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Fantasy ♥माया♥ (Maya)

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The Immortal

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Hello, Ladies  & Gentleman, 
We are so glad to Introduce Ultimate Story Contest of this year.

Jaise ki aap sabhi Jante Hain is baar Hum USC contest chala rahe hain aur Kuch Din pahle hi Humne Rules & Queries Thread ka announce kar diya tha aur ab Ultimate Story Contest ka Entry Thread air kar diya hai jo 10th, June 2020, 11:59 PM ko close hoga.

Khair ab main point Par Aate Hain Jaisa ki entry thread aired ho chuka hai isliye aap Sabhi readers aur writers se Meri personally request hai ki is contest mein aap Jarur participate kare aur Apni kalpnao ko shabdon ka rasta dikha ke yaha pesh kare ho sakta hai log use pasand kare.
Aur Jo readers nahi likhna chahte wo bakiyo ki story padhke review de sakte hai mujhe bahut Khushi Hogi agar aap is contest mein participate lekar apni story likhenge to.

Ye aap Sabhi Ke liye ek bahut hi sunhara avsar hai isliye Aage Bade aur apni Kalpanao ko shabdon Mein likhkar Duniya Ko dikha De.

Ye ek short story contest hai jisme Minimum 800 words se maximum 6000 words tak allowed hai itne hi words mein apni story complete Karni Hogi, Aur ek hi post mein complete karna hai aur Entry Thread mein post karna hai.
I hope aap mujhe niraash nahi Karenge aur is contest Mein Jarur participate Lenge.

Rules Check Karne k Liye Ye Thread Use karein :- Rules And Queries Thread

Entry Post Karne k Liye Ye thread Use Karein :- Entry Thread
Reviews Post Karne K liye Ye thread Use karein :- Reviews Thread
On Behalf of Admin Team
Regards :- Xforum Staff..
 

Iron Man

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ashish_1982_in

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♥माया♥

कहानी की एक झलक


कहानी बाकी सभी कहानियों से बिल्कुल अलग है...
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसका नाम है माया| वह आम लड़कियों की तरह गांव में ही पली-बढ़ी थी और अपनी एक मुंह बोली मौसी के साथ रहती थी... यूं तो उसकी जिंदगी में सब कुछ सामान्य रूप से ही चल रहा था, लेकिन एक दिन एक तांत्रिक महिला की नजर उस पर पड़ गई… माया को अपनी खुद की कामुकता का ज्ञान हुआ... जिससे उसकी पूरी जिंदगी बदल गई...


अनुक्रमणिका
congrats for new story
 
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ashish_1982_in

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सूत्रपात
सन 1950, चांदीपुर गांव…

पौ फटते ही उस जवान विधवा की नींद एक झटके के साथ खुली और वह अपनी हालत देखकर एकदम हक्की बक्की रह गई| वह बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी, उसके कोमल अंगों में हल्का हल्का दर्द हो रहा था... मानो रात भर किसी ने उसके साथ सहवास किया हो|

उसने डरते-डरते अपनी दोनों टांगों के बीच के हिस्से को देखा और दंग रह गई!

उसका वह हिस्सा अब बिल्कुल साफ सुथरा था| उसके जघन के बलों का कोई नामोनिशान ही नहीं था... कमरे में वह बिलकुल अकेली थी पर एकदम नंगी... उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था… फिर वह धीरे-धीरे याद करने की कोशिश करने लगी और फिर उसे याद आने लगा…

पति की मौत के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था| हालांकि इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी... गलती अगर थी तो सिर्फ उसकी किस्मत की; जो वह शादी के बाद इतनी जल्दी विधवा हो गई|
यहां तक की गांव वालों के दबाव में आकर मायके में भी उसको जगह नहीं मिली|

अब लोगों का क्या है? जितने मुंह उतनी बातें... कुछ लोगों ने कहा यह लड़की मनहूस है... यह लड़की एक अपशकुन है... यहां तक की लोगों ने यह तक कह दिया कि यह एक डायन है- जो कि शादी के बाद इतनी जल्दी ही अपने पति को खा गई... इसलिए समाज के ठेकेदारों ने यह फैसला किया किस लड़की का गांव में रहना बिल्कुल वाजिब नहीं था... यह शायद अपना बुरा प्रभाव पूरे गांव में फैला देगी... इसीलिए अब तो उसका न कोई घर था और न ही कोई ठिकाना और वह पिछले दो दिनों से वह इधर उधर भटक रही थी...

