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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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सभी बड़े बुजुर्गो एवं बाल गोपापाठकों को होली की हार्दिक शुकानाएं
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अपने लाड़ले भतिजे अमन की शादी होने की खुशी मे आपकी अपनी संगीता बुआ के तरफ से सप्रेम भेंट
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Last edited:

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Update 29 (( MEGA ))

अब तक :

लेकिन एक रात हम दोनो पकडे गये उस रात मै बाऊजी के कमरे के बाहर दीदी को खड़ी करके अन्दर की चुदाई देखते हूए उनकी चुचिया चुस रही थी और उस रात राजेश उठा था पेसाब करने के लिए,, और उसकी नजर हम दोनो पर पड गयी फिर वो उसी समय हम दोनो के पास आया और

राजेश - क्या कर रहे हो आप दोनो ये
उस समय राजेश बड़ा हो चुका 9वी मे पढ्ता भी था। उसे भी सेक्स के बारे मे सब पता था ,,, उसके आने से हम लोग बहुत डर गये थे लेकिन जब मैने देखा कि राजेश एक टक दिदी की नंगी चुचिया देखे जा रहा है तो मै समझ गई इसको भी अपने खेल मे मिलाना पडेगा नही तो ये कल को कुछ कह ना दे ।

फिर मैने थोडी सोचा फिर दीदी और राजेश को पकड कर कमरे मे ले गई ।

अब आगे
राजेश - दीदी आप लोग ये क्या कर रहे थे ,,, घर मे कोई देख लेता तो

रगिनी - देख राजेश तू ये बात किसी को नही कहेगा ठीक है नही तो हमारे ही घर की बदनामी होगी और तू चाहता है कि ऐसा हो

राजेश - मै क्यू चाहूंगा दीदी ,,, लेकिन मेरा क्या फायदा आप लोग तो फिर भी मज़े लोगे ना

मै समझ गई कि राजेश भी हमारे साथ मज़े करना चाहता है तो मैने दीदी के पास गई और उनके कान मे

रागिनी - दिदी क्यू ना इसको भी शामिल कर ले ,, आपको भी तो एक लडके की तलाश थी और घर की बात घर मे रह जायेगी

रज्जो - तु पागल है क्या वो हमारा छोटा भाई है रे ,,, मै कैसे करूंगी ,,,तेरे साथ फिर भी ठीक था लेकिन

रागिनी - आपके लेकिन लेकिन के चक्कर मे हम दोनो पिटे जायेगे दीदी,,,
रज्जो - तू समझ नहीं रही है रागिनी ,, लड़को को उंगली पकडओ तो वो हाथ पकड लेते है ,,,अगर मै राजेश के साथ मज़े लुन्गी तो वो आगे भी बढ़ेगा और ऐसे मे हम लोग उसे मना नही कर पायेंगे तू समझ इस बात को

रागिनी - दीदी आप बहुत दूर सोच रही हो अभी का देखीये बाद मे कोई ना कोई जुगाड किया जायेगा ।

रज्जो - ठीक है लेकिन पहल कौन करेगा तू बात कर ना

रागिनी - अच्छा तो राजेश तू क्या चाहता है हमसे
राजेश - दीदी मुझे भी आप लोगो की तरह मज़े करना है ,,क्या आप लोग मुझे सिखाओगे

उस दिन राजेश की बातो से लगा कि अभी वो नादान है और हल्के फुल्के मज़े लेना चाहता है लेकिन वही हम दोनो की गलती थी ।
उस रात के बाद रोज रात मे सबके सोने के बाद राजेश हमारे कमरे मे आता और हमारे दूधो से खेलता था ,,, धीरे धीरे वो दिन मे अकेले के समय मे भी दीदी या मुझे किसी कमरे मे ले जाकर मज़े लिया करता था । मगर राजेश को हम दोनो मे से किसी की भी चुत नही मिली हफ्तो तक ,,,जिससे वो हस्तमैथुन करने लगा और एक दिन दिदी ने उसे पकड़ा ,,, फिर ये तय हुआ कि उसकी सेहत का ध्यान दीदी रखेंगी और पता नही कब से दीदी ने मुझसे छिप कर दिन में कभी कभी राजेश का लण्ड चुस कर शांत किया करती थी ।
अब समय बीतने ल्गा और हम तीनो भाई बहन मे हवस समय के साथ और हावी होने लगा ,,,, एक तरफ जहां हम तीनो भाई बहन रोज रात मे एक साथ मजे करते तो दिन में चोरी छिपे दीदी राजेश के लण्ड चुस्ती थी रोज रोज चुचियो के मसलवाने के साथ राजेश की फरमाइशे भी बढ़ती और कभी कभी क्या लगभग रोज ही वो हम दोनो बहनो के चुतदो को भी मसलने ल्गा लेकिन चुत छूने के मामले को लेकर मै बहुत ही सतर्क थी और कभी कभी डांट भी देती थी ।
धीरे धीरे दीदी के बातो मे भी बदलाव आने लगा और वो अक्सर बाऊजी और राजेश के लण्ड को लेकर बाते करने लगी और ऐसे ही एक दिन

रज्जो - छोटी अब मुझे बहुत मन की जल्दी से शादी करने का है । अब और मै ऐसे ही उपरी मज़े ले कर तडपना नही चाहती

मैने भी मौका देख कर दीदी को ताना मारते हुए कहा - क्यू दीदी राजेश का लण्ड काफी नही है क्या जो अब दुसरे लण्ड की जरूरत पड़ गई । मै हमेशा से आपके बताने का इन्तेजार कर रही थी लेकिन आपने तो ब्ताया ही नही और अकेले ही मज़े लेने लगी । क्या इतनी पराई हो गई मै ।

रज्जो - सॉरी छोटी मुझे डर था कि कहीं तू नाराज ना हो जाये ,, मै राजेश की सेहत को लेकर परेशान थी और फिर धीरे धीरे मुझे भी उसके लण्ड की आदत हो गई और अब तो और भी ये इच्छाएं बढ़ती जा रही है । अब तो हाल ये है छोटी की कोई भी लण्ड देखती हूँ तो मुह मे पानी आ जाता है ,,,
रागिनी - इसिलिए इस समय आपको बाऊजी के लण्ड की बात करती रहती है ,,,
रज्जो - हा छोटी सच कहू तो मै बाऊजी के चोदने का अंदाज बहुत पसंद है ,,,,और
रागिनी - और क्या दीदी
रज्जो - मै चाहती हू कि मेरी सील हमारे बाऊजी ही तोड़े
रागिनी - क्या दीदी आप पागल हो ,,बाऊजी कभी नही मानेगे ,,, देखा नही वो मा को इतना चाहते है कि घर मे या खेत में काम करने वाली महिलाओं को एक नजर देखते तक नहीं और तो और सबको ढंग से कपड़े पहनने को भी डांट देते है ।

रज्जो - हा लेकिन समय आने दो मै कोसिश करूंगी और शादी से पहले ही अपनी चुत बाऊजी को दूँगी ।

समय बीता ,, साल भर बाद हमारी मा की खेतो मे सांप काटने से मौत हो गई और हम सब गहरे दुख मे डूब गये हमारे घर सभी नात रिस्तेदार आये और कुछ दिनो मे चले गये लेकिन हमारी सुलोचना बुआ रुक गई ।
बाऊजी के देख रेख के लिए ऐसे ही हफ्ता दो हफ्ता भर बीता तो मा की यादो का बोझ कम हुआ और वापस दीदी का हवस हावी होने ल्गा ,,, और हम तीनो भाई बहन फिर से कामक्रीड़ा मे लग गये क्योकि हमे यही एक मात्र साधन लग रहा था उन दुख भरे पलो को दूर करने का ,,, एक तरफ जहा हम लोग अपनी मस्ती मे थे दुसरी तरफ बुआ बाऊजी की सेवा मे लगी थी दिनरात उन्ही का ध्यान देती थी ।

ऐसे ही एक रात मै और दीदी अपने कमरे मे थे ,,,
रज्जो - छोटी चल ना एक बार पापा के कमरे की तरफ चले बहुत दिन हो गये उनका मोटा लण्ड देखे
रागिनी - क्या दिदी आपको लगता है कि मा के जाने के वो इनसब चीज़ो के लिए सोचेंगे
रज्जो - देख छोटी सेक्स ऐसी लत है अगर रोज की जाय तो वो इतनी जल्दी नही पीछा छोड देगी और तू चल ना क्या पता मा की याद मे लण्ड ही हिला रहे हो ।

रागिनी - क्या दीदी चलो ,, लेकिन वहा हम लोग कुछ करेंगे नही ब्स देख कर चले आयेंगे क्योकि बुआ आई है तो वो कही बाहर ना निकले

