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Abhi32

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घोड़ों को नहीं मिल रही घांस और गधे खा रहे च्यवनप्राश


इस कहानी में लिखे गए पात्र 'वास्तविक' हैं और इनका केवल जीवित प्राणियों से लेना-देना है| ये कहानी आजकल के हालातों पर मेरा नजरिया है जो मैंने महसूस किया, वो मैंने एक हास्य व्यंग्य के रूप में लिखा है| मेरी सभी पाठकों व निर्णायक अधिकारीयों से प्रर्थना है की कृपया इस कहानी को व्यंग्य की तरह लें|

एक्स-फोरमपुर प्रदेश...एक ऐसा देश जहाँ विभिन्न प्रजाति के लोग रहा करते थे| कुछ नेक और अच्छे विचारधारा वाले कवी, लेखक, क्रन्तिकारी जो की एक्स-फोरमपुर को सींचने का काम करते, तो कुछ सामान्य जनता जो ऐसे नेक व्यक्तियों की प्रशंसा करती थी तथा अपने प्रेम से एक्स-फोरमपुर को जीवित रखती थी| इन्ही अच्छे लोगों के बीच कुछ उपद्रवी, छिछोरे, मनचले और हरामखोर लोग भी रहते थे, इन लोगों का काम बस एक्स-फोरमपुर प्रदेश के अच्छे नागरिकों को परेशान करना था|
एक्स-फोरमपुर प्रदेश के इन दोनों गुटों के बीच वैसे तो कोई ख़ास मन-मुटाव नहीं था मगर जब तेल और आग मिलते हैं तो छोटे-मोटे धमाके अवश्य होते रहते थे|इन छोटी-मोटी मुठभेड़ों में घायल तो कोई नहीं होता था, लेकिन इन पचड़ों में अक्सर एक्स-फोरमपुर को चलाने वाले उच्च अधिकारियों को घसीटा जाता था| शहर के नेक और जिम्मेदार नागरिक चाहते थे की हुड़दंग मचा रहे लोगों के खिलाफ कोई कड़क कारवाही की जाए मगर आजतक एक सीधे-साधे नागरिक को न्याय मिला है जो यहाँ मिलता?!



एक्स-फोरमपुर प्रदेश के लगभग सारे उच्च अधिकारी कतई भ्र्ष्ट प्रवत्ति के थे! जो दंगाई लोगों को सजा देने के बजाए जिम्मेदार नागरिकों से कहते थे की तुम क्यों इन दंगाइयों के मुँह लगते हो!

ऐसी ही एक शिकायत कर्ता थी संगीता मौर्या, बेचारी इस एक्स-फोरमपुर प्रदेश में कवितायें पढ़ते हुए आई थी और यहाँ उसने चंद अच्छे दोस्त बना लिए थे| वो जानती थी की इस शहर में कई मनचले हैं इसलिए अपने चंद दोस्तों के अलावा वो किसी अनजान से बात नहीं करती थी| लेकिन ये मनचले कहाँ पीछे रहते हैं, आ गए कुत्तों की तरह बू सूंघते हुए और जबरदस्ती संगीता से बात करने लगे| गंदे इशारे करना, द्विअर्थी बातें करना, जबरदस्ती निजी सन्देश भेज कर इन्होने सगीता को तंग करना शुरू कर दिया| बेचारी अभला नारी उन्हें साधारण भाषा में मना करने लगी की ‘मैं आपसे बात नहीं करना चाहती!’ इसपर इन मनचलों ने उसे ले कर सरे आम मज़ाक करना शुरू कर दिया|



दुखी हो कर संगीता ने इन मनचलों की शिकायत शहर के उच्च-अधिकारियों से की, इस आस में की उसे न्याय मिलेगा| लेकिन उस बेचारी के हाथ तो केवल निराशा लगी! ‘आप इन लोगों को अनदेखा (अर्थात ignore) करो|' उन सभी उच्च-अधिकारियों ने संगीता को यही सलाह दी| उन उच्च-अधिकारियों को ये समझ नहीं आया की एक निर्दोष महिला का बिना उकसाये जबरन मज़ाक उड़ाना bullying है और दोषियों को सजा न देकर उच्च-अधिकारी cyber bullying को बढ़ावा दे रहे हैं|
संगीता की पीड़ा किसी भी उच्च-अधिकारी ने नहीं समझी और समझेंगे भी क्यों, वो सब थे तो आखिर मर्द ही! एक औरत को बिना किसी दोष के जब यूँ बदनामी झेलनी पड़ती है तो उसका दर्द केवल वो औरत ही समझती है| संगीता ने अपने मित्रों से मदद माँगी मगर कोई भी उसकी मदद खुल कर नहीं कर पाया, अगर किसी ने करनी भी चाहि तो उसकी भी कहाँ सुनी गई होगी! गौरमिंट आंटी सही कहती थीं; "ये बहन@द मिलकर हमें पागल बना रहे हैं!"

केवल एक संगीता ही पीड़ित नहीं थी, उसकी तरह कुछ अन्य नागरिक भी थे जो की किसी न किसी तरह की cyber bullying के शिकार थे| अब ये पीड़ित जाते तो उच्च अधिकारियों के पास ही थे और न्याय न मिलने पर आपस में अपनी भड़ास निकाल कर मन हल्का कर लेते थे|


वहीं दूसरी ओर एक्स-फोरमपुर के उच्च-अधिकारी, दिन प्रतिदिन जनता द्वारा खुद पर भ्र्ष्ट होने का लांछन बर्दश्त नहीं कर पा रहे थे इसलिए उन्होंने खुद को पाक़-साफ़ दिखाने के लिए एक रास्ता निकाला:


चुनाव"

एक्स-फोरमपुर प्रदेश को चलाने का काम उच्च-अधिकारियों का था, अब अगर वो अपने ही पद के लिए चुनाव करते तो एक नया जनता का प्रतिनिधि उनकी कुर्सी पर आ बैठता और वे खुद बेरोजगार हो जाते! तो अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्होंने जबरदस्ती अपने नीचे काम करने के लिए व्यवस्थापक और सभापति नाम के जबरदस्ती के पद बनाये| ये पद केवल नाम के थे परन्तु जनता को दिखाने के लिए इन पदों पर बैठने वाले प्रतियाशियों को चुटकी भर ताक़त दे दी थी| जबकि असल में इन पदों पर बैठा व्यक्ति बिना उच्च-अधिकारियों की मर्जी के एक पत्ता तक नहीं हिला सकता था|


कुछ ऐसा ही हाल हमारा अंग्रेजों के राज में भी था, उन्होंने हमें चुनाव लड़ने की छूट तो दे दी थी मगर चुन कर आया व्यक्ति रहता अंग्रेजों के अंगूठे के नीचे!



खैर, चुनाव होने की घोषणा हुई और एक्स-फोरमपुर प्रदेश में उथल-पुथल मच गई! उच्च-अधिकारियों की चाल रंग लाई और बेवकूफ जनता उनकी चाल समझ ही न पाई| जहाँ एक तरफ बेकार बैठे दंगाइयों ने एकजुट हो कर पार्टी बनाई वहीं समाज के नेक और जिम्मेदार लोगों में बने दो गुटों ने मिलकर दो अलग-अलग पार्टियाँ बनाईं| दंगाइयों की पार्टी का नाम था 'टट्टी', जैसा पार्टी का नाम था वैसे ही उस पार्टी को चलाने वाले तथा पार्टी के कार्यकर्ता भी थे|
वहीं समाज के पढ़े लिखे और जिम्मेदार वर्ग में से एक गुट ने एक पार्टी बनाई जिसका नाम था, 'लड़ाकू'| जैसा नाम था उसके उल्ट इन लोगों का आचरण था| ये पढ़े-लिखे तो थे और एक्स-फोरमपुर में एकता लाना चाहते थे मगर इनमें एक जागरूक नेतृत्व करने वाले नायक की कमी थी|

दूसरी तरफ, समाज के बीच बने लेखकों और कवियों ने अपने बीच में से एक ताक़तवर लेखक को चुना था, इस जुझारू नायक का नाम था 'राणा जी' तथा इन्होने जो पार्टी बनाई उसका नाम था 'लोमड़' पार्टी! इस पार्टी का नाम भले ही लोमड़ था मगर इसके सभी सदस्य और कार्यकर्ता गौ समान थे| लड़ना जानते थे मगर पहले हमला करने की मंशा किसी की नहीं थी| इसी पार्टी के दो अहम सदस्य, मानु जी जो की राणा जी के प्रिय शिष्य था और अहमद जो की मानु के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाला जुझारू व् कर्मठ सदस्य था| राणा जी, मानु और अहमद; इन तीनों में इतनी काबिलियत थी की ये तीनों व्यक्ति अकेले सब पर भारी पड़ सकते थे|


राणा जी की सोच एक्स-फोरमपुर प्रदेश को एक नए आयाम पर ले जाने की थी| वो चाहते थे की किसी भी नागरिक के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न हो और सभी नागरिक भाईचारे से रहें|



बहरहाल, ये बात कोई नहीं जानता था की राणा जी को नेता बना कर चुनाव लड़वाने की साजिश उच्च-अधिकारियों की थी, ताकि किसी को भी चुनाव में हो रही धाँधली पर शक न हो| राणा जी जैसे सीधे-साधे आदमी को जबरदस्ती चुनावी मैदान में कुदवाने के लिए उच्च-अधिकारियों ने ही जनता को एक खुले मतदान द्वारा उनका नाम सुझाया था| राणा जी को शहर में सभी जानते और मानते थे इसलिए जब सब ने उनका नाम सुना तो सभी ने मिलकर राणा जी को चने के झाड़ पर चढ़ा दिया तथा इस चुनावी दंगल में कुदवा दिया| राणा जी की नियत साफ़ थी और उनके भीतर लोगों का भला करने का जज़्बा भी हिलोरे मार रहा था इसलिए राणा जी इस चुनावी दंगल में कूद पड़े|उस समय तक राणा जी उच्च-अधिकारयों की इस कूट नीति से वाक़िफ़ नहीं थे!

