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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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सभी बड़े बुजुर्गो एवं बाल गोपापाठकों को होली की हार्दिक शुकानाएं
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अपने लाड़ले भतिजे अमन की शादी होने की खुशी मे आपकी अपनी संगीता बुआ के तरफ से सप्रेम भेंट
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Last edited:

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Update 39

अब तक

मैने तौलिया उतार कर अपना शर्त निकाल दिया और बनियान भी । जैसे ही मै मोटर चालू करने अंडरवियर मे पाखाने की तरफ लगे स्विच के पास गया कि सामने से एक दरवाजा खुला जिसने से एक खुबसूरत लड्की अपने सलवार का नाड़ा बंधते हुए बाहर निकली ,,,जैसी ही उसकी नजर मुझसे मिली और उसने मुझे अधनंगा अंडरवियर मे पाया वो चिल्ला कर वापस पाखाने मे चली गयी ।

अब आगे
मुझे बड़ा अजीब लगा कि कौन थी जो ऐसे ही बिना बात के अंदर वापस भाग गयी। तभी मुझे अंदर से उसकी आवाज आई ।

लड्की - कौन हो तुम और अंदर कैसे आये
मै - दरवाजे से आया हू और कैसे ,,, और यहा नहाने आया हू तुमको कोई दिक्कत है ,,,

मै इससे पहले कि और कुछ बोल्ता कि रज्जो मौसी आ गई मुझे खोजते लेकिन मुझे बड़बड़ाते हुए देख कर हस्ते हुए बोली
मौसी - अरे राज बेटा यहा किससे बात कर रहा है,,,जल्दी से नहा के आ तेरे नाना इंतजार कर रहे हैं ।
मौसी की बात खत्म हुई ही थी कि फटाक से दरवाजा खुला और वो लड्की चहकते हुए बोली - अरे राज भईया आप हो मुझे लगा कि कोई बाहर का है ।

मै अचरज से - हा मै ही राज हू लेकिन तुम कौन हो
मौसी - धत्त पागल ये बबिता है तेरे मामा की बेटी भूल गया क्या
मै खुश होकर - सच मे ,,अरे वाह्ह्ह मेरी गुडिया तो बड़ी हो गई है अब ,,

बबिता - हा और आप अपनी इस गुडिया को पहचाना ही नही ,,, बस यही प्यार है ना आपका
मै बबिता के सवालो से झेप गया क्योकि गलती मेरी थी कि मै उसे पहचान नही सका लेकिन वो भी तो नही पहचानी

मै - हा तो तू कौन सा अपने राजा भईया को पहचान ली
बबिता - सॉरी भईया वो आप बहुत साल बाद आये है ना पुरे 4 साल हो गए तो कैसे पहचानती

मौसी - अरे तुम लोग बाद मे बाते करना ,,राज तू जल्दी से नहा ले और बबिता तू मेरे साथ चल छोटी ( मा ) खोज रही है तुझे

बबिता चहकते हुए - क्या छोटी बुआ भी आई है ,,चलो बुआ चलते है ,,और भईया आप जल्दी से आजाओ नहा कर हिहिहिही

