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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–49






पलक पीछला दरवाजा खोली और आर्यमणि कमरे के अंदर। आते ही वो बिस्तर पर बैठ गया। … "अब ऐसे तो नहीं करो। पार्टी में बहुत थकी गयि थी, आंख लग गयि। आये हो तो कम से कम बात तो करो।"..


आर्यमणि:- कल किसी अच्छे पंडित के पास पहुंचना है, ये तो याद रहेगा ना।


पलक:- भैया और दीदी को बुरा नहीं लगेगा, हम उनसे पहले शादी करेंगे तो।


आर्यमणि:- वेरी फनी….


पलक अपने कदम आगे बढ़ाकर आर्यमणि के ऊपर आयी और नाक से नाक फीराते हुए… "आर्य रूठता भी है, मै आज पहली बार देख रही हूं।"..


आर्यमणि, पलक को बिस्तर पर पलट कर उसके ऊपर आते… "पलक किसी को मानती भी है, पहली बार देख रहा हूं"


पलक, आर्यमणि के गर्दन में हाथ डालकर उसके होंठ अपने होंठ तक लाती…. "बहुत कुछ पलक पहली बार करेगी, क्योंकि उसे आर्य के लिए करना अच्छा लगता है।"..


दोनो की नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। आर्यमणि होंठ को चुमते हुये अपने धड़कन काउंट को पूरा काबू में करना सीख चुका था। कामुकता तो हावी होती थी लेकिन अब शेप शिफ्ट नहीं होता था।


दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमते जा रहे थे और बदन पर दोनो के हाथ जैसे रेंग रहे हो। …. "आर्य, यहीं रुक जाते है। आगे मुझसे कंट्रोल नहीं होगा।".. पलक अपने कामुकता पर किसी तरह काबू पाती हुई कहने लगी। आर्यमणि अपने हाथ उसके अर्द्ध विकसित कड़क सुडौल स्तन पर ले जाकर धीमे से दबाते हुये… "तो कंट्रोल करने कौन कह रहा है।"… "आहह्ह्ह्ह" की हल्की पीड़ा और मादक में लिप्त सिसकी पलक के मुंह से निकल गयि। पलक, आर्यमणि है के बाल को अपने हाथो से भींचती आखें बंद कर ली।


आर्यमणि, पलक के गाउन को धीरे से कंधों के नीचे खिसकाने लगा। पलक झिझक में अपने हाथ कांधे पर रखती… "आर्य, अजीब लग रहा है, प्लीज लाइट आफ करने दो।".. आर्यमणि, पलक के ऊपर से हट गया। वह लाइट बंद करके वापस बिस्तर पर आकर लेट गयि। आगे का सोचकर उसकी दिल की धड़कने काफी तेज बढ़ी हुयि थी। बढ़ी धड़कनों के साथ ऊपर नीचे होती छाती को आर्यमणि अपनी आखों से साफ देख सकता था। काफी मादक लग रहा था।


आर्यमणि ने पलक की उल्टा लिटा दिया और पीछे से चैन को खोलकर नीचे सरकते हुए, उसके पीठ पर किस्स करने लगा। पलक दबी सी आवाज में हर छोड़ती और खींचती श्वांस में पूर्ण मादकता से "ईशशशशशशशशश… आह्हहहहहहहहहहहहहह… कर रही थी। उसका पूरा बदन जैसे कांप रहा हो और मादक सिहरन नश-नश में दौड़ रही थी। पहली बार अपने बदन पर मर्दाना स्पर्श उसके मादकता को धधकती आग की तरह भड़का रही थी। पलक झिझक और मस्ती के बीच ऐसी फसी थी कि कब उसके शरीर से गाउन नीचे गया उसे पता नहीं चला। ब्रा के स्ट्रिप खुल चुके थे और पीठ पर गीला–गिला एहसास ने मादक भ्रम से थोड़ा जागृत किया, तब पता चला कि गाउन शरीर से उतर चुका है और ब्रा के स्ट्रिप दोनो ओर से खुले हुये है।


आर्यमणि उसके कमर के दोनों ओर पाऊं किये, अपने जीभ पलक के पीठ पर चलाते हुये, अपने हाथ नीचे ले गया और पलक को थोड़ा सा ऊपर उठा कर, उसके ब्रा को निकालने की कोशिश करने लगा। पलक भी लगभग अपना संयम खो चुकी थी। वो छाती से ब्रा को निकलते हुये देख रही थी और अपनी योनि में चींटियों के रेंगने जैसा मेहसूस कर रही थी। जिसकी गवाह पीछे से हिल रहे उसके कमर और धीमे से थिरकते उसके चूतड़ दे रहे थे। उत्तेजना पलक पर पूरी तरह से हावी होने लगी थी। वो अपने पाऊं लगातार बिस्तर से घिस रही थी। मुठ्ठी में चादर को भींचती और मुठ्ठी खोल देती...


