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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–36






कुछ ही देर में पूरी सभा समाप्त हो गई। हाई टेबल की हाई बैठक में आज तो पलक ने सबकी बोलती बंद कर दी। इतने बड़े फैसले उसने इतने आसानी से सुना दिए जिसका अंदाज़ा तो भारद्वाज परिवार में भी किसी को नहीं था।


शुक्ला, महाजन और पाठक ये तीनों परिवार भी वैधायन के साथ शुरू से जुड़े थे। भारद्वाज खानदान के उलट इनका जब वंश आगे बढ़ा तो उनके वंश का हर सदस्य तरक्की की ऊंचाई पर था। लगभग 6 पीढ़ियों का इतिहास तो सबका है, जिसमें इन तीनों की बढ़ती पीढ़ी इतनी विस्तार कर गई की इनका पूरे प्रहरी समुदाय पर लगभग कब्जा था।


हां लेकिन एक बात जो सत्य थी। जबतक सुकेश भारद्वाज सत्ता में था तब भी इनकी नहीं चली। जब उज्जवल भारद्वाज सत्ता में रहा तब इनकी नहीं चली और जब भूमि भारद्वाज थी पहले, बाद मे देसाई बनी, वो जब अस्तित्व मे आयी तब इनकी जड़ें खोद डाली। और आज पलक ने तो अविश्वसनिय काम कर दिया था। प्रहरी के 40 में से 30 हाई टेबल इन्हीं परिवारों के पास थी और पलक ने उनमें से 22 टेबल एक मीटिंग में खाली करवा दी।


शुरू से इन तीनों परिवार, शुक्ल, महाजन और पाठक, के कुछ लोग लॉबी करते थे। अंदरुनी साजिश और प्रहरी समुदाय में भारद्वाज का दबदबा समाप्त करने की इनकी कोशिश लंबे समय से जारी थी। इन्हीं के पूर्वजों कि कोशिश की वजह से कभी भारद्वाज खानदान विकसित होकर अपना वंश वृक्ष मजबूती से आगे नहीं बढ़ा पाया।


इन्हीं लोगों के कोशिशों का नतीजा था कि भारद्वाज के साथ उनके करीबियों को भी समय समय पर लपेट लिया जाता था, जिसकी एक कड़ी वर्धराज़ कुलकर्णी भी थे। जबसे इन लोगों को पता चला था कि कुलकर्णी खानदान का एक लड़का काफी क्षमतावान है जिसका प्रारंभिक जीवन अपने दादा की गोद में, उसके ज्ञान तले बढ़ा, तब से इन लोगों का मुख्य निशाना आर्यमणि ही था।


हालांकि शुक्ल, महाजन और पाठक के वंश वृक्ष की हर साखा पर धूर्त नहीं थे। उनमें से बहुत ऐसे पूर्वजों की पीढ़ी भी आगे बढ़ी थी जो प्रहरी के प्रति पूर्ण समर्पित और संस्था को पहली प्राथमिकता देते थे।


प्रहरी हाई टेबल मीटिंग के समापन के तुरंत बाद ही इन परिवारों के एक लीग कि अपनी एक मीटिंग, उसी दिन मुंबई में हुई। जिसमे हंस शुक्ल, रवि महाजन और भाऊ की बेटी आरती मुले सामिल थी। इनके साथ प्रहरी के कई उच्च सदस्य भी थे।


हंस:- मेरा ससुर (भाऊ, देवगिरी पाठक) पागल हो गया है वो तो इन भारद्वाज के तलवे ही चाटेगा।


आरती:- कास बाबा इस लीग का हिस्सा होते जो भारद्वाज को गिरता देखना चाहते है और पुरा प्रहरी समुदाय अपने नाम करना चाहते है। लेकिन वैधायन के पाठक दोस्तों के 4 बेटे में से, बाबा को पुष्पक पाठक का ही वंसज होना था।


अमृत पाठक, भाऊ का भतीजा, और उसकी संपत्ति पर अपनी चचेरी बहन और भाऊ की बेटी आरती के साथ नजर गड़ाए। क्योंकि भाऊ की मनसा सम्पत्ति को लेकर साफ थी, उनकी सम्पत्ति का वारिस एक योग्य प्रहरी होगा जो इस संपत्ति को आगे बढ़ाए और प्रहरी के काम में पूर्ण आर्थिक मदद करे। इसलिए उसने कभी बेटे की ख्वाहिश नहीं किया। उनकी 2 बेटियां ही थी, बड़ी सुप्रिया शुक्ल जिसकी शादी हंस शुक्ल से हुई थी। छोटी भारती, जिसकी शादी धीरेन स्वामी से हुई थी। एक मुंह बोली बेटी भी थी, जिसकी शादी प्रहरी के बाहर मुले समुदाय में हुई थी, और वह आरती मुले थी।


अमृत पाठक:- जो लॉबिंग महाजन, शुक्ल और पाठक के वंशज करते आ रहे थे, वह सभी भारद्वाज के दिमाग के धूल के बराबर भी नहीं। नई लड़की के सामने एक ही मीटिंग मे 22 हाई टेबल खाली करवा आए। शर्म नहीं आती तुम सबको। जाओ पहले कोई दिमाग वाला ढूंढो और धीरेन स्वामी को मानने की कोशिश करो। क्योंकि वाकई तुम लोगो पर भारद्वाज का काल मंडरा रहा है।


आरती:- अमृत मेरे बाबा कहीं अपनी प्रॉपर्टी बिल ना बनवा रहे हो पलक भारद्वाज के नाम। मुझे तो यही चिंता खाए जा रही है।


अमृत:- बड़े काका जो भी बिल बनवा ले, बस उनको मरने दो, फिर आराम से ये सम्पत्ति 2 भागो में विभाजित होगी। मै इसलिए नहीं काका का काम देखता की उनकी सम्पत्ति भिखारियों में दान दे दी जाए। …


तभी उस महफिल में एंट्री हो गई एक ऐसे शक्स की जिसकी ओर सबका ध्यान गया… प्रहरी के इस भटके समूह का दिमाग, यानी धीरेन स्वामी पर। धीरेन स्वामी का कोई बैकग्राउंड नहीं था। एक बार शिकारियों के बीच धीरेन फसा था, जहां उसने अपनी आखों से सुपरनैचुरल को देखा था।


खैर, उसे कभी फोर्स नहीं किया गया कि वो प्रहरी बने। उसे कुछ पैसे दे दिए गए, ताकि वो खुश रहे और बात को राज रखे। छोटा सा लड़का फिर देवगिरी पाठक के पास पहुंचा और उनके जैसा काम सिखन की मनसा जाहिर किया। देवगिरी ने कुछ दिनों तक उसे अपने पास रखकर प्रशिक्षित किया। उसके सीखने की लगन और काम के प्रति मेहनत को देखकर देवगिरी उसे प्रहरी समुदाय में लेकर आया।


भूमि और धीरेन की सीक्षा लगभग एक साथ ही शुरू हुई थी। दोनो जैसे-जैसे आगे बढ़े प्रहरी समुदाय मे काफी नाम कमाया। दोनो दूर-दूर तक शिकार के लिए जाते थे और निर्भीक इतने की कहीं भी घुसकर आतंक मचा सकते थे। दोनो ही लगभग एक जैसे थे दिमाग के बेहद शातिर और टेढ़े तरीके से काम निकालने में माहिर। बस एक चीज में भूमि मात खा गई, धीरेन टेढ़े दिमाग के साथ टेढ़ी मनसा भी पाल रहा था, इस बात की भनक उसे कभी नहीं हुई।


दोनो के बीच प्रेम भी पनपा और जश्मानी रिश्ते भी कायम हुए, लेकिन धीरेन केवल भूमि की सोच को समझने के लिए और प्रहरी का पुरा इतिहास जानने के लिए उसके साथ हुआ करता था। उसे इस बात की भनक थी, यदि भूमि उसके साथ हुई, तो वो अपनी मनसा में कभी कामयाब नहीं हो पाएगा, और यहां उसकी मनसा कोई पैसे कमाने का नहीं थी, बल्कि उससे भी ज्यादा खतरनाक थी। ताकत का इतना बड़ा समुद्र उसे दिख चुका था कि वो सभी ताकतों का अधिपति बनना चाहता था।


इसी बीच धीरेन भूमि की मनसा पूरा भांप चुका था। भूमि प्रहरी समुदाय में चल रहे करप्शन की जड़ तक पहुंचने की मनसा रखती थी। भूमि जिस-जिस पॉइंट को लेकर शुक्ल, महाजन और पाठक के कुछ लेग को घसीटने वाली होती, समय रहते धीरेन ने उन्हें आगाह कर दिया करता और वो इस खेमे मे सबसे चहेता बन गया।


भूमि से नजदीकियों को दूर करने के लिए धीरेन की शादी भारती से करवाई गई, ताकि ये मुंबई आ जाए और भूमि से दूर हो जाए। धीरेन को भी कोई आपत्ति नहीं थी। भूमि से केवल भावनात्मक दिखावा किया था धीरेन ने और भाऊ का कर्ज उतारने के लिए यह शादी कर रहा, भूमि से जताया। भूमि खून का घूंट पीकर रह गई। कुछ दिनों के लिए भूमि सब कुछ भूलकर विरह में भी जी थी। तब भूमि को जयदेव का सहारा मिला। जयदेव हालांकि भूमि के गुप्त रिश्ते के बारे में नहीं जानता था, उसे केवल इतना पता था कि भूमि धीरेन के साथ छोड़ने से हताश है।


जयदेव बहुत ही शांत प्रवृत्ति का प्रहरी था, जो चुप चाप अपना काम किया करता था। भूमि के अंतर्मन को ये बात झकझोर गई की अपने अटूट रिश्ते के टूटने कि कहानी बताये बिना यदि वो जयदेव से शादी कर ली, तो गलत होगा। इसलिए शादी के पूर्व ही उसने जयदेव को सारी बातें बता दी। जयदेव, भूमि के गम को सहारा देते हुए अपनी कहानी भी बयान कर गया जो कॉलेज में एक लड़की के साथ घटा था और वो बीमारी के कारण मर गई थी।


शायद दोनो ही एक दूसरे के दर्द को समझते थे इसलिए एक दूसरे से शादी के बाद उतने ही खुश थे। आज ना तो भूमि और ना ही जयदेव को अपनी पिछली जिंदगी से कोई मलाल था क्योंकि दोनो ने एक दूसरे के जीवन में जैसे रंग भर दिए हो। इधर धीरेन अपनी शादी के बाद मुंबई सैटल हो गया। एक जिम्मेदार प्रहरी और भाऊ का वो उत्तराधिकारी था। इसलिए अरबों का बिजनेस उसे सौगात में मिली थी, जिसे उसकी पत्नी भारती देखती थी। धीरेन सबकी मनसा जानता था लेकिन धीरेन की मनसा कोई नहीं। समुदाय में भटके परिवार को यही लगता रहा की धीरेन स्वामी धन के लिए ही काम कर रहा था। जब उसे भाऊ की सम्पत्ति का एक हिस्सा मिला, तब अपने दिमाग और भारती की कुशलता की मदद से, उसने इतनी लंबी रेखा खींच दी, कि बाकियों के नजर में धीरेन स्वामी अब खटकने लगा। जिसका परिणाम हुआ, मुंबई के प्रहरी इकाई ने धीरेन को प्रहरी समुदाय छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। धीरेन के समुदाय छोड़ने ही, उसे अपनी 70% सम्पत्ति प्रहरी समुदाय को लौटानी पड़ी थी और इन लोगो के सीने में बर्णोल लग गया था।


बीते दौड़ में भूमि नामक तूफान से धीरेन ने उन सबको निकाल लिया था। उसके बाद तो सभी लोग यही सोचते रहे की भारद्वाज का अब कौन है, जो भूमि के बराबर दिमाग रखता हो और हमारी जड़े हिलाए। बस इस एक सोच ने उन्हें आज ऐसा औंधे मुंह गिराया की धीरेन के पाऊं पकड़कर मीटिंग में आने के लिए राजी किया गया था।


धीरेन स्वामी जैसे ही अंदर पहुंचा, आरती उसे बिठती हुई… "कैसे है छोटे जमाई।"


धीरेन, हंसते हुए… "सब वक़्त का खेल है। कभी नाव पर गाड़ी तो कभी गाड़ी पर नाव।"..


अमृत:- धीरेन भाऊ अब गुस्सा थूक भी दो, और इनकी डूबती नय्या को पार लगा दो।


धीरेन:- अमृत, मुझे केवल अपने परिवार के लोग से बात करनी है। बाकी सब यहां से जा सकते है।


अमृत, आरती और हंस उसके पास बैठ गए और बाकी सभी बाहर चले गए।… "दीदी मै सिर्फ आप दोनो को बचा सकता हूं, बाकी मामला अब हाथ से निकल गया है। वो भी आपको इसलिए बचना मै जरूरी समझता हूं क्योंकि आपके बारे में जानकर मेरी पत्नी को दर्द होगा, और उसे मै दर्द में नहीं देख सकता। वो परिवार ही क्या जो बुरे वक़्त में अपने परिवार के साथ खड़ा ना हो, भले ही उस परिवार ने मुझसे मेरी सबसे प्यारी चीज छीन ली हो।"..


हंस:- हम बहकावे में आ गए थे स्वामी, आज भी आरती ने भरी सभा में तुम्हारा नाम लिया था।


धीरेन:- और आप.… आपको मै याद नहीं आया जो आपके बाबा को और यहां बैठे ना जाने कितने प्रहरी को मुसीबत से निकाला था। मै केवल और केवल आरती के साथ मीटिंग करूंगा, इसके अलावा कोई और दिखा तो मै कोई मदद नहीं करने वाला।


आरती:- मुझे मंजूर है।


स्वामी उस सभा से उठते हुए… "मेरे कॉल का इंतजार करना आप, और आगे से ध्यान रखिएगा पैसे की चाहत अक्सर ले डूबती है।"..


स्वामी के वहां से जाते ही…. "हंस 2 टॉप क्लास मॉडल का इंतजाम करो, नई शुरवात के नाम।"..


हंस:- हम्मम ! समझ गया…


स्वामी उस दरवाजे से बाहर निकलते ही अंदर ही अंदर हंसा…. "एक बार गलत लोगों पर भरोसा करके मैं अपने लक्ष्य से कोसों दूर चला गया था, तुमने क्या सोचा इस बार भी वही होगा। बस अब तमाशा देखते जाओ।"..


स्वामी कुछ दूर चलते ही उसने अपना फोन निकला, कॉल लगा ही रहा था कि उसे ध्यान आया…. "भूमि ने अब तक तो सरदार खान पर सर्विलेंस लगा दिया होगा। सरदार खान को फोन करने का मतलब होगा फसना। सॉरी सरदार तुझे नहीं बचा पाया, लेकिन तू खुद बच जाएगा मुझे यकीन है।"


देवगिरी पाठक का बंगलो…


मीटिंग की शाम देवगिरी पाठक और विश्वा देसाई की बैठक हो रही थी। दोनो शाम की बैठक में स्कॉच का छोटा पेग उठाकर खिंचते हुए…


देवगिरी:- विश्वा दादा आज तो उस पलक ने दिल जीत लिया।


विश्व:- देव तुम शुरू से बहुत भोले रहे हो। जानते हो मै यहां क्यों आया हूं?


देवगिरी:- क्यों दादा..


विश्वा:- आज की मीटिंग में जब आर्यमणि का पैक बनाना, वुल्फ से दोस्ती और उनके क्षेत्र कि जांच हो ऐसी मांग उठी, तो मुझे वर्धराज गुरु की याद आ गई। किसी ने उस समय जो साजिश रची थी, इस बार भी पूरी साजिश रचे थे। लेकिन भारद्वाज की नई पीढ़ी अपने दादाओं कि तरह बेवकूफ नहीं है। शायद हमने वर्धराज गुरु के साथ गलत किया था...


देवगिरी:- दादा आपने बहुत सही प्वाइंट पकड़ा है। अरे करप्शन कि जड़ है ये शुक्ल, महाजन और मेरा पाठक परिवार। हमेशा इन लोगो ने पैसों को तबोज्जो दिया है।


विश्वा:- मुझे पलक की बात जायज लगी। सबको रीसेट करते है और धन का बंटवारा बराबर कर देते है। किसी के पास अरबों तो किसी के पास कुछ नहीं...


देवगिरी:- कैसे करेंगे दादा? अब जैसे स्वामी को ही ले लो। उसे मैंने 400 करोड़ का सेटअप दिया था। 4 साल में उसने 1200 करोड़ बनाया और प्रहरी छोड़ते वक़्त उसने 840 करोड़ समुदाय को दे दिया। 360 करोड़ से उसने धंधा चलाया। 6 साल में वो कुल 1600 करोड़ पर खड़ा है। क्या कहूं फिर 70% दे दो।


"हां फिर 70% ले लो। बुराई क्या है।"… धीरेन स्वामी अंदर आते ही दोनो के पाऊं छुए।


देवगिरी:- दादा इसको पूछो ये यहां क्या करने आया है?


धीरेन स्वामी:- अपने ससुर का ये 6 साल से इन-डायरेक्ट बात करने का सिलसिला तोड़ने। मुझे गुप्त रूप से नियुक्त कीजिए और जांच का प्रभार सौंप दीजिए। काम खत्म होने के बाद मुझे स्थाई सदस्य बनाना ना बनना आप सब की मर्जी है, लेकिन मै वापस आना चाहता हूं। बोर हो गया हूं मै ऑफिस जाते-जाते।


देवगिरी:- क्या मै सच सुन रहा हूं या तुझे आज फिर से भारती ने डांटा है?


