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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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I love Fantasy and Sci-fiction story.
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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी

कहानी के प्रमुख पात्र

Update:- 30 Posted on page 126
Update:- 31 Posted on page 136
Update:- 32 Posted on page 143


Update:- 33 Posted on page 149


Kya aap log taiyar hai iss sanivar ko bhi grand banane ke liye... Yadi Haan to reply Karen... Fir Aaj evening to night... Dhundhenge ek nayi paheli ko purane itihaas ke tale...
Hm hmesha taiyar rhte hai grand updates🎉 k liye.
 
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nain11ster

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भाग:–34





रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।



माधव:- पगला गई हो क्या? तुम्हारे बाबूजी को पता चला तो हमको जेल में डाल देंगे। फिर हम सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे और जब सरकारी नौकरी नहीं रहेगी तो फिर हम तुम्हारा हाथ मांगने किस मुंह से आएंगे?


चित्रा:- फट्टू 2 मिनट में तैयार होकर 10 मिनट में आओ। वरना मै उस वर्मा को हां बोल दूंगी और उसमे इतनी डेरिंग तो होगी ही।


माधव:- अब ऐसे बोलकर मेरे दिल में चाकू मत घोपो। आ रहे है। बाबूजी कहते थे..


चित्रा:- इतनी ही अच्छी-अच्छी बातें करते थे तुम्हारे बाबूजी तो तुम कहां से पैदा हो गये? ये नहीं बताते थे कि रोमांस भी किया करते थे।


माधव:- देखो तुम ऐसे बात मत करो वरना झगड़ा हो जाएगा।


चित्रा:- यहां आकर झगड़ा करो…


चित्रा का फोन डिस्कनेक्ट होते ही माधव जल्दी से तैयार हो गया। बाइक स्टार्ट करके… "लगता है आज कहीं पिटवाने का ना प्लान बनाई हो। माता रानी बचा लेना।"..


कुछ ही देर में माधव चित्रा के घर था। बाहर खड़ा सुरक्षाकर्मी उसे रोकते हुए… "क्या काम है।"..


माधव:- चित्रा के हम क्लासमेट है, उसे कुछ टॉपिक पर डिस्कस करना था। अब उ तो बॉयज हॉस्टल आ नहीं सकती इसलिए मुझे बुला लिया। अब आप रास्ता देंगे तो हम जाए।


सुरक्षाकर्मी:- रुको यहां..


कुछ देर बाद चित्रा खुद ही बाहर आयी और सुरक्षाकर्मी को उसका परिचय देती हुई बताने लगी कि ये मेरा दोस्त है। दोनो अंदर आए। माधव कुछ घबराया सा लग रहा था। चारो ओर देख भी रहा था कहीं घर पर इसकी मम्मी तो नहीं।… "बाहर तो बड़ा तनकर बात कर रहे थे, घर के अंदर इतनी फटी क्यों है?"


माधव:- अरे एक लड़की के घर कोई लड़का आ जाए तो तुम जानती नहीं की कितनी बड़ी बात हो जाती है।


चित्रा मुख्य द्वार लॉक करती… "हां बताओ कितनी बड़ी बात हो जाती है।"..


माधव ने एक नजर चित्रा को देखा और अगले ही पल उसके कमर में हाथ डालकर अपने पास खिंचते हुए… "घर में मम्मी डैडी कोई नहीं है ऐसा कहो ना।"


चित्रा:- क्या कर रहे हो, ऐसे खुले में कौन पकड़ता है।


माधव:- आज तो खुले में साथ नहाएंगे भी… डैडी मम्मी हैं नै घर पे, पिछले कमरे में घुस के, कुछ तो करेंगे छुप के, मिल ज़रा..


चित्रा:- हीहिहिही… उल्लू गाने में भी "छुप के मिल ज़रा" कह रहे है।


माधव:- गलत गाना गा दिया.. यहां गाना चाहिए "खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों।"..

चित्रा:- ठीक है फिर किसके पप्पा को लगा दू फोन, तुम्हारे या मेरे…


माधव, चित्रा से अलग होते… "देखो बाबूजी के नाम पर डराया ना करो।"


चित्रा माधव के पेट में गुदगुदी करती हुई… "तो किसके नाम से डराऊं हां। बताओ ना, हां बताओ बताओ।"..


माधव चित्रा का हांथ खिंचते, अपने ऊपर लिया और उसके खुले बाल को चेहरे से किनारे करते हुए, उंगली उसके चेहरे पर फिराते… "तुम्हारी आखें ही काफी है मुझे डराने के लिए। पहले ये डर था कि सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तो मै क्या करूंगा, अब ये डर लगा रहता है कि तुम ना मिलेगी तो क्या करूंगा।"


चित्रा, अपने होंठ आगे बढ़ती… "फिलहाल तो हम किस्स करेंगे।"…


दोनो एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाते हुए चूमने लगे। चूमते हुए माधव अपने हाथ चित्रा के बदन पर चलने लगा और चित्रा अपने हाथ माधव के बदन पर। एक दूसरे के होंठ में होंठ दबाकर किस्स कर रहे थे और किस्स के साथ माधव ने स्मूच करते हुए, उसके टॉप के ऊपर से उसके स्तन को भींच लिया।


"आह्हह" की कामुक मधुर आवाज के साथ चित्रा ने दबी सी सिसकी ली, और उखड़ती सी आवाज में कहने लगी… "यहां नहीं, रूम में चलते है।"..


दोनो तेजी से रूम में आए, चित्रा ने आते ही दरवाजा बंद कर लिया और एक दूसरे के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े भी उतार दिए। दोनो इनरवेयर में खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ चला रहे थे।


माधव अपने दोनो हाथ चित्रा के स्तन से टिकाते हुए, ऊपर की ओर धकेलते स्तन पर हल्का-हल्का मसाज देने लगा… "आह, माधव प्लीज मेरे बूब्स छोड़ दो, पहले से ज्यादा बढ़ गए है।"…. "और पहले से ज्यादा सेक्सी भी हो गए है।".. कहते हुए माधव ने ब्रा के कप को हटाया और निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ को पैंटी के अंदर डालकर उसके योनि को मसलने लगा।


चित्रा की गरदन जैसे अकड़ कर टाईट हो गई हो। वो बेकाबू होकर अपने मुट्ठी से उसके सर के बाल को पकड़ कर भींचने लगी और मादक श्वांस लेने लगी। माधव ने चित्रा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाऊं से पैंटी को खोलकर बाहर निकालते हुए चित्रा के पाऊं को फैला दिया… "नहीं माधव, वहां मुंह मत… आह्हुह .. क्या कर रहे हो… उफ्फ … नहीं माधव प्लीज… आहह"… चित्रा बिस्तर पे लेट कर छटपटाने लगी और अपने कमर को हिलाती हुई, माधव के बाल को पकड़ कर उसे अपने ऊपर ले ली… उसकी आखों में देखती हुई कहने लगी… "तुम्हारे होंठ मेरे होंठ को चूमने के लिए है, अगर दोबारा ऐसा किया ना"… "उम्ममममममम"… माधव होंठ से होंठ लगाकर पूरे होंठ का रसपान करने लगा।


चित्रा अपने पाऊं को हलक मोड़कर कमर को ऊपर के ओर उभार ली। अपने हाथ से माधव का लिंग पकड़कर अपने योनि पर घीसने लगी। लिंग और योनि के घिसने के साथ दोनो के बदन मचले हो जैसे। माधव ने कमर को स्मूथली झटका दिया और चित्रा भी अपने कमर को धीरे से ऊपर करती, योनि में लिंग का मादक स्वागत करने लगी।


माधव अपने दोनो हाथ बिस्तर से टिका कर बदन को चित्रा के ऊपर किया और चित्रा की आखों में देखकर उसे लगातार प्यार से धक्के मारने लगा। चित्रा योनि के अंदर लिंग के झटके को उतने ही प्यार और कामुकता से मेहसूस कर रही थी। चित्रा कामुकता में अपने आगे के बदन को ऊपर उठाकर माधव के निप्पल पर अपना जीभ फेर रही थीं।

दोनो के बदन पसीने से लथपथ थे। हर धक्का मज़ा का नया अनुभव करवाता। उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी और माधव के झटको की रफ्तार बढ़ने लगी। धक्कों की रफ्तार बढ़ते ही चित्रा का शरीर अकड़ कर जोड़ का झटका लिया और चित्रा अपने कमर को पीछे करती उठकर बैठ गयी। बैठने के साथ ही लिंग को हाथ में लेकर 2 बार जोर हिलाई ही थी कि उसका पुरा पिचकारी नीचे बिस्तर पर।


हांफते हुए माधव बिस्तर पर आकर लेट गया। और चित्रा उसके सीने से लिपट गई। माधव उसके कमर पर रखे अपने हाथ को देखकर हंसते हुए कहने लगा… "तुम्हारा बदन बिल्कुल दूध की तरह है और मेरा सवाल। तुम्हारे बदन पर मेरा हाथ तो अजीब सा काला दिखने लगा।


चित्रा अपने आंख खोलकर घूरती हुई… "बाज नहीं आओगे इन सबसे ना। चलो उठो और जाकर मेरे बेडशीट को वाशिंग मशीन में धोकर आओ।"..


माधव:- पागल हो क्या, इतना सुकून मिल रहा है, मै तो तुम्हारे बदन को देखकर सेकंड राउंड की तैयारी में हूं। अभी थोड़ा बहुत ठीक भी हुए है, सेकंड राउंड करते रहे ना तो आम का गुठली हो जाओगे। चलो उठो जल्दी से। वैसे भी बहुत सारे स्टाफ आते-जाते रहते है। मुझे तुम्हारे साथ पढ़ना भी है।


दोनो ने कपड़े पहन लिए। चित्रा अपने बाल बनाकर बाहर आयी और "माधव के साथ पढ़ाई कर रही हूं" ऐसा संदेश भेजने के लिए मोबाइल हाथ में ली ही थी, की मुह से निकल गया... "ओह नो।".. और ठीक उसी वक्त... "चित्रा मैंने बेडशीट साफ कर दिया। कहां सूखने दूं।"


चित्रा:- मेरे सर पर..


