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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Naik

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UPDATE 77




निशा की जोरदार चुदाई के बाद हम सब बैठ कर एक दुसरे को देखे हस रहे थे कि आखिर इसी के लिए कबसे हमने इतना सारा ड्रामा किया और हुआ वही जिसको हम लोग नही करना चाहते थे एक दुसरे के सामने ।

मै हस कर - तो ये आपका का प्लान था दीदी
सोनल हस कर - नही ये निशा का आइडिया था
मै अचरज से - कैसे

सोनल हस कर - मुझे तेरे और निशा के बारे मे सब पता है भाई,,वो मुझसे नही छिपाती कुछ

मै चौक कर निशा की ओर देखा तो वो शर्मा रही थी
मै थोडा संकोची होकर - तो क्या ये हम दोनो के भी ....

सोनल ह्स्ते हुए हा मे इशारे करती है ।
मै - धत्त साला मतलब तुम दोनो मिल कर मेरा ही काट रहे थे तबसे और यहा मुझे लग रहा था कि मै और आप मिल कर निशा को लपेट रहे है ।

मेरी बात सुन कर दोनो हसने लगी ।
सोनल - अरे भाई निशा बहुत परेशान थी और काफी समय से तू उसकी तरफ ध्यान नही देता था तो हार मान कर उसने अपने दिल की बात मुझसे शेयर की और फिर मै सही समय का इन्तजार किया और आज मौका था तो मैने मार दिया बाजी हिहिहिजिह

मै निशा से - सॉरी दीदी वो नये घर के काम मे कुछ ज्यादा ही बिज़ी हो गया था । अब आगे से ऐसा नही होगा

इत्ने मे निशा उठ कर आई और मेरे होठो को चूम कर बोली - कोई बात नही भाई आई लव यू ना

फिर हमने थोडी बहुत बाते की और मैने उनदोनो को समझाया कि ये बात अब किसी चौथे तक ना जाये । उन्होने भी इस बात का भरोसा मुझे दिया और फिर हम सब ने कपडे पहने और बाल्किनी मे गये । वहा मैने अपना टीशर्ट पहना और मोबाईल उठाया तो देखा 4.30 बज गये है ।

फिर हम सब बाल्किनी का दरवाजा खोल कर वापस हाल मे गये तो वहा कोई नही था ।
सब कमरे मे बाहर से चटखनि लगी थी
फिर निशा और सोनल एक बेडरूम खोलकर अन्दर सोने चले गये और फिर मै वही सोफे पर बैठ कर अपना मोबाईल चेक किया और चंदू के पास फोन लगा दिया ।

फोन पर
मै - और बेटा क्या हो रहा है
चंदू - क्या यार आया नही न तू
मै चंदू के इतने अच्छे शब्दो के बातो से चौक गया कि इसको क्या हुआ जो गाली नही बक रहा है

मै - अभी आ रहा हू यार और पंडाल कब तक शुरु होगा
चंदू - शाम 6 बजे से होगा जल्दी आ , ले मा बात करेगी
( ओह तभी ये संस्कारी बना है साला , घर पर है मतलब)
मै - चल दे
रजनी - हैलो हा बाबू
मै - हैप्पी होली दीदी
रजनी - हहा तुझको भी बाबू
रजनी - कब आ रहा है, इस साल नही खायेगा क्या मेरे हाथ के बने गुलगुले हा ,, और आता भी नही है आजकल ,, भूल गया मुझे ना

मै हस कर - सॉरी दिदी , अभी आ रहा हूँ वो नये घर पर हू ना
रज्नी - हा हा वो चंदू बताया मुझे
मै - चलो ठीक है अभी मिलता हू आपसे
फिर मै उठा और निचे हाल गया जहा मा, चाची और विमला बैठी बाते कर रही थी ।
फिर मै गेस्ट रूम मे गया जहा चाचा राहुल और अनुज सोये थे।
फिर वही टेबल से अपना पर्स लिया और हाल मे आया

मै - मा मै मार्केट वाले घर जा रहा हू रजनी दीदी बुलायी है ।

मा - अच्छा सुन तेरे पास पैसे है क्या ,
मै अचरज से - हा क्यू
मा - वो बेटा इस साल नये घर की तैयारी मे कुछ स्पैशल बना नही पाई तो ऐसा करना कल्लु भैया के यहा से एक किलो गुलाब जामुन लेते जाना रजनी के यहा

मै हस कर - ठीक है मा और कुछ
मा - नही बेटा और नही कुछ, बाकी फोन चालू रखना अगर किचन के लिए कुछ चाहिये होगा तो मै फोन करूंगी तो तू उस वाले घर से ही लेते आना

मै - ठीक है
मा - हा सुन
मै - अब क्या
मा - आराम से जाना और फिर से रंग खेल कर मत आना ध्यान देना ,,ये नये कपडे है

मै ह्स्ते हुए - ठीक है मेरी मा अभी जाने दो
फिर मै निकल गया घर से और 15 मिंट की देरी मे ही अपने मार्केट वाले मुहल्ले में पहुच गया ।
जहा सब कुछ सनासन बंद पडा था ।सारी दुकाने बंद थी सब कुछ खाली पडा था ।गलिया लाल हरे रंग और अबिरो की रंगोली से पटी हुई थी ।

किसी किसी घर मे कौतूहल की आवाजे आ रही थी ,, सनासन गली मे कही किसी घर की छ्ट से डीजे की आवाजे अभी भी थी लेकिन फिर भी एक खामोशी थी ।
कोई चहल पहल नही थी कही भी
ये तो हर साल का नजारा होता था

फिर मै टहलते अपने दुकान के सामने आया जिसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था और मेरे दुकान की शटर पर भी लाल रंग पिचकारी चली हुई थी ।
फिर मुझे ध्यान आया की मा ने गुलाबजामुन लेने को बोले थे तो मै चंदू के घर से आगे चाचा की दुकान के पास के मोड पर कल्लु काका के यहा से ताजे गुलाब जामुन पैक करवा कर वापस चंदू के घर की तरफ आ गया ।
जहा बरामदे मे ताजे रंग फैले हुई थे ।
मै बडे आराम से पाव रखते हुए अन्दर गया औए मुझे उपर से ही कुछ आवाजे आई तो मै सीधा सीढि से उपर चला गया।

जहा हाल मे चंदू खाना खा रहा था और वो अभी न्हाया भी नही था ।

मै वही टेबल पर मीठाई रख कर सोफे पर बैठते हुए - अरे दीदी और बाकी सब कहा है

चंदू खाते हुए - वो मम्मी किचन मे है और दीदी बगल के मुहल्ले मे अपने सहेलियो के यहा गयी है और पापा घूम रहे होगे कही ।

मै - और अभी तक तू नहया नही इतने मे रज्नी किचन से बाहर आई

ओहो क्या कयामत थी
रजनी इस समय ब्लाउज पेतिकोट मे थी और उसकी हैवी चुचिया ऐसे फुली हुई थी मानो 2 2 किलो के खरबजे हो उपर से लाल नीले रंग से पूरी तरह उनकी गरदन चुचीया और कमर चख्टी हुई थी ।। हालाकि हाथ मुह साफ थे थोडे

रजनी खुश होते हुए - अरे बाबू आ गया तू
मै - हा दीदी ये लो मम्मी ने भिजवाय है
मै गुलाब जामुन की थैली रज्नी को देने के लिए खड़ा हुआ
उफ्फ्फ क्या मस्त कसी हुई चुचिया कैद थी ब्लाउज मे और मुझे अपने चुचे घुरते देख रजनी - तू तो बड़ा साफ साफ है रे ,,,होली नही खेली क्या तुने

मै हस कर - नही नही दीदी मैने भी खेली ,,,लेकिन शायद आपके जितना नही मस्ती कर पाया हू

मै रज्नी के उभारो को देख कर थूक गटकते हुए बोला
रजनी ह्स्ते हुए - अरे नही रे मैने भी ज्यादा नही खेला था वो तो अभी थोडी देर पहले बगल के मुहल्ले की औरते आई थी वही वापस से मुझे निचे बुला कर नहला दी ।


फिर ये बोल कर रजनी वापस किचन मे जाने लगी तो उनकी मतकती गाड़ देख कर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा ।
वही चंदू मेरी तडप देख कर हस रहा था ।

मै झट से चंदू के पास जाकर - अबे साले कबसे घर मे अकेला है चोदा की नही दीदी को

चंदू हस कर - सुबह से दो बार पेला है भाई ,,, अभी भी मन बहुत है
मै - तो साले मुझे भी तो दिला ना कुछ कर कबतक मै हिला के काम चलाउन्गा

चंदू - यार पता नही मा मानेगी की नही और कही गुस्सा हो गयी तो मेरा भी तेरे जैसा हाल हो जायेगा
हम इधर खुसफुसा रहे थे कि इतने मे रजनी चाय पकोड़े लेके आई और मुझे देके बोली - मै नहाने जा रही हू , राज तुझे लेना होगा इससे बोल देना

मै हस कर - मै तो कब से बोल रहा हू दीदी ये तो देना ही नही चाहता मुझे

मेरी बात सुन कर चंदू की फट गयी और वो आंखे फाडे मुझे देखने लगा

रज्नी - क्यू चंदू दे दे ना जो माग रहा है ,,,तु तो हमेशा से उसको अपना सब बाटता आया है ,,, अब क्यू मना कर रहा है

चंदू - लेकिन मा कैसे मै ,,,
मै ह्स कर - देखा दीदी ऐसे ही मना कर रहा है कबसे

रजनी - तू दे रहा है कि नही उसको की लगाऊ आज ही के दिन ,,,

मै हस रहा था
चंदू - क्या चाहिये बोल ना अब
मै हस कर - तेरा मोबाइल और क्या हिहिहिही

रजनी - धत्त तू भी ना , चल मै जा रही हू नहाने
मै रजनी से मस्ती भरे मूड मे - ठीक है चलो

रज्नी हस के - क्यू तू नही न्हाया क्या जो फिर से न्हायेगा
मै ह्स कर - अभी आप ही तो बोली चल मै नहाने जा रही

रजनी झेप कर ह्स्ते हुए - धत्त पगलेट वो तो मै ,,, मै जा रही हू

फिर रजनी गाड़ मटकाते हुए कपडे लेके छत पर चली गई और मै उसकी हिलते गाड़ को देख कर लण्ड सहलाने लगा ।
इधर चंदू खाना खतम किया और मै भी अपने चाय पकोड़े खतम कर थोडी देर इधर उधर की मसती भरी बाते की और फिर मुझे पेसाब मह्सूस हुई

मै - यार मुझे पेसाब लगी है मै उपर से आता हू
चंदू - अरे उपर मा नहाने गयी है ना
मै थोडा झिझक कर - अबे तो मूतने जा रहा हू चोदने नही साले

मुझे भडकता देख के चंदू चुप हो गया और मै उठ कर उपर चला आया ।
जहा बारूम के दरवाजे के गेट पर रजनी बिना ब्लाउज के सिर्फ पेटीकोट मे अपनी गाड़ फैलाते बैठी और उसकी नंगी पिठ दिख रही थी ।
वो शायद नहा चूकी थी और अपने कपडे धुल रही थी क्योकि छपाक छपाक की आवाज सुनाई दे रही थी ।

मै धीरे धीरे रज्नी के पीछे गया और बोला - दीदी वो मुझे पेसाब करना था

रज्नी मेरी आवाज सुन कर चौकी और झट से पेतिकोट उपर खिच कर अपने चूचे ढक लिये लेकिन तब तक मै सब कुछ देख चुका था ।

रज्नी अचरज के भाव मे - अरे बाबू तू ,,, थोडा रुक जा मै नहा चुकी हू ब्स ये कपडे धुलने है फिर कर लेना

चुकी चंदू के यहा टोइलेट और बाथरूम एक ही कमरे मे थे
मै जानबुझ कर अपने पाव झटकता हुआ अपनी नुनी को सामने से पकड कर बुरा सा मुह बनाते हुए - ओह्ह्ह ठीक है दीदी रुकता हू थोडी देर

रजनी ने जब मेरी हालत देखी तो साडी बटोर कर एक किनारे कर दिया और खुद खडे हो गयी जिस्से उसका गिला पेतिकोट उसकी मोटे खर्बुजे वाली छातीयो से चिपका हुआ दिखा और उसके गहरे रंग की निप्प्ल भी साफ दिख रही थी ।
रजनी - जा कर ले देख रही हू तेरा हाल बुरा है हिहिहिही
शर्म से मुस्कुकर मै झट से अन्दर फिर दीवाल की तरफ मुह और रज्नी की तरफ पिठ करके खड़ा हुआ और अपना जीन्स खोलने ल्गा

रज्नी पीछे से - अरे क्या कर रहा है ,,,ऐसे करेगा तो सारा दीवाल पर जायेगा और बदबू करेगा ,,,सीधा होकर कर ले मुझसे क्या शर्मा रहा है