रज्जो - हा मेरी बहन अब चल
फिर मै और दीदी चुपके चुपके कमरे से बाहर निकले और धीरे धीरे पापा हम लोग पापा के कमरे की तरफ गये तो अंदर रोशनी थी ,,, मुझे कुछ अजीब लगा और हल्की हल्की सिस्कियो की आवाज आने लगी ,,, मेरे और दीदी के धड़कन बढ़ गई फिर अंदर कमरे मे खिडकी से देखा तो बाऊजी निचे लेटे हुए थे और सुलोचना बुआ उनके लण्ड पर कूद रही थी ।

जो सपने मेरे दीदी देख रही थी वो आज मुझे उससे दूर जाता दिख रहा था
रगिनी - दीदी ये तो बुआ ,, अब बाऊजी से कैसे आप
रज्जो - ये अच्छा है ना छोटी की बाऊजी बुआ को चोद रहे है इसका मतलब वो मुझे भी चोद सकते है ,,,वो मुस्कुराते हुए बोली ।

रागिनी - वो कैसे बुआ के रहते वो आपको क्यू चोदन्गे भला
रज्जो - देख छोटी बुआ वैसे भी ज्यादा समय नही रहने वाली है और एक बार नये चुत की तलब लग जाये तो आदमी को इससे पीछा छुड़ा पाना मुश्किल होता है

रागिनी - दीदी जो आपको सही लगे करो लेकिन मुझे इससे दूर रखना ,,
फिर समय बीता और एक महीने बाद बुआ चली गई और बाऊजी फिर से अकेले पड़ गये और कुछ ही दिनो मे उनकी तबियत बिगड़ने लगी ।

फिर दीदी ने उनका ख्याल रखना शुरू किया और दवाइया देना खाना पीना ,,,,, एक शाम ऐसे ही बाऊजी खेत से वापस आये और दीदी को बोला

बाऊ जी - रज्जो सुन बेटा आज मेरे पैरो मे बहुत दर्द है किसी नौकर को तेल लेकर भेज देना कमरे मे मालिश करने के लिए
उस शाम रज्जो दीदी किसी को ना बोल कर खुद तेल कर गई और करीब डेढ़ घन्टे बाद आई कमरे मे , रात हो चुकी थी । वो बिस्तर पर बहुत आराम से बैठि और उनके चेहरे पर अलग ही भाव थे ।

रागिनी - क्या हुआ दीदी आपकी तबीयत ठीक है ना
रज्जो मुस्कुराए हुए - अब तो एकदम ठीक है छोटी
रागिनी - लेकिन आप ऐसे पैर उठाए क्यू ,,,कही बाऊजी से तो ,,,नही नही नही ,,
रज्जो - हम्म्म्म, और फिर दीदी मेरे गले लग गई ।
रागिनी - लेकिन आप तो मालिश के गई थी ती ये सब कब हुआ और बाऊजी तैयार हो गये


अब आगे कि कहानी रज्जो की जुबानी

रज्जो - वो मै अन्दर गई तो बाऊ जी कुर्सी पर बैठे थे और पैर उठा कर बेड पर रखा था
मुझे देखते ही बोले

बाऊजी - अरे बेटी तुने क्यू तकलीफ की किसी को भेज देती ,,,
रज्जो - क्यू बाऊ जी मै नही कर सकती आपकी सेवा ,,, मै भी तो आपकी अपनी हू

फिर बाऊजी कुछ बोलते उससे पहले मै अपना चुनरि निकाल कर बेड पर रख दिया और बाऊ जी के पैर के पास बैठ गई

मगर जब मैने ऊपर देखा तो बाऊजी एक टक मेरे सूट के दिखते मेरी छातियो के घाटी को निहारे जा रहे थे ,,,मुझे हसी आई और मैने उनको बोला - बाऊ जी थोड़ा धोती ऊपर किजीये

फिर बाऊ जी ने चौके बोले - कुछ कहा बेटी
रज्जो - अपनी धोती ऊपर किजीये आप हिहिहिही
बाउजी ने फिर धोती अपनी जांघो तक चढाई और मैने हल्का सा तेल लिया और पैरो की मालिश करने लगी ।
एक तरफ जहां मेरी नजर बराबर बाऊजी के लंड पर थी जो धोती मे कैद थी वही बाऊजी मेरे रसिले चुचे देख कर उत्तेजित होने लगे ।

बाऊ जी - लगता है अब मेरी बिटिया बड़ी हो गई है क्यू
रज्जो - अच्छा वो क्यू बाऊजी
बाऊजी - अरे बेटी जब बाप के जुते बेटे के पैर मे और मा की चोली बेटी को होने लगे तो समझो बच्चे बडे हो गये हैं ।

मुझे थोडी शरम आई लेकिन फिर भी मैने बाऊजी से पुछा - लेकिन बाऊजी मुझे मा की चोली कहा से होगी

बाउजि - अरे एक बार पहन तो सही बेटी ,,, और फिर मेरे चुचो को घुरने लगे ।
मै चुप रही और मुस्कुराते हुए पैर की मालिश करने लगी फिर एक नजर उनकी धोती पर गया जो उनके मोटे लण्ड की अकडन से ऊपर होने लगी
बाऊ जी ने भी देखा की मेरी नजर कहा है
फिर मैने बोला - बाऊजी हो गया यहा ऊपर का भी कर दू

बाऊजी - बेटा दर्द तो है लेकिन ,,, रहने दे तू आराम कर
रज्जो - अरे क्या लेकिन पैर निचे करिये दोनो मै कर देती हू आपके जांघो की भी मालिश ,,, फिर बाऊजी ने दोनो पैर नीचे किये और मै ऊनके पैरो के बिच बैठ गई

रज्जो - बाऊजी आप धोती थोड़ा और ऊपर कर को नही तो तेल लग जायेगा

बाऊ जी ने दोनो साइड से धोती को चढा लिया और एक वी शेप क्छ्छे का आकार दे दिया जिससे उनका लण्ड उभर का और बड़ा दिखने लगा ।

मैने तेल लिया और बाऊजी के जांघो की मालिश करने लगी ,,, मुझे बहुत इच्छा होने लगी की काश इतना पास आ गयी हू तो एक बार बाऊजी लण्ड देखने को मिल जाये
मेरी नजर बराबर उनके लण्ड के ऊभारो पर थी जिसे बाऊजी भी देख रहे थे और मेरे चुचो को घुरे जा रहे थे ।

मैने सोचा जब बाऊजी भी यही चाहते है तो मै क्यू पीछे हटू
रज्जो - बाऊजी आप धोती निकाल दिजीये ,,, देखीये तेल लग जा रहा है

बाऊ जी - लेकिन बेटा मैने कुछ पहना नही है अन्दर,,, मुझे कोई दिक्कत नही है लेकिन तुझे अनुचित ना मह्सूस हो ।

रज्जो - बाऊजी आपकी तबियत मेरे लिए ज्यादा जरुरी है और वैसे भी वो भी एक शरीर का हिस्सा ही है ना तो मुझे कोई आपत्ति नही है बाऊजी

फिर बाऊजी मेरे सामने खड़े हुए और फिर धोती निकाल दी ,,, 6" का आधा खड़ा मोटा झूलता हुआ लण्ड आड़ो के साथ मेरे सामने आ गया ।
फिर बाऊजी वापस कुर्सी पर बैठ गये ,, मेरे सामने उन्का मोटा काला लण्ड आधे खड़े होने के साथ कुर्सी से लटक रह था मैने थूक गटक और वापस से तेल उनकी जांघो पर लगाने लगी और बार बार लण्ड को निहारने लगी ,,, खड़ा लण्ड अपने सामने देख कैसे अपने आप को रोके रखा था मै ही जानती थी ,,,
फिर मैने धीरे धीरे मालिश करते हुए बाऊजी के आड़ो को उल्टे हाथ या कलाई से छूना सुरु किया ,,, नतिजन बाऊजी का लण्ड खड़ा होने ल्गा ,,,जो कभी मेरे कान पर तो कभी मेरे ललाट पर टच होने ल्गा ,,,जब भी उनका लण्ड मेरे चेहरे के पास छुता तो मै बाऊजी को देखती वो मुसकरा रहे होते ।

मैने भी मौके को फायदा उठाया और एक हाथ से कटोरी से तेल निकाला और दोनो हाथों मे अच्छे से लगाया और धीरे से बाऊजी के आड़ो पर हाथ फेरते हुए तेल लगाने लगी ,,