स्टेशन से तो रेल गाड़ी आती जाती रहती थी, बस फिर क्या था? जो गाड़ी उसे सामनी दिखी थी वह उसमें चढ़ गई और पिछले दो दिनों तक वह इधर उधर भटक फिर रही थी...

आखिरकार वह इस गांव में आकर पहुंची… इस गांव का नाम था चांदीपुर|

यहाँ वह क्या करे? कहां जाए कहां? किस से मदद माँगे? सर छुपाने के लिए कहाँ जगह ढूँढे? इस बात का कोई आता पता नही था...

कुछ ही दूर पर उसे एक मंदिर दिखा, जहां शायद आज कोई भंडारा लगा हुआ था| पिछले दो दिनों से उसको ठीक से खाना भी नहीं नसीब हुआ था... बहुत तेज भूख लग रही थी उसे, इसलिए वह मंदिर के पास जहां लोग खाना खाने के लिए बैठे हुए थे, वह वहां जाकर उनके साथ ही बैठ गई| आखिरकार सुबह सुबह उसको पेट भर के खाने को मिल गया|

भंडारा खत्म हो गया... भीड़ छठ गई लोगबाग अपने अपने रास्ते चले गए| लेकिन विधवा का कोई ठिकाना नहीं था ... इसलिए वह मंदिर के पास ही बैठी रही| सुबह से दोपहर हुई... दोपहर से शाम और फिर रात हो गई... विधवा वहीं बसुध सी होकर बैठी हुई थी अब तो उसके आंसू भी सूख चुके थे...

तब एक औरत उसके पास आई और उसने पूछा, “क्या बात है बहन? मैंने गौर किया कि तुम सुबह से यहां बैठी हुई हो, आखिर बात क्या है?”

विधवा ने अपना सर उठाकर उसको देखा, यह औरत उसे दस या बारह साल बड़ी होगी| उसने काले रंग की एक साड़ी पहन रखी थी जिसमें लाल रंग का मोटा सा बॉर्डर था| उसके बाल एक बड़े से जुड़े में सर के ऊपर बँधे हुए थे... उसमें शायद काली पीली और हल्के नीले रंग की गोटियों की माला बंधी हुई थी... वह काफी सेहतमंद दिख रही थी... विधवा ने सोचा कि शायद यह औरत कोई पुजारिन या साधिका होगी…

पिछले दो दिनों में किसी ने उससे कोई बात नहीं की थी| किसी ने उसका हाल चाल नहीं पूछा था… विधवा को लग रहा था कि मानो एक अरसा बीत गया हो किसी से बात किए हुए| इसलिए जब उस औरत ने उससे सवाल किया तो उसके आंसुओं का बांध टूट गया… उसने फूट फूट कर रो कर अपनी आपबीती सुनाई|

उस औरत को शायद विधवा पर तरस आ गया| उसने उसे गले से लगाकर दिलासा दिया और बोली, “कोई बात नहीं… कोई बात नहीं… मैं समझ सकती हूं कि तेरे ऊपर क्या बीती है; पर तू चिंता मत कर... तू मेरे घर चल... मैं वादा करती हूं कि मैं तुझे सहारा दिलवाउंगी| लेकिन आज तू मेरे साथ चल... तुझ जैसी जवान लड़की का इस तरह अकेले अकेले भटकते फिरना खतरे से खाली नहीं... चल बहन चल मेरे घर चल…”

उस औरत का घर गांव से थोड़ी ही दूर एक जंगल के पास वीराने में था| जहां वह अकेली रहती थी|

घर पहुंचने के बाद उस औरत ने उसे नए कपड़े दिए… सिर्फ एक की साड़ी, ब्लाउज पेटीकोट ना ही अंतर्वास और बोली, “जा बहन, जा कर नहा ले और यह साड़ी पहन ले…”

“लेकिन यह साड़ी तो रंगीन है, मैं विधवा यह साड़ी कैसे पहन सकती हूं?”