फिर मै जल्दी से नहा लिया और अपना कच्छी बनियान लेके पीछे वाली सीढ़ी से तौलिया लपेटे छत पर चला गया ।
मै जैसे ही पीछे के सीढ़ी से उपर आया मुझे एक लड्की शर्ट स्कर्ट पहने खड़ी दिखी जो हाथ मे मिठाई का डब्बा लिये बाहर वाले जिने की तरफ ताक झाक करते हुए मिठाई खा रही थी । मुझे तुरंत पता चल गया कि ये गीता ही होगी , क्योकि उसकी बचपन की आदत थी मीठाई खाने की इसिलिए मै उसे प्यार से मीठी बुलाता था ,,, इस वक़्त मै गीता के पीछे था तो दूर से वो एक साधरण लड्की ही लग रही थी । मैने सोचा क्यू ना उसको सरप्राइज दू चुपके से
इसी लिये मै कपडे डाल कर दबे पांव गीता के पीछे पहुचा ,, अन्त तक मेरी आंखे सिर्फ गीता की नजरो पर थी लेकिन जैसे ही मैने उसको पीछे से अपनी बाहो मे भरा उसकी गदरायी उभरती जवानी का अंदाजा मुझे हो गया था और उसके उभरे गाड़ मेरे जांघ पर लग गये मेरे नंगे सीने से उसकी मुलायम पीठ ,, मेरे हाथो मे उसका नरम पेट ,, लेकिन मेरे ऐसे पकडते ही वो अपनी कोहनी से मेरे पेट पर एक जोर का वार करती है और मै मीठीईईई मै हूउउउऊ कहते हुए वही बैठ गया

जब गीता मेरे मुह से मीठी शब्द सुनती है तो वो समझ जाती है कि ये उसका राज भईया था
गीता दुखी होकर मेरे कन्धे पकडे हुए उठाती हुई - सॉरी सॉरी भईया मुझे नही पता था आप हो

तब मेरी नजर मेरी मासूम छोटी बहन पर जाती है उसको सामने से देखता हू तो उम्र के हिसाब से उसकी चुचिया बबिता के मुकाबले ज्यदा थी । एक तरफ बबिता के मम्मे छोटे मौसमी जैसे थे वही गीता भरी बदन वाली थी और उसके दूध हापुस आम जैसे शर्त के उपर से दिख रहे थे ।

गीता - प्लीज माफ कर भईया ना प्लीज
मै मुस्कुराते हुए- अरे मेरी मीठी मै तुझसे गुस्सा थोदी ना हूगा ,,, अगर तुम अपने भैया को मीठी मीठी पप्पी दोगी तो हाहहाहहा

गीता शर्माते हुए - क्या भईया आप भी अब मै बड़ी हो गई हू ना
मै - तू और बबिता मेरे लिये हमेशा मेरी गुडिया रानी ही रहोगी ,,, बुढ़ढी हो जाओगी और दाँत गिर जायेन्गे तब भी
हिहिहिहिही

गीता खिझते हुए - भैयाआआ भक्क्क चिडाओ मत हा नही तो
मै - तो लाओ मेरा मीठी,, ये बोल कर अपना एक गाल उसके आगे किया और वो गीता ने भी बचपन की तरह मेरे चेहरे को पकड़ा और गालो को चूम लिया

मै- थैंक्स मेरी मीठी ,,चल अब निचे चले
गीता - हा चलो
फिर हम दोनो निचे आये और मै अपने कमरे मे गया
मैने मेरे बैग से एक टीशर्ट और लोवर निकाला । उसे पहन कर बाहर आया और सबको खोजने ल्गा कि कहा है सब ,, चारो तरफ नजर डाली तो नाना के बगल वाले रूम में कुछ चहल पहल नजर आई तो मै घूम कर बरामदे से होते हुए उसी कमरे के बाहर पहुचा तो कमरा पुरा भरा था । चुकी ये गेस्टरूम जैसा था जिसके एक किनारे एक बेड लगा और ढेर सारे सोफे लगे थे । नाना अक्सर मेहमानों को यही रोका करते थे ।

मै दरवाजे पर पहुचा की मा बोली - कहा रह गया था जल्दी अंदर आ तेरे चक्कर मे सब रुके है ।
मै कमरे मे गया तो नाना बेड पर लेते हुए थे । एक बडे सोफे पर राजेश मामा बैठे थे उन्के बगल मे मेरी दोनो नटखट बहने खड़ी थी ,, मौसी आरती की थाली लिये खडी थी ।

