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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2021 ~ Reviews Thread ★☆★

manikmittalme07

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क़ातिल कौन ?
प्रस्तुतकर्ता - SANJU ( Versha Ritu )

नेहा एक माॅडल थी । पहली बार उसे मैंने अपने दोस्त इन्स्पेक्टर दुशयंत के साथ कुछ दिनों पहले एक पार्टी में देखा था । एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल के रिपोर्टर के कारण उसने तत्काल मुझे पहचाना था ।

उसका अचानक यूं मेरे घर आ धमकना मुझे चौंका देने वाला घटना लगा था । वो बेहद भयभीत और आतंकित लग रही थी ।

" क्या बात है ? "- मैंने संजीदगी से पूछा ।
" मुझे आपकी मदद की जरूरत है अपस्यू साहब" - वह कम्पित स्वर में बोली ।
"क्या बात है ?"
"वो लोग मुझे मार देना चाहते हैं ।"
"कौन लोग ?"
"मैं आपको सब कुछ बताउंगी । ये एक लम्बी कहानी है । लेकिन उसमें आपके दोस्त इन्स्पेक्टर दुशयंत साहब की दखल जरूरी है । आप प्लीज , आज रात आठ बजे उन्हें साथ लेकर मेरे फ्लैट पर तशरीफ़ लाइए । यह मेरा पता है । "- उसने एक कार्ड मेरे सामने मेज पर रखा ।
" आपको लगता है कि दुशयंत आपकी सहायता कर सकते हैं ।"
" बहुत ज्यादा । वह मेरी जान बचा सकते हैं ।"
" तो आपको दुशयंत के पास जाना चाहिए था न ।"
"मैं उनके पास सीधे नहीं जा सकती थी । वह मुझे गलत समझ सकता था लेकिन आपकी वजह से वो मेरी बात हमदर्दी से सुनेगा और कोई मदद करने की कोशिश करेगा ।"
" आप की पुलिस में कोई जान पहचान नहीं ?"
वह एक क्षण हिचकिचायी फिर बोली -" है । एक सब इंस्पेक्टर मेरा अच्छा दोस्त है ।ए के श्रीवास्तव । शायद आप जानते हों ।"
" उसके पास क्यों नहीं गई ?"
" नहीं जा सकती । मेरी मजबूरी है ।"
"क्या मजबूरी ?"
"शाम को बताउंगी । शाम को विस्तार से बातें होंगी ।"

फिर वो चली गई ।

मैं थाने गया । मालूम हुआ कि दुशयंत अभी गश्ती गाड़ी की ड्यूटी में था । श्रीवास्तव थाने में अपने केबिन में मौजूद था । मुझसे बड़ी मुहब्बत से मिला शायद इसलिए कि मैं उसके अफसर का दोस्त था ।

" कैसे आए ?"- उसने पूछा ।
" एक बात पुछने आया हूं । बशर्ते कि गलत मत समझो ।"
" क्या बात है ?"- वह सशंक स्वर में बोला ।
" तुम नेहा को जानते हो ?"
" नेहा ! वो माॅडल !"
" हां ।"
" जानता हूं । लेकिन दोस्त , उसके चक्कर में मत पड़ना । वह मेरी गर्लफ्रेंड है ।"
" अच्छा ।"
" तुम विक्रांत की मौत पर कोई काम तो नहीं कर रहे हो !"
" ऐसा क्यों लगा तुम्हें ?"
" क्योंकि उसकी मौत में नेहा की टांग फंसी हुई है । लेकिन कहे देता हूं , उसके बारे में कुछ अनाप-शनाप मत दिखा देना ।"

विक्रांत एक अधेड़ावस्था विधूर था । बड़ा बिजनेसमैन था । कुछ दिन पहले किसी ने उसके फ्लैट पर उसे चाकू घोंपकर उसकी हत्या कर दी थी ।

" विक्रांत की हत्या में नेहा की टांग कैसे फंसी हुई है ।"
" तुमने अंकित चौधरी का नाम सुना है ?"
" खूब सुना है । करोड़पति आदमी है । और सुना है उसकी मौजूदा बीवी उससे उम्र में बीस साल छोटी है । वैसे किस्सा क्या है ?"
" सुनने में आया है कि विक्रांत और अंकित गुप्ता की बीवी आशा में आशिकी चल रही थी । अंकित गुप्ता को खबर लग गई । आशा का कहना है कि ईष्या से वशीभूत होकर उसके पति ने विक्रांत का कत्ल कर दिया है । आशा ने उससे तलाक की मांग की थी ताकि वह विक्रांत से शादी कर सके । इसपर अंकित गुप्ता आगबबूला हो गया था । उसने विक्रांत से फोन पर बात की थी और दो हफ्ते पहले दोपहर दो बजे विक्रांत के फ्लैट पर उससे मुलाकात निश्चित की थी । निर्धारित समय पर अंकित विक्रांत के फ्लैट पर पहुंचा । उसने घंटी बजाई लेकिन भीतर से कोई जवाब नहीं मिला । फिर उसे ताले में अटकी चाबी दिखाई दी । उसने चाबी को छुआ तक नहीं , जो कि उसने अक्लमंदी की । लेकिन दरवाजे को धकेलकर खोलने की कोशिश की । दरवाजा नहीं खुला । फिर उसने इमारत से बाहर निकल कर मुझे फोन किया ।"
" तुम्हें क्यों ?"
" क्योंकि मेरा उससे गहरा याराना है । उसने सोचा कि मुझे बुलाने में यह फायदा था कि अगर कोई गड़बड़ हुई तो उसकी कच्ची नहीं होगी । मैं वहां पहुंचा । मैंने चाबी को इस ढंग से घुमाकर ताला खोला कि अगर चाबी पर कोई उंगलियों के निशान हों तो वो नष्ट न हो । मैं भीतर दाखिल हुआ । भीतर से विक्रांत की लाश बरामद हुई । किसी ने उसे चाकू से मार कर उसकी हत्या कर दी थी । फ्लैट की हालत बता रही थी कि हत्या से पहले वहां विक्रांत और हत्यारे में भयंकर हाथापाई हुई थी जिसकी वजह से कमरा अस्त व्यस्त हो गया था । मैंने पुलिस को काॅल किया लेकिन पुलिस के वहां पहुंचने से पहले वहां नेहा पंहूच गई ।"
" वो वहां क्यों आईं थीं ?"
" उसका कहना था कि विक्रांत ने उसे बुलाया था । अपने प्रोडक्ट के माॅडलिंग के लिए । वह कहती है कि उसने उससे पहले कभी विक्रांत को देखा तक नहीं । वह पहली बार वहां आई थी । लेकिन फिर दरवाजे में लगी चाबी पर से उसकी उंगलियों के निशान बरामद हुए थे ।"
मुझे आश्चर्य हुआ ।

" हमारे फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट के अनुसार उंगलियों के निशान नेहा के है । इससे साफ जाहिर होता है कि या तो वह फ्लैट में दाखिल हुई थी या उसने दाखिल होने की कोशिश की थी ।"
" चाकू पर से कोई उंगलियों के निशान ?"
" न ! हम इसी उलझन में हैं । अंकित गुप्ता के पास हत्या का उद्देश्य तो है लेकिन उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है । नेहा के खिलाफ सिर्फ ये ही सबूत है कि चाबी पर उसके उंगलियों के निशान पाये गए हैं लेकिन सिर्फ ये बात उसे हत्यारी सिद्ध करने के लिए काफी नहीं है । लगता है यह केस भी अनसुलझे केसों में ही शुमार होने वाला है ।"
" तुम्हारा क्या ख्याल है ?"
" कोई मजबूत ख्याल नहीं है । शुरू मे नेहा पर शक पक्का होने लगा था । शायद विक्रांत से उसका कोई अफेयर चल रहा हो । शायद उसके पास उसके फ्लैट की चाबी हो जो विक्रांत ने उसे दी हो लेकिन साबित कुछ नहीं किया जा सकता है । दुसरी तरफ अंकित गुप्ता की बीवी आशा कबूल करती है कि उसके पास विक्रांत के फ्लैट की चाबी थी । उसका दावा है कि वह चाबी अंकित गुप्ता ने चुरा ली थी । शायद वह अपने पति को अपने आशिक के कत्ल में फंसाकर उससे पीछा छुड़ाने के बारे में सोच रही हो । मतलब बातें तो बहुत है पर सबूत कुछ नहीं ।"