“कोई बात नहीं| यहां कोई नहीं देखेगा... नहाने के बाद अपने कपड़े धो लेना और सूखने को टाँग देना मैंने कहा था मुझ पर भरोसा करो मैं तेरी मदद करूंगी...”

उस घर में गुसलखाने के नाम पर एक बिना छत की चारदीवारी ही थी| लेकिन उस पर एक बाँस का दरवाजा ज़रूर था| घर के आंगन में कुएं से पानी भरकर वह नहाई... नहाते वक़्त ना जाने क्यों उसे लग रहा था कि कोई उसे देख रहा है... लेकिन उसने वहम मान कर अपने इस एहसास को नज़रअंदाज़ किया| अच्छी तरह से नहाने के बाद उसने अपने कपड़े धोए फिर अपने बालों को खुला ही रख छोड़कर वह वापस कमरे में आई|

रात काफी हो गई थी इसलिए उस औरत ने खाना लगा दिया था| विधवा भूखी थी, प्यासी थी इसलिए उसने तनिक भी देर नहीं की वह भी उस औरत के साथ बैठकर खाना खाने लगी| यह बिल्कुल सीधा सादा खाना था, दाल चावल और गाजर मटर पत्ता गोभी की एक सब्जी... लेकिन उसे यह खाना किसी दावत से कम नहीं लग रहा था| उसने गौर किया कि वह औरत बिल्कुल ठुस- ठुस कर एक जाहिल की तरह खा रही थी... न जाने क्यों कहीं से शराब की बू भी आ रही थी... कहीं इस औरत ने पी तो नही रखी हो?

इतने में भी उसने गौर किया कि उसे बड़ी जोरों की नींद आने लगी थी, आखिर इन दो दिनों की थकावट और इतने बड़े मानसिक तनाव के बाद ना जाने कहाँ कहाँ वह भटकती फिर रही थी... आज के दिन उसे दो जून भर पेट खाना मिला था... अब उसका शरीर जवाब दे रहा था… या फिर खाने में कोई नशीली चीज़ मिली हुई थी?

खाना खत्म करने के बाद वह बाहर से किसी तरह जब हाथ धोकर कमरे में दाखिल हो रही थी, तब वह डगमगाने लगी और एकदम गिरने को हुई... उस औरत ने दौड़कर आ करके उसे सहारा दिया और धीरे-धीरे उसको बिस्तर पर लेटा दिया और फिर बड़े प्यार से मुस्कुराती हुई उसके माथे, बालों और उसके गालों को सहलाने लगी... फिर उसे लगा कि वह औरत शायद आँचल हटा कर उसकी साड़ी ढीली कर रही है... लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रही थी... शायद उस पर बेहोशी छा रही थी| उसके बाद कुछ देर के लिए उसकी आंखों के आगे बिल्कुल अंधेरा छा गया...

थोड़ी देर बाद उसने हल्के से अपनी आंखें खोली और न जाने क्यों उसे लग रहा था अब वह बिल्कुल नंगी लेटी हुई है... कमरे में सिर्फ मिट्टी का एक दिया जल रहा था उसकी रोशनी में और उसने अपनी धुंधली नज़रों से उसने देखा वह औरत उसके सामने खड़ी थी... वह भी बिल्कुल नंगी है उसके बाल खुले हुए थे... उसकी आंखें लाल और बड़ी-बड़ी हो रखी थी उसके हाथ में एक उस्तरा था... उसके बाद उसे कुछ नहीं याद…

