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Thriller A Game of Chess (Hindi) (Completed)

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शह और मात के खेल में एक और प्यादे को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा । आलिशा भी इस फानी दुनिया से रुखसत हो गई । लेकिन जाते जाते नील की बेगुनाही के सारे रास्ते भी बंद कर गई ।
मीरा ने त्वरित डिसिजन लिया था और एक बार फिर से अपने दिमाग का लोहा मनवा लिया । लेकिन दुःख भी लगा कि उसके लिए किसी का जीवन छिन लेना एक बच्चों का खेल सा बन गया है । जिस लड़की ने उसकी मदद की , उसी की हत्या करवा दी । उसके डिक्शनरी में अहसान नामक शब्द अब है ही नहीं ।

यह अपडेट मेरे दिल के करीब रहेगा क्योंकि पंखुड़ी की जान बच गई । उसकी जो अवस्था थी , जिस अवस्था में वो पाई गई थी , वह दिल छलनी करने वाला था । बहुत ही दर्दनाक था ।

यह पुरा प्रसंग इतना बेहतरीन लिखा गया है कि समझ में नहीं आ रहा है कि इंडियन प्रिंसेस जी की शान में क्या कसिदें करू ! आउटस्टैंडिंग ।

पंखुड़ी को बचाने के बाद अरमान बड़े ही क्रोध में मीरा के घर जा रहा है । लेकिन लगता है वह भारी गलती कर रहा है । क्रोध में आदमी अपना आपा खो देता है और उस दौरान उसके द्वारा लिए हुए फैसले गलत ही सिद्ध होते हैं ।

पंखुड़ी की जान बच गई । पिछले कुछ दिन उसके लिए एक बुरे सपने के समान थे । इसे भुलना आसान नहीं होता । पर मैं चाहूंगा कि वो जल्द से जल्द इस सदमे से उबरे और अपने होने वाले बच्चे के लिए जीना सिख जाए । हो सकता है अरमान का भी साथ बस इतने दिनों तक का ही हो ! हो सकता है मीरा उसे जान से मार दे ! पर फिर भी , उसे जीने की हिम्मत जुटानी होगी । कम से कम अपने और अरमान के बच्चे के लिए जीना होगा ।

एक बार फिर से जगमग जगमग अपडेट इंडियन प्रिंसेस मैडम ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Update 9

अरमान जब मीरा के घर पहुंचा तो उसके घर का दरवाजा खुला था। अरमान बहुत गुस्से में उसके घर के अंदर दाखिल हुआ।

"मीरा!" वह चिल्लाया, "कुतिया कहाँ छुपा रही हो? बाहर आ और अब खेल!"

वह उसकी तलाश में पूरे घर में दौड़ा। "बाहर आ साली गटर की रांड!" वह चिल्लाया, "मैं तुम्हें अब दर्द का असली मतलब दिखाऊंगा!"

"कहाँ छुपी है छिनाल?" वह फिर चिल्लाया।

"बहुत आग है ना तुझ में साली रंडी!" वह चिल्लाया, "बाहर आ साली मोटी चूत और मेरा सामना कर!"

उसने पूरे घर की तलाशी ली। वह उसे नहीं ढूंढ सका। मीरा वहां से जा चुकी थी। अरमान बहुत निराश हो गया कि वह बच गई थी। उसने उसके फर्नीचर को लात मारी। तभी उसने बिस्तर पर एक पत्र देखा जिस पर लिफाफे पर उसका नाम लिखा था।

अरमान,

तो, तुमने आखिरकार उसे ढूंढ ही लिया...बधाई हो! अब, मुझे पता है कि तुम मेरे पीछे आने वाले हो। हो सकता है कि तुम मुझे किसी दिन ढूंढ लोगे, हो सकता है कि मुझे मार भी डालागे। लेकिन मैंने जो किया उसके लिए मेरे पास मेरे कारण थे। मुझे न्याय कभी भी वैध तरीके से नहीं मिल सकता था। प्रतिष्ठित परिवारों के चार शक्तिशाली पुरुषों के खिलाफ एक रंडी की बात की कौन सुनता? तो, इस तरह मैंने आप चारों को दंडित करने का फैसला किया। मैंने तुम्हारे जीवन को जो नुकसान पहुँचाया है, वह तुम चारों के दिल में एक कभी न भरने वाला घाव दे जाएगा, और इस घाव से उठने वाला दर्द तुम चारों जिंदगी भर सहते रहोगे, चाहे मेरे साथ आगे कुछ भी हो जाए। यही मेरी जीत है और मैं इसे हमेशा संजोती रहूँगी।

मेरी तलाश करने में किसमत तुम्हारा का साथ दें।

लव,

मीरा

अरमान ने अपना लाइटर निकाला और नोट में आग लगा दी और जलते हुए नोट को बिस्तर पर फेंक दिया। देखते ही देखते मीरा का पूरा घर आग की चपेट में आ गया।

अरमान अस्पताल लौट आया, और जब नील ने उसके उदास चेहरे पर नजर डाली, तो वह समझ गया कि मीरा भाग गई है। वह भी उतना ही उदास था।

अरमान ने उसे घर भेज दिया। जब नील अपने घर पहुँचा तो उसने मीरा के घर को आग की लपटों में देखा और इससे उसके दिल को थोड़ी राहत मिली। वह तो बस यही चाहता था कि मीरा अपने घर के साथ भी जल गई होती।

