UPDATE 83
सोनल का फोन का रख कर मैं निकल गया दुकान की तरफ और वहा का काम खतम कर वापस पढाई मे लग गया ।
4 दिन बीते और मै अपनी रूटीन के हिसाब से निकल गया चंदू के साथ एग्ज़ाम के लिए आज सरला रास्ते मे नही दिखी बल्कि कमरे मे मेरे से पहले ही बैठी थी और मेरे आने से काफी खुश थी
आज उसने वाइट कुर्ती और क्रीम कलर की लेगी पहना हुआ था और साइड से दुपट्टा की थी ।
मै भी उसको देख कर उस दिन उसके घर हुई घटना को याद कर उत्तेजित हो गया और एक गहरी आह भर कर उसके पास बैठ गया ।
सरला जो कि आज काफी खुश थी बोली - आज तो तुम लेट हो गये
मै ह्स कर उसे छेड़ने के अंदाज मे - मुझे नही पता था कि कोई मेरा इन्तजार कर रहा था नही तो जल्दी आ जाता हिहिही
सरला मेरी बात से शर्मा गयी
मै एक और एक्का फेकते हुए - बहुत अच्छी लग रही हो क्या बात ह
सरला शर्माते हूए अपने बालो के लट को कान मे खोस्ते हुए मुस्कुराकर निचे देखने लगी तो मै उसके थोडा और करीब हुआ
सरला थोडा हिचक मह्सुस कर अपनी कमर को सिधा कर इधर उधर देख कर फुसफुसा कर
सरला तिरछी नज़र से मुझे देख कर एक मुस्कुराहट के साथ - ये तुम क्या कर रहे हो राज कोई देख लेगा
मै ह्स कर - तो परिक्षा के बाद ऐसी जगह चले जहा हमे कोई देखे ना
सरला मेरी बातो से अपने होठो को आपस मे दबाते हुए मुह फेर के हसने लगी और फिर जब हसी ना रोकी गयी तो मुह पर हाथ रख लिया
और उसका एक हाथ अभी भी बैठने वाली सीट पर मेरी तरफ था तो मैने हिम्मत कर उसकी ऊँगली को छुआ तो वो झट से अपना हाथ खिच ली
फिर मै भी सीधा होकर इधर उधर देखने लगा
और मैने अपना पेन खोला और वही सामने ब्रेन्च पर लिखा दिया " बाग मे "
और फिर पेन को सीट पर ठक-ठक कर सरला को इशारा किया तो सरला बडे ध्यान से गरदन आगे कर पढने के बाद मुस्कुरा कर ना मे सर हिला कर मुह फेर कर हसने लगती है
फिर परीक्षा का समय होता है और हम दोनो ने मिल कर परीक्षा देने के बाद वाप्स सीट पर लिखे शब्द पर इशारा करता हू और वो इतरा कर मुस्कराने लगती है ।
आखिरी घंटी बाजी और हमारे पेपर जमा हुए और मै जल्दी से चंदू को लिवा कर घर की ओर गया और उसे उसके घर भेज कर वापस से नारायणपुर की ओर
और जैसे ही पुलिया पर आया तो मुझे सरला बाग की ओर जाती दिखी जो घूम घूम कर पुलिया की ओर देखते हुए मेरे आने का इंतजार कर रही थी
मै वही दौड़ कर उसके पास गया और वो मुझे देख कर हसने लगी
मै झट से उसका हाथ पकड कर सड़क से दुर बाग मे ले गया
सरला चौक कर अपनी कलाई छुड़ाने की हल्की सी कोसिस करते हुए - अरे राज ये तुम क्या कर रहे हो कोई देख लेगा हमें छोड़ो मुझे घर जाना है
मै भी तुनक के - क्या करोगी घर जाकर , मुझसे बात नही कर सकती थोडा