आर्यमणि ब्रा को निकालकर अपने दोनो हाथ नीचे ले गया और उसके स्तन को अपने पूरे हथेली के बीच रखकर, निप्पल को अपने अंगूठे में फसाकर मसलने लगा। छोटे-छोटे ठोस स्तन को हाथ में लेने का अनुभव भी काफी रोमांचित था। आर्यमणि की धड़कने फिर से बेकाबू हो गयि। पलक के बदन का मादक स्पर्श अब उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था। वो अपने जीभ को उसके कान के पास फिरते गीला करते चला गया।


पलक हाथ का दबाव अपने स्तन पर मेहसूस करती अपना पूरा मुंह खोलकर फेफड़े में श्वांस को भरने लगी। आर्यमणि अपने दोनो हाथ से स्तनों पर थोड़ा और दवाब बनाया.. "आहहहहहह… ईईईईई, आउच.. थोड़ा धीमे.. आर्य, दूखता है... उफ्फफफफ, आर्य प्लीज.. मर गई... ओहहहहहहहह… आह्हहहहहह"


एसी 16⁰ डिग्री पर थी और दोनो का बदन पसीने में चमक रहा था। पलक अपना मुंह तकिये के नीचे दबाकर अपनी दर्द भरी उत्तेजक आवाज को दबा रही थी, लेकिन आर्यमणि, पलक के स्तन को मसलना धीमे नहीं किया। आर्यमणि पूर्ण उत्तेजना मे था। वो स्तनों को लगातार मसलते हुये, अपना जीभ पलक के चेहरे से लेकर, पीठ पर लगातार चला रहा था।


पूर्ण काम उत्तेजना ऐसी थी कि आर्यमणि थोड़ा ऊपर होकर तेजी से अपना लोअर और टी-शर्ट उतार कर पुरा नंगा हो चुका था। पूर्ण खड़ा लिंग उसके उत्तेजना की गवाही दे रहा था। इस बीच आर्य की कोई हरकत ना पाकर, पलक अपनी उखड़ी श्वांस और उत्तेजना को काबू करने लगी। परंतु कुछ पल का ही विराम मिला उसके बाद तो दिल की धड़कने पहले से ज्यादा बेकाबू हो गया। बदन सिहर गया और रौंगटे खड़े हो गये। झिझक के कारण स्वतः ही हाथ कमर के दोनों किनारे पर चले गये और पैंटी को कमर के नीचे जाने से रोकने की नाकाम कोशिश होने लगी। तेज श्वांस की रफ्तार और अचानक उत्पन्न हुई आने वाले पल को सोचकर बदन की उत्तेजना ने पलक को वो ताकत ही नहीं दी की पलक पेंटी को नीचे जाने से थोड़ा भी रोक पाती। बस किसी तरह से होंठ से इतना ही निकला, "मेरा पहली बार है।"…


पलक अपने दोनो पाऊं के बीच सबकुछ छिपा तो सकती थी लेकिन उल्टे लेटे के कारन सबकुछ जैसे आर्य के पाले में था और पलक बस बढ़ी धड़कनों के साथ मज़ा और झिझक के बीच सब कुछ होता मेहसूस कर रही थी। तेज मादक श्वांस की आवाज दोनो सुन सकते थे। लेकिन दिमाग की उत्तेजना कुछ सुनने और समझें दे तो ना। आर्यमणि अपने हाथ दरारो के बीच जैसे ही डाला उसका लिंग अपने आप हल्का–हल्का वाइब्रेशन मोड पर चला गया। आर्यमणि भी थोड़ा सा सिहर गया। वहीं पलक का ये पहला अनुभव जान ले रहा था। हाथ चूतड़ के बीच दरार से होते हुए जैसे ही योनि के शुरवात के कुछ नीचे गये, "ईशशशशशशशशश..… उफ्फफफफफ… आह्हहह..… आर्ययययययययय"… की तेज सिसकारी काफी रोकने के बाद भी पलक के मुंह से निकलने लगी। वह पूरी तरह से छटपटाने लगी। बदहवास श्वांसे और कामों–उत्तेजना की गर्मी अब तो योनि के अंदर कुछ जलजला की ही मांग कर रही थी जो योनि के तूफान को शांत कर दे।


