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Adultery हवेली

Logan(Wolverine)

Never back down
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Is story me, pokher ( talaab) ko khodne waale ko mrityu ho jasti jaati hai, yeh surf ek afwaah ho sakti hai kyunki jai Singh nahi chaahta thaa ki use koi khide kyunki usme kai saare rehasye ( secrets) dafn hai, ho sakta hai usme jai Singh ke pita ya unke poorvajo be kai logo ki hatya kar me unke avshesh usme daal diye ho, ya phir kai gahre rahsye ho, jisse unka pardaa phaash ho sake,

Arjun Singh ke pitaaji hatye jaahir taur par ajit Singh ne karwaayi us par sabse badaa shak jaata hai, kyunki ajeet Singh ko chunaav jeetne the, taaki gaanv ki baagdaur usme haath me aakar wah apni manmaani kar sake, chaandni kar character uljhan bharaa hai, uspar bhi shake kiya jaa saktaa hai, ki wah Bhai aapne Bhai ke boore kaamo me ( illegal activities) me milk ho, jab arjun par jaanlevaa hamla huaa, jai Singh air ajit Singh dwaara tab kyaa wah ( chaandni ) arjun Singh ko bachaane aayi thi yaad phir use bachaati ? Nahi wah use mar jaane deti arjun ko chaandni ke kehne par ajit Singh aur jai Singh ko bakshnaa nahi tha ,
Kam se kam ajeet Singh ko to bilkool Bhai nahi , jisne election jeetne ke liye usme pitas ki hatyas kaRwaa di, story ko galat Maud ( direction) diyaa Gayaa hai, arjun Singh ne a aapne pitaa ki maut ki f.I.r Bhii nahi likhwaayi is case me ajeet Singh ke khilaaf , apne par huye jaanlewaa hamlo ki Bhii nahi,.
Arjun Singh apne pitaa aur haveli me rehne waaki aurat rupaali ya kamlaa usme se kisi ek ki najaayaj aulaad ho saktaa hai, kheto me kamro me kisi haveli ki aurat ki chudaai uske aniischha se hoti thi ho data hai usme se eupaali ya kamlaa ho, kamlaa aur rupaali na kuchh pata nahi ho saktaa hai uski hatyaa karwaa di ho air afwaah failaa do ho ki wah videsh chalk gayi ho,
 

Shetan

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HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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tum hi to bole ho ki wo daur beet Gaya jab hum bhai the kya mai first time aaya hun thread par yahan piche dekho hamare aur kaamdev bhai ke comments jane kitne comment hamare yahan se chit chat me transfer hue fir tum lambi chutti par gaye ab idhar hum kaam me fanse hain fir bhi aaye aur tum na lagta jaise ganja funke baithe ho agar hamko tumse lagaaav na hota to kyu aate batao :?:
क्या ही कहे अब कुछ रहा भी तो नहीं बाकी
 

king cobra

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क्या ही कहे अब कुछ रहा भी तो नहीं बाकी
Matlab kya hai bhai abhi mai baki tum baki hum baki jabtak hai jaan sab hai baki
 

Sanju@

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#23

रात को एक बार फिर से मैं लाल मंदिर के प्रांगन में खड़ा हुआ था , कुछ तो बात रही होगी यहाँ पर मैंने दिन में ही सोच लिया था की सोलह सत्रह साल पहले जब ये मंदिर आबाद रहा होगा तो पुजारी भी रहा ही होगा बस उसे तलाशने की जरुरत थी . कुछ आवाजो ने मेरा ध्यान खींचा तो मैं सीढियों की तरफ गया और एक बार फिर से वो ही लड़की मुझे वहां बैठी मिली.

“क्या तुम्हे भी ये खामोशिया पसंद है जो बार बार यहाँ लौट आते हो ” उसने बिना मुझे देखे कहा न जाने कैसे उसे मेरी उपस्तिथि का भान था .

