UPDATE 66
मै अपने मोबाईल का टॉर्च ऑन करके पीछे आगन मे गया और मुत कर वापस कमरे मे आया और धिरे से दरवाजा बंद कर दिया
मै लाईट बुझा कर बिस्तर पर लेता ही था की बाहर से एक दरवाजे खुलने की आवाज आई
मै उठा और अपने कमरे की खिडकी का पर्दा हटा कर बाहर देखा तो सामने विमला के कमरे का दरवाजा खुला था और कमरे की लाईट जल रही थी ।
फिर मुझे दो परछाइया कमरे मे टहलती दिखी और फिर मनोज दरवाजे से बाहर गरदन निकाल कर झाका तो मुझे उसका कन्धा खुला हुआ दिखा क्योकि सोने जाने से पहले वो टीशर्ट लोवर पहने हुए था ।
मनोज एक बार बाहर सब तरफ देखा और फिर कमरे मे चला गया
मुझे कुछ समझ नही आया आखिर चल क्या रहा है
तभी कमरे से विमला अपनी सूट को उपर किये हुए बाहर निकली और उसकी नाभि , गोरा पेट और चिकनी कमर साफ दिख रही थी ।उसके बाद मनोज बाहर आया और वो सिर्फ अंडरवियर मे था जो मोबाईल का टॉर्च जला कर विमला को आगन की तरफ लेके जा रहा था । वो दोनो आपस मे कुछ खुसफुसा भी रहे थे ।
मुझे कुछ समय मे नही आया तो मै धीरे से कमरे का दरवाजा खोल कर दबे पाव अन्धेरे मे अन्दाजा लगा कर चलते हुए गैलरी तक आया तो आगन मे मोबाईल के टॉर्च की रौशनी नजर आ रही थी ।
चुकी रास्ता एक तरफा था तो मै और आगे जाकर रिस्क नही लेना चाह्ता था इसलिये मै वही हाल मे बने गैलरी के सुरु मे ही दीवाल से लग कर खड़ा हो गया
थोडी ही देर मे विमला और मनोज वापस आने लगे तो मै झट से जीने के निचे हो गया और वो लोग मोबाईल के टॉर्च की रोशनी मे देखते हुए जाने लगे ।
फिर कमरे मे पहुच कर उन्होने दरवाजा बंद कर दिया ।मै भी झट से फुर्ती दिखाते हुए विमला कमरे के पास बिना कोई आहट के पहुच गया और थोडा दरवाजे से लग कर अन्दर की बातो पर ध्यान देने लगा
मनोज - सॉरी मा वो जल्दबाजी मे बिस्तर से उतर नही पाया
विमला थोडी गुस्से मे - तेरे चक्कर मे ये नयी बेडशिट मे दाग गया
मनोज - मेरी प्यारी माआआ माफ कर दो ना
विमला झल्लाते हुए स्वर मे - दुर हट मुझसे चिपक मत , अभी कबसे चिपक कर मुझे रगड़ मिज कर क्या क्या किया वो कम था
मनोज हस्ते हुए - नही मै तो ऐसे ही सोउँगा वो भी रोज
विमला - नही नही !!! कल से तू अपने कमरे मे सोयेगा ।
मनोज - प्लीज ना मा
विमला - नही मै ये सब रोज नही झेल सकती हू
मनोज - तो आप चाहती हो की रोज मै ऐसे ही तडपता रहू , ठीक से सोऊ भी नही
विमला चुप रही
मनोज - बोलो ना मा
विमला - चल ठीक है अभी सो जा कल का कल देखेंगे , लेकिन दुर होकर सो अब
तभी विमला के खिलखिलाने की आवाज आई - अरे छोड ना बहुत गुदगुदी लग रही है हिहिहिहिही
मनोज हस्ते हुए - पहले बोलो रोज सुलाओगी अपने पास
विमला हस्टे हुए - हिहिहि ठीक है अभी छोओओओड़ह मुझे हाहाह्हा
फिर सब शांत हो गया और वापस अपने कमरे मे मुस्कुरा कर जाने लगा । मुझे इस बात का बखूबी अन्दाजा हो गया था कि अभी थोडी देर पहले मनोज और उसकी मा के बीच क्या हो रहा था । कि कैसे मनोज अपनी गदरायी मा को अपने भावनात्मक जाल मे फसा कर उसके जिस्म को मल कर अपना माल उसकी नंगी पेट पर गिराया होगा और उसी चक्कर मे बेडशिट मे दाग लग गया होगा ।