तकिये के नीचे से दबी मादक सिसकारी लगातार निकल रही थी। चूतड़ बिल्कुल टाईट हो गये, पाऊं अकड़ गये और तीन–चार बार कमर हिलने के बाद पलक पहली बार पूर्ण चरमोत्कर्ष के बहाव को योनि से निकालकर बिल्कुल ढीली पड़ गयि। पलक गहरी श्वांस अपने अंदर खींच रही थी। कुछ बोल पाये, इतनी हिम्मत नहीं थी। बस उल्टी लेटी आर्यमणि का हाथ अपने योनि पर मेहसूस कर रही थी। उसकी उंगली योनि के लिप को कुरेदते हुये अंदर एक इंच तक घुसा था। आर्यमणि जब अपनी उंगली ऊपर नीचे करता, पलक सीने में गुदगुदा एहसास होता और पूरा बदन मचल रहा होता।


इसी बीच आर्य एक बार फिर उपर आया इस बार जैसे ही अपने होंठ पलक के होंठ से मिलाया पलक मस्ती में अपना पूरा जीभ, आर्य के मुंह के अंदर डालकर चूसने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ को चूमते जा रहे थे। आर्य वापस से स्तन को दबोचकर कभी पलक के मुंह से दर्द भरी आवाज निकालने पर मजबूर कर रहा था, तो कभी उसे चैन कि स्वांस देता। लेकिन हर आवाज़ किस्स के अंदर ही दम तोड़ रही थी।


आर्य चूमना बंद करके साइड से एक तकिया उठा लिया। पलक के पाऊं को खींचकर बिस्तर के किनारे तक लाया। कमर बिस्तर के किनारे पर था और पाऊं नीचे जमीन पर और कमर के ऊपर का हिस्सा बिस्तर पर पेट के बल लेटा। आर्य ने पलक के कमर के नीचे तकिया लगाया। उसके पाऊं के बीच में आकर अपने लिंग को योनि की दीवार पर धीरे-धीरे घिसने लगा। योनि से लिंग का स्पर्श होते ही फिर से दोनो के शरीर में उत्तेजना की तरंगे लहर उठी। पलक अपने कमर हल्का–हल्का इधर-उधर हिलाने लगी। आर्य पूर्ण जोश में था और लिंग को योनि में धीरे-धीरे डालने लगा। संकड़ी योनि धीरे-धीरे सुपाड़े के साइज में फैलने लगी। पलक की पूरी श्वांस अटक गई। दिमाग बिल्कुल सुन्न था और मादकता के बीच हल्का दर्द का अनुभव होने लगा।


धीरे-धीरे लिंग योनि के अंदर दस्तक देने लगा। पलक की मदाक आहहह हल्की दर्द की सिसकियां में बदलने लगी… पलक अपने कमर तक हाथ लाकर थपथपाने लगी और किसी तरह दर्द बर्दाश्त किये, आर्य को रुकने का इशारा करने लगी। पलक का हाथ कमर से ही टिका रहा। आर्य रुककर आगे झुका और उसके स्तन को अपने दोनो हाथ से थामकर उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर चूमते हुये एक जोरदार धक्का मरा। योनि को किसी ने चिर दिया हो जैसे, पूरा लिंग वैसे ही योनि को चीरते हुये अंदर समा गया।


मुंह की दर्द भरी चींख चुम्बन के नीचे घुट गयि। दर्द से आंखों में आंसू छलक आये। पलक बिन जल मछली की तरह फरफरा गयि। दर्द ना काबिले बर्दास्त था और आवाज़ किस्स में ही अटकि रही। पलक गहरी श्वांस लेती अपने हाथ अपने कमर के इर्द गिर्द चलाती रही लेकिन कोई फायदा नहीं। आर्य अपना लिंग योनि में डाले पलक के होंठ लगातार चूम रहा था और उसके स्तन को अपने हाथो के बीच लिए निप्पल को धीरे-धीरे रगड़ रहा था।


आहिस्ते–आहिस्ते पलक की दर्द और बेचैनी भी शांत होने लगी। योनि के अंदर किसी गरम रॉड की तरह बिल्कुल टाईट फसे लिंग का एहसास उसे जलाने लगा। और धीरे-धीरे उसने खुद को ढीला छोड़ दी। पहले से कई गुना ज्यादा मादक एहसास मेहसूस करते अब दोनो ही पागल हुये जा रहे थे। पलक का कमर फिर से मचलने लगा और आर्य भी होंठ चूमना बंद करके अपने हाथ पलक की छाती से हटाया और दोनो हाथ चूतड़ पर डालकर सीधा खड़ा हुआ। दोनो चूतड़ को पंजे में दबोचकर मसलते हुए धक्के देने लगा।