“तुम खामोशियो की बात करती हो , मेरे मन में ज्वार उठा हुआ है ” मैंने कदम आगे बढ़ा कर उसके पास बैठते हुए कहा .

“अक्सर मन के कच्चे लोग उलझ जाते है अपनी कथनी में ” उसने कहा

मैं- तुम किस्मे उलझी हो

वो- ये सामने क्या दीखता है तुमको

मैं- एक बर्बाद पानी का सोता

वो- मुझे ये रक्त दीखता है , मेरे कुल का रक्त

उसने बेशक हलके लहजे में वो बात कही थी पर उसके शब्दों का वजन बहुत जायदा था .

“”तुमने मेरा नाम पुछा था न , डेरे की वारिस हूँ मैं पद्मिनी डाकू मंगल की पोती “ उसने कहा

मैं- तो तुम भी मेरे जैसी ही हो अपने वजूद की तलाश करती हुई

पद्मिनी- मुझे रक्त की तलाश है

मैं- किसका रक्त

पद्मिनी- ये प्यास भी बड़ी अजीब होती है ये प्यास कहाँ देखती है कहाँ फर्क करती है इसे तो बस अपनी पूर्ति से मतलब होता है

मैं- पर तुम्हारी तलब की कहानी कुछ खास जरुर रही होगी . बेशक बताना न बताना तुम्हारी अपनी मर्जी है पर मैंने सुना है की मन की बात कह देने से थोडा बोझ हल्का जरुर हो जाता है

पहली बार मुझे ऐसा लगा की पद्मिनी ने मुझे जी भर कर देखा हो

“क्या तुम मान्यताओ में विश्वास करते हो ” उसने पूछा

“मेरा विस्वास मान्यताओ को तोड़ने में रहा है ” मैंने कहा

पद्मिनी- ये जो पानी का सोता है न , कहते है की ये इसे कोई पूरा नहीं कर पायेगा न जाने किसकी बद्दुआ है बहुत लोगो ने कोशिश की पर कोई भी इसे तालाब नहीं बना पाया.

मैं- तुम क्यों कोशिश नहीं करती क्या पता तुम ये अधुरा काम पूरा कर सको वैसे भी इतनी शिद्दत से तुम्हारी आँखे देखती है इस को तुम्हारा मन बहुत गहरे से जुड़ा है लगता है

पद्मिनी ने एक गहरी साँस ली और बोली- सोलह साल पहले मेरे कुल का रक्त इसी सोते के पानी में मिला दिया गया था .

मैं- मंदिर में रक्त बहाने वाला को शैतान ही रहा होगा.

पद्मिनी- रक्त , रक्त की तलब सदा ही रही है उस देवी को , उसके दर से कभी किसी को आश्रीवाद नहीं मिला. मिला बस दुःख, दुनिया अपने दुःख अपनी तकलीफ इश्वर को बताती है , कहते है की माँ का कलेजा अपनी औलादों के लिए तडपता है पर इस माँ का कलेजा भी इसकी तरह पत्थर का ही है , कभी पसीजा ही नहीं अपनी औलादों के लिए.

मैं- तेरी कहानी भी मुझ सी ही है पद्मिनी तू भी अकेली मैं भी अकेला कहने को हमारे पास सब कुछ पर देखे तो कुछ भी नहीं .

उसने कनखियों से अपनी आँखों का पानी पोंचा और जाने को उठ खड़ी हुई .

मैं- फिर मिलोगी क्या

वो- किसलिए

मैं- अच्छा लगता है तुमसे बाते करना

वो- मैं जरुरी नहीं समझती

मैं- डेरे में आऊंगा मैं फिर

उसने कोई जवाब नहीं दिया और अपने रस्ते पर बढ़ गयी . मेरी नजरे रह रह कर उस पानी के सोते की तरफ जा रही थी पास में एक कुदाली पड़ी थी पद्मिनी के शब्द मेरे कानो में गूँज रहे थे .मैंने पतलून को घुटनों तक मोड़ा और कुदाली लेकर सोते में उतर गया. बहकती रात में ठन्डे पानी ने बदन को चूम कर जो अहसास दिया लगा की रेत पर बरसो बाद कोई बूँद से गिर गयी हो . मैंने कुदाली उठाई और पानी में दे मारी कुछ देर मैं कीचड को बाहर फेंकता रहा और फेंकता रहा .