फिर मै जाकर नाना के पैर छुए
नाना - जुग जुग जियो मेरे लाल ,,जरा यहा मेरा शेर ,,अपने नाना के गले नहीं लगेगा
फिर मै मुस्कुरा कर नाना के पास गया और उन्के पेट सोकर उनसे लिप्त गया ,बदले मे नाना ने मेरी पीठ थपथपाइ । फिर मै मामा से मिला

फिर मा ने मुझे मामा के बगल मे ही बिठा दिया और पहले मा और मौसी ने मामा को राखी बांधी,,, फिर मामा ने मा और मौसी को गिफ्ट दिया ।
फिर गीता बबिता आई और मुझे बारी बारी से राखी बांधी ,, फिर मैने उन्हे पापा के कहे अनुसार दो दो हजार रुपये दिये । वो खुशी से मेरे दोनो गालो पर पप्पी देते हुए अपने कमरे मे चली गयी । और हम सारे लोग आपस मे बात करने ल्गे ।
मै - मामा मामी कहा है
मामा - बेटा वो भी अपने मायके गयी है राखी के लिए परसो आयेगी ।
मौसी - चलो सारे लोग खाना खा लो ।
नाना - रज्जो बेटा ,,मेरा खाना तू सबके खाने के बाद मेरे कमरे मे लेटे आना आह्हह थोडी थकान सी है मै पहले आराम करूँगा ।
मा और मौसी मुस्कुरा रहे थे और मै भी जानता था कि वो दोनो क्यू मुस्कुरा रहे थे ।
चुकी नाना का कमरा और गेस्टरूम अगल बगल ही था तो उन कमरे के बीच एक कामन दरवाजा भी था कमरे के अंदर से जिससे एक कमरे से दुसरे कमरे मे जा सकते थे । नाना भी उठे और उसी दरवाजे से अपने कमरे में चले गये और हम लोग खाना खाने किचन मे चले गये । क्योकि काफी बड़ा किचन था और डायनिन्ग टेबल भी वही लगा था । फिर मौसी ने सबके लिए खाना लगाया और हम सब खाना खाने लगे ।
खाने के बाद मामा सबको बोल कर खेत के लिए निकल गये और गीता बबिता भी किचन के काम मे लग गई । वही मै और मा अपने कमरे मे चले गये और मौसी नाना के लिए थाली लगाकर खाना देने चली गयी ।

कमरे मे जाते ही मैने दरवाजा बंद किया और मा को पीछे से हग कर लिया
मा - क्या कर रहा बेटा तू ,,छोड कितनी गर्मी लग रही है दिखता नहीं
मै - तो मै आपके कपडे निकाल दू मा ,, आपको आराम मिल जायेगा हिहिहिह
मा - खुब समझ रही हू कि तू क्यू मेरे कपडे निकालेगा , बदमाश कही का
मैने मा को पीछे से ही उनकी गरदन को चूमते हुए
मै - मा सुनो ना
मा मुस्कुराकर - हा बोल ना मेरा लल्ला
मै - मा क्या अभी नाना मौसी को चोदने वाले हैं,
मा - धत्त पागल वो तो खाना देने गयी है ना
मै - हा तो फिर आप दोनो मुस्कुरा क्यू रहे थे जब नाना ने मौसी को खाना लेकर आने को कहा
मा - तू बहुत ध्यान देने लगा है कि कौन क्या कर रहा
मै - मा बताओ ना क्या सच मे अभी नाना मौसी को चोदेगे
मा हस्ते हुए मुझसे अलग हुई - मुझे क्या पता
मै - तो मै जाऊ पता करने
मा चौकते हुए - तू पागल है ,,कही नही जाना है चल थक गया होगा अब सो जा थोडी देर

