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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 172 ( A )

लेखक की जुबानी

CHAMANPURA

कमरे मे आकर अनुज अपने ही बिस्तर पर बैठा हाफ रहा था ,

उसे समझ नही आ रहा था मौसी ने आखिर क्यू आम घरेलु महिलाओ जैसे प्रतिक्रिया नही दी । जैसा कि बाकी औरते देती है जब वो गैर मर्द के सामने ऐसी किसी अवस्था मे होती है तो ।


उसकी मौसी के व्यव्हार ने अनुज का डर थोड़ा कम जरुर कर दिया था और भीतर से अब एक हिम्मत आ रही थी कि क्यू ना मौसी के उपर ही ट्राई किया जाये ।

शुरु से वो खुले विचारो वाली रही है और उससे बहुत स्नेह करती आई ,

अनुज अपनी मौसी के साथ बिताने कुछ यादगार पलो को याद करता है जब वो अपनी मौसी से लिपटा हुआ करता था लेकिन उन दिनो उसकी ऐसी कोई भावना नही होती ।

वहा एक सच्चा और प्रेम भरी दुलार पाने की भावना थी ।
उन बीते पलो को याद करते हुए अनुज अपने कपडे पहन रहा था और उसका लण्ड सर उठा रहा था ।


तभी पायलो की खनक उसे जीने पर सुनाई दी और वो समझ गया कि उसकी मौसी सीढियो से निचे आ रही है ।


वो फटाक से अपना टीशर्ट पहना और दरवाजा खोलकर बाहर तो देखा उसकी मौसी हाल से होकर निचे वाले जीने की ओर जा रही थी और उनकी भारी भरकम गाड़ उस कसी हुई नाइटी मे बहुत ही कामुक तरीके से थिरक रही थी ।

दोनो चुतड आपस मे टकराते एक जोरदार कम्पन पैदा कर रहे थे जिसकी मादक झलक नाइटी मे उभर रही थी ।

अपनी मौसी की बड़ी गाड़ को ऐसे हिलता देख अनुज का लण्ड पुरा फौलादी हो गया और वो लण्ड दबाता हुआ वैसे ही अपनी मौसी के चुतडो मे खोया हुआ निचे उतरने लगा ।


जैसे जैसे रज्जो अप्नी गाड़ मटका कर एक एक सीधी उतर रही थी वैसे वैसे अनुज का लण्ड फड़क रहा था ।

वही हाल मे सोफे पर पहले से राज , रन्गीलाल के साथ रागिनी बैठी हुई कुछ बात कर रही थी ।

सीढियो से आती पायलो की आहट से दोनो बाप बेटो ने नजर उठा कर रज्जो को देखा तो सामने बिना ब्रा के नाइटी मे उसकी भारी भारी मोटी मोटी चुचिया हिल्कोरे खा रही थी ।

एक ही पल मे दोनो के लण्ड उनके लोवर मे ठोकरे मारने लगे ।
इधर रज्जो निचे आते ही - छोटी(रागिनी) !! इधर आ तो

फिर रागिनी उठ कर रज्जो के साथ उसके कमरे मे चली गयी ।

वही दोनो बाप बेटो की सीढि पर पीछे से उतरते हुए अनुज पर गयी और दोनो की हवस भरी मुसकान सिकुड गयी और वो आपस मे बाते करने लगे ।


वही अनुज ने जैसे ही साम्ने अपने पापा और भैया को देखा उसकी हालत खराब होने लगी ।
वो किसी तरह से लोवर मे अपना लण्ड सेट करता हुआ निचे उतरा


राज - अरे तुने कंघी नही किया क्या ?

