• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Guri006

Back door 🚪 Secrets
4,209
12,849
143
Gadarayi Sonal bhi mang rahi hai Raj se apna hissa. Pratiksha agle update ki
Kyu nhi bhai appko agla update jaldi milega
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
6,336
17,768
174
UPDATE 59

बीते एक महिने का अनुभव मेरे जीवन मे बहुत बदलाव ला चूका था , जहा एक तरफ मुझे मेरे पहले सेक्स का अनुभव हुआ वही दुसरी तरफ एक सभ्यता का नकाब ओढी ये सोसाइटी असल मे हवस से कितनी भरी है वो मुझे समझ आने लगा था ।
हवस के इस दलदल मै भी देख समझ कर पाव उतार दिया था और इस लत के साथ मेरे कंधो पर जिम्मेदारीयो के बोझ उम्र के साथ बढ़ रहे थे ।

मेरे नये घर का काम शुरू हुआ जो चौराहे पर था और चंदू के मकान से महज दो घर बाद ही था ।
घर के नीव के लिए पूजा रखी गई जिसमे चाचा और चंदू का परिवार आया और मैने मा को बोल कर जानबुझ कर कोमल और उसकी मा को भी बुलवाया ताकि मेरे पापा से भी मेल जोल बढ़ जाये ।

2000 sqaure फीट की जमीन थी एक किनारे उत्तर पूरब की दिशा देख कर पंडित जी ने भूमि पूजन शुरू की ,,, मा और पापा एक साथ पूजन स्थल पर थे बाकी सब बगल मे लगे टेन्ट मे बैठे थे और भी मुहल्ले की औरते आई थी । निशा और दीदी दोनो तो पूजापाठ के काम मे लगी थी और प्रसाद का सारा समान चंदू के मकान पर ही तैयार करवा रही थी ।
मै एक किनारे खडे होकर सबकी आवभगत मे लगा था ।
पूजा समाप्त होने की थी बस आखिरी अध्याय बाकि था और मै चंदू के घर प्रसाद की टोकरी लेने गया जहा दीदी और निशा ही थी

मै दरवाजा धकेल कर अन्दर गया तो हाल मे कोई नजर नही आया । तख्त पर दो टोकरी तैयार थी जिसमे मनभोग और फल काटे हुए थे ।
मुझे अजीब सा लगा अंदर की ये दोनो कहा गयी होगी ।
मै एक आवाज दी - दिदीईई कहा हो आप लोग
फिर मै सोचा शायद उपर गयी हो तो मै जीने से आवाज देने गया तो देखा कि वो जीने के दरवाजे पर बैठे आपस मे बाते कट रही थी और खुब हस रही थी ।

निशा - सच कह रही हो दीदी ,, इन लड़को को लचकती कमर मिल जाये तो लट्टू की तरह आगे पीछे घुमेन्गे ,,, अब मेरे मामा के यहा की बात लेलो
दीदी अचरज से - क्या हुआ वहा निशा
निशा - अरे वहा शादी मे मामी के भाई के लडके मेरे पीछे पढ गये और घूम फिर किसी न किसी बहाने से मेरे पास आ जाते ,, उम्र मे छोटे सब थे लेकिन किसी ने दीदी नही बोला मुझे

दीदी - हाहहहह्हह तब तुने तेरे छोटे आशिको को लटके झटके दिखाये की नही
निशा ह्स्ते हुए - और क्या बिलकुल दिखाये दीदी
दीदी - ओह्हो फिर तो कोई ना कोई बाथरूम थका जरुर होगा तेरी याद मे हाहहहा
निशा- छीई दीदी आप भी ना

मै उनकी बाते सुन कर मस्त मुस्कुरा रहा था और सोच रहा था कि लडकिया आपस मे बहने ही क्यू ना हो इनसब टॉपिक पर खुल कर बाते करती है । तभी मेरा फोन पर पापा का नं रिंग हुआ और मुझे याद आया कि मै किस लिये आया

मै जीने के निचे से ही - ओ हेल्लो लटके झटके वाली दीदीयो ,,,,जल्दी चलो पापा बुला रहे है ।

मेरी लटके-झटके वाली बात पर दोनो झेप गयी और एक दुसरे को देखते हुए सहम कर उठ रही थी । डर तो दोनो मे से किसी को नही था क्योकि दोनो मेरे से खुल कर ही थी लेकिन फिर भी वो एक दूसरे के सामने ऐसे जता रही थी कि जैसे उनकी चोरी पकड़ी गई हो

फिर वो निचे आई और मै फल की टोकरी लेके हस्ते हुए बोला - जल्दी से लेके आओ इसको
फिर मै घूम कर आगे जाने लगा

निशा खुसफुसाते - दीदी लगता है राज ने हमारी बाते सुन ली अब क्या होगा

उनकी खुसफुसाहट भी उस खाली मकान मे गूज रही थी
मै तेज आवाज - अभी भी सुन रहा हू जल्दी से टोकरी लेके आओ
फिर मै प्रसाद लेके पूजा वाली जगह आया और मेरे पीछे वो दोनो आई ।
निशा ने प्रसाद की टोकरी रखी और मुझसे नजर चुराते हुए अपनी मा के पास बैठ गई और मै दीदी के बगल मे खड़ा होकर उनकी तरफ झुक कर उनके कान मे बोला - क्या यही सब बाते करती हो आप लडकिया
दीदी अपने दोनो हाथ बांधे खड़ी थी मेरे बगल मे जैसे ही मेरे सवाल सुने तो मुस्कुरा कर अपनी कोहनी मेरे बाजू पर मारते हुए चुप रहने को बोली ।

इधर पूजा समाप्त हुई और फिर मैने और अनुज ने मिल कर प्रसाद बाटे और सबको दिये ।
फिर मा ने पापा को विमला मौसी से मिलवाया और कोमल से भी ।
कोमल ने पापा के पैर छूये

पापा - अरे खुश रहो बेटा
पापा - और भाई साहब नही आये
चुकी पापा विमला मौसी से पहले नही मिले थे तो उनको नही पता था कि अब उन्के पति नही रहे है और विमला हमेशा सजसवर के ही रहती तो कोई भी अंजान ऐसे ही कहेगा ।

पापा की बाते सुन के विमला की आखे भर आई और मा ने पापा को धीरे से कान मे बताया कि इनके पति को मरे 4 साल हो गए है
पापा को बहुत अफ्सोस हुआ - माफ करना बहन जी मुझे नही पता था

विमला अपनी भरी आँखो से आन्सू साफ करती हुई - अरे कोई बात नही भाईसाहब
फिर पापा ने विमला को साथ मे घर चलने का निमन्त्रण दिया और मैने जिद की तो वो मान गयी ।

फिर सारे औरते और लोग चले गये घर
फिर मै अनुज और राहुल मिल कर सारा समान ठीक किये और एक घंटे बाद घर के लिए निकल गये ।
घर पहुचे तो सारे लोग उपर के बेडरोम मे एकठ्ठा हुए थे बस मा और चाची नही नजर आ रही थी ।
राहुल और अनुज महिला मंडली देखकर छत पर खसक लिये और चाचा अपनी दुकान पर चले गये थे
कमरे मे कोमल , निशा और दीदी आपस मे बाते कर रहे थे क्योकि उनको एक बाते करने के लिए नया मेहमान मिल गया था
वही पापा और विमला मौसी एक साथ बाते कर रहे थे ।

फिर मै मा और चाची की आवाज किचन से सुना तो उधर चला गया
मा - अरे वाह शालिनी चाय की खुस्बू तो मस्त आ रही है
चाची - आखिर बनाने वाली भी तो मस्त है ना दीदी हिहिही
मा ह्स्ते हुए - बिलकुल बिलकुल देवर जी ने मस्त माल चुना है हहाहहह
चाची - मस्त माल ती जेठजी ने भी चुन है और लगता है इस उम्र मे भी पुरा ख्याल रखते है
मा - और नही तो क्या , कहो तो कह दूं तुम्हारा भी रख देंगे
मुझे जेठानी देवरानी की चुलबुली बात सुनने मे बड़ा मज़ा आ रहा था
चाची शर्मा कर - क्या दीदी आप भी मैने ऊँगली दिया तो आप हाथ ही पकड लेते हो
चाची ट्रे मे कप लगाकर चाय छानते हुए बोली