माधव:- रुमाल तो सूखा भी लोगी, ई बेडशीट कैसे शुखेगा..


चित्रा:- डफर बाहर आर्य आया है। एसएमएस किया है मुझे, माधव की गाड़ी बाहर खड़ा देखा, जब फ्री होना तो कॉल कर देना।


माधव:- हां तो इसमें इतना ओवर रिएक्ट काहे कर रही हो। छोड़ो रिस्पॉन्ड ना करो। 2-3 घंटे पढ़ते है फिर उसके बाद कॉल लगाकर उल्टा डांट देना आया तो कॉल करता या स्टाफ के हाथ से खबर भिजवा देता।


चित्रा:- पागल है क्या? एक तो वो वैसे भी कम आता है ऊपर से इंतजार करवाऊं। मै मेरे बाप को इंतजार करवा सकती हूं उसे नहीं। इतना डरना क्यों वैसे भी मेरा दोस्त है, और वो हमारे बारे में जानता है। लाइव देखता तो उसे अजीब लगता, बाकी पता तो उसको भी होगा कि हमारे बीच क्या होता होगा।


माधव:- तो जाओ ना बुला लाओ। इतना सोच क्यों रही हो।


चित्रा:- हां जा रही हूं बस तुम कोई छीछोड़ी हरकत मत करना और कम बोलना। हो सके तो बोलना ही नहीं। ठीक है।


माधव:- हा ठीक है समझ गया।


चित्रा एक बार और खुद को आइने में देखी और दरवाजा खोलकर बाहर निकाल गई। सामने आर्यमणि सुरक्षाकर्मी के पास बैठकर कुछ बातें कर रहा था।… "सर आप बता तो देते की आर्य आया है।"..


सुरक्षाकर्मी:- चित्रा मैंने इनसे कहा मै चित्रा को इनफॉर्म कर देता हूं, यही कहने लगे नहीं मै एसएमएस कर देता हूं, वो जब मेरा संदेश देखेगी आ जाएगी।


चित्रा आर्य को आखें दिखाने लगी। आर्य मुसकुराते हुए उसे सॉरी कहा और उसके गले लगते हुए… "कैसी है।"..


चित्रा:- गुस्सा हूं तुझ पर। मै और निशांत तो तेरे लिए भूली कहानी हो गए ना।


आर्यमणि:- हां दूर हो सकता हूं, बात नहीं हुई ये भी मान सकता हूं, लेकिन तुम दोनो को जब ऐसा लगे कि मै भुल गया और तुम्हारे बुलाने पर भी नहीं आया तो समझ लेना की या तो मै मर गया या मर रहा हूं।


चित्रा, आर्यमणि को एक थप्पड़ लगाकर उसके गले लग गई और उसके गर्दन पर चूमती… "पागल यहां क्या रुलाने आया है।"..


आर्यमणि, चित्रा के पीठ पर हाथ ठोकते…. "गला छोड़ तेरा मजनू जल भुन रहा है।"


चित्रा:- अभी-अभी उसे पूरा मज़ा देकर आ रही हूं, इसके बाद भी जलेगा तो अपने घर जाएगा। लेकिन तू ऐसी बात करेगा तो तू भी सजा पाएगा, मै तुमसे बात ही करना बंद कर दूंगी। ना बात होगी ना ऐसे बोलेगा।


आर्यमणि उसके सर पर एक हाथ मारते… "झल्ली कहीं की, चल जारा मिलवाओ आज अच्छे से। ठीक से मिल नही पाया मै माधव से।"


चित्रा उसे लेकर अंदर आयी और दरवाजा वापस से बंद करती… "माधव ये है मेरा बेस्ट फ्रेंड और मेरा सबसे क्लोज आर्यमणि। आर्य ये है माधव, मेरा लवर और मेरे होने वाला जीवन साथी।"


माधव:- जानता हूं.… इतना गौर से मुझे क्यों देख रहे हो आर्य, मै सांवला ये बिल्कुल गोरी, और हमारी बेकार सी जोड़ी। चित्रा जैसी लड़की मुझे अपना जीवनसाथी कैसे चुन सकती है?


आर्यमणि:- बकवास हो गई। चित्रा जाओ तैयार होकर आओ, हम घूमने जा रहे है।


माधव:- हम कहां जा रहे है?


चित्रा:- सुना नहीं घूमने।


कुछ देर माधव और आर्यमणि के बीच खामोशी रही… "उ चित्रा को हम फिजिक्स और मैथमेटिक्स पढ़ाने आए थे।"..


आर्यमणि:- हम्मम !


माधव फिर कुछ देर ख़ामोश रहकर टेबल पर उंगलियां चलाते… "पलक और मै दोनो अच्छे दोस्त है। तुम तो देखे ही हो।"


"चलो चलते है।"… चित्रा आ गई और सब चल दिए। आर्यमणि चित्रा से कार की चाभी लेकर गराज की ओर गया और ये दोनो खुसुर-फुसुर करते दरवाजे तक जा रहें थे। माधव, चलते-चलते … "सुनो चित्रा"..


चित्रा:- ऐसे दबे गले से क्या बोल रहे हो। साफ साफ कहो ना..


माधव:- अरे धीमे बोलो। मुझे लगता है आर्य को हमारे बारे में शक हो गया है, और उ हमसे नफरत कर रहा है। बड़ा ही डराने वाला हाव भाव था वो भी बिना नजर मिलाए। घुर कर देखता फिर क्या होता मेरा?


चित्रा:- पागल हो क्या कुछ भी सोच रहे हो।


माधव:- अरे सही सोच रहे हैं। वो एक में 2 मिलाकर हमारी कहानी और लंबी कर देगा।


चित्रा:-1 में 2 मिलाकर मतलब, हम दोनों के बीच सेक्स हुआ इसे लंबा करके कहेगा हम थ्री सम कर रहे थे। और जब हम दोनों गले लगे हुए थे तब तुम इतना जेलस फील क्यों करते हो। हम दोनों पूल में न्यूड होकर नहाया करते थे, उस उम्र से साथ है बेवकूफ, और तुम शक्की नजर से देख रहे थे माधव।


माधव:- अरे अर्थ का अनर्थ काहे कर रही हो। मुझे डर लग रहा है हमरे बाबूजी को जब पता चलेगा हम शादी से पहले इ सब किए है, हमरी खाल खींच लेंगे।


तभी हॉर्न बजने लगी। चित्रा उसकी हालत पर हंसती हुई… "जाओ उसके साथ आगे बैठ जाओ और थोड़ी जान पहचान बढ़ाओ।"..


माधव चुपचाप जाकर पीछे बैठ गया, और चित्रा को आगे बैठना पड़ा। गाड़ी उन्हीं पहाड़ियों पर चल दी जहां आर्यमणि रूही और अलबेली को ट्रेनिंग देता था। गाड़ी जैसे ही थोड़ी दूर चली… "तू माधव से अच्छे से बात क्यों नहीं करता?"..


आर्यमणि:- मैंने कब बुरे तरीके से बात किया है। मै बैठा था और ऐसे बेवकूफों की तरह बात कर रहा था मानो पहली या दूसरी मुलाकात हो।


माधव:- सॉरी वो हम थोड़ा घबरा गए थे। वैसे हम कहां जा रहे है।


चित्रा और आर्यमणि एक साथ… "घूमने"


कुछ ही समय में तीनों जंगल के उस हिस्से में थे जहां रूही और अलबेली को आना था। माधव वहां पर चारो ओर देखते… "यहां कोई शेर, चीता या भालू तो नहीं रहता ना।"


आर्यमणि:- नहीं यहां भेड़िया पाए जाते है।


माधव:- काहे मज़ाक कर रहे हो। यहां कहां से भेड़िया आ गए। यें अपने कॉलेज की लड़की रूही है, अपनी बहिन के साथ आ रही।


रूही तो बड़े आराम से चल रही थी लेकिन अलबेली किसी इंसान की खुशबू पाकर खींची चली आ रही थी। … "अलबेली तुम इधर आओ। रूही इनसे मिलो ये है माधव, चित्रा का लवर। अभी के लिए इसे तुम अपना बॉयफ्रेंड मान सकती हो जाओ इसे जंगल घुमा लाओ।"


अलबेली:- रूही का चेहरा देखो उसे मज़ा नहीं आएगा, मै जाती हूं, घुमा कर ला देती हूं।


आर्यमणि:- जी नहीं, तुम बैठकर चित्रा से बातें करोगी।


अलबेली, चित्रा की खुशबू अपने जहन में उतारती…. "हम्मम ! बड़ी प्यारी खुशबू है।"



रूही:- चलिए बॉयफ्रेंड जी, आपको घूमाकर लाया जाए..


चित्रा, आर्यमणि की बांह थामती… "सेफ तो है ना।"


आर्यमणि:- मै हूं ना तुम चिंता क्यों करती हो। लेशन 1 याद रहे अलबेली, मुझे फिर दोबारा ना कहना परे।


अलबेली, अपने अंदर शवंस खींचती… "सॉरी भईया थोड़ी भटक गई थी".. फिर चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाती…. "हेल्लो चित्रा, मेरा नाम अलबेली है। मुझसे दोस्ती करोगे।"..


चित्रा उसके प्यारे से दोनो गाल खिंचते…. "तुम तो काफी प्यारी हो अलबेली, थोड़ी बड़ी हो जाओगी तो लड़को की लाइन लगेगी।"


अलबेली पहली बार किसी इंसान से मिल रही थी। शुरवात को एडजस्ट करने के बाद धीरे-धीरे वो भी माहौल में रमती चली गई। बात करना उसे इतना पसंद आया कि वो लगातार बात करती चली गई। इधर रूही भी माधव के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चल रही थी। वो भी पहली बार किसी इंसान के साथ इस कदर अकेली थी, लेकिन बहुत प्यारा अनुभव था। ऊपर से माधव की फनी बातें, उसे हंसने पर मजबूर कर देती। आर्यमणि अपने इतने दिनो की ट्रेनिंग को सफल होते हुए देख रहा था। रूही तो पहले भी सामान्य लोगों के साथ रह चुकी थी, लेकिन अलबेली के लिए पहला अनुभव था और काफी संतोषजनक था।

 
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भाग:–34





रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।


माधव:- पगला गई हो क्या? तुम्हारे बाबूजी को पता चला तो हमको जेल में डाल देंगे। फिर हम सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे और जब सरकारी नौकरी नहीं रहेगी तो फिर हम तुम्हारा हाथ मांगने किस मुंह से आएंगे?