बाऊजी मेरे द्वारा ऐसा कुछ करने की उम्मीद नही थी और मेरे नाजुक हाथो का स्पर्श अपने आड़ो पर पाकर उनका लण्ड और सख्त हो गया उन्होने एक गहरी आह भरी और बोले - इस्स्स्स्स बेटी क्या कर रही है तू ,,,वहा क्यू लगा रही है

रज्जो - अरे बाऊजी दोनो पैर पर मालिश कर दी हू ये हिस्सा बाकी था नही करंगी तो रात मे आपको खुजली होगी

बाऊजी ने मेरे सर पर हाथ फेरा और बोले - अच्छा ठीक है बेटी कर ले जैसा तुझे सही लगे

फिर मैने तेल लिया और बाऊजी लण्ड की जड़ो मे तेल लगाते हुए अच्छे से उन्के आड़ो मे मलिश करने लगी लेकिन मैने खुद को समान्य रखा और जरा भी कोई भाव अपने चेहरे पर नही आने दिये

वही बाऊ जी लण्ड मेरे स्पर्श से खड़ा होने लगा था और सल्लामी देने ल्गा था लेकिन जिस खजाने को देखने की चाह मेरी थी वो अभी उस आधी खुली चमडी के अंदर था ,,वो था मेरे बाऊजी का लाल सुपाड़ा,,,
करीब दो मिंट बाद मैने फिर तेल लिया और इस बार बाऊ जी के लण्ड को दोनो हाथो मे लेके तेल से लीपने लगी और इसी दौरान मैने उनकी चमडी नीचे की और उनका लाल सुपाडा नसो के साथ दिखने लगा ,,,, मै अब अपना सन्तुलैन खोने लगी और मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी जिसे बाऊ जी को भी आभास हो चूका था ,,,,मै कभी भी अपना सबर खो सकती थी ,,,लेकिन मेरे लागातार निचे बैठ कर मालिश करने से बाऊजी के लण्ड की नशे फटने को आ गयी थी ना जाने कैसे उन्होने मेरे मन की तडप को समझ गये फिर वो थोड़ा निचे की तरफ सरके साथ ही मेरे सर पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ झुका दिया ,,,मेरे लिए तो सबसे अमृत सामान मौका मिला,,, और मैने भी अपना मुह खोल कर उनका सुपाडा मुह मे ले लिया और धीरे-धीरे अपने होठो को उनके लण्ड की गोलाई मे निचे की तरफ चली गयी और फिर मैने बाऊजी लण्ड चूसना सुरु कर दिया मै लगातार 10मिनटो तक बाऊजी का मोटा लण्ड चुसती रही और इस दौरान ना ही मैने बाऊजी की तरफ देखा और ना ही एक बार भी बाऊजी ने मुझ्से कुछ कहा बस मेरे सर पर हाथ फेरते रहे

फिर 10 मिंट बाद उन्होने मेरे कन्धों को पकड़ा और हल्का आ ऊपर किया ,,, मै समझ गयी कि बाऊज जी उठने को कह रहे हैं फिर मैने पीछे हट गयी और बाऊजी भी खड़े हो गये ,,, मुझे लगा बाऊजी अब बाहर चले जायेंगे ,,, और मानो मेरा प्रिय खिलौना मुझसे छीन जायेगा
लेकिन बाऊ जी ऐसा कुछ नही और वापस मुझे पकड़ा और उठाए ,,,मै नजरे निचे किये खड़ी हुई
फिर बाऊ जी ने मुझे घुमा दिया और मेरा सूट पकड कर ऊपर करने लगे ,,,,मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी लेकिन फिर भी मै शांत रही और बिना कुछ बोले बाऊजी की हरकतो मे शामिल होते रही
चुकी मैने सूत के अंदर कुछ नही पहना था तो सूट के निकालते ही मेरा आधा जिस्म नंगा हो गया और मैने तुरंत अपनी चुचियो पर हाथ रख लिये
फिर बाऊ जी ने अपना बकि का कपडा भी निकाल दिया और मेरे तरफ आगे आये । उनकी चौडी छाती जैसे ही मेरे नंगे कोमल पीठ को छुई मेरी धडकनें तेज हो गयी और मन मे एक खुशनुमा सा डर भी होने ल्गा ,,,डर इस बात का कि क्या मै आने वाले उन हरकतों को सह पाऊंगी जो बाऊजी मेरे साथ करने वाले थे ,,,क्योकि मै खुल कर बाऊजी के सामने आ कर खुद को रन्डी नही बनवाना चाहती थी
फिर बाऊजी ने मेरे नरम कंधो को दोनो तरफ से पकड कर अपनी तरफ खीचा और उनका गरम मोटा लण्ड और गर्म सीना मेरे कमर और पीठ से स्पर्श करने लगा ,,,जिससे मेरे पैर कापने लगे फिर बाऊजी ने मेरे हाथो को मेरी चुचियो से हटाया फिर नीचे से मेरे चुचो को पकड़ लिया और हल्के हाथो से सहलाने लगे

एक तरफ जहा बाऊजी हल्के हल्के मेरी चुचियो को मिजे जा रहे थे वही मेरी चुत लागातार पानी बहाये जा रही थी और मेरी सिसकियाँ भी तेज होने लगी थी
हम दोनो मे कोई बात नहीं हो रही थी ,,,,

कुछ समय बाद बाऊ जी ने मुझे छोडा और खुद बिस्तर पर बैठ गये और मुझे भी अपनी दाहिनी जांघ पर बिठा ,,,, अब तक हुए इस घटना मे मैने एक बार भी बाऊजी से नजर नही मिलाई थी ।
फिर उन्होने मुझे अपनी जांघ पर बिठा दिया जहा उनका लण्ड मेरे जांघ पर छुए जा रहा था और मेरी सासें फुले जा रही थी ,,उसी समय बाऊजी ने मुझे अपने दाहिने हाथ में मजबूती से पकड़ा और बाये हाथ से मेरी दाई तरफ की चुची को पकड़ा और झुक कर अपने मुह मे ले लिया और चूसने लगे ,,,,मै तडप उठी और सिसकिया लेटे हुए पहली बार बाऊजी की नंगी पीठ पर हाथ रख दिया एक बार बाऊ जी के चेहरे पर देखा तो वो अपनी मोटी मोटी खुरदरी जीभ को मेरे नाजुक गुलाबी रंग वाले किसमिस के दाने जैसे निप्प्ल को गिला कर कर के अपने मोटे होठो से चूसे जा रहे थे ,,, बाऊजी की मूछ का नुकीला हिस्सा मेरे चुचो ने नरम हिस्सो मे चुब्ने से मेरी सिसकी मे मीठा दर्द भी शामिल होने ल्गा । थोडी देर बाद बाऊ जी मुझे वापस अपने सामने खड़ा किया और मेरे दोनो हाथ उनके कंधो पर आ गये

फिर उन्होंने ने बिना कुछ बोले मेरे कमर से नाडे को बाहर की तरफ खीचा और मेरा खुला सलवार निचे जमीन पर गिर गया,,,, अब मै सिर्फ एक पैंटी मे थी वाप्स बाऊ जी ने मुझे पकड़ा और इस बार बाई जांघ पर एकदम घुटने के पास बिठाया और मुझे अपने कन्धे पर ले लिया ,,,, एक हाथ से उन्होने मेरी पीठ की तरफ से बाई तरफ ले जाकर मेरी चुची को पकड़ा और दुसरा हाथ मेरे जांघो मे घुमाने लगे ,,,मेने अपनी आंखे बंद की और बाऊजी के हाथो को अपने नाजुक जिस्म पर मह्सूस करने लगी
बाऊ जी मेरे चुची को मसलते हुए अपनी एक हाथ को मेरे पैंटी के ऊपर ले आये ,, मेरी पैंटी निचे की तरफ पूरी चिपचिपी हो चुकी थी ,,,, बाऊ जी ने मेरे नाभि के निचे के भागो पर पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और फिर मेरे चुत के ऊपर ले आये ,,, मेरे अन्दर एक अलग ही तुफान मचा हुआ था ,,,मै अपने कमर हिलाने लगी थी और सिसिक्ने भी लगी ,,,, फिर जब बाऊजी ने उंगली को मेरी पैंटी की रबड़ मे फसा कर फैला और कमर की तरफ ले जाकर निचे करने लगे तो मैने भी अपने मोटे चुतडो को उठा कर अपनी पैंटी निकलवाने मे मदद की फिर जब मेरी पैंटी मेरे जांघो के बराबर मे आ गई तो बाऊ जी ने वापस मुझे खड़ा किया और मेरी पैंटी निचे कर दी अब हम दोनो नंगे हो चूके थे फिर बाऊ जी भी खड़े हुए और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया ,,, मैने तुरंत अपनी जांघो को जोडते हुए चुत को और अपनी चुचियो को अपने हाथ से छिपा लिया और एक तरफ सर को घुमा कर आंखे बन्द कर ली