खैर मे भी थक गया था तो कमरे मे आकर सो गया ।
सुबह मनोज ने दरवाजा खटखटाया तो मेरी नीद खुली और मै बाहर आया ।
सुबह के 6 बज गए थे
मनोज - चलो भैया बाहर टहलने जाते है
मै एक जोर की अन्गडाई
लेते हुए - रुक थोडा मुह धुल लू
मनोज थोडा झिझक कर - वो भैया दीदी नहाने गयी है
मै - अच्छा ठीक है फिर चलते है ऐसे ही
मैने अपने टीशर्त को निचे वे उठाया और उसी से आँखो के कचरे को साफ किया और निकल गया टहलने ।
आज तक की लाइफ मे ये मेरा पहला अनुभव था सुबह टहलने जाने का
धीरे धीरे हम गली से मेन सड़क पर आये और फिर बस स्टैंड की तरफ जाने लगे ।
आहाहा मै मनोज को जितना धन्यवाद करता कम था । उसने तो मेरा दिन बना दिया था
भाई जिधर नजर जाती हर उम्र की रसिली गदरायी माल टहलती दौड़ती नजर आ रही थी ।
"अरे वो देख क्या मस्त उसके चुचे उपर निचे हो रहे है "
"ओह्ह्ह मा इसकी गाड़ कितनी फैली हुई है लोवर मे"
" आहाआ और झुकाओ ना और थोडा सा बाहर निकाल गाड़ "
"हा हा हा ये बुढऊ भी उसकी गाड़ घुर रहे है "
मै बस मन ही मन बड़बडाते हुए हसिन नजारो के दिदार कर रहा था ।
टाउन मे इतनी हसिन गोरी और गदरायी माल भी होगी ये मै कभी ध्यान ही नही दिया ।
मै तो बस आपने परिवार और दोस्तो मे ही खोया हुआ था ।
तभी हमारे सामने से एक 42 साइज़ के चुचे वाली हल्की गति मे जोग्गिंग करती हुई निकली और लोवर मे उसकी 44 की फैली हुई गाड़ देख मै थूक गटकने लगा और मनोज के सामने ही पीछे मुड कर उसकी मटकती और लोवर मे झोल देती गाड़ के हिलते मोटे मोटे पाटो को देखने लगा
मनोज मुस्कुरा कर - भैया चलो ये सब रोज का है
मै उसकी तरफ भौच्का खाये - हा हा चल भाई
मनोज - लग रहा है आप पहली बार आये हैं सुबह मे
मै - हा भाई पहली बार ही है , मुझे नही पता था न कि अपने चमनपुरा की सुबह इतनी अच्छी होती है , अब तो रोज आना ही है
मनोज हस्ते हुए - वैसे वो सरोजा जी थी , संजीव ठाकुर की छोटी बहन
मनोज के मुह से संजीव ठाकुर के बारे मे सुन कर ना जाने क्यू मेरा मन खुशी से झुम गया ।
मै - इनकी शादी नही हुई है क्या
मनोज - अरे आपको नही पता , इनका तालाक हो गया है और अब तो 2 साल होने को है
मै - लेकिन किस बात पर तालाक हुआ था , इतनी सुन्दर और अच्छी औरत को इस उम्र मे क्यू छोड दिया
मनोज - भाई सरोजा जी की उम्र ज्यादा नही है अभी 35 साल की है और 30 साल की उम्र मे सादी हुई थी । आप तो जानते ही हो की ठाकुर लोग अपनी शादिया कितनी लेट करते है ।
मै गंभीर भाव लाकर - ओह्ह ये बात , लेकिन छोड़ा क्यू
मनोज - बस सुनी सुनाई खबर है भैया की सरोजा जी का पति बिजनेसमैन है तो उसको सरोजा जी के साथ पार्टी मे आने जाने मे शर्म महसूस होती थी और वो उनके बदन को लेके बहुत ताने मारता था और शादी के वक़्त भी वो मोटी थी । फिर अभी इन्होने खुद उसे तालाक दे दिया और एक साल मे अपनी बॉडी फिट कर ली ।
