UPDATE 74
पापा और विमला की अनुपस्थिति मुझे खलने लगी और मुझे इस बात की धक-धक होने लगी कि कही मेरा ठरकी बाप और वो आवारा औरत मिल कर निचे अपनी अलग होली तो नही ना मना रहे हैं ।
इतने में निशा वापस मेरे पास आई और मुझे सोच मे डूबा देख मेरे कन्धे थपथपा कर बोली - कहा खो गया तू , देख गाना बंद हो गया
मै घबडाहट भरे लहजे मे - अब ब ब वो हा रुको मै देखता हू आओ
फिर वापस मै और निशा के साथ डीजे के पास गया और फिर से एक भोजपुरी होली वाला प्लेलिस्ट का गाना चला दिया
मै निशा से- दीदी आपने पापा को देखा क्या
निशा - अरे वो तो विमला आंटी का चेहरा धुलवाने निचे गये है , यहा वाले बाथरुम मे तुम गये न
मै नोर्मली - ओहहह ये बात
फिर मै जेब से अपना मोबाईल निकाला और उसे देखते हुए कहा- ओहो ये चंदू भी ना
निशा - क्या हुआ राज
मै परेशान होने के भाव मे - ये कबसे फोन करके मुझे बुला रहा और यहा कैसे बात करू
निशा - अरे बुधु निचे चले जाओ ना हिहिहिही
मै हस कर - हा सही कह रही हो रुको मै अभी बात करके आता हू ।
फिर मै झट से सीढी से निचे गया और हाल मे उतरा, उपर के डीजे के गाने की आवाज निचे खाली कमरो मे गूंज रही थी लेकिन फिर भी एक सन्नाटा सा पसरा था ।
मै भी बडे आराम से आस पास नजर घुमाई और सोचा आखिर पापा विम्ला को लिवा कर गये तो कहा गये होगे । तभी मेरी नजर सीढी से लगे बेडरूम के हलके खुले दरवाजे पर गयी और मै दबे पाव उसकी तरफ गया और दरवाजे के महीन गैप से अपनी आँखो के फोकस को बढ़ाते हुए आँखो को छोटा कर कमरे मे बिना कोई हलचल किये देखना चाहा लेकिन कुछ नजर नही आया और बाहर से कोई खिडकी भी नही थी तो मैने वही फर्श पर बैठ कर बहुत हल्के हल्के स्लो मोशन मे दरवाजे के निचले हिस्से पर जोर लगाया और थोडा सा गरदन जाने जितना खोला और अन्दर झाका तो कोई कही नजर नही आया तो मै खड़ा होकर बहुत हौले से दरवाजा खोल कर अन्दर गया तो बाथरूम का दरवाजा आधा ही खुला था और मेरी दिल की धड़कन तेज होने लगी क्योकि कमरे मे घुसते ही थरूम से कुछ कसमसाहट भरी सिस्किया आ रही थी ।
मुझे घबडाहट मे भी एक अलग ही उत्तेजना का अनुभव होने ल्गा और अपने ठरकी बाप की कामयाबी पर हसी भी आई
फिर मै दबे पाव बाथरूम की दीवाल तक गया और मुझे यहा से अन्दर झाक्ना रिस्की लग रहा था पर मै देखना चाह रहा था कि क्या नजारा हो सकता है अन्दर का
तभी मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया और मै खुश हूआ फिर मैने जेब से मोबाइल निकाल कर बैक कैमरा खोलकर फ्लैश लाईट ऑफ कर रिकॉर्डिंग चालू कर दिया और धीरे धीरे बाथरूम के दरवाजे के बने गेट से आगे बढ़ाते हुए मोबाइल का उतना ही हिस्सा आगे ले गया जिससे कैमरा अन्दर की रिकॉर्डिंग अच्छे से कर पाये ।
कुछ एक आध मिंट की रिकॉर्डिंग के बाद मैने वापस मोबाइल लिया और वही खडे खडे मोबाइल का वेल्यूम म्यूट कर वीडियो प्ले किया तो ऐसा सीन आया कि मै थूक गटकने लगा
