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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Update 40

शाम को 5 बजे मेरी नीद गीता बबिता के शोर मचाने के खुली । आंखे खुलते ही वो दोनो मेरे अगल बगल बैठी दिखी और मुह पर हाथ रखे हस रही थी ।
मुझे अजीब लगा कि इन लोगो को क्या हुआ जो ये ऐसे ह्स रहे है ।
मै थोडा सा झिजक कर - क्या हुआ गुडिया क्यू हस रही हो ।
बबिता हस्ते हुए - भईया अपना चेहरा तो देखो
मैने तुरंत हडबडी मे मोबाइल निकाला और उसमे कैमरा खोला तो देखा कि मेरे माथे पर बिन्दी , मेरे दोनो गाल पे बिन्दी और तो और मेरे ठुडी पर 3 बिन्दी लगी थी । मुझे मेरा चेहरा देख कर खुद हसी आ गई ।
गीता बबिता भी खुब तेज तेज हस रही थी ।मैने जल्दी जल्दी सारे बिन्दी उतार दी ।
गीता - हिहिहिह भैया सिर्फ इतना ही नही और भी है खोजो खोजो ।

मै अचरज से - और कहा है दिख नही रहा
बबिता - वो आप खोजो भईया
मै - ठीक है रहने दो मै खोज लूंगा अब जाने दो मुझे फ्रेश होना
गीता - हा हा जाओ जाओ बाहर बुआ लोग नाना सब देख कर आप पर हसेन्गे हिहिहिहिह
मै गीता तो पकड़ा और लिटा कर उसके पेट मे गुदगुदी करने लगा और वो छटपटाने लगती है जिससे दो तीन बार मेरी उंगलिया उसके मुलायम चुचियो को छू जाती है ।
मै उसे गुदगुदाते हुए - अब बताओ कहा कहा लगाया है तभी छोड़ूंगा तुझे
गीता - हा हा हा हा हा हा हा हा हा अरे भईया रुको तब हिहिहिहिही ना बता हहहहहहाहह ऊंगी हाह्हाहाहाहाहाह्हा
मैने उसे छोड दिया
गीता हाफ्ते हुए - ह्य्य्य्य मै तो मर ही जाती
मै - जल्दी बता नही तो तेरा गला दबा दूगा और सारा प्यार बस गुडिया को मिलेगा ,,,,ये बात मैने उसके गले को दोनो हाथो मे हलका सा पकड कर की
गीता उस्मे भी हस्ने लगी और बोली - भईया प्लीज छोडो ना हिहिहिही बहुत गुदगुदी लग रही है ,, मै बता रही हू ना
मै उसे छोड़ते हुए - हा चल बता
गीता - अपना टीशर्ट उठाओ
मै अपना टीशर्ट उपर किया तो मेरे नाभि के चारो तरफ 5 6 बिंदीया चिपकी
मै गिता को घुरते हुए सारे निकाल दिये
बबिता हसे जा रही है थी ।
मै - अब हो गया ना चलो अब जाने दो
बबिता - अभी कहा भईया अभी भी बाकी है हहहहहहा
मैने तुरंत बबिता की कमर को पकड़ा और चींटी काट लिया
बबिता - अह्ह्ह्ह भैया क्या करते हो दर्द होता है न
मै - चल बता और कहा है नही तो इस बार दाँत लगा कर काटूंगा ।
बबिता थोदा शर्माते हुए - भक्क भैया मै नही ब्ताऊगी आप जाओ बाथरूम मे देख लेना
गीता - मैने बोला था ना वहा मत लगा ,,, अब बता ना क्यू हिहिहिही
बबिता - तू चुप कर सब तेरी वजह से शुरू हुआ
गीता - मै तो बस शुरू किया ना जगह तो सारी तुने चुनी ना
मै उन दोनो को झगड़ते देख बोला
मै - अरे तुम दोनो शांत रहो और ब्तओगी की कहा लगाया है आखिरी बिन्दी
बबिता - भईया आप प्लीज बाथरूम मे जाकर देख लो ना मिल जायेगा
मै - नही तुम लोगो ने बहुत शरारत कर ली अब तुम ही बताओगी की कहा लगायी हो
गीता चहकते हुए - भईया मै बताऊ
बबिता - नही गीता ,, नही तो जान ले मै भी वो ब्ता दूँगी जो तुने किया था ।
गीता झेपते हुए - सॉरी भैया फिर मै नही बताने वाली हिहिहिही