फिर मुझे मह्सूस हुआ कि बाऊजी ने मेरे जांघो को छुआ और खोल दिया । मैने भी बिना कोई प्रतिकिया के उनका साथ दिया और फिर मुझे बिस्तर पर बाऊ जी का भार भी मह्सूस हुआ तो मैने तिरछी नजर से देखा तो बाऊ जी मेरे जांघो के बिच आ गए थे और मेरी टपकती चुत देखे जा रहे थे फिर उन्होने मुझे एक नजर देखा तो झट से मैने अपनी आँखे भीच ली ।

फिर मुझे अपनी चुत की ऊपरी चमडी पर एक खुरदरी सी घर्षण का अह्सास हुआ जिससे मेरा रोम रोम मे खून की दौड़ तेज हो गयी ।

अब मुझे बाऊजी के होटों और उनकी जीभ का खेल मेरे चुत पर मह्सूस होने ल्गा ये मेरे लिए पहला अह्सास था कि कोई मेरी चुत चाट रहा था और बाऊजी की जीभ की कलाबाजी के आगे मै चंद मिंट भी नही टिका सकी खुद को और झडने लगी इसी दौरान बाऊजी ने कभी एक तो कभी दो दो उंगलिया मेरी चुत मे डाली ,,,, उनकी मोटी उन्गलिया मेरे लिये किसी लण्ड से कम नही थी ,,,,
करीब 10 मिंट बाद बाऊजी उथे और अपना लण्ड मेरी चुत पर रखा ,,, उनके लण्ड का भार मेरी नाजुक चुत पर पडते ही मै समझ गई कि अब वो चोदन्गे

फिर उन्होने अपनी कमर को आगे पीछे किया और सुपाडे को मेरी मुलायम चुत पर रगड़ा

तो मैने भी बहुत हिम्मत की और बोली - बाऊ जी तेल ....
मै ब्स इतना ही बोल पाई इत्ने मे बाऊ जी उतरे और जमीन से तेल की कटोरी लेने चले मै उनको देखने के लिए वापस बिस्तर पर बैठ गयी तो मेरी नंगी चुचिया लटक कर सामने आ गयी ,, फिर बाऊजी ने मुझे देखा और मेरे पास आये ,,,, उनका लण्ड अभी भी वैसे का वैसे खड़ा और सख्त था मेरे मुह मे फिर से पानी भरने लगा तो मैने खुद पहल की और जमीन पर बैठ गयी जिससे बाऊजी समझ गये और मेरे चेहरे की तरफ आकर मेरे सर पर हाथ फेरा ,, मैने एक बार फिर से बाऊजी के लण्ड को मुह में भरना शुरू कर दिया और अच्छे से गिला कर वापस बिस्तर पर बैठ गयी ,,, बाउजि मेरे करीब आये और मेरे चेहरे को हाथो मे भरा ,,,, जिससे मेरे रोम रोम मे एक अलग ही उत्तेजना दौड़ने लगी और मैने आंखे बंद कर ली ,,,फिर वो झुके और मेरे माथे को चूमा और मुझे लिटा दिया ,,,,,एक बार फिर मेरी जन्घे खुल गयी
अब बाऊजी एक हाथ मे ढेर सारा तेल लिया और अच्छे से अपने लंड के सुपाड़े पर लगाया और फिर थोड़ा सा तेल लेकर मेरी चुत पर मल्ने लगे और ,,,, फिर वो बिस्तर पर चढ़ गये और मेरी जांघो के बिच अपने घुटनो के बल बैठ गये ,,, एक बार फिर उनहोंने अपने हाथो से चुत को सह्लाया और अपना गर्म तपता मोटा लण्ड मेरी चुत पर रख कर रगड़ने लगे ,,, फिर उन्होने मेरी जांघो को चौड़ा किया और अपना सुपाडा मेरी नाजुक सी चुत पर रखा और हल्का सा दबाया

मेरे अन्दर एक डर सा होने ल्गा तो मैने बोला - बाऊजी धीरे .... और इन सब मे पहली बार मैने बाऊजी की आँखो मे देखा वो हल्के मुस्कान के साथ एक हाथ मेरे गाल पर फेरा और थोड़ा सा जोर लगा कर मेरी कसी चुत मे अपना सुपाडा घुसेड़ा

रज्जो - अह्ह्ह्ह बाऊजी दर्द अह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ंंंं
बाऊजी बिना कुछ बोले फिर से थोड़ा पीछे हुए और एक तेज धक्के से मेरी चुत के नाजुक दिवारो को चिरते हुए अन्दर घुस गये ,,,,, उनका तपता मोटा लण्ड मेरी चुत मे हुए दर्द मे मल्हम जैसा था ,,,फिर दो चार धक्को मे बाऊजी ने मेरे चुत का रास्ता खोल दिया और कुछ ही समय मे मै दर्द से दूर जननत मे सैर करने लगी ,,,, अब बाऊजी के हर धक्के मे मुझे सुकून मिलने ल्गा और करीब 10 मिंट तक मेरी कसी चुत मे अपना लण्ड रगड़ने के बाद पहली बार बाऊजी बोले - आह्ह्ह्ह रज्जो मेरा होने वाला है बेटी

मुझे भी अपनी चुत मे लण्ड का कसाव से पता चल रहा था कि उनका आखिरी धक्का चल रहा है

रज्जो - अंदर नही बाऊ जी ,,,, मै ,,,
फिर तुरंत बाऊ जी ने मेरी चुत से लण्ड निकाला और मेरे चेहरे के पास आ गये और लण्ड को हिलाने लगे ,, कुछ ही पलो मे उनका गर्म पानी मेरे मुह मे गिरने लगा और मैने बाऊजी का लण्ड मुह मे लेके अच्छे से चुस कर वापस छोड दिया और सीधा लेट गयी

फिर बाऊजी भी मेरे बगल मे लेट गये फिर 5 मिंट बाद
बाऊ जी - बेटी तुझे बुरा नही ना लगा ,,,
रज्जो - जी नही बाऊजी मै शादी से पहले आपकी ही अमानत हू ,,, मेरे से ज्यादा आपका मुझ पर हक है
बाऊ जी - सुक्रिया बेटी , मुझे तेरी मा के जाने के बाद से आज सुकून मिला है ,,,,
रज्जो - कोई बात नही बाऊ जी जब भी आपको मा की याद आये मुझे बुला सकते है आप
बाऊजी - बेटा याद तो उसकी हर रोज आती आती है न तो क्या तू रोज मेरे लिए ये बलिदान देगी

रज्जो - मैने कहा ना बाऊजी शादी तक मै आपकी ही अमानत हू ,,,,
बाऊ जी - सुक्रिया बेटा अब जा तू आराम कर ,,, दो दिन तक थोडी सेकाई कर लेना


वापस कमरे मे जहा मा और मौसी बाते कर रहे थे

रागिनी - अरे वाह दीदी आपने जो सोचा वो आज आपको मिल ही गया आखिर ,,, मै बहुत खुस हू आपके लिए
रज्जो - थैंक्स छोटी ,,, अगर तू कहे तो तेरे लिए भी बाऊजी से बात करू हीहीहि
रागिनी - नही नही ,,,
रज्जो - फिर क्या वो अपने पति से ही खुलवयेगी
रागिनी - हा दिदी मेरी इच्छा यही है की पहला लण्ड मेरे पति का ही रहेगा

फिर धीरे धीरे समय बीता और दीदी ने मामा को भी मौका दिया ,,, फिर दीदी ने मेरी मजबुरी समझी और खुद राजेश के कमरे मे जाकर चूदती थी ताकि मै अपने वादे पर बनी रहू ।

इसी दौरान मैने कयी नई चीजे सीखी ,,, जो मुझे दीदी ने सिखायी फिर 2 3 साल बाद बाऊ जी ने दीदी की सादी एक अचचे घर मे करवा दी फिर मेरी भी सादी हो गयी और फिर राजेश की भी


मै - अरे वाह मा क्या गजब की कहानी थी । लेकिन क्या सच मे आपने शादी के बाद भी नही सोचा नाना जी या मामा के बारे मे

मा - दीदी ने तो बहुत जोर दिया की आ साथ मे मज़े करते है लेकिन तेरे पापा का प्यार मुझे रोज मिलता था ,,, लेकिन अब देख रही हू कि ये भी दुसरी औरतो मे खोये रह रहे है

