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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2022 ~ Reviews Thread ★☆★

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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अहो भाग्य हमारे जो आपने अपना मूल्यवान समय हमारी कहानी पर दिया ।
बारंबार अभिवादन आपका


मौका मिले तो Romance वाली थ्रीड पर भी पधारे
काफी समय आपके रेव्यू के बिना थ्रीड नीरस हुआ जा रहा है । उम्मीद है आमन्त्रण स्वीकार करेंगी ।
समय की कमी के चलते ज्यादा कहानी पढ़ ही नहीं पा रहे हैं। समय मिलने पर आपकी कहानी पर जरूर आएंगे महोदय।।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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कहानी- फ्लाइट
रचनाकार- harshit1890 महोदय

अब क्या ही कहें आपकी लेखनी को।

आप sci fi श्रेणी की कहानियों के उत्तम लेखक हैं लेकिन अफसोस कि बात ये है कि मुझे इस तरह की कहानियां बिल्कुल भी समझ नहीं आती। इस पूरी कहानी के दौरान बस यही समझ आया कि कोई इंसान फ्लाइट में बैठा, हवाई सुंदरियों के रूप का दीदार किया, जूस पिया और फिर कोई प्रकाश हुआ। उसके बाद की कहानी कहाँ से कहाँ पहुँची कब दोबारा हवाई जहाज में पहुँची कुछ भी समझ नहीं आया।

वो महिला कौन थी जिसने इस इंसान को अपने हुश्न के जाल में फंसाकर उसके साथ थ्रीसम करना चाहा और एक लड़के से उसके साथ गे सेक्स करने के लिए उसका रही थी। मुझे ऐसा लगता है कि ये समय के साथ भ्रमण करने वाले किसी यंत्र द्वारा तो संभव नहीं हुआ जो एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंचा देता है, और आखिर में वो इंसान कौन था जिसने पहले इंसान की हत्या की थी और उससे कुछ छीन लिया था।

इसलिए कहानी के बारे में क्या टिप्पणी करें समझ मे नहीं आ रहा है।।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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कहानी- ये कैसी बिदाई
रचनाकार- SANJU ( V. R. ) महोदय

बहुत ही बेहतरीन और दिल को झकझोर कर रख देने वाली प्रस्तुति।।
सच कहूं तो इस कहानी ने रुला दिया मुझे।। ये एक कहानी नहीं है बल्कि साधारण शब्दों में आपने जमीनी हकीकत से रूबरू करवा दिया है। इस कहानी की तारीफ के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं मुझे।। मां की वेदना और पीड़ा, बेटों की अनदेखी और बेरुखी और बहन का प्यार। समाज की कड़वी सच्चाई से रूबरू करवाती आपकी ये कहानी उन सभी बच्चों के लिए एक सबक है जो पैसों के पीछे भागने के चक्कर मे अपने जन्मदाता को बहुत पीछे छोड़ जाते हैं और जब तक वो लौटकर वापस आते हैं तब तक सब कुछ खत्म हो चुका होता है।।

माँ से बड़ा ममतामयी और त्यागमयी दुनिया में कोई नहीं होता, अगर इंसान अपनी माँ के पैर धोकर सारी जिंदगी पिये तब भी माँ के ऋण से उऋण नहीं हो सकता। जो अपने बच्चों की खुशी के लिए अपने सीने में हजार दुःख भी छुपाकर खुश रहती है।। संजू की माँ कितनी बदनसीब थी जिसके बड़े बेटे ने उसका साथ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि उनके पापा ने मरते समय अपनी बची खुची जमीन उसकी मां के नाम कर दी।
संजू का बड़ा भाई लालची निकला। उसकी नजर में अपनी माँ के प्यार से बढ़कर जमीन का टुकड़ा था।।