*************

अगले दिन, अरमान अस्पताल में पंखुड़ी के बिस्तर के पास बैठा था। इतने दिनों में पहली बार उसके मन शांत था।

पंखुड़ी ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और अरमान को देखकर मुस्कुराई। पंखुडी ने उसे गले लगाने के लिए अपनी बाहें फैला दीं। अरमान उसकी ओर झुक गया और उसे गले लगा लिया। अपनी प्यारी पंखुड़ी को अपनी बाहों में भर कर अरमान के दिल में तूफान शांत हो गया। अरमान ने पंखुड़ी को प्यार से चुम्मा और उसके रेशमी बालों में हल्के से अपनी उंगलियां फेरने लगा।

"अरमान," पंखुड़ी ने उसके कानों में फुसफुसाया, "यह हमारा बच्चा है।"

"मुझे पता है," अरमान ने धीरे से उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा।

अरमान ने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराया।

"आप मुझे इससे छुटकारा पाने के लिए नहीं कहेंगे, है ना?" पंखुडी ने चिंतित स्वर में पूछा।

"नहीं कभी नहीं!" अरमान ने कहा, "मैं दुनिया मे सबसे से ज्यादा तुमसे प्यार करता हूं पंखुड़ी, मेरे पास यह बताने के लिए शब्द नहीं हैं कि मैं तुम्हारे बारे में क्या महसूस करता हूं ... मुझे नहीं लगता कि मैं तुम्हारे बिना एक पल भी जी सकता हूं। हम शादी करने वाले है पंख और हमारा एक बच्चा होगा , हम हमेशा खुश रहेंगे पंख।"

"क्या तुम सच में मुझसे शादी करोगी?" पंखुड़ी ने उदास आँखों से पूछा, " मेरे साथ इतना सब कुछ होने के बाद..."

"मेरी प्यारी पंख..." अरमान ने धीरे से उसकी ठुड्डी को ऊपर उठाते हुए कहा। पंखुडी की आँखों में आंसू थे। अरमान ने धीरे से उसके आँसू पोंछे और कहा, "मेरी बात सुनो पंख, तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। तुम मेरी प्यारी छोटी निर्दोष परी हो, और मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ। और जिन लोगों ने तुम्हें चोट पहुंचाई है ना, एक एक आदमी को ढूंढ के मारूंगा। कोई मेरे पंख के साथ ऐसा करके जिंदा नहीं रह सकता। और मैं वादा करता हूँ, मैं फिर कभी इतना लापरवाह नहीं होऊँगा। फिर कभी मैं तुम पर एक खरोच तक नहीं आने दूंगा।"

पंखुड़ी मुस्कुराई और अरमान को गले लगा लिया। यही वह आश्वासन था जिसकी उसे जरूरत थी और अरमान ने उसे दिया।

पंखुड़ी ने अरमान की गर्दन पर ब्रांड देखा और अचानक उसका चेहरा उतर गया, "उसने तुम्हारे साथ ऐसा किया?"

"इसके बारे में चिंता मत करो," अरमान ने उसकी ओर मुस्कुराते हुए और उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, " तुम मुझे मिल गई हो ना पंख। अब मुझे कुछ नहीं रोक सकता।"

पंखुड़ी ने प्यार से उसके चेहरे को छुआ और कहा, " स्वीटहार्ट, तुम बहुत थके हुए लग रहे हो। कई रातों से सोए नहीं हो ना? एक बार बस हम घर पहुँचेंगे, तो मैं तुम्हारे लिए एक अच्छा खाना पकाऊँगा और अपनी बाहों में तुम्हें प्यार से सुनाऊंगी।"

अरमान ने उसे गले से लगा लिया। उसने प्यार से उसके बालों को सहलाया। "मैं तुम्हारे बिना क्या करूँगा पंख?" वह उसके कान में फुसफुसाया।

तभी डॉक्टर और नर्स अंदर दाखिल हुए।

"तो, अब आप कैसा महसूस कर रही हैं?" डॉक्टर ने पंखुड़ी से पूछा।

"मुझे अच्छा लग रहा है," उसने मुस्कुराते हुए कहा।

"ठीक है, आपकी रिपोर्ट भी अच्छी लग रही है," डॉक्टर ने कहा। फिर उसने अरमान की ओर देखा और कहा, "वह ठीक है, कुछ दिनों में चोटें ठीक हो जाएंगी। बच्चा भी स्वस्थ है, और मुझे लगता है कि हम उसे कल छुट्टी दे सकते हैं।"

"धन्यवाद, डॉक्टर," अरमान ने कहा और डॉक्टर चले गए, जबकि नर्स ने पंखुड़ी को आराम करने के लिए नींद की कुछ गोलियां दीं।

पंखुड़ी सो गई और अरमान ने धीरे से उसका हाथ थाम लिया और धीरे से उसे सहलाता रहा।

मिथिला अस्पताल के रिसेप्शन पे फूलों का गुलदस्ता लेकर पहुंचीं।

मिथिला ने पूछा, "मैं यहां पंखुड़ी नाम के एक मरीज से मिलने आई हूं, वह किस मंजिल पर भर्ती है?"

"मुझे खेद है, लेकिन मिलने का समय समाप्त हो गया है," रिसेप्शनिस्ट ने कहा।

"प्लीज," मिथिला ने अनुरोध किया, "मैं खुद एक डॉक्टर हूं। मैं अपने काम में इतनी बिजी रहती हूं; मुझे सच में पंखुड़ी को देखने की जरूरत है। मुझे बस 5 मिनट का समय चाहिए।"

"ठीक है, बस मुझे एक मिनट दो," रिसेप्शनिस्ट ने कहा और मिथिला को पंखुड़ी के कमरे में जाने की अनुमति देने के लिए एक अधिकारी को फोन किया।

"मैम," रिसेप्शनिस्ट ने कहा, "आप तीसरी मंजिल पर जा सकते हैं, कमरा 307।"

मिथिला मुस्कुराई और पंखुड़ी के कमरे की ओर चल दी।

दरवाजा खोलने से पहले उसने धीमी सी दस्तक दी। वह कमरे में दाखिल हुई और पंखुड़ी के बिस्तर की ओर चलने लगी। अरमान उसे देखकर गुस्से में आ गया। वह तुरंत मिथिला और सो रही पंखुड़ी के बीच में आ खडा हुआ।

"एक कदम और मत बढ़ाना," उसने कड़ी चेतावनी दी, उसे पंखुड़ी से दूरी बनाए रखने के लिए कहा।

"मैं यहाँ सिर्फ बात करने के लिए हूँ," मिथिला ने घबराते हुए कहा।

"मैं सुन रहा हूँ," अरमान ने मिथिला को कड़ी नजर से घूरते हुए कहा।

"यह सारा पागलपन," उसने उदास आँखों से पंखुड़ी की ओर देखते हुए कहा, "यह हद से आगे बढ़ गया है।"

"यह तुम्हारी और मीरा की लगाई हुई आग है," अरमान ने ठंडे स्वर में कहा।

"मैं चाहती हूं कि यह सब रुक जाए," मिथिला ने कहा।

"तुम क्या चाहती हो इससे मुझे रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता मिथिला" अरमान ने जवाब दिया।

"मैं ... मैं जीवन भर डर में नहीं रहना चाहती, मैं और अंशुल, हम प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं ..." उसने कहा, "मीरा ने मुझे आश्वासन दिया कि मैं सुरक्षित रहूंगी, लेकिन अब कि वो चली गई..."

"तुम सुरक्षित नहीं हो... जरा सा भी नहीं," अरमान ने सीधे उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

मिथिला ने एक यूएसबी ड्राइव पकड़े हुए कहा, "मेरे पास कुछ ऐसा है जो शायद आपके काम का है, यह अलीशा का एक वीडियो कबूलनामा है, जिसमें मीरा नील को फंसाने और उसे अदिति की हत्या करने के लिए मजबूर करने की योजना बना रही है। अलीशा वास्तव में मीरा की उन्मत्त योजनाओं में शामिल नहीं होना चाहती थी। , इसलिए एक बार उसने मुझसे अपनी अस्वीकृति साझा की। मीरा ने उस पर कभी भरोसा नहीं किया इसलिए मैंने इसे गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया, ताकि हमारे पास उस पर कुछ हो और वह हमें डबल-क्रॉस न करे।"

अरमान शांत खड़ा सुन रहा था।

"यह नील की बेगुनाही साबित कर सकता है," मिथिला ने कहा, "वह आजाद हो जाएगा।"

"तम्हे बदले में क्या चाहिए?" अरमान ने पूछा।

"एक वादा," मिथिला ने अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए कहा, "वादा करो कि तुम या तुम्हारे दोस्त मुझे और मेरे परिवार को कभी छूट नहीं पहुंचाएंगे, और तुम कभी भी मेरा वह वीडियो किसी को नहीं दिखाओगे।"

"ठीक है मुझे सौदा मंजूर है," अरमान ने अपने हाथ में यूएसबी ड्राइव के लिए पहुंचते हुए कहा। लेकिन वह पीछे हट गई।

"एक बार जब मैं तुम्हें यह दे दूं," उसने कहा, "ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे मैं यह सुनिश्चित कर सकूं कि तुम अपना वादा निभाओगे।"

"ठीक है," अरमान ने कहा, "मैं वैसे भी तुम्हारी जिंदगी बर्बाद सकता हूं और करूंगा, इसलिए अगर तुम मुझे वह सबूत देती हो, तो शायद अपनी इज्जत बचाने का एक मौका तुम्हें मिल जाए।"

"यह तुम्हारे बारे में नहीं है, अरमान," उसने कहा, " मैं जानती हूं कि तुम अपने वादे के पक्के हो। लेकिन मुझे रेयांश से डर लगता है। उसके पास मेरे कई वीडियो हैं, और वह बहुत गुस्सा है। मैं समझती हूं क्यों, लेकिन अगर वह उन वीडियोस को वायरल कर देता है, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा।"

अरमान ने कहा, "मैं रेयांश के तरफ से तुम से कोई वादा नहीं कर सकता, लेकिन मैं उसे समझाने की कोशिश करूंगा।"

"प्लीज अरमान," उसने अश्रुपूर्ण आँखों से भीख माँगी, "मुझे क्षमा करें, मुझे वास्तव में खेद है, मैं बहुत कुछ सह चुका हूँ, प्लीज मुझे शांति से जीने दो ... मैं बस यही माँग रही हूँ ..."

"मैं मुझे तुम्हारे नाटक में कोई दिलचस्पी नहीं है," अरमान ने सख्ती से कहा, "सबूत सौंपो।"

मिथिला अभी भी पूरी तरह से सहमत नहीं थी। उसे डर था कि रेयांश उसकी जिंदगी बर्बाद करके रहेगा।

"पंखुड़ी के की कसम, कि तुम रेयांश को..." उसने मध्य वाक्य को रोक दिया क्योंकि उसने अरमान के चेहरे पर तीव्र क्रोध देखा।

अरमान के हाव-भाव बदल गए गए और वह गुस्से से उबल रहा था।

"एक और बार उसका नाम लिया ना, तो इसी वक्ता तुम्हारा गला घोंट दूंगा!" वह गुर्राया।

मिथिला को एहसास हुआ कि उसने सीमा को पार कर दी है। उसने आगे कुछ नहीं कहा। उसने USB ड्राइव और फूलों को एक टेबल पर रख दिया और चली गई।

अरमान ने उसे उठाया और राहत की सांस ली।

पंखुड़ी को अगले दिन छुट्टी दे दी गई। अरमान उसे अपने घर ले गया, जहां उसे पता था कि वह सुरक्षित रहेगी।

"मैं हमेशा से तुम्हारे घर के सामने इस बगीचे से प्यार करती थी, इतने सुंदर फूल!" पंखुड़ी ने जैसे ही कार उसके विला के गेट में घुसी, चहक उठी।

"यह अब हमारा घर है," अरमान ने उसके गाल चूमते हुए कहा, "तुम अब से मेरे साथ रहोगी।"

पंखुड़ी प्यार से मुस्कुराई और उसे गले से लगा लिया।

"मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है," उसने कहा और एक छोटा सा डिब्बा खोला। उसमें एक चमकदार हीरे की अंगूठी थी। "क्या तुम मुझसे शादी करोगी पंखुडी?" उसने पूछा।

पंखुड़ी मुस्कुराई और उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। "हाँ," पंखुड़ी ने कहा और अरमान को कसकर गले लगाया। अरमान न्यू से अंगूठी पहनाई और पंखुड़ी ने उसके होठों को प्यार से चूम। फिर वह शरमा गई और कार से उतर कर बगीचे की तरफ दैडी।

उसे बगीचे में भागते हुए देखकर अरमान मुस्कुराया। वह कार से उतरा और उसका पीछा किया। वह बहुत खुश लग रही थी! पंखुडी ने धीरे से फूलों को छुआ और उनकी खुशबू सुघीं। उसने एक पेड़ की शाखा से बंधा एक झूला देखा और उसकी ओर भागी। उसे छूते ही उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी।

"तुम्हें ऐसा ही झूला चाहिए था ना," अरमान उसे कोमलता से गले लगाते हुए कहा।

"हाँ, हमारे पास एक ऐसा ही झूला था गाँव मे जहाँ मैं रहती थी," उसने कहा, उसकी आंखें उत्साह से चमका रही थी।

अरमान ने उसे जमीन से उठाकर झूले पर बिठा दिया और एक हल्का सा धक्का दिया। पंखुड़ी ने आंखें बंद कीं और मुस्कुराईं और झूला आगे-पीछे हिलने लगा। उसे मुस्कुराते हुए और चहकते हुए देखकर अरमान के दिल को सुकून मिला। उसे डर था कि जो कुछ उसने झेला है उसके बाद वह टूट जाएगी, लेकिन उसकी मासूमियत अभी भी बेदाग थी, उसका प्यार भरा दिल अभी भी अविनाशी था।

"अगर कोई भगवान है," अरमान ने पंखुड़ी की ओर देखते हुए किसी से नहीं कहा, "इस अनमोल उपहार के लिए धन्यवाद।"

एक अधेड़ उम्र की महिला एक ट्रे और दो गिलास पानी लेकर उनके पास चली गई।

"धन्यवाद, कैरल," अरमान ने उससे कहा, "मैं थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हूँ। मुझे चाहिए कि आप उसकी देखभाल करें और सुनिश्चित करें कि उसे वह सब कुछ मिले जो उसे चाहिए।"

फिर अरमान पंखुड़ी की तरफ मुडा, उसके माथे चूमा और कहा, "मैं थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हूं। तुम यहां रहना आराम से इस घर की चार दीवारों के बीच तुम बिल्कुल सुरक्षित हो। मैं जल्दी वापस आ जाऊंगा। क्या तुम अपना ख्याल रखो गी?"

पंखुड़ी ने हां में सिर हिलाया और अरमान को गले लगाकर अलविदा कहा।

अरमान अपनी कार में बैठ गया और ग्रुप को मैसेज किया।

अरमान: मुझे तुम दोनों से मिलना है। यह महत्वपूर्ण और जरूरी है। लोकेशन भेज रहा हूं। जल्द से जल्द यहां पहुंचें।

नील: यह किस बारे में है?