चुनाव शांतिपूर्वक और ईमानदारी से हो इसलिए उच्च अधिकारियों ने निर्वाचन आयोग का गठन कर दिया, परन्तु इस चुनाव आयोग का मुखिया कतई भ्र्ष्ट इंसान को बनाया गया| शैतान सिंह (अंग्रेजी में Satan इसका एक पर्यायवाची भी है अंग्रेजी में), जैसा नाम वैसे ही काण्ड थे इस आदमी के! एक नंबर का घमंडी, गुरूर में अँधा, इसे अपनी कुर्सी का सबसे ज्यादा लालच था और अपनी कुर्सी सलामत रख सके इसी के लिए इसने ये चुनाव का प्रपंच रचा था| शैतान सिंह की योजना के अनुसार उसने 'टट्टी' पार्टी के अध्यक्ष श्री अज़रीएल लाल को चुनाव जीताने का लालच दे कर अपने साथ मिला लिया| वो बात अलग है की अज़रीएल लाल को सभापति का 'स' का भी नहीं पता था!



चुनाव प्रचार शुरू होने का समय आया तो शैतान सिंह ने चुनाव प्रचार के लिए कुछ नियम कानून बनाये|

१. चुनाव प्रचार के लिए पार्टी केवल सार्वजनिक स्थल का प्रयोग करेगी|

२. जनता के घर में घुस कर चनाव प्रचार करने की सख्त मनाही है|

३. जनता को किसी भी तरह से व्यक्तिगत मैसेज भेज पार्टी से जुड़ने के लिए अथवा वोट माँगने पर मनाही है|

४. किसी भी पार्टी द्वारा की गई इन गलतियों के लिए दोषी पार्टी के नंबर काटे जायेंगे|

इन नियमों को ध्यान में रखते हुए तीनों पार्टियों ने अपनी- अपनी रणनीति बनाई| ‘लोमड़’ पार्टी के अध्यक्ष राणा जी ने मानु और अहमद को साथ बिठा कर ये सीख दी की उन्हें ये चुनाव पूरी ईमानदारी से लड़ना है और यदि दोनों ने कोई चालाकी करने की कोशिश की तो राणा जी बहुत नाराज़ होंगें|

वहीं 'टट्टी' पार्टी, जैसा नाम वैसी नीयत थी इनकी! इन्हें पता था की जीतना इन्होने ही है तो बजाए अपना प्रचार करने के इन्होने दूसरी पार्टी के नंबर कटवाने का काम शुरू कर दिया| इस पार्टी के उप-कप्तान श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई नाम को एक साथ नहीं बोलेगा!) ने अपने सारे घोड़े खोल दिए! जिस प्रकार शिकारी कुत्ता अपना शिकार सूंघ लेता है वैसे ही ये जनाब अपने मैले हाथ-पैर धोकर अपनी प्रतिद्व्न्दी पार्टी के पीछे पड़ गए|



श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई नाम को एक साथ नहीं बोलेगा!) ने सबसे पहले अपना निशाना मानु को बनाया| मानु ने अपने घर के भीतर अपने प्रिय पाठकों को बुलाया था और उन सभी से अपनी पार्टी को ज्वाइन करने के लिए कह रहे थे| श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) ने इस पार्टी में घुस कर एक फोटो खींची तथा पहुँच गए शैतान सिंह के पास शिकायत ले कर!



शैतान सिंह पहले ही राणा जी से भरा बैठा था, उसे राणा जी की प्रसिद्धता देख कर जलन होती थी इसलिए वो इस मौके की तलाश में था की राणा जी या उनकी पार्टी के किसी सदस्य से कोई गलती हो और वो राणा जी के नंबर काट सके| श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की शिकायत ने शैतान सिंह को नंबर काटने का बहुत अच्छा मौका दे दिया था, इसलिए अपने चुनाव आयोग के पद का गलत फायदा उठाते हुए शैतान सिंह ने फौरन राणा जी की पार्टी के नंबर काट लिए| जब ये बात राणा जी को पता लगी तो वो शैतान सिंह से बात करने आ पहुँचे; "अरे भई, आपने किसी दूसरे के घर में प्रचार करने से मना किया है न, अपने घर में यदि हम अपने चाहने वाले पाठकों से वोट माँग रहे हैं तो कौन सा पहाड़ तोड़ दिया हमने?" लेकिन जो इंसान बेईमान हो वो कहाँ किसी की सुनता है| काफी बहसबाजी हुई लेकिन शैतान सिंह ने अपना दबदबा बनाये रखा और अपना फैसला वापस नहीं लिया|

राणा जी ने ये बात अपने साथी यानी मानु और अहमद से साझा की, दोनों को बहुत गुस्सा आया तथा दोनों ने शैतान सिंह से इस बात को ले कर बहस की परन्तु नतीज़ा कुछ नहीं निकला| इस पर मानु ने शैतान सिंह के सामने 'टट्टी' पार्टी की एक रणरनीति पर सवाल खड़ा कर दिया; "माननीय शैतान सिंह जी, आपने घर-घर जा कर हमें प्रचार करने के लिए मना किया है मगर जो 'टट्टी' पार्टी के लोग अपने गले में पार्टी का बैनर लगाए घर-घर जा कर जनता की बेवजह तारीफ कर रहे हैं, क्या ये एक अप्रत्यक्ष चुनाव प्रचार नहीं है?" मानु जी का सवाल जायज था परन्तु शैतान सिंह तो पहले ही बिका हुआ था इसलिए उसने पलट कर मानु जी के सवाल पर ही अपना सवाल खड़ा कर दिया; "तुम ये साबित कर दो की वो लोग चुनाव प्रचार कर रहे हैं, मैं उनके भी नंबर काट दूँगा!" शैतान सिंह के इस टेढ़े जवाब पर मानु जी को बहुत गुस्सा आया मगर उनके हाथ चुनाव के कारण बँधे थे, वरना वो शैतान सिंह को अच्छा सबक सीखा सकते थे|



कुछ दिन बीते और एक्स-फोरमपुर में हो रहे चुनाव के कारण बाहर से कई पर्यटक आने लगे थे, जिससे प्रदेश की कमाई में बढ़ोतरी हो रही थी|इसी बात को ध्यान में रखते हुए शैतान सिंह ने जनता के मनोरंजन के लिए कुछ प्रतियोगिताओं का आयोजन कर दिया| वैसे कहना पड़ेगा इन प्रतियोगिताओं से सभी का अच्छा मनोरंजन हुआ था, साथ ही किस पार्टी का क्या मुद्दा है ये जानने को मिला| ऐसी ही एक प्रतियोगिता थी जिसमें तीनों पार्टयों ने चुनाव में अपने मुद्दों को ले कर बहस करनी थी| इसी बहस में तीनों पार्टियों से एक सवाल पुछा गया था; 'आप ये चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं?' सवाल बड़ा सरल था परन्तु इसका बड़ा ही अतरंगी जवाब 'टट्टी' पार्टी के अध्यक्ष जी श्री अज़रीएल लाल ने दिया; "मैं घर पर खाली बैठा था, सोचा चुनाव लड़ लूँ!" 'टट्टी' पार्टी के अध्यक्ष श्री अज़रीएल लाल के इस जवाब से सभी ने उनकी बहुत खिल्ली उड़ाई| अब बताओ जिसे ये ही नहीं पता की चुनाव एक गंभीर मुद्दा है, ऐसा व्यक्ति चुनाव में खड़ा हो गया था! इसी बहस के दौरान टट्टी पार्टी ने बहुत से वादे किये की वो पर्यटकों के लिए ये करेंगे, वो करेंगे लेकिन होना-वोना कुछ था नहीं इनसे!

बहस आगे बढ़ते-बढ़ते ऐसे मुद्दे पर आई की मानु जी और शैतान सिंह के बीच लड़ाई शुरू हो गई| जहाँ एक तरफ मानु जी चुनाव की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए शैतान सिंह जी को 'सर' कह रहे थे वहीं शैतान सिंह ऊँचे पद पर होते हुए भी घमंड से चूर तू-तड़ाक पर उतर आया था| उसने तो मानु जी को यहाँ तक कह दिया की तुम तो व्यवस्थापक या सभापति बनने के काबिल ही नहीं हो! इस बात पर मानु जी को गुस्सा आया मगर वो अपने गुरु राणा जी के पढ़ाये पाठ; 'कोई कितना भी नीचे गिर जाए, तुम अपनी सभ्यता मत छोड़ना!' से बँधे थे| लेकिन उस दिन मानु जी को एक बात समझ आ गई की इस शैतान सिंह के मन में कितनी कालिक और घमंड भरा हुआ है!



खैर, शैतान सिंह द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं से एक बात साफ़ हो गई थी की उसके द्वारा की जा रही लाख बैमानियाँ करने के बाद भी लोमड़ पार्टी, जिसे की उसने कम आँका था और जिस पार्टी का गठन उसने केवल चुनाव में हो रही धाँधली को छुपाने और चुनाव को जायज दिखाने के लिए किया था, वो पार्टी एक पक्की दावेदार साबित हो रही है! यदि लोमड़ पार्टी जीतती तो राणा जी जनता का विकास और उच्च-अधिकारियों की वाट लगा देते इसलिए शैतान सिंह ने कूट नीति अपनाई| 'किसी को यदि दबा न सको तो अपने साथ मिला लो!' अपनी इसी कुंठित सोच को ले कर शैतान सिंह ने सभी की चोरी राणा जी को एक पत्र लिखा, जिसमें लिखा था की यदि वो अपनी पार्टी का नाम चुनाव से वापस ले लेते हैं तो चुनाव कोई भी जीते, वह राणा जी को व्यवस्थापक का पद अवश्य दे देगा| शैतान सिंह की लिखी ये बात साफ़ दर्शाती थी की वो इस चुनाव को जीतने के लिए कितना गिर चूका है!