अन्दर बाथरूम मे विमला वेसिन थामे खड़ी थी और पापा उसके पीछे बैठ कर उसकी लेगी और पैंटी को जांघो तक लाये हुए उसकी गाड़ मे मुह गाड़े हुए थे और विमला अप्नी गाड़ उचका कर पापा के नथुने पर अपने छेद रगड़वा कर सीसक रही थी ।
मै वीडियो देख ही रहा था कि विमला की आवाज बाथरुम से आई
विमला सिस्क्ते हुए लहजे मे - उम्म्ंम सीई आह्ह ब्स करिये भाईसहाब हमे अब चलना चाहिये काफी समय आह्ह हो गया है उफ्फ्फ आह्ह
पापा - अब ब हा हा ठीक कह रही है आप बहन जी ,, वैसे आपके इनका टेस्ट काफी जायकेदार था
विमला इतराने के स्वर मे - आप भी कम नही है भाईसाहब , भरपूर स्वाद लिया आपने भी तो
पापा - अभी तो इनको भी चखना है , बहुत गजब की माल हो आप बहन जी ,,, ऐसे नही महेश का मन बिगडा था आप पर
विमला सिस्कर- आह्ह छोडिए ना भाईसाहब कबसे मिज रहे थे इनको अब तो छोड दो और चलिय उपर चलते है
पापा - ऐसे नही जान,,, आप ब्रा निकाल दो जब रंगीन पानी इन मुलायम चुचियो पर गिरेंगे तो ये और खिलेंगे
विमला शर्माहट भरे लहजे -धत्त नही मेरे निप्प्ल दिखने लगेंगे सबको तो
पापा हस कर - तो क्या हुआ ,,, आखिर इस उम्र मे जब कसी हुई चुचियो के भिगे कुंडे देखने मे सबको मजा भी आयेगा और सबका लण्ड ही तो खड़ा होगा ना बहन जी ,,, अब तो आप भी मज़े लिजीये
मै पापा और विमला की बाते सुन कर उत्तेजित हो गया था और लण्ड को लोवर के उपर से ही दबा रहा था ।
तभी वापस कमरे से विमला की आवाज आई - ओह्ह आराम से , मै निकाल रही हू ना हिहिहि नही अभी मत छुइये इन्हे अह्ह्ह मा उफ्फ्फ सीई आह्ह मत मसलो ना भाईसाहब ह्य्य्य आह्ह
मै समझ गया कि पापा इस वक़्त विमला के चुचे मल रहे होगे
तभी वापस से विमला की आवाज आई - सब होगया, अब चलिये
पापा - एक बार इन रसिले होठो का स्वाद भी देदो ना मेरी जान
मै समझ गया अब ये बाहर आयेगे इसिलिए मै झट से कमरे से बाहर आया और सररर से सीढि से उपर आ गया
छत पर आया तो यहा अलग ही रोमांच मचा हुआ था पानी वाले रंगो का
एक तरफ अनुज और राहुल अपनी गैंग बनाये हुए थे दो दो बाल्टी भर कर हाथो मे पिचकारी लिये हुए चला रहे थे
वही निशा और सोनल भी पिचकारी पकडे दूसरो को भिगो रही रही थी ।
चाची मा को पकडे हुए थी और चाचा सामने से मा के पेट पर पिचकारी मारते है जिससे मा की साडी उन्के उभरे पेट से चिपक जाती है और उनकी साड़ी पारदर्शरी हो जाती है । जिससे उनकी गहरी नाभि दिखने लगती
वही मा भिया हस्ते हुए उनको पिचकारी लेके दौडा देती है
इनसब से बच कर मै चुपचाप अप्नी जेब से मोबाईल निकाल कर डीजे के पास ऑफ करके रख देता हूँ और स्टॉल से एक पिचकारी लेके मै भी अनुज के गैंग मे शामिल होकर शुरु हो जाता हू
इधर सोनल की मतकती गाड मेरे सामने आती है और मै भर पिचकारी उसके चुतडो पर चला देता हू जिससे उसका स्कर्ट उसकी गाड़ की गोलाई का सेप ले लेता है और दो तीन बार लगातार उसकी कमर पर धार देता हू
सोनल ह्स्ते हुए - रुक बेटा बताती हू तुझे ,
