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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

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भाग:–35






प्रहरी की इमरजेंसी मीटिंग…


सुबह-सुबह ही हर कोई मीटिंग एरिया में पहुंच चुका था। पिछली मीटिंग की तरह ही इस मीटिंग में भी दिग्गज पहुंचे हुए थे। तकरीबन 40 उच्च सदस्य और 20 रिटायर्ड सदस्य के साथ कुल 120 लोग पहुंचे हुए थे। 40 उच्च सदस्यों में से 30 उच्च सदस्य 3 मजबूत परिवारों से थे, पाठक, शुक्ल और महाजन। तत्काल समय में प्रहरी के रीढ़ की हड्डी और आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे सुदृढ़।


पिछली मीटिंग में इन्होंने ही पलक की रीछ स्त्री की कहानी को बेबुनियाद बताया था, हां लेकिन उसकी खोज को पूर्ण रूप से सराहा भी था। उच्च सदस्यों कि अध्यक्षता देवगिरी पाठक किया करते थे, जिन्हें भाऊ के नाम से सभी संबोधित करते थे। इनका प्रमुख काम राजनीतिक पार्टियों को फाइनेंस करना तथा अरबों के टेंडर को उसके बदले में अपने नाम करवाना।


आज का मीटिंग कॉर्डिनेटर भाऊ के मित्र अप्पा शुक्ल के बेटे हंस शुक्ल था जो भाव का दामाद और इस संगठन का सबसे स्वार्थी व्यक्ति कहा जाता था। भूमि और इसकी आपसी मतभेद के किस्से पूरे संगठन में प्रचलित थे, जहां हंस स्थाई और अस्थाई सदस्यों के बीच भूमि की बढ़ती लोकप्रियता से काफी जला भूना सा रहता था।


मीटिंग की शुरवात करते हुए…. "हमारे गढ़ नागपुर इकाई को हम कमजोर होते देख रहे है। ऐसा लग रहा है एक गौरवशाली इतिहास का अंत हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज इस खंड के स्वांस नली है जिसके बिना खंड अधूरा है। लेकिन उनके जाने के बाद हमे अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि तेजस भारद्वाज ने वो उत्तरदायित्व नहीं निभाया जो उन्हें निभाना चाहिए। मै तेजस से इस विषय में विचार रखने के लिए कहूंगा।"..


तेजस:- आप सबका धन्यवाद लेकिन मुझे जब विषय कि जानकारी ही नहीं होगी तो मै किस विषय में बात करूंगा मुझे समझ में नहीं आ रहा। जिस प्रकार से हंस शुक्ल ने अपनी बात रखी है, ऐसे में मुंबई इकाई, नाशिक इकाई और उन इकाइयों में पड़ने वाले जितने भी डिविजनल इकाई है इनपर सवाल उठा सकता हूं। ये प्रहरी का गढ़ है जिसे ना तो छल से और ना ही बल से कमजोर किया जा सकता है। उच्च सदस्य के मेंबर कॉर्निनेटर की ये पहली भुल समझकर मै माफ़ करता हूं, आइंदा अपने कहे शब्दो पर पहले 2 बार विचार करे फिर अपनी बात रखें।

उच्च सदस्य के अध्यक्ष देवगिरी पाठक… "तेजस लगता है वैदेही से झगड़ा करके आया है, इसलिए हंस की बातों से चिढ़ गया, और हंस अगली बार बोलने से पहले अपने कहे शब्दों पर वाकई तुम्हे विचार करना चाहिए। पहली बात तो ये की हम अंग्रजी कल्चर नहीं फॉलो करते इसलिए हम एक दूसरे को इज्जत देने के लिए सर नहीं बल्कि काका, दादा, भाऊ कहते है। तुम अपनी बात रखो की नागपुर इकाई तुम्हारे हिसाब से कमजोर क्यों लग रहा है और मीटिंग की बातें सुनो। और ये भूमि किधर गई। आह वो रही मेरी बच्ची। अरे कॉर्डिनेशन वाला पुरा जिम्मा इसे ही दिया करो। ये जब बोलती है तो लगता है हां बोल रही है। सुकेश दादा आपने अपने जीवन काल में ऐसा मीटिंग और मेंबर कॉर्डिनेटर देखा था क्या कभी?"


सुकेश:- एक जाता है दूसरा आता है। और मुझे ऐसा क्यों लगता है भूमि ने जिस हिसाब का अपना सब ऑर्डिनेट लेकर आयी है वो भूमि से भी ज्यादा बेहतर होगा। मै चाहूंगा देव तुम राजदीप को कहो आज कि मीटिंग कॉर्डिनेटर करने।


देवगिरी:- दादा ने कह दिया समझो हो गया। राजदीप आजा भाई लेले मीटिंग..


राजदीप:- अब क्या ही बताऊं... मेमेबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर की पोस्ट को भूमि दीदी इस ऊंचाई पर ले गई की मुझे लगता है मै खड़ा ना उतरा तो मुझे उसी ऊंचाई से कूदकर जान देनी होगी। खैर मै हंस दादा से कहूंगा, अपनी बात को थोड़ा पुष्टि करते हुए बताए की उनकी बात का आधार क्या है?



हंस अपनी फजीहत देखकर उठा नहीं, उसके बदले महाजन परिवार का सदस्य रवि महाजन खड़ा होकर कहने लगा… "एक 20 साल की लड़की को बिना किसी बैठक के उच्च सदस्य बना देना ये एक गैर जिम्मेदाराना कदम था। उज्जवल काका ने वो किया यहां तक कि इस बात की खबर सुकेश काका को भी नहीं थी। जबकि दोनो एक ही शहर में थे। विष मोक्ष श्राप से किसी को भी बंधा जा सकता है लेकिन पलक भारद्वाज ने ऐसी प्रजाति का उदय करवा दिया जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं।"

"भूमि बहिनी का उस चहेते भाई का किस्सा भी हमने सुना था जो गंगटोक में एक वेयरवुल्फ के मोह में था। पहले उसका घर से भाग जाने। बाद में भूमि बहीन अपने सबसे बेस्ट शिकारी को लेकर 75 दिनों तक विदेश कि खाक छान रही थी। उस लड़के आर्यमणि ने 2 वुल्फ बीटा के पाऊं तोड़ दिए और उसका वीडियो हमारे सदस्यों को दिखाया जा रहा है। इससे कई ज्यादा हैरतअंगेज कारनामे हमारे शिकारी कर चुके है जिसकी लिस्ट लंबी है सुनाने लगुं तो रात हो जाएगी।"

"एक प्रतिबंधित परिवार के बच्चे को अपने पास रखी। मै रिश्ते और रिश्तेदारों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन पहले अपने ओहदे को देखना था। भूमि एक आइकन है। हमारा लगभग जितने भी अस्थाई सदस्य है और नए बन रहे स्थाई सदस्य, सब भूमि को फॉलो करते हैं। उसे इस बात का ख्याल होना चाहिए था। उच्च सदस्यों के कार्यकारणी में कई आम सदस्यों के ख़त पहुंच रहे है कि आखिर वर्धमान कुलकर्णी को इतनी बड़ी सजा क्यों हुई?"

"सदस्य मांग कर रहे है उच्च सदस्य माफी मांगे और जाकर उसके पोते को इस सभा में लेकर आए, जबकि इसमें कोई दो राय नहीं कि वो भी अपने दादा की तरह उतना की खतरनाक है। एक चिंता का विषय क्योंकि उसने भी वही किया। वुल्फ के साथ दोस्ती, उसके साथ पैक बनाना, शायद दादा से एक कदम आगे है। इतना होने के बावजूद भी हमारे उच्च सदस्य उस लड़के से रिश्तेदारी निभा रहे है और ऐसे भटके लड़के से हमारे के उच्च सदस्य का लगन भी करवा रहे। नागपुर इकाई में कोई कुछ कहने वाला नहीं है क्या, या फिर वैधायन वंसज ने कुछ विटो जैसा पॉवर अपने पास रखा है, जो यूनिट नेशनल काउंसिल में होता है।"


राजदीप:- काफी तैयारी से आए है रवि भाऊ। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि इस इकाई में हमने सारा कार्यभार भूमि दीदी और तेजस दादा को दे रखा है। नाह जवाब के लिए मै भूमि दीदी को नहीं बुलाने वाला बल्कि पलक को बुलाना चाहूंगा। हमारे बीच की सबसे कम उम्र की उच्च सदस्य।


पलक:- काफी सारी बातें और काफी सारे सवाल और हर सवाल का मुख्य केंद्र जैसे भारद्वाज परिवार ही हो। खैर मै इसपर भी आऊंगी जब मै अपनी पूरी बात रखूंगी। पहले तो मै एक बात बताना चाहूंगी आर्य का लगन मेरे घरवालों ने करवाया। मेरा पूरा खानदान वहां बैठा था। उससे पहले मै आर्य को कॉलेज से जानती थी लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से हमारी कभी 2 लाइन से ज्यादा बात नहीं हुई। वो भी 2 लाइन की बात मेरे मौसेरे भाई बहन चित्रा और निशांत के कारण हो जाती थी। अब प्वाइंट पर आती हूं। घरवालों ने लड़का दिखाया और मैंने हां कहा। उसके बाद भी मै मुश्किल से 1 घंटे के लिए उससे मिली होऊंगी। लेकिन जबसे, "वो मेरा है" इस ख्याल से उसे मैंने जितना जाना है उसके बाद मै भरी सभा में कहती हूं अब ये रिश्ता मेरे घरवाले ही क्यों ना तोड़ दे, मै अपना लगन उसी से करूंगी फिर चाहे जो हो जाए। मेरे दिल ने उसे स्वीकार लिया है। रही बात उसके खतरनाक होने की तो इसपर मै अपने सहायक को बुलाना चाहूंगी.. शायद उसकी बातों से आपको अंदाजा हो की वो कितना ख़तरनाक है। मैं निशांत को यहां बुलाना चाहूंगी जो आर्य के विषय में कुछ घटनाएं बताए...