मा उनको चाय छानता देख - क्यू डरती हो क्या जेठ जी के हथियार से ,
चाची मुस्कुरा कर - मै क्यू डरने लगी दीदी अभी चाहू एक ही झटके मे जेठ जी के पसिने छुड़वा दू हिहिही
मा - अच्छा ये बात है
चाची - तो
मा - लगी शर्त वो तुमको देखेन्गे तक नही
चाची - ऐसा है फिर तो आज देख ही लेते है कि जेठजी का सबर
मा हस्ते हुए - हार जाओगी शालिनी बात मान लो
चाची - तब का तब देखेंगे अभी बात मेरी जवानी के जलवे की है
मा ह्स्ते हुए - अरे मै मजाक कर रही थी पागल तू भी ना

चाची - नही फिर भी मै देखू तो खुद को इतना मेनटेन करने का कुछ फायदा है भी या नही

मा हसरही थी
इधर चाची ने अपने साडी का पिन अपने कन्धे से निकाल कर पल्लू को ढीला किया फिर सर पर रख ओढ़ लिया और चाय की ट्रे लेकर बोली - अब चलो दीदी

मा ह्स्ते हुए - तू बावरी हो गयी है ,, जा जो करना हो कर बाद मे मुझे मत कहना कुछ गडबडी हुई तो हीहीहिह
मै झट से बेडरूम मे गया और पापा के बगल मे बैठ गया ।

इधर मा और चाची चाय लेके कमरे मे आई
पहले चाची ने विमला को चाय दी और जैसे ही पापा के तरफ आई तो ज्यादा झुकी जिससे उनका पल्लू झुल गया और 36 की चुचियो की झलक मुझे और पापा दोनो को मिल गयी ।
पापा फटी आखो से चाची की चूचियो को निहारते हुए चाय का प्याला उठाया लेकिन वो ट्रे मे ही गिर गया और पापा की ऊँगली जल गयी
चाची एक कातिल मुस्कान से - ओहो भाईसाहब आराम से लिजीये ना
पापा ने एक नजर चाची के कामुक चेहरे को देखा और वापस चुचियो को निहारते हुए दुसरा प्याला ले लिया
चाची फिर मुझे चाय दी और फिर मा और बाकी तीनो को दी
इस दौरान पापा चाची की मटकती कमर पर नजर गड़ाये चाय पी रहे थे और धोती मे उनका लण्ड टनटना गया ।
उधर मा और चाची आपस मे बैठ कर मुस्कुरा रही थी क्योकि चाची जीत जो गयी थी।

चाय खत्म हुई तो विमला ने जाने की इजाजत मागी और फिर आने का बोल कर कोमल के साथ चली गयी ।
फिर थोडी देर बाद चाची और निशा भी चले गये ।
फिर दोपहर के खाने का इंतजाम होने लगा और मै दुकान खोल कर बैठ गया ।
मै सोचने लगा क्या अभी पापा से बात करू या बाद मे क्योकि मै जल्दीबाजी नही चाहता था ।
पापा मेरे वैसे बहूत सहायक प्रवृति के इन्सान से और किसी का भी बुरा नही सोचते थे लेकिन फिर भी एक दिन के पहचान वाले लिये मदद मागना मुझे जमा नही तो मैने इस बात को टाल दिया और धीरे धीरे उस दिन को 6 महीने का बीत गये ।
मेरा नया घर लगभग तैयार हो चुका था लेकिन अभी फर्नीश का काम बाकी था ।
इन 6 महिनो मे मै सिर्फ घर के कामो मे ही लगा रहा और समय के साथ पापा मुझ पर पहले से ज्यादा भरोसा करने लगे और हर काम से पहले मेरे सुझाव को लेना बेहतर समझने लगे ।

इस दौरान मैने दीदी के मस्ती करने में मै पीछे नही रहता था दिया और फिर फोन पर बाते करके जितना हो पाया उनको खुश रखा । कोमल और निशा भी मुझसे फोन पर ही बाते कर लिया करती थी । मा भी मेरे काम से खुश होती और मेरी सेहत का ध्यान रखना सुरु कर दी और दुलार मे पहले से ज्यादा चुदने लगी । हर रोज दोपहर मे मै मा को बिना चोदे रह नही पाता क्योकि रात मे मुझे नये घर की रखवाली के लिए वही सोना पड़ता था और पूरी रात मै दीदी से तो कभी कोमल से चटपटी बाते करके काट लेता ।
इन 6 महिनो मे मैने खुद से पहल करके कोमल के घर से नजदीकीया बढाई और पापा विमला मौसी की मजबूरी समझ कर मुझे कभी नहीं टोका । आये दिन त्योहारों पर पर आना जाना लगा रहा जिससे जल्दी ही हमारी फैमिली अब फैमिली फ्रेंड हो गयी ।
मै समझ चुका था कि अब समय आ गया है कि जल्द से जल्द पापा के सामने कोमल के घर की बात रखी जाय ।

ऐसे ही एक दिन
मै पापा और मा नये घर पर काम देखने गये । सारा काम लगभग खतम होने को था और सब खुश थे ।

मै - पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी है
पापा खुश होकर - बताओ ना बेटा
मा - हा बोल ना मेरा बच्चा क्या बात है बहुत उदास लग रहा है
मै मन गिरा के हिम्मत करते हुए - मुझे आपको कुछ बताना है
पापा - लग रहा है रागिनी लडकी का मामला है क्यू जनाब
मै - नही पापा वो कोमल ....
पापा - ओहो तो कोमल है वो हम्म्म ,,,वैसे पन्सद तो बहुत अच्छी है बहुत प्यारी बच्ची है
मै - क्या पापा , मै और कोमल अच्छे दोस्त है ऐसा कुछ नही है हमारे बिच
मा - फिर क्या बात है ,,कोमल को कोई दिक्कत है क्या बेटा
मै उदास मन से - हम्म्म्म्ं
पापा - क्या हुआ बताओ बेटा
मै - पापा उसको उसके चाचा लोग परेशान करते है
पापा - मै समझा नही बेटा
मै मा को देखा तो - पापा वो वो
पापा - रागिनी तुम थोडी देर के लिए बाहर जाओ शायद तुम्हारे सामने नही बोलना चाहता है
मा - ठीक है आप लोग बाते करो फिर मुझे आवाज दे देना
फिर मा बाहर चली गयी
पापा - हा बोलो बेटा
मै रुआस होकर - पापा कोमल के चाचा लोग बहुत दुष्ट है और वो लोग..........
फिर मैने वो सारी बाते बताई पापा को जो कोमल ने मुझे बताई कि कैसे कैसे उसके चाचाओ ने उसकी मजबुर मा को फसा कर जमीन के कागज ले लिए और अब कागज के बदले कोमल के साथ सम्ब्न्ध बनाने के उसकी मा को मजबुर कर रहे है

पापा मेरी बात सुन के चुप थे और मुझे रुआस देख कर गले लगा लिया
पापा - चुप हो जा बेटा ,,सब ठीक होगा तू चिंता मत कर मै सब ठीक कर दूँगा

मै पापा से चिपक कर फफ्क पडा - थैंक यू पापा
इत्ने मे मा आ गई और मुझे रोता देख वो रोने लगी और बार बार मेरे सर पर हाथ फेर कर पुछने लगी - फिर पापा ने सब कुछ मा को ब्ताया जिससे मा को धक्का लगा

मा - इतना सब कुछ हो गया और विमला ने मुझसे एक शब्द तक नही कहा
पापा - वो बदनामी के डर से किसी से नही बोल सकती थी वो तो कोमल बेटी ने राज से कह दी नही तो पता ही नही चल पाता हमे भी ।

मा - मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है और समझदार भी
मा मेरे माथे को चूम कर अपने सीने से लगा ली और मै भी उनको हग करके उनकी मुलायम चुचियो मे अपनी आँखो को आराम देने लगा

फिर पापा ने मा से और मुझसे पूछा कि आगे क्या किया जाय
मा- ऐसा करती हू कल ही मै राज को भेज देती हू विमला के घर वो उसको लिवा कर बर्तन वाली दुकान पर लाएगा वही उससे बात की जायेगी

पापा - हा ठीक कह रही हो रागिनी तुम वहा गोदाम मे एकान्त होगा और वो खुल कर बात भी कर पायेगी ।