धीरेन:- भाऊ हे काय आहे, मै सच कह रहा हूं।


विश्वा:- देवगिरी मैंने दे दिया प्रभार, तुम भी दो।


देवगिरी, अपने दोनो हाथ स्वामी के गाल को थामते… "मेरा बेटा लौट आया।" इतना कहकर देवगिरी ने बेल बजाई, उधर से एक अत्यंत खूबसूरत 28 साल की एक लेडी एक्सक्यूटिव की पोशाक में वहां पहुंची…. "सैफीना सभी एम्प्लॉयज में 2 महीने की सैलरी बोनस डलवा दो।"


धीरेन:- हेल्लो सैफीना..


सैफीना:- हेल्लो सर..


धीरेन:- 2 मंथ नहीं 3 मंथ की सैलरी बोनस के तौर पर दो और मै जब जाने लगूं तो एक मंथ का बोनस चेक मुझसे कलेक्ट कर लेना।


सैफीना "येस सर" कहती हुई वहां से चली गई। उसके जाते ही… "भाऊ आप कहते थे ना मै अपनी सारी संपत्ति किसी ऐसे के नाम करूंगा जो इस धन को आगे बढ़ाए और प्रहरी समुदाय में किसी को आर्थिक परेशानी ना होने दे तो वैसा कोई मिल गया है।"


देवगिरी:- हां मै भी उसी के बारे में सोच रहा था, पलक भारद्वाज।


धीरेन:- नहीं गलत। आर्यमणि कुलकर्णी।


देवगिरी:- लेकिन वो तो प्रहरी नहीं है और जहां तक खबर लगी है कि वो बनेगा भी नहीं।


धीरेन:- हा भाऊ, लेकिन उसकी सोच पूरे प्रहरी समुदाय से मिलती है, या फिर उससे भी कहीं ज्यादा ऊंची। ना तो वो आपके पैसे को कभी डूबने देगा और ना ही किसी गलत मकसद मे लगाएगा। उल्टा वर्षों से जो हम अनदेखी करते आएं है वो उसकी भरपाई कर रहा है। देखा जाए तो प्रहरी के गलती का निराकरण, वुल्फ को सही ढंग से बसाकर। मेरे हिसाब से तो आपको उसी को उत्तरदायित्व देना चाहिए।


देवगिरी:- मेरा दिल पिघल गया तेरी बातों से। कल ही बिल बनवाता हूं। 42% में ३ बेटी का हिस्सा। 18% अमृत को और बचा 40% आर्यमणि को। जबतक रिटायरमेंट नहीं लेता, सब मेरे कंट्रोल में और सबको जल्दी धन चाहिए तो मेरा कत्ल करके ले लेना।


धीरेन:- 100% की बात करो तो सोचूं भी कत्ल करने का ये 14% के लिए कौन टेंशन ले। इतना तो मै 4 साल में अपने धंधे से अर्जित कर लूंगा।


देवगिरी:- ले ले तू ही 100%। कल से आ जा यहां, मै घूमने चला जाऊंगा।


धीरेन:- भाऊ आपकी बेटी मुझे चप्पल से मारेगी और सारा पैसा अनाथालय को दान कर देगी। रहने दो आप, गृह कलेश करवा दोगे। मैंने अपने दोनो बेटे के लिए पर्याप्त घन छोड़ा है। पहले से सोच लिया है, 2000 करोड़ अपने दोनो बेटे मे, उसके आगे का आधा घन प्रहरी समुदाय को और आधा अनाथालय को।


देवगिरी:- ये है मेरा बच्चा। आज तो नाचने का मन कर रहा है।..


धीरेन:- आप दोनो नाचो मै जबतक यहां के काम काज को देखता चलूं।


धीरेन जैसे ही बाहर निकला। साइड में रिसेप्शन पर बैठा एक लड़का… "सर सैफीना मैम ने वो चेक के बारे में कहा था याद दिला देने।"


स्वामी:- ओह हां। कहां है वो अभी। बोलो यहां आकर कलेक्ट कर ले।


रिसेप्शनिस्ट, कॉल लगाकर बात करने के बाद… सर वो अपने चेंबर में है। आपको ही बुला रही है। बोली एक फाइल को आप जारा चेक करते चले जाइए।


ठीक है कहता हुए वो ऑफिस में घुसा… "कौन सी फाइल चेक करनी है मैडम।"..


सैफीना अपने कुर्सी से उतरकर आगे अपने डेस्क कर टांग लटकाकर बैठ गई और अपने शर्ट के बटन खोलते… "फाइल मै ओपन करके दूं, या खुद ओपन करोगे।"..


"तुम बस सिग्नेचर करने वाली पेन का ख्याल रखो, बाकी सब मै अपने आप कर लूंगा।"…


बदन से पूरे कपड़े उतर गए और दोनो अपने काम लीला में मस्त। एक घंटे में मज़ा के साथ-साथ सारी इंफॉर्मेशन बटोरते हुए धीरेन ने सैफीना को उसके पसंदीदा ऑडी की चाभी थमाई और वहां से चलता बाना।


अगले दिन कि मीटिंग में, जान हलख में फसे लोग बाहर इंतजार करते रहे और स्वामी, आरती के साथ मीटिंग में व्यस्त था। इसी बीच 2 हॉट क्लास मॉडल उसकी सेवा में पहुंच गई। स्वामी का मन उनको देखकर हराभरा तो हुआ, लेकिन धीरेन इस वक़्त इनके झांसे में नहीं ही फंस सकता था। धीरेन स्वामी, आरती के माध्यम से सबको आश्वाशन दिया और सबको आराम से 2 महीने शांत बैठने के लिए कहने लगा।
 

Anky@123

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Oh ho, dheeren Swami to kya yahi hai mastermind, wese aap ki kahani ke itni jaldi main villen ka khulasa to hota nahi hai fir ye kese, kher pese aur power ke khel me yaha Swami per power chadi hui hai aur usne barso pehle werewolf ki takat dekhi hai, wo ye takat pana chata hai ho sakta hai ussey bhi badker kuch pane ki khwahish rakhta ho, bhumi k 3 affairs mese ek to yahi Swami nikla khela khaya hua, jisne apne sasur per hi safina nam ki surveillance bitha rakhi hai, accha h ki aarya ne apne patte khole huye nahi hai, Swami ab apne 40 percent ke sath aarya k kareeb jana chata hai, kya Richa ke piche bhi Swami hi hai, kyu ki Hans aarti aur unke pariwar Wale to chutiye lag rhay hai aur soch rahy hai ki Swami ko bulane se is baar bhi Pak saf Bach ker apni pratishtha bana lenge ,magar wo jante nahi hai ki Swami to bahar kabhi gaya hi nahi tha.....
 

Scorpionking

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कुछ ही देर में पूरी सभा समाप्त हो गई। हाई टेबल की हाई बैठक में आज तो पलक ने सबकी बोलती बंद कर दी। इतने बड़े फैसले उसने इतने आसानी से सुना दिए जिसका अंदाज़ा तो भारद्वाज परिवार में भी किसी को नहीं था।


शुक्ला, महाजन और पाठक ये तीनों परिवार भी वैधायन के साथ शुरू से जुड़े थे। भारद्वाज खानदान के उलट इनका जब वंश आगे बढ़ा तो उनके वंश का हर सदस्य तरक्की की ऊंचाई पर था। लगभग 6 पीढ़ियों का इतिहास तो सबका है, जिसमें इन तीनों की बढ़ती पीढ़ी इतनी विस्तार कर गई की इनका पूरे प्रहरी समुदाय पर लगभग कब्जा था।


हां लेकिन एक बात जो सत्य थी। जबतक सुकेश भारद्वाज सत्ता में था तब भी इनकी नहीं चली। जब उज्जवल भारद्वाज सत्ता में रहा तब इनकी नहीं चली और जब भूमि भारद्वाज थी पहले, बाद मे देसाई बनी, वो जब अस्तित्व मे आयी तब इनकी जड़ें खोद डाली। और आज पलक ने तो अविश्वसनिय काम कर दिया था। प्रहरी के 40 में से 30 हाई टेबल इन्हीं परिवारों के पास थी और पलक ने उनमें से 22 टेबल एक मीटिंग में खाली करवा दी।


शुरू से इन तीनों परिवार, शुक्ल, महाजन और पाठक, के कुछ लोग लॉबी करते थे। अंदरुनी साजिश और प्रहरी समुदाय में भारद्वाज का दबदबा समाप्त करने की इनकी कोशिश लंबे समय से जारी थी। इन्हीं के पूर्वजों कि कोशिश की वजह से कभी भारद्वाज खानदान विकसित होकर अपना वंश वृक्ष मजबूती से आगे नहीं बढ़ा पाया।


इन्हीं लोगों के कोशिशों का नतीजा था कि भारद्वाज के साथ उनके करीबियों को भी समय समय पर लपेट लिया जाता था, जिसकी एक कड़ी वर्धराज़ कुलकर्णी भी थे। जबसे इन लोगों को पता चला था कि कुलकर्णी खानदान का एक लड़का काफी क्षमतावान है जिसका प्रारंभिक जीवन अपने दादा की गोद में, उसके ज्ञान तले बढ़ा, तब से इन लोगों का मुख्य निशाना आर्यमणि ही था।


हालांकि शुक्ल, महाजन और पाठक के वंश वृक्ष की हर साखा पर धूर्त नहीं थे। उनमें से बहुत ऐसे पूर्वजों की पीढ़ी भी आगे बढ़ी थी जो प्रहरी के प्रति पूर्ण समर्पित और संस्था को पहली प्राथमिकता देते थे।


प्रहरी हाई टेबल मीटिंग के समापन के तुरंत बाद ही इन परिवारों के एक लीग कि अपनी एक मीटिंग, उसी दिन मुंबई में हुई। जिसमे हंस शुक्ल, रवि महाजन और भाऊ की बेटी आरती मुले सामिल थी। इनके साथ प्रहरी के कई उच्च सदस्य भी थे।


हंस:- मेरा ससुर (भाऊ, देवगिरी पाठक) पागल हो गया है वो तो इन भारद्वाज के तलवे ही चाटेगा।


आरती:- कास बाबा इस लीग का हिस्सा होते जो भारद्वाज को गिरता देखना चाहते है और पुरा प्रहरी समुदाय अपने नाम करना चाहते है। लेकिन वैधायन के पाठक दोस्तों के 4 बेटे में से, बाबा को पुष्पक पाठक का ही वंसज होना था।


अमृत पाठक, भाऊ का भतीजा, और उसकी संपत्ति पर अपनी चचेरी बहन और भाऊ की बेटी आरती के साथ नजर गड़ाए। क्योंकि भाऊ की मनसा सम्पत्ति को लेकर साफ थी, उनकी सम्पत्ति का वारिस एक योग्य प्रहरी होगा जो इस संपत्ति को आगे बढ़ाए और प्रहरी के काम में पूर्ण आर्थिक मदद करे। इसलिए उसने कभी बेटे की ख्वाहिश नहीं किया। उनकी 2 बेटियां ही थी, बड़ी सुप्रिया शुक्ल जिसकी शादी हंस शुक्ल से हुई थी। छोटी भारती, जिसकी शादी धीरेन स्वामी से हुई थी। एक मुंह बोली बेटी भी थी, जिसकी शादी प्रहरी के बाहर मुले समुदाय में हुई थी, और वह आरती मुले थी।


अमृत पाठक:- जो लॉबिंग महाजन, शुक्ल और पाठक के वंशज करते आ रहे थे, वह सभी भारद्वाज के दिमाग के धूल के बराबर भी नहीं। नई लड़की के सामने एक ही मीटिंग मे 22 हाई टेबल खाली करवा आए। शर्म नहीं आती तुम सबको। जाओ पहले कोई दिमाग वाला ढूंढो और धीरेन स्वामी को मानने की कोशिश करो। क्योंकि वाकई तुम लोगो पर भारद्वाज का काल मंडरा रहा है।


आरती:- अमृत मेरे बाबा कहीं अपनी प्रॉपर्टी बिल ना बनवा रहे हो पलक भारद्वाज के नाम। मुझे तो यही चिंता खाए जा रही है।


अमृत:- बड़े काका जो भी बिल बनवा ले, बस उनको मरने दो, फिर आराम से ये सम्पत्ति 2 भागो में विभाजित होगी। मै इसलिए नहीं काका का काम देखता की उनकी सम्पत्ति भिखारियों में दान दे दी जाए। …


तभी उस महफिल में एंट्री हो गई एक ऐसे शक्स की जिसकी ओर सबका ध्यान गया… प्रहरी के इस भटके समूह का दिमाग, यानी धीरेन स्वामी पर। धीरेन स्वामी का कोई बैकग्राउंड नहीं था। एक बार शिकारियों के बीच धीरेन फसा था, जहां उसने अपनी आखों से सुपरनैचुरल को देखा था।


खैर, उसे कभी फोर्स नहीं किया गया कि वो प्रहरी बने। उसे कुछ पैसे दे दिए गए, ताकि वो खुश रहे और बात को राज रखे। छोटा सा लड़का फिर देवगिरी पाठक के पास पहुंचा और उनके जैसा काम सिखन की मनसा जाहिर किया। देवगिरी ने कुछ दिनों तक उसे अपने पास रखकर प्रशिक्षित किया। उसके सीखने की लगन और काम के प्रति मेहनत को देखकर देवगिरी उसे प्रहरी समुदाय में लेकर आया।


भूमि और धीरेन की सीक्षा लगभग एक साथ ही शुरू हुई थी। दोनो जैसे-जैसे आगे बढ़े प्रहरी समुदाय मे काफी नाम कमाया। दोनो दूर-दूर तक शिकार के लिए जाते थे और निर्भीक इतने की कहीं भी घुसकर आतंक मचा सकते थे। दोनो ही लगभग एक जैसे थे दिमाग के बेहद शातिर और टेढ़े तरीके से काम निकालने में माहिर। बस एक चीज में भूमि मात खा गई, धीरेन टेढ़े दिमाग के साथ टेढ़ी मनसा भी पाल रहा था, इस बात की भनक उसे कभी नहीं हुई।


दोनो के बीच प्रेम भी पनपा और जश्मानी रिश्ते भी कायम हुए, लेकिन धीरेन केवल भूमि की सोच को समझने के लिए और प्रहरी का पुरा इतिहास जानने के लिए उसके साथ हुआ करता था। उसे इस बात की भनक थी, यदि भूमि उसके साथ हुई, तो वो अपनी मनसा में कभी कामयाब नहीं हो पाएगा, और यहां उसकी मनसा कोई पैसे कमाने का नहीं थी, बल्कि उससे भी ज्यादा खतरनाक थी। ताकत का इतना बड़ा समुद्र उसे दिख चुका था कि वो सभी ताकतों का अधिपति बनना चाहता था।


इसी बीच धीरेन भूमि की मनसा पूरा भांप चुका था। भूमि प्रहरी समुदाय में चल रहे करप्शन की जड़ तक पहुंचने की मनसा रखती थी। भूमि जिस-जिस पॉइंट को लेकर शुक्ल, महाजन और पाठक के कुछ लेग को घसीटने वाली होती, समय रहते धीरेन ने उन्हें आगाह कर दिया करता और वो इस खेमे मे सबसे चहेता बन गया।


भूमि से नजदीकियों को दूर करने के लिए धीरेन की शादी भारती से करवाई गई, ताकि ये मुंबई आ जाए और भूमि से दूर हो जाए। धीरेन को भी कोई आपत्ति नहीं थी। भूमि से केवल भावनात्मक दिखावा किया था धीरेन ने और भाऊ का कर्ज उतारने के लिए यह शादी कर रहा, भूमि से जताया। भूमि खून का घूंट पीकर रह गई। कुछ दिनों के लिए भूमि सब कुछ भूलकर विरह में भी जी थी। तब भूमि को जयदेव का सहारा मिला। जयदेव हालांकि भूमि के गुप्त रिश्ते के बारे में नहीं जानता था, उसे केवल इतना पता था कि भूमि धीरेन के साथ छोड़ने से हताश है।


जयदेव बहुत ही शांत प्रवृत्ति का प्रहरी था, जो चुप चाप अपना काम किया करता था। भूमि के अंतर्मन को ये बात झकझोर गई की अपने अटूट रिश्ते के टूटने कि कहानी बताये बिना यदि वो जयदेव से शादी कर ली, तो गलत होगा। इसलिए शादी के पूर्व ही उसने जयदेव को सारी बातें बता दी। जयदेव, भूमि के गम को सहारा देते हुए अपनी कहानी भी बयान कर गया जो कॉलेज में एक लड़की के साथ घटा था और वो बीमारी के कारण मर गई थी।


शायद दोनो ही एक दूसरे के दर्द को समझते थे इसलिए एक दूसरे से शादी के बाद उतने ही खुश थे। आज ना तो भूमि और ना ही जयदेव को अपनी पिछली जिंदगी से कोई मलाल था क्योंकि दोनो ने एक दूसरे के जीवन में जैसे रंग भर दिए हो। इधर धीरेन अपनी शादी के बाद मुंबई सैटल हो गया। एक जिम्मेदार प्रहरी और भाऊ का वो उत्तराधिकारी था। इसलिए अरबों का बिजनेस उसे सौगात में मिली थी, जिसे उसकी पत्नी भारती देखती थी। धीरेन सबकी मनसा जानता था लेकिन धीरेन की मनसा कोई नहीं। समुदाय में भटके परिवार को यही लगता रहा की धीरेन स्वामी धन के लिए ही काम कर रहा था। जब उसे भाऊ की सम्पत्ति का एक हिस्सा मिला, तब अपने दिमाग और भारती की कुशलता की मदद से, उसने इतनी लंबी रेखा खींच दी, कि बाकियों के नजर में धीरेन स्वामी अब खटकने लगा। जिसका परिणाम हुआ, मुंबई के प्रहरी इकाई ने धीरेन को प्रहरी समुदाय छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। धीरेन के समुदाय छोड़ने ही, उसे अपनी 70% सम्पत्ति प्रहरी समुदाय को लौटानी पड़ी थी और इन लोगो के सीने में बर्णोल लग गया था।


बीते दौड़ में भूमि नामक तूफान से धीरेन ने उन सबको निकाल लिया था। उसके बाद तो सभी लोग यही सोचते रहे की भारद्वाज का अब कौन है, जो भूमि के बराबर दिमाग रखता हो और हमारी जड़े हिलाए। बस इस एक सोच ने उन्हें आज ऐसा औंधे मुंह गिराया की धीरेन के पाऊं पकड़कर मीटिंग में आने के लिए राजी किया गया था।


धीरेन स्वामी जैसे ही अंदर पहुंचा, आरती उसे बिठती हुई… "कैसे है छोटे जमाई।"


धीरेन, हंसते हुए… "सब वक़्त का खेल है। कभी नाव पर गाड़ी तो कभी गाड़ी पर नाव।"..