उसके बाद उससे हल्की फुल्की बातें हुई । मैंने उससे अंकित गुप्ता का पता पूछा । उसने बड़े संदिग्ध भाव से मुझे देखते हुए पता बताया ।

मैं अंकित गुप्ता के कोठी पर पंहुचा ।
अंकित गुप्ता घर पर नहीं था लेकिन उसकी जवान बीवी वहां मौजूद थी ।
आशा एक निहायत खुबसूरत लड़की थी । मैंने अपना परिचय दिया और कहा कि अपने टीबी के लिए उसका इंटरव्यू लेने आया हूं ।
वो साफ साफ अपने पति पर इल्ज़ाम लगा रही थी कि उसके पति ने ही विक्रांत की हत्या की है । वो कलप रही थी कि अभी तक पुलिस ने उसके पति को गिरफ्तार क्यों नहीं किया । उसने मुझे अंकित गुप्ता से छुटकारा दिलाने की मदद मांगी और बदले में मुंहमांगी कीमत देने का वादा किया ।

मैं वहां से अंकित गुप्ता के आफिस गया । वह पचपन साल से उपर एक तंदुरुस्त लेकिन हड़बड़ाया सा आदमी था । उसने इस विषय में मुझसे कोई बात करने से साफ इंकार कर दिया । जरूर दौलत का घमंड था ।

शाम तक दुशयंत से मेरी मुलाकात न हो सकी । निर्धारित समय पर मैं अकेला ही नेहा के फ्लैट पर पहुंचा ।
लेकिन बहुत देर हो चुकी थी ।
वहां पुलिस ही पुलिस दिखाई दे रही थी । मेरा दोस्त इन्स्पेक्टर दुशयंत भी वहां मौजूद था । वहां सब इंस्पेक्टर श्रीवास्तव भी मौजूद था । पता चला कि नेहा अपने फ्लैट में मरी पाई गई थी ।उसकी छाती में एक पतला सा चाकू धंसा हुआ था और उसका अपना हाथ उसकी मूठ के गिर्द लिपटा हुआ था । चाकू की मूठ पर से केवल उसकी उंगलियों के निशान बरामद हुए थे ।
दुशयंत ने एक और बातें बताई ।
उसकी राइटिंग टेबल पर एक अधूरा पत्र पड़ा मिला था ।
पत्र में लिखा था :
अंकित ,
मैं इस बखेड़े से बहुत ही परेशान हूं । मुझे बहुत डर लग रहा है । मैं कुछ अरसे के लिए शहर से दूर जा रही हूं । मैंने आज एक साहब से बात की है जो कि मुझे उम्मीद है मेरी जान को इस सांसत से निकालने में मेरी पुरी मदद करेंगे और...."

पुलिस इसे आत्महत्या करार कर रही थी । चिठ्ठी की बावत उनकी राय थी कि इसका उसकी मौत से कोई रिश्ता नहीं है । एक कारण ये भी था कि चिठ्ठी पर कोई तारीख वगैरह नहीं थी ।

घटनास्थल पर पुलिस की सारी कारवाई समाप्त हो गई थी । वहां सिर्फ मैं , श्रीवास्तव और दुशयंत रह गये ।
उसी दौर में मैंने दुशयंत को नेहा के अपने घर पर आगमन की बात सुनाई । नेहा के अंजाम का फिर जिक्र आरंभ हुआ ।

" तुम्हारा क्या ख्याल है ?"- मुझसे पूछा गया ।
" मेरे ख्याल से यह हत्या का केस है ।"
" हत्या के केस में ख्याल नहीं चलता अपस्यू राजवंशी साहब "- श्रीवास्तव बोला -" सबूत की जरूरत होती है ।"
" श्रीवास्तव ठीक कहता है "- दुशयंत बोला -" हालात आत्महत्या की ओर संकेत कर रहे हैं । लड़की का विक्रांत की हत्या में हाथ था । आज उसकी अंतरात्मा ने उसे कचौटा और उसने आत्महत्या कर ली । हथियार लड़की के हाथ में था । उस पर से केवल उसकी उंगलियों के निशान बरामद हुए हैं ।"
" लेकिन "- मैंने कहना चाहा ।
" थ्योरियों से काम नहीं चलता , तथ्य तलाश करने पड़ते हैं "- श्रीवास्तव बोला ।
" तो करो !"
" लेकिन कोई संकेत तो हो कि हत्यारा कौन है ?"
" संकेत मैं दिए देता हूं ।"
" तुम ! तुम जानते हो कि हत्यारा कौन है ?"
" हां ।"
" कौन है ?"
" तुम ।"
" एक क्षण को श्रीवास्तव के मुंह से बोल न फूटा ।वह मुंह बाए मेरी ओर देखने लगा । फिर उसके चेहरे ने कई रंग बदले । अंत में वह क्रोध से आग बबूला होता दिखाई देने लगा ।
" क्या कह रहे हो !"- दुशयंत बोला -" श्रीवास्तव ! हत्यारा !"
" बाई गाॅड !"- वह कहर भरे स्वर में बोला - क्या बेहूदा मजाक है । मैं तेरी..."
" पहले मेरी बात सुनो फिर फैसला करना ।"
" कहो , क्या कहना चाहते हो ?"- श्रीवास्तव बोला ।
" दुशयंत "- मैं बोला -" तुमने कभी देखा सुना है कि चाकू से आत्महत्या की गई हो ! चाकू तो हत्यारे का हथियार है ।"
" लेकिन जरूरी नहीं कि जो काम कभी नहीं हुआ , वह अब भी न हो "- श्रीवास्तव बोला ।
" मैं शुरूआत से बताता हूं । पहला कत्ल विक्रांत का । केवल एक ही आदमी ऐसा है जिसके पास उसके कत्ल का कोई ठोस उद्देश्य था और वह आदमी है अंकित गुप्ता । वह पूर्व निर्धारित समय पर विक्रांत से मिलने गया । दोनो में तकरार हुई । विक्रांत ने चाकू निकाल लिया । दोनो में हाथापाई हुई , छीना झपटी हुई । अंकित गुप्ता ने उसी का चाकू उससे छीना और उसकी छाती में घोंप दिया । विक्रांत मर गया । अब क्या था ? आप एक करोड़पति आदमी हो और आपने अभी एक कत्ल कर दिया । आप क्या करेंगे ? आप उस बखेड़े से बाहर निकलने के लिए कोई तरकीब सोचेंगे । उस घड़ी में आपको अपने दोस्त ए के श्रीवास्तव का ख्याल आयेगा । आप उसकी फितरत से वाकिफ है कि वह पैसे से खरीदा जा सकता है । आप उसे बुलाते हैं , उसे एक मोटी तगड़ी रकम की आफर देते हैं । वह आफर कबूल करता है और आपको झंझट से निकालने का वादा करता है और वह निकालता भी है ।"
" कैसे ?"
" वह केस में उलझने पैदा करता है । वह इस काम के लिए अपनी गर्लफ्रेंड नेहा का इस्तेमाल करता है । श्रीवास्तव एक पुलिस अधिकारी हैं और कानून को खुब समझता है । वो इस केस में बैनीफिट आफ डाउट ( संदेह लाभ ) वाली परिस्थितियां खड़ा करता है ।"
" कैसे ?"
" इसने घटनास्थल पर अपनी गर्लफ्रेंड नेहा को बुलाया । उसके वहां पंहुचने से पहले उसने अंकित गुप्ता को कहा कि वह अपने घर जाकर अपनी बीवी के पास मौजूद विक्रांत के फ्लैट की चाबी ले आए । फिर वह चाकू से उंगलियों के निशान पोंछ देता है । फिर नेहा वहां पंहुचती है । वे उसकी उंगलियों के निशान चाबी पर बनवाते हैं और चाबी दरवाजे पर छोड़ देते हैं । इसमें सहमति होती है कि पुलिस के सामने दो संदिग्ध व्यक्ति हैं - नेहा और अंकित गुप्ता । लेकिन ठोस सबूत दोनों में से किसी के खिलाफ नहीं ।"
" लेकिन नेहा ऐसा काम करने के लिए कैसे मान गई ?"
" पहले तो इसलिए कि वह श्रीवास्तव की प्रेमिका है । दुसरा प्रलोभन पैसे का हो सकता है ।"
" ये एक तुक्का लगता है ।"
" तुक्का नहीं है । विक्रांत के फ्लैट में ऐसे संकेत मिले थे कि वहां तगड़ी छीना झपटी हुई हो । क्या कोई औरत विक्रांत जैसे तंदरुस्त आदमी से इतना फाइट कर सकती थी ? लेकिन अंकित गुप्ता कर सकता था । वह अधेड़ जरूर है लेकिन शरीर से काफी तंदरुस्त है । और सबसे बड़ा सबूत वह चाबी है जो विक्रांत के मुख्यद्वार के ताले में लगी पाई गई थी ।"
" कैसे ?"
" जो हत्यारा विक्रांत की छाती पर घुसे चाकू पर से उंगलियों के निशान पोंछे जाने की होशियारी दिखा सकता है । वह न तो चाबी पर अपनी उंगलियों के निशान छोड़ सकता है और न ही चाबी को ताले में । चाबी का ताले में पाया जाना ही इस बात का सबूत है कि चाबी वहां ' प्लांट ' की गई थी ।"
" ओह !"- दुशयंत बोला ।
" नेहा भयभीत हो गई थी । वह एकाएक केस में अपने योगदान के बारे में सोच सोचकर आतंकित होने लगी । उसे लगता था कि श्रीवास्तव की बातों में आकर वह भारी गलती कर बैठी है । किसी को बचाने के चक्कर में वह खुद फंस सकती थी ।"
" लेकिन नेहा की हत्या क्यों ?"
" क्योंकि मैं आज श्रीवास्तव से मिला था और उससे इस विषय पर बात हुई थी । वह समझ गया था कि नेहा घबरा गई थी और मदद हासिल करने के लिए गैर लोगों के पास पहुंच गई थी । उसे लगा नेहा के चलते उसकी पोल खुल सकती थी । उसने बड़ी रफ्तार से काम किया । वह यहां पंहुचा । उस वक्त उसने नेहा को एक चिट्ठी लिखते पाया । चिठ्ठी पर निगाह पड़ते ही यह समझ गया कि नेहा का मुंह हमेशा के लिए बंद कर देने के अलावा बचाव का कोई रास्ता नहीं था । इसने वहीं मेज पर रखे हुए एक चाकू से उसकी हत्या कर दी ।"
" लेकिन नेहा का अंकित गुप्ता को चिट्ठी लिखने का क्या मतलब ? उससे नेहा का क्या वास्ता था ? अगर उसने चिट्ठी लिखनी ही थी तो श्रीवास्तव को लिखती !"
" इसी को लिखी है ।"
" क्या मतलब ?"
" श्रीवास्तव "- मैं उसकी ओर घूमा -" तुम्हरा नाम ए के श्रीवास्तव है । यह ए के से क्या बनता है ?"
" अंकित कुमार श्रीवास्तव "- जबाव दुशयंत के मूंह से निकला -" ओह , माई गॉड ।"