फिर हम सब वापस घर आ गये ।
शाम को कोचिंग से वापस आकर मैने कोमल को फोन किया

फोन पर
कोमल - और हीरो क्या हाल चाल
मै - बस अपने यार की याद आ रही थी तो सोचा बात कर लू
कोमल - हा तू बस बात ही कर हा नही तो कभी मिलने नही आ सकता है इतना भी क्या बिज़ी यार
मै - ठीक है फिर कल आ रहा हू तेरे घर
कोमल खुश हो कर - सच मे मेरे घर आयेगा
मै - हा भाई क्यू
कोमल - अरे मुझे यकीन नही हो रहा है लास्ट टाईम दिवाली पर मिठाई देने आया था हिहिही
अभी 3 महिने हो गये
मै - बस दिवाली की मिठाई याद है और वो भूल गयी जो रसमलाई मैने चटाई थी
कोमल - धत्त पागल छोड ना वो सब और ये बता कब तक आयेगा
मै - यही कोई 11 बजे तक खाना खा पी के
कोमल - खबरदार जो खाना खा के आया ,, कल मै तेरे लिए स्पैशल लंच रेडी करूंगी तू टाईम से आ जाना
मै हस कर - ठीक है मेरी मा आ जाऊंगा
कोमल - हम्म्म गुड
मै - सुनो कोमल मुझे तुमको कुछ बताना है
कोमल - हा बोल न
मै - वो मैने पापा से आज तुम्हारे घर के प्रोब्लम के बारे मे बात की है
मेरी इस बात से चह्कती कोमल एकदम शांत हो गयी
मै - और पापा ने कल विमला मौसी को बुलाया है बात करने के लिए,,अब जल्द ही तेरी टेनसन खत्म हो जायेगी दोस्त

कोमल रोते हुए - थैंक यू राज
मै - अरे रो क्यू रही है पागल
कोमल - कुछ नही ,,मै मा को बता दू ये बात या नही
मै - नही मै खुद आकर मा से विमला मौसी की बात करवा दूँगा नही तो वो तुझे डाटेंगी

कोमल खुश होकर - ठीक है राज
मै - चलो अभी मै डिनर के बाद बात करता हू
कोमल - ठीक है राज थैंक्स बाय
फिर मैने फोन रखा और शाम को मा के साथ कोमल के मुद्दे पर बात हुई ।
रात का खाना खा कर मै नये घर पर सोने चला गया और अगली सुबह नहा धोकर नासता करके कोमल को खबर देदी की मै 11 बजे तक आ जाऊंगा और 11 बजे की बजाय 10 बजे ही उसे घर पहुँच गया उसको सरप्राइज़ देने ।


जारी रहेगी .....
पढ कर अपना बहुमूल्य सुझाव और रेवियू जरुर दें
धन्यवाद
 

Fâķîřă

Banned
1,207
6,114
143
UPDATE 59

बीते एक महिने का अनुभव मेरे जीवन मे बहुत बदलाव ला चूका था , जहा एक तरफ मुझे मेरे पहले सेक्स का अनुभव हुआ वही दुसरी तरफ एक सभ्यता का नकाब ओढी ये सोसाइटी असल मे हवस से कितनी भरी है वो मुझे समझ आने लगा था ।
हवस के इस दलदल मै भी देख समझ कर पाव उतार दिया था और इस लत के साथ मेरे कंधो पर जिम्मेदारीयो के बोझ उम्र के साथ बढ़ रहे थे ।

मेरे नये घर का काम शुरू हुआ जो चौराहे पर था और चंदू के मकान से महज दो घर बाद ही था ।
घर के नीव के लिए पूजा रखी गई जिसमे चाचा और चंदू का परिवार आया और मैने मा को बोल कर जानबुझ कर कोमल और उसकी मा को भी बुलवाया ताकि मेरे पापा से भी मेल जोल बढ़ जाये ।

2000 sqaure फीट की जमीन थी एक किनारे उत्तर पूरब की दिशा देख कर पंडित जी ने भूमि पूजन शुरू की ,,, मा और पापा एक साथ पूजन स्थल पर थे बाकी सब बगल मे लगे टेन्ट मे बैठे थे और भी मुहल्ले की औरते आई थी । निशा और दीदी दोनो तो पूजापाठ के काम मे लगी थी और प्रसाद का सारा समान चंदू के मकान पर ही तैयार करवा रही थी ।
मै एक किनारे खडे होकर सबकी आवभगत मे लगा था ।
पूजा समाप्त होने की थी बस आखिरी अध्याय बाकि था और मै चंदू के घर प्रसाद की टोकरी लेने गया जहा दीदी और निशा ही थी

मै दरवाजा धकेल कर अन्दर गया तो हाल मे कोई नजर नही आया । तख्त पर दो टोकरी तैयार थी जिसमे मनभोग और फल काटे हुए थे ।
मुझे अजीब सा लगा अंदर की ये दोनो कहा गयी होगी ।
मै एक आवाज दी - दिदीईई कहा हो आप लोग
फिर मै सोचा शायद उपर गयी हो तो मै जीने से आवाज देने गया तो देखा कि वो जीने के दरवाजे पर बैठे आपस मे बाते कट रही थी और खुब हस रही थी ।

निशा - सच कह रही हो दीदी ,, इन लड़को को लचकती कमर मिल जाये तो लट्टू की तरह आगे पीछे घुमेन्गे ,,, अब मेरे मामा के यहा की बात लेलो
दीदी अचरज से - क्या हुआ वहा निशा
निशा - अरे वहा शादी मे मामी के भाई के लडके मेरे पीछे पढ गये और घूम फिर किसी न किसी बहाने से मेरे पास आ जाते ,, उम्र मे छोटे सब थे लेकिन किसी ने दीदी नही बोला मुझे

दीदी - हाहहहह्हह तब तुने तेरे छोटे आशिको को लटके झटके दिखाये की नही
निशा ह्स्ते हुए - और क्या बिलकुल दिखाये दीदी
दीदी - ओह्हो फिर तो कोई ना कोई बाथरूम थका जरुर होगा तेरी याद मे हाहहहा
निशा- छीई दीदी आप भी ना

मै उनकी बाते सुन कर मस्त मुस्कुरा रहा था और सोच रहा था कि लडकिया आपस मे बहने ही क्यू ना हो इनसब टॉपिक पर खुल कर बाते करती है । तभी मेरा फोन पर पापा का नं रिंग हुआ और मुझे याद आया कि मै किस लिये आया

मै जीने के निचे से ही - ओ हेल्लो लटके झटके वाली दीदीयो ,,,,जल्दी चलो पापा बुला रहे है ।

मेरी लटके-झटके वाली बात पर दोनो झेप गयी और एक दुसरे को देखते हुए सहम कर उठ रही थी । डर तो दोनो मे से किसी को नही था क्योकि दोनो मेरे से खुल कर ही थी लेकिन फिर भी वो एक दूसरे के सामने ऐसे जता रही थी कि जैसे उनकी चोरी पकड़ी गई हो

फिर वो निचे आई और मै फल की टोकरी लेके हस्ते हुए बोला - जल्दी से लेके आओ इसको
फिर मै घूम कर आगे जाने लगा

निशा खुसफुसाते - दीदी लगता है राज ने हमारी बाते सुन ली अब क्या होगा

उनकी खुसफुसाहट भी उस खाली मकान मे गूज रही थी
मै तेज आवाज - अभी भी सुन रहा हू जल्दी से टोकरी लेके आओ
फिर मै प्रसाद लेके पूजा वाली जगह आया और मेरे पीछे वो दोनो आई ।
निशा ने प्रसाद की टोकरी रखी और मुझसे नजर चुराते हुए अपनी मा के पास बैठ गई और मै दीदी के बगल मे खड़ा होकर उनकी तरफ झुक कर उनके कान मे बोला - क्या यही सब बाते करती हो आप लडकिया
दीदी अपने दोनो हाथ बांधे खड़ी थी मेरे बगल मे जैसे ही मेरे सवाल सुने तो मुस्कुरा कर अपनी कोहनी मेरे बाजू पर मारते हुए चुप रहने को बोली ।