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब देखते है दोस्तो राज की अगली सुबह उसके जीवन मे कौन से नये रंग लेके आती है ।
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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भाईयों मेगा अपडेट की वजह से देरी हुई,,,
आशा करता हूँ कि आज का अपडेट आप सभी के उम्मीद भरे लण्ड पर खड़ा उतरे ।


आप सभी कि प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
 

Dhansu2

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Update 29 (( MEGA ))

अब तक :

लेकिन एक रात हम दोनो पकडे गये उस रात मै बाऊजी के कमरे के बाहर दीदी को खड़ी करके अन्दर की चुदाई देखते हूए उनकी चुचिया चुस रही थी और उस रात राजेश उठा था पेसाब करने के लिए,, और उसकी नजर हम दोनो पर पड गयी फिर वो उसी समय हम दोनो के पास आया और

राजेश - क्या कर रहे हो आप दोनो ये
उस समय राजेश बड़ा हो चुका 9वी मे पढ्ता भी था। उसे भी सेक्स के बारे मे सब पता था ,,, उसके आने से हम लोग बहुत डर गये थे लेकिन जब मैने देखा कि राजेश एक टक दिदी की नंगी चुचिया देखे जा रहा है तो मै समझ गई इसको भी अपने खेल मे मिलाना पडेगा नही तो ये कल को कुछ कह ना दे ।

फिर मैने थोडी सोचा फिर दीदी और राजेश को पकड कर कमरे मे ले गई ।

अब आगे
राजेश - दीदी आप लोग ये क्या कर रहे थे ,,, घर मे कोई देख लेता तो

रगिनी - देख राजेश तू ये बात किसी को नही कहेगा ठीक है नही तो हमारे ही घर की बदनामी होगी और तू चाहता है कि ऐसा हो

राजेश - मै क्यू चाहूंगा दीदी ,,, लेकिन मेरा क्या फायदा आप लोग तो फिर भी मज़े लोगे ना

मै समझ गई कि राजेश भी हमारे साथ मज़े करना चाहता है तो मैने दीदी के पास गई और उनके कान मे

रागिनी - दिदी क्यू ना इसको भी शामिल कर ले ,, आपको भी तो एक लडके की तलाश थी और घर की बात घर मे रह जायेगी

रज्जो - तु पागल है क्या वो हमारा छोटा भाई है रे ,,, मै कैसे करूंगी ,,,तेरे साथ फिर भी ठीक था लेकिन

रागिनी - आपके लेकिन लेकिन के चक्कर मे हम दोनो पिटे जायेगे दीदी,,,
रज्जो - तू समझ नहीं रही है रागिनी ,, लड़को को उंगली पकडओ तो वो हाथ पकड लेते है ,,,अगर मै राजेश के साथ मज़े लुन्गी तो वो आगे भी बढ़ेगा और ऐसे मे हम लोग उसे मना नही कर पायेंगे तू समझ इस बात को

रागिनी - दीदी आप बहुत दूर सोच रही हो अभी का देखीये बाद मे कोई ना कोई जुगाड किया जायेगा ।

रज्जो - ठीक है लेकिन पहल कौन करेगा तू बात कर ना

रागिनी - अच्छा तो राजेश तू क्या चाहता है हमसे
राजेश - दीदी मुझे भी आप लोगो की तरह मज़े करना है ,,क्या आप लोग मुझे सिखाओगे

उस दिन राजेश की बातो से लगा कि अभी वो नादान है और हल्के फुल्के मज़े लेना चाहता है लेकिन वही हम दोनो की गलती थी ।
उस रात के बाद रोज रात मे सबके सोने के बाद राजेश हमारे कमरे मे आता और हमारे दूधो से खेलता था ,,, धीरे धीरे वो दिन मे अकेले के समय मे भी दीदी या मुझे किसी कमरे मे ले जाकर मज़े लिया करता था । मगर राजेश को हम दोनो मे से किसी की भी चुत नही मिली हफ्तो तक ,,,जिससे वो हस्तमैथुन करने लगा और एक दिन दिदी ने उसे पकड़ा ,,, फिर ये तय हुआ कि उसकी सेहत का ध्यान दीदी रखेंगी और पता नही कब से दीदी ने मुझसे छिप कर दिन में कभी कभी राजेश का लण्ड चुस कर शांत किया करती थी ।
अब समय बीतने ल्गा और हम तीनो भाई बहन मे हवस समय के साथ और हावी होने लगा ,,,, एक तरफ जहां हम तीनो भाई बहन रोज रात मे एक साथ मजे करते तो दिन में चोरी छिपे दीदी राजेश के लण्ड चुस्ती थी रोज रोज चुचियो के मसलवाने के साथ राजेश की फरमाइशे भी बढ़ती और कभी कभी क्या लगभग रोज ही वो हम दोनो बहनो के चुतदो को भी मसलने ल्गा लेकिन चुत छूने के मामले को लेकर मै बहुत ही सतर्क थी और कभी कभी डांट भी देती थी ।
धीरे धीरे दीदी के बातो मे भी बदलाव आने लगा और वो अक्सर बाऊजी और राजेश के लण्ड को लेकर बाते करने लगी और ऐसे ही एक दिन

रज्जो - छोटी अब मुझे बहुत मन की जल्दी से शादी करने का है । अब और मै ऐसे ही उपरी मज़े ले कर तडपना नही चाहती

मैने भी मौका देख कर दीदी को ताना मारते हुए कहा - क्यू दीदी राजेश का लण्ड काफी नही है क्या जो अब दुसरे लण्ड की जरूरत पड़ गई । मै हमेशा से आपके बताने का इन्तेजार कर रही थी लेकिन आपने तो ब्ताया ही नही और अकेले ही मज़े लेने लगी । क्या इतनी पराई हो गई मै ।

रज्जो - सॉरी छोटी मुझे डर था कि कहीं तू नाराज ना हो जाये ,, मै राजेश की सेहत को लेकर परेशान थी और फिर धीरे धीरे मुझे भी उसके लण्ड की आदत हो गई और अब तो और भी ये इच्छाएं बढ़ती जा रही है । अब तो हाल ये है छोटी की कोई भी लण्ड देखती हूँ तो मुह मे पानी आ जाता है ,,,
रागिनी - इसिलिए इस समय आपको बाऊजी के लण्ड की बात करती रहती है ,,,
रज्जो - हा छोटी सच कहू तो मै बाऊजी के चोदने का अंदाज बहुत पसंद है ,,,,और
रागिनी - और क्या दीदी
रज्जो - मै चाहती हू कि मेरी सील हमारे बाऊजी ही तोड़े
रागिनी - क्या दीदी आप पागल हो ,,बाऊजी कभी नही मानेगे ,,, देखा नही वो मा को इतना चाहते है कि घर मे या खेत में काम करने वाली महिलाओं को एक नजर देखते तक नहीं और तो और सबको ढंग से कपड़े पहनने को भी डांट देते है ।

रज्जो - हा लेकिन समय आने दो मै कोसिश करूंगी और शादी से पहले ही अपनी चुत बाऊजी को दूँगी ।

समय बीता ,, साल भर बाद हमारी मा की खेतो मे सांप काटने से मौत हो गई और हम सब गहरे दुख मे डूब गये हमारे घर सभी नात रिस्तेदार आये और कुछ दिनो मे चले गये लेकिन हमारी सुलोचना बुआ रुक गई ।
बाऊजी के देख रेख के लिए ऐसे ही हफ्ता दो हफ्ता भर बीता तो मा की यादो का बोझ कम हुआ और वापस दीदी का हवस हावी होने ल्गा ,,, और हम तीनो भाई बहन फिर से कामक्रीड़ा मे लग गये क्योकि हमे यही एक मात्र साधन लग रहा था उन दुख भरे पलो को दूर करने का ,,, एक तरफ जहा हम लोग अपनी मस्ती मे थे दुसरी तरफ बुआ बाऊजी की सेवा मे लगी थी दिनरात उन्ही का ध्यान देती थी ।

ऐसे ही एक रात मै और दीदी अपने कमरे मे थे ,,,
रज्जो - छोटी चल ना एक बार पापा के कमरे की तरफ चले बहुत दिन हो गये उनका मोटा लण्ड देखे
रागिनी - क्या दिदी आपको लगता है कि मा के जाने के वो इनसब चीज़ो के लिए सोचेंगे
रज्जो - देख छोटी सेक्स ऐसी लत है अगर रोज की जाय तो वो इतनी जल्दी नही पीछा छोड देगी और तू चल ना क्या पता मा की याद मे लण्ड ही हिला रहे हो ।

रागिनी - क्या दीदी चलो ,, लेकिन वहा हम लोग कुछ करेंगे नही ब्स देख कर चले आयेंगे क्योकि बुआ आई है तो वो कही बाहर ना निकले