श्रीवास्तव और अंकित गुप्ता दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया । पुलिस के सख्ती के आगे नहीं टीक पाए । उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया ।
अगले दिन मैं आशा के घर गया और उसने क्या कीमत चुकाई ! दिल खुश हो गया । दिन भर उसके पहलू में उसके बिस्तर पर उससे कीमत वसुलते रहा ।

समाप्त ।
wah sanju bhai...aapne fir se sabit kar diya ke aap ek uchh koti ke lekhak ho...is forum par aapki koi tulna nahi kar sakta. limited words mein itna achha plot taiyar kar diya. poori dunia mein murder mystery se behtar topic koi nahi hoga shayad. log ise bade chav se padhte hain. aapne kaise ek ladki jo ke ek model hai ke madhyam se kahani ki shuruat ki, jisko is baat ka dar tha ke uska koi katl kar sakta hai aur hua bhi aisa. fir pata chalta hai ke ek aur katl hua hai aur dono katl ek doosre se jude hue the.

aapne bahut hi mazedar dhang se dono katlon ko ek doosre ke saath joda aur use justify bhi kar diya. itne kam shabdon mein itni achhi kahani likhna koi asaan kaam nahi hai. kahani ek baar padhni shuru ki aur jab tak ant tak padh nahi liya tab tak poori utsukta bani rahi to pathkon ko poori tarah se bandh kar rakhne waali kahani hai aapki.

aapko itni achhi kahani ke liye bahut bahut badhai jo sanju ji
 
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Reactions: SANJU ( V. R. )

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Story ~ अपहरण
Writer ~ HalfbludPrince


kahani - - kahani ye ki kaise do insaano ne milkar badla liya do bewafa logo se.. ek ne badla liya apni hi bewafa biwi se aur ek ne apne hi dhokhebaz pati se.. jo milke planning ki undono ke khilaf usme kamyab huye.. lekin aham baat yeh hai ki is jaddojahad mein yeh log bhool gaye us masoom ko kuch ho bhi sakta tha... Rahul ko is planning ke bich lana nahi chahiye tha...

aate hai sameeksha pe - - pyar karna koi paap nahi.. lekin shaadi kisi aur se, aur shaadi ke baad pyaar kisi aur se ye jarur paap hai.. apne jivan saathi dhokha dena mahaz apne purane pyar ke liye aur apne pyar ko pane ke shiv aur shalu ne jo kiya sachme sharamnak hai ... ek masoom ka apaharan... sachme kabhi na maafi na milne wali baat hai..
lekin kehte hai na burayi chaahe jitni bhi badi kyun na ho achhayi ke samne hamesha chhoti hi rahti hai... shalu ka pati ravi aur shiv ki biwi megha shayad bahut pehle hi jaan chuke the shalu aur shiv ke bich k najayaz rishte ke baare mein... isliye dono ne ek hoke shalu aur shiv ke khilaf planning kar unhe hi unke bichaye gaye jaal mein fansa diya... shalu aur siv kanoon ke giraft mein aur sath mein giraftaar hua niraz bhi jo shalu aur shiv ka sath diya Rahul ko apaharan karne mein..
waise yahan pe kuch baatein kuch ansuljhi aur atpati si lagi.... agar is bich rahul kuch ho jata to.. dosh kisko dete ... Ravi aur megha ko ... jinhone bas ye socha ki kaise bhi karke shalu aur shiv ko unke kiye huye bewafayi ka saza deni hai.. wo masoom Rahul jaye bhaad mein
ya phir dosh de shalu aur ravi ko... shalu ne jab bank locker duplicate chabhiya bana hi li thi to us masoom ko kyun ghastita bich mein... kya sochke ki ek plan fail huyi to dusri plan amal karenge dono milke... lekin agar kuch gadbadi ho jati ya police aur unke muthbhed mein Rahul ko kuch ho jata to.....

Koi pasandida kirdaar aur kyun?

nahi is kahani mein koi kirdaar nahi hai.... kyunki jo active kirdaar the unhone bas directly ho ya indirectly apni swarth puri ho ispe zyada dhyan diya is baat pe gaur nahi kiya ki iske chalte us masoom ko kuch bhi ho sakta tha..

kya kirdaar aapko vastavik lage?