इधर पूजा समाप्त हुई और फिर मैने और अनुज ने मिल कर प्रसाद बाटे और सबको दिये ।
फिर मा ने पापा को विमला मौसी से मिलवाया और कोमल से भी ।
कोमल ने पापा के पैर छूये

पापा - अरे खुश रहो बेटा
पापा - और भाई साहब नही आये
चुकी पापा विमला मौसी से पहले नही मिले थे तो उनको नही पता था कि अब उन्के पति नही रहे है और विमला हमेशा सजसवर के ही रहती तो कोई भी अंजान ऐसे ही कहेगा ।

पापा की बाते सुन के विमला की आखे भर आई और मा ने पापा को धीरे से कान मे बताया कि इनके पति को मरे 4 साल हो गए है
पापा को बहुत अफ्सोस हुआ - माफ करना बहन जी मुझे नही पता था

विमला अपनी भरी आँखो से आन्सू साफ करती हुई - अरे कोई बात नही भाईसाहब
फिर पापा ने विमला को साथ मे घर चलने का निमन्त्रण दिया और मैने जिद की तो वो मान गयी ।

फिर सारे औरते और लोग चले गये घर
फिर मै अनुज और राहुल मिल कर सारा समान ठीक किये और एक घंटे बाद घर के लिए निकल गये ।
घर पहुचे तो सारे लोग उपर के बेडरोम मे एकठ्ठा हुए थे बस मा और चाची नही नजर आ रही थी ।
राहुल और अनुज महिला मंडली देखकर छत पर खसक लिये और चाचा अपनी दुकान पर चले गये थे
कमरे मे कोमल , निशा और दीदी आपस मे बाते कर रहे थे क्योकि उनको एक बाते करने के लिए नया मेहमान मिल गया था
वही पापा और विमला मौसी एक साथ बाते कर रहे थे ।

फिर मै मा और चाची की आवाज किचन से सुना तो उधर चला गया
मा - अरे वाह शालिनी चाय की खुस्बू तो मस्त आ रही है
चाची - आखिर बनाने वाली भी तो मस्त है ना दीदी हिहिही
मा ह्स्ते हुए - बिलकुल बिलकुल देवर जी ने मस्त माल चुना है हहाहहह
चाची - मस्त माल ती जेठजी ने भी चुन है और लगता है इस उम्र मे भी पुरा ख्याल रखते है
मा - और नही तो क्या , कहो तो कह दूं तुम्हारा भी रख देंगे
मुझे जेठानी देवरानी की चुलबुली बात सुनने मे बड़ा मज़ा आ रहा था
चाची शर्मा कर - क्या दीदी आप भी मैने ऊँगली दिया तो आप हाथ ही पकड लेते हो
चाची ट्रे मे कप लगाकर चाय छानते हुए बोली

मा उनको चाय छानता देख - क्यू डरती हो क्या जेठ जी के हथियार से ,
चाची मुस्कुरा कर - मै क्यू डरने लगी दीदी अभी चाहू एक ही झटके मे जेठ जी के पसिने छुड़वा दू हिहिही
मा - अच्छा ये बात है
चाची - तो
मा - लगी शर्त वो तुमको देखेन्गे तक नही
चाची - ऐसा है फिर तो आज देख ही लेते है कि जेठजी का सबर
मा हस्ते हुए - हार जाओगी शालिनी बात मान लो
चाची - तब का तब देखेंगे अभी बात मेरी जवानी के जलवे की है
मा ह्स्ते हुए - अरे मै मजाक कर रही थी पागल तू भी ना

चाची - नही फिर भी मै देखू तो खुद को इतना मेनटेन करने का कुछ फायदा है भी या नही

मा हसरही थी
इधर चाची ने अपने साडी का पिन अपने कन्धे से निकाल कर पल्लू को ढीला किया फिर सर पर रख ओढ़ लिया और चाय की ट्रे लेकर बोली - अब चलो दीदी

मा ह्स्ते हुए - तू बावरी हो गयी है ,, जा जो करना हो कर बाद मे मुझे मत कहना कुछ गडबडी हुई तो हीहीहिह
मै झट से बेडरूम मे गया और पापा के बगल मे बैठ गया ।

इधर मा और चाची चाय लेके कमरे मे आई
पहले चाची ने विमला को चाय दी और जैसे ही पापा के तरफ आई तो ज्यादा झुकी जिससे उनका पल्लू झुल गया और 36 की चुचियो की झलक मुझे और पापा दोनो को मिल गयी ।
पापा फटी आखो से चाची की चूचियो को निहारते हुए चाय का प्याला उठाया लेकिन वो ट्रे मे ही गिर गया और पापा की ऊँगली जल गयी
चाची एक कातिल मुस्कान से - ओहो भाईसाहब आराम से लिजीये ना
पापा ने एक नजर चाची के कामुक चेहरे को देखा और वापस चुचियो को निहारते हुए दुसरा प्याला ले लिया
चाची फिर मुझे चाय दी और फिर मा और बाकी तीनो को दी
इस दौरान पापा चाची की मटकती कमर पर नजर गड़ाये चाय पी रहे थे और धोती मे उनका लण्ड टनटना गया ।
उधर मा और चाची आपस मे बैठ कर मुस्कुरा रही थी क्योकि चाची जीत जो गयी थी।

चाय खत्म हुई तो विमला ने जाने की इजाजत मागी और फिर आने का बोल कर कोमल के साथ चली गयी ।
फिर थोडी देर बाद चाची और निशा भी चले गये ।
फिर दोपहर के खाने का इंतजाम होने लगा और मै दुकान खोल कर बैठ गया ।
मै सोचने लगा क्या अभी पापा से बात करू या बाद मे क्योकि मै जल्दीबाजी नही चाहता था ।
पापा मेरे वैसे बहूत सहायक प्रवृति के इन्सान से और किसी का भी बुरा नही सोचते थे लेकिन फिर भी एक दिन के पहचान वाले लिये मदद मागना मुझे जमा नही तो मैने इस बात को टाल दिया और धीरे धीरे उस दिन को 6 महीने का बीत गये ।
मेरा नया घर लगभग तैयार हो चुका था लेकिन अभी फर्नीश का काम बाकी था ।
इन 6 महिनो मे मै सिर्फ घर के कामो मे ही लगा रहा और समय के साथ पापा मुझ पर पहले से ज्यादा भरोसा करने लगे और हर काम से पहले मेरे सुझाव को लेना बेहतर समझने लगे ।

इस दौरान मैने दीदी के मस्ती करने में मै पीछे नही रहता था दिया और फिर फोन पर बाते करके जितना हो पाया उनको खुश रखा । कोमल और निशा भी मुझसे फोन पर ही बाते कर लिया करती थी । मा भी मेरे काम से खुश होती और मेरी सेहत का ध्यान रखना सुरु कर दी और दुलार मे पहले से ज्यादा चुदने लगी । हर रोज दोपहर मे मै मा को बिना चोदे रह नही पाता क्योकि रात मे मुझे नये घर की रखवाली के लिए वही सोना पड़ता था और पूरी रात मै दीदी से तो कभी कोमल से चटपटी बाते करके काट लेता ।
इन 6 महिनो मे मैने खुद से पहल करके कोमल के घर से नजदीकीया बढाई और पापा विमला मौसी की मजबूरी समझ कर मुझे कभी नहीं टोका । आये दिन त्योहारों पर पर आना जाना लगा रहा जिससे जल्दी ही हमारी फैमिली अब फैमिली फ्रेंड हो गयी ।
मै समझ चुका था कि अब समय आ गया है कि जल्द से जल्द पापा के सामने कोमल के घर की बात रखी जाय ।

ऐसे ही एक दिन
मै पापा और मा नये घर पर काम देखने गये । सारा काम लगभग खतम होने को था और सब खुश थे ।

