Update 52 ( MEGA )
रात मे सोने के विचार से सारे लोग परेशान तीन उम्मीद भरी नजरे मुझसे आस लगाये थी ।
वही दुसरी तरफ विमला मौसी और मामा के बीच अलग ही नैन इशारे हो रहे थे । मेरे दुसरे बगल मे बैठी कोमल अपनी मा को मुस्कुराता देख कुछ खास खुश नही नजर आ रही थी । क्योकि वो भली भांति परिचित थी अपनी मा के करतुतों से कि जाने से पहले वो मेरे मामा से जरुर चुदेगी ।
वही अगर कोई सबसे ज्यादा कोई खुश था वो गीता बबिता थी , मासूम सी अल्हड़ जवानी मे घुस्ती मदमस्त लडकिया जिनको अभी एक दिन पहले ही तो जिस्मो का सुख से रुबरू होने का अह्सास मिला था तो वो भी मेरे जाने से पहले से ट्यूबवेल के उस हवस भरे खेल का मज़ा लेना चाहती थी ।
मै मन इसी उधेड़बुन मे था कि कैसे कोई रास्ता निकालू
कुछ तो करना ही पडेगा ।
इसी समय नाना खाना खा कर उठे और मुझसे कहा
नाना - बेटा तू थक तो नही गया है ना
मै मुस्कुरा कर - नही नाना जी कहिये क्या बात है ,
नाना - जरा खाना खा कर मेरे कमरे मे आना तुझसे कुछ बात करनी है ।
मै - जी नाना
फिर हम सब खाना खाये और मै खाना खाने के बाद निकल गया नाना के पास
कमरे मे नाना बिस्तर पर बैठे थे टेक लगाये और तम्बाकु रगड़ रहे थे । ये उनकी रोज की दिनचर्या मे शामिल था कि खाने के बाद तंबाकू खाना
मुझे देखते ही मुस्कुराये और बिस्तर पर बैठने को बोला
मै उन्के पाव के पास बैठा
नाना - और बेटा तू भी लेगा तम्बाकू
मै हस्ते हुए - अरे नही नही नाना जी मै नही खाता ये सब
नाना - धत्त पगले जिसने तम्बाकू ना खाया तो मर्द कैसा रे
मै अचरज से - क्यू , जो नही खाते वो मर्द नही होते
नाना - तू अभी नही समझेगा , जब तेरे भी बदन को औरत का स्पर्श मिलेगा तब तू जानेगा कि ये तम्बाकू किस काम का है हाहाहा
मुझे नाना के साथ ऐसे कोई संवाद की उम्मीद नही थी इस लिए मै सही मायने मे शर्मा कर बिना कुछ बोले शर्माने लगा ।
नाना - अरे मेरे शर्मा मत , मर्द तो ऐसी बाते करते ही है बेटा , तू मुझे अपना दोस्त समझा कर
मै जिज्ञासा भरे भाव से भौहे सिकोड़ कर - दोस्त ???
नाना - हा भई दोस्त , तुझे पता है नाना पोते मे और दादा पोते मे बहुत गहरी दोस्ती होती है
मै मुस्कुरा कर - हीहीहि क्या नाना आप भी
नाना - तू मान नही रहा है अरे मेरे दादा तो यहा कि कहते थे कि औरत से कैसे बात करनी चाहिए उनको खुश कैसे करना है
मै इस बार और शर्म से लाल हुआ
नाना - देख बेटा मेरे लिये मेरे पोते ही मेरी वंश की शाखाएँ है और मै नही चाहता की तू अनाड़ी ही रह जाये।
मै - कैसा अनाडी नाना जी , मै समझा नही
नाना मुस्कुरा कर - लगता हकि तेरी कोई लड़कियो मे दोस्त नही है अब तक तभी तू ऐसे नासमझो के जैसे बाते करता है ।
मै - है ना नाना जी ,
नाना - हहाहह्हाअह्हा , कौन वो कोमल
मै - हम्म्म्म क्यू
नाना - अरे बुड़बक मै स्कूल की दोस्ती की नही , प्रेमिका की बाते कर रहा हू , क्या कहते वो तू लोग उसको ,,हा गर्लफ्रैंड हाहाहाहहा
मै मुस्कुरा कर शर्मा गया
नाना- तो बता है कोई तेरी गर्लफ्रैंड
मै मुस्कुरा कर शर्माते हुए ना मे सर हिलाया
नाना - मुझे लगा ही था कि तू क्यू नही समझ पाया ,,,, अरे तू तो लण्ड को भी नुनी ही बुलाता होगा ,,हाहाहहहहा
मै शरमा कर - क्या नाना ,,,मुझे पता है कि किसको क्या कहते है इतना भी भोला नही हू मै ,,,, और आपने यही सब बाते करने के लिए बुलाआ मुझे
नाना हस्ते हुए - हाहाहहा , अरे नही बेटा काम तो कुछ और था लेकिन अभी तेरे लिए कोई और ज्ञान जरुरी हो गया
मै अचरज भाव से - कैसा ज्ञान नाना जी ,,
नाना - बेटा ऐसे बात कोई भी मा बाप अपने बेटो से नही करते है । इसलिये तो दादा या नाना को अपने नाती पोता का दोस्त बनना पड़ता है । हाहाह्हाहा
मै नाना की बाते सुन कर मुस्कुरा रहा था
नाना - तू बता आखिर तुझे किस तरह की लडकी पसंद आती है , मान ले तुझे शादी करनी हो तो
मै अबतक की बातो से समझ गया था कि नाना मेरे साथ सेक्स की बातो पर खुल कर बाते करना चाह्ते है । मगर इतनी जल्दी नही खुलना चाहता था और ना ही ऐसे मज़ेदार बातो का मज़ा किरकिरा करना चाहता था ।
मै - अब ऐसे कैसे बताऊ कोई सामने रहे तब ना
नाना - हम्म्म अच्छा मान ले तेरी मौसी , तेरी मा या मामी या वो तेरी दोस्त कोमल या फिर उसकी मा वो विमली ,,, मे सबका रिस्ता तेरे लिये आया हो तो किसे चुनेगा
मै हस्ते हुए - क्या नाना जी आप भी , मेरी मौसी मा और मामी का रिस्ता क्यू आयेगा मेरे लिए
नाना - अरे तू रिस्ता ना देख ये बता उन पांचो मे किसका बदन तुझे पसन्द है ,,
मै मुस्कुरा कर - नाना सारे लोग अपने जगह पर सही है
नाना - अच्छा वो कैसे
मै संकोचवश - वो वो
नाना - अरे खुल कर बता ना बेटा अपने दोस्त से क्या शर्म
मै मुस्करा कर - देखो नाना मा हल्की सावली है लेकिन उनका चंचल स्वभाव और भरा बदन पसंद है , मामी बहुत खुबसुरत है , कोमल मेरे हमउम्र मे है और अच्छी लडकी है और विमला मौसी थोडे नये जमाने के हिसाब से रहती है तो वो भी ठीक है।
नाना - और तेरी रज्जो मौसी का क्या , उसमे क्या खास है