Haan par lag bhag .... jo is story ke kirdaaro ne kiya... aise avaidh pyaar ke chalte kayi aise ghatnaye ghatti rahti hai... aise kabhi kabhi khabar news aur akhbaro dekhne aur padhne ko mil jaate hai...

kahani padhke koi anuman ya koi sandesh chupi hai kahani mein..?

itni khash to nahi.... par haan shayad writer sahab yeh dikhane ki koshish ki hai ki burayi ka ant bura hi hota hai.... aur jo aapke prati wafadar hai aapko dil-o-jaan se pyar karta hai unke sath kabhi bewafayi mar kariyo...

kahani ka sabse pasandida bhag aur kyun?

Well... Ek do pasandida bhag to hai .. jaise is ghatna ne sochne ko majboor kare ... ki megha ne aisa kya kar diya..... matlab planning mein kya madad kar di jiske chalte shalu aur shiv pakde gaye.. I think sabse pehle wohi jaan gayi ho shalu aur shiv ke najayaz sambandh ke baare mein phir aake ravi ko aagah kiya ho... phir planning aur iske chalte dono pakde gaye sath hi niraj bhi..

Kuch vishesh prakar ke drishya likhe gaye the... udaharan ke liye koi rahasyamay drisya ya dukhad ya phir tanavpurn drishya?
dukhad ye ki kya mila shalu aur shiv ko ye sab karke...par honi ko koun taal sakta hai...
Akhir tak kayi baatein rahasyamay banaye rakhne mein kamyab rahe writer sahab..is bhi ek plus point hai is kahani mein.. . khas kar megha aur ravi ka rishta aur usse badi baat asli masterminds weh dono hi the.. jo ant mein ujagar hua...

Kya kahani ne ant tak jure rahne ke liye majboor kiya...?

Haan bilkul.... jab kahani humare favorite writer ftk yani ki @halfbloodprince ki ho... to kahani ka jayeka hi kuch aur hai..
readers se yahin request hai ki ek baar is kahani ko padhe jarur... is kahani mein thrill aur suspense bharpur hai... ek baari read kiye to ant tak padhke hi dum lenge.. kyunki ant mein asli rahasya se parda hatta hai...

kahani ko leke kuch baatein mann ki - - jab jaante the ki shalu aur shiv bewafa hai to pehle hi saza de dete apne hi bachhe ko bali ka bakra kyun banaya ravi ne?

ant mein kuch shadb writer sahab ke liye..... sach kahu bura na maaniyo aap mere favorite writers mein se ek hai ... to kahani ko leke expectations badh hi jaati hai.. par is kahani mein kuch kami si lagi...
Baaki ant tak suspense bana raha.... yeh bhi ek plus point hai aur kahani devanagari mein. to padhne mein maza hi kuch aur hai...
sabse mahattvapoorn baat yeh ki jis tarike se muddo ko, saare pehlu ko, har mod ko ek lay mein jis tarike kahani roop mein hum readers ke samaks pesh kiye hai wo sach mein kabile tarif hai.. :bow:

aise hi aage bhi likhte rahiye aur readers ka manoranjan karte rahiye.. :bow:
Brilliant story line with awesome writing skills HalfbludPrince sahab.. :applause: :applause: :applause: :applause:
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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कहानी- कातिल कौन
लेखक- संजू जी।

नेहा एक मॉडल है जो किसी समस्या से घिरी हुई है। जिसके कारण वो मदद मांगने पत्रकार महोदय के पास जाती है। और उसे अपने इंस्पेक्टर दोस्त दुष्यन्त के साथ अपने फ्लैट पर बुलाती है। पत्रकार महोदय द्वारा पूछने पर वो कहती है कि फ्लैट पर आने के बादउसे सारे सवाल का जवाब मिल जाएगा।

पत्रकार महोदय जब थाने जाते हैं तो पता चलता है कि दुष्यन्त ड्यूटी से बाहर गया है। फिर श्रीवास्तव जी उन्हें अपने कक्ष में ले जाते हैं। जहां पता चलता है कि नेहा श्रीवास्तव की महिला मित्र है और विक्रम की हत्या के आरोप में फंसी है। जो एक सफल व्यवसायी है।

विक्रम का चक्कर एक और सफल व्यवसायी अंकित चौधरी की बीवी आशा से चल रहा था। जिसकी खबर उसके पति अंकित को हो गई, आशा अंकित से तलाक लेकर विक्रम से शादी करना चाहती थी, लेकिन तब तक उसकी हत्या हो गई। जब अंकित विक्रम के फ्लैट पर उससे मिलने के लिए पहुँचा तो बाहर ताला लगा था तो उसने श्रीवास्तव को फ़ोन किया जो अंकित का लंगोटिया यार है।

श्रीवास्तव ने दरवाजा खोला तो विक्रम की लाश मिली घर मे। हाथापाई भी हुई थी तभी नेहा भी वहां पहुच गई, क्योंकि विक्रम ने उसे बुलाया था। ताले पर नेहा की उंगलियों के निशान थे, लेकिन चाकू पर नहीं।इसलिए ये केस उलझ गया है श्रीवास्तव की नज़र में।


जब पत्रकार महोदय अंकित गुप्ता के घर गए तो उसकी निहायत ही खूबसूरत बीबी आशा ने अंकित को ही कातिल बताया, क्योंकि विक्रम गुप्ता के फ्लैट की जो चाबी आशा के पास थी वो चोरी हो गई थी और उसका शक अंकित पर था। तो उसने मुंहमांगी कीमत पर अंकित से छुटकारा दिलाने का सौदा पत्रकार महोदय से कर लिया।

पत्रकार महोदय के नेहा के फ्लैट पर पहुचने से पहले नेहा की भी हत्या हो चुकी थी और चाकू के मुठ पर नेहा के उंगलियों के निशान थे, परन्तु पुलिस प्रथम दृश्टि में इसे आत्महत्या करार दे रही है। साथ मे एक पत्र भी मिला है जिसमे नेहा ने शहर छोड़कर जाने की बात की है।

पत्रकार महोदय ने श्रीवास्तव को नेहा का हत्यारा बताया जिससे श्रीवास्तव की खिसक गई। फिर पत्रकार महोदय ऐसी दलील पेश करते हैं। जैसे कि एक लड़की विक्रम जैसे तंदुरुस्त आदमी से हाथापाई नहीं कर सकती, जो अंकित कर सकता है क्योंकि उसके पास हत्या की वजह भी है। हत्या करने के बाद अंकित अपने दोस्त श्रीवास्तव को बुलाता है श्रीवास्तव ने अपनी महिलामित्र नेहा को बुलाया और उसकी उंगलियों के निशान लेकर उसे हत्यारोपी बना दिया। और ऐसी बहुत सी दलीलें पेश की।

आखिरकार श्रीवास्तव और अंकित की पोल खुल गई और उन्होंने अपना अपराध स्वीकार भी कर लिया और पत्रकार महोदय ने अंकित की बीवी आशा के साथ अपनी रातें रंगीन की।

अच्छी कहानी है आपकी।

 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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कहानी- ड्रीम गर्ल
रचनाकार- अंकिता रानी जी।

रिया अपनी माँ को अलविदा कहकर अपने स्कूल पहुचती है तो उसका सबसे अच्छा दोस्त रवि उसे बताता है कि उसे किसी से प्यार हो गया है। रिया के पूछने पर कहता है कि तुम सबसे अच्छी दोस्त हो मेरी तो तुम्हे सब्र रखना पड़ेगा। रिया उसे मिन्नी की पार्टी के लिए निमंत्रण देती है जहां पर रिया और रवि का दोस्त भी उससे पूछता है रवि के प्यार के बारे में मगर रवि ने तब भी नहीं बताया केवल इतना बताया कि वह बहुत खूबसूरत है। फिर पार्टी में थोड़ा बहुत हंसी मजाक होता है।