मै - पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी है
पापा खुश होकर - बताओ ना बेटा
मा - हा बोल ना मेरा बच्चा क्या बात है बहुत उदास लग रहा है
मै मन गिरा के हिम्मत करते हुए - मुझे आपको कुछ बताना है
पापा - लग रहा है रागिनी लडकी का मामला है क्यू जनाब
मै - नही पापा वो कोमल ....
पापा - ओहो तो कोमल है वो हम्म्म ,,,वैसे पन्सद तो बहुत अच्छी है बहुत प्यारी बच्ची है
मै - क्या पापा , मै और कोमल अच्छे दोस्त है ऐसा कुछ नही है हमारे बिच
मा - फिर क्या बात है ,,कोमल को कोई दिक्कत है क्या बेटा
मै उदास मन से - हम्म्म्म्ं
पापा - क्या हुआ बताओ बेटा
मै - पापा उसको उसके चाचा लोग परेशान करते है
पापा - मै समझा नही बेटा
मै मा को देखा तो - पापा वो वो
पापा - रागिनी तुम थोडी देर के लिए बाहर जाओ शायद तुम्हारे सामने नही बोलना चाहता है
मा - ठीक है आप लोग बाते करो फिर मुझे आवाज दे देना
फिर मा बाहर चली गयी
पापा - हा बोलो बेटा
मै रुआस होकर - पापा कोमल के चाचा लोग बहुत दुष्ट है और वो लोग..........
फिर मैने वो सारी बाते बताई पापा को जो कोमल ने मुझे बताई कि कैसे कैसे उसके चाचाओ ने उसकी मजबुर मा को फसा कर जमीन के कागज ले लिए और अब कागज के बदले कोमल के साथ सम्ब्न्ध बनाने के उसकी मा को मजबुर कर रहे है

पापा मेरी बात सुन के चुप थे और मुझे रुआस देख कर गले लगा लिया
पापा - चुप हो जा बेटा ,,सब ठीक होगा तू चिंता मत कर मै सब ठीक कर दूँगा

मै पापा से चिपक कर फफ्क पडा - थैंक यू पापा
इत्ने मे मा आ गई और मुझे रोता देख वो रोने लगी और बार बार मेरे सर पर हाथ फेर कर पुछने लगी - फिर पापा ने सब कुछ मा को ब्ताया जिससे मा को धक्का लगा

मा - इतना सब कुछ हो गया और विमला ने मुझसे एक शब्द तक नही कहा
पापा - वो बदनामी के डर से किसी से नही बोल सकती थी वो तो कोमल बेटी ने राज से कह दी नही तो पता ही नही चल पाता हमे भी ।

मा - मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है और समझदार भी
मा मेरे माथे को चूम कर अपने सीने से लगा ली और मै भी उनको हग करके उनकी मुलायम चुचियो मे अपनी आँखो को आराम देने लगा

फिर पापा ने मा से और मुझसे पूछा कि आगे क्या किया जाय
मा- ऐसा करती हू कल ही मै राज को भेज देती हू विमला के घर वो उसको लिवा कर बर्तन वाली दुकान पर लाएगा वही उससे बात की जायेगी

पापा - हा ठीक कह रही हो रागिनी तुम वहा गोदाम मे एकान्त होगा और वो खुल कर बात भी कर पायेगी ।

फिर हम सब वापस घर आ गये ।
शाम को कोचिंग से वापस आकर मैने कोमल को फोन किया

फोन पर
कोमल - और हीरो क्या हाल चाल
मै - बस अपने यार की याद आ रही थी तो सोचा बात कर लू
कोमल - हा तू बस बात ही कर हा नही तो कभी मिलने नही आ सकता है इतना भी क्या बिज़ी यार
मै - ठीक है फिर कल आ रहा हू तेरे घर
कोमल खुश हो कर - सच मे मेरे घर आयेगा
मै - हा भाई क्यू
कोमल - अरे मुझे यकीन नही हो रहा है लास्ट टाईम दिवाली पर मिठाई देने आया था हिहिही
अभी 3 महिने हो गये
मै - बस दिवाली की मिठाई याद है और वो भूल गयी जो रसमलाई मैने चटाई थी
कोमल - धत्त पागल छोड ना वो सब और ये बता कब तक आयेगा
मै - यही कोई 11 बजे तक खाना खा पी के
कोमल - खबरदार जो खाना खा के आया ,, कल मै तेरे लिए स्पैशल लंच रेडी करूंगी तू टाईम से आ जाना
मै हस कर - ठीक है मेरी मा आ जाऊंगा
कोमल - हम्म्म गुड
मै - सुनो कोमल मुझे तुमको कुछ बताना है
कोमल - हा बोल न
मै - वो मैने पापा से आज तुम्हारे घर के प्रोब्लम के बारे मे बात की है
मेरी इस बात से चह्कती कोमल एकदम शांत हो गयी
मै - और पापा ने कल विमला मौसी को बुलाया है बात करने के लिए,,अब जल्द ही तेरी टेनसन खत्म हो जायेगी दोस्त

कोमल रोते हुए - थैंक यू राज
मै - अरे रो क्यू रही है पागल
कोमल - कुछ नही ,,मै मा को बता दू ये बात या नही
मै - नही मै खुद आकर मा से विमला मौसी की बात करवा दूँगा नही तो वो तुझे डाटेंगी

कोमल खुश होकर - ठीक है राज
मै - चलो अभी मै डिनर के बाद बात करता हू
कोमल - ठीक है राज थैंक्स बाय
फिर मैने फोन रखा और शाम को मा के साथ कोमल के मुद्दे पर बात हुई ।
रात का खाना खा कर मै नये घर पर सोने चला गया और अगली सुबह नहा धोकर नासता करके कोमल को खबर देदी की मै 11 बजे तक आ जाऊंगा और 11 बजे की बजाय 10 बजे ही उसे घर पहुँच गया उसको सरप्राइज़ देने ।


जारी रहेगी .....
पढ कर अपना बहुमूल्य सुझाव और रेवियू जरुर दें
धन्यवाद
Nice update ...
 

Sanju@

Well-Known Member
4,209
17,277
143
UPDATE 58

हम दोनो रास्ते में फुसफुसा कर बाते करते हुए जा रहे थे और मै बाजार से बाहर आने का इंतजार कर रहा था

क्योकि हमारी कोचिंग चंदू के चौराहे वाले घर मे थी और
बाजार से चौराहे के बिच 400 मीटर का फासला था जो काफी सुनसान होता है इतना भी नही की कोई आये जाये ना
बस मेन बाजार या चौराहे जितना रौनक नही होती थी । थोडा खाली खाली होता था और थोड़े अगल बगल खेत होते थे ।

जब हम बाजार से 50 60 मिटर आगे आ गये
मै - तुम ऐसा क्यों कर रही हो दीदी
दीदी मुस्कुरा कर - मैने क्या किया
मै उसके करीब आने को होकर बोला - बताऊ अभी , बताऊ हा
दीदी हस्ते हुए - नही भाई प्लीज सड़क पर नही
मै - वहा था तो बहुत याद आ रही थी ना अब क्या हुआ हा

दीदी - भाई मुझे समय चाहिए थोडा इन सब के लिए ,,, क्या तुम इतना भी नही करोगे मेरे लिए ।
वो मुह बना कर मासूमियत से बोली
मै तरस खा कर - हम्म्म ठीक है लेकिन चिढ़ाना बंद करो
दीदी हस्ते हुए - तुझे छेड़ने मे मज़ा आता है भाई हिहिहिही
मै - जिस दिन मै छेड़ दिया ना तब और भी मज़ा आयेगा
दीदी शर्मा कर - चुप कोई सुन लेगा

हमारी ऐसे ही हल्की नोक झोक जारी रही कोचिंग तक
फिर हम क्लास मे गये लेकिन इस बार भी मै ज्यादातर दीदी पर फोक्स किया रहा , और वो भी मुझे कभी कभी अपनी तरफ देखता पाकर सामने बोर्ड पर देखने का इशारा करके मुस्कुरा देती ।
करीब साढ़े चार बजे चंदू जल्दी जल्दी मेरे बगल मे आकर बैठ रहा था कि सर की नजर उसपे गयी और शुरू कर दिया बेज्ज्त करना कि कहा लेट हो गए और ना जाने क्या क्या

वही चंदू बीच क्लास में खडे होकर मन ही मन टीचर पर अपनी भड़ास निकाल रहा था
फिर वो बैठा
चंदू - ये भोस्डी वाला औकात से ज्यादा उड़ रहा है इसको निकलवा देता हू अपने घर से अगले महीने , मादरचोद कही का
मै हस्ते हुए - तो साले लेट क्यू आया , उसकी आदत जानता है ना लेट आने पर किसी को नही छोडता , उस दिन जब ठाकुर की नतिनी को नही छोडा तो तुझे क्या हहहाहा