मैने सोचा ये लोग ऐसे नही मानने वाले मुझे ही कुछ ड्रामा करना पडेगा ।

मै ठीक है मत बताओ मै खुद ही जाकर बाथरूम मे सीसे मे देख लूंगा,, लेकिन अब तुम लोग अब मुझसे बात मत करना कभी ,, मैने झुटमुट का गुस्सा करते हुए उठा और बिस्तर से उतरने लगा ।

तभी गीता बबिता एक साथ बोली - नही भैया प्लीज ऐसा मत करो हम बताते है ना
मै एक कातिल मुस्कान से घुमा और उन्के सामने फिर अपना चेहरा सीरियस कर लिया और बिस्तर एक बगल मे खड़ा हो गया जबकि वो दोनो बैठी ही थी ।

मै - ठीक है बताओ लेकिन एक शर्त है उसे तुम लोग ही निकालोगे
बबिता - क्या , नही नही नही भैया हम बता देते हैं आप निकाल लेना जैसे बाकी सब निकाले
मै - लगाया तुम दोनो ने ही था ना तो निकालोगे भी तुम ही
गीता - मैने नही सिर्फ़ बबिता ने भैया
बबिता - और तुने जो किया वो
मै - ठीक है फिर बबिता बिन्दी निकालेगी और गीता ने जो किया वो मेरे सामने फिर से करेगी , हिसाब बराबर
गीता चौकते हुए - नही नही भईया प्लीज
बबिता हस्ते हुए - अब मज़ा आयेगा बहुत हसी आ रही थी ना तुझे ।

मै थोडा कडक होकर - वो सब छोडो और जल्दी से बताओ कहा है और उसे निकालो
गीता बबिता मेरे बातो से सहम गयी और डर हिचकिचाहत उन्के चेहरे पर साफ दिख रहा था ।
मै अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था कि ये लोग डर गयी है। हालांकि मै होने वाले रोमांच से अंजान था । मेरे लिए वो बचपन की दो छोटी छोटी गुडिया जैसी ही थी , लेकिन आने वाले पल मे मुझे उनके बडे होने और जवानी में कदम रखने का आभास होने वाला था ।
मैने वापस से बबिता को बोला - गुडिया जल्दी करो मुझे फ्रेश होने जाना है
वाकई उस समय मे मुझे पेशाब ल्गा था लेकिन इत्ना भी तेज नही की कण्ट्रोल ना हो ।

बबिता सहमे हुए मेरे पास आई और घुटने के बल बिस्तर पर बैठ गयी और कान पकड कर बोली - भैया आप प्लीज गुस्सा ना होना
मै थोदा सा नाटक करते हुए तेज आवाज मे - हा ठीक है पहले निकालो कहा लगाया है
बबिता - वो आप अपना लोवर निचे करो
मै चौकते हुए सोचने ल्गा कही इसने मेरे ... नही नही ऐसा नही होगा ये लोग बदमाश है लेकिन ऐसी शरारत नही ,,, ये सब सोच कर मेरे लण्ड मे उभार उठने लगा
मै - लोवर क्यू
बबिता - आप निकालो ना
फिर मैंने लोवर को जांघो तक किया और मेरा अंडरवियर दिखने लगा साथ मे मेरे लण्ड की मोटाई का उभार भी ।

बबिता - अब ये भी निचे करो
मै समझ गया कि जरुर बबिता ने शरारत मे मेरे लण्ड पर बिन्दी लगा दी है
मै - ये तू क्या कह रही है और कहा पे लगा दी है बिन्दी ,, मुझे नँगू पँगू करोगी क्या हिहिहिही
बबिता मुझे हस्ता देख थोड़ी नॉर्मल हुई

बबिता - वो बिन्दी निकालने के लिए आपको नँगू पँगू होना पडेगा ,,इसिलिए तो बोली ना मै कि आप बाथरूम मे जाकर देख लो
मै - ठीक है कोई बात नही अब जान गया हू तो खुद ही निकालो
ये सोच कर की बबिता ने मेरे लण्ड पर बिन्दी लगायी है और वो उसे मेरे सामने निकालेगी ,,मेरा लण्ड और टनटना गया
बबिता शर्माते हुए - हा लेकिन आप पहले ये नीचे करो ,,मेरे अंडरवियर की तरफ इशारा करते हुए बोली
मै भी एक नजर गीता और बबिता को देखा वो अब मुझे बचपन की कोई गुडिया नही दो जवान होती माल नजर आने लगी थी ।
फिर मैने अपना अंडरवियर भी निचे घुटनो तक कर दिया जिससे मेरा लण्ड फुदक कर एक सीध मे बबिता के सामने कडक होकर खड़ा हो गया ।

