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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2022 ~ Reviews Thread ★☆★

Jai_09

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कहानी- ए सिंपल लव स्टोरी
रचनाकार- Jai_09 महोदय

कहानी तो बहुत ही बेहतरीन है महोदय, मज़ा आ गया पढ़कर, लेकिन कहानी अपने शीर्षक के अनुसार बिल्कुल नहीं है। ये कहीं से भी किसी भी दृष्टि से प्रेम कहानी लग ही नहीं रही है। झूठ और फरेब भरा हुआ है साथ में मर्डर मिस्ट्री है इस कहानी में।
इस कहानी का नाम सजिश या चाल रखा जा सकता था।।।

कार्तिक एक बहुत ही शातिर, धोखेबाज़ और चालाक इंसान था जिसने न सिर्फ एक मासूम को मारा बल्कि चालाकी से सदमे वाला नाटक करके पुलिस को भी गुमराह किया और समाज और दोस्तों की सहानुभूति भी हासिल कर ली।। कार्तिक पर एसपी को पहले से ही शक था, लेकिन उसने अपनी चाल का ऐसा ताना बाना बुना की एसीपी का सारा शक कुछ दिन में दूर भी हो गया और वो भी उसे मासूम समझने लगा और कातिल होते हुए भी कार्तिक बेगुनाह साबित हो गया सभी की नजर में।।

कार्तिक एक अय्याश प्रवृत्ति का इंसान था जो लड़कियों को सिर्फ भोग और मनबहलाव की वस्तु समझता था। उसने एना के साथ प्यार का नाटक किया। जब एना ने उससे शादी के लिए दबाव बनाया तब उसने बहाना बनाया एना से शादी न करने का।
ये अलग बात है कि एना ने शादी के लिए झूठ का सहारा लिया, पर उसका प्यार सच्चा था, लेकिन अगर कार्तिक सच मे एना से प्यार करता होता तो भले ही एना ने झूठ कहा था कि वो गर्भवती है, (जो कार्तिक को बहुत दिन बाद पता चला) लेकिन उस समय उसके अंदर एना और अपने बच्चे के लिए प्यार उमड़ पड़ता।।

मानवी जो उसकी स्कूल की दोस्त थी जो उसे कंपनी में मिली, उसे भी बहुत सफाई से अपने झांसे में ले लिया कार्तिक ने।। बाकी का काम और रही सही कसर उसकी मनगढ़ंत कहानी ने पूरी कर दी जो मानवी को सुनाई गई थी, मानवी शायद कार्तिक को पहले से पसंद करती थी तभी उसके दिल मे कार्तिक के लिए हमदर्दी और प्यार जाग गया उसके दिल मे और वो अपना सर्वस्व लुटाने के लिए उसी होटल के उसी कमरे में जा रही है जिस कमरे की बालकनी से एना को नीचे फेंक दिया था कार्तिक ने।।

Thanks Mahi ji for the wonderful review
Kahaani ke naam ki baat kare to ye basically readers ko gumrah karne ke liye rakha tha maine. Mere hisaab se is kahaani ki asli jaan iski ending me hai, agar naam kuch chaalbaazi ya saazish ya fareb par rakhta to readers ke liye obvious ho jaata ki kahaani ke end me kuch na kuch dhokebaazi hogi hi jiski wajah se ending spoil ho sakti thi.
 