मै हस्ते हुए वापस पिचकारी भरने लगा और तबतक मेरे गरदन पर पिचकारी की धार आई और मै अन्दर से गिला होने लगा ।
सामने देखा तो सोनल ही थी और मै झट से पिचकारी की तेज धार उसकी चुचियो पर मारी और वो आउच करते जए छ्टक कर अपनी चुचीयो छिपा ली
सोनल - ऊहह मा , पागल कितनी तेज लगी आह्ह्ह्ह
मै झट से सोनल के पास गया और वापस से उसकी गरदन के पास पिचकारी मार कर उसके बदन को भिगो कर दुसरी तरफ भाग गया ।
स्टॉल की तरफ आया तो पापा भी पिचकारी भरे विमला की छातियो पर धार मार रहे थे जिसे विमला हाथ आगे किये रोकते हुए इधर उधर भागती है
लेकिन जल्द ही उसकी चुचियो के डार्क निप्प्ल दिखने ल्गते है
वही मौका देख कर चाची पापा के पीठ पर पिचकारी लेके चला रही थी ।
वही मा और चाचा के बीच गिलास से रंग एक दुसरे पे फेक जा रहा था ।
मै भी भरी पिचकारी उठाई और चाची के पीछे से उनकी चुतडो पर धार मारी जिससे उनकी प्लजो की बेल्ट और गाड़ की गोलाई साफ पता चलने लगी और मैने वाप्स से रंग भर कर विमला के चुचियो को साध कर निप्प्ल पर धार मारी और वो तनमना कर अपनी चुचिया पकड कर बैठ गयी ।
सब मस्ती मे मगन थे और सभी गहरे लाल रंग मे रंग चुके थे ।
मै भी थोडा अबीर लेके वापस से चाची के पास गया और उन्के गीले गालो पर हरा अबीर मल दिया जिससे वो उनका चेहरा अबीर स भर गया और मै वहा सं निकल गया , इधर देखा तो चाचा मेरी मा के साथ कुछ ज्यादा जी मजे के रहे थे और पापा भी विमला के साथ मजे मे थे , उधर बाथरुम की तरफ चारो भाईबहन आपस मे लगे हुए थे ।
मै थोडी देर स्टॉल मे बैठा और एक ग्लास पानी पीकर एक नजर मा की तरफ डाला तो देखा उसकी सिफान की साड़ी उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और लाल रंग के वो चखत गयी थी ,,,चचा लगातार मा की चुचियो और नाभी पर निशाना मारते और गुलाल उड़ाते
मुझे मस्ती सुझी और मै भर बाल्टी रंग लिया और दबे पाँव धीरे धीरे मा को इशारा करते हुए चाचा के पीछे गया और जैसे ही चाचा बाल्टी से रंग भरने को झुके लपक कर मैने उनकी बाजुओ के साथ ही उनको पीछे से पकड लिया
मै ह्स्ते हुए - मा अब डालो चाचू पर हिहिही
मा ह्स्ते हुए अपनी खुली साडी कमर मे खोसते हुए बोली - कस कर पकडे रहना बेटा , आज आये हो पकड मे देवर जी ह्हिहिहिह
और मा ने रंग से भरी बाल्टी चाचा पर उडेल दी जिस्से मै भी आधा भीग गया
मा ह्स्ते हुए - रुक अभी छोडना मत राज
मै चाचा को बाजुओ ने कस्ता हुआ - हा लाओ मा मै पकडे हुए हू
तब तक मा ने बैगनी रंग की अबीर से भरी थाली लेके आई और अच्छे से चाचा के भिगे चेहरे और गरदन पर मला और फिर एक नजर बाकियो पर डाला फिर बोली - जरा उस कोने मे ले चल बेटा
मै ह्स्ते हुए चाचा को पीछे की तरफ जोर लगा के बड़ी मुस्किल से खिचते हुए लेके छज्जे के पास लेके आया जहा स्टॉल का पर्दा ल्गा था और य्हा हमे कोई देख नही पाता
तभी मा बोली - बेटा तू आंखे बंद कर के थोडा तो
मै चौक कर - क्यू
