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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–30




एक अध्याय समाप्त होने को था, और पहला लक्ष्य मिल चुका था। रात के तकरीबन 10.30 बजे आर्यमणि वापस आया। भूमि हॉल में बैठकर उसका इंतजार कर रही थी। आर्यमणि आते ही भूमि के पास चला गया… "किस सोच में डूबी हो।"..


भूमि:- सॉरी, वो मैंने तुझे टेस्ट के बारे में कुछ भी नही बताया।


आर्यमणि:- वो सब छोड़ो, मुझे पढ़ने में मज़ा नहीं आ रहा, मुझे कुछ पैसे चाहिए, बिजनेस करना है।


भूमि:- हाहाहाहा… अभी तो तूने ठीक से जिंदगी नहीं जिया। 2-4 साल अपने शौक पूरे कर ले, फिर बिजनेस करना।


आर्यमणि:- मुझे आप पैसे दे रही हो या मै मौसी से मांग लूं।


भूमि:- तूने पक्का मन बनाया है।


आर्यमणि:- हां दीदी।


भूमि:- अच्छा ठीक है कितने पैसे चाहिए तुझे..


आर्यमणि:- 10 करोड़।


भूमि:- अच्छा और किराये के दुकान में काम शुरू करेगा।


आर्यमणि:- अभी स्टार्टअप है ना, धीरे-धीरे काम बढ़ाऊंगा।


भूमि:- अच्छा तू बिजनेस कौन सा करेगा।


आर्यमणि:- अर्मस एंड अम्यूनेशन के पार्ट्स डेवलप करना।


भूमि:- क्या है ये सब आर्य। गवर्नमेंट तुम्हे कभी अनुमति नहीं देगी।


आर्यमणि:- दीदी भरोसा है ना मुझ पर।


भूमि:- नहीं।


आर्यमणि:- क्या बोली?


भूमि:- भाई कुछ और कर ले ना। ये हटके वाला बिजनेस क्यों करना चाहता है। आराम से एक शॉपिंग मॉल का फाइनेंस मुझसे लेले। मस्त प्राइम लोकेशन पर खोल। तेजस दादा को टक्कर दे। ये सब ना करके तुझे वैपन डेवलप करना है। भाई गवर्नमेंट उसकी अनुमति तुम्हे नहीं देगी वो सिर्फ इशारों और डीआरडीओ करता है।


आर्यमणि:- अरे मेरी भोली दीदी, गन की नली उसके पार्ट्स, ये सब सरकारी जगहों पर नहीं बनता है। मैंने सब सोच रखा है। मेरा पूरा प्रोजक्ट तैयार भी है। तुम बस 10 करोड़ दो मुझे और 2 महीने का वक़्त।


भूमि:- ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुझे कितना जगह में कैसा कंस्ट्रक्शन चाहिए वो बता दे। काम हम अपनी जगह में शुरू करेंगे।


आर्यमणि:- जगह 6000 स्क्वेयर फुट। 1 अंडरग्राउंड फ्लोर और 4 फ्लोर उसके ऊपर खड़ा।


भूमि:- ओह मतलब तू प्रोजेक्ट के बदले सरकार से लॉन लेता, फिर अपना काम शुरू करता।


आर्यमणि:- हां यही करने वाला था।


भूमि:- कोई जरूरत नहीं है, तू बस अपना प्रोजेक्ट रेडी रख, बाकी सब मैं देख लूंगी। और कुछ..


आर्यमणि:- हां है ना…


भूमि:- क्या?


आर्यमणि:- जल्दी से खुशखबरी दो, मै मामा कब बन रहा हूं।


भूमि:- हां ठीक मैंने सुन लिया, अब जाएगा सोने या थप्पड़ खाएगा। ..


सुबह-सुबह का वक़्त और आर्यमणि की बाइक सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस के घर पर। घर की बेल बजी और नम्रता दरवाजा पर आते ही…. "आई पहली बार तुम्हारे छोटे जमाई घर आये है, क्या करूं?"..


"छोटे जमाई"… सुनकर ही पलक खुशी से उछलने लगी। वो दौड़कर बाहर दरवाजे तक आयी और आर्यमणि का हाथ पकड़कर अंदर लाते…. "हद है दीदी आप तो ऐसे पूछ रही हो जैसे पहली बार कोई दुल्हन घर आ रही हो। यहां बैठो आर्य, क्या लोगे।"


आर्यमणि:- कल तुम्हारे लिए कुछ शॉपिंग की थी, रख लो।


नम्रता:- जारा मुझे भी दिखाओ क्या लाये हो?


जैसे ही नम्रता बैग दिखाने बोली, पलक, आर्यमणि के हाथ से बैग छीनकर कमरे में भागती हुई…. "पहनकर दिखा देती हूं दीदी, मेरे लिए ड्रेस और एसेसरीज लेकर आया है।"..


नम्रता:- हां समझ गई किस तरह के ड्रेस लाया होगा। और आर्य, आज से कॉलेज जाने की अनुमति..


आर्यमणि:- अनुमति तो कल से ही मिल गयि थी। लेकिन हां कल किसी ने जादुई घोल में लिटा दिया तो मेरे पूरे जख्म भर गये।


"माफ करना आर्य, तुम्हारे कारनामे ही ऐसे थे कि किसी को यकीन कर पाना मुश्किल था। हां लेकिन वो करंट वाला मामला कुछ ज्यादा हो गया था।"…. राजदीप उन सब के बीच बैठते हुए कहने लगा।


अक्षरा:- टेस्ट के नाम पर जान से ही मार देने वाले थे क्या? सीधा-सीधा वुल्फबेन इंजेक्ट कर देते।


राजदीप:- फिर पता कैसे चलता आर्यमणि कितना मजबूत है। क्यों आर्य?


आर्यमणि:- हां बकड़े की जान चली गई और खाने वाले को कोई श्वाद ही नहीं मिला।


राजदीप:- बकरे से याद आया, आज मटन बनाते है और रात का खाना हमारे साथ, क्या कहते हो आर्य।


"वो भेज है दादा, नॉन भेज नहीं खाता।".. अंदर से पलक ने जवाब दिया।


राजदीप:- पहला वुल्फ जो साकहारी होगा।


आर्यमणि:- मेरे दादा जी मुझे कुछ जरूरी ज्ञान देने वाले थे। इसलिए मै जब मां के गर्भ में नहीं था उस से पहले ही उन्होंने मां को नॉन भेज खाने से मना कर दिया था। जबतक मै पुरा अन्न खाने लायक नहीं हुआ, तबतक उन्होंने मां को मांस खाने नहीं दिया था। दादा जी मुझे कुछ शुद्घ ज्ञान के ओर प्रेरित करने वाले थे इसलिए..


उज्जवल:- तुम्हारे दादा जी बहुत ज्ञानी पुरुष थे। अब लगता है वो शायद किसी के साजिश का शिकार हो गये। कोई अपनी दूर दृष्टि किसी कार्य में लगाये हुये था जिसके रोड़ा तुम्हारे दादा जी होंगे। दुश्मन कोई बाहर का नहीं था, वो तो अब भी घर में छिपा होगा।


राजदीप:- बाबा ये क्या है? वो बच्चा है अभी। और सुनो बच्चे शादी तय हो गई है इसका ये मतलब नहीं कि ज्यादा मस्ती मज़ाक और घूमना-फिरना करो। पहले कैरियर पर ध्यान दो।


आर्यमणि:- कैरियर पर ध्यान दूंगा तो आपके जैसा हो जाऊंगा भईया। जल्दी शादी कर लो वरना सुपरिटेंडेंट से अस्सिटेंट कमिश्नर बनने के चक्कर में लड़की नहीं मिलेगी।


आर्यमणि की बातें सुनकर सभी हंसने लगे, इसी बीच पलक भी पहुंच गई। ब्लू रंग की पेंसिल जीन्स, जो टखने के थोड़ा ऊपर था। नीचे मैचिंग शू, ऊपर ब्राउन कलर का स्लीवलेस टॉप और उसके ऊपर हल्के पीले रंग का ब्लेजर। बस आज तैयार होने का अंदाज कुछ ऐसा था कि पलक नजर मे बस रही थी।


राजदीप:- ये उस दिन भी ऐसे ही तैयार होकर निकली थी ना? आई हमारे लगन फिक्स करने से पहले कहीं दोनो के बीच कुछ चल तो नही रहा था? जब इसका लगन तय कर रहे थे, तब पलक ने एक बार भी नहीं कहा कि वो किसी और को चाहती है। दाल में कुछ काला है।


पलक:- आप पुलिस में हो ना दादा, कली दाल पकाते रहो, हम कॉलेज चलते है। क्यों आर्य..


दोनो वहां से निकल गये और दोनो को जाते देख सभी एक साथ कहने लगे… "दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।"..


"बहुत स्वीट दिख रहे हो, चॉकलेट की तरह"… पलक आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी।


आर्यमणि, कार को एक किनारे खड़ी करके पलक का हांथ खींचकर अपने ऊपर लाया और उसके खुले बाल जो चेहरे पर आए थे, उस हटाते हुए पलक की आखों में झांकने लगा… पलक कभी अपनी नजर आर्यमणि से मिलाती तो कभी नजरें चुराती… धीरे-धीरे दोनो करीब होते चले गए। आर्यमणि अपने होंठ आगे बढ़ाकर पलक के होंठ को स्पर्श किया और अपना चेहरा पीछे करके उसके चेहरे को देखने लगा।


पलक अपनी आखें खोलकर आर्यमणि को देखकर मुस्कुराई और अगले ही पल उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर, उसे प्यार से चूमने लगी। दोनो की ही धड़कने बढ़ी हुई थी। आर्यमणि खुद को काबू करते अपना सर पीछे किया। पलक अब भी आंख मूंदे बस अपने होंठ आगे की हुईं थी।


आर्यमणि, होंठ पर एक छोटा सा स्पर्श करते…. "रात में ऐसे पैशन के साथ किस्स करना पलक, कार में वो मज़ा नहीं आयेगा।"


आर्यमणि की बात सुनकर पलक अपनी आखें दिखती…. "कॉलेज चले।"..