अपने भैया की बात सुनके अनुज को अपने बालो का ख्याल आया और वो अप्ने सर पर हाथ घुमा कर चेक करता है ।

वो जैसे ही वापस कंघी के लिए उपर जाने को होता है तो राज उसे टोक देता - अरे मेरे कमरे कर ले भाई , हाअह्हहा

अनुज भी हस कर शर्माता हुआ दरवाजा खोल कर राज के कमरे मे चला जाता है ।



वहा वो कन्घी कर रहा था और उसके जहन मे बार बार उसकी मौसी के ख्याल चल रहे थे ।

वो कंघी लेके कमरे के दरवाजे पर आकर सामने अपनी मा के कमरे मे झाकता है , जहा उसकी मा उसके मौसी के लिए साड़ी निकाल कर दे रही थी ।


फिर कमरे का दरवाजा बन्द हो जाता है और अनुज हाल मे वापस आ जाता है ।
इधर राज और उसके पापा आने वाले कार्यक्रम की तैयारियो की चर्चाओ मे लगे थे ।
उसके पापा ने चमनपुरा मे कार्ड से जुडे सभी काम कर दिये थे ।

राज ने विमला और सरोजा के लिए भी कार्ड के बारे मे पुछा तो उसके पापा ने कहा कि सन्जिव ठाकुर की पूरी फैमिली को निमंत्रण दिया गया है ।
और विमला भी वापस आ गयी है ।

बातो ही बातो मे पता चला कि रन्गीलाल ने चंदू के बाप रामवीर से बाते करके उसके चौराहे वाले घर की चाबिया ले ली थी ताकी कुछ मेहमानो की व्यवथा उसमे भी की जा सके ।


राज - पापा अभी खाना बनने मे समय है तो क्यू ना चलिये चंदू के घर का वयवस्था ही देख लिया जाये और क्या क्या करने लायाक है वो देख लिया


रंगीलाल - हा बेटा सही कह रहा है , अगर आज देख लेंगे तो कल उसी हिसाब से व्यवस्था कर दिया जायेगा ।

अनुज - मै भी चलू पापा

चुकि रंगीलाल को राज से रात के प्लान को लेके भी कुछ बाते करनी थी इसिलिए वो अनुज को मना कर देता है ये कह कर कि वो आराम करे और दोनो बाप बेटे निकल जाते है बाहर



......******.......*****......*******........*****.....

इधर एक ओर जहा इनकी शादियो की तैयारिया चल रही थी , वही सोनल और निशा दोनो बहाने सुहागरात की तैयारियो को स्पेशल बनाने मे लगी थी ।

किचन मे काम करते हुए निशा और अमन की चैटींग जारि थी ।
जो आज के अनुभव को लेके उसको परेशान किये जा रही थी ।
वही अमन निशा जैसी शरारती लड़की को पाकर उसका लण्ड पुरा समय फुला फुला रहने लगा था ।

लण्ड कसावट उसके लोवर मे तम्बू बनाये हुए थे ।

अपनी स्थिति बेफिकर होकर अमन मुस्कुरात हुआ सोफे पर पैर फैलाकर बैठा हुआ निशा से फोन पर चैटींग कर रहा था और इधर उसकी मा ममता उसको आवाज देने के लिए कमरे मे आ पहुची ।


अमन!!!! क्या कर रहाआ ....!
ममता जैसे ही आवाज लगाते हुए अमन के कमरे मे घुसी कि सामने सीधा उसकी नजरे अमन के लोवर मे बने तम्बू पर गयी और उसकी आंखे फैल गयी ।


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एक नजर वो अमन की ओर देखा तो वो मुस्कुरात हुआ मोबाइल मे चैटींग कर रहा था और बार बार अपना तना हुआ मुसल का सुपाडा मिज रहा था ।


ममता को समझते देर नही लगी कि अमन जरुर शादी को लेके उत्साहित है , और वो मुस्कुरा उठी ।

उसने नजरे चुराते हुए अमन को फिर से आवाज दी और अमन चौक कर दरवाजे पर नजरे फेर कर खड़ी अपनी मा को देखा तो उसको अपने तने हुए लण्ड का ख्याल आया और वो झट से पास एक तकिया अपनी गोद मे रखता हुआ बिसतर पर बैठ गया ।