मै मनोज की बाते बडे ध्यान से सुन रहा था ।
फिर हम लोग वापस घर की तरफ चल दिये ।
रास्ते मे मनोज ने मुझे सरोजा ठाकुर के बारे मे बहुत सी बाते बताई और फिर ये भी पता चला कि टाउन मे जो नया शॉपिंग माल खुला है वो सन्जीव ठाकुर ने ही अपनी छोटी बहन के नाम से सरोजा कॉमप्लेक्स खुलवाया है ।
फिर हम वापस घर आये तो देखा कि
विमला भी नहा चुकी थी और साडी पहने हुए पूजा कर रही थी ।
मै मनोज को बोल कर पीछे आगन मे फ्रेश होने और नहाने के लिए चला गया ।
नहाने के बाद मैने नास्ता किया और कोमल से उसका हाल चाल पुछा तो वो मुस्कुरा कर मुझे इशारे मे ठीक होने का बोला ।
फिर 9 बजे तक मै विमला को बोल कर निकल गया नये घर का काम देखने के लिए तो वहा पापा भी मौजुद थे ।
फिर मै पापा से मिला तो पापा ने बताया कि सब काम खतम हो गया है बस दो तीन दिन मे साफ सफाई करवा के घर रहने लायक हो जायेगा ।
उसी शाम को हमे जानकारी मिली कि वकिल अंकल ने सारे नये कागजत तैयार करवा लिये है और कल 11 बजे विमला को आना पडेगा हस्ताक्षर के लिये जिससे सारी संपति उसके नाम हो जाये ।
मै शाम को कोचिंग के बाद सीधा विमला के घर उसको ये खुशखबरी देने चल गया ।
घर एक दम सुनसान पडा हुआ था और कही कोई नजर नही आ रहा था ।
शाम के 6 ही बज रहे थे ।
मुझे अजीब लगा कि सब कहा गये ।
मेरे सांसो की आहट और चप्पल की खसखस भी हाल मे गूंज रही थी ।
धीरे धीरे चप्पल निकाल कर हाल मे घुसा सब दरवाजे सनासन बंद दे , एक अजीब सी घबराहट मह्सूस हो रही थी ।
मै धीरे धीरे छत पर गया और वहा भी सब कूछ खाली मिला तो मै झट से मोबाइल निकाल कर विमला के पास फोन किया
रिंग जा रही थी लेकिन विमला फोन नही उठा रही थी , मेरी घबडाहट हर बजते रिंग के साथ बढ़ रही थी और मै पसीना पसीना हुए जा रहा था , एक अन्जाना सा डर मेरे माथे पर चढ़ने लगा था और मुझे ठंडी हवा की जरुरत मह्सूस होने लगी तो मै छत पर टहलने लगा और दुबारा से विमला के पास फोन किया इस बार उसने फोन उठाया
मै हड़ब्ड़ी मे विमला से - मौसी मै आपके घर पर हू आप कहा हो कोई दिख नही रहा है , घर पुरा खाली पडा है
विमला - बस बेटा यही पडौस मे आई हू तू बैठ मै 2 मिंट मे आ रही थी
फिर फोन कट गया ।
मै छत से निचे हाल मे उतर रहा था कि विमला आ गयी
मै - अरे मौसी कहा गयी थी घर खुला छोड कर मै परेशान हो गया था कि कही कोई दिक्कत तो नही हुआ ना , कही वो आपका देवर या देवरानी की वजह स कोई बखेडा तो नही न खड़ा हो गया
विमला थोडा सोची और बोली - अरे बेटा नही ऐसा कोई बात नही है , तू बता घर से आया है सब ठीक है वहा
मै मुस्कुरा कर - हा मौसी सब ठीक है , बस आपको एक खुशखबरी देनी थी
विमला चहक कर - हा बता ना बेटा , जबसे तू मेरी जिन्दगी मे आया है मेरी दुनिया मे खुशिया ही खुशिया है
मै विमला का हाथ पकड़ के सोफे पर बिथाते हुए - मौसी कल सारे कागज आपके नाम पर होने वाले है इसलिये कल 11बजे तक आपको डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पहुचना है