चित्रा:- फट्टू 2 मिनट में तैयार होकर 10 मिनट में आओ। वरना मै उस वर्मा को हां बोल दूंगी और उसमे इतनी डेरिंग तो होगी ही।


माधव:- अब ऐसे बोलकर मेरे दिल में चाकू मत घोपो। आ रहे है। बाबूजी कहते थे..


चित्रा:- इतनी ही अच्छी-अच्छी बातें करते थे तुम्हारे बाबूजी तो तुम कहां से पैदा हो गये? ये नहीं बताते थे कि रोमांस भी किया करते थे।


माधव:- देखो तुम ऐसे बात मत करो वरना झगड़ा हो जाएगा।


चित्रा:- यहां आकर झगड़ा करो…


चित्रा का फोन डिस्कनेक्ट होते ही माधव जल्दी से तैयार हो गया। बाइक स्टार्ट करके… "लगता है आज कहीं पिटवाने का ना प्लान बनाई हो। माता रानी बचा लेना।"..


कुछ ही देर में माधव चित्रा के घर था। बाहर खड़ा सुरक्षाकर्मी उसे रोकते हुए… "क्या काम है।"..


माधव:- चित्रा के हम क्लासमेट है, उसे कुछ टॉपिक पर डिस्कस करना था। अब उ तो बॉयज हॉस्टल आ नहीं सकती इसलिए मुझे बुला लिया। अब आप रास्ता देंगे तो हम जाए।


सुरक्षाकर्मी:- रुको यहां..


कुछ देर बाद चित्रा खुद ही बाहर आयी और सुरक्षाकर्मी को उसका परिचय देती हुई बताने लगी कि ये मेरा दोस्त है। दोनो अंदर आए। माधव कुछ घबराया सा लग रहा था। चारो ओर देख भी रहा था कहीं घर पर इसकी मम्मी तो नहीं।… "बाहर तो बड़ा तनकर बात कर रहे थे, घर के अंदर इतनी फटी क्यों है?"


माधव:- अरे एक लड़की के घर कोई लड़का आ जाए तो तुम जानती नहीं की कितनी बड़ी बात हो जाती है।


चित्रा मुख्य द्वार लॉक करती… "हां बताओ कितनी बड़ी बात हो जाती है।"..


माधव ने एक नजर चित्रा को देखा और अगले ही पल उसके कमर में हाथ डालकर अपने पास खिंचते हुए… "घर में मम्मी डैडी कोई नहीं है ऐसा कहो ना।"


चित्रा:- क्या कर रहे हो, ऐसे खुले में कौन पकड़ता है।


माधव:- आज तो खुले में साथ नहाएंगे भी… डैडी मम्मी हैं नै घर पे, पिछले कमरे में घुस के, कुछ तो करेंगे छुप के, मिल ज़रा..


चित्रा:- हीहिहिही… उल्लू गाने में भी "छुप के मिल ज़रा" कह रहे है।


माधव:- गलत गाना गा दिया.. यहां गाना चाहिए "खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों।"..

चित्रा:- ठीक है फिर किसके पप्पा को लगा दू फोन, तुम्हारे या मेरे…


माधव, चित्रा से अलग होते… "देखो बाबूजी के नाम पर डराया ना करो।"


चित्रा माधव के पेट में गुदगुदी करती हुई… "तो किसके नाम से डराऊं हां। बताओ ना, हां बताओ बताओ।"..


माधव चित्रा का हांथ खिंचते, अपने ऊपर लिया और उसके खुले बाल को चेहरे से किनारे करते हुए, उंगली उसके चेहरे पर फिराते… "तुम्हारी आखें ही काफी है मुझे डराने के लिए। पहले ये डर था कि सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तो मै क्या करूंगा, अब ये डर लगा रहता है कि तुम ना मिलेगी तो क्या करूंगा।"


चित्रा, अपने होंठ आगे बढ़ती… "फिलहाल तो हम किस्स करेंगे।"…


दोनो एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाते हुए चूमने लगे। चूमते हुए माधव अपने हाथ चित्रा के बदन पर चलने लगा और चित्रा अपने हाथ माधव के बदन पर। एक दूसरे के होंठ में होंठ दबाकर किस्स कर रहे थे और किस्स के साथ माधव ने स्मूच करते हुए, उसके टॉप के ऊपर से उसके स्तन को भींच लिया।


"आह्हह" की कामुक मधुर आवाज के साथ चित्रा ने दबी सी सिसकी ली, और उखड़ती सी आवाज में कहने लगी… "यहां नहीं, रूम में चलते है।"..


दोनो तेजी से रूम में आए, चित्रा ने आते ही दरवाजा बंद कर लिया और एक दूसरे के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े भी उतार दिए। दोनो इनरवेयर में खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ चला रहे थे।


माधव अपने दोनो हाथ चित्रा के स्तन से टिकाते हुए, ऊपर की ओर धकेलते स्तन पर हल्का-हल्का मसाज देने लगा… "आह, माधव प्लीज मेरे बूब्स छोड़ दो, पहले से ज्यादा बढ़ गए है।"…. "और पहले से ज्यादा सेक्सी भी हो गए है।".. कहते हुए माधव ने ब्रा के कप को हटाया और निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ को पैंटी के अंदर डालकर उसके योनि को मसलने लगा।


चित्रा की गरदन जैसे अकड़ कर टाईट हो गई हो। वो बेकाबू होकर अपने मुट्ठी से उसके सर के बाल को पकड़ कर भींचने लगी और मादक श्वांस लेने लगी। माधव ने चित्रा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाऊं से पैंटी को खोलकर बाहर निकालते हुए चित्रा के पाऊं को फैला दिया… "नहीं माधव, वहां मुंह मत… आह्हुह .. क्या कर रहे हो… उफ्फ … नहीं माधव प्लीज… आहह"… चित्रा बिस्तर पे लेट कर छटपटाने लगी और अपने कमर को हिलाती हुई, माधव के बाल को पकड़ कर उसे अपने ऊपर ले ली… उसकी आखों में देखती हुई कहने लगी… "तुम्हारे होंठ मेरे होंठ को चूमने के लिए है, अगर दोबारा ऐसा किया ना"… "उम्ममममममम"… माधव होंठ से होंठ लगाकर पूरे होंठ का रसपान करने लगा।


चित्रा अपने पाऊं को हलक मोड़कर कमर को ऊपर के ओर उभार ली। अपने हाथ से माधव का लिंग पकड़कर अपने योनि पर घीसने लगी। लिंग और योनि के घिसने के साथ दोनो के बदन मचले हो जैसे। माधव ने कमर को स्मूथली झटका दिया और चित्रा भी अपने कमर को धीरे से ऊपर करती, योनि में लिंग का मादक स्वागत करने लगी।


माधव अपने दोनो हाथ बिस्तर से टिका कर बदन को चित्रा के ऊपर किया और चित्रा की आखों में देखकर उसे लगातार प्यार से धक्के मारने लगा। चित्रा योनि के अंदर लिंग के झटके को उतने ही प्यार और कामुकता से मेहसूस कर रही थी। चित्रा कामुकता में अपने आगे के बदन को ऊपर उठाकर माधव के निप्पल पर अपना जीभ फेर रही थीं।

दोनो के बदन पसीने से लथपथ थे। हर धक्का मज़ा का नया अनुभव करवाता। उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी और माधव के झटको की रफ्तार बढ़ने लगी। धक्कों की रफ्तार बढ़ते ही चित्रा का शरीर अकड़ कर जोड़ का झटका लिया और चित्रा अपने कमर को पीछे करती उठकर बैठ गयी। बैठने के साथ ही लिंग को हाथ में लेकर 2 बार जोर हिलाई ही थी कि उसका पुरा पिचकारी नीचे बिस्तर पर।


हांफते हुए माधव बिस्तर पर आकर लेट गया। और चित्रा उसके सीने से लिपट गई। माधव उसके कमर पर रखे अपने हाथ को देखकर हंसते हुए कहने लगा… "तुम्हारा बदन बिल्कुल दूध की तरह है और मेरा सवाल। तुम्हारे बदन पर मेरा हाथ तो अजीब सा काला दिखने लगा।


चित्रा अपने आंख खोलकर घूरती हुई… "बाज नहीं आओगे इन सबसे ना। चलो उठो और जाकर मेरे बेडशीट को वाशिंग मशीन में धोकर आओ।"..


माधव:- पागल हो क्या, इतना सुकून मिल रहा है, मै तो तुम्हारे बदन को देखकर सेकंड राउंड की तैयारी में हूं। अभी थोड़ा बहुत ठीक भी हुए है, सेकंड राउंड करते रहे ना तो आम का गुठली हो जाओगे। चलो उठो जल्दी से। वैसे भी बहुत सारे स्टाफ आते-जाते रहते है। मुझे तुम्हारे साथ पढ़ना भी है।


दोनो ने कपड़े पहन लिए। चित्रा अपने बाल बनाकर बाहर आयी और "माधव के साथ पढ़ाई कर रही हूं" ऐसा संदेश भेजने के लिए मोबाइल हाथ में ली ही थी, की मुह से निकल गया... "ओह नो।".. और ठीक उसी वक्त... "चित्रा मैंने बेडशीट साफ कर दिया। कहां सूखने दूं।"


चित्रा:- मेरे सर पर..


माधव:- रुमाल तो सूखा भी लोगी, ई बेडशीट कैसे शुखेगा..


चित्रा:- डफर बाहर आर्य आया है। एसएमएस किया है मुझे, माधव की गाड़ी बाहर खड़ा देखा, जब फ्री होना तो कॉल कर देना।


माधव:- हां तो इसमें इतना ओवर रिएक्ट काहे कर रही हो। छोड़ो रिस्पॉन्ड ना करो। 2-3 घंटे पढ़ते है फिर उसके बाद कॉल लगाकर उल्टा डांट देना आया तो कॉल करता या स्टाफ के हाथ से खबर भिजवा देता।


चित्रा:- पागल है क्या? एक तो वो वैसे भी कम आता है ऊपर से इंतजार करवाऊं। मै मेरे बाप को इंतजार करवा सकती हूं उसे नहीं। इतना डरना क्यों वैसे भी मेरा दोस्त है, और वो हमारे बारे में जानता है। लाइव देखता तो उसे अजीब लगता, बाकी पता तो उसको भी होगा कि हमारे बीच क्या होता होगा।


माधव:- तो जाओ ना बुला लाओ। इतना सोच क्यों रही हो।


चित्रा:- हां जा रही हूं बस तुम कोई छीछोड़ी हरकत मत करना और कम बोलना। हो सके तो बोलना ही नहीं। ठीक है।


माधव:- हा ठीक है समझ गया।


चित्रा एक बार और खुद को आइने में देखी और दरवाजा खोलकर बाहर निकाल गई। सामने आर्यमणि सुरक्षाकर्मी के पास बैठकर कुछ बातें कर रहा था।… "सर आप बता तो देते की आर्य आया है।"..


सुरक्षाकर्मी:- चित्रा मैंने इनसे कहा मै चित्रा को इनफॉर्म कर देता हूं, यही कहने लगे नहीं मै एसएमएस कर देता हूं, वो जब मेरा संदेश देखेगी आ जाएगी।


चित्रा आर्य को आखें दिखाने लगी। आर्य मुसकुराते हुए उसे सॉरी कहा और उसके गले लगते हुए… "कैसी है।"..


चित्रा:- गुस्सा हूं तुझ पर। मै और निशांत तो तेरे लिए भूली कहानी हो गए ना।


आर्यमणि:- हां दूर हो सकता हूं, बात नहीं हुई ये भी मान सकता हूं, लेकिन तुम दोनो को जब ऐसा लगे कि मै भुल गया और तुम्हारे बुलाने पर भी नहीं आया तो समझ लेना की या तो मै मर गया या मर रहा हूं।


चित्रा, आर्यमणि को एक थप्पड़ लगाकर उसके गले लग गई और उसके गर्दन पर चूमती… "पागल यहां क्या रुलाने आया है।"..


आर्यमणि, चित्रा के पीठ पर हाथ ठोकते…. "गला छोड़ तेरा मजनू जल भुन रहा है।"


चित्रा:- अभी-अभी उसे पूरा मज़ा देकर आ रही हूं, इसके बाद भी जलेगा तो अपने घर जाएगा। लेकिन तू ऐसी बात करेगा तो तू भी सजा पाएगा, मै तुमसे बात ही करना बंद कर दूंगी। ना बात होगी ना ऐसे बोलेगा।


आर्यमणि उसके सर पर एक हाथ मारते… "झल्ली कहीं की, चल जारा मिलवाओ आज अच्छे से। ठीक से मिल नही पाया मै माधव से।"


चित्रा उसे लेकर अंदर आयी और दरवाजा वापस से बंद करती… "माधव ये है मेरा बेस्ट फ्रेंड और मेरा सबसे क्लोज आर्यमणि। आर्य ये है माधव, मेरा लवर और मेरे होने वाला जीवन साथी।"


माधव:- जानता हूं.… इतना गौर से मुझे क्यों देख रहे हो आर्य, मै सांवला ये बिल्कुल गोरी, और हमारी बेकार सी जोड़ी। चित्रा जैसी लड़की मुझे अपना जीवनसाथी कैसे चुन सकती है?


आर्यमणि:- बकवास हो गई। चित्रा जाओ तैयार होकर आओ, हम घूमने जा रहे है।


माधव:- हम कहां जा रहे है?


चित्रा:- सुना नहीं घूमने।


कुछ देर माधव और आर्यमणि के बीच खामोशी रही… "उ चित्रा को हम फिजिक्स और मैथमेटिक्स पढ़ाने आए थे।"..


आर्यमणि:- हम्मम !


माधव फिर कुछ देर ख़ामोश रहकर टेबल पर उंगलियां चलाते… "पलक और मै दोनो अच्छे दोस्त है। तुम तो देखे ही हो।"


"चलो चलते है।"… चित्रा आ गई और सब चल दिए। आर्यमणि चित्रा से कार की चाभी लेकर गराज की ओर गया और ये दोनो खुसुर-फुसुर करते दरवाजे तक जा रहें थे। माधव, चलते-चलते … "सुनो चित्रा"..


चित्रा:- ऐसे दबे गले से क्या बोल रहे हो। साफ साफ कहो ना..


माधव:- अरे धीमे बोलो। मुझे लगता है आर्य को हमारे बारे में शक हो गया है, और उ हमसे नफरत कर रहा है। बड़ा ही डराने वाला हाव भाव था वो भी बिना नजर मिलाए। घुर कर देखता फिर क्या होता मेरा?


चित्रा:- पागल हो क्या कुछ भी सोच रहे हो।


माधव:- अरे सही सोच रहे हैं। वो एक में 2 मिलाकर हमारी कहानी और लंबी कर देगा।


चित्रा:-1 में 2 मिलाकर मतलब, हम दोनों के बीच सेक्स हुआ इसे लंबा करके कहेगा हम थ्री सम कर रहे थे। और जब हम दोनों गले लगे हुए थे तब तुम इतना जेलस फील क्यों करते हो। हम दोनों पूल में न्यूड होकर नहाया करते थे, उस उम्र से साथ है बेवकूफ, और तुम शक्की नजर से देख रहे थे माधव।


माधव:- अरे अर्थ का अनर्थ काहे कर रही हो। मुझे डर लग रहा है हमरे बाबूजी को जब पता चलेगा हम शादी से पहले इ सब किए है, हमरी खाल खींच लेंगे।


तभी हॉर्न बजने लगी। चित्रा उसकी हालत पर हंसती हुई… "जाओ उसके साथ आगे बैठ जाओ और थोड़ी जान पहचान बढ़ाओ।"..


माधव चुपचाप जाकर पीछे बैठ गया, और चित्रा को आगे बैठना पड़ा। गाड़ी उन्हीं पहाड़ियों पर चल दी जहां आर्यमणि रूही और अलबेली को ट्रेनिंग देता था। गाड़ी जैसे ही थोड़ी दूर चली… "तू माधव से अच्छे से बात क्यों नहीं करता?"..


आर्यमणि:- मैंने कब बुरे तरीके से बात किया है। मै बैठा था और ऐसे बेवकूफों की तरह बात कर रहा था मानो पहली या दूसरी मुलाकात हो।


माधव:- सॉरी वो हम थोड़ा घबरा गए थे। वैसे हम कहां जा रहे है।


चित्रा और आर्यमणि एक साथ… "घूमने"


कुछ ही समय में तीनों जंगल के उस हिस्से में थे जहां रूही और अलबेली को आना था। माधव वहां पर चारो ओर देखते… "यहां कोई शेर, चीता या भालू तो नहीं रहता ना।"


आर्यमणि:- नहीं यहां भेड़िया पाए जाते है।


माधव:- काहे मज़ाक कर रहे हो। यहां कहां से भेड़िया आ गए। यें अपने कॉलेज की लड़की रूही है, अपनी बहिन के साथ आ रही।


रूही तो बड़े आराम से चल रही थी लेकिन अलबेली किसी इंसान की खुशबू पाकर खींची चली आ रही थी। … "अलबेली तुम इधर आओ। रूही इनसे मिलो ये है माधव, चित्रा का लवर। अभी के लिए इसे तुम अपना बॉयफ्रेंड मान सकती हो जाओ इसे जंगल घुमा लाओ।"


अलबेली:- रूही का चेहरा देखो उसे मज़ा नहीं आएगा, मै जाती हूं, घुमा कर ला देती हूं।


आर्यमणि:- जी नहीं, तुम बैठकर चित्रा से बातें करोगी।


अलबेली, चित्रा की खुशबू अपने जहन में उतारती…. "हम्मम ! बड़ी प्यारी खुशबू है।"



रूही:- चलिए बॉयफ्रेंड जी, आपको घूमाकर लाया जाए..


चित्रा, आर्यमणि की बांह थामती… "सेफ तो है ना।"


आर्यमणि:- मै हूं ना तुम चिंता क्यों करती हो। लेशन 1 याद रहे अलबेली, मुझे फिर दोबारा ना कहना परे।


अलबेली, अपने अंदर शवंस खींचती… "सॉरी भईया थोड़ी भटक गई थी".. फिर चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाती…. "हेल्लो चित्रा, मेरा नाम अलबेली है। मुझसे दोस्ती करोगे।"..


चित्रा उसके प्यारे से दोनो गाल खिंचते…. "तुम तो काफी प्यारी हो अलबेली, थोड़ी बड़ी हो जाओगी तो लड़को की लाइन लगेगी।"


अलबेली पहली बार किसी इंसान से मिल रही थी। शुरवात को एडजस्ट करने के बाद धीरे-धीरे वो भी माहौल में रमती चली गई। बात करना उसे इतना पसंद आया कि वो लगातार बात करती चली गई। इधर रूही भी माधव के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चल रही थी। वो भी पहली बार किसी इंसान के साथ इस कदर अकेली थी, लेकिन बहुत प्यारा अनुभव था। ऊपर से माधव की फनी बातें, उसे हंसने पर मजबूर कर देती। आर्यमणि अपने इतने दिनो की ट्रेनिंग को सफल होते हुए देख रहा था। रूही तो पहले भी सामान्य लोगों के साथ रह चुकी थी, लेकिन अलबेली के लिए पहला अनुभव था और काफी संतोषजनक था।
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I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–34





रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।


माधव:- पगला गई हो क्या? तुम्हारे बाबूजी को पता चला तो हमको जेल में डाल देंगे। फिर हम सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे और जब सरकारी नौकरी नहीं रहेगी तो फिर हम तुम्हारा हाथ मांगने किस मुंह से आएंगे?


चित्रा:- फट्टू 2 मिनट में तैयार होकर 10 मिनट में आओ। वरना मै उस वर्मा को हां बोल दूंगी और उसमे इतनी डेरिंग तो होगी ही।


माधव:- अब ऐसे बोलकर मेरे दिल में चाकू मत घोपो। आ रहे है। बाबूजी कहते थे..


चित्रा:- इतनी ही अच्छी-अच्छी बातें करते थे तुम्हारे बाबूजी तो तुम कहां से पैदा हो गये? ये नहीं बताते थे कि रोमांस भी किया करते थे।


माधव:- देखो तुम ऐसे बात मत करो वरना झगड़ा हो जाएगा।


चित्रा:- यहां आकर झगड़ा करो…


चित्रा का फोन डिस्कनेक्ट होते ही माधव जल्दी से तैयार हो गया। बाइक स्टार्ट करके… "लगता है आज कहीं पिटवाने का ना प्लान बनाई हो। माता रानी बचा लेना।"..


कुछ ही देर में माधव चित्रा के घर था। बाहर खड़ा सुरक्षाकर्मी उसे रोकते हुए… "क्या काम है।"..


माधव:- चित्रा के हम क्लासमेट है, उसे कुछ टॉपिक पर डिस्कस करना था। अब उ तो बॉयज हॉस्टल आ नहीं सकती इसलिए मुझे बुला लिया। अब आप रास्ता देंगे तो हम जाए।


सुरक्षाकर्मी:- रुको यहां..


कुछ देर बाद चित्रा खुद ही बाहर आयी और सुरक्षाकर्मी को उसका परिचय देती हुई बताने लगी कि ये मेरा दोस्त है। दोनो अंदर आए। माधव कुछ घबराया सा लग रहा था। चारो ओर देख भी रहा था कहीं घर पर इसकी मम्मी तो नहीं।… "बाहर तो बड़ा तनकर बात कर रहे थे, घर के अंदर इतनी फटी क्यों है?"


माधव:- अरे एक लड़की के घर कोई लड़का आ जाए तो तुम जानती नहीं की कितनी बड़ी बात हो जाती है।


चित्रा मुख्य द्वार लॉक करती… "हां बताओ कितनी बड़ी बात हो जाती है।"..


माधव ने एक नजर चित्रा को देखा और अगले ही पल उसके कमर में हाथ डालकर अपने पास खिंचते हुए… "घर में मम्मी डैडी कोई नहीं है ऐसा कहो ना।"


चित्रा:- क्या कर रहे हो, ऐसे खुले में कौन पकड़ता है।


माधव:- आज तो खुले में साथ नहाएंगे भी… डैडी मम्मी हैं नै घर पे, पिछले कमरे में घुस के, कुछ तो करेंगे छुप के, मिल ज़रा..


चित्रा:- हीहिहिही… उल्लू गाने में भी "छुप के मिल ज़रा" कह रहे है।


माधव:- गलत गाना गा दिया.. यहां गाना चाहिए "खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों।"..

चित्रा:- ठीक है फिर किसके पप्पा को लगा दू फोन, तुम्हारे या मेरे…


माधव, चित्रा से अलग होते… "देखो बाबूजी के नाम पर डराया ना करो।"


चित्रा माधव के पेट में गुदगुदी करती हुई… "तो किसके नाम से डराऊं हां। बताओ ना, हां बताओ बताओ।"..


माधव चित्रा का हांथ खिंचते, अपने ऊपर लिया और उसके खुले बाल को चेहरे से किनारे करते हुए, उंगली उसके चेहरे पर फिराते… "तुम्हारी आखें ही काफी है मुझे डराने के लिए। पहले ये डर था कि सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तो मै क्या करूंगा, अब ये डर लगा रहता है कि तुम ना मिलेगी तो क्या करूंगा।"


चित्रा, अपने होंठ आगे बढ़ती… "फिलहाल तो हम किस्स करेंगे।"…


दोनो एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाते हुए चूमने लगे। चूमते हुए माधव अपने हाथ चित्रा के बदन पर चलने लगा और चित्रा अपने हाथ माधव के बदन पर। एक दूसरे के होंठ में होंठ दबाकर किस्स कर रहे थे और किस्स के साथ माधव ने स्मूच करते हुए, उसके टॉप के ऊपर से उसके स्तन को भींच लिया।


"आह्हह" की कामुक मधुर आवाज के साथ चित्रा ने दबी सी सिसकी ली, और उखड़ती सी आवाज में कहने लगी… "यहां नहीं, रूम में चलते है।"..


दोनो तेजी से रूम में आए, चित्रा ने आते ही दरवाजा बंद कर लिया और एक दूसरे के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े भी उतार दिए। दोनो इनरवेयर में खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ चला रहे थे।


माधव अपने दोनो हाथ चित्रा के स्तन से टिकाते हुए, ऊपर की ओर धकेलते स्तन पर हल्का-हल्का मसाज देने लगा… "आह, माधव प्लीज मेरे बूब्स छोड़ दो, पहले से ज्यादा बढ़ गए है।"…. "और पहले से ज्यादा सेक्सी भी हो गए है।".. कहते हुए माधव ने ब्रा के कप को हटाया और निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ को पैंटी के अंदर डालकर उसके योनि को मसलने लगा।


चित्रा की गरदन जैसे अकड़ कर टाईट हो गई हो। वो बेकाबू होकर अपने मुट्ठी से उसके सर के बाल को पकड़ कर भींचने लगी और मादक श्वांस लेने लगी। माधव ने चित्रा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाऊं से पैंटी को खोलकर बाहर निकालते हुए चित्रा के पाऊं को फैला दिया… "नहीं माधव, वहां मुंह मत… आह्हुह .. क्या कर रहे हो… उफ्फ … नहीं माधव प्लीज… आहह"… चित्रा बिस्तर पे लेट कर छटपटाने लगी और अपने कमर को हिलाती हुई, माधव के बाल को पकड़ कर उसे अपने ऊपर ले ली… उसकी आखों में देखती हुई कहने लगी… "तुम्हारे होंठ मेरे होंठ को चूमने के लिए है, अगर दोबारा ऐसा किया ना"… "उम्ममममममम"… माधव होंठ से होंठ लगाकर पूरे होंठ का रसपान करने लगा।


चित्रा अपने पाऊं को हलक मोड़कर कमर को ऊपर के ओर उभार ली। अपने हाथ से माधव का लिंग पकड़कर अपने योनि पर घीसने लगी। लिंग और योनि के घिसने के साथ दोनो के बदन मचले हो जैसे। माधव ने कमर को स्मूथली झटका दिया और चित्रा भी अपने कमर को धीरे से ऊपर करती, योनि में लिंग का मादक स्वागत करने लगी।


माधव अपने दोनो हाथ बिस्तर से टिका कर बदन को चित्रा के ऊपर किया और चित्रा की आखों में देखकर उसे लगातार प्यार से धक्के मारने लगा। चित्रा योनि के अंदर लिंग के झटके को उतने ही प्यार और कामुकता से मेहसूस कर रही थी। चित्रा कामुकता में अपने आगे के बदन को ऊपर उठाकर माधव के निप्पल पर अपना जीभ फेर रही थीं।

दोनो के बदन पसीने से लथपथ थे। हर धक्का मज़ा का नया अनुभव करवाता। उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी और माधव के झटको की रफ्तार बढ़ने लगी। धक्कों की रफ्तार बढ़ते ही चित्रा का शरीर अकड़ कर जोड़ का झटका लिया और चित्रा अपने कमर को पीछे करती उठकर बैठ गयी। बैठने के साथ ही लिंग को हाथ में लेकर 2 बार जोर हिलाई ही थी कि उसका पुरा पिचकारी नीचे बिस्तर पर।


हांफते हुए माधव बिस्तर पर आकर लेट गया। और चित्रा उसके सीने से लिपट गई। माधव उसके कमर पर रखे अपने हाथ को देखकर हंसते हुए कहने लगा… "तुम्हारा बदन बिल्कुल दूध की तरह है और मेरा सवाल। तुम्हारे बदन पर मेरा हाथ तो अजीब सा काला दिखने लगा।


चित्रा अपने आंख खोलकर घूरती हुई… "बाज नहीं आओगे इन सबसे ना। चलो उठो और जाकर मेरे बेडशीट को वाशिंग मशीन में धोकर आओ।"..


माधव:- पागल हो क्या, इतना सुकून मिल रहा है, मै तो तुम्हारे बदन को देखकर सेकंड राउंड की तैयारी में हूं। अभी थोड़ा बहुत ठीक भी हुए है, सेकंड राउंड करते रहे ना तो आम का गुठली हो जाओगे। चलो उठो जल्दी से। वैसे भी बहुत सारे स्टाफ आते-जाते रहते है। मुझे तुम्हारे साथ पढ़ना भी है।


दोनो ने कपड़े पहन लिए। चित्रा अपने बाल बनाकर बाहर आयी और "माधव के साथ पढ़ाई कर रही हूं" ऐसा संदेश भेजने के लिए मोबाइल हाथ में ली ही थी, की मुह से निकल गया... "ओह नो।".. और ठीक उसी वक्त... "चित्रा मैंने बेडशीट साफ कर दिया। कहां सूखने दूं।"


चित्रा:- मेरे सर पर..


माधव:- रुमाल तो सूखा भी लोगी, ई बेडशीट कैसे शुखेगा..


चित्रा:- डफर बाहर आर्य आया है। एसएमएस किया है मुझे, माधव की गाड़ी बाहर खड़ा देखा, जब फ्री होना तो कॉल कर देना।


माधव:- हां तो इसमें इतना ओवर रिएक्ट काहे कर रही हो। छोड़ो रिस्पॉन्ड ना करो। 2-3 घंटे पढ़ते है फिर उसके बाद कॉल लगाकर उल्टा डांट देना आया तो कॉल करता या स्टाफ के हाथ से खबर भिजवा देता।


चित्रा:- पागल है क्या? एक तो वो वैसे भी कम आता है ऊपर से इंतजार करवाऊं। मै मेरे बाप को इंतजार करवा सकती हूं उसे नहीं। इतना डरना क्यों वैसे भी मेरा दोस्त है, और वो हमारे बारे में जानता है। लाइव देखता तो उसे अजीब लगता, बाकी पता तो उसको भी होगा कि हमारे बीच क्या होता होगा।


माधव:- तो जाओ ना बुला लाओ। इतना सोच क्यों रही हो।


चित्रा:- हां जा रही हूं बस तुम कोई छीछोड़ी हरकत मत करना और कम बोलना। हो सके तो बोलना ही नहीं। ठीक है।


माधव:- हा ठीक है समझ गया।


चित्रा एक बार और खुद को आइने में देखी और दरवाजा खोलकर बाहर निकाल गई। सामने आर्यमणि सुरक्षाकर्मी के पास बैठकर कुछ बातें कर रहा था।… "सर आप बता तो देते की आर्य आया है।"..


सुरक्षाकर्मी:- चित्रा मैंने इनसे कहा मै चित्रा को इनफॉर्म कर देता हूं, यही कहने लगे नहीं मै एसएमएस कर देता हूं, वो जब मेरा संदेश देखेगी आ जाएगी।


चित्रा आर्य को आखें दिखाने लगी। आर्य मुसकुराते हुए उसे सॉरी कहा और उसके गले लगते हुए… "कैसी है।"..


चित्रा:- गुस्सा हूं तुझ पर। मै और निशांत तो तेरे लिए भूली कहानी हो गए ना।


आर्यमणि:- हां दूर हो सकता हूं, बात नहीं हुई ये भी मान सकता हूं, लेकिन तुम दोनो को जब ऐसा लगे कि मै भुल गया और तुम्हारे बुलाने पर भी नहीं आया तो समझ लेना की या तो मै मर गया या मर रहा हूं।


चित्रा, आर्यमणि को एक थप्पड़ लगाकर उसके गले लग गई और उसके गर्दन पर चूमती… "पागल यहां क्या रुलाने आया है।"..


आर्यमणि, चित्रा के पीठ पर हाथ ठोकते…. "गला छोड़ तेरा मजनू जल भुन रहा है।"


चित्रा:- अभी-अभी उसे पूरा मज़ा देकर आ रही हूं, इसके बाद भी जलेगा तो अपने घर जाएगा। लेकिन तू ऐसी बात करेगा तो तू भी सजा पाएगा, मै तुमसे बात ही करना बंद कर दूंगी। ना बात होगी ना ऐसे बोलेगा।


आर्यमणि उसके सर पर एक हाथ मारते… "झल्ली कहीं की, चल जारा मिलवाओ आज अच्छे से। ठीक से मिल नही पाया मै माधव से।"


चित्रा उसे लेकर अंदर आयी और दरवाजा वापस से बंद करती… "माधव ये है मेरा बेस्ट फ्रेंड और मेरा सबसे क्लोज आर्यमणि। आर्य ये है माधव, मेरा लवर और मेरे होने वाला जीवन साथी।"


माधव:- जानता हूं.… इतना गौर से मुझे क्यों देख रहे हो आर्य, मै सांवला ये बिल्कुल गोरी, और हमारी बेकार सी जोड़ी। चित्रा जैसी लड़की मुझे अपना जीवनसाथी कैसे चुन सकती है?


आर्यमणि:- बकवास हो गई। चित्रा जाओ तैयार होकर आओ, हम घूमने जा रहे है।


माधव:- हम कहां जा रहे है?


चित्रा:- सुना नहीं घूमने।


कुछ देर माधव और आर्यमणि के बीच खामोशी रही… "उ चित्रा को हम फिजिक्स और मैथमेटिक्स पढ़ाने आए थे।"..


आर्यमणि:- हम्मम !


माधव फिर कुछ देर ख़ामोश रहकर टेबल पर उंगलियां चलाते… "पलक और मै दोनो अच्छे दोस्त है। तुम तो देखे ही हो।"


"चलो चलते है।"… चित्रा आ गई और सब चल दिए। आर्यमणि चित्रा से कार की चाभी लेकर गराज की ओर गया और ये दोनो खुसुर-फुसुर करते दरवाजे तक जा रहें थे। माधव, चलते-चलते … "सुनो चित्रा"..


चित्रा:- ऐसे दबे गले से क्या बोल रहे हो। साफ साफ कहो ना..


माधव:- अरे धीमे बोलो। मुझे लगता है आर्य को हमारे बारे में शक हो गया है, और उ हमसे नफरत कर रहा है। बड़ा ही डराने वाला हाव भाव था वो भी बिना नजर मिलाए। घुर कर देखता फिर क्या होता मेरा?


चित्रा:- पागल हो क्या कुछ भी सोच रहे हो।


माधव:- अरे सही सोच रहे हैं। वो एक में 2 मिलाकर हमारी कहानी और लंबी कर देगा।


चित्रा:-1 में 2 मिलाकर मतलब, हम दोनों के बीच सेक्स हुआ इसे लंबा करके कहेगा हम थ्री सम कर रहे थे। और जब हम दोनों गले लगे हुए थे तब तुम इतना जेलस फील क्यों करते हो। हम दोनों पूल में न्यूड होकर नहाया करते थे, उस उम्र से साथ है बेवकूफ, और तुम शक्की नजर से देख रहे थे माधव।


माधव:- अरे अर्थ का अनर्थ काहे कर रही हो। मुझे डर लग रहा है हमरे बाबूजी को जब पता चलेगा हम शादी से पहले इ सब किए है, हमरी खाल खींच लेंगे।


तभी हॉर्न बजने लगी। चित्रा उसकी हालत पर हंसती हुई… "जाओ उसके साथ आगे बैठ जाओ और थोड़ी जान पहचान बढ़ाओ।"..


माधव चुपचाप जाकर पीछे बैठ गया, और चित्रा को आगे बैठना पड़ा। गाड़ी उन्हीं पहाड़ियों पर चल दी जहां आर्यमणि रूही और अलबेली को ट्रेनिंग देता था। गाड़ी जैसे ही थोड़ी दूर चली… "तू माधव से अच्छे से बात क्यों नहीं करता?"..


आर्यमणि:- मैंने कब बुरे तरीके से बात किया है। मै बैठा था और ऐसे बेवकूफों की तरह बात कर रहा था मानो पहली या दूसरी मुलाकात हो।


माधव:- सॉरी वो हम थोड़ा घबरा गए थे। वैसे हम कहां जा रहे है।


चित्रा और आर्यमणि एक साथ… "घूमने"


कुछ ही समय में तीनों जंगल के उस हिस्से में थे जहां रूही और अलबेली को आना था। माधव वहां पर चारो ओर देखते… "यहां कोई शेर, चीता या भालू तो नहीं रहता ना।"


आर्यमणि:- नहीं यहां भेड़िया पाए जाते है।


माधव:- काहे मज़ाक कर रहे हो। यहां कहां से भेड़िया आ गए। यें अपने कॉलेज की लड़की रूही है, अपनी बहिन के साथ आ रही।


रूही तो बड़े आराम से चल रही थी लेकिन अलबेली किसी इंसान की खुशबू पाकर खींची चली आ रही थी। … "अलबेली तुम इधर आओ। रूही इनसे मिलो ये है माधव, चित्रा का लवर। अभी के लिए इसे तुम अपना बॉयफ्रेंड मान सकती हो जाओ इसे जंगल घुमा लाओ।"


अलबेली:- रूही का चेहरा देखो उसे मज़ा नहीं आएगा, मै जाती हूं, घुमा कर ला देती हूं।


आर्यमणि:- जी नहीं, तुम बैठकर चित्रा से बातें करोगी।


अलबेली, चित्रा की खुशबू अपने जहन में उतारती…. "हम्मम ! बड़ी प्यारी खुशबू है।"



रूही:- चलिए बॉयफ्रेंड जी, आपको घूमाकर लाया जाए..


चित्रा, आर्यमणि की बांह थामती… "सेफ तो है ना।"


आर्यमणि:- मै हूं ना तुम चिंता क्यों करती हो। लेशन 1 याद रहे अलबेली, मुझे फिर दोबारा ना कहना परे।


अलबेली, अपने अंदर शवंस खींचती… "सॉरी भईया थोड़ी भटक गई थी".. फिर चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाती…. "हेल्लो चित्रा, मेरा नाम अलबेली है। मुझसे दोस्ती करोगे।"..


चित्रा उसके प्यारे से दोनो गाल खिंचते…. "तुम तो काफी प्यारी हो अलबेली, थोड़ी बड़ी हो जाओगी तो लड़को की लाइन लगेगी।"


अलबेली पहली बार किसी इंसान से मिल रही थी। शुरवात को एडजस्ट करने के बाद धीरे-धीरे वो भी माहौल में रमती चली गई। बात करना उसे इतना पसंद आया कि वो लगातार बात करती चली गई। इधर रूही भी माधव के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चल रही थी। वो भी पहली बार किसी इंसान के साथ इस कदर अकेली थी, लेकिन बहुत प्यारा अनुभव था। ऊपर से माधव की फनी बातें, उसे हंसने पर मजबूर कर देती। आर्यमणि अपने इतने दिनो की ट्रेनिंग को सफल होते हुए देख रहा था। रूही तो पहले भी सामान्य लोगों के साथ रह चुकी थी, लेकिन अलबेली के लिए पहला अनुभव था और काफी संतोषजनक था।
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भाग:–34





रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।



माधव:- पगला गई हो क्या? तुम्हारे बाबूजी को पता चला तो हमको जेल में डाल देंगे। फिर हम सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे और जब सरकारी नौकरी नहीं रहेगी तो फिर हम तुम्हारा हाथ मांगने किस मुंह से आएंगे?