सरला इतरा कर मुस्कुराते हुए - मै जानती हू तूम क्या बात करना चाहते हो राज
मै उसके करीब जाकर उसकी कमर मे हाथ डाल कर खिचते हुए - तो बताओ ना प्लीज
सरला शर्मा के नजरे नीची कर ली उसकी तेज सांसे उसकी चुचियो को और फुला रहे थे जिसका आभास मुझे मेरे सीने के निचले हिस्सो पर हो रहा था ।
सरला का कद मेरे कन्धे तक ही था और उसे चूमने के लिए मुझे झुकना पड़ा लेकिन वो भी मानो इसके लिए तैयार थी और उसने बिना किसी रोक के मुझे आगे बढ़ने दिया और मैने उसका चेहरा थाम कर उसके होठो को चूसने लगा
सरला भी मेरा साथ देते हुए मेरे होठो को चुसने लगी
धीरे धीरे मेरे हाथ उसके कूल्हो की ओर जाने लगे और मैने उसकी कुर्ती उठा कर लेगी के उपर से उसके कूल्हे की उभरी चर्बी को दबोचने लगा
जिसका आभास होते ही सरला ने मुझसे अलग हो गयी और अपने सासे बराबर कर - नही राज , मुझे घर जाना है
और वो अपना मुह पोछ कर अपना दुपट्टा सही करते हुए सड़क की ओर जाने को हुई
मै लपक कर एक कदम आगे बढ़ कर वापस से पीछे से सरला को पेट से पकड कर थोडा झुक उसके कन्धे पर सर रख कर - क्या हुआ बाबू हम्म्म
और उसके गाल और कान के सम्वेदनशील हिस्से पर किस्स किया
सरला मेरे दुलार से पिघलने लगी और बोली -
तूम जो चाह रहे हो वो मै नही अह्ह्ह उम्म्ं नही राआआअज अह्ह्ज इस्स्स उम्म्ंम्ं उफ्फ्फ आराम से अह्ह्ह मा
सरला तो पहले से ही तैयार थी बस वो इतना जल्दी खुलना नही चाहती थी इसलिए मैने उसकी बात खतम होने से पहले ही उसकी चुचियो को कुर्ती के उपर से मिज्ने लगा और उसकी नारियल जितनी मोटी चुचिया का वजन बहुत था और काफी मुलायम भी थी
मै सरला की चुचियो को मिज्ते हुए उसके कान काटने ल्गा और धीरे से कहा - तुम बहुत सेक्सी हो सरला और तुम्हारे नारियल बहुत मोटे है अह्ह्ह
सरला कसमसा के - ओह्ह राज मत करो ऐसा आह्ह और प्लीज ऐसी बाते आह्हा अह्ह्ह मा प्लीज ऐसी बात ना करो मुझसे
धीरे धीरे मैने सरला की चुचिया मिज कर उसे एक मोटे महुए के पेड़ के पास लाकर घुमा कर खड़ा कर दिया और पीछे उक्डु बैठ कर उसकी कुर्ती उठा कर झट से उसकी लेगी निचे खिच दी और लॉन्ग सलेटी पैंटी मे कैद उसकी मोटी गाड़ देख कर मै उन्हे दबोचने लगा जिस्से सरला और भी सिस्कने लगी ।
मै झट से उसकी कच्छी को खिच कर उसके गाड के पाट फैलाते हुए उसके गाड के सुराख को चाटने लगा और सरला पेड़ पकड़े खडे खडे कसमसा कर एठने लगी ।
थोडी देर बाद मैने उसको घुमाया और सामने कर उसकी झाटो से भरी चुत मे मुह पेल दिया जिस्से सरला सिस्क गयी और मेरे सर को दबाने लगी । उसकी चुत तो पहले से ही पनियाई थी जिसका चटक नमकीन स्वाद पाकर मेरा जीभ और जोर से उसकी गुलाबी गली मे घुसने लगा