मा ह्स्ते हुए - ब्न्द कर ना पूछ मत कुछ
मै ओके बोल कर हल्की सी आंखे बंद की बाकी मम्मी का ध्यान मुझ पर नही था लेकिन मै बकायदा उनकी हरकतो पर नजर बनाये रहा
तभी अचानक से चाचा मेरे बाहो मे पहले से तेजी से छ्टकने लगे - हिहिहिही नाही भौजी उहा ना लगाओ नही तो ठीक ना होगा
मा ह्स्ते हुए - तुमने भी तो हमको नही छोडा था देवर बाबू , लल्ल्ला कस कर पकड बहुत फड़फड़ा रहे है तेरे चाचा
मै जोर लगा कर चाचा को पकडे हुए - हा मा जल्दी करो मै ज्यादा देर तक नही पकड सकता हू
इधर मा ने चाचा कुर्ता उठा के पायजामे का लास्टीक खिचा जिस्से चाचा ने छ्टकना शुरु कर दिया और वही मा जबरदस्ती हस्ते हुए थाली को उनके पायजामे के अन्दर की तरफ घुमा कर सारा अबीर उनके पायजामे मे भर दिया जिससे चाचा ह्स्ते हुए मुझे झटक कर अलग हुए और मा की कलाई पकड कर पास की रखी बाल्टी मे जिस्मे चाचा का रंग रखा था उसको मा पे सर उपर उडेल दिया जिस्से मा भी उपर से निचे तक लाल हो गयी । सारा रंग मा के बाल से होकर उनके चेहरे से रिस कर उनकी उभरी हुई चुचियो से झरने के जैसे गिरने लगा
फिर चाचा मेरी तरफ झपटते हुए - रुको बेटा बताते है तुमको
मै वापस स्टॉल की तरफ भागा ह्स्ते हुए , वहा चाचा मुझे लपक कर पकड लिये , मै छ्टपटाते हुए जमीन पर लोट गया
इधर चाचा ने चाची को आवाज देके बुलाया और अबीर की थाली मागी
चाची हस्ते हुए केसरिया रंग के अबीर की थाली लेके आई और मेरे चेहरे पर मल दिया
तभी चाचा ने लोवर पकड कर सामने से अंडरवियर से साथ खीचा और चाची ने सारा अबीर एक एक मुथ्थी भर भर कर मेरे खडे लण्ड पर फेकना शुरु कर दिया
सारे लोग मेरी बेज्ज्ती हस रहे थे और मुझे थोडी शर्म मह्सूस हुई लेकिन मै वापस खड़ा हुआ और बोला - चाची अब बच कर दिखाओ
एक बाल्टी रंग उठाया और सामने पापा मिले
मै चिल्लाते हुए - पापा चाची को पकडिए हिहिही
पापा पहले थोडा संकोच किये लेकिन जब देखा कि चाची उनको देख कर मुस्कुरा कर इधर उधर भाग रही थी है
मै वापस बाल्टी लिये हुए पापा को - पापा पकड़ो ना जल्दी
तो पापा लपक कर उनको साइड से कमर मे हाथ डाल कर पकड लिया और हड़बड़ी मे चाची के हाथ पापा के लण्ड के सामने पड गया वो उसको स्पर्श करने लगा जिस्से चाची और भी ज्यादा छ्टपटाने लगी ।
मै एक शरारती मुस्कान के साथ से पूरी बाल्टी चाची और पापा के उपर उडेल दी । फिर पापा ने चाची को छोड दिया और चाची पापा को देख कर हसने लगी वही पापा भी चाची के सामने अपना खड़ा लण्ड एडजेस्ट करते हुए हस रहे थे ।
चाची उपर से निचे तक पूरी गीली हो गयी और उनकी कुर्ती चुचो के उभार को और भी ज्यादा सेप मे दिखाने लगी।
इधर मै चाची मे मगन था कि दुसरी ओर से मा के खिलखिलाने की आवाज आई जब नजर उधर गयी थी देखा कि वो विमला के कुर्ती मे हाथ डाल कर नंगी चुचियो को रंग लगा रही थी और चाचा स्टॉल मे बैठे सुस्ता कर ऊन दोनो की मस्ती देख कर लण्ड को पजामे के उपर से मुठिया रहे थे ।