आँख खुली तो मैंने देखा आस पास लोगो का हुजूम इकठ्ठा था

मैं- क्या हुआ इतनी भीड़ क्यों है

“हमी से कारन पूछते हो बेटा ” एक बुजुर्ग ने कहा

मैं- समझा नहीं बाबा

बुजुर्ग- जरा अपने पीछे देखो तो जरा

मैंने मुड कर देखा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी पानी का सोता गायब हो चूका था और उसकी जगह तालाब हिलोरे मार रहा था .

बुजुर्ग- एक रात में तालाब खोदने वाले कौन हो तुम

मैं- मेरा नाम अर्जुन है बाबा . और मेरा नाम ही मेरी पहचान हैं मैं इस मंदिर को आबाद करने आया हूँ

मेरी बात सुन कर वहां मोजूद लोगो में खुसर पुसर शुरू हो गयी .

“ये मंदिर हमारी जमीन पर बना हुआ है , हमने तुझसे पहले भी कहा था की हमारे इलाके से निकल जा और दुबारा इस तरफ दिखना मत पर तूने चेतावनी को हलके में लिया ” जय सिंह की आवाज सुनते ही गाँव वाले तितर बितर हो गए वो अकड से चलते हुए मेरे पास आया .

मैं- मंदिर में मेरा या तेरा नहीं होता मंदिर सबका होता है और किस जमीं की बात करता है तू जय सिंह , शौर्य सिंह के बाद जमीनों का कोई असली मालिक है तो वो रुपाली ठकुराइन है , सब जानते है तेरे बाप ने धोखे से सब कुछ हथिया लिया . ये मेरी इच्छा है की मंदिर दुबारा से आबाद हो तो होगा . किसी माई के लाल में इतना दम नहीं की वो अर्जुन को रोक सके

“मंदिर का इतिहास रक्तरंजित रहा है बेटा , बरसो पहले गाँव में यहाँ इतना रक्तपात देखा था की आज तक पुश्ते कांपती है तुम ठाकुरों से दुश्मनी मत लो ” उसी बुजुर्ग ने मुझसे कहा

मैं-गाँव बसाने वाले उसे उजाड़ा नहीं करते बाबा, बरसो पहले क्या हुआ क्या नहीं उसकी क्या परवाह करनी पर आज कोई कहे की गाँव उसकी मल्कियत है तो थूकता हु मैं . लोगो पर राज नहीं किया जा सकता लोगो को साथ लेकर चला जाता है . वो दौर बीत गया बाबा जब गुलामी लोगो की तक़दीर हुआ करती थी गाँव तेरा भी उतना ही है जितना जय सिंघ का जितना किसी और का जितना हर एक गाँव वाले का .

जय सिंह- अपनी औकात से बहुत ज्यादा बोल गया तू, तुझे तेरी मौत हमारे इलाके में घसीट लायी है

मैं- इलाके कुत्तो के होते है जय सिंह क्योंकि उनको अपनी हदे मालूम होती है अर्जुन शेर है और शेरो के जंगल होते है


“ तो फिर ठीक है हम भी देखते है तेरे खून में कितनी गर्मी है जब ये धरा तेरे रक्त को पीयेगी तो सकूं बहुत मिलेगा. तूने राजाओ को चुनोती दी है तो ये गाँव भी देखेगा की हमारा जोर न पहले कभी कम था न आज कम है ” जय सिंह ने मेरे सीने पर अपनी बन्दूक लगा दी.
ये अनजानी लड़की का नाम पद्मिनी है ये तो खुद उलझी हुई है इसने कहा कि इस सोता को कोई तालाब नही बना पाया लेकिन अर्जुन ने उसको तालाब बना दिया लेकिन अब सवाल ये है कि पद्मिनी ने ऐसा क्यों कहा ?????
 