सरला - ओह्ह मा राज आराम से मै गिर जाऊंगी आह्ह अहआह्ह उम्म्ंम
मै यहा बाग मे ज्यादा समय नही बिता सकता था क्योकि आये दिन यहा प्रेमी युगल जो कि ज्यादतर स्कूली बच्चे होते थे यहा रंगरेलिया मनाते देखे जाते थे ।
फिर मैने देर ना करते हुए उसे वापस घुमा कर पेड़ पकड़ा कर झुका दिया और अपना पैंट खोल कर लण्ड बाहर निकाला और मुह से थूक लेके सुपाड़े पर लगा कर गिला किया ।
फिर सरला के गाड़ को खिच कर थोड़ा और झुका दिया और खुद भी झुक कर एक बार हाथ से उसकी चुत को टटोला और अपना लण्ड उसके चुत के मुहाने पर लगा कर ग्च्च से आधा लण्ड पेल दिया
वही सरला मेरे धक्के से अपना मुह दबा के अपनी चीख को दबाते हुए सिस्कने लगी
मैने धक्के तेज कर जल्द ही पुरा लण्ड उसके खुले चुत मे अंदर बाहर करने लगा
मेरे मोटे लण्ड से लगातार चुद्ने से सरला जल्द ही झड़ने लगी और उसकी पानी से मेरा लण्ड और भी लय बना कर अंदर बाहर होने ल्गा तो मैने सरला के कुल्हो को थाम कर उसकी चुतड मे जांघ लड़ाते हुए तेजी से पेलने लगा । मै जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था इसिलिए उसकी चुत मे तेजी से घपाघप पेले जा रहा था और मेरी गति इतनी तेज थी की उसके बदन का पुर्जा पुर्जा हिल रहा था और उसकी सिसकियो मे भी झंझनाहट आ गयी थी । जल्द ही मेरे लण्ड मे खुन गरम होने लगा और उसका आकार चुत के बढने लगा
जिससे सरला की आवाज सिसकी तेज हो गई और वो मुह पर हाथ कर दर्द सह्ती रही और मै जल्द ही झड़ने के कारिब आया और मैने उसे खिच कर नीचे कर उस्के मुह पर लण्ड हिलाने लगा और उसके मुह पर झड़ने लगा और उसके मुह मे जबरजस्ती लण्ड को पेल दिया और उसने बडे चाव से मेरे लण्ड को चुस कर साफ किया
फिर हमने अपने कपड़े पहने और मैने जेब से अपना रुमाल दिया तो उसने गरदन और चेहरा पर लगा मेरा पानी साफ कर मुझे रुमाल देने लगी
मै ह्स कर - कोई बात नही रख लो उधर कही फेक देना
फिर मैने उसको पकड कर उसके होठो को चूसा और उसकी मोटी गाड दबाई
फिर वो बिना कुछ बोले निकल गयी और मै उसकी मतकती गाड देख के फिर उत्तेजित मह्सुस करने लगा ।
लेकिन यहा रुकना ज्यादा देर तक मेरे लिये सही नही था तो मै वहा से निकल के वाप्स घर की ओर आ गया
घर आके मैने खाना खाया और सो गया ।
फिर मैने आगे के परीक्षा की तैयारी मे लग गया ।
और अगले बाकी 2 परीक्षाओ के दिन मैने सरला को उसी बाग मे ऐसे ही शार्ट टाईम चोदा और इधर कोमल ने अलग विषय लिये थे तो जिस दिन उसका एग्ज़ाम रहता उस दिन दोपहर को विमला मेरे पास फोन करती और फिर मै विमला के साथ अनिता की भी जम कर चुदाई करता ।
खैर समय बीता और 2 मई को मेरी आखिरी परीक्षा समाप्त हुई । अब अगले दो तीन महिने मै पूरी तरह फ्री था ना कोई पढाई ना कोई कोचिंग बस मस्ती मजा और सेक्स का धमाल होना ।