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कहानी- हैप्पी न्यू ईयर
रचनाकार- Kala Nag महोदय


कहानी तो अच्छी है लेकिन अधूरी कहानी लिखने का क्या अभिप्राय है ये समझ नहीं आया।। कोई भी कहानी हो जब तक वो अपने अंजाम तक नहीं पहुंचती तब तक कहानी लिखने का मकसद पूरा नहीं होता। आप एक अच्छे रचनाकार है। फिर भी आपने कहानी अधूरी छोड़ दी है ये समझ से परे है।।

बहरहाल जुली को जीत ने अपनी हवस मिटाने के लिए अपने प्रेम जाल में फंसाया। जुली भी उसपर आंख बंद कर के भरोषा कर गई, लेकिन जब शादी की बात सामने आई तो जीत को वो अपने गले पड़ती हुई महसूस हुई इसलिए उसने जुली को अपने रास्ते से हटाने का निर्णय लिया।
अक्सर ही लड़कियों के साथ ऐसा होता आया है। लड़कियां प्यार में अंधी होकर जीत जैसे घिनौने इंसान के चंगुल में फंस जाती हैं और बाद में अपनी इज़्ज़त और जान दोनों से हाथ धो बैठती हैं।।

जीत ने अपनी करनी का ठीकरा किसी दूसरे के सिर पर बांध दिया जब उसे टपोरी शराबी मिल गया। जीत ने पहले उस टपोरी को दारू पिलाकर बेहोश किया फिर जुली को मारकर वहां से भाग गया, जीत से लाख गुना अच्छा तो टपोरी निकला।
भले ही वो चोर था लेकिन नमक हराम नहीं था। ये अलग बात है कि शराबी ने जीत का नमक नहीं खाया था लेकिन शराब तो उसके पैसे की ही पी थी। मौके का फायदा न उठाते हुए उसने न जुली के मृत शरीर को छुवा और न ही जीत के लुटे हुए पैसे ही ले गया वो।
 

Mahi Maurya

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Thanks Mahi ji for the wonderful review
Kahaani ke naam ki baat kare to ye basically readers ko gumrah karne ke liye rakha tha maine. Mere hisaab se is kahaani ki asli jaan iski ending me hai, agar naam kuch chaalbaazi ya saazish ya fareb par rakhta to readers ke liye obvious ho jaata ki kahaani ke end me kuch na kuch dhokebaazi hogi hi jiski wajah se ending spoil ho sakti thi.
अच्छा ये बात है।।
बहुत अच्छी बात कही है आपने महोदय।
हम भी अपनी कहानी में ऐसा कुछ कर सकते हैं फिर तो।😝
 
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कहानी- बाप का पाप
रचनाकार- Blood Diamond महोदय


कहानी सच में बहुत ही अच्छी और सोचने पर मजबूर करने वाली है।

कहते हैं इंसान जो भी अच्छा और बुरा कर्म करता है उसे वह इसी जन्म में भुगत कर जाता है और अगर वो नहीं भुगतता तो उसकी आने वाली पीढ़ी उसके कर्म को भुगतती है।। संजय जो कि अपने बच्चों की नजर में एक अच्छा इंसान है लेकिन वो निहायत ही कमीना और अय्याश प्रवित्ति का प्राणी है। अपनी पत्नी की मौत के बाद उसने दूसरी शादी इसलिए नहीं कि क्योंकि इससे उसकी अय्याशी पर विराम लग सकता था। वो नई लड़कियों का शौक़ीन था और साम दाम दंड भेद किसी भी तरीके से उनका शिकार करता था।।

लेकिन कहते हैं न कि सबके पापों का घड़ा भरता है। तो एक दिन संजय के भी पापों का घड़ा भरा जब उसने हरीश की बहन का बलात्कार कर दिया। बलात्कार वो जघन्य अपराध है जिसकी समाज मे कोई माफी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे न केवल लड़की का जिस्म प्रताड़ित होता है बल्कि उसकी आत्मा भी प्रताड़ित होती है जिसका घाव सारी उम्र नहीं भरता।। पैसे के दम पर संजय ने लड़की को चरित्रहीन साबित कर दिया और अपने आपको बेगुनाह साबित करवाया।