अमृत:- धीरेन भाऊ अब गुस्सा थूक भी दो, और इनकी डूबती नय्या को पार लगा दो।


धीरेन:- अमृत, मुझे केवल अपने परिवार के लोग से बात करनी है। बाकी सब यहां से जा सकते है।


अमृत, आरती और हंस उसके पास बैठ गए और बाकी सभी बाहर चले गए।… "दीदी मै सिर्फ आप दोनो को बचा सकता हूं, बाकी मामला अब हाथ से निकल गया है। वो भी आपको इसलिए बचना मै जरूरी समझता हूं क्योंकि आपके बारे में जानकर मेरी पत्नी को दर्द होगा, और उसे मै दर्द में नहीं देख सकता। वो परिवार ही क्या जो बुरे वक़्त में अपने परिवार के साथ खड़ा ना हो, भले ही उस परिवार ने मुझसे मेरी सबसे प्यारी चीज छीन ली हो।"..


हंस:- हम बहकावे में आ गए थे स्वामी, आज भी आरती ने भरी सभा में तुम्हारा नाम लिया था।


धीरेन:- और आप.… आपको मै याद नहीं आया जो आपके बाबा को और यहां बैठे ना जाने कितने प्रहरी को मुसीबत से निकाला था। मै केवल और केवल आरती के साथ मीटिंग करूंगा, इसके अलावा कोई और दिखा तो मै कोई मदद नहीं करने वाला।


आरती:- मुझे मंजूर है।


स्वामी उस सभा से उठते हुए… "मेरे कॉल का इंतजार करना आप, और आगे से ध्यान रखिएगा पैसे की चाहत अक्सर ले डूबती है।"..


स्वामी के वहां से जाते ही…. "हंस 2 टॉप क्लास मॉडल का इंतजाम करो, नई शुरवात के नाम।"..


हंस:- हम्मम ! समझ गया…


स्वामी उस दरवाजे से बाहर निकलते ही अंदर ही अंदर हंसा…. "एक बार गलत लोगों पर भरोसा करके मैं अपने लक्ष्य से कोसों दूर चला गया था, तुमने क्या सोचा इस बार भी वही होगा। बस अब तमाशा देखते जाओ।"..


स्वामी कुछ दूर चलते ही उसने अपना फोन निकला, कॉल लगा ही रहा था कि उसे ध्यान आया…. "भूमि ने अब तक तो सरदार खान पर सर्विलेंस लगा दिया होगा। सरदार खान को फोन करने का मतलब होगा फसना। सॉरी सरदार तुझे नहीं बचा पाया, लेकिन तू खुद बच जाएगा मुझे यकीन है।"


देवगिरी पाठक का बंगलो…


मीटिंग की शाम देवगिरी पाठक और विश्वा देसाई की बैठक हो रही थी। दोनो शाम की बैठक में स्कॉच का छोटा पेग उठाकर खिंचते हुए…


देवगिरी:- विश्वा दादा आज तो उस पलक ने दिल जीत लिया।


विश्व:- देव तुम शुरू से बहुत भोले रहे हो। जानते हो मै यहां क्यों आया हूं?


देवगिरी:- क्यों दादा..


विश्वा:- आज की मीटिंग में जब आर्यमणि का पैक बनाना, वुल्फ से दोस्ती और उनके क्षेत्र कि जांच हो ऐसी मांग उठी, तो मुझे वर्धराज गुरु की याद आ गई। किसी ने उस समय जो साजिश रची थी, इस बार भी पूरी साजिश रचे थे। लेकिन भारद्वाज की नई पीढ़ी अपने दादाओं कि तरह बेवकूफ नहीं है। शायद हमने वर्धराज गुरु के साथ गलत किया था...


देवगिरी:- दादा आपने बहुत सही प्वाइंट पकड़ा है। अरे करप्शन कि जड़ है ये शुक्ल, महाजन और मेरा पाठक परिवार। हमेशा इन लोगो ने पैसों को तबोज्जो दिया है।


विश्वा:- मुझे पलक की बात जायज लगी। सबको रीसेट करते है और धन का बंटवारा बराबर कर देते है। किसी के पास अरबों तो किसी के पास कुछ नहीं...


देवगिरी:- कैसे करेंगे दादा? अब जैसे स्वामी को ही ले लो। उसे मैंने 400 करोड़ का सेटअप दिया था। 4 साल में उसने 1200 करोड़ बनाया और प्रहरी छोड़ते वक़्त उसने 840 करोड़ समुदाय को दे दिया। 360 करोड़ से उसने धंधा चलाया। 6 साल में वो कुल 1600 करोड़ पर खड़ा है। क्या कहूं फिर 70% दे दो।


"हां फिर 70% ले लो। बुराई क्या है।"… धीरेन स्वामी अंदर आते ही दोनो के पाऊं छुए।


देवगिरी:- दादा इसको पूछो ये यहां क्या करने आया है?


धीरेन स्वामी:- अपने ससुर का ये 6 साल से इन-डायरेक्ट बात करने का सिलसिला तोड़ने। मुझे गुप्त रूप से नियुक्त कीजिए और जांच का प्रभार सौंप दीजिए। काम खत्म होने के बाद मुझे स्थाई सदस्य बनाना ना बनना आप सब की मर्जी है, लेकिन मै वापस आना चाहता हूं। बोर हो गया हूं मै ऑफिस जाते-जाते।


देवगिरी:- क्या मै सच सुन रहा हूं या तुझे आज फिर से भारती ने डांटा है?


धीरेन:- भाऊ हे काय आहे, मै सच कह रहा हूं।


विश्वा:- देवगिरी मैंने दे दिया प्रभार, तुम भी दो।


देवगिरी, अपने दोनो हाथ स्वामी के गाल को थामते… "मेरा बेटा लौट आया।" इतना कहकर देवगिरी ने बेल बजाई, उधर से एक अत्यंत खूबसूरत 28 साल की एक लेडी एक्सक्यूटिव की पोशाक में वहां पहुंची…. "सैफीना सभी एम्प्लॉयज में 2 महीने की सैलरी बोनस डलवा दो।"


धीरेन:- हेल्लो सैफीना..


सैफीना:- हेल्लो सर..


धीरेन:- 2 मंथ नहीं 3 मंथ की सैलरी बोनस के तौर पर दो और मै जब जाने लगूं तो एक मंथ का बोनस चेक मुझसे कलेक्ट कर लेना।


सैफीना "येस सर" कहती हुई वहां से चली गई। उसके जाते ही… "भाऊ आप कहते थे ना मै अपनी सारी संपत्ति किसी ऐसे के नाम करूंगा जो इस धन को आगे बढ़ाए और प्रहरी समुदाय में किसी को आर्थिक परेशानी ना होने दे तो वैसा कोई मिल गया है।"


देवगिरी:- हां मै भी उसी के बारे में सोच रहा था, पलक भारद्वाज।


धीरेन:- नहीं गलत। आर्यमणि कुलकर्णी।


देवगिरी:- लेकिन वो तो प्रहरी नहीं है और जहां तक खबर लगी है कि वो बनेगा भी नहीं।


धीरेन:- हा भाऊ, लेकिन उसकी सोच पूरे प्रहरी समुदाय से मिलती है, या फिर उससे भी कहीं ज्यादा ऊंची। ना तो वो आपके पैसे को कभी डूबने देगा और ना ही किसी गलत मकसद मे लगाएगा। उल्टा वर्षों से जो हम अनदेखी करते आएं है वो उसकी भरपाई कर रहा है। देखा जाए तो प्रहरी के गलती का निराकरण, वुल्फ को सही ढंग से बसाकर। मेरे हिसाब से तो आपको उसी को उत्तरदायित्व देना चाहिए।


देवगिरी:- मेरा दिल पिघल गया तेरी बातों से। कल ही बिल बनवाता हूं। 42% में ३ बेटी का हिस्सा। 18% अमृत को और बचा 40% आर्यमणि को। जबतक रिटायरमेंट नहीं लेता, सब मेरे कंट्रोल में और सबको जल्दी धन चाहिए तो मेरा कत्ल करके ले लेना।


धीरेन:- 100% की बात करो तो सोचूं भी कत्ल करने का ये 14% के लिए कौन टेंशन ले। इतना तो मै 4 साल में अपने धंधे से अर्जित कर लूंगा।


देवगिरी:- ले ले तू ही 100%। कल से आ जा यहां, मै घूमने चला जाऊंगा।


धीरेन:- भाऊ आपकी बेटी मुझे चप्पल से मारेगी और सारा पैसा अनाथालय को दान कर देगी। रहने दो आप, गृह कलेश करवा दोगे। मैंने अपने दोनो बेटे के लिए पर्याप्त घन छोड़ा है। पहले से सोच लिया है, 2000 करोड़ अपने दोनो बेटे मे, उसके आगे का आधा घन प्रहरी समुदाय को और आधा अनाथालय को।


देवगिरी:- ये है मेरा बच्चा। आज तो नाचने का मन कर रहा है।..


धीरेन:- आप दोनो नाचो मै जबतक यहां के काम काज को देखता चलूं।


धीरेन जैसे ही बाहर निकला। साइड में रिसेप्शन पर बैठा एक लड़का… "सर सैफीना मैम ने वो चेक के बारे में कहा था याद दिला देने।"


स्वामी:- ओह हां। कहां है वो अभी। बोलो यहां आकर कलेक्ट कर ले।


रिसेप्शनिस्ट, कॉल लगाकर बात करने के बाद… सर वो अपने चेंबर में है। आपको ही बुला रही है। बोली एक फाइल को आप जारा चेक करते चले जाइए।


ठीक है कहता हुए वो ऑफिस में घुसा… "कौन सी फाइल चेक करनी है मैडम।"..


सैफीना अपने कुर्सी से उतरकर आगे अपने डेस्क कर टांग लटकाकर बैठ गई और अपने शर्ट के बटन खोलते… "फाइल मै ओपन करके दूं, या खुद ओपन करोगे।"..


"तुम बस सिग्नेचर करने वाली पेन का ख्याल रखो, बाकी सब मै अपने आप कर लूंगा।"…


बदन से पूरे कपड़े उतर गए और दोनो अपने काम लीला में मस्त। एक घंटे में मज़ा के साथ-साथ सारी इंफॉर्मेशन बटोरते हुए धीरेन ने सैफीना को उसके पसंदीदा ऑडी की चाभी थमाई और वहां से चलता बाना।


अगले दिन कि मीटिंग में, जान हलख में फसे लोग बाहर इंतजार करते रहे और स्वामी, आरती के साथ मीटिंग में व्यस्त था। इसी बीच 2 हॉट क्लास मॉडल उसकी सेवा में पहुंच गई। स्वामी का मन उनको देखकर हराभरा तो हुआ, लेकिन धीरेन इस वक़्त इनके झांसे में नहीं ही फंस सकता था। धीरेन स्वामी, आरती के माध्यम से सबको आश्वाशन दिया और सबको आराम से 2 महीने शांत बैठने के लिए कहने लगा।
Jabardast update bhai maza aa gaya. To Swami dheren aarti ab koi nayi chal chal rahe hai. Or ye aryanani ka naam suggest kar ne k liye kya dimag m chal raha hai? Dekhte hai age waiting for next.
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–34





रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।



माधव:- पगला गई हो क्या? तुम्हारे बाबूजी को पता चला तो हमको जेल में डाल देंगे। फिर हम सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे और जब सरकारी नौकरी नहीं रहेगी तो फिर हम तुम्हारा हाथ मांगने किस मुंह से आएंगे?


चित्रा:- फट्टू 2 मिनट में तैयार होकर 10 मिनट में आओ। वरना मै उस वर्मा को हां बोल दूंगी और उसमे इतनी डेरिंग तो होगी ही।


माधव:- अब ऐसे बोलकर मेरे दिल में चाकू मत घोपो। आ रहे है। बाबूजी कहते थे..


चित्रा:- इतनी ही अच्छी-अच्छी बातें करते थे तुम्हारे बाबूजी तो तुम कहां से पैदा हो गये? ये नहीं बताते थे कि रोमांस भी किया करते थे।


माधव:- देखो तुम ऐसे बात मत करो वरना झगड़ा हो जाएगा।


चित्रा:- यहां आकर झगड़ा करो…


चित्रा का फोन डिस्कनेक्ट होते ही माधव जल्दी से तैयार हो गया। बाइक स्टार्ट करके… "लगता है आज कहीं पिटवाने का ना प्लान बनाई हो। माता रानी बचा लेना।"..


कुछ ही देर में माधव चित्रा के घर था। बाहर खड़ा सुरक्षाकर्मी उसे रोकते हुए… "क्या काम है।"..


माधव:- चित्रा के हम क्लासमेट है, उसे कुछ टॉपिक पर डिस्कस करना था। अब उ तो बॉयज हॉस्टल आ नहीं सकती इसलिए मुझे बुला लिया। अब आप रास्ता देंगे तो हम जाए।


सुरक्षाकर्मी:- रुको यहां..


कुछ देर बाद चित्रा खुद ही बाहर आयी और सुरक्षाकर्मी को उसका परिचय देती हुई बताने लगी कि ये मेरा दोस्त है। दोनो अंदर आए। माधव कुछ घबराया सा लग रहा था। चारो ओर देख भी रहा था कहीं घर पर इसकी मम्मी तो नहीं।… "बाहर तो बड़ा तनकर बात कर रहे थे, घर के अंदर इतनी फटी क्यों है?"


माधव:- अरे एक लड़की के घर कोई लड़का आ जाए तो तुम जानती नहीं की कितनी बड़ी बात हो जाती है।


चित्रा मुख्य द्वार लॉक करती… "हां बताओ कितनी बड़ी बात हो जाती है।"..


माधव ने एक नजर चित्रा को देखा और अगले ही पल उसके कमर में हाथ डालकर अपने पास खिंचते हुए… "घर में मम्मी डैडी कोई नहीं है ऐसा कहो ना।"


चित्रा:- क्या कर रहे हो, ऐसे खुले में कौन पकड़ता है।


माधव:- आज तो खुले में साथ नहाएंगे भी… डैडी मम्मी हैं नै घर पे, पिछले कमरे में घुस के, कुछ तो करेंगे छुप के, मिल ज़रा..


चित्रा:- हीहिहिही… उल्लू गाने में भी "छुप के मिल ज़रा" कह रहे है।


माधव:- गलत गाना गा दिया.. यहां गाना चाहिए "खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों।"..

चित्रा:- ठीक है फिर किसके पप्पा को लगा दू फोन, तुम्हारे या मेरे…


माधव, चित्रा से अलग होते… "देखो बाबूजी के नाम पर डराया ना करो।"


चित्रा माधव के पेट में गुदगुदी करती हुई… "तो किसके नाम से डराऊं हां। बताओ ना, हां बताओ बताओ।"..


माधव चित्रा का हांथ खिंचते, अपने ऊपर लिया और उसके खुले बाल को चेहरे से किनारे करते हुए, उंगली उसके चेहरे पर फिराते… "तुम्हारी आखें ही काफी है मुझे डराने के लिए। पहले ये डर था कि सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तो मै क्या करूंगा, अब ये डर लगा रहता है कि तुम ना मिलेगी तो क्या करूंगा।"


चित्रा, अपने होंठ आगे बढ़ती… "फिलहाल तो हम किस्स करेंगे।"…


दोनो एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाते हुए चूमने लगे। चूमते हुए माधव अपने हाथ चित्रा के बदन पर चलने लगा और चित्रा अपने हाथ माधव के बदन पर। एक दूसरे के होंठ में होंठ दबाकर किस्स कर रहे थे और किस्स के साथ माधव ने स्मूच करते हुए, उसके टॉप के ऊपर से उसके स्तन को भींच लिया।


"आह्हह" की कामुक मधुर आवाज के साथ चित्रा ने दबी सी सिसकी ली, और उखड़ती सी आवाज में कहने लगी… "यहां नहीं, रूम में चलते है।"..