राणा जी ने उस पत्र का बड़ा ही विनम्र जवाब देते हुए लिखा; "मैं जीतूँ या हारूँ, लेकिन मैं अपनी टीम से दग़ा नहीं कर सकता| मेरे उसूल और मेरा ज़मीर मुझे इस धोकेबाजी की इजाजत नहीं देते|" राणा जी के दिए इस सीधे से जवाब ने शैतान सिंह के गाल पर एक झन्नाटेदर तमाचा था इसलिए उसने राणा जी की पार्टी को धुल चटाने का बीड़ा उठा लिया|

उधर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) अपनी खुराफात में लगे हुए थे और अब नहा-धोकर लोमड़ पार्टी के पीछे पड़ गए थे| उसने मानु जी और राणा जी के पुराने से पुराने पोस्ट खोदने शुरू कर दिए और शिकायत ले कर शैतान सिंह के पास पहुँच गया|

इधर मानु जी को श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) के इस नीचपने से चिढ होने लगी थी| अब उनके हाथ श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) के खिलाफ कोई सबूत हाथ नहीं लगा इसलिए मानु जी ने एक अलग हतकण्डा ढूँढ निकाला| उन्होंने श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) को उकसाने हेतु अप्रत्यक्ष रूप से उस पर तथा उसकी पार्टी पर मज़ाकिये मीम बनाने शुरू कर दिए| मानु जी के इन मीम्स का मज़ा जनता के साथ-साथ उच्च-अधिकारियों ने भी लिया मगर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) जी को इन मीम्स से चिढ होने लगी| वो एक बार फिर शैतान सिंह के पास मानु जी की नै शिकायत ले कर पहुँच गए; "ये देखिये, मुझे मारने की धमकी दी जा रही है!" श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की शिकायत सुन शैतान सिंह को पहले तो बहुत हँसी आई और फिर अफ़सोस हुआ की जिस पार्टी को अपना पियादा बना कर जिताना चाह रहे हैं उसके सदस्य इस कदर मुरहा है! लेकिन एक तरह से ये ठीक ही था, मुरहा लोगों को ही आप अपनी उँगलियों पर नचा सकते हो|



अब शैतान सिंह ने मीम्स बनाने को ले कर कोई नियम नहीं बनाया था इसलिए उसने मानु जी को चेतावनी दे डाली| "सर, मैंने ये मीम्स केवल मस्ती-मज़ाक के लिए बनाया है| सबसे बड़ी बात ये की मैंने ये मीम्स केवल अपनी पार्टी के सदस्यों से साझा किया है तो मुझे नहीं लगता की मैं आपके बनाये किसी भी नियम का उलंघन कर रहा हूँ!" मानु जी ने अपनी सभ्यता दिखाते हुए जवाब दिया मगर शैतान सिंह को ‘टट्टी’ पार्टी को भी खुश रखना था वरना अगर उसकी बनाई ये पार्टी उसी के खिलाफ बग़ावत कर देती नतीजन शैतान सिंह की सारी योजना ठप्प हो जाती इसलिए उसने मानु के बनाये मीम्स को डिलीट कर अंतिम चेतावनी दे डाली|

इधर मानु के मीम्स डिलीट हुए और उधर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) ने अपनी पार्टी के भीतर मानु को ले कर सीधे तौर पर मीम बना डाला| इस समय तक मानु के बर्दाश्त करने की सारी हदें टूट चुकी थी इसलिए वो भी अपनी शिकायत लेकर शैतान सिंह के पास पहुँच गए तथा उनके दिए हुए तर्क को ही हथियार बना कर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की शिकायत कर दी|

जनता देख रही थी इसलिए दबाव में आ कर शैतान सिंह ने श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की मीम्स वाली पोस्ट डिलीट कर दी| अपनी पोस्ट डिलीट कर दिए जाने से श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) तिलमिला गया और अपने रोना-धोना शुरू कर दिया, लेकिन मेंढकी के आँसुंओं से बारिश थोड़े ही होती है|



बहरहाल, लोमड़ पार्टी अब थोड़ा सँभल गई थी और अपना ध्यान केवल और केवल चुनाव के लिए जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने में व्यस्त थी| वहीं ‘टट्टी’ पार्टी ने अब अपना रुख दूसरी पार्टी यानी के 'लड़ाकू' पार्टी की ओर किया| श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) जी ने फिर अपने घोड़े खोल दिए और लग गए 'लड़ाकू' पार्टी के पुराने पोस्ट खँगालने| इनके दिमाग में पता नहीं कौन सा कीड़ा था की वो कोई न कोई गलती सूँघ ही लेता था|

फिर वही शैतान सिंह जी के पास शिकायत ले कर जाना और 'लड़ाकू' पार्टी के नंबर कटवाने का खेल शुरू हुआ| लेकिन 'लड़ाकू' पार्टी वाले भी कम नहीं थे उन्होंने भी 'टट्टी' पार्टी को लेकर अपनी शिकायत रख दी, अब तवा चढ़ा ही था तो ‘लोमड़’ पार्टी ने अपनी रोटी सेंक ली| उसने भी 'लड़ाकू' पार्टी का इन शिकायतों में समर्थन किया जिससे शैतान सिंह पर दबाव बढ़ा और उसने आखिर अपनी बनाई 'टट्टी' पार्टी के भी कुछ नंबर काट दिए| 'टट्टी' पार्टी के नंबर काटना जनता को बेवकूफ बनाने के लिए बस एक छलावा भर था| जनता भले ही इस छलावे को न समझती हो मगर 'लड़ाकू' पार्टी भी शैतान सिंह के 'टट्टी' पार्टी के साथ किये जा रहे पक्षपात को अच्छे से देख रही थी| इधर 'लोमड़' पार्टी ने भी शैतान सिंह के पक्षपात होने के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया था|
अब केवल एक इंसान किसी को चोर कहे तो हो सकता है की वो इंसान नासमझ हो, लेकिन जब सब एक साथ मिलकर किसी को चोर कहते हैं तो सारे लोग तो नासमझ नहीं हो सकते न?! यही हुआ शैतान सिंह के साथ भी, 'लोमड़' पार्टी और 'लड़ाकू' पार्टी ने जब एक साथ मिल कर शैतान सिंह पर तोहमद लगाई तो सभी का मुँह बंद करने के लिए शैतान सिंह ने अपने नाम के आगे एक शब्द जोड़ दिया;


"पक्षपाती"!

अब शैतान सिंह, 'पक्षपाती शैतान सिंह' के नाम से प्रसिद्ध हो चूका था| शैतान सिंह ने अपने नाम के आगे 'पक्षपाती' शब्द केवल और केवल दोनों पार्टी (लोमड़ और लड़ाकू) पर व्यंग करने क लिए लगाया था| लेकिन उसकी ये चाल उसी पर भारी पड़ी क्योंकि 'लोमड़' और 'लड़ाकू' पार्टी ने इस एक शब्द को ले कर शैतानी सिंह की अच्छी खिंचाई कर दी!



खैर, ये चुनावी दंगल अब अपने अंतिम पड़ाव पर था और वोट डालना आरम्भ होने वाला था| चुनाव प्रचार का अंतिम दिन समाप्त हुआ और 'लड़ाकू' तथा 'लोमड़' पार्टी के खेमे में शान्ति छा गई| 'लड़ाकू' पार्टी आशावादी पार्टी थी और उन्हें उम्मीद थी की जनता उनके साथ न्याय ही करेगी तथा वोट दे कर उन्हें चुनाव में जिताएगी| वहीं दूसरी ओर 'लोमड़' पार्टी, शैतान सिंह...माफ़ कीजियेगा...पक्षपाती शैतान सिंह की चाल समझ चुकी थी| चुनाव तो 'टट्टी' पार्टी ने ही जीतना था इसलिए लोमड़ पार्टी का इरादा केवल ये सिद्ध करना था की इतने पक्षपात होने के बाद भी हमने हार नहीं मानी और पूरी ईमानदारी से चुनाव लड़ा|



आखिर वोट डालने का दिन आ गया और बहुत अच्छी वोटिंग हुई, लेकिन अपनी चलाकी दिखाते हुए पक्षपाती शैतान सिंह ने वोटर लिस्ट, अर्थात किस वोटर ने वोट डाला ये बात पूरी जनता से छुपा ली| उसकी जगह शैतान सिंह ने चुनाव के परिणाम क्रिकेट मैच की तरह हर घंटे लाइव दिखाने शुरू कर दिए| शैतान सिंह की ये चाल बहुत ही कारगर साबित हुई क्योंकि जनता चुनाव के नतीजे को लाइव देखने को बहुत उत्सुक थी| किसी ने ये सोचा ही नहीं की किसका वोट किसे जा रहा है, या फिर जा भी रहा है या नहीं?!



दो दिन तक वोटिंग जारी रही और किसी को कोई शक न हो इसके लिए 'लड़ाकू' पार्टी और 'टट्टी पार्टी' के बीच पक्षपाती शैतान सिंह द्वारा वोटों की हेरा-फेरी कुछ इस ढंग से की गई की किसी को ये शक न हो की चुनाव 'टट्टी' पार्टी ही जीतेगी| हर घंटे चुनाव के नतीजे ऐसे दिखाए जाते जिससे सभी को लगता की 'लड़ाकू' पार्टी और 'टट्टी' पार्टी के बीच कड़ी टक्कर है| वहीं राणा जी और 'लोमड़' पार्टी से अपनी दुश्मनी निकालते हुए, पक्षपाती शैतान सिंह ने चुनाव के नतीजों में लोमड़ पार्टी मैं अलग-थलग कर दिया था!