अरमान: जब तुम वहाँ पहुँचोगे तो मैं तुम्हें बताऊँगा।

रेयांश: ठीक है, वहीं रहो।

अरमान पहले लोकेशन पर पहुंचे और नील और रेयांश का इंतजार करने लगे। यह एक पहाड़ी पर सुनसान जगह थी। वह अक्सर इस जगह आया करता था जब उसे अपने लिए कुछ समय चाहिए होता था। शाम हो चुकी थी और उसने सूरज को अरब सागर में डूबते देखा। वह वहाँ से पूरे शहर को रोशनी से जगमगाता हुआ देख सकता था जैसे यह अंधेरा होता गया।

कुछ ही देर में दो कारें वहां पहुंच गईं। नील और रेयांश उसके सामने खड़े थे, यह जानने के लिए उत्सुक थे कि उसने उन्हें क्यों बुलाया था।

अरमान ने नील को यूएसबी ड्राइव सौंपते हुए कहा, "डॉ. मिथिला कल रात अस्पताल में मिलने आई थी। और उसने मुझे यह दिया।"

"यह क्या है?" नील ने पूछा।

"तुम्हारी आज़ादी," अरमान ने कहा, "इसमें सबूत हैं कि मीरा और अलीशा ने तुम्हरे खिलाफ साजिश रची और तुम्हें अपराध करने के लिए मजबूर किया।"

नील ने जो सुना उसे विश्वास नहीं हुआ। वह सारी उम्मीद खो चुका था। "और उसने तुम्हें दिया?" उसने पूछा, "बस ऐसे ही?"

अरमान ने कहा, "यह पूरा खेल बहुत बदसूरत हो चुका है, वह शांति चाहती थी।"

"कैसी शांति?" रेयांश ने दांत पीसते हुए कहा, "किसी की जिंदगी बर्बाद करो और हमेशा के लिए खुशी से जियो, उस तरह की शांति?"

"उस सबूत के बदले, वह एक वादा चाहती थी कि मैं उसे या उसके परिवार को कभी चोट नहीं पहुँचाऊँगा और कभी भी उसका वीडियो वायरल नहीं करूँगा।" अरमान ने कहा।

"तो?" नील ने पूछा, "क्या कहा तुमने?"

अरमान ने कहा, "मैंने उसे अपनी जुबान दी।"

" तुम पगला गए हो अरमान?" रेयांश गुर्राया, "तुम मिथिला जैसी हरामी कुत्तिया के साथ सौदा कर रहे हो?"

"नील की आजादी ज्यादा जरूरी है रे," अरमान ने उत्तर दिया।

"हाँ तो अब हमारे पास सबूत हैं," रेयांश ने कहा, "नील आजाद हो जाएगा, और सब कुछ ठीक हो जाएगा? अदिति अच्छी और निर्दोष थी, और वह मर गई! और मीरा के बारे में क्या? जो कुछ उसने तुम्हारे और पंखुड़ी के साथ किया? क्या तुम मुझसे बस जाने दोगे? यूं ही?"

अरमान ने कहा, "मुझे सच में इस बात की परवाह नहीं की मीरा ने मेरे साथ क्या किया," लेकिन उसने पंख के साथ जो किया वह माफी के काबिल नहीं है। मेरे पास उसके लिए योजनाएँ हैं। और तथ्य यह है कि वह भाग गई, ठीक है, वह अपने जीवन की परवाह करती है आख़िरकार। लेकिन यह मेरी प्राथमिकता नहीं है। पंखुड़ी को अभी मेरी ज़रूरत है और मैं उसके लिए वहाँ जा रहा हूँ। यह अधिक महत्वपूर्ण है। और जहाँ तक मिथिला का सवाल है, मैंने उसे अपना वचन दिया कि मैं उसे चोट नहीं पहुँचाऊँगा। लेकिन मैंने तुम दोनों के लिथे कुछ नहीं कहा, मेरा कोई हक़ नहीं है।”

"अच्छी बात है," रेयांश ने कहा, "मैं तो साली को छोडूंगा नहीं।"

"मैं तुमसे विनती करता हूं कि प्लीज इस पर पुनर्विचार करो, रे," अरमान ने विनती की, "मिथिला अपने आप आगे आई और नील उसकी वजह से मुक्त होने जा रहा है, प्लीज इस बात का सम्मान करो। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उसने हम पर कोई एहसान किया। उसे हमारे सहयोग की उतनी ही जरूरत है जितना हमें उसकी जरूरत थी। यह एक सौदा था, और मै सौदे का सम्मान करता हूँ।"

रेयांश मानने को तैयार नहीं था। उसने गुस्से में अरमान को घूर कर देखा।

"इसे रोकना होगा रेयांश," अरमान ने आगे कहा, "किसी को इसे रोकना होगा। और इसे रोकने की जिम्मेदारी हम पर है क्योंकि हमने इसकी शुरुआत की थी। और मेरा विश्वास करो, इसका कोई अंत नहीं है। तुम मुझसे चोट पहुंच जाओगे, फिर उसका कोई अपना आखिर तुम्हें और तुम्हारे परिवार को चोट पहुंच जाएगा, और यह सब चलता रहेगा।"