संजू ने भी शहर जाकर पढ़ाई करने का जो फैसला लिया वो गलत नहीं कहा जा सकता, लेकिन उसने गलती ये की कि एक बार शहर जाने के बाद उसने ये जानने की कोशिश नहीं की कि उसकी मां बहन किस हाल में हैं।।
वैसे भी जिस घर में पुरुष नहीं होते वहां की औरतों पर जिस्म के भूखे भेड़िए हमेशा ताक लगाए रहते हैं। इसी बात का फायदा उठाकर गुड़िया की इज़्ज़त लूट ली गई। हरिहर काका का बेटा सच में एक अच्छा इंसान था जिसने सबकुछ जानते हुए गुड़िया से शादी की।।

संजू ने जो सपने लेकर शहर आया था वो तो पूरा हो गया लेकिन उस सपने को पूरा करने के लिए उसे अपनी मां की कुर्बानी देनी पड़ी।
एक बूढ़ी माँ जिसने सारे जमाने से टक्कर ली सारे दुःख दर्द हंसकर अपने बेटों के लिए सहती रही, लेकिन अपने बेटों की बेरुखी से हार गई।। टूट गई।। बिखर गई। संजू और उसके भाई को जब तक अपनी गलती का एहसास होता उनकी मां उन्हें छोड़कर बहुत दूर जा चुकी थी।। मेरी नजर में संजू और उसके भाई की बहुत बड़ी गलती है जिसके कारण उनकी माँ की मौत हुई।।

10 में से 9.9 नम्बर हमारी तरफ से और अगर इस कहानी को पहला पुरस्कार नहीं मिला तो ये बहुत ही नाइंसाफी होगी ऐसा मेरा मानना है।।
 
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Mahi Maurya

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कहानी- डार्क मेमोरीज
रचनाकार- Kingfisher महोदय


बहुत ही बढ़िया और कुछ अलग लिखने की शानदार कोशिश।।

अगर आज हम अपने आपको सुरक्षित महसूस करते है। हर किसी के साथ हंस बोल रहे हैं तो इसका एक बहुत बड़ा श्रेय हमारे देश के उन वीर सिपाहियों को जाता है जो हमारी रक्षा के लिए दिन रात देश की सीमाओं पर पहरा दे रहे हैं, अपने सीने पर दुश्मनों की गोलियां खा रहे हैं।।
धर्म शास्त्र में मानव जीवन के लिए तीन प्रकार के ऋण बनाए गए है। पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण, तीसरा पितृ ऋण। लेकिन उस समय एक ऋण छूट गया था और वो ऋण है सैनिक ऋण।। इंसान को इन चारों ऋणों से मुक्त होना चाहिए।।

एक सैनिक जब सीमा पर शहीद होता है तो न सिर्फ वो मरता है बल्कि उसके साथ ही उसके घर वालों की उम्मीदें उनके सपने भी मर जाते हैं। कोई अपना जवान बेटा खो देता है तो कोई स्त्री अपना सुहाग तो कोई बेटा या बेटी अपना पिता। इसलिए हमें चाहिए कि जितना अधिक हो सके उतना हम हमारे देश के सैनिकों का सम्मान करें, उनका आदर करें।।

लेकिन बहुत ही दुर्भाग्य और दुःख की बात है कि हमारे सैनिक इतनी कुर्बानियां देने के बाद भी वो सम्मान नहीं पाते जिसके वो हकदार हैं। उनके साथ अभद्रता की जाती है। उन्हें गाली दी जाती है। उनके परिवार को परेशान किया जाता है।। आम आदमी तो आम आदमी लेकिन खास आदमी भी इसमें पीछे नहीं रहते।। इसे इस देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि जिनके कंधे पर हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी है उसी को देश नजरअंदाज कर रहा है।।
 
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Mahi Maurya

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कहानी- ए सिंपल लव स्टोरी
रचनाकार- Jai_09 महोदय

कहानी तो बहुत ही बेहतरीन है महोदय, मज़ा आ गया पढ़कर, लेकिन कहानी अपने शीर्षक के अनुसार बिल्कुल नहीं है। ये कहीं से भी किसी भी दृष्टि से प्रेम कहानी लग ही नहीं रही है। झूठ और फरेब भरा हुआ है साथ में मर्डर मिस्ट्री है इस कहानी में।
इस कहानी का नाम सजिश या चाल रखा जा सकता था।।।