चित्रा:- फट्टू 2 मिनट में तैयार होकर 10 मिनट में आओ। वरना मै उस वर्मा को हां बोल दूंगी और उसमे इतनी डेरिंग तो होगी ही।


माधव:- अब ऐसे बोलकर मेरे दिल में चाकू मत घोपो। आ रहे है। बाबूजी कहते थे..


चित्रा:- इतनी ही अच्छी-अच्छी बातें करते थे तुम्हारे बाबूजी तो तुम कहां से पैदा हो गये? ये नहीं बताते थे कि रोमांस भी किया करते थे।


माधव:- देखो तुम ऐसे बात मत करो वरना झगड़ा हो जाएगा।


चित्रा:- यहां आकर झगड़ा करो…


चित्रा का फोन डिस्कनेक्ट होते ही माधव जल्दी से तैयार हो गया। बाइक स्टार्ट करके… "लगता है आज कहीं पिटवाने का ना प्लान बनाई हो। माता रानी बचा लेना।"..


कुछ ही देर में माधव चित्रा के घर था। बाहर खड़ा सुरक्षाकर्मी उसे रोकते हुए… "क्या काम है।"..


माधव:- चित्रा के हम क्लासमेट है, उसे कुछ टॉपिक पर डिस्कस करना था। अब उ तो बॉयज हॉस्टल आ नहीं सकती इसलिए मुझे बुला लिया। अब आप रास्ता देंगे तो हम जाए।


सुरक्षाकर्मी:- रुको यहां..


कुछ देर बाद चित्रा खुद ही बाहर आयी और सुरक्षाकर्मी को उसका परिचय देती हुई बताने लगी कि ये मेरा दोस्त है। दोनो अंदर आए। माधव कुछ घबराया सा लग रहा था। चारो ओर देख भी रहा था कहीं घर पर इसकी मम्मी तो नहीं।… "बाहर तो बड़ा तनकर बात कर रहे थे, घर के अंदर इतनी फटी क्यों है?"


माधव:- अरे एक लड़की के घर कोई लड़का आ जाए तो तुम जानती नहीं की कितनी बड़ी बात हो जाती है।


चित्रा मुख्य द्वार लॉक करती… "हां बताओ कितनी बड़ी बात हो जाती है।"..


माधव ने एक नजर चित्रा को देखा और अगले ही पल उसके कमर में हाथ डालकर अपने पास खिंचते हुए… "घर में मम्मी डैडी कोई नहीं है ऐसा कहो ना।"


चित्रा:- क्या कर रहे हो, ऐसे खुले में कौन पकड़ता है।


माधव:- आज तो खुले में साथ नहाएंगे भी… डैडी मम्मी हैं नै घर पे, पिछले कमरे में घुस के, कुछ तो करेंगे छुप के, मिल ज़रा..


चित्रा:- हीहिहिही… उल्लू गाने में भी "छुप के मिल ज़रा" कह रहे है।


माधव:- गलत गाना गा दिया.. यहां गाना चाहिए "खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों।"..

चित्रा:- ठीक है फिर किसके पप्पा को लगा दू फोन, तुम्हारे या मेरे…


माधव, चित्रा से अलग होते… "देखो बाबूजी के नाम पर डराया ना करो।"


चित्रा माधव के पेट में गुदगुदी करती हुई… "तो किसके नाम से डराऊं हां। बताओ ना, हां बताओ बताओ।"..


माधव चित्रा का हांथ खिंचते, अपने ऊपर लिया और उसके खुले बाल को चेहरे से किनारे करते हुए, उंगली उसके चेहरे पर फिराते… "तुम्हारी आखें ही काफी है मुझे डराने के लिए। पहले ये डर था कि सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तो मै क्या करूंगा, अब ये डर लगा रहता है कि तुम ना मिलेगी तो क्या करूंगा।"


चित्रा, अपने होंठ आगे बढ़ती… "फिलहाल तो हम किस्स करेंगे।"…


दोनो एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाते हुए चूमने लगे। चूमते हुए माधव अपने हाथ चित्रा के बदन पर चलने लगा और चित्रा अपने हाथ माधव के बदन पर। एक दूसरे के होंठ में होंठ दबाकर किस्स कर रहे थे और किस्स के साथ माधव ने स्मूच करते हुए, उसके टॉप के ऊपर से उसके स्तन को भींच लिया।


"आह्हह" की कामुक मधुर आवाज के साथ चित्रा ने दबी सी सिसकी ली, और उखड़ती सी आवाज में कहने लगी… "यहां नहीं, रूम में चलते है।"..


दोनो तेजी से रूम में आए, चित्रा ने आते ही दरवाजा बंद कर लिया और एक दूसरे के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े भी उतार दिए। दोनो इनरवेयर में खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ चला रहे थे।


माधव अपने दोनो हाथ चित्रा के स्तन से टिकाते हुए, ऊपर की ओर धकेलते स्तन पर हल्का-हल्का मसाज देने लगा… "आह, माधव प्लीज मेरे बूब्स छोड़ दो, पहले से ज्यादा बढ़ गए है।"…. "और पहले से ज्यादा सेक्सी भी हो गए है।".. कहते हुए माधव ने ब्रा के कप को हटाया और निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ को पैंटी के अंदर डालकर उसके योनि को मसलने लगा।


चित्रा की गरदन जैसे अकड़ कर टाईट हो गई हो। वो बेकाबू होकर अपने मुट्ठी से उसके सर के बाल को पकड़ कर भींचने लगी और मादक श्वांस लेने लगी। माधव ने चित्रा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाऊं से पैंटी को खोलकर बाहर निकालते हुए चित्रा के पाऊं को फैला दिया… "नहीं माधव, वहां मुंह मत… आह्हुह .. क्या कर रहे हो… उफ्फ … नहीं माधव प्लीज… आहह"… चित्रा बिस्तर पे लेट कर छटपटाने लगी और अपने कमर को हिलाती हुई, माधव के बाल को पकड़ कर उसे अपने ऊपर ले ली… उसकी आखों में देखती हुई कहने लगी… "तुम्हारे होंठ मेरे होंठ को चूमने के लिए है, अगर दोबारा ऐसा किया ना"… "उम्ममममममम"… माधव होंठ से होंठ लगाकर पूरे होंठ का रसपान करने लगा।


चित्रा अपने पाऊं को हलक मोड़कर कमर को ऊपर के ओर उभार ली। अपने हाथ से माधव का लिंग पकड़कर अपने योनि पर घीसने लगी। लिंग और योनि के घिसने के साथ दोनो के बदन मचले हो जैसे। माधव ने कमर को स्मूथली झटका दिया और चित्रा भी अपने कमर को धीरे से ऊपर करती, योनि में लिंग का मादक स्वागत करने लगी।


माधव अपने दोनो हाथ बिस्तर से टिका कर बदन को चित्रा के ऊपर किया और चित्रा की आखों में देखकर उसे लगातार प्यार से धक्के मारने लगा। चित्रा योनि के अंदर लिंग के झटके को उतने ही प्यार और कामुकता से मेहसूस कर रही थी। चित्रा कामुकता में अपने आगे के बदन को ऊपर उठाकर माधव के निप्पल पर अपना जीभ फेर रही थीं।

दोनो के बदन पसीने से लथपथ थे। हर धक्का मज़ा का नया अनुभव करवाता। उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी और माधव के झटको की रफ्तार बढ़ने लगी। धक्कों की रफ्तार बढ़ते ही चित्रा का शरीर अकड़ कर जोड़ का झटका लिया और चित्रा अपने कमर को पीछे करती उठकर बैठ गयी। बैठने के साथ ही लिंग को हाथ में लेकर 2 बार जोर हिलाई ही थी कि उसका पुरा पिचकारी नीचे बिस्तर पर।


हांफते हुए माधव बिस्तर पर आकर लेट गया। और चित्रा उसके सीने से लिपट गई। माधव उसके कमर पर रखे अपने हाथ को देखकर हंसते हुए कहने लगा… "तुम्हारा बदन बिल्कुल दूध की तरह है और मेरा सवाल। तुम्हारे बदन पर मेरा हाथ तो अजीब सा काला दिखने लगा।


चित्रा अपने आंख खोलकर घूरती हुई… "बाज नहीं आओगे इन सबसे ना। चलो उठो और जाकर मेरे बेडशीट को वाशिंग मशीन में धोकर आओ।"..


माधव:- पागल हो क्या, इतना सुकून मिल रहा है, मै तो तुम्हारे बदन को देखकर सेकंड राउंड की तैयारी में हूं। अभी थोड़ा बहुत ठीक भी हुए है, सेकंड राउंड करते रहे ना तो आम का गुठली हो जाओगे। चलो उठो जल्दी से। वैसे भी बहुत सारे स्टाफ आते-जाते रहते है। मुझे तुम्हारे साथ पढ़ना भी है।


दोनो ने कपड़े पहन लिए। चित्रा अपने बाल बनाकर बाहर आयी और "माधव के साथ पढ़ाई कर रही हूं" ऐसा संदेश भेजने के लिए मोबाइल हाथ में ली ही थी, की मुह से निकल गया... "ओह नो।".. और ठीक उसी वक्त... "चित्रा मैंने बेडशीट साफ कर दिया। कहां सूखने दूं।"


चित्रा:- मेरे सर पर..


माधव:- रुमाल तो सूखा भी लोगी, ई बेडशीट कैसे शुखेगा..