मै थोडा झिझिक दिखाते हुए - सीधा हुआ और मेरा फुल खड़ा मोटा लण्ड का साइड लूक रजनी के साम्ने था ।
मैने एक हाथ आगे कर चमडी को पीछे कर सुपाडे को बाहर किया और लण्ड को निचे झुका कर तेज धार के साथ टोईलेट मे मूतने ल्गा

तभी रज्नी की आवाज आई - अरे तेरा तो रंग ही नही छुटा है वहा का हहहहह

मै शर्म भरे भाव मे - हा वो चाची ने लगा दिया था और रंग ना छूटने की वजह से खुजली हो रही है

मै रज्नी के सामने अपने हल्के छोटे झाटो को के हिस्से को खुजाते हुए कहा

रजनी हस कर - कोई बात नही चल अभी मै निचे आती हू तो तुझे तेल दे दूँगी तू लगा लेना
मै मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाया और अपना लण्ड झाड़ कर वापस अन्दर डाल कर जीन्स बन्द कर लिया

और फिर वही बगल की टोटी से हाल धुल लिया ।
रजनी - ठीक है तू निचे बैठ मै नहा कर आ रही हू
मै मुस्करा कर निचे चला गया जहा चंदू बैठ कर मोबाइल चला रहा था और उसके लोवर मे लण्ड उभरा हुआ था ।


मै उसके बगल मे बैठते हुए - यार तेरी मा की गाड़ बहुत फैली हुई है
चंदू मुझे कनअखियो से देखते हुए मुस्कुरा कर वापस मोबाइल चलाने लगा
मै - क्या तुने अपनी मा की गाड़ भी ली है
चंदू हस कर - क्यू कोई शक है क्या
मै - नही ब्स पुछ रहा हू बे ,,और पंडाल मे कब चलेगा

चंदू बस मा को आजाने दे फिर चल्ते है
मै - साले जाकर तू भी नहा लेना
चंदू - हा यार मै तो भूल ही गया
फिर हमने थोडी देर बाते की और फिर रजनी नहा कर एक मैकसी पहने वापस आई छत से

चंदू जल्दी से तौलिया लिया - मै नहा कर आ रहा हू यही बैठ थोडी देर
मै - ठीक है जल्दी आना
इधर चंदू नहाने छत पर गया
और रजनी बेडरूम मे चली गयी और मै उसके पीछे पीछे कमरे मे चला गया जिस्का पता रज्नी को नही था ।

और वो कमरे मे जाकर झट से अपनी मैक्सि निकाल दी और सिर्फ पेतिकोट मे आ गई

मै वापस उसको पीछे से आधी नंगी देख कर उत्तेजित होने ल्गा

तभी रजनी घूमी और उसकी मोटी भारी भरकम चुचिया मेरे सामने आ गयी और मै एक टक उसके डार्क और कडक मोटे दाने वाले निप्प्ल को देख्ते हुए थूक गटकने लगा ।

यहा रज्नी की नजर मुझ पर पड़ी तो झट से अपनी चुचियो को हाथो से छिपाते हुए घूम गयी
रजनी हड़बड़ी मे - तू तू क्या कर रहा है बाबू

मै शर्म भरे लहजे मे - दीदी वो मै तेल के लिए आया था ,, वो आप उपर बोली थी ना

रजनी थोडा शांत होकर - ओह्ह्ह देख वहा टेबल पर रखा है लेले

मै टेबल से नारियल के तेल की शीसी लेके बाहर जाने लगा
रजनी मुझे रोकते हुए - अरे कहा लेके जा रहा है ,,, मुझे भी लगाना है ना

मै शर्माने के अंदाज मे मुस्कुरा कर - वो मै बाहर लगा लेता ना
रजनी मुस्कुरा कर - बक्क पगलेट यही लगा ले ,
तू मेरे लिए चंदू जैसा ही है रे

फिर मै ठीक है बोल कर दरवाजा बंद कर दिया और एक सीसी लेके दरवाजे के कोने गया और जीन्स खोल कर लण्ड पर तेल गिराया और हाथ से अच्छे से मालिश करने लगा ।

रजनी ह्स्ते हुए - अच्छे से लगा लेना और फिर मुझे देना

फिर मै गरदन घुमा कर उसको तेल थमाते हुए - हा दीदी लेलो और एक तौलिया देना
रजनी तेल की शिसी पकडते हुए अचरज के भाव मे - अब तौलिया क्या करेगा

मै शर्मा कर मुस्कुराते हुए - वो दीदी तेल ज्यादा ही गया है ,,जीन्स मे दाग लग जायेगा

रज्नी मेरी बात की जांच के लिए मेरे बगल मे आई और देखा की मेरे लण्ड पर खुब सारा तेल चखटा हुआ है और सुपाडा चमक रहा है

रजनी के आते ही मै नजर निचे कर लिया
रजनी हस कर - धत्त इतना क्यू लगा लिया पागल इतने मे तो मेरे पुरे बदन पर लग जाता हिहिहिही

मै परेशान होने के भाव ने - अब क्या करु दीदी

रजनी हस कर - रुक तू ऐसे रह मै इसका तेल निकाल कर अपने उपर लगा लुंगी

मै चौक कर रज्नी के तरफ देखने लगा
रज्नी हस कर - ऐसे क्या देख रहा है वो कोई गंदी जगह थोडी है वो शशीर का हिस्सा है ,,,साफ करता है ना रोज उसको

मै हा मे सर हिलाते हुए रज्नी के पेतिकोट मे बाँधे हुए चुचो के खड़े निप्प्ल को देखने लगा और उसकी गोरी जान्घे और भी सेक्सी लग रही थी ।

तभी रज्नी ने मेरे हाथ से जीन्स को छुड़ा कर घुटनो तक कर दिया और टीशर्ट चढा कर उपर खोस दिया और फिर मेरे लण्ड के झान्टो वाले हिस्से पर हाथ फेरते हुए उस्का तेल हाथ मे चपेड़ते हुए पहने अपने दोनो हाथो और फिर गरदन पर लगा लिया

रज्नी - हे भगवान कितना तेल गिरा लिया है तुने और निचे भी चू रहा है
यहा मै रजनी के हरकत और उसके स्पर्श से और ज्यादा कामुकता से भर गया और मेरे लण्ड मे कसाव बढने लगा ।

जिसका आभास रजनी को भी था और वो मुस्कुरा कर अपने पेतिकोट खोलते हुए कमर पर बान्ध लेती है और उसकी एक बार फिर उसकी मोटी मोटी खर्बुजे जैसी चुचिया खुल कर मेरे सामने आ गयी ।

मै थूक गटकते हुए उसके गोरे मुलायम भारी चुचो को देख के सिहर गया और वो झुक कर इस बार मेरे लण्ड की चमडी मे लगे तेल को निचोड़ कर आगे की तरफ लेके आई और दोनो हाथो मे अच्छे से चभोड़ कर अपने दोनो निप्प्ल और फिर पुरे चूचो पर मल कर तेल लगाने लगी

वहि मेरी हालात और खराब होने लगी मानो मै अब झड़ा तब झड़ा

मै शर्मा कर और आह भरी आवाज मे - हो गया दीदी

मुझे तडपता देख रजनी अपने कांख मे तेल लगाते हुए बोली - क्या हुआ बाबू

मै नजरे नीची कर - वो दीदी इसको बंद करना है ना

रजनी हस कर - ब्स रुक जा थोडा सा तेल और है
फिर रजनी झुक कर एक हाथ से मुठ्ठि मे मेरे सुपाडे के हिस्से मे लगे तेल को निचोड जिससे मेरी आह निकल गयी

मै सिस्क कर - अह्ह्ह दीदी आराम से निकल जायेगा

रजनी हस कर हैरत भरे लहजे मे हाथ मे लिये तेल को अपनी कमर और नाभि मे लगाती हुई - क्या निकल जायेगा छोटे

मै शर्मा कर - कुछ नही दीदी
रजनी हस्ते हुए - अब मुझसे ही छिपायेगा हा ,,, तेरे उम्र की मेरी औलाद है समझा और मुझे बोल रहा है कूछ नही हिहिहिही

मै शर्मा कर - वो आपने यहा छुआ ना तो ऐसा लगा कि कही मेरा वो ना निकल जाये

रजनी हस कर - इतना जल्दी निकल जाता है क्या तेरा

मै रजनी से ऐसे किसी सवाल की उम्मीद मे नही था
मै - नही वो पहली बार किसी ने छुआ ना तो
और मुह फेर कर हसने लगा

लेकिन इस समय मै पूरी तरह से उत्तेजीत हो गया था और लग रहा था कि रज्नी का एक भी स्पर्श मुझे झड़ा देता और हुआ भी वही

रजनी हस्ती हुई - धत्त पागल कही का

और रजनी ने वापस एक बार फिर मेरे लंड को जड़ से निचोड कर सुपाडे तक लाई और सुपाडे को मुठ्ठि मे भर से हथेली से रगड़ कर तेल च्भोड़ने लगी कि तभी मेरी पिचकारी छूट गयी और रजनी का हाथ मेरे गर्म चिपचिप वीर्य से भर गया

मै - ओह्ह दीदी निकल गया अह्ह्ह
रजनी को जैसे अहसास हुआ की मै उसके हाथ मे झड़ रहा हू वो झट से निचे बैठ कर दोनो हाथो से मेरे बीर्य को रोपने लगी कही फर्श ना गन्दा हो जाये

रजनी तेज स्वर मे ह्सते हुए - यएईई गन्दा लड़का क्या किया ये हिहिहिही पागल कही का ,,, अभी बोल रहा था और निकाल भी दिया छीईई

मै खुद को थोडा रिलैक्स कर हसते हुए - सॉरी दीदी मैने बोला था आपको

रजनी ह्स कर - कोई बात नही लेकिन इतना सारा कैसे निकला

रजनी दोनो हाथो को कटोरी बना कर रोपे हुए बीर्य को मुझे दिखाते हुए बोली

मै शर्म कर - पता नही दीदी मेरा ऐसे ही निकल जाता है कभी कभी

रजनी हैरत से - कभी कभी मतलब ,,,
मै शर्मा कर - वो दीदी रात मे कभी अपने आप निकल जाता है ना वैसे वाला

रजनी इस समय खुले चुचो मे घुटनो के बल हाथो मे मेरे वीर्य को लिये खड़ी थी ।

तभी मुझे लगा की मेरा कुछ बंद और गिरेगा

मै अपने लण्ड मे कसाव लाते हुए - दीदी लग रहा है और गिरेगा
रजनी चौक कर - अब उसे कहा पक्डू
इधर मै कुछ सलाह देता उससे पहले ही रजनी के मेरे सुपाडे के छेद से रिस्ते ड्रॉप को चाट लिया जिससे मै सिहर गया

और जानबुझ कर चौकने के भाव मे - अरे अरे दीदी ये क्या किया वो गन्दा होता है

रजनी हस के - धत्त पागल ऐसा नही है ये बहुत ताकत और फायदे की चिज है इसको पीने से लडकिया खुबसुरत होती है और चेहरे पर कोई दाग दाने नही होते

मै हस कर - तो इस लिये आपने इसको हाथ मे भर है
रजनी थोडा सा शर्म और ह्स्ते हुए - हा नही मतलब ,,अब मिल गया तो बेकार थोडी ना करूंगी

मै अजीब सा मुह बना कर - कैसा लगता होगा टेस्ट इसका दीदी

रजनी खड़ा हुई सुरुकते हुए मेरे सामने मेरा बीर्य पी गयी और बचा खुचा अच्छे से चाट गयी ।

मै उनकी हरकत से फिर से उत्तेजित होने लगा
मै फिर से - बताओ ना कैसा लगता है इसका टेस्ट

रजनी एक शरारती मुस्कान से - बताउन्गी लेकिन वादा कर किसी को कहेगा नही

मै मुस्कुराकर उत्साही भाव मे - जी दीदी ठीक है

फिर रजनी ने झट से अपनी पेतिकोट मे हाथ डाला और थोडा हरकत की और फिर अपनी चुत के पानी से सनी एक ऊँगली मेरे पास लाकर बोली - जीभ निकाल

मै अजीब सा मुह बना के पहले रजनी की ऊँगली को सुधा जिसमे से उसके चुत के पानी की कामुक खुशबू आई - दीदी ये क्या है
रज्नी हस कर - मूह खोल तू ब्स
मै जानबुझ के अपने चेहरे के भाव को अजीब करके जीभ निकाल कर उनकी ऊँगली को चाटा और फिर एक मुस्कान के साथ अच्छे से उनकी ऊँगली को चुस लिया

रजनी हस कर - क्यू पसंद आया स्वाद हिहिहिहिही
मै अपनी जीभ को मुह मे घुमाते हुए एक नये स्वाद की अनुभूति के साथ मुस्कुरा कर बोला - हा दीदी ,,,,ये तो सच मे बहुत अच्छा है ।