कॉलेज पहुंचकर जैसे ही पलक कार से उतरने लगी…. "पलक एक मिनट।"..


पलक:- हां आर्य..


अपने होंठ से पलक के होंठ को स्पर्श करते… "अब जाओ"… पलक हंसती हुई.. "पागल"…


आर्यमणि पार्किंग में अपनी कार खड़ी किया, तभी रूही भी उसके पास पहुंच गई… "हीरो लग रहे हो बॉस।"


आर्यमणि:- थैंक्स रूही..बात क्या है जो कहने में झिझक रही हो।


रूही:- तुम्हे कैसे पता मै झिझक रही हूं।


आर्यमणि उसके सर पर टफ्ली मारते… "मै किसी के भी इमोशंस कयि किलोमीटर दूर से भांप सकता हूं, सिवाय अपनी रानी के।"..


रूही:- चल झूटे कहीं के…


आर्यमणि, उसे आंख दिखाने लगा। रूही शांत होती… "सॉरी बॉस।"..


आर्यमणि:- जाकर कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ लो ना।


रूही:- हमे इजाज़त नहीं आम इंसानों के साथ ज्यादा मेल-जोल बढ़ना। वैसे भी किसी पर दिल आ गया तो जिंदगी भर उसे साथ थोड़े ना रख सकते है। पहचान तो खुल ही जाना है। मुझसे नहीं तो मेरे बच्चे से।


आर्यमणि:- तुम मेरे पैक में हो और पहले ही कह चुका हूं, पुरानी ज़िन्दगी को अलविदा कह दो। खुलकर अपनी जिंदगी जी लो। तुम जिस भविष्य कि कल्पना से डर रही हो, उसकी जिम्मेदारी मेरी है।


रूही:- क्या सच में ऐसा होगा।


आर्यमणि:- मेरा वादा है।


रूही आर्यमणि की बात सुनकर उसके गले लग गई। आर्यमणि उसे खुद से दूर करते… "यहां इमोशन ना दिखाओ, जबतक सरदार का कुछ कर नहीं लेते। अब तुम बताओगी झिझक क्यों रही थी।"..


रूही:- अलबेली इधर आ…


रूही जैसे ही आवाज़ लगाई, बाल्यावस्था से किशोरावस्था में कदम रखी, प्यारी सी लड़की बाहर निकलकर आयी.. आर्यमणि उसे देखकर ही समझ गया वो बहुत ज्यादा घबरायि और सहमी हुई है। उसके खुले कर्ली बाल और गोल सा चेहरा काफी प्यारा और आकर्षक था, लेकिन अलबेली की आंखें उतनी ही खामोश। देखने से ही दिल में टीस उठने लगे, इतनी प्यारी लड़की की हंसी किसने छीन ली।


आर्यमणि, थोड़ा नीचे झुककर जैसे ही अलबेली के चेहरे को अपने हाथ से थामा... उस एक पल में अलबेली को अपने अंदर किसी अभिभावक के साये तले होने का एहसास हुआ, जो अंदर से मेहसूस करवा जाए कि मै इस साये तले खुलकर जी सकती हूं। उस एक पल का एहसास... और अलबेली के आंखों से आंसू फुट निकले...


आर्यमणि उसके चेहरे को सीने से लगाकर उसके बलो में हाथ फेरते हुए… "अलबेली रूही दीदी के साथ रहना। आज से तुम्हारे इस प्यारे चेहरे पर कभी आंसू नहीं आयेंगे, ये वादा है। जाओ तुम कार में इंतजार करो।"..


रूही:- ट्विन अल्फा के मरने के जश्न में अलबेली के बदन को नोचा जा रहा था। ये भी उस किले के उन अभगों मे से है, जिसका कोई पैक नहीं, सिवाय इसके एक जुड़वा भाई के। इसका जुड़वा, इसे बचाने के लिए बीच में आया तो उसे कल रात ही मार दिया गया। किसी तरह मै अलबेली को वहां से निकाल कर लायी हूं, लेकिन सरदार को मुझपर शक हो गया...


आर्यमणि:- हम्मम ! किसकी दिमागी फितूर है ये..


रूही:- और किसकी सरदार खान के चेले नरेश और उसके पूरे पैक की।


आर्यमणि:- चलो सरदार खान के किले में चलते है। अपना पैक के होने का साइन बनाओ। आज प्रहरी और सरदार खान को पता चलना चाहिए कि हमारा भी एक पैक है। अलबेली यहां आओ।


अलबेली:- जी भईया..


आर्यमणि:- तुम अपने बदले के लिए तैयार रहो अलबेली। हमे घंटे भर में ये काम खत्म करना है। लेकिन उससे पहले इसे ब्लड ओथ लेना होगा। क्या ये अपना पैक छोड़ने के लिए तैयार है?


रूही:- इसका कोई पैक नहीं। बस 2 जुड़वा थे। इसके अल्फा को पिछले महीने सरदार ने मार दिया था और बचे हुए बीटा अलग-अलग पैक मे समिल हो गये सिवाय इन जुड़वा के, जिन्हें कमजोर समझ कर खेलने के लिये किले में भटकने छोड़ दिया।


आर्यमणि:- चलो फिर आज ये किला फतह करते है। ब्लड ओथ सेरेमनी की तैयारी करो।


रूही अलबेली को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंची। चारो ओर का माहौल देखने के बाद रूही ने आर्यमणि को बुलाया। आर्यमणि वहां पहुंचा। रूही, चाकू अलबेली के हाथ में थमा दी। अलबेली पहले अपना हथेली चिर ली, फिर आर्यमणि का। और ठीक वैसे ही 2 मिनट की प्रक्रिया हुई जैसे रूही के समय में हुआ था।


अलबेली भी अपने अंदर कुछ अच्छा और सुकून भरा मेहसूस करने लगी। रूही के भांति वह भी अपने हाथ हाथ को उलट–पलट कर देख रही थी। अलबेली को पैक में सामिल करने के बाद आर्यमणि, उन दोनों को लेकर सरदार खान की गली पहुंचा, जिसे उसका किला भी मानते थे। जैसे ही किले में आर्यमणि को वेयरवॉल्फ ने देखा, हर कोई उसे ही घुर रहा था। आर्यमणि आगे–आगे और उसके पीछे रूही और अलबेली। तीनों उस जगह के मध्य में पहुंचे जिसे चौपाल कहते थे। इस जगह पर आम लोगों को आने नहीं दिया जाता था। 4000 स्क्वेयर फीट का खुला मैदान, जिसके मध्य में एक विशाल पेड़ था और उसी के नीचे बड़ा सा चौपाल बना था, जहां बाहर से आने वालों को यहां लाकर शिकार किया करते थे तथा सरदार खान की पंचायत यहीं लगती थी।


रूही को देखते ही वहां का पहरेदार भाग खड़ा हुआ। रूही ने दरवाजा खोला, आर्यमणि सबको लेकर अंदर मैदान में पहुंचा। रूही अपने चाकू से उस चौपाल के पेड़ पर नये पैक निशान बनाकर उसे सर्किल से घेर दी। सर्किल से घेरने के बाद पहले आर्यमणि ने अपने खून से निशान लगाया, फिर रूही ने और अंत में अलबेली ने। यह लड़ाई के लिये चुनौती का निशान था। इधर किले कि सड़क पर जैसे ही आर्यमणि को सबने देखा, सब के सब सरदार खान के हवेली पहुंचे। मांस पर टूटा हुआ सरदार खान अपने खाने को छोड़कर एक बार तेजी से दहारा….. "सुबह के भोजन के वक़्त कौन आ गया अपनी मौत मरने।".. ।


नरेश:- सरदार वो लड़का आर्यमणि आया है, उसके साथ रूही और अलबेली भी थी।


सरदार:- अलबेली और रूही के साथ मे वो लड़का आया है। क्या वो हमसे अलबेली के विषय में सवाल-जवाब करने आया है? या फिर कॉलेज के मैटर में इसने जो हमारे कुछ लोगों को तोड़ा था, उस बात ने कहीं ये सोचने पर तो मजबूर नहीं कर दिया ना की हम कमजोर है। नरेश कहीं हमारी साख अपने ही क्षेत्र में कमजोर तो नहीं पड़ने लगी...


नरेश:- खुद ही चौपाल तक पहुंच गया है सरदार, अब तो बस भोज का नगाड़ा बाजवा दो।


सरदार ने नगाड़ा बजवाया और देखते ही देखते 150 बीटा, 5 अल्फा के साथ सरदार चौपाल पहुंच गया। सरदार और उसके दरिंदे वुल्फ जैसे ही वहां पहुंचे, पेड़ पर नए पैक का अस्तित्व और उसपर लड़ाई की चुनौती का निशान देखते ही सबने अपना शेप शिफ्ट कर लिया… खुर्र–खुरर–खुर्र–खूर्र करके सभी के फेफरों से गुस्से भरी श्वंस की आवाज चारो ओर गूंजने लगी.…
 

Rudra456

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भाग:–30




एक अध्याय समाप्त होने को था, और पहला लक्ष्य मिल चुका था। रात के तकरीबन 10.30 बजे आर्यमणि वापस आया। भूमि हॉल में बैठकर उसका इंतजार कर रही थी। आर्यमणि आते ही भूमि के पास चला गया… "किस सोच में डूबी हो।"..