ऐसा नहीं था की लोमड़ पार्टी को किसी ने वोट नहीं दिया था, ये तो पक्षपाती शैतान सिंह की चाल थी| उसने लोमड़ पार्टी के पक्ष में पड़े वोटों को प्रॉक्सी या फ़र्ज़ी बता कर उन वोटों को कैंसिल कर दिया था! राणा जी, पक्षपाती शैतान सिंह की इस चाल को जानते थे इसलिए उन्होंने चुनाव खत्म होने की प्रतीक्षा की|



दो दिन बाद चुनाव खत्म हुए और जैसा की शुरू से तय था, जीत का सेहरा बँधा 'टट्टी' पार्टी के सर| बड़े ताज़्ज़ुब की बात है, जिस आदमी ने चुनाव केवल अपनी बोरियत मिटाने के लिए लड़ा था, जिसकी पार्टी में श्री श्री लावे डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) जैसे नीच सोच रखने वाले लोग थे, जिस पार्टी में केवल bully और दंगाई भरे हुए थे...वो पार्टी चुनाव जीत गई!

दूसरी ओर 'लड़ाकू' पार्टी और लोमड़ 'पार्टी', जो पढ़े लिखे लोगो की पार्टी थी, जो इस चुनाव में एक अजेंडे के लिए लड़ रहे थे, जिनमें इस एक्स-फोरमपुर प्रदेश में बदलाव लाने का ज़ज़्बा था वो हार गए थे!



राणा जी और लड़ाकू पार्टी के अध्यक्ष ने एक अच्छे प्रतिद्व्न्दी होने के नाते श्री अज़रीएल लाल को बधाई दी जिसके साथ ये चुनाव खत्म हुआ|

अब चुनाव आधिकारिक रूप से खत्म हो गया था तो राणा जी ने पक्षपाती शैतान सिंह से वोट डालने वालों की सूची माँगी तथा जिन वोटों को शैतान सिंह ने प्रॉक्सी या फ़र्ज़ी घोषित किया था उसकी भी लिस्ट माँगी ताकि राणा जी आंकलन कर सकें की उनसे चुनाव लड़ने में कहाँ चूक हुई, लेकिन अगर ऐसी कोई लिस्ट हो तब तो दी जाए न! पक्षपाती शैतान सिंह ने राणा जी को ये कह कर हकाल दिया की ये प्रशासनिक जानकारी है, इसे किसी से साझा नहीं किया जा सकता! राणा साहब, चेहरे पर विजई मुस्कान लिए पक्षपाती शैतान सिंह को देखने लगे| राणा जी की ये विजय मुस्कान इस बात की सूचक थी की वो पक्षपति शैतान सिंह की साड़ी हेरा-फेरी जान चुके हैं| वहीं, पक्षपाती शैतान सिंह, राणा जी की ये विजई मुस्कान देख मन ही मन बहुत शर्मसार हुआ की उसकी बनाई इतनी गोपनीय योजना आखिर राणा जी जैसे सीधे-साधे आदमी के समझ कैसे आ गई और उसकी ये घिनौनी योजना जानते-बूझते भी आखिर क्यों राणा जी ने कुछ नहीं कहा?!



चुनावी मेला खत्म हो चूका था और 'टट्टी' पार्टी के सदस्यों को व्यवस्थापक तथा सभापति का पद दे दिया गया| लेकिन आजतक इस गुंडों से भरी पार्टी ने एक्स-फोरमपुर प्रदेश की जनता के साथ कोई न्याय नहीं किया| जो दंगाई ये लोग पहले करते थे, वही दंगाई अब चुनाव के बाद भी करते हैं|




इसीलिए बड़े-बुजुर्गों ने कहा है; घोड़ों को नहीं मिल रही घांस और गधे खा रहे च्यवनप्राश!



कहानी समाप्त
Awesome story sangeeta ji
 

Rajizexy

punjabi doc
Supreme
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Rita Ki Adhuri Life
Ye Story meri life se related hai Pati ka original naam use nahi kar sakti Privacy ki waja se please muhje aapki support chahiye isma chalo start karte hain.

Rita aur Rahul dono first cousin the aur college ma sath padte the ek dosre ka ghar ana jana laga rehta tha college ka kam sath ma karte the aur sath ma college ate jate the kab unki dosti pyar ma badal gai pata hi nahi chala uske baad ek dosre k itne close howe first time dono ne sex ka maza ek sath liya yaani ek dosre ki Virginity thodne ka time dono ne khud hi dekha ab fir luckily dono ne apne parents ko razi kiya aur shadi karli dono k parents achche paise wale the aur dono Dubai ma reh chuke the Rita hamesha se apni family k sath rahi isliye uska kabhi bhi akelapan feel nahi kiya.

Rita ki graduation complete nahi howi unfortunately kyuk shadi jaldi ho gai but Rahul ne master kiya shadi k baad aur shadi k ek saal baad hi Rahul ko Dubai ma ek achchi Job mili aur woh Rita Rahul k parents k sath Mumbai ma rehne laagi sath ma uske parents bhi the isliye uska time guzar raha tha but Bhagwan ko kuch aur hi manzoor tha aur Rita k Parents ki death ho gai Rita iss dunya ma ek akeli reh gai kyuk uske koi bhai behan nahi the aur fir Rita ko Rahul k parents ka pyar mila but Rita ki life ma shayed kuch aur hi lekha tha aur unki bhi car accident ma death ho gai aur Rita ek dafa fir akeli ho gai .

Rahul jab parents ko Alvidaa karne aya aur fir se job pe jane laaga tuo Rita ne Rahul ko bola muhje bhi sath le jao ab ma yaha akele kese rahongi but Rahul bola abhi meri job set nahi howi wait karlo try karo honey akele rehne ki baas thode time ki baat hai Ab Rita ki life ma akelapan tuo tha hi aur Pati k naa hone se ab koi aisa bhi nahi tha jiske sath uska time pass tuo ho kuch time k baad jo badi kami Rita ki life ane lagi jo shadishuda Aurat ki sabse badi zarorat hai woh hai sex kehte hain jab aap ek dafa sex ka maza le lete ho tuo fir maan aur bhi machalta hai aur karne ko uske baad Rita ki life ki sabse badi yahi kami rahi uska reaction yahi howa Rita porn movies, adults stories dekhne lagi aur social media pe logo se baat hone lagi aur jab aap baat hoti hai stranger se tuo dosti pe hoti aur fir yahi howa Rita ki dosti howi 2 3 ladkon se jo usko nahi pata tha uske neighbor ma hi rehte the aur usko khubsurati k ashiq the jiska Rita ko nahi pata tha As usual jo hota hai baat karne k baad sharing hoti hai baten photos ab kyuk Rita ki life ma badi kami thi sex tuo Rita yahi soch k apni nude Pics bhi share kar di.

Ab hamari society ma jo mostly hota hai ek akeli aurat k sath wahi howa usko us nude pics pe blackmailed karna shuru howa ab akeli aurat apni izzat bachne k liye unki demands ko pura karne lagi kabhi paise kabhi new mobile aur zabardasti milna lastly jab Rita ki bardasht ki limit khatam howi tuo Rita ne apne Pati ko sab pata hi diya kya karti kab taak tension leti ab Rahul ko ana pada wapas apni biwi k pass aur police case bana aur lastly ek badi amount dekh k jaan chuti aur Rita ko le k Dubai agaya.

Rita ki life ma ek bar fir se kuch khushiyan ayi aur usko dobara mila sex ka maza but unfortunately woh bhi kuch din k liya tha shayed kyuk ek raat Rita ka hubby usko bola honey muhje business karne ka chance mila hai UK ma apne friend k sath aur muhje jana hoga Rita ne bola but Rahul ma akeli kese rahongi ab muhjse nahi raha jata fir ek kam karte hain muhje pregnant kar do fir
Rahul abhi nahi darling muhje kuch karne do tumhare liye apne liye aur bacho k liye future achcha ho aur ek khubsurat luxury life ho isliye tuo ma itni hard work kar raha hon aur ek bar fir woh Rita ko chhod k chala Rita ko sex ki aag ma jala k ab saal ma ek dafa ata hai aur Rita ki usi Adhuri life ma Jee rahi hai .


Rita isi jaali howi life ma Jee rahi thi fir ek din uske hubby ka phone aya uska business partner apna ek office open kar raha hai Dubai ma aur ham ne socha hai tum kab tak akeli rahongi tuo kyu naa tum us chote se office ka look after karo Rita ko bhi ye acha laga tuo usne Yes bol diya aur kuch dino baad office open howa aur Rita uska care karne lagi aur business achcha hota gaya aur fir business k kuch bade cleint ki mulaqat Rita se howi aur woh Rita k jism k diwane howe aur Rita jo phele hi apni jism ki aag ma Jaal rahi uske close hoti gai aur unho ne Rita k jism ko pane k liye apni dolat aur Jhote pyar ko use kiya kabhi Rita ko shopping, parties, Gold aur luxury items dete rehte the aur Rita k achche dost ban gaye aur finally unho ne Rita k sath bed share kiya kyuk unka pata chal gaya ek Pyasi aurat k life ma yahi kami hai apna kam poora karne k baad unho ne bhi Rita ko apne haal pe chhod diya aur aaj bhi Rita apni Adhuri life ma Jee rahi hai pata nahi kab uski life ka ye adhura Pan khatam hoga ....
...
Sooo nice.Looks real.Contains all ingredients.👌👌👌
:applause:
 

harshit1890

" End Is Near "
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No words..:bow:
Thanks :hug:
" Everything Is Binary " by harshit1890

I am so glad that I had a chance to read something so enthralling.

This felt like one of those short movies from Hollywood, I loved how the technicalities were included but didn't seemed boring even for a bit. I was really impressed how easy it was to get into the vibe and imagine everything was happening around me, the rush, the need, the helplessness was contagious.

At some points I felt one more read by the Writer could have sorted some minor issues but that can easily be ignored when a plot like this is executed so nicely.