विमला खुशी से - सच कह रहा है बेटा ,,लेकिन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट तो बहुत दुर है और 11 बजे तक कैसे पहुँच पाऊंगी मै
मै विम्ला के गले मे हाथ डाल कर उसके पास बैठते हुए मानो यारी दोस्ती हो अपनी - ओ मेरी प्यारी मौसी , उस्का इन्तेजाम पापा ने कर दिया है कल मै आप साथ मे दुकान जायेगे वही से एक गाड़ी बुक की गयी है ।
विमला मे मेरे तरफ देखते हुए मुस्कुरा देती है और मेरे गालो को चूम लेती है
मै - कल सारा काम हो जाने दो फिर मै सिर्फ पप्पी से काम नही चलेगा
विमला मुस्कुरा कर - फिर क्या चाहिये तुझे
मै उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके होठो को चुस्ते हुए बोला - समय आने दो डार्लिंग सब पता चल जायेगा
विमला मुझसे अलग होकर हस्ते हुए - अच्छा मौसी से अब डार्लिंग हिहिही
मै - क्यू पसंद नही आया
विमला - तू मुझे कुछ भी बुला सकता है बेटा मुझे तेरी सारी नटखट हरकतें अच्छी लगती है हिहिहिही
ये बोल कर विमला किचन की तरफ अपने चुतडो को मटकाते हुए जाने लगी
मै शरारती अंदाज मे - ओ छम्मक्छल्लो रानी कहा चली ये मटके हिलाते हुए
विमला मेरी बाते सुन कर शर्मा कर झेप गयी - धत्त बदमाश , शर्म कर क्या क्या बना रहा है मुझे तू
मै उठ कर विम्ला के पीछे किचन मे घुस गया - अपनी जानेमन को मै किसी भी नाम से बुला सकता हू आप तो बोली
विमला फिर से मेरी बातो से बेजुबान हो गयी और हस कर - ठीक है जो तेरी मर्जी है बोल कर तू , उससे पहले ये पानी पी
विमला गुलाबजामुन की कटोरी मेरे आगे करते हुए बोली
मै उसमे से एक गुलाब जामुन को रस से भर उठाया और बोला - पहले मेरी डार्लिंग खायेगी फिर मै
विमला ना ना करते हुए अपनी गरदन पीछे करती ही लेकिन मै गुलाब जामुन हाथ मे लिये उसके मुह तक ले जाता हू और उसके मुह मे जाने से पहले रस की कुछ बुन्दे विमला के चुचियो के उभार पर टपक जाती है लेकिन तब तक मै गुलाब जामुन उसके मुह मे भर देता हू
वो भरे मुह से मुझे डाटती हुई बार बार अपने सीने पर टपके रस की बूंदो को दिखाती है
मै उसको शांत होने का इशारा कर झुक कर उसके चुचियो के उपर झलकते रस की बूंदो को चाट लेता हु जिससे विमला सिहर जाती है ।
मै वापस खड़ा होकर चटकारे लेते हुए - अह्ह्ह्ह मौसी बहुत मीठा रस है आपका
विमला मेरी डबल मिनिंग की बात बखूबी समझ कर मुस्कुरा रही थी
मै इतरा कर - अब मुझे भी खिलाओ ना जानू
विमला मेरे नटखट हरकतो मे शामिल होकर मुसकराते हुए - पहले मुह तो खोलो मेरे राजा
मै विमला की कामुक भरी बात से थूक गटक कर मुह खोला और वो एक गुलाब जामुन मेरे मुह मे बहुत ही सेक्सी ढंग से डाली और फिर हसने लगी ।
मै उसको कुछ बोल पाता तभी हाल मे कोमल आ जाती है और हम दोनो नोर्मल व्यवहार करने लग जाते है
फिर रात मे खाना खाने के बाद मै विमला और मनोज तीनो साथ मे छत पर टहलने जाते है और मै बगल मे महेश का घर देख उसको बेवकूफ बनाये जाने और उसके किये की सजा उसको मिलने पर बाते कर रहा था और मनोज मेरी बातो मे सहमती दिखा रहा था लेकिन विमला चुप थी ।
