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Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Destiny

Will Change With Time
Prime
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Update - 59


सुबह सुबह न्याय सभा की करवाई के चलते रघु देर से दफ्तर पहुंचा, उसको आए कुछ ही वक्त हुआ था कि एक फ़ोन कॉल से उसे सूचना मिला कि उससे कोई मिलने आया हैं। तुरंत ही उसे ज्ञात हुआ कि कौन उससे मिलने आने वाला हैं। तब रघु ने बीना विलंब के उसे भेजने को कह दिया।

फ़ोन रखते ही किसी ने द्वार पर आकर भीतर आने की प्रमिशन मांगा, आने वाले शख्स की आवाज से रघु जान गया की द्वार पर मुंशी आया हुआ हैं। इसलिए तुरंत ही उन्हें अंदर आने का प्रमीशन दे दिया। अंदर आते ही मुंशी बोला... रघु आज तुम्हें कैसे देर हों गईं।

रघु... काका कल आपकी बहू के साथ रात्रि भ्रमण पे गया था वहीं पाता चला मुनीम जी अपने काम में घपला कर रहे है उसी की सभा के कारण लेट हों गया।

मुंशी...मुनीम जी ऐसा करेंगे कभी सोचा नहीं था। खैर उनके बारे में बाद में बात करेंगे अभी तुम मेरे साथ चलो।

रघु... कहा चलना हैं?

मुंशी... कहा चलना है ये कार में बता दुंगा अभी तुम बस इतना जान लो कुछ अति विशिष्ट क्लाइंट्स के साथ मीटिंग हैं जिनके बारे में कल ही तुम्हें बता देना था लेकिन तुम्हारी जल्दी बाजी के कारण मेरे दिमाग से उतर गया।

"चलो फ़िर" कहते हुए मुंशी के साथ रघु चल दिया जैसे ही द्वार खोलकर बहार निकला सामने से संभू आता हुआ दिख गया। संभू के पास पहुंचकर रघु बोला... संभू माफ करना भाई मैं तुम्हें समय नहीं दे सकता अभी मुझे एक ज़रूरी मीटिंग में जाना होगा।

संभू…ठीक है मैं प्रतीक्षा कर लेता हूं।

रघु... पाता नही मुझे कितना वक्त लग जाए इसलिए तुम अभी जाओ और दुबारा जब आओ मुझे कॉल कर लेना और सुनो रिसेप्शन से मेरा दफ्तर वाला नंबर ले जाना।

इतना कहकर रघु आगे बड़ गया और संभू कुछ पल वही खड़े विचारों में खोया रहा फ़िर लौट गया।

एक अंजान शख्स जो रघु से मिलने दफ़्तर आया जिसे शायद ही कभी मुंशी देखा हों याद करने के लिए मुंशी अपने मस्तिस्क को यातनाएं देने लग गया। कुछ देर मानसिक खीच तन के बाद मुंशी बोला... इस संभू को कहीं तो देखा हैं पर याद नहीं आ रहा खैर छोड़ो ये बताओं संभू तुमसे मिलने क्यों आया था।

रघु…काका ये वही संभू हैं जिसका एक्सिडेंट मेरे कार से हुआ था और बिना पूर्ण स्वस्थ हुए कही भाग गया था। कल रात फ़िर मुलाकात हुआ और संजोग ऐसा बना कि कल भी लगभग एक्सिडेंट होते होते रहा गया।

मुंशी...kyaaa एक्सिडेंट…

रघु...अरे काका भयभीत होने की जरूरत नहीं है एक्सिडेंट होने वाला था हुआ नहीं ये बात मां के कान तक नहीं पहुंचना चहिए।

मुंशी...चलो ठीक है नहीं पहुंचेगी लेकिन कार ध्यान से चलाया करो।

रघु... ध्यान से कार चला रहा था वो तो आपके बहू को...।

बोलते बोलते रघु चुप हो गया और निगाहे चुराने लग गया। जिसे देखकर मुंशी मुस्कुरा दिया फ़िर बोला... अब तो पक्का रानी मां से कहना पड़ेगा की बहू और रघु को साथ में कहीं न भेजे।

रघु...क्या काका आप भी! मेरी भावनाओं को समझो न।

मुंशी…समझ रहा हूं लेकिन कार चलाते वक्त अपनी भावनाओं पे नियंत्रण रखा करो खासकर की तब जब बहू साथ में हों।

जबाव में रघु बस मुस्कुरा दिया फ़िर कुछ ओर बाते करते हुए दोनो दफ्तर से बहार आ गए और साथ में ही अपने गंतव्य कि ओर चल दिया।

दुसरी ओर कमला और पुष्पा रात्रि में मिले बजुर्ग महिला के घर पहुंच गए। रात्रि में अंधकार होने के कारण शायद ही रघु और कमला अंदाजा लगा पाया हो कि वृद्ध महिला की झोपड़ी किस हाल में थीं लेकिन दिन की उजाले में देखने से अंदाजा हों गया कि झोपड़ी खस्ता हाल में हैं। झोपड़ी की छत कहीं कहीं से गंजा हो चूका हैं। झोपड़ी के चारों ओर से लगे घास की दीवारें भी कहीं कहीं से खराब हों चूका है। झोपड़ी का दाएं तरफ वाला हिस्सा एक और झुक चूका हैं। तेज हवा की एक झोंका से झोपड़ी घिर जायेगा। यह देखकर पुष्पा बोलीं... भाभी हम आलीशान महल में कितने शान से रहते हैं वहीं दुनियां में कितने लोग हैं जिन्हें टूटी फूटी मड़ैया में रहना पड़ता हैं। भाभी क्या हम इन बुजुर्ग महिला को हमारे साथ महल में नहीं रख सकते हैं।

कमला... मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकती हूं। कल जब इन्हें देखा था तब मेरे मन में भी यहीं विचार आया था। लेकिन जब थोडा ओर विचार किया तब ध्यान आया कि इन जैसे ओर भी लोग होंगे और हम किन किन को महल में रखेंगे इसलिए तो पापा जी को वृद्ध आश्रम बनाने की बात कहा।

बातों के दौरान दोनों झोपड़ी में प्रवेश कर गए। जहां वृद्ध महिला लेटी हुई थीं। किसी के आने की आहट पाकर वृद्ध महिला उठकर बैठ गई और कमल और पुष्पा बिना किसी शर्म के जाकर वृद्ध महिला के पास बैठ गईं। दोनों को ध्यान से देखने के बाद वृद्ध महिला बोलीं... अरे आज तो मेरी कुटिया में राजकुमारी जी आई है। कैसे हो राजकुमारी पुष्पा जी?

पुष्पा... बूढ़ी मां मैं ठीक हूं। आप मुझे पहचानती हों।

बूढ़ी मां...महल के एक एक सदस्य को पहचानता हूं। बस नई आई बहुरानी को नहीं देखा था उनसे कल रात मिल लिया सुना था नई बहुरानी बहुत सुंदर हैं कल रात ठीक से देख नहीं पाई थी आज दिन में देखकर जान गईं कि लोगों ने जैसा कहा था बहुरानी उनकी कहीं बातों से ज्यादा सूरत से जितनी सुंदर हैं उतना ही हृदय से सुंदर हैं। वरना लोग तो….।

"बूढ़ी मां लोग क्या करते हैं उसे जानने में कोई दिलचस्पी नहीं हैं मै तो वहीं करूंगी जो मेरे मन को अच्छा लगेगा।" वृद्ध महिला की बातों को बीच में कटकर कमला बोलीं।

बूढ़ी मां... मैं भी कितनी भोली हूं घर आए अतिथि को पानी भी नहीं पुछा।

इतना बोलकर बूढ़ी मां उठने लगीं। वृद्ध शरीर में इतनी जल्दी कहा हरकत होता हैं। इसलिए उन्हें भी थोडा वक्त लगा तब पुष्पा उन्हें रोकते हुए बोलीं... बूढ़ी मां आप बैठिए बस इतना बता दीजिए पानी किसमे रखा है में लेकर आती हूं।

बूढ़ी मां ने एक और इशारा करके बता दिया वहा पानी हैं और दुसरी ओर दिखाकर बोलीं वहा गिलास रखा हैं। पुष्पा खुद से पानी लेकर आई फ़िर एक गिलास कमला को दिया एक बूढ़ी मां को एक खुद लिया और बूढ़ी मां के पास बैठकर पानी पीने लग गईं। बूढ़ी मां एक घुट पानी पीने के बाद बोलीं...रानी मां ने आपने बच्चो को बिल्कुल अपने जैसा ही बनाया हैं। वो भी किसी से भेद भाव नहीं करती हैं इसीलिए तो यह के निवासियों ने उन्हें रानी मां की उपाधि दिया है और बहू भी बिल्कुल अपने जैसा ढूंढकर लाई हैं वरना महलों में रहने वाली एक गरीब की झोपड़ी में एक बार भूले से आ भी गई तो दुबारा कहा वापस आती हैं।

बूढ़ी मां की बातों का किसी ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुराकर टल दिया फ़िर उन्हें लेकर बहार आई ओर जमीन पे एक बिछावन बिछाकर बैठ गईं। यहां देखकर साजन के साथ आय दूसरे लोग पहले तो भौचकी रह गए फ़िर मुस्कुराकर अपने काम में लग गए। कुछ लोग झोपडी की पुनः निर्माण में लग गए। जिन्हें कमला ने अपनी और से निर्देश दे दिया कि झोपडी बिल्कुल सही से और जितनी जल्दी बनाया जा सकता हैं बना दिया जाएं।

आदेश मिलते ही निर्माण करने वाले अपने काम में लग गए और बूढ़ी महिला बस हाथ जोड़े धन्यवाद करने लग गई। लगभग दोपहर के बाद तक का समय बूढ़ी मां के पास रहने के बाद पुष्पा और कमला ने फ़िर आने की बात कहकर काम कर रहें लोगों के अलावा देख भाल के लिए दो ओर लोगों को छोड़कर साजन को साथ लिए वापस चल दिया।

शहर की भीड़ भाड़ से निकलकर सुनसान रास्ते पर कुछ ही दूर चले थे कि एक कार पूर्ण रफ्तार में होवर टेक करते हुए निकल गया। ड्राइवर खिसिया कर गली देने ही वाला था कि उसे ध्यान आया उसके साथ कौन कौन है। तब किसी तरह जीभाह पर नियन्त्रण पाया और अपना ध्यान कार चलाने में लगा दिया।

वह से कुछ दूरी तय करके पहाड़ी रास्ते के घुमावदार मोड़ पे जैसे ही पूछा एक शख्स बीच रास्ते पर गिरा हुआ दिखा। कर रोककर ड्राइवर के साथ साथ पुष्पा और कमला निकलकर तुरंत उस शख्स के पास पूछा तब देखा वहा शख्स अचेत अवस्था में पड़ा हुआ हैं कई जगा चोट आया हैं। सिर और नाक मुंह से खून बह रहा हैं यह देखकर ड्राइवर बोला…मालकिन लगता है हमे ओवर टेक करके निकलने वाले कार से इसका एक्सीडेट हुआ है।

पुष्पा...बातों में वक्त बर्बाद न करके इन्हें जल्दी से हॉस्पिटल लेकर चलो।

कमला... अरे ये तो संभू है कल रात एक्सिडेंट होते होते बचा और आज एक्सिडेंट हों गया।

कल रात एक्सिडेंट की बात सुनकर पुष्पा चौक गई और कमला को सवालिया निगाहों से देखा लेकिन कमला अभी ननद के किसी भी सवाल का जवाब देने की मुड़ में नहीं थी उसे बस संभू की चिन्ता हो रही थीं जो इस वक्त अचेत पड़ा हुआ था।

साजन भी उनके पीछे पीछे आ रहा था। इनके कार को रुकता देखकर साजन भी जल्दी से वहा पहुंचा और सांभू को देखकर कमला की कही बात उसने भी दोहरा दिया और कमला ने उसे टोककर सहायता करने को कहा यथा शीघ्र संभू को दूसरे कार में डाल गया फ़िर साजन बोला... मालकिन आप दोनो महल लौट जाइए मैं संभू को हॉस्पिटल में लेकर जाता हूं।

पुष्पा और कमला ने साजन की बात नहीं माना और उसके साथ ही हॉस्पिटल को चल दिया। बरहाल कुछ देर में हॉस्पिटल पहुंच गए। मरीज की गंभीर हालत और कारण जानकर डॉक्टर बोला... देखिए ये एक दुर्घटना का मामला है जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक मैं हाथ नहीं लगाऊंगा।

पुष्पा...डॉक्टर साहब आप इनका इलाज शुरू करें पुलिस से हम निपट लेंगे।

कमला…डॉक्टर साहब देर करना उचित नहीं होगा मरीज की हालत गंभीर है आप इलाज शुरू करें बाकि की करवाई होती रहेंगी।

डॉक्टर...देखिए जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक मैं कुछ नहीं कर सकता।

पुष्पा और कमला बार बार डॉक्टर को मरीज की गंभीरता बता रहे थे और डॉक्टर पुलिस बुलाने पर अड़ा हुआ था। बल्कि नर्स ने पुलिस को कॉल भी कर दिया था और जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक डॉक्टर मरीज को हाथ लगाने को राजी नहीं हों रहा था। तब साजन तैस में आकर बोला...मरीज यह भांभीर अवस्था में है ओर तूझे पुलिस केस की पड़ी है जानता भी है साथ में खड़ी ये दोनों एक राजा जी की बेटी है और दूसरी उनकी बहू हैं। अब सोच राजा जी को पता चला तूने इनकी बात नही मानी तो तेरा क्या होगा।

साजन की कहीं बातों से डॉक्टर भयभीत हों गया और माफी मांगते हुए तुरंत ही संभू को ओटी में ले गया। कुछ ही देर में पुलिस भी आ गया। पुष्पा और कमला से कोई भी सावल जवाब करता उससे पहले ही साजन ने दोनों का परिचय दे दिया और यह भी बता दिया कि एक्सीडेंट उनके कार से नहीं हुआ बल्कि किसी ओर कार से हुआ हैं और इन्होंने बस इशानियत का दायित्व निभाया हैं। अपनी ओर से तारीफ स्वरूप कुछ शब्द बोलकर पुलिस अपनी करवाई में लग गए।

लगभग दो घंटे के बाद डॉक्टर ओटी से निकला और सभी डॉक्टर के पास पहुचकर संभू का हाल पूछा तब डॉक्टर बोला... मरीज का हाल बहुत गंभीर हैं। कई हड्डियां टूट गई है सिर में बहुत गंभीर चोट आया हैं इसलिए मैं अभी कुछ नही कहा सकता बस दुआ कर सकते हैं कि उसे कुछ न हों।

कमला... तो यह क्या कर रहा हैं जा जाकर दुआ कर अगर मरीज को कुछ हुआ तो तेरी खैर नहीं हम तुझसे कह रहे थे मरीज का हाल गंभीर है लेकिन तू बस अपनी बात पर अड़ा हुआ था।

पुष्पा... अगर उस मरीज को कुछ भी हुआ तो तू फ़िर कभी किसी मरीज का इलाज नहीं कर पाएगा अब जा यह से नहीं तो कुछ ही देर में तू भी उसी मरीज के पास लेटा हुआ होगा।

मामला गरमाता देखकर डॉक्टर वहा से खिसक लिया लेकिन जाते जाते उसे एक बार फिर सुनने को मिला "अब बहार तभी आना जब कोई अच्छी खबर हो वरना अंदर ही रहना।" यह बात कमला ने बोला था।

पुलिस... मैडम उस पर भड़कने से क्या होगा वो अपना काम कर तो रहा हैं।

पुष्पा... इंस्पेक्टर साहब उसने मरीज की इलाज में ख़ुद से देर किया हम उसे बार बार कह रहे थे कि मरीज का हाल गंभीर है लेकिन वो एक ही बात पे अड़ा हुआ था पुलिस जब तक नहीं आएगा तब तक हाथ नही लगाएगा। अगर आप ने उसकी पैरवी की तो आप के लिए अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा का गर्म मिजाज देखकर पुलिस वाला भी चुप हो गया। कमला और पुष्पा भिन्नया सा वहीं बैठ गईं। कुछ देर में पुलिस वाला साजन को किनारे ले जाकर बोला…यार राजा जी की बेटी और बहू बहुत नाराज हों गई है तू एक काम कर इन्हें महल वापस भेज दे।

साजन... अरे इंस्पेक्टर साहब मेरी कहा मानेंगे आप खुद ही कह दो।

इंस्पेक्टर... अरे समझ न भाई।

खैर कुछ देर में साजन दोनों के पास पहुंचा लेकिन हिम्मत जुटा कर कह नहीं पा रहा था तब बार बार पुलिस वाला इशारे से कहने को बोल रहा था। बरहाल कुछ देर की खामोशी के बाद साजन बोला... मालकिन आप दोनों को आए बहुत देर हो चूका हैं अब ओर देर नहीं करना चाहिए आप दोनों महल वापस जाओ। मैं यह हूं जब तक डॉक्टर अच्छी सूचना नहीं दे देता तब तक न मैं यहां से हिलूंगा न ही इंस्पेक्टर बाबू यह से हिलेंगे।

खुद की न जाने की बाते सुनाकर इंस्पेक्टर मन ही मन साजन को गली देने लगा। दोनों (कमला और पुष्पा) का मन वापस जानें को नहीं हों रहा था लेकिन साजन की कहीं बात भी सच था। दोनों को महल से निकले हुए बहुत वक्त हों चुका था। इसलिए अनिच्छा से दोनों महल वापस जानें को राजी हो गए। जाते जाते पुष्पा बोलीं... साजन देखना हमारे जाते ही इंस्पेक्टर बाबू भी न चला जाए अगर ऐसा करते हैं तो मुझे बताना फ़िर इनके साथ किया होगा ये भी नहीं जान पाएंगे।

इतना कहकर पुष्पा और कमला चले गए और इंस्पेक्टर बाबू खीसिया कर बोला…मुझे यह फसकर तूने अच्छा नहीं किया।

साजन... अरे बाबा मैं तुम्हें रोक थोड़ी न रखा हैं जाओ जहां जाना हैं लेकिन छोटी मालकिन जैसा कह गई है मैं भी नहीं जानता तुम्हारे साथ क्या होगा। तुम भी नहीं जानना चाहते तो चुप चाप यह बैठ जाओ।

आगे जारी रहेगा….
 

Lib am

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सुबह सुबह न्याय सभा की करवाई के चलते रघु देर से दफ्तर पहुंचा, उसको आए कुछ ही वक्त हुआ था कि एक फ़ोन कॉल से उसे सूचना मिला कि उससे कोई मिलने आया हैं। तुरंत ही उसे ज्ञात हुआ कि कौन उससे मिलने आने वाला हैं। तब रघु ने बीना विलंब के उसे भेजने को कह दिया।

फ़ोन रखते ही किसी ने द्वार पर आकर भीतर आने की प्रमिशन मांगा, आने वाले शख्स की आवाज से रघु जान गया की द्वार पर मुंशी आया हुआ हैं। इसलिए तुरंत ही उन्हें अंदर आने का प्रमीशन दे दिया। अंदर आते ही मुंशी बोला... रघु आज तुम्हें कैसे देर हों गईं।

रघु... काका कल आपकी बहू के साथ रात्रि भ्रमण पे गया था वहीं पाता चला मुनीम जी अपने काम में घपला कर रहे है उसी की सभा के कारण लेट हों गया।

मुंशी...मुनीम जी ऐसा करेंगे कभी सोचा नहीं था। खैर उनके बारे में बाद में बात करेंगे अभी तुम मेरे साथ चलो।

रघु... कहा चलना हैं?

मुंशी... कहा चलना है ये कार में बता दुंगा अभी तुम बस इतना जान लो कुछ अति विशिष्ट क्लाइंट्स के साथ मीटिंग हैं जिनके बारे में कल ही तुम्हें बता देना था लेकिन तुम्हारी जल्दी बाजी के कारण मेरे दिमाग से उतर गया।

"चलो फ़िर" कहते हुए मुंशी के साथ रघु चल दिया जैसे ही द्वार खोलकर बहार निकला सामने से संभू आता हुआ दिख गया। संभू के पास पहुंचकर रघु बोला... संभू माफ करना भाई मैं तुम्हें समय नहीं दे सकता अभी मुझे एक ज़रूरी मीटिंग में जाना होगा।

संभू…ठीक है मैं प्रतीक्षा कर लेता हूं।

रघु... पाता नही मुझे कितना वक्त लग जाए इसलिए तुम अभी जाओ और दुबारा जब आओ मुझे कॉल कर लेना और सुनो रिसेप्शन से मेरा दफ्तर वाला नंबर ले जाना।

इतना कहकर रघु आगे बड़ गया और संभू कुछ पल वही खड़े विचारों में खोया रहा फ़िर लौट गया।

एक अंजान शख्स जो रघु से मिलने दफ़्तर आया जिसे शायद ही कभी मुंशी देखा हों याद करने के लिए मुंशी अपने मस्तिस्क को यातनाएं देने लग गया। कुछ देर मानसिक खीच तन के बाद मुंशी बोला... इस संभू को कहीं तो देखा हैं पर याद नहीं आ रहा खैर छोड़ो ये बताओं संभू तुमसे मिलने क्यों आया था।

रघु…काका ये वही संभू हैं जिसका एक्सिडेंट मेरे कार से हुआ था और बिना पूर्ण स्वस्थ हुए कही भाग गया था। कल रात फ़िर मुलाकात हुआ और संजोग ऐसा बना कि कल भी लगभग एक्सिडेंट होते होते रहा गया।

मुंशी...kyaaa एक्सिडेंट…

रघु...अरे काका भयभीत होने की जरूरत नहीं है एक्सिडेंट होने वाला था हुआ नहीं ये बात मां के कान तक नहीं पहुंचना चहिए।

मुंशी...चलो ठीक है नहीं पहुंचेगी लेकिन कार ध्यान से चलाया करो।

रघु... ध्यान से कार चला रहा था वो तो आपके बहू को...।

बोलते बोलते रघु चुप हो गया और निगाहे चुराने लग गया। जिसे देखकर मुंशी मुस्कुरा दिया फ़िर बोला... अब तो पक्का रानी मां से कहना पड़ेगा की बहू और रघु को साथ में कहीं न भेजे।

रघु...क्या काका आप भी! मेरी भावनाओं को समझो न।

मुंशी…समझ रहा हूं लेकिन कार चलाते वक्त अपनी भावनाओं पे नियंत्रण रखा करो खासकर की तब जब बहू साथ में हों।

जबाव में रघु बस मुस्कुरा दिया फ़िर कुछ ओर बाते करते हुए दोनो दफ्तर से बहार आ गए और साथ में ही अपने गंतव्य कि ओर चल दिया।

दुसरी ओर कमला और पुष्पा रात्रि में मिले बजुर्ग महिला के घर पहुंच गए। रात्रि में अंधकार होने के कारण शायद ही रघु और कमला अंदाजा लगा पाया हो कि वृद्ध महिला की झोपड़ी किस हाल में थीं लेकिन दिन की उजाले में देखने से अंदाजा हों गया कि झोपड़ी खस्ता हाल में हैं। झोपड़ी की छत कहीं कहीं से गंजा हो चूका हैं। झोपड़ी के चारों ओर से लगे घास की दीवारें भी कहीं कहीं से खराब हों चूका है। झोपड़ी का दाएं तरफ वाला हिस्सा एक और झुक चूका हैं। तेज हवा की एक झोंका से झोपड़ी घिर जायेगा। यह देखकर पुष्पा बोलीं... भाभी हम आलीशान महल में कितने शान से रहते हैं वहीं दुनियां में कितने लोग हैं जिन्हें टूटी फूटी मड़ैया में रहना पड़ता हैं। भाभी क्या हम इन बुजुर्ग महिला को हमारे साथ महल में नहीं रख सकते हैं।

कमला... मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकती हूं। कल जब इन्हें देखा था तब मेरे मन में भी यहीं विचार आया था। लेकिन जब थोडा ओर विचार किया तब ध्यान आया कि इन जैसे ओर भी लोग होंगे और हम किन किन को महल में रखेंगे इसलिए तो पापा जी को वृद्ध आश्रम बनाने की बात कहा।

बातों के दौरान दोनों झोपड़ी में प्रवेश कर गए। जहां वृद्ध महिला लेटी हुई थीं। किसी के आने की आहट पाकर वृद्ध महिला उठकर बैठ गई और कमल और पुष्पा बिना किसी शर्म के जाकर वृद्ध महिला के पास बैठ गईं। दोनों को ध्यान से देखने के बाद वृद्ध महिला बोलीं... अरे आज तो मेरी कुटिया में राजकुमारी जी आई है। कैसे हो राजकुमारी पुष्पा जी?

पुष्पा... बूढ़ी मां मैं ठीक हूं। आप मुझे पहचानती हों।

बूढ़ी मां...महल के एक एक सदस्य को पहचानता हूं। बस नई आई बहुरानी को नहीं देखा था उनसे कल रात मिल लिया सुना था नई बहुरानी बहुत सुंदर हैं कल रात ठीक से देख नहीं पाई थी आज दिन में देखकर जान गईं कि लोगों ने जैसा कहा था बहुरानी उनकी कहीं बातों से ज्यादा सूरत से जितनी सुंदर हैं उतना ही हृदय से सुंदर हैं। वरना लोग तो….।

"बूढ़ी मां लोग क्या करते हैं उसे जानने में कोई दिलचस्पी नहीं हैं मै तो वहीं करूंगी जो मेरे मन को अच्छा लगेगा।" वृद्ध महिला की बातों को बीच में कटकर कमला बोलीं।

बूढ़ी मां... मैं भी कितनी भोली हूं घर आए अतिथि को पानी भी नहीं पुछा।

इतना बोलकर बूढ़ी मां उठने लगीं। वृद्ध शरीर में इतनी जल्दी कहा हरकत होता हैं। इसलिए उन्हें भी थोडा वक्त लगा तब पुष्पा उन्हें रोकते हुए बोलीं... बूढ़ी मां आप बैठिए बस इतना बता दीजिए पानी किसमे रखा है में लेकर आती हूं।

बूढ़ी मां ने एक और इशारा करके बता दिया वहा पानी हैं और दुसरी ओर दिखाकर बोलीं वहा गिलास रखा हैं। पुष्पा खुद से पानी लेकर आई फ़िर एक गिलास कमला को दिया एक बूढ़ी मां को एक खुद लिया और बूढ़ी मां के पास बैठकर पानी पीने लग गईं। बूढ़ी मां एक घुट पानी पीने के बाद बोलीं...रानी मां ने आपने बच्चो को बिल्कुल अपने जैसा ही बनाया हैं। वो भी किसी से भेद भाव नहीं करती हैं इसीलिए तो यह के निवासियों ने उन्हें रानी मां की उपाधि दिया है और बहू भी बिल्कुल अपने जैसा ढूंढकर लाई हैं वरना महलों में रहने वाली एक गरीब की झोपड़ी में एक बार भूले से आ भी गई तो दुबारा कहा वापस आती हैं।

बूढ़ी मां की बातों का किसी ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुराकर टल दिया फ़िर उन्हें लेकर बहार आई ओर जमीन पे एक बिछावन बिछाकर बैठ गईं। यहां देखकर साजन के साथ आय दूसरे लोग पहले तो भौचकी रह गए फ़िर मुस्कुराकर अपने काम में लग गए। कुछ लोग झोपडी की पुनः निर्माण में लग गए। जिन्हें कमला ने अपनी और से निर्देश दे दिया कि झोपडी बिल्कुल सही से और जितनी जल्दी बनाया जा सकता हैं बना दिया जाएं।

आदेश मिलते ही निर्माण करने वाले अपने काम में लग गए और बूढ़ी महिला बस हाथ जोड़े धन्यवाद करने लग गई। लगभग दोपहर के बाद तक का समय बूढ़ी मां के पास रहने के बाद पुष्पा और कमला ने फ़िर आने की बात कहकर काम कर रहें लोगों के अलावा देख भाल के लिए दो ओर लोगों को छोड़कर साजन को साथ लिए वापस चल दिया।

शहर की भीड़ भाड़ से निकलकर सुनसान रास्ते पर कुछ ही दूर चले थे कि एक कार पूर्ण रफ्तार में होवर टेक करते हुए निकल गया। ड्राइवर खिसिया कर गली देने ही वाला था कि उसे ध्यान आया उसके साथ कौन कौन है। तब किसी तरह जीभाह पर नियन्त्रण पाया और अपना ध्यान कार चलाने में लगा दिया।