दोनो तेजी से रूम में आए, चित्रा ने आते ही दरवाजा बंद कर लिया और एक दूसरे के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े भी उतार दिए। दोनो इनरवेयर में खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ चला रहे थे।


माधव अपने दोनो हाथ चित्रा के स्तन से टिकाते हुए, ऊपर की ओर धकेलते स्तन पर हल्का-हल्का मसाज देने लगा… "आह, माधव प्लीज मेरे बूब्स छोड़ दो, पहले से ज्यादा बढ़ गए है।"…. "और पहले से ज्यादा सेक्सी भी हो गए है।".. कहते हुए माधव ने ब्रा के कप को हटाया और निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ को पैंटी के अंदर डालकर उसके योनि को मसलने लगा।


चित्रा की गरदन जैसे अकड़ कर टाईट हो गई हो। वो बेकाबू होकर अपने मुट्ठी से उसके सर के बाल को पकड़ कर भींचने लगी और मादक श्वांस लेने लगी। माधव ने चित्रा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाऊं से पैंटी को खोलकर बाहर निकालते हुए चित्रा के पाऊं को फैला दिया… "नहीं माधव, वहां मुंह मत… आह्हुह .. क्या कर रहे हो… उफ्फ … नहीं माधव प्लीज… आहह"… चित्रा बिस्तर पे लेट कर छटपटाने लगी और अपने कमर को हिलाती हुई, माधव के बाल को पकड़ कर उसे अपने ऊपर ले ली… उसकी आखों में देखती हुई कहने लगी… "तुम्हारे होंठ मेरे होंठ को चूमने के लिए है, अगर दोबारा ऐसा किया ना"… "उम्ममममममम"… माधव होंठ से होंठ लगाकर पूरे होंठ का रसपान करने लगा।


चित्रा अपने पाऊं को हलक मोड़कर कमर को ऊपर के ओर उभार ली। अपने हाथ से माधव का लिंग पकड़कर अपने योनि पर घीसने लगी। लिंग और योनि के घिसने के साथ दोनो के बदन मचले हो जैसे। माधव ने कमर को स्मूथली झटका दिया और चित्रा भी अपने कमर को धीरे से ऊपर करती, योनि में लिंग का मादक स्वागत करने लगी।


माधव अपने दोनो हाथ बिस्तर से टिका कर बदन को चित्रा के ऊपर किया और चित्रा की आखों में देखकर उसे लगातार प्यार से धक्के मारने लगा। चित्रा योनि के अंदर लिंग के झटके को उतने ही प्यार और कामुकता से मेहसूस कर रही थी। चित्रा कामुकता में अपने आगे के बदन को ऊपर उठाकर माधव के निप्पल पर अपना जीभ फेर रही थीं।

दोनो के बदन पसीने से लथपथ थे। हर धक्का मज़ा का नया अनुभव करवाता। उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी और माधव के झटको की रफ्तार बढ़ने लगी। धक्कों की रफ्तार बढ़ते ही चित्रा का शरीर अकड़ कर जोड़ का झटका लिया और चित्रा अपने कमर को पीछे करती उठकर बैठ गयी। बैठने के साथ ही लिंग को हाथ में लेकर 2 बार जोर हिलाई ही थी कि उसका पुरा पिचकारी नीचे बिस्तर पर।


हांफते हुए माधव बिस्तर पर आकर लेट गया। और चित्रा उसके सीने से लिपट गई। माधव उसके कमर पर रखे अपने हाथ को देखकर हंसते हुए कहने लगा… "तुम्हारा बदन बिल्कुल दूध की तरह है और मेरा सवाल। तुम्हारे बदन पर मेरा हाथ तो अजीब सा काला दिखने लगा।


चित्रा अपने आंख खोलकर घूरती हुई… "बाज नहीं आओगे इन सबसे ना। चलो उठो और जाकर मेरे बेडशीट को वाशिंग मशीन में धोकर आओ।"..


माधव:- पागल हो क्या, इतना सुकून मिल रहा है, मै तो तुम्हारे बदन को देखकर सेकंड राउंड की तैयारी में हूं। अभी थोड़ा बहुत ठीक भी हुए है, सेकंड राउंड करते रहे ना तो आम का गुठली हो जाओगे। चलो उठो जल्दी से। वैसे भी बहुत सारे स्टाफ आते-जाते रहते है। मुझे तुम्हारे साथ पढ़ना भी है।


दोनो ने कपड़े पहन लिए। चित्रा अपने बाल बनाकर बाहर आयी और "माधव के साथ पढ़ाई कर रही हूं" ऐसा संदेश भेजने के लिए मोबाइल हाथ में ली ही थी, की मुह से निकल गया... "ओह नो।".. और ठीक उसी वक्त... "चित्रा मैंने बेडशीट साफ कर दिया। कहां सूखने दूं।"


चित्रा:- मेरे सर पर..


माधव:- रुमाल तो सूखा भी लोगी, ई बेडशीट कैसे शुखेगा..


चित्रा:- डफर बाहर आर्य आया है। एसएमएस किया है मुझे, माधव की गाड़ी बाहर खड़ा देखा, जब फ्री होना तो कॉल कर देना।


माधव:- हां तो इसमें इतना ओवर रिएक्ट काहे कर रही हो। छोड़ो रिस्पॉन्ड ना करो। 2-3 घंटे पढ़ते है फिर उसके बाद कॉल लगाकर उल्टा डांट देना आया तो कॉल करता या स्टाफ के हाथ से खबर भिजवा देता।


चित्रा:- पागल है क्या? एक तो वो वैसे भी कम आता है ऊपर से इंतजार करवाऊं। मै मेरे बाप को इंतजार करवा सकती हूं उसे नहीं। इतना डरना क्यों वैसे भी मेरा दोस्त है, और वो हमारे बारे में जानता है। लाइव देखता तो उसे अजीब लगता, बाकी पता तो उसको भी होगा कि हमारे बीच क्या होता होगा।


माधव:- तो जाओ ना बुला लाओ। इतना सोच क्यों रही हो।


चित्रा:- हां जा रही हूं बस तुम कोई छीछोड़ी हरकत मत करना और कम बोलना। हो सके तो बोलना ही नहीं। ठीक है।


माधव:- हा ठीक है समझ गया।


चित्रा एक बार और खुद को आइने में देखी और दरवाजा खोलकर बाहर निकाल गई। सामने आर्यमणि सुरक्षाकर्मी के पास बैठकर कुछ बातें कर रहा था।… "सर आप बता तो देते की आर्य आया है।"..


सुरक्षाकर्मी:- चित्रा मैंने इनसे कहा मै चित्रा को इनफॉर्म कर देता हूं, यही कहने लगे नहीं मै एसएमएस कर देता हूं, वो जब मेरा संदेश देखेगी आ जाएगी।


चित्रा आर्य को आखें दिखाने लगी। आर्य मुसकुराते हुए उसे सॉरी कहा और उसके गले लगते हुए… "कैसी है।"..


चित्रा:- गुस्सा हूं तुझ पर। मै और निशांत तो तेरे लिए भूली कहानी हो गए ना।


आर्यमणि:- हां दूर हो सकता हूं, बात नहीं हुई ये भी मान सकता हूं, लेकिन तुम दोनो को जब ऐसा लगे कि मै भुल गया और तुम्हारे बुलाने पर भी नहीं आया तो समझ लेना की या तो मै मर गया या मर रहा हूं।


चित्रा, आर्यमणि को एक थप्पड़ लगाकर उसके गले लग गई और उसके गर्दन पर चूमती… "पागल यहां क्या रुलाने आया है।"..


आर्यमणि, चित्रा के पीठ पर हाथ ठोकते…. "गला छोड़ तेरा मजनू जल भुन रहा है।"


चित्रा:- अभी-अभी उसे पूरा मज़ा देकर आ रही हूं, इसके बाद भी जलेगा तो अपने घर जाएगा। लेकिन तू ऐसी बात करेगा तो तू भी सजा पाएगा, मै तुमसे बात ही करना बंद कर दूंगी। ना बात होगी ना ऐसे बोलेगा।


आर्यमणि उसके सर पर एक हाथ मारते… "झल्ली कहीं की, चल जारा मिलवाओ आज अच्छे से। ठीक से मिल नही पाया मै माधव से।"


चित्रा उसे लेकर अंदर आयी और दरवाजा वापस से बंद करती… "माधव ये है मेरा बेस्ट फ्रेंड और मेरा सबसे क्लोज आर्यमणि। आर्य ये है माधव, मेरा लवर और मेरे होने वाला जीवन साथी।"


माधव:- जानता हूं.… इतना गौर से मुझे क्यों देख रहे हो आर्य, मै सांवला ये बिल्कुल गोरी, और हमारी बेकार सी जोड़ी। चित्रा जैसी लड़की मुझे अपना जीवनसाथी कैसे चुन सकती है?


आर्यमणि:- बकवास हो गई। चित्रा जाओ तैयार होकर आओ, हम घूमने जा रहे है।


माधव:- हम कहां जा रहे है?


चित्रा:- सुना नहीं घूमने।


कुछ देर माधव और आर्यमणि के बीच खामोशी रही… "उ चित्रा को हम फिजिक्स और मैथमेटिक्स पढ़ाने आए थे।"..


आर्यमणि:- हम्मम !


माधव फिर कुछ देर ख़ामोश रहकर टेबल पर उंगलियां चलाते… "पलक और मै दोनो अच्छे दोस्त है। तुम तो देखे ही हो।"


"चलो चलते है।"… चित्रा आ गई और सब चल दिए। आर्यमणि चित्रा से कार की चाभी लेकर गराज की ओर गया और ये दोनो खुसुर-फुसुर करते दरवाजे तक जा रहें थे। माधव, चलते-चलते … "सुनो चित्रा"..


चित्रा:- ऐसे दबे गले से क्या बोल रहे हो। साफ साफ कहो ना..


माधव:- अरे धीमे बोलो। मुझे लगता है आर्य को हमारे बारे में शक हो गया है, और उ हमसे नफरत कर रहा है। बड़ा ही डराने वाला हाव भाव था वो भी बिना नजर मिलाए। घुर कर देखता फिर क्या होता मेरा?


चित्रा:- पागल हो क्या कुछ भी सोच रहे हो।


माधव:- अरे सही सोच रहे हैं। वो एक में 2 मिलाकर हमारी कहानी और लंबी कर देगा।


चित्रा:-1 में 2 मिलाकर मतलब, हम दोनों के बीच सेक्स हुआ इसे लंबा करके कहेगा हम थ्री सम कर रहे थे। और जब हम दोनों गले लगे हुए थे तब तुम इतना जेलस फील क्यों करते हो। हम दोनों पूल में न्यूड होकर नहाया करते थे, उस उम्र से साथ है बेवकूफ, और तुम शक्की नजर से देख रहे थे माधव।


माधव:- अरे अर्थ का अनर्थ काहे कर रही हो। मुझे डर लग रहा है हमरे बाबूजी को जब पता चलेगा हम शादी से पहले इ सब किए है, हमरी खाल खींच लेंगे।


तभी हॉर्न बजने लगी। चित्रा उसकी हालत पर हंसती हुई… "जाओ उसके साथ आगे बैठ जाओ और थोड़ी जान पहचान बढ़ाओ।"..


माधव चुपचाप जाकर पीछे बैठ गया, और चित्रा को आगे बैठना पड़ा। गाड़ी उन्हीं पहाड़ियों पर चल दी जहां आर्यमणि रूही और अलबेली को ट्रेनिंग देता था। गाड़ी जैसे ही थोड़ी दूर चली… "तू माधव से अच्छे से बात क्यों नहीं करता?"..


आर्यमणि:- मैंने कब बुरे तरीके से बात किया है। मै बैठा था और ऐसे बेवकूफों की तरह बात कर रहा था मानो पहली या दूसरी मुलाकात हो।


माधव:- सॉरी वो हम थोड़ा घबरा गए थे। वैसे हम कहां जा रहे है।


चित्रा और आर्यमणि एक साथ… "घूमने"


कुछ ही समय में तीनों जंगल के उस हिस्से में थे जहां रूही और अलबेली को आना था। माधव वहां पर चारो ओर देखते… "यहां कोई शेर, चीता या भालू तो नहीं रहता ना।"


आर्यमणि:- नहीं यहां भेड़िया पाए जाते है।


माधव:- काहे मज़ाक कर रहे हो। यहां कहां से भेड़िया आ गए। यें अपने कॉलेज की लड़की रूही है, अपनी बहिन के साथ आ रही।


रूही तो बड़े आराम से चल रही थी लेकिन अलबेली किसी इंसान की खुशबू पाकर खींची चली आ रही थी। … "अलबेली तुम इधर आओ। रूही इनसे मिलो ये है माधव, चित्रा का लवर। अभी के लिए इसे तुम अपना बॉयफ्रेंड मान सकती हो जाओ इसे जंगल घुमा लाओ।"


अलबेली:- रूही का चेहरा देखो उसे मज़ा नहीं आएगा, मै जाती हूं, घुमा कर ला देती हूं।


आर्यमणि:- जी नहीं, तुम बैठकर चित्रा से बातें करोगी।


अलबेली, चित्रा की खुशबू अपने जहन में उतारती…. "हम्मम ! बड़ी प्यारी खुशबू है।"



रूही:- चलिए बॉयफ्रेंड जी, आपको घूमाकर लाया जाए..


चित्रा, आर्यमणि की बांह थामती… "सेफ तो है ना।"


आर्यमणि:- मै हूं ना तुम चिंता क्यों करती हो। लेशन 1 याद रहे अलबेली, मुझे फिर दोबारा ना कहना परे।


अलबेली, अपने अंदर शवंस खींचती… "सॉरी भईया थोड़ी भटक गई थी".. फिर चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाती…. "हेल्लो चित्रा, मेरा नाम अलबेली है। मुझसे दोस्ती करोगे।"..


चित्रा उसके प्यारे से दोनो गाल खिंचते…. "तुम तो काफी प्यारी हो अलबेली, थोड़ी बड़ी हो जाओगी तो लड़को की लाइन लगेगी।"


अलबेली पहली बार किसी इंसान से मिल रही थी। शुरवात को एडजस्ट करने के बाद धीरे-धीरे वो भी माहौल में रमती चली गई। बात करना उसे इतना पसंद आया कि वो लगातार बात करती चली गई। इधर रूही भी माधव के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चल रही थी। वो भी पहली बार किसी इंसान के साथ इस कदर अकेली थी, लेकिन बहुत प्यारा अनुभव था। ऊपर से माधव की फनी बातें, उसे हंसने पर मजबूर कर देती। आर्यमणि अपने इतने दिनो की ट्रेनिंग को सफल होते हुए देख रहा था। रूही तो पहले भी सामान्य लोगों के साथ रह चुकी थी, लेकिन अलबेली के लिए पहला अनुभव था और काफी संतोषजनक था।
Albeli or richa ko insani duniya se jodne ke liye unhe train kr rha tha or aaj madhav chitra ko unse mila kr observe bhi kr liya, kaha kami hai or kaha behtar hai...
Madhav or chitra ne kya masti ki hai padh kr anand aa gya bhai husband ki tarah kaam bhi karvaye chitra madam ne, (man me madhav masti kr li ab nakhre saho) arya jaha Pahle se hi jaan gya dur Baithe ki Ghar ke andar kya ho rha hai isliye kisi guard ko andar nhi aane diya or msg bhi bhej diya finish karke Milo...
Superb bhai lajvab amazing Jabardast update sandar
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Mere khyal se so hi Raha hoga... Kahan rah gaye the 1-2 din... Khair jald hi parda fash hoga aur aage ke romanch ki nayi disha khulegi... Story state se national internation aur fir universal ho jayegi :D
Rahna kaha hai bhai, Aap to tag karte nhi or na jyada kahi ghumne jate ho, or Mai kuchh busy tha masti majak karne me sath hi kuchh soch rhe the ek nya thread kholne ko pr Uski bhumika na ban rhi, ya kahe admin na maan rhe vaisa kuchh karne ko... To idea drop kr diya... Bs isi sab me busy the
 

arish8299

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भाग:–34





रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।



माधव:- पगला गई हो क्या? तुम्हारे बाबूजी को पता चला तो हमको जेल में डाल देंगे। फिर हम सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे और जब सरकारी नौकरी नहीं रहेगी तो फिर हम तुम्हारा हाथ मांगने किस मुंह से आएंगे?


चित्रा:- फट्टू 2 मिनट में तैयार होकर 10 मिनट में आओ। वरना मै उस वर्मा को हां बोल दूंगी और उसमे इतनी डेरिंग तो होगी ही।


माधव:- अब ऐसे बोलकर मेरे दिल में चाकू मत घोपो। आ रहे है। बाबूजी कहते थे..


चित्रा:- इतनी ही अच्छी-अच्छी बातें करते थे तुम्हारे बाबूजी तो तुम कहां से पैदा हो गये? ये नहीं बताते थे कि रोमांस भी किया करते थे।


माधव:- देखो तुम ऐसे बात मत करो वरना झगड़ा हो जाएगा।


चित्रा:- यहां आकर झगड़ा करो…


चित्रा का फोन डिस्कनेक्ट होते ही माधव जल्दी से तैयार हो गया। बाइक स्टार्ट करके… "लगता है आज कहीं पिटवाने का ना प्लान बनाई हो। माता रानी बचा लेना।"..