चंदू चौक कर - क्या कहा इस भोस्डी के पिल्ले ने मेरी मालती को भी बेज्ज्त किया ,,, मादरचोद को तो कल ही खदेड़ रहा हू

मै अचरज से - साले तेरी मालती कैसे बे ,,, ठाकुर गाड़ मे तेरे इतनी गोलिया भरवा देगा की गाड उठा भी नही पायेगा वजन से

चंदू दिवानो की तरह उदास मन से - भाई सच मे मै उसे चाहता हू

मै - अबे लवड़े तू उसे चाहता है ये इम्पोर्टेंट नही है वो ठाकुर की नातिन है ये इम्पोर्टेंट है

चंदू - भाई तू कुछ मदद कर ना
मै - मै क्या करू मदद तू खुद उसको दुर करने पर अडा है
चंदू - मै कैसे
मै - साले तू ये कोचिंग बंद करवा देगा तो वो वैसे भी नही आयेगी यहा तो क्या करेगा और वैसे भी वो शहर के कालेज मे पढने जाती है

चंदू झल्ला कर - अबे वो तो मै ऐसे ही फेक रहा था ,,,अगर मै मेरे बाप को बोलूंगा तो वो मुझे ही घर से भगा देगा

मै ह्सने लगा
चंदू - भाई प्लीज कुछ कर ना यार , एक मुलाकात तो करा दे प्लीज भाई प्लीज

मै कुछ बोलता कि तभी चंदू के लिलाट पर लिखने वाले मार्कर का ढक्कन पट्ट से लगा जो हमारे सर ने फेका था और उसके मुह निकला- ये मादर्चोद मानेगा नही
मै हस्ते हुए - अभी पढ ले फिर कभी बाद मे बात करेंगे इसपे

फिर हमने क्लास खत्म की और फिर हम तीनो ( मै ,दिदी और चंदू ) साथ मे घर के लिए निकल गए
मै सोचा - यार ये अमन क्यू नही आया
मै दिदी के करीब गया और धीरे से पुछा - आज अमन नही आया
दीदी मुस्कुरा कर - वो अपने चाचा के साथ कही बाहर गया है कुछ दिन के लिए
मै इस बात को इग्नोर किया और घर की ओर जाने लगा ।


फिर सब कुछ सामान्य ही रहा। रोज रात मे पापा मा और बुआ को चोदते है तो कभी गोदाम मे बुला लेते और दिन मे बुआ चाचा से चुदती और मौका मिलने पर मै भी दोपहर मे कभी मा तो कभी बुआ को पेल देता था ।
धीरे धीरे 10 दिन गुजर गये
इस दौरान मेरे और दीदी के बीच काफी नजदीकिया आई और हम साथ मे काफी घुल मिल कर रहते । जब भी मुझे मौका मिलता मै उन्के साथ थोडी बहुत मस्ती कर लेता लेकिन उनकी शरारत कभी कम नही होती जब भी मौका मिलता मुझे परेशान जरुर करती और मुझे दिदी का ये बात बहुत अच्छी लगती थी ।
वही कोमल से कभी कभी बात होती तो मेरे लण्ड की आस लगाये हमेशा मेरे खडे लण्ड की तस्वीर मागती जब मै रात को मालिश करता और कभी कभी वीडियो काल पर दिखाने को बोलती ।
वैसे तो मै रात मे कभी भी मालिश नही करता था लेकिन कोमल को दिखाने के चक्कर मे आदत होने लगी ।
फिर 10 दिन बाद चाची निशा और राहुल सब भोपाल से वापस आ गये।
एक दिन चाचा के यहा रुक कर शिला बुआ अपने घर चली गई ।
बुआ के जाने के बाद घर सुना सुना सा लगने लगा ।
जब तक वो थी दिन रात सेक्स की आअह्ह्ह उह्ह्ह से निचे का कमरा चीखता ही रहता ।

हमारी लाइफ भी पहले जैसे नही रही अब सबके मन मे बीते एक महीने मे हवस ने एक खास जगह बना ली थी ,,, एक तरफ जहा मा को मुझसे दिन मे प्यार मिल जाता था , वही दीदी भी मुझसे काफी करीब हो चुकी थी और पापा को भी नये चुत की तलब होने लगी जो कभी कभी मा चुदाई के समय मुझसे बताती रहती थी ।
लेकिन जैसा भी था समय की इस रवैये से हम सभी खुश थे जिसने हमें जिन्दगी मे मज़े लेने के ढ़ेरो आसार दिखाये ।


समय बीता और फिर तय हुआ की अगले महीने से नये घर का काम शुरू होना है। जिसमे कुछ दिन ही बाकी थे ।
उधर निशा की वापसी हो चुकी थी जो मुझसे मिलने को बेकरार थी और मुझे नये घर के लिए तैयारी से फुर्सत नही मिल रही थी ।
और इधर मेरे कन्धे पर दो जरुरी भार थे जिनको समय रहते पुरा करना था ।
एक तो दीदी की शादी अमन से कराने के लिए मा को मनाना
दुसरी कोमल के घर की समस्या को पापा के साथ मिल कर पुरा करना था
लेकिन दोनो की पहल के लिए मुझे सही मौके का इंतजार करना था ।


देखते है दोस्तो कि राज अपनी जिम्मेदारी को कैसे निभाता है और आने वाला समय राज को कौन से नये सबक सिखाता है ।
जल्द ही एक नये रोमांच का आरम्भ होने को है


दोस्तो आज का अपडेट काफी छोटा है लेकिन कहानी को आगे ले जाने के लिए बहुत जरुरी था ।
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे
धन्यवाद
बहुत ही शानदार अपडेट है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,209
17,277
143
UPDATE 59

बीते एक महिने का अनुभव मेरे जीवन मे बहुत बदलाव ला चूका था , जहा एक तरफ मुझे मेरे पहले सेक्स का अनुभव हुआ वही दुसरी तरफ एक सभ्यता का नकाब ओढी ये सोसाइटी असल मे हवस से कितनी भरी है वो मुझे समझ आने लगा था ।
हवस के इस दलदल मै भी देख समझ कर पाव उतार दिया था और इस लत के साथ मेरे कंधो पर जिम्मेदारीयो के बोझ उम्र के साथ बढ़ रहे थे ।

मेरे नये घर का काम शुरू हुआ जो चौराहे पर था और चंदू के मकान से महज दो घर बाद ही था ।
घर के नीव के लिए पूजा रखी गई जिसमे चाचा और चंदू का परिवार आया और मैने मा को बोल कर जानबुझ कर कोमल और उसकी मा को भी बुलवाया ताकि मेरे पापा से भी मेल जोल बढ़ जाये ।

2000 sqaure फीट की जमीन थी एक किनारे उत्तर पूरब की दिशा देख कर पंडित जी ने भूमि पूजन शुरू की ,,, मा और पापा एक साथ पूजन स्थल पर थे बाकी सब बगल मे लगे टेन्ट मे बैठे थे और भी मुहल्ले की औरते आई थी । निशा और दीदी दोनो तो पूजापाठ के काम मे लगी थी और प्रसाद का सारा समान चंदू के मकान पर ही तैयार करवा रही थी ।
मै एक किनारे खडे होकर सबकी आवभगत मे लगा था ।
पूजा समाप्त होने की थी बस आखिरी अध्याय बाकि था और मै चंदू के घर प्रसाद की टोकरी लेने गया जहा दीदी और निशा ही थी

मै दरवाजा धकेल कर अन्दर गया तो हाल मे कोई नजर नही आया । तख्त पर दो टोकरी तैयार थी जिसमे मनभोग और फल काटे हुए थे ।
मुझे अजीब सा लगा अंदर की ये दोनो कहा गयी होगी ।
मै एक आवाज दी - दिदीईई कहा हो आप लोग
फिर मै सोचा शायद उपर गयी हो तो मै जीने से आवाज देने गया तो देखा कि वो जीने के दरवाजे पर बैठे आपस मे बाते कट रही थी और खुब हस रही थी ।

निशा - सच कह रही हो दीदी ,, इन लड़को को लचकती कमर मिल जाये तो लट्टू की तरह आगे पीछे घुमेन्गे ,,, अब मेरे मामा के यहा की बात लेलो
दीदी अचरज से - क्या हुआ वहा निशा
निशा - अरे वहा शादी मे मामी के भाई के लडके मेरे पीछे पढ गये और घूम फिर किसी न किसी बहाने से मेरे पास आ जाते ,, उम्र मे छोटे सब थे लेकिन किसी ने दीदी नही बोला मुझे