मै - वो मुझे उनका भारी बदन अच्छा ल्गा उन्का सब बड़ा बड़ा है जो मुझे पसंद आया
नाना मुस्कुराये और धोती मे हुकार भरते लण्ड को सहला कर - हम्म्म्म बात तो तेरी सही है
मेरी नजर नाना के हाथो पर गयी और नाना ने मुझे खुद का लण्ड सहलाते देखा तो हसते हुए बोले - हाह्हाह्हा देखा तम्बाकू का असर बेटा, बुढापे मे भी मुसल को खड़ा कर देता है और अभी तो जोश इतना हो रहा है कि दो गदरायी औरत अभी चोद दू हाहहा
मै शरम से निचे देखने लगा
इसीबिच गीता मुझे बुलाने नाना के कमरे मे आ गई
गीता - चलो भैया हमारे साथ भी बाते करो ना
नाना - हा अब जा बेटा हमारी बाते आगे फिर कभी होगी हाहाहाह्हा
मै - जी नाना
फिर हम दोनो जाने लगे तो नाना ने पीछे से आवाज दी
नाना - बेटा जरा अपनी रज्जो मौसी को बोल देना कि मैने आवाज दी है और तुम सब सो जाना
मै समझ गया कि आखिर क्यू नाना ने रज्जो मौसी की बुलाने को कहा लेकिन उससे जरुरी ये था कि उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो क्या फिर भी वो ये सब करेंगे ।
खैर मै गीता को कमरे मे आने को बोल कर मौसी के कमरे मे गया ,,,जहा मा और मौसी बैठी सोफे पर कुछ बाते कर रही थी ।
मुझे देख कर दोनो के चेहरे खिल गये
मौसी - अरे राज बेटा वो दोनो सो गयी क्या
मै - नही मौसी वो नाना ने आपको बुलाया है
मा - लेकिन दीदी बाऊजी की तबियत ठीक नहीं है न तो कैसे
मौसी - उन्की तबियत तम्बाकू खाते ही ठीक हो जाती है रे छोटी हिहिहिही
मा - भ्क्क्क और जो डॉक्टर ने बोला वो ,,,
मौसी - चार दिन बादाम वाला दूध मिला नही की सब चुस्त दुरुस्त हीहीहि
मा हस्ते हुए लेकिन मन मे एक नयी खुशी को समेटे जिसे सिर्फ मै और मा ही समझ सकते थे - अच्छा
मौसी - चल ठीक है अभी आती हू
फिर मौसी नाना के रूम मे निकल गयी और वही मा मुझे देखा और फिर शर्माने लगी । वो समझ चुकी थी कि इस समय हम दोनो के मन मे क्या था ।
मै - मा अब खुश हो ना
मा शर्मा कर - तू ना चुप रह और जल्दी से उन दोनो को सुला कर मेरे पास आ जा ,,
मै खुश होकर मा के गाल को चुमा - ठीक है मा आता हू अभी ।
मा - वो अपना मोबाईल देके जा जरा घर की खोज खबर लेलू
मै मा को मोबाइल दिया और निकल गया गीता बबिता के रूम मे
कमरे मे जाकर मैने दरवाजा बंद किया और उन्के बेड पर चला गया ।
दोनो बिस्तर पर बैठे हुए बाते कर रही थी और मुझे देखते ही बबिता बोली
बबिता - आओ भैया बैठो
मै - क्यू तुम दोनो को सोना नही है देखो 9:30 बजने वाले है
गीता - ब्क्क्क भैया हमलोग वो खेल खेलने वाले थे ना ,,और आप कल चले भी जओगे ।
गीता बहुत ही गिरे मन से बोली
मै मुस्कुरा कर - हम्म्म तो बैठी क्यू हो चलो शुरू हो जाओ
गिता - सच भैया
मै - हा मेरी मीठी
गीता को बाहो मे भर कर गाल को काटते हुए बोला
बबिता हस्ते हुए - हिहिहिही पहले कपडे तो निकालो ना भैया
मै - वो भी मै ही करू हा
गिता उठी और झट से मेरे पैर के पास जमीन पर घुटनो के बल आ गई
गिता - चलो खड़ा हो जाओ आप
मै ह्सा और खड़ा हो गया
गीता ने मेरे लोवर को पकड़ा और घूतने तक खीचा जिससे आधा खड़ा हुआ लण्ड का सामने आ गया वही बबिता बगल मे बिस्तर पर घोड़ी बन कर गरदन आगे करके मेरे लण्ड को निहार रही थी ।
गीता ने एक नजर मुझे देखा और उत्साह मे बबिता को देख कर मुस्कुराई और उठे मेरे लण्ड को चूम लिया ,जिससे मेरा लण्ड झटके खाने लगा
वही मौका पाकर बगल मे घोड़ी बनकर मेरे लण्ड को झाकती बबिता ने एक हाथ से मेरे आडो को सहलाना शुरू कर दिया और गीता मेरे आधे झुके लण्ड के सुपाडे होठो मे भर ली ।
जल्द ही मेरा लण्ड तनने लगा और बबिता के कोमल हाथो मे आड़ो के मसलने से मेरे लण्ड मे खुन का बहाव तेज होने लगा जिससे गिता के मुह मे मेरा लण्ड कसना शुरू कर दिया ।
अब बबिता ने आड़ो के साथ चमडी को पीछे ले जाने लगी जिससे गिता मेरे सुपाडे को और मुह खोल कर अन्दर लेती
मै सिसकियाँ लेते हुए मेरी जवान कसी हुई बहानो के मज़े लेने ल्गा ।
मेरी नजर जब बबीता पर गयी तो वो गीता को लण्ड चुस्ते हुए ही निहार रही है और जैसे जैसे गीता मेरे लण्ड को मुह मे भरती वैसे ही बबिता के खुले मुह लण्ड के चूसने की कलपना करके हिलते रहते ।
हवस धीरे धीरे बबिता पर बढ़ने लगा जिसका अंदाजा मुझे अपने आड़ो पर पड़ रही उसके हाथ की तेज मसलन से साफ पता चल रहा था ।
फिर मै रहम कर गीता के सर को पकड कर पीछे किया और बबिता की तरफ घूम गया ।
बबिता मुझे देखी और मुस्कुराई फिर एक हाथ से लण्ड की चमडी को आगे पीछे करते हुए मेरी आँखो मे देखा और फिर आंखे बंद कर बडे चाव से मुह खोल कर लण्ड को भर लिया और चूसने लगी । मै बबिता के बालो मे हाथ फेरते हुए सिसकता रहा और अपनी कमर को आगे बढ़ाते हुए लण्ड को उसके गले मे उतारने की कोसिस करता तो वो मेरे पेट को हाथ से रोक देती जिसका इशारा होता कि वो इससे ज्यादा नही ले सकती थी।
वही मेरे पीछे गीता वैसे बैठे बैठे ही मेरे चुतडो को सहलाने लगी ,,जिससे मुझे गुदगुड़ी होने लगी । जिससे मेरे सिस्कियो मे मीठी सी मुस्कान भी आ चुकी थी ।
मै अभी झडना नही चाह्ता था तो बबिता को भी खुद से अलग किया और वो जीभ लपल्पती अपने लार को चाटते हुए अलग हुई मुझ्से ।
फिर मै बबिता को खड़ा किया और उसके टीशर्ट को निकालने लगा
अन्दर उसने कुछ नही पहना था जिससे उसकी चुचिया की गुलाबी चुचक खिलकर मेरे सामने थे । मै झुक कर जीभ निकालते हुए एक बार बबिता की दाई चुची के निप्प्ल को छुआ और होठो मे भर लिया ,
बबिता - सीईईई उह्ह्ह्ह भैया अह्ह्ह्ज उम्म्ंम्ं
बबिता की आवाज सुन कर मुझे आभास हुआ की गीता निचे से खड़ी हो गयी और अपने कपडे निकालने लगी ।
वही मै बबिया की कमर को थामे उसकी चुचिया चुस रहा था और वो मेरे सर को अपने चुचीयो पर रगड़ने लगी ।
इसी बीच गीता मेरे टीशर्ट को उपर की तरफ करने लगी और पीछे से ही मेरे पीठ से चिपक गयी ।
कुछ पल के लिए मेरे सारे क्रिया कलाप रुक गये क्योकि गीता के मुलायम चुचियो का अपनी पीठ पर अह्सास पाते ही मै सिहर गया । वही वो हाथ को आगे ले जाकर वापस मेरे लण्ड को पकड लिया और नीचे उसकी जन्घे मेरे जांघो को छू रही थी ।
खुद को थोडा सम्भाल कर मै वापस बबिता के चुचियो पर टुट पडा
एक तरफ जहां मै बबिता के चुचे चुस रहा वही गीता अपने पेट मेरे चुतडो पर नचा कर मुझे गुदगुदी सा अह्सास दिला रही थी और अपने चुचियो को मेरे पीठ पर रगड़ रही थी ।
मै गीता की कामुक हरकत से उतेजित होकर सारी भड़ास बबिता के चुचियो पर निकाल रहा था इसी दौरान गीता घूमी और अपने गुदाज गाड़ को मेरे चुतडो पर रगड़ते हुए सिसकने लगी
गीता- अह्ह्ह्ह भैया कितना मज़ा आ रहा है गाड़ रगड़ने मे उफ्फ्फ हिहिहीहीहि कित्नी मुलायम गाड़ है आपकी भैया अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ इस्स्स्स्स अह्ह्ह
मै भी गीता के इस नये स्पर्श से मदहोश होने लगा इसी बीच किसी ने दरवाजा खटखटा कर हमारी मस्ती को नजर लगा दी
कौन हो सकता था अब क्योकि सारे लोग तो अपने कमरे मे थे सिवाय मा के जो अकेली थी । कही वही तो नहीं ना हो ।
मैने झट से दोनो को अलग किया और इशारे मे कपडे पहन कर सोने का नाटक करने को बोला और मै भी अपने खडे लंड पर लोवर पहन कर दरवाजे तक गया और दरवाजा खुला तो जो सामने दिखा उसकी इस समय होने की उम्मीद मैने नही की ।
सामने कोमल खड़ी थी और अंदर झाक कर एक बार बेड पर देखा तो गीता बबिता उसे सोती हुई नजर आई ।
फिर मेरी नजर मुझसे मिली तो
मै - अरे कोमल तुम यहा इस वक्त
कोमल मुस्कुरा कर - हा वो कोई था नही कमरे मे सोचा देखू तुम क्या कर रहे हो ।
मै दरवाजा खोला और उसको कमरे मे आने का इशारा कर दरवाजा बंद करते हुए बोला - क्या हुआ कोमल तुम्हारी मा कहा गयी ।
कोमल - वो मा किसी से बात करने के लिए छत पर गयी है तो मै अकेले क्या करती
मै एक नजर गीता बबिता को देखा और फिर कोमल को देख कर मुस्कुराते हुए - कोई बात नहीं कोमल आओ बैठो यहा
मैने कोमल को बेड के सामने सोफे पर बैठने को कहा
वो बैठी और मै उसके सामने बेचैनी से टहल रहा था क्योकि मुझे डर था कही गीताबबिता के सामने कोमल कोई गड़बड़ ना करे
कोमल - क्या हुआ राज तुम ऐसे घूम क्यू रहे हो बैठ जाओ
उसकी आवाज सुन कर मै उसकी तरफ घुमा तो उसकी नजर मेरे लोवर मे तने हुए लण्ड पर गयी ,,,
कोमल मुस्कुरा कर - वैसे क्या कर रहे थे जनाब अकेले मे जो ये फिर से ,,, मेरे लण्ड की तरफ इशारा किया
मै हड़बड़ी मे बार बार गीता बबिता को देख कर वो वो करने लगा
कोमल - अरे रिलैक्स राज वो सो गयी है ना , बताओ
मै - हा वो मै रोज रात मे इसकी मालिश करता हू ना इसिलिए
कोमल मुह पर हाथ रख कर मुस्कुराते हुए बोली - अरे बुधु तो इतना संकोच मे क्यू बोल रहे , अभी थोडी देर पहले तक तो मेरे से खुल कर बाते कर रहे थे और अगर मालिश की बात थी तो मुझसे कह देते ना तुम