निशांत:- यहां किसके कलेजे में दम था जो 9th क्लास में पढ़ते हुए, शेर और उसके शिकार के बीच में खड़ा हो जाए। इतना खतरनाक है वो। यहां किसके कलेजे में दम है कि अपने दोस्त के भरोसे वो 6000 फिट की गहरी खाई में कूद जाए, जबकि उसे भी पता था कि रस्सी का दूसरा सिरा खुल जाएगा। दोस्त के भरोसे कूद गया और उसका दोस्त रस्सी का दूसरा सिरा जल्दी-जल्दी में बांधना शुरू किया हो। यहां किसके कलेजे में इतना दम है कि 300-400 किलो के वजन वाला अजगर ऐसी पेड़ की साखा पर हो जिसके नीचे हजार फिट की खाई हो, फिर भी आप रस्सी छोड़कर उस पेड़ के साखा पर चढ़ रहे। जबकि कुछ भी गड़बड़ हुई तो आप सीधा हजार फुट ऐसी खाई में गिरेंगे, जहां यदि किसी चमत्कार से बच भी गए तो जंगली जानवरो का शिकार हो जाएंगे। और विश्वास मानिए हिमालय के जंगलों में आपको वेयरवुल्फ से भी खतरनाक हालातों का सामना हो जायेगा। आर्यमणि आपके सोच से कहीं ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उसने केवल जान बचना ही सीखा है। विषम से विषम परिस्थिति में भी उसने ना तो किसी जानवर की जान ली और ना ही किसी इंसान की जान जाने दी, वो इतना खतरनाक है। आपसे ज्यादा खतरनाक तो होगा ही क्योंकि शायद उसे उन वुल्फ में जानवर नहीं इंसान नजर आना शुरू हो गया होगा और वो उसकी जान बचाने के लिए चल दिया होगा। उसकी डिक्शनरी में अच्छा या बुरा जैसा कोई शब्द नहीं होता। वो बस एक ही बात दिमाग में लिए रहता है, किसी भी कानून के मुताबिक वो गलत नहीं कर रहा फिर अपनी मर्जी का वो जो करे, किसी के बाप के जिगरा में उतनी ताकत नहीं की उसे रोक ले। और कोई रोक कर तो दिखाए क्या वो रुक जाएगा। यदि ज्यादा बोल गया हूं तो माफ कीजिएगा, लेकिन जिसने भी उसे खतरनाक माना है, वो बहुत ही धूर्त इंसान होगा, जिसे किसी को अच्छाई नहीं दिख रही, बस किसी तरह किसी भी मुद्दे को पकड़ कर भारद्वाज खानदान को बदनाम कर दे, इसलिए बिना होम वर्क किए आ गए।


पलक:- "धन्यवाद निशांत। हमारे बीच का अस्थाई सदस्य है और थोड़ा भावुक भी, इसलिए कुछ ज्यादा बोल दिया हो तो मै माफी चाहती हूं। अब मै आती हूं सबसे पहले इस बात पर की विष मोक्ष श्राप में वो नई प्रजाति कौन थी।"

"मुझे सोच कर है हंसी आ रही है, क्योंकि जिन्हे आपने नहीं देखा क्या वो प्रजाति नहीं होती या फिर डर अभी से लग रहा की जिसके बारे में जानते नहीं उसे से लड़ेंगे कैसे, इसलिए मनगढ़ंत कहानी बता दो। रीछ इतिहास पढ़िए। वो मानव इतिहास के सबसे विकसित और ऊपर के दर्जे के कुल थे, सिद्ध पुरुष (साधुओं) के बाद।"

"उनके इतिहास में वर्णित है एक रीछ जब विकृत होता है तो अपने स्पर्श मात्र से वो शरीर में बहने वाले रक्त को कण में बदल देता है और अपने श्वांस द्वारा खींचकर उसकी ऊर्जा लेता है। ऐसे ही घटना के गवाह बने थे वहां के कुछ स्थानीय लोग। लेकिन आप अपनी बुद्धि की परिभाषा उस कुएं की मेंढ़क की तरह दे रहे है, जिसको लगता है वो समुद्र में तैर रहा और इससे बड़ी कोई दुनिया हो ही नहीं सकती। उच्च सदस्य बैठक करे या ना करे, मै अपने साखा की अध्यक्ष हूं और इस बात में कोई सच्चाई ना भी हुई की कोई रीछ स्त्री वहां के कैद से छूटी है, तो भी मै एक टीम का गठन करके उसका पता लगाने निकलूंगी। प्रहरी को करने के लिए रखा गया है ना कि ये कहकर पल्ला झाड़ लेने के लिए की केवल वेयरवुल्फ ही यहां के सुपरनेचुरल है।"

"इसी के साथ मै विशिष्ठ सखा की अध्यक्ष पलक भारद्वाज, ये भी पारित करती हूं कि हर इकाई में बसे सुपरनेचुरल की जांच उसके शेप शिफ्ट करवाकर की जाए। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने अहम में कुछ भुल कर गए। जिसे हम शांति मानकर चल रहे है वो इस पृथ्वी पर मातम के काले बादल लेकर चले आए।"

"मैं ऐसा क्यों कह रही हूं उसकी सम्पूर्ण वजह बताती हूं। हमारे नागपुर इकाई में एक फर्स्ट अल्फा है सरदार खान। वो सरदार खान पिछले कितने सालों से हमारे संरक्षण में है, किसी को याद भी नहीं शायद। ना तो उसके उम्र का लेखा है और ना ही उस क्षेत्र में कितने वुल्फ पैक हमने संरक्षित किए उसका सर्वे समय-समय पर लिया है। हमे सिखाया जाता है कि हम 2 दुनिया के बीच में पहरा देते है और उनके बीच में शांति रहे ये देखना हमारा काम है। भटको को मारने कि तैयारी में हम सबको सबसे पहले शिकारी बनना पड़ता है।"

"कोई भटका वुल्फ पैक इंसानों का शिकार करे तो हम उस वुल्फ पैक को मार देते हैं। उसके टीन वुल्फ को किसी पैक के साथ जोड़कर उन्हें संरक्षित करते है और कहते है उन्हें प्रशिक्षित करने। लेकिन क्या कभी जाकर देखा है कि वहां उन वुल्फ के बीच क्या चल रहा है। सरदार खान जैसे वुल्फ बाहर से आए अल्फा और उसके पैक का शिकार कर लेते है और फिर अपनी शक्तियां बढाते है।"

"मैंने जबसे अपना कार्य भार संभाला है तब से समुदाय के इस अनदेखी पर बहुत गौर किया और मैंने बहुत गड़बड़ी पाई। मेरे ही कहने पर आर्य वहां उनके बीच गया। कमाल के परिणाम सामने आये। उसने पहली दोस्ती एक लड़की के साथ की जिसका नाम रूही है। उसकी मां को अल्फा हिलर कहा जाता था। उसने ना जाने कितने इंसान और जानवर को हिल किया था अपने जीवन काल में। वैसे अल्फा को हमने वहां बसाया और सरदार खान ने अपनी शक्ति बढ़ा ली।"

"18 वुल्फ अल्फा पिछले 50 साल में उस क्षेत्र में गए तत्काल सर्वे से पता चला, उसके पीछे की बात जाने दीजिए। अभी वहां कितने अल्फा बचे हैं किसी ने पाया किया? किसी को पता हो की नही लेकिन वहां अब केवल 5 अल्फा बचे हैं। आर्य ने पैक नही बनाया था, बल्कि एक अल्फा हिलर की बेटी रूही से दोस्ती हुई। रूही जो कई वेयरवोल्फ पैक के साथ रहती थी। जिसे सबने नोचा लेकिन किसी ने अपने पैक में कोई दर्जा नहीं दिया, ऐसे वुल्फ की दोस्ती हुई थी। दूसरी लड़की अलबेली है। जो बल्य्य अवस्था से किशोर अवस्था में कदम ही रखी थी, उसे 18 वुल्फ के पैक ने बलात्कार करने की कोशिश किया। आर्य उनके साथ भावनात्मक तरीके से जुड़ा। अपने इंसान होने का परिचय दिया। रूही और अलबेली ने इसे पैक का नाम दिए जिस से आर्य को कोई ऐतराज नहीं था। है तो वो बहादुर इसमें कोई २ राय नहीं। सिना तानकर आर्यमणि, सरदार खान के चौपाल में गया, अपने पैक के अस्तित्व को वहां रखा और दोषी को चैलेंज किया।"

"आर्य के उकसवे में जब सरदार खान ने शेप शिफ्ट किया तब पता चला कि हम एक बीस्ट वुल्फ पाल रहे है जिसकी चमरी लगभग 1 फिट मोटे हीरे की दीवार है, किस हथियार से भेदकर उसे प्रहरी समुदाय मारेगा पहले इस बात का जवाब ढूंढकर लाए कोई। जिसे यकीन नहीं मेरे बातो पर वो जाकर सरदार खान का शेप शिफ्ट करवाए और जाकर हथियार आजमाकर आए पहले। जो एक प्रहरी का कर्तव्य है वो आर्य कर रहा है।"