कुछ ही देर में माधव चित्रा के घर था। बाहर खड़ा सुरक्षाकर्मी उसे रोकते हुए… "क्या काम है।"..


माधव:- चित्रा के हम क्लासमेट है, उसे कुछ टॉपिक पर डिस्कस करना था। अब उ तो बॉयज हॉस्टल आ नहीं सकती इसलिए मुझे बुला लिया। अब आप रास्ता देंगे तो हम जाए।


सुरक्षाकर्मी:- रुको यहां..


कुछ देर बाद चित्रा खुद ही बाहर आयी और सुरक्षाकर्मी को उसका परिचय देती हुई बताने लगी कि ये मेरा दोस्त है। दोनो अंदर आए। माधव कुछ घबराया सा लग रहा था। चारो ओर देख भी रहा था कहीं घर पर इसकी मम्मी तो नहीं।… "बाहर तो बड़ा तनकर बात कर रहे थे, घर के अंदर इतनी फटी क्यों है?"


माधव:- अरे एक लड़की के घर कोई लड़का आ जाए तो तुम जानती नहीं की कितनी बड़ी बात हो जाती है।


चित्रा मुख्य द्वार लॉक करती… "हां बताओ कितनी बड़ी बात हो जाती है।"..


माधव ने एक नजर चित्रा को देखा और अगले ही पल उसके कमर में हाथ डालकर अपने पास खिंचते हुए… "घर में मम्मी डैडी कोई नहीं है ऐसा कहो ना।"


चित्रा:- क्या कर रहे हो, ऐसे खुले में कौन पकड़ता है।


माधव:- आज तो खुले में साथ नहाएंगे भी… डैडी मम्मी हैं नै घर पे, पिछले कमरे में घुस के, कुछ तो करेंगे छुप के, मिल ज़रा..


चित्रा:- हीहिहिही… उल्लू गाने में भी "छुप के मिल ज़रा" कह रहे है।


माधव:- गलत गाना गा दिया.. यहां गाना चाहिए "खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों।"..

चित्रा:- ठीक है फिर किसके पप्पा को लगा दू फोन, तुम्हारे या मेरे…


माधव, चित्रा से अलग होते… "देखो बाबूजी के नाम पर डराया ना करो।"


चित्रा माधव के पेट में गुदगुदी करती हुई… "तो किसके नाम से डराऊं हां। बताओ ना, हां बताओ बताओ।"..


माधव चित्रा का हांथ खिंचते, अपने ऊपर लिया और उसके खुले बाल को चेहरे से किनारे करते हुए, उंगली उसके चेहरे पर फिराते… "तुम्हारी आखें ही काफी है मुझे डराने के लिए। पहले ये डर था कि सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तो मै क्या करूंगा, अब ये डर लगा रहता है कि तुम ना मिलेगी तो क्या करूंगा।"


चित्रा, अपने होंठ आगे बढ़ती… "फिलहाल तो हम किस्स करेंगे।"…


दोनो एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाते हुए चूमने लगे। चूमते हुए माधव अपने हाथ चित्रा के बदन पर चलने लगा और चित्रा अपने हाथ माधव के बदन पर। एक दूसरे के होंठ में होंठ दबाकर किस्स कर रहे थे और किस्स के साथ माधव ने स्मूच करते हुए, उसके टॉप के ऊपर से उसके स्तन को भींच लिया।


"आह्हह" की कामुक मधुर आवाज के साथ चित्रा ने दबी सी सिसकी ली, और उखड़ती सी आवाज में कहने लगी… "यहां नहीं, रूम में चलते है।"..


दोनो तेजी से रूम में आए, चित्रा ने आते ही दरवाजा बंद कर लिया और एक दूसरे के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े भी उतार दिए। दोनो इनरवेयर में खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ चला रहे थे।


माधव अपने दोनो हाथ चित्रा के स्तन से टिकाते हुए, ऊपर की ओर धकेलते स्तन पर हल्का-हल्का मसाज देने लगा… "आह, माधव प्लीज मेरे बूब्स छोड़ दो, पहले से ज्यादा बढ़ गए है।"…. "और पहले से ज्यादा सेक्सी भी हो गए है।".. कहते हुए माधव ने ब्रा के कप को हटाया और निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ को पैंटी के अंदर डालकर उसके योनि को मसलने लगा।


चित्रा की गरदन जैसे अकड़ कर टाईट हो गई हो। वो बेकाबू होकर अपने मुट्ठी से उसके सर के बाल को पकड़ कर भींचने लगी और मादक श्वांस लेने लगी। माधव ने चित्रा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाऊं से पैंटी को खोलकर बाहर निकालते हुए चित्रा के पाऊं को फैला दिया… "नहीं माधव, वहां मुंह मत… आह्हुह .. क्या कर रहे हो… उफ्फ … नहीं माधव प्लीज… आहह"… चित्रा बिस्तर पे लेट कर छटपटाने लगी और अपने कमर को हिलाती हुई, माधव के बाल को पकड़ कर उसे अपने ऊपर ले ली… उसकी आखों में देखती हुई कहने लगी… "तुम्हारे होंठ मेरे होंठ को चूमने के लिए है, अगर दोबारा ऐसा किया ना"… "उम्ममममममम"… माधव होंठ से होंठ लगाकर पूरे होंठ का रसपान करने लगा।


चित्रा अपने पाऊं को हलक मोड़कर कमर को ऊपर के ओर उभार ली। अपने हाथ से माधव का लिंग पकड़कर अपने योनि पर घीसने लगी। लिंग और योनि के घिसने के साथ दोनो के बदन मचले हो जैसे। माधव ने कमर को स्मूथली झटका दिया और चित्रा भी अपने कमर को धीरे से ऊपर करती, योनि में लिंग का मादक स्वागत करने लगी।


माधव अपने दोनो हाथ बिस्तर से टिका कर बदन को चित्रा के ऊपर किया और चित्रा की आखों में देखकर उसे लगातार प्यार से धक्के मारने लगा। चित्रा योनि के अंदर लिंग के झटके को उतने ही प्यार और कामुकता से मेहसूस कर रही थी। चित्रा कामुकता में अपने आगे के बदन को ऊपर उठाकर माधव के निप्पल पर अपना जीभ फेर रही थीं।

दोनो के बदन पसीने से लथपथ थे। हर धक्का मज़ा का नया अनुभव करवाता। उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी और माधव के झटको की रफ्तार बढ़ने लगी। धक्कों की रफ्तार बढ़ते ही चित्रा का शरीर अकड़ कर जोड़ का झटका लिया और चित्रा अपने कमर को पीछे करती उठकर बैठ गयी। बैठने के साथ ही लिंग को हाथ में लेकर 2 बार जोर हिलाई ही थी कि उसका पुरा पिचकारी नीचे बिस्तर पर।


हांफते हुए माधव बिस्तर पर आकर लेट गया। और चित्रा उसके सीने से लिपट गई। माधव उसके कमर पर रखे अपने हाथ को देखकर हंसते हुए कहने लगा… "तुम्हारा बदन बिल्कुल दूध की तरह है और मेरा सवाल। तुम्हारे बदन पर मेरा हाथ तो अजीब सा काला दिखने लगा।


चित्रा अपने आंख खोलकर घूरती हुई… "बाज नहीं आओगे इन सबसे ना। चलो उठो और जाकर मेरे बेडशीट को वाशिंग मशीन में धोकर आओ।"..


माधव:- पागल हो क्या, इतना सुकून मिल रहा है, मै तो तुम्हारे बदन को देखकर सेकंड राउंड की तैयारी में हूं। अभी थोड़ा बहुत ठीक भी हुए है, सेकंड राउंड करते रहे ना तो आम का गुठली हो जाओगे। चलो उठो जल्दी से। वैसे भी बहुत सारे स्टाफ आते-जाते रहते है। मुझे तुम्हारे साथ पढ़ना भी है।


दोनो ने कपड़े पहन लिए। चित्रा अपने बाल बनाकर बाहर आयी और "माधव के साथ पढ़ाई कर रही हूं" ऐसा संदेश भेजने के लिए मोबाइल हाथ में ली ही थी, की मुह से निकल गया... "ओह नो।".. और ठीक उसी वक्त... "चित्रा मैंने बेडशीट साफ कर दिया। कहां सूखने दूं।"


चित्रा:- मेरे सर पर..


माधव:- रुमाल तो सूखा भी लोगी, ई बेडशीट कैसे शुखेगा..


चित्रा:- डफर बाहर आर्य आया है। एसएमएस किया है मुझे, माधव की गाड़ी बाहर खड़ा देखा, जब फ्री होना तो कॉल कर देना।


माधव:- हां तो इसमें इतना ओवर रिएक्ट काहे कर रही हो। छोड़ो रिस्पॉन्ड ना करो। 2-3 घंटे पढ़ते है फिर उसके बाद कॉल लगाकर उल्टा डांट देना आया तो कॉल करता या स्टाफ के हाथ से खबर भिजवा देता।


चित्रा:- पागल है क्या? एक तो वो वैसे भी कम आता है ऊपर से इंतजार करवाऊं। मै मेरे बाप को इंतजार करवा सकती हूं उसे नहीं। इतना डरना क्यों वैसे भी मेरा दोस्त है, और वो हमारे बारे में जानता है। लाइव देखता तो उसे अजीब लगता, बाकी पता तो उसको भी होगा कि हमारे बीच क्या होता होगा।


माधव:- तो जाओ ना बुला लाओ। इतना सोच क्यों रही हो।


चित्रा:- हां जा रही हूं बस तुम कोई छीछोड़ी हरकत मत करना और कम बोलना। हो सके तो बोलना ही नहीं। ठीक है।


माधव:- हा ठीक है समझ गया।


चित्रा एक बार और खुद को आइने में देखी और दरवाजा खोलकर बाहर निकाल गई। सामने आर्यमणि सुरक्षाकर्मी के पास बैठकर कुछ बातें कर रहा था।… "सर आप बता तो देते की आर्य आया है।"..


सुरक्षाकर्मी:- चित्रा मैंने इनसे कहा मै चित्रा को इनफॉर्म कर देता हूं, यही कहने लगे नहीं मै एसएमएस कर देता हूं, वो जब मेरा संदेश देखेगी आ जाएगी।


चित्रा आर्य को आखें दिखाने लगी। आर्य मुसकुराते हुए उसे सॉरी कहा और उसके गले लगते हुए… "कैसी है।"..


चित्रा:- गुस्सा हूं तुझ पर। मै और निशांत तो तेरे लिए भूली कहानी हो गए ना।


आर्यमणि:- हां दूर हो सकता हूं, बात नहीं हुई ये भी मान सकता हूं, लेकिन तुम दोनो को जब ऐसा लगे कि मै भुल गया और तुम्हारे बुलाने पर भी नहीं आया तो समझ लेना की या तो मै मर गया या मर रहा हूं।


चित्रा, आर्यमणि को एक थप्पड़ लगाकर उसके गले लग गई और उसके गर्दन पर चूमती… "पागल यहां क्या रुलाने आया है।"..


आर्यमणि, चित्रा के पीठ पर हाथ ठोकते…. "गला छोड़ तेरा मजनू जल भुन रहा है।"


चित्रा:- अभी-अभी उसे पूरा मज़ा देकर आ रही हूं, इसके बाद भी जलेगा तो अपने घर जाएगा। लेकिन तू ऐसी बात करेगा तो तू भी सजा पाएगा, मै तुमसे बात ही करना बंद कर दूंगी। ना बात होगी ना ऐसे बोलेगा।


आर्यमणि उसके सर पर एक हाथ मारते… "झल्ली कहीं की, चल जारा मिलवाओ आज अच्छे से। ठीक से मिल नही पाया मै माधव से।"


चित्रा उसे लेकर अंदर आयी और दरवाजा वापस से बंद करती… "माधव ये है मेरा बेस्ट फ्रेंड और मेरा सबसे क्लोज आर्यमणि। आर्य ये है माधव, मेरा लवर और मेरे होने वाला जीवन साथी।"


माधव:- जानता हूं.… इतना गौर से मुझे क्यों देख रहे हो आर्य, मै सांवला ये बिल्कुल गोरी, और हमारी बेकार सी जोड़ी। चित्रा जैसी लड़की मुझे अपना जीवनसाथी कैसे चुन सकती है?


आर्यमणि:- बकवास हो गई। चित्रा जाओ तैयार होकर आओ, हम घूमने जा रहे है।


माधव:- हम कहां जा रहे है?


चित्रा:- सुना नहीं घूमने।


कुछ देर माधव और आर्यमणि के बीच खामोशी रही… "उ चित्रा को हम फिजिक्स और मैथमेटिक्स पढ़ाने आए थे।"..


आर्यमणि:- हम्मम !


माधव फिर कुछ देर ख़ामोश रहकर टेबल पर उंगलियां चलाते… "पलक और मै दोनो अच्छे दोस्त है। तुम तो देखे ही हो।"


"चलो चलते है।"… चित्रा आ गई और सब चल दिए। आर्यमणि चित्रा से कार की चाभी लेकर गराज की ओर गया और ये दोनो खुसुर-फुसुर करते दरवाजे तक जा रहें थे। माधव, चलते-चलते … "सुनो चित्रा"..


चित्रा:- ऐसे दबे गले से क्या बोल रहे हो। साफ साफ कहो ना..


माधव:- अरे धीमे बोलो। मुझे लगता है आर्य को हमारे बारे में शक हो गया है, और उ हमसे नफरत कर रहा है। बड़ा ही डराने वाला हाव भाव था वो भी बिना नजर मिलाए। घुर कर देखता फिर क्या होता मेरा?


चित्रा:- पागल हो क्या कुछ भी सोच रहे हो।


माधव:- अरे सही सोच रहे हैं। वो एक में 2 मिलाकर हमारी कहानी और लंबी कर देगा।


चित्रा:-1 में 2 मिलाकर मतलब, हम दोनों के बीच सेक्स हुआ इसे लंबा करके कहेगा हम थ्री सम कर रहे थे। और जब हम दोनों गले लगे हुए थे तब तुम इतना जेलस फील क्यों करते हो। हम दोनों पूल में न्यूड होकर नहाया करते थे, उस उम्र से साथ है बेवकूफ, और तुम शक्की नजर से देख रहे थे माधव।


माधव:- अरे अर्थ का अनर्थ काहे कर रही हो। मुझे डर लग रहा है हमरे बाबूजी को जब पता चलेगा हम शादी से पहले इ सब किए है, हमरी खाल खींच लेंगे।


तभी हॉर्न बजने लगी। चित्रा उसकी हालत पर हंसती हुई… "जाओ उसके साथ आगे बैठ जाओ और थोड़ी जान पहचान बढ़ाओ।"..


माधव चुपचाप जाकर पीछे बैठ गया, और चित्रा को आगे बैठना पड़ा। गाड़ी उन्हीं पहाड़ियों पर चल दी जहां आर्यमणि रूही और अलबेली को ट्रेनिंग देता था। गाड़ी जैसे ही थोड़ी दूर चली… "तू माधव से अच्छे से बात क्यों नहीं करता?"..


आर्यमणि:- मैंने कब बुरे तरीके से बात किया है। मै बैठा था और ऐसे बेवकूफों की तरह बात कर रहा था मानो पहली या दूसरी मुलाकात हो।


माधव:- सॉरी वो हम थोड़ा घबरा गए थे। वैसे हम कहां जा रहे है।


चित्रा और आर्यमणि एक साथ… "घूमने"


कुछ ही समय में तीनों जंगल के उस हिस्से में थे जहां रूही और अलबेली को आना था। माधव वहां पर चारो ओर देखते… "यहां कोई शेर, चीता या भालू तो नहीं रहता ना।"


आर्यमणि:- नहीं यहां भेड़िया पाए जाते है।


माधव:- काहे मज़ाक कर रहे हो। यहां कहां से भेड़िया आ गए। यें अपने कॉलेज की लड़की रूही है, अपनी बहिन के साथ आ रही।


रूही तो बड़े आराम से चल रही थी लेकिन अलबेली किसी इंसान की खुशबू पाकर खींची चली आ रही थी। … "अलबेली तुम इधर आओ। रूही इनसे मिलो ये है माधव, चित्रा का लवर। अभी के लिए इसे तुम अपना बॉयफ्रेंड मान सकती हो जाओ इसे जंगल घुमा लाओ।"


अलबेली:- रूही का चेहरा देखो उसे मज़ा नहीं आएगा, मै जाती हूं, घुमा कर ला देती हूं।


आर्यमणि:- जी नहीं, तुम बैठकर चित्रा से बातें करोगी।


अलबेली, चित्रा की खुशबू अपने जहन में उतारती…. "हम्मम ! बड़ी प्यारी खुशबू है।"



रूही:- चलिए बॉयफ्रेंड जी, आपको घूमाकर लाया जाए..


चित्रा, आर्यमणि की बांह थामती… "सेफ तो है ना।"


आर्यमणि:- मै हूं ना तुम चिंता क्यों करती हो। लेशन 1 याद रहे अलबेली, मुझे फिर दोबारा ना कहना परे।


अलबेली, अपने अंदर शवंस खींचती… "सॉरी भईया थोड़ी भटक गई थी".. फिर चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाती…. "हेल्लो चित्रा, मेरा नाम अलबेली है। मुझसे दोस्ती करोगे।"..