शर्म और लाज से दोनो मा बेटे नजरे चुरा रहे थे और ममता ने मुस्कुरा कर चोर नजरो से अमन को देखा और फिर कमरे से बाहर आती हुई - चली से आ खाना तैयार है , पुरा दिन मोबाईल मे लगा रह्ता है ।


फिर ममता अपना माथा पीटती हुई हस्ती हुई निचे सीढियो की ओर होकर किचन की ओर आ गयी ।

वही अमन तकिये से अपना सर पीटता हुआ अपने आप को कोष रहा था कि ये कैसी बेवकूफ़ी कर दी उसने । अब वो अपनी मा से कैसे नजरे मिलायेगा ।


बहुत शर्म हया के साथ अमन अपना लण्ड सेट करके निचे डायनिंग टेबल पर गया वहा खाना पहले ही परोस कर रखा था ।

उस्के पापा और चाचा खा चुके थे और नजर घुमाने पर पाया कि उसकी मा किचन मे बरतन खाली कर रही है ।

अमन ने मन मारकर खाना खाया और बिना कुछ बोले चुपचाप उठ कर अपने कमरे मे चला गया ।

ममता ने जब ये नोटिस किया तो उसे थोडा दुख हुआ , रात मे सब काम खतम करके वो दूध लेके उपर अमन के कमरे मे गयी ।

कमरे मे अमन पंखे के निचे बिस्तर पर टेक लेके पैर फैला कर बैठा हुआ हाथ मे मोबाइल घुमा रहा था , जैसे किसी गहरी सोच मे खोया हुआ हो ।
ममता की नजरे जब अपने लाड़ले पर गयी तो उसे उस्का उतरा हुआ चेहरा बिल्कुल भी पसन्द नही आया और उसने सोचा कुछ ही दिनो मे शादी है और अगर घर का माहोल ऐसा ही रहा तो कैसे काम चलेगा ।


इसिलिए वो मुस्कुराती हुई दूध का ग्लास लेके अमन के पास पहुची
ममता उसके सर पर हाथ फेर कर - क्या हुआ बेटा, क्या सोच रहा है ?


अपनी मा के मुलायम स्पर्श पाकर अमन सिहर उठा और अपनी मा का मुस्कुराता चेहरा देखने लगा ।


उसकी मा ने फिर अपना सवाल दुहराया तो अमन - सॉरी मा वो मै .... सॉरी


ममता उसके सर को अपने गुदाज पेट से लगा कर उसके बालो को सह्लाती हुई - अरे कोई बात नही बेटा, उम्र है तेरी हो जाता है । उसमे इतना परेशान क्यू हो रहा है ।


ममता - हा लेकिन तुझे अपने कमरे की स्थिति का भी ध्यान होना चाहिए ना बेटा,

अमन अपनी मा से लिपटा हुआ किसी छोटे बच्चे की भाति - जी मा !

ममता उसके गालो को छू कर - और कुछ दिन सबर नही कर सकते तुम दोनो उम्म्ंम !!


अपनी मा की बाते सुन्कर अमन शर्मा कर मुस्कुरा दिया और अपना चेहरा अपनी मा के गुदाज पेट मे लगा कर उसके फैले कमर को पंजो मे कसता हुआ चिपक गया ।



ममता हस के - देखो देखो कैसे अब शर्मा रहा है , पागल कही का , मेरा बच्चा

ये बोल कर ममता ने झुक कर अमन के सर को चूमा और उससे अलग होती हुई - चल अब ये केसर हल्दी वाला दुध पी ले


अमन ने जैसे ही हल्दी वाले दूध की बात सुनी वो मुह बनाते हुए - मम्मी आप ये हल्दी वाला दूध क्यू दे रह हो आप मुझे 4 5 दिन से , इसका टेस्ट नही अच्छा लगता