तभी छ्त के दुसरी तरफ से अनुज की गैंग मे आवाजे आई और उधर देखा तो निशा और सोनल ने मिल कर अनुज को नंगा कर दिया और वो गाड़ और नुनी छिपाते हुए बाथरूम मे घुस गया । वही राहुल उन लोगो से बच कर हमारी तरफ स्टॉल मे अपने पापा के पास बैठ गया ।
फिर इधर वापस मम्मी और विमला का फर्श पर लोटन चलता रहा और च्ररर चरररर की आवाजे आई और फिर मा खड़ी हुई तो उनकी सिफान साडी आधी फट चुकी थी और वही विमला की कुर्ती एक साइड से आधी मा ने खोल दी । एक तो बेचारी ने ब्रा नही पहने उपर से साइड से कुर्ती फट गयी ।
विमला के चुचे और खडे दाने का निप्प्ल साफ दिख रहा था
मा ह्स्ते हुए उठी और अपनी आधी बची हुई भीगी साडी भी कमर से निकाल कर उसको गारते हुए फर्श पर लेटी विमला के उपर रंग गिराने के बाद साडी उसके उपर ही फेक कर स्टॉल मे आई जहा मा के हल्के अनुरि रंग पेतिकोट मे उनकी गाड़ की उभार चाचा के ठीक सामने थी , वही पेतिकोट भी काफी हद तक भीग कर गाड़ से चिपक चूकी थी और उसको देख कर चाचा ने एक बार थूक भी गटका ।
वही विमला भी उठ कर साइड से अपनी कुर्ती बान्ध ली फिर उसकी नंगी कमर एक साइड से दिखने लगी और अब कुर्ती उपर होने से उसकी लेगी मे कसी जान्घे और पैंटी का सेप भी दिख रहा था ।
इधर मै धीरे से राहुल के पीछे गया और कररररर से उसके शर्त का साइड फाड कर भागा जहा चाची ने मुझे दबोच लिया और मुझे पकड कर राहुल को आवाज दी तो वो भी ह्स्ते हुए मेरे पास आया और मेरी टीशर्ट को उसमे बने छेद मे उंगलिया डाल कर फाड दिया ।
मा की नजर जब चाची पर गयी तो बोली - अच्छा जी मेरे बेटे को मिल कर सता रहे हो ,,
मा पापा से - पकड़ीये जरा शालिनी को राज के पापा
चाची एक बार फिर मुझे छोड कर बाथरुम की तरफ भागी और उन्के पीछे पापा और मा भागे और तीनो बाथरूम के बगल के खाली जगह मे घुस गये
इधर हम भाई बहन लोग वापस मस्ती मे आ गये और विमला अप्ना दुपट्टा लपेटकर चाचा के साथ बैठ कर बाते करते हुए हस रही थी
और थोडी देर बाद मा आवाज दी मुझे
मा चिल्लाते हुए - राज बेटा जरा रंग लाना तो
मै खुस हुआ और एक बालती रंग और झिल्ली भर अबीर लेके भागता हुआ बाथरूम के बगल के खाली जगह पर गया
जैसे ही मै बाथरूम के बगल मे पहुचा तो देखा की चाची की हालत बुरी थी
पापा के उनको पीछे से पकड हुआ था । चाची की कुर्ती उठी हुई थी और पापा का हाथ उनकी मुलायम नाभि पर था और वो छ्टपटा रही थी , वही मा ने उनकी कुर्ती सामने गले पर बीच से फाड दी थी थोडी जिससे चाची के ब्रा और गहरी घाटी दिख रही थी
मा ने झट से मेरे हाथ से बाल्टी ली और सारा रंग पापा और चाची के चुचियो पर फेका और मेरे हाथ से अबीर लेके दोनो मुथ्थीयो मे भर कर उनकी चुचियो के उपर पापा के सामने मल दिया और फिर ब्रा मे हाथ घुसाते हुए निप्ल्ल को मरोडते हुए बोली - कितनी कसी हुई ब्रा पहनती है रे तू तभी तेरे ये गुलगले सख्त है