चित्रा:- डफर बाहर आर्य आया है। एसएमएस किया है मुझे, माधव की गाड़ी बाहर खड़ा देखा, जब फ्री होना तो कॉल कर देना।


माधव:- हां तो इसमें इतना ओवर रिएक्ट काहे कर रही हो। छोड़ो रिस्पॉन्ड ना करो। 2-3 घंटे पढ़ते है फिर उसके बाद कॉल लगाकर उल्टा डांट देना आया तो कॉल करता या स्टाफ के हाथ से खबर भिजवा देता।


चित्रा:- पागल है क्या? एक तो वो वैसे भी कम आता है ऊपर से इंतजार करवाऊं। मै मेरे बाप को इंतजार करवा सकती हूं उसे नहीं। इतना डरना क्यों वैसे भी मेरा दोस्त है, और वो हमारे बारे में जानता है। लाइव देखता तो उसे अजीब लगता, बाकी पता तो उसको भी होगा कि हमारे बीच क्या होता होगा।


माधव:- तो जाओ ना बुला लाओ। इतना सोच क्यों रही हो।


चित्रा:- हां जा रही हूं बस तुम कोई छीछोड़ी हरकत मत करना और कम बोलना। हो सके तो बोलना ही नहीं। ठीक है।


माधव:- हा ठीक है समझ गया।


चित्रा एक बार और खुद को आइने में देखी और दरवाजा खोलकर बाहर निकाल गई। सामने आर्यमणि सुरक्षाकर्मी के पास बैठकर कुछ बातें कर रहा था।… "सर आप बता तो देते की आर्य आया है।"..


सुरक्षाकर्मी:- चित्रा मैंने इनसे कहा मै चित्रा को इनफॉर्म कर देता हूं, यही कहने लगे नहीं मै एसएमएस कर देता हूं, वो जब मेरा संदेश देखेगी आ जाएगी।


चित्रा आर्य को आखें दिखाने लगी। आर्य मुसकुराते हुए उसे सॉरी कहा और उसके गले लगते हुए… "कैसी है।"..


चित्रा:- गुस्सा हूं तुझ पर। मै और निशांत तो तेरे लिए भूली कहानी हो गए ना।


आर्यमणि:- हां दूर हो सकता हूं, बात नहीं हुई ये भी मान सकता हूं, लेकिन तुम दोनो को जब ऐसा लगे कि मै भुल गया और तुम्हारे बुलाने पर भी नहीं आया तो समझ लेना की या तो मै मर गया या मर रहा हूं।


चित्रा, आर्यमणि को एक थप्पड़ लगाकर उसके गले लग गई और उसके गर्दन पर चूमती… "पागल यहां क्या रुलाने आया है।"..


आर्यमणि, चित्रा के पीठ पर हाथ ठोकते…. "गला छोड़ तेरा मजनू जल भुन रहा है।"


चित्रा:- अभी-अभी उसे पूरा मज़ा देकर आ रही हूं, इसके बाद भी जलेगा तो अपने घर जाएगा। लेकिन तू ऐसी बात करेगा तो तू भी सजा पाएगा, मै तुमसे बात ही करना बंद कर दूंगी। ना बात होगी ना ऐसे बोलेगा।


आर्यमणि उसके सर पर एक हाथ मारते… "झल्ली कहीं की, चल जारा मिलवाओ आज अच्छे से। ठीक से मिल नही पाया मै माधव से।"


चित्रा उसे लेकर अंदर आयी और दरवाजा वापस से बंद करती… "माधव ये है मेरा बेस्ट फ्रेंड और मेरा सबसे क्लोज आर्यमणि। आर्य ये है माधव, मेरा लवर और मेरे होने वाला जीवन साथी।"


माधव:- जानता हूं.… इतना गौर से मुझे क्यों देख रहे हो आर्य, मै सांवला ये बिल्कुल गोरी, और हमारी बेकार सी जोड़ी। चित्रा जैसी लड़की मुझे अपना जीवनसाथी कैसे चुन सकती है?


आर्यमणि:- बकवास हो गई। चित्रा जाओ तैयार होकर आओ, हम घूमने जा रहे है।


माधव:- हम कहां जा रहे है?


चित्रा:- सुना नहीं घूमने।


कुछ देर माधव और आर्यमणि के बीच खामोशी रही… "उ चित्रा को हम फिजिक्स और मैथमेटिक्स पढ़ाने आए थे।"..


आर्यमणि:- हम्मम !


माधव फिर कुछ देर ख़ामोश रहकर टेबल पर उंगलियां चलाते… "पलक और मै दोनो अच्छे दोस्त है। तुम तो देखे ही हो।"


"चलो चलते है।"… चित्रा आ गई और सब चल दिए। आर्यमणि चित्रा से कार की चाभी लेकर गराज की ओर गया और ये दोनो खुसुर-फुसुर करते दरवाजे तक जा रहें थे। माधव, चलते-चलते … "सुनो चित्रा"..


चित्रा:- ऐसे दबे गले से क्या बोल रहे हो। साफ साफ कहो ना..


माधव:- अरे धीमे बोलो। मुझे लगता है आर्य को हमारे बारे में शक हो गया है, और उ हमसे नफरत कर रहा है। बड़ा ही डराने वाला हाव भाव था वो भी बिना नजर मिलाए। घुर कर देखता फिर क्या होता मेरा?


चित्रा:- पागल हो क्या कुछ भी सोच रहे हो।


माधव:- अरे सही सोच रहे हैं। वो एक में 2 मिलाकर हमारी कहानी और लंबी कर देगा।


चित्रा:-1 में 2 मिलाकर मतलब, हम दोनों के बीच सेक्स हुआ इसे लंबा करके कहेगा हम थ्री सम कर रहे थे। और जब हम दोनों गले लगे हुए थे तब तुम इतना जेलस फील क्यों करते हो। हम दोनों पूल में न्यूड होकर नहाया करते थे, उस उम्र से साथ है बेवकूफ, और तुम शक्की नजर से देख रहे थे माधव।


माधव:- अरे अर्थ का अनर्थ काहे कर रही हो। मुझे डर लग रहा है हमरे बाबूजी को जब पता चलेगा हम शादी से पहले इ सब किए है, हमरी खाल खींच लेंगे।


तभी हॉर्न बजने लगी। चित्रा उसकी हालत पर हंसती हुई… "जाओ उसके साथ आगे बैठ जाओ और थोड़ी जान पहचान बढ़ाओ।"..


माधव चुपचाप जाकर पीछे बैठ गया, और चित्रा को आगे बैठना पड़ा। गाड़ी उन्हीं पहाड़ियों पर चल दी जहां आर्यमणि रूही और अलबेली को ट्रेनिंग देता था। गाड़ी जैसे ही थोड़ी दूर चली… "तू माधव से अच्छे से बात क्यों नहीं करता?"..


आर्यमणि:- मैंने कब बुरे तरीके से बात किया है। मै बैठा था और ऐसे बेवकूफों की तरह बात कर रहा था मानो पहली या दूसरी मुलाकात हो।


माधव:- सॉरी वो हम थोड़ा घबरा गए थे। वैसे हम कहां जा रहे है।


चित्रा और आर्यमणि एक साथ… "घूमने"


कुछ ही समय में तीनों जंगल के उस हिस्से में थे जहां रूही और अलबेली को आना था। माधव वहां पर चारो ओर देखते… "यहां कोई शेर, चीता या भालू तो नहीं रहता ना।"


आर्यमणि:- नहीं यहां भेड़िया पाए जाते है।


माधव:- काहे मज़ाक कर रहे हो। यहां कहां से भेड़िया आ गए। यें अपने कॉलेज की लड़की रूही है, अपनी बहिन के साथ आ रही।


रूही तो बड़े आराम से चल रही थी लेकिन अलबेली किसी इंसान की खुशबू पाकर खींची चली आ रही थी। … "अलबेली तुम इधर आओ। रूही इनसे मिलो ये है माधव, चित्रा का लवर। अभी के लिए इसे तुम अपना बॉयफ्रेंड मान सकती हो जाओ इसे जंगल घुमा लाओ।"


अलबेली:- रूही का चेहरा देखो उसे मज़ा नहीं आएगा, मै जाती हूं, घुमा कर ला देती हूं।


आर्यमणि:- जी नहीं, तुम बैठकर चित्रा से बातें करोगी।


अलबेली, चित्रा की खुशबू अपने जहन में उतारती…. "हम्मम ! बड़ी प्यारी खुशबू है।"



रूही:- चलिए बॉयफ्रेंड जी, आपको घूमाकर लाया जाए..


चित्रा, आर्यमणि की बांह थामती… "सेफ तो है ना।"


आर्यमणि:- मै हूं ना तुम चिंता क्यों करती हो। लेशन 1 याद रहे अलबेली, मुझे फिर दोबारा ना कहना परे।


अलबेली, अपने अंदर शवंस खींचती… "सॉरी भईया थोड़ी भटक गई थी".. फिर चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाती…. "हेल्लो चित्रा, मेरा नाम अलबेली है। मुझसे दोस्ती करोगे।"..


चित्रा उसके प्यारे से दोनो गाल खिंचते…. "तुम तो काफी प्यारी हो अलबेली, थोड़ी बड़ी हो जाओगी तो लड़को की लाइन लगेगी।"


अलबेली पहली बार किसी इंसान से मिल रही थी। शुरवात को एडजस्ट करने के बाद धीरे-धीरे वो भी माहौल में रमती चली गई। बात करना उसे इतना पसंद आया कि वो लगातार बात करती चली गई। इधर रूही भी माधव के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चल रही थी। वो भी पहली बार किसी इंसान के साथ इस कदर अकेली थी, लेकिन बहुत प्यारा अनुभव था। ऊपर से माधव की फनी बातें, उसे हंसने पर मजबूर कर देती। आर्यमणि अपने इतने दिनो की ट्रेनिंग को सफल होते हुए देख रहा था। रूही तो पहले भी सामान्य लोगों के साथ रह चुकी थी, लेकिन अलबेली के लिए पहला अनुभव था और काफी संतोषजनक था।

बहुत शानदार अपडेट भाई,
चित्रा सूने घर का खूब फायदा उठाया,हा लेकिन हक जताते हुए माधव से बेडशीट भी धुलवा दी। आर्य अपने दोनों अल्फा के ट्रेनिंग की सफलता को देखने के लिए उनको माधव और चित्रा को मिलवाया है। देखते है कि आगे क्या होता है।
अगले अपडेट के इंतजार में......
 
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