Sanju@

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#24



“मेरे जोर की आजमाइश मत कर जय सिंह . कहीं ऐसा न हो की तुझे अफ़सोस करने में देर हो जाये ” मैंने दांत पीसते हुए कहा

जय सिंह- देर तो हो चुकी है

अगले ही पल मैंने दुनाली को ऊपर की तरफ मोड़ दिया और ठीक तभी धायं की आवाज से प्रांगन गूँज उठा, गाँव वालो में अफरा तफरी मच गयी , पर मेरे कदम नहीं डगमगाए मैंने दुनाली को छीन कर फेंक दिया और एक लात मारी जय सिंह को वो मिटटी में जाकर गिरा .

“तेरी ये मजाल कुत्ते ” जय सिंह फिर से मेरी तरफ लपका पर मैंने फिर से उसे एक लात मारी और उसका गिरेबान उठा कर खड़ा किया

“चाहूँ तो तेरी गांड में लकड़ी डाल कर तेरे मुह से बाहर निकाल दू पर मैं ये टकराव नहीं चाहता ,माना की तेरा गुरुर है तू उस खानदान का वारिस है जिसने अपने पसीने और लहू से गाँव को सींचा है पर तेरे पास मौका है महान बन जा , तेरे पुरखो ने इसको बर्बाद किया है उनके गुनाहों का प्रायश्चित कर ले ” मैंने उसके कान में कहा

“मैं भी अपने पुरखो के रस्ते पर चलूँगा मैं भी तेरे लहू से इस धरा को सींच दूंगा. ” जय सिंह ने मुझे धक्का दिया और इस से पहले की मैं उसका प्रतिकार कर पाता पीछे से किसी ने मेरे सर पर वार किया और मेरे सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो गयी . मुझे बस इतना याद रहा की कुछ गीला गीला सा बहते हुए मेरे गालो तक आया हो .

“धाड़ ” एक और हुए वार ने मेरे पैर डगमगा दिए पर इस से पहले की घुटने टिक जाते मैंने पीछे मुड कर डबडबाई आँखों से देखा की हाथ में लाठी लिए अजित सिंह खड़ा था

“पीठ पर वार किया तूने सीने पर खायेगा ” मैने अजित सिंह की लाठी को पकड़ा और उसे धक्का दिया पर सर बुरी तरह से चकरा रहा था .

“अर्जुन तूने जय सिंह को अकेला समझने की भूल कैसे की कम से कम देख तो लेता की उसकी दोस्ती किस से है ” अजित ने मुझ पर वार किया

मैं- कुत्तो का झुण्ड चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो सपनो में भी वो शेरो का शिकार नहीं कर सकते

“तेरा ये वहम भी दूर कर देंगे हरामजादे , आज सारा गाँव देखेगा की हमारे सामने सर उठाने का अंजाम क्या होगा ” जय सिंह ने मेरे मुह पर जोरदार मुक्का मारा .

जय सिंग ने हंटर निकाल लिया और एक के बाद एक मुझ पर वार करने लगा. मेरी शर्ट के चीथड़े हवा में उड़ने लगे. मुझे थोडा समय चाहिए था दो बराबर के लडको से इस हालत में लड़ना मुझे भारी पड़ रहा था , तभी निचे जाती सीढियों से मेरा पैर टकराया और मैं लुढ़कते हुए तालाब में जा गिरा. एक पल मुझे लगा की जैसे लहरों ने मुझे जकड लिया हो मेरा गला घोंट दिया हो पर मैने महसूस किया की किसी चीज से मैं टकराया हूँ और मेरी चेतना जागृत हो गयी . लहरों को चीरते हुए मैं वापिस लौट आया . खांसते हुए मैंने अपने हाथ पत्थरों की सीढियों पर टिकाये और गहरी सांसे लेने लगा. ऊपर आते हुए मैंने एक लड़के का गमछा खींच कर अपने सर पर बाँधा