"कौन सा परिवार? मेरे माता-पिता ने मुझे अस्वीकार कर दिया क्योंकि उस कुतिया मीरा ने उन्हें मेरा वीडियो भेजा था," रेयांश चिल्लाया, " मुझे देखो अरमान, मेरे पास जीवन भर चलने के लिए पर्याप्त पैसा है, लेकिन मेरे पास जीने के लिए कुछ भी नहीं बचा है! तुम्हारे पास पंखुड़ी है, और अब तुम एक पिता बनने जा रहे हैं ... बधाई हो! और नील की बेटियां हैं, और मेरे पास क्या है? एक बदसूरत चेहरा और बदसूरत शरीर? सड़क पर निकलता हो तो लोग मुझे घूरते हैं। मुझे खुद से घिन आती! है एक सढ़ते हुए मांस के टुकड़े से बुरी हालत हो गई है मेरी!... और मुझे बस चुप रहना चाहिए और ऐसे ही रहना चाहिए, हुह? और वह कुतिया मिथिला जिसमें यह वायरस लाकर दिया मीरा को, खुशी खुशी अपनी जिंदगी बिताएगी अपने परिवार के साथ?"

रेयांश ने एक गहरी सांस लेने के लिए रुककर कहा, "मिथिला को मीरा के योजनाओं के बारे में पता था, और अगर उसमें अगर जरा सी भी इंसानियत होती, तो उसने हमें पहले बताने की जहमत क्यों नहीं उठाई? वह अब अपनी गांड बचाने के लिए हमारे पास आती है, क्योंकि वह जानती है कि मैं उसे किसी भी हाल में छोडूंगा नहीं! वह मीरा की जितनी ही दोषी है! तुम्हें इतनी सी बात समझ में कैसे नहीं आ रही अरमान?"

अरमान ने नील और रेयांश को देखते हुए कहा, "मैंने उसकी कहानी की जाँच की है, जब वह बहुत छोटी थी, तब उसका वास्तव में बलात्कार किया गया था। उसने मुकदमा दायर किया, न्याय के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन इस प्रक्रिया में बहुत अपमान का सामना करना पड़ा। वह आदमी था वास्तव में शक्तिशाली, और सिर्फ इसलिए कि उसने उसके खिलाफ बलात्कार के आरोप लगाए, उसने उसका अपहरण कर लिया और कई पुरुषों द्वारा बार-बार बलात्कार किया जब तक कि वह पूरी तरह से टूट नहीं गई और आरोपों को वापस लेने के लिए सहमत नहीं हो गई।"

"तो? क्या वह दुखद कहानी उसने हमारे साथ क्या किया उसे सही ठहरा आती है?" रेयांश ने कटुता से कहा, "तुम सहमत हो नील? मिथिला जानती थी कि मीरा ने अदिति के साथ क्या करने वाली थी! और उसने मीरा का हर तरह से समर्थन किया!"

"अगर इस सब के लिए किसी को दोषी ठहराया जाए," नील ने गहरे पछतावे के साथ कहा, "यह मैं हू। काश मैंने नैना के साथ वैसा व्यवहार नहीं किया होता जैसा मैंने किया। वह एक अच्छी लड़की थी, वह मुझे दिल से प्यार करती थी। दिल...और मैंने उसे तोड़ा। मैं...मैं बुरा आदमी नहीं हूं, मेरा इरादा उसे मारने का नहीं था...अगर मुझे पता होता कि वह मर जाएगी, तो मैं कभी नहीं..." वह अपनी बात पूरी नहीं कर सका।

"अलीशा मर चुकी है, रे" अरमान ने कहा, "और क्या तुमने मिथिला को पहले से ही काफी चोट नहीं पहुंचाई है?"

"यह काफी नहीं है! यह काफी नहीं है!" उसने कहा कि जब वह टूट गया और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, "मैं जब तक जीवित हूं तड़पता रहूंगा ... उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी! और अब मेरे पास मौका है कि मैं उसकी जिंदगी बर्बाद करूं तो तुम मुझे कह रहे हो कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए.. ।

"" मैं तुम्हें कुछ भी नहीं कह रहा हूं छोटे भाई। मैं नहीं जानता कि मुझे तुमको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए यह बताने का कोई हक है। "अरमान ने कहा," मैं तो बस तुम से अनुरोध कर रहा हूं रेयांश...अदिति, पंखुड़ी, नील की बेटियों, आरव के परिवार इन सब बेगुनाह लोगों के बारे में सोचो। हमारी हरकतों का अंजाम बेगुनाहों को भुगतना पड़ा... हमारे साथ जुड़े सभी लोगों के लिए यह सब इतना दर्दनाक रहा है जब कि उनकी कोई गलती नहीं है। और अब इसे फिर से शुरू करना... यह सोचकर ही बहुत थक जाता हूं भाई!"

नील ने रेयांश के कंधों को निचोड़ते हुए उसे शांत करने की कोशिश की, "रे, मुझे लगता है कि अरमान सही है। मिथिला को जाने दो। हम तुम्हारा परिवार हैं। हम हमेशा तुम्हारे दोस्त रहेंगे। हमारे बीच कुछ भी नहीं बदला है। तुम अभी भी हमारे भाई हैं।"

"फक यू!" वह नील पर चिल्लाया, "भाड़ में जाओ तुम दोनों!"

