UPDATE 005
अब तक :
मेरे साथ मेरी बहन सोनल , चंदू और उसकी बहन चंपा और अमन ने भी उसी कालेज मे दाखिला लिया ।
हम साथ ही आते जाते थे
6 महीने तक मुझे सब सामान्य लगा लेकिन फिर अचानक चंदू की बहन को उसके पापा ने हॉस्टल भेज दिया ।
मुझे बहुत अजीब लगा तो मै इसके लिए बात करने चंदू के घर गया
अब आगे :
जब मै उसके घर पहुचा तो बरामदे मे कोई नही था फिर मुझे कुछ अजीब लगा जैसा कि घर मे कोई नही है क्योकि अन्दर गलियारे मे सन्नाटा था और कमरे बंद थे ।
चंदू के घर मे अन्दर गलियारे से ही एक सीढ़ी ऊपर जाती थी मै धीरे धीरे ऊपर की तरफ गया तब मुझे कुछ आवाजे सुनाई दे रही थी जो चंदू और उस्के मा रजनी के बिच हो रही बातचीत की थी ।
मै चुपचाप सुनने लगा
रजनी - अच्छा हुआ उस दिन घर पर पहले मै आई , अगर तेरे पापा को पता चलता तो तेरी सामत थी उस दिन , इसिलिए मैने चंपा को हॉस्टल भेज दिया है वहा तुझसे दूर रहेगी तो ठीक रहेगी नही तो राम जाने क्या क्या गुल खिलाओ तुम भाई बहन अकेले घर मे
मुझे रजनी दीदी की कोई बात समझ नही आ रही थी बस इतना समझ आ रहा था कि चंदू की गलती से चंपा को हॉस्टल जाना पडा लेकिन क्यूँ ?
फिर रजनी बोली - आखिर तुने ये सब सिखा कहा से
चंदू चुप था
रजनी - बोल सही सही बता , कही राज के साथ घूम के ये सब नही सिख रहा
तब चंदू बोला - नही मा , राज तो इनसब की बात नही करता मुझसे
रजनी - फिर कहा से सीखी
चंदू - आपको और पापा को करते देखा था और .....
रजनी चौक गयी और चंदू को गुस्से मे एक थप्पड़ लगा दिया। चंदू रोने लगा
फिर रजनी का दिल पिघला और वो चंदू से बोली - अच्छा क्या क्या कर चुके हो दोनो
चंदू - मै बस वो चाटता था और दीदी को अच्छा लगता था बस और फिर रोने लगा
रजनी - क्या चाटता था तू सही सही बता
चंदू रोते हुए बोला - दीदी की चुत
एतना सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए
मुझे समझ आ गया कि क्यो चंपा को उसकी मा ने हॉस्टल भिजवा दिया ।
मै सपने मे भी नहीं सोच सकता था वो चंदू हकीकत मे कर दिया था ।
फिर रजनी कुछ नही बोली और मै भी निकल गया घर पर
इस घटना को काफी दिन बित गये और मेरा नजरिया परिवार को लेके और बदल गया ।
फिर हमने 12वी पास कर ली । उसी कॉलेज से ग्रेजुएट के लिए दाखिला ले लिया ।
और मै 19 साल का हो चुका था
उसी साल संयोग से चंदू के एक चौराहे वाले मकान मे ट्यूशन खुली तो वहा पर मै , चंदू , मेरी बहन और अमन ने नाम लिखवा किया सरकारी नौकरी के तैयारी की टयूशन के लिए ।
समय के साथ हमारे शरीर मे बदलाव आने लगे मेरे नुन्नु अब लंड हो गया था
मेरी बहन का भी शरीर भरने लगा और ये बात मै नोटिस करने लगा
एक शाम मै कालेज से घर आया तो दुकान पर मम्मी पापा मे बात हो रही थी कि वो बर्तन की दुकान उठा कर मेन रोड पर ले जायेंगे और यहा एक कास्मेटिक का दुकान खुलेगा जिसे मा और मै चलायेंगे ।
और पापा ने बहुत समय पहले एक जमीन लिया था तो वही अगले साल नया घर भी बनेगा।
नया घर और नया दुकान का सुन कर मै बहुत खुश हो गया।
फिर कुछ ही दिनो मे मेरे यहा नयी दुकान खुली और पापा ने घर पर पूजा रखी । जिसमे मेरे दोनो बुआ और फूफा आये , मेरे मामा मामी , चाचा की फैमिली , चंदू की फैमिली और रज्जो मौसी भी आई ।
पुजा दिन मे थी और मेरा घर छोटा होने से सभी रिस्तेदार अपने घर चले गये । सिवाय मेरी रज्जो मौसी के
क्योकि मेरे दोनो बुआ की सादी एक ही घर मे हुई थी जो कि छोटा सा टाउन था ।
और मेरे मामा मामी भी पास के थे ।
लेकिन मौसी की सादी पास के ही शहर जानीपुर मे हुई थी तो मा ने उनको जिद करके रोक लिया बोली कुछ दिन बाद जाना ।
अब आगे के अपडेट मे देखते है की रज्जो मौसी को देख कर मेरे पापा के क्या अरमान जागते है और क्या क्या होता है कहानी मे ।
आपके राय की प्रतीक्षा है ।
धन्यवाद