कसे योनि के अंदर हर धक्का पलक को हल्के दर्द के साथ अजीब सी मादकता दे जाती। तकिए के नीचे से बस... ईशशशशशश, उफ्फफफ, आह्हहहहहहह, ओहहहहहहहहह, आह्हहहह, उफफफफफ, ईशशशशशश... लंबी लंबी सिसकारियों कि आवाज़ आ रही थी।


लगतार तेज धक्कों से चूतड़ थिरक रही थी और दोनो के बदन में मस्ती का करंट दौड़ रहा था। इसी बीच दोनो तेज-तेज आवाज करते "आह आह" करने लगे। मन के अंदर मस्ती चरम पर थी। मज़ा फुट कर निकलने को बेताब था। एक बार फिर पलक का बदन अकड़ गया। इसी बीच आर्य में अपना लिंग पुरा बाहर निकाल लिया और हिलाते हुए अपना वीर्य पलक के चूतड़ पर गिराकर वहीं निढल लेट गया। पलक कुछ देर चरमोत्कर्ष को अनुभव करती वैसी ही लेती रही फिर उठकर बाथरूम में घुस गयि।


जल्दी से वो स्नान करके खुद को फ्रेश की। नीचे हल्का हलका दर्द का अनुभव हो रहा था और जब भी ध्यान योनि के दर्द पर जाता, दिल में गुदगुदी सी होने लगती। पलक तौलिया लपेट कर बाथरूम से बाहर निकली। लाइट जलाकर एक बार सोये हुये आर्य को देखी। बिल्कुल सफेद बदन और करवट लेते कमर के नीचे का हिस्सा देखकर ही पलक को कुछ-कुछ होने लगा। वो तेजी से अपने सारे कपड़े समेटी और भागकर बाथरूम में आ गयि।


पलक कपड़े भी पहन रही थी और दिमाग में आर्य के बदन की तस्वीर भी बन रही थी। पलक अपने ऊपर कपड़े डालकर वापस बिस्तर में आयी। अपने हाथ से उसके बदन को टटोलती हुई हाथ उसके चेहरे तक ले गयि। अपने पूरे पंजे उसके चेहरे पर फिराति, होंठ से होंठ को स्पर्श करके सो गई।


सुबह जब पलक की आंख खुली तब आर्यमणि बिस्तर में नहीं था और पीछे का दरवाजा खुला हुआ था। पलक मुस्कुराती हुई लंबी और मीठी अंगड़ाई ली और बिस्तर को देखने लगी। उठकर वो फ्रेश होने से पहले सभी कपड़ों के साथ बेडशीट भी धुलने के लिए मोड़कर रख दी। इधर पलक के जागने से कुछ ही समय पहले ही आर्यमणि भी जाग चुका था। वो पड़ोस का कैंपस कूदकर घर के अंदर ना जाकर सीधा दरवाजे पर गया, तभी निशांत के पिता राकेश उसे पीछे से आवाज देते… "चलो आज तुम्हारे साथ ही जॉगिंग करता हूं।"..


आर्यमणि:- चलिए..

राकेश:- सुना है आज कल काफी जलवे है तुम्हारे..

आर्यमणि, राकेश के ठीक सामने आते… "आप सीधा कहिए ना क्या कहना चाहते हैं?"..

राकेश:- तुम मुझसे हर वक्त चिढ़े क्यों रहते हो?

राजदीप:- मॉर्निंग मौसा जी, मॉर्निंग आर्य..

आर्यमणि:- मॉर्निंग भईया, पलक नहीं आती क्या जॉगिंग के लिये।

राजदीप:- वो रोज सुबह ट्रेनिंग के लिये जाती है। फिर लौटकर तैयार होकर कॉलेज। यदि सुबह उससे मिलना हो तो तुम भी चले जाया करो ट्रेनिंग करने।

राकेश:- आर्य तो ट्रेनिंग मास्टर है राजदीप, इसे भला ट्रेनिंग की क्या जरूरत।


आर्यमणि:- आप जाया कीजिए अंकल, मैं आईजी होता तो कबका अनफिट घोषित कर दिया होता। आज तक समझ में नहीं आया बिना एक भी केस सॉल्व किये परमोशन कैसे मिल जाती है।


राकेश:- कुछ लोगों के पिता तमाम उम्र एक ही पोस्ट पर रह जाते है इसलिए उन्हें दूसरों की तरक्की फर्जी लगती है।