दीदी - हाहहहह्हह तब तुने तेरे छोटे आशिको को लटके झटके दिखाये की नही
निशा ह्स्ते हुए - और क्या बिलकुल दिखाये दीदी
दीदी - ओह्हो फिर तो कोई ना कोई बाथरूम थका जरुर होगा तेरी याद मे हाहहहा
निशा- छीई दीदी आप भी ना

मै उनकी बाते सुन कर मस्त मुस्कुरा रहा था और सोच रहा था कि लडकिया आपस मे बहने ही क्यू ना हो इनसब टॉपिक पर खुल कर बाते करती है । तभी मेरा फोन पर पापा का नं रिंग हुआ और मुझे याद आया कि मै किस लिये आया

मै जीने के निचे से ही - ओ हेल्लो लटके झटके वाली दीदीयो ,,,,जल्दी चलो पापा बुला रहे है ।

मेरी लटके-झटके वाली बात पर दोनो झेप गयी और एक दुसरे को देखते हुए सहम कर उठ रही थी । डर तो दोनो मे से किसी को नही था क्योकि दोनो मेरे से खुल कर ही थी लेकिन फिर भी वो एक दूसरे के सामने ऐसे जता रही थी कि जैसे उनकी चोरी पकड़ी गई हो

फिर वो निचे आई और मै फल की टोकरी लेके हस्ते हुए बोला - जल्दी से लेके आओ इसको
फिर मै घूम कर आगे जाने लगा

निशा खुसफुसाते - दीदी लगता है राज ने हमारी बाते सुन ली अब क्या होगा

उनकी खुसफुसाहट भी उस खाली मकान मे गूज रही थी
मै तेज आवाज - अभी भी सुन रहा हू जल्दी से टोकरी लेके आओ
फिर मै प्रसाद लेके पूजा वाली जगह आया और मेरे पीछे वो दोनो आई ।
निशा ने प्रसाद की टोकरी रखी और मुझसे नजर चुराते हुए अपनी मा के पास बैठ गई और मै दीदी के बगल मे खड़ा होकर उनकी तरफ झुक कर उनके कान मे बोला - क्या यही सब बाते करती हो आप लडकिया
दीदी अपने दोनो हाथ बांधे खड़ी थी मेरे बगल मे जैसे ही मेरे सवाल सुने तो मुस्कुरा कर अपनी कोहनी मेरे बाजू पर मारते हुए चुप रहने को बोली ।

इधर पूजा समाप्त हुई और फिर मैने और अनुज ने मिल कर प्रसाद बाटे और सबको दिये ।
फिर मा ने पापा को विमला मौसी से मिलवाया और कोमल से भी ।
कोमल ने पापा के पैर छूये

पापा - अरे खुश रहो बेटा
पापा - और भाई साहब नही आये
चुकी पापा विमला मौसी से पहले नही मिले थे तो उनको नही पता था कि अब उन्के पति नही रहे है और विमला हमेशा सजसवर के ही रहती तो कोई भी अंजान ऐसे ही कहेगा ।

पापा की बाते सुन के विमला की आखे भर आई और मा ने पापा को धीरे से कान मे बताया कि इनके पति को मरे 4 साल हो गए है
पापा को बहुत अफ्सोस हुआ - माफ करना बहन जी मुझे नही पता था

विमला अपनी भरी आँखो से आन्सू साफ करती हुई - अरे कोई बात नही भाईसाहब
फिर पापा ने विमला को साथ मे घर चलने का निमन्त्रण दिया और मैने जिद की तो वो मान गयी ।

फिर सारे औरते और लोग चले गये घर
फिर मै अनुज और राहुल मिल कर सारा समान ठीक किये और एक घंटे बाद घर के लिए निकल गये ।
घर पहुचे तो सारे लोग उपर के बेडरोम मे एकठ्ठा हुए थे बस मा और चाची नही नजर आ रही थी ।
राहुल और अनुज महिला मंडली देखकर छत पर खसक लिये और चाचा अपनी दुकान पर चले गये थे
कमरे मे कोमल , निशा और दीदी आपस मे बाते कर रहे थे क्योकि उनको एक बाते करने के लिए नया मेहमान मिल गया था
वही पापा और विमला मौसी एक साथ बाते कर रहे थे ।

फिर मै मा और चाची की आवाज किचन से सुना तो उधर चला गया
मा - अरे वाह शालिनी चाय की खुस्बू तो मस्त आ रही है
चाची - आखिर बनाने वाली भी तो मस्त है ना दीदी हिहिही
मा ह्स्ते हुए - बिलकुल बिलकुल देवर जी ने मस्त माल चुना है हहाहहह
चाची - मस्त माल ती जेठजी ने भी चुन है और लगता है इस उम्र मे भी पुरा ख्याल रखते है
मा - और नही तो क्या , कहो तो कह दूं तुम्हारा भी रख देंगे
मुझे जेठानी देवरानी की चुलबुली बात सुनने मे बड़ा मज़ा आ रहा था
चाची शर्मा कर - क्या दीदी आप भी मैने ऊँगली दिया तो आप हाथ ही पकड लेते हो
चाची ट्रे मे कप लगाकर चाय छानते हुए बोली

मा उनको चाय छानता देख - क्यू डरती हो क्या जेठ जी के हथियार से ,
चाची मुस्कुरा कर - मै क्यू डरने लगी दीदी अभी चाहू एक ही झटके मे जेठ जी के पसिने छुड़वा दू हिहिही
मा - अच्छा ये बात है
चाची - तो
मा - लगी शर्त वो तुमको देखेन्गे तक नही
चाची - ऐसा है फिर तो आज देख ही लेते है कि जेठजी का सबर
मा हस्ते हुए - हार जाओगी शालिनी बात मान लो
चाची - तब का तब देखेंगे अभी बात मेरी जवानी के जलवे की है
मा ह्स्ते हुए - अरे मै मजाक कर रही थी पागल तू भी ना

चाची - नही फिर भी मै देखू तो खुद को इतना मेनटेन करने का कुछ फायदा है भी या नही

मा हसरही थी
इधर चाची ने अपने साडी का पिन अपने कन्धे से निकाल कर पल्लू को ढीला किया फिर सर पर रख ओढ़ लिया और चाय की ट्रे लेकर बोली - अब चलो दीदी

मा ह्स्ते हुए - तू बावरी हो गयी है ,, जा जो करना हो कर बाद मे मुझे मत कहना कुछ गडबडी हुई तो हीहीहिह
मै झट से बेडरूम मे गया और पापा के बगल मे बैठ गया ।

इधर मा और चाची चाय लेके कमरे मे आई
पहले चाची ने विमला को चाय दी और जैसे ही पापा के तरफ आई तो ज्यादा झुकी जिससे उनका पल्लू झुल गया और 36 की चुचियो की झलक मुझे और पापा दोनो को मिल गयी ।
पापा फटी आखो से चाची की चूचियो को निहारते हुए चाय का प्याला उठाया लेकिन वो ट्रे मे ही गिर गया और पापा की ऊँगली जल गयी
चाची एक कातिल मुस्कान से - ओहो भाईसाहब आराम से लिजीये ना
पापा ने एक नजर चाची के कामुक चेहरे को देखा और वापस चुचियो को निहारते हुए दुसरा प्याला ले लिया
चाची फिर मुझे चाय दी और फिर मा और बाकी तीनो को दी
इस दौरान पापा चाची की मटकती कमर पर नजर गड़ाये चाय पी रहे थे और धोती मे उनका लण्ड टनटना गया ।
उधर मा और चाची आपस मे बैठ कर मुस्कुरा रही थी क्योकि चाची जीत जो गयी थी।