वह से कुछ दूरी तय करके पहाड़ी रास्ते के घुमावदार मोड़ पे जैसे ही पूछा एक शख्स बीच रास्ते पर गिरा हुआ दिखा। कर रोककर ड्राइवर के साथ साथ पुष्पा और कमला निकलकर तुरंत उस शख्स के पास पूछा तब देखा वहा शख्स अचेत अवस्था में पड़ा हुआ हैं कई जगा चोट आया हैं। सिर और नाक मुंह से खून बह रहा हैं यह देखकर ड्राइवर बोला…मालकिन लगता है हमे ओवर टेक करके निकलने वाले कार से इसका एक्सीडेट हुआ है।

पुष्पा...बातों में वक्त बर्बाद न करके इन्हें जल्दी से हॉस्पिटल लेकर चलो।

कमला... अरे ये तो संभू है कल रात एक्सिडेंट होते होते बचा और आज एक्सिडेंट हों गया।

कल रात एक्सिडेंट की बात सुनकर पुष्पा चौक गई और कमला को सवालिया निगाहों से देखा लेकिन कमला अभी ननद के किसी भी सवाल का जवाब देने की मुड़ में नहीं थी उसे बस संभू की चिन्ता हो रही थीं जो इस वक्त अचेत पड़ा हुआ था।

साजन भी उनके पीछे पीछे आ रहा था। इनके कार को रुकता देखकर साजन भी जल्दी से वहा पहुंचा और सांभू को देखकर कमला की कही बात उसने भी दोहरा दिया और कमला ने उसे टोककर सहायता करने को कहा यथा शीघ्र संभू को दूसरे कार में डाल गया फ़िर साजन बोला... मालकिन आप दोनो महल लौट जाइए मैं संभू को हॉस्पिटल में लेकर जाता हूं।

पुष्पा और कमला ने साजन की बात नहीं माना और उसके साथ ही हॉस्पिटल को चल दिया। बरहाल कुछ देर में हॉस्पिटल पहुंच गए। मरीज की गंभीर हालत और कारण जानकर डॉक्टर बोला... देखिए ये एक दुर्घटना का मामला है जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक मैं हाथ नहीं लगाऊंगा।

पुष्पा...डॉक्टर साहब आप इनका इलाज शुरू करें पुलिस से हम निपट लेंगे।

कमला…डॉक्टर साहब देर करना उचित नहीं होगा मरीज की हालत गंभीर है आप इलाज शुरू करें बाकि की करवाई होती रहेंगी।

डॉक्टर...देखिए जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक मैं कुछ नहीं कर सकता।

पुष्पा और कमला बार बार डॉक्टर को मरीज की गंभीरता बता रहे थे और डॉक्टर पुलिस बुलाने पर अड़ा हुआ था। बल्कि नर्स ने पुलिस को कॉल भी कर दिया था और जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक डॉक्टर मरीज को हाथ लगाने को राजी नहीं हों रहा था। तब साजन तैस में आकर बोला...मरीज यह भांभीर अवस्था में है ओर तूझे पुलिस केस की पड़ी है जानता भी है साथ में खड़ी ये दोनों एक राजा जी की बेटी है और दूसरी उनकी बहू हैं। अब सोच राजा जी को पता चला तूने इनकी बात नही मानी तो तेरा क्या होगा।

साजन की कहीं बातों से डॉक्टर भयभीत हों गया और माफी मांगते हुए तुरंत ही संभू को ओटी में ले गया। कुछ ही देर में पुलिस भी आ गया। पुष्पा और कमला से कोई भी सावल जवाब करता उससे पहले ही साजन ने दोनों का परिचय दे दिया और यह भी बता दिया कि एक्सीडेंट उनके कार से नहीं हुआ बल्कि किसी ओर कार से हुआ हैं और इन्होंने बस इशानियत का दायित्व निभाया हैं। अपनी ओर से तारीफ स्वरूप कुछ शब्द बोलकर पुलिस अपनी करवाई में लग गए।

लगभग दो घंटे के बाद डॉक्टर ओटी से निकला और सभी डॉक्टर के पास पहुचकर संभू का हाल पूछा तब डॉक्टर बोला... मरीज का हाल बहुत गंभीर हैं। कई हड्डियां टूट गई है सिर में बहुत गंभीर चोट आया हैं इसलिए मैं अभी कुछ नही कहा सकता बस दुआ कर सकते हैं कि उसे कुछ न हों।

कमला... तो यह क्या कर रहा हैं जा जाकर दुआ कर अगर मरीज को कुछ हुआ तो तेरी खैर नहीं हम तुझसे कह रहे थे मरीज का हाल गंभीर है लेकिन तू बस अपनी बात पर अड़ा हुआ था।

पुष्पा... अगर उस मरीज को कुछ भी हुआ तो तू फ़िर कभी किसी मरीज का इलाज नहीं कर पाएगा अब जा यह से नहीं तो कुछ ही देर में तू भी उसी मरीज के पास लेटा हुआ होगा।

मामला गरमाता देखकर डॉक्टर वहा से खिसक लिया लेकिन जाते जाते उसे एक बार फिर सुनने को मिला "अब बहार तभी आना जब कोई अच्छी खबर हो वरना अंदर ही रहना।" यह बात कमला ने बोला था।

पुलिस... मैडम उस पर भड़कने से क्या होगा वो अपना काम कर तो रहा हैं।

पुष्पा... इंस्पेक्टर साहब उसने मरीज की इलाज में ख़ुद से देर किया हम उसे बार बार कह रहे थे कि मरीज का हाल गंभीर है लेकिन वो एक ही बात पे अड़ा हुआ था पुलिस जब तक नहीं आएगा तब तक हाथ नही लगाएगा। अगर आप ने उसकी पैरवी की तो आप के लिए अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा का गर्म मिजाज देखकर पुलिस वाला भी चुप हो गया। कमला और पुष्पा भिन्नया सा वहीं बैठ गईं। कुछ देर में पुलिस वाला साजन को किनारे ले जाकर बोला…यार राजा जी की बेटी और बहू बहुत नाराज हों गई है तू एक काम कर इन्हें महल वापस भेज दे।

साजन... अरे इंस्पेक्टर साहब मेरी कहा मानेंगे आप खुद ही कह दो।

इंस्पेक्टर... अरे समझ न भाई।

खैर कुछ देर में साजन दोनों के पास पहुंचा लेकिन हिम्मत जुटा कर कह नहीं पा रहा था तब बार बार पुलिस वाला इशारे से कहने को बोल रहा था। बरहाल कुछ देर की खामोशी के बाद साजन बोला... मालकिन आप दोनों को आए बहुत देर हो चूका हैं अब ओर देर नहीं करना चाहिए आप दोनों महल वापस जाओ। मैं यह हूं जब तक डॉक्टर अच्छी सूचना नहीं दे देता तब तक न मैं यहां से हिलूंगा न ही इंस्पेक्टर बाबू यह से हिलेंगे।

खुद की न जाने की बाते सुनाकर इंस्पेक्टर मन ही मन साजन को गली देने लगा। दोनों (कमला और पुष्पा) का मन वापस जानें को नहीं हों रहा था लेकिन साजन की कहीं बात भी सच था। दोनों को महल से निकले हुए बहुत वक्त हों चुका था। इसलिए अनिच्छा से दोनों महल वापस जानें को राजी हो गए। जाते जाते पुष्पा बोलीं... साजन देखना हमारे जाते ही इंस्पेक्टर बाबू भी न चला जाए अगर ऐसा करते हैं तो मुझे बताना फ़िर इनके साथ किया होगा ये भी नहीं जान पाएंगे।

इतना कहकर पुष्पा और कमला चले गए और इंस्पेक्टर बाबू खीसिया कर बोला…मुझे यह फसकर तूने अच्छा नहीं किया।

साजन... अरे बाबा मैं तुम्हें रोक थोड़ी न रखा हैं जाओ जहां जाना हैं लेकिन छोटी मालकिन जैसा कह गई है मैं भी नहीं जानता तुम्हारे साथ क्या होगा। तुम भी नहीं जानना चाहते तो चुप चाप यह बैठ जाओ।

आगे जारी रहेगा….
मुंशी जी भी मौका नहीं छोड़ते रघु की टांग खींचने का। मगर किस्मत का भी खेल अलग ही जो आज फिर शंभू आया और मिल नही पाया। पुष्पा और कमला ने जाकर उस बूढ़ी औरत की झोपड़ी ठीक करवा दी जिसकी उसने उम्मीद भी नही की थी।

आज फिर शंभू का एक्सीडेंट हुआ है इसका मतलब कुछ तो ऐसा है जो वो जानता है मगर दुश्मन नहीं चाहता कि वो बात रघु को पता चले। अब पता नही शंभू वो बात बता भी पाएगा या नहीं। कमला और पुष्पा ने डॉक्टर और पुलिस वाले की सही क्लास लगाई है। मस्त अपडेट
 

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Update - 59


सुबह सुबह न्याय सभा की करवाई के चलते रघु देर से दफ्तर पहुंचा, उसको आए कुछ ही वक्त हुआ था कि एक फ़ोन कॉल से उसे सूचना मिला कि उससे कोई मिलने आया हैं। तुरंत ही उसे ज्ञात हुआ कि कौन उससे मिलने आने वाला हैं। तब रघु ने बीना विलंब के उसे भेजने को कह दिया।

फ़ोन रखते ही किसी ने द्वार पर आकर भीतर आने की प्रमिशन मांगा, आने वाले शख्स की आवाज से रघु जान गया की द्वार पर मुंशी आया हुआ हैं। इसलिए तुरंत ही उन्हें अंदर आने का प्रमीशन दे दिया। अंदर आते ही मुंशी बोला... रघु आज तुम्हें कैसे देर हों गईं।

रघु... काका कल आपकी बहू के साथ रात्रि भ्रमण पे गया था वहीं पाता चला मुनीम जी अपने काम में घपला कर रहे है उसी की सभा के कारण लेट हों गया।

मुंशी...मुनीम जी ऐसा करेंगे कभी सोचा नहीं था। खैर उनके बारे में बाद में बात करेंगे अभी तुम मेरे साथ चलो।

रघु... कहा चलना हैं?

मुंशी... कहा चलना है ये कार में बता दुंगा अभी तुम बस इतना जान लो कुछ अति विशिष्ट क्लाइंट्स के साथ मीटिंग हैं जिनके बारे में कल ही तुम्हें बता देना था लेकिन तुम्हारी जल्दी बाजी के कारण मेरे दिमाग से उतर गया।

"चलो फ़िर" कहते हुए मुंशी के साथ रघु चल दिया जैसे ही द्वार खोलकर बहार निकला सामने से संभू आता हुआ दिख गया। संभू के पास पहुंचकर रघु बोला... संभू माफ करना भाई मैं तुम्हें समय नहीं दे सकता अभी मुझे एक ज़रूरी मीटिंग में जाना होगा।

संभू…ठीक है मैं प्रतीक्षा कर लेता हूं।

रघु... पाता नही मुझे कितना वक्त लग जाए इसलिए तुम अभी जाओ और दुबारा जब आओ मुझे कॉल कर लेना और सुनो रिसेप्शन से मेरा दफ्तर वाला नंबर ले जाना।

इतना कहकर रघु आगे बड़ गया और संभू कुछ पल वही खड़े विचारों में खोया रहा फ़िर लौट गया।

एक अंजान शख्स जो रघु से मिलने दफ़्तर आया जिसे शायद ही कभी मुंशी देखा हों याद करने के लिए मुंशी अपने मस्तिस्क को यातनाएं देने लग गया। कुछ देर मानसिक खीच तन के बाद मुंशी बोला... इस संभू को कहीं तो देखा हैं पर याद नहीं आ रहा खैर छोड़ो ये बताओं संभू तुमसे मिलने क्यों आया था।

रघु…काका ये वही संभू हैं जिसका एक्सिडेंट मेरे कार से हुआ था और बिना पूर्ण स्वस्थ हुए कही भाग गया था। कल रात फ़िर मुलाकात हुआ और संजोग ऐसा बना कि कल भी लगभग एक्सिडेंट होते होते रहा गया।

मुंशी...kyaaa एक्सिडेंट…

रघु...अरे काका भयभीत होने की जरूरत नहीं है एक्सिडेंट होने वाला था हुआ नहीं ये बात मां के कान तक नहीं पहुंचना चहिए।

मुंशी...चलो ठीक है नहीं पहुंचेगी लेकिन कार ध्यान से चलाया करो।

रघु... ध्यान से कार चला रहा था वो तो आपके बहू को...।

बोलते बोलते रघु चुप हो गया और निगाहे चुराने लग गया। जिसे देखकर मुंशी मुस्कुरा दिया फ़िर बोला... अब तो पक्का रानी मां से कहना पड़ेगा की बहू और रघु को साथ में कहीं न भेजे।

रघु...क्या काका आप भी! मेरी भावनाओं को समझो न।

मुंशी…समझ रहा हूं लेकिन कार चलाते वक्त अपनी भावनाओं पे नियंत्रण रखा करो खासकर की तब जब बहू साथ में हों।

जबाव में रघु बस मुस्कुरा दिया फ़िर कुछ ओर बाते करते हुए दोनो दफ्तर से बहार आ गए और साथ में ही अपने गंतव्य कि ओर चल दिया।

दुसरी ओर कमला और पुष्पा रात्रि में मिले बजुर्ग महिला के घर पहुंच गए। रात्रि में अंधकार होने के कारण शायद ही रघु और कमला अंदाजा लगा पाया हो कि वृद्ध महिला की झोपड़ी किस हाल में थीं लेकिन दिन की उजाले में देखने से अंदाजा हों गया कि झोपड़ी खस्ता हाल में हैं। झोपड़ी की छत कहीं कहीं से गंजा हो चूका हैं। झोपड़ी के चारों ओर से लगे घास की दीवारें भी कहीं कहीं से खराब हों चूका है। झोपड़ी का दाएं तरफ वाला हिस्सा एक और झुक चूका हैं। तेज हवा की एक झोंका से झोपड़ी घिर जायेगा। यह देखकर पुष्पा बोलीं... भाभी हम आलीशान महल में कितने शान से रहते हैं वहीं दुनियां में कितने लोग हैं जिन्हें टूटी फूटी मड़ैया में रहना पड़ता हैं। भाभी क्या हम इन बुजुर्ग महिला को हमारे साथ महल में नहीं रख सकते हैं।