कार्तिक एक बहुत ही शातिर, धोखेबाज़ और चालाक इंसान था जिसने न सिर्फ एक मासूम को मारा बल्कि चालाकी से सदमे वाला नाटक करके पुलिस को भी गुमराह किया और समाज और दोस्तों की सहानुभूति भी हासिल कर ली।। कार्तिक पर एसपी को पहले से ही शक था, लेकिन उसने अपनी चाल का ऐसा ताना बाना बुना की एसीपी का सारा शक कुछ दिन में दूर भी हो गया और वो भी उसे मासूम समझने लगा और कातिल होते हुए भी कार्तिक बेगुनाह साबित हो गया सभी की नजर में।।

कार्तिक एक अय्याश प्रवृत्ति का इंसान था जो लड़कियों को सिर्फ भोग और मनबहलाव की वस्तु समझता था। उसने एना के साथ प्यार का नाटक किया। जब एना ने उससे शादी के लिए दबाव बनाया तब उसने बहाना बनाया एना से शादी न करने का।
ये अलग बात है कि एना ने शादी के लिए झूठ का सहारा लिया, पर उसका प्यार सच्चा था, लेकिन अगर कार्तिक सच मे एना से प्यार करता होता तो भले ही एना ने झूठ कहा था कि वो गर्भवती है, (जो कार्तिक को बहुत दिन बाद पता चला) लेकिन उस समय उसके अंदर एना और अपने बच्चे के लिए प्यार उमड़ पड़ता।।

मानवी जो उसकी स्कूल की दोस्त थी जो उसे कंपनी में मिली, उसे भी बहुत सफाई से अपने झांसे में ले लिया कार्तिक ने।।
बाकी का काम और रही सही कसर उसकी मनगढ़ंत कहानी ने पूरी कर दी जो मानवी को सुनाई गई थी, मानवी शायद कार्तिक को पहले से पसंद करती थी तभी उसके दिल मे कार्तिक के लिए हमदर्दी और प्यार जाग गया उसके दिल मे और वो अपना सर्वस्व लुटाने के लिए उसी होटल के उसी कमरे में जा रही है जिस कमरे की बालकनी से एना को नीचे फेंक दिया था कार्तिक ने।।
 

Mahi Maurya

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कहानी- वक्त की सुई
रचनाकार- _SMOOKER_X_ महोदय


बेहतरीन कोशिश की है आपने कहानी लिखने की, लेकिन थोड़ी बहुत कमी रह गई है और कहानी कुछ अधूरी सी लग रही है महोदय।।

वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता, कभी सुख रहता है जीवन मे तो कभी दुःख रहता है।। कभी कामयाबी मिलती है तो कभी नामाकयबी मिलती है।। राज का जीवन भी उतार चढ़ाव भरा रहा है बचपन से ही। बचपन मे मां बाप एक दुर्घटना में गुजर गए तो नीलम और अखिलेश ने उसे गोद ले लिया। क्योंकि वो निःसंतान थे, लेकिन जब खुद की बेटी पैदा हुई तो नीलम राज से नफरत करने लगी क्योकि राज पढ़ने लिखने में होशियार था और टीना सामान्य थी पढ़ाई लिखाई में।। जिसके कारण टीना को राज से सीखने के लिए कहते उसके पापा।।

ये तो बहुत अच्छी बात है कि किसी से प्रेरणा लेकर किसी को उदाहरण बनाकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए बच्चों को लेकिन नीलम को ये बात नागवार गुजरती। यहां पर नीलम ने बिल्कुल ही गलत किया। बात बात पर अपने पति को नीचा दिखाना ये अच्छी गृहिणी के लक्षण नहीं हैं। राज की काबिलियत को कभी नहीं समझा नीलम ने। अखिलेश और टीना तो मजबूर थे। वैसे आत्महत्या किसी ससमस्या का समाधान तो नहीं है लेकिन आजकल की पीढ़ी इसे हर समस्याओं के समाधान के रूप में देखती है जैसा कि राज ने देखा। लेकिन एक भले मानुष ने उसे बचा लिया। बाद में उसने राज की काबिलियत को पहचाना और आज राज एक अच्छा गायक बन चुका है।।
 