"सबसे आखरी में, जबसे मुझे प्रभार मिला है मै अंदर के अनदेखी और लोगो के करप्ट होने की बू सी नजर आने लगी हैं। मै उन सदस्यों कि सदस्यता, जांच पूरी होने तक खारिज करती हूं जिन्होंने आर्य के ऊपर मीटिंग बुलाई है। क्योंकि ऐसा लगता है सरदार खान से केवल एक पक्षीय जानकारी जुटाई गई है और आर्य से नहीं पूछा गया जबकि मामला दो पक्षों का था। कामकाज की अनदेखी, उत्तरदायित्व की अनदेखी और अनैतिक संरक्षण पर भी स्टे लगेगा।"

"सरदार खान एक खतरा है जिसे और अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए उच्च सदस्य जल्दी से निर्णय करे कि सरदार खान का क्या करना है? जांच तक बर्खास्त हुए सदस्यों कि सूची आम की जाएगी, ताकि उच्च सदस्यों को उनके कर्तव्य का पता हो। यह प्रहरी समूह काम करने के लिए है, ना की प्रहरी के काम को अनदेखा करके आर्थिक लाभ कमाना। इसलिए धन की इस होड़ को देखते हुए सदस्यों के बीच समानता प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, और सबकुछ रीसेट करके धन को बराबर बांटा जाए। धन के विषय में कही गयी बातें मात्र एक प्रस्ताव है, जिसपर विचार होंगे। उसके अलावा कही गई मेरी जितनी भी बातें है वो मेरा कार्य क्षेत्र के अधीन है। मैंने पूरा फैसला पूर्ण आकलन और सबूतों को देखने के बाद पेश किए है, इसलिए किसी भी उच्च सदस्य बीच ये चर्चा और विचार का विषय नहीं बनेगा। धन्यवाद।


देवगिरी पाठक:- बातो में संतुलन, काम काज में अग्नि, दिल जीत लिया पलक ने। खारिज सदस्य कुछ इस प्रकार है…


तकरीबन 22 नाम लिए गए जिन्होंने इस मीटिंग का मुद्दा रखा था जिसमें 2 प्रमुख नाम हंस शुक्ल और और रवि महाजन था। धन के समानता के विषय में देवगिरी पाठक ने निजी राय के बाद एक और मीटिंग का प्रस्ताव रखा जो दिसंबर में होना था। इसी के साथ देवगिरी ने अपनी बात समाप्त की।


सुकेश:- "शायद अब लोगो को उज्जवल के फैसले पर यकीन हो गया होगा की उसने पलक में अपनी बेटी नहीं बल्कि एक योग्य प्रहरी को देखा है। देवगिरी का दिल जीत लिया मेरा दिल जीत लिया। मीटिंग जब आम होगी तो ऐसा लगता है आम सदस्यों का दिल भी जीत ही लेगी। एक योग्य सदस्य ने एक योग्य सदस्य को आगे बढ़ाया, फिर भी उसपर वंशवाद का इल्ज़ाम लगा।"

"उस योग्य सदस्य उज्जवल से ये सभा माफी मांगती है। जांच के बाद यदि रवि महाजन और हंस शुक्ल दोषी ना भी हुए तो भी अगले 10 साल तक उन्हें आम सदस्य घोषित किया जाता है। यही उसकी सजा है। इसी के साथ मै हंस का कार्यभार पलक को देता हूं जो कि आज से विशिष्ठ जीव सखा के अध्यक्ष के साथ-साथ योग्य सदस्य को तरक्की देकर उनके सही साखा तथा उन्हें उच्च सदस्य की श्रेणी में लाए।"

"देवगिरी के ऊपर अतरिक्त प्रभार रहेगा उच्च सदस्य मेंबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर पद के लियेप जबतक वो योग्य सदस्य नहीं ढूंढ़ लेते।"


देवगिरी:- दादा ये एक्स्ट्रा प्रभार ना डालो मै मनोनीत सदस्य में से आरती मुले को इसका भार शौपता हूं, जो अक्सर यहां चुप ही रहती है। कम से कम इसी बहाने बोलेगी भी।


आरती:- "धन्यवाद बाबा, आज की मीटिंग वाकई कमाल की थी। मैं 8 उच्च सदस्य मीटिंग आटेंड की हूं, लेकिन काम के प्रति पलक का जज्बा बिल्कुल अलग ही लेवल का है। मैंने यहां धीरेन स्वामी को देखा है, जो किसी निजी कारणवश प्रहरी समुदाय छोड़ गए। फिर मैंने भूमि को देखा, मुझे लगता था ये दोनो कमाल के है। आम सदस्यों के बीच तक तो ठीक है लेकिन उच्च सदस्य में वही पुराने साखा अध्यक्ष और वही अपने-अपने इलाके को मजबूत करना। ना तो काम करने के लिए कुछ था और ना ही अगली मीटिंग जल्दी हो उसका कोई मुद्दा।"

"एक छोटा से साखा के अध्यक्ष पद का भार एक नई युवा को मिला और हमारे पुराने काम में इतनी अनदेखी मिली। अनुभव के साथ जोश भी चाहिए ये बात पलक ने साबित कर दी है। इसलिए मै उच्च सदस्य की मेंबर कॉर्डिनेटर होने के नाते पलक से ये अनुरोध करूंगी की ज्यादा से ज्यादा जोशीले सदस्य को उच्च सदस्यता दे, ताकि हर साखा मे उनके जैसे जोशीले सदस्य हों। इसी के साथ मै अपनी बात समाप्त करती हूं।"


कुछ ही देर में पूरी सभा समाप्त हो गई। हाई टेबल की हाई बैठक में आज तो पलक ने सबकी बोलती बंद कर दी। इतने बड़े फैसले उसने इतने आसानी से सुना दिए जिसका अंदाज़ा तो भारद्वाज परिवार में भी किसी को नहीं था।
 
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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी

कहानी के प्रमुख पात्र

Update:- 30 Posted on page 126
Update:- 31 Posted on page 136
Update:- 32 Posted on page 143
Update:- 33 Posted on page 149


Kya aap log taiyar hai iss sanivar ko bhi grand banane ke liye... Yadi Haan to reply Karen... Fir Aaj evening to night... Dhundhenge ek nayi paheli ko purane itihaas ke tale...

Update:- 34 Posted on page 153
Update:- 35 Posted on page 158
ज्यादा व्यूज ना आने पर भी वीकेंड पर दो दो अपडेट्स देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद nain11ster भाई
 

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भाग:–35






प्रहरी की इमरजेंसी मीटिंग…


सुबह-सुबह ही हर कोई मीटिंग एरिया में पहुंच चुका था। पिछली मीटिंग की तरह ही इस मीटिंग में भी दिग्गज पहुंचे हुए थे। तकरीबन 40 उच्च सदस्य और 20 रिटायर्ड सदस्य के साथ कुल 120 लोग पहुंचे हुए थे। 40 उच्च सदस्यों में से 30 उच्च सदस्य 3 मजबूत परिवारों से थे, पाठक, शुक्ल और महाजन। तत्काल समय में प्रहरी के रीढ़ की हड्डी और आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे सुदृढ़।


पिछली मीटिंग में इन्होंने ही पलक की रीछ स्त्री की कहानी को बेबुनियाद बताया था, हां लेकिन उसकी खोज को पूर्ण रूप से सराहा भी था। उच्च सदस्यों कि अध्यक्षता देवगिरी पाठक किया करते थे, जिन्हें भाऊ के नाम से सभी संबोधित करते थे। इनका प्रमुख काम राजनीतिक पार्टियों को फाइनेंस करना तथा अरबों के टेंडर को उसके बदले में अपने नाम करवाना।


आज का मीटिंग कॉर्डिनेटर भाऊ के मित्र अप्पा शुक्ल के बेटे हंस शुक्ल था जो भाव का दामाद और इस संगठन का सबसे स्वार्थी व्यक्ति कहा जाता था। भूमि और इसकी आपसी मतभेद के किस्से पूरे संगठन में प्रचलित थे, जहां हंस स्थाई और अस्थाई सदस्यों के बीच भूमि की बढ़ती लोकप्रियता से काफी जला भूना सा रहता था।


मीटिंग की शुरवात करते हुए…. "हमारे गढ़ नागपुर इकाई को हम कमजोर होते देख रहे है। ऐसा लग रहा है एक गौरवशाली इतिहास का अंत हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज इस खंड के स्वांस नली है जिसके बिना खंड अधूरा है। लेकिन उनके जाने के बाद हमे अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि तेजस भारद्वाज ने वो उत्तरदायित्व नहीं निभाया जो उन्हें निभाना चाहिए। मै तेजस से इस विषय में विचार रखने के लिए कहूंगा।"..


तेजस:- आप सबका धन्यवाद लेकिन मुझे जब विषय कि जानकारी ही नहीं होगी तो मै किस विषय में बात करूंगा मुझे समझ में नहीं आ रहा। जिस प्रकार से हंस शुक्ल ने अपनी बात रखी है, ऐसे में मुंबई इकाई, नाशिक इकाई और उन इकाइयों में पड़ने वाले जितने भी डिविजनल इकाई है इनपर सवाल उठा सकता हूं। ये प्रहरी का गढ़ है जिसे ना तो छल से और ना ही बल से कमजोर किया जा सकता है। उच्च सदस्य के मेंबर कॉर्निनेटर की ये पहली भुल समझकर मै माफ़ करता हूं, आइंदा अपने कहे शब्दो पर पहले 2 बार विचार करे फिर अपनी बात रखें।

उच्च सदस्य के अध्यक्ष देवगिरी पाठक… "तेजस लगता है वैदेही से झगड़ा करके आया है, इसलिए हंस की बातों से चिढ़ गया, और हंस अगली बार बोलने से पहले अपने कहे शब्दों पर वाकई तुम्हे विचार करना चाहिए। पहली बात तो ये की हम अंग्रजी कल्चर नहीं फॉलो करते इसलिए हम एक दूसरे को इज्जत देने के लिए सर नहीं बल्कि काका, दादा, भाऊ कहते है। तुम अपनी बात रखो की नागपुर इकाई तुम्हारे हिसाब से कमजोर क्यों लग रहा है और मीटिंग की बातें सुनो। और ये भूमि किधर गई। आह वो रही मेरी बच्ची। अरे कॉर्डिनेशन वाला पुरा जिम्मा इसे ही दिया करो। ये जब बोलती है तो लगता है हां बोल रही है। सुकेश दादा आपने अपने जीवन काल में ऐसा मीटिंग और मेंबर कॉर्डिनेटर देखा था क्या कभी?"


सुकेश:- एक जाता है दूसरा आता है। और मुझे ऐसा क्यों लगता है भूमि ने जिस हिसाब का अपना सब ऑर्डिनेट लेकर आयी है वो भूमि से भी ज्यादा बेहतर होगा। मै चाहूंगा देव तुम राजदीप को कहो आज कि मीटिंग कॉर्डिनेटर करने।


देवगिरी:- दादा ने कह दिया समझो हो गया। राजदीप आजा भाई लेले मीटिंग..


राजदीप:- अब क्या ही बताऊं... मेमेबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर की पोस्ट को भूमि दीदी इस ऊंचाई पर ले गई की मुझे लगता है मै खड़ा ना उतरा तो मुझे उसी ऊंचाई से कूदकर जान देनी होगी। खैर मै हंस दादा से कहूंगा, अपनी बात को थोड़ा पुष्टि करते हुए बताए की उनकी बात का आधार क्या है?



हंस अपनी फजीहत देखकर उठा नहीं, उसके बदले महाजन परिवार का सदस्य रवि महाजन खड़ा होकर कहने लगा… "एक 20 साल की लड़की को बिना किसी बैठक के उच्च सदस्य बना देना ये एक गैर जिम्मेदाराना कदम था। उज्जवल काका ने वो किया यहां तक कि इस बात की खबर सुकेश काका को भी नहीं थी। जबकि दोनो एक ही शहर में थे। विष मोक्ष श्राप से किसी को भी बंधा जा सकता है लेकिन पलक भारद्वाज ने ऐसी प्रजाति का उदय करवा दिया जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं।"

"भूमि बहिनी का उस चहेते भाई का किस्सा भी हमने सुना था जो गंगटोक में एक वेयरवुल्फ के मोह में था। पहले उसका घर से भाग जाने। बाद में भूमि बहीन अपने सबसे बेस्ट शिकारी को लेकर 75 दिनों तक विदेश कि खाक छान रही थी। उस लड़के आर्यमणि ने 2 वुल्फ बीटा के पाऊं तोड़ दिए और उसका वीडियो हमारे सदस्यों को दिखाया जा रहा है। इससे कई ज्यादा हैरतअंगेज कारनामे हमारे शिकारी कर चुके है जिसकी लिस्ट लंबी है सुनाने लगुं तो रात हो जाएगी।"

"एक प्रतिबंधित परिवार के बच्चे को अपने पास रखी। मै रिश्ते और रिश्तेदारों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन पहले अपने ओहदे को देखना था। भूमि एक आइकन है। हमारा लगभग जितने भी अस्थाई सदस्य है और नए बन रहे स्थाई सदस्य, सब भूमि को फॉलो करते हैं। उसे इस बात का ख्याल होना चाहिए था। उच्च सदस्यों के कार्यकारणी में कई आम सदस्यों के ख़त पहुंच रहे है कि आखिर वर्धमान कुलकर्णी को इतनी बड़ी सजा क्यों हुई?"

"सदस्य मांग कर रहे है उच्च सदस्य माफी मांगे और जाकर उसके पोते को इस सभा में लेकर आए, जबकि इसमें कोई दो राय नहीं कि वो भी अपने दादा की तरह उतना की खतरनाक है। एक चिंता का विषय क्योंकि उसने भी वही किया। वुल्फ के साथ दोस्ती, उसके साथ पैक बनाना, शायद दादा से एक कदम आगे है। इतना होने के बावजूद भी हमारे उच्च सदस्य उस लड़के से रिश्तेदारी निभा रहे है और ऐसे भटके लड़के से हमारे के उच्च सदस्य का लगन भी करवा रहे। नागपुर इकाई में कोई कुछ कहने वाला नहीं है क्या, या फिर वैधायन वंसज ने कुछ विटो जैसा पॉवर अपने पास रखा है, जो यूनिट नेशनल काउंसिल में होता है।"


राजदीप:- काफी तैयारी से आए है रवि भाऊ। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि इस इकाई में हमने सारा कार्यभार भूमि दीदी और तेजस दादा को दे रखा है। नाह जवाब के लिए मै भूमि दीदी को नहीं बुलाने वाला बल्कि पलक को बुलाना चाहूंगा। हमारे बीच की सबसे कम उम्र की उच्च सदस्य।


पलक:- काफी सारी बातें और काफी सारे सवाल और हर सवाल का मुख्य केंद्र जैसे भारद्वाज परिवार ही हो। खैर मै इसपर भी आऊंगी जब मै अपनी पूरी बात रखूंगी। पहले तो मै एक बात बताना चाहूंगी आर्य का लगन मेरे घरवालों ने करवाया। मेरा पूरा खानदान वहां बैठा था। उससे पहले मै आर्य को कॉलेज से जानती थी लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से हमारी कभी 2 लाइन से ज्यादा बात नहीं हुई। वो भी 2 लाइन की बात मेरे मौसेरे भाई बहन चित्रा और निशांत के कारण हो जाती थी। अब प्वाइंट पर आती हूं। घरवालों ने लड़का दिखाया और मैंने हां कहा। उसके बाद भी मै मुश्किल से 1 घंटे के लिए उससे मिली होऊंगी। लेकिन जबसे, "वो मेरा है" इस ख्याल से उसे मैंने जितना जाना है उसके बाद मै भरी सभा में कहती हूं अब ये रिश्ता मेरे घरवाले ही क्यों ना तोड़ दे, मै अपना लगन उसी से करूंगी फिर चाहे जो हो जाए। मेरे दिल ने उसे स्वीकार लिया है। रही बात उसके खतरनाक होने की तो इसपर मै अपने सहायक को बुलाना चाहूंगी.. शायद उसकी बातों से आपको अंदाजा हो की वो कितना ख़तरनाक है। मैं निशांत को यहां बुलाना चाहूंगी जो आर्य के विषय में कुछ घटनाएं बताए...


निशांत:- यहां किसके कलेजे में दम था जो 9th क्लास में पढ़ते हुए, शेर और उसके शिकार के बीच में खड़ा हो जाए। इतना खतरनाक है वो। यहां किसके कलेजे में दम है कि अपने दोस्त के भरोसे वो 6000 फिट की गहरी खाई में कूद जाए, जबकि उसे भी पता था कि रस्सी का दूसरा सिरा खुल जाएगा। दोस्त के भरोसे कूद गया और उसका दोस्त रस्सी का दूसरा सिरा जल्दी-जल्दी में बांधना शुरू किया हो। यहां किसके कलेजे में इतना दम है कि 300-400 किलो के वजन वाला अजगर ऐसी पेड़ की साखा पर हो जिसके नीचे हजार फिट की खाई हो, फिर भी आप रस्सी छोड़कर उस पेड़ के साखा पर चढ़ रहे। जबकि कुछ भी गड़बड़ हुई तो आप सीधा हजार फुट ऐसी खाई में गिरेंगे, जहां यदि किसी चमत्कार से बच भी गए तो जंगली जानवरो का शिकार हो जाएंगे। और विश्वास मानिए हिमालय के जंगलों में आपको वेयरवुल्फ से भी खतरनाक हालातों का सामना हो जायेगा। आर्यमणि आपके सोच से कहीं ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उसने केवल जान बचना ही सीखा है। विषम से विषम परिस्थिति में भी उसने ना तो किसी जानवर की जान ली और ना ही किसी इंसान की जान जाने दी, वो इतना खतरनाक है। आपसे ज्यादा खतरनाक तो होगा ही क्योंकि शायद उसे उन वुल्फ में जानवर नहीं इंसान नजर आना शुरू हो गया होगा और वो उसकी जान बचाने के लिए चल दिया होगा। उसकी डिक्शनरी में अच्छा या बुरा जैसा कोई शब्द नहीं होता। वो बस एक ही बात दिमाग में लिए रहता है, किसी भी कानून के मुताबिक वो गलत नहीं कर रहा फिर अपनी मर्जी का वो जो करे, किसी के बाप के जिगरा में उतनी ताकत नहीं की उसे रोक ले। और कोई रोक कर तो दिखाए क्या वो रुक जाएगा। यदि ज्यादा बोल गया हूं तो माफ कीजिएगा, लेकिन जिसने भी उसे खतरनाक माना है, वो बहुत ही धूर्त इंसान होगा, जिसे किसी को अच्छाई नहीं दिख रही, बस किसी तरह किसी भी मुद्दे को पकड़ कर भारद्वाज खानदान को बदनाम कर दे, इसलिए बिना होम वर्क किए आ गए।


पलक:- "धन्यवाद निशांत। हमारे बीच का अस्थाई सदस्य है और थोड़ा भावुक भी, इसलिए कुछ ज्यादा बोल दिया हो तो मै माफी चाहती हूं। अब मै आती हूं सबसे पहले इस बात पर की विष मोक्ष श्राप में वो नई प्रजाति कौन थी।"

"मुझे सोच कर है हंसी आ रही है, क्योंकि जिन्हे आपने नहीं देखा क्या वो प्रजाति नहीं होती या फिर डर अभी से लग रहा की जिसके बारे में जानते नहीं उसे से लड़ेंगे कैसे, इसलिए मनगढ़ंत कहानी बता दो। रीछ इतिहास पढ़िए। वो मानव इतिहास के सबसे विकसित और ऊपर के दर्जे के कुल थे, सिद्ध पुरुष (साधुओं) के बाद।"

"उनके इतिहास में वर्णित है एक रीछ जब विकृत होता है तो अपने स्पर्श मात्र से वो शरीर में बहने वाले रक्त को कण में बदल देता है और अपने श्वांस द्वारा खींचकर उसकी ऊर्जा लेता है। ऐसे ही घटना के गवाह बने थे वहां के कुछ स्थानीय लोग। लेकिन आप अपनी बुद्धि की परिभाषा उस कुएं की मेंढ़क की तरह दे रहे है, जिसको लगता है वो समुद्र में तैर रहा और इससे बड़ी कोई दुनिया हो ही नहीं सकती। उच्च सदस्य बैठक करे या ना करे, मै अपने साखा की अध्यक्ष हूं और इस बात में कोई सच्चाई ना भी हुई की कोई रीछ स्त्री वहां के कैद से छूटी है, तो भी मै एक टीम का गठन करके उसका पता लगाने निकलूंगी। प्रहरी को करने के लिए रखा गया है ना कि ये कहकर पल्ला झाड़ लेने के लिए की केवल वेयरवुल्फ ही यहां के सुपरनेचुरल है।"

"इसी के साथ मै विशिष्ठ सखा की अध्यक्ष पलक भारद्वाज, ये भी पारित करती हूं कि हर इकाई में बसे सुपरनेचुरल की जांच उसके शेप शिफ्ट करवाकर की जाए। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने अहम में कुछ भुल कर गए। जिसे हम शांति मानकर चल रहे है वो इस पृथ्वी पर मातम के काले बादल लेकर चले आए।"

"मैं ऐसा क्यों कह रही हूं उसकी सम्पूर्ण वजह बताती हूं। हमारे नागपुर इकाई में एक फर्स्ट अल्फा है सरदार खान। वो सरदार खान पिछले कितने सालों से हमारे संरक्षण में है, किसी को याद भी नहीं शायद। ना तो उसके उम्र का लेखा है और ना ही उस क्षेत्र में कितने वुल्फ पैक हमने संरक्षित किए उसका सर्वे समय-समय पर लिया है। हमे सिखाया जाता है कि हम 2 दुनिया के बीच में पहरा देते है और उनके बीच में शांति रहे ये देखना हमारा काम है। भटको को मारने कि तैयारी में हम सबको सबसे पहले शिकारी बनना पड़ता है।"

"कोई भटका वुल्फ पैक इंसानों का शिकार करे तो हम उस वुल्फ पैक को मार देते हैं। उसके टीन वुल्फ को किसी पैक के साथ जोड़कर उन्हें संरक्षित करते है और कहते है उन्हें प्रशिक्षित करने। लेकिन क्या कभी जाकर देखा है कि वहां उन वुल्फ के बीच क्या चल रहा है। सरदार खान जैसे वुल्फ बाहर से आए अल्फा और उसके पैक का शिकार कर लेते है और फिर अपनी शक्तियां बढाते है।"

"मैंने जबसे अपना कार्य भार संभाला है तब से समुदाय के इस अनदेखी पर बहुत गौर किया और मैंने बहुत गड़बड़ी पाई। मेरे ही कहने पर आर्य वहां उनके बीच गया। कमाल के परिणाम सामने आये। उसने पहली दोस्ती एक लड़की के साथ की जिसका नाम रूही है। उसकी मां को अल्फा हिलर कहा जाता था। उसने ना जाने कितने इंसान और जानवर को हिल किया था अपने जीवन काल में। वैसे अल्फा को हमने वहां बसाया और सरदार खान ने अपनी शक्ति बढ़ा ली।"

"18 वुल्फ अल्फा पिछले 50 साल में उस क्षेत्र में गए तत्काल सर्वे से पता चला, उसके पीछे की बात जाने दीजिए। अभी वहां कितने अल्फा बचे हैं किसी ने पाया किया? किसी को पता हो की नही लेकिन वहां अब केवल 5 अल्फा बचे हैं। आर्य ने पैक नही बनाया था, बल्कि एक अल्फा हिलर की बेटी रूही से दोस्ती हुई। रूही जो कई वेयरवोल्फ पैक के साथ रहती थी। जिसे सबने नोचा लेकिन किसी ने अपने पैक में कोई दर्जा नहीं दिया, ऐसे वुल्फ की दोस्ती हुई थी। दूसरी लड़की अलबेली है। जो बल्य्य अवस्था से किशोर अवस्था में कदम ही रखी थी, उसे 18 वुल्फ के पैक ने बलात्कार करने की कोशिश किया। आर्य उनके साथ भावनात्मक तरीके से जुड़ा। अपने इंसान होने का परिचय दिया। रूही और अलबेली ने इसे पैक का नाम दिए जिस से आर्य को कोई ऐतराज नहीं था। है तो वो बहादुर इसमें कोई २ राय नहीं। सिना तानकर आर्यमणि, सरदार खान के चौपाल में गया, अपने पैक के अस्तित्व को वहां रखा और दोषी को चैलेंज किया।"

"आर्य के उकसवे में जब सरदार खान ने शेप शिफ्ट किया तब पता चला कि हम एक बीस्ट वुल्फ पाल रहे है जिसकी चमरी लगभग 1 फिट मोटे हीरे की दीवार है, किस हथियार से भेदकर उसे प्रहरी समुदाय मारेगा पहले इस बात का जवाब ढूंढकर लाए कोई। जिसे यकीन नहीं मेरे बातो पर वो जाकर सरदार खान का शेप शिफ्ट करवाए और जाकर हथियार आजमाकर आए पहले। जो एक प्रहरी का कर्तव्य है वो आर्य कर रहा है।"

"सबसे आखरी में, जबसे मुझे प्रभार मिला है मै अंदर के अनदेखी और लोगो के करप्ट होने की बू सी नजर आने लगी हैं। मै उन सदस्यों कि सदस्यता, जांच पूरी होने तक खारिज करती हूं जिन्होंने आर्य के ऊपर मीटिंग बुलाई है। क्योंकि ऐसा लगता है सरदार खान से केवल एक पक्षीय जानकारी जुटाई गई है और आर्य से नहीं पूछा गया जबकि मामला दो पक्षों का था। कामकाज की अनदेखी, उत्तरदायित्व की अनदेखी और अनैतिक संरक्षण पर भी स्टे लगेगा।"

"सरदार खान एक खतरा है जिसे और अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए उच्च सदस्य जल्दी से निर्णय करे कि सरदार खान का क्या करना है? जांच तक बर्खास्त हुए सदस्यों कि सूची आम की जाएगी, ताकि उच्च सदस्यों को उनके कर्तव्य का पता हो। यह प्रहरी समूह काम करने के लिए है, ना की प्रहरी के काम को अनदेखा करके आर्थिक लाभ कमाना। इसलिए धन की इस होड़ को देखते हुए सदस्यों के बीच समानता प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, और सबकुछ रीसेट करके धन को बराबर बांटा जाए। धन के विषय में कही गयी बातें मात्र एक प्रस्ताव है, जिसपर विचार होंगे। उसके अलावा कही गई मेरी जितनी भी बातें है वो मेरा कार्य क्षेत्र के अधीन है। मैंने पूरा फैसला पूर्ण आकलन और सबूतों को देखने के बाद पेश किए है, इसलिए किसी भी उच्च सदस्य बीच ये चर्चा और विचार का विषय नहीं बनेगा। धन्यवाद।


देवगिरी पाठक:- बातो में संतुलन, काम काज में अग्नि, दिल जीत लिया पलक ने। खारिज सदस्य कुछ इस प्रकार है…


तकरीबन 22 नाम लिए गए जिन्होंने इस मीटिंग का मुद्दा रखा था जिसमें 2 प्रमुख नाम हंस शुक्ल और और रवि महाजन था। धन के समानता के विषय में देवगिरी पाठक ने निजी राय के बाद एक और मीटिंग का प्रस्ताव रखा जो दिसंबर में होना था। इसी के साथ देवगिरी ने अपनी बात समाप्त की।


सुकेश:- "शायद अब लोगो को उज्जवल के फैसले पर यकीन हो गया होगा की उसने पलक में अपनी बेटी नहीं बल्कि एक योग्य प्रहरी को देखा है। देवगिरी का दिल जीत लिया मेरा दिल जीत लिया। मीटिंग जब आम होगी तो ऐसा लगता है आम सदस्यों का दिल भी जीत ही लेगी। एक योग्य सदस्य ने एक योग्य सदस्य को आगे बढ़ाया, फिर भी उसपर वंशवाद का इल्ज़ाम लगा।"

"उस योग्य सदस्य उज्जवल से ये सभा माफी मांगती है। जांच के बाद यदि रवि महाजन और हंस शुक्ल दोषी ना भी हुए तो भी अगले 10 साल तक उन्हें आम सदस्य घोषित किया जाता है। यही उसकी सजा है। इसी के साथ मै हंस का कार्यभार पलक को देता हूं जो कि आज से विशिष्ठ जीव सखा के अध्यक्ष के साथ-साथ योग्य सदस्य को तरक्की देकर उनके सही साखा तथा उन्हें उच्च सदस्य की श्रेणी में लाए।"

"देवगिरी के ऊपर अतरिक्त प्रभार रहेगा उच्च सदस्य मेंबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर पद के लियेप जबतक वो योग्य सदस्य नहीं ढूंढ़ लेते।"