“अजित सिंह मैंने बहुत कोशिश की तुझे माफ़ करने की सरपंच जी की मौत का जो तूने उपहास उड़ाया मैं पी गया वहां भी मैं गाँव के लिया खड़ा था यहाँ भी पर आज मैं तुझसे कहता हूँ तेरे सारे अपराध आज पुरे हुए कल ही किसी ने मुझसे कहा था की ये धरा प्यासी है रक्त का आह्वान करती है ये धरा और देख आज तेरी किस्मत तुझे यहाँ ले आई ,” मैंने कहा

अजित- अभी भी गुरुर नहीं टुटा तेरा, वैसे तूने ठीक कहा आज किस्मत मुझे यहाँ ले आई बचपन से नफरत करते आया हूँ तुझसे आज ये नफरत ख़त्म हो जाएगी .

मैं- आजा फिर . मुद्दा तो बहुत छोटा था पर ये भी सही .

मैंने अजित सिंह के हाथ की उंगलियों को उमेठ दिया और उसकी चीख निकल पड़ी . जय सिंह मेरी तरफ लपका पर अब मैं सावधान था मैंने सर झुका कर उसको काँधे पर लिया और सीढियों की तरफ धकेल दिया , उसका सर सीढियों पर बने खम्बे से टकराया और वो लुढक गया . मैंने अजीत को धर लिया , जिस लाठी से उसने मुझे मारा था वो लाठी मैंने हाथ में उठा ली और अजित के हाथो पर वार किया

“कहा था न पीठ का हिसाब तेरी छाती देगी ” मैंने अजित के सीने पर लात मारी और उसे धरती पर गिरा दिया . मेरा पैर उसकी छाती पर था

मैं- देख साले तेरे गुरुर के साथ तू भी मेरे कदमो में है और मेरी भी जिद है की तेरे गुरुर के साथ साथ तुझे भी ख़ाक में मिला दू

मैंने जी भर कर लाठी के वार अजित की छाती पर करने शुरू किये अजित किसी भैंसे की तरह रंभाने लगा.

“तू भी आजा बहनचोद जय सिंह तेरी भी गांड आज तोड़ कर ही जाऊंगा ” मैं जय सिंह की तरफ लपका और उसके चूतडो पर लात मारी . फिर मैंने दुबारा से अजित को पकड लिया और उसके पैर को घसीटते हुए प्रांगन के बीचो बीच ले आया .

मैं- क्या कह रहा था तू अब बोल न साले

“कड़क ” आवाज आई और अजित की चीख इतना जोर से गूंजने लगी की वहां खड़े प्रत्येक व्यक्ति का कलेजा कांप गया . पलक झपकते ही अजित का पैर टूट गया .

मैं- न न न अभी ये मैदान मत छोड़ प्यारे, अभी तो शरूआत है जब तक तेरे प्राण न छूट जाये ये तड़प तेरी साथी बनी रहेगी .

मैंने उसके टूटे हुए घुटने पर लात मारी और उसकी चीख ने मेरी रूह को इतना सकूं दिया की क्या ही कहूँ पर बस कुछ पल के लिए क्योंकि तभी एक आवाज एक चीख मेरे कानो में टकराई


“अर्जुन , छोड़ देअजित को ” और मैं हक्का बक्का रह गया .
अजीत और जय दोनो दोस्त हैं ये साले अजीतऔर जय अपनी झूठी शान और अपनी दबंगाई दिखाने के लिए गरीब लोगो पर जुल्म करते है लेकिन अब उनका सामना अर्जुन से हुआ है अर्जुन ने इन दोनो को अच्छा सबक सिखाया है इनकी तो गांड़ तोड़ देनी चाहिए लेकिन अब कोन आ गया इनको बचाने के लिए ?????
 
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