अगले दिन रवि की माँ का किसी ने बेदर्दी से कत्ल कर दिया है। रवि पर तो गमों का पहाड़ टूट पड़ता है। जब रिया को ये खबर मिलती है तो वो भी वहां पहुचती है तो रवि उससे लिपटकर बहुत रोता है। उसकी माँ की लाश के पास एक खत मिलता है जिसकी बिनाह पर इंस्पेक्टर रवि के पिता रंजीत पर शक करते हैं कि उनका किसी अन्य स्त्री के साथ नाजायज संबंध है और उसी ने उन्हें मारा है।

कुछ दिन बाद रिया के पापा विनोद का भी खून हो जाता है और उनके पास भी ऐसा ही खत मिलता है जैसे रवि की माँ के पास से मिलता है जिसे देखकर इंस्पेक्टर का दिमाग हिल जाता है। तो वो रिया की मां और रंजीत के नाज़ायज़ संबंध की बात करता है जिससे रिया के भाई को गुस्सा आ जाता है।

कुछ दिन बाद रवि के पिता रंजीत और रिया की माँ का भी खून हो जाता है जिससे इंस्पेक्टर के शक करने की वजह भी समाप्त हो जाती है जिससे इंस्पेक्टर भन्ना जाता है। रवि को एक सुराग मिलता है कि वो कातिल हर 15 दिन में कत्ल कर रहा है।

फिर से खून। इस कहानी का नाम ड्रीम गर्ल नहीं मर्डर ही मर्डर रखना चाहिए था। अब रंजीत के घर उसके पापा का और विनोद के घर उसके बड़े बेटे का खून हो जाता है।

मुझे 100 फीसदी लग रहा है कि ये सब रवि कर रहा है क्योंकि रिया ने कहा था कि वो अपने घरवालों की मर्ज़ी से शादी करेगी।इसलिए रवि सबको मार रहा है, लेकिन वो अपने घर वालों को क्यों मार रहा है।

अब इंस्पेक्टर वाघमारे तहकीकात के लिए रवि और रिया के कॉलेज जाता है और उनके दोस्तों से सवाल पूछता है वहीं से उसे पता चलता है कि रिया को 3 लड़कों ने प्यार का इज़हार किया था परंतु रिया ने मना कर दिया था।

इंस्पेक्टर तीनों को पूछताछ के लिए थाने बुलाता है और तीनों को वार्निंग देकर छोड़ देता हैं 1 महीने बाद रवि के भाई का अपहरण करके उसको मार दिया जाता है। यार क्या है ये।हत्या पर हत्या।

अनिल इंस्पेक्टर को फ़ोन करके अभिषेक के बारे में बताता है। इंस्पेक्टर जब अभिषेक के बारे में जानने के लिए रवि के यहां पहुचता है तो हैरान हो जाता है। कारण। कातिल मिल गया और मेरा भी शक सही निकला। रिया अपने घरवालों की मर्जी से शादी करना चाहती थी और रवि के घरवालों को रिया पसंद नहीं थी। इसलिए रवि ने अपने और रिया के परिवार की हत्या कर दी।

इंस्पेक्टर जब तक रवि को पकड़ता वो इंस्पेक्टर को जख्मी कर भाग जाता है और जाते जाते इंस्पेक्टर का ध्यान भटकाने के लिए अभिषेक का नाम लेता है और रिया के घर पहुचकर रिया के भाई की गर्दन पर चाकू रख देता है। परंतु रिया चालाकी से रवि का ही कत्ल कर देती है और अपने भाई को लेकर बाहर चली जाती है।

क्या था ये। ये प्यार तो कतई नहीं था। जो अपने प्यार को हासिल करने के लिए इस हद तक चला जाए। आप से एक अर्ज है कि आप अपनी इन दोनों कहानियों को विस्तार से लिखिए। बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी आपको। खासकर मेरी तो जरूर मिलेगी।


Ankitarani जी। एक बात सच बोल रही हूँ। बहुत ही बेहतरीन और उम्दा रचनाकार हैं आप। आपकी दोनों कहानियां जो प्रतियोगिता के लिए लिखी हैं आपने। दोनों पुरस्कार की हकदार हैं।

आपकी पिछली दोनों कहानी को हमने थोड़ा सा पढ़ा था। लगता है आपकी कहानियों को पूरा पढ़ना ही पड़ेगा। जब ट्रेलर ही इतना जबरदस्त है तो पूरी कहानी पता नहीं क्या क्या सीन और सस्पेंस सामने लाएगी।


बहुत ही बेहतरीन कहानी है आपकी।
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,848
259
Story ~ अपहरण
Writer ~ HalfbludPrince


kahani - - kahani ye ki kaise do insaano ne milkar badla liya do bewafa logo se.. ek ne badla liya apni hi bewafa biwi se aur ek ne apne hi dhokhebaz pati se.. jo milke planning ki undono ke khilaf usme kamyab huye.. lekin aham baat yeh hai ki is jaddojahad mein yeh log bhool gaye us masoom ko kuch ho bhi sakta tha... Rahul ko is planning ke bich lana nahi chahiye tha...

aate hai sameeksha pe - - pyar karna koi paap nahi.. lekin shaadi kisi aur se, aur shaadi ke baad pyaar kisi aur se ye jarur paap hai.. apne jivan saathi dhokha dena mahaz apne purane pyar ke liye aur apne pyar ko pane ke shiv aur shalu ne jo kiya sachme sharamnak hai ... ek masoom ka apaharan... sachme kabhi na maafi na milne wali baat hai..
lekin kehte hai na burayi chaahe jitni bhi badi kyun na ho achhayi ke samne hamesha chhoti hi rahti hai... shalu ka pati ravi aur shiv ki biwi megha shayad bahut pehle hi jaan chuke the shalu aur shiv ke bich k najayaz rishte ke baare mein... isliye dono ne ek hoke shalu aur shiv ke khilaf planning kar unhe hi unke bichaye gaye jaal mein fansa diya... shalu aur siv kanoon ke giraft mein aur sath mein giraftaar hua niraz bhi jo shalu aur shiv ka sath diya Rahul ko apaharan karne mein..
waise yahan pe kuch baatein kuch ansuljhi aur atpati si lagi.... agar is bich rahul kuch ho jata to.. dosh kisko dete ... Ravi aur megha ko ... jinhone bas ye socha ki kaise bhi karke shalu aur shiv ko unke kiye huye bewafayi ka saza deni hai.. wo masoom Rahul jaye bhaad mein
ya phir dosh de shalu aur ravi ko... shalu ne jab bank locker duplicate chabhiya bana hi li thi to us masoom ko kyun ghastita bich mein... kya sochke ki ek plan fail huyi to dusri plan amal karenge dono milke... lekin agar kuch gadbadi ho jati ya police aur unke muthbhed mein Rahul ko kuch ho jata to.....

Koi pasandida kirdaar aur kyun?

nahi is kahani mein koi kirdaar nahi hai.... kyunki jo active kirdaar the unhone bas directly ho ya indirectly apni swarth puri ho ispe zyada dhyan diya is baat pe gaur nahi kiya ki iske chalte us masoom ko kuch bhi ho sakta tha..

kya kirdaar aapko vastavik lage?

Haan par lag bhag .... jo is story ke kirdaaro ne kiya... aise avaidh pyaar ke chalte kayi aise ghatnaye ghatti rahti hai... aise kabhi kabhi khabar news aur akhbaro dekhne aur padhne ko mil jaate hai...

kahani padhke koi anuman ya koi sandesh chupi hai kahani mein..?

itni khash to nahi.... par haan shayad writer sahab yeh dikhane ki koshish ki hai ki burayi ka ant bura hi hota hai.... aur jo aapke prati wafadar hai aapko dil-o-jaan se pyar karta hai unke sath kabhi bewafayi mar kariyo...

kahani ka sabse pasandida bhag aur kyun?

Well... Ek do pasandida bhag to hai .. jaise is ghatna ne sochne ko majboor kare ... ki megha ne aisa kya kar diya..... matlab planning mein kya madad kar di jiske chalte shalu aur shiv pakde gaye.. I think sabse pehle wohi jaan gayi ho shalu aur shiv ke najayaz sambandh ke baare mein phir aake ravi ko aagah kiya ho... phir planning aur iske chalte dono pakde gaye sath hi niraj bhi..