Your story definitely deserve a second read, and I thoroughly enjoyed it. Congratulations on your fantastic creation :shakehands:
Thank you so much bhai :hug: Finding technicalities easy, i like this :D , Thanks once again for reading... :dost:
 

Jaguaar

Prime
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घोड़ों को नहीं मिल रही घांस और गधे खा रहे च्यवनप्राश


इस कहानी में लिखे गए पात्र 'वास्तविक' हैं और इनका केवल जीवित प्राणियों से लेना-देना है| ये कहानी आजकल के हालातों पर मेरा नजरिया है जो मैंने महसूस किया, वो मैंने एक हास्य व्यंग्य के रूप में लिखा है| मेरी सभी पाठकों व निर्णायक अधिकारीयों से प्रर्थना है की कृपया इस कहानी को व्यंग्य की तरह लें|

एक्स-फोरमपुर प्रदेश...एक ऐसा देश जहाँ विभिन्न प्रजाति के लोग रहा करते थे| कुछ नेक और अच्छे विचारधारा वाले कवी, लेखक, क्रन्तिकारी जो की एक्स-फोरमपुर को सींचने का काम करते, तो कुछ सामान्य जनता जो ऐसे नेक व्यक्तियों की प्रशंसा करती थी तथा अपने प्रेम से एक्स-फोरमपुर को जीवित रखती थी| इन्ही अच्छे लोगों के बीच कुछ उपद्रवी, छिछोरे, मनचले और हरामखोर लोग भी रहते थे, इन लोगों का काम बस एक्स-फोरमपुर प्रदेश के अच्छे नागरिकों को परेशान करना था|
एक्स-फोरमपुर प्रदेश के इन दोनों गुटों के बीच वैसे तो कोई ख़ास मन-मुटाव नहीं था मगर जब तेल और आग मिलते हैं तो छोटे-मोटे धमाके अवश्य होते रहते थे|इन छोटी-मोटी मुठभेड़ों में घायल तो कोई नहीं होता था, लेकिन इन पचड़ों में अक्सर एक्स-फोरमपुर को चलाने वाले उच्च अधिकारियों को घसीटा जाता था| शहर के नेक और जिम्मेदार नागरिक चाहते थे की हुड़दंग मचा रहे लोगों के खिलाफ कोई कड़क कारवाही की जाए मगर आजतक एक सीधे-साधे नागरिक को न्याय मिला है जो यहाँ मिलता?!



एक्स-फोरमपुर प्रदेश के लगभग सारे उच्च अधिकारी कतई भ्र्ष्ट प्रवत्ति के थे! जो दंगाई लोगों को सजा देने के बजाए जिम्मेदार नागरिकों से कहते थे की तुम क्यों इन दंगाइयों के मुँह लगते हो!

ऐसी ही एक शिकायत कर्ता थी संगीता मौर्या, बेचारी इस एक्स-फोरमपुर प्रदेश में कवितायें पढ़ते हुए आई थी और यहाँ उसने चंद अच्छे दोस्त बना लिए थे| वो जानती थी की इस शहर में कई मनचले हैं इसलिए अपने चंद दोस्तों के अलावा वो किसी अनजान से बात नहीं करती थी| लेकिन ये मनचले कहाँ पीछे रहते हैं, आ गए कुत्तों की तरह बू सूंघते हुए और जबरदस्ती संगीता से बात करने लगे| गंदे इशारे करना, द्विअर्थी बातें करना, जबरदस्ती निजी सन्देश भेज कर इन्होने सगीता को तंग करना शुरू कर दिया| बेचारी अभला नारी उन्हें साधारण भाषा में मना करने लगी की ‘मैं आपसे बात नहीं करना चाहती!’ इसपर इन मनचलों ने उसे ले कर सरे आम मज़ाक करना शुरू कर दिया|



दुखी हो कर संगीता ने इन मनचलों की शिकायत शहर के उच्च-अधिकारियों से की, इस आस में की उसे न्याय मिलेगा| लेकिन उस बेचारी के हाथ तो केवल निराशा लगी! ‘आप इन लोगों को अनदेखा (अर्थात ignore) करो|' उन सभी उच्च-अधिकारियों ने संगीता को यही सलाह दी| उन उच्च-अधिकारियों को ये समझ नहीं आया की एक निर्दोष महिला का बिना उकसाये जबरन मज़ाक उड़ाना bullying है और दोषियों को सजा न देकर उच्च-अधिकारी cyber bullying को बढ़ावा दे रहे हैं|
संगीता की पीड़ा किसी भी उच्च-अधिकारी ने नहीं समझी और समझेंगे भी क्यों, वो सब थे तो आखिर मर्द ही! एक औरत को बिना किसी दोष के जब यूँ बदनामी झेलनी पड़ती है तो उसका दर्द केवल वो औरत ही समझती है| संगीता ने अपने मित्रों से मदद माँगी मगर कोई भी उसकी मदद खुल कर नहीं कर पाया, अगर किसी ने करनी भी चाहि तो उसकी भी कहाँ सुनी गई होगी! गौरमिंट आंटी सही कहती थीं; "ये बहन@द मिलकर हमें पागल बना रहे हैं!"

केवल एक संगीता ही पीड़ित नहीं थी, उसकी तरह कुछ अन्य नागरिक भी थे जो की किसी न किसी तरह की cyber bullying के शिकार थे| अब ये पीड़ित जाते तो उच्च अधिकारियों के पास ही थे और न्याय न मिलने पर आपस में अपनी भड़ास निकाल कर मन हल्का कर लेते थे|


वहीं दूसरी ओर एक्स-फोरमपुर के उच्च-अधिकारी, दिन प्रतिदिन जनता द्वारा खुद पर भ्र्ष्ट होने का लांछन बर्दश्त नहीं कर पा रहे थे इसलिए उन्होंने खुद को पाक़-साफ़ दिखाने के लिए एक रास्ता निकाला:


चुनाव"

एक्स-फोरमपुर प्रदेश को चलाने का काम उच्च-अधिकारियों का था, अब अगर वो अपने ही पद के लिए चुनाव करते तो एक नया जनता का प्रतिनिधि उनकी कुर्सी पर आ बैठता और वे खुद बेरोजगार हो जाते! तो अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्होंने जबरदस्ती अपने नीचे काम करने के लिए व्यवस्थापक और सभापति नाम के जबरदस्ती के पद बनाये| ये पद केवल नाम के थे परन्तु जनता को दिखाने के लिए इन पदों पर बैठने वाले प्रतियाशियों को चुटकी भर ताक़त दे दी थी| जबकि असल में इन पदों पर बैठा व्यक्ति बिना उच्च-अधिकारियों की मर्जी के एक पत्ता तक नहीं हिला सकता था|


कुछ ऐसा ही हाल हमारा अंग्रेजों के राज में भी था, उन्होंने हमें चुनाव लड़ने की छूट तो दे दी थी मगर चुन कर आया व्यक्ति रहता अंग्रेजों के अंगूठे के नीचे!



खैर, चुनाव होने की घोषणा हुई और एक्स-फोरमपुर प्रदेश में उथल-पुथल मच गई! उच्च-अधिकारियों की चाल रंग लाई और बेवकूफ जनता उनकी चाल समझ ही न पाई| जहाँ एक तरफ बेकार बैठे दंगाइयों ने एकजुट हो कर पार्टी बनाई वहीं समाज के नेक और जिम्मेदार लोगों में बने दो गुटों ने मिलकर दो अलग-अलग पार्टियाँ बनाईं| दंगाइयों की पार्टी का नाम था 'टट्टी', जैसा पार्टी का नाम था वैसे ही उस पार्टी को चलाने वाले तथा पार्टी के कार्यकर्ता भी थे|
वहीं समाज के पढ़े लिखे और जिम्मेदार वर्ग में से एक गुट ने एक पार्टी बनाई जिसका नाम था, 'लड़ाकू'| जैसा नाम था उसके उल्ट इन लोगों का आचरण था| ये पढ़े-लिखे तो थे और एक्स-फोरमपुर में एकता लाना चाहते थे मगर इनमें एक जागरूक नेतृत्व करने वाले नायक की कमी थी|

दूसरी तरफ, समाज के बीच बने लेखकों और कवियों ने अपने बीच में से एक ताक़तवर लेखक को चुना था, इस जुझारू नायक का नाम था 'राणा जी' तथा इन्होने जो पार्टी बनाई उसका नाम था 'लोमड़' पार्टी! इस पार्टी का नाम भले ही लोमड़ था मगर इसके सभी सदस्य और कार्यकर्ता गौ समान थे| लड़ना जानते थे मगर पहले हमला करने की मंशा किसी की नहीं थी| इसी पार्टी के दो अहम सदस्य, मानु जी जो की राणा जी के प्रिय शिष्य था और अहमद जो की मानु के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाला जुझारू व् कर्मठ सदस्य था| राणा जी, मानु और अहमद; इन तीनों में इतनी काबिलियत थी की ये तीनों व्यक्ति अकेले सब पर भारी पड़ सकते थे|


राणा जी की सोच एक्स-फोरमपुर प्रदेश को एक नए आयाम पर ले जाने की थी| वो चाहते थे की किसी भी नागरिक के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न हो और सभी नागरिक भाईचारे से रहें|



बहरहाल, ये बात कोई नहीं जानता था की राणा जी को नेता बना कर चुनाव लड़वाने की साजिश उच्च-अधिकारियों की थी, ताकि किसी को भी चुनाव में हो रही धाँधली पर शक न हो| राणा जी जैसे सीधे-साधे आदमी को जबरदस्ती चुनावी मैदान में कुदवाने के लिए उच्च-अधिकारियों ने ही जनता को एक खुले मतदान द्वारा उनका नाम सुझाया था| राणा जी को शहर में सभी जानते और मानते थे इसलिए जब सब ने उनका नाम सुना तो सभी ने मिलकर राणा जी को चने के झाड़ पर चढ़ा दिया तथा इस चुनावी दंगल में कुदवा दिया| राणा जी की नियत साफ़ थी और उनके भीतर लोगों का भला करने का जज़्बा भी हिलोरे मार रहा था इसलिए राणा जी इस चुनावी दंगल में कूद पड़े|उस समय तक राणा जी उच्च-अधिकारयों की इस कूट नीति से वाक़िफ़ नहीं थे!

चुनाव शांतिपूर्वक और ईमानदारी से हो इसलिए उच्च अधिकारियों ने निर्वाचन आयोग का गठन कर दिया, परन्तु इस चुनाव आयोग का मुखिया कतई भ्र्ष्ट इंसान को बनाया गया| शैतान सिंह (अंग्रेजी में Satan इसका एक पर्यायवाची भी है अंग्रेजी में), जैसा नाम वैसे ही काण्ड थे इस आदमी के! एक नंबर का घमंडी, गुरूर में अँधा, इसे अपनी कुर्सी का सबसे ज्यादा लालच था और अपनी कुर्सी सलामत रख सके इसी के लिए इसने ये चुनाव का प्रपंच रचा था| शैतान सिंह की योजना के अनुसार उसने 'टट्टी' पार्टी के अध्यक्ष श्री अज़रीएल लाल को चुनाव जीताने का लालच दे कर अपने साथ मिला लिया| वो बात अलग है की अज़रीएल लाल को सभापति का 'स' का भी नहीं पता था!



चुनाव प्रचार शुरू होने का समय आया तो शैतान सिंह ने चुनाव प्रचार के लिए कुछ नियम कानून बनाये|

१. चुनाव प्रचार के लिए पार्टी केवल सार्वजनिक स्थल का प्रयोग करेगी|

२. जनता के घर में घुस कर चनाव प्रचार करने की सख्त मनाही है|

३. जनता को किसी भी तरह से व्यक्तिगत मैसेज भेज पार्टी से जुड़ने के लिए अथवा वोट माँगने पर मनाही है|

४. किसी भी पार्टी द्वारा की गई इन गलतियों के लिए दोषी पार्टी के नंबर काटे जायेंगे|

इन नियमों को ध्यान में रखते हुए तीनों पार्टियों ने अपनी- अपनी रणनीति बनाई| ‘लोमड़’ पार्टी के अध्यक्ष राणा जी ने मानु और अहमद को साथ बिठा कर ये सीख दी की उन्हें ये चुनाव पूरी ईमानदारी से लड़ना है और यदि दोनों ने कोई चालाकी करने की कोशिश की तो राणा जी बहुत नाराज़ होंगें|

वहीं 'टट्टी' पार्टी, जैसा नाम वैसी नीयत थी इनकी! इन्हें पता था की जीतना इन्होने ही है तो बजाए अपना प्रचार करने के इन्होने दूसरी पार्टी के नंबर कटवाने का काम शुरू कर दिया| इस पार्टी के उप-कप्तान श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई नाम को एक साथ नहीं बोलेगा!) ने अपने सारे घोड़े खोल दिए! जिस प्रकार शिकारी कुत्ता अपना शिकार सूंघ लेता है वैसे ही ये जनाब अपने मैले हाथ-पैर धोकर अपनी प्रतिद्व्न्दी पार्टी के पीछे पड़ गए|



श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई नाम को एक साथ नहीं बोलेगा!) ने सबसे पहले अपना निशाना मानु को बनाया| मानु ने अपने घर के भीतर अपने प्रिय पाठकों को बुलाया था और उन सभी से अपनी पार्टी को ज्वाइन करने के लिए कह रहे थे| श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) ने इस पार्टी में घुस कर एक फोटो खींची तथा पहुँच गए शैतान सिंह के पास शिकायत ले कर!



शैतान सिंह पहले ही राणा जी से भरा बैठा था, उसे राणा जी की प्रसिद्धता देख कर जलन होती थी इसलिए वो इस मौके की तलाश में था की राणा जी या उनकी पार्टी के किसी सदस्य से कोई गलती हो और वो राणा जी के नंबर काट सके| श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की शिकायत ने शैतान सिंह को नंबर काटने का बहुत अच्छा मौका दे दिया था, इसलिए अपने चुनाव आयोग के पद का गलत फायदा उठाते हुए शैतान सिंह ने फौरन राणा जी की पार्टी के नंबर काट लिए| जब ये बात राणा जी को पता लगी तो वो शैतान सिंह से बात करने आ पहुँचे; "अरे भई, आपने किसी दूसरे के घर में प्रचार करने से मना किया है न, अपने घर में यदि हम अपने चाहने वाले पाठकों से वोट माँग रहे हैं तो कौन सा पहाड़ तोड़ दिया हमने?" लेकिन जो इंसान बेईमान हो वो कहाँ किसी की सुनता है| काफी बहसबाजी हुई लेकिन शैतान सिंह ने अपना दबदबा बनाये रखा और अपना फैसला वापस नहीं लिया|

राणा जी ने ये बात अपने साथी यानी मानु और अहमद से साझा की, दोनों को बहुत गुस्सा आया तथा दोनों ने शैतान सिंह से इस बात को ले कर बहस की परन्तु नतीज़ा कुछ नहीं निकला| इस पर मानु ने शैतान सिंह के सामने 'टट्टी' पार्टी की एक रणरनीति पर सवाल खड़ा कर दिया; "माननीय शैतान सिंह जी, आपने घर-घर जा कर हमें प्रचार करने के लिए मना किया है मगर जो 'टट्टी' पार्टी के लोग अपने गले में पार्टी का बैनर लगाए घर-घर जा कर जनता की बेवजह तारीफ कर रहे हैं, क्या ये एक अप्रत्यक्ष चुनाव प्रचार नहीं है?" मानु जी का सवाल जायज था परन्तु शैतान सिंह तो पहले ही बिका हुआ था इसलिए उसने पलट कर मानु जी के सवाल पर ही अपना सवाल खड़ा कर दिया; "तुम ये साबित कर दो की वो लोग चुनाव प्रचार कर रहे हैं, मैं उनके भी नंबर काट दूँगा!" शैतान सिंह के इस टेढ़े जवाब पर मानु जी को बहुत गुस्सा आया मगर उनके हाथ चुनाव के कारण बँधे थे, वरना वो शैतान सिंह को अच्छा सबक सीखा सकते थे|



कुछ दिन बीते और एक्स-फोरमपुर में हो रहे चुनाव के कारण बाहर से कई पर्यटक आने लगे थे, जिससे प्रदेश की कमाई में बढ़ोतरी हो रही थी|इसी बात को ध्यान में रखते हुए शैतान सिंह ने जनता के मनोरंजन के लिए कुछ प्रतियोगिताओं का आयोजन कर दिया| वैसे कहना पड़ेगा इन प्रतियोगिताओं से सभी का अच्छा मनोरंजन हुआ था, साथ ही किस पार्टी का क्या मुद्दा है ये जानने को मिला| ऐसी ही एक प्रतियोगिता थी जिसमें तीनों पार्टयों ने चुनाव में अपने मुद्दों को ले कर बहस करनी थी| इसी बहस में तीनों पार्टियों से एक सवाल पुछा गया था; 'आप ये चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं?' सवाल बड़ा सरल था परन्तु इसका बड़ा ही अतरंगी जवाब 'टट्टी' पार्टी के अध्यक्ष जी श्री अज़रीएल लाल ने दिया; "मैं घर पर खाली बैठा था, सोचा चुनाव लड़ लूँ!" 'टट्टी' पार्टी के अध्यक्ष श्री अज़रीएल लाल के इस जवाब से सभी ने उनकी बहुत खिल्ली उड़ाई| अब बताओ जिसे ये ही नहीं पता की चुनाव एक गंभीर मुद्दा है, ऐसा व्यक्ति चुनाव में खड़ा हो गया था! इसी बहस के दौरान टट्टी पार्टी ने बहुत से वादे किये की वो पर्यटकों के लिए ये करेंगे, वो करेंगे लेकिन होना-वोना कुछ था नहीं इनसे!

बहस आगे बढ़ते-बढ़ते ऐसे मुद्दे पर आई की मानु जी और शैतान सिंह के बीच लड़ाई शुरू हो गई| जहाँ एक तरफ मानु जी चुनाव की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए शैतान सिंह जी को 'सर' कह रहे थे वहीं शैतान सिंह ऊँचे पद पर होते हुए भी घमंड से चूर तू-तड़ाक पर उतर आया था| उसने तो मानु जी को यहाँ तक कह दिया की तुम तो व्यवस्थापक या सभापति बनने के काबिल ही नहीं हो! इस बात पर मानु जी को गुस्सा आया मगर वो अपने गुरु राणा जी के पढ़ाये पाठ; 'कोई कितना भी नीचे गिर जाए, तुम अपनी सभ्यता मत छोड़ना!' से बँधे थे| लेकिन उस दिन मानु जी को एक बात समझ आ गई की इस शैतान सिंह के मन में कितनी कालिक और घमंड भरा हुआ है!



खैर, शैतान सिंह द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं से एक बात साफ़ हो गई थी की उसके द्वारा की जा रही लाख बैमानियाँ करने के बाद भी लोमड़ पार्टी, जिसे की उसने कम आँका था और जिस पार्टी का गठन उसने केवल चुनाव में हो रही धाँधली को छुपाने और चुनाव को जायज दिखाने के लिए किया था, वो पार्टी एक पक्की दावेदार साबित हो रही है! यदि लोमड़ पार्टी जीतती तो राणा जी जनता का विकास और उच्च-अधिकारियों की वाट लगा देते इसलिए शैतान सिंह ने कूट नीति अपनाई| 'किसी को यदि दबा न सको तो अपने साथ मिला लो!' अपनी इसी कुंठित सोच को ले कर शैतान सिंह ने सभी की चोरी राणा जी को एक पत्र लिखा, जिसमें लिखा था की यदि वो अपनी पार्टी का नाम चुनाव से वापस ले लेते हैं तो चुनाव कोई भी जीते, वह राणा जी को व्यवस्थापक का पद अवश्य दे देगा| शैतान सिंह की लिखी ये बात साफ़ दर्शाती थी की वो इस चुनाव को जीतने के लिए कितना गिर चूका है!

राणा जी ने उस पत्र का बड़ा ही विनम्र जवाब देते हुए लिखा; "मैं जीतूँ या हारूँ, लेकिन मैं अपनी टीम से दग़ा नहीं कर सकता| मेरे उसूल और मेरा ज़मीर मुझे इस धोकेबाजी की इजाजत नहीं देते|" राणा जी के दिए इस सीधे से जवाब ने शैतान सिंह के गाल पर एक झन्नाटेदर तमाचा था इसलिए उसने राणा जी की पार्टी को धुल चटाने का बीड़ा उठा लिया|

उधर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) अपनी खुराफात में लगे हुए थे और अब नहा-धोकर लोमड़ पार्टी के पीछे पड़ गए थे| उसने मानु जी और राणा जी के पुराने से पुराने पोस्ट खोदने शुरू कर दिए और शिकायत ले कर शैतान सिंह के पास पहुँच गया|

इधर मानु जी को श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) के इस नीचपने से चिढ होने लगी थी| अब उनके हाथ श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) के खिलाफ कोई सबूत हाथ नहीं लगा इसलिए मानु जी ने एक अलग हतकण्डा ढूँढ निकाला| उन्होंने श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) को उकसाने हेतु अप्रत्यक्ष रूप से उस पर तथा उसकी पार्टी पर मज़ाकिये मीम बनाने शुरू कर दिए| मानु जी के इन मीम्स का मज़ा जनता के साथ-साथ उच्च-अधिकारियों ने भी लिया मगर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) जी को इन मीम्स से चिढ होने लगी| वो एक बार फिर शैतान सिंह के पास मानु जी की नै शिकायत ले कर पहुँच गए; "ये देखिये, मुझे मारने की धमकी दी जा रही है!" श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की शिकायत सुन शैतान सिंह को पहले तो बहुत हँसी आई और फिर अफ़सोस हुआ की जिस पार्टी को अपना पियादा बना कर जिताना चाह रहे हैं उसके सदस्य इस कदर मुरहा है! लेकिन एक तरह से ये ठीक ही था, मुरहा लोगों को ही आप अपनी उँगलियों पर नचा सकते हो|



अब शैतान सिंह ने मीम्स बनाने को ले कर कोई नियम नहीं बनाया था इसलिए उसने मानु जी को चेतावनी दे डाली| "सर, मैंने ये मीम्स केवल मस्ती-मज़ाक के लिए बनाया है| सबसे बड़ी बात ये की मैंने ये मीम्स केवल अपनी पार्टी के सदस्यों से साझा किया है तो मुझे नहीं लगता की मैं आपके बनाये किसी भी नियम का उलंघन कर रहा हूँ!" मानु जी ने अपनी सभ्यता दिखाते हुए जवाब दिया मगर शैतान सिंह को ‘टट्टी’ पार्टी को भी खुश रखना था वरना अगर उसकी बनाई ये पार्टी उसी के खिलाफ बग़ावत कर देती नतीजन शैतान सिंह की सारी योजना ठप्प हो जाती इसलिए उसने मानु के बनाये मीम्स को डिलीट कर अंतिम चेतावनी दे डाली|

इधर मानु के मीम्स डिलीट हुए और उधर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) ने अपनी पार्टी के भीतर मानु को ले कर सीधे तौर पर मीम बना डाला| इस समय तक मानु के बर्दाश्त करने की सारी हदें टूट चुकी थी इसलिए वो भी अपनी शिकायत लेकर शैतान सिंह के पास पहुँच गए तथा उनके दिए हुए तर्क को ही हथियार बना कर श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की शिकायत कर दी|

जनता देख रही थी इसलिए दबाव में आ कर शैतान सिंह ने श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) की मीम्स वाली पोस्ट डिलीट कर दी| अपनी पोस्ट डिलीट कर दिए जाने से श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) तिलमिला गया और अपने रोना-धोना शुरू कर दिया, लेकिन मेंढकी के आँसुंओं से बारिश थोड़े ही होती है|



बहरहाल, लोमड़ पार्टी अब थोड़ा सँभल गई थी और अपना ध्यान केवल और केवल चुनाव के लिए जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने में व्यस्त थी| वहीं ‘टट्टी’ पार्टी ने अब अपना रुख दूसरी पार्टी यानी के 'लड़ाकू' पार्टी की ओर किया| श्री श्री लव डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) जी ने फिर अपने घोड़े खोल दिए और लग गए 'लड़ाकू' पार्टी के पुराने पोस्ट खँगालने| इनके दिमाग में पता नहीं कौन सा कीड़ा था की वो कोई न कोई गलती सूँघ ही लेता था|

फिर वही शैतान सिंह जी के पास शिकायत ले कर जाना और 'लड़ाकू' पार्टी के नंबर कटवाने का खेल शुरू हुआ| लेकिन 'लड़ाकू' पार्टी वाले भी कम नहीं थे उन्होंने भी 'टट्टी' पार्टी को लेकर अपनी शिकायत रख दी, अब तवा चढ़ा ही था तो ‘लोमड़’ पार्टी ने अपनी रोटी सेंक ली| उसने भी 'लड़ाकू' पार्टी का इन शिकायतों में समर्थन किया जिससे शैतान सिंह पर दबाव बढ़ा और उसने आखिर अपनी बनाई 'टट्टी' पार्टी के भी कुछ नंबर काट दिए| 'टट्टी' पार्टी के नंबर काटना जनता को बेवकूफ बनाने के लिए बस एक छलावा भर था| जनता भले ही इस छलावे को न समझती हो मगर 'लड़ाकू' पार्टी भी शैतान सिंह के 'टट्टी' पार्टी के साथ किये जा रहे पक्षपात को अच्छे से देख रही थी| इधर 'लोमड़' पार्टी ने भी शैतान सिंह के पक्षपात होने के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया था|
अब केवल एक इंसान किसी को चोर कहे तो हो सकता है की वो इंसान नासमझ हो, लेकिन जब सब एक साथ मिलकर किसी को चोर कहते हैं तो सारे लोग तो नासमझ नहीं हो सकते न?! यही हुआ शैतान सिंह के साथ भी, 'लोमड़' पार्टी और 'लड़ाकू' पार्टी ने जब एक साथ मिल कर शैतान सिंह पर तोहमद लगाई तो सभी का मुँह बंद करने के लिए शैतान सिंह ने अपने नाम के आगे एक शब्द जोड़ दिया;


"पक्षपाती"!

अब शैतान सिंह, 'पक्षपाती शैतान सिंह' के नाम से प्रसिद्ध हो चूका था| शैतान सिंह ने अपने नाम के आगे 'पक्षपाती' शब्द केवल और केवल दोनों पार्टी (लोमड़ और लड़ाकू) पर व्यंग करने क लिए लगाया था| लेकिन उसकी ये चाल उसी पर भारी पड़ी क्योंकि 'लोमड़' और 'लड़ाकू' पार्टी ने इस एक शब्द को ले कर शैतानी सिंह की अच्छी खिंचाई कर दी!



खैर, ये चुनावी दंगल अब अपने अंतिम पड़ाव पर था और वोट डालना आरम्भ होने वाला था| चुनाव प्रचार का अंतिम दिन समाप्त हुआ और 'लड़ाकू' तथा 'लोमड़' पार्टी के खेमे में शान्ति छा गई| 'लड़ाकू' पार्टी आशावादी पार्टी थी और उन्हें उम्मीद थी की जनता उनके साथ न्याय ही करेगी तथा वोट दे कर उन्हें चुनाव में जिताएगी| वहीं दूसरी ओर 'लोमड़' पार्टी, शैतान सिंह...माफ़ कीजियेगा...पक्षपाती शैतान सिंह की चाल समझ चुकी थी| चुनाव तो 'टट्टी' पार्टी ने ही जीतना था इसलिए लोमड़ पार्टी का इरादा केवल ये सिद्ध करना था की इतने पक्षपात होने के बाद भी हमने हार नहीं मानी और पूरी ईमानदारी से चुनाव लड़ा|



आखिर वोट डालने का दिन आ गया और बहुत अच्छी वोटिंग हुई, लेकिन अपनी चलाकी दिखाते हुए पक्षपाती शैतान सिंह ने वोटर लिस्ट, अर्थात किस वोटर ने वोट डाला ये बात पूरी जनता से छुपा ली| उसकी जगह शैतान सिंह ने चुनाव के परिणाम क्रिकेट मैच की तरह हर घंटे लाइव दिखाने शुरू कर दिए| शैतान सिंह की ये चाल बहुत ही कारगर साबित हुई क्योंकि जनता चुनाव के नतीजे को लाइव देखने को बहुत उत्सुक थी| किसी ने ये सोचा ही नहीं की किसका वोट किसे जा रहा है, या फिर जा भी रहा है या नहीं?!



दो दिन तक वोटिंग जारी रही और किसी को कोई शक न हो इसके लिए 'लड़ाकू' पार्टी और 'टट्टी पार्टी' के बीच पक्षपाती शैतान सिंह द्वारा वोटों की हेरा-फेरी कुछ इस ढंग से की गई की किसी को ये शक न हो की चुनाव 'टट्टी' पार्टी ही जीतेगी| हर घंटे चुनाव के नतीजे ऐसे दिखाए जाते जिससे सभी को लगता की 'लड़ाकू' पार्टी और 'टट्टी' पार्टी के बीच कड़ी टक्कर है| वहीं राणा जी और 'लोमड़' पार्टी से अपनी दुश्मनी निकालते हुए, पक्षपाती शैतान सिंह ने चुनाव के नतीजों में लोमड़ पार्टी मैं अलग-थलग कर दिया था!