भूमि:- सॉरी, वो मैंने तुझे टेस्ट के बारे में कुछ भी नही बताया।


आर्यमणि:- वो सब छोड़ो, मुझे पढ़ने में मज़ा नहीं आ रहा, मुझे कुछ पैसे चाहिए, बिजनेस करना है।


भूमि:- हाहाहाहा… अभी तो तूने ठीक से जिंदगी नहीं जिया। 2-4 साल अपने शौक पूरे कर ले, फिर बिजनेस करना।


आर्यमणि:- मुझे आप पैसे दे रही हो या मै मौसी से मांग लूं।


भूमि:- तूने पक्का मन बनाया है।


आर्यमणि:- हां दीदी।


भूमि:- अच्छा ठीक है कितने पैसे चाहिए तुझे..


आर्यमणि:- 10 करोड़।


भूमि:- अच्छा और किराये के दुकान में काम शुरू करेगा।


आर्यमणि:- अभी स्टार्टअप है ना, धीरे-धीरे काम बढ़ाऊंगा।


भूमि:- अच्छा तू बिजनेस कौन सा करेगा।


आर्यमणि:- अर्मस एंड अम्यूनेशन के पार्ट्स डेवलप करना।


भूमि:- क्या है ये सब आर्य। गवर्नमेंट तुम्हे कभी अनुमति नहीं देगी।


आर्यमणि:- दीदी भरोसा है ना मुझ पर।


भूमि:- नहीं।


आर्यमणि:- क्या बोली?


भूमि:- भाई कुछ और कर ले ना। ये हटके वाला बिजनेस क्यों करना चाहता है। आराम से एक शॉपिंग मॉल का फाइनेंस मुझसे लेले। मस्त प्राइम लोकेशन पर खोल। तेजस दादा को टक्कर दे। ये सब ना करके तुझे वैपन डेवलप करना है। भाई गवर्नमेंट उसकी अनुमति तुम्हे नहीं देगी वो सिर्फ इशारों और डीआरडीओ करता है।


आर्यमणि:- अरे मेरी भोली दीदी, गन की नली उसके पार्ट्स, ये सब सरकारी जगहों पर नहीं बनता है। मैंने सब सोच रखा है। मेरा पूरा प्रोजक्ट तैयार भी है। तुम बस 10 करोड़ दो मुझे और 2 महीने का वक़्त।


भूमि:- ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुझे कितना जगह में कैसा कंस्ट्रक्शन चाहिए वो बता दे। काम हम अपनी जगह में शुरू करेंगे।


आर्यमणि:- जगह 6000 स्क्वेयर फुट। 1 अंडरग्राउंड फ्लोर और 4 फ्लोर उसके ऊपर खड़ा।


भूमि:- ओह मतलब तू प्रोजेक्ट के बदले सरकार से लॉन लेता, फिर अपना काम शुरू करता।


आर्यमणि:- हां यही करने वाला था।


भूमि:- कोई जरूरत नहीं है, तू बस अपना प्रोजेक्ट रेडी रख, बाकी सब मैं देख लूंगी। और कुछ..


आर्यमणि:- हां है ना…


भूमि:- क्या?


आर्यमणि:- जल्दी से खुशखबरी दो, मै मामा कब बन रहा हूं।


भूमि:- हां ठीक मैंने सुन लिया, अब जाएगा सोने या थप्पड़ खाएगा। ..


सुबह-सुबह का वक़्त और आर्यमणि की बाइक सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस के घर पर। घर की बेल बजी और नम्रता दरवाजा पर आते ही…. "आई पहली बार तुम्हारे छोटे जमाई घर आये है, क्या करूं?"..


"छोटे जमाई"… सुनकर ही पलक खुशी से उछलने लगी। वो दौड़कर बाहर दरवाजे तक आयी और आर्यमणि का हाथ पकड़कर अंदर लाते…. "हद है दीदी आप तो ऐसे पूछ रही हो जैसे पहली बार कोई दुल्हन घर आ रही हो। यहां बैठो आर्य, क्या लोगे।"


आर्यमणि:- कल तुम्हारे लिए कुछ शॉपिंग की थी, रख लो।


नम्रता:- जारा मुझे भी दिखाओ क्या लाये हो?


जैसे ही नम्रता बैग दिखाने बोली, पलक, आर्यमणि के हाथ से बैग छीनकर कमरे में भागती हुई…. "पहनकर दिखा देती हूं दीदी, मेरे लिए ड्रेस और एसेसरीज लेकर आया है।"..


नम्रता:- हां समझ गई किस तरह के ड्रेस लाया होगा। और आर्य, आज से कॉलेज जाने की अनुमति..


आर्यमणि:- अनुमति तो कल से ही मिल गयि थी। लेकिन हां कल किसी ने जादुई घोल में लिटा दिया तो मेरे पूरे जख्म भर गये।


"माफ करना आर्य, तुम्हारे कारनामे ही ऐसे थे कि किसी को यकीन कर पाना मुश्किल था। हां लेकिन वो करंट वाला मामला कुछ ज्यादा हो गया था।"…. राजदीप उन सब के बीच बैठते हुए कहने लगा।


अक्षरा:- टेस्ट के नाम पर जान से ही मार देने वाले थे क्या? सीधा-सीधा वुल्फबेन इंजेक्ट कर देते।


राजदीप:- फिर पता कैसे चलता आर्यमणि कितना मजबूत है। क्यों आर्य?


आर्यमणि:- हां बकड़े की जान चली गई और खाने वाले को कोई श्वाद ही नहीं मिला।


राजदीप:- बकरे से याद आया, आज मटन बनाते है और रात का खाना हमारे साथ, क्या कहते हो आर्य।


"वो भेज है दादा, नॉन भेज नहीं खाता।".. अंदर से पलक ने जवाब दिया।


राजदीप:- पहला वुल्फ जो साकहारी होगा।


आर्यमणि:- मेरे दादा जी मुझे कुछ जरूरी ज्ञान देने वाले थे। इसलिए मै जब मां के गर्भ में नहीं था उस से पहले ही उन्होंने मां को नॉन भेज खाने से मना कर दिया था। जबतक मै पुरा अन्न खाने लायक नहीं हुआ, तबतक उन्होंने मां को मांस खाने नहीं दिया था। दादा जी मुझे कुछ शुद्घ ज्ञान के ओर प्रेरित करने वाले थे इसलिए..


उज्जवल:- तुम्हारे दादा जी बहुत ज्ञानी पुरुष थे। अब लगता है वो शायद किसी के साजिश का शिकार हो गये। कोई अपनी दूर दृष्टि किसी कार्य में लगाये हुये था जिसके रोड़ा तुम्हारे दादा जी होंगे। दुश्मन कोई बाहर का नहीं था, वो तो अब भी घर में छिपा होगा।


राजदीप:- बाबा ये क्या है? वो बच्चा है अभी। और सुनो बच्चे शादी तय हो गई है इसका ये मतलब नहीं कि ज्यादा मस्ती मज़ाक और घूमना-फिरना करो। पहले कैरियर पर ध्यान दो।


आर्यमणि:- कैरियर पर ध्यान दूंगा तो आपके जैसा हो जाऊंगा भईया। जल्दी शादी कर लो वरना सुपरिटेंडेंट से अस्सिटेंट कमिश्नर बनने के चक्कर में लड़की नहीं मिलेगी।


आर्यमणि की बातें सुनकर सभी हंसने लगे, इसी बीच पलक भी पहुंच गई। ब्लू रंग की पेंसिल जीन्स, जो टखने के थोड़ा ऊपर था। नीचे मैचिंग शू, ऊपर ब्राउन कलर का स्लीवलेस टॉप और उसके ऊपर हल्के पीले रंग का ब्लेजर। बस आज तैयार होने का अंदाज कुछ ऐसा था कि पलक नजर मे बस रही थी।


राजदीप:- ये उस दिन भी ऐसे ही तैयार होकर निकली थी ना? आई हमारे लगन फिक्स करने से पहले कहीं दोनो के बीच कुछ चल तो नही रहा था? जब इसका लगन तय कर रहे थे, तब पलक ने एक बार भी नहीं कहा कि वो किसी और को चाहती है। दाल में कुछ काला है।


पलक:- आप पुलिस में हो ना दादा, कली दाल पकाते रहो, हम कॉलेज चलते है। क्यों आर्य..


दोनो वहां से निकल गये और दोनो को जाते देख सभी एक साथ कहने लगे… "दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।"..


"बहुत स्वीट दिख रहे हो, चॉकलेट की तरह"… पलक आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी।


आर्यमणि, कार को एक किनारे खड़ी करके पलक का हांथ खींचकर अपने ऊपर लाया और उसके खुले बाल जो चेहरे पर आए थे, उस हटाते हुए पलक की आखों में झांकने लगा… पलक कभी अपनी नजर आर्यमणि से मिलाती तो कभी नजरें चुराती… धीरे-धीरे दोनो करीब होते चले गए। आर्यमणि अपने होंठ आगे बढ़ाकर पलक के होंठ को स्पर्श किया और अपना चेहरा पीछे करके उसके चेहरे को देखने लगा।


पलक अपनी आखें खोलकर आर्यमणि को देखकर मुस्कुराई और अगले ही पल उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर, उसे प्यार से चूमने लगी। दोनो की ही धड़कने बढ़ी हुई थी। आर्यमणि खुद को काबू करते अपना सर पीछे किया। पलक अब भी आंख मूंदे बस अपने होंठ आगे की हुईं थी।


आर्यमणि, होंठ पर एक छोटा सा स्पर्श करते…. "रात में ऐसे पैशन के साथ किस्स करना पलक, कार में वो मज़ा नहीं आयेगा।"


आर्यमणि की बात सुनकर पलक अपनी आखें दिखती…. "कॉलेज चले।"..


कॉलेज पहुंचकर जैसे ही पलक कार से उतरने लगी…. "पलक एक मिनट।"..


पलक:- हां आर्य..