अब उस दिन सुबह उस विधवा को जब होश आया तो उसने देखा कि वह बिल्कुल नंगी है... उसका यौनंग हल्का हल्का दुख रहा है... उसके बदन पर अगर कुछ था तो सिर्फ उसका चांदी का लॉकेट- जिस पर उस का नाम लिखा हुआ था- और इसे बचपन से उसने अपने गले में पहन रखा था…

अचानक उसने उस औरत को कमरे में दाखिल होते हुए देखा| वह औरत अपनी पुरानी वेश भूषा में थी और वह मुस्कुरा रही थी|

उसने अपनी जीभ से अपने सूखे होठों को चाटा... तभी विधवा ने गौर किया कि इस औरत की जीभ बीच में से कटी हुई और दो भागों में बटी हुई थी... बिल्कुल सांपों की तरह...

डरी डरी फटी फटी सी आंखों उसने उस औरत से नज़रें मिलाई…

उसने कहा, “अब तुझे किसी बात का डर नहीं है बहन, मैंने तुझे कहा था ना कि मैं तेरी मदद करूंगी? मेरी बातों का यकीन कर... मैं एक अच्छे से घर में तेरे रहने खाने का इंतजाम कर दूंगी... लेकिन मैं जो तेरी इतनी मदद कर रही हूं; इसके बदले मुझे दो चीजों की जरूरत है- जिसमें से एक मुझे कल रात को ही मिल गया और दूसरा उधार रहा... वह मैं तुझे बाद में- वक़्त आने पर- बताऊंगी…”

क्रमश:

nice update
 
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ashish_1982_in

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अध्याय १
सन 1972, चांदीपुर गांव… सूत्रपात के बाइस साल बाद


'अरे बाप रे! मुझे तो मालूम भी नही था कि वैधजी के घर से आते आते इतनी देर हो जाएगी| ', मैने सोचा, 'एक तो उनके घर मरीज़ों की इतनी भीड़ और उसके बाद ऐसी ज़ोरों की बारिश और कड़ाके की बिजली का गिरना| मुझे जल्द से जल्द घर पहुँचना ही होगा| छाया मौसी का मेरे बारे में सोच-सोच कर बुरा हाल हो रहा होगा|'

मैं वैध जी के यहाँ से छाया मौसी के लिए उनके जोड़ों के दर्द की दवाईयाँ ले कर उनके घर से लगे दवाखने से बाहर निकली ही थी कि बारीश शुरू हो गई| शाम के वक़्त से ही आसमान में काले घने बादल छाए हुए थे, छाया मौसी ने मुझे बार बार कहा था कि, “माया, मेरी बच्ची, एक छाता ले कर जा... बारिश आने वाली है... भीग जाएगी... तेरे बदन से तेरे कपड़े चिपक जाएँगे और आते जाते लोग तुझे घूर घूर कर देखेंगे... अब तू बड़ी हो गई है, थोड़ा तो बकिफ़ हो ले...”

लेकिन मैं कहाँ सुननेवाली थी? सो अब भुगत रही थी अपनी करनी का फल|

अच्छा हुआ था की बारीश की वजह से रास्ते में ज़्यादा लोग नही थे, बाज़ार भी लगभह खाली ही था, ज़्यादातर दुकानों में दुकानदार ही थे, खरीदारों की कोई भीड़ नहीं थी| बारिश से बचने के लिए मैं एक दुकान के छज्जे के नीचे खड़ी हुई थी... यह गाँव के सबसे बड़े व्यापारी की किराने की दुकान थी, इस दुकान में उनके कई नौकर चाकर काम किया करते थे, जैसा कि मैने कहा, फिलहाल बारिश की वजह से ग्राहकों का आना जाना नही था, इसलिए दुकान के नौकर चाकर खाली ही बैठे हुए थे और उनकी नज़रें मेरे उपर ही टिकी हुई थी| घूर रहे थे वे मुझे…