Mahi Maurya

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कहानी- लव इन लोकल ट्रेन
रचनाकार- Jaguaar महोदय


वाह महोदय वाह।। क्या कहानी पेश की है आपने। मज़ा आ गया। बेहतरीन लेखनी, बेहतरीन पटकथा।।

अमन बचपन से शर्मिला लड़का है। लड़कियों से बात करने में उसके पसीने छूट जाते हैं। इसके बावजूद भी काम काज में एकदम होशियार तभी तो उसकी लगन और मेहनत देखकर कम्पनी ने उसकी पदोन्नति सहित स्थानांतरण मुम्बई के कंपनी में कर दिया।
वैसे तो मुम्बई शहर ही सपनों का शहर है। हर कोई जाना चाहता है मुम्बई अपने सपने साकार करने के लिए, लेकिन अमन ठहरे शर्मीले और कभी बाहर न निकलने वाले प्राणी तो वो मुम्बई जाना नहीं चाहते थे, लेकिन घर वालों के समझाने के बाद मान गए।।

मुम्बई सपनों का शहर, दौड़ती भागती जिंदगी का शहर।। एक बार जो यहां आता है वो यहीं का होकर रह जाता है ऐसा कहा जाता है। अमन को कहां पता था कि मुम्बई में उसकी किस्मत उससे टकराने वाली है जो उसकी जिंदगी बदल देगी।। शीतल जो उसके भाभी के मामा की बेटी थी वो उसे वह टकरा गई। ट्रैन का दृश्य ऐसे बना जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में बना था। ठीक उसी अंदाज में शीतल ने अमन को ट्रेन में चढ़ाया।।

पहले दोस्ती, फिर गहरी दोस्ती और फिर प्यार।। वैसे कहा जाता है कि प्यार कब किससे और कहां हो जाए किसी को पता नही चलता, वैसे ही शीतल से अमन को प्यार हो गया मुम्बई की लोकल ट्रेन में।।
लेकिन मुम्बई की लोकल ट्रेन के बारे में जो आपने बताया है वो हकीकत में उससे मैच नहीं करता क्योंकि लोकल की भीड़ आपने दिखाई ही नहीं।😝😀 मुझे सबसे अच्छा लगा अमन के प्यार करने के अंदाज़ से। खत द्वारा प्यार का इज़हार लोग पहले के जमाने मे करते थे। कुछ बहुत पुरानी यादें ताज़ा हो गई हैं।। खत की बात ही अलग होती थी। वो सुकून वो अपनापन जो खत में देखने को मिलता था वो आजकल मोबाइल और घुटनों के बल बैठकर प्यार का इज़हार करने पर भी नहीं मिलता है।। शीतल के दो दिन के अलगाव ने परेशान कर दिया अमन को, लेकिन शीतल की इज़हारेमोहब्बत ने सारे जख्मों पर मलहम लगा दिया। कहानी का सुखद अंत हुआ दोनों की शादी हो गई।।
 
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कहानी- लव इन लोकल ट्रेन
रचनाकार- Jaguaar महोदय


वाह महोदय वाह।। क्या कहानी पेश की है आपने। मज़ा आ गया। बेहतरीन लेखनी, बेहतरीन पटकथा।।

अमन बचपन से शर्मिला लड़का है। लड़कियों से बात करने में उसके पसीने छूट जाते हैं। इसके बावजूद भी काम काज में एकदम होशियार तभी तो उसकी लगन और मेहनत देखकर कम्पनी ने उसकी पदोन्नति सहित स्थानांतरण मुम्बई के कंपनी में कर दिया।
वैसे तो मुम्बई शहर ही सपनों का शहर है। हर कोई जाना चाहता है मुम्बई अपने सपने साकार करने के लिए, लेकिन अमन ठहरे शर्मीले और कभी बाहर न निकलने वाले प्राणी तो वो मुम्बई जाना नहीं चाहते थे, लेकिन घर वालों के समझाने के बाद मान गए।।