अपने होंठ से पलक के होंठ को स्पर्श करते… "अब जाओ"… पलक हंसती हुई.. "पागल"…


आर्यमणि पार्किंग में अपनी कार खड़ी किया, तभी रूही भी उसके पास पहुंच गई… "हीरो लग रहे हो बॉस।"


आर्यमणि:- थैंक्स रूही..बात क्या है जो कहने में झिझक रही हो।


रूही:- तुम्हे कैसे पता मै झिझक रही हूं।


आर्यमणि उसके सर पर टफ्ली मारते… "मै किसी के भी इमोशंस कयि किलोमीटर दूर से भांप सकता हूं, सिवाय अपनी रानी के।"..


रूही:- चल झूटे कहीं के…


आर्यमणि, उसे आंख दिखाने लगा। रूही शांत होती… "सॉरी बॉस।"..


आर्यमणि:- जाकर कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ लो ना।


रूही:- हमे इजाज़त नहीं आम इंसानों के साथ ज्यादा मेल-जोल बढ़ना। वैसे भी किसी पर दिल आ गया तो जिंदगी भर उसे साथ थोड़े ना रख सकते है। पहचान तो खुल ही जाना है। मुझसे नहीं तो मेरे बच्चे से।


आर्यमणि:- तुम मेरे पैक में हो और पहले ही कह चुका हूं, पुरानी ज़िन्दगी को अलविदा कह दो। खुलकर अपनी जिंदगी जी लो। तुम जिस भविष्य कि कल्पना से डर रही हो, उसकी जिम्मेदारी मेरी है।


रूही:- क्या सच में ऐसा होगा।


आर्यमणि:- मेरा वादा है।


रूही आर्यमणि की बात सुनकर उसके गले लग गई। आर्यमणि उसे खुद से दूर करते… "यहां इमोशन ना दिखाओ, जबतक सरदार का कुछ कर नहीं लेते। अब तुम बताओगी झिझक क्यों रही थी।"..


रूही:- अलबेली इधर आ…


रूही जैसे ही आवाज़ लगाई, बाल्यावस्था से किशोरावस्था में कदम रखी, प्यारी सी लड़की बाहर निकलकर आयी.. आर्यमणि उसे देखकर ही समझ गया वो बहुत ज्यादा घबरायि और सहमी हुई है। उसके खुले कर्ली बाल और गोल सा चेहरा काफी प्यारा और आकर्षक था, लेकिन अलबेली की आंखें उतनी ही खामोश। देखने से ही दिल में टीस उठने लगे, इतनी प्यारी लड़की की हंसी किसने छीन ली।


आर्यमणि, थोड़ा नीचे झुककर जैसे ही अलबेली के चेहरे को अपने हाथ से थामा... उस एक पल में अलबेली को अपने अंदर किसी अभिभावक के साये तले होने का एहसास हुआ, जो अंदर से मेहसूस करवा जाए कि मै इस साये तले खुलकर जी सकती हूं। उस एक पल का एहसास... और अलबेली के आंखों से आंसू फुट निकले...


आर्यमणि उसके चेहरे को सीने से लगाकर उसके बलो में हाथ फेरते हुए… "अलबेली रूही दीदी के साथ रहना। आज से तुम्हारे इस प्यारे चेहरे पर कभी आंसू नहीं आयेंगे, ये वादा है। जाओ तुम कार में इंतजार करो।"..


रूही:- ट्विन अल्फा के मरने के जश्न में अलबेली के बदन को नोचा जा रहा था। ये भी उस किले के उन अभगों मे से है, जिसका कोई पैक नहीं, सिवाय इसके एक जुड़वा भाई के। इसका जुड़वा, इसे बचाने के लिए बीच में आया तो उसे कल रात ही मार दिया गया। किसी तरह मै अलबेली को वहां से निकाल कर लायी हूं, लेकिन सरदार को मुझपर शक हो गया...


आर्यमणि:- हम्मम ! किसकी दिमागी फितूर है ये..


रूही:- और किसकी सरदार खान के चेले नरेश और उसके पूरे पैक की।


आर्यमणि:- चलो सरदार खान के किले में चलते है। अपना पैक के होने का साइन बनाओ। आज प्रहरी और सरदार खान को पता चलना चाहिए कि हमारा भी एक पैक है। अलबेली यहां आओ।


अलबेली:- जी भईया..


आर्यमणि:- तुम अपने बदले के लिए तैयार रहो अलबेली। हमे घंटे भर में ये काम खत्म करना है। लेकिन उससे पहले इसे ब्लड ओथ लेना होगा। क्या ये अपना पैक छोड़ने के लिए तैयार है?


रूही:- इसका कोई पैक नहीं। बस 2 जुड़वा थे। इसके अल्फा को पिछले महीने सरदार ने मार दिया था और बचे हुए बीटा अलग-अलग पैक मे समिल हो गये सिवाय इन जुड़वा के, जिन्हें कमजोर समझ कर खेलने के लिये किले में भटकने छोड़ दिया।


आर्यमणि:- चलो फिर आज ये किला फतह करते है। ब्लड ओथ सेरेमनी की तैयारी करो।


रूही अलबेली को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंची। चारो ओर का माहौल देखने के बाद रूही ने आर्यमणि को बुलाया। आर्यमणि वहां पहुंचा। रूही, चाकू अलबेली के हाथ में थमा दी। अलबेली पहले अपना हथेली चिर ली, फिर आर्यमणि का। और ठीक वैसे ही 2 मिनट की प्रक्रिया हुई जैसे रूही के समय में हुआ था।


अलबेली भी अपने अंदर कुछ अच्छा और सुकून भरा मेहसूस करने लगी। रूही के भांति वह भी अपने हाथ हाथ को उलट–पलट कर देख रही थी। अलबेली को पैक में सामिल करने के बाद आर्यमणि, उन दोनों को लेकर सरदार खान की गली पहुंचा, जिसे उसका किला भी मानते थे। जैसे ही किले में आर्यमणि को वेयरवॉल्फ ने देखा, हर कोई उसे ही घुर रहा था। आर्यमणि आगे–आगे और उसके पीछे रूही और अलबेली। तीनों उस जगह के मध्य में पहुंचे जिसे चौपाल कहते थे। इस जगह पर आम लोगों को आने नहीं दिया जाता था। 4000 स्क्वेयर फीट का खुला मैदान, जिसके मध्य में एक विशाल पेड़ था और उसी के नीचे बड़ा सा चौपाल बना था, जहां बाहर से आने वालों को यहां लाकर शिकार किया करते थे तथा सरदार खान की पंचायत यहीं लगती थी।


रूही को देखते ही वहां का पहरेदार भाग खड़ा हुआ। रूही ने दरवाजा खोला, आर्यमणि सबको लेकर अंदर मैदान में पहुंचा। रूही अपने चाकू से उस चौपाल के पेड़ पर नये पैक निशान बनाकर उसे सर्किल से घेर दी। सर्किल से घेरने के बाद पहले आर्यमणि ने अपने खून से निशान लगाया, फिर रूही ने और अंत में अलबेली ने। यह लड़ाई के लिये चुनौती का निशान था। इधर किले कि सड़क पर जैसे ही आर्यमणि को सबने देखा, सब के सब सरदार खान के हवेली पहुंचे। मांस पर टूटा हुआ सरदार खान अपने खाने को छोड़कर एक बार तेजी से दहारा….. "सुबह के भोजन के वक़्त कौन आ गया अपनी मौत मरने।".. ।


नरेश:- सरदार वो लड़का आर्यमणि आया है, उसके साथ रूही और अलबेली भी थी।


सरदार:- अलबेली और रूही के साथ मे वो लड़का आया है। क्या वो हमसे अलबेली के विषय में सवाल-जवाब करने आया है? या फिर कॉलेज के मैटर में इसने जो हमारे कुछ लोगों को तोड़ा था, उस बात ने कहीं ये सोचने पर तो मजबूर नहीं कर दिया ना की हम कमजोर है। नरेश कहीं हमारी साख अपने ही क्षेत्र में कमजोर तो नहीं पड़ने लगी...


नरेश:- खुद ही चौपाल तक पहुंच गया है सरदार, अब तो बस भोज का नगाड़ा बाजवा दो।


सरदार ने नगाड़ा बजवाया और देखते ही देखते 150 बीटा, 5 अल्फा के साथ सरदार चौपाल पहुंच गया। सरदार और उसके दरिंदे वुल्फ जैसे ही वहां पहुंचे, पेड़ पर नए पैक का अस्तित्व और उसपर लड़ाई की चुनौती का निशान देखते ही सबने अपना शेप शिफ्ट कर लिया… खुर्र–खुरर–खुर्र–खूर्र करके सभी के फेफरों से गुस्से भरी श्वंस की आवाज चारो ओर गूंजने लगी.…
Nice story. I read it in on go. It's awesome or you can say marvalleous story with well connected each and every moment; nothing extra.
 