ऐसा नहीं था की लोमड़ पार्टी को किसी ने वोट नहीं दिया था, ये तो पक्षपाती शैतान सिंह की चाल थी| उसने लोमड़ पार्टी के पक्ष में पड़े वोटों को प्रॉक्सी या फ़र्ज़ी बता कर उन वोटों को कैंसिल कर दिया था! राणा जी, पक्षपाती शैतान सिंह की इस चाल को जानते थे इसलिए उन्होंने चुनाव खत्म होने की प्रतीक्षा की|



दो दिन बाद चुनाव खत्म हुए और जैसा की शुरू से तय था, जीत का सेहरा बँधा 'टट्टी' पार्टी के सर| बड़े ताज़्ज़ुब की बात है, जिस आदमी ने चुनाव केवल अपनी बोरियत मिटाने के लिए लड़ा था, जिसकी पार्टी में श्री श्री लावे डे (पूरा नाम कोई एक साथ नहीं बोलेगा!) जैसे नीच सोच रखने वाले लोग थे, जिस पार्टी में केवल bully और दंगाई भरे हुए थे...वो पार्टी चुनाव जीत गई!

दूसरी ओर 'लड़ाकू' पार्टी और लोमड़ 'पार्टी', जो पढ़े लिखे लोगो की पार्टी थी, जो इस चुनाव में एक अजेंडे के लिए लड़ रहे थे, जिनमें इस एक्स-फोरमपुर प्रदेश में बदलाव लाने का ज़ज़्बा था वो हार गए थे!



राणा जी और लड़ाकू पार्टी के अध्यक्ष ने एक अच्छे प्रतिद्व्न्दी होने के नाते श्री अज़रीएल लाल को बधाई दी जिसके साथ ये चुनाव खत्म हुआ|

अब चुनाव आधिकारिक रूप से खत्म हो गया था तो राणा जी ने पक्षपाती शैतान सिंह से वोट डालने वालों की सूची माँगी तथा जिन वोटों को शैतान सिंह ने प्रॉक्सी या फ़र्ज़ी घोषित किया था उसकी भी लिस्ट माँगी ताकि राणा जी आंकलन कर सकें की उनसे चुनाव लड़ने में कहाँ चूक हुई, लेकिन अगर ऐसी कोई लिस्ट हो तब तो दी जाए न! पक्षपाती शैतान सिंह ने राणा जी को ये कह कर हकाल दिया की ये प्रशासनिक जानकारी है, इसे किसी से साझा नहीं किया जा सकता! राणा साहब, चेहरे पर विजई मुस्कान लिए पक्षपाती शैतान सिंह को देखने लगे| राणा जी की ये विजय मुस्कान इस बात की सूचक थी की वो पक्षपति शैतान सिंह की साड़ी हेरा-फेरी जान चुके हैं| वहीं, पक्षपाती शैतान सिंह, राणा जी की ये विजई मुस्कान देख मन ही मन बहुत शर्मसार हुआ की उसकी बनाई इतनी गोपनीय योजना आखिर राणा जी जैसे सीधे-साधे आदमी के समझ कैसे आ गई और उसकी ये घिनौनी योजना जानते-बूझते भी आखिर क्यों राणा जी ने कुछ नहीं कहा?!



चुनावी मेला खत्म हो चूका था और 'टट्टी' पार्टी के सदस्यों को व्यवस्थापक तथा सभापति का पद दे दिया गया| लेकिन आजतक इस गुंडों से भरी पार्टी ने एक्स-फोरमपुर प्रदेश की जनता के साथ कोई न्याय नहीं किया| जो दंगाई ये लोग पहले करते थे, वही दंगाई अब चुनाव के बाद भी करते हैं|




इसीलिए बड़े-बुजुर्गों ने कहा है; घोड़ों को नहीं मिल रही घांस और गधे खा रहे च्यवनप्राश!



कहानी समाप्त
Jabardastttt. Puri mann ki bhadas ko kahani ke roop mein nikala hai aapne. Padhke sirf aur sirf hasi hi aayi. Bahot khubbb
 

Smarty Killer

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Rita Ki Adhuri Life
Ye Story meri life se related hai Pati ka original naam use nahi kar sakti Privacy ki waja se please muhje aapki support chahiye isma chalo start karte hain.

Rita aur Rahul dono first cousin the aur college ma sath padte the ek dosre ka ghar ana jana laga rehta tha college ka kam sath ma karte the aur sath ma college ate jate the kab unki dosti pyar ma badal gai pata hi nahi chala uske baad ek dosre k itne close howe first time dono ne sex ka maza ek sath liya yaani ek dosre ki Virginity thodne ka time dono ne khud hi dekha ab fir luckily dono ne apne parents ko razi kiya aur shadi karli dono k parents achche paise wale the aur dono Dubai ma reh chuke the Rita hamesha se apni family k sath rahi isliye uska kabhi bhi akelapan feel nahi kiya.

Rita ki graduation complete nahi howi unfortunately kyuk shadi jaldi ho gai but Rahul ne master kiya shadi k baad aur shadi k ek saal baad hi Rahul ko Dubai ma ek achchi Job mili aur woh Rita Rahul k parents k sath Mumbai ma rehne laagi sath ma uske parents bhi the isliye uska time guzar raha tha but Bhagwan ko kuch aur hi manzoor tha aur Rita k Parents ki death ho gai Rita iss dunya ma ek akeli reh gai kyuk uske koi bhai behan nahi the aur fir Rita ko Rahul k parents ka pyar mila but Rita ki life ma shayed kuch aur hi lekha tha aur unki bhi car accident ma death ho gai aur Rita ek dafa fir akeli ho gai .

Rahul jab parents ko Alvidaa karne aya aur fir se job pe jane laaga tuo Rita ne Rahul ko bola muhje bhi sath le jao ab ma yaha akele kese rahongi but Rahul bola abhi meri job set nahi howi wait karlo try karo honey akele rehne ki baas thode time ki baat hai Ab Rita ki life ma akelapan tuo tha hi aur Pati k naa hone se ab koi aisa bhi nahi tha jiske sath uska time pass tuo ho kuch time k baad jo badi kami Rita ki life ane lagi jo shadishuda Aurat ki sabse badi zarorat hai woh hai sex kehte hain jab aap ek dafa sex ka maza le lete ho tuo fir maan aur bhi machalta hai aur karne ko uske baad Rita ki life ki sabse badi yahi kami rahi uska reaction yahi howa Rita porn movies, adults stories dekhne lagi aur social media pe logo se baat hone lagi aur jab aap baat hoti hai stranger se tuo dosti pe hoti aur fir yahi howa Rita ki dosti howi 2 3 ladkon se jo usko nahi pata tha uske neighbor ma hi rehte the aur usko khubsurati k ashiq the jiska Rita ko nahi pata tha As usual jo hota hai baat karne k baad sharing hoti hai baten photos ab kyuk Rita ki life ma badi kami thi sex tuo Rita yahi soch k apni nude Pics bhi share kar di.

Ab hamari society ma jo mostly hota hai ek akeli aurat k sath wahi howa usko us nude pics pe blackmailed karna shuru howa ab akeli aurat apni izzat bachne k liye unki demands ko pura karne lagi kabhi paise kabhi new mobile aur zabardasti milna lastly jab Rita ki bardasht ki limit khatam howi tuo Rita ne apne Pati ko sab pata hi diya kya karti kab taak tension leti ab Rahul ko ana pada wapas apni biwi k pass aur police case bana aur lastly ek badi amount dekh k jaan chuti aur Rita ko le k Dubai agaya.

Rita ki life ma ek bar fir se kuch khushiyan ayi aur usko dobara mila sex ka maza but unfortunately woh bhi kuch din k liya tha shayed kyuk ek raat Rita ka hubby usko bola honey muhje business karne ka chance mila hai UK ma apne friend k sath aur muhje jana hoga Rita ne bola but Rahul ma akeli kese rahongi ab muhjse nahi raha jata fir ek kam karte hain muhje pregnant kar do fir
Rahul abhi nahi darling muhje kuch karne do tumhare liye apne liye aur bacho k liye future achcha ho aur ek khubsurat luxury life ho isliye tuo ma itni hard work kar raha hon aur ek bar fir woh Rita ko chhod k chala Rita ko sex ki aag ma jala k ab saal ma ek dafa ata hai aur Rita ki usi Adhuri life ma Jee rahi hai .


Rita isi jaali howi life ma Jee rahi thi fir ek din uske hubby ka phone aya uska business partner apna ek office open kar raha hai Dubai ma aur ham ne socha hai tum kab tak akeli rahongi tuo kyu naa tum us chote se office ka look after karo Rita ko bhi ye acha laga tuo usne Yes bol diya aur kuch dino baad office open howa aur Rita uska care karne lagi aur business achcha hota gaya aur fir business k kuch bade cleint ki mulaqat Rita se howi aur woh Rita k jism k diwane howe aur Rita jo phele hi apni jism ki aag ma Jaal rahi uske close hoti gai aur unho ne Rita k jism ko pane k liye apni dolat aur Jhote pyar ko use kiya kabhi Rita ko shopping, parties, Gold aur luxury items dete rehte the aur Rita k achche dost ban gaye aur finally unho ne Rita k sath bed share kiya kyuk unka pata chal gaya ek Pyasi aurat k life ma yahi kami hai apna kam poora karne k baad unho ne bhi Rita ko apne haal pe chhod diya aur aaj bhi Rita apni Adhuri life ma Jee rahi hai pata nahi kab uski life ka ye adhura Pan khatam hoga ....
...
Superb story meri sexy queen ma waise bhi shuro se apka dewana hun aur ye story apki tarah hy sexy he
Good luck queen
 
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Smarty Killer

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VVPyara pariwar

By

Kiran Tariq
Yei story Meri friend maira KE pariwar KI hai

Maira ek modern mom hai US ka beta shezad Aik handsome boy hai

Maira KI Beti saira BI Kafi sexy hai

Dono maar Beti KI bajae sister lakti hai

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I AM your writer Kiran Tariq my language skills in English r good but i love this form so i write this story in Hindi you also see my story bkran waiting for your love and comment from your sexy writer Kiran



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Superb story kiran ji kiya kamal ka likhti he ap
 
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