रेयांश अपनी कार में बैठा और आखिरी बार अरमान और नील को गुस्से से घूर कर देखा। अपनी कार के एक्सीलेटर दबाया और चला गया।

*******************************

दोस्तों यह कहानी यहीं खत्म होती। सात बने रहने के लिए धन्यवाद।

है इसके बाद क्या हुआ जानने के लिए द मीरा सीरीज का अगला चैप्टर "द सर्च फॉर अमायरा" पढ़िए।
 
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Aa gaya update Naina ji :happy:
 

Rocky Dsouza

RD's here.....
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So, The Game Of Chess is complete. It was again an awesome chapter just like the previous two. Emotions, Love, Hatred, Revenge, Torture, Pain sab kuchh tha isme.

Meera continued her journey of getting revenge from her and Naina's culprits. Aarav ke haathon ko bomb blast mein damage kar diya gaya tha and he committed suicide. Neil ko force karke Aditi ka murder karwaya gaya and he was sent to jail. Ab usski betiyaan us se baat bhi nahi karna chahti. Armaan was hit the hardest I think. Jo kuchh bhi Pankhuri ke saath hua wo kisi bhi tarah justify nahi kiya jaa sakta. Vo bhi utni hi begunaah thi jitni Ki Naina ya ek samay par Meera. Reyansh , ye insaan shayad insaan kehlane ke laayak hi nahi hai. Armaan & Neil ko finally ye ehsaas to hai ki unhone galat kiya nirdosh logon ke saath but ye to alag hi jaanwar hai. He still wants to hurt Mithila. Aur mere khayal se Meera ko bhi iss baat ka andaza to hoga hi ki ye kis kism ka praani hai to Mithila ko safe karne ke liye intezaam to kiya hi hoga usne.

Naina, ek sweet si ladki jiske shayad utne bade sapne nahi the. Wo bas ek achhi si life chahti thi Neil ke saath. Bas uska saath aur uska pyaar iske alawa kya hi chahiye tha Naina ko. Neil ke dwara itna torture karne ke baad bhi she loved him unconditionally. Usne kabhi bhi apne saath ho rahi cheezon ka asar Minu par nahi padne diya. She was gem of a person. Ab uske jaise insaan ke saath is kism ki darindagi aur vahashipan ka fal to milna hi tha.

Meera ke saath past mein jo kuchh bhi hua uske dukh , takleef ki parikalpana karna bhi bewakoofi hogi. Usne jo kuchh saha aur usse bhi badi baat jis tarah us sabse ladkar baahar aayi aur apne dar ka mukaabla kiya wo adbhut hai.

But kya jo usne kiya wo sahi tha. Not at all. Armaan , Rey , Neil or Aarav inke saath wo chahe kuchh bhi karti par ussne bhi in chaaron ke nakshe kadam par chalte huye maasoomon ko bhi chot pahunchayi. Par shayad ismein uski galti bhi nahi hai. Badle ki Aag dushmano ko to baad mein par usse pehle khud ko jala deti hai. Aur issi badle ki aag mein jal gayi Meera ki innocence. Usne apne aap ko usi katghare mein laakar khada kar diya jismein ek samay par ye chaaron the. In sabko to inke kiye ki sazaa mil gayi but jin begunaahon ki bali di gayi unki zindagi kabhi samanya nahi hogi.

Naina , Meera , Pankhuri , Aditi , Neil's Daughters , Avantika , Aarav's son ye sabhi us aag mein jal gaye jise shayad Neil jalne se rok sakta tha. Bas end mein yahi kahunga ki jeevan mein kabhi bhi kisi ka bachpana , innocence aur maasomiyat us se nahi churaani chahiye. Kisi ke bhi sachhe pyaar ke saath khilwaad karne ka nateeja yehi hota hai jo is kahani mein huya.....

Ek aur behatreen kahani thi ye aapki Indian Princess ji and I expect “The Search For Amairah” – the new feather in the Meera series to be even better. Keep writing......
 
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Naina

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Ahem Ahem..... ye ek reader aur story characters ke bich ki baatien hai... kripaya ispe koi bhi dhyan na de.....

अरमान जब मीरा के घर पहुंचा तो उसके घर का दरवाजा खुला था। अरमान बहुत गुस्से में उसके घर के अंदर दाखिल हुआ।

"मीरा!" वह चिल्लाया, "कुतिया कहाँ छुपा रही हो? बाहर आ और अब खेल!"

वह उसकी तलाश में पूरे घर में दौड़ा। "बाहर आ साली गटर की रांड!" वह चिल्लाया, "मैं तुम्हें अब दर्द का असली मतलब दिखाऊंगा!"

"कहाँ छुपी है छिनाल?" वह फिर चिल्लाया।

"बहुत आग है ना तुझ में साली रंडी!" वह चिल्लाया, "बाहर आ साली मोटी चूत और मेरा सामना कर!"