Lib am

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सबसे पहले तो nain11ster भाई ये जो आपने निशांत, चित्रा, आर्य और भूमि का रिश्ता दिखाया है और इनके जो संवाद होते है उनको पढ़ कर कुछ ऐसा लगता है कि

दिल गार्डन गार्डन हो गया
के भंवरा बगियन में खो गया

अब आते है इस अपडेट पर nain11ster भाई, ये जो आर्य अपना बिजनेस स्टार्ट करने वाला है आर्म्स एंड एम्युनिशन के पार्ट्स का उसका मकसद बिजनेस के साथ साथ अपने और अपने पैक के लिए स्पेशल आर्म्स डेवलप करना तो नही है ताकि अपने पैक को आने वाले खतरे से सुरक्षित रक्खा जा सके।

nain11ster भाई आर्य की बाइक भी आर्य की तरह शेप शिफ्ट करके बाइक से कार बन जाती है क्या, क्योंकि आर्य अपनी ससुराल पहुंचा तो बाइक पर था मगर कॉलेज पहुंचते पहुंचते बाइक की कार हो गई? :pepelmao:


मतलब कि आर्य की अग्निपरीक्षा के बारे में सबको पता था फिर भी किसी ने उसको कुछ नही बताया पहले से? मगर अपना हीरो भी सयाना था सारे टेस्ट फ्लाइंग कलर्स से पास करके आ गया और सबके शक को खत्म कर दिया।

ये आर्य अपने पैक का नाम दिन दुखियारे पैक तो नही रखने वाला है ना, मगर जोक्स अपार्ट शक्ति का असली मतलब भी यही है की जिनके साथ कोई ना हो उनकी मदद करना क्योंकि जब आर्य को मदद की जरूरत थी तो कोई नही आया था और शायद इसीलिए वो प्योर अल्फा बन पाया था।

अब जब बब्बर शेर ने गीदड़ो को उनके घर में घुस कर चुनौती दे दी है तो अब मजा आने वाला है। अगला अपडेट एक मस्त एक्शन पैक्ड होने वाला है।
 

nain11ster

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nain11ster भाई आर्य की बाइक भी आर्य की तरह शेप शिफ्ट करके बाइक से कार बन जाती है क्या, क्योंकि आर्य अपनी ससुराल पहुंचा तो बाइक पर था मगर कॉलेज पहुंचते पहुंचते बाइक की कार हो गई? :pepelmao:
Wo palak ki car se gaya tha :doh:
 

arish8299

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भाग:–30




एक अध्याय समाप्त होने को था, और पहला लक्ष्य मिल चुका था। रात के तकरीबन 10.30 बजे आर्यमणि वापस आया। भूमि हॉल में बैठकर उसका इंतजार कर रही थी। आर्यमणि आते ही भूमि के पास चला गया… "किस सोच में डूबी हो।"..


भूमि:- सॉरी, वो मैंने तुझे टेस्ट के बारे में कुछ भी नही बताया।


आर्यमणि:- वो सब छोड़ो, मुझे पढ़ने में मज़ा नहीं आ रहा, मुझे कुछ पैसे चाहिए, बिजनेस करना है।


भूमि:- हाहाहाहा… अभी तो तूने ठीक से जिंदगी नहीं जिया। 2-4 साल अपने शौक पूरे कर ले, फिर बिजनेस करना।


आर्यमणि:- मुझे आप पैसे दे रही हो या मै मौसी से मांग लूं।


भूमि:- तूने पक्का मन बनाया है।


आर्यमणि:- हां दीदी।


भूमि:- अच्छा ठीक है कितने पैसे चाहिए तुझे..


आर्यमणि:- 10 करोड़।


भूमि:- अच्छा और किराये के दुकान में काम शुरू करेगा।


आर्यमणि:- अभी स्टार्टअप है ना, धीरे-धीरे काम बढ़ाऊंगा।


भूमि:- अच्छा तू बिजनेस कौन सा करेगा।


आर्यमणि:- अर्मस एंड अम्यूनेशन के पार्ट्स डेवलप करना।


भूमि:- क्या है ये सब आर्य। गवर्नमेंट तुम्हे कभी अनुमति नहीं देगी।


आर्यमणि:- दीदी भरोसा है ना मुझ पर।


भूमि:- नहीं।


आर्यमणि:- क्या बोली?


भूमि:- भाई कुछ और कर ले ना। ये हटके वाला बिजनेस क्यों करना चाहता है। आराम से एक शॉपिंग मॉल का फाइनेंस मुझसे लेले। मस्त प्राइम लोकेशन पर खोल। तेजस दादा को टक्कर दे। ये सब ना करके तुझे वैपन डेवलप करना है। भाई गवर्नमेंट उसकी अनुमति तुम्हे नहीं देगी वो सिर्फ इशारों और डीआरडीओ करता है।


आर्यमणि:- अरे मेरी भोली दीदी, गन की नली उसके पार्ट्स, ये सब सरकारी जगहों पर नहीं बनता है। मैंने सब सोच रखा है। मेरा पूरा प्रोजक्ट तैयार भी है। तुम बस 10 करोड़ दो मुझे और 2 महीने का वक़्त।


भूमि:- ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुझे कितना जगह में कैसा कंस्ट्रक्शन चाहिए वो बता दे। काम हम अपनी जगह में शुरू करेंगे।


आर्यमणि:- जगह 6000 स्क्वेयर फुट। 1 अंडरग्राउंड फ्लोर और 4 फ्लोर उसके ऊपर खड़ा।


भूमि:- ओह मतलब तू प्रोजेक्ट के बदले सरकार से लॉन लेता, फिर अपना काम शुरू करता।


आर्यमणि:- हां यही करने वाला था।


भूमि:- कोई जरूरत नहीं है, तू बस अपना प्रोजेक्ट रेडी रख, बाकी सब मैं देख लूंगी। और कुछ..


आर्यमणि:- हां है ना…


भूमि:- क्या?


आर्यमणि:- जल्दी से खुशखबरी दो, मै मामा कब बन रहा हूं।


भूमि:- हां ठीक मैंने सुन लिया, अब जाएगा सोने या थप्पड़ खाएगा। ..


सुबह-सुबह का वक़्त और आर्यमणि की बाइक सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस के घर पर। घर की बेल बजी और नम्रता दरवाजा पर आते ही…. "आई पहली बार तुम्हारे छोटे जमाई घर आये है, क्या करूं?"..


"छोटे जमाई"… सुनकर ही पलक खुशी से उछलने लगी। वो दौड़कर बाहर दरवाजे तक आयी और आर्यमणि का हाथ पकड़कर अंदर लाते…. "हद है दीदी आप तो ऐसे पूछ रही हो जैसे पहली बार कोई दुल्हन घर आ रही हो। यहां बैठो आर्य, क्या लोगे।"


आर्यमणि:- कल तुम्हारे लिए कुछ शॉपिंग की थी, रख लो।


नम्रता:- जारा मुझे भी दिखाओ क्या लाये हो?


जैसे ही नम्रता बैग दिखाने बोली, पलक, आर्यमणि के हाथ से बैग छीनकर कमरे में भागती हुई…. "पहनकर दिखा देती हूं दीदी, मेरे लिए ड्रेस और एसेसरीज लेकर आया है।"..


नम्रता:- हां समझ गई किस तरह के ड्रेस लाया होगा। और आर्य, आज से कॉलेज जाने की अनुमति..


आर्यमणि:- अनुमति तो कल से ही मिल गयि थी। लेकिन हां कल किसी ने जादुई घोल में लिटा दिया तो मेरे पूरे जख्म भर गये।


"माफ करना आर्य, तुम्हारे कारनामे ही ऐसे थे कि किसी को यकीन कर पाना मुश्किल था। हां लेकिन वो करंट वाला मामला कुछ ज्यादा हो गया था।"…. राजदीप उन सब के बीच बैठते हुए कहने लगा।


अक्षरा:- टेस्ट के नाम पर जान से ही मार देने वाले थे क्या? सीधा-सीधा वुल्फबेन इंजेक्ट कर देते।


राजदीप:- फिर पता कैसे चलता आर्यमणि कितना मजबूत है। क्यों आर्य?


आर्यमणि:- हां बकड़े की जान चली गई और खाने वाले को कोई श्वाद ही नहीं मिला।


राजदीप:- बकरे से याद आया, आज मटन बनाते है और रात का खाना हमारे साथ, क्या कहते हो आर्य।


"वो भेज है दादा, नॉन भेज नहीं खाता।".. अंदर से पलक ने जवाब दिया।


राजदीप:- पहला वुल्फ जो साकहारी होगा।


आर्यमणि:- मेरे दादा जी मुझे कुछ जरूरी ज्ञान देने वाले थे। इसलिए मै जब मां के गर्भ में नहीं था उस से पहले ही उन्होंने मां को नॉन भेज खाने से मना कर दिया था। जबतक मै पुरा अन्न खाने लायक नहीं हुआ, तबतक उन्होंने मां को मांस खाने नहीं दिया था। दादा जी मुझे कुछ शुद्घ ज्ञान के ओर प्रेरित करने वाले थे इसलिए..


उज्जवल:- तुम्हारे दादा जी बहुत ज्ञानी पुरुष थे। अब लगता है वो शायद किसी के साजिश का शिकार हो गये। कोई अपनी दूर दृष्टि किसी कार्य में लगाये हुये था जिसके रोड़ा तुम्हारे दादा जी होंगे। दुश्मन कोई बाहर का नहीं था, वो तो अब भी घर में छिपा होगा।


राजदीप:- बाबा ये क्या है? वो बच्चा है अभी। और सुनो बच्चे शादी तय हो गई है इसका ये मतलब नहीं कि ज्यादा मस्ती मज़ाक और घूमना-फिरना करो। पहले कैरियर पर ध्यान दो।


आर्यमणि:- कैरियर पर ध्यान दूंगा तो आपके जैसा हो जाऊंगा भईया। जल्दी शादी कर लो वरना सुपरिटेंडेंट से अस्सिटेंट कमिश्नर बनने के चक्कर में लड़की नहीं मिलेगी।


आर्यमणि की बातें सुनकर सभी हंसने लगे, इसी बीच पलक भी पहुंच गई। ब्लू रंग की पेंसिल जीन्स, जो टखने के थोड़ा ऊपर था। नीचे मैचिंग शू, ऊपर ब्राउन कलर का स्लीवलेस टॉप और उसके ऊपर हल्के पीले रंग का ब्लेजर। बस आज तैयार होने का अंदाज कुछ ऐसा था कि पलक नजर मे बस रही थी।


राजदीप:- ये उस दिन भी ऐसे ही तैयार होकर निकली थी ना? आई हमारे लगन फिक्स करने से पहले कहीं दोनो के बीच कुछ चल तो नही रहा था? जब इसका लगन तय कर रहे थे, तब पलक ने एक बार भी नहीं कहा कि वो किसी और को चाहती है। दाल में कुछ काला है।


पलक:- आप पुलिस में हो ना दादा, कली दाल पकाते रहो, हम कॉलेज चलते है। क्यों आर्य..