मुम्बई सपनों का शहर, दौड़ती भागती जिंदगी का शहर।। एक बार जो यहां आता है वो यहीं का होकर रह जाता है ऐसा कहा जाता है। अमन को कहां पता था कि मुम्बई में उसकी किस्मत उससे टकराने वाली है जो उसकी जिंदगी बदल देगी।। शीतल जो उसके भाभी के मामा की बेटी थी वो उसे वह टकरा गई। ट्रैन का दृश्य ऐसे बना जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में बना था। ठीक उसी अंदाज में शीतल ने अमन को ट्रेन में चढ़ाया।।

पहले दोस्ती, फिर गहरी दोस्ती और फिर प्यार।। वैसे कहा जाता है कि प्यार कब किससे और कहां हो जाए किसी को पता नही चलता, वैसे ही शीतल से अमन को प्यार हो गया मुम्बई की लोकल ट्रेन में।। लेकिन मुम्बई की लोकल ट्रेन के बारे में जो आपने बताया है वो हकीकत में उससे मैच नहीं करता क्योंकि लोकल की भीड़ आपने दिखाई ही नहीं।😝😀मुझे सबसे अच्छा लगा अमन के प्यार करने के अंदाज़ से। खत द्वारा प्यार का इज़हार लोग पहले के जमाने मे करते थे। कुछ बहुत पुरानी यादें ताज़ा हो गई हैं।। खत की बात ही अलग होती थी। वो सुकून वो अपनापन जो खत में देखने को मिलता था वो आजकल मोबाइल और घुटनों के बल बैठकर प्यार का इज़हार करने पर भी नहीं मिलता है।। शीतल के दो दिन के अलगाव ने परेशान कर दिया अमन को, लेकिन शीतल की इज़हारेमोहब्बत ने सारे जख्मों पर मलहम लगा दिया। कहानी का सुखद अंत हुआ दोनों की शादी हो गई।।
Thank you

Agar Mumbai ke local train ki bheed dikhata toh shayad kahani aur lambi hojaati.

Sheetal ko Aman se pyaar Mumbai ke local mein nhi hua tha. Usko Aman se pyaar uski didi ki shaadi mein hua thaa. Jab usne pehli baar Aman ko dekha thaa.

Aur aapne sahi kaha Khatt ki baat hi alag hoti hai. Uske jaise aihsaas kahi nhi miltaa.
 

Jaguaar

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पेटीकोट की जीत।

मैंने हमेशा पेटीकोट या स्कर्ट, क़मीज़, मौजे, ऊँची एड़ी के जूते पहने लड़कियों का बहुत सम्म्मान किया है क्योंकि मेरा विश्वास रहा है कि लड़को को अनुशासित रखने का सबसे अच्छा उपाय है स्मार्ट लड़की का संग। ।

मैंने हमारी मानव मनोविज्ञान-मानवशास्त्रीय कक्षाओं में पढ़ा एक किस्सा मित्र रजनीकान्त को सुनाया था। एक सम्भार्न्त परिवार का लड़का जिसकी कोई बहन नहीं थी और उसकी मॉडर्न माँ अपने सामाजिक कार्यो में व्यस्त थी, उसे इंग्लॅण्ड के एक स्कूल में भेजा गया था और अठारह महीने बाद उसे स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था। वह इतना उदंड था कि उसे दूसरे स्कूलो में भेजना भी व्यर्थ गया और उसे वहाँ से कुछ समय बाद निकाला दिया गया। जब घर पर टीचर रखे गए तो कई प्राइवेट टीचर्स ने एक के बाद एक इस आधार पर इस्तीफा दे दिया कि उसका व्यवहार पूरी तरह से अक्षम्य था।