रज्नी थोडी हिचकी और बोली - और चाहिये हमम
मै थूक गटक उसकी आँखो मे देखते हुए हा मे गरदन हिलाया

रजनी मुस्कुराई और एक नजर बंद दरवाजे पर देखा और मुझे पकड के बिस्तर तक ले आई और बोली - देख मै तुझे चखा दूँगी लेकिन किसी को बोलना मत और जब भी तेरा मन होगा तू मुझसे मिलने आ जाना

मै शर्मा कर हा मे सर हिलाया
रजनी हस कर - अभी भी शर्मा रहा है पगला कही का हिहिही

मै - दीदी जल्दी करना होगा कही चंदू ना आ जाये
रजनी हस कर - उसकी छोड तू तैयार है ना , मै जो कहूँगी वो करना पडेगा तभी तुझे सही से स्वाद मिल पायेगा

मै गरदनहिला कर - जी दीदी
फिर रजनी ने झट से अपना पेतिकोट कमर तक उथाया और पैर लटका कर बेड पे लेट गयी

मै थूक गटकते हुए मन मे - वॉव कितनी चिकनी चुत है यार एक भी बाल नही है और देखो निचे की तरफ कितनी चिपछिपी हुई है आज तो तेरे किस्मत खुले है बेटा एक ही दिन मे 3 नये चुत चाटने को मिला है

मै संकोची भाव से ब्स रजनी की गदराई जांघ और चुत के चिकने हिस्से को देख कर और उत्तेजीत हो रहा था

रजनी गर्दन उठा कर - अब देख क्या रहा है आ चाट ले जल्दी कर
मै थूक गटक कर बेड के नीचे रजनी के जांघो के बीच गया और उसकी जांघो को सह्लाते हुए उसके पैर अपने कन्धे पर रख कर उसकी चुत की तरफ झुका और मुझे एक ताज़े पानी से लबालब चुत की मादक गन्ध आई और मदहोश होकर मै जीभ निकाल कर चुत के नीचले हिस्से से उपर से दाने तक कुल्फी के जैसे चाट लिया जिस्से रजनी गनगना गयी और उसकी सांसे तेज हुई

रजनी के चुत का स्वाद अद्भूत था और मै जानता था कि उसको चुत चटवाना कितना पसंद है कि अगर मै उसके मुह पर बोल देता तो वो तुरंत चुत मेरे सामने खोल देती

रजनी क्समसाहट भरे स्वर मे - अह्ह्ह बाबू चाट ले ना क्या सोच रहा है
रजनी की बात सुन कर मै वापस अपने नथूनो को उसकी चुत मे रगड़ कर उसके चुत मे जीभ घुसा कर नचाने लगा जिससे रजनी अकड गयी और मै जीभ को उपर की तरफ ले जाकर तेजी से उसके दाने पर घुमाने लगा
जिस्से रजनी ने अपनी गाड़ पटकनी चालू कर दी

मै उसको जांघो को थाम कर अपने उपर चढ़ाते हुए उसकी चुत मे जीभ से पेलना शुरु कर दिया और बिच बिच मे चुत के दाने और चमडी को मुह मे लेके चुब्ला लेता जिस्से रजनी और भी ज्यादा खुद को झटकने लगी

और यहा मेरा लण्ड पूरी तरह से तन चुका था और मुझे इससे अच्छा मौका नही मिलता
इस लिये मैने एक नजर रज्नी की ओर देखा तो वो आंखे बंद किये मदहोश है और खुद को बडे आराम से खड़ा किया इस दौरान मै लागातार उसकी चुत मे ऊँगली पेले हुए था

और फिर अपनी पोजिसन बनाते हुए अपने लण्ड को धीरे से उसकी चुत के पास ले गया और सुपाड़े को खोल कर उसके भोस्दे को फैलाते हुए गप्प से लण्ड को पुरा का पुरा उसकी गीली चुत मे एक साथ उतार दिया

जिस्से रजनी की आंखे फट कर बाहर आ गई और वो अपने पैर झटकने लगी

रजनी गुस्से मे - कमिने ये क्या कर रहा है निकाल आह्ह्ह मा बहुत मोटा उफ्फ्फ अह्ह्ह निकाल दे कुत्ते उसे हे राम

मै रजनी चुत मे धक्के ल्गाते हुए - करने दो ना दिदी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है ,,मै किसी को नही कहूंगा प्लीज

रजनी मेरे रेक़ुएस्त से थोडी शांत हुई और लण्ड को निचोड़ते हुए अपनी कमर को अच्छे से सेट करते हुए बोली - अह्ह्ह बाबू तू भाई है ना रे मेरा अह्ह्ह उफ्फ्फ आराम से हा ऐसे ही अह्ह्ह

मै रजनी को शांत होता देख अपने हाथ आगे ले जाकर उसके मोटे मोटे फैले हुए चुचो को थामते हुए कहा- आह्ह दीदी आपकी चुचिया कितनी ब्ड़ी है
फिर उसकी जांघो को खोल कर उसके उपर चढ़ कर चोदते हुए उसकी चुचियो को मिजने और चूसने लगा

रजनी अब और भी ज्यदा सिस्किया लेने लगी और खुद कमर उचका कर लण्ड लेने लगी - अह्ह्ह बाबू अब रुक क्यू रहा है पेल दे ना मुझे अह्ह्ह ओह्ह्ह

मै उसको चुचो के मुलायम निप्प्ल को चुस्ते हुए एक करारा धक्का उसकी चुत मे पेला

रजनी - अह्ह्ह बाबू उम्म्ंम बड़ा जोर का चोद्ता है रे आह्ह और मार ऐसे ही हा हा ऐसे ही उफ्फ्फ मा बहुत मज़ा रहा है उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह

रजनी मेरे बालो को सह्लाते हुए - तुझे मेरे बहुत पसंद है ना बाबू ,, पी ले मेरे लाल आह्ह और चुस और खुब जोर से पेल मुझे बहुत अह्ह्ह्ह बहुत मोटा लण्ड है रे तेरा अह्ह्ह उह्ह्ह ब्स ऐसे ही

मै वापस घुटनो के बल खड़ा हुआ और रज्नी के पैर को कन्धे पर चढा कर तेजी से थपथप थप थप थप थप थप थप थप अपनी जांघो और रजनी की जांघो से लड़ाते हुए चोडने लगा

रजनी - ओह्ह्ह माई आह्ह उह्ह्ह और तेज और तीईईईईएज्ज्ज्ज्ज उफ्फ्च मा रुउउउक्क्क नाआआह्ह मत अह्ह्ह और और आह्ह आह्ह मा मेरा आया

रजनी ऐसे ही सिसकिया लेते हुए तेजी से कमर उचकाते हुए झडने लगी और फिर मेरे लण्ड कस कर निचोडने लगी और जल्द ही मै झडने के करीब आ गया

और झट से लण्ड निकाल के उसके मुह के पास गया और घुटने के बल बैठ कर अपना लन्ड़ उसके मुह के पास हिलाने लगा

मै कापते हुए स्वर मे -अह्ह्ह दीदी मेरा निकलेगा
रजनी झट से मेरे आड़ो को सहलाते हुए लण्ड कोमुह मे भर ली और चूसना सुरु कर दिया
और कुछ ही पलो मे मै कापने लगा और मेरे लण्ड की नशे मुझे झटके देने लगी
मै रजनी का मुह पकड कर अपने चुतड सख्त करते हुए लण्ड को उसके गले तक उतार कर झटके खाने लगा
फिर जल्द ही उससे अलग होकर हाफने लगा और वो भी खास्ते हुए उठ कर बैठ गयी और अच्छे से खुद को साफ किया ।

मै वही बेड पर बैठे बैठे उसकी जांघो को सहलाते हुए उसे देख रहा था ।
रजनी एक संतुष्टी भरे मुस्कुराहट से - हो गया ना तेरा, कर ली ना मन की अपने की

मै उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देख रहा था और वो खडे होकर अपना पेतिकोट निचे की और पेतिकोट से उपर से ही हाथ लगा कर अपनी फुली हुई चुत की चिपचीपाहत को साफ कर ब्लाउज पहनने लगी ।

रजनी - अब क्या देख रहा है बदमाश जा कपडे पहन ले

मै खड़ा हुआ और पैरो मे पड़ी जीन्स को पहना और फिर सीसे मे अपने बाल सही किये

मै थोडा शर्मा के - मै बाहर जाऊ दीदी
रजनी मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम कर बोली - ठीक है जा ,,लेकिन किसी को कुछ बोलना नही

मै हा मे सर हिलाया और बोला - फिर अगर मन किया वो टेस्ट लेने का तो
रजनी मुस्कुरा कर - तेरा जब मन करे आ जाना बाबू ,,वैसे तू बहुत जोर की चुस्ता है मुझे बहुत मज़ा आया

मै रजनी के खुल कर बोलने पर हस कर उसकी गाड़ को दबोचने लगा और बोला - अगली इसको भी चखा देना दीदी प्लीज

रजनी ह्स कर मुझे अपने आप से चिपका ली - ठीक है बाबू कर लेना ,,अभी जा चंदू आता होगा । मै भी तैयार हो लू

फिर मै हाल मे आ गया और थोडी देर बाद चंदू आया नहा कर और फिर वो तैयार हुआ फिर हम दोनो निकल गये पंडाल के तरफ


देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है और ये होली कितनी लम्बी और कामुक होने वाली है ।

आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे जिससे लिखने का हौसला मिलता रहे ।
धन्यवाद
Bahot behtareen shaandaar
Update bhai
 

TharkiPo

Dramatic Entrance
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144
UPDATE 77




निशा की जोरदार चुदाई के बाद हम सब बैठ कर एक दुसरे को देखे हस रहे थे कि आखिर इसी के लिए कबसे हमने इतना सारा ड्रामा किया और हुआ वही जिसको हम लोग नही करना चाहते थे एक दुसरे के सामने ।

मै हस कर - तो ये आपका का प्लान था दीदी
सोनल हस कर - नही ये निशा का आइडिया था
मै अचरज से - कैसे

सोनल हस कर - मुझे तेरे और निशा के बारे मे सब पता है भाई,,वो मुझसे नही छिपाती कुछ

मै चौक कर निशा की ओर देखा तो वो शर्मा रही थी
मै थोडा संकोची होकर - तो क्या ये हम दोनो के भी ....

सोनल ह्स्ते हुए हा मे इशारे करती है ।
मै - धत्त साला मतलब तुम दोनो मिल कर मेरा ही काट रहे थे तबसे और यहा मुझे लग रहा था कि मै और आप मिल कर निशा को लपेट रहे है ।

मेरी बात सुन कर दोनो हसने लगी ।
सोनल - अरे भाई निशा बहुत परेशान थी और काफी समय से तू उसकी तरफ ध्यान नही देता था तो हार मान कर उसने अपने दिल की बात मुझसे शेयर की और फिर मै सही समय का इन्तजार किया और आज मौका था तो मैने मार दिया बाजी हिहिहिजिह

मै निशा से - सॉरी दीदी वो नये घर के काम मे कुछ ज्यादा ही बिज़ी हो गया था । अब आगे से ऐसा नही होगा

इत्ने मे निशा उठ कर आई और मेरे होठो को चूम कर बोली - कोई बात नही भाई आई लव यू ना

फिर हमने थोडी बहुत बाते की और मैने उनदोनो को समझाया कि ये बात अब किसी चौथे तक ना जाये । उन्होने भी इस बात का भरोसा मुझे दिया और फिर हम सब ने कपडे पहने और बाल्किनी मे गये । वहा मैने अपना टीशर्ट पहना और मोबाईल उठाया तो देखा 4.30 बज गये है ।

फिर हम सब बाल्किनी का दरवाजा खोल कर वापस हाल मे गये तो वहा कोई नही था ।
सब कमरे मे बाहर से चटखनि लगी थी
फिर निशा और सोनल एक बेडरूम खोलकर अन्दर सोने चले गये और फिर मै वही सोफे पर बैठ कर अपना मोबाईल चेक किया और चंदू के पास फोन लगा दिया ।

फोन पर
मै - और बेटा क्या हो रहा है
चंदू - क्या यार आया नही न तू
मै चंदू के इतने अच्छे शब्दो के बातो से चौक गया कि इसको क्या हुआ जो गाली नही बक रहा है

मै - अभी आ रहा हू यार और पंडाल कब तक शुरु होगा
चंदू - शाम 6 बजे से होगा जल्दी आ , ले मा बात करेगी
( ओह तभी ये संस्कारी बना है साला , घर पर है मतलब)
मै - चल दे
रजनी - हैलो हा बाबू
मै - हैप्पी होली दीदी
रजनी - हहा तुझको भी बाबू
रजनी - कब आ रहा है, इस साल नही खायेगा क्या मेरे हाथ के बने गुलगुले हा ,, और आता भी नही है आजकल ,, भूल गया मुझे ना