दोनो वहां से निकल गये और दोनो को जाते देख सभी एक साथ कहने लगे… "दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।"..


"बहुत स्वीट दिख रहे हो, चॉकलेट की तरह"… पलक आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी।


आर्यमणि, कार को एक किनारे खड़ी करके पलक का हांथ खींचकर अपने ऊपर लाया और उसके खुले बाल जो चेहरे पर आए थे, उस हटाते हुए पलक की आखों में झांकने लगा… पलक कभी अपनी नजर आर्यमणि से मिलाती तो कभी नजरें चुराती… धीरे-धीरे दोनो करीब होते चले गए। आर्यमणि अपने होंठ आगे बढ़ाकर पलक के होंठ को स्पर्श किया और अपना चेहरा पीछे करके उसके चेहरे को देखने लगा।


पलक अपनी आखें खोलकर आर्यमणि को देखकर मुस्कुराई और अगले ही पल उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर, उसे प्यार से चूमने लगी। दोनो की ही धड़कने बढ़ी हुई थी। आर्यमणि खुद को काबू करते अपना सर पीछे किया। पलक अब भी आंख मूंदे बस अपने होंठ आगे की हुईं थी।


आर्यमणि, होंठ पर एक छोटा सा स्पर्श करते…. "रात में ऐसे पैशन के साथ किस्स करना पलक, कार में वो मज़ा नहीं आयेगा।"


आर्यमणि की बात सुनकर पलक अपनी आखें दिखती…. "कॉलेज चले।"..


कॉलेज पहुंचकर जैसे ही पलक कार से उतरने लगी…. "पलक एक मिनट।"..


पलक:- हां आर्य..


अपने होंठ से पलक के होंठ को स्पर्श करते… "अब जाओ"… पलक हंसती हुई.. "पागल"…


आर्यमणि पार्किंग में अपनी कार खड़ी किया, तभी रूही भी उसके पास पहुंच गई… "हीरो लग रहे हो बॉस।"


आर्यमणि:- थैंक्स रूही..बात क्या है जो कहने में झिझक रही हो।


रूही:- तुम्हे कैसे पता मै झिझक रही हूं।


आर्यमणि उसके सर पर टफ्ली मारते… "मै किसी के भी इमोशंस कयि किलोमीटर दूर से भांप सकता हूं, सिवाय अपनी रानी के।"..


रूही:- चल झूटे कहीं के…


आर्यमणि, उसे आंख दिखाने लगा। रूही शांत होती… "सॉरी बॉस।"..


आर्यमणि:- जाकर कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ लो ना।


रूही:- हमे इजाज़त नहीं आम इंसानों के साथ ज्यादा मेल-जोल बढ़ना। वैसे भी किसी पर दिल आ गया तो जिंदगी भर उसे साथ थोड़े ना रख सकते है। पहचान तो खुल ही जाना है। मुझसे नहीं तो मेरे बच्चे से।


आर्यमणि:- तुम मेरे पैक में हो और पहले ही कह चुका हूं, पुरानी ज़िन्दगी को अलविदा कह दो। खुलकर अपनी जिंदगी जी लो। तुम जिस भविष्य कि कल्पना से डर रही हो, उसकी जिम्मेदारी मेरी है।


रूही:- क्या सच में ऐसा होगा।


आर्यमणि:- मेरा वादा है।


रूही आर्यमणि की बात सुनकर उसके गले लग गई। आर्यमणि उसे खुद से दूर करते… "यहां इमोशन ना दिखाओ, जबतक सरदार का कुछ कर नहीं लेते। अब तुम बताओगी झिझक क्यों रही थी।"..


रूही:- अलबेली इधर आ…


रूही जैसे ही आवाज़ लगाई, बाल्यावस्था से किशोरावस्था में कदम रखी, प्यारी सी लड़की बाहर निकलकर आयी.. आर्यमणि उसे देखकर ही समझ गया वो बहुत ज्यादा घबरायि और सहमी हुई है। उसके खुले कर्ली बाल और गोल सा चेहरा काफी प्यारा और आकर्षक था, लेकिन अलबेली की आंखें उतनी ही खामोश। देखने से ही दिल में टीस उठने लगे, इतनी प्यारी लड़की की हंसी किसने छीन ली।


आर्यमणि, थोड़ा नीचे झुककर जैसे ही अलबेली के चेहरे को अपने हाथ से थामा... उस एक पल में अलबेली को अपने अंदर किसी अभिभावक के साये तले होने का एहसास हुआ, जो अंदर से मेहसूस करवा जाए कि मै इस साये तले खुलकर जी सकती हूं। उस एक पल का एहसास... और अलबेली के आंखों से आंसू फुट निकले...


आर्यमणि उसके चेहरे को सीने से लगाकर उसके बलो में हाथ फेरते हुए… "अलबेली रूही दीदी के साथ रहना। आज से तुम्हारे इस प्यारे चेहरे पर कभी आंसू नहीं आयेंगे, ये वादा है। जाओ तुम कार में इंतजार करो।"..


रूही:- ट्विन अल्फा के मरने के जश्न में अलबेली के बदन को नोचा जा रहा था। ये भी उस किले के उन अभगों मे से है, जिसका कोई पैक नहीं, सिवाय इसके एक जुड़वा भाई के। इसका जुड़वा, इसे बचाने के लिए बीच में आया तो उसे कल रात ही मार दिया गया। किसी तरह मै अलबेली को वहां से निकाल कर लायी हूं, लेकिन सरदार को मुझपर शक हो गया...


आर्यमणि:- हम्मम ! किसकी दिमागी फितूर है ये..


रूही:- और किसकी सरदार खान के चेले नरेश और उसके पूरे पैक की।


आर्यमणि:- चलो सरदार खान के किले में चलते है। अपना पैक के होने का साइन बनाओ। आज प्रहरी और सरदार खान को पता चलना चाहिए कि हमारा भी एक पैक है। अलबेली यहां आओ।


अलबेली:- जी भईया..


आर्यमणि:- तुम अपने बदले के लिए तैयार रहो अलबेली। हमे घंटे भर में ये काम खत्म करना है। लेकिन उससे पहले इसे ब्लड ओथ लेना होगा। क्या ये अपना पैक छोड़ने के लिए तैयार है?


रूही:- इसका कोई पैक नहीं। बस 2 जुड़वा थे। इसके अल्फा को पिछले महीने सरदार ने मार दिया था और बचे हुए बीटा अलग-अलग पैक मे समिल हो गये सिवाय इन जुड़वा के, जिन्हें कमजोर समझ कर खेलने के लिये किले में भटकने छोड़ दिया।


आर्यमणि:- चलो फिर आज ये किला फतह करते है। ब्लड ओथ सेरेमनी की तैयारी करो।


रूही अलबेली को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंची। चारो ओर का माहौल देखने के बाद रूही ने आर्यमणि को बुलाया। आर्यमणि वहां पहुंचा। रूही, चाकू अलबेली के हाथ में थमा दी। अलबेली पहले अपना हथेली चिर ली, फिर आर्यमणि का। और ठीक वैसे ही 2 मिनट की प्रक्रिया हुई जैसे रूही के समय में हुआ था।


अलबेली भी अपने अंदर कुछ अच्छा और सुकून भरा मेहसूस करने लगी। रूही के भांति वह भी अपने हाथ हाथ को उलट–पलट कर देख रही थी। अलबेली को पैक में सामिल करने के बाद आर्यमणि, उन दोनों को लेकर सरदार खान की गली पहुंचा, जिसे उसका किला भी मानते थे। जैसे ही किले में आर्यमणि को वेयरवॉल्फ ने देखा, हर कोई उसे ही घुर रहा था। आर्यमणि आगे–आगे और उसके पीछे रूही और अलबेली। तीनों उस जगह के मध्य में पहुंचे जिसे चौपाल कहते थे। इस जगह पर आम लोगों को आने नहीं दिया जाता था। 4000 स्क्वेयर फीट का खुला मैदान, जिसके मध्य में एक विशाल पेड़ था और उसी के नीचे बड़ा सा चौपाल बना था, जहां बाहर से आने वालों को यहां लाकर शिकार किया करते थे तथा सरदार खान की पंचायत यहीं लगती थी।


रूही को देखते ही वहां का पहरेदार भाग खड़ा हुआ। रूही ने दरवाजा खोला, आर्यमणि सबको लेकर अंदर मैदान में पहुंचा। रूही अपने चाकू से उस चौपाल के पेड़ पर नये पैक निशान बनाकर उसे सर्किल से घेर दी। सर्किल से घेरने के बाद पहले आर्यमणि ने अपने खून से निशान लगाया, फिर रूही ने और अंत में अलबेली ने। यह लड़ाई के लिये चुनौती का निशान था। इधर किले कि सड़क पर जैसे ही आर्यमणि को सबने देखा, सब के सब सरदार खान के हवेली पहुंचे। मांस पर टूटा हुआ सरदार खान अपने खाने को छोड़कर एक बार तेजी से दहारा….. "सुबह के भोजन के वक़्त कौन आ गया अपनी मौत मरने।".. ।


नरेश:- सरदार वो लड़का आर्यमणि आया है, उसके साथ रूही और अलबेली भी थी।


सरदार:- अलबेली और रूही के साथ मे वो लड़का आया है। क्या वो हमसे अलबेली के विषय में सवाल-जवाब करने आया है? या फिर कॉलेज के मैटर में इसने जो हमारे कुछ लोगों को तोड़ा था, उस बात ने कहीं ये सोचने पर तो मजबूर नहीं कर दिया ना की हम कमजोर है। नरेश कहीं हमारी साख अपने ही क्षेत्र में कमजोर तो नहीं पड़ने लगी...