कमला... मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकती हूं। कल जब इन्हें देखा था तब मेरे मन में भी यहीं विचार आया था। लेकिन जब थोडा ओर विचार किया तब ध्यान आया कि इन जैसे ओर भी लोग होंगे और हम किन किन को महल में रखेंगे इसलिए तो पापा जी को वृद्ध आश्रम बनाने की बात कहा।

बातों के दौरान दोनों झोपड़ी में प्रवेश कर गए। जहां वृद्ध महिला लेटी हुई थीं। किसी के आने की आहट पाकर वृद्ध महिला उठकर बैठ गई और कमल और पुष्पा बिना किसी शर्म के जाकर वृद्ध महिला के पास बैठ गईं। दोनों को ध्यान से देखने के बाद वृद्ध महिला बोलीं... अरे आज तो मेरी कुटिया में राजकुमारी जी आई है। कैसे हो राजकुमारी पुष्पा जी?

पुष्पा... बूढ़ी मां मैं ठीक हूं। आप मुझे पहचानती हों।

बूढ़ी मां...महल के एक एक सदस्य को पहचानता हूं। बस नई आई बहुरानी को नहीं देखा था उनसे कल रात मिल लिया सुना था नई बहुरानी बहुत सुंदर हैं कल रात ठीक से देख नहीं पाई थी आज दिन में देखकर जान गईं कि लोगों ने जैसा कहा था बहुरानी उनकी कहीं बातों से ज्यादा सूरत से जितनी सुंदर हैं उतना ही हृदय से सुंदर हैं। वरना लोग तो….।

"बूढ़ी मां लोग क्या करते हैं उसे जानने में कोई दिलचस्पी नहीं हैं मै तो वहीं करूंगी जो मेरे मन को अच्छा लगेगा।" वृद्ध महिला की बातों को बीच में कटकर कमला बोलीं।

बूढ़ी मां... मैं भी कितनी भोली हूं घर आए अतिथि को पानी भी नहीं पुछा।

इतना बोलकर बूढ़ी मां उठने लगीं। वृद्ध शरीर में इतनी जल्दी कहा हरकत होता हैं। इसलिए उन्हें भी थोडा वक्त लगा तब पुष्पा उन्हें रोकते हुए बोलीं... बूढ़ी मां आप बैठिए बस इतना बता दीजिए पानी किसमे रखा है में लेकर आती हूं।

बूढ़ी मां ने एक और इशारा करके बता दिया वहा पानी हैं और दुसरी ओर दिखाकर बोलीं वहा गिलास रखा हैं। पुष्पा खुद से पानी लेकर आई फ़िर एक गिलास कमला को दिया एक बूढ़ी मां को एक खुद लिया और बूढ़ी मां के पास बैठकर पानी पीने लग गईं। बूढ़ी मां एक घुट पानी पीने के बाद बोलीं...रानी मां ने आपने बच्चो को बिल्कुल अपने जैसा ही बनाया हैं। वो भी किसी से भेद भाव नहीं करती हैं इसीलिए तो यह के निवासियों ने उन्हें रानी मां की उपाधि दिया है और बहू भी बिल्कुल अपने जैसा ढूंढकर लाई हैं वरना महलों में रहने वाली एक गरीब की झोपड़ी में एक बार भूले से आ भी गई तो दुबारा कहा वापस आती हैं।

बूढ़ी मां की बातों का किसी ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुराकर टल दिया फ़िर उन्हें लेकर बहार आई ओर जमीन पे एक बिछावन बिछाकर बैठ गईं। यहां देखकर साजन के साथ आय दूसरे लोग पहले तो भौचकी रह गए फ़िर मुस्कुराकर अपने काम में लग गए। कुछ लोग झोपडी की पुनः निर्माण में लग गए। जिन्हें कमला ने अपनी और से निर्देश दे दिया कि झोपडी बिल्कुल सही से और जितनी जल्दी बनाया जा सकता हैं बना दिया जाएं।

आदेश मिलते ही निर्माण करने वाले अपने काम में लग गए और बूढ़ी महिला बस हाथ जोड़े धन्यवाद करने लग गई। लगभग दोपहर के बाद तक का समय बूढ़ी मां के पास रहने के बाद पुष्पा और कमला ने फ़िर आने की बात कहकर काम कर रहें लोगों के अलावा देख भाल के लिए दो ओर लोगों को छोड़कर साजन को साथ लिए वापस चल दिया।

शहर की भीड़ भाड़ से निकलकर सुनसान रास्ते पर कुछ ही दूर चले थे कि एक कार पूर्ण रफ्तार में होवर टेक करते हुए निकल गया। ड्राइवर खिसिया कर गली देने ही वाला था कि उसे ध्यान आया उसके साथ कौन कौन है। तब किसी तरह जीभाह पर नियन्त्रण पाया और अपना ध्यान कार चलाने में लगा दिया।

वह से कुछ दूरी तय करके पहाड़ी रास्ते के घुमावदार मोड़ पे जैसे ही पूछा एक शख्स बीच रास्ते पर गिरा हुआ दिखा। कर रोककर ड्राइवर के साथ साथ पुष्पा और कमला निकलकर तुरंत उस शख्स के पास पूछा तब देखा वहा शख्स अचेत अवस्था में पड़ा हुआ हैं कई जगा चोट आया हैं। सिर और नाक मुंह से खून बह रहा हैं यह देखकर ड्राइवर बोला…मालकिन लगता है हमे ओवर टेक करके निकलने वाले कार से इसका एक्सीडेट हुआ है।

पुष्पा...बातों में वक्त बर्बाद न करके इन्हें जल्दी से हॉस्पिटल लेकर चलो।

कमला... अरे ये तो संभू है कल रात एक्सिडेंट होते होते बचा और आज एक्सिडेंट हों गया।

कल रात एक्सिडेंट की बात सुनकर पुष्पा चौक गई और कमला को सवालिया निगाहों से देखा लेकिन कमला अभी ननद के किसी भी सवाल का जवाब देने की मुड़ में नहीं थी उसे बस संभू की चिन्ता हो रही थीं जो इस वक्त अचेत पड़ा हुआ था।

साजन भी उनके पीछे पीछे आ रहा था। इनके कार को रुकता देखकर साजन भी जल्दी से वहा पहुंचा और सांभू को देखकर कमला की कही बात उसने भी दोहरा दिया और कमला ने उसे टोककर सहायता करने को कहा यथा शीघ्र संभू को दूसरे कार में डाल गया फ़िर साजन बोला... मालकिन आप दोनो महल लौट जाइए मैं संभू को हॉस्पिटल में लेकर जाता हूं।

पुष्पा और कमला ने साजन की बात नहीं माना और उसके साथ ही हॉस्पिटल को चल दिया। बरहाल कुछ देर में हॉस्पिटल पहुंच गए। मरीज की गंभीर हालत और कारण जानकर डॉक्टर बोला... देखिए ये एक दुर्घटना का मामला है जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक मैं हाथ नहीं लगाऊंगा।