Kuch vishesh prakar ke drishya likhe gaye the... udaharan ke liye koi rahasyamay drisya ya dukhad ya phir tanavpurn drishya?
dukhad ye ki kya mila shalu aur shiv ko ye sab karke...par honi ko koun taal sakta hai...
Akhir tak kayi baatein rahasyamay banaye rakhne mein kamyab rahe writer sahab..is bhi ek plus point hai is kahani mein.. . khas kar megha aur ravi ka rishta aur usse badi baat asli masterminds weh dono hi the.. jo ant mein ujagar hua...

Kya kahani ne ant tak jure rahne ke liye majboor kiya...?

Haan bilkul.... jab kahani humare favorite writer ftk yani ki @halfbloodprince ki ho... to kahani ka jayeka hi kuch aur hai..
readers se yahin request hai ki ek baar is kahani ko padhe jarur... is kahani mein thrill aur suspense bharpur hai... ek baari read kiye to ant tak padhke hi dum lenge.. kyunki ant mein asli rahasya se parda hatta hai...

kahani ko leke kuch baatein mann ki - - jab jaante the ki shalu aur shiv bewafa hai to pehle hi saza de dete apne hi bachhe ko bali ka bakra kyun banaya ravi ne?

ant mein kuch shadb writer sahab ke liye..... sach kahu bura na maaniyo aap mere favorite writers mein se ek hai ... to kahani ko leke expectations badh hi jaati hai.. par is kahani mein kuch kami si lagi...
Baaki ant tak suspense bana raha.... yeh bhi ek plus point hai aur kahani devanagari mein. to padhne mein maza hi kuch aur hai...
sabse mahattvapoorn baat yeh ki jis tarike se muddo ko, saare pehlu ko, har mod ko ek lay mein jis tarike kahani roop mein hum readers ke samaks pesh kiye hai wo sach mein kabile tarif hai.. :bow:

aise hi aage bhi likhte rahiye aur readers ka manoranjan karte rahiye.. :bow:
Brilliant story line with awesome writing skills HalfbludPrince sahab.. :applause: :applause: :applause: :applause:
Thanks for your valuable opinion.
Tum janti ho ki suspense thriller type stories main nahi likh pata, situation ye thi ki jab mujhe net mila to ek din hi tha contest me part lene ka to kah sakte hai ki ye story two minute noodles type hai, bas padho aur bhul jao.

Maybe loopholes, kuch questions jinko elaborate nahi kiya kyonki ye ek short story hai, chahta to intimate scene daal kar thoda spicy kar sakta tha par vo to sab kar hi rahe hai contest me
To bas yahi hai jo hai
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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259
कहानी- द लव स्टोरी।
रचनाकार- रिस्ट्रक्टेड सर

सुनिधि जो किसी आफिस की बॉस है उसके ऑफिस में एक नई लड़की कार्यभार ग्रहण करती है तो वो चपरासी से बोलकर उसे अपने कक्ष में बुलाती है और जाते जाते अपनी पसंदीदा सिगरेट और कॉफी भी लाने के लिए बोल देती है, लेकिन जब चपरासी वापस लौटकर आता है तो सुनिधि बहुत गुस्से में थी। तो उसने चपरासी के ऊपर ही पूरा गुस्सा निकाल दिया।

वो लड़की कुछ देर सुनिधि के कक्ष में बैठी रही फिर अपना सामान समेटकर बाहर चली गई। जब सुनिधि को ध्यान आता है वो तो चपरासी को उसे ढूंढने के लिए भेजती है। और खुद थाने चली जाती है तभी फ़ोन आता है चपरासी का तो सुनिधि अपनी इंस्पेक्टर मित्र ऋचा को लेकर उस लड़की के पास चली जाती है। उस लड़की को उसका पति मारता था तो सुनिधि ने उसकी मदद करनी चाही, लेकिन लड़की द्वारा ऋचा के सामने कुछ न बताने के कारण सुनिधि नाराज़ हो गई और लड़की को दो चार बाटे सुनकर वहाँ से चली गई।

अगले दिन लड़की वापिस सुनिधि के ऑफिस आती है और उसे बताती है कि उसकी शिकायत पर उसका पति जेल में है। उसके पास रहने के लिए घर नहीं था तो सुनिधि उसे अपने पास रख लेती है अपने घर पर। सुनिधि को लगा कि वो उससे डरती है अभी भी तो उसने उसका डर भागने के लिए शराब पिलाना चाहा तो उस लड़की को अपना अतीत याद आ गया जब उसका पति उसे शराब पीकर मरता था।

सुनिधि के बार बार कहने पर वो शराब पीती है और अपनी आप बीती बताने लगती है। जिसे सुनिधि बड़े ध्यान से सुन रही थी। दोनों टल्ली हो चुकी थी तो दोनों सो जाती हैं। सुबह उठकर दोनों खरीददारी के लिए निकल जाते हैं। लेकिन जाने से पहले सुनिधि ने विद्या को अपने कपड़े पहनने के लिए दिया, क्योंकि सुनिधि के हिसाब से विद्या के कपड़े पुराने ही गए थे।

लगता है दो महीनों में सुनिधि विद्या के प्रति आकर्षित हो गई थी। मतलब लेस्बियन का प्लॉट तैयार कर दिया है सर जी ने। बहुत बढ़िया।

लगता है दिव्या से प्यार करने लगी है सुनिधि तभी तो उसकी बहन बनने के लिए तैयार नहीं है।लेकिन बता नहीं पा रही है। बहुत सोचने के बाद रात में बातों बातों में वो विद्या से इस बारे में बात करती है और उसको किश कर लेती है, जिससे विद्या उसे दूर धकेल देती है। 1 सप्ताह तक जब सुनिधि उससे ठीक से बात नहीं करती तो वो घर छोड़कर जाने लगती है तब सुनिधि उसे अपनी कलाई काटने की धमकी देती है विद्या उसे दो थप्पड़ मार के कहती है कि ऐसे धमकी देने से प्यार नहीं मिलता।

तभी ऑफिस से फ़ोन आता है और पता चलता है कि दोनों का स्थानांतरण तारापुर गांव में किया गया है किसी काम के सिलसिले में। जब वो सब अपनी टीम के साथ उस गांव में पहुचे और हवेलियों का निरीक्षण किया और वापस आने लगे तो एक भूतिया हवेली में चले गए। अब यही से कहानी ने नया मोड़ ले लिया।

रात को कोई राजा समीर सिंह की आत्मा विद्या के शरीर मे घुस जाती है और उसे लेके हवेली चली जाती है। सुनिधि उसकी खोज में हवेली पहुँचती है। वहां पर वो आत्मा विद्या के हाथों सुनिधि को मारने की कोशिश करती है। लेकिन सुनिधि अपने प्यार के लिए भागती नहीं और वहीं खड़ी रहती है, जिससे विद्या की आंखों में आंसू आ जाते है।

विद्या उसे बाहर जाने के लिए कहती है क्योंकि समीर सिंह उसके शरीर पर हावी हो रहा था। विद्या सुनिधि को पकड़कर बाहर निकाल देती है और फिर से विद्या की चीख गूंजने लगती है। एक औरत सुनिधि की मदद करने के लिए आगे आती है और उसे अपने पिता के पास ले जाती है। पूरी बात सुनने के बाद औरत के पिता उसे वापस हवेली के अंदर जाने के लिए कहते हैं जो सुनिधि सहर्ष स्वीकार कर लेती है।

उस हवेली में जाकर सुनिधि ने साहस दिखाते हुए विद्या को बचा लिया और उस आदमी ने समीर सिंह को कैद कर लिया। सुनिधि और विद्या देश छोडकर लंदन में बस जाते हैं वहां दोनों शादी करके एक बच्ची को गोद ले लेते हैं।