मै कोमल की बाते सुनके परेशान था कि क्यू ये यहा आई और इसको कूछ गडबड़ करने से कैसे रोकू ,, कयोंकि अगर गिता बबिता को भनक लग गयी तो वो अपनी बेवकूफ़ी मे उसका क्या मतलब निकालेगी वो तो राम ही जाने
मै इस सोच मे डुबा था की कोमल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिस्तर पर बिठाया और मुझे रिलैक्स करते हुए - अरे तुम परेशान ना हो वो दोनो सो गई है ।
मै - हम्म्म्म्ं
कोमल - राज मुझे तुमसे कुछ कहना है
मै बार बार गीता बबिता को देख कर बस हू हा हम्म्म यही जवाब दे रहा था
मै - हा बोलो ना कोमल
कोमल - मै सोच रही थी कि क्यू ना घर जाने से पहले हम लोग यहा एक बार और मस्ती कर ले
मै हड़बड़ी मे - क्या क्याआआआ कह रही हो कोमल तुम ,,और कोमल को बिस्तर पर सोयी गीता बबिता की तरफ इशारा करते हुए बोला
कोमल - मै वो सब अभी नही चाहती हू राज , मै तो बस
मै - हम्म्म्म क्या
कोमल शर्मा कर - मै तो बस तुम्हारे मुसल को एक बार और प्यार करना चाहती हू
मै कोमल को बिस्तर पर इशारा कर - यार कोमल समझो तुम हम घर पर भी कर सकते है और वो फिर मुझे तुम्हारा वो घर का काम करना ही है तो प्लीज
मै प्लीज प्लीज करता रहा लेकिन कोमल ने मेरी एक ना सुनी और फर्श पर घुटनो के बल आ कर मेरे लण्ड को मेरे लोवर से बाहर निकाला और चूसना शुरू कर दी ।
मै एक बार फिर से हवा में तैरने लगा,,,फिर मेरी नजर बिस्तर पर गयी तो मेरी जुबान बाहर आने वाली स्थिति थी क्योकि इस समय गीता करवट लेके कोमल को मेरा लंड चुस्त्र देख रही थी जबकि बबिता गिता के कन्धे के सहारे आगे होकर मुझसे इशारे मे बोल रही थी की ये सब क्या है ।
मै दोनो को चुप रहने का इशारा करते हुए आंखे मूंद लिया क्योकि कोमल मेरे सुपाड़े को अपने गले में लटकती घंटी से टच करवा रही और सुउउउरररररररुउउऊप्प्प्प सुउउउईयररररुउउईप्प्प करके मेरे लण्ड को चुस रही थी ।
मै इक बार फिर से हवस की उचाईयो को छूने लगा । और कोमल का सर पर हाथ फेरते हुए उसे और जोशिले व्यंग्य से लण्ड की तरफ दबाने लगा तभी दरवाजे पर एक और खट खट हुई ।
गीता बबिता झट से वापस से सोने का नाटक करने लगे । यहा मेरी और कोमल की स्थिति ऐसी की काटो तो खून नहीं वाली थी ।
कोमल ना चाहते हुए भी मेरे लंड से अलग हुई
कोमल हड़बड़ी मे - क्क्काआआऔनन होगा राज
मै - कही तुम्हारी मा तो नही ना गयी तुमको खोजते हुए
कोमल सहम गयी क्योकि इत्नी रात मे मेरे साथ बंद कमरे मे
डर तो मुझे भी था
मै - कोमल तुम जल्दी से बेड के निचे घुस जाओ मै देखता हू कि कौन है ।
कोमल जल्दी से बेड के निचे गयी और मै वापस से अपनी मरियल किस्मत को कोसता हुआ गीले लंड पर लोवर चढ़ा कर चल दिया दरवाजा खोलने
देखते हैं दोस्तो अब क्या नये हंगामे होने वाले है ।
पढकर अपनी राय जरुर दे
आपके हिसाब से दरवाजे पर कौन हो सकता है ।
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