चाची गुदगुदी से पापा की बाहो के कसमसा रही थी लेकिन उनके हाथ को पापा ने अपनो जांघो मे पीछे की तरफ दबा कर रखा था और मैने गौर किया तो पापा का भी कुर्ता उपर से फट गया था ।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था तीनो की मस्ती देख कर और लण्ड तो लोवर मे पुरा तन कर खड़ा था
इधर जैसे ही मा ने अबीर लगा दिया कि पापा ने अपनी पकड ढीली की और चाची झटक अलग हुई और अपनी कुर्ती का उपरी हिस्सा जो मा ने फाड दिया था उसको पकड कर स्टॉल पे चली गयी ।
और मै वही खड़ा मुस्करा रहा था कि पापा की एक कसमसाहत भरी आवाज आई - अह्ह्ह खड़ा कर दिया सालि ने
मा पापा को छेडते हुए उन्के पजामे के उपर से उनका लण्ड सहलाते हुए बोली - कहो तो मै बैठा दू
पापा मा के हाथो से अबीर लेते हुए - अभी नही जान रात मे , अभी तो मुझे तुम्हे लाल कर लेने दो
फिर पापा मा को दीवाल से लगा कर उनकी चुचियो पे अबीर मलने लगे और मा बिना उन्के रोके मदहोश होने लगी
मै उनको देख कर समझ गया यहा थोडी देर मस्ती होगी इनलोगो की
चलो मै भी किसी को पकडता हू
मै वापस स्टॉल पर आया तो देखा सभी थक कर बैठे हुए हैं
मै ह्स्ते हुए - क्यू भाई अभी से थक गये और ये अनुज कहा है
निशा हस्ते हुए - वो अभी भी बाथरूम मे नंगा है
हम सब हस कर बाते कर रहे थे और थोडी देर बाद बाथरूम का दरवाजा खुला और अनुज गरदन निकाल कर इधर उधर देख रहा था तो मैने उस्का जीन्स उठाया और लेके बाथरूम के पास गया और उसे देके बोला की वापस आ ,,,तभी मुझे सिसिकियो की आवाज आई और मै बाथरूम के बगल मे देखा तो पापा ने मा के ब्लाउज खोल दिये थे और एक चुची को मुह मे लेके चुस रहे थे
मै ये नजारा देख ही रहा था की चाची भरी बाल्टी रंग लेके आई और मुझे नहला दिया वापस से और उनकी भी नजर मा और पापा के हरकत पर गयी
इधर अनुज झट से बाहर आया और बिना हमारी तरफ देखे निकल गया स्टॉल की तरफ
वही मै किनारे हुआ तो चाची ने मा को चिढाने के अंदाज मे बोली - ओहो दीदी रात तक तो रुक जाती हिहिहिहिही
चाची के बोलने पर मै छिप था थोडा वही पापा चौक कर घूम कर चाची को देख्ते हुए
मा ने एक मदहोश भरी नजर चाची को देखा और अपने निचले होठो को उपरी दाँतो से भिचते हुए लपक कर चाची को अपने पास खिच लिया जिससे चाची सिधा मा के दुसरे खुले चुचे पे गिरी और मा ने उन्का सर अपनी दुसरी चुची पर दरने लगी
पापा तो थे ही ठरकी और बेशर्म तो वो चाची की आंखे मे देख्ते हुए मा के निप्प्ल पर जीभ घुमाने लगे जिस्से मा उत्तेजित होकर चाची का मुह और तेज चुचियो पर दबा रही थी ।
और आखिरकार बूदबुदाते हुए चाची मे मा की चुची को मुह मे भर ही लिया जिससे मा सिस्किया लेने लगी ।
यहा मेरा हाल और भी खराब होने लगा ।
वही पापा और चाची मुझे इग्नोर कर एक दुसरे की आँखो मे देखते हुए मुस्कुराते हुए मा के निप्प्ल चुस रहे थे ।
रंगो की होली मे धीरे धीरे हवस ने अपनी जगह बना ली थी, ना जाने आगे क्या होना था।
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