एक दिन विद्या को उसी औरत का फ़ोन आया जिसने अपने पापा के साथ मिलकर उसे बचाया था। उसकी बात सुनने के बाद वो सुनिधि को एक पत्र लिखकर चली जाती है।

बहुत ही बेहतरीन कहानी है आपकी।
Ristrcted सर जी।

 

Ankitarani

Param satyagyani...
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कहानी- ड्रीम गर्ल
रचनाकार- अंकिता रानी जी।

रिया अपनी माँ को अलविदा कहकर अपने स्कूल पहुचती है तो उसका सबसे अच्छा दोस्त रवि उसे बताता है कि उसे किसी से प्यार हो गया है। रिया के पूछने पर कहता है कि तुम सबसे अच्छी दोस्त हो मेरी तो तुम्हे सब्र रखना पड़ेगा। रिया उसे मिन्नी की पार्टी के लिए निमंत्रण देती है जहां पर रिया और रवि का दोस्त भी उससे पूछता है रवि के प्यार के बारे में मगर रवि ने तब भी नहीं बताया केवल इतना बताया कि वह बहुत खूबसूरत है। फिर पार्टी में थोड़ा बहुत हंसी मजाक होता है।

अगले दिन रवि की माँ का किसी ने बेदर्दी से कत्ल कर दिया है। रवि पर तो गमों का पहाड़ टूट पड़ता है। जब रिया को ये खबर मिलती है तो वो भी वहां पहुचती है तो रवि उससे लिपटकर बहुत रोता है। उसकी माँ की लाश के पास एक खत मिलता है जिसकी बिनाह पर इंस्पेक्टर रवि के पिता रंजीत पर शक करते हैं कि उनका किसी अन्य स्त्री के साथ नाजायज संबंध है और उसी ने उन्हें मारा है।

कुछ दिन बाद रिया के पापा विनोद का भी खून हो जाता है और उनके पास भी ऐसा ही खत मिलता है जैसे रवि की माँ के पास से मिलता है जिसे देखकर इंस्पेक्टर का दिमाग हिल जाता है। तो वो रिया की मां और रंजीत के नाज़ायज़ संबंध की बात करता है जिससे रिया के भाई को गुस्सा आ जाता है।

कुछ दिन बाद रवि के पिता रंजीत और रिया की माँ का भी खून हो जाता है जिससे इंस्पेक्टर के शक करने की वजह भी समाप्त हो जाती है जिससे इंस्पेक्टर भन्ना जाता है। रवि को एक सुराग मिलता है कि वो कातिल हर 15 दिन में कत्ल कर रहा है।

फिर से खून। इस कहानी का नाम ड्रीम गर्ल नहीं मर्डर ही मर्डर रखना चाहिए था। अब रंजीत के घर उसके पापा का और विनोद के घर उसके बड़े बेटे का खून हो जाता है।


मुझे 100 फीसदी लग रहा है कि ये सब रवि कर रहा है क्योंकि रिया ने कहा था कि वो अपने घरवालों की मर्ज़ी से शादी करेगी।इसलिए रवि सबको मार रहा है, लेकिन वो अपने घर वालों को क्यों मार रहा है।

अब इंस्पेक्टर वाघमारे तहकीकात के लिए रवि और रिया के कॉलेज जाता है और उनके दोस्तों से सवाल पूछता है वहीं से उसे पता चलता है कि रिया को 3 लड़कों ने प्यार का इज़हार किया था परंतु रिया ने मना कर दिया था।

इंस्पेक्टर तीनों को पूछताछ के लिए थाने बुलाता है और तीनों को वार्निंग देकर छोड़ देता हैं 1 महीने बाद रवि के भाई का अपहरण करके उसको मार दिया जाता है। यार क्या है ये।हत्या पर हत्या।

अनिल इंस्पेक्टर को फ़ोन करके अभिषेक के बारे में बताता है। इंस्पेक्टर जब अभिषेक के बारे में जानने के लिए रवि के यहां पहुचता है तो हैरान हो जाता है। कारण। कातिल मिल गया और मेरा भी शक सही निकला। रिया अपने घरवालों की मर्जी से शादी करना चाहती थी और रवि के घरवालों को रिया पसंद नहीं थी। इसलिए रवि ने अपने और रिया के परिवार की हत्या कर दी।

इंस्पेक्टर जब तक रवि को पकड़ता वो इंस्पेक्टर को जख्मी कर भाग जाता है और जाते जाते इंस्पेक्टर का ध्यान भटकाने के लिए अभिषेक का नाम लेता है और रिया के घर पहुचकर रिया के भाई की गर्दन पर चाकू रख देता है। परंतु रिया चालाकी से रवि का ही कत्ल कर देती है और अपने भाई को लेकर बाहर चली जाती है।


क्या था ये। ये प्यार तो कतई नहीं था। जो अपने प्यार को हासिल करने के लिए इस हद तक चला जाए। आप से एक अर्ज है कि आप अपनी इन दोनों कहानियों को विस्तार से लिखिए। बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी आपको। खासकर मेरी तो जरूर मिलेगी।


Ankitarani जी। एक बात सच बोल रही हूँ। बहुत ही बेहतरीन और उम्दा रचनाकार हैं आप। आपकी दोनों कहानियां जो प्रतियोगिता के लिए लिखी हैं आपने। दोनों पुरस्कार की हकदार हैं।

आपकी पिछली दोनों कहानी को हमने थोड़ा सा पढ़ा था। लगता है आपकी कहानियों को पूरा पढ़ना ही पड़ेगा। जब ट्रेलर ही इतना जबरदस्त है तो पूरी कहानी पता नहीं क्या क्या सीन और सस्पेंस सामने लाएगी।


बहुत ही बेहतरीन कहानी है आपकी।
Mahi Maurya ji...ye story ap nhi bhi padhti to koi baat nhi...ye story mujhe hi pasand nhi...ye story mene 1ghnte me sochkr typ ki thi..or lgbhga 12bje hi post ki thi...jaldi baaji me...isme apko babht hi spellimg mistake bhi diikhi hongi....is stry me schme mai itna jada achha bna skti thi ki koi soch nhi pata katl kr kon rha hai...lekin time ki vjh se isme suspanse naam matra ka rh gya hai...
Mene admin se request ki thi ki is story ko delet krde...mai ise achha bnakr normal thread pr post krungi...wo nhi maane...iska nam bhi bina soche smjhe ese hi likh diya...jo saaf dikhai de rha hai...or puraskar ke yogy to ye bilkul nhi...
Khair...
Mahi Maurya ji...ye bat ekdm sch hai...ki agr apko suspase pasadn hai...to meri pahli story khamoshiyaa pdho...usme bahhut jaada suspanse hai...har update me suspanse chhipa hai...or aisa suspase ki ap ko hint diya jayega...fir bhi ap smjh nahi poge.....
Khair thanks for review...
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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Mahi Maurya ji...ye story ap nhi bhi padhti to koi baat nhi...ye story mujhe hi pasand nhi...ye story mene 1ghnte me sochkr typ ki thi..or lgbhga 12bje hi post ki thi...jaldi baaji me...isme apko babht hi spellimg mistake bhi diikhi hongi....is stry me schme mai itna jada achha bna skti thi ki koi soch nhi pata katl kr kon rha hai...lekin time ki vjh se isme suspanse naam matra ka rh gya hai...
Mene admin se request ki thi ki is story ko delet krde...mai ise achha bnakr normal thread pr post krungi...wo nhi maane...iska nam bhi bina soche smjhe ese hi likh diya...jo saaf dikhai de rha hai...or puraskar ke yogy to ye bilkul nhi...
Khair...
Mahi Maurya ji...ye bat ekdm sch hai...ki agr apko suspase pasadn hai...to meri pahli story khamoshiyaa pdho...usme bahhut jaada suspanse hai...har update me suspanse chhipa hai...or aisa suspase ki ap ko hint diya jayega...fir bhi ap smjh nahi poge.....
Khair thanks for review...
जरूर पढ़ेंगे आपकी कहानी को। आपने अपनी जो पहली कहानी लिखी थी उसका नाम भी बता दीजिए वो भी पढ़ना है हमें और हो सके तो ड्रीम गर्ल को आप पूरा लिखिए। क्योंकि ये कहानी वाकई में बहुत अच्छी है। सस्पेंस और थ्रिल का शानदार मिश्रण है इस कहानी में।