देवगिरी:- दादा ये एक्स्ट्रा प्रभार ना डालो मै मनोनीत सदस्य में से आरती मुले को इसका भार शौपता हूं, जो अक्सर यहां चुप ही रहती है। कम से कम इसी बहाने बोलेगी भी।


आरती:- "धन्यवाद बाबा, आज की मीटिंग वाकई कमाल की थी। मैं 8 उच्च सदस्य मीटिंग आटेंड की हूं, लेकिन काम के प्रति पलक का जज्बा बिल्कुल अलग ही लेवल का है। मैंने यहां धीरेन स्वामी को देखा है, जो किसी निजी कारणवश प्रहरी समुदाय छोड़ गए। फिर मैंने भूमि को देखा, मुझे लगता था ये दोनो कमाल के है। आम सदस्यों के बीच तक तो ठीक है लेकिन उच्च सदस्य में वही पुराने साखा अध्यक्ष और वही अपने-अपने इलाके को मजबूत करना। ना तो काम करने के लिए कुछ था और ना ही अगली मीटिंग जल्दी हो उसका कोई मुद्दा।"

"एक छोटा से साखा के अध्यक्ष पद का भार एक नई युवा को मिला और हमारे पुराने काम में इतनी अनदेखी मिली। अनुभव के साथ जोश भी चाहिए ये बात पलक ने साबित कर दी है। इसलिए मै उच्च सदस्य की मेंबर कॉर्डिनेटर होने के नाते पलक से ये अनुरोध करूंगी की ज्यादा से ज्यादा जोशीले सदस्य को उच्च सदस्यता दे, ताकि हर साखा मे उनके जैसे जोशीले सदस्य हों। इसी के साथ मै अपनी बात समाप्त करती हूं।"


कुछ ही देर में पूरी सभा समाप्त हो गई। हाई टेबल की हाई बैठक में आज तो पलक ने सबकी बोलती बंद कर दी। इतने बड़े फैसले उसने इतने आसानी से सुना दिए जिसका अंदाज़ा तो भारद्वाज परिवार में भी किसी को नहीं था।
आइला ये क्या मशीन गन चला दी nain11ster भाऊ। हंस और रवि आए तो थे अपना एजेंडा पूरा करने मगर पहले तेजस ने उन्हें धोया, फिर जब निशांत ने आर्य के बारे में एक के बाद एक बताया लागा AK 47 चल रही है मगर उसके बाद जो पलक ने MG 42 चलाई है, कसम से सारे विरोधियों और आस्तीन के सांपो के अंदर 10-12 छेद और बना दिए होंगे।

लगता है पाठक, शुक्ल और महाजन परिवार ही के लोग भारद्वाज और कुलकर्णी परिवारों को मिलने नही देना चाहते है। अब लगता है कि इन परिवारों के भ्रष्ट सदस्यों की जन्म कुंडली में 10वा ग्रह आ चुका है आर्य नाम का जो इनकी जिंदगी हराम करने वाला है।
पलक ने अपनी पहली ही उच्चस्तरीय मीटिंग में जिस आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखी, निर्णय सुनाए और कुछ लोगो की अच्छे से जलाई उसके बाद बहुत से दुश्मन बन गए होंगे उसके संस्था में। अब आर्य क्या करता उन दुश्मनों को धोने के लिए ये रोमांच होगा। बहुत ही रोमांचक अपडेट।
 

Sk.

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प्रणाम मित्र 🙏

क्या ये Teen Wolf का हिन्दी संस्करण है, पृष्ठभूमि पढ़ कर तो ऐसा ही लगा बाकी क्या बदलाव किए हैं आप नें वो आगे पता चल जाएंगे

बस अभी पढ़ना सुरू किया है तो प्रतिक्रिया और विचार दोनों ही पढ़ कर देता हूं कुछ समय पाश्चात्य

तब तक के लिए मेरी शुभकामनाएँ आप को
 

Sona1492

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भाग:–35






प्रहरी की इमरजेंसी मीटिंग…


सुबह-सुबह ही हर कोई मीटिंग एरिया में पहुंच चुका था। पिछली मीटिंग की तरह ही इस मीटिंग में भी दिग्गज पहुंचे हुए थे। तकरीबन 40 उच्च सदस्य और 20 रिटायर्ड सदस्य के साथ कुल 120 लोग पहुंचे हुए थे। 40 उच्च सदस्यों में से 30 उच्च सदस्य 3 मजबूत परिवारों से थे, पाठक, शुक्ल और महाजन। तत्काल समय में प्रहरी के रीढ़ की हड्डी और आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे सुदृढ़।


पिछली मीटिंग में इन्होंने ही पलक की रीछ स्त्री की कहानी को बेबुनियाद बताया था, हां लेकिन उसकी खोज को पूर्ण रूप से सराहा भी था। उच्च सदस्यों कि अध्यक्षता देवगिरी पाठक किया करते थे, जिन्हें भाऊ के नाम से सभी संबोधित करते थे। इनका प्रमुख काम राजनीतिक पार्टियों को फाइनेंस करना तथा अरबों के टेंडर को उसके बदले में अपने नाम करवाना।


आज का मीटिंग कॉर्डिनेटर भाऊ के मित्र अप्पा शुक्ल के बेटे हंस शुक्ल था जो भाव का दामाद और इस संगठन का सबसे स्वार्थी व्यक्ति कहा जाता था। भूमि और इसकी आपसी मतभेद के किस्से पूरे संगठन में प्रचलित थे, जहां हंस स्थाई और अस्थाई सदस्यों के बीच भूमि की बढ़ती लोकप्रियता से काफी जला भूना सा रहता था।


मीटिंग की शुरवात करते हुए…. "हमारे गढ़ नागपुर इकाई को हम कमजोर होते देख रहे है। ऐसा लग रहा है एक गौरवशाली इतिहास का अंत हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज इस खंड के स्वांस नली है जिसके बिना खंड अधूरा है। लेकिन उनके जाने के बाद हमे अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि तेजस भारद्वाज ने वो उत्तरदायित्व नहीं निभाया जो उन्हें निभाना चाहिए। मै तेजस से इस विषय में विचार रखने के लिए कहूंगा।"..


तेजस:- आप सबका धन्यवाद लेकिन मुझे जब विषय कि जानकारी ही नहीं होगी तो मै किस विषय में बात करूंगा मुझे समझ में नहीं आ रहा। जिस प्रकार से हंस शुक्ल ने अपनी बात रखी है, ऐसे में मुंबई इकाई, नाशिक इकाई और उन इकाइयों में पड़ने वाले जितने भी डिविजनल इकाई है इनपर सवाल उठा सकता हूं। ये प्रहरी का गढ़ है जिसे ना तो छल से और ना ही बल से कमजोर किया जा सकता है। उच्च सदस्य के मेंबर कॉर्निनेटर की ये पहली भुल समझकर मै माफ़ करता हूं, आइंदा अपने कहे शब्दो पर पहले 2 बार विचार करे फिर अपनी बात रखें।

उच्च सदस्य के अध्यक्ष देवगिरी पाठक… "तेजस लगता है वैदेही से झगड़ा करके आया है, इसलिए हंस की बातों से चिढ़ गया, और हंस अगली बार बोलने से पहले अपने कहे शब्दों पर वाकई तुम्हे विचार करना चाहिए। पहली बात तो ये की हम अंग्रजी कल्चर नहीं फॉलो करते इसलिए हम एक दूसरे को इज्जत देने के लिए सर नहीं बल्कि काका, दादा, भाऊ कहते है। तुम अपनी बात रखो की नागपुर इकाई तुम्हारे हिसाब से कमजोर क्यों लग रहा है और मीटिंग की बातें सुनो। और ये भूमि किधर गई। आह वो रही मेरी बच्ची। अरे कॉर्डिनेशन वाला पुरा जिम्मा इसे ही दिया करो। ये जब बोलती है तो लगता है हां बोल रही है। सुकेश दादा आपने अपने जीवन काल में ऐसा मीटिंग और मेंबर कॉर्डिनेटर देखा था क्या कभी?"


सुकेश:- एक जाता है दूसरा आता है। और मुझे ऐसा क्यों लगता है भूमि ने जिस हिसाब का अपना सब ऑर्डिनेट लेकर आयी है वो भूमि से भी ज्यादा बेहतर होगा। मै चाहूंगा देव तुम राजदीप को कहो आज कि मीटिंग कॉर्डिनेटर करने।


देवगिरी:- दादा ने कह दिया समझो हो गया। राजदीप आजा भाई लेले मीटिंग..


राजदीप:- अब क्या ही बताऊं... मेमेबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर की पोस्ट को भूमि दीदी इस ऊंचाई पर ले गई की मुझे लगता है मै खड़ा ना उतरा तो मुझे उसी ऊंचाई से कूदकर जान देनी होगी। खैर मै हंस दादा से कहूंगा, अपनी बात को थोड़ा पुष्टि करते हुए बताए की उनकी बात का आधार क्या है?