उसने पूरे घर की तलाशी ली। वह उसे नहीं ढूंढ सका। मीरा वहां से जा चुकी थी। अरमान बहुत निराश हो गया कि वह बच गई थी। उसने उसके फर्नीचर को लात मारी। तभी उसने बिस्तर पर एक पत्र देखा जिस पर लिफाफे पर उसका नाम लिखा था।

अरमान,
Armaan... Jo Meera ko Randi bol raha hai...
Meri favorite character Meera ko ye gaali... :mad2:
Armaan pehle apni maa se puchke kyun nahi aata ki uski maa ne kiske sath muh Kala karke us jaise ko paida kiya... :chop:
aur Mithila....... kamini kahi ki...
Dikha di mithila ne apni aurat...
Ek se badh kar ek dhokhebaaz, dagabaaz kirdaar ke bare read ki hai... par is mithila ne chaalbaazi dagabaazi mein saari hadein hi paar kar di...
Meri favorite story character Meera se dhokhebaazi... aane do is mithila ko next story pe.. iski to :chop:

Reyanch..... Udhar ki jindagi jeene wala... are itna murkh hai ye ki ishe is baat ka khayal nahi ki Meera ne iski jindagi daan mein di hai isko... Meera ka ehsaan maanne se to door upor gaaliya de raha hai aur badla lene ki bhi soch....
Iski to aisi ki taisi

Pankhudi.... iski to Waise bhi aisi ki taisi...
Nafrat, had se zyada, baya na kar saku usse bhi zyada nafrat hai in chaaro kirdaaro se.....
Neel...... Shayad..... shayad ek yahi hai jishe shayad sahi maayno mein apni galtiyo ka pachtva hai....

Khair........ mujhe matlab nahi paancho kirdaar jiye ya mare...

Meri nazar mein Meera great thi, hai aur rahegi...
..........


.......

Toh Indian Princess ma'am Aate hai hum Revo pe....

Story ho ya asal jindagi Kuch baatein aur kahaniya adhuri reh jaati hai aur inhe adhuri hi chhod deni chahiye .... aur kuch baatein aur kahaniya aisi bhi jo waqt rehte khatam kar deni chahiye... yakin maaniye agar aisa na kiya gaya to uska ehsaas aisa hoga jaise kisi jakhm ko baar baar kuredna...

Yahan is update mein mithila ne sahi soch vichar karke Meera se leke Armaan tak jitne connection the, un baaton ko aur us kahani ko wohi khatam karna chaahti thi....
Lekin wohi reyanch in baaton ko aur is kahani ko jaari rakhna chaahta hai..... Par shayad wo bhool gaya ki pehle bhi apne teeno dosto ke sath milke ek haivaaniyat se bhari kahani likh ke apni jindagi mein andhera le aaya tha.... jaha na kewal wo balki teeno dosto ke sath sath pariwar wale bhi bina wajah target bane...

Armaan..... mana ki samajhdaar hai, reyanch ko bhi samjha raha tha lekin wo bhi to wohi galti kar raha hai.... wo bhi to is kahani ke ek naya adhya likhna suru kar diya hai....

naina ke badle Pankhudi..
baat khatam yahin pe.... aur sabse badi baat Pankhudi jinda hai..... to phir...
to phir kyun badle ki bhaavna liye ek naya mod dena chaahta kahani mein....

Yahan reyanch, Meera ya Armaan ka kya hoga aage chalke ye to nahi pata lekin reyanch aur Armaan.. Khas Kar reyanch ne jo faisla liya hai... is par mujhe aitraaz hai....
Shayad dono ko sukun chahiye... shayad bina badla liye ye sukun un dono naseeb nahi hoga... Lekin is sukun ke chakkar mein kahi maut ko gale na laga le ye dono... coz is baar saamna hua to Meera shayad sidha maut hi degi in dono ko... bole to dono ka game over...

Khair.... aage aur kya likhu :hmm2:

Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath kirdaaro ki bhumika bhi...

Brilliant story line with awesome writing skills :yourock: :yourock:
 
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Indian Princess

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Ahem Ahem..... ye ek reader aur story characters ke bich ki baatien hai... kripaya ispe koi bhi dhyan na de.....


Armaan... Jo Meera ko Randi bol raha hai...
Meri favorite character Meera ko ye gaali... :mad2:
Armaan pehle apni maa se puchke kyun nahi aata ki uski maa ne kiske sath muh Kala karke us jaise ko paida kiya... :chop:
aur Mithila....... kamini kahi ki...
Dikha di mithila ne apni aurat...
Ek se badh kar ek dhokhebaaz, dagabaaz kirdaar ke bare read ki hai... par is mithila ne chaalbaazi dagabaazi mein saari hadein hi paar kar di...
Meri favorite story character Meera se dhokhebaazi... aane do is mithila ko next story pe.. iski to :chop:

Reyanch..... Udhar ki jindagi jeene wala... are itna murkh hai ye ki ishe is baat ka khayal nahi ki Meera ne iski jindagi daan mein di hai isko... Meera ka ehsaan maanne se to door upor gaaliya de raha hai aur badla lene ki bhi soch....
Iski to aisi ki taisi

Pankhudi.... iski to Waise bhi aisi ki taisi...

Yaha tak ha padhke itni hasi aayi mujhe kya batau :lol:

Kya mast likha hai Naina ji :roflol:

Aapke support ke liye dhanyawaad :thanks:

Sequel ka thread bhi khul chuka hai :toohappy:
 

Naina

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Yaha tak ha padhke itni hasi aayi mujhe kya batau :lol:

Kya mast likha hai Naina ji :roflol:

Aapke support ke liye dhanyawaad :thanks:

Sequel ka thread bhi khul chuka hai :toohappy:
Nahi yaar actually mein koi favorite characters baare mein ittu sa bhi kuch bol de to wo bardast se bahar hai..

... kya baat hai.. Matlab 4th chapter suru... Amairah :peep: bhere r ju... :driving:
 
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