मै हस्ते हुए - मतलब मै सही हू मौसी नाना से चूदने ही गयी है ।
मा - हा गयी होगी तुझे क्या चल सो जा अब बहुत कुछ जानने ल्गा है।
फिर मा ने साडी निकाल दी और बिस्तर पर लेट गई ।
मै समझ गया कि मा ऐसे नही मानेगी कुछ सेक्सी सा नाटक करना पडेगा । इसिलिए मै मा के बगल ने लेट कर उनको बगल से हग करते हुए उन्के मुलायम गालो को चूमते हुए
मै - मा सुनो ना
मा आंखे बंद किये मुस्कुरा कर - बोल बेटा सुन रही हू
मै - मा आप कब चुदोगी नाना से ,,,,मा के चुचे ब्लाउज के उपर से सहलाते हुए बोला
मा थोडी झिझ्की फिर बोली - इत्ना आसान नही है बेटा , मै कोई रन्डी नही हू जो चुत खोले उनका लण्ड लेलू ।

मै - मा आप मौसी से बात करके कुछ प्लान करो ना
मा - हम्म्म्म ठीक है बेटा आज रात मे दीदी से बात करती हू
मै - तो मै भी सोउँगा आप दोनो के साथ मा
मा - नही बेटा तू कैसे आयेगा ,, वो रात मे तो राजेश रहेगा ना
मै खुश होते हुए - क्या सच मे आप मौसी और मामा बचपन की तरह आज रात मे मस्ती करने वाले हो ।

मा - हा बेटा दीदी ने कहा है कि आज बहुत दिनों बाद एक साथ हुए हैं तो क्यू ना
मै - वॉव मा ,,, फिर तो मज़ा आयेगा ,,, मा प्लीज मुझे भी देखना है
मा - लेकिन कैसे बेटा,, मुझे शर्म आयेगी ,, और हम लोग कमरे के अंदर रहेंगे, दरवाजा भी बन्द रहेगा ,,
मै - अच्छा तो क्या मौसी और मामा के कमरे के बीच कॉमन दरवाजा नही है
मा - अरे हा वो है ही
मै खुश होते हुए - ठीक है मा फिर आपलोग मामा के कमरे मे ही जाना और मौसी का दरवाजा खुला रखना
मा - हमम ठीक है चल अब सो जा
मै कैसे सोता एक तो मेरी सेक्सी मा मेरे बगल मे बंद कमरे मे अकेली सोयी है और रात मे होने वाले रोमांच की बाते हो रही है ,,, मै सो जाता अगर मेरा लण्ड नही जागता तो ,,वो तो मा के नंगे पेट और डिप गले वाले ब्लाउज से आधी बाहर निकली चुचियो को देख कर लार टपका रहा था ।
फिर मैने थोदा मा के उपर आकर उनकी बाहर निकली चुचियो को जीभ से गिला करने लगा

मा - इस्स्स क्या कर रहा है बेटा ,,,मै बहुत थक गई हू प्लीज मान जा ,,मै तुझे मना करती हू क्या

मै बुरा सा मुह बना कर - सॉरी मा ,आप सो जाओ
मुझे देखकर मा ने मुझे मुस्कराते हुए सीने से चिपका लिया ,,मेरा चेहरा मेरा नाक मेरे होठ आंखे सब मा की मुलायम गद्देदार चुचो मे समा गयी । मै वापस सर उठा कर अपने होठो से मा के मोटे रसिले होठो को चूसने लगा । फिर अलग होकर मा के माथे को चुमा और उन्के बगल मे लेट गया ।
मा - मेरा बच्चा आजा सो जा
फिर मै वापस से मा को हग करके लेट गया । लेकिन मेरी आँखो मे निद कहा मेरा लण्ड बार बार मुझे नाना के कमरे की तरफ जाने को बोल रहा था क्योकि मा तो कुछ करने देती नही ।

मै सोच ही रहा था ,,, कि मेरा मोबाइल रिंग हुआ और मेंने मोबाईल देखा तो दीदी ने काल किया था ,,तो मै मा को फ्रेश होने का बोल कर निकल गया बाहर और पीछे की सीढ़ी से उपर जीने तक चला गया ।
वहा जाकर मैने दीदी को फोन किया
फोन पर