हंस अपनी फजीहत देखकर उठा नहीं, उसके बदले महाजन परिवार का सदस्य रवि महाजन खड़ा होकर कहने लगा… "एक 20 साल की लड़की को बिना किसी बैठक के उच्च सदस्य बना देना ये एक गैर जिम्मेदाराना कदम था। उज्जवल काका ने वो किया यहां तक कि इस बात की खबर सुकेश काका को भी नहीं थी। जबकि दोनो एक ही शहर में थे। विष मोक्ष श्राप से किसी को भी बंधा जा सकता है लेकिन पलक भारद्वाज ने ऐसी प्रजाति का उदय करवा दिया जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं।"

"भूमि बहिनी का उस चहेते भाई का किस्सा भी हमने सुना था जो गंगटोक में एक वेयरवुल्फ के मोह में था। पहले उसका घर से भाग जाने। बाद में भूमि बहीन अपने सबसे बेस्ट शिकारी को लेकर 75 दिनों तक विदेश कि खाक छान रही थी। उस लड़के आर्यमणि ने 2 वुल्फ बीटा के पाऊं तोड़ दिए और उसका वीडियो हमारे सदस्यों को दिखाया जा रहा है। इससे कई ज्यादा हैरतअंगेज कारनामे हमारे शिकारी कर चुके है जिसकी लिस्ट लंबी है सुनाने लगुं तो रात हो जाएगी।"

"एक प्रतिबंधित परिवार के बच्चे को अपने पास रखी। मै रिश्ते और रिश्तेदारों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन पहले अपने ओहदे को देखना था। भूमि एक आइकन है। हमारा लगभग जितने भी अस्थाई सदस्य है और नए बन रहे स्थाई सदस्य, सब भूमि को फॉलो करते हैं। उसे इस बात का ख्याल होना चाहिए था। उच्च सदस्यों के कार्यकारणी में कई आम सदस्यों के ख़त पहुंच रहे है कि आखिर वर्धमान कुलकर्णी को इतनी बड़ी सजा क्यों हुई?"

"सदस्य मांग कर रहे है उच्च सदस्य माफी मांगे और जाकर उसके पोते को इस सभा में लेकर आए, जबकि इसमें कोई दो राय नहीं कि वो भी अपने दादा की तरह उतना की खतरनाक है। एक चिंता का विषय क्योंकि उसने भी वही किया। वुल्फ के साथ दोस्ती, उसके साथ पैक बनाना, शायद दादा से एक कदम आगे है। इतना होने के बावजूद भी हमारे उच्च सदस्य उस लड़के से रिश्तेदारी निभा रहे है और ऐसे भटके लड़के से हमारे के उच्च सदस्य का लगन भी करवा रहे। नागपुर इकाई में कोई कुछ कहने वाला नहीं है क्या, या फिर वैधायन वंसज ने कुछ विटो जैसा पॉवर अपने पास रखा है, जो यूनिट नेशनल काउंसिल में होता है।"


राजदीप:- काफी तैयारी से आए है रवि भाऊ। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि इस इकाई में हमने सारा कार्यभार भूमि दीदी और तेजस दादा को दे रखा है। नाह जवाब के लिए मै भूमि दीदी को नहीं बुलाने वाला बल्कि पलक को बुलाना चाहूंगा। हमारे बीच की सबसे कम उम्र की उच्च सदस्य।


पलक:- काफी सारी बातें और काफी सारे सवाल और हर सवाल का मुख्य केंद्र जैसे भारद्वाज परिवार ही हो। खैर मै इसपर भी आऊंगी जब मै अपनी पूरी बात रखूंगी। पहले तो मै एक बात बताना चाहूंगी आर्य का लगन मेरे घरवालों ने करवाया। मेरा पूरा खानदान वहां बैठा था। उससे पहले मै आर्य को कॉलेज से जानती थी लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से हमारी कभी 2 लाइन से ज्यादा बात नहीं हुई। वो भी 2 लाइन की बात मेरे मौसेरे भाई बहन चित्रा और निशांत के कारण हो जाती थी। अब प्वाइंट पर आती हूं। घरवालों ने लड़का दिखाया और मैंने हां कहा। उसके बाद भी मै मुश्किल से 1 घंटे के लिए उससे मिली होऊंगी। लेकिन जबसे, "वो मेरा है" इस ख्याल से उसे मैंने जितना जाना है उसके बाद मै भरी सभा में कहती हूं अब ये रिश्ता मेरे घरवाले ही क्यों ना तोड़ दे, मै अपना लगन उसी से करूंगी फिर चाहे जो हो जाए। मेरे दिल ने उसे स्वीकार लिया है। रही बात उसके खतरनाक होने की तो इसपर मै अपने सहायक को बुलाना चाहूंगी.. शायद उसकी बातों से आपको अंदाजा हो की वो कितना ख़तरनाक है। मैं निशांत को यहां बुलाना चाहूंगी जो आर्य के विषय में कुछ घटनाएं बताए...


निशांत:- यहां किसके कलेजे में दम था जो 9th क्लास में पढ़ते हुए, शेर और उसके शिकार के बीच में खड़ा हो जाए। इतना खतरनाक है वो। यहां किसके कलेजे में दम है कि अपने दोस्त के भरोसे वो 6000 फिट की गहरी खाई में कूद जाए, जबकि उसे भी पता था कि रस्सी का दूसरा सिरा खुल जाएगा। दोस्त के भरोसे कूद गया और उसका दोस्त रस्सी का दूसरा सिरा जल्दी-जल्दी में बांधना शुरू किया हो। यहां किसके कलेजे में इतना दम है कि 300-400 किलो के वजन वाला अजगर ऐसी पेड़ की साखा पर हो जिसके नीचे हजार फिट की खाई हो, फिर भी आप रस्सी छोड़कर उस पेड़ के साखा पर चढ़ रहे। जबकि कुछ भी गड़बड़ हुई तो आप सीधा हजार फुट ऐसी खाई में गिरेंगे, जहां यदि किसी चमत्कार से बच भी गए तो जंगली जानवरो का शिकार हो जाएंगे। और विश्वास मानिए हिमालय के जंगलों में आपको वेयरवुल्फ से भी खतरनाक हालातों का सामना हो जायेगा। आर्यमणि आपके सोच से कहीं ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उसने केवल जान बचना ही सीखा है। विषम से विषम परिस्थिति में भी उसने ना तो किसी जानवर की जान ली और ना ही किसी इंसान की जान जाने दी, वो इतना खतरनाक है। आपसे ज्यादा खतरनाक तो होगा ही क्योंकि शायद उसे उन वुल्फ में जानवर नहीं इंसान नजर आना शुरू हो गया होगा और वो उसकी जान बचाने के लिए चल दिया होगा। उसकी डिक्शनरी में अच्छा या बुरा जैसा कोई शब्द नहीं होता। वो बस एक ही बात दिमाग में लिए रहता है, किसी भी कानून के मुताबिक वो गलत नहीं कर रहा फिर अपनी मर्जी का वो जो करे, किसी के बाप के जिगरा में उतनी ताकत नहीं की उसे रोक ले। और कोई रोक कर तो दिखाए क्या वो रुक जाएगा। यदि ज्यादा बोल गया हूं तो माफ कीजिएगा, लेकिन जिसने भी उसे खतरनाक माना है, वो बहुत ही धूर्त इंसान होगा, जिसे किसी को अच्छाई नहीं दिख रही, बस किसी तरह किसी भी मुद्दे को पकड़ कर भारद्वाज खानदान को बदनाम कर दे, इसलिए बिना होम वर्क किए आ गए।


पलक:- "धन्यवाद निशांत। हमारे बीच का अस्थाई सदस्य है और थोड़ा भावुक भी, इसलिए कुछ ज्यादा बोल दिया हो तो मै माफी चाहती हूं। अब मै आती हूं सबसे पहले इस बात पर की विष मोक्ष श्राप में वो नई प्रजाति कौन थी।"

"मुझे सोच कर है हंसी आ रही है, क्योंकि जिन्हे आपने नहीं देखा क्या वो प्रजाति नहीं होती या फिर डर अभी से लग रहा की जिसके बारे में जानते नहीं उसे से लड़ेंगे कैसे, इसलिए मनगढ़ंत कहानी बता दो। रीछ इतिहास पढ़िए। वो मानव इतिहास के सबसे विकसित और ऊपर के दर्जे के कुल थे, सिद्ध पुरुष (साधुओं) के बाद।"

"उनके इतिहास में वर्णित है एक रीछ जब विकृत होता है तो अपने स्पर्श मात्र से वो शरीर में बहने वाले रक्त को कण में बदल देता है और अपने श्वांस द्वारा खींचकर उसकी ऊर्जा लेता है। ऐसे ही घटना के गवाह बने थे वहां के कुछ स्थानीय लोग। लेकिन आप अपनी बुद्धि की परिभाषा उस कुएं की मेंढ़क की तरह दे रहे है, जिसको लगता है वो समुद्र में तैर रहा और इससे बड़ी कोई दुनिया हो ही नहीं सकती। उच्च सदस्य बैठक करे या ना करे, मै अपने साखा की अध्यक्ष हूं और इस बात में कोई सच्चाई ना भी हुई की कोई रीछ स्त्री वहां के कैद से छूटी है, तो भी मै एक टीम का गठन करके उसका पता लगाने निकलूंगी। प्रहरी को करने के लिए रखा गया है ना कि ये कहकर पल्ला झाड़ लेने के लिए की केवल वेयरवुल्फ ही यहां के सुपरनेचुरल है।"

"इसी के साथ मै विशिष्ठ सखा की अध्यक्ष पलक भारद्वाज, ये भी पारित करती हूं कि हर इकाई में बसे सुपरनेचुरल की जांच उसके शेप शिफ्ट करवाकर की जाए। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने अहम में कुछ भुल कर गए। जिसे हम शांति मानकर चल रहे है वो इस पृथ्वी पर मातम के काले बादल लेकर चले आए।"

"मैं ऐसा क्यों कह रही हूं उसकी सम्पूर्ण वजह बताती हूं। हमारे नागपुर इकाई में एक फर्स्ट अल्फा है सरदार खान। वो सरदार खान पिछले कितने सालों से हमारे संरक्षण में है, किसी को याद भी नहीं शायद। ना तो उसके उम्र का लेखा है और ना ही उस क्षेत्र में कितने वुल्फ पैक हमने संरक्षित किए उसका सर्वे समय-समय पर लिया है। हमे सिखाया जाता है कि हम 2 दुनिया के बीच में पहरा देते है और उनके बीच में शांति रहे ये देखना हमारा काम है। भटको को मारने कि तैयारी में हम सबको सबसे पहले शिकारी बनना पड़ता है।"

"कोई भटका वुल्फ पैक इंसानों का शिकार करे तो हम उस वुल्फ पैक को मार देते हैं। उसके टीन वुल्फ को किसी पैक के साथ जोड़कर उन्हें संरक्षित करते है और कहते है उन्हें प्रशिक्षित करने। लेकिन क्या कभी जाकर देखा है कि वहां उन वुल्फ के बीच क्या चल रहा है। सरदार खान जैसे वुल्फ बाहर से आए अल्फा और उसके पैक का शिकार कर लेते है और फिर अपनी शक्तियां बढाते है।"

"मैंने जबसे अपना कार्य भार संभाला है तब से समुदाय के इस अनदेखी पर बहुत गौर किया और मैंने बहुत गड़बड़ी पाई। मेरे ही कहने पर आर्य वहां उनके बीच गया। कमाल के परिणाम सामने आये। उसने पहली दोस्ती एक लड़की के साथ की जिसका नाम रूही है। उसकी मां को अल्फा हिलर कहा जाता था। उसने ना जाने कितने इंसान और जानवर को हिल किया था अपने जीवन काल में। वैसे अल्फा को हमने वहां बसाया और सरदार खान ने अपनी शक्ति बढ़ा ली।"

"18 वुल्फ अल्फा पिछले 50 साल में उस क्षेत्र में गए तत्काल सर्वे से पता चला, उसके पीछे की बात जाने दीजिए। अभी वहां कितने अल्फा बचे हैं किसी ने पाया किया? किसी को पता हो की नही लेकिन वहां अब केवल 5 अल्फा बचे हैं। आर्य ने पैक नही बनाया था, बल्कि एक अल्फा हिलर की बेटी रूही से दोस्ती हुई। रूही जो कई वेयरवोल्फ पैक के साथ रहती थी। जिसे सबने नोचा लेकिन किसी ने अपने पैक में कोई दर्जा नहीं दिया, ऐसे वुल्फ की दोस्ती हुई थी। दूसरी लड़की अलबेली है। जो बल्य्य अवस्था से किशोर अवस्था में कदम ही रखी थी, उसे 18 वुल्फ के पैक ने बलात्कार करने की कोशिश किया। आर्य उनके साथ भावनात्मक तरीके से जुड़ा। अपने इंसान होने का परिचय दिया। रूही और अलबेली ने इसे पैक का नाम दिए जिस से आर्य को कोई ऐतराज नहीं था। है तो वो बहादुर इसमें कोई २ राय नहीं। सिना तानकर आर्यमणि, सरदार खान के चौपाल में गया, अपने पैक के अस्तित्व को वहां रखा और दोषी को चैलेंज किया।"

"आर्य के उकसवे में जब सरदार खान ने शेप शिफ्ट किया तब पता चला कि हम एक बीस्ट वुल्फ पाल रहे है जिसकी चमरी लगभग 1 फिट मोटे हीरे की दीवार है, किस हथियार से भेदकर उसे प्रहरी समुदाय मारेगा पहले इस बात का जवाब ढूंढकर लाए कोई। जिसे यकीन नहीं मेरे बातो पर वो जाकर सरदार खान का शेप शिफ्ट करवाए और जाकर हथियार आजमाकर आए पहले। जो एक प्रहरी का कर्तव्य है वो आर्य कर रहा है।"

"सबसे आखरी में, जबसे मुझे प्रभार मिला है मै अंदर के अनदेखी और लोगो के करप्ट होने की बू सी नजर आने लगी हैं। मै उन सदस्यों कि सदस्यता, जांच पूरी होने तक खारिज करती हूं जिन्होंने आर्य के ऊपर मीटिंग बुलाई है। क्योंकि ऐसा लगता है सरदार खान से केवल एक पक्षीय जानकारी जुटाई गई है और आर्य से नहीं पूछा गया जबकि मामला दो पक्षों का था। कामकाज की अनदेखी, उत्तरदायित्व की अनदेखी और अनैतिक संरक्षण पर भी स्टे लगेगा।"

"सरदार खान एक खतरा है जिसे और अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए उच्च सदस्य जल्दी से निर्णय करे कि सरदार खान का क्या करना है? जांच तक बर्खास्त हुए सदस्यों कि सूची आम की जाएगी, ताकि उच्च सदस्यों को उनके कर्तव्य का पता हो। यह प्रहरी समूह काम करने के लिए है, ना की प्रहरी के काम को अनदेखा करके आर्थिक लाभ कमाना। इसलिए धन की इस होड़ को देखते हुए सदस्यों के बीच समानता प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, और सबकुछ रीसेट करके धन को बराबर बांटा जाए। धन के विषय में कही गयी बातें मात्र एक प्रस्ताव है, जिसपर विचार होंगे। उसके अलावा कही गई मेरी जितनी भी बातें है वो मेरा कार्य क्षेत्र के अधीन है। मैंने पूरा फैसला पूर्ण आकलन और सबूतों को देखने के बाद पेश किए है, इसलिए किसी भी उच्च सदस्य बीच ये चर्चा और विचार का विषय नहीं बनेगा। धन्यवाद।


देवगिरी पाठक:- बातो में संतुलन, काम काज में अग्नि, दिल जीत लिया पलक ने। खारिज सदस्य कुछ इस प्रकार है…


तकरीबन 22 नाम लिए गए जिन्होंने इस मीटिंग का मुद्दा रखा था जिसमें 2 प्रमुख नाम हंस शुक्ल और और रवि महाजन था। धन के समानता के विषय में देवगिरी पाठक ने निजी राय के बाद एक और मीटिंग का प्रस्ताव रखा जो दिसंबर में होना था। इसी के साथ देवगिरी ने अपनी बात समाप्त की।


सुकेश:- "शायद अब लोगो को उज्जवल के फैसले पर यकीन हो गया होगा की उसने पलक में अपनी बेटी नहीं बल्कि एक योग्य प्रहरी को देखा है। देवगिरी का दिल जीत लिया मेरा दिल जीत लिया। मीटिंग जब आम होगी तो ऐसा लगता है आम सदस्यों का दिल भी जीत ही लेगी। एक योग्य सदस्य ने एक योग्य सदस्य को आगे बढ़ाया, फिर भी उसपर वंशवाद का इल्ज़ाम लगा।"

"उस योग्य सदस्य उज्जवल से ये सभा माफी मांगती है। जांच के बाद यदि रवि महाजन और हंस शुक्ल दोषी ना भी हुए तो भी अगले 10 साल तक उन्हें आम सदस्य घोषित किया जाता है। यही उसकी सजा है। इसी के साथ मै हंस का कार्यभार पलक को देता हूं जो कि आज से विशिष्ठ जीव सखा के अध्यक्ष के साथ-साथ योग्य सदस्य को तरक्की देकर उनके सही साखा तथा उन्हें उच्च सदस्य की श्रेणी में लाए।"

"देवगिरी के ऊपर अतरिक्त प्रभार रहेगा उच्च सदस्य मेंबर कॉर्डिनेटर और मीटिंग कॉर्डिनेटर पद के लियेप जबतक वो योग्य सदस्य नहीं ढूंढ़ लेते।"


देवगिरी:- दादा ये एक्स्ट्रा प्रभार ना डालो मै मनोनीत सदस्य में से आरती मुले को इसका भार शौपता हूं, जो अक्सर यहां चुप ही रहती है। कम से कम इसी बहाने बोलेगी भी।


आरती:- "धन्यवाद बाबा, आज की मीटिंग वाकई कमाल की थी। मैं 8 उच्च सदस्य मीटिंग आटेंड की हूं, लेकिन काम के प्रति पलक का जज्बा बिल्कुल अलग ही लेवल का है। मैंने यहां धीरेन स्वामी को देखा है, जो किसी निजी कारणवश प्रहरी समुदाय छोड़ गए। फिर मैंने भूमि को देखा, मुझे लगता था ये दोनो कमाल के है। आम सदस्यों के बीच तक तो ठीक है लेकिन उच्च सदस्य में वही पुराने साखा अध्यक्ष और वही अपने-अपने इलाके को मजबूत करना। ना तो काम करने के लिए कुछ था और ना ही अगली मीटिंग जल्दी हो उसका कोई मुद्दा।"

"एक छोटा से साखा के अध्यक्ष पद का भार एक नई युवा को मिला और हमारे पुराने काम में इतनी अनदेखी मिली। अनुभव के साथ जोश भी चाहिए ये बात पलक ने साबित कर दी है। इसलिए मै उच्च सदस्य की मेंबर कॉर्डिनेटर होने के नाते पलक से ये अनुरोध करूंगी की ज्यादा से ज्यादा जोशीले सदस्य को उच्च सदस्यता दे, ताकि हर साखा मे उनके जैसे जोशीले सदस्य हों। इसी के साथ मै अपनी बात समाप्त करती हूं।"


कुछ ही देर में पूरी सभा समाप्त हो गई। हाई टेबल की हाई बैठक में आज तो पलक ने सबकी बोलती बंद कर दी। इतने बड़े फैसले उसने इतने आसानी से सुना दिए जिसका अंदाज़ा तो भारद्वाज परिवार में भी किसी को नहीं था।
palak ne to kamal kar diya padh kar maja aa gaya
 
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