चाय खत्म हुई तो विमला ने जाने की इजाजत मागी और फिर आने का बोल कर कोमल के साथ चली गयी ।
फिर थोडी देर बाद चाची और निशा भी चले गये ।
फिर दोपहर के खाने का इंतजाम होने लगा और मै दुकान खोल कर बैठ गया ।
मै सोचने लगा क्या अभी पापा से बात करू या बाद मे क्योकि मै जल्दीबाजी नही चाहता था ।
पापा मेरे वैसे बहूत सहायक प्रवृति के इन्सान से और किसी का भी बुरा नही सोचते थे लेकिन फिर भी एक दिन के पहचान वाले लिये मदद मागना मुझे जमा नही तो मैने इस बात को टाल दिया और धीरे धीरे उस दिन को 6 महीने का बीत गये ।
मेरा नया घर लगभग तैयार हो चुका था लेकिन अभी फर्नीश का काम बाकी था ।
इन 6 महिनो मे मै सिर्फ घर के कामो मे ही लगा रहा और समय के साथ पापा मुझ पर पहले से ज्यादा भरोसा करने लगे और हर काम से पहले मेरे सुझाव को लेना बेहतर समझने लगे ।

इस दौरान मैने दीदी के मस्ती करने में मै पीछे नही रहता था दिया और फिर फोन पर बाते करके जितना हो पाया उनको खुश रखा । कोमल और निशा भी मुझसे फोन पर ही बाते कर लिया करती थी । मा भी मेरे काम से खुश होती और मेरी सेहत का ध्यान रखना सुरु कर दी और दुलार मे पहले से ज्यादा चुदने लगी । हर रोज दोपहर मे मै मा को बिना चोदे रह नही पाता क्योकि रात मे मुझे नये घर की रखवाली के लिए वही सोना पड़ता था और पूरी रात मै दीदी से तो कभी कोमल से चटपटी बाते करके काट लेता ।
इन 6 महिनो मे मैने खुद से पहल करके कोमल के घर से नजदीकीया बढाई और पापा विमला मौसी की मजबूरी समझ कर मुझे कभी नहीं टोका । आये दिन त्योहारों पर पर आना जाना लगा रहा जिससे जल्दी ही हमारी फैमिली अब फैमिली फ्रेंड हो गयी ।
मै समझ चुका था कि अब समय आ गया है कि जल्द से जल्द पापा के सामने कोमल के घर की बात रखी जाय ।

ऐसे ही एक दिन
मै पापा और मा नये घर पर काम देखने गये । सारा काम लगभग खतम होने को था और सब खुश थे ।

मै - पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी है
पापा खुश होकर - बताओ ना बेटा
मा - हा बोल ना मेरा बच्चा क्या बात है बहुत उदास लग रहा है
मै मन गिरा के हिम्मत करते हुए - मुझे आपको कुछ बताना है
पापा - लग रहा है रागिनी लडकी का मामला है क्यू जनाब
मै - नही पापा वो कोमल ....
पापा - ओहो तो कोमल है वो हम्म्म ,,,वैसे पन्सद तो बहुत अच्छी है बहुत प्यारी बच्ची है
मै - क्या पापा , मै और कोमल अच्छे दोस्त है ऐसा कुछ नही है हमारे बिच
मा - फिर क्या बात है ,,कोमल को कोई दिक्कत है क्या बेटा
मै उदास मन से - हम्म्म्म्ं
पापा - क्या हुआ बताओ बेटा
मै - पापा उसको उसके चाचा लोग परेशान करते है
पापा - मै समझा नही बेटा
मै मा को देखा तो - पापा वो वो
पापा - रागिनी तुम थोडी देर के लिए बाहर जाओ शायद तुम्हारे सामने नही बोलना चाहता है
मा - ठीक है आप लोग बाते करो फिर मुझे आवाज दे देना
फिर मा बाहर चली गयी
पापा - हा बोलो बेटा
मै रुआस होकर - पापा कोमल के चाचा लोग बहुत दुष्ट है और वो लोग..........
फिर मैने वो सारी बाते बताई पापा को जो कोमल ने मुझे बताई कि कैसे कैसे उसके चाचाओ ने उसकी मजबुर मा को फसा कर जमीन के कागज ले लिए और अब कागज के बदले कोमल के साथ सम्ब्न्ध बनाने के उसकी मा को मजबुर कर रहे है

पापा मेरी बात सुन के चुप थे और मुझे रुआस देख कर गले लगा लिया
पापा - चुप हो जा बेटा ,,सब ठीक होगा तू चिंता मत कर मै सब ठीक कर दूँगा

मै पापा से चिपक कर फफ्क पडा - थैंक यू पापा
इत्ने मे मा आ गई और मुझे रोता देख वो रोने लगी और बार बार मेरे सर पर हाथ फेर कर पुछने लगी - फिर पापा ने सब कुछ मा को ब्ताया जिससे मा को धक्का लगा

मा - इतना सब कुछ हो गया और विमला ने मुझसे एक शब्द तक नही कहा
पापा - वो बदनामी के डर से किसी से नही बोल सकती थी वो तो कोमल बेटी ने राज से कह दी नही तो पता ही नही चल पाता हमे भी ।

मा - मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है और समझदार भी
मा मेरे माथे को चूम कर अपने सीने से लगा ली और मै भी उनको हग करके उनकी मुलायम चुचियो मे अपनी आँखो को आराम देने लगा

फिर पापा ने मा से और मुझसे पूछा कि आगे क्या किया जाय
मा- ऐसा करती हू कल ही मै राज को भेज देती हू विमला के घर वो उसको लिवा कर बर्तन वाली दुकान पर लाएगा वही उससे बात की जायेगी

पापा - हा ठीक कह रही हो रागिनी तुम वहा गोदाम मे एकान्त होगा और वो खुल कर बात भी कर पायेगी ।

फिर हम सब वापस घर आ गये ।
शाम को कोचिंग से वापस आकर मैने कोमल को फोन किया

फोन पर
कोमल - और हीरो क्या हाल चाल
मै - बस अपने यार की याद आ रही थी तो सोचा बात कर लू
कोमल - हा तू बस बात ही कर हा नही तो कभी मिलने नही आ सकता है इतना भी क्या बिज़ी यार
मै - ठीक है फिर कल आ रहा हू तेरे घर
कोमल खुश हो कर - सच मे मेरे घर आयेगा
मै - हा भाई क्यू
कोमल - अरे मुझे यकीन नही हो रहा है लास्ट टाईम दिवाली पर मिठाई देने आया था हिहिही
अभी 3 महिने हो गये
मै - बस दिवाली की मिठाई याद है और वो भूल गयी जो रसमलाई मैने चटाई थी
कोमल - धत्त पागल छोड ना वो सब और ये बता कब तक आयेगा
मै - यही कोई 11 बजे तक खाना खा पी के
कोमल - खबरदार जो खाना खा के आया ,, कल मै तेरे लिए स्पैशल लंच रेडी करूंगी तू टाईम से आ जाना
मै हस कर - ठीक है मेरी मा आ जाऊंगा
कोमल - हम्म्म गुड
मै - सुनो कोमल मुझे तुमको कुछ बताना है
कोमल - हा बोल न
मै - वो मैने पापा से आज तुम्हारे घर के प्रोब्लम के बारे मे बात की है
मेरी इस बात से चह्कती कोमल एकदम शांत हो गयी
मै - और पापा ने कल विमला मौसी को बुलाया है बात करने के लिए,,अब जल्द ही तेरी टेनसन खत्म हो जायेगी दोस्त

कोमल रोते हुए - थैंक यू राज
मै - अरे रो क्यू रही है पागल
कोमल - कुछ नही ,,मै मा को बता दू ये बात या नही
मै - नही मै खुद आकर मा से विमला मौसी की बात करवा दूँगा नही तो वो तुझे डाटेंगी

कोमल खुश होकर - ठीक है राज
मै - चलो अभी मै डिनर के बाद बात करता हू
कोमल - ठीक है राज थैंक्स बाय
फिर मैने फोन रखा और शाम को मा के साथ कोमल के मुद्दे पर बात हुई ।
रात का खाना खा कर मै नये घर पर सोने चला गया और अगली सुबह नहा धोकर नासता करके कोमल को खबर देदी की मै 11 बजे तक आ जाऊंगा और 11 बजे की बजाय 10 बजे ही उसे घर पहुँच गया उसको सरप्राइज़ देने ।


जारी रहेगी .....
पढ कर अपना बहुमूल्य सुझाव और रेवियू जरुर दें
धन्यवाद
Excellent update
लगता है राज कोमल की परेशानी को दूर कर देगा
 
Top