पुष्पा...डॉक्टर साहब आप इनका इलाज शुरू करें पुलिस से हम निपट लेंगे।

कमला…डॉक्टर साहब देर करना उचित नहीं होगा मरीज की हालत गंभीर है आप इलाज शुरू करें बाकि की करवाई होती रहेंगी।

डॉक्टर...देखिए जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक मैं कुछ नहीं कर सकता।

पुष्पा और कमला बार बार डॉक्टर को मरीज की गंभीरता बता रहे थे और डॉक्टर पुलिस बुलाने पर अड़ा हुआ था। बल्कि नर्स ने पुलिस को कॉल भी कर दिया था और जब तक पुलिस नहीं आ जाता तब तक डॉक्टर मरीज को हाथ लगाने को राजी नहीं हों रहा था। तब साजन तैस में आकर बोला...मरीज यह भांभीर अवस्था में है ओर तूझे पुलिस केस की पड़ी है जानता भी है साथ में खड़ी ये दोनों एक राजा जी की बेटी है और दूसरी उनकी बहू हैं। अब सोच राजा जी को पता चला तूने इनकी बात नही मानी तो तेरा क्या होगा।

साजन की कहीं बातों से डॉक्टर भयभीत हों गया और माफी मांगते हुए तुरंत ही संभू को ओटी में ले गया। कुछ ही देर में पुलिस भी आ गया। पुष्पा और कमला से कोई भी सावल जवाब करता उससे पहले ही साजन ने दोनों का परिचय दे दिया और यह भी बता दिया कि एक्सीडेंट उनके कार से नहीं हुआ बल्कि किसी ओर कार से हुआ हैं और इन्होंने बस इशानियत का दायित्व निभाया हैं। अपनी ओर से तारीफ स्वरूप कुछ शब्द बोलकर पुलिस अपनी करवाई में लग गए।

लगभग दो घंटे के बाद डॉक्टर ओटी से निकला और सभी डॉक्टर के पास पहुचकर संभू का हाल पूछा तब डॉक्टर बोला... मरीज का हाल बहुत गंभीर हैं। कई हड्डियां टूट गई है सिर में बहुत गंभीर चोट आया हैं इसलिए मैं अभी कुछ नही कहा सकता बस दुआ कर सकते हैं कि उसे कुछ न हों।

कमला... तो यह क्या कर रहा हैं जा जाकर दुआ कर अगर मरीज को कुछ हुआ तो तेरी खैर नहीं हम तुझसे कह रहे थे मरीज का हाल गंभीर है लेकिन तू बस अपनी बात पर अड़ा हुआ था।

पुष्पा... अगर उस मरीज को कुछ भी हुआ तो तू फ़िर कभी किसी मरीज का इलाज नहीं कर पाएगा अब जा यह से नहीं तो कुछ ही देर में तू भी उसी मरीज के पास लेटा हुआ होगा।

मामला गरमाता देखकर डॉक्टर वहा से खिसक लिया लेकिन जाते जाते उसे एक बार फिर सुनने को मिला "अब बहार तभी आना जब कोई अच्छी खबर हो वरना अंदर ही रहना।" यह बात कमला ने बोला था।

पुलिस... मैडम उस पर भड़कने से क्या होगा वो अपना काम कर तो रहा हैं।

पुष्पा... इंस्पेक्टर साहब उसने मरीज की इलाज में ख़ुद से देर किया हम उसे बार बार कह रहे थे कि मरीज का हाल गंभीर है लेकिन वो एक ही बात पे अड़ा हुआ था पुलिस जब तक नहीं आएगा तब तक हाथ नही लगाएगा। अगर आप ने उसकी पैरवी की तो आप के लिए अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा का गर्म मिजाज देखकर पुलिस वाला भी चुप हो गया। कमला और पुष्पा भिन्नया सा वहीं बैठ गईं। कुछ देर में पुलिस वाला साजन को किनारे ले जाकर बोला…यार राजा जी की बेटी और बहू बहुत नाराज हों गई है तू एक काम कर इन्हें महल वापस भेज दे।

साजन... अरे इंस्पेक्टर साहब मेरी कहा मानेंगे आप खुद ही कह दो।

इंस्पेक्टर... अरे समझ न भाई।

खैर कुछ देर में साजन दोनों के पास पहुंचा लेकिन हिम्मत जुटा कर कह नहीं पा रहा था तब बार बार पुलिस वाला इशारे से कहने को बोल रहा था। बरहाल कुछ देर की खामोशी के बाद साजन बोला... मालकिन आप दोनों को आए बहुत देर हो चूका हैं अब ओर देर नहीं करना चाहिए आप दोनों महल वापस जाओ। मैं यह हूं जब तक डॉक्टर अच्छी सूचना नहीं दे देता तब तक न मैं यहां से हिलूंगा न ही इंस्पेक्टर बाबू यह से हिलेंगे।

खुद की न जाने की बाते सुनाकर इंस्पेक्टर मन ही मन साजन को गली देने लगा। दोनों (कमला और पुष्पा) का मन वापस जानें को नहीं हों रहा था लेकिन साजन की कहीं बात भी सच था। दोनों को महल से निकले हुए बहुत वक्त हों चुका था। इसलिए अनिच्छा से दोनों महल वापस जानें को राजी हो गए। जाते जाते पुष्पा बोलीं... साजन देखना हमारे जाते ही इंस्पेक्टर बाबू भी न चला जाए अगर ऐसा करते हैं तो मुझे बताना फ़िर इनके साथ किया होगा ये भी नहीं जान पाएंगे।

इतना कहकर पुष्पा और कमला चले गए और इंस्पेक्टर बाबू खीसिया कर बोला…मुझे यह फसकर तूने अच्छा नहीं किया।

साजन... अरे बाबा मैं तुम्हें रोक थोड़ी न रखा हैं जाओ जहां जाना हैं लेकिन छोटी मालकिन जैसा कह गई है मैं भी नहीं जानता तुम्हारे साथ क्या होगा। तुम भी नहीं जानना चाहते तो चुप चाप यह बैठ जाओ।

आगे जारी रहेगा….
Bahut hi badhiya update diya hai Destiny bhai....
Nice and beautiful update....
 

Destiny

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मुंशी जी भी मौका नहीं छोड़ते रघु की टांग खींचने का। मगर किस्मत का भी खेल अलग ही जो आज फिर शंभू आया और मिल नही पाया। पुष्पा और कमला ने जाकर उस बूढ़ी औरत की झोपड़ी ठीक करवा दी जिसकी उसने उम्मीद भी नही की थी।

आज फिर शंभू का एक्सीडेंट हुआ है इसका मतलब कुछ तो ऐसा है जो वो जानता है मगर दुश्मन नहीं चाहता कि वो बात रघु को पता चले। अब पता नही शंभू वो बात बता भी पाएगा या नहीं। कमला और पुष्पा ने डॉक्टर और पुलिस वाले की सही क्लास लगाई है। मस्त अपडेट
Thank you so much

संभू बहुत कुछ जानता है। जानकारी निकल सके इसी लिए तो दलाल के पास काम में लगा था। लेकिन संभू का एक्सीडेंट एक सामान्य घटना हैं इसमें किसी भी दुश्मन का कोई हाथ नहीं है।
 
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