नरेश:- खुद ही चौपाल तक पहुंच गया है सरदार, अब तो बस भोज का नगाड़ा बाजवा दो।


सरदार ने नगाड़ा बजवाया और देखते ही देखते 150 बीटा, 5 अल्फा के साथ सरदार चौपाल पहुंच गया। सरदार और उसके दरिंदे वुल्फ जैसे ही वहां पहुंचे, पेड़ पर नए पैक का अस्तित्व और उसपर लड़ाई की चुनौती का निशान देखते ही सबने अपना शेप शिफ्ट कर लिया… खुर्र–खुरर–खुर्र–खूर्र करके सभी के फेफरों से गुस्से भरी श्वंस की आवाज चारो ओर गूंजने लगी.…
Sandaar
 
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I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–30




एक अध्याय समाप्त होने को था, और पहला लक्ष्य मिल चुका था। रात के तकरीबन 10.30 बजे आर्यमणि वापस आया। भूमि हॉल में बैठकर उसका इंतजार कर रही थी। आर्यमणि आते ही भूमि के पास चला गया… "किस सोच में डूबी हो।"..


भूमि:- सॉरी, वो मैंने तुझे टेस्ट के बारे में कुछ भी नही बताया।


आर्यमणि:- वो सब छोड़ो, मुझे पढ़ने में मज़ा नहीं आ रहा, मुझे कुछ पैसे चाहिए, बिजनेस करना है।


भूमि:- हाहाहाहा… अभी तो तूने ठीक से जिंदगी नहीं जिया। 2-4 साल अपने शौक पूरे कर ले, फिर बिजनेस करना।


आर्यमणि:- मुझे आप पैसे दे रही हो या मै मौसी से मांग लूं।


भूमि:- तूने पक्का मन बनाया है।


आर्यमणि:- हां दीदी।


भूमि:- अच्छा ठीक है कितने पैसे चाहिए तुझे..


आर्यमणि:- 10 करोड़।


भूमि:- अच्छा और किराये के दुकान में काम शुरू करेगा।


आर्यमणि:- अभी स्टार्टअप है ना, धीरे-धीरे काम बढ़ाऊंगा।


भूमि:- अच्छा तू बिजनेस कौन सा करेगा।


आर्यमणि:- अर्मस एंड अम्यूनेशन के पार्ट्स डेवलप करना।


भूमि:- क्या है ये सब आर्य। गवर्नमेंट तुम्हे कभी अनुमति नहीं देगी।


आर्यमणि:- दीदी भरोसा है ना मुझ पर।


भूमि:- नहीं।


आर्यमणि:- क्या बोली?


भूमि:- भाई कुछ और कर ले ना। ये हटके वाला बिजनेस क्यों करना चाहता है। आराम से एक शॉपिंग मॉल का फाइनेंस मुझसे लेले। मस्त प्राइम लोकेशन पर खोल। तेजस दादा को टक्कर दे। ये सब ना करके तुझे वैपन डेवलप करना है। भाई गवर्नमेंट उसकी अनुमति तुम्हे नहीं देगी वो सिर्फ इशारों और डीआरडीओ करता है।


आर्यमणि:- अरे मेरी भोली दीदी, गन की नली उसके पार्ट्स, ये सब सरकारी जगहों पर नहीं बनता है। मैंने सब सोच रखा है। मेरा पूरा प्रोजक्ट तैयार भी है। तुम बस 10 करोड़ दो मुझे और 2 महीने का वक़्त।


भूमि:- ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुझे कितना जगह में कैसा कंस्ट्रक्शन चाहिए वो बता दे। काम हम अपनी जगह में शुरू करेंगे।


आर्यमणि:- जगह 6000 स्क्वेयर फुट। 1 अंडरग्राउंड फ्लोर और 4 फ्लोर उसके ऊपर खड़ा।


भूमि:- ओह मतलब तू प्रोजेक्ट के बदले सरकार से लॉन लेता, फिर अपना काम शुरू करता।


आर्यमणि:- हां यही करने वाला था।


भूमि:- कोई जरूरत नहीं है, तू बस अपना प्रोजेक्ट रेडी रख, बाकी सब मैं देख लूंगी। और कुछ..


आर्यमणि:- हां है ना…


भूमि:- क्या?


आर्यमणि:- जल्दी से खुशखबरी दो, मै मामा कब बन रहा हूं।


भूमि:- हां ठीक मैंने सुन लिया, अब जाएगा सोने या थप्पड़ खाएगा। ..


सुबह-सुबह का वक़्त और आर्यमणि की बाइक सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस के घर पर। घर की बेल बजी और नम्रता दरवाजा पर आते ही…. "आई पहली बार तुम्हारे छोटे जमाई घर आये है, क्या करूं?"..


"छोटे जमाई"… सुनकर ही पलक खुशी से उछलने लगी। वो दौड़कर बाहर दरवाजे तक आयी और आर्यमणि का हाथ पकड़कर अंदर लाते…. "हद है दीदी आप तो ऐसे पूछ रही हो जैसे पहली बार कोई दुल्हन घर आ रही हो। यहां बैठो आर्य, क्या लोगे।"


आर्यमणि:- कल तुम्हारे लिए कुछ शॉपिंग की थी, रख लो।


नम्रता:- जारा मुझे भी दिखाओ क्या लाये हो?


जैसे ही नम्रता बैग दिखाने बोली, पलक, आर्यमणि के हाथ से बैग छीनकर कमरे में भागती हुई…. "पहनकर दिखा देती हूं दीदी, मेरे लिए ड्रेस और एसेसरीज लेकर आया है।"..


नम्रता:- हां समझ गई किस तरह के ड्रेस लाया होगा। और आर्य, आज से कॉलेज जाने की अनुमति..


आर्यमणि:- अनुमति तो कल से ही मिल गयि थी। लेकिन हां कल किसी ने जादुई घोल में लिटा दिया तो मेरे पूरे जख्म भर गये।


"माफ करना आर्य, तुम्हारे कारनामे ही ऐसे थे कि किसी को यकीन कर पाना मुश्किल था। हां लेकिन वो करंट वाला मामला कुछ ज्यादा हो गया था।"…. राजदीप उन सब के बीच बैठते हुए कहने लगा।


अक्षरा:- टेस्ट के नाम पर जान से ही मार देने वाले थे क्या? सीधा-सीधा वुल्फबेन इंजेक्ट कर देते।


राजदीप:- फिर पता कैसे चलता आर्यमणि कितना मजबूत है। क्यों आर्य?


आर्यमणि:- हां बकड़े की जान चली गई और खाने वाले को कोई श्वाद ही नहीं मिला।


राजदीप:- बकरे से याद आया, आज मटन बनाते है और रात का खाना हमारे साथ, क्या कहते हो आर्य।


"वो भेज है दादा, नॉन भेज नहीं खाता।".. अंदर से पलक ने जवाब दिया।


राजदीप:- पहला वुल्फ जो साकहारी होगा।


आर्यमणि:- मेरे दादा जी मुझे कुछ जरूरी ज्ञान देने वाले थे। इसलिए मै जब मां के गर्भ में नहीं था उस से पहले ही उन्होंने मां को नॉन भेज खाने से मना कर दिया था। जबतक मै पुरा अन्न खाने लायक नहीं हुआ, तबतक उन्होंने मां को मांस खाने नहीं दिया था। दादा जी मुझे कुछ शुद्घ ज्ञान के ओर प्रेरित करने वाले थे इसलिए..


उज्जवल:- तुम्हारे दादा जी बहुत ज्ञानी पुरुष थे। अब लगता है वो शायद किसी के साजिश का शिकार हो गये। कोई अपनी दूर दृष्टि किसी कार्य में लगाये हुये था जिसके रोड़ा तुम्हारे दादा जी होंगे। दुश्मन कोई बाहर का नहीं था, वो तो अब भी घर में छिपा होगा।


राजदीप:- बाबा ये क्या है? वो बच्चा है अभी। और सुनो बच्चे शादी तय हो गई है इसका ये मतलब नहीं कि ज्यादा मस्ती मज़ाक और घूमना-फिरना करो। पहले कैरियर पर ध्यान दो।


आर्यमणि:- कैरियर पर ध्यान दूंगा तो आपके जैसा हो जाऊंगा भईया। जल्दी शादी कर लो वरना सुपरिटेंडेंट से अस्सिटेंट कमिश्नर बनने के चक्कर में लड़की नहीं मिलेगी।


आर्यमणि की बातें सुनकर सभी हंसने लगे, इसी बीच पलक भी पहुंच गई। ब्लू रंग की पेंसिल जीन्स, जो टखने के थोड़ा ऊपर था। नीचे मैचिंग शू, ऊपर ब्राउन कलर का स्लीवलेस टॉप और उसके ऊपर हल्के पीले रंग का ब्लेजर। बस आज तैयार होने का अंदाज कुछ ऐसा था कि पलक नजर मे बस रही थी।


राजदीप:- ये उस दिन भी ऐसे ही तैयार होकर निकली थी ना? आई हमारे लगन फिक्स करने से पहले कहीं दोनो के बीच कुछ चल तो नही रहा था? जब इसका लगन तय कर रहे थे, तब पलक ने एक बार भी नहीं कहा कि वो किसी और को चाहती है। दाल में कुछ काला है।


पलक:- आप पुलिस में हो ना दादा, कली दाल पकाते रहो, हम कॉलेज चलते है। क्यों आर्य..


दोनो वहां से निकल गये और दोनो को जाते देख सभी एक साथ कहने लगे… "दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।"..