मैं ये नहीं कहती कि हरीश ने जो किया वो सही था, क्योंकि संजय के घृणित कृत्य में यश और शालिनी भागीदार नहीं थे, लेकिन हरीश जो किया उसने हरीश को भी संजय की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। संजय और हरीश में अंतर कहां रह गया फिर।। लेकिन बदले की भावना इतनी प्रबल थी कि हरीश ने वो काम कर दिया जिसके कारण दोनों परिवार बर्बाद हो गए।।
जब अपने पर बीतती है तब ये एहसास होता है कि क्या गलती हुई है। यही एहसास के कारण यश से बलात्कार के बाद शालू ने खुद को खत्म कर लिया। यश ने खुद को गोली मार ली और संजय भी आत्मग्लानि के कारण मारा गया। संजय की अय्याशी के कारण दो हँसते खेलते परिवार बर्बाद हो गए।।
 

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कहानी- लोकल
रचनाकार- avsji महोदय


बहुत ही बढ़िया महोदय।

कहानी मुम्बई की लोकल की पृष्टभूमि पर आधारित है।। मुम्बई जैसे शहर में एक सामान्य व्यक्ति का जीवन यापन कर पाना बहुत मुश्किल है। अगर कोई नौकरी करता है तो उसे अपने कार्यालय पहुंचने में कम से कम 1 घंटे से ज्यादा का समय लगता है। मुम्बई की लोकल ट्रेन के कहने ही क्या। यही है जिसने मुम्बई की आधी आबादी को समय से कार्यालय या कहीं भी आने जाने का जिम्मा उठाया हुआ है वरना मुम्बई की भीड़ भाड़ भारी जिंदगी में इंसान जाम में ही फंसकर रह जाए।।

अक्सर ऐसा होता है कि जिस दिन अति महत्वपूर्ण कार्य होता है उसी दिन कुछ न कुछ अनहोनी हो ही जाती है।। आज कार्यालय में किसी मुद्दे पर अपनी राय रखनी थी नायक को लेकिन उसे ओला ने धोखा दिया। मजबूरन उसे लोकल से सफर करना पड़ा।
ये बात तो सही है कि अगर आप लोकल से सफर कर रहे हैं तो आपको चढ़ने और उतरने की चिंता करने की जरूरत नहीं है। बस एक बार कूपे के दरवाजे के सामने खड़े हो जाइए बाकी का काम भीड़ कर देती है।😜😀 लोकल में सफर करना आज नायक के लिए फायदेमंद रहा क्योंकि आज उसे एक लड़की ने पसन्द कर लिया शायद लड़की को पहली नजर का प्यार हो गया लड़के से तभी उसने शाम को मिलने का वादा किया, लड़का भी पीछे रहने वालों में नहीं था। उसने भी लगे हाथ झूठ बोल दिया। आखिर ऐसा मौका छोड़ता कौन है।😜
 
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कहानी- परिवार की शान बेटियाँ
रचनाकार- SultanTipu40 महोदय

बहुत ही बेहतरीन और जबरदस्त महोदय।।

कहानी बिल्कुल शीर्षक के इर्द गिर्द ही बुनी गई है। लड़कियाँ वास्तव में परिवार की शान होती है। वो अगर चाहें तो परिवार को स्वर्ग बना सकती हैं और अगर चाहें तो परिवार को नरक भी बना सकती हैं।
एक बात और आपने इस कहानी के माध्यम से उन लड़कियों को आइना दिखाया है जो चार दिन के प्यार के लिए अपने माँ बाप भाई बहन के प्यार और स्नेह को तिलांजलि देकर घर छोड़कर भाग जाती है।।

राधिका जो अपने माँ-बाप, भाई और भाभी की बहुत प्यारी और दुलारी थी। राधिका की खुशी के लिए उसके बाप और भाई ने सारे गांव वालों के खिलाफ जाकर न कभी राधिका के पहनावे पर रोक लगाई और न ही कहीं आने जाने में।।
लेकिन वो कहते हैं न कि हर चीज़ की अति हमेशा बुरी होती है। यही राधिका के माँ बाप भाई और भाभी के साथ भी हुआ। राधिका ने उनके प्यार और विश्वास की तिलांजलि देकर शादी के कुछ दिन पहले भाग कर एक लड़के के साथ शादी कर ली।।