ममता मुस्कुरा कर - नाटक मत कर अब , चल पी ले ताकत मिलती है इससे

अमन - मम्मी जिम जाता हू रोज , और diet भी करता हू इसकी जरुरत नही है मुझे

ममता - मैने बोला ना है जरुरत तो है

अमन - लेकिन किस लिये
ममता हस के - वही , जिसकी तैयारी मे तु और बहु दोनो बेसबरे हुए जा रहे हो


ये बोल्कर ममता हसती हुई कुल्हे हिलाती हुई कमरे से बाहर आ गयी और अमन कुछ देर तक पहले अपनी मा के व्यंग को समझा और जब समझ आ गया तो उसकी हसी रोके नही रुकी

कि अब तो उसकी मा ही उसके मजे लेने लगी ।
फिर वो दूध का ग्लास खाली करके सोनल के फोन आने का इन्तजार करने लगा ।

राज की जुबानी


सोनल और निशा खाना बना कर गर्मी से परेशान थी इसिलिए फ्रेश होने के लिए छत पर चली गयी थी

नहाने के बाद रज्जो मौसी ने कमरे से जाकर मा से उसकी काटन की साड़ी मांग ली पहनने के लिए और किचन मे खाने के लिए सलाद कातने लगी

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सब कुछ मेरी योजना के अनुसार हो रहा था
मा इस समय अभी नहा कर अपने कमरे मे थी ,

पाप और मै जैसे ही हाल मे आये तो हमारी नजर अनुज पर गयी जो उन्हे सोता हुआ दिखा और वो आपस से मुस्कराये

पुनः मैने पापा को इशारा किया और खुद हाल के सोफे पर बैठ कर मोबाईल चलाने मे लग गया ।

पापा धीरे से पीछे गये और रज्जो के बगल मे खड़ा होकर उसके जबरजस्त कूल्हो पर हाथ फेरते हुए कहा- कुछ मेरे लिए भी बनाया है क्या जानू ।

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मै बिना अनुज की ओर देखे बस किचन के नजारे निहार रहा था

वही किचन मे मौसी चहकी और पापा की ओर घूमी तो पापा ने भी चौकने का नाटक किया

रंगीलाल - अरे जीजी आप , मुझे ल्गा कि रागिनी

रज्जो तंज कसते हुए - क्यू आपको मेरे और रागिनी के पिछवाड़े मे कोई अन्तर नही मिलता क्या? खुब समझती हू आपकी चालाकिया जमाई बाबू


मौसी की बाते सुन्कर जहा मै हस रहा था


इधर रंगीलाल और रज्जो की वार्ता पुन: चालू हो गयी


रज्जो तुन्क कर - मैने तो सोचा था कि आज आपके कमरे मे सोउन्गी लेकिन हिहिहिही मुझे आपकी नियत ठिक नही लगती जमाई बाबू

रन्गीलाल हस कर - क्या जीजी आप भी बच्चो के सामने ऐसे बोल रही है

रज्जो - तो क्या अब आप मुझे अकेले मे कुछ बात करना चाहते है

पापा ने थोडा साहस करके एक बार मेरी ओर देखा और फिर हस्ते हुए - अरे अपनी बड़ी साली से छिप कर क्यू बात करनी जो कुछ कहना होगा खुल कर कहेन्गे

इतने मै किचन मे जा पहुचा


मै - क्या हुआ पापा , क्या हुआ मौसी

रज्जो - अब क्या ही बताऊ राज बेटा, मुझे तो बहुत डर लग रहा है

राज - क्या हुआ मौसी
रज्जो हस कर - अरे देख तेरे पापा मुझे तेरी मा समझ कर ....।


राज - हस कर क्या आप लोग भी ना , ठिक है ऐसी बात है तो मौसी आप मेरे कमरे मे सोयिये

रज्जो - हा बेटा और क्या , क्या पता रात के अन्धेरे मे तेरे पापा तेरी मा समझ कर मुझे ही पकड कर ना सो जाये हिहिहिहिही