गीता और बबिता आन्खे फाडे मेरे लण्ड को निहारे जा रही थी ।
गीता - इतना बड़ा ,,,,
जैसे ही मैने गीता की आवाज सुनी मुझे थोदा खुद पर गर्व हुआ और उसकी तरफ देखा तो वो मुझे देख कर शर्मा गयी ।
फिर मै - कहा है बिन्दी गुडिया यहा भी नही दिख रहा है
बबिता - भईया वो आप अपना ये उपर उठाओ ,, उसके निचे चिपकाई हू ताकि आप खोज ना पाओ

मुझे खुशी हो रही और थोडा सा नशा भी की मेरी दो जवान होती बहनों ने खेल खेल में ही बहुत आगे आ चुकी थी
मै - नही मै नही कुछ करने वाला ,तुमने लगाया है तुम्हारी सजा है कि तुम खुद निकालोगी

बबिता सहमी सी थी और मै नाराज ना हो जाऊ इसिलिए उसने अपने नाजुक हाथो से मेरे लण्ड को थामा और उपर की तरफ उठा दिया ,,, बबिता के कोमल हाथो का स्पर्श अपने लण्ड पर पाते ही मेरे लण्ड का बचा कुछ हिस्सा भी पुरे जोश मे फड़कने लगा ,,,फिर बबिता ने मेरे लण्ड और आड़ो के बीच से एक छोटी से बिन्दी को निकाला और खुश होते हुए बोली - हो गया भईया ये रहा हिहिहिही , और मेरे लन्ड़ को छोड दिया जो काफी समय तक हिलता रहा ,,इस दौरान गीता लगातर मेरे खड़े लण्ड पर नजरे बनाये हुई थी ।

मै - हम्म्म चलो ठीक है हो गया ,,अब आगे से ऐसी बदमाशि मत करना ठीक है ,अब मै जा रहा हू फ्रेश होने

बबिता - अरे भईया ऐसे कैसे ,, मुझे सजा दी और गीता को क्यू नही ।

मै - अब उसने क्या किया था
बबिता - उसने तो .... आप इसी से पुछो हिहिहिही
मै - मीठी चलो बताओ अब तुमने क्या किया था
गीता तो मानो मेरे खड़े लण्ड मे खोयी हुई थी और मेरे पूछने का इन्तेजार कर रही थी ।
गीता - भईया वो मै कैसे बताऊ
मै - बता नही सकती तो कर के दिखा दो और तुम्हारी सजा भी पूरी हो जायेगी ,क्यू गुडिया
बबिता ह्स्ते हुए - हा भैया सही कह रहे हो आप इहिहिहिही
मै - चलो मीठी
मेरे इतना कहते ही मीठी घोड़ी बनकर बिस्तर पर से चलते हुए मेरे खड़े लण्ड के सामने आई और अपने मुलायम होठो को सिकोड़ कर मेरे लण्ड सुपाडे को चूम लिया ।

मै शौक मे आ गया कि मै जिन्हे नादान समझ रहा था वो दोनो कीतनी आगे निकली ।
गीता के मुलायम चुम्मी का अह्सास से मुझे बहुत शुकून मिला लेकिन साथ मे नशा भी होने लगा । मैने सोचा अगर ये लोग ऐसी है तो क्यू न थोडा बहुत इनसे मज़ा लू , लेकिन यहा नही बाहर टयूबवेल जहा कोई ना हो ।

मै थोडा नाराज होते हुए अपना अंडरवियर और लोवर उपर कर लिया और बोला - मीठी ये सब क्या है तुम दोनो बहुत बिगड़ गयी हो

गीता मायूस सा मुह बना कर - सॉरी भैया वो आप सो रहे थे तो ये भी सो रहा था और जब बबिता ने आपके वहा पे बिन्दी लगायी तो ये बहुत प्यारा दिख रहा था तो मैने उसे छोटा बाबू समझ कर किस्सी कर लिया ।

बबिता - हा भैयया प्लीज नाराज ना हो
मै - तुम लोगो ने जो किया उसकी सजा अभी और मिलेगी ,
गीता बबिता - क्या अभी और लेकिन क्या
मै - वो तो बाद मे दूँगा लेकिन अभी मेरा गुस्सा कम करना है तो मुझे कही घुमाने ले चलो ।

गीता बबिता एक साथ खुश होते हुए कहा- ठीक है भैया
गीता - चलो आज हम आपको हमारे फेवरिट ट्यूबवेल पर ले जायेंगे इहिहिहिही
बबिता - हा भैया बहुत मज़ा आयेगा ।

मै - ठीक है मै जा रहा हू फ्रेश होने तब तक तुम दोनो तैयार हो लो
गीता - हा ठीक है हमे 20 मिंट लगेगा
मै -20 मिंट क्यू
बबिता - अरे भैया वो हम कपडे लेके जाते है ना वहा हीहीहि
मै - ठीक है जल्दी आओ तुम सब
फिर वो दोनो फुदकते हूए बाहर निकल गयी और मै भी मन मे इन दोनों से मज़े लेने का प्लान बनाते हुए बाथरूम मे गया और फ्रेश हुआ और अपने कमरे मे गया , जहा मा और मौसी दोनो साथ मे सोये थे । मा मौसी की तरफ पीठ करके सोयी थी ।
मै मौसी को देख कर उत्तेजित हो गया और धीरे से दरवाजा बंद करके मौसी के पास लेट गया ।
फिर मैने मौसी की तरफ करवट ली और सारी का पल्लू उनके उपर से हटा दिया ,और ब्लाउज मे कसी हुई चुचिया देख कर मेरे मुह और लण्ड दोनो मे पानी आ गया ।

फिर मैने मुह खोला और ब्लाऊज के उपर से एक चुचि को मुह मे भर कर हल्के दाँत से काटने लगा और ब्लाऊज पर से ही जीभ लगा कर ब्लाउज गिला करने लगा ।
इतने से मेरा मन कैसे भरता
और मै मौसी के कन्धे के बगल मे घुटने के बल आया और लोवर अंडरवियर साथ मे निचे कर लण्ड को मौसी के मुह के सामने हिलाकर खड़ा करने लगा ,,,कुछ ही पलो मेरा लण्ड टनटना गया और मैने लण्ड को खोल्कर सुपाडे को मौसी के नाक के ठीक नीचे रखी जिससे मौसी को मेरे लण्ड की खुस्बु मिले और वो उत्तेजित हो जाये ,,और हुआ भी यही कुछ ही सेकण्ड मे मौसी के चहरे के भाव बदलने लगे और सांसे भारी होने लगी , ज्यादा सांस लेने के लिए अब वो हल्का हल्का मुह खोलकर सांसे भर रही थी ,, मै इसी मौके की तालाश मे थे और लण्ड को उथा कर अब मौसी के मुलायम होठो पर रगड़ने लगा ,, मेरा सुप्पडा अब मौसी के दोनो होठो के बिच मे था और मौसी के मुह की गरम सासे उसे पिघलाने लगी। ऐसे मे जब मौसी से बरदास्त मा हो सका तो उनकी आंखे खुल गयी और मुझे मेरा लण्ड उन्के मुह पर रगडता देख कुछ बोलती उससे पहले मैने अपने मुह पर उंगली रख मा की तरफ इशारा किया जो मौसी की तरफ पीठ किये करवट ले कर सोयी थी ।
फिर मैने लण्ड को उन्के मुह से हटाया और एक जोरदार किस्स मौसी के होठो पर किया जिसमे मौसी ने भी मेरा साथ दिया । फिर मै उठा और वाप्स उसी पोजीशन मे आकर लण्ड को मौसी के मुह के उपर रख दिया और मौसी ने बिना कुछ बोले मेरी आँखो मे देख्ते हुए मुह खोलकर जीभ निकाली और मेरे सुपाडे को चाट लिया ,,,

अह्ह्ज्ज पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ गयी
मैने अपना कमर आगे किया जिससे मेरा लण्ड एक सिरे से मौसी के होठो के बिच से होता हुआ आड़ो तक गया ,,, और मौसी ने एक हाथ से मेरे लण्ड को थामकर उसकी चमडी आगे पीछे करने लगी और जीभ निकाल कर मेरे आड़ो को चाटने लगी।
अब मेरे चेहरे के भाव बदलने लगे थे, मै आखे बंद किये मौसी की कलाबाजी का आनन्द लेने ल्गा ,,,हल्की सिस्किया आने लगी ,,, जिसका पता मौसी को भी था क्योकि मै मेरे लण्ड पर पडने वाले हर अह्सास से सिस्क पडता और मेरे एक हाथ मे कैद मौसी की चूचि दब जाती ,,,जिससे मौसी उत्तेजित होकर मेरे आड़ो को मुह मे भर कर और जोर से चुस्ती