रज्जो - हा मेरी बहन अब चल
फिर मै और दीदी चुपके चुपके कमरे से बाहर निकले और धीरे धीरे पापा हम लोग पापा के कमरे की तरफ गये तो अंदर रोशनी थी ,,, मुझे कुछ अजीब लगा और हल्की हल्की सिस्कियो की आवाज आने लगी ,,, मेरे और दीदी के धड़कन बढ़ गई फिर अंदर कमरे मे खिडकी से देखा तो बाऊजी निचे लेटे हुए थे और सुलोचना बुआ उनके लण्ड पर कूद रही थी ।

जो सपने मेरे दीदी देख रही थी वो आज मुझे उससे दूर जाता दिख रहा था
रगिनी - दीदी ये तो बुआ ,, अब बाऊजी से कैसे आप
रज्जो - ये अच्छा है ना छोटी की बाऊजी बुआ को चोद रहे है इसका मतलब वो मुझे भी चोद सकते है ,,,वो मुस्कुराते हुए बोली ।

रागिनी - वो कैसे बुआ के रहते वो आपको क्यू चोदन्गे भला
रज्जो - देख छोटी बुआ वैसे भी ज्यादा समय नही रहने वाली है और एक बार नये चुत की तलब लग जाये तो आदमी को इससे पीछा छुड़ा पाना मुश्किल होता है

रागिनी - दीदी जो आपको सही लगे करो लेकिन मुझे इससे दूर रखना ,,
फिर समय बीता और एक महीने बाद बुआ चली गई और बाऊजी फिर से अकेले पड़ गये और कुछ ही दिनो मे उनकी तबियत बिगड़ने लगी ।

फिर दीदी ने उनका ख्याल रखना शुरू किया और दवाइया देना खाना पीना ,,,,, एक शाम ऐसे ही बाऊजी खेत से वापस आये और दीदी को बोला

बाऊ जी - रज्जो सुन बेटा आज मेरे पैरो मे बहुत दर्द है किसी नौकर को तेल लेकर भेज देना कमरे मे मालिश करने के लिए
उस शाम रज्जो दीदी किसी को ना बोल कर खुद तेल कर गई और करीब डेढ़ घन्टे बाद आई कमरे मे , रात हो चुकी थी । वो बिस्तर पर बहुत आराम से बैठि और उनके चेहरे पर अलग ही भाव थे ।

रागिनी - क्या हुआ दीदी आपकी तबीयत ठीक है ना
रज्जो मुस्कुराए हुए - अब तो एकदम ठीक है छोटी
रागिनी - लेकिन आप ऐसे पैर उठाए क्यू ,,,कही बाऊजी से तो ,,,नही नही नही ,,
रज्जो - हम्म्म्म, और फिर दीदी मेरे गले लग गई ।
रागिनी - लेकिन आप तो मालिश के गई थी ती ये सब कब हुआ और बाऊजी तैयार हो गये


अब आगे कि कहानी रज्जो की जुबानी

रज्जो - वो मै अन्दर गई तो बाऊ जी कुर्सी पर बैठे थे और पैर उठा कर बेड पर रखा था
मुझे देखते ही बोले

बाऊजी - अरे बेटी तुने क्यू तकलीफ की किसी को भेज देती ,,,
रज्जो - क्यू बाऊ जी मै नही कर सकती आपकी सेवा ,,, मै भी तो आपकी अपनी हू

फिर बाऊजी कुछ बोलते उससे पहले मै अपना चुनरि निकाल कर बेड पर रख दिया और बाऊ जी के पैर के पास बैठ गई

मगर जब मैने ऊपर देखा तो बाऊजी एक टक मेरे सूट के दिखते मेरी छातियो के घाटी को निहारे जा रहे थे ,,,मुझे हसी आई और मैने उनको बोला - बाऊ जी थोड़ा धोती ऊपर किजीये

फिर बाऊ जी ने चौके बोले - कुछ कहा बेटी
रज्जो - अपनी धोती ऊपर किजीये आप हिहिहिही
बाउजी ने फिर धोती अपनी जांघो तक चढाई और मैने हल्का सा तेल लिया और पैरो की मालिश करने लगी ।
एक तरफ जहां मेरी नजर बराबर बाऊजी के लंड पर थी जो धोती मे कैद थी वही बाऊजी मेरे रसिले चुचे देख कर उत्तेजित होने लगे ।

बाऊ जी - लगता है अब मेरी बिटिया बड़ी हो गई है क्यू
रज्जो - अच्छा वो क्यू बाऊजी
बाऊजी - अरे बेटी जब बाप के जुते बेटे के पैर मे और मा की चोली बेटी को होने लगे तो समझो बच्चे बडे हो गये हैं ।

मुझे थोडी शरम आई लेकिन फिर भी मैने बाऊजी से पुछा - लेकिन बाऊजी मुझे मा की चोली कहा से होगी

बाउजि - अरे एक बार पहन तो सही बेटी ,,, और फिर मेरे चुचो को घुरने लगे ।
मै चुप रही और मुस्कुराते हुए पैर की मालिश करने लगी फिर एक नजर उनकी धोती पर गया जो उनके मोटे लण्ड की अकडन से ऊपर होने लगी
बाऊ जी ने भी देखा की मेरी नजर कहा है
फिर मैने बोला - बाऊजी हो गया यहा ऊपर का भी कर दू

बाऊजी - बेटा दर्द तो है लेकिन ,,, रहने दे तू आराम कर
रज्जो - अरे क्या लेकिन पैर निचे करिये दोनो मै कर देती हू आपके जांघो की भी मालिश ,,, फिर बाऊजी ने दोनो पैर नीचे किये और मै ऊनके पैरो के बिच बैठ गई

रज्जो - बाऊजी आप धोती थोड़ा और ऊपर कर को नही तो तेल लग जायेगा

बाऊ जी ने दोनो साइड से धोती को चढा लिया और एक वी शेप क्छ्छे का आकार दे दिया जिससे उनका लण्ड उभर का और बड़ा दिखने लगा ।

मैने तेल लिया और बाऊजी के जांघो की मालिश करने लगी ,,, मुझे बहुत इच्छा होने लगी की काश इतना पास आ गयी हू तो एक बार बाऊजी लण्ड देखने को मिल जाये
मेरी नजर बराबर उनके लण्ड के ऊभारो पर थी जिसे बाऊजी भी देख रहे थे और मेरे चुचो को घुरे जा रहे थे ।

मैने सोचा जब बाऊजी भी यही चाहते है तो मै क्यू पीछे हटू
रज्जो - बाऊजी आप धोती निकाल दिजीये ,,, देखीये तेल लग जा रहा है

बाऊ जी - लेकिन बेटा मैने कुछ पहना नही है अन्दर,,, मुझे कोई दिक्कत नही है लेकिन तुझे अनुचित ना मह्सूस हो ।

रज्जो - बाऊजी आपकी तबियत मेरे लिए ज्यादा जरुरी है और वैसे भी वो भी एक शरीर का हिस्सा ही है ना तो मुझे कोई आपत्ति नही है बाऊजी

फिर बाऊजी मेरे सामने खड़े हुए और फिर धोती निकाल दी ,,, 6" का आधा खड़ा मोटा झूलता हुआ लण्ड आड़ो के साथ मेरे सामने आ गया ।
फिर बाऊजी वापस कुर्सी पर बैठ गये ,, मेरे सामने उन्का मोटा काला लण्ड आधे खड़े होने के साथ कुर्सी से लटक रह था मैने थूक गटक और वापस से तेल उनकी जांघो पर लगाने लगी और बार बार लण्ड को निहारने लगी ,,, खड़ा लण्ड अपने सामने देख कैसे अपने आप को रोके रखा था मै ही जानती थी ,,,
फिर मैने धीरे धीरे मालिश करते हुए बाऊजी के आड़ो को उल्टे हाथ या कलाई से छूना सुरु किया ,,, नतिजन बाऊजी का लण्ड खड़ा होने ल्गा ,,,जो कभी मेरे कान पर तो कभी मेरे ललाट पर टच होने ल्गा ,,,जब भी उनका लण्ड मेरे चेहरे के पास छुता तो मै बाऊजी को देखती वो मुसकरा रहे होते ।

मैने भी मौके को फायदा उठाया और एक हाथ से कटोरी से तेल निकाला और दोनो हाथों मे अच्छे से लगाया और धीरे से बाऊजी के आड़ो पर हाथ फेरते हुए तेल लगाने लगी ,,