पापा थोडा सा मेरे सामने शर्मिंदा होने का दिखावा करते है

इतने मे मा नहा कर हाल मे आती हुई - अरे आप लोगो को कुछ शर्म लिहाज है या नही , घर मे बच्चो के सामने ही आप दोनो साली जीजा वाला मजाक रुक नही रहा हौ ।



मम्मी के आने पर सब लोगो ने शान्त होने का दिखावा किया लेकिन रज्जो मौसी कहा चुप होने वाली थी ।


रज्जो हस कर पापा का मजा लेते हुए - रागिनी भई तु मेरा बैग राज के कमरे मे रखवा दे मै उसके साथ रहूँगी , भले ही थोडा गर्मी में रह लूंगी कुछ कप्डे उतार के सो जाऊंगी और क्या ?


रागिनी - अब बस भी करो जीजी , राज जा तु सोनल और निशा को बुला ले

मा ने अनुज की ओर देखा - आप लोग अपने मे ही लगे और मेरा बेटा देखो भूखे ही सो गया हौ ।


मा ने बड़ी फिकर से अनुज को सोफे पर गरदन टीकाए सोते हुए देखा ।

फिर मै अपनी बहनो को बुलाने उपर चला गया और मा ने अनुज को जगाया ।

फिर हम सब ने खाना खाया , खाते टाईम मै मौसा मा और पापा स्बके चेहरे पर एक हसी थी ।


फिर सब अपने अपने कमरे मे चले गये
मै और मौसी मेरे कमरे मे , फिर पापा मम्मी अपने कमरे मे


कमरे का दरवाजा बन्द करते ही मौसी खिलखिलाई - जमाई बाबू की तो हालत खराब कर दी मैने आज , तु टाईम पर नही आता तो वो क्या ही बोलते

मै हस कर - हा पापा का क्या हू बोलू , उनकी खराब हालत देख कर ही तो मै जल्दी आ गया उपर से अनुज के जागने का डर भी था


रज्जो - तो फिर अब आगे क्या

मै लपक कर उनकी साडी पकड कर खीच कर उसे उन्के जिस्म से अलग करता हुआ - इसे निकालो और आजाओ बिस्तर पर मजे करेंगे

रज्जो - और वो तेरे पापा के साथ वाला

मै - अरे होगा ना ,थोडा सबको सो जाने दो तक एक राउंड हम लोग अपना तो कर ले

रज्जो मौसी हस कर - तू बड़ा चालू है रे

मैने उनकी ओर बढ कर उनकी कमर मे हाथ डाल कर उनसे लिपट गया ।



लेखक की जुबानी

एक ओर जहा राज रंगीलाल और रज्जो अपनी काम क्रीड़ा की योजनाओ को आगे बढा रहे थे लेकिन इस बात से अंजान कि उनकी इस योजना के प्रभाव से अनुज बुरी तरह से परेशान हो चुका था



दरअसल वो निचे सोफे पर सोने का नाटक कर रहा था और जबसे रज्जो उसकी मा के कमरे से बाहर निकली थी तबसे वो सोने का नाटक कर कनअन्खियो से सारा वृतांत निहार रहा था ।


ना ही खाने मे उसका मन लगा और ना ही सब सोने की इच्छा हो रही थी ।
उसका लण्ड पुरा तना हुआ फौलादी हुआ जा रहा था लेकिन इसके उलट उसके जहन मे एक अलग ही मतभेद वाली जंग जारी थी ।


उसे यकीन नही हो पा रहा था कि मौसी ने क्यो ऐसे ही वो बात मजाक मे निकाल दी ।

माना कि पापा को पता नहीं था कि वहा मा नही मौसी खड़ी है लेकिन मौसी ने क्यू उसके पापा का हाथ आखिर तक अपने कमर रखे रहने दिया और उसपे से कैसी कैसी बातें कर रही थी ,