चित्रा उसके प्यारे से दोनो गाल खिंचते…. "तुम तो काफी प्यारी हो अलबेली, थोड़ी बड़ी हो जाओगी तो लड़को की लाइन लगेगी।"


अलबेली पहली बार किसी इंसान से मिल रही थी। शुरवात को एडजस्ट करने के बाद धीरे-धीरे वो भी माहौल में रमती चली गई। बात करना उसे इतना पसंद आया कि वो लगातार बात करती चली गई। इधर रूही भी माधव के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चल रही थी। वो भी पहली बार किसी इंसान के साथ इस कदर अकेली थी, लेकिन बहुत प्यारा अनुभव था। ऊपर से माधव की फनी बातें, उसे हंसने पर मजबूर कर देती। आर्यमणि अपने इतने दिनो की ट्रेनिंग को सफल होते हुए देख रहा था। रूही तो पहले भी सामान्य लोगों के साथ रह चुकी थी, लेकिन अलबेली के लिए पहला अनुभव था और काफी संतोषजनक था।

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भाग:–35






प्रहरी की इमरजेंसी मीटिंग…


सुबह-सुबह ही हर कोई मीटिंग एरिया में पहुंच चुका था। पिछली मीटिंग की तरह ही इस मीटिंग में भी दिग्गज पहुंचे हुए थे। तकरीबन 40 उच्च सदस्य और 20 रिटायर्ड सदस्य के साथ कुल 120 लोग पहुंचे हुए थे। 40 उच्च सदस्यों में से 30 उच्च सदस्य 3 मजबूत परिवारों से थे, पाठक, शुक्ल और महाजन। तत्काल समय में प्रहरी के रीढ़ की हड्डी और आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे सुदृढ़।


पिछली मीटिंग में इन्होंने ही पलक की रीछ स्त्री की कहानी को बेबुनियाद बताया था, हां लेकिन उसकी खोज को पूर्ण रूप से सराहा भी था। उच्च सदस्यों कि अध्यक्षता देवगिरी पाठक किया करते थे, जिन्हें भाऊ के नाम से सभी संबोधित करते थे। इनका प्रमुख काम राजनीतिक पार्टियों को फाइनेंस करना तथा अरबों के टेंडर को उसके बदले में अपने नाम करवाना।


आज का मीटिंग कॉर्डिनेटर भाऊ के मित्र अप्पा शुक्ल के बेटे हंस शुक्ल था जो भाव का दामाद और इस संगठन का सबसे स्वार्थी व्यक्ति कहा जाता था। भूमि और इसकी आपसी मतभेद के किस्से पूरे संगठन में प्रचलित थे, जहां हंस स्थाई और अस्थाई सदस्यों के बीच भूमि की बढ़ती लोकप्रियता से काफी जला भूना सा रहता था।


मीटिंग की शुरवात करते हुए…. "हमारे गढ़ नागपुर इकाई को हम कमजोर होते देख रहे है। ऐसा लग रहा है एक गौरवशाली इतिहास का अंत हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज इस खंड के स्वांस नली है जिसके बिना खंड अधूरा है। लेकिन उनके जाने के बाद हमे अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि तेजस भारद्वाज ने वो उत्तरदायित्व नहीं निभाया जो उन्हें निभाना चाहिए। मै तेजस से इस विषय में विचार रखने के लिए कहूंगा।"..


तेजस:- आप सबका धन्यवाद लेकिन मुझे जब विषय कि जानकारी ही नहीं होगी तो मै किस विषय में बात करूंगा मुझे समझ में नहीं आ रहा। जिस प्रकार से हंस शुक्ल ने अपनी बात रखी है, ऐसे में मुंबई इकाई, नाशिक इकाई और उन इकाइयों में पड़ने वाले जितने भी डिविजनल इकाई है इनपर सवाल उठा सकता हूं। ये प्रहरी का गढ़ है जिसे ना तो छल से और ना ही बल से कमजोर किया जा सकता है। उच्च सदस्य के मेंबर कॉर्निनेटर की ये पहली भुल समझकर मै माफ़ करता हूं, आइंदा अपने कहे शब्दो पर पहले 2 बार विचार करे फिर अपनी बात रखें।

उच्च सदस्य के अध्यक्ष देवगिरी पाठक… "तेजस लगता है वैदेही से झगड़ा करके आया है, इसलिए हंस की बातों से चिढ़ गया, और हंस अगली बार बोलने से पहले अपने कहे शब्दों पर वाकई तुम्हे विचार करना चाहिए। पहली बात तो ये की हम अंग्रजी कल्चर नहीं फॉलो करते इसलिए हम एक दूसरे को इज्जत देने के लिए सर नहीं बल्कि काका, दादा, भाऊ कहते है। तुम अपनी बात रखो की नागपुर इकाई तुम्हारे हिसाब से कमजोर क्यों लग रहा है और मीटिंग की बातें सुनो। और ये भूमि किधर गई। आह वो रही मेरी बच्ची। अरे कॉर्डिनेशन वाला पुरा जिम्मा इसे ही दिया करो। ये जब बोलती है तो लगता है हां बोल रही है। सुकेश दादा आपने अपने जीवन काल में ऐसा मीटिंग और मेंबर कॉर्डिनेटर देखा था क्या कभी?"


सुकेश:- एक जाता है दूसरा आता है। और मुझे ऐसा क्यों लगता है भूमि ने जिस हिसाब का अपना सब ऑर्डिनेट लेकर आयी है वो भूमि से भी ज्यादा बेहतर होगा। मै चाहूंगा देव तुम राजदीप को कहो आज कि मीटिंग कॉर्डिनेटर करने।


देवगिरी:- दादा ने कह दिया समझो हो गया। राजदीप आजा भाई लेले मीटिंग..


राजदीप:- अब क्या ही बताऊं... मेमेबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर की पोस्ट को भूमि दीदी इस ऊंचाई पर ले गई की मुझे लगता है मै खड़ा ना उतरा तो मुझे उसी ऊंचाई से कूदकर जान देनी होगी। खैर मै हंस दादा से कहूंगा, अपनी बात को थोड़ा पुष्टि करते हुए बताए की उनकी बात का आधार क्या है?



हंस अपनी फजीहत देखकर उठा नहीं, उसके बदले महाजन परिवार का सदस्य रवि महाजन खड़ा होकर कहने लगा… "एक 20 साल की लड़की को बिना किसी बैठक के उच्च सदस्य बना देना ये एक गैर जिम्मेदाराना कदम था। उज्जवल काका ने वो किया यहां तक कि इस बात की खबर सुकेश काका को भी नहीं थी। जबकि दोनो एक ही शहर में थे। विष मोक्ष श्राप से किसी को भी बंधा जा सकता है लेकिन पलक भारद्वाज ने ऐसी प्रजाति का उदय करवा दिया जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं।"

"भूमि बहिनी का उस चहेते भाई का किस्सा भी हमने सुना था जो गंगटोक में एक वेयरवुल्फ के मोह में था। पहले उसका घर से भाग जाने। बाद में भूमि बहीन अपने सबसे बेस्ट शिकारी को लेकर 75 दिनों तक विदेश कि खाक छान रही थी। उस लड़के आर्यमणि ने 2 वुल्फ बीटा के पाऊं तोड़ दिए और उसका वीडियो हमारे सदस्यों को दिखाया जा रहा है। इससे कई ज्यादा हैरतअंगेज कारनामे हमारे शिकारी कर चुके है जिसकी लिस्ट लंबी है सुनाने लगुं तो रात हो जाएगी।"

"एक प्रतिबंधित परिवार के बच्चे को अपने पास रखी। मै रिश्ते और रिश्तेदारों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन पहले अपने ओहदे को देखना था। भूमि एक आइकन है। हमारा लगभग जितने भी अस्थाई सदस्य है और नए बन रहे स्थाई सदस्य, सब भूमि को फॉलो करते हैं। उसे इस बात का ख्याल होना चाहिए था। उच्च सदस्यों के कार्यकारणी में कई आम सदस्यों के ख़त पहुंच रहे है कि आखिर वर्धमान कुलकर्णी को इतनी बड़ी सजा क्यों हुई?"

"सदस्य मांग कर रहे है उच्च सदस्य माफी मांगे और जाकर उसके पोते को इस सभा में लेकर आए, जबकि इसमें कोई दो राय नहीं कि वो भी अपने दादा की तरह उतना की खतरनाक है। एक चिंता का विषय क्योंकि उसने भी वही किया। वुल्फ के साथ दोस्ती, उसके साथ पैक बनाना, शायद दादा से एक कदम आगे है। इतना होने के बावजूद भी हमारे उच्च सदस्य उस लड़के से रिश्तेदारी निभा रहे है और ऐसे भटके लड़के से हमारे के उच्च सदस्य का लगन भी करवा रहे। नागपुर इकाई में कोई कुछ कहने वाला नहीं है क्या, या फिर वैधायन वंसज ने कुछ विटो जैसा पॉवर अपने पास रखा है, जो यूनिट नेशनल काउंसिल में होता है।"


राजदीप:- काफी तैयारी से आए है रवि भाऊ। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि इस इकाई में हमने सारा कार्यभार भूमि दीदी और तेजस दादा को दे रखा है। नाह जवाब के लिए मै भूमि दीदी को नहीं बुलाने वाला बल्कि पलक को बुलाना चाहूंगा। हमारे बीच की सबसे कम उम्र की उच्च सदस्य।


पलक:- काफी सारी बातें और काफी सारे सवाल और हर सवाल का मुख्य केंद्र जैसे भारद्वाज परिवार ही हो। खैर मै इसपर भी आऊंगी जब मै अपनी पूरी बात रखूंगी। पहले तो मै एक बात बताना चाहूंगी आर्य का लगन मेरे घरवालों ने करवाया। मेरा पूरा खानदान वहां बैठा था। उससे पहले मै आर्य को कॉलेज से जानती थी लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से हमारी कभी 2 लाइन से ज्यादा बात नहीं हुई। वो भी 2 लाइन की बात मेरे मौसेरे भाई बहन चित्रा और निशांत के कारण हो जाती थी। अब प्वाइंट पर आती हूं। घरवालों ने लड़का दिखाया और मैंने हां कहा। उसके बाद भी मै मुश्किल से 1 घंटे के लिए उससे मिली होऊंगी। लेकिन जबसे, "वो मेरा है" इस ख्याल से उसे मैंने जितना जाना है उसके बाद मै भरी सभा में कहती हूं अब ये रिश्ता मेरे घरवाले ही क्यों ना तोड़ दे, मै अपना लगन उसी से करूंगी फिर चाहे जो हो जाए। मेरे दिल ने उसे स्वीकार लिया है। रही बात उसके खतरनाक होने की तो इसपर मै अपने सहायक को बुलाना चाहूंगी.. शायद उसकी बातों से आपको अंदाजा हो की वो कितना ख़तरनाक है। मैं निशांत को यहां बुलाना चाहूंगी जो आर्य के विषय में कुछ घटनाएं बताए...


निशांत:- यहां किसके कलेजे में दम था जो 9th क्लास में पढ़ते हुए, शेर और उसके शिकार के बीच में खड़ा हो जाए। इतना खतरनाक है वो। यहां किसके कलेजे में दम है कि अपने दोस्त के भरोसे वो 6000 फिट की गहरी खाई में कूद जाए, जबकि उसे भी पता था कि रस्सी का दूसरा सिरा खुल जाएगा। दोस्त के भरोसे कूद गया और उसका दोस्त रस्सी का दूसरा सिरा जल्दी-जल्दी में बांधना शुरू किया हो। यहां किसके कलेजे में इतना दम है कि 300-400 किलो के वजन वाला अजगर ऐसी पेड़ की साखा पर हो जिसके नीचे हजार फिट की खाई हो, फिर भी आप रस्सी छोड़कर उस पेड़ के साखा पर चढ़ रहे। जबकि कुछ भी गड़बड़ हुई तो आप सीधा हजार फुट ऐसी खाई में गिरेंगे, जहां यदि किसी चमत्कार से बच भी गए तो जंगली जानवरो का शिकार हो जाएंगे। और विश्वास मानिए हिमालय के जंगलों में आपको वेयरवुल्फ से भी खतरनाक हालातों का सामना हो जायेगा। आर्यमणि आपके सोच से कहीं ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उसने केवल जान बचना ही सीखा है। विषम से विषम परिस्थिति में भी उसने ना तो किसी जानवर की जान ली और ना ही किसी इंसान की जान जाने दी, वो इतना खतरनाक है। आपसे ज्यादा खतरनाक तो होगा ही क्योंकि शायद उसे उन वुल्फ में जानवर नहीं इंसान नजर आना शुरू हो गया होगा और वो उसकी जान बचाने के लिए चल दिया होगा। उसकी डिक्शनरी में अच्छा या बुरा जैसा कोई शब्द नहीं होता। वो बस एक ही बात दिमाग में लिए रहता है, किसी भी कानून के मुताबिक वो गलत नहीं कर रहा फिर अपनी मर्जी का वो जो करे, किसी के बाप के जिगरा में उतनी ताकत नहीं की उसे रोक ले। और कोई रोक कर तो दिखाए क्या वो रुक जाएगा। यदि ज्यादा बोल गया हूं तो माफ कीजिएगा, लेकिन जिसने भी उसे खतरनाक माना है, वो बहुत ही धूर्त इंसान होगा, जिसे किसी को अच्छाई नहीं दिख रही, बस किसी तरह किसी भी मुद्दे को पकड़ कर भारद्वाज खानदान को बदनाम कर दे, इसलिए बिना होम वर्क किए आ गए।


पलक:- "धन्यवाद निशांत। हमारे बीच का अस्थाई सदस्य है और थोड़ा भावुक भी, इसलिए कुछ ज्यादा बोल दिया हो तो मै माफी चाहती हूं। अब मै आती हूं सबसे पहले इस बात पर की विष मोक्ष श्राप में वो नई प्रजाति कौन थी।"

"मुझे सोच कर है हंसी आ रही है, क्योंकि जिन्हे आपने नहीं देखा क्या वो प्रजाति नहीं होती या फिर डर अभी से लग रहा की जिसके बारे में जानते नहीं उसे से लड़ेंगे कैसे, इसलिए मनगढ़ंत कहानी बता दो। रीछ इतिहास पढ़िए। वो मानव इतिहास के सबसे विकसित और ऊपर के दर्जे के कुल थे, सिद्ध पुरुष (साधुओं) के बाद।"

"उनके इतिहास में वर्णित है एक रीछ जब विकृत होता है तो अपने स्पर्श मात्र से वो शरीर में बहने वाले रक्त को कण में बदल देता है और अपने श्वांस द्वारा खींचकर उसकी ऊर्जा लेता है। ऐसे ही घटना के गवाह बने थे वहां के कुछ स्थानीय लोग। लेकिन आप अपनी बुद्धि की परिभाषा उस कुएं की मेंढ़क की तरह दे रहे है, जिसको लगता है वो समुद्र में तैर रहा और इससे बड़ी कोई दुनिया हो ही नहीं सकती। उच्च सदस्य बैठक करे या ना करे, मै अपने साखा की अध्यक्ष हूं और इस बात में कोई सच्चाई ना भी हुई की कोई रीछ स्त्री वहां के कैद से छूटी है, तो भी मै एक टीम का गठन करके उसका पता लगाने निकलूंगी। प्रहरी को करने के लिए रखा गया है ना कि ये कहकर पल्ला झाड़ लेने के लिए की केवल वेयरवुल्फ ही यहां के सुपरनेचुरल है।"

"इसी के साथ मै विशिष्ठ सखा की अध्यक्ष पलक भारद्वाज, ये भी पारित करती हूं कि हर इकाई में बसे सुपरनेचुरल की जांच उसके शेप शिफ्ट करवाकर की जाए। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने अहम में कुछ भुल कर गए। जिसे हम शांति मानकर चल रहे है वो इस पृथ्वी पर मातम के काले बादल लेकर चले आए।"

"मैं ऐसा क्यों कह रही हूं उसकी सम्पूर्ण वजह बताती हूं। हमारे नागपुर इकाई में एक फर्स्ट अल्फा है सरदार खान। वो सरदार खान पिछले कितने सालों से हमारे संरक्षण में है, किसी को याद भी नहीं शायद। ना तो उसके उम्र का लेखा है और ना ही उस क्षेत्र में कितने वुल्फ पैक हमने संरक्षित किए उसका सर्वे समय-समय पर लिया है। हमे सिखाया जाता है कि हम 2 दुनिया के बीच में पहरा देते है और उनके बीच में शांति रहे ये देखना हमारा काम है। भटको को मारने कि तैयारी में हम सबको सबसे पहले शिकारी बनना पड़ता है।"

"कोई भटका वुल्फ पैक इंसानों का शिकार करे तो हम उस वुल्फ पैक को मार देते हैं। उसके टीन वुल्फ को किसी पैक के साथ जोड़कर उन्हें संरक्षित करते है और कहते है उन्हें प्रशिक्षित करने। लेकिन क्या कभी जाकर देखा है कि वहां उन वुल्फ के बीच क्या चल रहा है। सरदार खान जैसे वुल्फ बाहर से आए अल्फा और उसके पैक का शिकार कर लेते है और फिर अपनी शक्तियां बढाते है।"

"मैंने जबसे अपना कार्य भार संभाला है तब से समुदाय के इस अनदेखी पर बहुत गौर किया और मैंने बहुत गड़बड़ी पाई। मेरे ही कहने पर आर्य वहां उनके बीच गया। कमाल के परिणाम सामने आये। उसने पहली दोस्ती एक लड़की के साथ की जिसका नाम रूही है। उसकी मां को अल्फा हिलर कहा जाता था। उसने ना जाने कितने इंसान और जानवर को हिल किया था अपने जीवन काल में। वैसे अल्फा को हमने वहां बसाया और सरदार खान ने अपनी शक्ति बढ़ा ली।"

"18 वुल्फ अल्फा पिछले 50 साल में उस क्षेत्र में गए तत्काल सर्वे से पता चला, उसके पीछे की बात जाने दीजिए। अभी वहां कितने अल्फा बचे हैं किसी ने पाया किया? किसी को पता हो की नही लेकिन वहां अब केवल 5 अल्फा बचे हैं। आर्य ने पैक नही बनाया था, बल्कि एक अल्फा हिलर की बेटी रूही से दोस्ती हुई। रूही जो कई वेयरवोल्फ पैक के साथ रहती थी। जिसे सबने नोचा लेकिन किसी ने अपने पैक में कोई दर्जा नहीं दिया, ऐसे वुल्फ की दोस्ती हुई थी। दूसरी लड़की अलबेली है। जो बल्य्य अवस्था से किशोर अवस्था में कदम ही रखी थी, उसे 18 वुल्फ के पैक ने बलात्कार करने की कोशिश किया। आर्य उनके साथ भावनात्मक तरीके से जुड़ा। अपने इंसान होने का परिचय दिया। रूही और अलबेली ने इसे पैक का नाम दिए जिस से आर्य को कोई ऐतराज नहीं था। है तो वो बहादुर इसमें कोई २ राय नहीं। सिना तानकर आर्यमणि, सरदार खान के चौपाल में गया, अपने पैक के अस्तित्व को वहां रखा और दोषी को चैलेंज किया।"

"आर्य के उकसवे में जब सरदार खान ने शेप शिफ्ट किया तब पता चला कि हम एक बीस्ट वुल्फ पाल रहे है जिसकी चमरी लगभग 1 फिट मोटे हीरे की दीवार है, किस हथियार से भेदकर उसे प्रहरी समुदाय मारेगा पहले इस बात का जवाब ढूंढकर लाए कोई। जिसे यकीन नहीं मेरे बातो पर वो जाकर सरदार खान का शेप शिफ्ट करवाए और जाकर हथियार आजमाकर आए पहले। जो एक प्रहरी का कर्तव्य है वो आर्य कर रहा है।"

"सबसे आखरी में, जबसे मुझे प्रभार मिला है मै अंदर के अनदेखी और लोगो के करप्ट होने की बू सी नजर आने लगी हैं। मै उन सदस्यों कि सदस्यता, जांच पूरी होने तक खारिज करती हूं जिन्होंने आर्य के ऊपर मीटिंग बुलाई है। क्योंकि ऐसा लगता है सरदार खान से केवल एक पक्षीय जानकारी जुटाई गई है और आर्य से नहीं पूछा गया जबकि मामला दो पक्षों का था। कामकाज की अनदेखी, उत्तरदायित्व की अनदेखी और अनैतिक संरक्षण पर भी स्टे लगेगा।"

"सरदार खान एक खतरा है जिसे और अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए उच्च सदस्य जल्दी से निर्णय करे कि सरदार खान का क्या करना है? जांच तक बर्खास्त हुए सदस्यों कि सूची आम की जाएगी, ताकि उच्च सदस्यों को उनके कर्तव्य का पता हो। यह प्रहरी समूह काम करने के लिए है, ना की प्रहरी के काम को अनदेखा करके आर्थिक लाभ कमाना। इसलिए धन की इस होड़ को देखते हुए सदस्यों के बीच समानता प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, और सबकुछ रीसेट करके धन को बराबर बांटा जाए। धन के विषय में कही गयी बातें मात्र एक प्रस्ताव है, जिसपर विचार होंगे। उसके अलावा कही गई मेरी जितनी भी बातें है वो मेरा कार्य क्षेत्र के अधीन है। मैंने पूरा फैसला पूर्ण आकलन और सबूतों को देखने के बाद पेश किए है, इसलिए किसी भी उच्च सदस्य बीच ये चर्चा और विचार का विषय नहीं बनेगा। धन्यवाद।


देवगिरी पाठक:- बातो में संतुलन, काम काज में अग्नि, दिल जीत लिया पलक ने। खारिज सदस्य कुछ इस प्रकार है…


तकरीबन 22 नाम लिए गए जिन्होंने इस मीटिंग का मुद्दा रखा था जिसमें 2 प्रमुख नाम हंस शुक्ल और और रवि महाजन था। धन के समानता के विषय में देवगिरी पाठक ने निजी राय के बाद एक और मीटिंग का प्रस्ताव रखा जो दिसंबर में होना था। इसी के साथ देवगिरी ने अपनी बात समाप्त की।


सुकेश:- "शायद अब लोगो को उज्जवल के फैसले पर यकीन हो गया होगा की उसने पलक में अपनी बेटी नहीं बल्कि एक योग्य प्रहरी को देखा है। देवगिरी का दिल जीत लिया मेरा दिल जीत लिया। मीटिंग जब आम होगी तो ऐसा लगता है आम सदस्यों का दिल भी जीत ही लेगी। एक योग्य सदस्य ने एक योग्य सदस्य को आगे बढ़ाया, फिर भी उसपर वंशवाद का इल्ज़ाम लगा।"

"उस योग्य सदस्य उज्जवल से ये सभा माफी मांगती है। जांच के बाद यदि रवि महाजन और हंस शुक्ल दोषी ना भी हुए तो भी अगले 10 साल तक उन्हें आम सदस्य घोषित किया जाता है। यही उसकी सजा है। इसी के साथ मै हंस का कार्यभार पलक को देता हूं जो कि आज से विशिष्ठ जीव सखा के अध्यक्ष के साथ-साथ योग्य सदस्य को तरक्की देकर उनके सही साखा तथा उन्हें उच्च सदस्य की श्रेणी में लाए।"

"देवगिरी के ऊपर अतरिक्त प्रभार रहेगा उच्च सदस्य मेंबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर पद के लियेप जबतक वो योग्य सदस्य नहीं ढूंढ़ लेते।"


देवगिरी:- दादा ये एक्स्ट्रा प्रभार ना डालो मै मनोनीत सदस्य में से आरती मुले को इसका भार शौपता हूं, जो अक्सर यहां चुप ही रहती है। कम से कम इसी बहाने बोलेगी भी।


आरती:- "धन्यवाद बाबा, आज की मीटिंग वाकई कमाल की थी। मैं 8 उच्च सदस्य मीटिंग आटेंड की हूं, लेकिन काम के प्रति पलक का जज्बा बिल्कुल अलग ही लेवल का है। मैंने यहां धीरेन स्वामी को देखा है, जो किसी निजी कारणवश प्रहरी समुदाय छोड़ गए। फिर मैंने भूमि को देखा, मुझे लगता था ये दोनो कमाल के है। आम सदस्यों के बीच तक तो ठीक है लेकिन उच्च सदस्य में वही पुराने साखा अध्यक्ष और वही अपने-अपने इलाके को मजबूत करना। ना तो काम करने के लिए कुछ था और ना ही अगली मीटिंग जल्दी हो उसका कोई मुद्दा।"

"एक छोटा से साखा के अध्यक्ष पद का भार एक नई युवा को मिला और हमारे पुराने काम में इतनी अनदेखी मिली। अनुभव के साथ जोश भी चाहिए ये बात पलक ने साबित कर दी है। इसलिए मै उच्च सदस्य की मेंबर कॉर्डिनेटर होने के नाते पलक से ये अनुरोध करूंगी की ज्यादा से ज्यादा जोशीले सदस्य को उच्च सदस्यता दे, ताकि हर साखा मे उनके जैसे जोशीले सदस्य हों। इसी के साथ मै अपनी बात समाप्त करती हूं।"


कुछ ही देर में पूरी सभा समाप्त हो गई। हाई टेबल की हाई बैठक में आज तो पलक ने सबकी बोलती बंद कर दी। इतने बड़े फैसले उसने इतने आसानी से सुना दिए जिसका अंदाज़ा तो भारद्वाज परिवार में भी किसी को नहीं था।
Nishant ne kya bola hai arya ke bare me uske baad to logo ne bolna ho band kr diya Vahi palak ko aisa Bolta padh kr meri jo meri sanse chadhi hai Nainu bhai puchho mt, Maine apne Aapko palak ke samvado me 3 baar pause mara, ek baar to aisa laga jaise dam bhar gyi ho or sans turant lene ki nitant avasyakta Ho... Pura update Jise pichhle 3 update se intjar tha dhamakedar tha bhaaya mujhe padh kr Bahut hi jyada excitement hui... Maza aaya padh kr, superb update bhai jabarjast sandar lajvab mind freshing tha...
 

arish8299

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भाग:–35






प्रहरी की इमरजेंसी मीटिंग…


सुबह-सुबह ही हर कोई मीटिंग एरिया में पहुंच चुका था। पिछली मीटिंग की तरह ही इस मीटिंग में भी दिग्गज पहुंचे हुए थे। तकरीबन 40 उच्च सदस्य और 20 रिटायर्ड सदस्य के साथ कुल 120 लोग पहुंचे हुए थे। 40 उच्च सदस्यों में से 30 उच्च सदस्य 3 मजबूत परिवारों से थे, पाठक, शुक्ल और महाजन। तत्काल समय में प्रहरी के रीढ़ की हड्डी और आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे सुदृढ़।


पिछली मीटिंग में इन्होंने ही पलक की रीछ स्त्री की कहानी को बेबुनियाद बताया था, हां लेकिन उसकी खोज को पूर्ण रूप से सराहा भी था। उच्च सदस्यों कि अध्यक्षता देवगिरी पाठक किया करते थे, जिन्हें भाऊ के नाम से सभी संबोधित करते थे। इनका प्रमुख काम राजनीतिक पार्टियों को फाइनेंस करना तथा अरबों के टेंडर को उसके बदले में अपने नाम करवाना।


आज का मीटिंग कॉर्डिनेटर भाऊ के मित्र अप्पा शुक्ल के बेटे हंस शुक्ल था जो भाव का दामाद और इस संगठन का सबसे स्वार्थी व्यक्ति कहा जाता था। भूमि और इसकी आपसी मतभेद के किस्से पूरे संगठन में प्रचलित थे, जहां हंस स्थाई और अस्थाई सदस्यों के बीच भूमि की बढ़ती लोकप्रियता से काफी जला भूना सा रहता था।


मीटिंग की शुरवात करते हुए…. "हमारे गढ़ नागपुर इकाई को हम कमजोर होते देख रहे है। ऐसा लग रहा है एक गौरवशाली इतिहास का अंत हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज इस खंड के स्वांस नली है जिसके बिना खंड अधूरा है। लेकिन उनके जाने के बाद हमे अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि तेजस भारद्वाज ने वो उत्तरदायित्व नहीं निभाया जो उन्हें निभाना चाहिए। मै तेजस से इस विषय में विचार रखने के लिए कहूंगा।"..


तेजस:- आप सबका धन्यवाद लेकिन मुझे जब विषय कि जानकारी ही नहीं होगी तो मै किस विषय में बात करूंगा मुझे समझ में नहीं आ रहा। जिस प्रकार से हंस शुक्ल ने अपनी बात रखी है, ऐसे में मुंबई इकाई, नाशिक इकाई और उन इकाइयों में पड़ने वाले जितने भी डिविजनल इकाई है इनपर सवाल उठा सकता हूं। ये प्रहरी का गढ़ है जिसे ना तो छल से और ना ही बल से कमजोर किया जा सकता है। उच्च सदस्य के मेंबर कॉर्निनेटर की ये पहली भुल समझकर मै माफ़ करता हूं, आइंदा अपने कहे शब्दो पर पहले 2 बार विचार करे फिर अपनी बात रखें।

उच्च सदस्य के अध्यक्ष देवगिरी पाठक… "तेजस लगता है वैदेही से झगड़ा करके आया है, इसलिए हंस की बातों से चिढ़ गया, और हंस अगली बार बोलने से पहले अपने कहे शब्दों पर वाकई तुम्हे विचार करना चाहिए। पहली बात तो ये की हम अंग्रजी कल्चर नहीं फॉलो करते इसलिए हम एक दूसरे को इज्जत देने के लिए सर नहीं बल्कि काका, दादा, भाऊ कहते है। तुम अपनी बात रखो की नागपुर इकाई तुम्हारे हिसाब से कमजोर क्यों लग रहा है और मीटिंग की बातें सुनो। और ये भूमि किधर गई। आह वो रही मेरी बच्ची। अरे कॉर्डिनेशन वाला पुरा जिम्मा इसे ही दिया करो। ये जब बोलती है तो लगता है हां बोल रही है। सुकेश दादा आपने अपने जीवन काल में ऐसा मीटिंग और मेंबर कॉर्डिनेटर देखा था क्या कभी?"


सुकेश:- एक जाता है दूसरा आता है। और मुझे ऐसा क्यों लगता है भूमि ने जिस हिसाब का अपना सब ऑर्डिनेट लेकर आयी है वो भूमि से भी ज्यादा बेहतर होगा। मै चाहूंगा देव तुम राजदीप को कहो आज कि मीटिंग कॉर्डिनेटर करने।


देवगिरी:- दादा ने कह दिया समझो हो गया। राजदीप आजा भाई लेले मीटिंग..


राजदीप:- अब क्या ही बताऊं... मेमेबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर की पोस्ट को भूमि दीदी इस ऊंचाई पर ले गई की मुझे लगता है मै खड़ा ना उतरा तो मुझे उसी ऊंचाई से कूदकर जान देनी होगी। खैर मै हंस दादा से कहूंगा, अपनी बात को थोड़ा पुष्टि करते हुए बताए की उनकी बात का आधार क्या है?



हंस अपनी फजीहत देखकर उठा नहीं, उसके बदले महाजन परिवार का सदस्य रवि महाजन खड़ा होकर कहने लगा… "एक 20 साल की लड़की को बिना किसी बैठक के उच्च सदस्य बना देना ये एक गैर जिम्मेदाराना कदम था। उज्जवल काका ने वो किया यहां तक कि इस बात की खबर सुकेश काका को भी नहीं थी। जबकि दोनो एक ही शहर में थे। विष मोक्ष श्राप से किसी को भी बंधा जा सकता है लेकिन पलक भारद्वाज ने ऐसी प्रजाति का उदय करवा दिया जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं।"

"भूमि बहिनी का उस चहेते भाई का किस्सा भी हमने सुना था जो गंगटोक में एक वेयरवुल्फ के मोह में था। पहले उसका घर से भाग जाने। बाद में भूमि बहीन अपने सबसे बेस्ट शिकारी को लेकर 75 दिनों तक विदेश कि खाक छान रही थी। उस लड़के आर्यमणि ने 2 वुल्फ बीटा के पाऊं तोड़ दिए और उसका वीडियो हमारे सदस्यों को दिखाया जा रहा है। इससे कई ज्यादा हैरतअंगेज कारनामे हमारे शिकारी कर चुके है जिसकी लिस्ट लंबी है सुनाने लगुं तो रात हो जाएगी।"

"एक प्रतिबंधित परिवार के बच्चे को अपने पास रखी। मै रिश्ते और रिश्तेदारों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन पहले अपने ओहदे को देखना था। भूमि एक आइकन है। हमारा लगभग जितने भी अस्थाई सदस्य है और नए बन रहे स्थाई सदस्य, सब भूमि को फॉलो करते हैं। उसे इस बात का ख्याल होना चाहिए था। उच्च सदस्यों के कार्यकारणी में कई आम सदस्यों के ख़त पहुंच रहे है कि आखिर वर्धमान कुलकर्णी को इतनी बड़ी सजा क्यों हुई?"

"सदस्य मांग कर रहे है उच्च सदस्य माफी मांगे और जाकर उसके पोते को इस सभा में लेकर आए, जबकि इसमें कोई दो राय नहीं कि वो भी अपने दादा की तरह उतना की खतरनाक है। एक चिंता का विषय क्योंकि उसने भी वही किया। वुल्फ के साथ दोस्ती, उसके साथ पैक बनाना, शायद दादा से एक कदम आगे है। इतना होने के बावजूद भी हमारे उच्च सदस्य उस लड़के से रिश्तेदारी निभा रहे है और ऐसे भटके लड़के से हमारे के उच्च सदस्य का लगन भी करवा रहे। नागपुर इकाई में कोई कुछ कहने वाला नहीं है क्या, या फिर वैधायन वंसज ने कुछ विटो जैसा पॉवर अपने पास रखा है, जो यूनिट नेशनल काउंसिल में होता है।"


राजदीप:- काफी तैयारी से आए है रवि भाऊ। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि इस इकाई में हमने सारा कार्यभार भूमि दीदी और तेजस दादा को दे रखा है। नाह जवाब के लिए मै भूमि दीदी को नहीं बुलाने वाला बल्कि पलक को बुलाना चाहूंगा। हमारे बीच की सबसे कम उम्र की उच्च सदस्य।


पलक:- काफी सारी बातें और काफी सारे सवाल और हर सवाल का मुख्य केंद्र जैसे भारद्वाज परिवार ही हो। खैर मै इसपर भी आऊंगी जब मै अपनी पूरी बात रखूंगी। पहले तो मै एक बात बताना चाहूंगी आर्य का लगन मेरे घरवालों ने करवाया। मेरा पूरा खानदान वहां बैठा था। उससे पहले मै आर्य को कॉलेज से जानती थी लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से हमारी कभी 2 लाइन से ज्यादा बात नहीं हुई। वो भी 2 लाइन की बात मेरे मौसेरे भाई बहन चित्रा और निशांत के कारण हो जाती थी। अब प्वाइंट पर आती हूं। घरवालों ने लड़का दिखाया और मैंने हां कहा। उसके बाद भी मै मुश्किल से 1 घंटे के लिए उससे मिली होऊंगी। लेकिन जबसे, "वो मेरा है" इस ख्याल से उसे मैंने जितना जाना है उसके बाद मै भरी सभा में कहती हूं अब ये रिश्ता मेरे घरवाले ही क्यों ना तोड़ दे, मै अपना लगन उसी से करूंगी फिर चाहे जो हो जाए। मेरे दिल ने उसे स्वीकार लिया है। रही बात उसके खतरनाक होने की तो इसपर मै अपने सहायक को बुलाना चाहूंगी.. शायद उसकी बातों से आपको अंदाजा हो की वो कितना ख़तरनाक है। मैं निशांत को यहां बुलाना चाहूंगी जो आर्य के विषय में कुछ घटनाएं बताए...