आप जितनी अच्छी और मंझी हुई रचनाकार हैं उस हिसाब से तो आप इससे भी अच्छी कहानी लिखेंगी।

मैं आपकी लेखनी की दीवानी हो गई हूं।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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Mahi Maurya ji....ye kya tha...
Kya ye schme story thi...itni achhi story apne soch kaise li...kitnu tareef kru km hai...reallu bahut hi sundar or bahatreen story hai apki...
Wese mai apki story ko 2,3din pahle bhi dhund rhi thi..prr nhi mili...shayad najar se chuuk gyi...to mene socha ki apne likhi nhi hogi...aja apka coment dekhkar dobara story dhundi...
Mahi ji...mai jaanti hu ap bahut achhi writet hai...apko ek do kahani thodi bahut pdhi thi mene...
Ye story ek ldki haya ki hai...(ek jagah pane galti se haya ki jagah priya likh diya hai..pr ab change mt krna..mod ko bolna ..khud se mt krna)
Or ek ldke raza ki...
Dono tarkane ki vjh se thodi bahas ho jaati hai...raza ne kosis ki...or haya ko lga wo flirt krne k kosis kr rha hai...
Wese ye soch ldko ne hi ldkiyo ke dimak me daali hai...koo ldki kisi ldki se help bbi mage to ldki ko aisa hi lgta hai...

Unki nafrat dhire dhire dushmani me badal gyi...lekin ye koi esi dushmani nhi jo ek dusre ka bura kre...mamla wha bigda jb rani ka rape hua..or wha se niklte hue haya ne raza ko dekh liya...
Shak raza pr hona zayaz tha...yha haya ki koi glti nhi...raza ke gnde kpde hona..aisa hi lga hoga ki usi ne rape kiya hai...
Haya ne police ko btaya...or police ne raza ko dhar dabocha...
Jail me mar peet bhi hui...kaafi torcher kiya gya....or finally raza ko coart me bualya gya...lekin achha hua...wha rani ne sb sch bta diya...or raza ki chhod diya gya...
Raaza ka gussa ab satve asmaan pr tha...
Yha raaza ki glti hai...wo smjhdar tha...itna to smjh hi gya hoga ki haya ne use us khandar ke bahar dekha...tbhi haya me shk kiya tha...ese me koi bhi dekhta shak hona jayaj tha...use sja deni rhi...koi chhoti moti de deta...rape krne ki kya jrurt thi...ye isne glt kiya...bahut glt...
Khair...izzt ko bchaane k lie...haya ke apa ne raaz se haya ki shadi krwa di...lekin haya ka gussa abbi parwaan chadha hua tha...uska gussa shant nhi tha....lekin yha raaza ne uske gusse ka samman kiya...jo usne bahut achha kiya..husbend wife me kisi ek ko gussa aaye to dusre ko shant rhna chahhiye.....kaafi time tk wo raza ko beijjt krti rhi...akhir me rani ke smjhane pe use kuch smjh aaya...lekin tbhi jalan ki vjh se uske sale ne use goli mar di..leki raza dil ka bhi raza tha..usne zaid ko maaaf kr diya...or yhi se haya or raza ke bich ki kdwahat pyar me bdl gyi...or happy ending...
Bahut achha lga story pdhkr..story ne last tk bor nhi hone diya...esa lga jaise movie dekh rhe hai hm..ek bahatreen love story with revange.....deserve award...
Usc ke chalte kmsekm bahtrneen story pdhme ka mauka mil rha hai...mja aagya...bahut khub mahi ji...all rhe best and keep it up...ap hi jeetenge...
बहुत बहुत धन्यवाद आपका Ankitarani जी

मैंने पता नहीं कितनी कहानियाँ सोची लिखने के लिए, लेकिन एक पैरा लिखने के बाद मूड ही नहीं बनता था। इस कहानी को लिखना शुरू किया तो लिखती ही चली गई। 8727 शब्द पर जाकर कहानी खत्म हुई। उसके बाद कहानी के शब्द कम करते करते 6730 तक लाने में बहुत परेशानी हुई। बहरहाल कहानी मुझे भी ये अच्छी लगी और इसे मैं पूरा विस्तार से लिखने का सोच रही हूँ।

आपके इतनी अच्छी प्रतिक्रिया के लिए एक बार फिर से धन्यवाद।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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कहानी- रोबो
लेखक- अदृश्य सर।

22वीं शताब्दी में वैलेंटाइन के दिन एक रोबोट जिसे रोबो कंपनी ने बनाया है उसमें इंसानी जज्बात और सोचने समझने की शक्ति और इंसानों की तरह इच्छाएँ भी डाली हैं जिसे वो रोबोट याद करके उसे बनाने वाली कंपनी को कोश रहा है कि उसने उसके अंदर इंसानी भावनाएं क्यों डाली। और तो और प्यार वाली भावना भी डाली गई है रोबोट के अंदर। तभी तो उसको मीक्षा नामक लड़की से प्यार हो जाता है जो कुछ साल पहले ही खाई से कूदकर आत्महत्या कर चुकी है।

अब रोबोट को हैंडसम लड़कों से दिक्कत थी। खूबसूरत लड़कियों और महिलाओं से दिक्कत है।

उस हैंडसम लड़के का नाम।अनिकेत है और रोबोट का नाम करण है। दोनों में कुछ बाते होती हैं।बार बार आप बोलने से करन गुस्सा हो जाता है । अनिकेत एक कवि है जिसकी एक किताब भी प्रकाशित जो चुकी है। अनिकेत की एक महिलामित्र है रूही जिससे वो न तो मिला है और न ही फ़ोन पर ही बात की है फिर भी वो उससे प्यार करने लगा है। करन ने रूही के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। क्योंकि रोबोट जी को रूही में रुचि होने लगी थी।

डॉ. विश्वनाथ ने सेक्स करनी वाली रोबोट बनाई जो इंसानों की सेक्स की भूख को शांत कर सके, करण ने भी अनिकेत को बताया कि उसकी कंपनी भी सेक्स रोबोट बना रही है।

आपकी कहानी आने वाले समय के लिए बहुत ही बड़ा संदेश देती है। आज का जिस तरह का खान-पान है। जिस रफ्तार से ज़िंदगी मे भागदौड़ लगी हुई है। जिस तरह से लोग रोजगार की तलाश में अपने घर से दूर हो रहे हैं। आने वाले समय मे महिला और पुरुष दोनों को अपनी इच्छा पूर्ति के लिए ये बहुत कारगर साबित होने ऐसा मुझे लगता है।

और इसी के बारे में शोध करने के लिए कंपनी ने करण को भेजा है। जो असंतुष्ट महिला और लड़कियों से संबंध बनाता है और उनको परखता है। लेकिन मीक्षा के आने के बाद उसकी जिंदगी बदल गई, आज रूही को देखकर उसे फिर से उससे एकतरफा प्यार हो गया। अनिकेत ने रूही को कमअक्ल कहा जो करन को अच्छा नहीं लगा। और उसने अनिकेत को खाई के नीचे फेंक दिया और उसके लैपटॉप से सारी चीजें चुरा कर अपने अंदर सुरक्षित रख लिया और रूही के आने पर उसे वही सब सुनकर आकर्षित करने लगा।

रूही भी उसकी ओर आकर्षित हो गई और करन और रूही ने भरपूर सेक्स किया। बाद में पता चला कि रूही विश्वनाथ की बेटी है और उसे सेक्स रोबोट की खोज पसंद नहीं है इसलिए वो अपने पापा के खिलाफ हो गई है और बदला लेना चाहती है।

बहुत ही बेहतरीन कहानी है Adirshi सर।
 
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