बाऊजी मेरे द्वारा ऐसा कुछ करने की उम्मीद नही थी और मेरे नाजुक हाथो का स्पर्श अपने आड़ो पर पाकर उनका लण्ड और सख्त हो गया उन्होने एक गहरी आह भरी और बोले - इस्स्स्स्स बेटी क्या कर रही है तू ,,,वहा क्यू लगा रही है

रज्जो - अरे बाऊजी दोनो पैर पर मालिश कर दी हू ये हिस्सा बाकी था नही करंगी तो रात मे आपको खुजली होगी

बाऊजी ने मेरे सर पर हाथ फेरा और बोले - अच्छा ठीक है बेटी कर ले जैसा तुझे सही लगे

फिर मैने तेल लिया और बाऊजी लण्ड की जड़ो मे तेल लगाते हुए अच्छे से उन्के आड़ो मे मलिश करने लगी लेकिन मैने खुद को समान्य रखा और जरा भी कोई भाव अपने चेहरे पर नही आने दिये

वही बाऊ जी लण्ड मेरे स्पर्श से खड़ा होने लगा था और सल्लामी देने ल्गा था लेकिन जिस खजाने को देखने की चाह मेरी थी वो अभी उस आधी खुली चमडी के अंदर था ,,वो था मेरे बाऊजी का लाल सुपाड़ा,,,
करीब दो मिंट बाद मैने फिर तेल लिया और इस बार बाऊ जी के लण्ड को दोनो हाथो मे लेके तेल से लीपने लगी और इसी दौरान मैने उनकी चमडी नीचे की और उनका लाल सुपाडा नसो के साथ दिखने लगा ,,,, मै अब अपना सन्तुलैन खोने लगी और मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी जिसे बाऊ जी को भी आभास हो चूका था ,,,,मै कभी भी अपना सबर खो सकती थी ,,,लेकिन मेरे लागातार निचे बैठ कर मालिश करने से बाऊजी के लण्ड की नशे फटने को आ गयी थी ना जाने कैसे उन्होने मेरे मन की तडप को समझ गये फिर वो थोड़ा निचे की तरफ सरके साथ ही मेरे सर पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ झुका दिया ,,,मेरे लिए तो सबसे अमृत सामान मौका मिला,,, और मैने भी अपना मुह खोल कर उनका सुपाडा मुह मे ले लिया और धीरे-धीरे अपने होठो को उनके लण्ड की गोलाई मे निचे की तरफ चली गयी और फिर मैने बाऊजी लण्ड चूसना सुरु कर दिया मै लगातार 10मिनटो तक बाऊजी का मोटा लण्ड चुसती रही और इस दौरान ना ही मैने बाऊजी की तरफ देखा और ना ही एक बार भी बाऊजी ने मुझ्से कुछ कहा बस मेरे सर पर हाथ फेरते रहे

फिर 10 मिंट बाद उन्होने मेरे कन्धों को पकड़ा और हल्का आ ऊपर किया ,,, मै समझ गयी कि बाऊज जी उठने को कह रहे हैं फिर मैने पीछे हट गयी और बाऊजी भी खड़े हो गये ,,, मुझे लगा बाऊजी अब बाहर चले जायेंगे ,,, और मानो मेरा प्रिय खिलौना मुझसे छीन जायेगा
लेकिन बाऊ जी ऐसा कुछ नही और वापस मुझे पकड़ा और उठाए ,,,मै नजरे निचे किये खड़ी हुई
फिर बाऊ जी ने मुझे घुमा दिया और मेरा सूट पकड कर ऊपर करने लगे ,,,,मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी लेकिन फिर भी मै शांत रही और बिना कुछ बोले बाऊजी की हरकतो मे शामिल होते रही
चुकी मैने सूत के अंदर कुछ नही पहना था तो सूट के निकालते ही मेरा आधा जिस्म नंगा हो गया और मैने तुरंत अपनी चुचियो पर हाथ रख लिये
फिर बाऊ जी ने अपना बकि का कपडा भी निकाल दिया और मेरे तरफ आगे आये । उनकी चौडी छाती जैसे ही मेरे नंगे कोमल पीठ को छुई मेरी धडकनें तेज हो गयी और मन मे एक खुशनुमा सा डर भी होने ल्गा ,,,डर इस बात का कि क्या मै आने वाले उन हरकतों को सह पाऊंगी जो बाऊजी मेरे साथ करने वाले थे ,,,क्योकि मै खुल कर बाऊजी के सामने आ कर खुद को रन्डी नही बनवाना चाहती थी
फिर बाऊजी ने मेरे नरम कंधो को दोनो तरफ से पकड कर अपनी तरफ खीचा और उनका गरम मोटा लण्ड और गर्म सीना मेरे कमर और पीठ से स्पर्श करने लगा ,,,जिससे मेरे पैर कापने लगे फिर बाऊजी ने मेरे हाथो को मेरी चुचियो से हटाया फिर नीचे से मेरे चुचो को पकड़ लिया और हल्के हाथो से सहलाने लगे

एक तरफ जहा बाऊजी हल्के हल्के मेरी चुचियो को मिजे जा रहे थे वही मेरी चुत लागातार पानी बहाये जा रही थी और मेरी सिसकियाँ भी तेज होने लगी थी
हम दोनो मे कोई बात नहीं हो रही थी ,,,,

कुछ समय बाद बाऊ जी ने मुझे छोडा और खुद बिस्तर पर बैठ गये और मुझे भी अपनी दाहिनी जांघ पर बिठा ,,,, अब तक हुए इस घटना मे मैने एक बार भी बाऊजी से नजर नही मिलाई थी ।
फिर उन्होने मुझे अपनी जांघ पर बिठा दिया जहा उनका लण्ड मेरे जांघ पर छुए जा रहा था और मेरी सासें फुले जा रही थी ,,उसी समय बाऊजी ने मुझे अपने दाहिने हाथ में मजबूती से पकड़ा और बाये हाथ से मेरी दाई तरफ की चुची को पकड़ा और झुक कर अपने मुह मे ले लिया और चूसने लगे ,,,,मै तडप उठी और सिसकिया लेटे हुए पहली बार बाऊजी की नंगी पीठ पर हाथ रख दिया एक बार बाऊ जी के चेहरे पर देखा तो वो अपनी मोटी मोटी खुरदरी जीभ को मेरे नाजुक गुलाबी रंग वाले किसमिस के दाने जैसे निप्प्ल को गिला कर कर के अपने मोटे होठो से चूसे जा रहे थे ,,, बाऊजी की मूछ का नुकीला हिस्सा मेरे चुचो ने नरम हिस्सो मे चुब्ने से मेरी सिसकी मे मीठा दर्द भी शामिल होने ल्गा । थोडी देर बाद बाऊ जी मुझे वापस अपने सामने खड़ा किया और मेरे दोनो हाथ उनके कंधो पर आ गये

फिर उन्होंने ने बिना कुछ बोले मेरे कमर से नाडे को बाहर की तरफ खीचा और मेरा खुला सलवार निचे जमीन पर गिर गया,,,, अब मै सिर्फ एक पैंटी मे थी वाप्स बाऊ जी ने मुझे पकड़ा और इस बार बाई जांघ पर एकदम घुटने के पास बिठाया और मुझे अपने कन्धे पर ले लिया ,,,, एक हाथ से उन्होने मेरी पीठ की तरफ से बाई तरफ ले जाकर मेरी चुची को पकड़ा और दुसरा हाथ मेरे जांघो मे घुमाने लगे ,,,मेने अपनी आंखे बंद की और बाऊजी के हाथो को अपने नाजुक जिस्म पर मह्सूस करने लगी
बाऊ जी मेरे चुची को मसलते हुए अपनी एक हाथ को मेरे पैंटी के ऊपर ले आये ,, मेरी पैंटी निचे की तरफ पूरी चिपचिपी हो चुकी थी ,,,, बाऊ जी ने मेरे नाभि के निचे के भागो पर पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और फिर मेरे चुत के ऊपर ले आये ,,, मेरे अन्दर एक अलग ही तुफान मचा हुआ था ,,,मै अपने कमर हिलाने लगी थी और सिसिक्ने भी लगी ,,,, फिर जब बाऊजी ने उंगली को मेरी पैंटी की रबड़ मे फसा कर फैला और कमर की तरफ ले जाकर निचे करने लगे तो मैने भी अपने मोटे चुतडो को उठा कर अपनी पैंटी निकलवाने मे मदद की फिर जब मेरी पैंटी मेरे जांघो के बराबर मे आ गई तो बाऊ जी ने वापस मुझे खड़ा किया और मेरी पैंटी निचे कर दी अब हम दोनो नंगे हो चूके थे फिर बाऊ जी भी खड़े हुए और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया ,,, मैने तुरंत अपनी जांघो को जोडते हुए चुत को और अपनी चुचियो को अपने हाथ से छिपा लिया और एक तरफ सर को घुमा कर आंखे बन्द कर ली