छाया मौसी ठीक ही कहतीं हैं| मैं अब बड़ी हो गई हूँ मुझे थोड़ा सम्भल कर रहना होगा| अब मैं बच्ची नही रही... साड़ी पहनने लगी हूँ... लोगों के सुना है कि लोग कहते हैं कि मैं बहुत सुंदर हूँ... दिन ब दिन मेरा रूप निखरता जा रहा है... चलती हूँ तो कूल्हे मटकते हैं... हर कदम पर मेरे सुडौल स्तन थिरक्ते हैं... जान पहचानवाले अब यह भी कहतें हैं कि मैं जवान हो गई हूँ|

दुकान के अंदर बैठे लड़कों को मै काफ़ी देर तक नज़र अंदाज़ करती रही, लेकिन कुछ देर रुकने के बाद ही मुझे लगने लगा की अब ज़्यादा देर यहाँ रुकना ठीक नही होगा| दुकान में बैठे लड़कों की बातें और उनकी हँसी की आवाज़ धीरे धीरे बढ़ रही थी और यह बारिश है कि रुकने का नाम ही नही ले रही थी|

आख़िरकार मैने फ़ैसला किया, भीगती हूँ तो भीग जाने दो| मुझे अब घर की तरफ निकलना ही पड़ेगा|
बस! मैं एक झटके से वहाँ से निकल पड़ी|

पर मैने गौर किया की मेरे वहाँ से निकलते ही जैसे दुकान में बैठे वह दो लड़के शायद मुझे छेड़ने के लिए निराशा की आहें भरने लगे| हाँ, लोग ठीक ही कहते हैं, मैं जवान हो गई हूँ|

आसमान में मानो बादल फट पड़े थे, तेज़ बिजली कौंध रही थी, बादल भी शायद अपनी पूरी ताक़त से गरज़ रहे थे… काफ़ी रात हो चुकी थी… मेरे आगे घना अंधेरा था... पर मैं तेज़ कदमों से घर की तरफ बढ़ने लगी| मैं भीग कर जड़ बन गई थी... मुझे मालूम था की छाया मौसी घर के दरवाज़े पर ही खड़ी हो कर मेरा रास्ता देख रही होगी और मैं जानती हूँ कि आज घर में मुझे छाया मौसी से डाँट पड़नेवाली है... क्या करूँ ग़लती तो मेरी ही है जो छाया मौसी के बार- बार कहने पर भी मैं छाता जो नही लेकर आई थी... लेकिन इतनी तेज़ बारीश में छाता किसी काम का नही आता और मुझे उस दिन जल्दी से जल्दी घर पहुँचना था क्योंकि उस दिन माँठाकुराइन जो हमारे घर आने वाली थी|

क्रमश:

nice
 
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Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Hello Everyone :hello:
We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Xforum Staff.

 

TheBlackBlood

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♥माया♥

कहानी की एक झलक


कहानी बाकी सभी कहानियों से बिल्कुल अलग है...
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसका नाम है माया| वह आम लड़कियों की तरह गांव में ही पली-बढ़ी थी और अपनी एक मुंह बोली मौसी के साथ रहती थी... यूं तो उसकी जिंदगी में सब कुछ सामान्य रूप से ही चल रहा था, लेकिन एक दिन एक तांत्रिक महिला की नजर उस पर पड़ गई… माया को अपनी खुद की कामुकता का ज्ञान हुआ... जिससे उसकी पूरी जिंदगी बदल गई...


अनुक्रमणिका
Sabse pahle to shukriya madam is kahani ko likhne ke liye aur ham sabhi ka manoranjan karne ke liye,,,,:thank_you:

Kahani ki jhalak padhne ke baad andaza hua ki kahani kaafi dilchasp hai. Fantasy prefix par likhi gayi is kahani me shayad mukhya do kirdaar hain. Ek to kahani ki heroine maya aur dusri tantrik mahila. Jhalak ke anusaar tantrik mahila ki nazar maya par padhti hai aur fir zaahir hai ki usne maya ke sath kuch to aisa kiya hi hoga jiski vajah se uski zindagi badal gayi. Ab dekhna ye hai ki us tantrik mahila ne maya ke sath kiya kya hai??? Jald hi is kahani ko padh kar apne vichaar byakt karuga madam,,,,:smoking:
 
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