अब ये recycle बन गया था कि जब जब मौसी मेरे आड़ो पर जोर डालती तब तब मै उसकी चुची मिज देता और वो वापस से मेरे सुपाडे पर चमडी आगे पीछे किये मेरे आड़ो को चुस्ती रहती ।
फिर मै खुद पीछे हुआ और लण्ड को उन्के होठो पर वापस ले गया और इस बार मौसी खुद एक कोहनी के सहारे करवट लेकर मेरे लण्ड को चूसने लगी । अब मेरे दोनो हाथ उन्के बालो पर आ गये और मै खुद उनका सर लण्ड पर हल्का दबाता जिससे वो गले तक मेरे लण्ड को ले जाती । बिच बिच मे मौसी मेरे लण्ड को थाम कर उसके सुपाडे पर जीभ नचाती जिससे मेरा रोम रोम में सिहरन होने लगती और मेरी सारी पकड कमजोर होने लगती थी ,,,ऐसे ही 10 मिंट की जोरदार चुसायि के बाद मेरा आखिरी पड़ाव आ चूका था और मौसी के मुह लण्ड कसने लगा ,,, 10 मिंट की लागातार मुह पेलाई से मौसी के मुह की लार गाढी हो गयी थी और मेरा पुरा लण्ड उससे लिपट गया था । आखिरी समय मे मैने मौसी का सर पकड़ा और तेज़ी से उन्के मुह में पेलने लगा जिससे मेरे हर धक्के के साथ मुह से गुउउउक्क्क गुउउउक्क्क्क की आवाज आने लगी और 12 15 झटको मे मै मौसी के मुह मे झड़ने लगा ,,, लेकिन मौसी तो मानो इसी के इंतेजार मे थी जैसे ही मेरा झड़ना शुरू हुआ वो मेरी कमर को खिच कर पुरा का पुरा लण्ड मुह मे भर लिया और मेरा सारा माल मौसी के गले मे गिरने लगा फिर मौसी ने मेरे लण्ड को बाहर निकाल कर अच्छे से साफ करके छोड दिया और सीढ़ी लेट गयी।

मै भी थक कर टेक लिये वही बैठ गया । फिर एक नजर मा की तरफ देखा तो वो वैसे ही करवट लिये सोयी हुई थी ,, फिर मेरी नजर मौसी पर गयी तो वो अपने मुह पर लगे मेरे माल की उंगली से साफ कर चाट रही थी । मुझे मौसी को देख कर बहुत प्यार आया और मैने उन्के सर पर बहुत प्यार से हल्के हाथो से हाथ फेरते मुस्कुरा कर उनको देखने लगा ,,, बदले मे मौसी मे नजर उपर की और मुझे उनको दुलारता देख वो वाप्स से मेरी गोदी मे आकर मेरे लण्ड को चूम लिया और वापस से वही लेट गयी ।
मै भी थोडी देर आराम किया और तभी गीता बबिता दरवाजे पर आकर मुझे आवाज देने लगी । फिर हमने जल्दी जल्दी अपने कपड़े ठीक किये और फिर मै उठ कर दरवाजा खोल्ने गया ,,फिर वो दोनो तेज आवाज मे बोल्ने लगी - चलो ना भैया देर हो जयेगा नही तो
मा - कहा जा रहे हो तुम लोग अभी
मै मा की आवाज से थोडा चौका शायद गीता बबिता की शोर गुल से उठ गयी हो
गीता - बुआ हम लोग जा रहे भैया को घुमाने आप भी चलो ना और आप भी बड़ी बुआ

मौसी - अरे नही नही बेटा तुम लोग जाओ अभी तुम्हारे बबा की तबियत नही ठीक है कोई तो होना चाहिए ना देख्ने के

अब चौकने की बारी मेरी और मा की थी
मा थोड़े फ़िकर मे - क्या हुआ दीदी बाऊजी
मौसी मुस्करा कर लेकिन आँखो से इशारे करते - अरे डरने की बात नही छोटी सब ठीक है ,,तुम लोग जाओ बच्चो कोई टेनशन ना लेना और राज इन दोनो का ख्याल रखना
बबिता - ठीक है बुआ हम दोनो भैया का ख्याल रखेंन्गे हिहिहिही

मा - बदमाश अब जाओ और जल्दी घर आजाना
गिता बबिता - जी बुआ ,,,चलो भैया
फिर मैं उन लोगो के साथ निकल गया खेतो की तरफ

अब देख्ते है आने वाला पल क्या नये रोमांच लाने वाला है राज के लिए ... दोस्तो कहानी कैसी चल रही है जरुर बताये ।
 
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