दीदी - क्या हीरो वहा जाते ही भूल गया मुझे
मै - नही दीदी अभी 3 घन्टे ही तो हुए है घर से यहा आये
दीदी - हा लेकिन मेरे लिए 3 घन्टे भी भारी है ,,तेरी याद तेरे जाने के बाद आ रही है,, घर एकदम काटने को दौड़ रहा है

मै - अच्छा बड़ा प्यार आ रहा है जब घर होता हू तब नही आती याद आपको, तब तो आप दूर भागते हो
दीदी - वो तो बस मेरी जान को परेशान करने का तरीका है
मै - हा तो देखो मुझसे दूर भागने का नतिजा , कैसे तडप रहे हो आप
दीदी - हा भाई अब जल्दी से आजा मै तुझे अपनी बाहो मे भर लू
मै - हा दीदी परसो आ जाउन्गा मै ,,,आई लव यू
दीदी - आई लव यू टू भाई मुआआह्ह्ह्ह
मै - चलो ठीक है मै बाद मे बात करता हु ।
फिर मैने फोन रखा और टहलते हुए सामने छत की रेलिंग पर आ गया ,,, गाव मे सबसे बड़ी छत हमारी ही थी वहा से नजारा हर तरफ कितना मज़ेदार और सुकून भरा था ,, तेज धूप मे मस्त हवा चल रही थी तो कोई दिक्कत नहीं थी खड़े होने मे ,, गाव के बाहर आखिरी छोर पर एक बड़ा सा दो मंजिला मकान था , जहा काफी गाडिया ट्रक लगे थे अनाज लादे मै समझ गया कि वो भी नाना का ही होगा क्योकि और कोई तो है भी उन्के टक्कर का यहा ।
गाव की हरियाली यहा की खुस्बु एक गजब की ताजगी का अहसास दे रही थी और मै ऐसे ही नजारे देखते हुए मेन गेट के बगल की सीढ़ी से निचे उतरने लगा आगन मे काफी काम करने वाले मजदूर थे । मै नाना के यहा की चका चौंध से बहुत प्रभावित था ,,, मै आखिरी सीढ़ी से निचे उतरा तभी मुझे ध्यान आया कि अरे मौसी तो नाना के कमरे मे गयी है कही इन लोगों का कुछ रोमन्च तो नही ना चल रहा है

मै भी एक लम्बी सास भरते हुए इधर उधर देखा और नाना के रूम की तरफ जाने लगा और रूम के दरवाजे के बगल मे लगी चौकी पर बैठ गया जहा गल्ला और रजिस्टर रखा हुआ था ,,और दीवाल से टेक लगा कर बैठ कर मोबाईल निकाल लिया और सारा ध्यान नाना के कमरे में लगा दिया कोई आवाज या कोई सेक्सी सी आह्हह सुनाई दे जाये ,, मगर कारिब दो मिंट तक ऐसा नही हुआ कुछ,,मैने सोचा क्यू ना गेस्ट रूम मे जाकर कुछ जुगाड लगाऊ
मै एक बार इधर उधर देखा और झट से गेस्ट रूम मे घुस गया ,,,, अंदर कूलर चालू था तो मुझे मज़ा ही आ गया थोदा सा खुद को रिलैक्स किया और उस कॉमन दरवाजे के पास चला गया । मैने दरवाजे को बिना छुए उसमे छेद या की-हॉल खोजा कुछ नही मिला । मुझे लगा किस्मत ही खराब है सालि आज एक तो सुबह से खड़े लण्ड ने परेसान किया , और बस मे झटके खाये , फिर मा ने भी कुछ करने नही दिया और अब यहा भी कुछ नही मिलेगा देखने को ।
मै भी सोचा छोडो जाने दो और वही गेस्ट रूम मे मोबाईल चलाते हुए सो गया ।

देखते हैं दोस्तो आने वाले अपडेट मे क्या बाते सामने आने वाली है ।
 
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