छोटा मुंह और बड़ी बात, पर अगर ध्यान दिया जाए तो रामायण और महाभारत दोनो ही संतान मोह में ही हुई है। लोग लाख बोलें की दोनो स्त्रियों ( कैकेयी और द्रौपदी) की वजह से हुई, किंतु मेरा मानना रहा है की कैकेयी ने अपने नही बल्कि अपने पुत्र के लिए राजपाठ की कामना की, वैसे ही धृतराष्ट्र/गांधारी ने अपने अपने पुत्रों के लिए। और इसी लिए रामायण और महाभारत हुई।
Absolutely right bro....
चाचा जगताप पर मुझे पहले भी संदेह था, किंतु उनकी मृत्यु के पश्चात मेनका चाची पर नहीं। निःसंदेह ये बहुत की चौकाने वाले रहस्योद्घाटन हुए हैं। यद्यपि कुसुम की हरकत और अंतर्द्वंद्व बेमाना सा लगता है। पर जो लड़की अपने भाइयों के डराने पर अपने सबसे प्यारे भाई को नपुंसक बनाने को तैयार हो गई थी (भले ही बेमन से), वो अपनी मां के लिए इतनी बड़ी बात छुपाने को और जान देकर उसे बचाने को तत्पर हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं।
Asal me starting me hi maine is story ka main villain jagtap ko hi banaya tha aur usi ke base par puri story aage badhaya. Main starting se hi jaanta tha ki story read karne wale mere dost bhai...jagtap par bhi shak karenge lekin kyoki jagtap ko bich me hi mar jana tha is liye mujhe pata tha ki aise me aap sab ka shak jagtap se hat jaayega aur aap log kisi dusre par safedposh hone ka shak karne lagenge. Maine kabhi kisi ko ghumaya nahi aur na hi gumraah kiya hai...kyoki Mera concept pahle se hi clear tha. Aap log ghoom Gaye ya gumraah ho gaye ye aap logo ki soch thi...I know situation ko vajah se hi aisa hua but hua to yahi. Main bhi man hi man muskurata raha ki aap log kaha kaha pahuche ja rahe hain...
Haan, sahi kaha...Kusum us situation me wahi karti
अब जब सफेदपोश का अध्याय समाप्त हो ही गया है, तो सारा ध्यान केंद्रित होता है रूपा - वैभव - रागिनी के (प्रेम) त्रिकोण पर। हालांकि सच कहूं तो कभी कभी मुझे रागिनी के भी सफेदपोश से मिले होने के संदेह होता था, पर अब उसपर पूर्णविराम लगने के उपरांत न्यायसंगत लगता है की उसका वैभव के साथ मिलन हो ही जाना चाहिए। परंतु यह ना तो रागिनी, और ना ही वैभव के लिए आसान होगा।
Ragini par sabse pahle shayad hamare
SANJU ( V. R. ) Bhaiya ne shak kiya tha aur maine reply me unhen ragini ke bare me clean chit de di thi. Is liye ragini ke bare me aisa sochne ki zarurat hi nahi thi kisi ko....Haan agar maine usko clean chit nahi diya hota to beshak aap log soch sakte the aur main bhi use villain ka mohra banane ki sochta...but aisa nahi tha,
Baaki dekhiye kya hota hai...
देखते हैं लेखक महोदय कैसे इन दोनों पात्रों का हृदयपरिवर्तन करतें हैं।
रागिनी चूंकि बहुत दिनों से मायके में है तो संभवतः उसे इसी उद्देश्य से वहां बुलाया गया होगा की इस बारे में उदारचित्त होकर और विस्तारपूर्वक चर्चा उसके परिवार वाले उससे कर सकें, और उसे इस संबंध (समायोजन) के लिए मना सकें। यह देखना रोचक होगा की वैभव इस बात पर क्या और कैसे प्रतिक्रिया देगा। उसके मन में भी अपनी भाभी के प्रति आकर्षण तो था, परंतु अब जो आदर और सम्मान (और थोड़ा अपराधबोध) भी है वह कैसे और कितना उसके अंतर्मन को उलझाएगा।
Dono ka hriday pariwartan main yu hi nahi karunga dost...Jo bhi hoga natural hoga. Waise ye story complete ho chuki mere mobile ke notepad me to zaahir hai kuch na kuch ho hi chuka hai. Ab kya hua hai ye end me hi pata chalega...
जिस प्रकार से रूपचंद्र के व्यक्तित्व को एक सकारात्मक आकार दिया जा रहा है, बहुत संभव है की उसको कुसुम के लिया एक यथेष्ठ वर की संभावना बनाने की ही कोशिश की जा रही है। और आश्चर्य ना होगा की वैभव खुद इस बात की पैरवी करे। समय और रचनाकार की लेखनी के गर्भ में जो भी छुपा होगा, जल्दी ही सामने आएगा।
Aisa sochna tark sangat hai bhai....baaki dekhiye kya milta hai aage...
लेखक महोदय तो पुनः बहुत बहुत धन्यवाद कहानी को आगे बढ़ा कर अपने अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर करने के लिए, और आगे की तभी रचनाओं के लिए अग्रिम शुभकामनाएं एवं बधाइयां
।
Thanks mitra....
Aage yaha par koi kahani likhuga ya nahi ye to aane wala samay hi batayega. Filhal is forum par meri ye last story hai....