आखिरी एग्ज़ाम के बाद मुझे सरला से मिलने जाने का मौका नही मिल पाया
क्योकि मै और चंदू स्कूल से निकल कर सबसे पहले उसके चौराहे वाले घर गये और रास्ते मे हमने कोक की दो बॉटल ली और सबसे उपर की छ्त के जीने के दरवाजे के पास बैठ कर हम दोनो ने अपनी कोक की कैन को खोला और एक एक सिप लेने के बाद
चंदू - भई भाई अब कोई टेन्सन नही है अब बस घर जाकर सबसे पहले मा को चोदूंगा
और अगले हफते दीदी भी आ रही है एग्ज़ाम खतम कर ,,फिर उसकी भी मोटी गाड़ मे अपना लौडा डालूंगा
मै भडकते हुए शब्दो मे - तो जा ना साले मुझे क्या सुना रहा है , भाग यहा से
चंदू थोड़ा सहम कर - सॉरी भाई ,,यार भडक मत
मै चिल्ला कर - तो क्या करु भाई ,,तू साले रोज अपनी मा बहन को चोद लेता है और मुझे हिलाकर काम चलाना पड़ता है ।
चंदू अपनी सफाई मे कुछ बोलता उससे पहले ही मै वाप्स भड़के स्वर मे - भाई प्लीज कुछ बोल मत मै सफाई नही सुनना चाहता कुछ जब तेरे बस का है ही नही तू मेरे लिए कुछ कर सके तो बेकार है तेरी दोस्ती
चंदू अकड के - भाई अब तू दोस्ती को बिच मे मत ला ,,, मै तेरे लिए कुछ भी कर सकता हू
मै चिल्ला के - तो कर ना भाई ,,,मै परेशान हो गया हू हिला हिला कर
चंदू कोक की बोतल को खाली करते हुए - ठीक है अगले हफते दीदी आ रही है और मुझसे पहले तू उसकी चुत मारेगा ये मेरा वादा है भाई
मै खुशी से चंदू को देख्ते हुए - सच कह रहा है भाई
चंदू - हा रे , वैसे भी सालि हमेशा रट लगाती है की काश मेरे जैसा दो लण्ड होता तो उसको एक साथ लेती ,,,अब तेरे मोटे खूटे से उसकी गाड़ फड़वाउंगा। आने दे
फिर मै खुश होकर उसको शाबसी दी और वो अपने घर चला गया और मै बगल मे अपने घर
चंदू के साथ काफी समय बिच चुका था तो मुझे सरला से ना मिलने का अफसोस था
फिर घर आकर देखा कि दीदी आ चुकी है फिर भी मैने खाना खाया उसको लेके घुस गया एक बेडरूम मे
सोनल ह्स्ते हुए - ओह्ह भाई अरे इतना उतावला मत हो भाई
मै सोनल को पीछे से कस कर उसकी चुचियो को सूट के उपर से मसलते हुए - आह्ह दिदी आज मत रोको उम्म्ं बहुत दिन से रोका हुआ है खुद को
सोनल कसकसा कर - उह्ह्ह भाई रुक जा मै नही कर सकती ना आज ना ही अगले 3 4 दिन
मै चौक कर - क्यू आपका मन नही है क्या
सोनल घूम कर मेरे गाल सहलाते हुए - भाई मेरा भी बहुत मन है लेकिन अभी मेरा महीना आया हुआ है
मै उदास मन से - अब फिर क्या करु तब
सोनल हस कर - निशा को बुला ले हिहिहिही
मै एक कातिल हसी से सोनल को अपनी तरफ खिच कर - वाहह जान क्या आइडिया है , मै अभी फोन लगाता हू उसे
फिर मैने झट से जेब से फोन निकाला और लगाया 3 रिंग के बाद फोन उठा