लड़कियां घर से भागने को तो भाग जाती हैं लेकिन वो ये नहीं सोच पाती की उनके द्वारा उठाया गया ये कदम अपने पीछे कितनी जिंदगियों के साथ खेलने वाला है।।
जब कोई लड़की घर से भाग जाती है वो भी तब जब उसकी बारात को आने में कुछ ही दिन बचे होते हैं तो ये समाज लड़की के माँ बाप भाई बहन को जीने नहीं देता। ताना मारकर, कटाक्ष करके, जली कतई सुनाकर उन्हें तिल टिल कर घुट घुट कर मरने के लिए विवश कर देता है। राधिका के इस कदम से एक हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो गया।

जो माँ बाप कभी सीना तानकर समाज के सामने चलते थे उन्हें मुंह छुपाकर जीने के लिए विवश होना पड़ा। जान से ज्यादा प्यार करने वाले भाई को जेल जाना पड़ा, बहन की तरह प्यार करने वाली भाभी को तिल तिल कर जीना पड़ा। आर्यन पागलपन का शिकार हो गया।। राधिका के इस कदम ने सब कुछ तहस नहस कर दिया। आरती अगर अपने दोस्तों के साथ घूमने का कार्यक्रम न बनाती तो उसे कभी पता नहीं चलता। राधिका की आंखें खोलने और उसे उसकी गलती का एहसास करवाने के लिए आरती ने अपनी शादी के दिन घर से भागने का नाटक किया। जिससे राधिका की आंखे तो खुल गई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।।
अब चाहे राधिका लाख मांफी मांगे, लाख दुहाई दे, लेकिन जो गुनाह उसने किया था वो बदल नहीं जाएगा। उसके माँ बाप भाई भाभी कभी लौटकर नहीं आएंगे।। इसलिए घर से भागने वाले सभी लड़के लड़कियां एक बार ये जरूर सोच लें कि उनके इस कदम से उनके परिवार वालों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।।
 
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कहानी- बुरी किस्मत
रचनाकार- Destiny महोदय

वाह वाह महोदय जी। कमाल कर दिया आपने। मान गए आपकी लेखनी को। एक साधारण सी प्रेम कहानी को जिसमें कोई भी उत्तेजक दृश्य नहीं हैं बहुत ही सरलता, शालीनता और नपे तुले शब्दों में पाठकों के सामने पेश किया। कहानी शुरू से अंत तक उसी प्रवाह में चलती रही। पाठक पूरी कहानी के दौरान कहानी से जुड़े रहने पर विवश हो जाएंगे। अद्भुत लेखनशैली का प्रदर्शन किया है आपने महोदय।।।

प्रभू। बहुत ही बढ़िया नाम है नायक का। नायक का केवल नाम ही प्रभु है लेकिन उसकी घर मे कोई इज्जत नहीं है।
कहने का मतलब ये है कि वो धोबी का कुत्ता की तरह है न घर का है न घाट का।😜😀 घर में छोटा होने के बहुत फायदे हैं। अब प्रभु की किस्मत ही खराब थी तो उसमें कोई क्या कर सकता है। घर मे छोटे को जितनी प्यार और मोहब्बत मिलती है उतनी किसी को नहीं मिलती, क्योंकि वो घर में सबका लाडला जो होता है।।