क्या ये सब जीजा साली के रिश्तो मे जायज है , उसका दिमाग घूम रहा था और ये सोच कर उसका लण्ड और भी बौखला रहा था कि क्या होगा अगर सच मे उसका बाप उसकी मौसी को चोद दे तो


और उसने अपनी ही कल्पना मे लण्ड मसलना शुरु कर दिया
बाथरूम का वो दृश्य याद आने लगा जब रज्जो मौसी उसके सामने सिर्फ एक भिगी हुई पेतिकोट मे खड़ी थी

वो उभरे हुए मोटे अंगूर के दाने जैसे निप्प्ल को याद कर कर के अनुज की हालत खराब होने लगी और तभी उसे रज्जो की ब्रा पैंटी की याद आई

उसने अपना दिमाग झटका और लपक कर हौले से दरवाजा खोल कर सरपट जीने की ओर भागा

छत के दरवाजे ने खोलने पर ना चाहते ही अपनी आवाज निकाल दी लेकिन हवस के अंधे अनुज ने इसकी परवाह नही की और भागकर बाथरूम के पास की अरगन पर गया , जहा उसे ब्रा पैंटी लहराती हुई मिली

अनुज ने फौरन उसे उतारा उसको हाथो मे भर के अपने नथुनो पर लगा कर सूंघने लगा

उसकी मादक गन्ध से अनुज की हालत और खराब होने लगी वो कभी ब्रा को अपने लण्ड पर उपर से घिसता तो कभी पैंटी को सूंघता

उसकी हालत खराब होने लगी और वो समझ गया कि अब रहा नही जायेगा इसिलिए वो लपक कर बाथरूम मे घूस गया

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फिर लण्ड मे पैंटी लपेट कर सुपाडे को बाहर रखते हुए तेजी से मुठियाने लगा - अह्ह्ह मौसीईई उह्ह्ह मौसीई आपकी चुची कितनी मस्त है और आपकी गाड़ अह्ह्ह आह्ह मौसी चुदवा लो ना उह्ंम्ंंम उम्म्ं आह्ह खुब भर भर लंड दूँगा आपकी बुर मे उह्ह्ह अपना बुर देदो नाहहह उह्ह्ह मौसी आह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्हह्ह हा अह्ह्ह


थरथरा कर अपनी एडिया उचका कर अनुज ने गाढी और मोटी पिचकारी बाथरूम के दिवाल पर मारी और झटके खाने ल्गा ।

उसका तन सुस्त होने लगा और उसे बहुत हल्का फुल्का मह्सूस हुआ

लण्ड झाड़ कर उसने अपना बीर्य पानी डाल कर बहा दिया और वाप्स से ब्रा पैंटी टांग कर थोडा समय खुली जगह मे टहला और अपनी बिस्तर मे वापस कर सो गया ।



जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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BHAI LONG UPDATE DE DO AP KE ABHI TIME NAHI HA TU APP ME AGE KI STORY SEND KAR DEJIYA MA LIKH DETA HU BHAI
Laude nhi lgwane iske ... koi bhi writter isko mere se behtar nhi likh sakta


Bura mt manana bhai
Ye story mai mere liye likhta hu
Apni bhadas aur hawas likh kar nikal deta hu taki normal life jee saku 😂😂😂
 

DREAMBOY40

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BHAI LONG UPDATE DE DO AP KE ABHI TIME NAHI HA TU APP ME AGE KI STORY SEND KAR DEJIYA MA LIKH DETA HU BHAI
Mai bahut aage ki nhi sochta ki kb kaise age le jana hai

Ek update likhne k baad jb hilaane ka mood hota h to sochna shuru krta hu ki kya likhu 😂😂😂😂
 
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