मै कुछ बोलता कि उस्से पहले ही चाची की आवाज आई - हा हैलो राज बेटा बोलो
मै चौक कर अपनी भावनाओ को दबाते हुए - अरे चाची आप ,, निशा दिदी कहा है
चाची - बेटा अभी तो वो परिक्षा देने गयी है ,, उसकी दुसरी शिफ्ट मे 2 से 5 परिक्षा है ना
चाची की बात सुन कर मेरा मूड फिर से बिगड़ गया मै गिरे मन से - ओह्ह ठीक है चाची
चाची - और बता बेटा तेरा और सोनल का परीक्षा कैसा गया
मै मुह बना कर - लो दिदी है उसी से बात कर लो
फिर मै फोन दीदी को दे कर वही बिस्तर पर मुह गिराये बैठ गया ।
थोडी देर बाद सोनल चाची से बात कर फोन रख दी और मेरे पास आई - क्या हुआ भाई ऐसे उदास ना हो मेरे पास एक और आइडिया है मेरे जानू
मै उखड़े मुह से - अब क्या है बोलो
लेकिन सोनल बिना मेरे सवालो का जवाब दिये मेरे पैरो के पास निचे घुटनो के बल खड़ी हो के मेरे पैंट खोलने लगी और फिर मेरे सोये लण्ड को अंडरवियर के उपर से छुआ
जिससे मेरे तन मे एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
जल्द ही सोनल ने मेरा लण्ड को बाहर आधे खडे लण्ड को हाथ मे पकड कर मुह मे भर लिया और उसके होठो के मुलायम घिसायि से मेरे लण्ड की नसो मे जान आने लगी और उनमे खुन की गति तेज होने लगी । धिरे धीरे दीदी ने मेरे पुरे लण्ड को गिला कर अच्छे से सहलाते हुए खड़ा के दिया और सुपाडे पर अपने जीभ की कला दिखाने लगी ।
मेरे चेहरे के भाव बदल गये और मन मे एक गजब की शान्ति छाने लगी और एक सिसकी से मेरे गले से बाहर आने लगी ।
कुछ ही पलो मे दिदी ने लण्ड को पुरा मुह मे लेना सुरु कर दिया और गूऊऊऊऊ गुउउउऊ कर खास्ते हुए लण्ड गले मे उतार कर सारा लण्ड लार से गिला कर दिया
सोनल के गले मे की घुंडी मे सुपाडे को छूने लगी और धीरे धीरे मेरे आड़ो की थैली कसने लगी और उनमे एक्थ्था वीर्य अपनो जगह बदलने लगा और लण्ड के नसो मे प्रेशर बढाने ल्गा और मै अपने गाड़ को सख्त कर सुपाडे की नश पर जोर देके अन्त तक वीर्य को बाहर निकलने से रोके रहा । नतिजन उस दबाव से मेरे चेहरे के हाव भाव बदल गये और तपन बढ़ गयी । वही सोनल लगातार गले मे लण्ड गुउऊ गुउऊ गुऊ कर उतारे जा रही थी ,,,, और मेरे सांसे फूलने लगी वही लण्ड की नशो मे वीर्य भरने से वो और भी मोटा हो गया और सुपाड़े मे जलन होने लगी ,,,जिससे मेरे नशो की पकड ढीली पड़ने लगी और एक तेज अह्ह्ह के साथा मैंने लण्ड की नश से अपना दबाव छोड दिया और एक भलभ्ला कर लण्ड ने पिचकारी सोनल के गले की दिवारों पर जाने लगी और बाकी मुह भरने से वीर्य उसके मुह से निकल कर मेरे लण्ड और आड़ो पर रिसने ल्गा ।