मुझसे विमला की चुप्पी देखी नही गयी तो मै उससे पुछा की क्या हुआ तो वो अपने आशू पोछते हुए कुछ नही मे सर हिला दी
मै समझ गया कि किसी बात को लेके विमला परेशान है तो मैने मनोज को निचे जाने को बोला और वो भी बात की गंभीरता को समझ कर निचे चला गया ।
मै विमला के पास गया और बोला - क्या हुआ मौसी आप खुश नही है
विमला - नही बेटा मै खुश हू लेकिन
मै विमला के कन्धे पे हाथ रखते हुए - क्या बात है मौसी मुझे नही बताओगी
विमला मेरे तरफ घूम के - बेटा बताना तो मै भी चाहती हू लेकिन पता नही वो जान कर तू क्या समझेगा
मै मुस्कुर कर - अरे मेरी भोली मौसी , जो कोई भी बात रहेगी ये तो पक्का है मै अपनी डार्लिंग से नाराज तो नही होने वाला हिहिहिही
विमला हसते हुए - पक्का ना
मै - हमम बताओ अब क्या बात है
विमला - बेटा दरअसल मै सोच रही थी कि महेश को उसकी गलती की सजा मिल चुकी है और उसे अपनी गलती का एहसास भी है । अब तो मेरे कागज भी मिल गये है और मुझे नही लगता कि आगे फिर कभी वो ऐसी हरकते करेगा तो
मै सीरियस होते - हा तो आगे बोलो ना मौसी
विमला - मै सोच रही थी बेटा कि क्यू ना उसे माफ कर दू आखिर है तो हमारे घर का ही आदमी
मै बीच मे कुछ बोलता उससे पहले विमला ने मुझे टोका - मेरी पहले बात पूरी सुन ले फिर कुछ बोलना
मै - ठीक है बोलो मौसी आप
विमला - देख बेटा उसने जो कुछ भी मेरे साथ किया उसको उस बात के लिए पछतावा भी है और परसो रात से महेश की तबियत बहुत खराब है चिन्ता की वजह से। आज उसे पानी चढा है सुबह मे, उसे कुछ हुआ तो फिर उस्का भी परिवार मेरे तरह बिखर जायेगा बेटा और शायद उसे मेरी तरह कोई तेरे जैसा फरिश्ता भी ना मिले
मै - आपको क्या लगता है मौसी क्या वो भरोसे लायक है भी या ढोंग कर रहा है
विमला - नही बेटा सच मे उसकी तबियत ठीक नहीं है मै शाम को उसी से मिलने गयी थी जैसे ही मुझे जानकारी मिली
मै थोडा सोच कर - मेरे ख्याल से भी मौसी उसे एक मौका देना चाहिए सुधरने का , और वैसे भी अब वो चाह कर भी कुछ गलत नही कर पायेगा आगे ।
विमला खुश होते हुए - शुक्रिया बेटा , तुने तो मेरे मन का बोझ हल्का कर दिया , मै कल ही महेश के यहा जाकर उससे बात करती हू
मै ह्स्ते हुए - अरे मौसी कल कैसे
विमला - अरे हा कल तो बडे शहर जाना है ना , ठीक है मै शाम को वापस आकर बात कर लुंगी ।
मै थोडा शरारती अंदाज में विमला के गले मे हाथ डाल कर - तब मेरी जानेमन सोने चले
विमला एक कातिल अदा से - चलो ना मेरे राजा
मै हस्ते हुए - क्या फायदा राजा होने का जब रानी से दुर ही सोना पड़े
विमला - ऐसी बात है तो फिर आज ये रानी अपने राजा के साथ ही सोयेगी हिहिही
मै उसकी गाड़ को सहलाते हुए कहा- तो चले जानेमन
विमला ह्स्ते हुए - पागल चल चलते है
फिर हम लोग नीचे आ गये
जारी रहेगी
पढ कर अपना बहुमूल्य रेव्यू जरुर दे
आप सभी के प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा