बॉब ऐसा क्यों पूछ रहा है। उसे आश्चर्य क्यों हो रहा था कि मैं एक नया–ताजा वेयरवोल्फ होकर भी वेयरवोल्फ के क्षेत्र से जंगल के इस हिस्से में कैसे आ गया? क्योंकि बॉब वेयरवोल्फ के पूरे इलाके को ही माउंटेन ऐश की रेखा से बांध रखा था। मैने उसकी पूरी बात सुनने के बाद इतना ही कहा…. "मुझे इस बारे में बात नहीं करनी।"


बॉब:- जैसा उम्मीद किया था वैसे ही जवाब।


उसके बाद ना तो बॉब ने मुझसे कुछ बात की और ना मैंने कुछ कहा, बस चलते जा रहे थे। चलते-चलते हम दोनों के कान में किसी मृग के कर्राहने की आवाज पहुंची। बॉब एक बार मेरी ओर देखा और तेजी से आवाज़ के पीछे जाने लगा। मुझे समझ में नहीं आया कि उसने ऐसा क्यों किया। इन सब बातो को दरकिनार करके मै भी तेजी से उस हिरण के आवाज के पीछे चल दिया।


हमदोनों उस जगह पर साथ ही पहुंचे, जहां सियार का एक झुंड, हिरण को घायल कर चुका था और अब-तब में उसके प्राण निकलने ही वाले थे। पेड़ की सूखी टहनी गिरी हुई थी, जिसे मैंने उठाया और तेजी से दौड़ते हुए एक सियार के सर पर दे मारा। मै वहीं नहीं रुका, क्योंकि जनता था ये चालाक शिकारी है, इसलिए जल्दी से उठकर 2-3 और सियार पर हमला कर दिया।


उन्हें लग गया कि उनके शिकार के बीच कोई मजबूत दावेदार आ गया है, इसलिए चुपचाप वो अपना शिकार छोड़कर दूर चले गये और दूर से खड़े होकर हमारे जाने की प्रतीक्षा करने लगे। मै हिरण के पास पहुंचा, उसके बहते खून को देखा और अपने साथ लिये बैग को खोलकर उसमे से कॉटन निकाल लिया।


इन सब बातों में मै भुल ही गया था कि मेरे साथ बॉब भी हैं। शियार के काटने का जहर ना फैला उसका इंजेक्शन लगाकर जब मै उठा तो बॉब मुझे हैरानी से देखते हुये पूछने लगा… "ताजा खून और हिरण के इतने लजीज मांस को छोड़कर उसका इलाज कर दिये। यहां तो 2-2 आश्चर्य की बात हो गई।"..


मै:- क्या?


बॉब:- तुम्हे जानवरो का सही इलाज कैसे करने आता है? दूसरा नया वेयरवुल्फ में इतना कंट्रोल कहां से आ गया?


मै:- मै वेयरवुल्फ नहीं बल्कि शापित हूं, जो ना तो इंसान रहा और ना ही वुल्फ।


बॉब:- लगता है थिया ने किसी अच्छे पर भरोसा किया है लेकिन है पक्का सरदर्द। भाई तू कुछ तो खुलकर बोल दे। अच्छा मुझे जरा शेप शिफ्ट करके दिखाओ।


मै:- मुझे नहीं पता कि इंसान से वुल्फ कैसे बनना है। बस केवल 2 बार वो भी अपने आप शेप शिफ्ट हुआ था। पहली बार जब ईडन कोई खून वाली रश्म कर रही थी, जिसमें खून को नाद में जमा किया जा रहा था, और दूसरी बार कुछ दिन पहले जब मै किसी लड़की को चूम रहा था।


बॉब:- हम्मम ! तो चलो पहले शेप शिफ्ट करना सिखाएं तुम्हे। लेकिन उससे पहले ये बताओ तुमने जानवरो का इलाज करना कहां से सीखा?


मै:- जब से पैदा हुआ पूर्वी हिमालय के क्षेत्र में रहा हूं। इतना तो मै डॉक्टर को देखते-देखते सीख चुका था।


हम दोनों बात करते हुए, बॉब के गेस्ट हाउस में चले आये, जहां उसने मुझे एक कुर्सी पर बिठा दिया… "अब जो मै करने जा रहा हूं उससे तुम्हे तकलीफ होगी, लेकिन विश्वास करो यही सही रास्ता है।" उसने मेरे हाथ पाऊं बांध दिए और मुझे बिजली के खतरनाक झटके देने लगा।


मैं पहली कि तरह चिंख़ रहा था लेकिन मेरी आवाज बंधे मुंह में घूट रही थी। अच्छा खासा बिजली के झटके देने के बाद उसने मुझे खोल दिया और हैरानी से देखने लगा। फिर उसने अपने बैग से नशे का एक पाउडर निकला जो लोगो के अग्रेशन को बढ़ा देता है। "लीपो" था उस ड्रग का नाम जो ऑप्वाइड था। इस ड्रग के बारे में मै जानता था। हिमालय के तश्कर इस ड्रग का इस्तमाल हाथियों पर करते थे, जिससे वो पागल होकर अपने झुंड से इधर-उधर भटक जाया करते थे और फिर वो लोग इनका शिकार कर लेते थे।


मैंने जैसे ही उस ड्रग को देखा आश्चर्य से बॉब को घूरते हुए पूछने लगा… "क्या तुम हाथी के दांत की तस्करी करते हो?"


बॉब:- हाहाहाहा .. नहीं इलाज करता हूं उनका। हां तुमने सही पहचाना ये वही ड्रग है जो हाथियों को पागल करने के लिए इस्तमाल होता है। लेकिन क्या तुम्हे पता है इस ड्रग का इस्तमाल आज कल के लड़के-लड़कियां करते है, अपनी ताकत बढ़ाने और कत्ल आम मचाने के लिये।


मै:- नहीं मुझे ये पता नहीं था। फिर तो इस्तमाल करने वालों की जिंदगी नरक बन जाती होगी?


बॉब:- हां छोटी सी जीत के लिये जिंदगी हार जाते है।


अपनी बात कहकर बॉब ने लिपो ड्रग को मेरे ऊपर उड़ा दिया। श्वांस के जरिये वो मेरे अंदर घुस गया और जब मेरी आंख खुली तब बॉब मेरे करीब बैठा हुआ था। मैंने उठते ही बॉब का गला दबोच लिया। मै इतना गुस्से में था कि उसे लगभग मार ही दिया था।


गला छूटते ही बॉब तेज-तेज खांसने लगा। किसी तरह खुद को सामान्य करते हुये कहने लगा मेरे साथ आओ। लेकिन मै उसके साथ कहीं भी जाने के मूड से नहीं था। फिर भी वो ज़िद करने लगा तब मै उसके साथ चल दिया… "देखो वो ड्रग लेने के बाद ये सब तुमने किया है।"….


मैं आश्चर्य से चारो ओर देखने लगा… झील के किनारे ही तकरीबन 8 फिट गहरा और 12 फिट लंबा चौड़ा गड्ढा खोदा हुआ था।… "ये सब मैंने नहीं किया था?"..


फिर उसने मुझे कल रात की फुटेज दिखाई जिसमे मै अपना शेप शिफ्ट किये हुये था। बिल्कुल काले रोंयेदार बाल थे मेरे ऊपर और मै अपने नाखून से मिट्टी खोद रहा था। मेरे आस पास से कई जानवर गुजरे और मै बस उनकी ओर गर्दन घुमा देता। वो जानवर झुक कर अपनी नजरें इधर-उधर करते और फिर जब मै गड्ढे खोदने लग जाता, तो वो सब जहां से आये थे, वहां वापस लौट जाते।


मै:- बॉब ये कौन सा खेल, खेल रहे हो मेरे साथ।


बॉब:- अभी कुछ भी समझाने का वक़्त नहीं है आर्यमणि। बस इतना ही समझो कि तुम 2 जीवन के बिल्कुल बीच में हो, और यदि तुमने जल्द ही अपना शेप शिफ्ट करना नहीं सीखा तो अपने साथ-साथ बहुत से लोगों के लिये खरनाक साबित होगे।


मै:- जी ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा, तुम्हारे धोके से दिये उस ड्रग के कारण मेरी ऐसी हालत हुई थी।


बॉब:- आर्यमणि बहुत टफ चीज हो यार। तुम मेरी किसी बात का यकीन क्यों नहीं करते।


मै:- मुझे जो बातें समझ में आती है मै केवल उन पर यकीन करता हूं। मुझे तुम्हारी बातें समझ में नहीं आती। ऐसा लगा रहा है जैसे तुम कोई हॉलीवुड मूवी की स्टोरी सुना रहे, जिसमे हर किसी की जान खतरे में है। दुनिया खतरे में है। सिर्फ मै ही हूं रखवाला और यदि मैंने तुम्हारा कहा नहीं माना तो पूरी दुनिया खतरे में आ जायेगी। मानता हूं कि कुछ ऐसा नहीं होना चाहिए था जो मेरे साथ हो गया है। मै खुद भी पजल बाना हूं कि ये मेरे साथ हुआ क्यों और इस से छुटकारा पाने के उपाय क्या है?

"और जानते हो सबसे बड़ी बात क्या है। इन सब के कारण मै भूलते जा रहा हूं कि मैं यहां क्यों आया था? क्या जरूरत आन पड़ी जो मै यहां आया? मेरे यहां होने की वजह क्या है? एक तो मुझे बस सीधा-सीधा उस मैत्री के बाप से केवल इतना पूछना था कि मत्री आपकी ही बेटी थी ना या कहीं से उठा लाये थे, जो इतने खतरे को जानते हुए भी इंडिया भेज दिया? और भेज दिया तो मुझे तो कम से कम बता देते, मेरी बेटी तुम्हारे प्यार में पड़कर वहां चली गयी है, उसका ख्याल रखना। उसे खींचकर 2 थप्पड़ मारने आया था मै यहां। फिर यहां से निकलकर मै नागपुर जाता और वहां अपनी भूमि दीदी का गला पकड़कर पूछता कि क्यों.. जब वो जानती थी कि मै मत्री को चाहता हूं तो क्यों अपने लोग भेजी? क्यों उसे मारा?

"शायद उसका गला दबाकर मै उसे मार नहीं पता, क्योंकि जितना मै मैत्री को चाहता हूं उतनी ही अपनी दीदी से भी लगाव है। लेकिन दिल की भड़ास निकालने के बाद मै फिर कभी उनकी शक्ल नहीं देखता। लेकिन मुझे देखो। देखो ना मुझे। मैं यहां क्या कर रहा हूं। बस पागलों कि तरह एक–एक दिन गुजरते देख रहा हूं और तुम्हारे चुत्यापे सुन रहा हूं। नहीं निकल रहा है अंदर से वुल्फ तो लो कलेजा चिर कर निकाल लो, लेकिन मेरा पीछा छोड़ो। बेवकूफों की तरह नचाये जा रहे हो। अनाप शनाप लॉजिक दिये जा रहे हो।"


इतने दिनों की भड़ास बॉब पर ही निकालने लगा। वो मेरी बात सुनकर ये भी ना हुआ की चला जाये। उल्टा हंसकर मेरे गुस्से को भड़काने लगा। मै अपनी दर्द भरी दास्तान कह रहा था और वो बत्तीसी निकाल रहा था। मेरी पूरी बात सुनने के बाद वो अपना बत्तीसी फाड़े कहने लगा…. "सुनकर बुरा लगा मैत्री मर गयी। कम से कम 3-4 बार नंगे होकर वो तुम्हे अपने ऊपर कूदने देती तब कहीं जाकर मरना था ना। मज़े तो ले लेते।"…


"आह्हः … चुप हो जाओ तुम".. पूरे गुस्से में मैंने दीवार में फिट किया हुआ पुराने जमाने का एक वजनी वॉर्डरोब दोनो हाथ से खींचकर निकाल लिया और उसे पूरा उठा लिया। लेकिन ना तो बॉब वहां से भगा और ना ही हसना बंद किया।


"तुम्हे खुद पता नहीं की तुम क्या हो, फिर उस लड़की के बारे में कैसे पता लगा सकते जिसके पैक ने तुम्हे महज एक खिलौना बनाकर नोचा हैं। अपनी बहन के इमोशंस का कैसे सामना करोगे, जब वो तुम्हे एक लड़की के लिये धिक्करेगी और तुम यूं गुस्से में उसकी जान ले लोगे। मुझे मारने से तुम्हारी समस्या का हल हो जाये तो मार दो, मै यहां खड़ा हूं।"


मुझे क्यों सुनाई देने लगी बॉब की कोई भी बात, मैंने वो वॉर्डरोब उठाकर सीधा उसके ऊपर फेंक दिया। शक्त जान है साला वो भी रूही, वॉर्डरोब के बीच के स्पेस में था, लकड़ी का कोई किनारा नहीं लगा उसपर।


मेरा मन नहीं हुआ फिर मै वहां रुकूं। वैसे भी 1 दिन बाद पूर्णिमा थी, जिस कारण थिया भी काफी घबराई थी। सो मैंने अंत में फैसला किया कि चल दूं उधर ही जिस काम के लिये आया था, मैत्री के बाप जितन लोपचे से मिलने। मैं जंगल के उसी भाग में वापस जाने लगा जिस भाग से मै आया था। लंबा सफर था इसलिए मै तेज-तेज चल रहा था। फिर पता नहीं क्यों मुझे लगा मै इससे भी ज्यादा तेज हो सकता हूं, उससे भी ज्यादा, और भी ज्यादा.….


मेरे ज्यादा तेज दौड़ने की कोई सीमा नहीं थी। मै जंगल के उस हिस्से में महज चंद मिनट में पहुंच गया जहां से आने में मैंने कई दिन लगा दिये थे। मैं ब्लैक फॉरेस्ट के 2 क्षेत्र के सीमा पर खड़ा था... पीछे इंसानों का इलाका और सामने दरिंदो का।
वाव वाव वाव
एक अद्भुत और चामत्कारिक फ्लैशबैक
बॉब, मैक्स और थिया आर्यमणि के जीवन उस पड़ाव में आए हैं जब वह खुद अपनी शक्ति और व्यक्ति से परिचित नहीं था
बॉब ने उसके अंतर्निहित शक्ति को उजागर किया और आर्यमणि से रुबरु कराया
बहुत ही बढ़िया रहा
 

Zoro x

🌹🌹
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Thankoo Zoro bhai .. waise ye aakhri shabd ek ke baad... 2 gola kis baat ka pratik tha .. ashlil symbol ka gola hai kya :?:
पता नहीं नैन भाई
जब कट किया तो नहीं हूआ तो ऐसे छोड़ दिया 😀😀
 

Mahendra Baranwal

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भाग:–78





मैंने उसे अपने यहां आने की वजह बस पापा से नाराजगी बताई थी। मैक्स हम तीनो को लेकर एक बार फिर अपने घर पर था। थिया मुझे देखकर मानो बूत्त बन गयी हो। घबराहट उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। फीकी सी मुस्कान और प्यारी सी आवाज… "उस दिन तुम कहां भाग गये थे।"..


मैक्स:- जंगल घूमने भागा था। ये नहीं होता तो ये लड़का और लड़की भी जिंदा नहीं होते।


मुख्य द्वार पर छोटे से विराम के बाद हम सब अंदर प्रवेश किये। थिया की बेचैनी उसके चेहरे से साफ झलक चल रही थी, किन्तु मुझसे अकेले में बात करने का मौका नहीं मिल रहा था। रात का वक़्त था और मै अपने कमरे में आराम कर रहा था। तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई और दरवाजा खोला तो सामने वही लड़की थी, जिसकी जान मैने बचाई थी।


मेरी उससे कुछ बात हो पाती उससे पहले ही वो सीधा मेरे होंठों को चूमने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जो भी हो रहा था वो अच्छा लग रहा था। थोड़े आश्चर्य के बाद मैंने भी उसके होटों को चूमना शुरू कर दिया। किसी लड़की के साथ इंटीमेसी के ख्याल से किया गया यह मेरा पहला किस्स था, जो मेरी धड़कन को कई गुना बढ़ा रहा था।


मेरी हथेली उसके नितम्ब को अपने मुट्ठी में इस कदर जकड़ ली की वो तिलमिला कर होंठ को अलग करती दर्द और मज़े का मिलजुला सिसकारी अपने मुंह से निकालने लगी। तभी वहां पर किसी के आने की आहट हुई और हम दोनों को एक दूसरे में चिपके देख मुझे आखें दिखाने लगी। थिया थी, जो अपनी नजरो से मुझे रुकने का इशारा कर रही थी और वो लड़की एक नजर थिया को देख, वापस मेरे होंठ को चूमने लगी। मैंने उस लड़की को खुद से दूर किया और उसे अपने बॉयफ्रेंड के पास लौट जाने के लिये कह दिया। थोड़ा चिढ़कर वो चली गयी और थिया मेरा हाथ पकड़ कर कमरे में ले जाती हुई… "सॉरी तुम्हे रोकना नहीं चाहिए था। लेकिन तुमने अपना शेप शिफ्ट किया था और तुम्हारे पंजे वुल्फ के थे।"..


उसकी बात सुनकर मै थोड़ा सकते में आ गया और हैरानी से उसे देखने लगा… थिया सवालिया नजरो से मुझे देखती, पूछने लगी… "यहां वापस क्यों आये, समझाई थी ना यहां खतरा है।"..


मै:- मै खुद नहीं आया। मेरे हालात मुझे यहां खींच लाये है।


थिया:– अपने हालात पर कुछ रहम खाओ और 2 दिन बाद मेरा दोस्त बॉब आ रहा है, उसके साथ तुम निकल जाना। लेकिन तबतक कोई भी ऐसा काम मत करना जो तुम्हारी धड़कने इतना बढ़ा दे की तुम अपना शेप शिफ्ट कर लो, खासकर सेक्स। और हां 5 दिन बाद पूर्णिमा है, यदि तुम बॉब के साथ नहीं निकले तो फिर तुम कभी ब्लैक फॉरेस्ट से नहीं निकल पाओगे।


थिया मुझे समझाकर वहां से चली गयी और मै खुद की हालत पर तय नहीं कर पा रहा था कि रोऊं या हंसू। मुझे निशांत की याद आ गयी, जब वो किसी खूबसूरत लड़की की जान बचाता तो सामने से कह देता, जान बचाई इनाम में मुझे मज़े करने दो। 2 बार सफलता हासिल किया भी और मज़े भी किये। लेकिन तब मै समझ नहीं पाता था कि महज कुछ देर के काम–वासना के लिये वो इतना व्याकुल क्यों रहता है। आज समझ में आया तो लगा जान बचाने का साला सही मेहनताना मांगा करता था।


खैर 2 दिन बाद बॉब तो आ गया लेकिन मेरी मुश्किल आसान नहीं हुई। क्योंकि बॉब खुद 2-3 महीनों के लिये ब्लैक फॉरेस्ट आया था। बॉब इवानविस्की यही नाम बताया था उसने और मेरी हालत पर वो हंस रहा था। बॉब मेरे जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट। यूं समझ लो कि मेरी जिंदगी की असली कहानी यहीं से शुरू हो रही थी। शाम को मै, थिया और बॉब, तीनों उसी झील किनारे बैठे थे और बॉब हंस रहा था। थिया थोड़ी चिढ़ती हुई बॉब को उसी झील में धकेलती हुई… "मदरफॅकर".. बोली और उठकर वो वहां से चली गयी। मै हाथ देकर उसे बाहर निकाला और सवालिया नजरो से देखने लगा..


बॉब हंसते हुये… "हाई स्कूल में हम गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड थे। 3 महीने की हमारी शादी चली, फिर स्टडी के लिए हम अलग हुये और उसी के साथ हमारा डाइवोर्स भी हो गया।"..


मै उसकी बात पर बिना किसी प्रतिक्रिया के बस चारो ओर जंगल को देखने लगा.. "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है।".. बॉब ने पूछा..


मै:- नहीं..


बॉब:- होगी भी कैसे इतना ख़ामोश जो रहते हो। चलो उठो एक वॉक करते है।


हम दोनों साथ-साथ चलने लगे। कुछ दूर चलने के बाद… "देखो दोस्त, तुमने जो थिया को बताया उसने मुझे बताया। इतना जान गया हूं कि तुम ईडन के यहां ये पता लगाने पहुंचे की तुम्हारी लवर मैत्री किन हालातों में उन्हें छोड़कर गयी? क्योंकि कहीं ना कहीं तुम्हारे मन में था कि तुम्हारी लवर मैत्री को मारने के पीछे केवल शिकारी नहीं। लेकिन तुम पुरा खुलकर हमे नहीं बता रहे। जबतक तुम पूरी बात बताओगे नहीं, हम तुम्हारी मदद नहीं कर पायेंगे।"


मै:- कैसी मदद..


बॉब:- यहां किसी को नहीं पता कि जंगल के उस हिस्से में मैने ऐसा क्या किया था, जो सुपरनैचुरल अपने क्षेत्र से हमारे क्षेत्र में नहीं आ पाते। ब्लैक फॉरेस्ट के उस क्षेत्र से इस क्षेत्र में आने का अर्थ था कि तुम एक सुपरनैचुरल नहीं हो, तभी मैक्स ने तुम्हारी मदद की। इस वक़्त मेरे दिमाग में भी बहुत से सवाल है जिसका जवाब तुम्हारी पूरी बात सुनने के बाद ही शायद मिले। इसलिए जबतक तुम अपना इतिहास और वुल्फ हाउस में हुई हर छोटी-बड़ी घटना मुझसे साझा नही करते, तबतक मै किसी नतीजे पर पहुंच सकता हूं।


हालांकि तब मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया था की बॉब ऐसा क्यों पूछ रहा है। उसे आश्चर्य क्यों हो रहा था कि मैं एक नया–ताजा वेयरवोल्फ होकर भी वेयरवोल्फ के क्षेत्र से जंगल के इस हिस्से में कैसे आ गया? क्योंकि बॉब वेयरवोल्फ के पूरे इलाके को ही माउंटेन ऐश की रेखा से बांध रखा था। मैने उसकी पूरी बात सुनने के बाद इतना ही कहा…. "मुझे इस बारे में बात नहीं करनी।"


बॉब:- जैसा उम्मीद किया था वैसे ही जवाब।


उसके बाद ना तो बॉब ने मुझसे कुछ बात की और ना मैंने कुछ कहा, बस चलते जा रहे थे। चलते-चलते हम दोनों के कान में किसी मृग के कर्राहने की आवाज पहुंची। बॉब एक बार मेरी ओर देखा और तेजी से आवाज़ के पीछे जाने लगा। मुझे समझ में नहीं आया कि उसने ऐसा क्यों किया। इन सब बातो को दरकिनार करके मै भी तेजी से उस हिरण के आवाज के पीछे चल दिया।


हमदोनों उस जगह पर साथ ही पहुंचे, जहां सियार का एक झुंड, हिरण को घायल कर चुका था और अब-तब में उसके प्राण निकलने ही वाले थे। पेड़ की सूखी टहनी गिरी हुई थी, जिसे मैंने उठाया और तेजी से दौड़ते हुए एक सियार के सर पर दे मारा। मै वहीं नहीं रुका, क्योंकि जनता था ये चालाक शिकारी है, इसलिए जल्दी से उठकर 2-3 और सियार पर हमला कर दिया।


उन्हें लग गया कि उनके शिकार के बीच कोई मजबूत दावेदार आ गया है, इसलिए चुपचाप वो अपना शिकार छोड़कर दूर चले गये और दूर से खड़े होकर हमारे जाने की प्रतीक्षा करने लगे। मै हिरण के पास पहुंचा, उसके बहते खून को देखा और अपने साथ लिये बैग को खोलकर उसमे से कॉटन निकाल लिया।


इन सब बातों में मै भुल ही गया था कि मेरे साथ बॉब भी हैं। शियार के काटने का जहर ना फैला उसका इंजेक्शन लगाकर जब मै उठा तो बॉब मुझे हैरानी से देखते हुये पूछने लगा… "ताजा खून और हिरण के इतने लजीज मांस को छोड़कर उसका इलाज कर दिये। यहां तो 2-2 आश्चर्य की बात हो गई।"..


मै:- क्या?


बॉब:- तुम्हे जानवरो का सही इलाज कैसे करने आता है? दूसरा नया वेयरवुल्फ में इतना कंट्रोल कहां से आ गया?


मै:- मै वेयरवुल्फ नहीं बल्कि शापित हूं, जो ना तो इंसान रहा और ना ही वुल्फ।


बॉब:- लगता है थिया ने किसी अच्छे पर भरोसा किया है लेकिन है पक्का सरदर्द। भाई तू कुछ तो खुलकर बोल दे। अच्छा मुझे जरा शेप शिफ्ट करके दिखाओ।


मै:- मुझे नहीं पता कि इंसान से वुल्फ कैसे बनना है। बस केवल 2 बार वो भी अपने आप शेप शिफ्ट हुआ था। पहली बार जब ईडन कोई खून वाली रश्म कर रही थी, जिसमें खून को नाद में जमा किया जा रहा था, और दूसरी बार कुछ दिन पहले जब मै किसी लड़की को चूम रहा था।


बॉब:- हम्मम ! तो चलो पहले शेप शिफ्ट करना सिखाएं तुम्हे। लेकिन उससे पहले ये बताओ तुमने जानवरो का इलाज करना कहां से सीखा?


मै:- जब से पैदा हुआ पूर्वी हिमालय के क्षेत्र में रहा हूं। इतना तो मै डॉक्टर को देखते-देखते सीख चुका था।


हम दोनों बात करते हुए, बॉब के गेस्ट हाउस में चले आये, जहां उसने मुझे एक कुर्सी पर बिठा दिया… "अब जो मै करने जा रहा हूं उससे तुम्हे तकलीफ होगी, लेकिन विश्वास करो यही सही रास्ता है।" उसने मेरे हाथ पाऊं बांध दिए और मुझे बिजली के खतरनाक झटके देने लगा।


मैं पहली कि तरह चिंख़ रहा था लेकिन मेरी आवाज बंधे मुंह में घूट रही थी। अच्छा खासा बिजली के झटके देने के बाद उसने मुझे खोल दिया और हैरानी से देखने लगा। फिर उसने अपने बैग से नशे का एक पाउडर निकला जो लोगो के अग्रेशन को बढ़ा देता है। "लीपो" था उस ड्रग का नाम जो ऑप्वाइड था। इस ड्रग के बारे में मै जानता था। हिमालय के तश्कर इस ड्रग का इस्तमाल हाथियों पर करते थे, जिससे वो पागल होकर अपने झुंड से इधर-उधर भटक जाया करते थे और फिर वो लोग इनका शिकार कर लेते थे।


मैंने जैसे ही उस ड्रग को देखा आश्चर्य से बॉब को घूरते हुए पूछने लगा… "क्या तुम हाथी के दांत की तस्करी करते हो?"


बॉब:- हाहाहाहा .. नहीं इलाज करता हूं उनका। हां तुमने सही पहचाना ये वही ड्रग है जो हाथियों को पागल करने के लिए इस्तमाल होता है। लेकिन क्या तुम्हे पता है इस ड्रग का इस्तमाल आज कल के लड़के-लड़कियां करते है, अपनी ताकत बढ़ाने और कत्ल आम मचाने के लिये।


मै:- नहीं मुझे ये पता नहीं था। फिर तो इस्तमाल करने वालों की जिंदगी नरक बन जाती होगी?


बॉब:- हां छोटी सी जीत के लिये जिंदगी हार जाते है।


अपनी बात कहकर बॉब ने लिपो ड्रग को मेरे ऊपर उड़ा दिया। श्वांस के जरिये वो मेरे अंदर घुस गया और जब मेरी आंख खुली तब बॉब मेरे करीब बैठा हुआ था। मैंने उठते ही बॉब का गला दबोच लिया। मै इतना गुस्से में था कि उसे लगभग मार ही दिया था।


गला छूटते ही बॉब तेज-तेज खांसने लगा। किसी तरह खुद को सामान्य करते हुये कहने लगा मेरे साथ आओ। लेकिन मै उसके साथ कहीं भी जाने के मूड से नहीं था। फिर भी वो ज़िद करने लगा तब मै उसके साथ चल दिया… "देखो वो ड्रग लेने के बाद ये सब तुमने किया है।"….


मैं आश्चर्य से चारो ओर देखने लगा… झील के किनारे ही तकरीबन 8 फिट गहरा और 12 फिट लंबा चौड़ा गड्ढा खोदा हुआ था।… "ये सब मैंने नहीं किया था?"..


फिर उसने मुझे कल रात की फुटेज दिखाई जिसमे मै अपना शेप शिफ्ट किये हुये था। बिल्कुल काले रोंयेदार बाल थे मेरे ऊपर और मै अपने नाखून से मिट्टी खोद रहा था। मेरे आस पास से कई जानवर गुजरे और मै बस उनकी ओर गर्दन घुमा देता। वो जानवर झुक कर अपनी नजरें इधर-उधर करते और फिर जब मै गड्ढे खोदने लग जाता, तो वो सब जहां से आये थे, वहां वापस लौट जाते।


मै:- बॉब ये कौन सा खेल, खेल रहे हो मेरे साथ।


बॉब:- अभी कुछ भी समझाने का वक़्त नहीं है आर्यमणि। बस इतना ही समझो कि तुम 2 जीवन के बिल्कुल बीच में हो, और यदि तुमने जल्द ही अपना शेप शिफ्ट करना नहीं सीखा तो अपने साथ-साथ बहुत से लोगों के लिये खरनाक साबित होगे।


मै:- जी ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा, तुम्हारे धोके से दिये उस ड्रग के कारण मेरी ऐसी हालत हुई थी।


बॉब:- आर्यमणि बहुत टफ चीज हो यार। तुम मेरी किसी बात का यकीन क्यों नहीं करते।


मै:- मुझे जो बातें समझ में आती है मै केवल उन पर यकीन करता हूं। मुझे तुम्हारी बातें समझ में नहीं आती। ऐसा लगा रहा है जैसे तुम कोई हॉलीवुड मूवी की स्टोरी सुना रहे, जिसमे हर किसी की जान खतरे में है। दुनिया खतरे में है। सिर्फ मै ही हूं रखवाला और यदि मैंने तुम्हारा कहा नहीं माना तो पूरी दुनिया खतरे में आ जायेगी। मानता हूं कि कुछ ऐसा नहीं होना चाहिए था जो मेरे साथ हो गया है। मै खुद भी पजल बाना हूं कि ये मेरे साथ हुआ क्यों और इस से छुटकारा पाने के उपाय क्या है?

"और जानते हो सबसे बड़ी बात क्या है। इन सब के कारण मै भूलते जा रहा हूं कि मैं यहां क्यों आया था? क्या जरूरत आन पड़ी जो मै यहां आया? मेरे यहां होने की वजह क्या है? एक तो मुझे बस सीधा-सीधा उस मैत्री के बाप से केवल इतना पूछना था कि मत्री आपकी ही बेटी थी ना या कहीं से उठा लाये थे, जो इतने खतरे को जानते हुए भी इंडिया भेज दिया? और भेज दिया तो मुझे तो कम से कम बता देते, मेरी बेटी तुम्हारे प्यार में पड़कर वहां चली गयी है, उसका ख्याल रखना। उसे खींचकर 2 थप्पड़ मारने आया था मै यहां। फिर यहां से निकलकर मै नागपुर जाता और वहां अपनी भूमि दीदी का गला पकड़कर पूछता कि क्यों.. जब वो जानती थी कि मै मत्री को चाहता हूं तो क्यों अपने लोग भेजी? क्यों उसे मारा?

"शायद उसका गला दबाकर मै उसे मार नहीं पता, क्योंकि जितना मै मैत्री को चाहता हूं उतनी ही अपनी दीदी से भी लगाव है। लेकिन दिल की भड़ास निकालने के बाद मै फिर कभी उनकी शक्ल नहीं देखता। लेकिन मुझे देखो। देखो ना मुझे। मैं यहां क्या कर रहा हूं। बस पागलों कि तरह एक–एक दिन गुजरते देख रहा हूं और तुम्हारे चुत्यापे सुन रहा हूं। नहीं निकल रहा है अंदर से वुल्फ तो लो कलेजा चिर कर निकाल लो, लेकिन मेरा पीछा छोड़ो। बेवकूफों की तरह नचाये जा रहे हो। अनाप शनाप लॉजिक दिये जा रहे हो।"


इतने दिनों की भड़ास बॉब पर ही निकालने लगा। वो मेरी बात सुनकर ये भी ना हुआ की चला जाये। उल्टा हंसकर मेरे गुस्से को भड़काने लगा। मै अपनी दर्द भरी दास्तान कह रहा था और वो बत्तीसी निकाल रहा था। मेरी पूरी बात सुनने के बाद वो अपना बत्तीसी फाड़े कहने लगा…. "सुनकर बुरा लगा मैत्री मर गयी। कम से कम 3-4 बार नंगे होकर वो तुम्हे अपने ऊपर कूदने देती तब कहीं जाकर मरना था ना। मज़े तो ले लेते।"…


"आह्हः … चुप हो जाओ तुम".. पूरे गुस्से में मैंने दीवार में फिट किया हुआ पुराने जमाने का एक वजनी वॉर्डरोब दोनो हाथ से खींचकर निकाल लिया और उसे पूरा उठा लिया। लेकिन ना तो बॉब वहां से भगा और ना ही हसना बंद किया।


"तुम्हे खुद पता नहीं की तुम क्या हो, फिर उस लड़की के बारे में कैसे पता लगा सकते जिसके पैक ने तुम्हे महज एक खिलौना बनाकर नोचा हैं। अपनी बहन के इमोशंस का कैसे सामना करोगे, जब वो तुम्हे एक लड़की के लिये धिक्करेगी और तुम यूं गुस्से में उसकी जान ले लोगे। मुझे मारने से तुम्हारी समस्या का हल हो जाये तो मार दो, मै यहां खड़ा हूं।"


मुझे क्यों सुनाई देने लगी बॉब की कोई भी बात, मैंने वो वॉर्डरोब उठाकर सीधा उसके ऊपर फेंक दिया। शक्त जान है साला वो भी रूही, वॉर्डरोब के बीच के स्पेस में था, लकड़ी का कोई किनारा नहीं लगा उसपर।


मेरा मन नहीं हुआ फिर मै वहां रुकूं। वैसे भी 1 दिन बाद पूर्णिमा थी, जिस कारण थिया भी काफी घबराई थी। सो मैंने अंत में फैसला किया कि चल दूं उधर ही जिस काम के लिये आया था, मैत्री के बाप जितन लोपचे से मिलने। मैं जंगल के उसी भाग में वापस जाने लगा जिस भाग से मै आया था। लंबा सफर था इसलिए मै तेज-तेज चल रहा था। फिर पता नहीं क्यों मुझे लगा मै इससे भी ज्यादा तेज हो सकता हूं, उससे भी ज्यादा, और भी ज्यादा.….


मेरे ज्यादा तेज दौड़ने की कोई सीमा नहीं थी। मै जंगल के उस हिस्से में महज चंद मिनट में पहुंच गया जहां से आने में मैंने कई दिन लगा दिये थे। मैं ब्लैक फॉरेस्ट के 2 क्षेत्र के सीमा पर खड़ा था... पीछे इंसानों का इलाका और सामने दरिंदो का।
Fantastic & energetic
 

CG

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Awesome updates

Wapas kyun le jaa rahe ho, maine to socha tha Thiya k sath scene banega shape shift sikhne k time
 
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