मै हस कर - सॉरी दिदी , अभी आ रहा हूँ वो नये घर पर हू ना
रज्नी - हा हा वो चंदू बताया मुझे
मै - चलो ठीक है अभी मिलता हू आपसे
फिर मै उठा और निचे हाल गया जहा मा, चाची और विमला बैठी बाते कर रही थी ।
फिर मै गेस्ट रूम मे गया जहा चाचा राहुल और अनुज सोये थे।
फिर वही टेबल से अपना पर्स लिया और हाल मे आया

मै - मा मै मार्केट वाले घर जा रहा हू रजनी दीदी बुलायी है ।

मा - अच्छा सुन तेरे पास पैसे है क्या ,
मै अचरज से - हा क्यू
मा - वो बेटा इस साल नये घर की तैयारी मे कुछ स्पैशल बना नही पाई तो ऐसा करना कल्लु भैया के यहा से एक किलो गुलाब जामुन लेते जाना रजनी के यहा

मै हस कर - ठीक है मा और कुछ
मा - नही बेटा और नही कुछ, बाकी फोन चालू रखना अगर किचन के लिए कुछ चाहिये होगा तो मै फोन करूंगी तो तू उस वाले घर से ही लेते आना

मै - ठीक है
मा - हा सुन
मै - अब क्या
मा - आराम से जाना और फिर से रंग खेल कर मत आना ध्यान देना ,,ये नये कपडे है

मै ह्स्ते हुए - ठीक है मेरी मा अभी जाने दो
फिर मै निकल गया घर से और 15 मिंट की देरी मे ही अपने मार्केट वाले मुहल्ले में पहुच गया ।
जहा सब कुछ सनासन बंद पडा था ।सारी दुकाने बंद थी सब कुछ खाली पडा था ।गलिया लाल हरे रंग और अबिरो की रंगोली से पटी हुई थी ।

किसी किसी घर मे कौतूहल की आवाजे आ रही थी ,, सनासन गली मे कही किसी घर की छ्ट से डीजे की आवाजे अभी भी थी लेकिन फिर भी एक खामोशी थी ।
कोई चहल पहल नही थी कही भी
ये तो हर साल का नजारा होता था

फिर मै टहलते अपने दुकान के सामने आया जिसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था और मेरे दुकान की शटर पर भी लाल रंग पिचकारी चली हुई थी ।
फिर मुझे ध्यान आया की मा ने गुलाबजामुन लेने को बोले थे तो मै चंदू के घर से आगे चाचा की दुकान के पास के मोड पर कल्लु काका के यहा से ताजे गुलाब जामुन पैक करवा कर वापस चंदू के घर की तरफ आ गया ।
जहा बरामदे मे ताजे रंग फैले हुई थे ।
मै बडे आराम से पाव रखते हुए अन्दर गया औए मुझे उपर से ही कुछ आवाजे आई तो मै सीधा सीढि से उपर चला गया।

जहा हाल मे चंदू खाना खा रहा था और वो अभी न्हाया भी नही था ।

मै वही टेबल पर मीठाई रख कर सोफे पर बैठते हुए - अरे दीदी और बाकी सब कहा है

चंदू खाते हुए - वो मम्मी किचन मे है और दीदी बगल के मुहल्ले मे अपने सहेलियो के यहा गयी है और पापा घूम रहे होगे कही ।

मै - और अभी तक तू नहया नही इतने मे रज्नी किचन से बाहर आई

ओहो क्या कयामत थी
रजनी इस समय ब्लाउज पेतिकोट मे थी और उसकी हैवी चुचिया ऐसे फुली हुई थी मानो 2 2 किलो के खरबजे हो उपर से लाल नीले रंग से पूरी तरह उनकी गरदन चुचीया और कमर चख्टी हुई थी ।। हालाकि हाथ मुह साफ थे थोडे

रजनी खुश होते हुए - अरे बाबू आ गया तू
मै - हा दीदी ये लो मम्मी ने भिजवाय है
मै गुलाब जामुन की थैली रज्नी को देने के लिए खड़ा हुआ
उफ्फ्फ क्या मस्त कसी हुई चुचिया कैद थी ब्लाउज मे और मुझे अपने चुचे घुरते देख रजनी - तू तो बड़ा साफ साफ है रे ,,,होली नही खेली क्या तुने

मै हस कर - नही नही दीदी मैने भी खेली ,,,लेकिन शायद आपके जितना नही मस्ती कर पाया हू

मै रज्नी के उभारो को देख कर थूक गटकते हुए बोला
रजनी ह्स्ते हुए - अरे नही रे मैने भी ज्यादा नही खेला था वो तो अभी थोडी देर पहले बगल के मुहल्ले की औरते आई थी वही वापस से मुझे निचे बुला कर नहला दी ।


फिर ये बोल कर रजनी वापस किचन मे जाने लगी तो उनकी मतकती गाड़ देख कर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा ।
वही चंदू मेरी तडप देख कर हस रहा था ।

मै झट से चंदू के पास जाकर - अबे साले कबसे घर मे अकेला है चोदा की नही दीदी को

चंदू हस कर - सुबह से दो बार पेला है भाई ,,, अभी भी मन बहुत है
मै - तो साले मुझे भी तो दिला ना कुछ कर कबतक मै हिला के काम चलाउन्गा

चंदू - यार पता नही मा मानेगी की नही और कही गुस्सा हो गयी तो मेरा भी तेरे जैसा हाल हो जायेगा
हम इधर खुसफुसा रहे थे कि इतने मे रजनी चाय पकोड़े लेके आई और मुझे देके बोली - मै नहाने जा रही हू , राज तुझे लेना होगा इससे बोल देना

मै हस कर - मै तो कब से बोल रहा हू दीदी ये तो देना ही नही चाहता मुझे

मेरी बात सुन कर चंदू की फट गयी और वो आंखे फाडे मुझे देखने लगा

रज्नी - क्यू चंदू दे दे ना जो माग रहा है ,,,तु तो हमेशा से उसको अपना सब बाटता आया है ,,, अब क्यू मना कर रहा है

चंदू - लेकिन मा कैसे मै ,,,
मै ह्स कर - देखा दीदी ऐसे ही मना कर रहा है कबसे

रजनी - तू दे रहा है कि नही उसको की लगाऊ आज ही के दिन ,,,

मै हस रहा था
चंदू - क्या चाहिये बोल ना अब
मै हस कर - तेरा मोबाइल और क्या हिहिहिही

रजनी - धत्त तू भी ना , चल मै जा रही हू नहाने
मै रजनी से मस्ती भरे मूड मे - ठीक है चलो

रज्नी हस के - क्यू तू नही न्हाया क्या जो फिर से न्हायेगा
मै ह्स कर - अभी आप ही तो बोली चल मै नहाने जा रही

रजनी झेप कर ह्स्ते हुए - धत्त पगलेट वो तो मै ,,, मै जा रही हू

फिर रजनी गाड़ मटकाते हुए कपडे लेके छत पर चली गई और मै उसकी हिलते गाड़ को देख कर लण्ड सहलाने लगा ।
इधर चंदू खाना खतम किया और मै भी अपने चाय पकोड़े खतम कर थोडी देर इधर उधर की मसती भरी बाते की और फिर मुझे पेसाब मह्सूस हुई

मै - यार मुझे पेसाब लगी है मै उपर से आता हू
चंदू - अरे उपर मा नहाने गयी है ना
मै थोडा झिझक कर - अबे तो मूतने जा रहा हू चोदने नही साले

मुझे भडकता देख के चंदू चुप हो गया और मै उठ कर उपर चला आया ।
जहा बारूम के दरवाजे के गेट पर रजनी बिना ब्लाउज के सिर्फ पेटीकोट मे अपनी गाड़ फैलाते बैठी और उसकी नंगी पिठ दिख रही थी ।
वो शायद नहा चूकी थी और अपने कपडे धुल रही थी क्योकि छपाक छपाक की आवाज सुनाई दे रही थी ।

मै धीरे धीरे रज्नी के पीछे गया और बोला - दीदी वो मुझे पेसाब करना था

रज्नी मेरी आवाज सुन कर चौकी और झट से पेतिकोट उपर खिच कर अपने चूचे ढक लिये लेकिन तब तक मै सब कुछ देख चुका था ।

रज्नी अचरज के भाव मे - अरे बाबू तू ,,, थोडा रुक जा मै नहा चुकी हू ब्स ये कपडे धुलने है फिर कर लेना

चुकी चंदू के यहा टोइलेट और बाथरूम एक ही कमरे मे थे
मै जानबुझ कर अपने पाव झटकता हुआ अपनी नुनी को सामने से पकड कर बुरा सा मुह बनाते हुए - ओह्ह्ह ठीक है दीदी रुकता हू थोडी देर

रजनी ने जब मेरी हालत देखी तो साडी बटोर कर एक किनारे कर दिया और खुद खडे हो गयी जिस्से उसका गिला पेतिकोट उसकी मोटे खर्बुजे वाली छातीयो से चिपका हुआ दिखा और उसके गहरे रंग की निप्प्ल भी साफ दिख रही थी ।
रजनी - जा कर ले देख रही हू तेरा हाल बुरा है हिहिहिही
शर्म से मुस्कुकर मै झट से अन्दर फिर दीवाल की तरफ मुह और रज्नी की तरफ पिठ करके खड़ा हुआ और अपना जीन्स खोलने ल्गा

रज्नी पीछे से - अरे क्या कर रहा है ,,,ऐसे करेगा तो सारा दीवाल पर जायेगा और बदबू करेगा ,,,सीधा होकर कर ले मुझसे क्या शर्मा रहा है

मै थोडा झिझिक दिखाते हुए - सीधा हुआ और मेरा फुल खड़ा मोटा लण्ड का साइड लूक रजनी के साम्ने था ।
मैने एक हाथ आगे कर चमडी को पीछे कर सुपाडे को बाहर किया और लण्ड को निचे झुका कर तेज धार के साथ टोईलेट मे मूतने ल्गा

तभी रज्नी की आवाज आई - अरे तेरा तो रंग ही नही छुटा है वहा का हहहहह

मै शर्म भरे भाव मे - हा वो चाची ने लगा दिया था और रंग ना छूटने की वजह से खुजली हो रही है

मै रज्नी के सामने अपने हल्के छोटे झाटो को के हिस्से को खुजाते हुए कहा

रजनी हस कर - कोई बात नही चल अभी मै निचे आती हू तो तुझे तेल दे दूँगी तू लगा लेना
मै मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाया और अपना लण्ड झाड़ कर वापस अन्दर डाल कर जीन्स बन्द कर लिया

और फिर वही बगल की टोटी से हाल धुल लिया ।
रजनी - ठीक है तू निचे बैठ मै नहा कर आ रही हू
मै मुस्करा कर निचे चला गया जहा चंदू बैठ कर मोबाइल चला रहा था और उसके लोवर मे लण्ड उभरा हुआ था ।


मै उसके बगल मे बैठते हुए - यार तेरी मा की गाड़ बहुत फैली हुई है
चंदू मुझे कनअखियो से देखते हुए मुस्कुरा कर वापस मोबाइल चलाने लगा
मै - क्या तुने अपनी मा की गाड़ भी ली है
चंदू हस कर - क्यू कोई शक है क्या
मै - नही ब्स पुछ रहा हू बे ,,और पंडाल मे कब चलेगा

चंदू बस मा को आजाने दे फिर चल्ते है
मै - साले जाकर तू भी नहा लेना
चंदू - हा यार मै तो भूल ही गया
फिर हमने थोडी देर बाते की और फिर रजनी नहा कर एक मैकसी पहने वापस आई छत से

चंदू जल्दी से तौलिया लिया - मै नहा कर आ रहा हू यही बैठ थोडी देर
मै - ठीक है जल्दी आना
इधर चंदू नहाने छत पर गया
और रजनी बेडरूम मे चली गयी और मै उसके पीछे पीछे कमरे मे चला गया जिस्का पता रज्नी को नही था ।

और वो कमरे मे जाकर झट से अपनी मैक्सि निकाल दी और सिर्फ पेतिकोट मे आ गई

मै वापस उसको पीछे से आधी नंगी देख कर उत्तेजित होने ल्गा

तभी रजनी घूमी और उसकी मोटी भारी भरकम चुचिया मेरे सामने आ गयी और मै एक टक उसके डार्क और कडक मोटे दाने वाले निप्प्ल को देख्ते हुए थूक गटकने लगा ।

यहा रज्नी की नजर मुझ पर पड़ी तो झट से अपनी चुचियो को हाथो से छिपाते हुए घूम गयी
रजनी हड़बड़ी मे - तू तू क्या कर रहा है बाबू