"बहुत स्वीट दिख रहे हो, चॉकलेट की तरह"… पलक आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी।


आर्यमणि, कार को एक किनारे खड़ी करके पलक का हांथ खींचकर अपने ऊपर लाया और उसके खुले बाल जो चेहरे पर आए थे, उस हटाते हुए पलक की आखों में झांकने लगा… पलक कभी अपनी नजर आर्यमणि से मिलाती तो कभी नजरें चुराती… धीरे-धीरे दोनो करीब होते चले गए। आर्यमणि अपने होंठ आगे बढ़ाकर पलक के होंठ को स्पर्श किया और अपना चेहरा पीछे करके उसके चेहरे को देखने लगा।


पलक अपनी आखें खोलकर आर्यमणि को देखकर मुस्कुराई और अगले ही पल उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर, उसे प्यार से चूमने लगी। दोनो की ही धड़कने बढ़ी हुई थी। आर्यमणि खुद को काबू करते अपना सर पीछे किया। पलक अब भी आंख मूंदे बस अपने होंठ आगे की हुईं थी।


आर्यमणि, होंठ पर एक छोटा सा स्पर्श करते…. "रात में ऐसे पैशन के साथ किस्स करना पलक, कार में वो मज़ा नहीं आयेगा।"


आर्यमणि की बात सुनकर पलक अपनी आखें दिखती…. "कॉलेज चले।"..


कॉलेज पहुंचकर जैसे ही पलक कार से उतरने लगी…. "पलक एक मिनट।"..


पलक:- हां आर्य..


अपने होंठ से पलक के होंठ को स्पर्श करते… "अब जाओ"… पलक हंसती हुई.. "पागल"…


आर्यमणि पार्किंग में अपनी कार खड़ी किया, तभी रूही भी उसके पास पहुंच गई… "हीरो लग रहे हो बॉस।"


आर्यमणि:- थैंक्स रूही..बात क्या है जो कहने में झिझक रही हो।


रूही:- तुम्हे कैसे पता मै झिझक रही हूं।


आर्यमणि उसके सर पर टफ्ली मारते… "मै किसी के भी इमोशंस कयि किलोमीटर दूर से भांप सकता हूं, सिवाय अपनी रानी के।"..


रूही:- चल झूटे कहीं के…


आर्यमणि, उसे आंख दिखाने लगा। रूही शांत होती… "सॉरी बॉस।"..


आर्यमणि:- जाकर कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ लो ना।


रूही:- हमे इजाज़त नहीं आम इंसानों के साथ ज्यादा मेल-जोल बढ़ना। वैसे भी किसी पर दिल आ गया तो जिंदगी भर उसे साथ थोड़े ना रख सकते है। पहचान तो खुल ही जाना है। मुझसे नहीं तो मेरे बच्चे से।


आर्यमणि:- तुम मेरे पैक में हो और पहले ही कह चुका हूं, पुरानी ज़िन्दगी को अलविदा कह दो। खुलकर अपनी जिंदगी जी लो। तुम जिस भविष्य कि कल्पना से डर रही हो, उसकी जिम्मेदारी मेरी है।


रूही:- क्या सच में ऐसा होगा।


आर्यमणि:- मेरा वादा है।


रूही आर्यमणि की बात सुनकर उसके गले लग गई। आर्यमणि उसे खुद से दूर करते… "यहां इमोशन ना दिखाओ, जबतक सरदार का कुछ कर नहीं लेते। अब तुम बताओगी झिझक क्यों रही थी।"..


रूही:- अलबेली इधर आ…


रूही जैसे ही आवाज़ लगाई, बाल्यावस्था से किशोरावस्था में कदम रखी, प्यारी सी लड़की बाहर निकलकर आयी.. आर्यमणि उसे देखकर ही समझ गया वो बहुत ज्यादा घबरायि और सहमी हुई है। उसके खुले कर्ली बाल और गोल सा चेहरा काफी प्यारा और आकर्षक था, लेकिन अलबेली की आंखें उतनी ही खामोश। देखने से ही दिल में टीस उठने लगे, इतनी प्यारी लड़की की हंसी किसने छीन ली।


आर्यमणि, थोड़ा नीचे झुककर जैसे ही अलबेली के चेहरे को अपने हाथ से थामा... उस एक पल में अलबेली को अपने अंदर किसी अभिभावक के साये तले होने का एहसास हुआ, जो अंदर से मेहसूस करवा जाए कि मै इस साये तले खुलकर जी सकती हूं। उस एक पल का एहसास... और अलबेली के आंखों से आंसू फुट निकले...


आर्यमणि उसके चेहरे को सीने से लगाकर उसके बलो में हाथ फेरते हुए… "अलबेली रूही दीदी के साथ रहना। आज से तुम्हारे इस प्यारे चेहरे पर कभी आंसू नहीं आयेंगे, ये वादा है। जाओ तुम कार में इंतजार करो।"..


रूही:- ट्विन अल्फा के मरने के जश्न में अलबेली के बदन को नोचा जा रहा था। ये भी उस किले के उन अभगों मे से है, जिसका कोई पैक नहीं, सिवाय इसके एक जुड़वा भाई के। इसका जुड़वा, इसे बचाने के लिए बीच में आया तो उसे कल रात ही मार दिया गया। किसी तरह मै अलबेली को वहां से निकाल कर लायी हूं, लेकिन सरदार को मुझपर शक हो गया...


आर्यमणि:- हम्मम ! किसकी दिमागी फितूर है ये..


रूही:- और किसकी सरदार खान के चेले नरेश और उसके पूरे पैक की।


आर्यमणि:- चलो सरदार खान के किले में चलते है। अपना पैक के होने का साइन बनाओ। आज प्रहरी और सरदार खान को पता चलना चाहिए कि हमारा भी एक पैक है। अलबेली यहां आओ।


अलबेली:- जी भईया..


आर्यमणि:- तुम अपने बदले के लिए तैयार रहो अलबेली। हमे घंटे भर में ये काम खत्म करना है। लेकिन उससे पहले इसे ब्लड ओथ लेना होगा। क्या ये अपना पैक छोड़ने के लिए तैयार है?


रूही:- इसका कोई पैक नहीं। बस 2 जुड़वा थे। इसके अल्फा को पिछले महीने सरदार ने मार दिया था और बचे हुए बीटा अलग-अलग पैक मे समिल हो गये सिवाय इन जुड़वा के, जिन्हें कमजोर समझ कर खेलने के लिये किले में भटकने छोड़ दिया।


आर्यमणि:- चलो फिर आज ये किला फतह करते है। ब्लड ओथ सेरेमनी की तैयारी करो।


रूही अलबेली को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंची। चारो ओर का माहौल देखने के बाद रूही ने आर्यमणि को बुलाया। आर्यमणि वहां पहुंचा। रूही, चाकू अलबेली के हाथ में थमा दी। अलबेली पहले अपना हथेली चिर ली, फिर आर्यमणि का। और ठीक वैसे ही 2 मिनट की प्रक्रिया हुई जैसे रूही के समय में हुआ था।


अलबेली भी अपने अंदर कुछ अच्छा और सुकून भरा मेहसूस करने लगी। रूही के भांति वह भी अपने हाथ हाथ को उलट–पलट कर देख रही थी। अलबेली को पैक में सामिल करने के बाद आर्यमणि, उन दोनों को लेकर सरदार खान की गली पहुंचा, जिसे उसका किला भी मानते थे। जैसे ही किले में आर्यमणि को वेयरवॉल्फ ने देखा, हर कोई उसे ही घुर रहा था। आर्यमणि आगे–आगे और उसके पीछे रूही और अलबेली। तीनों उस जगह के मध्य में पहुंचे जिसे चौपाल कहते थे। इस जगह पर आम लोगों को आने नहीं दिया जाता था। 4000 स्क्वेयर फीट का खुला मैदान, जिसके मध्य में एक विशाल पेड़ था और उसी के नीचे बड़ा सा चौपाल बना था, जहां बाहर से आने वालों को यहां लाकर शिकार किया करते थे तथा सरदार खान की पंचायत यहीं लगती थी।


रूही को देखते ही वहां का पहरेदार भाग खड़ा हुआ। रूही ने दरवाजा खोला, आर्यमणि सबको लेकर अंदर मैदान में पहुंचा। रूही अपने चाकू से उस चौपाल के पेड़ पर नये पैक निशान बनाकर उसे सर्किल से घेर दी। सर्किल से घेरने के बाद पहले आर्यमणि ने अपने खून से निशान लगाया, फिर रूही ने और अंत में अलबेली ने। यह लड़ाई के लिये चुनौती का निशान था। इधर किले कि सड़क पर जैसे ही आर्यमणि को सबने देखा, सब के सब सरदार खान के हवेली पहुंचे। मांस पर टूटा हुआ सरदार खान अपने खाने को छोड़कर एक बार तेजी से दहारा….. "सुबह के भोजन के वक़्त कौन आ गया अपनी मौत मरने।".. ।


नरेश:- सरदार वो लड़का आर्यमणि आया है, उसके साथ रूही और अलबेली भी थी।


सरदार:- अलबेली और रूही के साथ मे वो लड़का आया है। क्या वो हमसे अलबेली के विषय में सवाल-जवाब करने आया है? या फिर कॉलेज के मैटर में इसने जो हमारे कुछ लोगों को तोड़ा था, उस बात ने कहीं ये सोचने पर तो मजबूर नहीं कर दिया ना की हम कमजोर है। नरेश कहीं हमारी साख अपने ही क्षेत्र में कमजोर तो नहीं पड़ने लगी...


नरेश:- खुद ही चौपाल तक पहुंच गया है सरदार, अब तो बस भोज का नगाड़ा बाजवा दो।


सरदार ने नगाड़ा बजवाया और देखते ही देखते 150 बीटा, 5 अल्फा के साथ सरदार चौपाल पहुंच गया। सरदार और उसके दरिंदे वुल्फ जैसे ही वहां पहुंचे, पेड़ पर नए पैक का अस्तित्व और उसपर लड़ाई की चुनौती का निशान देखते ही सबने अपना शेप शिफ्ट कर लिया… खुर्र–खुरर–खुर्र–खूर्र करके सभी के फेफरों से गुस्से भरी श्वंस की आवाज चारो ओर गूंजने लगी.…
Dhasssu updates🎉
 
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