निशांत:- यहां किसके कलेजे में दम था जो 9th क्लास में पढ़ते हुए, शेर और उसके शिकार के बीच में खड़ा हो जाए। इतना खतरनाक है वो। यहां किसके कलेजे में दम है कि अपने दोस्त के भरोसे वो 6000 फिट की गहरी खाई में कूद जाए, जबकि उसे भी पता था कि रस्सी का दूसरा सिरा खुल जाएगा। दोस्त के भरोसे कूद गया और उसका दोस्त रस्सी का दूसरा सिरा जल्दी-जल्दी में बांधना शुरू किया हो। यहां किसके कलेजे में इतना दम है कि 300-400 किलो के वजन वाला अजगर ऐसी पेड़ की साखा पर हो जिसके नीचे हजार फिट की खाई हो, फिर भी आप रस्सी छोड़कर उस पेड़ के साखा पर चढ़ रहे। जबकि कुछ भी गड़बड़ हुई तो आप सीधा हजार फुट ऐसी खाई में गिरेंगे, जहां यदि किसी चमत्कार से बच भी गए तो जंगली जानवरो का शिकार हो जाएंगे। और विश्वास मानिए हिमालय के जंगलों में आपको वेयरवुल्फ से भी खतरनाक हालातों का सामना हो जायेगा। आर्यमणि आपके सोच से कहीं ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उसने केवल जान बचना ही सीखा है। विषम से विषम परिस्थिति में भी उसने ना तो किसी जानवर की जान ली और ना ही किसी इंसान की जान जाने दी, वो इतना खतरनाक है। आपसे ज्यादा खतरनाक तो होगा ही क्योंकि शायद उसे उन वुल्फ में जानवर नहीं इंसान नजर आना शुरू हो गया होगा और वो उसकी जान बचाने के लिए चल दिया होगा। उसकी डिक्शनरी में अच्छा या बुरा जैसा कोई शब्द नहीं होता। वो बस एक ही बात दिमाग में लिए रहता है, किसी भी कानून के मुताबिक वो गलत नहीं कर रहा फिर अपनी मर्जी का वो जो करे, किसी के बाप के जिगरा में उतनी ताकत नहीं की उसे रोक ले। और कोई रोक कर तो दिखाए क्या वो रुक जाएगा। यदि ज्यादा बोल गया हूं तो माफ कीजिएगा, लेकिन जिसने भी उसे खतरनाक माना है, वो बहुत ही धूर्त इंसान होगा, जिसे किसी को अच्छाई नहीं दिख रही, बस किसी तरह किसी भी मुद्दे को पकड़ कर भारद्वाज खानदान को बदनाम कर दे, इसलिए बिना होम वर्क किए आ गए।


पलक:- "धन्यवाद निशांत। हमारे बीच का अस्थाई सदस्य है और थोड़ा भावुक भी, इसलिए कुछ ज्यादा बोल दिया हो तो मै माफी चाहती हूं। अब मै आती हूं सबसे पहले इस बात पर की विष मोक्ष श्राप में वो नई प्रजाति कौन थी।"

"मुझे सोच कर है हंसी आ रही है, क्योंकि जिन्हे आपने नहीं देखा क्या वो प्रजाति नहीं होती या फिर डर अभी से लग रहा की जिसके बारे में जानते नहीं उसे से लड़ेंगे कैसे, इसलिए मनगढ़ंत कहानी बता दो। रीछ इतिहास पढ़िए। वो मानव इतिहास के सबसे विकसित और ऊपर के दर्जे के कुल थे, सिद्ध पुरुष (साधुओं) के बाद।"

"उनके इतिहास में वर्णित है एक रीछ जब विकृत होता है तो अपने स्पर्श मात्र से वो शरीर में बहने वाले रक्त को कण में बदल देता है और अपने श्वांस द्वारा खींचकर उसकी ऊर्जा लेता है। ऐसे ही घटना के गवाह बने थे वहां के कुछ स्थानीय लोग। लेकिन आप अपनी बुद्धि की परिभाषा उस कुएं की मेंढ़क की तरह दे रहे है, जिसको लगता है वो समुद्र में तैर रहा और इससे बड़ी कोई दुनिया हो ही नहीं सकती। उच्च सदस्य बैठक करे या ना करे, मै अपने साखा की अध्यक्ष हूं और इस बात में कोई सच्चाई ना भी हुई की कोई रीछ स्त्री वहां के कैद से छूटी है, तो भी मै एक टीम का गठन करके उसका पता लगाने निकलूंगी। प्रहरी को करने के लिए रखा गया है ना कि ये कहकर पल्ला झाड़ लेने के लिए की केवल वेयरवुल्फ ही यहां के सुपरनेचुरल है।"

"इसी के साथ मै विशिष्ठ सखा की अध्यक्ष पलक भारद्वाज, ये भी पारित करती हूं कि हर इकाई में बसे सुपरनेचुरल की जांच उसके शेप शिफ्ट करवाकर की जाए। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने अहम में कुछ भुल कर गए। जिसे हम शांति मानकर चल रहे है वो इस पृथ्वी पर मातम के काले बादल लेकर चले आए।"

"मैं ऐसा क्यों कह रही हूं उसकी सम्पूर्ण वजह बताती हूं। हमारे नागपुर इकाई में एक फर्स्ट अल्फा है सरदार खान। वो सरदार खान पिछले कितने सालों से हमारे संरक्षण में है, किसी को याद भी नहीं शायद। ना तो उसके उम्र का लेखा है और ना ही उस क्षेत्र में कितने वुल्फ पैक हमने संरक्षित किए उसका सर्वे समय-समय पर लिया है। हमे सिखाया जाता है कि हम 2 दुनिया के बीच में पहरा देते है और उनके बीच में शांति रहे ये देखना हमारा काम है। भटको को मारने कि तैयारी में हम सबको सबसे पहले शिकारी बनना पड़ता है।"

"कोई भटका वुल्फ पैक इंसानों का शिकार करे तो हम उस वुल्फ पैक को मार देते हैं। उसके टीन वुल्फ को किसी पैक के साथ जोड़कर उन्हें संरक्षित करते है और कहते है उन्हें प्रशिक्षित करने। लेकिन क्या कभी जाकर देखा है कि वहां उन वुल्फ के बीच क्या चल रहा है। सरदार खान जैसे वुल्फ बाहर से आए अल्फा और उसके पैक का शिकार कर लेते है और फिर अपनी शक्तियां बढाते है।"

"मैंने जबसे अपना कार्य भार संभाला है तब से समुदाय के इस अनदेखी पर बहुत गौर किया और मैंने बहुत गड़बड़ी पाई। मेरे ही कहने पर आर्य वहां उनके बीच गया। कमाल के परिणाम सामने आये। उसने पहली दोस्ती एक लड़की के साथ की जिसका नाम रूही है। उसकी मां को अल्फा हिलर कहा जाता था। उसने ना जाने कितने इंसान और जानवर को हिल किया था अपने जीवन काल में। वैसे अल्फा को हमने वहां बसाया और सरदार खान ने अपनी शक्ति बढ़ा ली।"

"18 वुल्फ अल्फा पिछले 50 साल में उस क्षेत्र में गए तत्काल सर्वे से पता चला, उसके पीछे की बात जाने दीजिए। अभी वहां कितने अल्फा बचे हैं किसी ने पाया किया? किसी को पता हो की नही लेकिन वहां अब केवल 5 अल्फा बचे हैं। आर्य ने पैक नही बनाया था, बल्कि एक अल्फा हिलर की बेटी रूही से दोस्ती हुई। रूही जो कई वेयरवोल्फ पैक के साथ रहती थी। जिसे सबने नोचा लेकिन किसी ने अपने पैक में कोई दर्जा नहीं दिया, ऐसे वुल्फ की दोस्ती हुई थी। दूसरी लड़की अलबेली है। जो बल्य्य अवस्था से किशोर अवस्था में कदम ही रखी थी, उसे 18 वुल्फ के पैक ने बलात्कार करने की कोशिश किया। आर्य उनके साथ भावनात्मक तरीके से जुड़ा। अपने इंसान होने का परिचय दिया। रूही और अलबेली ने इसे पैक का नाम दिए जिस से आर्य को कोई ऐतराज नहीं था। है तो वो बहादुर इसमें कोई २ राय नहीं। सिना तानकर आर्यमणि, सरदार खान के चौपाल में गया, अपने पैक के अस्तित्व को वहां रखा और दोषी को चैलेंज किया।"

"आर्य के उकसवे में जब सरदार खान ने शेप शिफ्ट किया तब पता चला कि हम एक बीस्ट वुल्फ पाल रहे है जिसकी चमरी लगभग 1 फिट मोटे हीरे की दीवार है, किस हथियार से भेदकर उसे प्रहरी समुदाय मारेगा पहले इस बात का जवाब ढूंढकर लाए कोई। जिसे यकीन नहीं मेरे बातो पर वो जाकर सरदार खान का शेप शिफ्ट करवाए और जाकर हथियार आजमाकर आए पहले। जो एक प्रहरी का कर्तव्य है वो आर्य कर रहा है।"

"सबसे आखरी में, जबसे मुझे प्रभार मिला है मै अंदर के अनदेखी और लोगो के करप्ट होने की बू सी नजर आने लगी हैं। मै उन सदस्यों कि सदस्यता, जांच पूरी होने तक खारिज करती हूं जिन्होंने आर्य के ऊपर मीटिंग बुलाई है। क्योंकि ऐसा लगता है सरदार खान से केवल एक पक्षीय जानकारी जुटाई गई है और आर्य से नहीं पूछा गया जबकि मामला दो पक्षों का था। कामकाज की अनदेखी, उत्तरदायित्व की अनदेखी और अनैतिक संरक्षण पर भी स्टे लगेगा।"

"सरदार खान एक खतरा है जिसे और अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए उच्च सदस्य जल्दी से निर्णय करे कि सरदार खान का क्या करना है? जांच तक बर्खास्त हुए सदस्यों कि सूची आम की जाएगी, ताकि उच्च सदस्यों को उनके कर्तव्य का पता हो। यह प्रहरी समूह काम करने के लिए है, ना की प्रहरी के काम को अनदेखा करके आर्थिक लाभ कमाना। इसलिए धन की इस होड़ को देखते हुए सदस्यों के बीच समानता प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, और सबकुछ रीसेट करके धन को बराबर बांटा जाए। धन के विषय में कही गयी बातें मात्र एक प्रस्ताव है, जिसपर विचार होंगे। उसके अलावा कही गई मेरी जितनी भी बातें है वो मेरा कार्य क्षेत्र के अधीन है। मैंने पूरा फैसला पूर्ण आकलन और सबूतों को देखने के बाद पेश किए है, इसलिए किसी भी उच्च सदस्य बीच ये चर्चा और विचार का विषय नहीं बनेगा। धन्यवाद।


देवगिरी पाठक:- बातो में संतुलन, काम काज में अग्नि, दिल जीत लिया पलक ने। खारिज सदस्य कुछ इस प्रकार है…


तकरीबन 22 नाम लिए गए जिन्होंने इस मीटिंग का मुद्दा रखा था जिसमें 2 प्रमुख नाम हंस शुक्ल और और रवि महाजन था। धन के समानता के विषय में देवगिरी पाठक ने निजी राय के बाद एक और मीटिंग का प्रस्ताव रखा जो दिसंबर में होना था। इसी के साथ देवगिरी ने अपनी बात समाप्त की।


सुकेश:- "शायद अब लोगो को उज्जवल के फैसले पर यकीन हो गया होगा की उसने पलक में अपनी बेटी नहीं बल्कि एक योग्य प्रहरी को देखा है। देवगिरी का दिल जीत लिया मेरा दिल जीत लिया। मीटिंग जब आम होगी तो ऐसा लगता है आम सदस्यों का दिल भी जीत ही लेगी। एक योग्य सदस्य ने एक योग्य सदस्य को आगे बढ़ाया, फिर भी उसपर वंशवाद का इल्ज़ाम लगा।"

"उस योग्य सदस्य उज्जवल से ये सभा माफी मांगती है। जांच के बाद यदि रवि महाजन और हंस शुक्ल दोषी ना भी हुए तो भी अगले 10 साल तक उन्हें आम सदस्य घोषित किया जाता है। यही उसकी सजा है। इसी के साथ मै हंस का कार्यभार पलक को देता हूं जो कि आज से विशिष्ठ जीव सखा के अध्यक्ष के साथ-साथ योग्य सदस्य को तरक्की देकर उनके सही साखा तथा उन्हें उच्च सदस्य की श्रेणी में लाए।"

"देवगिरी के ऊपर अतरिक्त प्रभार रहेगा उच्च सदस्य मेंबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर पद के लियेप जबतक वो योग्य सदस्य नहीं ढूंढ़ लेते।"


देवगिरी:- दादा ये एक्स्ट्रा प्रभार ना डालो मै मनोनीत सदस्य में से आरती मुले को इसका भार शौपता हूं, जो अक्सर यहां चुप ही रहती है। कम से कम इसी बहाने बोलेगी भी।


आरती:- "धन्यवाद बाबा, आज की मीटिंग वाकई कमाल की थी। मैं 8 उच्च सदस्य मीटिंग आटेंड की हूं, लेकिन काम के प्रति पलक का जज्बा बिल्कुल अलग ही लेवल का है। मैंने यहां धीरेन स्वामी को देखा है, जो किसी निजी कारणवश प्रहरी समुदाय छोड़ गए। फिर मैंने भूमि को देखा, मुझे लगता था ये दोनो कमाल के है। आम सदस्यों के बीच तक तो ठीक है लेकिन उच्च सदस्य में वही पुराने साखा अध्यक्ष और वही अपने-अपने इलाके को मजबूत करना। ना तो काम करने के लिए कुछ था और ना ही अगली मीटिंग जल्दी हो उसका कोई मुद्दा।"

"एक छोटा से साखा के अध्यक्ष पद का भार एक नई युवा को मिला और हमारे पुराने काम में इतनी अनदेखी मिली। अनुभव के साथ जोश भी चाहिए ये बात पलक ने साबित कर दी है। इसलिए मै उच्च सदस्य की मेंबर कॉर्डिनेटर होने के नाते पलक से ये अनुरोध करूंगी की ज्यादा से ज्यादा जोशीले सदस्य को उच्च सदस्यता दे, ताकि हर साखा मे उनके जैसे जोशीले सदस्य हों। इसी के साथ मै अपनी बात समाप्त करती हूं।"


कुछ ही देर में पूरी सभा समाप्त हो गई। हाई टेबल की हाई बैठक में आज तो पलक ने सबकी बोलती बंद कर दी। इतने बड़े फैसले उसने इतने आसानी से सुना दिए जिसका अंदाज़ा तो भारद्वाज परिवार में भी किसी को नहीं था।
Palak ne to kamal kar diya
Aryamani ke khilaf bolne wale ko acchi saja di hai
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Palak ka paise ke batware ki baat karna ,ye dikha rha hai ki prahari samaj me jiske pass Paisa hai unka hi rutaba hai Baki imandari se kaam Karne wale bas ek gadha majdoor banakar rah Gaye hai...
Kyo Xabhi , The king Kala Nag
Jo paise vale hote hai vo hi to raaj kr rhe hai har jagah, or log unke hi under kaam karte hai Ya ye Kahe ki jo log kaam karte hai unhe paise vale hi control karte hai fir vo real life me ho ya reel life me ya writer life me...
 
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Bhumi ke reactions aage najar aa jayenge... Ab to mamla aamne samne ka aa gaya... Dekhiye kahan se kitna dhuwan aur kitni aag uthi hai... Arti mule, devgiri pathak ki beti hai... Shadi ke baad surname badal gaya simple to hai... Kaahan itna rocket science laga diye :D...
Aarti Mule Aarti Pathak hai.. kaise biswas hoga logon ko.... Khali Baba kahne se thodi na koi baap ho jata hai ! :dazed:
Wo sab chodiye.. pahla ye bataiye ki Chitra ka ye pahla sexual incounter tha ya experience holder thi pahle se hi ? :sex:
Aaj ka update kal padhunga waise kyonki reason aap jante hi hai.:D
 
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