आर्यमणि:- कुछ लोग सिविल सर्विस में रहकर अपना तोंद निकाल लेते है और पैसे खिला-खिला कर या पैरवी से तरक्की ले लेते है। विशेष सेवा का मेडल भी लगता है उनके लिए सपना ही होगा। जानते है भईया, मेरे पापा को 2 बार टॉप आईएएस का अवॉर्ड मिला। 3 बार विदेशी एंबेसी भी मिल रही थी, लेकिन पापा नहीं गये।


राकेश:- दूसरो के काम को अपने नाम करके ऐसा कारनामा कोई भी कर सकता है।


आर्यमणि:- उसके लिए भी अक्ल लगती है। कुर्सी पर बैठकर सोने और पेट बाहर निकाल लेने से कुछ नहीं होता।


राजदीप:- तुम दोनो बक्श दो मुझे। मासी (निशांत की मां निलजना) मुझे अक्सर ऐसे तीखी बहस के बारे में बताया करती थी, आज ये सब दिखाने का शुक्रिया.. मै चला, दोनो अपना सफर जारी रखो।


आर्यमणि:- ये क्या पलक है जो चेहरा देखकर दौड़ता रहूं। बाय अंकल और थोड़ा कंजूसी कम करके निशांत को भी मेरी तरह एक स्पोर्ट बाइक दिलवा दो।


राकेश:- तू मेरे घर मत आया कर। सुकून से था कुछ साल जब तू नहीं आया करता था।


आर्यमणि:- आऊंगा अब तो रोज आऊंगा। कम से कम एक हफ्ते तक तो जरूर।
 

nain11ster

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Is update ko padh kr to aisa lga jaise Jane se pahle arya sabke sath quality time bita rha hai or ab uska Jane ka Samay nikat hi aa gya, palak ne bhi securty todne ka Accha natak kiya arya to hmesha eda bankr peda khata rha hai or Aaj bhi Vahi kiya usne, palak ko bevkoof bnakr anant Kirti pustak Apne pass rakh li...

Ye chitra or Nishant ke bich ka jhagda hi to unke prem ko or bhi behtar tarike se samjhne me yogdan deta hai vahi apne madhav ka arya or palak ko lekar vo majak Bahut hi thahako bhara tha...

Vo canteen me arya ka madhav ke dahej vala majak bhi mazedar tha Bhai...

Superb update bhai sandar jabarjast
Thankooo soo much Xabhi bhai.... Kahani jab apne intense situation me ho tab to har update hawa ki tarah nikal jata hai... Yahi death hours hote hain jab koi intense scene dur dur tak nahi hota aur readers ko bandhe rakhna mushkil ho jata hai
 

nain11ster

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अब आर्य को भी कन्फर्म हो ही गया की पलक भी इस साजिश की हिस्सेदार है वर्ना इतनी जबरदस्त सिक्योरिटी कोई कैसे खोल सकता है। बुरा लगा की एक अच्छी प्रेम कहानी थी मगर झूठी निकली।

दो महीने खतम होने वाले है और शादी के दिन आर्य पर हमला होना है इसका मतलब हमला सरदार खान करेगा और फिर उस हमले में कुत्तागती को प्राप्त होगा। फिर शुरू होगा ताकत का खेल की किसके पास कितनी ताकत है।

माधव चित्रा की कहानी सही जा रही है मगर ऐसा तो हो नहीं सकता की घर में इतने पोलिस वाले हो और किसी को पता ही ना हो तो कहीं यहां भी तो कोई गेम नही है आर्य को इमोशनल ब्लैकमेल का और उस पर नजर रखने का क्योंकि चित्रा आर्य और निशांत दोनो की कमजोरी है। शानदार अपडेट।
Kyon har kisi par surveillance liye ghum rahe... Ab college me jahan bhai bahan sath me ho wahan police wale kya karenge... Kya koi auchitya hai surveillance ka... Waise bhi kahani ka mukhya focus love affair hota to main iss ore dhyan bhi deta ki chalo pakadwa do... 4-5 update love hurdles me nikal deta hun... Basically mere pass love aur family drame ko jyada explore karne ka waqt nahi... Kahani already kayi dimensions me hain.... Wahin bani rahe to jyada achha hai...

Baki ab 2 mahine ka waqt to lagbhag samapt hi hai... Waqt nikat aa gaya hai Amit bhai...
 

nain11ster

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शानदार जबरदस्त भाई

जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update

शानदार जबरदस्त लाजवाब update bhai

जबरदस्त भाई लाजवाब update

शानदार जबरदस्त लाजवाब update bhai jann superree duperrere
Thankoo soo much Andy bhai :hug:
 
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