प्रभु भले ही घर मे सबसे छोटा है लेकिन उसे कभी अपनी बहन और माँ से छोटे होने का प्यार और दुलार नहीं मिला। ऐसा नहीं है कि उसकी बहन और माँ उसे प्यार नहीं करती थी। हर इंसान का प्यार जताने के तरीका अलग अलग होता है। अपने लंगोटिया यार बिलाल के साथ शादी समारोह में खुशी के हाथों बेइज़्ज़त होने के बाद प्रभु को बहुत पछतावा हुआ अपने बर्ताव पर,
अक्सर ऐसा होता है। सरीफ और अच्छे लड़कों का पहला प्रभाव लड़कियों पर हमेशा ही गलत पड़ता है। क्योंकि शरीफ और अच्छे लड़के लड़कियों से बातें करने में डरते हैं साथ ही अगर कोई सुंदर लड़की अचानक से सामने आ जाती है तो वो थोड़ा अवाक होकर उसे देखते हैं जिसका लड़की बुरा मान जाती है।।

प्रभु के साथ भी यही हुआ। खुशी उसके अपलक उसे देखने का बुरा मान गई।। वो कहते हैं न कि किस्मत में जिसको जब मिलना होता है तभी मिलता है। प्रभु के लाख ढूंढने के बाद भी खुशी शादी समारोह में नहीं मिली और मिली भी तो प्रभु के गाड़ी से दुर्घटना भी हो गई।। प्रभु ने इंसानियत दिखाते हुए खुशी को अस्पताल में भर्ती किया और पैसे जमा भी किये इलाज के।।
प्रभु की हिम्मत नहीं हुई खुशी का सामना करने की जिसकी शिकायत खुशी ने ठीक हो जाने के बाद प्रभु से की।। प्रभु ने बिल्कुल सही निर्णय लिया जो वक्त रहते खुशी को अपने दिल की बात बता दी, नहीं तो कभी कभी वक्त पर सही निर्णय न ले पाने पर वही होता है जो उसने दूरदर्शन में देखा था।।
 
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कहानी- ताश
रचनाकार- Kdry9 महोदय

कहानी के शीर्षक और कहानी की पटकथा का दूर दूर तक कोई मेल नजर नहीं आ रहा है। पता नहीं क्या सोचकर अपने इस कहानी का नाम ताश रखा हौ। बावजूद इसके आपने एक कहानी लिखने की कोशिश की यही काबिलेतारीफ है।।

तानिया और अंश दोनों व्यवसाय करते हैं और दोनों ही इस क्षेत्र में नए हैं। दोनों ने हैं तो खून में उबाल भी है और अहम भी है दोनों में। विद्यामती चीनी मिल, जो अंश के बाप दादाओं की विरासत थी उसकी नीलामी हो रही थी जिसे खरीदने के लिए तानिया और अंश भी आए थे। अंश अपनी पुस्तैनी मिल वापस पाना चाहता था तो तानिया अपनी पहली डील।।

पैसों से शुरू हुई नीलामी अहम पर आकर खत्म हुई और 50- 60 करोड़ की मिल 300 करोड़ में खरीद ली तानिया ने जो उसकी व्यवसाय में अयोग्यता सिद्ध करता है अंशुमान जी को भी इस घाटे के सौदे के बारे में पता है लेकिन वो तानिया का मनोबल गिराना नहीं चाहते थे। शाम को आयोजित पार्टी में वो हुआ जो होना नहीं चाहिए था खासकर अंश ने जो किया वो बहुत ही गलत किया। पत्नी के होते हुए भी उसने तानिया के साथ सम्बन्ध बनाने की कोशिश की।।
 
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कहानी- इन्तेक़ाम की आग
रचनाकार- DARK WOLFKING महोदय


कहानी का कांसेप्ट तो बहुत बढ़िया है महोदय, कहानी भी अच्छी है, लेकिन कहानी में वो पिक अप नहीं है जो कि ऐसी कहानी में होना चाहिए। थोड़ा और मेहनत करते तो आप इस कहानी को और भी बढ़िया तरीके से पेश कर सकते थे।। बहरहाल आप ने कहानी लिखी यही बहुत बड़ी बात है।।🙏🙏