फिर मुझे मह्सूस हुआ कि बाऊजी ने मेरे जांघो को छुआ और खोल दिया । मैने भी बिना कोई प्रतिकिया के उनका साथ दिया और फिर मुझे बिस्तर पर बाऊ जी का भार भी मह्सूस हुआ तो मैने तिरछी नजर से देखा तो बाऊ जी मेरे जांघो के बिच आ गए थे और मेरी टपकती चुत देखे जा रहे थे फिर उन्होने मुझे एक नजर देखा तो झट से मैने अपनी आँखे भीच ली ।

फिर मुझे अपनी चुत की ऊपरी चमडी पर एक खुरदरी सी घर्षण का अह्सास हुआ जिससे मेरा रोम रोम मे खून की दौड़ तेज हो गयी ।

अब मुझे बाऊजी के होटों और उनकी जीभ का खेल मेरे चुत पर मह्सूस होने ल्गा ये मेरे लिए पहला अह्सास था कि कोई मेरी चुत चाट रहा था और बाऊजी की जीभ की कलाबाजी के आगे मै चंद मिंट भी नही टिका सकी खुद को और झडने लगी इसी दौरान बाऊजी ने कभी एक तो कभी दो दो उंगलिया मेरी चुत मे डाली ,,,, उनकी मोटी उन्गलिया मेरे लिये किसी लण्ड से कम नही थी ,,,,
करीब 10 मिंट बाद बाऊजी उथे और अपना लण्ड मेरी चुत पर रखा ,,, उनके लण्ड का भार मेरी नाजुक चुत पर पडते ही मै समझ गई कि अब वो चोदन्गे

फिर उन्होने अपनी कमर को आगे पीछे किया और सुपाडे को मेरी मुलायम चुत पर रगड़ा

तो मैने भी बहुत हिम्मत की और बोली - बाऊ जी तेल ....
मै ब्स इतना ही बोल पाई इत्ने मे बाऊ जी उतरे और जमीन से तेल की कटोरी लेने चले मै उनको देखने के लिए वापस बिस्तर पर बैठ गयी तो मेरी नंगी चुचिया लटक कर सामने आ गयी ,, फिर बाऊजी ने मुझे देखा और मेरे पास आये ,,,, उनका लण्ड अभी भी वैसे का वैसे खड़ा और सख्त था मेरे मुह मे फिर से पानी भरने लगा तो मैने खुद पहल की और जमीन पर बैठ गयी जिससे बाऊजी समझ गये और मेरे चेहरे की तरफ आकर मेरे सर पर हाथ फेरा ,, मैने एक बार फिर से बाऊजी के लण्ड को मुह में भरना शुरू कर दिया और अच्छे से गिला कर वापस बिस्तर पर बैठ गयी ,,, बाउजि मेरे करीब आये और मेरे चेहरे को हाथो मे भरा ,,,, जिससे मेरे रोम रोम मे एक अलग ही उत्तेजना दौड़ने लगी और मैने आंखे बंद कर ली ,,,फिर वो झुके और मेरे माथे को चूमा और मुझे लिटा दिया ,,,,,एक बार फिर मेरी जन्घे खुल गयी
अब बाऊजी एक हाथ मे ढेर सारा तेल लिया और अच्छे से अपने लंड के सुपाड़े पर लगाया और फिर थोड़ा सा तेल लेकर मेरी चुत पर मल्ने लगे और ,,,, फिर वो बिस्तर पर चढ़ गये और मेरी जांघो के बिच अपने घुटनो के बल बैठ गये ,,, एक बार फिर उनहोंने अपने हाथो से चुत को सह्लाया और अपना गर्म तपता मोटा लण्ड मेरी चुत पर रख कर रगड़ने लगे ,,, फिर उन्होने मेरी जांघो को चौड़ा किया और अपना सुपाडा मेरी नाजुक सी चुत पर रखा और हल्का सा दबाया

मेरे अन्दर एक डर सा होने ल्गा तो मैने बोला - बाऊजी धीरे .... और इन सब मे पहली बार मैने बाऊजी की आँखो मे देखा वो हल्के मुस्कान के साथ एक हाथ मेरे गाल पर फेरा और थोड़ा सा जोर लगा कर मेरी कसी चुत मे अपना सुपाडा घुसेड़ा

रज्जो - अह्ह्ह्ह बाऊजी दर्द अह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ंंंं
बाऊजी बिना कुछ बोले फिर से थोड़ा पीछे हुए और एक तेज धक्के से मेरी चुत के नाजुक दिवारो को चिरते हुए अन्दर घुस गये ,,,,, उनका तपता मोटा लण्ड मेरी चुत मे हुए दर्द मे मल्हम जैसा था ,,,फिर दो चार धक्को मे बाऊजी ने मेरे चुत का रास्ता खोल दिया और कुछ ही समय मे मै दर्द से दूर जननत मे सैर करने लगी ,,,, अब बाऊजी के हर धक्के मे मुझे सुकून मिलने ल्गा और करीब 10 मिंट तक मेरी कसी चुत मे अपना लण्ड रगड़ने के बाद पहली बार बाऊजी बोले - आह्ह्ह्ह रज्जो मेरा होने वाला है बेटी

मुझे भी अपनी चुत मे लण्ड का कसाव से पता चल रहा था कि उनका आखिरी धक्का चल रहा है

रज्जो - अंदर नही बाऊ जी ,,,, मै ,,,
फिर तुरंत बाऊ जी ने मेरी चुत से लण्ड निकाला और मेरे चेहरे के पास आ गये और लण्ड को हिलाने लगे ,, कुछ ही पलो मे उनका गर्म पानी मेरे मुह मे गिरने लगा और मैने बाऊजी का लण्ड मुह मे लेके अच्छे से चुस कर वापस छोड दिया और सीधा लेट गयी

फिर बाऊजी भी मेरे बगल मे लेट गये फिर 5 मिंट बाद
बाऊ जी - बेटी तुझे बुरा नही ना लगा ,,,
रज्जो - जी नही बाऊजी मै शादी से पहले आपकी ही अमानत हू ,,, मेरे से ज्यादा आपका मुझ पर हक है
बाऊ जी - सुक्रिया बेटी , मुझे तेरी मा के जाने के बाद से आज सुकून मिला है ,,,,
रज्जो - कोई बात नही बाऊ जी जब भी आपको मा की याद आये मुझे बुला सकते है आप
बाऊजी - बेटा याद तो उसकी हर रोज आती आती है न तो क्या तू रोज मेरे लिए ये बलिदान देगी

रज्जो - मैने कहा ना बाऊजी शादी तक मै आपकी ही अमानत हू ,,,,
बाऊ जी - सुक्रिया बेटा अब जा तू आराम कर ,,, दो दिन तक थोडी सेकाई कर लेना


वापस कमरे मे जहा मा और मौसी बाते कर रहे थे

रागिनी - अरे वाह दीदी आपने जो सोचा वो आज आपको मिल ही गया आखिर ,,, मै बहुत खुस हू आपके लिए
रज्जो - थैंक्स छोटी ,,, अगर तू कहे तो तेरे लिए भी बाऊजी से बात करू हीहीहि
रागिनी - नही नही ,,,
रज्जो - फिर क्या वो अपने पति से ही खुलवयेगी
रागिनी - हा दिदी मेरी इच्छा यही है की पहला लण्ड मेरे पति का ही रहेगा

फिर धीरे धीरे समय बीता और दीदी ने मामा को भी मौका दिया ,,, फिर दीदी ने मेरी मजबुरी समझी और खुद राजेश के कमरे मे जाकर चूदती थी ताकि मै अपने वादे पर बनी रहू ।

इसी दौरान मैने कयी नई चीजे सीखी ,,, जो मुझे दीदी ने सिखायी फिर 2 3 साल बाद बाऊ जी ने दीदी की सादी एक अचचे घर मे करवा दी फिर मेरी भी सादी हो गयी और फिर राजेश की भी


मै - अरे वाह मा क्या गजब की कहानी थी । लेकिन क्या सच मे आपने शादी के बाद भी नही सोचा नाना जी या मामा के बारे मे

मा - दीदी ने तो बहुत जोर दिया की आ साथ मे मज़े करते है लेकिन तेरे पापा का प्यार मुझे रोज मिलता था ,,, लेकिन अब देख रही हू कि ये भी दुसरी औरतो मे खोये रह रहे है

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब देखते है दोस्तो राज की अगली सुबह उसके जीवन मे कौन से नये रंग लेके आती है ।
Bahut hi mast update
 
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