मै शर्म भरे लहजे मे - दीदी वो मै तेल के लिए आया था ,, वो आप उपर बोली थी ना

रजनी थोडा शांत होकर - ओह्ह्ह देख वहा टेबल पर रखा है लेले

मै टेबल से नारियल के तेल की शीसी लेके बाहर जाने लगा
रजनी मुझे रोकते हुए - अरे कहा लेके जा रहा है ,,, मुझे भी लगाना है ना

मै शर्माने के अंदाज मे मुस्कुरा कर - वो मै बाहर लगा लेता ना
रजनी मुस्कुरा कर - बक्क पगलेट यही लगा ले ,
तू मेरे लिए चंदू जैसा ही है रे

फिर मै ठीक है बोल कर दरवाजा बंद कर दिया और एक सीसी लेके दरवाजे के कोने गया और जीन्स खोल कर लण्ड पर तेल गिराया और हाथ से अच्छे से मालिश करने लगा ।

रजनी ह्स्ते हुए - अच्छे से लगा लेना और फिर मुझे देना

फिर मै गरदन घुमा कर उसको तेल थमाते हुए - हा दीदी लेलो और एक तौलिया देना
रजनी तेल की शिसी पकडते हुए अचरज के भाव मे - अब तौलिया क्या करेगा

मै शर्मा कर मुस्कुराते हुए - वो दीदी तेल ज्यादा ही गया है ,,जीन्स मे दाग लग जायेगा

रज्नी मेरी बात की जांच के लिए मेरे बगल मे आई और देखा की मेरे लण्ड पर खुब सारा तेल चखटा हुआ है और सुपाडा चमक रहा है

रजनी के आते ही मै नजर निचे कर लिया
रजनी हस कर - धत्त इतना क्यू लगा लिया पागल इतने मे तो मेरे पुरे बदन पर लग जाता हिहिहिही

मै परेशान होने के भाव ने - अब क्या करु दीदी

रजनी हस कर - रुक तू ऐसे रह मै इसका तेल निकाल कर अपने उपर लगा लुंगी

मै चौक कर रज्नी के तरफ देखने लगा
रज्नी हस कर - ऐसे क्या देख रहा है वो कोई गंदी जगह थोडी है वो शशीर का हिस्सा है ,,,साफ करता है ना रोज उसको

मै हा मे सर हिलाते हुए रज्नी के पेतिकोट मे बाँधे हुए चुचो के खड़े निप्प्ल को देखने लगा और उसकी गोरी जान्घे और भी सेक्सी लग रही थी ।

तभी रज्नी ने मेरे हाथ से जीन्स को छुड़ा कर घुटनो तक कर दिया और टीशर्ट चढा कर उपर खोस दिया और फिर मेरे लण्ड के झान्टो वाले हिस्से पर हाथ फेरते हुए उस्का तेल हाथ मे चपेड़ते हुए पहने अपने दोनो हाथो और फिर गरदन पर लगा लिया

रज्नी - हे भगवान कितना तेल गिरा लिया है तुने और निचे भी चू रहा है
यहा मै रजनी के हरकत और उसके स्पर्श से और ज्यादा कामुकता से भर गया और मेरे लण्ड मे कसाव बढने लगा ।

जिसका आभास रजनी को भी था और वो मुस्कुरा कर अपने पेतिकोट खोलते हुए कमर पर बान्ध लेती है और उसकी एक बार फिर उसकी मोटी मोटी खर्बुजे जैसी चुचिया खुल कर मेरे सामने आ गयी ।

मै थूक गटकते हुए उसके गोरे मुलायम भारी चुचो को देख के सिहर गया और वो झुक कर इस बार मेरे लण्ड की चमडी मे लगे तेल को निचोड़ कर आगे की तरफ लेके आई और दोनो हाथो मे अच्छे से चभोड़ कर अपने दोनो निप्प्ल और फिर पुरे चूचो पर मल कर तेल लगाने लगी

वहि मेरी हालात और खराब होने लगी मानो मै अब झड़ा तब झड़ा

मै शर्मा कर और आह भरी आवाज मे - हो गया दीदी

मुझे तडपता देख रजनी अपने कांख मे तेल लगाते हुए बोली - क्या हुआ बाबू

मै नजरे नीची कर - वो दीदी इसको बंद करना है ना

रजनी हस कर - ब्स रुक जा थोडा सा तेल और है
फिर रजनी झुक कर एक हाथ से मुठ्ठि मे मेरे सुपाडे के हिस्से मे लगे तेल को निचोड जिससे मेरी आह निकल गयी

मै सिस्क कर - अह्ह्ह दीदी आराम से निकल जायेगा

रजनी हस कर हैरत भरे लहजे मे हाथ मे लिये तेल को अपनी कमर और नाभि मे लगाती हुई - क्या निकल जायेगा छोटे

मै शर्मा कर - कुछ नही दीदी
रजनी हस्ते हुए - अब मुझसे ही छिपायेगा हा ,,, तेरे उम्र की मेरी औलाद है समझा और मुझे बोल रहा है कूछ नही हिहिहिही

मै शर्मा कर - वो आपने यहा छुआ ना तो ऐसा लगा कि कही मेरा वो ना निकल जाये

रजनी हस कर - इतना जल्दी निकल जाता है क्या तेरा

मै रजनी से ऐसे किसी सवाल की उम्मीद मे नही था
मै - नही वो पहली बार किसी ने छुआ ना तो
और मुह फेर कर हसने लगा

लेकिन इस समय मै पूरी तरह से उत्तेजीत हो गया था और लग रहा था कि रज्नी का एक भी स्पर्श मुझे झड़ा देता और हुआ भी वही

रजनी हस्ती हुई - धत्त पागल कही का

और रजनी ने वापस एक बार फिर मेरे लंड को जड़ से निचोड कर सुपाडे तक लाई और सुपाडे को मुठ्ठि मे भर से हथेली से रगड़ कर तेल च्भोड़ने लगी कि तभी मेरी पिचकारी छूट गयी और रजनी का हाथ मेरे गर्म चिपचिप वीर्य से भर गया

मै - ओह्ह दीदी निकल गया अह्ह्ह
रजनी को जैसे अहसास हुआ की मै उसके हाथ मे झड़ रहा हू वो झट से निचे बैठ कर दोनो हाथो से मेरे बीर्य को रोपने लगी कही फर्श ना गन्दा हो जाये

रजनी तेज स्वर मे ह्सते हुए - यएईई गन्दा लड़का क्या किया ये हिहिहिही पागल कही का ,,, अभी बोल रहा था और निकाल भी दिया छीईई

मै खुद को थोडा रिलैक्स कर हसते हुए - सॉरी दीदी मैने बोला था आपको

रजनी ह्स कर - कोई बात नही लेकिन इतना सारा कैसे निकला

रजनी दोनो हाथो को कटोरी बना कर रोपे हुए बीर्य को मुझे दिखाते हुए बोली

मै शर्म कर - पता नही दीदी मेरा ऐसे ही निकल जाता है कभी कभी

रजनी हैरत से - कभी कभी मतलब ,,,
मै शर्मा कर - वो दीदी रात मे कभी अपने आप निकल जाता है ना वैसे वाला

रजनी इस समय खुले चुचो मे घुटनो के बल हाथो मे मेरे वीर्य को लिये खड़ी थी ।

तभी मुझे लगा की मेरा कुछ बंद और गिरेगा

मै अपने लण्ड मे कसाव लाते हुए - दीदी लग रहा है और गिरेगा
रजनी चौक कर - अब उसे कहा पक्डू
इधर मै कुछ सलाह देता उससे पहले ही रजनी के मेरे सुपाडे के छेद से रिस्ते ड्रॉप को चाट लिया जिससे मै सिहर गया

और जानबुझ कर चौकने के भाव मे - अरे अरे दीदी ये क्या किया वो गन्दा होता है

रजनी हस के - धत्त पागल ऐसा नही है ये बहुत ताकत और फायदे की चिज है इसको पीने से लडकिया खुबसुरत होती है और चेहरे पर कोई दाग दाने नही होते

मै हस कर - तो इस लिये आपने इसको हाथ मे भर है
रजनी थोडा सा शर्म और ह्स्ते हुए - हा नही मतलब ,,अब मिल गया तो बेकार थोडी ना करूंगी

मै अजीब सा मुह बना कर - कैसा लगता होगा टेस्ट इसका दीदी

रजनी खड़ा हुई सुरुकते हुए मेरे सामने मेरा बीर्य पी गयी और बचा खुचा अच्छे से चाट गयी ।

मै उनकी हरकत से फिर से उत्तेजित होने लगा
मै फिर से - बताओ ना कैसा लगता है इसका टेस्ट

रजनी एक शरारती मुस्कान से - बताउन्गी लेकिन वादा कर किसी को कहेगा नही

मै मुस्कुराकर उत्साही भाव मे - जी दीदी ठीक है

फिर रजनी ने झट से अपनी पेतिकोट मे हाथ डाला और थोडा हरकत की और फिर अपनी चुत के पानी से सनी एक ऊँगली मेरे पास लाकर बोली - जीभ निकाल

मै अजीब सा मुह बना के पहले रजनी की ऊँगली को सुधा जिसमे से उसके चुत के पानी की कामुक खुशबू आई - दीदी ये क्या है
रज्नी हस कर - मूह खोल तू ब्स
मै जानबुझ के अपने चेहरे के भाव को अजीब करके जीभ निकाल कर उनकी ऊँगली को चाटा और फिर एक मुस्कान के साथ अच्छे से उनकी ऊँगली को चुस लिया

रजनी हस कर - क्यू पसंद आया स्वाद हिहिहिहिही
मै अपनी जीभ को मुह मे घुमाते हुए एक नये स्वाद की अनुभूति के साथ मुस्कुरा कर बोला - हा दीदी ,,,,ये तो सच मे बहुत अच्छा है ।

रज्नी थोडी हिचकी और बोली - और चाहिये हमम
मै थूक गटक उसकी आँखो मे देखते हुए हा मे गरदन हिलाया

रजनी मुस्कुराई और एक नजर बंद दरवाजे पर देखा और मुझे पकड के बिस्तर तक ले आई और बोली - देख मै तुझे चखा दूँगी लेकिन किसी को बोलना मत और जब भी तेरा मन होगा तू मुझसे मिलने आ जाना

मै शर्मा कर हा मे सर हिलाया
रजनी हस कर - अभी भी शर्मा रहा है पगला कही का हिहिही

मै - दीदी जल्दी करना होगा कही चंदू ना आ जाये
रजनी हस कर - उसकी छोड तू तैयार है ना , मै जो कहूँगी वो करना पडेगा तभी तुझे सही से स्वाद मिल पायेगा

मै गरदनहिला कर - जी दीदी
फिर रजनी ने झट से अपना पेतिकोट कमर तक उथाया और पैर लटका कर बेड पे लेट गयी

मै थूक गटकते हुए मन मे - वॉव कितनी चिकनी चुत है यार एक भी बाल नही है और देखो निचे की तरफ कितनी चिपछिपी हुई है आज तो तेरे किस्मत खुले है बेटा एक ही दिन मे 3 नये चुत चाटने को मिला है

मै संकोची भाव से ब्स रजनी की गदराई जांघ और चुत के चिकने हिस्से को देख कर और उत्तेजीत हो रहा था

रजनी गर्दन उठा कर - अब देख क्या रहा है आ चाट ले जल्दी कर
मै थूक गटक कर बेड के नीचे रजनी के जांघो के बीच गया और उसकी जांघो को सह्लाते हुए उसके पैर अपने कन्धे पर रख कर उसकी चुत की तरफ झुका और मुझे एक ताज़े पानी से लबालब चुत की मादक गन्ध आई और मदहोश होकर मै जीभ निकाल कर चुत के नीचले हिस्से से उपर से दाने तक कुल्फी के जैसे चाट लिया जिस्से रजनी गनगना गयी और उसकी सांसे तेज हुई

रजनी के चुत का स्वाद अद्भूत था और मै जानता था कि उसको चुत चटवाना कितना पसंद है कि अगर मै उसके मुह पर बोल देता तो वो तुरंत चुत मेरे सामने खोल देती

रजनी क्समसाहट भरे स्वर मे - अह्ह्ह बाबू चाट ले ना क्या सोच रहा है
रजनी की बात सुन कर मै वापस अपने नथूनो को उसकी चुत मे रगड़ कर उसके चुत मे जीभ घुसा कर नचाने लगा जिससे रजनी अकड गयी और मै जीभ को उपर की तरफ ले जाकर तेजी से उसके दाने पर घुमाने लगा
जिस्से रजनी ने अपनी गाड़ पटकनी चालू कर दी

मै उसको जांघो को थाम कर अपने उपर चढ़ाते हुए उसकी चुत मे जीभ से पेलना शुरु कर दिया और बिच बिच मे चुत के दाने और चमडी को मुह मे लेके चुब्ला लेता जिस्से रजनी और भी ज्यादा खुद को झटकने लगी

और यहा मेरा लण्ड पूरी तरह से तन चुका था और मुझे इससे अच्छा मौका नही मिलता
इस लिये मैने एक नजर रज्नी की ओर देखा तो वो आंखे बंद किये मदहोश है और खुद को बडे आराम से खड़ा किया इस दौरान मै लागातार उसकी चुत मे ऊँगली पेले हुए था

और फिर अपनी पोजिसन बनाते हुए अपने लण्ड को धीरे से उसकी चुत के पास ले गया और सुपाड़े को खोल कर उसके भोस्दे को फैलाते हुए गप्प से लण्ड को पुरा का पुरा उसकी गीली चुत मे एक साथ उतार दिया

जिस्से रजनी की आंखे फट कर बाहर आ गई और वो अपने पैर झटकने लगी

रजनी गुस्से मे - कमिने ये क्या कर रहा है निकाल आह्ह्ह मा बहुत मोटा उफ्फ्फ अह्ह्ह निकाल दे कुत्ते उसे हे राम

मै रजनी चुत मे धक्के ल्गाते हुए - करने दो ना दिदी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है ,,मै किसी को नही कहूंगा प्लीज

रजनी मेरे रेक़ुएस्त से थोडी शांत हुई और लण्ड को निचोड़ते हुए अपनी कमर को अच्छे से सेट करते हुए बोली - अह्ह्ह बाबू तू भाई है ना रे मेरा अह्ह्ह उफ्फ्फ आराम से हा ऐसे ही अह्ह्ह

मै रजनी को शांत होता देख अपने हाथ आगे ले जाकर उसके मोटे मोटे फैले हुए चुचो को थामते हुए कहा- आह्ह दीदी आपकी चुचिया कितनी ब्ड़ी है
फिर उसकी जांघो को खोल कर उसके उपर चढ़ कर चोदते हुए उसकी चुचियो को मिजने और चूसने लगा

रजनी अब और भी ज्यदा सिस्किया लेने लगी और खुद कमर उचका कर लण्ड लेने लगी - अह्ह्ह बाबू अब रुक क्यू रहा है पेल दे ना मुझे अह्ह्ह ओह्ह्ह

मै उसको चुचो के मुलायम निप्प्ल को चुस्ते हुए एक करारा धक्का उसकी चुत मे पेला

रजनी - अह्ह्ह बाबू उम्म्ंम बड़ा जोर का चोद्ता है रे आह्ह और मार ऐसे ही हा हा ऐसे ही उफ्फ्फ मा बहुत मज़ा रहा है उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह

रजनी मेरे बालो को सह्लाते हुए - तुझे मेरे बहुत पसंद है ना बाबू ,, पी ले मेरे लाल आह्ह और चुस और खुब जोर से पेल मुझे बहुत अह्ह्ह्ह बहुत मोटा लण्ड है रे तेरा अह्ह्ह उह्ह्ह ब्स ऐसे ही

मै वापस घुटनो के बल खड़ा हुआ और रज्नी के पैर को कन्धे पर चढा कर तेजी से थपथप थप थप थप थप थप थप थप अपनी जांघो और रजनी की जांघो से लड़ाते हुए चोडने लगा

रजनी - ओह्ह्ह माई आह्ह उह्ह्ह और तेज और तीईईईईएज्ज्ज्ज्ज उफ्फ्च मा रुउउउक्क्क नाआआह्ह मत अह्ह्ह और और आह्ह आह्ह मा मेरा आया

रजनी ऐसे ही सिसकिया लेते हुए तेजी से कमर उचकाते हुए झडने लगी और फिर मेरे लण्ड कस कर निचोडने लगी और जल्द ही मै झडने के करीब आ गया

और झट से लण्ड निकाल के उसके मुह के पास गया और घुटने के बल बैठ कर अपना लन्ड़ उसके मुह के पास हिलाने लगा

मै कापते हुए स्वर मे -अह्ह्ह दीदी मेरा निकलेगा
रजनी झट से मेरे आड़ो को सहलाते हुए लण्ड कोमुह मे भर ली और चूसना सुरु कर दिया
और कुछ ही पलो मे मै कापने लगा और मेरे लण्ड की नशे मुझे झटके देने लगी
मै रजनी का मुह पकड कर अपने चुतड सख्त करते हुए लण्ड को उसके गले तक उतार कर झटके खाने लगा
फिर जल्द ही उससे अलग होकर हाफने लगा और वो भी खास्ते हुए उठ कर बैठ गयी और अच्छे से खुद को साफ किया ।

मै वही बेड पर बैठे बैठे उसकी जांघो को सहलाते हुए उसे देख रहा था ।
रजनी एक संतुष्टी भरे मुस्कुराहट से - हो गया ना तेरा, कर ली ना मन की अपने की

मै उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देख रहा था और वो खडे होकर अपना पेतिकोट निचे की और पेतिकोट से उपर से ही हाथ लगा कर अपनी फुली हुई चुत की चिपचीपाहत को साफ कर ब्लाउज पहनने लगी ।

रजनी - अब क्या देख रहा है बदमाश जा कपडे पहन ले

मै खड़ा हुआ और पैरो मे पड़ी जीन्स को पहना और फिर सीसे मे अपने बाल सही किये

मै थोडा शर्मा के - मै बाहर जाऊ दीदी
रजनी मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम कर बोली - ठीक है जा ,,लेकिन किसी को कुछ बोलना नही

मै हा मे सर हिलाया और बोला - फिर अगर मन किया वो टेस्ट लेने का तो
रजनी मुस्कुरा कर - तेरा जब मन करे आ जाना बाबू ,,वैसे तू बहुत जोर की चुस्ता है मुझे बहुत मज़ा आया

मै रजनी के खुल कर बोलने पर हस कर उसकी गाड़ को दबोचने लगा और बोला - अगली इसको भी चखा देना दीदी प्लीज

रजनी ह्स कर मुझे अपने आप से चिपका ली - ठीक है बाबू कर लेना ,,अभी जा चंदू आता होगा । मै भी तैयार हो लू

फिर मै हाल मे आ गया और थोडी देर बाद चंदू आया नहा कर और फिर वो तैयार हुआ फिर हम दोनो निकल गये पंडाल के तरफ


देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है और ये होली कितनी लम्बी और कामुक होने वाली है ।

आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे जिससे लिखने का हौसला मिलता रहे ।
धन्यवाद
Are waah Rajni didi ke sath bhi holi manali.... Waise Chandu aur Raj ek sath holi kab khelenge Rajni ke sath ..
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 78


रजनी की मस्त चुदाई के बाद मै चंदू को लिवा के पन्डाल के लिए निकल गया ।

हमारे चमनपुरा मे नगर के थोडा सा पूर्व दिशा मे लग कर एक पुराना और भव्य शिवमंदिर था । जहा आये दिन त्योहारो पर नये नये प्रोग्राम का आयोजन नगर के बडे सेठो द्वारा बनी एक समिति की ओर से होता था । जिसमे त्योहारो से पहले ही पुरे नगर और आस पास के गाव और नगर मे घूम घूम कर समिति के कार्यकर्ता चंदा लेने जाते थे ।
हर साल होली पर मंदिर पीछे के मैदान मे एक बड़ा पंडाल लगाया जाता था । जहा प्रसाद के तौर पर भांग वाली शर्बत और लड्डु मिलते थे । हा लेकिन औरतो और बच्चो के मंदिर मे भोग लगाये सादे प्रसाद ही दिये जाते थे ।
पंडाल मे एक बड़ा मंच होता था जिसपे समिति के तरफ से बुलाये कलाकारो और कुछ क्षेत्रीय गाव के गवैये नचैये अपने कला का प्रदर्शन करते थे । हर साल जवाबी बिरहा का जोरदर समर्थन होता और कलाकारो को उन्के जोगिरा पर खुब पैसे मिलते थे ।

मै और चंदू भी मस्ती मे पांडाल की तरफ जाने लगे और वहा के स्पीकर की शिव आरती आवाज हमारे कानो पर आ गयी थी

मन्दिर मे शिव की संध्या आरती के बाद ही सारे कार्यक्रम का शुभ आरम्भ होता था और मंच पर आये सभी कलाकार मे जो पहले आता वो भी अपनी रचना भोलेनाथ को ही समर्पित रखता था ।

पान्दाल मे कोई धक्का मुक्की ना हो और औरतो बच्चो का विशेष ध्यान रखते हुए उनके बैठने की व्यव्स्था अलग ही की जाती थी ।
समिति के कार्यकर्ता सभी ओर अपनी जिम्मेदारियो को बखूबी निभाते भी थे तभी तो हमारे चमनपुरा का पान्डाल पुरे जिले मे बहुत ही प्रसिद्द हो गया था जिसकी न्यूज़ चैनलो पर रिपोर्टिंग तक की जाती थी ।
खैर हम दोनो मसती मे झूमते हुए पान्डाल तक गये जहा धीरे धीरे भीड़ होने लगी थी ।
एक तरफ स्टॉल लगा कर औरतो बचचो को और एक तरफ मर्दो के लिये

प्रसाद बटने लगा था हम दोनो ने भी सादे प्रसाद लिये और पान्डाल मे एक जगह देख कर दरी पर बैठ गये और हमारी नजर समिति के मंच पर लगे बडे बैनर पर गयी
जहा हिन्दी भोजपुरी क्षेत्र के सुपरहिट और काफी चर्चित कलाकार रम्पत हरामी और उनकी रन्गिली साथी रानी बाला की तस्वीर लगी थी

चंदू उछल कर - अबे ये तो रम्पतवा है बे यार आज तो मजा ही आ जायेगा

मै भी खुशी से झूम गया कि इतना बड़ा कलाकार आज हमारे चमनपुरा मे आया था ।
तभी शायद यहा की भीड़ बहुत ज्यादा थी ।
थोडी ही देर मे एक स्थानीय गायक ने शिव पार्वती की होली पर एक कविता पढी और फिर मंच संचालक ने एक जोरदार तालियो की अपील करते हुए रम्पत हरामी और रानी बाला का स्वागत किया ।

पुरे पान्दाल मे तालिया और सीटीया बजने लगी लोग तेज आवाज मे हल्ला करने लगे

हम भी मस्ती मे आकर अपनी उंगली को ओठ पर उपर निचे कर उलूलुलुलुलू करने लगे और खुब हसे ।

तभी मन्च से रम्पत की आवाज आई

रम्पत एक अस्लील अंदाज मे - बस बस शांत हो जाइए दोस्तो ,,, अभी से थको मत रात बाकी है हेहेहेहे

एक बार फिर जोर के हल्लो और सिटीयो के बाद माहोल शांत हुआ
रानी - नमस्कार हारामी जी

रम्पत रानी बाला से - हाय्य्य्य्य हाय्य्य हाय्य्य नमसकार धमस्कार सम्सकार

फिर ढोल मजिरे का ताल बजता है
मन्च पर रम्पत अपनी रन्गिली टोपी रानी बाला की तरफ घुमा कर उसको पुचकारता है - सीईईई चुचू चुउउऊऊ


रानी बाला - ऐ लडके , क्या करता है
रम्पत अपनी अस्लील अन्दाज मे होठो को सिकोड़ते हुए रानी को देखकर एक चटकारा लेते हुए निचे से एक मोटा खीरा रानी को देता है


बैकग्राउंड मे मजीरा ढोल अपनी ताल देते है
रानी मोटे खीरे को घुमाते हुए - इसका क्या काम है
रम्पत अपनी आंख दबाते हुए - बहुत काम की चिज है भौजी हमारे साथ भी और हमारे बाद भी

रानी - तुम अपनी हरकतो से बाज नही आओगे
रम्पत - ओहो भौजी ,,,अच्छा अच्छा छोडो ये बताओ होली पर कुछ खाने को लाई हो

रानी - हा हा ,,ऐसी मस्त चिज लायी हू की खा कर जोश आ जायेगा और फिर से जवान हो जाओगे

रम्पत माइक मे फुसफुसा कर - कही शिलाजीत तो नही है ना
पुरा पान्डाल हसी से ठहाको से भर गया और ढोल मजिरे अपने ताल मे बज उठे

रानी - क्या कहा
रम्पत खुद को स्म्भाल के - उह्ह्हूउऊ अह हम्म्म्म मै कह रहा था क्या लाई हो भौजी जिससे मुझे जोश आ जायेगा

रानी - प्याज के पकोड़े है प्याज के

रम्पत वापस माइक मे फुसफुसा कर - कही जापानी तेल मे नही तल दिया रानी हाय्य्य्य

रानी - हे भगवान कभी तो अच्छी बाते कर लिया करो

रम्पत - ना ना ना , हम अच्छे हो गये तो ये हरामीपन कौन करेगा क्यू भाइयो

पान्डाल एक बार फिर हसी के ठहाके और सिटीयो की आवाज से भर गया।
रमप्त - अच्छा सुनो भौजी कुछ सुनाओ

रानी - क्या सुनोगे
रम्पत - होली पे कुछ सुना दो
रानी - अच्छा होली पे , तो सुनो
पान्डाल मे वापस तालिया गुजती है
रानी अपने बनाये किसी तर्ज पर एक गाना गाती है

नीला पिला हरा गुलाबीईईईई
कालाहह भूराआआ लाआआल
होली के दिन उड़ता देखो
सतरंगी गुलाल
हो चोरी चोरी वो आके ,रंग गया डाल
हो चोरी चोरी वो आके , रंग गया डाल


रम्पत - क्या बात है भौजी ,,, कोई चोरी चोरी रंग डाल गया तुमको पता नही चला
रानी - क्या करु मै तो सोयी हुई थी

रमपत अपनी म्स्तानी अदा मे रानी के करीब मजिरे और ढोल की ताल पर नाचता हूआ रानी के करीब जाकर - एक दफा हमसे भी डलवाओ ,,सालो साल याद रखोगी
रानी - अच्छा जी
रम्पत - तो फिर , चमनपुरा के बाजार का रंग है कितना भी रगड़ लोगी छुड़ा नही पाओगी

फिर गाने की धुन पर वो दोनो अपने स्टाइल मे अपनी कमर ठुमका कर आपस मे पेट सटाते हुए नाचते है
जिसको देख के मन्च के पास भांग वाली शर्बत पीकर बैठे बुजुर्ग मे से दो तीन खडे होकर ही ठुमके लगाने जिनको देख कर जनता और भी सिटिया बजाने लगी।
इधर मन्च पर वापस दोनो अपनी अपनी माइक पर जाते है और रम्पत जोगिरा कहता है -
होली आई होली आई होली आई भौजी
औ देवर के संग होली खेलो देवर है मनमौजी
बोलो सारा रा होली है

रानी ढोल की ताल पे कमर लच्काते हुए - अच्छा जी इस उम्र मे देवर मे बनोगे

रमपति अपनी हरामी वाली हसी मे - हेहेहेहेह भूल रही हो भौजी,,, होली मे बूढ़वा भी देवर बन जाता है
रानी - अच्छा जी

रम्पत वापस से जोगिरा पढते हुए -
होली के दिन होती देखो रंगो की बौछार
अरे होली के दिन होती देखो रंगो की बौछार
भौजी के मै भी रंग लगा लू कस कस के एक बार

बोला हई रे हई रे हई हा
होली है!!!!!!


फिर रम्पत अबीर लेके रानी के गालो पर गुलाल लगाता है ।
यहा हम सब बहुत मस्ती मे शोर मचा कर मजे से बैठे हाथ उठा कर नाच रहे थे ।

फिर थोडी देर मे रम्पत का गाना खतम हुआ और फिर एक दो प्रोग्राम के बाद जवाबी बीरहा चला उसमे भी कुछ अस्लील जोगिरे गाये गये ।
फिर मट्की और मजिरे के ताल पे पास गाव के तीन चार लोगो ने साडी पहन कर लोकगीत पर नृत्य भी किया ।


फिर अंधेरा होने को आया और मैने मोबाइल देखा तो 7:30 बज गये थे और सोनल के 12 मिस्काल आये थे

मै घबडाहट मे चंदू से - अबे चल उठ घर से फोन आ रहा है
चंदू मना करते हुए - अबे यार अभी रुक ना

मै - भोस्डी के साडे सात बज रहा है
चंदू - भाई प्लीज एक लास्ट ना
मै - ठीक है तू बैठ मुझे समान लेके जाना है चौराहे पर
फिर मै उसको गाली देता हुआ बाहर निकल और मार्केट वाले रास्ते पर जाने ल्गा कि चंदू दौड़ता हुआ आया

मै - अब क्यू आ गया जा ना वही रह
चंदू - जाने दे तेरे बिना मन नही लगता रे
मै हस कर - भाग साले ,,मेरे बिना दीदी को चोद्ता है ना

फिर हम ऐसे ही मस्ती भरी बाते करते हुए मुहल्ले मे आये और चंदू अपने घर गया ।
मैने वापस सोनल के पास फोन किया तो पता चला कि कुछ राशन के समान लेने थे जो पापा लेके आ गये उसी के लिए मुझे फोन कर रही थी ।


फिर मै उसको घर पहुचने का बोल कर चौराहे की तरफ निकल गया ।
थोडी देर मे टहलते हुए मै चौराहे वाले घर पहुच गया जहा किचन से मस्त कलौजी के मसाले की खुस्बु आ रही थी ।
मै किचन मे घुसा तो देखा कि निशा और सोनल खाना बना रही है । कुकर मे दाल रखा हुआ था

मै - क्या बन रहा है भई
सोनल - आ गया तू ,,, कबसे फोन कर ही थी उठाया क्यू नही

मै - अरे वो मै पान्डाल मे गया था ना हिहिहिही
सोनल चिढ़ कर - हा वही आवारागर्दि कर रहा होगा

मै हस कर वहा से हाल मे आया तो देखा यहा भी किचन का माहौल बना हुआ है

हाल मे मा चाची और पापा मिल कर आटे की गोल बड़ी लोयिया बना रहे थे ।

मुझे समझ मे आ गया कि क्या प्रोग्राम था आज का ।लेकिन एक बात समझ नही आ रही थी कि ये लिट्टीया सेकि कहा जायेगी ।

तभी अनुज और राहुल उपर से कुछ लकड़िया और गोबर के कंडे एक बोरे मे लेके आये और मै मै रास्ते मे ही खड़ा था

अनुज - आह्ह भईया हटो मुझे बाहर लेके जाना है ।

मै उसको डांट कर - कहा लेके जा रहा है ये सब
मेरी आवाज तू कर मा - तू चुप कर बड़ा आया मेरे बच्चे को डांटने ,,,बेटा तू बाहर ले जा कर रख अभी तेरे पापा उसको जलाने की व्यव्स्था कर रहे है ।

मै चुप चाप आकर हाल मे आकर मा के बगल मे बैठ गया और मुस्कुराने लगा

मा मुझे ह्स्ता देख अपनी कोहनी से मुह पे लगाते हुए - दाँत तोड़ दूँगी तेरा ,, कहा था कबसे परेसान थी मै

मै मा के गुस्से की वजह जानता था तो मा को पीछे से पकड कर उन्के कन्धे पर सर लगा कर - बस यही मंदिर पर गया था मा

मा चौक कर एक बार मुझे सूंघते हुए - वो भांग वाली शर्बत तो नही ना पी तुने

मै ह्स कर ना मे सर हिलाया और वापस मा से चिपक गया
मा कसमसा कर - ओहो छोड भई काम करना है ,,, ये लड़का कब बड़ा होगा जी

पापा ह्स्ते हुए - क्या रगिनी तुम भी ,,अब तक वो नही था तो परेशान थी और अब आ गया है तो भगा रही हो ,,,

मै हस कर मा को अपनी तरफ घुमा कर - सच मे मा तुम परेशान थी मेरे लिये आव्व्व्व

मा इतराते हुए मुझे झटक कर- हट तुझे क्या उस्से मै कैसी भी रहू

मै मा के चेहरे पकड कर उसके गाल को चूम लिया - चलो हो गया छुटा अब खुश हो जाओ ना मा

मेरी हरकत से चाची विमला पापा सभी हसने लगे और मा भी ह्स्ते हुए शर्मा गयी

मै उसको पीछे से पकड कर झुलाते हुए - ओह्ह मेरी प्यारी मा ,,आई लव यू औए फिर से उसके गालो को चूम लिया

मा परेशान होकर- भक्क्क मै नही करूंगी कुछ ये मुझे परेशान करने पे तुला है

मै वही बैठे हुए हसने लगा और बाकी सब भी हसने लगे ।
विमला - अरे रागिनी तू भी ना कितना प्यारा बेटा है तेरा जो तुझे इतना प्यार करता है नही तो आज कल के लडके तो अपने दोस्त गर्लफ्रैंड से फुर्सत लेके मा बाप से बात कर ले वही बहुत है

पापा - बिल्कुल सही कह रही है बहन जी
मा मेरी तारिफ सुन के थोडी गौरान्वित होते हुए मेरे माथे को चूम लिया और अपने भारी गुलगुले सीने मे मेरे चेहरे छुपा कर मुझे दुलारते हुए- सच मे मेरा लल्ला सबसे प्यारा है

मै मौका देख कर मा के पेट मे गुदगुड़ी करने लगा
मा ह्स्ते हुए छ्टकने लगी और बोली - हिहिहिहिही छोड दे बद्माश बस कर हिहिहिही पागल कही का
इधर हम सब मस्तिया कर रहे थे कि राहुल आया

राहुल - बडे पापा हमने सारा इन्तेजाम कर दीया बस उसको जलाना है

पापा खडे होकर - हा चलो बेटा चलते है
मा - हा आप अलाव तैयार करिये मै ये लिट्टी लेके आती हू

फिर पापा बाहर गये और थोडी देर मे सारी लोईया तैयार हो गयी ।फिर मै उसको एक बडे परात मे लेके बाहर हाते मे आया । जहा पापा ने अलाव तैयार कर दिया था और कुर्सी लेके बैठे थे
मेरे साथ मा , चाची , विमला भी बाहर आई ।
फिर मा और पापा ने एक एक करके सारी लोयिया आग रखी और फिर अनुज ने सबके लिये अलाव से थोडा दुर वही आस पास कुर्सीया लगायी ।

इस समय रात के साडे आठ बज रहे थे और कोहरे हल्के कोहरे गिर रहे थे जो कि अकसर मार्च महीने के आखिरी दिनो मे गिरते है । जिससे छत की लाईट भी कुछ खास तेज नही थी
सारे लोगो को अलाव की आन्च सबको पसंद आ रही थी और गप्पे लगाये जा रहे थे ।
मा , विमला चाची तीनो ने ही मैकसी पहनी हुई थी और कुरसी पर बैठी हुई थी ।
पापा हाफ चढ़ढे मे थे ।
राहुल और अनुज अलाव के धुए से परेशान हो कर अन्दर चले गये थे ।

वही मै मा के पीछे खडे होकर उसकी हसी ठहाके की बाते सुन रहा था और रह रह कर अपने हाथ
उनके मैक्सि मे डाल कर कंधो और गरदन के हिस्सो पर घुमा कर मालिश करता जिससे मा को बहुत आराम मिल रहा था ।

मा - ओह्ह बेटा बस कर थक जायेगा
मै - कोई नही मा आपको आराम मिला ना
मा हस कर - हा बेटा आ अब बैठ

पापा हस कर - क्या करवा रही हो रागिनी अब अपने बेटे से
मा - मैने कुछ नही कहा ये खुद ही कंंधे और गरदन की मालिश कर रहा था ,,,,लेकिन बहुत आराम मिला सच मे ,,,थैंक यू बेटा
मै मा के गले मे पीछे से हाथ डाल कर उनके गाल मे गाल को सहलाते हुए अपना प्यार जताने लगा।

मा - अब बस भी कर सारा प्यार आज ही करेगा क्या हिहिहिही
विमला - काश मेरा बेटा भी राज जैसा होता,,कितना ख्याल रखता है तेरा

मै विमला की बात सुन कर उसके पास गया औए उसको भी मा के जैसे पीछे खडे होकर उसके गले मे हाथ डाल कर बोला - मै भी तो आपका ही बेटा हू ना मौसी
विमला मेरे गाल दुलारते हुए - हा मेरे लाल

मै वापस खडे होकर विमला की मैकसी मे हाथ डाल कर उसके कन्धे की मसाज करते हुए - रुको मै आपका भी कर देता हू मसाज

विमला मेरे हाथो का स्पर्श पाकर कुर्सी पर पिघलने लगी

और अलाव के धुए मे मै मौका देख कर अपने हाथ मैकसी के अन्दर आगे बढा के विमला की खुली चुचियो को मिजने लगा जिससे विमला सिहर गयी ।

थोडी देर चुचिया सहलाने के बाद मै वापस उसक कन्धे सह्लाने लगा ।

विमला हस कर - अब बस कर रहने दे थक जायेगा हिहिही

फिर मै वही उसके पीछे खडे होकर बाते करने लगा।
इतने मे चाचा आ गये बाहर से और एक कुर्सी लेके बैठ गये ।
और फिर बाते होने लगी पहले लिट्टी के प्रोग्राम के लिए औरत मंडली की तारिफ की गयी और फिर वापस इधर उधर की बाते छिड़ गयी ।

यहा मुझे थोडा शक हुआ कि चाचा कही ड्रिंक करके तो नही आये ,,,हालाकि उनको ऐसे चीजो का शौक नही था फिर मै ऐसे ही घूमते हुए उनके पास गया और बैठ गया । थोडी देर तक उनको देखा परखा लेकिन मुझे शराब की कोई बू नही मिली । फिर चाचा के बात करने के तरीके मे अलग ही जोश था ,,,और तेज आवाज मे ही बात कर रहे थे

फिर मैने सोचा कही पान्डाल मे इन्होने वो भांग वाली शर्बत तो नही ना पी ली
हा वही लग रहा है

इधर बाते हो रही थी कि चाची ने मेरी बात छेड़ दी ।
चाची ह्स्ते हुए - राज तो मुझ्से प्यार ही नही करता

मै चौक कर - क्यू चाची ऐसा क्यू
चाची हस कर - देख रही हू तुने तो मेरी मसाज की ही नही सबकी मसाज तुने की और मुझे छोड दिया हिहिहिज

मै खड़ा होता हुआ - अरे ऐसी बात है तो रुकिये आपका भी कर देता हू मै


इतने मे चाचा मुझे रोकते हुए खडे हुए - नही रुक बेटा बैठ तू । मै मसाज कर देता हू शालिनी

चाची शर्म से लाल होती हुई - अरे नही जी मै बस मजाक कर रही थी हिहिही
लेकिन तबतक चाचा चाची के पीछे पहुच गये और उनके कंधो को दबोचने लगे ।

चाची दर्द से सिहर कर - ओह्ह क्या जी छोडिए ना अह्ह् दर्द हो रहा है

चाचा लडखडाती स्वर मे - स स सॉरी सॉरी शालिनी आराम से कर रहा हू
फिर इधर पापा भी बातो मे लग गये तो अलाव मे धुआ बढ़ गया और धुए की छटाओं ने बाहर कब्जा कर लिया सब कोई आंखे बंद खास रहा था ।

मा खास्ते हुए - अरे क्या कर रहे हो जी जल्दी हवा करो ,, कुछ दिख नही रहा है ।

तभी चाची एक मादक सिसकी आई
जिसको सुन के मा उनकी तरफ फ़िकर से देखते हुए बोली - शालिनी तू ठीक है ना ,,,यहा कुछ दिख नही रहा

चाची हडबड़ा कर - हा जीजी ठीक हू मै वो ये मालिस कर रहे है ना तो ओह्हहहह बहुउउऊउऊत आआआअरामम्म मिल रहा है उम्म्ंमममंं

चाची की मादक सिस्कियो से लग तो नही रहा था कि चाचा उनके कन्धे की मालिश कर रहे थे लेकिन धुए की छटाओ से कुछ भी देख पाना मुस्किल था ।

खैर कुछ मिंट के बाद जलन भरे पीड़ा से आन्खो को आराम मिला और पापा ने किसी तरह धुए को कम किया

लेकिन यहा चाची की सिसकिया कम नही हो रही थी ।
जब धुआ थोडा हल्का हुआ तो मा की नजर अपने बगल मे थोडी दुर बैठी देवरानी पर गयी तो देखा उनके देवर ने अपनी बीवी के मैक्सि मे हाथ डाला हुआ है और भर भर कर चुचिया मसल रहे हैं


मा ह्स्ते हुए चाचा को छेड़ कर - अरे अब रहने दिजीये देवर जी कितनी होली खेलेंगे हिहिहिही

मा की बाते सुन कर चाचा और चाची चौकन्न्ना हुए और उनको ध्यान आया वो क्या कर रहे है । वही मै और विमला मुह मे हसी दबाते हुए हस रहे थे और पापा जो कि दुर थे उनको समझ नही आया कि किस बात पर हसी हो रही है


पापा - अरे इस समय फिर से होली किस बात की भाई
मा हस कर - यही आपके भाईसाब है जिनका मन नही भरा है ,, अभी भी रगड़ रहे है अपनी मेहरारू को हिहिहिही

यहा मा मजाक कर रही थी और चाची शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी ।
चाचा तो चुपचाप सरक लिये घर मे

मा चाची के ओर लपक कर फुसफुसा कर बोली - अब चली जाओ शलिनी देवर जी गये है कमरे मे इन्तजार कर रहे होगे

चाची शर्मा कर हाथ झटक देती है - धत्त क्या जीजी आप भी ,,,पता नही उनको क्या हो गया जो यहा सबके सामने शुरु हो गये थे हिहिहिही

मा चाची को छेड़ते हुए धीरे से बोली - तो जल्दी जाओ , कही जोश ठण्डा ना पड़ जाये

चाची ह्स कर - इतनी फिकर है तो आओ आप भी चलो ना ,,, आपकी इच्छा भी पूरी कर देंगे

मा ह्स कर - मेरे लिए राज के पापा ही काफी है ,, हा तुमको अगर कम पड रहा है तो कहो बात करू इनसे हिहिहीही

चाची शर्म से लाल होते हुए मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।

खैर ऐसे ही मस्ती भरी बाते चलती रही और थोडी देर मे लिट्टी तैयार हो गयी
फिर मा ने मस्त दाल मे छौका दिया और आलू बैगन टमाटर का टेस्टि चोखा बनाया

फिर हम सब किचन मे बने डाइनिंग टेबल पर गये और सबके लिए गरमा गरम लिट्टी-चोखा दाल और बैगन की कलौंजी थाली मे लगाया गया ।

खाने का मज़ा ही आ गया और फिर हम सब हाल मे एकठ्ठा हुए और सोने की प्लानिंग हुई ।
फिर तय हुआ कि
सोनल और निशा उपर एक बेडरूम मे
राहुल और अनुज ने एक उपर का एक बेडरूम ले लिया
चाचा चाची गेस्ट रूम मे चले गये ।

पापा - बेटा तू कहा सोयेगा फिर

विमला - कोई बात नही राज मेरे साथ सो जायेगा ,
पापा थोडा हिचक भरे मन से विमला को इशारे करते हुए - लेकिन ,, आपको कोई दिक्कत तो नही होगी ना बहन जी

विमला एक इशारे से पापा को इत्मीनान कर बोली - अरे नही नही उसकी चिंता नही करिये एक रात की तो बात है ,,,चल बेटा आजा सोते है हम लोग

फिर मै और विमला एक बेडरूम मे गये और पापा मा के साथ सामने वाले बेडरूम मे गये ।

मै पापा का दुखी मन समझ सकता था क्योकि उनकी प्लानिंग थी आज रात मे विमला को चोदने की

खैर सब कोई अपने तय कमरो मे गया और फिर हम भी अपने कमरे मे आये और मैने दरवाजा बंद किया

क्योकि मै भी विमला के साथ मस्ती करने का मौका नहीं छोडना चाहता था ।

मै बिस्तर पर चढ़ कर विमला के बगल मे लेट कर उसकी तरफ मुह करके - और जानेमन कैसी रही होली

विमला ह्स कर मेरे गाल सहलाते हुए - बहुत ही मस्त थी मेरे राजा ,, अभी इसको और भी मस्त बनाने वाली हू तेरे इस मुसल से

मै विमला की कमर पकड कर अपने तरफ खिच कर उसके होठ चुस्ते हुए बोला - तो शुरु करो ना जानू

विमला एक कातिल मुस्कान के साथ उठी और मेरे पैरों के पास बैठ कर मेरे जिन्स को खोल कर लंड निकाल लिया और अपने मुह की कला बाजी करनी शुरु कर दी ।


एक मेच्योर औरत से लण्ड चुस्वाने का सुख ही अलग होता है दोस्त ,,, जब सुपाडे की टिप उनके गले की गीली घुंडी को छूती है तो पुरे शरीर मे एक बिजली सी कौंध जाती है । जब एक अनुभवी महिला के मुलायम मोटे होठ लण्ड के सतह पर रिंग बना कर कामुकता से आहिस्ता आहिस्ता उसे निगलते है तो मुह के अन्दर की तपन से लण्ड मानो पिघलने सा लगता है और उनकी करामाती लचीली खुरदरी मुलायम जीभ जब सुपाडे पर रेगती है तो लण्ड की नशो मे उत्तेजना और बढ़ जाती है , चुतड सख्त हो जाते और मन करता है कि लण्ड को अभी उसकी केचुली से निकाल कर बाहर करके चुसने वाले के मुह मे भर दू

ठीक ऐसा ही कुछ मेरे साथ हो रहा था विमला जैसी अनुभवी रन्डी औरत ने मुझे अपने मुख मैथुन के जाल मे फास सा लिया था मै बेजुबान सा सिसकता और गाड़ उचकाता रहता और बस यही चाह करता कि लण्ड सख्त कर उसको कितना ज्यादा उसकी खाल से बाहर लेते आऊ और उस उधड़े हिस्से को भी विमला अपने मुलायम होठो से गिला करे

कुछ पल के लिये ही सही लेकिन जब तक विमला के मुह मे लण्ड था मै हवा मे उड़ता रहा और फिर वही वो उठी और अपनी मैकसी निकाल कर अपने तैयार किये हुए माल को भोग लगाने का पोज बनाते हुए अपनी चुत लेके घ्प्प से मेरे लंड पर बैठ गयी और बडे ही कामुक अंदाज मे गाड़ को हिला कर आंखे बंद किये सिस्कने लगी।
और जल्द ही उसकी हवस बढने लगी और मेरे खडे लण्ड ने उसकी चुत की खुजली को और बढ़ा दिया जिससे वो मेरे सिने पर हाथ टिका कर अब अपने चुतड पटकने लगी और सिसकिया तेज हो गयी ।

मै ऊँगली उठा कर उसके होठ पर रख कर उसे शान्त होने को बोलता हू
और फिर उसको अपने उपर खीच लेता हू जिससे उसके मोटे होठ मेरे मुह मे होते है और उनको चुस्ते हुए मैने निचे से धक्के लगना शुरु कर देता हू

धीरे धीरे मै अपने हाथ उसके गाड़ पर ले जाकर कर उनको फैलाना शुरु कर देता हू और गरदन उठा कर लटकती चुचियो के निप्ल्ल को मुह से पकडने लगता हू

जैसे ही मेरे मुह मे उसके चुचे भर जाते है और उनको चुस्ते हुए मै अपनी कमर उठा कर धक्के तेज कर देता हू

और विमला मेरे कन्धे मे मुह धसाये अपने तेज सिस्कियो को घुटे जा रही थी जल्द ही विमला के ऐथना शुरु कर दिया और मेरा लण्ड भिगना शुरु हो गया । उस्के चुत का पानी बह कर मेरे आड़ तक को गिला कर रहा था लेकिन मेरे तेज चुदाई के धक्को मे कोई बदलाव नही था वो एक शुर मे लगातार उसकी चुत उधाड़े जा रहे थे और गचागच पेले जा रहे

जल्द ही मैने अपनी रफ़्तार कम कर विमला को नीचे किया और उसके उपर आकर उसकी जांघो को खोल कर वापस उसकी पिचपिचाती चुत मे घ्प घप लण्ड पेल दिया और तेज धक्के ल्गाते हुए उसकी चुचिया नोचने लगा ।

ऐसे ही लगातार धक्के लगाते हुए मैने कभी उसकी टांगो को कन्धे पर उथा लेता तो कभी पुरी जांघो को खोल कर पेलता

मेरे भी झडने का समय हो चला था और यहा विमला भी की चुत सुखी हो रही थी इसिलिए वो मेरे लण्ड को निचोडने लगी थी ताकि मै जल्दी से झड़ जाऊ

इसिलिए मैने अपना लण्ड निकाला और उसके मुह के पास लण्ड ले गया और चमडी आगे पीछे किया। कुछ ही सेकेण्ड मे मेरी पिचकारी छूटी और उसने मेरे लण्ड को मुह मे भर लिया । कुछ देर बाद विमला ने उसे निचोड़ कर छोड दिया और हम लेट कर अपनी सांसे बराबर करने लगे ।

थोडी देर बाद हम दोनो आपस मे चिपक कर बाते की और फिर मैने उसके और मनोज के रिश्ते के बारे मे पुछा तो उसने बताया सब ठीक चल रहा है । उसने मनोज के कुछ नटखट हरकतो और ख्वाईशो के बारे मे भी बताया ।

फिर ऐसी ही बाते करते हुए हमे एक घन्टा बीत गया और रात मे 12 बजने को थे कि तभी हमारे कमरे के दरवाजे पर हल्की सी खटखट हुई और मुझे पापा की दबी हुई आवाज आई , वो विमला को आवाज दे रहे थे ।


मै एक नजर विमला को देखा और हसने लगा
फिर मै उनको बोला की जाओ आप दरवाजा खोलो मै सोने का नाटक करता हू ।

फिर मैने जीन्स उपर चढ़ा लिया और एक किनारे सोने का नाटक करने ल्गा लेकिन पलके गिराये हुए भी लगातार दरवाजे पर नजर बनाये हुए था ।

इधर विमला ने अपना मुह साफ किया और मैकसी पहन कर दरवाजा खोलने चली गयी।



देख्ते है दोस्तो क्या कुछ नया हंगामा होना है
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें और आनंद ले कहानी का
आपके रेवियू का इन्तजार रहेगा ।
धन्यवाद
 
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