जब लगा की उसकी पढ़ाई अधूरी रह जायेगी तो, उसके अभिभावकों ने कई लोगों से पूछताछ की और उदंड और दुर्दम्य लड़कों के सुधार के लिए खुद को समर्पित करने का दावा करने वाले असंख्य विज्ञापन दाताओ के पास गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, अंत में, उनके परिवार के एक मित्र जिसे कुछ मानवशास्त्रीय अनुभव था, द्वारा यह सुझाव दिया गया था कि लड़के को एक महिला के द्वारा प्रशिक्षित करने पर वह सुधर सकता है। उसके अभिभावकों के ये विचार आश्चर्यजनक लगा! उन्हें लगा की उनका कम उम्र का उदंड लड़का, जिसने सभी स्कूलों और ट्यूटर्स के अनुशासन का उल्लंघन किया था, कभी भी एक महिला के सामने नहीं झुकेगा।

फिर उसने एक महिला टीचर के नाम का सुझाव दिया जो ऐसे मामलो में उम्मीदों से परे सफल साबित हुई थी। उस महिला से मुलाकात और लंबी चर्चा के बाद उस सुझाव को स्वीकार किया गया को उस उदंड लड़के को दो साल के लिए पूरी तरह से उस महिला टीचर के नियंत्रण में छोड़ दिया जाना चाहिए और फिर उस अवधि के अंत में वह और उल्लेखनीय बौद्धिक विकास और आत्म-कब्जे के साथ विनम्रता और आज्ञाकारिता, शिष्टाचार और शिष्टता का एक मॉडल बन गया, उसके अभिभावको ने और उनके दोस्तों ने आश्चर्यजनक रूप से उस महिला द्वारा उस उदंड लड़के के व्यवहार में किए गए अद्भुत परिवर्तन और सुधार को आश्चर्य और कृतज्ञता के साथ स्वीकार किया।

स्वाभाविक रूप से, रजनीकांत यह जानने के लिए उत्सुक हो गया कि उस महिला ने यह चमत्कार किस जादू से किया है। मैंने उसे बताया कि जादू पूरी तरह से स्त्री संग और उसका उस लड़के पर प्रभाव था। उसने उसे सेक्स के सूक्ष्म और वश में करने वाले प्रभाव से प्रभावित किया, जिसके तहत उसे सदा लड़कियों के साथ रखा गया। जैसा कि रजनी ने अनुमान लगाया, उसने ट्यूटर नहीं बल्कि नौकरानियों को नियुक्त किया, जिन्होंने उसकी उम्र के बावजूद, उसे हर तरह से एक बच्चे के रूप में माना।

उस महिला सुधारक ने उस लड़के पर महिलाओं के कपड़ों का इस्तेमाल किया-पहले एक छोटी लड़की, फिर एक युवा महिला का-और फिर मर्दाना आदतों का इस्तेमाल किया, यहाँ तक कि किसी भी शैतानी की इच्छा को भी गहरा अपराध बना दिया। महिला सुधारक ने उस लड़के की कठोर पुरुष प्रवृत्तियों को नरम स्त्री प्रभाव के अधीन कर दिया, जि्सके कारण वह लड़का उनका आज्ञाकारी होने के लिए मजबूर हो गया। उसने छड़ी के साथ विद्रोह को सबसे अपमानजनक तरीके से दंडित किया; और एक तीक्ष्ण महिला टीचर का उपयोग उसकी बुद्धि को तेज करने, उसे उसका पाठ पढ़ाने और उसके उपदेशों को लागू करने के लिए किया।

उसे शर्म और अपमान मह्सूस करवाने के लिए, उसे कुछ सुंदर लड़कियों के साथ रखा गया और आमतौर पर उन लड़कियों के सामने दंडित किया जाता था। हंसती हुईऔर उसका मजाक उड़ाती हुई सुंदर लड़कियों के सामने सजा मिलने से वह सबसे ज्यादा डरने लगा और धीरे-धीरे उसकी हरकते सुधरने लगी। मात्र कथा सुनने से रजनीकान्त का खून खौल उठा था और ये सोच कर वह कांप उठा की अगर उसे उसकी पत्नी या किसी प्रेमिका के सामने अगर इस तरह से दण्डित किआ जाए तो वह कभी भी उन लड़कियों के बीच जाने की हिम्मत नहीं जुटा पायेगा।