जल्द ही सोनल ने वापस से मेरे लण्ड को चुसना शुरु कर दिया और अच्छे से जीभ फिरा कर लण्ड को साफ कर छोड दिया और बेड से टेक लगा कर हाफने लगी । वही मै चित होकर बिस्तर पर गिर गया ।
परीक्षा की थकान और दीदी से अपना लण्ड निचोडवाने के बाद मैने अपने कपड़े ठीक है वही बेडरूम मे ही सो गया ।
शाम 4 बजे तक मेरी निद मा के जगाने से खुली
मै उठती आँखो से - उह्ह्ह हा मा बोलो क्या हुआ
मा हस कर - अरे उठ जा बेटा , चल कुछ खा पी ले
मै एक जोर की अंगड़ाई लेके उठा और जाकर फ्रेश हुआ और फिर मा ने चाय नासट दिया
फिर मै निकल गया दुकान के लिए
मै दुकान पर गया
और आज दुकान पर ऐसी हस्ती आई थी जिनको देख कर दिल बागबाग हो गया ।
अंगुरी रंग के बेस पकड़े लाल हरा और गहरे नीले की चौकोर चित्तीयो वाली सिफान की साडी जिसमे उनका पारदर्शि यौवन दिख रहा था । सीने पर मैचींग ब्लाउज मे कसा उनका 34DD का गोल कड़ा जोबन , हल्की चर्बीदार पेट से 4 इन्च उभरा हुआ था ।
डार्क मैट मे मरून लिपस्टिक उनके होठो की मुस्कुराहट को और भी कामुक बना रहे थे । ब्ड़ी ब्ड़ी गोल मटोल नेचुरल सुरमई आंखे के बीच एक छोटी सी बिंदीया ।
कमर के निचे के क्या कहने अन्दाजन 36 का उभार लिये सिफान की साडी मे चिपके दो अर्ध गोले
अह्ह्ह ये हुस्न
इसको देख कर मह्सूस होने लगा मानो दिल ने अपना काम मेरे लण्ड को सौप दिया हो और पुरे शरीर का खुन वही से फिल्टर होने के लिए एकठ्ठा हो रहा हो
मैने एक गहरी सास लेके पैंट मे आये उभार को दबा कर ह्स्ते हुए दुकान मे चढा और मुझे देख कर वो रसिली छैलछ्बिली हस कर बोली - आओ देवर जी आओ
उसके मुह मे सफेद मोतियो जैसे दाँत के बीच सुर्ख गुलाबी जीभ मेरे सांसो को भारी करने लगी और मै एक नयी कलपना मे खो गया । उसके बदन से आती एक परफ्युम की महक मुझे अध्यात्मिक शान्ति के साथ उसकी ओर मुझे एकाग्र करने मे मानो मेरी मदद करने लगी
वो कल्पना मुझे एक बंद कमरे के सोफे मे ले गयी जहा हर तरफ ब्लैक डीप अंधेरा था और कोई फोक्स लाईट हमारे कृत्य को उजागिर कर रही थी मै खुद को हवा मे उडते हुए मह्सूस कर एक परम आनन्द के मजे ले रहा था मेरे पैरो मे बैठी वो हसिना मेरे लण्ड के सुपाड़े पर अपनी गीली गुलाबी जीभ नचा रही थी
तभी मुझे वापस उसकी आवाज आई - मै कबसे तुम्हारी ही राह देख रही थी ।
और मानो मै किसी गहरे दिवास्वप्न से जगा हू और वापस उसी मे डूब जाना चाहता हू
एक गहरी सास के साथ मुस्कुरा कर उखड़ी हुई आंखो से - अरे पंखुड़ि भाभी आप
वो अपने प्यारी सी मुस्कान देने के बाद इतरा कर - शुक्र है हमरे किसी देवर ने हमको पहचाना तो
फिर अनुज की ओर इशारा कर - और ये है इनकी बहिनीया को घोड़ा चोदे , हमसे शरमा ऐसे रहे है जैसे इनके भसुर आ गये हो सामने
मै उनकी बातो से ह्स के - अरे अनुज पहचाना नही ,,,ये हमारे गाव वाले जमुना ताऊ की पतोह है पंखुडी भौजी हिहिहिही
अनुज शर्मा कर ह्स्ते हुए - हा जानता हू भैया ,,लेकिन ये हमको परेशान कर रही थी
पंखुडी भौजी - अरे अब अपने छोटकन भतार से मजाक ना करे तो का ससुर से करे , हा बोलो
मै उनकी बाते सुन के हस कर - हा हा काहे नही भौजी ,,
मै अनुज से - अरे तुम ये सब छोडो और जाकर कल्लु काका के यहा से कुछ खाने के लाओ , ये ग्राहक बाद मे है अपनी मेहमान पहले है
पंखुडी अनुज को छेड़ते हुए - अरे हम तो कबसे राह देखत रही कि कब हमार छोटका भतार हमको आपन गुलाबजामुन खिलैहिन
पंखुडी भौजी की डबल मिनिग बात मै और अनुज बखूबी समझ रहे थे ।
अनुज जल्दी से पैसा लेके निकल गया कल्लु की दुकान की ओर
मै हस कर - आओ भौजी बैठो , और बताओ कैसी हो और घर मे सब कैसे है
पंखुडी खुशि भाव से - घर मे तो सब ठीक है बाबू लेकिन तुम कभी नही आते अपना भौजी के हालचाल लेने
मै - बस थोडा बिजी हू भौजी ,, और बताओ अकेले आई हो का
पंखुडी भौजी - अरे नही वो तो हम अम्मा के साथ आई थी तो वो गयी है तोहार बाऊजी के दुकान पर कुछ सामान के लिये और हमको यहा से काम था ,,
मै हस कर- अरे कोई शादी वादी है क्या भौजी
पंखुडी भौजी - हा वो हमारे बनारस वाली बुआ के लडकी की शादी है वही जाना है , ले मै तो भूल ही गयी । मुझे तो बहुत समान लेना है जल्दी जल्दी तू निकाल दे लल्ला
मै खड़ा होकर - जी भौजी बोलो
फिर पंखुडी भाभी ने समान की लिस्ट मुझे दी
मैने एक नजर समान के पर्ची पर डाली और उसमे ब्रा पैंटी भी था लेकिन साइज़ नही था
मै हस कर भौजी को पर्ची मे ब्रा पैंटी वाली लाईन दिखा कर - अरे भौजी ये कौन सी साइज़ मे रहेगी
पंखुडी भौजी हस कर मुझे छेड़ते हुए - इतनी ब्ड़ी पर्ची मे सिर्फ़ उहे नाही समझ आया तुमको हा , मेरे नाप का निकाल दियो दो सेट
मै थोडा मुस्कुरा कर - जी भौजी साइज़
पंखुडी हस के - धत्त मतलब कौनौ काम के भतार ना हो तुम सब
मै ह्स कर - मतलब
पंखुडी- अरे साइज़ पुछा जात है कि मापा जात है
मै उन्के छेड़ने की अदा से शर्मा गया
पंखुडी - दो 34DD की ब्रा और दो 36 की पैंटी निकाल देना ,,,
मै कुछ बोलने को हुआ की वो वापस मुझे छेड़ी जिससे मै झेप गया - अब ई ना पुछना कि इतना बड़ा साइज कैसे है हमार हिहिही
मै उनकी बातो से शर्मा गया और काम लग गया ।
नया परिचय
जमुना ताऊ - मेरे पिता के चचेरे भाई
पत्नी - रंजू ताई , सावला रन्ग भरा जोबन और फैले हुए कुल्हे । शुध्द फुहर पूर्वांचली बोली ,,, मजाक के मामले इनसे सब 19 ही है
बेटा - रोहन 28 साल , बडे शहर मे प्राइवेट जॉब करता है