समाज में ऐसे दरिंदों की कमी नहीं है जिनके लिए लड़की की इज़्ज़त बस एक खिलौने से कम नहीं है। वो लड़की को अपनी जागीर समझते हैं। उन्हें लगता है ये लड़की पैदा ही हुई है उनके जैसे दरिंदों की आग को शांत करने के लिए। वो कभी ये भी नहीं सोचते कि जिसके साथ वो ये कुकर्म कर रहे हैं उसके ऊपर उसके घरवालों के ऊपर क्या बीतेगी। कुछ मिनटों के मजे के लिए एक हंसते खेलते परिवार को बर्बाद कर देते हैं ये दरिंदे।।

अरुण और वरुन भले ही बड़े बाप की औलाद हों लेकिन उन्होंने जो जुर्म किया उसके लिए कोई माफी नहीं थी। एक बहन से उसकी बहन, एक बाप से उसकी बेटी छीन ली।
आज भी हमारे समाज मे बलात्कार पीड़ित लड़की को हेय की दृष्टि से देखा जाता है। उसे हमेशा ये एहसास करवाया जाता है कि सारी गलती उसी की थी। वो घर से क्यों बाहर गई, उसने ऐसे कपड़े क्यों पहने थे, लड़कों के साथ घूमेगी तो यही होगा वगैरह वगैरह।।

एक नजरिये से देखा जाए तो बलात्कारियों के साथ साथ हमारा समाज भी उतना ही गुनाहगार है जितना कि बलात्कारी। साथ में न्याय व्यवस्था के कहने ही क्या। हर बड़ा आदमी पैसे के दम पर छूट जाता है और गरीब आदमी बेगुनाह होते हुए भी सजा काटता है। आरोही की बहन वैदेही के बलात्कारियों को अगर सज़ा मिल गई होती तो आरोही को ये सब नहीं करना पड़ता जो उसने किया। ऐसे लोगों के लिए ये सज़ा कुछ भी नहीं। ऐसे लोगों को अगर इससे भी बड़ी कोई सजा हो तो वो देनी चाहिए।।
 
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कहानी- कशमकश
रचनाकार- Rkarya7979 महोदय


बहुत ही बढ़िया कहानी महोदय।।

आपने लीक से हटकर कुछ लिखने का प्रयाश किया है और आपका प्रयाश काफी हद तक सफल भी रहा है। आपकी ये कहानी उन पतियों के लिए है जो अपने काम की व्यस्तता के चलते अपनी पत्नियों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं और अंत में उनके रिश्ते में दरार आ जाती है।।

रोहन और शीतल एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। कुछ दिनों से रोहन काम की वजह से अपनी पत्नी पर ध्यान नहीं दे पाता, तो शीतल को लगता है कि रोहन को उससे प्यार नहीं रह गया है। जिसके निवारण के लिए उसने एक गहरी चाल चली और अपनी बहन शिखा को शेखर बनाकर घर मे ले आई। फिर शुरू हुआ रोहन को जलाने का काम।
वैसे भी ये सही बात है कि पति कुछ भी करता फिरे बाहर लेकिन अगर घर में उसकी पत्नी किसी पड़ोसी या दोस्त से बात कर ले तो पति की जलने लगती है।

हद तो तब हो गई जब रोहित ने शीतल के चरित्र पर ही लांछन लगा दिया। वो तो भला हो शीतल का जो उसकी बात का ज्यादा बुरा नहीं माना और घर छोड़कर नहीं गई। बाकी अपनी सास की बात सुनकर रोहन को अपनी गलती का एहसास हो गया कि वो शीतल को वो प्यार नहीं दे पा रहा है जिसकी वो हकदार है। फिर उसने अपनी गलती स्वीकार की और दोनों अच्छा जीवन जीने लगे।।
इसमें शिखा का बहुत बड़ा हाथ है अगर वो सही समय पर शीतल का साथ नहीं देती तो हो सकता है उनका रिश्ता भी टूट सकता था
 
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