उस लड़के ने बाद में अपने लेखो में लिखा की जब उसे उन लड़कियों के सामने महिला टीचर से सजा मिलती थी तो उसने कैसे अपने कष्टों की सभी अभिव्यक्तियों को दबाने का प्रयास किया किन्तु उसे उस समय मानसिक यौर पर लड़कियों के सामबे सजा मिलने पर बहुत शर्म महसूस होती थी और ये देख कर उसकी मानसिक पीड़ा बढ़ जाती थी की जब उसे सजा मिलती थी तो लड़किया उसे देख कर आनन्दित होती थी और बाद में जो लड़किया वहाँ नहीं भी होती थी उन्हें बड़े मजे ले-ले कर उसे सजा मिलने का किस्सा सुनाती थी और गौरवान्वित महसूस करती थी । धीरे-धीरे उसका सजा मिलने पर दर्द के तनाव से उसका धैर्य गायब हो गया, जबकि युवाओं की चेतना और उसे उन लड़कियों के सामने मिलने वाली सजा ने उसे शर्म का एहसास करवाया आखिरकार, जब एक महिला के गोल हाथ के वार क्रूर नियमितता के साथ उसके बदन पर गिरते, तो वह खुद को पूरी तरह से और असहाय पाता था।

और फिर जब एक दिन उनमे से एक प्यारी-सी सड़की ने सजा मिलने के बाद उससे ये पुछा की आपको बहुत दर्द हो रहा है और आप ऐसा काम क्यों करते हो की आपको सजा मिले तो उसका पूरा धैर्य जवाब दे गया और वह फ़ूट-फ़ूट कर रोने लगा ।

वह अब घोर अपमान की भावना का सामना नहीं कर सकता था, और वह अपनी टीचर के आगे झुक गया । उसने दृढ़ आत्मविश्वास और वीरतापूर्ण प्रकृति के बारे में अपने लेख में लिखा की जब उसे पुरुषो से लड़को के सामने सजा मिलती थी तो उसे अपनी बहादुरी पर गर्व होता था और उसने धीरे-धीरे दर्द पर पूरी तरह से महारत हासिल कर ली थी। लेकिन, जब एक महिला ने उसे अन्य महिलाओं के सामने पीटा तो इसने उसकी ताकत को छीन लिया, वह सजा की यातना नहीं थी, बल्कि लिंग के टोना-टोटका था। यह पेटीकोट की जीत थी। वह अंत में इस अथक विजेताओं के सामने जमीन पर गिर पड़ा और उनसे सांस लेने की अनुमति मांगी।

रजनीकांत ने भी बताया की उसका एक मित्र स्कूल में जब वह ऐसे स्कूल में जाता था जिसमे लड़के और लड़किया दोनों पढ़ते थे लेकिन लड़किया का सेक्शन अलग था और लड़कियों का सेक्शन अलग था और दोनों कक्षाओं में छात्र छात्राये खूब शोर मचाते थे और उन्हें दंड देने पर भी कोई ज्यादा सुधार नहीं होता था क्योंकि लड़किया मिल कर बाते बहुत करती थी और लड़के मिल कर शरारते बहुत करते थे ।

तभी उनके स्कूल में एक नयी अध्यापिका आयी और उसने कक्षाओं का मिश्रण कर दिया केवल लड़को वाले सक्शन के आधे लड़के लड़कियों के सेक्शन में और आधी लड़किया लड़को के सक्शन में स्थांतरित कर दी । उसके बाद ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ा । एक दो लड़को और लड़कियों के सजा या डांटे के बाद दोनों सेक्शन के छात्र शांत रहने लगे l क्योंकि लड़कियों के सामने लड़को को सजा मिलने की बात पूरे स्कूल की लड़कियों को पता चल जाती थी और लड़कियों को डांटना अपने आप में लड़कियों के लिए बहुत बड़ी सजा थी ।

यह पेटीकोट की जीत थी।
Achhii storyyy thiii. Mazaa aaya padhhkee.
 
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