पतोह - पंखुडी, रोहन की पत्नी 25 साल , कायाकल्प का विस्तार तो ही गया है और अपनी सास की संगत मे ये भी मजाकिया पदो के बिच खुल कर मजाक करती है । जैसा सुन्दर सुरत वैसी ही अच्छी सीरत । बड़ो के साथ अदब , छोटो के साथ प्यार और हसी मजाक
पोती - सलोनी , रोहन और पंखुडी की बेटी काफी छोटी है । ( कोई रोल नही )
ये सारे लोग चमनपुरा से लगे हमारे पुस्तैनी गाव फुलपुर मे रहते है जहा मेरे स्व बाबा के समय मे पापा का बचपन गुजरा था ।
खैर मैने जल्दी से सारा समान निकाला थोडी देर मे अनुज भी समोसा लेके आया और फिर पंखुडी भौजी और हम सबने मिल कर खाया ।
फिर पंखुडी भौजी को रंजू ताई फोन आया की उनको समय लगेगा बाजार मे वो घर चली जाय भैस दुहने का समय हो गया है ।
पंखुडी - ला लल्ला सामान दे मुझे जाना है
मै - क्या हुआ भौजी अकेले काहे जा रही हो
पंखुडी - अरे लल्ला वो शाम होने को है और भैसिया के दूहने का समय हो गया ना
मै हस कर - अरे वाह आपको दूध दुहने आता है क्या
पंखुडी भौजी हस कर - कभी आना तुमको भी सिखा दूँगी दूध दुहना , आखिर कुछ साल बाद काम आयेगा ही हिहिहिही
मै उनकी बाते सुन कर अनुज के सामने झेप सा गया क्योकि मै और अनुज दोनो उनकी डबल मिनिग बाते समझ रहे थे ।
ऐसी ही तो थी मेरी पंखुडी भौजी , सेक्सी चंचल और रन्गीली। किसी का भी मन मोह ले ऐसी
थोडी देर मे हम खाली हुए और यहा अनुज थोडे देर पहली हुई पंखुडी भाभी की छेड़छाड़ से शर्मिंदा मह्सुस कर रहा था
मै मन मे - यार ऐसे नही चलेगा इसकी शर्म कम करनी ही पड़ेगी , जल्द ही कूछ ना कुछ करना ही पडेगा इसके लिए ।
मै अनुज से - और बता भाई कैसी चल रही है लाइफ
अनुज ह्स कर - ठीक है भैया
मै - और कोई दिक्कत तो नही
अनुज - नही भैया कोई दिक्कत नही
मै - फिर कोई प्लान बनाया कि नही छुट्टीयो मे घूमने का
अनुज मायुश होकर - कहा भैया दुकान से फुरसत ही नही है तो क्या करु
मै ह्स कर - अरे अब मै आ गया हू ना , जा कही घूम टहल आ
अनुज - हा लेकिन किसके साथ जाऊ और कहा
मै - अरे कही क्या ,,मामा या बुआ के यहा चला जा या फिर मौसी के यहा घूम आ कुछ दिन
अनुज मेरे बातो से इंकार करने के भाव मे - भक्क भैया पिछ्ले साल भी तो गया था बुआ के यहा ,,, मामा के यहा गाव मे जाने का मन नही करता और मौसी के यहा कोई होता ही नही जिसके साथ घुमू बात करु
मै हस कर - तब कहा जायेगा
अनुज - भैया वो राहुल अपनी मौसी के यहा जा रहा है बडे शहर मे और मुझे भी बोल रहा था ,, लेकिन मा जाने नही देगी मुझे पता है
मै हस कर - तू बता तेरा मन है जाने का
अनुज हा मे सर हिलाया
मै खुशी से - ठीक है फिर फिर तू जाने की तैयारी कर मै मा को मना लूंगा
अनुज खुसी से - थैंक यू भैया
मै - अरे कोई नही रे तू भाई है अपना
फिर थोडी देर ऐसे ही बाते चली और अनुज को बिठा कर चल दिया पापा के पास
जारी रहेगी